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Erotica फागुन के दिन चार

Real@Reyansh

हसीनो का फेवरेट
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भाग ३१
चू दे कन्या विद्यालय- प्रवेश और
गुड्डी के आनंद बाबू

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गुड्डी ने अपने पर्स, उर्फ जादू के पिटारे से कालिख की डिबिया जो बची खुची थी, दूबे भाभी ने उसे पकड़ा दी थी, और जो हम लोगों ने सेठजी के यहां से लिया था, निकाली और हम दोनों ने मिलकर। 4 मिनट गुजर गये थे। 11 मिनट बाकी थे।

मैंने पूछा- “तुम्हारे पास कोई चूड़ी है क्या?”

“पहनने का मन है क्या?” गुड्डी ने मुश्कुराकर पूछा और अपने बैग से हरी लाल चूड़ियां।


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जो उसने और रीत ने मिलकर मुझे पहनायी थी।

सब मैंने ऊपर के पाकेट में रख ली। मैंने फिर मांगा-
“चिमटी और बाल में लगाने वाला कांटा…”



“तुमको ना लड़कियों का मेक-अप लगता है बहुत पसन्द आने लगा। वैसे एकदम ए-वन माल लग रहे थे जब मैंने और रीत ने सुबह तुम्हारा मेक अप किया था। चलो घर कल से तुम्हारी भाभी के साथ मिलकर वहां इसी ड्रेस में रखेंगें…”

ये कहते हुये गुड्डी ने चिमटी और कांटा निकालकर दे दिया।
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मुझे अपनी एफबीआई के साथ एक महीने की क्वांटिको में ट्रेनिंग याद आ रही थी, जहाँ इन्वेस्टिगेशन के साथ पेन्ट्रेशन और कमांडो ट्रेनिंग का भी एक कोर्स था.
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और पुलिस अकादेमी सिकंदराबाद में कई एक्साम्स क्लियर करने के बाद ये मौका मिला था और दो तीन बाते बड़ी काम की थी,

जैसे किसी भी चीज को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना, और जो चीजें चेक में पकड़ी न जाएँ, या ले जाने में आसान हो और सबसे बड़ी बात
उपलब्ध हों। मुझे कमांडो आपरेशन का सबसे बड़ा डर ये था की वो मैक्सिमम फ़ोर्स इस्तेमाल करते हैं जिससे कम समय में ज्यादा डैमेज हो उन्हें एंट्री मिल जाए। कई बार नॉन -लीथल फ़ोर्स जैसे टीयर गैस या स्टन ग्रेनेड्स भी लड़ने के बाद उनके शेल अच्छी खासी चोट पहुंचा देते हैं

और फिर अटैक होने के बाद चुम्मन और उसका चमचा कहीं बॉम्ब डिस्पोज कर दें,


मैं किसी भी कीमत पर गुंजा और उसकी सहेलियों को खरोच भी नहीं लगने देना चाहता था।


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और उसके लिए परफेक्ट प्लानिंग और एक्जीक्यूशन जरूरी था और उसके साथ टाइम का ध्यान भी, क्योंकि सब कुछ डीबी के हाथ में नहीं था

एसटीफ स्टेट हेडक्वार्टस से उड़ चुकी थी और किसी भी पल बाबतपुर हवाई अड्डे पर उतरने वाली थी।

डीबी को उनके पहुंचने के पहले ही अपने पुलिस कमांडोज़ के आपरेशन को लांच करना था इसलिए एक एक मिनट का हिसाब करना था
लेकिन साथ में घबड़ाना भी नहीं था।

7 मिनट गुजर चुके थे, सिर्फ 8 मिनट बाकी थे।



निकलूं किधर से?

बाहर से निकलने का सवाल ही नहीं था, इस मेक-अप में?

