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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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Awesome update Komal Ji..गुड्डी और मम्मी
" एक बात तो मानना पडेगा तोहरी महतारी दिल की अच्छी हैं, बहुत अच्छी। एक बार हमसे नहीं बोलीं की ये क्या मान दी, बल्कि कहती थीं की जरा सा चीज के लिए , काहें किसी पण्डे का मन दुखी करें, खुश रहेंगे तो आशीर्वाद देंगे और सावन का आशीर्वाद उहो बनारस में बनारस के पण्डे का आसीर्बाद,... और सच में सब पण्डे खुस हो के गए, केतना तो इसी घर में न बिस्वास हो तो गुड्डी से पूछ लेना,... और पण्डे भी एक से एक जबरदस्त, तगड़े पहलवान, दूनो चूँची पकड़ के ऐसे धक्का लगाते थे, दूसर कौन होत तो चिथड़ा चिथड़ा, लेकिन तोहरे भाभी क सास, चूतड़ उठाय उठाय के वो धक्का मारें,... एक भी पंडा बिना खुश हुए नहीं गया और साथ में वो १०१ रूपया लेकर बाद में पैर भी छूती थीं। सब क सब अइसन आसीर्बाद दिए,... " मम्मी बोल रही थीं और वहां लग रहा था की श्वेता और छुटकी भी सांस रोक के सुन रही थीं क्योंकि उन दोनों की आवाज भी एकदम बंद थी,...
लेकिन गुड्डी ने बीच में बात काट दी, बोली मम्मी का आसीर्बाद दिए थे पंडा सब ,
" तीन आसीर्बाद, पहला उनका जोबन हरदम टनाटन रहेगा, बड़ा भी कड़ा भी, दूसरा उनकी ताल तलैया में न पानी क कमी होगी न डुबकी मारने वालों की, और तीसरी , ... और यह कह के चुप हो गयीं जैसे इन्तजार कर रही हों की हम लोग कुछ बोले, गुड्डी भी चुप तो मैं ही बोला
" मम्मी क्या था तीसरा आसीर्बाद, "
वो बड़ी जोर से हंसी फिर बोलीं तोहरे फायदे वाली बात, वो बड़ी सीरियस होके बोलीं, ' कुल पंडा, एक दो नहीं सब के सब, आसीर्बाद दिए की जेकरे लिए मनौती है जिसको नौकरी मिली है, वो जरूर यही पोखरी में डुबकी मारेगा, एक बार नहीं बार बार,... "
और अबकी श्वेता जो ध्यान से मेरी रगड़ाई सुन रही थी, उसकी आवाज आयी,
" और बनारस के पंडो का आसीर्बाद कभी खाली नहीं जाता "
" अरे डेढ़ साल से ऊपर हो गया तो वही दो बात मैं कह रही थी की एक जब तोहरे भौजाई क मायके क नाऊ कहार वहां मजा ले लिए है तो तुम थोड़े छोड़े होंगे, " मम्मी बोल रही थीं की गुड्डी बोली,
" और अब तो तय भी हो गया की अगली बार सबके सामने, ... "
" एकदम, मम्मी बोलीं, और जल्दी से बात आगे बढ़ाई " दूसरी बात पंडो का आसीर्बाद तो तुम तो जरूर अपनी,... तो जहाँ से निकले हो उसको नहीं छोड़े, तो तुम्हारे मम्मी कहने पे तुम गरियाये नहीं जाओगे, या तेरी रगड़ाई नहीं होगी, भूल जाओ डबल गारी पड़ेगी और रगड़ाई तो, बस हफ्ता दस दिन है होली के तीन दिन बाद,... आओगे तो देखना "
छुटकी अब ताश के पीछे पड़ी थी, बोली अबकी पत्ते कौन फ़ेंटेगा,... मम्मी बोलीं, तुम दोनों नहीं मैं फेंटूंगी। और फोन रख दिया,... लेकिन फोन रखने के पहले उन्होंने धीरे से एक बात कही जो सिर्फ मैंने और गुड्डी ने सुनी,
" मम्मी बोलते हो तो बहुत अच्छा लगता है, खूब मीठा मीठा लगता है लगता है एकदम दिल से बोल रहे हो। "
जबतक मैं जी मम्मी बोलता फोन कट गया, लेकिन गुड्डी ने जिस प्यार से मुझे देखा, ...मै मान गया उसकी यह बात भी बाकी बात की तरह सही थी,
हाँ जब तक हम लोग सीढ़ी चढ़ के ऊपर पहुंचे एक बार फिर गुड्डी का फोन बजा और बजाय खोलने के उसने मुझे पकड़ा दिया, तेरे लिए ही होगा, मम्मी का फोन है।
उन्ही का था, बड़ी मिश्री भरी आवाज एकदम छेड़ने वाली चिढ़ाने वाली, बोलीं
" मम्मी इस लिए तो नहीं कहते की दुद्धू पीना यही, चल अबकी आओगे न होली के बाद, पिला दूंगी "
और जब तक मैं कुछ जबाब देता फोन कट गया था और हम लोग चंदा भाभी के घर पहुँच गए थे।
