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Operation Saali Bachao in action.भाग ३१
चू दे कन्या विद्यालय- प्रवेश और
गुड्डी के आनंद बाबू
4,14,034
गुड्डी ने अपने पर्स, उर्फ जादू के पिटारे से कालिख की डिबिया जो बची खुची थी, दूबे भाभी ने उसे पकड़ा दी थी, और जो हम लोगों ने सेठजी के यहां से लिया था, निकाली और हम दोनों ने मिलकर। 4 मिनट गुजर गये थे। 11 मिनट बाकी थे।
मैंने पूछा- “तुम्हारे पास कोई चूड़ी है क्या?”
“पहनने का मन है क्या?” गुड्डी ने मुश्कुराकर पूछा और अपने बैग से हरी लाल चूड़ियां।
जो उसने और रीत ने मिलकर मुझे पहनायी थी।
सब मैंने ऊपर के पाकेट में रख ली। मैंने फिर मांगा-
“चिमटी और बाल में लगाने वाला कांटा…”
“तुमको ना लड़कियों का मेक-अप लगता है बहुत पसन्द आने लगा। वैसे एकदम ए-वन माल लग रहे थे जब मैंने और रीत ने सुबह तुम्हारा मेक अप किया था। चलो घर कल से तुम्हारी भाभी के साथ मिलकर वहां इसी ड्रेस में रखेंगें…”
ये कहते हुये गुड्डी ने चिमटी और कांटा निकालकर दे दिया।
मुझे अपनी एफबीआई के साथ एक महीने की क्वांटिको में ट्रेनिंग याद आ रही थी, जहाँ इन्वेस्टिगेशन के साथ पेन्ट्रेशन और कमांडो ट्रेनिंग का भी एक कोर्स था.
और पुलिस अकादेमी सिकंदराबाद में कई एक्साम्स क्लियर करने के बाद ये मौका मिला था और दो तीन बाते बड़ी काम की थी,
जैसे किसी भी चीज को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना, और जो चीजें चेक में पकड़ी न जाएँ, या ले जाने में आसान हो और सबसे बड़ी बात
उपलब्ध हों। मुझे कमांडो आपरेशन का सबसे बड़ा डर ये था की वो मैक्सिमम फ़ोर्स इस्तेमाल करते हैं जिससे कम समय में ज्यादा डैमेज हो उन्हें एंट्री मिल जाए। कई बार नॉन -लीथल फ़ोर्स जैसे टीयर गैस या स्टन ग्रेनेड्स भी लड़ने के बाद उनके शेल अच्छी खासी चोट पहुंचा देते हैं
और फिर अटैक होने के बाद चुम्मन और उसका चमचा कहीं बॉम्ब डिस्पोज कर दें,
मैं किसी भी कीमत पर गुंजा और उसकी सहेलियों को खरोच भी नहीं लगने देना चाहता था।
और उसके लिए परफेक्ट प्लानिंग और एक्जीक्यूशन जरूरी था और उसके साथ टाइम का ध्यान भी, क्योंकि सब कुछ डीबी के हाथ में नहीं था
एसटीफ स्टेट हेडक्वार्टस से उड़ चुकी थी और किसी भी पल बाबतपुर हवाई अड्डे पर उतरने वाली थी।
डीबी को उनके पहुंचने के पहले ही अपने पुलिस कमांडोज़ के आपरेशन को लांच करना था इसलिए एक एक मिनट का हिसाब करना था
लेकिन साथ में घबड़ाना भी नहीं था।
7 मिनट गुजर चुके थे, सिर्फ 8 मिनट बाकी थे।
निकलूं किधर से?
बाहर से निकलने का सवाल ही नहीं था, इस मेक-अप में?
