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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग ३२ - आपरेशन गुंजा + + पृष्ठ ३५९

अपडेट पोस्टेड,
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Aliyaa3467

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Kya bat hai Komalji. Kafi shansae update. Anand babu to anand babu nikle. Chuhe se chumban aur uska chamcha darta hai. To chuha kyo lekar gae. Ye to pata tha. Par Reet ne jo payal pahenai thi. Vo bhi kam aa jaegi. Ye nahi socha tha. Sayad bomb hi dami hoga. Mahak aur uske bad dusri ladki ko kya khubsurti se bahar nikala. Aur gunja ke time risk le liya. Bahar se aa rahi sari aavaj dushman ka dhyan bhatkane ke lie kafi thi. Par sahi tarike se gunja ko bhi nikala. Magar bomb kyo nahi fata.

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Awesome story
 

Aliyaa3467

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1. बनारस की शाम ( पूर्वाभास कुछ झलकियां )

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हम स्टेशन से बाहर निकल आये थे। मेरी चोर निगाहें छुप छुप के उसके उभार पे,... और मुझे देखकर हल्की सी मुस्कराहट के साथ गुड्डी ने दुपट्टा और ऊपर एकदम गले से चिपका लिया और मेरी ओर सरक आई ओर बोली, खुश।


“एकदम…” और मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर अपनी ओर खींच लिया।

“हटो ना। देखो ना लोग देख रहे हैं…” गुड्डी झिझक के बोली।

“अरे लोग जलते हैं। तो जलने दो ना। जलते हैं और ललचाते भी हैं…” मैंने अपनी पकड़ और कसकर कर ली।

“किससे जलते हैं…” बिना हटे मुस्करा के गुड्डी बोली।

“मुझ से जलते हैं की कितनी सेक्सी, खूबसूरत, हसीन…”

मेरी बात काटकर तिरछी निगाहों से देख के वो बोली- “इत्ता मस्का लगाने की कोई जरूरत नहीं…”

“और ललचाते तुम्हारे…” मैंने उसके दुपट्टे से बाहर निकले किशोर उभारों की ओर इशारा किया।

“धत्त। दुष्ट…” और उसने अपने दुपट्टे को नीचे करने की कोशिश की पर मैंने मना कर दिया।

“तुम भी ना,… चलो तुम भी क्या याद करोगे। लोग तुम्हें सीधा समझते हैं…” मुश्कुराकर गुड्डी बोली ओर दुपट्टा उसने और गले से सटा लिया।

“मुझसे पूछें तो मैं बताऊँ की कैसे जलेबी ऐसे सीधे हैं…” और मुझे देखकर इतरा के मुस्करा दी।



“तुम्हारे मम्मी पापा तो…”

मेरी बात काटकर वो बोली- “हाँ सच में स्टेशन पे तो तुमने। मम्मी पापा दोनों ही ना। सच में कोई तुम्हारी तारीफ करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है…” और उसने मेरा हाथ कसकर दबा दिय

“सच्ची?”

“सच्ची। लेकिन रिक्शा करो या ऐसे ही घर तक ले चलोगे?” वो हँसकर बोली।



चारों ओर होली का माहौल था। रंग गुलाल की दुकानें सजी थी। खरीदने वाले पटे पड़ रहे थे। जगह-जगह होली के गाने बज रहे थे। कहीं कहीं जोगीड़ा वाले गाने। कहीं रंग लगे कपड़े पहने। तब तक हमारा रिक्शा एक मेडिकल स्टोर के सामने से गुजरा ओर वो चीखी- “रोको रोको…”

“क्यों कया हुआ, कुछ दवा लेनी है क्या?” मैंने सोच में पड़ के पूछा।

“हर चीज आपको बतानी जरूरी है क्या?”उस सारंग नयनी ने हड़का के कहा।

वो आगे आगे मैं पीछे-पीछे।

“एक पैकेट माला-डी और एक पैकेट आई-पिल…” मेरे पर्स से निकालकर उसने 100 की नोट पकड़ा दी।


रिक्शे पे बैठकर हिम्मत करके मैंने पूछा- “ये…”

