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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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मुझे, आपकी लेखनी से प्यार कराने वाली पहली कहानी.

दुबारा पोस्ट करने पर आभार

मुझे, आपकी लेखनी से प्यार कराने वाली पहली कहानी.

दुबारा पोस्ट करने पर आभार
बहुत बहुत धन्यवाद

और जो भाग आपने चुना टिप्पणी करने के लिए शायद वहां प्रणय और विछोह का संधिस्थल था और और कनुप्रिया की यह पंक्ति, विरह की वेदना भी दिखाती है और मिलन की यादें भी.

इस लिए भी यह कहानी अलग है की सामान्यत: फोरम में जिस तरह की कहानियां रहती उससे थोड़ी हटके, श्रृंगार के साथ करूण रस भी है. मिलन के साथ विछोह भी है

मुझे विश्वास है इस कहानी को एक बार फिर से आपका संबल मिलेगा
 

komaalrani

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कोमल जी

मुझ जैसे पाठक पर आपका यह अनुग्रह आपका बड़प्पन है। आपकी सभी कहानियों का तो क्या ही कहूं लेकिन इस कहानी की बात ही कुछ और है।

सच में इस कहानी में आपने जो लिखा है सीधा दिल पर लगा है क्योंकि आपने बनारस के बम ब्लास्ट पर जो लिखा है वो काशी की बात है और मैं जिस शहर से हूं वो छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। बम ब्लास्ट वहां भी हुए और समय व दिन भी वही, वही सब कुछ। जैसे आपका और मेरा साझा किया हुआ घटनाक्रम, सब कुछ वैसा ही। कई परिवार अभी तक भी उसे भुगत रहे हैं, कई बार अखबार भी उस बारे में लिख कर घाव कुरेद देते हैं।

बार - बार आपसे अनुरोध करने के पीछे यह भी एक कारण रहा है। यही नहीं आपसे कहानी आगे बढ़ाने के आग्रह के पीछे भी यही कारण रहा है कि क्या पता आपकी कहानी से ही सही, कुछ बिछड़े मिल जाय, कुछ सुखद जो अंदर तक सहला दे, घटित हो जाय।

आपसे कहने को तो बहुत कुछ है। अभी इतना ही, शेष कहानी के साथ - साथ स्वतः ही कहने में आ जायेगा।

एकबार पुनः आपका हार्दिक आभार।

सादर
आपने स्वयं ही बहुत कुछ कह दिया

एक बार कहानी शुरू हो जाये, मित्र पाठकों का साथ मिले, १०-२० लोग कम से कम हुंकारी भरने वाले मिलें तो फिर किस्सा कहने का मन करता है। और एक बार कहानी चल पड़ी, लोग आते गए, कुछ आद्योपांत पढ़ने वाले, कुछ हिम्मत बढ़ाने वाले तो फिर आगे आगे देखिये

एक बार फिर आप का आभार
 

komaalrani

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पुनः प्रस्तुत करने के लिए, पहले भी पढ़ी थी पर यह उन दो तीन कहानियों में सिरमौर है जो दोबारा पढ़ना चाहता था
जल्द ही शुरू होगी यह कथा यात्रा

तब तक झलकियों को जरूर पढ़े और उन पर अपनी टिप्पणी भी दें

धन्यवाद
 

komaalrani

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थ्रिलर २

समुद्र और बनारसी बाला -रीत


रात 11:30 अरब सागर- ‘टेरर’ एल॰पी॰जी॰ शिप के स्टर्न के ऊपर की ओर। दोनों सी किंग हेलीकाप्टर जो उनके साथ चले थे, अब टेरर शिप के स्टर्न के ऊपर पहुँच चक्कर काट रहे थे और उन्होंने अपनी उंचाई कम करनी शुरू कर दी। वो शिप से पचास मीटर ऊपर रहे होंगे, की शिप से टक-टक टक-टक, ऐंटी एयर क्राफट गन की आवाजें शुरू हो गई थी। अब कोई शक नहीं था की वो एनमी शिप था।

लेकिन वो हेलीकाप्टर और उसके चालक इस सिच्युएशन के लिए तैयार थे, उन्होंने पहले तो डक किया लेकिन फिर अचानक ऊपर उड़ गए और दोनों अलग-अलग दिशाओं में दायें बाएं ऊपर उड़ चले। ऐंटी एयर क्राफ्ट गन, लाइट गन्स की गोलियां अब भी उनका पीछा कर रही थी।

