Sanju@
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट हैआपरेशन शुरू
15 मिनट हो गये थे। सीढ़ी सीधी थी लेकिन अन्धेरी, जाले, जगह-जगह कचडा। थोड़ी देर में आँखें अन्धेरे की अभ्यस्त हो गई थी। मेरे पास सिर्फ 10 मिनट थे काम को अन्जाम देने के लिये।
सीढ़ी दो मिनट में पार कर ली। साथ में कितनी सीढ़ीयां है रास्ते में, कौन सी सीढ़ी टूटी है, ऊपर के हिस्से पे सीढ़ी बस बन्द थी। लेकिन अन्दर की ओर इतना कबाड़, टूटी कुर्सियां, एक्जाम की कापियों के बन्डल, रस्सी। उसे मैंने एक किनारे कर दिया। लौटते हुये बहुत कम टाइम मिलने वाला था।
क्लास के पीछे के बरामदे में भी अन्धेरा था।
मैं उस कमरे के बाहर पहुँचा और दरवाजे से कान लगाकर खड़ा हो गया। हल्की-हल्की पदचाप सुनायी दे रही थी, बहुत हल्की। मैंने दरवाजे को धक्का देने की कोशिश कि। वो बस हल्के से हिला। मैंने नीचे झुक के देखा। दरवाजे में ताला लगा था।
गुड्डी ने तो कहा था कि ये दरवाजा खुला रहता है। अब।
तब तक मैंने देखा मोबाइल का नेटवर्क चला गया। लाइट भी चली गई। अन्दर कमरें में घुप्प अन्धेरा छा गया।
लाउडस्पीकर पर जोर से चुम्मन की माँ की आवाज आने लगी- “खुदा के लिये इन लड़कियों को छोड़ दो। इन्होंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? अल्लाह तुम्हारा गुनाह माफ कर देंगें। पुलिस के साहब लोग भी। बाहर आ जाओ…”
प्लान दो शुरू हो चुका था। 17 मिनट हो गये थे। मेरे पास सिर्फ 8 मिनट थे।
मैंने गुड्डी की चिमटी निकाली और ताला खोलकर हल्के से दरवाजा खोल दिया, थोड़ा सा।
घुप्प अन्धेरा। थोड़ी देर में मेरी आँखें अन्धेरे की आदी हो गई। एक बेन्च पे तीन लड़कियां, सिकुड़ी सहमी, गुन्जा की फ्राक मैंने पहचान ली। गुन्जा बीच में थी। बेन्च के ठीक नीचे था बाम्ब। बिजली की हल्की सी रोशनी जल बुझ रही थी। कोई तार किसी लड़की से नहीं बन्धा था। दीवाल के पास एक आदमी खड़ा था जो कभी लड़कियों की ओर, कभी दरवाजे की ओर देखता।
बाहर लाउडस्पीकर पर आवाज और तेज हो गई थी। कभी चुम्मन की माँ की आवाज। कभी पुलिस की मेगाफोन पे वार्निग। उस आदमी का ध्यान अब पूरी तरह बाहर से आती आवाजों पे था।
जमीन पर क्राल करते समय मुझे ये भी सावधानी रखनी पड़ रही थी की जो एक छोटा सा पिन्जड़ा मेरे पास था, वो जमीन से ना टकराये। उसमें दो मोटे-मोटे चूहे थे।
सबसे पहले गुन्जा ने मुझे देखा। वो चीखती उसके पहले मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और उंगली से समझाया की बाकी दोनों लड़कियों को भी समझा दे की पहले की तरह बैठी रहें रियेक्ट ना करें।
मुझे पहले बाम्ब को समझना था।
मैं उससे बस दो फीट दूर था। एक चीज मैं तुरन्त समझ गया की इसमें कोई टाईमर डिवाइस नहीं है। ना तो घड़ी की टिक-टिक थी ना वो सर्किटरी। तो सिर्फ ये हो सकता है की किसी तार से इसे बेन्च से बान्धा हो और जैसे ही बेन्च पर से वजन झटके से कम हो। बाम्ब ऐक्टिवेट हो जाय।
बहुत मुश्किल था। मैं खिड़की से चिपक के खड़ा था। कोई डाइवर्ज़न क्रियेट करना होगा।
मैंने गुन्जा को इशारे से समझा दिया। मेरे जेब में पायल पड़ी थी, जो सुबह गुड्डी और रीत ने मुझे पहनायी थी और घर से निकलते समय भी नहीं उतारने दिया था। बाजार में पहुँचकर मैंने वो अपनी जेब में रख ली थी।
चूहे के पिंजरे से मैंने पनीर का एक टुकड़ा निकाला और पायल में लपेट के, पूरी ताकत से बाहर की ओर अधखुले दरवाजे की ओर फेंका। झन्न की आवाज हुई। दरवाजे से लड़कर पायल अधखुले दरवाजे के बाहर जा गिरी-
“झन-झन-झन…”
“कौन है?” वो आदमी चिल्लाया और बाहर दरवाजे की ओर लपका जिधर से पायल की आवाज आई थी।
इतना डायवर्ज़न काफी था। मैंने गुन्जा को पहले ही इशारा कर रखा था।
उसके दायीं ओर वाली लड़की को पहले उठकर मेरे पास आना था। वो झटके से उठकर मेरे पास आई। एक पल के लिये मेरे दिल कि धड़कन रुक सी गई थी। कहीं बाम्ब।
लेकिन कुछ नहीं हुआ।
और जब वो मेरे पास आई तो मेरे दिल की धड़कन दो पल के लिये रुक गई।
महक,... लम्बी, गोरी, सुरू के पेड़ जैसी छरहरी और सबसे बढ़कर उसकी फिगर। लेकिन अभी उसका टाईम नहीं था। मैंने उसके कान में फुसफुसाया-
“दिवाल से सटकर जाना पीछे वाले दरवाजे पे। इसके बाद गुन्जा के बगल की दूसरी लड़की को मैं उठाऊँगा। तुम दरवाजे पे उस लड़की का इंतेजार करना और पीछे वाली सीढ़ी से…”
महक को सीढ़ी का रास्ता मालूम था। उसने मुझे आँखों में अश्योर किया और दीवाल से सटे-सटे बाहर की ओर। मैं डर रहा था की जब वो दरवाजे से बाहर निकले तब कहीं कोई आवाज ना हो?
और मैंने एक चूहा छोड़ दिया।
वो आदमी दरवाजे के बाहर खड़ा था, पनीर का टुकड़ा उसके पैरों के पास, और पल भर में चूहा वहीं।
वो जोर से उछला- “चूहा…”
और महक दरवाजे के पार हो गई।
बाहर से लाउडस्पीकर की आवाजें बन्द हो गई थी और अब फायर ब्रिगेड वाले वाटर कैनन छोड़ रहे थे।
बन्द होने पर भी कुछ पानी बाहर के बरामदे में आ रहा था।
वो आदमी फिर बेचैन होकर बाहर की ओर गया और फिर पायल, पनीर का टुकड़ा और चूहा। और अबकी चूहे ने उसे काट लिया।
वो चीखा और अब दूसरी लड़की दिवार से सटकर बाहर की ओर।
मेजर का मिशन चल रहा है दो लड़कियों को तो आजाद करवा लिया है