“तुम्हारी बहन के लिए है जिसका आज गुणगान हो रहा था। क्या पता होली में तुम्हारा मन उसपे मचल उठे। तुम ना बुद्धू ही हो, बुद्धू ही रहोगे…” फिर मेरे गाल पे कसकर चिकोटी काटकर उस ने हड़का के कहा।

फिर मेरे गाल पे कसकर चिकोटी काटकर वो बोली-

“तुमसे बताया तो था ना की आज मेरा लास्ट डे है। तो क्या पता। कल किसी की लाटरी निकल जाए…”



मेरे ऊपर तो जैसे किसी ने एक बाल्टी गुलाबी रंग डाल दिया हो, हजारों पिचकारियां चल पड़ी हों साथ-साथ। मैं कुछ बोलता उसके पहले वो रिक्शे वाले से बोल रही थी- “अरे भैया बाएं बाएं। हाँ वहीं गली के सामने बस यहीं रोक दो। चलो उतरो…”

गली के अन्दर पान की दुकान। तब मुझे याद आया जो चंदा भाभी ने बोला था। दुकान तो छोटी सी थी। लेकिन कई लोग। रंगीन मिजाज से बनारस के रसिये। लेकिन वो आई बढ़कर सामने। दो जोड़ी स्पेशल पान।

पान वाले ने मुझे देखा ओर मुश्कुराकर पूछा- “सिंगल पावर या फुल पावर?”

मेरे कुछ समझ में नहीं आया, मैंने हड़बड़ा के बोल दिया- “फुल पावर…”

वो मुश्कुरा रही थी ओर मुझ से बोली- “अरे मीठे पान के लिए भी तो बोल दो। एक…”

“लेकिन मैं तो खाता नहीं…” मैंने फिर फुसफुसा के बोला।

पान वाला सिर हिला हिला के पान लगाने में मस्त था। उसने मेरी ओर देखा तो गुड्डी ने मेरा कहा अनसुना करके बोल दिया- “मीठा पान दो…”

“दो। मतलब?” मैंने फिर गुड्डी से बोला।
वो मुश्कुराकर बोली- “घर पहुँचकर बताऊँगी की तुम खाते हो की नहीं?”

मेरे पर्स से निकालकर उसने 500 की नोट पकड़ा दी। जब चेंज मैंने ली तो मेरे हाथ से उसने ले लिया और पर्स में रख लिया। रिक्शे पे बैठकर मैंने उसे याद दिलाया की भाभी ने वो गुलाब जामुन के लिए भी बोला था।


“याद है मुझे गोदौलिया जाना पड़ेगा, भइया थोड़ा आगे मोड़ना…” रिक्शे वाले से वो बोली।

“हे सुन यार ये चन्दा भाभी ना। मुझे लगता है की लाइन मारती हैं मुझपे…” मैं बोला।



हँसकर वो बोली-


“जैसे तुम कामदेव के अवतार हो। गनीमत मानो की मैंने थोड़ी सी लिफ्ट दे दी। वरना…”

मेरे कंधे हाथ रखकर मेरे कान में बोली- “लाइन मारती हैं तो दे दो ना। अरे यार ससुराल में आये हो तो ससुराल वालियों पे तेरा पूरा हक बनता है। वैसे तुम अपने मायके वाली से भी चक्कर चलाना चाहो तो मुझे कोई ऐतराज नहीं है…”

“लेकिन तुम। मेरा तुम्हारे सिवाय किसी और से…”

“मालूम है मुझे। बुद्धूराम तुम्हारे दिल में क्या है? यार हाथी घूमे गाँव-गाँव जिसका हाथी उसका नाम। तो रहोगे तो तुम मेरे ही। किसी से कुछ। थोड़ा बहुत। बस दिल मत दे देना…”

“वो तो मेरे पास है ही नहीं कब से तुमको दे दिया…”

“ठीक किया। तुमसे कोई चीज संभलती तो है नहीं। तो मेरी चीज है मैं संभाल के रखूंगी। तुम्हारी सब चीजें अच्छी हैं सिवाय दो बातों के…” गुड्डी, टिपिकल गुड्डी

तब तक मिठाई की दुकान आ गई थी ओर हम रिक्शे से उतर गए।

“गुलाब जामुन एक किलो…” मैंने बोला।

“स्पेशल वाले…” मेरे कान में वो फुसफुसाई।

“स्पेशल वाले…” मैंने फिर से दुकानदार से कहा।

“तो ऐसा बोलिए ना। लेकिन रेट डबल है…” वो बोला।

“हाँ ठीक है…” फिर मैंने मुड़कर गुड्डी से पूछा- “हे एक किलो चन्दा भाभी के लिए भी ले लें क्या?”

