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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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Super start madam...
One Alert: :)
You have 6 stories running in parallel (including this one). Each story a great one in its own right.
I think this is an extremely rare occurrence that one writer can write so many stories (each different with their own theme).. and do a great justice (& job) to each story...
You truly are a Champion....
Where people struggle to write one story...you are going ahead with full steam with 6 stories...ekdum adbhut..

And..the most important thing: The combined views of all your stories are truly bumper...59+ L/ 5.9M Views...
You truly deserve an award though :)
Well done and keep going!!

komaalrani
Rajizexy
SANJU ( V. R. )
prkin
Siraj Patel

text wow GIF by Omer
Happy Great Job GIF by sendwishonline.com
You make me :blush::blush:
 

komaalrani

Well-Known Member
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कोमल मैं मेंन किरदार के क्या रोल है इसलिए पूछ रहा हूं कोमल मैं कि हम लोग मेंन किरदार को ही लेकर पढ़ते हैं की जोरू के गुलाम की तरह इसमें भी मेंन किरदार को गढ़वा बना दोगी कमेंट करके जरूर बताना कोमल में आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
कहानी के पहले पृष्ठ पर ही कुछ कहानी के बारे में लिखा है , कुछ झलकियां भी हैं। उन्हें पढ़िए, आप को कहानी का अंदाजा लग जाएगा, पात्रों का भी।

यह कहानी एक एरोटिक थ्रिलर है। इसमें थ्रिल के तत्व भी हैं , रोमांस भी है और ढेर सारे कैरेकटर है। कहानी का नैरेटर एक पुरुष है जो फर्स्ट परसन में कहानी कहता है लेकिन स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली हैं। कहानी एक काल खंड की है और कुछ शहरों की।

एक बार फिर से कहूंगी झलकियां जरूर पढ़िए और बाकी लोगों के कमेंट भी। इससे कहानी के बारे में आपको राय बनाने में मदद मिलेगी।
 

komaalrani

Well-Known Member
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शायद ये पहली स्टोरी थी जिसे मैने अंतिम अपडेट तक पढ़ा था पर यह मेरा दुर्भाग्य भी था कि उस वक्त मेरा उस फोरम पर एकाउंट नही था । मै बहुत कुछ कहना चाहता था पर कह ही नही सका।
आप लोग ये पुरी कहानी पढ़िए और तब समझेंगे कि कोमल जी का क्यों मै इतना बड़ा प्रशंसक हूं ।
वो बहाना इस बार तो चलेगा नहीं। आप का अकाउंट भी है आप अच्छे पाठकों में से हैं और समीक्षक भी हैं। आप ने मेरी पहले की कहानियां भी पढ़ रखी हैं।

और वैसे तो मैं तारीफ़ के मामले में काफी कुछ आत्म निर्भर हूँ, और इस कहानी के बारे में जब मैं एक पाठक की तरह इसे दुबारा तिबारा पढ़ती हूँ तो माघ की उक्ति याद हो आती है

क्षणे क्षणे यननवतामुपैती। तदेव रूपं रमणीयताया: .

सौंदर्य वह है जो प्रतिपल नवीन होता रहे,... तो अगर आपने पढ़ भी रखा है, प्रसंग याद भी हैं तो भी विश्वास है कुछ नया नया सा लगेगा।

आप की और आपकी टिप्पणियों की मुझे और मेरे थ्रेड को प्रतीक्षा रहेगी।
 

komaalrani

Well-Known Member
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ए जिज्जी, Welcome 🤗😁... With a New B00M...

होली के पूर्व ही होली का एक जोगीरा वैभव और रागिनी के पुनर्विवाह {प्रेम विवाह} के उपलक्ष्य में:-

बनवा बीच कोयलिया बोले, पपीहा नदी के तीर
अँगना में भोजइया डोले, जैसे झलके नीर

जोगीरा सा रा रा रा रा।
जोगीरा सा रा रा रा रा...
कहानी से जुड़े रहिये

जोगीड़ा का भी आनंद मिलेगा और बाकी लोकगीतों का भी।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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क्षणे क्षणे यननवतामुपैती। तदेव रूपं रमणीयताया: . ... ,,🤗
 

SKYESH

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फागुन के दिन चार


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" फागुन के दिन चार " मेरी लम्बी कहानी बल्कि यूँ कहें की उपन्यास है। इसका काल क्रम २१ वी शताब्दी के शुरू के दशक हैं, दूसरे दशक की शुरुआत लेकिन फ्लैश बैक में यह कहानी २१ वीं सदी के पहले के दशक में भी जाती है.

