गुंजा स्कूल से वापस लौटकर धमाल मचाएगी...Gunja fir se bach gyi. Jiju ka pyasa chhod diya
गुंजा स्कूल से वापस लौटकर धमाल मचाएगी...Gunja fir se bach gyi. Jiju ka pyasa chhod diya
पांच दिन की छुट्टी खत्म होने से छनछनाई हुई थी...Finally sandhya bhabhi ko moka mil hi gaye. Bahut pyasi hai, aaj tript ho jayengi
पड़ोस के बाथरूम वाले तो कान को खड़े कर रखे होंगे...Sandhya bhabhi ki cheekhen dard se jyada maje ki hai, or cheekh cheekh kar sabko pta rahi hai ki sabse pehle unki pyas bhuj rahi hai, bakiyon ka number bad me
अभी तो उन्हें तीनों छेदों से कबूल करना पड़ेगा.....Very hot update komal ji. Sandhya bhabhi ne to kabool liya esa sukh unhe pehle kabhi nhi mila.
कहानी फर्स्ट पर्सन में है... मतलब आनंद बाबू बखान कर रहे हैं...Komal ji, is baar kahani me bhaiya or bhabhi ke bich bhi sex ko btana thoda bahut, pichli baar to sab band darwaje ke piche tha.
Komal ji ke liye kuch mushkil nahi hai. Pehli story me bhi is chij ki kami khali thi. Bhaiya bhabhi ke bich sex bus band kamre me bataya gya. Kuch esa scene daliye ki guddi ya anand apni ankhon se chupkar jane anjane bhabhi or bhaiya ki leela dekh leकहानी फर्स्ट पर्सन में है... मतलब आनंद बाबू बखान कर रहे हैं...
और भईया-भाभी का जिक्र तो गुड्डी से क्या रिश्ता और पहचान है ...
इसलिए है...
मुझे तो शायद मुश्किल लगता है...
आगे जैसी कोमल जी की मर्जी....
संध्या भाभी बड़े प्यार से देवर को समझायेज्ञान की बातें -संध्या भाभी
लेकिन कुछ सोच के उन्होंने कुछ समझना शुरू किया,
" देख, तुम हो तो अभी नौसिखिया ही और गुड्डी का भी पहली बार ही होगा, इसलिए बता रही हूँ, जब नयी सील खोलनी हो, तो कुछ बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए और ये जिम्मेदारी लड़के की है। सब सोचते हैं की टाँगे फैला लो, जाँघे खोल लो तो कच्ची कोरी बिल में घुसने का काम हो गया। एकदम गलत है, ये सब बातें ठीक हैं लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है तकिया। "
और बजाय रहस्य खोलने के वो मुस्कराने लगीं और मैं चकित हो के देखता रहा ।
मैंने मदन मंजरी से लेकर असली सचित्र कोकशास्त्र ८४ आसन सचित्र, बड़ा तक छुप छुप के पढ़ा था लेकिन कहीं तकिये का नाम नहीं आया। मैंने पूछ ही लिया
" मतलब "
" अबे स्साले तेरी उस भोंसड़ी वाली महतारी ने कुछ सिखाया नहीं, खाली अपने भोंसडे में, अरे भोंसड़ा चोदने और मेरी कुँवारी कोरी कच्ची छोटी बहिनिया को पेलने में बहुत फर्क है "
संध्या भौजी अपने रंग में आ गयी थीं, लेकिन उन्होंने मेरे बाल सहलाते हुए समझा दिया
" तकिया मतलब, ...चूतड़ के नीचे गुड्डी के तकिया जरूर लगाना. जितना चूतड़ उठा पाओगे, चार अंगुल, एक बित्ता, ....उतना ही उसकी बुर खुल के सामने आएगी और जब दोनों टांगों को गुड्डी के कंधे पे रखोगे न तो उसकी फूली फूली मालपुवे ऐसे बुर एकदम उभरी रहेगी,
तुझे दोनों फांको को फैला के तेल, वैसलीन जो भी लगाना हो, फांक दोनों फैला केअपने इस बदमाश को अंदर सरकाना हो, तो ज्यादा आसान रहेगा, वरना तेरे ऐसा बुरबक रात भर बिल का छेद ढूंढने में ही लगा देगा और मेरी गुड्डी तड़पती रहेगी। और हाँ एक बात और,..."
लेकिन बजाय एक बात और बताने के संध्या भाभी चुप हो गयीं, वो मुझसे कहलवाना चाहती थीं और मैंने पूछ ही लिया
" क्या बात भौजी? "
अब वो मेरे खूंटे को कस कस के दबा रही थीं, मूसल कड़ा भी हो रहा था, भौजी के मुलायम हाथ अब उसने पहचान लिए थे, वो बोलीं
" एक बात बल्कि, दो बात, एक तो कभी किसी लड़की को, औरत को, तोहार बहिन, महतारी, चाची, बूआ, मौसी जो भी हो, एक बार चोद के कभी मत छोड़ना। पहली बार में तो यही सोचने में लग जाता है लड़की को की स्साला टू मिंट नूडल है या लम्बी रेस का घोडा, और दूसरी बार ही असली मजा आता है, दोनों खिलाड़ी एक दूसरे को जान समझ लेते हैं। तो गुड्डी को एक बार पेलने के बाद गरम कर के दुबारा, बल्कि ऊपर तोहरी भाभी हैट ट्रिक करेंगी तो तुम भी कम से कम कम तीन बार, इस उम्र में रात सोने के लिए थोड़े ही होती है।
और मौका मिले तो दिन में भी नंबर जरूर लगाना, वैसे गुड्डी को कितने दिन के लिए ले जा रहे हो?