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वो मुझे चंदा भाभी के घर सीधे ले गई। वो मास्टर बेडरूम में थी। एक आलमोस्ट ट्रांसपरेंट सी साड़ी पहने वो भी एकदम बदन से चिपकी, खूब लो-कट ब्लाउज़।
उन्हें देखते ही गुड्डी चहक के बोली- “देखिये आपके देवर को बचाकर लायी हूँ इनका कौमार्य एकदम सुरक्षित है। हाँ आगे आप के हवाले वतन साथियों। मैं अभी जस्ट कपड़े बदल के आती हूँ…” और वो मुड़ गई।
“हेहे। लेकिन। ये तो मैंने सोचा नहीं…” मेरी चमकी। मैं बोल पड़ा।
“क्या?” वो दोनों साथ-साथ बोली।
“अरे यार मैं। मैं क्या कपड़ा पहनूंगा। और सुबह ब्रश। वो भी नहीं लाया…”
“ये कौन सी परेशानी की बात है कुछ मत पहनना…” चंदा भाभी बोली।
“सही बात है आपकी भाभी का घर है। जो वो कहें। और वैसे भी इस घर में कोई मर्द तो है नहीं। भाभी हैं, मैं हूँ। गुंजा है। तो आपको तो लड़कियों के ही कपड़े मिल सकते हैं। और मेरे और गुंजा के तो आपको आयेंगे नहीं हाँ…” भाभी की और आँख नचाकर वो कातिल अदा से बोली, और मुड़कर बाहर चल दी।
Just to add...enormous amount of skill as well...which not many may possess.Wow..first of all, super congrats for this mega update...seems as if update khatam hi nahi hoga... (goes on and on and on...when I scroll down the page )
it takes enormous amount of thinking, patience and effort to come up with such super sexy update.....add to that...super photos...they add much allure to the updates...
only a true blue writer can come up with such update.
Will provide another comment after some time...thoda bahar jaa raha hoon kaam se
Still, very happy for you my dear friend!!
komaalrani
Call it a coincidence or otherwise...initial 1st comment mera hi hain
socha nahi tha..
Dear Priyanka, you have reached out to the best person who can guide you if required on story writing...no other better person than Komal Madam.dear komaalrani mam mujhe apki story bahut pasand ha maine bhi ek story likhi plz use padh kar margdarshan kare li mai acha likh rhi hu ya nahi
Thanks so muchWow..first of all, super congrats for this mega update...seems as if update khatam hi nahi hoga... (goes on and on and on...when I scroll down the page )
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Still, very happy for you my dear friend!!
komaalrani
Call it a coincidence or otherwise...initial 1st comment mera hi hain
socha nahi tha..
I am not blushing, i am speechless, no words to thank you.Just to add...enormous amount of skill as well...which not many may possess.
You are a super star!!
Btw, on a lighter note, no need to blush..
some facts need to be told as they are
komaalrani
Bahut hi saandar aur lajwaab update haiथ्रिलर - १
स्कूल में बम
डी॰बी॰ ने बोला- “जीरो आवर इज 20 मिनटस फ्राम नाउ…”
मुझे 15 मिनट बाद घुसना था, 17 मिनट बाद प्लान ‘दो’ शुरू हो जायेगा 20वें मिनट तक मुझे होस्टेज तक पहुँच जाना है और अगर 30 मिनट तक मैंने कोई रिस्पान्स नहीं मिला तो सीढ़ी के रास्ते से मेजर समीर के लोग और छत से खिड़की तोड़कर पुलिस के कमान्डो।
डी॰बी॰ ने पूछा- “तुम्हें कोई हेल्प सामान तो नहीं चाहिये?”
मैंने बोला- “नहीं बस थोड़ा मेक-अप, पेंट…”
गुड्डी बोली- “वो मैं कर दूंगी…”
डी॰बी॰ बोले- “कैमोफ्लाज पेंट है हमारे पास। भिजवाऊँ?”
