वाकई नयी ब्याहताओं के चेहरे और देह से एक अद्भुत चमक आलोकित करते रहती है...बहुत बहुत आभार, धन्यवाद के कोई भी शब्द कम होंगे,
आपने एकदम सही कहा, आनंद बाबू को बनारस में रस की बहुत ही व्यवहारिक शिक्षा मिली, पढ़ने में तेज, तो कामसूत्र से लेकर कोकशास्त्र असली सचित्र ८४ आसन सहित और मस्तराम साहित्य का उन्होंने कैशोर्य से ही पढ़ाई कर ली थी पर कहते हैं प्रैक्टिस मेक्स मेन परफेक्ट, तो कल की रात चंदा भाभी के साथ और फिर पिछले पार्ट मेन संध्या भाभी के साथ हुए प्रैक्टिकल ने उन्हें एक तो उन्हें व्यवहारिक ज्ञान दिया, दूसरे अपने मेन विश्वास बढ़ाया, वरना बहुत से पुरुषों की तरह उनके मन में भी ये डर कहीं कोने में छुपा था, ' कहीं ऐन मौके पे गड़बड़ हो गया तो," और सबसे बड़ी बात उनकी झिझक रीत और गुंजा ने, दूबे भाभी और चंदा भाभी की गालियों ने, और जिस तरह उन्हें सब ने मिल के स्ट्रिप टीज कराई , बची खुची शर्म भी निकल गयी
और संध्या भाभी की बात भी अलग है, नयी नयी ब्याहता औरतों में काम वासना का एक अलग ही जोश फूट पड़ता है, जो अब तक वर्जित था, सिर्फ मजाक में था, छेड़छाड़ था अब वही श्लाघ्य है, उनसे उम्मीद की जाती है की रोज, और फिर पति से दूरी, और आनंद बाबू को देख के ही उनका मन करने लगा था, फिर होली मेन जिस तरह आनंद बाबू ने उनकी उनकी रगड़ा रगड़ी की, लम्बाई मोटाई सब उन्होंने नाप ली और बाथरूम में भी सब पहल उन्होंने ही की, वो जब बाहर गयीं वार्निश साफ़ करने वाला तेल लाने तो सरसों का तेल भी ले आयीं, और जब आनंद बाबू सोचते की कैसे करें, खुद बाथरूम में पाइप पकड़ के निहुर गयीं
बहुत बहुत धन्यवाद अगला अपडेट भी संध्या भाभी के नाम, रंगो की होली का पटाक्षेप देह की होली से ही होगा लेकिन कहानी आगे बढ़ने पर भी बीच बीच में होली के प्रसंग आते रहेंगे