मैंने कुछ मन में जोड़ा, कुछ ऊँगली पे और संध्या भाभी को बताया,
" देखिये भौजी, चार दिन बाद तो होली है, और ओकरे बाद, ,...पहिले तो हम दोनों वहीँ आजमगढ़ में ही, लेकिन अब एक तो दूबे भाभी बोलीं हैं की रंग पंचमी के एक दो दिन पहले तो फिर उनकी बात और, गुड्डी की मम्मी, मेरा मतलब मम्मी भी हो सकता है कानपूर से जल्दी आ जाएँ तो हम दोनों उनसे बोले हैं की उन लोगो को लेने के लिए मैं और गुड्डी स्टेशन पे रहेंगे, तब भी छह सात दिन, सात दिन तो पक्का "
मैंने जोड़ के बोला
और जब मैंने गुड्डी की मम्मी मतलब मम्मी बोला तो जिस तरह से समझ के संध्या भाभी ने देखा, ...एक पल के लिए मैं लजा गया।
लेकिन संध्या भाभी भी कुछ जोड़ घटाना कर रही थीं, जोड़ के बोलीं,
" तो चलो सात दिन और जैसा तेरा बम्बू है और ताकत है तो रात में तो किसी दिन तीन बार से कम नहीं और दिन में भी एकाध बार जरूर नंबर लगाना और कुछ नहीं हो तो चुसम चुसाई, तो २८ बार, और उतना नहीं तो २०-२२ बार तो कम से कम, तो मेरे इस मुन्ने की दावत हो गयी। "
और उनका मुन्ना, उनकी मुट्ठी से बाहर आने के लिए जंग कर रहा था, अब वो एकदम बड़ा और खड़ा दोनों हो गया था और भौजी भी अब खुल के मुठिया रही थीं। एक तो गुड्डी का नाम लेने से ही वो मेरा जंगबहादुर आप से बाहर हो जाता था फिर संध्या भौजी का कोमल कोमल हाथ
संध्या भौजी ने सुपाड़े को अंगूठे से रगड़ते हुए कहा
" और असली दावत तो तेरी यहाँ पहुँचने पे होगी, गूंजा, गुड्डी की बहने,...."
और उनकी बात काट के मैंने याद दिलाया " और आपकी ननद और उसकी बेटी "
वो जोर से हंसी, " पहले आज गुड्डी को तो निबटाओ, "
पर मुझे याद आया उन्होंने दो बात कही थी और सिर्फ एक ज्ञान तकिये वाला देकर बात मोड़ दी पर मैं नहीं भूला था, मैंने तुरंत याद दिलाया,
" भौजी, आपने दो बात कही थी लेकिन दूसरी बात, "
" तुम स्साले, कुछ भुलाते नहीं हो " मुस्करा के भौजी बोलीं और समझाया,
" बात चिकनाई की है और खास तौर से कोरी कच्ची कली की, और तोहरे किस्मत में खाली गुड्डी नहीं दर्जनो की झिल्ली फाड़ना लिखा है, पहले तो वो तोहार बहिनिया, ...दूबे भाभी का हुकुम है. फिर यहाँ आओगे तो गूंजा, और गुड्डी की बहने,.. और भी .
लेकिन तोहार मूसल जस है, कउनो खूब चुदी चुदाई हो तोहरे बहिन महतारी की तरह,.... तब भी हर बार तेल पानी जरूरी है। कुछ लोग ये सोचते हैं की बिल में पानी गिरा है तो सट्ट से चला जाएगा, दुबारा करने पे। सबके लिए होगा तोहरे लिए नहीं,... एक तो बुरिया में जो बीज गिरता है केतना होता है फिर गिरता तो एकदम अंदर है, तो उससे कितनी चिकनाई होगी। हाँ एक बार सुपाड़ा घुस जाने के बाद,... इसलिए जितनी बार करो तेल पानी लगा के, और गुड्डी के साथ तो आज रात एकदम ध्यान रखना,"
और जैसी उनकी आदत थी ऐन मौके पे वो चुप हो गयीं जिससे मैं निहोरा करूँ, जैसे कुछ लिखने वालियां होती हैं न ऐन मौके पे पोस्ट पे ब्रेक दे देती हैं और फिर जब तक कमेंट न करो, आगे की पोस्ट आती नहीं है, एकदम वैसे।
और मैंने बोला,
" बताइये न भौजी, गुड्डी के साथ क्या, आज की रात के लिए " मैं एकदम उकता रहा था।
संध्या भौजी ने एक पल के लिए अपने मोटू मुन्ना को सहलाना बंद किया और मेरी आँखों में देखती बोलीं
" देख सबसे पहली बात ये सिर्फ तेरे साथ नहीं है सब मर्दो के साथ,...ख़ास तौर से नए लौंडो के साथ कच्ची चूत चोदने को सब पगलाए रहते हैं लेकिन इंतजाम नहीं करते "
मुझे भी लगा इसी गलती से आज गुंजा बच गयी अगर थोड़ा सा भी कडुवा तेल या कुछ भी होता तो बिना फाड़े मैंने उसे जाने नहीं देता लेकिन लौट के आऊंगा तो सबसे पहले उसी का नंबर लगेगा, जेब में अब से बोरोलीन की ट्यूब या वैसलीन की छोटी शीशी,
लेकिन अबकी संध्या भाभी रुकी नहीं उनका ज्ञान जारी था,
" देख यार सबसे अच्छा तो सरसो का तेल, एकदम सटासट जाता है ,
लेकिन आधी रात में कहाँ रसोई में डब्बा ढूंढते फिरोगे, फिर दाग धब्बा और सूंघने वाले अगले दिन भी सूंघ लेते हैं की सरसो की तेल की झार मतलब गपागप हुआ है तो तेल तो नहीं तो वैसलीन, इसका इंतजाम, "
मैं उन्हें क्या बोलता, मेरे बस का कुछ नहीं है लेकिन वो जो मेरी सारंग नयनी है जो मेरे जनम जिंदगी का ठेका ले के पैदा हुयी है उसने वैसलीन, की सबसे बड़ी शीशी खुद खरीदी है, मुझे दिखा के।
" और उसके बाद ऊँगली "
संध्या भाभी से आज मैं बहुत कुछ सीख रहा था, फिर उन्होंने जोड़ा,
"बहुत लोग बिस्तर पे जाने पे के पहले माउथवाश, मंजन सब करते हैं लेकिन ऊँगली का ध्यान नहीं रखते। "
मैं ध्यान से सुन रहा था और भौजी बोलीं " ऊँगली में एक तो नाख़ून एकदम नहीं, और दूसरे साफ़, एकदम साफ़, जैसे अमिताभ बच्चन नहीं हाथ धो के दिखाते हैं डिटॉल वाले में बस वैसे ही, "
" ये ऊँगली पे इतना जोर क्यों " मैं सच में इन मामलों में एकदम स्लो था। एक प्यार की चपत मेरे गाल पे मार के बोलीं
" स्साले मादरचोद, वैसलीन लगाएगा किस चीज से? लंड से की अपनी महतारी की बड़ी बड़ी चूँची से ? अरे लंड से पहले तोहरी जानेजाना, गुड्डी रानी की बुरिया में का घुसी, इहे उँगरिया न। "
फिर एक जोर की चुम्मी संध्या भाभी ने मेरे गाल पे ली और कचकचा के गाल काट लिया और बोलीं
"देख साले, कब भी कोरी बुर चोदो, और हमार आशीर्वाद है तोहें एक से कली मिलेंगी जिनकी झांट भी ठीक से नहीं आयी हो,... तो पहली बात ये याद रखो, एक ऊँगली का तर्जनी का कम से कम दो पोर,... और दोनों ऊँगली तर्जनी और मंझली का एक पोर.