रीत और उनके साथी मार्कोस, अब एकदम शिप के पास पहुँच गए थे और शिप में चढ़ने के लिए रोप लैडर का इश्तेमाल शुरू करने वाले थे। शिप के सारे लोगों का ध्यान उन दोनों हेलीकाप्टर पर था। और उसी बीच, एक और हेलीकाप्टर ठीक शिप के बीच इतना नीचे आ गया, की लगा वो शिप पर लैण्ड कर रहा है। उसके पंखों की हवा से शिप की छोटी मोटी चीजें उड़ने लगी थी। और जब तक शिप की ऐंटी एयर क्राफ्ट गन अपना निशाना बदलते, हेलीकाप्टर की गन चालू हो गईं थी। लेकिन वो गोलियों की जगह बाम्ब्स थ्रो कर रही थी- स्मोक बाम्ब।


और उसी के साथ रीत की टीम शिप के वाल पे चढ़ चुकी थी। सबसे आगे मार्कोस का लीडर था, जिसने नेवी सील्स के साथ एक साल ट्रेनिंग की थी, कई ऐक्चुअल एंटी टेरर आपस में भाग लिया था। उसने गैस मास्क लगा लिया और उसके साथ बाकी लोगों ने भी।


सबसे पहले उसने शिप के फ्लोर पर दो स्मोक बाम्ब लुढ़का दिए और फिर पूरी ताकत से आँसू गैस के कैनिस्टर फेंके। जब तक स्मोक बाम्ब्स का धुँआ छा जाता, वो चारों शिप के अंदर थे। उधर हेलीकाप्टर के होल्ड से अब पैराट्रूपर शिप पर उतर रहे थे।


एक, दो, चार, छः और तब दायें बाएं वाले हेलीकाप्टर भी आ गए और उनसे भी शिप के दोनों साइड पर पैराट्रूपर उतर रहे थे। शिप के अंदर के लोग सब उनके मुकाबले को आ गये। लेकिन तब तक तीनों हेलीकाप्टर से स्मोक बाम्ब्स तेजी से फेंके गए और शिप पे धुँआ, कुहासा छा गया। वो पैराट्रूपर सारे डमी थे।


नार्मण्डी लैंडिंग में ब्रिटेन ने एक सीक्रेट आपरेशन लांच किया था, आपरेशन टाइटैनिक, जिसमें ये डमी पैराट्रूपर इश्तेमाल हुए थे और उन्हें रूपर्ट कहा गया था। ये भी बिलकुल उसी तरह थे लेकिन थोड़े एडवांस। एल॰पी॰जी॰ चलते असली गोली तो चला नहीं सकते थे, इसलिए उनमें गोली की आवाज रिकार्ड थी और नकली पिस्तौल फ्लैश करती थी।

कोई उन्हें छूने की या पकड़ने की कोशिश करता था तो टेजर नीडल्स निकलती थी, जिनमें 440 वोल्ट का झटका होता था। और शिप के फ्लोर से लड़ते ही स्टेन ग्रेनेडस निकलते। उसका असर ये हुआ की ढेर सारे लोग काम के काबिल नहीं रहे और रीत की टीम को काम करने का मौका मिल गया।


शिप पर बहुत कन्फ्यूजन था। पहले स्मोक बाम्ब्स, और फिर ये डमी पैराट्रूपर्स। लग रहा था चारों ओर गोलियां चल रही है और जो उनके पास आता वो शाक का शिकार हो रहा था। और गोलियों का उनपर असर हो नहीं रहा था। होता भी कैसे? वो तो डमी थे।

हाँ, डी॰आर॰डी॰ओ॰ ने उनमें रोबोटिक्स का इतना अच्छा इश्तेमाल किया था की चलने फिरने में, वो एक पैरा की तरह लगते थे। यहाँ तक की कुछ पैरा में तो उन्होंने गालियां तक रिकार्ड कर रखी थी, वो भी एक से एक बनारसी, शुद्ध। लेकिन सबसे इम्पॉर्टेंट बात थी उनकी आँखें चारों ओर थी और वो कैमरे रिकार्ड कर लाइव फीड, ऊपर हेलीकाप्टर तक भेज रहे थे, जहाँ से वो कोस्टगार्ड शिप में जा रहा था। और उसे मार्कोस टीम के कैप्टेन के पास भी एनलाइज करके भेजा जा रहा था।