सारा ऐड़वान्टेज खतम हो जाता। मैंने इधर-उधर देखा तो कमरे की खिड़की में छड़ थी, मुश्किल था। लेकिन उससे भी मुश्किल था, बाहर पुलिस वाले खड़े थे, कुछ मिलेट्री के कमांडो और दो एम्बुलेंस, बिना दिखे वहां से निकलना मुश्किल था, फिर कमरे में कभी भी कोई भी आ सकता था।
अटैच्ड बाथरूम।
मेरी चमकी, मेरी क्या, गुड्डी ने ही इशारा किया।
मैं आगे-आगे गुड्डी पीछे-पीछे। खिड़की में तिरछे शीशे लगे थे। मैंने एक-एक करके निकालने शुरू किये और गुड्डी ने एक-एक को सम्हाल कर रखना। जरा सी आवाज गड़बड़ कर सकती थी। 6-7 शीशे निकल गये और बाहर निकलने की जगह बन गई।
9 मिनट। सिर्फ 6 मिनट बाकी।
बाहर आवाजें कुछ कम हो गई थीं, लगता है उन लोगों ने भी कुछ डिसिजन ले लिया था।
गुड्डी ने खिड़की से देखकर इशारा किया। रास्ता साफ था। मैं तिरछे होकर बाथरूम की खिड़की से बाहर निकल आया। बाथरूम वैसे भी पीछे की तरफ था और उससे एकदम सट कर पी ए सी की एक खाली ट्रक खड़ी थी।
वो दरवाजा 350 मीटर दूर था। यानी ढाई मिनट।
चारो ओर सन्नाटा पसरा था, वो चूड़ा देवी स्कूल की साइड थी तो वैसे भी पुलिस का ज्यादा फोकस उधर नहीं था। ज्यादातर फ़ोर्स मेन गेट के पास या अगल बगल की बिल्डिंगो पर थी। कुछ एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जरूर वहां आ के पार्क हो गयीं थी। कुछ दूरी पर स्कूल के पुलिस के बैरिकेड लगे थे, जहाँ पी ए सी के जवान लगे थे।
वो तो प्लान मैंने अच्छी तरह देख लिया था, वरना दरवाजा कहीं नजर नहीं आ रहा था। सिर्फ पिक्चर के पोस्टर। नजर बचाता, चुपके चुपके दीवारों के सहारे मैं उस छुपे दरवाजे तक पहुंच गया था। गुड्डी ने न बताया होता तो किसी को शक नहीं हो सकता था की यहाँ पर दरवाजा है इतने पिक्चर के पोस्टर,
साथ में डाक्टर जैन की मर्दानी ताकत बढ़ाने वाली दवाओं और खानदानी शफाखाने के साथ बंगाली बाबा के इश्तहार चिपके थे। बाहर नाली बजबजा रही थी, उसके पास दो तीन पान की दूकान की गुमटियां और एक दो ठेले, लेकिन अभी सब बंद और खाली।
तभी वो हमारी मोबाईल का ड्राईवर दिखा, उसको मैंने बोला-
“तुम यहीं खड़े रहना और बस ये देखना कि दरवाजा खुला रहे…”
पास में कुछ पुलिस की एक टुकडी थी। ड्राइवर ने उन्हें हाथ से इशारा किया और वो वापस चले गये।
13 मिनट, सिर्फ दो मिनट बचे थे।
Nice update. Very very good operation.एडवांटेज टीम गुंजा
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लाइटर के बुझने से कमरे में एक बार फिर से अँधेरा था,
लेकिन तीनो लड़कियां अब कमरे के बाहर थीं और सीढ़ी के दरवाजे पर, लेकिन कमरे में मैं अभी भी फंसा था, चाक़ू का घाव मेरे दाएं हाथ में, काफी गहरा था, खून बह रहा था और वो अब एकदम मेरे बगल में आकर खड़ा था, मेरे लिए बचना तो छोड़िये, उठना मुश्किल था।
वो आदमी मेरे पास आ चुका था।
लाईटर बुझ चुका था,लेकिन उस अन्धेरे में भी उसने एक बड़ा चाकू जो निकाला, उसकी चमक साफ दिख रही थी।
वो आदमी-
“क्यों साले, किसका आशिक है तू? उस महक का। बुरचोदी, उसकी बहन तो बच गई ये नहीं बचने वाली मेरे हाथ से। या गुंजा का? अब स्वर्ग में जाकर मिलना महक से। घबड़ाना मत दो-चार महीने मजे लेकर उसे भी भेज दूंगा तेरे पास, ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा…”
और उसने चाकू ऊपर की ओर उठाया।
मैं जमीन पे गिरा था, उसके पैरों के पास।
गुड्डी से जो मैंने बाल वाला कांटा लिया था और उसने मजाक में मेरे बालों में खोंस दिया था,... मेरे हाथ में था।
खच्च। खच्च। खच्च। दो बार दायें पैर में एक बार बायें पैर में। जितनी मेरे हाथ में ताकत हो सकती थी, उतनी ताकत लगा के, बस यही मौका था बचने का।