“नेकी और पूछ पूछ…” वो मुश्कुराई।

“एक किलो और। अलग अलग पैकेट में…” मैं बोला।

पैकेट मैंने पकड़े और पैसे उसने दिए। लेकिन मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पा रहा था-

“हे तुमने बताया नहीं की स्पेशल क्या? क्या खास बात है बताओ ना…”



“सब चीजें बताना जरूरी है तुमको। इसलिए तो कहती हूँ तुम्हारे अंदर दो बातें बस गड़बड़ हैं। बुद्धू हो और अनाड़ी हो। अरे पागल। होली में स्पेशल का क्या मतलब होगा, वो भी बनारस में…”
बनारसी बाला ने मुस्कराते हुए भेद खोला।


सामने जोगीरा चल रहा था। एक लड़का लड़कियों के कपड़े पहने और उसके साथ।

रास्ता रुक गया था। वो भी रुक के देखने लगी। और मैं भी।



जोगीरा सा रा सा रा। और साथ में सब लोग बोल रहे थे जोगीरा सारा रा।

तनी धीरे-धीरे डाला होली में। तनी धीरे-धीरे डाला होली में।
So nice story
 

komaalrani

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१०० वां भाग

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में का १०० वां भाग पोस्टेड, पृष्ठ १०३५


भाग १०० - ननद की बिदायी

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komaalrani

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उफ्फ कोमल जी

सांस रोक देने वाला अपडेट और एक - एक बारीकी बड़े ही शानदार तरीके से गढ़ी गई है।

अब तो अगले अपडेट का और भी शिद्दत से इंतजार रहेगा।

सादर
बहुत बहुत आभार

छुटकी की कहानी में सौवां भाग अभी पोस्ट किया, जल्द ही अपडेट यहाँ भी आएगा और एक्शन थ्रिल से भरपूर,

आनंद बाबू ने कैसे अपनी छोटी साली, नौवें में पढ़ने वाली गुंजा के साथ उसकी दो सहेलियों को बचाया, वो भी एकदम बाल बाल बस बहुत जल्द

दोनों ही कहानियों पर आपके कमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी
 

komaalrani

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Wah Komalji wah. Aap ne to hame full excited kar diya. Ese mouke pe bhi guddi Anand babu ko chhed rahi hai. Anand babu ne jo saman manga vo non little weapon bana rahe hai. Akhir unki trening ka hissa hai. Aur ghusne ke lie sahi rasta dhudh rahe hai. Jo unhe bathroom se hokar mila. Dekhte hai ab action kesa hoga. Me bahot excited hu. Love it. Bahot maza aa raha hai.

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गुड्डी का तो काम ही है छेड़ना, और हक भी है पूरा। और हाँ छुटकी में भी सौवां भाग पोस्ट हो गया है ,
 

komaalrani

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एक बार फिर से अद्भुत लेखनी । आनंद द्वारा गुंजा और उसकी दो सहेलियों के रेस्क्यू आपरेशन का जो वर्णन आप ने किया है वह बहुत बहुत ही शानदार है ।

इन लड़कियों का रेस्क्यू के दौरान आनंद ने चुम्मन और उसके लोगों को जिस तरह भ्रमित करने का काम किया , मतलब जिस तरह उनका ध्यान डाइवर्ट किया वह एक अत्यंत ही काबिल पुलिस आफिसर या फिर सेना का कोई कमांडो ही कर सकता है । वैसे आनंद भी सेना का ही जवान है लेकिन यह याद रखनी चाहिए कि वह अभी सिर्फ ट्रेनिंग मात्र किया है , किसी आपरेशन मे शामिल नही हुआ है ।