पहले एक ऊँगली डाल के खूब तेल में, वैसलीन में चुपड़ के हलके हलके धँसाओ, पुश मत करना, और फिर गोल गोल, एक तो उससे बिलिया थोड़ी खुलेगी, दूसरे लौंडिया स्साली गर्माएगी, पनियायेगी, खुद चूतड़ पटकेगी लंड लेने के लिए। और जब दो पोर देर तक गोल गोल तो वो ऊँगली निकल के फिर से चिकनाई लगा के उसके पीछे एकदम चिपका के दूसरी ऊँगली और थोड़ी देर बाद दोनों ऊँगली अलग अलग, चूत की अंदर की दीवार पे, ....सब मजा तो वहीँ हैं, कभी अंदर बाहर कभी कैंची की फाल की तरह फैला दिया, चीखेगी स्साली, जोर से चीखेगी, तो घबड़ाना मत। तेरा इत्ता मोटा सुपाड़ा है कम से कम दोनों फांके इतनी तो खुल जाएँ, की सुपाड़े का मुंह उसमे फंस जाये, तो,.... चिकनाई और ऊँगली। "
भौजी की सब बाते मैंने गाँठ बाँध ली।
उन्होंने कुछ बात ही ऐसे की माहौल सीरियस हो गया, पहले तो मुस्करा के वो बोलीं,
" देखो २०-२५ बार तो वहां और यहाँ भी तीन चार दिन रहोगे तो मौका निकाल के आठ दस बार, तो जाने के पहले ३० -३५ बार तो पेलोगे ही उसको, लेकिन अभी भी मान नहीं सकती की आज के जमाने में तोहरे अस कोई लड़का, लड़की ढाई तीन साल से पटी, खुद शलवार का नाडा खोल दिया, औजार भी इतना मस्त तगड़ा, हरदम टनटनाया रहता है फिर भी चोदा नहीं, एकदम ही अलग हो। "
मैं क्या बोलता बस मुस्करा दिया। ३० -३५ बार का जो उन्होंने टारगेट दिया था अब गुड्डी के साथ मुझे डाँकना था,
लेकिन संध्या भाभी इस बार बिना मेरी हुंकारी के बोलीं,
" देखो, चुदाई का रिश्ता तीन चार तरह का, एक तो रंडी टाइप, उसमें भी कोई बुराई नहीं, और वो नहीं जो दालमंडी में खड़ी रहती हैं जहाँ तेरी बहनिया आके,... मेरा मतलब स्कूल में नंबर के लिए पास कराई, नौकरी में प्रमोशन, पोस्टिंग कुछ भी बात के लिए, लेकिन दोनों का काम होता है दोनों की ख़ुशी, तो मुझे इसमें कोई गलत नहीं लगता।
लेकिन ज्यादातर, जब दोनों की मर्जी हो, दोनों गर्मायें हो , दोनोंमज़ा लेना चाहते हों,... अब हर बार जिसको चोदोगे या लड़की जिससे चुदवायेगी उससे शादी थोड़ी हो ।जायेगी अब मैंने ही तुझसे चुदवाया सच में ऐसा मजा आज तक नहीं आया था और अब जब भी मिलोगे, स्साले, बिना तुझसे गपागप किये, भले मुझे तेरा रेप करना पड़े मैं छोडूंगी नहीं , लकिन शादी तो मेरी पहले ही हो गयी है।
फिर गुंजा है और गुड्डी की बहने, और भी लड़कियां, औरतें,.... तो सबसे शादी थोड़े कोई करेगा और ये बात लड़के से पहले लड़की को मालूम होती है इसलिए वो गोली वोली का इंतजाम किये रहती है। हाँ मजा असली तभी आता है जब पहले मन मिले, मन करे और लड़का केयरिंग हो, और तुझसे बड़ा केयरिंग तो मैंने देखा नहीं। सही कह रही हूँ न "
अबकी उन्होंने हुंकारी भरवाई और मैंने भरी भी बोला भी, " एकदम सही कह रही है आप , "
अब कल रात में मैंने चंदा भाभी को तीन बार चोदा था, अभी संध्या भाभी और दोनों शादी शुदा और गुंजा बस चुदवाती चुदवाती रह गयी, दो छटांक तेल के चक्कर में,... तो उस का भी तो रिश्ता तो जीजा साली का था।
लेकिन अब जो संध्या भाभी ने बात की,
"तो वही गुड्डी के साथ, मतलब ३०-४० बार तो, मेरा मतलब की तुम दोनों का मजा लेने का या,... मतलब अब कैसे कहूं, अब हर बार चुदाई के बाद बियाह, और का पता तोहरे घर वाले कहीं और लड़की वड़की देख के, ....या कोई और लड़की वाले तोहरे घरे, मतलब, देखो गुड्डी को मैं जानती हूँ , वो न बोलेगी न बुरा मानेगी"
मैं धक्क से रह गया, कुछ बोल ही नहीं निकल रहे थे बस किसी तरह से आवाज फूटी,
" मैं, मतलब, ....मेरा क्या, गुड्डी नहीं बोलेगी लेकिन मैं फिर, ....फिर मेरे रहने का क्या मतलब, होने का क्या मतलब, ....अगर वो, "
जैसे कोई भीत भहरा गयी।
जो कुछ मैंने कभी गुड्डी से भी नहीं, किसी से भी नहीं कहा था वो सब मेरे मुंह से निकल रहा था, मुझे पता भी नहीं
Wonderful update Komal ji.फागुन के दिन चार भाग २१ -
संध्या भाभी और गुड्डी
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बगल के बाथरूम से आवजें आनी बंद हो गयी थीं, नहाने धोने और मस्ती के बाद दूबे भाभी, चंदा भाभी और रीत निकल गयी थीं लेकिन यहाँ निकलने का मन न मेरा कर रहा था न संध्या भौजी का और न हम दोनों को कोई जल्दी थीं।
बात संध्या भाभी ने ही शुरू की
संध्या भाभी मुस्कराते हुए, आँखे नचा के बोलीं,
" गुड्डी को ले जा रहे हो, आज रात हचक के पेलना, महीना उसका ख़तम हो गया न "
" हाँ, भौजी, नहा के निकली थी बाल धो के, खुद ही बोली, पांच दिन वाली आंटी जी गयीं, " मुस्कराते हुए मैंने कबूला।
" अरे तब तो आज बहुत गर्मायी होगी, छनछना रही होगी खुद ही लंड लेने को, मेरा महीना तो कल ख़तम हुआ था तब से ऐसी आग लगी थी, बुर में ऐसे चींटे काट रहे थे, वो तो तुमने अभी हचक के पेला है तो जा के ठंडक आयी है। कब से चक्कर चल रहा है तुम दोनों का ? "
भौजी अब एकदम पक्की दोस्त की तरह बतिया रही थीं। क्या बताता मैं, कुछ सोचा,... कुछ जोड़ा और बोल दिया,
" भौजी, ढाई तीन साल तो हो गया होगा, बल्कि शायद ज्यादा ही । "
संध्या भाभी आश्चर्य चकित हो के मुझे देखने लगीं, फिर कस के मुझे पकड़ के मेरी आँखों में देखते बोलीं
" ढाई तीन साल ? और अभी तक पेले नहीं हो उसको ? गुड्डिया सहिये कहती है, एकदम बुरबक हो। आजकल के लड़के तो सबेरे लड़की से बात होती है, नाम पूछते हैं और शाम को पर्स में बोरोलीन की ट्यूब और कंडोम लेके पहुँच जाते है और तुम तीन साल से लटकाये टहल रहे हो। "