सारा ऐड़वान्टेज खतम हो जाता। मैंने इधर-उधर देखा तो कमरे की खिड़की में छड़ थी, मुश्किल था। लेकिन उससे भी मुश्किल था, बाहर पुलिस वाले खड़े थे, कुछ मिलेट्री के कमांडो और दो एम्बुलेंस, बिना दिखे वहां से निकलना मुश्किल था, फिर कमरे में कभी भी कोई भी आ सकता था।



अटैच्ड बाथरूम।

मेरी चमकी, मेरी क्या, गुड्डी ने ही इशारा किया।

मैं आगे-आगे गुड्डी पीछे-पीछे। खिड़की में तिरछे शीशे लगे थे। मैंने एक-एक करके निकालने शुरू किये और गुड्डी ने एक-एक को सम्हाल कर रखना। जरा सी आवाज गड़बड़ कर सकती थी। 6-7 शीशे निकल गये और बाहर निकलने की जगह बन गई।


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9 मिनट। सिर्फ 6 मिनट बाकी।

बाहर आवाजें कुछ कम हो गई थीं, लगता है उन लोगों ने भी कुछ डिसिजन ले लिया था।

गुड्डी ने खिड़की से देखकर इशारा किया। रास्ता साफ था। मैं तिरछे होकर बाथरूम की खिड़की से बाहर निकल आया। बाथरूम वैसे भी पीछे की तरफ था और उससे एकदम सट कर पी ए सी की एक खाली ट्रक खड़ी थी।



वो दरवाजा 350 मीटर दूर था। यानी ढाई मिनट।

चारो ओर सन्नाटा पसरा था, वो चूड़ा देवी स्कूल की साइड थी तो वैसे भी पुलिस का ज्यादा फोकस उधर नहीं था। ज्यादातर फ़ोर्स मेन गेट के पास या अगल बगल की बिल्डिंगो पर थी। कुछ एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जरूर वहां आ के पार्क हो गयीं थी। कुछ दूरी पर स्कूल के पुलिस के बैरिकेड लगे थे, जहाँ पी ए सी के जवान लगे थे।


वो तो प्लान मैंने अच्छी तरह देख लिया था, वरना दरवाजा कहीं नजर नहीं आ रहा था। सिर्फ पिक्चर के पोस्टर। नजर बचाता, चुपके चुपके दीवारों के सहारे मैं उस छुपे दरवाजे तक पहुंच गया था। गुड्डी ने न बताया होता तो किसी को शक नहीं हो सकता था की यहाँ पर दरवाजा है इतने पिक्चर के पोस्टर,



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साथ में डाक्टर जैन की मर्दानी ताकत बढ़ाने वाली दवाओं और खानदानी शफाखाने के साथ बंगाली बाबा के इश्तहार चिपके थे। बाहर नाली बजबजा रही थी, उसके पास दो तीन पान की दूकान की गुमटियां और एक दो ठेले, लेकिन अभी सब बंद और खाली।



तभी वो हमारी मोबाईल का ड्राईवर दिखा, उसको मैंने बोला-

“तुम यहीं खड़े रहना और बस ये देखना कि दरवाजा खुला रहे…”



पास में कुछ पुलिस की एक टुकडी थी। ड्राइवर ने उन्हें हाथ से इशारा किया और वो वापस चले गये।


13 मिनट, सिर्फ दो मिनट बचे थे।
Once again komal Didi Rocks ..
 

komaalrani

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Mujhe mila nhi
Page no. Bta dijiye

ye link hai is pe click kariye pahunch jaayenge

मोहे रंग दे ,
 

phantomnova

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ye link hai is pe click kariye pahunch jaayenge

मोहे रंग दे ,
Story तो मुझे मिल ही गई थी
मेरे पास पूरी story पढ़ने का समय नहीं है
Exam aa gya hai mera
Vo page no. Bta do jaha par answer mil jayenge.
 