कहानी की लोकेशन, बनारस और पूर्वी उत्तरप्रदेश से जुडी है, बड़ोदा ( वड़ोदरा ) और बॉम्बे ( मुंबई ) तक फैली है और कुछ हिस्सों में देश के बाहर भी आस पास चली आती है। मेरा मानना है की कहानी और उसके पात्र किसी शून्य में नहीं होने चाहिए, वह जहां रहते हैं, जिस काल क्रम में रहते हैं, उनकी जो अपनी आयु होती है वो उनके नजरिये को , बोलने को प्रभावित करती है और वो बात एक भले ही हम सेक्सुअल फैंटेसी ही लिख रहे हों उसका ध्यान रखने की कम से कम कोशिश करनी चाहिए।

लेकिन इसके साथ ही कहानी को कुछ सार्वभौम सत्य, समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है और होना चाहिए।

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कहानी फागुन में शुरू होती है और फागुन हो, बनारस हो फगुनाहट भी होगी, होली बिफोर होली भी होगी।

लेकिन होली के साथ एक रक्तरंजित होली की आशंका भी क्षितिज पर है और यह कहानी उन दोनों के बीच चलती है इसलिए इसमें इरोटिका भी है और थ्रिलर भी जीवन की जीवंतता भी और जीवन के साथ जुडी मृत्यु की आशंका भी। इरोटिका का मतलब मेरे लिए सिर्फ देह का संबंध ही नहीं है , वह तो परिणति है। नैनों की भाषा, छेड़छाड़, मनुहार, सजनी का साजन पर अधिकार, सब कुछ उसी ' इरोटिका ' या श्रृंगार रस का अंग है। इसलिए मैं यह कहानी इरोटिका श्रेणी में मैं रख रही हूँ .

और इस कहानी में लोकगीत भी हैं, फ़िल्मी गाने भी हैं, कवितायें भी है

पर जीवन के उस राग रंग रस को बचाये रखने के लिए लड़ाई भी लड़नी होती है जो अक्सर हमें पता नहीं होती और उस लड़ाई का थ्रिलर के रूप में अंश भी है इस कहानी में।

किसी एक टैग में जिंदगी को समेटना मुश्किल है और कहानी को भी। कहानी के कुछ रंग कर्टेन रेजर या पूर्वाभास के तौर पर मैं प्रस्तुत करुँगी, सतरंगी रंग कुछ इरोटिका के कुछ थ्रिलर के. कुछ उन शहरों के जहाँ यह कहानी चक्कर काटती है.

आप का दुलार, प्यार, साथ , आशीष मिलेगा तो अगले सप्ताह से यहाँ पोस्ट करना शुरू करुँगी


अगर समय मिला, मुझे, मेरे पाठक मित्रों को तो कोशिश करुँगी महीने में तीन चार भाग जरूर पोस्ट कर दूँ ,




तो पूर्वाभास की शुरआत के पहले इस कहानी के ही एक अंश से



और साथ में टीवी चैनेल वाले ये भी बताना नहीं भूलंगे की यहाँ के लोग पढ़ने, काम ढूँढ़ने बाहर जाते हैं, कोई खास रोजगार का जरिया यहां नहीं है।



लेकिन ये दर्द सिर्फ एक शहर का नहीं, शायद पूरे पूर्वांचल का है, और जमाने से है। मारीशस, फिजी, गुयाना, पूर्वांचल के लोग गए, और शूगर केन प्लांटेशन से लेकर अनेक चीजें, उनकी मेहनत का नतीजा है। वहां फैली क्रियोल, भोजपुरी, चटनी संगीत यह सब उन्हीं दिनों के चिन्ह है।



और उसके बाद अपने देश में भी, चाहे वह बंगाल की चटकल मिलें हो।



बम्बई (अब मुम्बई) और अहमदाबाद की टेक्सटाइल मिल्स पंजाब के खेत, काम के लिए। और सिर्फ काम की तलाश में ही नहीं, इलाज के लिए बनारस, लखनऊ, दिल्ली जाते हैं। पढ़ने के लिए इलाहबाद, दिल्ली जाते हैं।



लेकिन कौन अपनी मर्जी से घर छोड़कर काले कोस जाना चाहता है? उसी के चलते लोकगीतों में रेलिया बैरन हो गई, और अभी भी हवाओं में ये आवाज गूँजती रहती है-




भूख के मारे बिरहा बिसरिगै, बिसरिगै कजरी, कबीर।

अब देख-देख गोरी के जुबना, उठै न करेजवा में पीर।
welcome back Komal ji :rose:
 

komaalrani

Well-Known Member
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welcome back Komal ji :rose:
Thanks so much.
 