गुड्डी बोली- “अरे मैं 5 मिनट में लड़के को लड़की बना दूं। ये क्या चीज है? आप जाइये। टाइम बहुत कम है…”
डी॰बी॰ बगल के हाल में चले गये और वहां पुलिसवाले, सिटी मजिस्ट्रेट, मेजर समीर के तेजी से बोलने की आवाजें आ रही थीं।
गुड्डी ने अपने पर्स, उर्फ जादू के पिटारे से कालिख की डिबिया जो बची खुची थी, दूबे भाभी ने उसे पकड़ा दी थी, और जो हम लोगों ने सेठजी के यहां से लिया था, निकाली और हम दोनों ने मिलकर।
4 मिनट गुजर गये थे। 11 मिनट बाकी थे।
मैंने पूछा- “तुम्हारे पास कोई चूड़ी है क्या?”
“पहनने का मन है क्या?” गुड्डी ने मुश्कुराकर पूछा और अपने बैग से हरी लाल चूड़ियां। जो उसने और रीत ने मिलकर मुझे पहनायी थी।
सब मैंने ऊपर के पाकेट में रख ली। मैंने फिर मांगा-
“चिमटी और बाल में लगाने वाला कांटा…”
“तुमको ना लड़कियों का मेक-अप लगता है बहुत पसन्द आने लगा। वैसे एकदम ए-वन माल लग रहे थे जब मैंने और रीत ने सुबह तुम्हारा मेक अप किया था। चलो घर कल से तुम्हारी भाभी के साथ मिलकर वहां इसी ड्रेस में रखेंगें…” ये कहते हुये गुड्डी ने चिमटी और कांटा निकालकर दे दिया।
7 मिनट गुजर चुके थे, सिर्फ 8 मिनट बाकी थे। निकलूं किधर से? बाहर से निकलने का सवाल ही नहीं था, इस मेक-अप में। सारा ऐड़वान्टेज खतम हो जाता। मैंने इधर-उधर देखा तो कमरे की खिड़की में छड़ थी, मुश्किल था। अटैच्ड बाथरूम। मैं आगे-आगे गुड्डी पीछे-पीछे। खिड़की में तिरछे शीशे लगे थे। मैंने एक-एक करके निकालने शुरू किये और गुड्डी ने एक-एक को सम्हाल कर रखना। जरा सी आवाज गड़बड़ कर सकती थी। 6-7 शीशे निकल गये और बाहर निकलने की जगह बन गई।
9 मिनट। सिर्फ 6 मिनट बाकी। बाहर आवाजें कुछ कम हो गई थीं, लगता है उन लोगों ने भी कुछ डिसिजन ले लिया था। गुड्डी ने खिड़की से देखकर इशारा किया। रास्ता साफ था। मैं तिरछे होकर बाथरूम की खिड़की से बाहर निकल आया।
वो दरवाजा 350 मीटर दूर था। यानी ढाई मिनट। वो तो प्लान मैंने अच्छी तरह देख लिया था, वरना दरवाजा कहीं नजर नहीं आ रहा था। सिर्फ पिक्चर के पोस्टर। तभी वो हमारी मोबाईल का ड्राईवर दिखा, उसको मैंने बोला- “तुम यहीं खड़े रहना और बस ये देखना कि दरवाजा खुला रहे…”
पास में कुछ पुलिस की एक टुकडी थी। ड्राइवर ने उन्हें हाथ से इशारा किया और वो वापस चले गये। 13 मिनट, सिर्फ दो मिनट बचे थे।
मैं एकदम दीवाल से सटकर खड़ा था, कैसे खुलेगा ये दरवाजा? कुछ पकड़ने को नहीं मिल रहा था। एक पोस्टर चिपका था। सेन्सर की तेज कैन्ची से बच निकली, कामास्त्री। हीरोईन का खुला क्लिवेज दिखाती और वहीं कुछ उभरा था। हैंडल के ऊपर ही पोस्टर चिपका दिया था। दो बार आगे, तीन बार पीछे जैसा गुड्डी ने समझाया था। सिमसिम। दरवाजा खुल गया। वो भी पूरा नहीं थोड़ा सा।
15 मिनट हो गये थे। सीढ़ी सीधी थी लेकिन अन्धेरी, जाले, जगह-जगह कचडा। थोड़ी देर में आँखें अन्धेरे की अभ्यस्त हो गई थी। मेरे पास सिर्फ 10 मिनट थे काम को अन्जाम देने के लिये।