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komaalrani

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Story तो मुझे मिल ही गई थी
मेरे पास पूरी story पढ़ने का समय नहीं है
Exam aa gya hai mera
Vo page no. Bta do jaha par answer mil jayenge.
pooi story chhoti si hai padh lijiye
poora apdhne pe hi pata chalega ya fir exam ke baad padhiyegaa
 

komaalrani

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jaab kahaani men hi hai aur jab aap ke paas time hoga to pdh lijiyega

time ki killat sabo hoti hai
 

phantomnova

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jaab kahaani men hi hai aur jab aap ke paas time hoga to pdh lijiyega

time ki killat sabo hoti hai
Do panne ke jawab ke liye mai 200 panne ka upanyas padhu😔

Apne phle hi mujhe bahut bigad diya hai
Aur na bigadiye 😌
Phagun ke din char wali kahani abhi 60% pdf se padh liya hu
Aur Joru ka gulam wala pdf se 1270 me se 1000 panne padh liya hun
Wo dono complete ho jaye tab to dusri kahani padhunga mitra.

Aur sayad apne sawal thik se nahi padha
Sawal me bahut kuchh pucha hai maine
Including your views on recent Atul Subhash case (Sorry this is new question (mai isko waha nhi likh paya))
And about Osho
And about writing a social novel
Ye sab ka uttar to nhi n hoga kahani me Mahoday.

Thoda time nikal kr email likh dijiye
Please 🥺
 
Last edited:

Shetan

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मोहे रंग दे ,
प्रेम प्रित और बंधन की कहानी मोहे रंग दे

यह मेरी सबसे पसंदीदा कहानी है.

खुशियाँ, उमंग, बंधन, जुदाई, बेकरारी
 

Premkumar65

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तान्या

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खाने की महक ने मेरी भूख जगा दी। एक डिनर ट्राली पे कुछ प्लेटें और ड्रिंक्स की बोतल लेकर एक सुपर सेक्सी वेट्रेस

और एक अधेड़ उम्र का आदमी। खिचड़ी फ्रेंच दाढ़ी।


वेट्रेस ने टिपिकल फ्रेंच मेड की कास्ट्यूम पहन रखी थी, खूब गोरी, हल्का गुलाबी फाउंडेशन, बड़ी सी आई लैशेज, मस्कारा, बाल पोनी टेल में, सफेद बस्टियर ऐसा टाप, थोड़ा छोटा और गहरी क्लीवेज वाला जिसमें से उसकी 34सी गोलाइयों का आकार साफ नजर आ रहा था। बस्टियर कमर पे बहुत टाईट था। एकदम आवर ग्लास की फिगर के लिए। ब्लैक स्कर्ट घुटनों से करीब एक डेढ़ बित्ते ऊपर और ब्लैक स्टाकिंग्स।



वेट्रेस- “गुड आफ्टर नून मेडम, गुड आफ्टर नून सर। मैं तान्या। आय आम हियर टू सर्व यू टूडे। और मेरे साथ हैं मोंस्यु सिम्नों। फ्राम आकवूड बार आवर वाइन हेड…”


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उन्होंने भी सिर झुका के ग्रीट किया और मैंने और गुड्डी ने भी जवाब दिया।

तान्या ने पहले तो दमस्क के टेबल मैट लगाये फिर सिल्वर वेयर, क्राकरी और नेपकिन।

तब तक मुझे अचानक याद आया की ‘वो’ तो खुला हुआ है।

मैं कुछ बोलता उसके पहले तान्या हमारी ओर बढ़ी लेकिन गुड्डी ने गनीमत थी नेपकिन से ‘उसे’ ढक दिया और खुद भी नेपकिन रख ली।