कुछ देर वो चुप बैठी रहीं, मैं भी क्या जवाब देता, फिर वो कुछ सोच के, समझ के बोलीं,
" गुड्डी ही मना करती थी क्या, झिझकती होगी, लेकिन लड़की तो मना करेगी ही, लड़के का काम है थोड़ा जोर जबरदस्ती, थोड़ा मनाना, "
मैं क्या बोलता उनसे, झिझक तो मेरी सब गुड्डी ने ही दूर की, मैं तो खाली उसे देख के ललचाता रहता था।
उसकी कच्ची अमिया देख के मुंह में पानी आता था, ....और समझती तो वो थी ही, पिक्चर हाल के अँधेरे में उसने खुद मेरा हाथ खींच के अपने टिकोरों पे रखा था , डेढ़ पौने दो साल पहले और उसी बार पाटी से पाटी सटा के हम दोनों सोते थे नीचे बरामदे में गर्मी में, कभी बतियाते, कभी बस देखते रहते, और उसी ने खींच के मेरा हाथ अपनी शलवार के ऊपर, और मुझसे नाड़ा नहीं खुला तो खुद नाड़ा खोल के मेरा हाथ अंदर, उस भट्ठी को पहली बार मैंने छुआ था और गुड्डी ने भी मेरे पाजामे में हाथ डाल के ' उसका हाल चाल ' लिया था लेकिन तब भी मेरी हिम्मत नहीं पड़ी।
कुछ तो ये डर की बरामदे में खुले में, और कुछ मेरी झिझक, लेकिन संध्या भाभी की बात का जवाब तो देना ही था तो मैंने बोल दिया
" नहीं, नहीं गुड्डी ने कभी मना नहीं किया, झिझकता मैं ही ज्यादा था, फिर लगता था हम दू बरामदे में हैं कोई आ गया तो, गुड्डी ने आज तक मुझे कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। "
मैंने कबूल कर लिया।
" तो आज, कैसे " संध्या भाभी सब बात पूछ लेना चाहती थीं जैसे कम्पनी के कंसल्टेंट सब बात पूछ के उसी से कुछ रिपोर्ट बना के दे देत्ते हिन्
" अभी तो हलकी ठडंक है, हम लोग कमरे में ही रहेंगे, नीचे वाली मंजिल में, और भैया भाभी तो ऊपर वाले कमरे में और एक बार भाभी ऊपर चली जाती हैं तो फिर सुबह ही उतरती हैं, बर्तन वाली आती है तो दरवाजा मैं ही खोलता हूँ तो इसलिए इस समय,"
मैंने धीरे से अपनी प्लानिंग बताई।
और संध्या भौजी खिलखिलाने लगीं,
" एकदम सही कह रहे हो, बिंन्नो दी ( मतलब मेरी भाभी ) भी यही कह रही थीं की तेरे भैया तो एकदम चुंबक हैं, चिपक जाते हैं तो रात भर छोड़ते नहीं हैं, तीन बार से तो कम कभी नहीं और कई बार तो सुबह भी और कभी पिछवाड़ा भी , ....एक बार वो ऊपर गयीं तो फिर दरवाजा बंद तो सुबह ही खुलता है और घडी की सुई नौ पे गयी नहीं की ऊपर से पुकार आने लगती है "
मैं भी याद करके मुस्कराने लगा और बोला,
" एकदम यही है, कई बार मुझसे गप्प मारने में भाभी को देर हो गयी, और सबसे पहले मुझे अपने सामने बैठा के डांट डांट के खिलाती हैं, और नौ बज गया तो अपना खाना ले के ऊपर "
" तो नीचे और कोई नहीं, तोहार महतारी तो दक्षिण की तीर्थ यात्रा पे निकली हैं वो तो मई जून में आएँगी, "
संध्या भाभी को काफी कुछ मालूम था तब भी उन्होंने पूछा,
" नहीं एक मंजू भौजी हैं, ....घर की ही समझिये बल्कि घर से बढ़के, घर सम्हालती वही हैं वो पीछे दो कोठरिया बनी है उसमें रहती हैं , ...तो नीचे मैं और गुड्डी ही " मैंने मुस्कराते हुए भौजी से कबूला।
वो भी जोर से मुस्करायीं, उनकी आँखों में चमक आयी और फिर उन्होंने हलके से थोड़ा सोये थोड़ा जागे, जंगबहादुर को सहलाते, दुलराते
मेरे गाल पे छोटी सी चुम्मी ले के कहा, "स्साले फिर तो तेरी चांदी है, ...पेलना मजे ले ले के "
Uffff Komal ji kitni gyan ki baten batai hain aapne nai nai chut ki seal todne ki. Jab maine first seal todi thi to ye sab gyan nahin tha koi dene ewala.ज्ञान की बातें -संध्या भाभी
लेकिन कुछ सोच के उन्होंने कुछ समझना शुरू किया,
" देख, तुम हो तो अभी नौसिखिया ही और गुड्डी का भी पहली बार ही होगा, इसलिए बता रही हूँ, जब नयी सील खोलनी हो, तो कुछ बातों का जरूर ध्यान देना चाहिए और ये जिम्मेदारी लड़के की है। सब सोचते हैं की टाँगे फैला लो, जाँघे खोल लो तो कच्ची कोरी बिल में घुसने का काम हो गया। एकदम गलत है, ये सब बातें ठीक हैं लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है तकिया। "
और बजाय रहस्य खोलने के वो मुस्कराने लगीं और मैं चकित हो के देखता रहा ।
मैंने मदन मंजरी से लेकर असली सचित्र कोकशास्त्र ८४ आसन सचित्र, बड़ा तक छुप छुप के पढ़ा था लेकिन कहीं तकिये का नाम नहीं आया। मैंने पूछ ही लिया
" मतलब "
" अबे स्साले तेरी उस भोंसड़ी वाली महतारी ने कुछ सिखाया नहीं, खाली अपने भोंसडे में, अरे भोंसड़ा चोदने और मेरी कुँवारी कोरी कच्ची छोटी बहिनिया को पेलने में बहुत फर्क है "
संध्या भौजी अपने रंग में आ गयी थीं, लेकिन उन्होंने मेरे बाल सहलाते हुए समझा दिया
" तकिया मतलब, ...चूतड़ के नीचे गुड्डी के तकिया जरूर लगाना. जितना चूतड़ उठा पाओगे, चार अंगुल, एक बित्ता, ....उतना ही उसकी बुर खुल के सामने आएगी और जब दोनों टांगों को गुड्डी के कंधे पे रखोगे न तो उसकी फूली फूली मालपुवे ऐसे बुर एकदम उभरी रहेगी,
तुझे दोनों फांको को फैला के तेल, वैसलीन जो भी लगाना हो, फांक दोनों फैला केअपने इस बदमाश को अंदर सरकाना हो, तो ज्यादा आसान रहेगा, वरना तेरे ऐसा बुरबक रात भर बिल का छेद ढूंढने में ही लगा देगा और मेरी गुड्डी तड़पती रहेगी। और हाँ एक बात और,..."
