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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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भाग ३१ ---चू दे कन्या विद्यालय- प्रवेश और गुड्डी के आनंद बाबू पृष्ठ ३५४

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Shetan

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गुन्जा- बाम्ब
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अब ?




एक मोटा सा ताला लटक रहा था, दरवाजा बंद और दरवाजे के उस पार गुंजा और उस की साथ की दर्जा नौ की दो लड़कियां।

बॉम्ब और टिक टिक करता समय, और धक् धक कर रहा दिल,



गुड्डी ने साफ़ कहा था, ये दरवाजा खुला ही रहता है, लेकिन अब और टाइम ज्यादा बचा नहीं था। पुलिस का आपरेशन शरू ही होने वाला था ,

तब तक मैंने देखा मोबाइल का नेटवर्क चला गया। लाइट भी चली गई। अन्दर कमरें में घुप्प अन्धेरा छा गया। लाउडस्पीकर पर जोर से चुम्मन की माँ की आवाज आने लगी- “खुदा के लिये इन लड़कियों को छोड़ दो। इन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? अल्लाह तुम्हारा गुनाह माफ कर देंगें। पुलिस के साहब लोग भी। बाहर आ जाओ…”

प्लान दो शुरू हो चुका था। 17 मिनट हो गये थे। मेरे पास सिर्फ 8 मिनट थे।


मैंने गुड्डी की चिमटी निकाली और ताला खोलकर हल्के से दरवाजा खोल दिया, थोड़ा सा।

घुप्प अन्धेरा।

ट्रेनिंग में लॉक पिक करने के कम्टीशन में मैं हमेशा टॉप थ्री मेन रहता था और उसमें भी जब आँख पर पट्टी बंद के लॉक पिक से ताला खोलना हो, सिर्फ हल्की सी आवाज पहचान के, और हमेशा डेढ़ मिनट से कम समय में। और अब गुड्डी की चिमटी काम आयी,

लेकिन अभी भी ध्यान रखना था आवाज जरा भी नहीं हो, कहीं लड़कियां उचक गयीं और बॉम्ब एक्सप्लोड हो गया था उन दुष्टों को अंदाजा लग गया,



ताले का रहस्य मैं समझ गया था, ये चुम्मन का काम नहीं था। गुंजा का स्कूल तो बंद ही हो गया था होली की छुट्टी के लिए तो चौकीदार ने सारे कमरों में हर दरवाजे पे ताला लगा दिया होगा, हाँ इस कमरे में एक्स्ट्रा क्लास होनी थी तो सामने का मेन दरवाजा खोल दिया होगा।



थोड़ी देर में मेरी आँखें अन्धेरे की आदी हो गई।

एक बेन्च पे तीन लड़कियां, सिकुड़ी सहमी, गुन्जा की फ्राक मैंने पहचान ली। गुन्जा बीच में थी।

बेन्च के ठीक नीचे था बाम्ब। बिजली की हल्की सी रोशनी जल बुझ रही थी। कोई तार किसी लड़की से नहीं बन्धा था।

फर्श पर करीब करीब क्रॉल करते हुए मैं एकदम बॉम्ब के पास पहुँच गया था और बॉम्ब डिस्पोजल का मैं एक्सपर्ट नहीं था लेकिन दो तीन बातें साफ़ थी और दो तीन बातें साफ़ नहीं थीं।

एक तो इसमें कोई टाइमर नहीं था, यानी जैसा फिल्मो में दिखाते हैं वैसा कुछ नहीं था।


लेकिन डिटोनेशन का तरीका साफ़ नहीं लग रहा था एक तो साफ़ था की ये रिमोट ऑपरेटेड होगा, लेकिन साथ में ये प्रेशर ऑपरेटेड भी हो सकता है। बॉम्ब से जुड़ा तार किसी लड़की से नहीं बंधा था यानी किसी लड़की के हिलने डुलने से बॉम्ब एक्सप्लोड होगा ये नहीं था लेकिन बॉम्ब का संबंध बेंच से जिसपर तीनो लड़कियां थीं, उससे था। तो अगर प्रेशर में ज्यादा चेंज आया तो हो सकता है ये एक्सप्लोड करे, और जैसे ही कोई लड़की बेंच से अगर तेजी से या झटके से उठें तो ये फट जाए,