तान्या के चेहरे पे एक हल्की सी मुश्कुराहट खेल गई।

मैं समझ गया की वो समझ गई।

उसने गुड्डी की आँखों में देखा और एक मुश्कान दोनों की आँखों में तैर गई। लेकिन तान्या कम दुष्ट नहीं थी, वो हम लोगों की कुर्सी के पीछे खड़ी थी। बल्की ठीक मेरी कुर्सी के पीछे, और हल्की सी झुकी। उसके 34सी उभार मेरी गर्दन को पीछे से हल्के-हल्के ब्रश कर रहे थे, यहाँ तक की खड़े निपलों भी मैं फील कर सकता था। वो थोड़ा और झुकी अब उसके उभार खुलकर रगड़ रहे थे।


तान्या- “वुड यु लाइक टू हैव सम वाइन। वी हैव। सम आफ बेस्ट वाइनस…”


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मैं मना करता उसके पहले ही गुड्डी बोल पड़ी- “हाँ हाँ क्यों नहीं…”


और जब तान्या ने झुक के वाइन टेस्टिंग ग्लास सामने रखी तो मेरी आँखें खुशी से चमक पड़ी। मैंने उसकी आँखों की ओर चेहरा उठाकर कहा-

“आई विल हैव प्लेजर आफ टेस्टिंग। इफ यू परमिट…”


दुहरी खुशी। जब वो झुकी तो उसकी आधी गोलाईयां बस्टियर से छलक रही थी। परफेक्ट उभार, खूब कड़े और गुदाज। वो भी कनखियों से देख रही थी और आँखों में मुश्कुरा रही थी। और वो वाइन टेस्टिंग ग्लास, मेरलोत, कनोसियार्स डिलाईट।

मोंस्योर सिम्नों ने बोतल तान्या को दी और उसने थोड़ी सी डालकर मुझे दी। परफेक्ट व्हाईट ग्लोव सर्विस।

मैंने ग्लास ऊपर करके अपनी आँख के सामने लाकर देखा और मोंस्योर सिम्नों की ओर देखकर बोला- “बोर्देऔक्स…”



वो हल्का सा मुश्कुराए और तान्या भी।


मैंने ग्लास को हल्के से घुमाया, ट्विर्ल किया और ग्लास की ओर देखता रहा, हल्के से सूंघा और बोला- “लेफ्ट बैंक…”



अबकी तान्या और मोंस्योर सिम्नों दोनों की मुश्कुराहट ज्यादा स्पष्ट थी। फिर दो-चार बूंदें जीभ पे रखकर एक मिनट के लिए महसूस किया और मेरी आँखें बंद हो गई। धीमे-धीमे मैंने उसे गले के नीचे उतारा और जब मैंने आँखें खोली तो मेरी आँखें चमक रही थी-

“ग्रेट। ग्रेट विंटेज मोंस्योर। इफ आई आम नाट रांग। आई थिंक। 2005। 2005 एंड सैंट मार्टिन…”

बस मोंस्योर ने ताली नहीं बजाई। प् अब वो बोले- “यस। वी हव स्पेशली सेलेक्टेड फार यू…”



मैंने दो घूँट और मुँह में डाली और बोला- “मेर्लोत…” उनकी आँखें थोड़ी सिकुड़ी लेकिन फिर मैंने बोला ब्लेंड के लिए अक्चुअली- “कब्रेंते सुव्ग्नन…”

उन्होंने हल्के से झुक के बो किया और बोले- यु आर अ रियल गूर्मे, एनी थिंग मोर?”

मैंने हल्के से उठने की कोशिश की तो मुझे याद आया। अरे जंगबहादुर तो खुले हुए हैं और पीछे सटकर तान्या खड़ी है और मैं बैठ गया।

तान्या ने पीछे से मोंशुर से इशारा किया- “आई थिंक इट्स आल राईट। आई विल सर्व देम…”



जाते-जाते वो दरवाजे पे एक मिनट के लिए रुक के फिर बोले- “आय आम एत ओकवूड बार। एंड माय फ्रेंडस काल मी क्लोस्ज्युन। एंड नाऊ यू टू कैन काल मी…” और दरवाजा बंद कर दिया।



तान्या अब एक बार फिर सामने और उसके ड्रेस फाड़ते उरोज मेरा ध्यान खींच रहे थे। मैं नदीदों की तरह देख रहा था। उसने एक प्लेट में ढेर सारे कबाब रख दिए, और कहा-


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“ये हमारी। कबाब फैक्ट्री से हैं। टुंडा, गलवाटी, काकोरी, सीख और ढेर सारे। नानवेज प्लैटर। वेज प्लैटर भी दूँ?”

