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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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गूंजा गुड्डी की सहेली है और पक्की राजदार भी और सह-षड्यंत्रकारी भी, चाहे आनंद बाबू का सोते में सिंगार करने में हाथ बटाना हो या ब्रेड रोल में मिर्चे डालने में, गुड्डी की तो रात में छरछराये परपरायेगी, गूंजा के सहयोग से आनंद बाबू को सुबह ही,BBB- Big Breasted Bitch title for Jethani in JKG.
“एकदम…मैं उन स्सालियों में नहीं जो देने में पीछे हटजाएँ, हां लेने में, 'आपके उनके ' की हिम्मत पर डिपेंड करता है "
इन शब्दों को सुनने के लिए गुड्डी के कान तरस रहे थे..
और अपनी बहन जैसी सखी सहेली से सुन के लजाना वाजिब भी है...
और ये दोनों एक और एक मिलकर ग्यारह बना रहे हैं...
फिर तो आनंद बाबू के साथ जो न हो जाए वो कम है...
गुड्डी और गुंजा ने एडवांस में ही अपना बदला ले लिया,अब तो अपना मोटा और गरम रोल (चमड़े का) खिलाने की तैयारी करनी होगी आनंद बाबू को.
फिर इस जलन का बदला उस समय के जलन से पूरा होगा....
नहीं नहीं चंदा भाभी ने जो कल रात चार बार मलाई निकलवाई उसके बाद रिफिल कर रही हैंयही हलवा मलाई बनकर वापस चंदा भाभी के अंदर तक जाने वाला है...
रात के पहले भी बहुत कुछ हो जायेगा।" चलो ये तो अच्छा है न तुझे एक पक्की छोटी साली मिल गयी, साली पसंद है ? भाभी मुझे चिढ़ाने का मौका क्यों छोड़तीं,
साली भी पसंद है ..
और होने वाली घरवाली तो बहुत-बहुत पसंद है...
गुँजा जानबूझ के अनजान बनते हुए पूछ बैठी, " क्यों रात को क्या होगा"
भाभी गुड्डी की टांग खींचने का मौका क्यों छोड़तीं,हंस के बोलीं, " अपनी दी से पूछ न, वही साथ जाएंगी, उन्हें मालूम होगा। "
गुड्डी की बोलती बंद, गाल लाल , लेकिन जवाब भाभी ने ही दिया,
इस समय तो गाल लाल है रात में बहुत कुछ खूनम खून और लालम लाल होगा...
गूंजा ने इशारे में सब कुछ कह दिया, चंदा भाभी ने जीजा साली के रिश्ते पर मुहर लगा दीं, लेकिन अभी गुंजा की सहेली जो नीचे से आकर चिल्ला रही हैगुंजा अपनी ओर से सारे इशारे कर रही है...
लेकिन अभी भी हिम्मत में कुछ परसेंट की कमी है...
एक बार और रगड़ाई होनी चाहिए .. तभी एकदम खुल के...
अभी तो आनंद बाबू हवा मिठाई का मजा ले रहे हैं,ये चूहा भी दूसरे मोटे तगड़े चूहे के जान का दुश्मन बना हुआ है....
दोनों अपने-अपने बिल को बांट लें...
एकदम, और वो किस्सा क्योंकि आनंद बाबू को सुना चुकी है इसलिए चुनौती आनंद बाबू और गूंजा दोनों के लिए है, अब जीजा साली बने हैं तो,अपने जीजू का याद करा के चंदा भाभी अभी इशारा कर रही हैं कि जिस आनंद को वो गुंजा से छोटी उमर में पा चुकी हैं..
और उसके बाद अपनी माँ की सहमति भी...
उसी आनंद के लिए गुंजा अभी तक तरस रही है... उन्हीं के बिरादरी में आने के लिए...
वो भी होगा, आगे आगे देखिये होली में क्या क्या होता हैहोली में तो कपड़ा फाड़ होली होगी...
लेकिन कपड़ा भी चंदा भाभी और गुंजा का है तो...
इसीलिए अभी तक बचे हुए हैं...
वरना अब तक तो नंगा करके नचवाया होता...
ये दिल दूध के कंटेनर से ढंका हुआ है...
इसलिए आनंद बाबू को नजर नहीं आ रहा..
इसलिए गुंजा ने सही स्थान बता दिया...
और बिल वाली ने बोल भी दिया,चूहे की मर्जी तो बिल को खोद-खोद के बड़ा करने की है...