रीत की टीम काम पे लग गई थी। उनके पास बस पन्दरह मिनट का टाइम था, लेकिन उन्हें 11 से 12 मिनट के बीच में शिप एवैकयूएट कर देना था। पहला शिकार रीत के ही हाथ लगा। कमांडो टीम कैप्टेन ने आगे बढ़कर एक दरवाजा था उसे सिक्योर कर दिया। चारों प्वाइंट उसके इसी॰ओ॰र थे। और उसके बाद शिप के कम्युनिकेशन और पावर केबल स्नैप कर दिए।

टीम का रियर एंड भी मार्कोस का एक कमांडो सिक्योर कर रहा था। लेकिन हमला बीच में हुआ। रीत और उसका साथी जगह लोकेट कर रहे थे, तभी एक केबिन खुला और बिजली की तेजी से किसी ने रीत पर हमला किया।

हर कमांडो के चार आँखें चार कान होते हैं, लेकिन रीत के दस थे। वो फुर्ती से पीछे हटी, उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप, गरदन पे। और जब तक वो सम्हलता, रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी, जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।

लेकिन ये शुरुवात थी। उसके बाद दो ने और हमला किया, एक साथ। उन दोनों के हाथ में चाकू था। और वो दोनों जूडो के एक्सपर्ट थे। चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गई। हमला बेकार हो गया, लेकिन उसकी कैप गिर गई और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।


“अरे ये तो लौंडिया है…”
 

komaalrani

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रीत का प्रहार


हर कमांडो के चार आँखें चार कान होते हैं, लेकिन रीत के दस थे। वो फुर्ती से पीछे हटी, उसका घुटना अटैकर के पेट में और हाथ से कराते का चाप, गरदन पे। और जब तक वो सम्हलता, रीत ने उसके माथे के पास एक नस दबा दी, जिससे उसके ब्रेन पे सीधे असर पड़ा और वो आधे घंटे से ज्यादा के लिए बेहोश हो गया।

लेकिन ये शुरुवात थी। उसके बाद दो ने और हमला किया, एक साथ। उन दोनों के हाथ में चाकू था। और वो दोनों जूडो के एक्सपर्ट थे। चाकू का पहला हमला गर्दन पर हुआ। रीत झुक गई। हमला बेकार हो गया, लेकिन उसकी कैप गिर गई और उसके लम्बे बाल नीचे तक फैल गए।

“अरे ये तो लौंडिया है…”

बस यही गलती हो गई। शब्द भेदी बाण की तरह, रीत की शब्द भेदी देह थी। बात पूरी नहीं हुई और रीत की कोहनी और पैर दोनों एक साथ चले। एक ही काफी था। उसके प्राण पखेरू उड़ाने के लिए। लेकिन पहले वाले ने फिर वार करने की कोशिश की, और अब हवा में एक खुखरी चमकी। मार्कोस कमांडो का स्पेशल हथियार। ये रीत का साथी कमांडो था और अब वो भी हमलावर ढेर हो गया।

दोनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया और साथ-साथ काँधे के जोर से केबिन का दरवाजा तोड़ा, जिसमें से ये तीनों निकले थे। वह कंट्रोल रूम था। वहां सी॰सी॰टीवी की फीड आ रही थी। और सारे कैमरे, नाइट विजन वाले थे। यही नहीं जगह-जगह मोशन सेंसर लगे थे। जिससे स्मोक के बावजूद वो लोग देख लिए गए थे। उस आदमी ने तुरंत पिस्टल निकाल ली। लेकिन सामना रीत से था।

रीत ने दीवाल पर लगा फायर एक्स्टिंविशर उठा लिया और उसका नोजल सीधा उसके ऊपर। जब तक वो सम्हलता, उस अग्नि शामक यंत्र की पाइप उसके गले में फँस चुकी थी, फांसी के फंदे की तरह। सेकेंडो में वो अपने साथियों के पास पहुँच गया।