“नहीं। ये बहुत हैं। क्यों?” गुड्डी बोली और मुझसे पूछा।

मेरा ध्यान तो तान्या के उभारों में खो गया था। कड़े-कड़े मादक रसीले और जब वो झुकी थी तो आधी गोलाइयां बाहर झांकती, और फिर गुड्डी की बात टालना।

“हाँ हाँ…” मैंने भी बोला।

तान्या ने हम लोगों के प्लेट में डालना चाहा तो फिर गुड्डी ने मना कर दिया- “नहीं हम लोग ले लेंगे…”

लेकिन उसने बोतल से हम दोनों के वाइन ग्लास में रेड वाइन पोर कर दी।


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अभी भी ¾ बोतल बची थी। मैं भी अब सोच रहा था की वो कहीं ज्यादा देर रुकी और नेपकिन सरक गया तो बनी बनायी। सब गड़बड़ हो जायेगा। मेनू उसने बगल में रख दिया।

तान्या- “ओके। यू फिनिश योर ड्रिंक्स। देन काल मी। जस्ट प्रेस दिस बटन…”

उसने एक कार्डलेश काल बेल पकड़ा दी, और कहा- “एंड यु कैन आर्डर। आर जस्ट रिंग मी अट 104। एंड आई विल कम बोन अपेतित…”



“ओह्ह… थैंक्स…” मैंने और गुड्डी ने साथ-साथ बोला।



तान्या अपने नितम्ब मटकाते हुए बाहर गई और मेरी आँखों ने तुरंत नाप लिया- 35…” इंच।
Super sexy description of Tanya. Only you can do it.
 
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कबाब

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फिर प्लेट पे नजर डालकर जोर से चिल्लाई-

“ऊप्स। सारी। मैं तो भूल ही गई थी तुम प्योर वेजिटेरियन हो। अरे यार मिस्टेक हो गया। वेज स्टार्टर मैंने मना कर दिया और तुम भी तो तान्या की चूची दर्शन में इतने मगन थे की भूल गए। तुम क्यों नहीं बोले? अब चलो। तुम मेन कोर्स का इन्तजार करो मैं तो खाती हूँ…”


और फोर्क में एक कबाब का टुकड़ा लगाकर मुझे दिखाते हुए गड़प कर गई।



प्लैटर मैंने एक बार फिर से देखा। मैंने बचपन से अब तक नानवेज कभी नहीं खाया था, नाम के लिए भी नहीं। स्कूल और हास्टल में दोस्तों ने बहुत जिद की, फिर ट्रेनिंग और बाहर भी गया। लेकिन कभी नहीं। कोई धार्मिक या पारिवारिक कारण नहीं। बस नहीं खाया। भूख जोर से लगी थी। लेकिन अब जो गुड्डी ने बोला था मेन कोर्स का इन्तेजार करने के अलावा चारा ही क्या था? लेकिन उन सबसे बढ़कर इतनी अच्छी वाइन। एक ग्लास से ज्यादा तो मैं गटक गया था। गुड्डी के सौजन्य से। लेकिन खाली पेट और खाली पेट वाइन मतलब हैंगओवर। गैस और वाइन की ¾ भरी बोतल सामने थी।


मैंने फिर प्लेटर की ओर देखा। कम से कम 14 आइटम रहे होंगे। उसके अलावा सास, तरह-तरह की चटनी। पांच आइटम तो खाली चिकेन के थे- चिकेन लालीपाप, चिकेन टिक्का, चिकेन रेशमी कबाब, टंगड़ी कबाब और मुर्ग अचारी टिक्का।


