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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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भाग २४१ - मस्ती पार्क में,


अपडेट पोस्ट हो गया है, पृष्ठ १४८४

कृपया पढ़ें, आनंद लें और लाइक और कमेंट जरूर करें
 
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motaalund

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डी॰बी॰
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मेरा मन अभी भी गुंजा में लगा था, मन मना रहा था वो घर पहुँच गयी हो, लेकिन चंदा भाभी से फोन करके पूछने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी। गुड्डी की हालत तो मुझसे भी ज्यादा, लेकिन वो हिम्मती थी ,

तीन साल बाद मैं डी॰बी॰ से मिल रहा था, क़द 5’11…” इंच, गेंहुआ रंग, हल्की मूंछे, छोटे-छोटे क्रू कट बाल, हाफ शर्ट, कुछ भी नहीं बदला था, वही कांफिडेंस, वही मुश्कान। तपाक से उसने हाथ मिलाया और पूछा- “हे तुम लोग इत्ते देर से आये हो बताया नहीं?

मैंने कहा- “बस अभी आये…”



तभी उसकी निगाह गुड्डी पे पड़ी, और वो झटके से उठकर खड़े हो गए । तुरंत उन्होंने नमस्ते किया।

उनकी देखा देखी बाकी आफिसर्स भी खड़े हो गए। हम ये जानने के लिए बेचैन थे की गुंजा उन तीन लड़कियों में है की नहीं। मैंने कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने हाथ के इशारे से मना कर दिया और किसी से बोला- “जरा ए॰एम॰ को बुलाओ…”


एक लम्बा चौड़ा पोलिस आफिसर आकर खड़ा हो गया। यूनिफार्म में, तीन स्टार लगे थे। डी॰बी॰ ने परिचय कराया-

“ये हैं। ए॰एम॰, अरिमर्दन सिंह। यहाँ के सी॰ओ॰, सारी चीजें इनकी फिंगर टिप्स पे हैं। यही सब सम्हाल रहे हैं। और ये हैं। …”

मुझे परिचय कराने के पहले ए॰एम॰ ने मुझसे हाथ मिला लिया और बोले- “अरे सर, हमें मालूम है सब आपके बारे में। आज चलिए एक्शन का भी एक्सपोजर हो जाएगा…”
डी॰बी॰ ने किसी से गुड्डी के लिए एक कुर्सी लाने को बोला। लेकिन मैंने मना कर दिया- “कोई रूम हो तो। इतने दिनों बाद हम मिले हैं तो…”

डी॰बी॰ ने बोला- “एकदम…”



हम लोग एक कमरे की ओर चल दिए, शायद सी॰ओ॰ का ही कमरा था।


कमरे में चार-पाँच कुर्सियां, मेज और एक छोटा सोफा था। घुसने से पहले डी॰बी॰ ने कहा- “मेरा जो भी काल हो ना। यहीं डाइवर्ट करना और अगर सी॰एस॰ (चीफ सेक्रेटरी) या सी॰एम॰ का फोन हो तो मोबाइल पे पैच करवा देना…”

अन्दर घुसते ही मैंने पहला काम ये किया की सारी खिड़कियां बंद कर दी और पर्दे भी खींच दिए और बाहर का दरवाजा बस ऐसे खोलकर रखा की अगर कोई दरवाजे के आस पास खड़ा हो तो दिखाई पड़े।



हम लोग ठीक से बैठे भी नहीं थे की डी॰बी॰ चालू हो गए-

“यू नो तीन बातें हैं। जो क्लियर नहीं हो रही हैं,अगर हम टेरर अटैक मानते हैं तो

पहली- आई॰बी॰ ने कोई वार्निंग नहीं दी। ये बात नहीं है की वो कभी सही वार्निंग देते हैं स्पेस्फिक। लेकिन कुछ जनरल उनको आइडिया रहता है। अगर वो गौहाटी में कहेंगे तो गुजरात वाले नार्मली जग जाते हैं। वैसे वो कभी लोकेशन सेपेस्फिक वार्निंग नहीं देते। लेकिन उन्हें जनरल हवा रहती है और ना हुआ तो कम से कम घटना के बाद वो मैदान में आ जाते हैं, कम से कम ये दिखाने के लिए की स्टेट पोलिस वाले कितने बेवकूफ हैं, खास तौर से अगर सरकार दूसरी पार्टी की हो और यहाँ सरकार दूसरी पार्टी की है। लेकिन अभी तक वो सिर खुजला रहे हैं। तुमको याद होगा समीर सिन्हा की?”