तब तक उसके साथी ने कंट्रोल के सारे आपरेटस तोड़ दिए और अपने बाकी साथियों को कैमरे और सेंसर की जानकारी दे दी। दो सावधानी बरतनी थी, मारपीट में। एक तो आवाज नहीं होनी चाहिए और दूसरे गोली नहीं चलनी चाहिए। अगर गोली शिप के किसी दीवाल या फर्नीचर से रियेक्ट होकर गैस के होल्ड में लगती तो एक्स्प्लोसन हो सकता था। इसलिए न तो खुद गोली चलाना था और न और ही दुश्मन को गोली चलाने देना था। हाथ, पैर, और ज्यादा से ज्यादा खुखरी। रीत ने उस जगह को ढूँढ़ लिया था जहाँ उसे एक्सप्लोसिव फिट करना था। कील, कंट्रोल रूम के ठीक नीचे से होकर गुजरती थी।

चार जगहों पर कील के पास, जहाँ स्ट्रक्चरल डिफेक्ट थे, ये लगाए जाने थे और चार जगहों पर हल के पास। हर कमांडो को दो-दो एक्सप्लोसिव लगाने थे। और यह काम अगले 7 मिनट में पूरा होना था।

तभी दो गड़बड़ियां हुईं। रीत को एक्सप्लोसिव लगाते समय टिक-टिक-टिक-टिक की आवाज सुनाई पड़ी।

किसी और के लिए ये आवाज सुनना असंभव नहीं, तो लगभग असंभव जरूर था। बनारस में योग और तंत्र की शिक्षा ने, उसकी सारी इन्द्रियों को अति संवेदित कर रखा था और विशेष रूप से किसी आपरेशन के पहले वह सबको आमंत्रित कर लेती थी। और फिर वह अकेली नहीं होती थी, उसके साथ सारे भैरव, योगिनिया और उसके पीछे, दसों महाविद्याएं रहती थी, अपने आशीर्वाद के साथ।

रीत ने फिर ध्यान केंद्रित किया और वह समझ गई यह टाइम बाम्ब की आवाज है। कंट्रोल रूम में ही वह कील के ठीक ऊपर वो एक्सप्लोसिव लगा रही थी। रीत ने गहरी सांस ली, और एक बार फिर चारों ओर देखा, और उसकी निगाह उस आदमी पर पड़ी जिसके गले में अभी अग्नि शामक यंत्र की पाइप मौत माला बनकर झूल रही थी।

लेकिन उसका हाथ टेबल के नीचे लगे एक लाल बटन पर था जिसका प्लंजर उसने दबा रखा था। और उसी के साथ एक शिप का प्लान था, जहाँ पहले से लगे बाम्ब की लोकेशन दिख रही थी। कुल 18 बाम्ब थे। और उन्हें 15 मिनट के अंदर डिटोनेट होना था, जब उसने प्लंजर दबाया था। किसी भी हालत में उन्हें डिफ्यूज या डिस्कनेक्ट नहीं किया जा सकता था।

उसने एक बार फिर टाइम बाम्ब के टाइमर को देखा, अभी बारह मिनट बचे थे। खतरा मार्कोस टीम को नहीं था, अगले 7 मिनट में उन्हें बाम्ब लगाना था और दस मिनट में वो निकल जाते। खतरा और बड़ा था।

शिप को अब सिंक 12 मिनट के पहले हो जाना था या कम से कम आधा सिंक हो जाना था। आधे टाइम बाम्ब, गैस होल्ड के ठीक नीचे लगे थे। और शिप में आग लगने से एल॰पी॰जी॰ एक्सप्लोड होते। आयल प्लेटफार्म अभी भी 30 मिनट की दूरी पर था, लेकिन 15 मिनट में ये शिप, आयल वेल के ऊपर होगा। प्रत्युपन्नमति में रीत का जवाब नहीं था। उसने टीम के बाकी मेम्बर्स को मेसेज दिया, बाम्ब्स अब 7 मिनट के बजाय 4 मिनट में लग जाने चाहिए।

अगले चार मिनट में सारे बाम्ब लग गए।
 

komaalrani

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रीत, रिजक्यू

लेकिन दूसरी परेशानी हो गई, मार्कोस के टीम के कमांडर को पकड़ लिया गया। उसके मेसेंजर पर मेसेज आया।

कमांडर, स्टर्न साइड से एंट्री सिक्योर किये हुए था, और साथ ही उसे उस लोकेशन की कील और हल में बाम्ब भी लगाने थे। जब वह झुक कर दूसरा बाम्ब लगा रहा था, उसी समय पीछे से हमला हुआ। उसने बिना उठे अपनी कुहनी और एक पैर से हमला करके उस अटैंकर को न्यूट्रलाइज कर दिया। लेकिन हमला करने वाले तीन थे। दोनों ने एक साथ अपना पूरा बाडी इंतेजार उसपर डाल दिया। और एक तेज धारदार चाकू की नोक उसके गर्दन पर रख दी। वो पूछ रहते थे उसके साथ कौन है?