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कई साल हो गए लेकिन इस कहानी की यादें अबतक दिमाग मे बसी हुई है । ऐसा भी नही है कि इस कहानी का हर घटनाक्रम , हर चीजें या हर किरदार सबकुछ याद है लेकिन फिर भी याद तो बहुत कुछ है ।
नायक और नायिका का धीमे आंच मे परवान होता हुआ प्रेम , उनका मासूमियत सा इश्क , उनका एक अबोध बच्चे की तरह कभी-कभार व्यवहार करना , उनकी शरारतपूर्ण हरकतें , उनका कभी-कभार अंतरंग होता हुआ सम्बन्ध , उनका विछोह और फिर मिलन , नायक का अपने फर्ज के प्रति निष्ठावान होना , नायक का एक सामान्य इंसान के रूप मे एडवेंचर्स अवतार - किसी भी पाठक को मंत्र मुग्ध कर देने के लिए काफी था ।

गुड्डी आपके प्रत्येक कहानियों का प्रमुख पात्र रहा । लेकिन इस स्टोरी मे जहां तक मुझे याद है रित का किरदार किसी भी मायने मे गुड्डी से कम भी नही था । करन और रित की लव स्टोरी शायद संयोग के साथ साथ वियोग पक्ष भी लिए हुए थी ।

होली पर्व के अवसर पर जो स्वभाविक छेड़खानी या शरारतपूर्ण विवरण नायक - नायिका , नायक - साली या फिर नायक - भाभी का आप करती है वो आज तक मैने किसी भी राइटर्स को करते नही देखा ।
एडल्ट स्टोरी होने के बावजूद यह सिर्फ आप ही कर सकती है कि शब्द या सेन्टेन्स इरोटिक तो प्रतीत होते है लेकिन फूहड़ता नही झलकती ।

आप अपनी इस महागाथा को स्टार्ट करें । मेरी पुरी कोशिश रहेगी कि आप के इस अद्भुत स्टोरी के प्रत्येक अपडेट पर अपनी राय जाहिर कर सकूं ।
 

Lakshmanain

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यह कहानी एक एरोटिक थ्रिलर है। इसमें थ्रिल के तत्व भी हैं , रोमांस भी है और ढेर सारे कैरेकटर है। कहानी का नैरेटर एक पुरुष है जो फर्स्ट परसन में कहानी कहता है लेकिन स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली हैं। कहानी एक काल खंड की है और कुछ शहरों की।
कोमल मैं थ्रिलर के तत्व और नैरेटर स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली बारे मुझे नहीं मालूम इसका मतलब क्या होता है इसके बारे में बताने के कष्ट करें कोमल में आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
 
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कोमल मैं थ्रिलर के तत्व और नैरेटर स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली बारे मुझे नहीं मालूम इसका मतलब क्या होता है इसके बारे में बताने के कष्ट करें कोमल में आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
थ्रिलर का मतलब रोमांचक , सनसनीखेज या फिर उत्तेजक भी हो सकता है । अगर स्टोरी मे कोई खून - खराबे का सीन्स हो , मर्डर मिस्ट्री हो , सस्पेंस हो और उसे पढ़कर आपको रोमांच महसूस होता हो तो इसका मतलब वह सीन्स आपको थ्रिल कर रहा है ।
नैरेटर का मतलब यहां यह है कि स्टोरी किस पर्सन के नजरिए से लिखी जा रही है । अगर फर्स्ट पर्सन हुआ , इसका मतलब स्टोरी नायक के प्वाइंट आफ भिव से लिखी जा रही है ।
अगर स्टोरी किसी भी किरदार के प्वाइंट आप भिव से न लिखी हुई हो , इसका मतलब वह स्टोरी थर्ड पर्सन या यह कहें राइटर के प्वाइंट आफ भिव से लिखी गई है ।

इस स्टोरी मे कभी-कभार आपको नायक के नजरिए से स्टोरी को महसूस करना होगा तो कभी-कभार राइटर के नजरिए से ।
 
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