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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग ३० -कौन है चुम्मन ? पृष्ठ ३४७

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komaalrani

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komaalrani

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Superb update Komal ji.
Thanks so much, there are very few readers like you who enjoy every post and share feelings about each of them, main aabhari hun aapki


🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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motaalund

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Lekin moka ab bhi milega
सही कहा...
लेकिन अभी तक तो KLPD हीं हो रही है आनंद बाबू के साथ...
चंदा भाभी को छोड़कर....
 

motaalund

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गुड्डी और रीत ने संध्या भाभी को भी रंग लगाने के लिए बुला लिया है संध्या भाभी को भी पूरा मौका मिल रहा है आनंद बाबू भी थोड़े थोड़े सयाने हो गए हैं एक ब्याहता के जोबन को देखने के लिए उसकी साड़ी उतार दी क्या मस्त है संध्या भाभी आनंद के नैना तो कबूतरो से ही नही हट रहे हैं
ये तीनों ननदों की तिकड़ी,,
आनंद बाबू को ससुराल की होली का असली नजारा दिखाएंगी....:respekt::respekt:
 

motaalund

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आनंद बाबू बुद्धू के बुद्धू रहे दुबे भाभी ने सही कहा है जब रस से भरे गुब्बारे सामने हो तो उनका रस निकालो कहा रंग के चक्कर में पड़ रहे हो

दुबे भाभी ने मस्त डायलॉग मारा है आनंद को
“अरे लाला तुम ना। रह गए। बिन्नो ठीक ही कहती है तुम न तुम्हें कुछ नहीं आता सिवाय गाण्ड मराने के और अपनी बहनों के लिए भंड़ुआगीरी करने के। अरे बुद्धुराम ससुराल में साली सलहज से होली खेलने के लिए रंग की जरूरत थोड़े ही पड़ती है। अरे गाल रंगों काटकर, चूची लाल करो दाब के और। …”
आगे की बात चंदा भाभी ने पूरी की- “चूत लाल कर दो चोद-चोद के…” ये बात मस्त कही है उपर के गुब्बारे और नीचे के कुएं का रस निकालो
रीत और गुड्डी ने आनंद को पूरा मौका दे दिया है कि ये सुसराल है सुसराल में साली,भाभी जो मिले उसके जोबन को दबा दो उन्होंने संध्या भाभी के साथ मस्ती करने का पूरा मौका दिया है चंदा भाभी ने तो रात में मजा ले लिया है वह भी आनंद की मदद कर रही है
दूबे भाभी न जाने कितने बसंत देख चुकी हैं... और घाट-घाट का पानी पीया है..
साथ हीं न जाने कितने देवरों और नंदोईयों को डुबकी लगवाया होगा...
तो अपना अनुभव बांट रही थी....
अब आनंद बाबू ठहरे नौसिखिया...(केवल चंदा भाभी की तलैया)
तो थोड़ा धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं....
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने, ससुराल शर्माने के लिए थोड़ी होती है। लड़कियां तक तो शर्माती नहीं, ससुराल पहुँच के बस टांग उठाने का इन्तजार करती हैं। और फिर जो जितना शरमाएगा उतना ही ससुराल में रगड़ा जाएगा, साली सलहज तो ऐसे बालक सम लड़कों का इन्तजार करती हैं जो आनंद बाबू के साथ हो रहा है।
ससुराल से आने के बाद एकदम छनछनाई हुई हैं संध्या भौजी...
ऊपर से पति से फ़ोन पर बात करके गीली हो रखी होंगी...
तो खुद हीं आगे बढ़ के... नए नवेले होने वाले नंदोई को...
 

motaalund

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Such effusive praise coming from such a popular and excellent writer enthuses me beyond imagination. There are dozens of stories that hanker for a word of praise from you. You are correct, both Anand Babu and Sandhya Bhabhi want to make it Deh ki Holi, let us see what happens. Thanks again for carving time out from your busy schedule and supporting me.
आनंद बाबू तो मास्टर क्रिकेट खिलाड़ी की तरह..
तत्क्षण प्लान बना करके...
कभी टाईम आउट... कभी चौकों छक्कों की बरसात... तो कभी स्लो खेल के दूसरों को मौका दे रहे हैं...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने, होली का मजा तो विवाहिता, खास तौर से नव विवाहिता के साथ ही है। इसलिए नयी नयी भौजी के साथ पहली होली पे फगुआ खेलने के लिए देवर ननदोई सब बौराये रहते हैं।
नयकी बियाहल के शरीर और चेहरे पर एक अलग चमक बिखरी रहती है...
एक अलग उमंग छाई रहती है...
तो देवर नंदोई इस उमंग के भागीदार बन करके... फागुन का मजा देना और लेना चाहते हैं..
 
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