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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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Ufffffff kitna excitement create karti ho app Komal ji.
सालियों का, भाभियों का चीर हरण हो गया, भले ही आधा तीहा ( देह से चिपकी, रंगों में भीगी, झलकौवा ब्रा और नाभि के बहुत नीचे से बाँधा गया साया और रीत की ब्रा और पजामी )

तो आनंद बाबू कैसे बचते, फिर बनारस की बालिकाएं आधे तिहे काम में विश्वास नहीं करतीं
 

komaalrani

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Bahut hi mast update diya hai Komal ji apace bas majaaa aa gaya.
बस आप का साथ बना रहे, आपके रसीले कमेंट्स आते रहे, नियमित अपडेट्स आते रहेंगे
 

komaalrani

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Har post main agar sex hi padna ho toh sidha Porn dekh le hum, kahani ka asli maza us sex se pehle ki excitement aur usse judi Bhavanon ka hai

Aur aap waisa hi khubsurat likhti hai

Mujhe aapse bahut kuch seekhne ko milega
आपने मेरे मन की बात कह दी,

और सीखने सिखाने का तो मैं नहीं कह सकती, लेकिन आप और आप के कमेंट्स आते रहेंगे तो थोड़ी बातचीत होती रहेगी, कहानी के बारे में भी और कहानी लिखने के बारे में भी।

एक बार फिर से विनम्र आभार, और निवेदन की अब आते रहिएगा।
 

komaalrani

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अब तो आनंद दुबे भाभी के चुंगल में फंस गया है अब तो उसका बचना मुश्किल है अब तो चिकने की मस्त रगड़ाई होने वाली है साथ ही गुड्डी रीत और संध्या भाभी को भी धमकी दे दी है दुबे भाभी ने लगता है सब पर भारी पड़ने वाली है दुबे भाभी
अरे दूबे भाभी ऐसी भौजाई होली में मिल जाए तो बचाना चाहता भी कौन है

एक बार फिर से आभार आपके सटीक और रसीले कमेंट्स के लिए
 
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आपने मेरे मन की बात कह दी,

और सीखने सिखाने का तो मैं नहीं कह सकती, लेकिन आप और आप के कमेंट्स आते रहेंगे तो थोड़ी बातचीत होती रहेगी, कहानी के बारे में भी और कहानी लिखने के बारे में भी।

एक बार फिर से विनम्र आभार, और निवेदन की अब आते रहिएगा।
Bilkul Mam kahani k update likhne ki wajah se jada time nahi mil pata qki work load bhi kaafi hai

Par jab bhi time milta hai meri yahi koshish rahegi ki aapki kahani k ache update yuhi padta rahu
 

komaalrani

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Bilkul Mam kahani k update likhne ki wajah se jada time nahi mil pata qki work load bhi kaafi hai

Par jab bhi time milta hai meri yahi koshish rahegi ki aapki kahani k ache update yuhi padta rahu
:thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार 16 -गुड्डी और रीत -होली की मस्ती

पिछला अपडेट पृष्ठ २१४ पर

और अगला अपडेट इसी हफ्ते
 

komaalrani

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दो लाख व्यूज के लिए धन्यवाद, व्यूज और कमेंट्स ही कहानी को प्रेरणा देते हैं

आभार

:thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you: :thank_you:
 
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यह अध्याय भी पिछ्ले घटनाक्रम का नेक्स्ट पार्ट था । इस अध्याय मे भी आनंद साहब की रंगीन होली पांच - पांच महिलाओं के साथ जारी दिखाई गई।
रंग खेलने के बहाने थोड़ा-बहुत काम क्रीडा जारी रहा । कभी कपड़ों के ऊपर से तो कभी कपड़ों के भीतर से प्राइवेट पार्ट्स का सेंसुअल स्पर्श इन्हें मदहोशी के आलम मे ले कर गया तो वस्त्रों का चीरहरण नयनसुख का कारण बना ।
बहुत ही उम्दा लिखा है आपने कोमल जी ।

पांच - पांच जवान युवतियां , भिन्न-भिन्न उम्र , विवाहिता और अविवाहित , मैच्योर और कमसिन कलियों के साथ एक मात्र पुरुष आनंद साहब ।
इनके साथ ग्रूप सेंसुअल होली का आनंद तो उठाया जा सकता था पर ग्रूप सेक्स की संभावना नही बन सकती ।
ग्रूप सेक्स करना तराजू मे कई मेढ़क तोलने के समान के बराबर है । कभी एक मेढ़क तराजू से छिटक कर भाग जायेगा तो कभी दूसरा , तीसरा , चौथा या फिर पांचवा ।
आखिर यह कोई अमेरिकन या युरोपियन कंट्री थोड़ी न है !

