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Erotica फागुन के दिन चार

Sutradhar

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फागुन के दिन चार


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" फागुन के दिन चार " मेरी लम्बी कहानी बल्कि यूँ कहें की उपन्यास है। इसका काल क्रम २१ वी शताब्दी के शुरू के दशक हैं, दूसरे दशक की शुरुआत लेकिन फ्लैश बैक में यह कहानी २१ वीं सदी के पहले के दशक में भी जाती है.

कहानी की लोकेशन, बनारस और पूर्वी उत्तरप्रदेश से जुडी है, बड़ोदा ( वड़ोदरा ) और बॉम्बे ( मुंबई ) तक फैली है और कुछ हिस्सों में देश के बाहर भी आस पास चली आती है। मेरा मानना है की कहानी और उसके पात्र किसी शून्य में नहीं होने चाहिए, वह जहां रहते हैं, जिस काल क्रम में रहते हैं, उनकी जो अपनी आयु होती है वो उनके नजरिये को , बोलने को प्रभावित करती है और वो बात एक भले ही हम सेक्सुअल फैंटेसी ही लिख रहे हों उसका ध्यान रखने की कम से कम कोशिश करनी चाहिए।

लेकिन इसके साथ ही कहानी को कुछ सार्वभौम सत्य, समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है और होना चाहिए।

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कहानी फागुन में शुरू होती है और फागुन हो, बनारस हो फगुनाहट भी होगी, होली बिफोर होली भी होगी।

लेकिन होली के साथ एक रक्तरंजित होली की आशंका भी क्षितिज पर है और यह कहानी उन दोनों के बीच चलती है इसलिए इसमें इरोटिका भी है और थ्रिलर भी जीवन की जीवंतता भी और जीवन के साथ जुडी मृत्यु की आशंका भी। इरोटिका का मतलब मेरे लिए सिर्फ देह का संबंध ही नहीं है , वह तो परिणति है। नैनों की भाषा, छेड़छाड़, मनुहार, सजनी का साजन पर अधिकार, सब कुछ उसी ' इरोटिका ' या श्रृंगार रस का अंग है। इसलिए मैं यह कहानी इरोटिका श्रेणी में मैं रख रही हूँ .

और इस कहानी में लोकगीत भी हैं, फ़िल्मी गाने भी हैं, कवितायें भी है

पर जीवन के उस राग रंग रस को बचाये रखने के लिए लड़ाई भी लड़नी होती है जो अक्सर हमें पता नहीं होती और उस लड़ाई का थ्रिलर के रूप में अंश भी है इस कहानी में।

किसी एक टैग में जिंदगी को समेटना मुश्किल है और कहानी को भी। कहानी के कुछ रंग कर्टेन रेजर या पूर्वाभास के तौर पर मैं प्रस्तुत करुँगी, सतरंगी रंग कुछ इरोटिका के कुछ थ्रिलर के. कुछ उन शहरों के जहाँ यह कहानी चक्कर काटती है.

आप का दुलार, प्यार, साथ , आशीष मिलेगा तो अगले सप्ताह से यहाँ पोस्ट करना शुरू करुँगी


अगर समय मिला, मुझे, मेरे पाठक मित्रों को तो कोशिश करुँगी महीने में तीन चार भाग जरूर पोस्ट कर दूँ ,




तो पूर्वाभास की शुरआत के पहले इस कहानी के ही एक अंश से



और साथ में टीवी चैनेल वाले ये भी बताना नहीं भूलंगे की यहाँ के लोग पढ़ने, काम ढूँढ़ने बाहर जाते हैं, कोई खास रोजगार का जरिया यहां नहीं है।



लेकिन ये दर्द सिर्फ एक शहर का नहीं, शायद पूरे पूर्वांचल का है, और जमाने से है। मारीशस, फिजी, गुयाना, पूर्वांचल के लोग गए, और शूगर केन प्लांटेशन से लेकर अनेक चीजें, उनकी मेहनत का नतीजा है। वहां फैली क्रियोल, भोजपुरी, चटनी संगीत यह सब उन्हीं दिनों के चिन्ह है।