उन्हें क्या मालूम, उसके साथ पूरा देश था, वो हर इंसान था जो आतंक के खिलाफ है। रीत भी तेजी से उस जगह की ओर बढ़ी, लेकिन जो हुआ, वो देखकर वह सन्न रह गई।

उसके आगे के कमांडो के हाथ से बिजली की तेजी से खुखरी निकली, और उसने जिस तेजी से वो फेंकी, अगले पल जिस दुष्टात्मा ने, कमांडो कमांडर के गले पे चाकू लगा रखा था, उसका हाथ फर्श पर छटपटा रहा था, चाकू समेत। कटा हुआ अलग। और जब तक उसकी चीख निकलती, कमांडो उसके ऊपर सवार था, और उसकी गरदन उसने मरोड़ दी थी।

बाकी दोनों से निपटना रीत और कमांडो कमांडर के लिए बाएं हाथ का खेल था। एक ने जान खुखरी से गंवाई और दूसरे ने रीत की उंगलियों से। लेकिन मौत तुरंत आई, बिना आवाज, चीख पुकार के। रीत ने कमांडो कमांडर से कुछ खुसुर पुसुर की। और ये तय हुआ की बाम्ब्स लग गए हैं इसलिए दोनों मार्कोस के कमांडो तुरंत शिप से निकलकर, बाहर पहुँचकर एक्जिट प्वाइंट सिक्योर करेंगे, और इन्फ्लेटेबल बोट को रेडी रखेंगे।

उनके सपोर्ट के लिए आये हेलीकाप्टर को और कोस्ट गार्ड शिप को रेड़ी होने का अलर्ट देंगे। चार मिनट के अंदर, रीत और कमांडर वापस आएंगे, झाड़ू लगाकर। कुछ ही पलों में दोनों मार्कोस के कमांडो शिप के बाहर थे।

कमांडर ने बताया था की डमी पैराट्रूपर्स ने जो बातें रिकार्ड की हैं उनसे ये पता चला है की, शिप के कैप्टेन (असली) और कुछ सेलर्स को कहीं बंद करके रखा है। उसका प्लान ये था की बचे हुए समय में अगर वो मिल जाते हैं तो उन्हें रिस्क्यू करा सकते हैं और साथ में शिप के लाइफ बोटस को अलग कर देंगे, जिससे जब शिप सिंक हो तो टेरर वाले लोग निकल न भागे। बस एक बात का ध्यान रखना था की उनके शिप से निकलने के टाइम में कोई फेर बदल नहीं होगा। कमांडर के मेसेज देने के तुरंत बाद, रीत को एस्केप प्लेस पर पहुँच जाना होगा।



कुल चार मिनट थे उनके पास। एक ओर से रीत ने काम्बिंग शुरू की और दूसरी ओर से कमांडो कमांडर ने। लेकिन रीत के मन में कुछ और था, वो चाहती थी कुछ सबूत इकठ्ठा करना।
 

komaalrani

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रीत, दुश्मन की मांद में

और एक बार जब शिप सिंक हो जाएगा, तो ये लोग लाख कहें इंटरनेशनल फोरम में, बिना किसी सबूत के कोई मानने वाला नहीं है। और दूसरी बात, इससे वो लिंक जोड़ के, जिसने ये आपरेशन आर्डर किया, जो इसको कंट्रोल और फाइनेन्स कर रहे हैं, उन तक पहुँच सकते हैं, जब तक दुशमन की मांद में घुस के न मारा तो क्या मजा।

और इस काम में करन एक्सपर्ट था। रीत और करन की जोड़ी के आगे दुश्मन नतमस्तक हो जाएं तो बात है। पहला हमला उसने कम्युनिकेशन रूम पर किया, वहां सिर्फ एक आदमी था। न उसे ज्यादा तकलीफ हुई न रीत को। रीत ने उसे बेहोश करके छोड़ दिया।

