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फागुन के दिन चार भाग ३० -कौन है चुम्मन ? पृष्ठ ३४७
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Bahoot Bahoot dhanyvaad , itte aache comments ke liyebahut khoob. bahut badhiya update.
Thanks so much, there are very few readers like you who enjoy every post and share feelings about each of them, main aabhari hun aapkiSuperb update Komal ji.
Thanks ab main regaulrlarly har week yahan update dungi, bas saath baanaaye rkahiyegaa.wow what a wonderful update komalji.
सही कहा...Lekin moka ab bhi milega
ये तीनों ननदों की तिकड़ी,,गुड्डी और रीत ने संध्या भाभी को भी रंग लगाने के लिए बुला लिया है संध्या भाभी को भी पूरा मौका मिल रहा है आनंद बाबू भी थोड़े थोड़े सयाने हो गए हैं एक ब्याहता के जोबन को देखने के लिए उसकी साड़ी उतार दी क्या मस्त है संध्या भाभी आनंद के नैना तो कबूतरो से ही नही हट रहे हैं
दूबे भाभी न जाने कितने बसंत देख चुकी हैं... और घाट-घाट का पानी पीया है..आनंद बाबू बुद्धू के बुद्धू रहे दुबे भाभी ने सही कहा है जब रस से भरे गुब्बारे सामने हो तो उनका रस निकालो कहा रंग के चक्कर में पड़ रहे हो
दुबे भाभी ने मस्त डायलॉग मारा है आनंद को
“अरे लाला तुम ना। रह गए। बिन्नो ठीक ही कहती है तुम न तुम्हें कुछ नहीं आता सिवाय गाण्ड मराने के और अपनी बहनों के लिए भंड़ुआगीरी करने के। अरे बुद्धुराम ससुराल में साली सलहज से होली खेलने के लिए रंग की जरूरत थोड़े ही पड़ती है। अरे गाल रंगों काटकर, चूची लाल करो दाब के और। …”
आगे की बात चंदा भाभी ने पूरी की- “चूत लाल कर दो चोद-चोद के…” ये बात मस्त कही है उपर के गुब्बारे और नीचे के कुएं का रस निकालो
रीत और गुड्डी ने आनंद को पूरा मौका दे दिया है कि ये सुसराल है सुसराल में साली,भाभी जो मिले उसके जोबन को दबा दो उन्होंने संध्या भाभी के साथ मस्ती करने का पूरा मौका दिया है चंदा भाभी ने तो रात में मजा ले लिया है वह भी आनंद की मदद कर रही है
बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी...Bac
Bach gayi reet
ससुराल से आने के बाद एकदम छनछनाई हुई हैं संध्या भौजी...एकदम सही कहा आपने, ससुराल शर्माने के लिए थोड़ी होती है। लड़कियां तक तो शर्माती नहीं, ससुराल पहुँच के बस टांग उठाने का इन्तजार करती हैं। और फिर जो जितना शरमाएगा उतना ही ससुराल में रगड़ा जाएगा, साली सलहज तो ऐसे बालक सम लड़कों का इन्तजार करती हैं जो आनंद बाबू के साथ हो रहा है।
आनंद बाबू तो मास्टर क्रिकेट खिलाड़ी की तरह..Such effusive praise coming from such a popular and excellent writer enthuses me beyond imagination. There are dozens of stories that hanker for a word of praise from you. You are correct, both Anand Babu and Sandhya Bhabhi want to make it Deh ki Holi, let us see what happens. Thanks again for carving time out from your busy schedule and supporting me.
नयकी बियाहल के शरीर और चेहरे पर एक अलग चमक बिखरी रहती है...एकदम सही कहा आपने, होली का मजा तो विवाहिता, खास तौर से नव विवाहिता के साथ ही है। इसलिए नयी नयी भौजी के साथ पहली होली पे फगुआ खेलने के लिए देवर ननदोई सब बौराये रहते हैं।