लेकिन बजाय एक बात और बताने के संध्या भाभी चुप हो गयीं, वो मुझसे कहलवाना चाहती थीं और मैंने पूछ ही लिया
" क्या बात भौजी? "
अब वो मेरे खूंटे को कस कस के दबा रही थीं, मूसल कड़ा भी हो रहा था, भौजी के मुलायम हाथ अब उसने पहचान लिए थे, वो बोलीं
" एक बात बल्कि, दो बात, एक तो कभी किसी लड़की को, औरत को, तोहार बहिन, महतारी, चाची, बूआ, मौसी जो भी हो, एक बार चोद के कभी मत छोड़ना। पहली बार में तो यही सोचने में लग जाता है लड़की को की स्साला टू मिंट नूडल है या लम्बी रेस का घोडा, और दूसरी बार ही असली मजा आता है, दोनों खिलाड़ी एक दूसरे को जान समझ लेते हैं। तो गुड्डी को एक बार पेलने के बाद गरम कर के दुबारा, बल्कि ऊपर तोहरी भाभी हैट ट्रिक करेंगी तो तुम भी कम से कम कम तीन बार, इस उम्र में रात सोने के लिए थोड़े ही होती है।
और मौका मिले तो दिन में भी नंबर जरूर लगाना, वैसे गुड्डी को कितने दिन के लिए ले जा रहे हो?
मैंने कुछ मन में जोड़ा, कुछ ऊँगली पे और संध्या भाभी को बताया,
" देखिये भौजी, चार दिन बाद तो होली है, और ओकरे बाद, ,...पहिले तो हम दोनों वहीँ आजमगढ़ में ही, लेकिन अब एक तो दूबे भाभी बोलीं हैं की रंग पंचमी के एक दो दिन पहले तो फिर उनकी बात और, गुड्डी की मम्मी, मेरा मतलब मम्मी भी हो सकता है कानपूर से जल्दी आ जाएँ तो हम दोनों उनसे बोले हैं की उन लोगो को लेने के लिए मैं और गुड्डी स्टेशन पे रहेंगे, तब भी छह सात दिन, सात दिन तो पक्का "
मैंने जोड़ के बोला
और जब मैंने गुड्डी की मम्मी मतलब मम्मी बोला तो जिस तरह से समझ के संध्या भाभी ने देखा, ...एक पल के लिए मैं लजा गया।
लेकिन संध्या भाभी भी कुछ जोड़ घटाना कर रही थीं, जोड़ के बोलीं,
" तो चलो सात दिन और जैसा तेरा बम्बू है और ताकत है तो रात में तो किसी दिन तीन बार से कम नहीं और दिन में भी एकाध बार जरूर नंबर लगाना और कुछ नहीं हो तो चुसम चुसाई, तो २८ बार, और उतना नहीं तो २०-२२ बार तो कम से कम, तो मेरे इस मुन्ने की दावत हो गयी। "
और उनका मुन्ना, उनकी मुट्ठी से बाहर आने के लिए जंग कर रहा था, अब वो एकदम बड़ा और खड़ा दोनों हो गया था और भौजी भी अब खुल के मुठिया रही थीं। एक तो गुड्डी का नाम लेने से ही वो मेरा जंगबहादुर आप से बाहर हो जाता था फिर संध्या भौजी का कोमल कोमल हाथ
संध्या भौजी ने सुपाड़े को अंगूठे से रगड़ते हुए कहा
" और असली दावत तो तेरी यहाँ पहुँचने पे होगी, गूंजा, गुड्डी की बहने,...."
और उनकी बात काट के मैंने याद दिलाया " और आपकी ननद और उसकी बेटी "
वो जोर से हंसी, " पहले आज गुड्डी को तो निबटाओ, "
पर मुझे याद आया उन्होंने दो बात कही थी और सिर्फ एक ज्ञान तकिये वाला देकर बात मोड़ दी पर मैं नहीं भूला था, मैंने तुरंत याद दिलाया,
" भौजी, आपने दो बात कही थी लेकिन दूसरी बात, "
" तुम स्साले, कुछ भुलाते नहीं हो " मुस्करा के भौजी बोलीं और समझाया,
" बात चिकनाई की है और खास तौर से कोरी कच्ची कली की, और तोहरे किस्मत में खाली गुड्डी नहीं दर्जनो की झिल्ली फाड़ना लिखा है, पहले तो वो तोहार बहिनिया, ...दूबे भाभी का हुकुम है. फिर यहाँ आओगे तो गूंजा, और गुड्डी की बहने,.. और भी .