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उसके बाद मटन के आइटम- मटन गिलाफी सीक, मटन, मटन मेथी सीक, मटन काकोरी कबाब और मटन लैम्ब चाप इन सिनेमम सास। फिर फिश फिंगर और फिश बटर फ्राई भी थी। इसके अलावा, झींगा लासुनी, थाई श्रिम्प केक और चिली गार्लिक प्रान।


गुड्डी- “तुमने कभी नानवेज नहीं खाया ना?” गुड्डी के होंठों के बीच में एक गिलाफी सीक था।

“न…” मैं वाइन की ग्लास हाथ में घुमाते बोल रहा था।

गुड्डी ने फिर पूछा- “घर में और कोई?”


मैं- “तुम्हें मालूम है। भाभी तो खाती है और कोई नहीं…” सामने वाइन का ग्लास तो मैंने भर लिया था। लेकिन।

गुड्डी- “नहीं खाओगे पक्का?” कहकर उसने मेरा इरादा टेस्ट किया।

“नहीं…” मैंने अपने निश्चय को पक्का करते हुए कहा, और गुड्डी के ग्लास में भी वाइन डाल दी।

गुड्डी- “चलो। मैं कहूँगी भी नहीं…” और अब वो मेरी ओर और सरक आई एकदम सटकर, और उसका हाथ मेरे कंधे पे। उसने मुझे अपनी ओर खींच रखा था। चिकेन लालीपाप उसके मुँह में था और वो मेरे मुँह के पास अपना मुँह लाकर बोली- “वैसे है बहुत स्वादिष्ट…”

मैं क्या बोलता?

गुड्डी बोली- “मुँह खोलो खूब बड़ा सा…”

मैं सशंकित- “क्यों?” मैंने धीमे से पूछा।

गुड्डी- “अभी क्या तय हुआ था उस समय? मैं तुम्हारी सब बात मानूंगी और बाकी समय तुम और इतनी जल्दी। मुँह ही खोलने को कह रही हूँ। और कुछ खोलने को तो नहीं कह रही हूँ…”

मैंने मुँह खोल दिया।

गुड्डी- “आँखें बंद…”



मैंने आँखें बंद कर ली। और अगले पल लालीपाप मेरे मुँह के अन्दर और गुड्डी मेरी गोद में- “यार तेरे हाथ मार कुटाई करके थक गए होंगे और अभी वो तान्या आती होगी, उसका भी जोबन मर्दन करना होगा। तो चलो थोड़ा आराम करो और थोड़ा प्रैक्टिस…”



मेरे हाथ गुड्डी के जोबन पे थे वो भी ऊपर से नहीं गुड्डी ने अपने कुरते के बटन खोलकर अन्दर सीधे वहीं। बाकी का लालीपाप गुड्डी के होंठों से कुचला कुचलाया। मेरे हाथ गुड्डी के रसीले उभारों का रस लूट रहे थे। थोड़ी देर में पूरा प्लेटर और वाइन की बोतल खतम हो गई थी। थोड़ा गुड्डी के हाथों से गया, थोड़ा गुड्डी के मुँह से और काफी कुछ मेरी जीभ ने गुड्डी के मुँह में जाकर निकालकर। मुख रस में लिथड़ा। अधखाया। कुचला।



और इस दौरान एक पल के लिए भी दुकान में हुई घटना। वो गुंडे,… वो पोलिस वाले जो हम लोगों को अन्दर करना चाहते थे और बाद में जो डी॰बी॰ ने बताया की जिससे मैं भिड़ गया था, शुक्ला एक नोन गैंगस्टर था,…. कुछ भी नहीं याद आया। गुड्डी ने जैसे सब कुछ इरेज कर दिया है और हम लोग सीधे उसके घर से रीत के पास से, अपने घर जा रहे हों, और बीच में जो हुआ वो एक दुस्वप्न था जिसे हम लोग भूल चुके हों।