दूबे भाभी , चंदा भाभी , संध्या मैडम , रीत और गुड्डी के साथ की यह इरोटिक होली आनंद साहब शायद ही कभी भूल पाए ! और शायद हम सब रीडर्स भी ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट अपडेट कोमल जी ।
 

Sanju@

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चल गयी चाल-रीत और संध्या भौजी की
साड़ी -हरण


लेकिन ये होली पिछले साल की होली तो थी नहीं। अबकी रीत के साथ मैं था। और सन्ध्या भाभी भी ससुराल से खुलकर मजे लेकर ज्यादा बोल्ड होकर आई थी। दूबे भाभी ने वहीं गलती की जो हिन्दी फिल्मों में विलेन करता है- ज्यादा डायलाग बोलने की।


उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया की रीत और सन्ध्या भाभी, रंग लगाने के साथ साये में बन्धी उनकी साड़ी खोलने में लगे हैं। जब तक उन्हें अंदाज लगा बहुत देर हो चुकी थी। मैंने अपने चेहरे पे रगड़ रहे उनके हाथों को पकड़ लिया था। उन्होंने समझा कि मैं उन्हें कालिख लगाने से रोकने के लिये ऐसा कर रहा हूँ।

दूबे भाभी बोली- “अरे साले कालिनगन्ज के भन्डुये, (मेरे शहर की रेड लाईट ऐरिया का नाम, अकसर शादी वादी की गालियों में उसका नाम इश्तेमाल होता था,) तेरी पाँच भतारी बहन को सारे बनारस के मर्दों से चुदवाऊँ। उसमें तुम्हें शर्म नहीं लग रही है। क्या मेरा हाथ छुड़ा पाओगे। अभी तक कोई ऐसा देवर, ननद, ननदोई नहीं हुआ, जो दूबे भाभी के हाथ से छूट जाये…”

छूटना कौन चाहता था?

हाँ दूबे भाभी खुद जब उन्हें रीत और सन्ध्या की प्लानिंग का अंदाज हुआ तो मेरे चेहरे से हाथ हटाकर उन्होंने उन दोनों को रोकने की कोशिश की।

लेकिन मैं हाथ हटाने देता तब ना। मैंने और कसकर अपने चेहरे पे उनके हाथों को जकड़ लिया था। वो पूरी ताकत से अपने हाथ अब छुड़ा रही थी। लेकिन और साथ-साथ जो उन्होंने मेरे पैरों को कैन्ची की तरह अपने पैरों में फँसा रखा था, अब उन्हें खुद छुड़ाने में मुश्किल हो रही थी।

दोनों शैतानों ने मिलकर अब तक दूबे भाभी की साड़ी उनके पेटीकोट से बाहर निकाल दी थी।

सन्ध्या भाभी ने तो काही पेंट लगाकर उनके साये के अन्दर नितम्बों पे रंग भी लगाना चालू कर दिया था। लेकिन मैं जान गया था की अब थोड़ी सी देर भी बाजी पलट सकती है, इसलिये मैंने रीत को इशारा किया। और उसने एक झटके में साड़ी साये से बाहर।

और साथ ही मैंने दूबे भाभी का हाथ छोड़ दिया और पैर भी।

जैसे रस्सा कसी में एक ग्रुप अगर अचानक रस्सी छोड़ दे वाली हालत में हो गई। गिरते-गिरते वो सम्हल जरूर गईं पर इतना समय काफी था, रीत और सन्ध्या भाभी को उनकी साड़ी पे कब्जा करने के लिये।

दूबे भाभी उन दोनों की ओर लपकीं तो रीत ने साड़ी मेरी ओर उछाल दी और जब दूबे भाभी मेरी ओर आई तो मैंने साड़ी ऊपर दुछत्ती पे फेंक दी, जहां कुछ देर पहले सन्ध्या भाभी की साड़ी और ब्लाउज़ को मैंने फेंका था। वो कुछ मुश्कुराते और कुछ गुस्से में मुझे देख रही थी।

“अरे भाभी ऐसा चांदी का बदन, सोने सा जोबन। को आप मेरे ऐसे देवर से छिपाती हैं। अरे होली तो मुझे आपसे खेलनी है आपकी साड़ी से थोड़ी। फिर इत्ती महंगी साड़ी खराब होती तो भैया भी तो गुस्सा होते…”

“अरे ब्लाउज़ भी मैचिन्ग है…” सन्ध्या भाभी ने और आग लगायी।


दूबे भाभी- “मजा आयेगा तुमसे होली खेलने में। तुम्हारी तो मैं। …” वो कुछ आगे बोलती उसके पहले चंदा भाभी आ गई गुड्डी के साथ।



अब मैंने समझा गुड्डी ने पाला नहीं बदला था, वो घुसपैठिया थी। अगर वो बहाना बनाकर चंदा भाभी को . अन्दर ना ले जाती और अगर चंदा भाभी दूबे भाभी का साथ देती तो उनका साड़ी हरण करना मुश्किल था.
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है अब तक किसी ने दुबे भाभी का चीर हरण नही किया है लेकिन इस बार दुबे भाभी का चीर हरण ओ ही गया
 
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