यह अध्याय भी पिछ्ले घटनाक्रम का नेक्स्ट पार्ट था । इस अध्याय मे भी आनंद साहब की रंगीन होली पांच - पांच महिलाओं के साथ जारी दिखाई गई।
रंग खेलने के बहाने थोड़ा-बहुत काम क्रीडा जारी रहा । कभी कपड़ों के ऊपर से तो कभी कपड़ों के भीतर से प्राइवेट पार्ट्स का सेंसुअल स्पर्श इन्हें मदहोशी के आलम मे ले कर गया तो वस्त्रों का चीरहरण नयनसुख का कारण बना ।
बहुत ही उम्दा लिखा है आपने कोमल जी ।
पांच - पांच जवान युवतियां , भिन्न-भिन्न उम्र , विवाहिता और अविवाहित , मैच्योर और कमसिन कलियों के साथ एक मात्र पुरुष आनंद साहब ।
इनके साथ ग्रूप सेंसुअल होली का आनंद तो उठाया जा सकता था पर ग्रूप सेक्स की संभावना नही बन सकती ।
ग्रूप सेक्स करना तराजू मे कई मेढ़क तोलने के समान के बराबर है । कभी एक मेढ़क तराजू से छिटक कर भाग जायेगा तो कभी दूसरा , तीसरा , चौथा या फिर पांचवा ।
आखिर यह कोई अमेरिकन या युरोपियन कंट्री थोड़ी न है !
दूबे भाभी , चंदा भाभी , संध्या मैडम , रीत और गुड्डी के साथ की यह इरोटिक होली आनंद साहब शायद ही कभी भूल पाए ! और शायद हम सब रीडर्स भी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड हाॅट अपडेट कोमल जी ।