मैं- “हाँ जो हम लोगों से चार साल सीनियर थे, बिहार कैडर के। हास्टल में नाटक वाटक करवाते थे। जिन्होंने आई॰ए॰एस॰ लड़की से शादी की थी…” मुझे भी याद आया।



डी॰बी॰- “हाँ वही। वो लखनऊ में जवाइंट डायरेक्टर हैं आई॰बी॰ में, उनसे भी मैंने बात की थी, ना कोई ह्यूमन आई॰टी॰ (ह्युमन इंटेलिजेंस) ना कोई टेक्नीकल…” डी॰बी॰ ने बात आगे बढ़ाई।

“और?” मैंने हुंकारी भरने का योगदान दिया।

गुड्डी बेचैन हो रही थी।

ये सब ठीक है लेकिन गुंजा। उसकी आँखों में डर झलक रहा था।


सने मेरा हाथ कस के दबाया, और मैंने भी कस के दबा के अश्योर किया, बिन बोले, ; नहीं गुंजा नहीं हो सकती है। गुंजा कैसे सकती है, इतनी लड़कियां बच के निकल गयीं तो वो भी निकल गयी होगी। वो तो इत्ती प्यारी सी स्मार्ट, नहीं उसे कुछ नहीं हो सकता, मैं बस सोच रहा था और आँखे के आगे उस दर्जा नौ वाली शरीर लड़की की तस्वीर आ रही थी।

सुबह ब्रेड रोल में ढेर सारी मिर्चे भर के खिलाते,

जब कोई कपडे नहीं दे रहा था, गुंजा ने अपना बारमूडा और टॉप दिया,

जिस तरह से आँख नचा के वो गुड्डी को चिढ़ाते बोली थी, " दी को मैंने बोल दिया, पटाइये आप लेकिन मजे मैं लूंगी, और फुल टाइम, साली का हक पहले होता है "
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और अब मन मानने को नहीं कर रहा था की ऐसी मुसीबत में गुंजा फंस सकती है, लेकिन पुलिसिया दिमाग कह रहा था, कुछ भी हो सकता है , कुछ भी और हर हालत के लिए तैयार रहना चाहिए।

डी॰बी॰ कहीं बात कर रहे थे, उस फोन को रख के फिर हम अपनी बात बढ़ाई-

“दूसरी- पैंटर्न। ये एकदम गड़बड़ है। टेररिस्ट पागल नहीं होता। वो भी रिसोर्स इश्तेमाल करता है, जो बहुत मुश्किल से उसे मिलते हैं। इसलिए वो मैक्सिमम इम्पैक्ट के लिए ट्राई करेगा, जहाँ बहुत भीड़ भाड़ हो और नार्मली वो बाम्ब का इश्तेमाल करेगा, होस्टेज का नहीं। और होस्टेज का होगा तो डिमांड क्या होगी? अब तक सिर्फ कश्मीर में हिजबुल के लोग इस तरह की हरकत करते हैं। लेकिन वहां हालात एकदम अलग हैं। यूपी में जितने भी हमले हुए, वो सिर्फ बाम्ब से हुए। और ज्यादातर में कोई पकड़ा भी नहीं गया तो ये बात कुछ हजम नहीं होती…”
और मेरे दिमाग में भी अब वही बात गूँज रही थी, अगर टेरर अटैक नहीं है तो क्या है ? और मिडिया वाले तो सिर्फ टेरर चिल्ला रहे हैं।