लेकिन तोहार मूसल जस है, कउनो खूब चुदी चुदाई हो तोहरे बहिन महतारी की तरह,.... तब भी हर बार तेल पानी जरूरी है। कुछ लोग ये सोचते हैं की बिल में पानी गिरा है तो सट्ट से चला जाएगा, दुबारा करने पे। सबके लिए होगा तोहरे लिए नहीं,... एक तो बुरिया में जो बीज गिरता है केतना होता है फिर गिरता तो एकदम अंदर है, तो उससे कितनी चिकनाई होगी। हाँ एक बार सुपाड़ा घुस जाने के बाद,... इसलिए जितनी बार करो तेल पानी लगा के, और गुड्डी के साथ तो आज रात एकदम ध्यान रखना,"
और जैसी उनकी आदत थी ऐन मौके पे वो चुप हो गयीं जिससे मैं निहोरा करूँ, जैसे कुछ लिखने वालियां होती हैं न ऐन मौके पे पोस्ट पे ब्रेक दे देती हैं और फिर जब तक कमेंट न करो, आगे की पोस्ट आती नहीं है, एकदम वैसे।
और मैंने बोला,
" बताइये न भौजी, गुड्डी के साथ क्या, आज की रात के लिए " मैं एकदम उकता रहा था।
संध्या भौजी ने एक पल के लिए अपने मोटू मुन्ना को सहलाना बंद किया और मेरी आँखों में देखती बोलीं
" देख सबसे पहली बात ये सिर्फ तेरे साथ नहीं है सब मर्दो के साथ,...ख़ास तौर से नए लौंडो के साथ कच्ची चूत चोदने को सब पगलाए रहते हैं लेकिन इंतजाम नहीं करते "
मुझे भी लगा इसी गलती से आज गुंजा बच गयी अगर थोड़ा सा भी कडुवा तेल या कुछ भी होता तो बिना फाड़े मैंने उसे जाने नहीं देता लेकिन लौट के आऊंगा तो सबसे पहले उसी का नंबर लगेगा, जेब में अब से बोरोलीन की ट्यूब या वैसलीन की छोटी शीशी,
लेकिन अबकी संध्या भाभी रुकी नहीं उनका ज्ञान जारी था,
" देख यार सबसे अच्छा तो सरसो का तेल, एकदम सटासट जाता है ,
लेकिन आधी रात में कहाँ रसोई में डब्बा ढूंढते फिरोगे, फिर दाग धब्बा और सूंघने वाले अगले दिन भी सूंघ लेते हैं की सरसो की तेल की झार मतलब गपागप हुआ है तो तेल तो नहीं तो वैसलीन, इसका इंतजाम, "
मैं उन्हें क्या बोलता, मेरे बस का कुछ नहीं है लेकिन वो जो मेरी सारंग नयनी है जो मेरे जनम जिंदगी का ठेका ले के पैदा हुयी है उसने वैसलीन, की सबसे बड़ी शीशी खुद खरीदी है, मुझे दिखा के।
" और उसके बाद ऊँगली "
संध्या भाभी से आज मैं बहुत कुछ सीख रहा था, फिर उन्होंने जोड़ा,
"बहुत लोग बिस्तर पे जाने पे के पहले माउथवाश, मंजन सब करते हैं लेकिन ऊँगली का ध्यान नहीं रखते। "
मैं ध्यान से सुन रहा था और भौजी बोलीं " ऊँगली में एक तो नाख़ून एकदम नहीं, और दूसरे साफ़, एकदम साफ़, जैसे अमिताभ बच्चन नहीं हाथ धो के दिखाते हैं डिटॉल वाले में बस वैसे ही, "
" ये ऊँगली पे इतना जोर क्यों " मैं सच में इन मामलों में एकदम स्लो था। एक प्यार की चपत मेरे गाल पे मार के बोलीं
" स्साले मादरचोद, वैसलीन लगाएगा किस चीज से? लंड से की अपनी महतारी की बड़ी बड़ी चूँची से ? अरे लंड से पहले तोहरी जानेजाना, गुड्डी रानी की बुरिया में का घुसी, इहे उँगरिया न। "
फिर एक जोर की चुम्मी संध्या भाभी ने मेरे गाल पे ली और कचकचा के गाल काट लिया और बोलीं
"देख साले, कब भी कोरी बुर चोदो, और हमार आशीर्वाद है तोहें एक से कली मिलेंगी जिनकी झांट भी ठीक से नहीं आयी हो,... तो पहली बात ये याद रखो, एक ऊँगली का तर्जनी का कम से कम दो पोर,... और दोनों ऊँगली तर्जनी और मंझली का एक पोर.
पहले एक ऊँगली डाल के खूब तेल में, वैसलीन में चुपड़ के हलके हलके धँसाओ, पुश मत करना, और फिर गोल गोल, एक तो उससे बिलिया थोड़ी खुलेगी, दूसरे लौंडिया स्साली गर्माएगी, पनियायेगी, खुद चूतड़ पटकेगी लंड लेने के लिए। और जब दो पोर देर तक गोल गोल तो वो ऊँगली निकल के फिर से चिकनाई लगा के उसके पीछे एकदम चिपका के दूसरी ऊँगली और थोड़ी देर बाद दोनों ऊँगली अलग अलग, चूत की अंदर की दीवार पे, ....सब मजा तो वहीँ हैं, कभी अंदर बाहर कभी कैंची की फाल की तरह फैला दिया, चीखेगी स्साली, जोर से चीखेगी, तो घबड़ाना मत। तेरा इत्ता मोटा सुपाड़ा है कम से कम दोनों फांके इतनी तो खुल जाएँ, की सुपाड़े का मुंह उसमे फंस जाये, तो,.... चिकनाई और ऊँगली। "
भौजी की सब बाते मैंने गाँठ बाँध ली।
उन्होंने कुछ बात ही ऐसे की माहौल सीरियस हो गया, पहले तो मुस्करा के वो बोलीं,
" देखो २०-२५ बार तो वहां और यहाँ भी तीन चार दिन रहोगे तो मौका निकाल के आठ दस बार, तो जाने के पहले ३० -३५ बार तो पेलोगे ही उसको, लेकिन अभी भी मान नहीं सकती की आज के जमाने में तोहरे अस कोई लड़का, लड़की ढाई तीन साल से पटी, खुद शलवार का नाडा खोल दिया, औजार भी इतना मस्त तगड़ा, हरदम टनटनाया रहता है फिर भी चोदा नहीं, एकदम ही अलग हो। "
मैं क्या बोलता बस मुस्करा दिया। ३० -३५ बार का जो उन्होंने टारगेट दिया था अब गुड्डी के साथ मुझे डाँकना था,
लेकिन संध्या भाभी इस बार बिना मेरी हुंकारी के बोलीं,
" देखो, चुदाई का रिश्ता तीन चार तरह का, एक तो रंडी टाइप, उसमें भी कोई बुराई नहीं, और वो नहीं जो दालमंडी में खड़ी रहती हैं जहाँ तेरी बहनिया आके,... मेरा मतलब स्कूल में नंबर के लिए पास कराई, नौकरी में प्रमोशन, पोस्टिंग कुछ भी बात के लिए, लेकिन दोनों का काम होता है दोनों की ख़ुशी, तो मुझे इसमें कोई गलत नहीं लगता।
लेकिन ज्यादातर, जब दोनों की मर्जी हो, दोनों गर्मायें हो , दोनोंमज़ा लेना चाहते हों,... अब हर बार जिसको चोदोगे या लड़की जिससे चुदवायेगी उससे शादी थोड़ी हो ।जायेगी अब मैंने ही तुझसे चुदवाया सच में ऐसा मजा आज तक नहीं आया था और अब जब भी मिलोगे, स्साले, बिना तुझसे गपागप किये, भले मुझे तेरा रेप करना पड़े मैं छोडूंगी नहीं , लकिन शादी तो मेरी पहले ही हो गयी है।
