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यह फुलफार्म पहली बार पता चलावैसे तो ऐसे साहित्य हर मौसम में उपलब्ध रहते हैं... खासकर स्टेशन के पास..
लेकिन होली के विशिष्ट मौके पर विशेष परिशिष्ट...
आजाद लोक.. हरजाई और ऐसे न जाने कितने हीं साहित्य...
जो हॉस्टल में एक किसी को दिया तो अगले दिन चार-पांच हाथों से भी ज्यादा गुजर चुका होता था..
और पता करने पर आधे हॉस्टल को छानना पड़ता था...
और हाँ. हॉस्टल में इसे PONDY कहते थे... Program On Natural Development of Youth.
साथ में शायद अनेक पाठकों का भी ज्ञान वर्धन हुआ आपने एकदम सही कहा हैं और इसलिए इस प्रकरण में उन्ही दिनों की बानगी दिखाई गयी हैं