सामने टीवी ऑन था और उस पर दिखा रहा था, इस के पहले भी बनारस में बॉम्ब के धमाके हो चुके हैं , मंदिर में, घाट पर, ट्रेन में और एक बार फिर, क्या वहां बम्ब है, क्या बम्ब फूटेगा, अगर फूटेगा तो क्या होगा उन लड़कियों का, पुलिस ने चुप्पी साध रखी है।

किसी ने चैनल चेंज कर दिया,

और वहां कोई और जोर से चीख रखा था,


कौन है जो आपकी होली को खून की होली में बदलना चाहता है
कौन है जिसे यह संस्कृति नहीं पसंद है

कोई है जो आपके पड़ोस में भी हो सकता है, आपके गली मोहल्ले में भी हो सकता है , बने रहिये सबसे तेज ख़बरों के लिए

तब तक डी॰बी॰ का फोन बजा, दशाश्वमेध थाने से रिपोर्ट थी- “बोट पुलिस ने सब घाट नदी की ओर से भी चेक कर लिए हैं। आल ओके…”

डी॰बी॰ ने घंटी बजायी।
नहीं गुंजा नहीं हो सकती है। गुंजा कैसे सकती है, इतनी लड़कियां बच के निकल गयीं तो वो भी निकल गयी होगी।
ये दिल भी उम्मीद के खिलाफ उम्मीद करता रहता है...
और चैनल वाले तो ये सब दिखा कर और हीं आतंक का माहौल बनाते हैं और उनकी सहायता कर रहे होते हैं..
 

motaalund

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समोसा


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चपरासी को उन्होंने 3 चाय के लिए बोला और मुझसे पूछा- “समोसा चलेगा। जलजोग का…”



मैंने बोला- “एकदम दौड़ेगा…”

गुड्डी ने मुझे आँख दिखाई- “कितना खाओगे?” लेकिन जलजोग का समोसा मैं नहीं मना कर सकता था।

डी॰बी॰- “हाँ तो। मैं क्या कह रहा था? हाँ तीसरी बात- उसका मोबाइल फोन। कोई टेररिस्ट मोबाइल पे बात नहीं करता। अगर करेगा तो अपने आका से करेगा, पोलिस से नहीं। एक बार उसने थाने पे यहीं रिंग किया और दूसरी बार अरिमर्दन से बात हुई, तब तक मैं भी यहाँ आ गया था। मोबाइल मतलब अपना सब अता पता बता देता है, तो इसलिए मुश्किल है ये सोचना की …”

मैंने बात बीच में रोक कर पूछा- “वो सिम कहाँ का है?”

डी॰बी॰- “यार क्या बच्चों जैसे। आज कल सिम का क्या? और वो तो पहली चीज इंस्पेक्टर भी देख लेता है। बक्सर के पास किसी जगह से ली गई थी, आधे घंटे में उसकी कुंडली भी आ जायेगी। लेकिन वो सब फर्जी मिलेगी। इतनी बात तो वो सोनी पे कौन सा सीरियल आता है?” डी॰बी॰ बोले।

अबकी बात काटने का काम गुड्डी ने किया। बड़े उत्साह से उसने अपने ज्ञान का परिचय दिया- “सी॰आई॰डी॰ मैं भी देखती हूँ…” वो चहक कर बोली।

डी॰बी॰ बोले- “वही तो मैं कह रहा था, बच्चों को भी ये सब चीजें मालूम होती हैं। सिम विम से क्या होगा?”

मैंने थोड़ी रिलीफ की सांस ली- “तो इसका मतलब की टेरर वेरर की बात…”

डी॰बी॰- “नहीं ऐसा कुछ नहीं है। कुछ कह नहीं सकते, मान लो निकल जाय कोई तो? प्रिकाशन तो लेनी पड़ेगी…” वो बोले- “और ये भी नहीं कह सकते की कोई गुंडा बदमाश है…”

मैं- “क्यों?” मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

डी॰बी॰- “तीन बातें हैं…”