फिर गुंजा है और गुड्डी की बहने, और भी लड़कियां, औरतें,.... तो सबसे शादी थोड़े कोई करेगा और ये बात लड़के से पहले लड़की को मालूम होती है इसलिए वो गोली वोली का इंतजाम किये रहती है। हाँ मजा असली तभी आता है जब पहले मन मिले, मन करे और लड़का केयरिंग हो, और तुझसे बड़ा केयरिंग तो मैंने देखा नहीं। सही कह रही हूँ न "
अबकी उन्होंने हुंकारी भरवाई और मैंने भरी भी बोला भी, " एकदम सही कह रही है आप , "
अब कल रात में मैंने चंदा भाभी को तीन बार चोदा था, अभी संध्या भाभी और दोनों शादी शुदा और गुंजा बस चुदवाती चुदवाती रह गयी, दो छटांक तेल के चक्कर में,... तो उस का भी तो रिश्ता तो जीजा साली का था।
लेकिन अब जो संध्या भाभी ने बात की,
"तो वही गुड्डी के साथ, मतलब ३०-४० बार तो, मेरा मतलब की तुम दोनों का मजा लेने का या,... मतलब अब कैसे कहूं, अब हर बार चुदाई के बाद बियाह, और का पता तोहरे घर वाले कहीं और लड़की वड़की देख के, ....या कोई और लड़की वाले तोहरे घरे, मतलब, देखो गुड्डी को मैं जानती हूँ , वो न बोलेगी न बुरा मानेगी"
मैं धक्क से रह गया, कुछ बोल ही नहीं निकल रहे थे बस किसी तरह से आवाज फूटी,
" मैं, मतलब, ....मेरा क्या, गुड्डी नहीं बोलेगी लेकिन मैं फिर, ....फिर मेरे रहने का क्या मतलब, होने का क्या मतलब, ....अगर वो, "
जैसे कोई भीत भहरा गयी।
जो कुछ मैंने कभी गुड्डी से भी नहीं, किसी से भी नहीं कहा था वो सब मेरे मुंह से निकल रहा था, मुझे पता भी नहीं
Guddi ki mummy bhi ekdam mast hain Guddi ke liye ekdam tagda lund Lundh rahi hain jo unke bhi kaam aye.गुड्डी की मम्मी और गुड्डी के लिए शर्तें
" देखो गुड्डी के यहाँ बिना गुड्डी की मम्मी के कहे तो पत्ता भी नहीं हिलता, सब फैसला वही लेती हैं तो उनका मानना जरूरी है और उन्होंने पहले से दूबे भाभी को बोला था की वो गुड्डी के मरद में चार बात देखेंगी तभी हाँ करेगीं । हम लोगो की आपस की बात तुझे बताना तो नहीं चाहिए लेकिन तुम्हारी इतनी खराब हालत है तो बोल देती हूँ।"
जैसे किस को खजाने का नक्शा मिल जाए मैं इस तरह से गौर से संध्या भाभी की बात सुन रहा था, लेकिन मैं जानता था की ज्यादातर माँ अपनी बेटियों के लिए कैसा लड़का खोजती हैं, या मैं सोचता था की मैं जानता हूँ, और मैंने बोलना शुरू कर दिया,
" पहली बात तो नौकरी, वो भी सरकारी, ....तो मुझे नौकरी मिल भी गयी है, ट्रेनिंग में भी तनख्वाह पूरी मिलती है और वो ट्रेनिंग भी बस दो चार महीने में ख़तम होने वाली है तो अगर नौकरी तो
लेकिन मैं अपनी नौकरी की और यशोगाथा गाता उसके पहले भौजी ने पतंग की डोर काट दी
" नहीं नहीं नौकरी नहीं, ....नौकरी भी है लेकिन वो सबसे बाद में . गुड्डी की मम्मी का मानना है की आज कल तो लड़कियां भी पढ़ लिख के कमा लेती हैं और मरद है तो कुछ कमायेगा ही, असली बात कुछ और है लेकिन स्साले घबड़ा मत उसमे तुझे १०० में ११० नंबर मिलेंगे "
हँसते हुए वो बोलीं और कस के मेरे तन्नाए मुन्ना को पकड़ के मुठियाने लगीं, और बोलीं
" गुड्डी की मम्मी का मानना है की ये हथोड़ा जबरदस्त न हो तो भी ठीक ठाक होना चाहिए, ५ इंच वाला नहीं चलेगा। तो तेरा तो जबरदस्त ही नहीं सुपर जबरदस्त है, जितना लोग तेल लगा के मुठिया के बहुत जोर लगा के खड़ा करते हैं स्साले उतना तो तेरा सोता रहता है तब होता है, और खड़ा होने में भी टाइम नहीं लगाता फिर आज सबने देख भी लिया, नाप जोख भी कर लिया,
और दूबे भाभी भी यही मानती है की लड़की जब तक ढंग से चोदी न जाए, न उसे ठीक से नींद आती है न सुख मिलता है। तो जो तुम ये बोलते हो न की तुम्हे तो गुड्डी को सिर्फ देखना है, साथ रहने से ही काम हो जाएगा तो एकदम नहीं होगा। कल ही देखना तेरी होने वाली सास का फोन आएगा सुबह अपनी बेटी के पास और सिर्फ एक चीज पूछेंगी, ' चुदी की नहीं' , इसलिए सिर्फ पेलने से नहीं, बल्कि हचक हचक के पेलने से काम बनेगा सुबह गुड्डी की आवाज से उसकी महतारी को लगे की,... बेटी जम के चुदी है "
" एकदम भौजी " मैंने प्वाइंट नोट कर लिया और मन तो मेरा भी यही कर रहा था, अब चोर सिपाही बहुत होगया अब खेल खिलाडी का होना चाहिए।
" और सिर्फ लम्बा मोटा ही नहीं नंबरी चुदक्क्ड़ होना चाहिए, उसमें थोड़ा तुममे झिझक है, शरमाते बहुत हो लेकिन बनारस ससुराल होगी तो ससुराल वालियां सब ठीक कर देंगी। "
संध्या भाभी ने प्यार से मूसल को दुलराते हुए कहा और जोड़ा
"और गुड्डी के साथ तो एकदम खुल के बोला करो, लंड, बुर. चुदाई उसके बिना मजा नहीं आता, समझे बुद्धू राम। "
और संध्या भाभी ने एक खूब प्यार भरी चुम्मी ले ली और मैं शर्मा गया।
" और दूसरी बात भौजी " मुझे कुछ भी हो इस चार की कसौटी पे पूरी उतरना था।
" दूसरी बात की चिंता न करो हम सबने देख लिए और वो आएँगी कानपुर से तो उन्हें पता भी चल जायेगी। "संध्या भाभी मुस्कराते बोली और फिर उन्हें लगा अभी भी मैं दुविधा में हूँ तो उन्होंने वो प्वाइंट भी बता दिया ,
' केयरिंग, ख्याल रखने वाला, केतना भी चोदू क्यों न हो और गर बीबी का ख्याल न करे तो फिर जिंदगी बेकार लड़की की। लेकिन हम सब ने देखा, मस्ती तुम मेरे साथ कर रहे थे , रीत के साथ लेकिन निगाह बार बार गुड्डी की ओर ही थी , और वो मुस्करा के और उकसा रही थी। तो बिना कहे कोई भी कह देगा गुड्डी को तुझसे बात मनवानी नहीं पड़ेगी तुम खुद उसके पीछे पीछे,..."