यह वास्तव मे अकल्पनीय था । हम सोच भी नही सकते थे कि आनंद ने सिर्फ एक पायल , चंद पनीर के टुकड़े , औरतों के चूल मे प्रयोग होने वाले पिन , चूड़ियां और चूहे की सहायता से न केवल इन्हे भ्रमित किया बल्कि चुम्मन को घायल भी कर दिया । न कोई गोला - बारूद और न कोई हथियार ; औरतों के श्रृंगार के सामानों से इन्हे मात दे दिया । यह करिश्मा नही था तो फिर क्या है !
इस पुरे रेस्क्यू आपरेशन के दरम्यान आनंद ने जिस तरह टाइमिंग का ख्याल रखा और जिस तरह से प्लान का एक्जीक्यूशन किया और जिस खुबसूरती के साथ आपने इस पुरे परिदृश्य को प्रस्तुत किया वह आप की लेखन कला को उजागर करता है ।

कहते हैं जब रीडर्स खुद को सस्पेंस , तनाव और डर की गहराई मे डुबो दे , दिल की धड़कने तेज हो जाए , रीढ़ की हड्डी मे सिहरन पैदा हो जाए तब राइटर को अपनी तपस्या का फल प्राप्त हो जाता है । अर्थात राइटर शत प्रतिशत अंक से पास कर गया ।

बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
जगमग जगमग अपडेट ।
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। आप ऐसे समीक्षक की उपस्थिति ही दिल को खुश कर देती है

लेकिन एक छोटा सा स्पष्टीकरण, इस कहानी में बहुत सी बातें, खास तौर से आनंद बाबू के बारे में क्ल्यु के तौर पे हैं और उसमे उनकी नौकरी भी शामिल है, आपने कहा की,' अत्यंत काबिल पुलिस आफिसर या सेना का कमांडो'

लेकिन कई क्ल्यु हैं जैसे सिकंदराबाद की नेशनल पुलिस अकादमी का जिक्र कई बार आया है, सेलेक्शन के समय धौलपुर हाउस में इंटरव्यू का जिक्र आया और ये भी की पहले अटेम्प्ट में सेलेक्शन हो गया और यू पी काडर मिला है और सिद्द्की ने भी थानेदार को बोला की कुछ दिन में ट्रेनिंग ख़तम कर के यही आ जाएंगे

और भी इस तरह के छोटे मोटे क्ल्यु हैं, लेकिन वो एक छोटी सी बात है असली बात है इस एक्शन थ्रिल को आपने पसंद किया और बस जल्द ही अगले भाग में और ज्यादा एक्शन होगा

Pop Art Hello GIF by TaylorAnneDraws
 

komaalrani

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Excellent kya jan leva update diya hai Komalji. Man gae aap ko. Aaj hi mene aap ke us content par mahenat vale comment par jawab diya hai. Aap amezing ho. Content par aap ki mahenat zalakti hai.

Pahele to us bomb ki ho bat kar leti hu. Us bomb me ghadi nahi hai. Matlab vo timer nahi hai. Halaki pressure bomb ho sakta hai. Aate jate mene ese kai classes lecture sune hai. Halaki me foj ka hissa nahi hu. Par foji ki biwi to hu. Ise IED kahte hai. Improvised explosive device. Matlab ki apne hatho se banaya fatne vala device. Muje itna hi samazaya unhone.

Anand babu jis tarah andar ghuse aur gunja tak pahoche maza aa gaya. Esa lag raha hai ki kisi movie ko dekh rahi hu. Tala kholne vala consept to kabile taif tha. Teeno ladkiya bech par bethi hui hai. Niche IED lagi hui hai. Jo kesariya remote se opret hai. Gunja to gunja hai. Akhir vo guddi ki bahen jo hai. Anand babu ko mirch vala bred roll yaad aa gaya. Vese to vo khud bomb hai. Jab vo fategi tab pata chalega. Maza aa gaya is update me to.

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आपके कमेंट की पिक्चर भी किसी बॉम्ब से कम नहीं है
 

komaalrani

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Awesome story
Thanks and welcome to the thread
 

komaalrani

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