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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
मैं, गुड्डी और होटल
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रिश्ता इम्पोर्टेन्ट है उम्र नहीं" दहेज़ तो जरूर मांगना, और मैं बताती हूँ क्या मांगना, गुड्डी क मम्मी और दोनों उसकी छोटी बहने। और गुड्डी क महतारी ये जो टनटनाया औजार ले के घूमते हो न , कोहबर में ही दोनों अपनी बड़ी बड़ी चूँची में दबा के एक पानी निकाल देंगी, ... "
सास और साली दहेज़ में...
इससे अच्छी सलाह और क्या हो सकती है...
और चंदा भाभी के कुंवारेपन के किस्से से रूबरू होकर...
उसकी बेटी पर भी हाथ साफ कर सकते हैं...
आखिर तब भाभी गुंजा से भी छोटी थीं...
आप तो ज्ञान का भंडार हैं...
Bas ek do din me thanks so muchWait for next update
कोमल मैमBas ek do din me thanks so much
रीत की रीतकोमल मैम
लगता है कहानी के इस संस्करण में रीत का कार्यभार गुंजा के हिस्से में आने वाला है क्योंकि गुंजा की भूमिका में बड़ोत्तरी हुई है।
सुखद अनुभव रहेगा क्योंकि मेरी व्यक्तिगत राय है कि रीत की एंट्री करन के साथ ही ज्यादा उपयुक्त है।
मुझे आपकी कशीदाकारी पर पूरा भरोसा है और बेसब्री से इंतजार भी।
टीका टिप्पणी के लिए क्षमा।
सादर
You're very kind to say that, and I really enjoy reading your work, so yes sooner or later I'll be there on your updates.I am speechless. Listening from a writer whose popularity is breaking all heights, whose viewership of a single story is likely to touch an unheard-of 7 figures, deigns to express such words. I am humbled. May I wish for your regular presence on all updates?
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