तीनो लड़कियां खिड़की के पास थीं, और मुझे लग रहा था की पुलिस का आपरेशन अब उसी खिड़की से ही लांच होगा, टीयर गैस या स्टन ग्रेनेड या ऐसा ही कुछ और फिर पुलिस कमांडो के बाद ही बॉम्ब डिस्पोजल वाले अंदर घुसेंगे जब साइट सिक्योर हो जायेगी, पर उस के पहले ही अगर बॉम्ब एक्सप्लोड हो गया, लड़कियां झटके से उठीं या बेहोश हो के गिर गयीं,.... या चुम्मन ने ही रिमोट से बॉम्ब एक्सप्लोड कर दिया

मैं,.... ये रिस्क नहीं ले सकता था



आपरेशन के पहले इन तीनो को यहाँ से हटाना था और बहुत जरूरी था।

दीवाल के पास एक आदमी खड़ा था जो कभी लड़कियों की ओर, कभी दरवाजे की ओर देखता।

बाहर लाउडस्पीकर पर आवाज और तेज हो गई थी। कभी चुम्मन की माँ की आवाज,.... कभी पुलिस की मेगाफोन पे वार्निग।

उस आदमी का ध्यान अब पूरी तरह बाहर से आती आवाजों पे था।



जमीन पर क्राल करते समय मुझे ये भी सावधानी रखनी पड़ रही थी की जो एक छोटा सा पिन्जड़ा मेरे पास था, वो जमीन से ना टकराये। उसमें दो मोटे-मोटे चूहे थे।

अब मैं उंकड़ू बैठ गया, एक खम्भे के पीछे जहाँ से उन तीनो लड़कियों को मैं बहुत अच्छी तरह से देख सकता था।



गुंजा साफ़ दिख रही थी,डरी सहमी, एकदम छाया की तरह, दोनों लड़कियों के बीच में, लेकिन तब भी वो बाकी दोनों लड़कियों से ज्यादा हिम्मत दिखा रही थी।


कभी हिम्मत बढ़ाने के लिए उन दोनों के हाथों को पकड़ लेती, दबा देती, लेकिन उस को भी उस बम्ब का अहसास बड़ी शिद्दत के साथ था और बचने की उम्मीद कहीं से नजर नहीं आ रही थी।

लेकिन उसके बगल में बैठी दोनों लड़कियों की हालत और ज्यादा खराब थी। दायीं ओर बैठी लड़की, एकदम टिपिकल पंजाबी कुड़ी, शायद महक होगी, दर्जा चार से गुंजा के साथ पढ़ने वाली और दूसरी ओर जो थी, वो डर से एकदम सफ़ेद हो गयी थी, पत्ते की तरह काँप रही थी, शायद क्या पक्का शाजिया, अभी कुछ देर पहले जो होली की मस्ती में अकेले कुछ देर पहले पूरे क्लास से टक्कर ले रही थी, गन्दी वाली गाली देने में गुंजा के मुताबिक़ उसके टक्कर का कोई नहीं, लेकिन अभी देख कर के लग रहा था की अब बेहोश हुयी की तब।

टाइम बहुत नहीं था।

सबसे पहले गुन्जा ने मुझे देखा।

गुंजा के चेहरे का रंग एकदम बदल गया। ख़ुशी से वो परीचेहरा चेहरा फिर से सुर्खरू हो गयी, जैसे पतझड़ की जगह सीधे बसंत आ गया। जहाँ एकदम निराशा थी, वहां उम्मीद का तालाब लहलहाने लगा। वो हलके से मुस्करायी। वही किशोर शरारत जो सुबह मिर्चों से भरे ब्रेड रोल खिलाते समय थी

वो चीखती उसके पहले मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और उंगली से समझाया की बाकी दोनों लड़कियों को भी समझा दे की पहले की तरह बैठी रहें रियेक्ट ना करें।

बॉम्ब को अब मैं करीब करीब समझ गया था । मैं उससे बस दो फीट दूर था। एक चीज मैं तुरन्त समझ गया की इसमें कोई टाईमर डिवाइस नहीं है। ना तो घड़ी की टिक-टिक थी ना वो सर्किटरी। तो सिर्फ ये हो सकता है की किसी तार से इसे बेन्च से बान्धा हो और जैसे ही बेन्च पर से वजन झटके से कम हो। बाम्ब ऐक्टिवेट हो जाय।
Excellent kya jan leva update diya hai Komalji. Man gae aap ko. Aaj hi mene aap ke us content par mahenat vale comment par jawab diya hai. Aap amezing ho. Content par aap ki mahenat zalakti hai.