और वहां पर तो शुद्ध सोना मिला उसे, कम्युनिकेशन लाग, किससे बात हुई और सबसे बढ़कर, पिछले 12 घंटों की पूरी बातचीत वायस रिकार्डर डाटा कार्ड में थी। रीत ने उसे निकाल लिया और कैप्टेन केबिन की ओर रुख किया।पहले तो रीत को कुछ नहीं मिला। फिर कबर्ड में हाथ से फील करने पर उसे एक दीवार खोखली लगी। और फिर नाखून के सहारे उसने एक उभरी हुई जगह को उठाया तो वहां एक डायरी, लाग, चार्ट मिले। डायरी शिप के असली कैप्टेन की थी।

और तभी उसे हल्की सी हेल्प-हेल्प की आवाज सुनाई पड़ी। ध्यान देने पर पता चला लाफ्ट से, ऊपर से, आवाज आ रही थी। और जैसे ही उसने खोला, बण्डल नीचे गिरा। वो शिप का असली कैप्टेन था। हाथ, पैर आपस में बांधकर बंडल बना दिया था। मुँह पर पट्टी, लेकिन वो उसने रगड़-रगड़कर थोड़ी खोल ली थी। पल भर में रीत ने उसे आजाद कर दिया। उसने कुछ बोलने की कोशिश की तो रीत ने उसे इशारे से चुप करा दिया। उनकी आवाज सुनकर कोई भी आ सकता था। दूसरे स्मोक बाम्ब का असर कम हो रहा था। और अब हल्का-हल्का दिखाई पड़ रहा था। उन्होंने कुछ पावर केबल काटे थे पर इमरजेंसी लाइटें अभी भी जल रही थी। रीत ने कैप्टेन से लाइटों का स्विच बोर्ड पता किया और फिर दो तारों को जोड़कर उसे शार्ट कर दिया।

शिप का अंदरुनी हिस्सा एक बार फिर घुप अँधेरे में डूब गया। यहीं से पावर इंजिन रूम को भी जाता था, वहां भी पावर सप्लाई बंद हो गई।

रीत ने नाइट विजन ग्लासेस लगा रखे थे, उसने शिप कैप्टेन का हाथ पकड़ा और दोनों बाहर गलियारे में निकल पड़े। एस्केप प्वाइंट पर मिलने में सिर्फ डेढ़ मिनट का समय बचा था। थोड़ी देर में उसने मार्कोस के लीडर को देखा, उसके साथ भी तीन लोग थे। और वो आलरेडी एस्केप प्वाइंट पर लगी रोप लैडर से उतर रहे थे। दो आदमियों को मार्कोस लीडर ने नीचे उतार दिया और इशारा किया। वो इन्फलेटबल बोट अब शिप से दूर चल दी।

शिप और बाहर समुद्र घुप अँधेरे में डूबे थे।

रीत और मार्कोस कमांडर ने अब दूसरी बोट पे लैंडिंग शुरू की। सबसे पहले लीडर ने जिसे रिजक्यू कराया था वो आदमी, और फिर रीत बोट में उतरे। उतरने के बाद वो रस्सी हिला के इशारा करते और अगला आदमी उतरना शुरू करता। अब शिप के कैप्टेन और फिर मार्कोस टीम के लीडर का नंबर था।

पहली बोट अब पूरी तेजी से जा रही थी और शिप से करीब आधे किलोमीटर दूर पहुँच गई थी। उन्होंने दोनों हेलीकाप्टर को मेसेज दे दिया था की अब बजाय चार के आठ लोग हेलीकाप्टर से जाएंगे। एक हेलीकाप्टर अब पहली बोट के ऊपर मंडरा रहा था।

कोस्ट गार्ड का शिप भी किसी परिस्थिति के लिए पास आ गया था।

शिप से होने वाले किसी भी फायर के रेंज से वो बाहर थे। पहले हेलीकाप्टर ने विन्च नीची की और रोप लटका दी। मार्कोस का एक आदमी सबसे पहले चढ़ा, फिर रिजक्यू किये गए दोनों और अंत में मार्कोस का एक आदमी।

अब रीत के बोट का नंबर था। पहले हेलीकाप्टर के दूर जाने के बाद इस हेलीकाप्टर की विन्च खुली और रोप नीचे आई। सबसे पहले एल॰पी॰जी॰ शिप के कैप्टेन, फिर एक और रिजक्यू किया हुआ आदमी, रीत और सबसे अंत में मार्कोस के लीडर को चढ़ना था। कैप्टेन के चढ़ने के बाद दूसरा आदमी चढ़ा।