ये तीन बातों का चक्कर उनका पुराना हास्टल के दिनों का था।

डी॰बी॰ ने फिर समझाना शुरू किया-


“देखो पहली बात आज कल नई-नई सरकार आई है अभी सेट होने में टाइम लगेगा सब कुछ, तो उस समय नार्मली ये सब एक्टिविटी स्लो रहती हैं। फिर आज कल बनारस में वैसे ही हम लोगों ने झाड़ू लगा रखी है। एक मोटा असामी था उसका पत्ता तुमने साफ करा दिया। फिर क्रिमिनल भी रिटर्न देखता है- ठेका हो, माइनिंग हो, प्रोटेक्शन हो। अब किडनैपिंग तक तो होती नहीं फिर ये होस्टेज वोस्टेज का चक्कर क्रिमिनल्स के बस का नहीं, ना उनका कोई फायदा है इसमें। आधी चीज तो मोटिव है, वो क्या होगी? फिर तुम जानते हो। ज्यादातर बड़े क्रिमिनल अब नहीं चाहते की फालतू का लफड़ा हो। उनकी असली कमाई तो अब सेमी-लीगल धंधों से होती है। कई ने तो थानों पे फोन करके बोला जैसे ही चैनेल पे खबर आई की उनका कोई लेना देना नहीं है इस इंसिडेंट से…”

तब तक चपरासी समोसा और चाय लेकर आ गया। गरम-गरम ताजा समोसे। डी॰बी॰ ने इन्सिस्ट किया की गुड्डी पहले समोसा ले।

गुड्डी ने समोसा तो ले लिया लेकिन जो सवाल उसे और मुझे तब से परेशान किये हुए था, पूछ लिया-

“वो तीन। तीन लड़कियां जो। नाम क्या है पता चला?”


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समोसा खाते हुए डी॰बी॰ ने बोला- “हूँ हूँ कुछ। बताता हूँ। हाँ लेकिन मैं क्या कह रहा था?”

मैंने याद दिलाया- “तीन। तीन बातें क्यों वो गुंडे बदमाश नहीं हो सकते? एक आप बता चुके हैं की बड़े गुंडों के लिए इस तरह की हरकत प्रोफिटेबल नहीं है…”



चाय पीते हुए डी॰बी॰ ने बात जारी रखी-


“हाँ। दूसरी बात- बाम्ब। ये कन्फर्म है की उनके पास बाम्ब है और उसमें ट्रिगर डिवाइस भी है। नार्मली छोटे मोटे गुंडों के पास इम्पैक्ट बाम्ब, यानी जो फोड़ने या फेंकने पे फूटते हैं वही होते हैं। ये साफीस्टीकेटेड बाम्ब हैं।

जो लड़कियां बचकर आई हैं उन्होंने जो बताया है। उसके हमने स्केच बनवाये हैं और उसके अलावा जहाँ-जहाँ यहाँ बाम्ब बनाते हैं, सोनारपुरा में, लंका में आस पास के गाँवों में गंगा पार रामनगर। हर जगह से हम लोगों ने चेक कर लिया की ये उनकी हरकत नहीं। और जो लोकल माफिया हैं या तो गायब हो चुके हैं या उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए हैं…”

जब तक वो तीसरी बात पे आते मैंने बचा हुआ समोसा भी उठा लिया।

गुड्डी ने मुझे बड़ी तेजी से घूरा लेकिन मैंने पूरा ध्यान समोसे की ओर और डी॰बी॰ की ओर दिया।

डी॰बी॰ ने तीसरा कारण शुरू कर दिया- “तीसरी बात- बहुत सिंपल। हमारे किसी खबरी को लोकल बन्दों की हवा नहीं है। तो। …”

अबकी मैंने सवाल दाग दिया- “तो ये हैं कौन?”

डी॰बी॰- “यही तो? अगर साफ हो जाय कोई टेररिस्ट ग्रुप है तो हमें मोटा-मोटा उनकी मोडस आप्रेंडी, काम करने का तरीका मालूम है। क्रिमिनल को तो हम लोग आसानी से टैकल कर लेते हैं। पर अभी तक पिक्चर। …” तब तक उनका फोन बजा।

“सी॰एस॰ का फोन है…” किसी दरोगा ने बताया।

अब तक मैं भी इन शब्दों से परिचित हो चुका था की सी॰एस॰ का मतलब चीफ सेक्रेटरी। और वो स्टेट गवर्नमेंट में सबसे ऊपर होते हैं।

डी॰बी॰ ने पूछा- “साहब खुद लाइन पे हैं या?”