Pahele to us bomb ki ho bat kar leti hu. Us bomb me ghadi nahi hai. Matlab vo timer nahi hai. Halaki pressure bomb ho sakta hai. Aate jate mene ese kai classes lecture sune hai. Halaki me foj ka hissa nahi hu. Par foji ki biwi to hu. Ise IED kahte hai. Improvised explosive device. Matlab ki apne hatho se banaya fatne vala device. Muje itna hi samazaya unhone.

Anand babu jis tarah andar ghuse aur gunja tak pahoche maza aa gaya. Esa lag raha hai ki kisi movie ko dekh rahi hu. Tala kholne vala consept to kabile taif tha. Teeno ladkiya bech par bethi hui hai. Niche IED lagi hui hai. Jo kesariya remote se opret hai. Gunja to gunja hai. Akhir vo guddi ki bahen jo hai. Anand babu ko mirch vala bred roll yaad aa gaya. Vese to vo khud bomb hai. Jab vo fategi tab pata chalega. Maza aa gaya is update me to.

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Shetan

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डाइवर्ज़न- रिजक्यू

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बहुत मुश्किल था।

मैं खिड़की से चिपक के खड़ा था। कोई डाइवर्ज़न क्रियेट करना होगा। मैंने गुन्जा को इशारे से समझा दिया। मेरे जेब में पायल पड़ी थी, जो सुबह गुड्डी और रीत ने मुझे पहनायी थी और घर से निकलते समय भी नहीं उतारने दिया था। बाजार में पहुँचकर मैंने वो अपनी जेब में रख ली थी।


चूहे के पिंजरे से मैंने पनीर का एक टुकड़ा निकाला और पायल में लपेट के, पूरी ताकत से बाहर की ओर अधखुले दरवाजे की ओर फेंका। झन्न की आवाज हुई। दरवाजे से लड़कर पायल अधखुले दरवाजे के बाहर जा गिरी- “झन-झन-झन…”

“कौन है?” वो आदमी चिल्लाया और बाहर दरवाजे की ओर लपका जिधर से पायल की आवाज आई थी।


इतना डायवर्ज़न काफी था।

मैंने गुन्जा को पहले ही इशारा कर रखा था।

उसके दायीं ओर वाली लड़की को पहले उठकर मेरे पास आना था। वो झटके से उठकर मेरे पास आई। एक पल के लिये मेरे दिल कि धड़कन रुक सी गई थी।

कहीं बाम्ब,.... लेकिन कुछ नहीं हुआ।



और जब वो मेरे पास आई तो मेरे दिल की धड़कन दो पल के लिये रुक गई।

महक,… लम्बी, गोरी, सुरू के पेड़ जैसी छरहरी और सबसे बढ़कर उसकी फिगर।

लेकिन अभी उसका टाईम नहीं था। मैंने उसके कान में फुसफुसाया-

“दिवाल से सटकर जाना पीछे वाले दरवाजे पे। इसके बाद गुन्जा के बगल की दूसरी लड़की को मैं उठाऊँगा। तुम दरवाजे पे उस लड़की का इंतेजार करना और पीछे वाली सीढ़ी से…”

महक को सीढ़ी का रास्ता मालूम था। उसने मुझे आँखों में अश्योर किया और दीवाल से सटे-सटे बाहर की ओर।

मैं डर रहा था की जब वो दरवाजे से बाहर निकले तब कहीं कोई आवाज ना हो?

खतरा दरवाजे के पास खड़े आदमी से था, निश्चित रूप से मैनेजमेंट में वो थोड़े नीचे लेवल का था और चुम्मन ने उसे इन लड़कियों का ध्यान रखने के लिए बोला होगा, लेकिन अगर उसे महक के दरवाजा खोलने की आवाज भी सुनाई पड़ी और उसने बेंच की ओर देखा तो फिर सब काम गड़बड़ हो जाएगा।



नीचे से अनाउंसमेंट और तेज हो गए थे, कभी पुलिस की आवाज आती कभी चुम्मन की माँ की, और उस आदमी का ध्यान उन आवाजों की ओर,



और मेर ध्यान कभी उसकी ओर कभी महक की ओर, मुझे गुड्डी की बात का अंदाजा था की चुम्मन और उसका चमचा चूहे से डरते हैं

और मैंने एक चूहा छोड़ दिया।

वो आदमी दरवाजे के बाहर खड़ा था, पनीर का टुकड़ा उसके पैरों के पास, …और पल भर में चूहा वहीं।
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वो जोर से उछला- “चूहा…”



और महक,…. दरवाजे के पार हो गई।


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बाहर से लाउडस्पीकर की आवाजें बन्द हो गई थी और अब फायर ब्रिगेड वाले वाटर कैनन छोड़ रहे थे।

बन्द होने पर भी कुछ पानी बाहर के बरामदे में आ रहा था।

वो आदमी फिर बेचैन होकर बाहर की ओर गया और फिर.