लेकिन ये बात मुझे जंची नहीं मैंने बोल दिया,
'लेकिन उसमें मेरी क्या गलती, गुड्डी है ही ऐसी, ....उसे देखने के बाद मैं सोच नहीं सकता,... मेरा दिमाग काम करना बंद कर देता है बस जो वो कहे। "
संध्या भौजी खिलखिला के हंसी और मेरे सीधे होंठों पे चुम्मी ले ली और बोली, "किस्मत अच्छी है उसकी भी तेरी भी , लेकिन एक बाद उसकी मम्मी की मैं भी मानती हूँ,.... ख्याल रखने का मतलब ये नहीं की तुम उसी से बंधे रहो, ...जिस से मन करे उसको चोदो, लेकिन धोखा नहीं देना चाहिए. उसकी स्साले मादरचोद तेरी औकात नहीं है और वो दस बार किसी लड़की को बोलेगी तब तुम उसकी ओर , ....इसलिए इस पर्चे में भी पूरे नम्बर मिलेंगे।
और तीसरा और चौथा, मैं जल्दी से जल्दी ये इम्तहान पास करना चाहता था, तो मैंने संध्या भाभी को आगे बढ़ाते हुए पूछा,
गुड्डी की मम्मी की शर्ते मालूम होने का मतलब परचा आउट होना है। और गुड्डी को पाने के लिए तो मैं कुछ भी करना चाहता था।
संध्या भौजी भी, जिसे देवर के मन की बात मालुम हो जाएँ तो और उसे तंग करती हैं बस उसी तरह से मुझे आँखों से चिढ़ा रही थीं और मुझे चार बार बोलना पड़ा, भौजी प्लीज, बोलिये ना।
" देख यार, मान लो मरद मस्त चुदककड़ हो, तेरी तरह से बुद्धू न हो, बीबी का भी ख्याल करता हो, एकदम असली तेरी तरह का जोरू का गुलाम, लेकिन ससुराल में सब एक से एक कंटाइन,.... तो का जिंदगी होगी बेचारी की, मर्द तो रात को आएगा, टांग उठाएगा, धँसायेगा, बीबी ज्यादा बोलेगी, उसकी माँ बहन भौजाई की बुराई करेगी तो टाल देगा, बोलेगा, ' सुबह यार आफिस जाना,... यही ऑफिस में दिन भर बॉस किच किच, सोने दो '
और उसकी बीबी को तो दिन भर सास जेठानी ननद को झेलना पडेगा न।
ननद तो चलो पैदाशी छिनार कुछ दिन बाद ससुराल चली जायेगी या अपने यारों में उलझी रहेगी, लेकिन असली खेल तो सास, जेठानी, तो उनका कहना है की लड़के के साथ उसकी माँ और भौजाई को भी ,.... कोई पहले की जान पहचान वाले लोग हों तो बहुत अच्छा ,"
मैंने चैन की साँस ली और झट से बोला, लेकिन भाभी तो हमारी,
और संध्या भाभी बोलीं, ' बिन्नो दी की तो बात ही मत करना, हम सब की आँख की पुतरी है लेकिन उनहुँ से ज्यादा दोस्ती अब गुड्डी की ममी की तोहरी महतारी से, यह सावन ने जो महीने भर थीं उनके साथ, "
मुझे गुड्डी की मम्मी, मतलब मम्मी की बात याद आ गयी, क्या क्या गन्दी गन्दी गालियां और बातें, और सावन के बारे, हाँ ये बात सही है की सावन भर वो यहीं थीं, मैं ही छोड़ के गया था, इसी बहाने गुड्डी से मिलना भी हो गया और मैंने भाभी से कह दिया ,
" अरे भौजी, वो तो पता नहीं, मम्मी अइसन किस्सा बना बना के कह रही थी बनारस के पंडा, १०० से ऊपर "
" एकदम सही कह रहे हो एकदम बढ़ा चढ़ा के बोलती हैं कभी कभी, " संध्या भाभी हँसते बोलीं,
फिर जोड़ा, ' १०० से ऊपर तो कतई नहीं पण्डे, मैंने ही तो लिस्ट बनायीं थी, कुल ५१ थे शुभ संख्या। सब का फोन नंबर दिन मेरी डायरी में , अरे जेवन कराने की बात थी, सावन भर पंडो को, लेकिन गुड्डी की मम्मी बोलीं जेवन के बाद नेग भी तो देने होता है गोड़ छू के, और यहाँ बीस आना से काम नहीं चलेगा जेवन के बाद जोबन क दान और तीनो गोड़ छूना होगा तो बस, बनारस के पण्डे सब नंबरी चोदू,, ....'
तो गुड्डी की मम्मी से और मुझसे उनकी पक्की दोस्ती हो गयी कई बार तो साथ साथ, घाट पे , नदी नहाते समय भी खूब मस्ती, बस,
तो ये सवाल भी तेरे पक्ष में जाएगा और चौथी बात नौकरी वाली, सरकारी तो वो तुम्हारी है ही। "
नौकरी की बात आते ही मैंने प्लस प्वाइंट को लीवरेज किया, " एकदम भाभी और जल्दी ही पोस्टिंग "
पर भौजी ने उस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और लेकिन कह के रुक गयी और मेरी साँस ऊपर की ऊपर, नीचे की नीचे