“नहीं पी॰एस॰ हैं…” उधर से आवाज आई।

डी॰बी॰- “उनको बोल दो की मैं मोबाइल पे सीधे रिंग कर लूँगा…” वो बोले और उठकर कमरे के दूसरे कोने की ओर चले गए।

यहाँ मुझ पर डांट पड़ना शुरू हो गई- “तुम यहाँ समोसा खाने आये हो की,... कितना खाते हो, वहां अभी होटल में,... फिर समोसा। हम यहाँ समोसा खाने आये हैं की गुंजा का पता लगाने आये हैं?”

गुड्डी ने घुड़का।

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मैंने बात बदलने की कोशिश की- “नहीं वो बात नहीं है। “देखो ये लोग बीजी हैं। अभी चीफ सेक्रेटरी से बात हो रही है…”



गुड्डी बोली- “तुम लोग ना। तुम भी इन्हीं की तरह हो। सिर्फ बातें करते हो काम वाम नहीं…”

मैं- “अरे करेंगे। काम वाम भी करेंगे। प्रामिस घर पहुँचने दो तुम्हारी सारी शिकायत दूर…” कहकर मैंने माहौल को हल्का बनाने की कोशिश की।

गुड्डी शर्मा गई- “धत्त। तुम भी न कहीं भी कुछ भी…”

तब तक बात करते-करते डी॰बी॰ नजदीक आ गए थे और हम लोग चुप हो गए।

डी॰बी॰-

“थैंक्स सर। दो बटालियन आर॰ए॰एफ॰ और एक प्लाटून सी॰आर॰पी॰एफ॰। नहीं सर। दैट विल बी ग्रेट हेल्प। जी मैं भी यही सोच रहा हूँ। आज जो भी होगा उसके रियक्शन का रिस्पोंस प्लान तो करना पड़ेगा, कुछ अमंगल हो जाए तो और कम्युनल टेंशन तो यहाँ। नहीं इतना काफी होगा।

एस॰टी॰एफ॰ की कोई जरूरत तो नहीं है। आप जानते हैं सर, पिछली सरकार में तो वो एक तरह से सरकार ही बन गये थे।

काम सब लोकल पुलिस का होता है। इंटेलिजेंस सब कुछ। उनके आने में तो चार-पांच घंटे लगेंगे तब तब तो मैं इसे। मैं समझ रहा हूँ। सर। वो अपने राज्य मंत्री जी। एस॰टी॰एफ॰ के हेड उनके जिले में एस॰एस॰पी॰ रह चुके हैं और पुराना परिचय है। स्पेशल प्लेन से आ रहे हैं। कोई बात नहीं। मैं आपको इन्फार्म करूँगा। कोई प्राब्लम होगा तो बताऊंगा…”




एस॰टी॰एफ॰ मतलब स्पेशल टास्क फोर्स। इतना तो मैं समझ गया था। लेकिन अब डी॰बी॰ के चेहरे पे थोड़ी एस॰टी॰एफ॰ मतलब स्पेशल टास्क फोर्स। इतना तो मैं समझ गया था। लेकिन अब डी॰बी॰ के चेहरे पे थोड़ी परेशानी साफ दिख रही थी।
इन तीन बातों में तो उलझा कर डीबी ने चक्करघिन्नी बना दिया..
लेकिन हॉस्टल से झेल रहे हैं तो... काम की बातें हीं होंगी...
 

motaalund

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गुड्डी का प्लान

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जब वो फिर आकर बैठे तो उन्होंने पूछा- “हाँ तो मैं क्या बोल रहा था?”