और उसके बाद अपने देश में भी, चाहे वह बंगाल की चटकल मिलें हो।



बम्बई (अब मुम्बई) और अहमदाबाद की टेक्सटाइल मिल्स पंजाब के खेत, काम के लिए। और सिर्फ काम की तलाश में ही नहीं, इलाज के लिए बनारस, लखनऊ, दिल्ली जाते हैं। पढ़ने के लिए इलाहबाद, दिल्ली जाते हैं।



लेकिन कौन अपनी मर्जी से घर छोड़कर काले कोस जाना चाहता है? उसी के चलते लोकगीतों में रेलिया बैरन हो गई, और अभी भी हवाओं में ये आवाज गूँजती रहती है-




भूख के मारे बिरहा बिसरिगै, बिसरिगै कजरी, कबीर।

अब देख-देख गोरी के जुबना, उठै न करेजवा में पीर।
कोमल जी

आपके आदेश की पालना में हाजिर हो गए हैं।

सादर
 

Lakshmanain

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यह कहानी एक एरोटिक थ्रिलर है। इसमें थ्रिल के तत्व भी हैं , रोमांस भी है और ढेर सारे कैरेकटर है। कहानी का नैरेटर एक पुरुष है जो फर्स्ट परसन में कहानी कहता है लेकिन स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली हैं। कहानी एक काल खंड की है और कुछ शहरों की।
कोमल मैं कहानी आप कैसे भी लिखिए आप लिखावट में बहुत अच्छा लगता है इसका कोई जवाब नहीं इसका बहुत प्रशंसक करता हूं मैं कोमल मैं एक बात तो है कोई कहानी के आधार से पड़ता है कोई कामुकता को लेकर पड़ता है। कोमल मैं ऐसा कुछ करिए की जो कहानी हिसाब से पढ़े उसे भी अच्छा लगे जो काम मुक्तक वेजेस पड़े भी अच्छा लगे जो इसमें मेंन किरदार हो मैं उसका करेक्टर बहुत बढ़िया रखना इसलिए कह रहा हूं कामुकता सिर्फ रहता है जो में किरदार होता है बीच में उसका करेक्टर बहुत खराब कर देती है मैं ऐसा कुछ करना मैं की शुरू से लेकर लास्ट तक मैंन किरदार का इमेज बना रहे आप कितना भी किरदार रखी है उसे मतलब नहीं होता है मैं ऐसा लिखेंगे तो मैं जो कहानी कहानी से जुड़े हुए पड़ता है और जो कामुकता के जुड़े हुए से पड़ता है तो दोनों को अच्छा लगेगा आपको कहानी के लास्ट तक बने रहेंगे दोनों दर्शकों का भी इच्छापुर हो जाएगी लास्ट तक कहानी लिखने में भी आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी बस कोमल मैं आपसे यही कहना है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कमेंट करके जरूर बताना क्या अच्छा कहा क्या बुरा
 

komaalrani

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कई साल हो गए लेकिन इस कहानी की यादें अबतक दिमाग मे बसी हुई है । ऐसा भी नही है कि इस कहानी का हर घटनाक्रम , हर चीजें या हर किरदार सबकुछ याद है लेकिन फिर भी याद तो बहुत कुछ है ।
नायक और नायिका का धीमे आंच मे परवान होता हुआ प्रेम , उनका मासूमियत सा इश्क , उनका एक अबोध बच्चे की तरह कभी-कभार व्यवहार करना , उनकी शरारतपूर्ण हरकतें , उनका कभी-कभार अंतरंग होता हुआ सम्बन्ध , उनका विछोह और फिर मिलन , नायक का अपने फर्ज के प्रति निष्ठावान होना , नायक का एक सामान्य इंसान के रूप मे एडवेंचर्स अवतार - किसी भी पाठक को मंत्र मुग्ध कर देने के लिए काफी था ।