गुड्डी ने पूछा- “मीनू देखें या?” और खुद ही फैसला कर दिया- “उस छैल छबीली को ही बोल देते हैं…” और फोन उठाकर गुड्डी ने बोल दिया। मैंने सिर्फ हाँ हूँ। एकदम सुना। पता ये चला की अबकी फिर गुड्डी ने नानवेज का ही आर्डर कर दिया और पूछने पे बोला- “कौन दिमाग लगाए। खाना तो खाना…”
जब तक मेन कोर्स आता मैं बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहनकर वापस आ गया और उसी समय तान्या फिर फूड ट्राली के साथ आई।

हम लोगों का पेट तो स्टार्टर्स से ही काफी भर गया था, लेकिन फिर भी इसरार करके। और इस बार भी। लैम्ब विद पोर्ट-रेड वाइन सास, चेत्तिनाड मटन करी, और लखनवी चिकेन दो प्याजा, साथ में असारटेड ब्रेड और हैदराबादी बिरयानी।


तान्या थी तो गुड्डी खिलाती नहीं, तो मुझे अपने हाथ से ही नानवेज खाना पड़ा और गुड्डी कनखियों से देखकर मुश्कुरा रही थी।


जैसे कह रही हो- “देखा। अभी तो ये शुरूआत है, देखो क्या-क्या करवाती हूँ तुमसे?”
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खाने के बाद जब गुड्डी बाथरूम गई तो तान्या ने राज खोला।

मेरी खातिर डी॰बी॰ के चक्कर में तो हो ही रही थी लेकिन कुछ-कुछ मेरे चक्कर में भी। शुक्ला के पकड़े जाने को पुलिस ने दबाकर रखा था और मुझे तो वैसे भी कोई नहीं जानता था, लेकिन थोड़ी बहुत खबर लग गई थी।

शुक्ला के नाम पे हर होटल में एक स्यूट रिजर्व रहता था। इसके आलावा ताज, क्लार्क हर जगह एक कमरा होटेल वालों को खाली रखना पड़ता था। उसकी मर्जी जहाँ रुके और ऐय्याशी भी उसने काफी शुरू कर दी थी। सेक्स के साथ-साथ वो सैडिस्ट भी था।

इसलिए और सब उससे डरते थे।


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तान्या पे भी उसकी नजर थी और वो बोलकर गया था की अगली बार वो होटल में आया तो रात उसे उसके साथ ही गुजारनी पड़ेगी। होटल के मैनेजर को उसने बोला था-

“आपकी लड़की शाम को चार बजे लहुराबीर कोचिंग के लिए जाती है…”



स्वीट डिश में रबड़ी, गुलाब जामुन, लेकिन गुलाब जामुन के चारों ओर बूंदी लगी थी। मीठी बूंदी।



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हमने स्वीट डिश शुरू ही किया था की मेरा फोन बजा, लेकिन कोई नंबर नहीं। मैंने फिर ध्यान से देखा तो लिखा था- “प्राइवेट नम्बर…”



अचानक मुझे ध्यान आया, डी॰बी॰ का नंबर। मुझे एस॰एम॰एस॰ किया था की कोई खास बात होगी तो मुझे वो इस नम्बर से रिंग करेगा। मैंने फोन उठाया।



डी॰बी॰ की आवाज बड़ी सीरियस थी, बोले - “टीवी देख रहे हो?”



मैं- “हाँ…” टीवी पर गाना आ रहा था हंटर वाला-

आई आम अ हंटर एंड शी वांट तो सी माई गन।

व्हेन आई पुल इट आउट द वोमन स्टार्ट टू रन

ऊ ऊ।

आवाज उनके फोन पे जा रही होगी।



डी॰बी॰बोले “अरे लोकल चेंनेल लगाओ न्यूज…”
Woww looks like a new twist. Waiting for next update.
 
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