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Erotica फागुन के दिन चार

motaalund

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आपने एकदम सही कहा, यह कहानी जिंदगी के आसपास मंडराती है, फैंटेसी की चाशनी तो है, लेकिन माहौल घर का, ससुराल का है। ढक्कन भले ही इरोटिका का हो लेकिन अंदर रोमांस और रोजाना की जिंदगी ही है, और चंदा भाभी तो सच में आनंद बाबू की गुरुआनी हैं और गुड्डी की सहेली भी राजदार भी।

बहुत बहुत आभार इन सटीक कमेंट्स के लिए , आगे भी इन्तजार रहेगा, जिन जिन पार्ट को आप पढ़ेंगे उनकी प्रतिक्रिया जानने का

:thanks: :thanks:
इंद्रधनुष की छटा बिखेर दी है आपने...
 

motaalund

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एकदम आपने पते की बात कही, छोटे शहरों का रोमांस, कोई रिश्ते की, जान पहचान की लड़की हो ( इंसेस्टिया नहीं ) और जाने अनजाने, बिना किसी प्रयास के बात बढ़ती जाए, कई बार वो बात देह तक पहुँचती हैं तो कई बार नहीं भी, कई बार किताबों में रखे सूखे फूलों की तरह अतीत की यादें, मन को साल देती हैं, पर वह कुछ पल ही, कितनी बार धूप भरी, बिना छाँह वाली जिंदगी की यात्रा के पाथेय बन के साथ रहते हैं, और १०० में १ बार शायद वो जान पहचान जिंदगी का रिश्ता भी बन जाती है,

क्या होगा, गुड्डी और आनंद बाबू का बस साथ बने रहिये

मेरी कहानियों में हर पोस्ट में, हर पार्ट में देह संबंध शायद न मिले, लेकिन सुख मिलेगा, कई बार जो सुंख आँख भर देख लेने का मुंह भर के बतिया लेने का होता है, वो चलताऊ यांत्रिक सेक्स में नहीं मिल पाता।

मुझे विश्वास है इस थ्रेड को अपनी लगातार उपस्थिति से आप अनुग्रहित करते रहेंगे।

पुन: आभार
मेरी कहानियों में हर पोस्ट में, हर पार्ट में देह संबंध शायद न मिले, लेकिन सुख मिलेगा, कई बार जो सुंख आँख भर देख लेने का मुंह भर के बतिया लेने का होता है, वो चलताऊ यांत्रिक सेक्स में नहीं मिल पाता।

यही बातें तो गुदगुदा जाती हैं और अहसास काफी देर तक बरकरार रहता है...
 

motaalund

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😂 😂 😂 😂एकदम सही कहा आपने, छुटकी बीच बीच में कहानी में आती रहेगी, छोटी है लेकिन इतनी छोटी भी नहीं।
चंदा भाभी तो गुंजा से भी छोटी थीं...
लगभग छुटकी के बराबर...
तो लेने लायक...
 
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यही छोटे-छोटे वन लाइनर तो एक मुस्कान बिखेर जाते हैं...
Fully Agree Bhai
 

motaalund

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Har post main agar sex hi padna ho toh sidha Porn dekh le hum, kahani ka asli maza us sex se pehle ki excitement aur usse judi Bhavanon ka hai

Aur aap waisa hi khubsurat likhti hai

Mujhe aapse bahut kuch seekhne ko milega
सही कहा...
सिडक्शन और पात्रों के बीच एक दूसरे को छेड़ते हुए डायलोग...
यही तो इस कहानी को एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है...
 

motaalund

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अब तो आनंद दुबे भाभी के चुंगल में फंस गया है अब तो उसका बचना मुश्किल है अब तो चिकने की मस्त रगड़ाई होने वाली है साथ ही गुड्डी रीत और संध्या भाभी को भी धमकी दे दी है दुबे भाभी ने लगता है सब पर भारी पड़ने वाली है दुबे भाभी
मकड़ी के जाले ऐसे चंगुल में...
ऐसा जांगड़ कि छुड़ाए न छूटे..
 

motaalund

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2 lakh views poore hone ki badhai ho.

Vaise ye 20 lakh hone chaiye the. Par jo hai so hai.
Erotica section के हिसाब से ठीक है...
कुछ और ज्यादा होने चाहिए थे... लेकिन...
यही टैग बदलकर इंसेस्ट कर दिया जाए तो मिलियन क्रॉस कर चुके होते...
 
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