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बहुत बहुत धन्यवादउधर मम्मी आनंद बाबू के जलवे से खुश...
इधर गुड्डी अपने जलवे बिखेर के होली के शमां को आनंद बाबू के लिए और रंगीन कर रही है...
'तीन दो पांच' तो तीन आदमियों में खेला जाता है और सब अकेले-अकले .. मेरा मतलब कोई साथी नहीं होता...
और लास्ट में फोन कंवर्सेशन का ये नया एडिशन रुचिकर लगा ...
साथ में आगे का प्लान भी...
कई बातें एक साथ चल रही थीं और दोनों पर स्पीकर फोन आन थे, इसलिए छुटकी और श्वेता की छेड़छाड़ भी साफ़ साफ़ पता चल रही थी। गुड्डी की मम्मी आनंद बाबू के जलवे से खुश थीं, और गुड्डी मम्मी पर जलवों का असर पड़ने से खुश थी और आनंद बाबू के लिए ख़ुशी का मतलब गुड्डी की ख़ुशी थी। वह चकोर की तरह बस उस चंद्रमुखी का मुख निहारते थे।
एक पार्ट ( मम्मी ) का अंत ही इस पंक्ति के साथ होता है
गुड्डी उसी हक से बोल रही थी जिस तरह से पत्निया पति के लिए बोलती हैं अपनी माँ से