कई साल हो गए लेकिन इस कहानी की यादें अबतक दिमाग मे बसी हुई है । ऐसा भी नही है कि इस कहानी का हर घटनाक्रम , हर चीजें या हर किरदार सबकुछ याद है लेकिन फिर भी याद तो बहुत कुछ है ।
नायक और नायिका का धीमे आंच मे परवान होता हुआ प्रेम , उनका मासूमियत सा इश्क , उनका एक अबोध बच्चे की तरह कभी-कभार व्यवहार करना , उनकी शरारतपूर्ण हरकतें , उनका कभी-कभार अंतरंग होता हुआ सम्बन्ध , उनका विछोह और फिर मिलन , नायक का अपने फर्ज के प्रति निष्ठावान होना , नायक का एक सामान्य इंसान के रूप मे एडवेंचर्स अवतार - किसी भी पाठक को मंत्र मुग्ध कर देने के लिए काफी था ।
गुड्डी आपके प्रत्येक कहानियों का प्रमुख पात्र रहा । लेकिन इस स्टोरी मे जहां तक मुझे याद है रित का किरदार किसी भी मायने मे गुड्डी से कम भी नही था । करन और रित की लव स्टोरी शायद संयोग के साथ साथ वियोग पक्ष भी लिए हुए थी ।
होली पर्व के अवसर पर जो स्वभाविक छेड़खानी या शरारतपूर्ण विवरण नायक - नायिका , नायक - साली या फिर नायक - भाभी का आप करती है वो आज तक मैने किसी भी राइटर्स को करते नही देखा ।
एडल्ट स्टोरी होने के बावजूद यह सिर्फ आप ही कर सकती है कि शब्द या सेन्टेन्स इरोटिक तो प्रतीत होते है लेकिन फूहड़ता नही झलकती ।
आप अपनी इस महागाथा को स्टार्ट करें । मेरी पुरी कोशिश रहेगी कि आप के इस अद्भुत स्टोरी के प्रत्येक अपडेट पर अपनी राय जाहिर कर सकूं ।