“तीन…” मैं असल में तीन लड़कियों के नाम के बारे में जानना चाहता था।



लेकिन डी॰बी॰ तो। वो चालू हो गए-

“हाँ तीन बड़ी परेशानिया हैं। कमांडो हमारे तैयार हैं, शाम जहाँ हुई,... लेकिन अब जल्दी करनी पड़ेगी। वैसे शाम तो होने ही वाली है। उस स्पेशल टास्क फोर्स के पहुँचने के पहले।

तो पहली बात। हमें स्कूल के अन्दर का नक्शा एकदम पता नहीं है। हमने स्कूल के मैनेजर, प्रिंसिपल और नगर निगम से प्लान की कापी मंगवाई है। लेकिन बहुत से अनअथराइज्ड काम हो गए हैं और वो नक्शा एकदम बेकार है।

फिर पता नहीं किस कमरे में लड़कियां होंगी? कई फ्लोर हैं कुल 28 कमरे हैं, और अगर जरा भी पता चला उन्हें तो। एलिमेंट आफ सरप्राइज गायब हो जाएगा…”

गुड्डी के लिए इन टेक्नीकल बातों का कोई मतलब नहीं था, वो फिर से बोली- “जी वो तीन लड़कियां…”


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डी॰बी॰ ने विनम्रता पूर्वक बात आगे बढ़ाई-

“जी हाँ। मैं भी वही कह रहा था। उन तीन लड़कियों से बात और उलझ गई है।

एक तो वो लोग कहीं बाम्ब न छोड़ दें, फिर अगर कमांडो कायर्वाही में, कई बार स्मोक बाम्ब से ही घबड़ाकर, कुछ अनहोनी हो जाय, कैसा भी कमांडो आपरेशन हो, कुछ तो गड़बड़ होने का चांस रहता है। फिर मिडिया हम लोगों की,ऐसी की तैसी कर देगी, और अब तो नेशनल चैनल वाले भी मैदान में आ गए हैं। और टीवी देख देख के पब्लिक परसेप्शन, और होली सर पे है ।

सी॰एम॰ ने खुद बोला है की टाइम चाहे जितना लगे, लड़कियों को सेफ निकालना है…”



जब तक वो तीसरी बात बताते गुड्डी मैदान में कूद गई-

“मैं प्लान बना सकती हूँ। और रास्ता भी। एक कागज मंगाइए…”
आखिर गुड्डी का स्कूल...
चप्पे चप्पे से वाकिफ..
और कुछ ऐसे रास्ते भी जो स्कूलिंग के दौरान...
लड़कियों ने खोज निकाले होंगे..
टीचरों से चुपके चुपके...
 

motaalund

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Wow DB ka private number se phone aaya. Aur tv dekhne ko kaha. Tv on karte hi khatrnak news. Ek atankwadi hamla hone ki ashanka. Dar anand babu ki sali. Guddi ne tv dekhte hi kahe diya ki ye to meri hi school hai. Ab tension gunja ghar aai ya nahi. Vese bhi chudai vali school dono baheno ki ek hi hai.

DB ne red alert jari kar diya hai. Chalo ye achha hai ki DB ne anand babu ko vaha aane ki permission de di. Ghatna sthal ko police ne ghera huaa hai. Sath me media news channel chikh chikh ke ye khabar dila rahe hai.

Guddi ko yaad aaya ki gunja extra class ke lie rukne vali thi. Anand babu guddi ko dilasha to de rahe hai. Par dar unhe bhi lag raha hai.

Bap re bandhak banane valo ne bomb ka upyog kiya hai. Par ye achha hai ki 22 ne se 19 bhag gai. Par 3 ladkiya ab bhi bandhak hai. Aur police vale name nahi bata rahe hai.

Ek ye bhi tension hai ki ghar par kahi chada bhabhi kahi news na dekh rahi ho. Vo bhi pareshan honge. Is sab me anand babu ko us pyari si kishori ki chanchalta yaad aa rahi hai. Jo kisse gunja suna rahi thi. Ghatna usi school ki hai.


Amezing update Komalji. Kahani ka rukh badla aapne to hawao ka rukh badla. Maza aa gaya.

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गुंजा ऐसी साली का सवाल है...
 

motaalund

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Mahol kuchh jyada hi darwna ho gaya. Jagah jagah cheking barget. Guddi bhi har jagah matha tek rahi hai. Bas yahi umid me ki gunja na ho. Jese curfew lag gaya ho. Sab jaha tv mila news par najre gadhar hue hai. Ambulance aur private ki gadiya bhi usi taraf tainat hai. News channel wale nwes cover karne ghera dale bhi vahi hai. Aas pas ki jagah khali karana aur un comando ko dekh kar guddi dar gai.