डाइवर्जन और रिजक्यू का जो तरीका एक बार चल गया था, दुबारा फिर से वही, और बाहर के अनाउंसमेंट, वाटर कैनन के चक्कर मे चौकीदारी कर रहे चमचे के दिमाग में कुछ नहीं घुस पा रहा था।


और फिर से

पायल, पनीर का टुकड़ा और चूहा।

और अबकी चूहे ने उसे काट लिया।

वो चीखा और अब दूसरी लड़की दिवार से सटकर बाहर की ओर।



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चूहे हमेशा दिवार से सटकर चलते हैं और अंधेरे में देख सकते हैं। जो चूहे मैं लाया था इनके दांत बड़े तीखे होते हैं। ये बात उस आदमी को भी मालूम थी और वो दीवार के नजदीक नहीं आ सकता था। लेकिन अब मामला फँस गया।



अभी तक बेन्च पे कम से कम गुन्जा का वजन था। लेकिन उसके हटने के बाद,....?

मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था, एक तो टाइम बहुत तेजी से भाग रहा था, दूसरे बाकी दोनों लड़कियों के हटने के बाद सब प्रेशर गुंजा का था बेंच पर और अगर यह प्रेशर ऐक्टिवेटेड बॉम्ब है तो गुंजा के हटते ही पक्का बॉम्ब एक्क्सपलोड होगा और गुंजा मैक्सिमम रिस्क पर होगी,....

लेकिन और कोई चारा नहीं था,



वो चमचा जैसे ही अंदर आता देखता की दो लड़कियां गायब हैं वो चुम्मन को खबर करता और फिर रिमोट और बॉम्ब,....

और एक और परेशानी बची थी डाइवर्जन, पनीर, पायल चूहा अब कुछ नहीं था और बार बार चल भी नहीं सकता था।



दो लड़कियां तो बच के कमरे के बाहर निकल गयी थीं, और सीढ़ी वाले दरवाजे के पास होंगी,.... लेकिन गुंजा अभी भी खतरे में थीं।

वो आदमी अब और एलर्ट होकर अन्दर की ओर देख रहा था। जैसे ही वो रियलाईज करता की दो लड़कियां गायब हैं, तो मेरे लिये मुश्किलें टूट पड़ती।

क्या करूं? क्या करूं? मैं सोच रहा था। तब तक जोरदार आवाज हुई- “बूम। बूम…”

मैं समझ गया ये डमी ग्रेनेड है। धुआँ और आवाज। लेकिन उसने बरामदे में शीशा तोड़ दिया था और उसी के रास्ते वाटर कैनन का पानी।

गुंजा बस टिकी बैठी थी और अब दुबारा मौका नहीं मिलने वाला था।

मेरे इशारे के पहले ही, वो मेरी ओर कूद पड़ी।


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और मैं स्लिप के फील्डर की तरह पहले से तैयार। मैंने उसे कैच किया और उसी के साथ रोल करते हुये जमीन पर दरवाजे की ओर।



बाम्ब नहीं फूटा।

लेकिन एक दूसरा धमाका हो गया।
Kya bat hai Komalji. Kafi shansae update. Anand babu to anand babu nikle. Chuhe se chumban aur uska chamcha darta hai. To chuha kyo lekar gae. Ye to pata tha. Par Reet ne jo payal pahenai thi. Vo bhi kam aa jaegi. Ye nahi socha tha. Sayad bomb hi dami hoga. Mahak aur uske bad dusri ladki ko kya khubsurti se bahar nikala. Aur gunja ke time risk le liya. Bahar se aa rahi sari aavaj dushman ka dhyan bhatkane ke lie kafi thi. Par sahi tarike se gunja ko bhi nikala. Magar bomb kyo nahi fata.

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