वो आदमी लड़खड़ाकर गिर पड़ा।
उठते हुये मैंने उसके दायें हाथ की मेन आर्टरी में, पूरी ताकत से कांटा चुभोया और खून छल-छल बहने लगा।
निकलते-निकलते मैंने देखा कि एक मोबाइल फर्श पे गिरा है।
मैंने उसे तुरन्त उठा लिया और कमरे के बाहर।
उसी समय एक आँसू गैस का शेल खिड़की तोड़ता हुआ कमरे में।
20 मिनट हो चुका था।
मुझे 5 मिनट में बाहर निकलकर आल क्लियर का मेसेज देना था, वरना कमांडो अन्दर।
लेकिन ज्यादा तुरन्त की समस्या ये थी.... ये दोनों पीछा तो करेंगे ही कैसे उसे कम से कम 5-10 मिनट के लिये डिले किया जाय।
दरवाजा बन्द करके मैंने टूटा हुआ ताला उसमें लटका दिया- ऐडवांटेज एक मिनट।
मैंने गुड्डी से जो चूड़ियां ली थी, सीढ़ी की उल्टी डायरेक्शन में मैंने बिखरा दी और कुछ एक कमरे के सामने। अगर वो कन्फुज हुये तो- ऐडवांटेज दो मिनट।
मैं वापस दौड़ता हुआ सीढ़ी की ओर।
तीनों लड़कियां सीढ़ी के पार खड़ी थी।
महक ने बोला- “चलें नीचे?”
मैंने कहा- “अभी नहीं…” और सीढ़ी का दरवाजा बन्द कर दिया।
पीछे से जोर-जोर से दरवाजा खड़खड़ाने की आवाज आ रही थी।
मैंने बोला- “ये जो कापियों का बन्डल रखा है ना उसे उठा-उठाकर यहां रखो…”
वो बोली- “मेरा नाम महक है। महक दीप…”
मैंने कहा- “मुझे मालूम है। लेकिन प्लीज जरा जल्दी…” और जल्दी-जल्दी कापियों से जो बैरीकेडिंग हो सकती थी किया।
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Thanks so much, next part soonKya bat hai Komalji. Kafi shansae update. Anand babu to anand babu nikle. Chuhe se chumban aur uska chamcha darta hai. To chuha kyo lekar gae. Ye to pata tha. Par Reet ne jo payal pahenai thi. Vo bhi kam aa jaegi. Ye nahi socha tha. Sayad bomb hi dami hoga. Mahak aur uske bad dusri ladki ko kya khubsurti se bahar nikala. Aur gunja ke time risk le liya. Bahar se aa rahi sari aavaj dushman ka dhyan bhatkane ke lie kafi thi. Par sahi tarike se gunja ko bhi nikala. Magar bomb kyo nahi fata.
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ThanksThe Immortal , Siraj Patel , Adirshi
Ye mansik rup se pagal insaan yaha pe rayta faila raha hai . Eska kuchh elaaz Karo.
Wonderful comments and hot picsAmezing ....Amezing.... Amezing... Jitni bhi tarif karu kam hai. Kya update hai. Maza hi aa gaya. Gunja ko nikalne se pahele dusra gunda aa gaya. Beanch khali dekh kar bhadak gaya. Sale chumban ke sath hatha pai hui. Chaku gunja ko lagne nahi diya. Anand babu ne vo short apne par le lie. Jio mere hero. Jio Anand babu jiaa ho. Love it. Gunja ko bhi nikal hi diaa.
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Belated best wishes of Holi
Kya romanchit update hai. Maza aa gaya. Vah anamd babu wah. Sala chumban khud hi puchh raha hai. Ki kiska ashik hai. Are babu Anand babu to guddi ka ashik hai. Par jitni bhi baki hai vo khud hamare anand babu ki ashik hai. Kya action kiya anand babu ne. Ghayal hote hue bhi pin se. Amezing action. Aur mahek rani. Ek aur sali. Khud hi intro de diya handsome jija ko dekh kar. Amezing update.
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Thanks so muchOperation Saali Bachao in action.
Thanks next part soonNice update. Very very good operation.