गुड्डी आपके प्रत्येक कहानियों का प्रमुख पात्र रहा । लेकिन इस स्टोरी मे जहां तक मुझे याद है रित का किरदार किसी भी मायने मे गुड्डी से कम भी नही था । करन और रित की लव स्टोरी शायद संयोग के साथ साथ वियोग पक्ष भी लिए हुए थी ।

होली पर्व के अवसर पर जो स्वभाविक छेड़खानी या शरारतपूर्ण विवरण नायक - नायिका , नायक - साली या फिर नायक - भाभी का आप करती है वो आज तक मैने किसी भी राइटर्स को करते नही देखा ।
एडल्ट स्टोरी होने के बावजूद यह सिर्फ आप ही कर सकती है कि शब्द या सेन्टेन्स इरोटिक तो प्रतीत होते है लेकिन फूहड़ता नही झलकती ।

आप अपनी इस महागाथा को स्टार्ट करें । मेरी पुरी कोशिश रहेगी कि आप के इस अद्भुत स्टोरी के प्रत्येक अपडेट पर अपनी राय जाहिर कर सकूं ।
बहुत बहुत धन्यवाद

आपने एकदम सही कहा रीत कहानी के शुरू से अंत तक थी। और पूरी कहानी में रीत की अलग ढंग की भूमिका थी। रोमांस और रोमांच दोनों में। और इतने बड़े कैनवास पर दुबारा लिखना भी मुश्किल है। फिर कई बातें ऐसी थीं जो तथ्यों पर आधारित थी।

मैंने बहुत सहम के इसे पोस्ट करने का फैसला किया, क्योंकि कहानी मैं बीच में छोड़ती नहीं। और किस फोरम में कितने पढ़ने वाले मिलेंगे पता नहीं। लेकिन आप सब के विश्वास पर मैं जल्द ही पोस्ट करना शुरू करुँगी। उसके पहले हो सके तो झलकियां थ्रिलर्स की भी एक दो पोस्ट करुँगी।

एक बार फिर से आभार
 

komaalrani

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कोमल मैं थ्रिलर के तत्व और नैरेटर स्त्री चरित्र भी शक्तिशाली बारे मुझे नहीं मालूम इसका मतलब क्या होता है इसके बारे में बताने के कष्ट करें कोमल में आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
संजू जी ने बहुत अच्छी व्याख्या कर दी मेरे ख्याल से आप समझ गए होंगे। मेरा सुझाव फिर यही है की पहले पृष्ठ पर कहानी के बारे में और झलकियों को पढ़ लें। देह संबंध होंगे तो लेकिन कहानी के न वह मुख्य बिंदु होंगे न कहानी उनके इर्द गिर्द घूमेगी। रोमांस और थ्रिल यह दो तत्व प्रमुख हैं।
 
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komaalrani

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थ्रिलर का मतलब रोमांचक , सनसनीखेज या फिर उत्तेजक भी हो सकता है । अगर स्टोरी मे कोई खून - खराबे का सीन्स हो , मर्डर मिस्ट्री हो , सस्पेंस हो और उसे पढ़कर आपको रोमांच महसूस होता हो तो इसका मतलब वह सीन्स आपको थ्रिल कर रहा है ।
नैरेटर का मतलब यहां यह है कि स्टोरी किस पर्सन के नजरिए से लिखी जा रही है । अगर फर्स्ट पर्सन हुआ , इसका मतलब स्टोरी नायक के प्वाइंट आफ भिव से लिखी जा रही है ।
अगर स्टोरी किसी भी किरदार के प्वाइंट आप भिव से न लिखी हुई हो , इसका मतलब वह स्टोरी थर्ड पर्सन या यह कहें राइटर के प्वाइंट आफ भिव से लिखी गई है ।

