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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
मैं, गुड्डी और होटल
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और शरारतें भी...Is kahani me ek baat yeh bhi achhi lagti hai ki devar bhabhi ke rishte me ek maryada bhi hai
रीत झुक करके तो आमंत्रण दे रही है...Wow..super sexy update..filled and dripped and laced with eroticism..
like Reet putting on the cd while "bending"..and anand babu salivating over her pichwada...awesome sexy!!
and Anand babu under the effect of Bhaang, Dahi wada & Gulab Jamun..and ..."looking" at Reet in a different sexy way...
the dance description between Reet and Anand babu was very erotic..."multiple attacks" by Babu on Reet
Every part has appropriate pics which makes the update even more sexier...
As I said earlier, your updates always feel as if sex is on the anvil...but at the last moment, you pull it back...and keeping us on tenterhooks
Top Class update Madam!! super!!
komaalrani
मोहे रंग दे के १५ लाख व्यूज पूरे होने हार्दिक बधाईयाँमोहे रंग दे
एक नवदम्पति की प्रणय कथा
मेरी सबसे रोमांटिक कहानी और रोमांस पति -पत्नी का
१५ लाख व्यूज पूरे
आभार, धन्यवादErotica - मोहे रंग दे
मोहे रंग दे ,मोहे रंग दे ,रंग की यह कहानी साजन के रंग में सजनी के रंगने की है ,सजनी के रंग में साजन के रंगने की है ,और होली की है , ...और होली की नहीं भी है ,...मन और तन दोनों रंगने की है ,नेह के रंग की , देह के रंग की ,... एक ऐसी कहानी जो सिर्फ इस देस में हो...exforum.live
ऐसा रंग जो सिर चढ़ कर बोलता हो....रंग की यह कहानी साजन के रंग में सजनी के रंगने की है ,
सजनी के रंग में साजन के रंगने की है ,
मन और तन दोनों रंगने की है ,
नेह के रंग की , देह के रंग की ,... एक ऐसी कहानी जो सिर्फ इस देस में हो सकती है ,
वो रंग जो चढ़ता है सिर्फ उतरता नहीं
जो पद्माकर ने कहा था
एरी! मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सोँ,
कढिगो अबीर पै अहीर को कढै नहीँ ।
वो रंग जो कभी उतरता नहीं
जो खुसरो ने कहा ,
आज रंग है री मां रंग है री , मेरे महबूब के घर आज रंग है री
मोरे ख्वाजा के घर रंग है री ,
अबकी बहार चुनर मोरी रंग दे ,... रखिये लाज हमारी
आज रंग है री मां रंग है री , मेरे महबूब के घर आज रंग है रीErotica - मोहे रंग दे
मोहे रंग दे ,मोहे रंग दे ,रंग की यह कहानी साजन के रंग में सजनी के रंगने की है ,सजनी के रंग में साजन के रंगने की है ,और होली की है , ...और होली की नहीं भी है ,...मन और तन दोनों रंगने की है ,नेह के रंग की , देह के रंग की ,... एक ऐसी कहानी जो सिर्फ इस देस में हो...exforum.live
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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
जीजा साली में मस्ती मजाक चल रहा है जीजा और साली का रिश्ता ही ऐसा होता है बेचारे आनंद बाबू अभी तक बचे हुए हैं एक साली मिली है वो अभी तक होली नहीं खेली है वरना दो तीन और होती तो आनंद की तो होली पे स्यामत आ गई होती
चौका नहीं...एकदम सही कहा अपने और इसी बहाने उन्होंने दो बातें भी बता दी, जीजा साली के रिश्ते में जीजा का काम पूछना नहीं है और जब उनके जीजा ने उनके साथ में होली में जीजा साली वाली स्पेशल होली खेली थी तो वो गूंजा से भी छोटी थीं, गुड्डी की सबसे छोटी बहन के बराबर
तो अब आनंद बाबू के लिए गूंजा और गुड्डी की छोटी बहनों के साथ भी रस्ता भी साफ़, मौका देखो , चौका मारो
बहुत बहुत धन्यवाद कहानी से जुड़े रहने के लिए और नियमित कमेंट्स के लिए
मुँह देख के उठे भी और मुँह भी मीठा हो गया...लोग कहते हैं न किसका मुंह देख के उठे आज,
तो आनंद बाबू तो गुड्डी का मुंह देख के उठे, मुंह में स्वाद भी गुड्डी के चुम्बन का गया सबसे पहले तो गुड्डी तो रस की पुतली है, दिन तो रसमय होना ही है।
एक बार फिर से आभार आपके कमेंट्स के लिए
होश गंवा बैठे आनंद बाबू ..एकदम सही कहा अपने दर्जा नौ में पढ़ने वाली कैशोर्य के दरवाजे पर चढ़ती छोटी साली सामने हो तो किसे होश रहता है
और हम पाठक आपकी कहानी के साथ-साथ कमेंट्स पढ़कर भी आपके बुने ताने बाने में उलझ जाते हैं...आभार,
Ars longa, vita brevis, ( art is long and life is short)
जीवन की इस आपधापी में, रोज नयी उलझन को सुलझाने में भी आप समय निकाल कर उत्तर दे रहे हैं यही कम नहीं है।
समय हमेशा कम रहता है, कान्फ्लिक्टिंग डिमांड्स होती हैं समय पर, उसमें भी आप समय निकाल के पाठकों के लिए कहानी लिख रहे हैं, उसकी कलात्मकता पर ध्यान दे रहे हैं यही बड़ी बात है, इसी लिए मैं समझ सकती हूँ, और हर पाठक के लिए हर लेखक की कहानी पढ़ना सम्भव भी नही।
हाँ बस यह कह सकती हूँ की अगर कभी टाइम मिले और मेरी कहानी पढ़ने की चाह हो, तो मेरी अनेको कहानियों में आप मोहे रंग दे पढ़े, कम से कम शुरू के आठ दस भाग, क्योंकि मेरी लिखी शायद सबसे रोमांटिक कहानी है जो नव दम्पति के बीच है, लेकिन पहले आपके समय पर आपकी कहानियों का अधिकार है
और अगर अंग्रेजी में लिखी कहानी पढ़नी है मेरी Its a Hard rain, कहानी ट्राई कर सकते हैं इसलिए भी की बहुत छोटी है।
मैं मानती हूँ की कहानी हमें तभी कहनी चाहिए जब हमारे पास कुछ ख़ास अलग कहने को हो और हम मानते हों की हम पाठक के समय को बर्बाद नहीं कर रहे हैं।
एक बार फिर से आपको बधाई और उत्तर के लिए धन्यवाद
अवश्य महोदय...Welcome bhai...thread pe...kehne ki zaroorat nahi hai...aapke laajawab comments kaa intezaar kar raha hai mera story bhi....aapke comments ke bina mera story bhi adhoora rehta hai
motaalund