वाइड वैराइटी....और दूसरे स्थान पर गुड्डी की मम्मी या क्या पता पहले स्थान पर दूबे भाभी के साथ टाई हो, होली आफ्टर होली के बाद आनंद बाबू बता पाएंगे, २८ से ३८ तक की पूरी रेंज रहेगी उनके पास
वाइड वैराइटी....और दूसरे स्थान पर गुड्डी की मम्मी या क्या पता पहले स्थान पर दूबे भाभी के साथ टाई हो, होली आफ्टर होली के बाद आनंद बाबू बता पाएंगे, २८ से ३८ तक की पूरी रेंज रहेगी उनके पास
और आपके बहाने हम पाठक गण भी भूली बिसरी यादों से रूबरू हो लेते हैं....अब तो कान तरस जाते हैं, धमार, चौताल और होरी सुनने के लिए और जोगीड़ा के नाम पर जो गाने आते भी हैं उनमे अक्सर होली के गाने की धुन भी नहीं होती, इसलिए कई बार कहानी में लिख के ही शौक पूरा कर लेती हूँ
लेकिन ताले में ताली तो आनंद बाबू हीं लगाएंगे...और सरसो के तेल का निहितार्थ भी, और छेड़खानी भरा जवाब, आनंद बाबू और रीत के लिए एकदम सटीक लेकिन उससे बढ़कर दूबे भाभी को आनंद बाबू की पसंद एकदम पसंद आयी होगी
जैसे लड़की देखने दर्जन भर आये हों और लड़की और उस के घर वाले सब को खुश करने में लगे हो तो आनंद को भी आज गुड्डी को हरदम के लिए दबोचने के लिए गुड्डी के घरवाले, सहेलियां, पास पडोसी सब को अपने पारे में ले आना जरूरी है और दूबे भाभी तो चाभी हैं
इस उम्र और वय की युवतियां जिनकी शादी हुए बस कुछ हीं दिन या महीने हुए हों...बहुत ही मजेदार अपडेट है एक नई भाभी की एंट्री और आते ही आनंद ने चोक्का मार दिया
और हर किसी के नाम पर फिट भी...नकबेसर कागा ले भागा -होली का असली राष्ट्रीय पारम्परिक गीत है और उसके बिना होली का मजा पूरा नहीं होता और चिढ़ाने के लिए भी जो सामने हो उसका नाम, उसकी महिला रिश्तेदारों का नाम जोड़ने से नमक स्वादानुसार का मजा मिलता है जैसे इसमें आनंद बाबू की ममेरी बहन को, और फिर रीत को घसीटा गया।
अब तो काफी बैकग्राउंड म्यूजिक...
अब तो दूबे भी कुछ ट्रिक्स बता हीं देंगी...आपके लगातार और सटीक कमेंट्स को देखकर कितनी ख़ुशी हो रही है मैं कह नहीं सकती, कहानी लिखने, कमेंट्स के जवाब देने के बीच आप समय निकाल कर यहाँ आ रहे हैं और इस कहानी का मान बढ़ा रहे हैं
सिक्स्थ सेन्स की बात आपने एकदम सही कही, एक बार वो आ जाय तो मौके के हिसाब से, सामने वाले पहलवान के हिसाब से दांव पेंच सब आ जाएगा, और हर कुश्ती जीतेंगे वो जो अभी अखाड़े में घुसने के नाम से भागते हैं, चंदा भाभी सही मानो में गुरु हैं।
क्या हीं सटीक वर्णन किया है...किसी राइटर को रोमांटिक स्टोरी लिखने मे महारथ हासिल होता है , किसी को थ्रिलर - सस्पेंस लिखने मे महारथ हासिल है , कोई हाॅरर लिखने मे स्पेशलिस्ट है , कोई साइंस फिक्शन मे तो किसी को अन्य - अन्य विधा मे दक्षता हासिल प्राप्त है ।
आपके बारे मे मै पुरी गारंटी के साथ कहता हूं - होली से सम्बंधित इरोटिका लिखने मे आप जैसा कोई नही । आप की यह विधा पढ़कर रीडर्स " वाह वाह " न करें , ऐसा हो नही सकता ।
इन अपडेट मे भी आपने इरोटिका को एक ऊंची उड़ान पर पहुँचा दिया । आनंद साहब के साथ पांच पांच महिलाएं - दो परिपक्व मैच्योर औरतें दूबे भाभी और चंदा भाभी , एक नई नई सुहागन बनी औरत संध्या भाभी और दो कच्ची कली कचनार की रीत और गुड्डी - और सभी की सभी हुस्न की दौलत से मालामाल , यह सब कल्पना कर किसका दिल व्याकुल न हो जाए ! किसका दिल न मचल जाए ! किसके दिल के तार झंकृत न हो जाए !
बहुत ही खूबसूरत सीन्स और उतना ही शानदार लेखनी ।
बिहार और पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश मे होली और चैत्र मास के दौरान पुरे माह भोजपुरी लोकगीत गाने की परम्परा थी । यह गीत ही इन दो माह को अन्य महीने से अलग बनाता था । एक मे जहां रस रंग का उत्सव होता था वहीं दूसरे मे पुरे माह हम अपने पुज्य का जन्मोत्सव मनाते थे ।
जाने कहां गए वो दिन !
बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
जगमग जगमग अपडेट ।
बस एक गुंजा है... इससे हीं समझ लीजिए...Hot
Hot update komal ji. Or yahan bhi chanda bhabhi ko kuchh apne husband ka bhi jikar krna chahiye ki unke sath sex life kesi hai or wo tour me rehte hai toh chanda bhabhi kese raaten katti hai, yeh sab baten bhi anand ko chanda ke beech ho skti h
40 से 50 परसेंट नया कंटेंट है...Vese to mene yeh story already padhi hui hai lekin jahan mujhe lgega ki kuchh or achha ho skta hai, likhta rahunga