इस स्टोरी मे कभी-कभार आपको नायक के नजरिए से स्टोरी को महसूस करना होगा तो कभी-कभार राइटर के नजरिए से ।
आपने बहुत अच्छा समझाया इतना अच्छा शायद मैं भी नहीं समझा सकती थी। धन्यवाद।
 

komaalrani

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कोमल जी

आपके आदेश की पालना में हाजिर हो गए हैं।

सादर
आदेश नहीं अनुरोध।


और आपने मेरे अनुरोध का मान रखा इसके लिए ढेर सारा आभार। आपका स्नेह ही इस कथायात्रा का पाथेय है और संबल भी है। मुझे विश्वास है आपका साथ हमेशा रहेगा, धूप में भी छाँह में भी।🙏🙏

 

komaalrani

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कोमल मैं कहानी आप कैसे भी लिखिए आप लिखावट में बहुत अच्छा लगता है इसका कोई जवाब नहीं इसका बहुत प्रशंसक करता हूं मैं कोमल मैं एक बात तो है कोई कहानी के आधार से पड़ता है कोई कामुकता को लेकर पड़ता है। कोमल मैं ऐसा कुछ करिए की जो कहानी हिसाब से पढ़े उसे भी अच्छा लगे जो काम मुक्तक वेजेस पड़े भी अच्छा लगे जो इसमें मेंन किरदार हो मैं उसका करेक्टर बहुत बढ़िया रखना इसलिए कह रहा हूं कामुकता सिर्फ रहता है जो में किरदार होता है बीच में उसका करेक्टर बहुत खराब कर देती है मैं ऐसा कुछ करना मैं की शुरू से लेकर लास्ट तक मैंन किरदार का इमेज बना रहे आप कितना भी किरदार रखी है उसे मतलब नहीं होता है मैं ऐसा लिखेंगे तो मैं जो कहानी कहानी से जुड़े हुए पड़ता है और जो कामुकता के जुड़े हुए से पड़ता है तो दोनों को अच्छा लगेगा आपको कहानी के लास्ट तक बने रहेंगे दोनों दर्शकों का भी इच्छापुर हो जाएगी लास्ट तक कहानी लिखने में भी आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी बस कोमल मैं आपसे यही कहना है आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कमेंट करके जरूर बताना क्या अच्छा कहा क्या बुरा
🙏🙏
 

komaalrani

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बस कुछ दिनों में ही यह कथा यात्रा शुरू होगी आप सभी मित्रों से अनुरोध है आप के संबल की साथ की आशीष की इस कहानी को महती आवश्यकता होगी। मैं शुरू में झलकियां इसलिए शेयर कर रही हूँ की बुझते हुए अंगारे फिर ताजा हो जाए और पाठको को कुछ अंदाज लग जाये की कहानी का स्वरूप क्या रहेगा। पहले पृष्ठ पर मैंने कुछ रोमांस के दृश्य शेयर किये थे और अगले पन्नो पर थ्रिलर के कुछ दृश्य आएंगे। अगर पाठक मित्र उन्हें भी पढ़ कर अपनी समत्ति दें या लाइक से ही बताएं उन्हें कैसे लगे ये दृश्य।
 

komaalrani

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यह कहानी लगभग ७ लाख शब्दों की है हो सकता है थोड़ा घटबढ़ हो जाये वर्ड में टाइप करने पर १२०० पृष्ठों से ज्यादा।

इसलिए आकार के हिसाब से यह निश्चित रूप से एक उपन्यास की ही तरह होगी। अगर छपे तो ४००- ५०० पृष्ठों का उपन्यास हो सकता है।

लेकिन आप सब का साथ मिला नियमित टिप्पणियां मिलीं , व्यूज मिले तो कोशिश करुँगी की महीने में तीन चार भाग आपके सामने प्रस्तुत हो जाएँ।

कहानी की कथाभूमि के बारे में बता ही चुकी हूँ। मैंने काफी कुछ कहा बस आप से कुछ सुनने का इन्तजार है।
 

komaalrani

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I am going to share some posts about thrillers on the next page. please do read and share your views.
 
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