Principal secretary home tak ka phone aa gaya situation janne ke liye. Lekin dushman kon hai. Unka makshad kya abhi tak pata nahi chala.

Home secretary ne maneksar NSG tak bat kar di. Magar DB ye case police se hi handle karvana chahte hai. Yah department ke beizzati hogi. Agar vo na kar pae to.

Vaha maneksar me bsf deputation NSG commando chopar lekar operation Ko taiyar hai. Aur gruh mantralay Tak report jari hai.

Bahot hi jabardast update. Amezing skill. Kaha pyar Mohabbat aur judai ke mitthe dard se typhar ki khushiya tak. Aur jump mar kar is criminal zone me. Amezing komalji. Gunja bechari kaha hai.


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क्या हीं जबरदस्त खाका खींचा है...
और रंग भरने के लिए... लोकल गुंडे..पुलिस.. नेता और सॉफ्ट टार्गेट.. गुंजा और उसकी सहेलियां...
अब आनंद बाबू भी रंग भरने के लिए तैयार...
 

motaalund

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कोमल मैम

सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर रोचक अपडेट।

कहानी अब नए कलेवर में दाखिल होती दिख रहीं हैं।

उत्सुकता और अपडेट का इंतजार चरम सीमा पर है।


सादर
सचमुच थ्रिल प्रचुर मात्रा में...
 

motaalund

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है चंदा भौजी की पाठशाला का सिखाया ज्ञान संध्या भौजी पर काम आ रहा हैं
हाँ अब.. प्रैक्टिकल हो रहा है...
 

motaalund

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Anand babu gunja ke lie pareshan ho rahi hai. Par us se bhi jyada guddi. Lekin guddi hai bahot himmat vali.

3 sal bad apne senior DB se mulakat amezing. Jab guddi ko db ne namste kiya to guddi ko samaz aa gaya hoga.

Db vaha puchhne ko mana kar raha hai. Sayad koi gadbad hai. Kyo ki guddi vaha hai. DB ne arminadar singh se pahechan karvaya. Jo co hai. Ohh matlab anand babu ke bare me vo pahele se janta hai.

Anand babu guddi ko vaha nahi rukne dena chahte. Is lie room mang rahe hai. Special Room ka bandobast ho gaya. Har chij se chhupakar planing plotting start.

Abhi tak dushman kon hai kya hai. Unka urada kya hai. Kis se jude hue hai. Kuchh pata nahi.

Ek naya name Shameer sinha. Bihar cedar se 4 sal senior IAS ladki se shadi ki bhabhi to kam ki hai. IB me dayrector hai.

Kitna bhi apna ho defence ki baten civil lines ke samne nahin. Anand babu ki hukat amezing. Par bechari guddi bechen ho gai. Gunja ke lie. Anand babu bhi gunja ke sath bitae pal yaad kar rahe hai.

Db ka kahena sahi hai. Dushman ko kamjor nahi samazna chahiye. Terrorist pagal nahi hota. Vo bheed ko target karte hai. Hosteg ka nahi. Matlab ko koi bat manvai jaegi. Makadhad abhi bhi clear nahi. Banaras me pahele bhi bomb blast vagera ho chuke hai.

News channels ko to garma garam badi khabar mil gai hai. Vo lage pade hai. Par DB ko phone aaya. Sayad ghat pe kuchh mila hai.


Amezing interesting update Komalji. Supab.

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ताकि वार का प्लान गुप्त रहे...
 

motaalund

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बहुत ही कामुक गरमागरम और जबरदस्त अपडेट है
आनंद अब तो खिलाड़ी बन गया है संध्या भौजी की जबरदस्त चुदाई कर ली है
हाँ पहले चंदा भाबी खिलाड़ी और आनंद बाबू अनाड़ी...
अब दोनों ओर खिलाड़ी...
 
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