रीत ने घड़ी देखी। एक्सप्लोजन में अभी 6 मिनट बचे थे और शिप की सिंकिंग शुरू होने में आठ मिनट। और ये एक्स्प्लोसिव बहुत ही लो पावर थे, शिप के बाहर से पता ही नहीं चलता। जब शिप सिंक करना शुरू करता तो पता चलेगा।

रीत ने चैन की साँस ली, आपरेशन सक्सेसफुल रहा। रीत रस्सी पर चढ़ गई थी और उसके ठीक पीछे, मार्कोस का लीडर।

उन्हें जल्दी से यह जगह खाली करनी थी। तभी नीचे से मार्कोस के लीडर की चीख और चेतावनी सुनाई पड़ी।

कैप्टेन के बाद रिजक्यू किया हुआ आदमी रोप से चढ़ा था वो हेलीकाप्टर की विन्च पर से झुक कर रोप चाकू से काट रहा था। चीख सुनकर, हेलीकाप्टर के कमांडो ने, पिस्टल के शाट से उस आदमी को खत्म कर दिया।

रस्सी अभी भी झूल रही थी, लेकिन रीत मार्कोस लीडर के वजन से वह टूट गई।

मार्कोस लीडर तो इन्फलेटबल बोट के जस्ट बाहर गिरा, और वापस बोट में चढ़ गया। लेकिन रोप के झटके से रीत बोट से दो सौ मीटर दूर सीधे समुद्र में जा गिरी।
 
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रीत





मार्कोस के कमांडर ने बोट में से रैफ्ट का एक टुकड़ा फेंका और वो रीत की ओर तैर रहा था। गहरा काला अरब सागर, अँधेरे में डूबा। होली के अगले दिन का चाँद, बादलों से लुकाछिपी करते पास कुछ चांदनी कभी-कभी बरसा देता।


दुर्दांत भयावह काल की तरह पास में वो विशालकाय टेरर शिप, और समुद्र की लहरों से लड़ती, थपेड़ों से जूझती, बिंदास बनारसी बाला, सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे तैरती, समुद्र की ताकत अपनी बाहों से नापती, जूझती, रीत।

उसे अहसास हो गया था, कि सबसे पहले, उसे उस टेरर शिप से दूर जाना था। जितना दूर हो सके। एक इन्फ्लेटेबल बोट उस शिप के पास भी थी, लेकिन रीत उधर नहीं जा सकती थी। पांच मिनट में शिप सिंक होना था, और जैसे ही वो सिंक होना शुरू होता, आसपास की छोटी मोटी चीजें, सब उसके साथ, समुद्र के गर्त में। गनीमत हो डी॰आर॰डी॰ओ॰ वालों का।

जो ड्रेस इस आपरेशन के लिए रीत ने पहनी थी, वो लाइफ बेल्ट की तरह थी। एक बटन दबाकर उसमें हवा भरी जा सकती थी। और इन्फ्लेट करने के बाद, रीत अब कम से कम समुद्र में डूब नहीं सकती थी। उसने अपनी हेड लाईट भी आन कर दी थी। और थोड़ी देर में वो शिप से दूसरी दिशा में जा रही थी। वह बार-बार पीछे मुड़कर उस शिप की छाया को देखती और उसकी बाँहों में दुबारा ताकत भर उठती।

और तभी उसको एक इन्फेलटेबल बोट दिखी, वही जिससे पहले चार लोग हेलीकाप्टर में चढ़े थे।किसी तरह वह उसमें चढ़ी, और एक पल के लिए उसने गहरी सांस ली। और जब उसने शिप की ओर देखा तो उसे लगा वो शिप स्टार बोर्ड साइड में, टिल्ट हो रहा है। पहले तो उसे विश्वास नहीं, हुआ फिर दुबारा देखा। अबकी टिल्ट और प्रोनाउंस्ड था।

लेकिन फिर उसे याद आया की कहीं शिप के साथ, और तुरंत उसने अपने ड्रेस में रखे दो फ्लेयर्स एक साथ जलाये और दोनों हाथों से हवा में लहराने लगी। आसमान अभी भी काला था और सूना, सिर्फ सन्नाटा।

उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी, कहीं आज की रात। काल रात्रि, लेकिन उसे अपने ऊपर भरोसा था और उससे भी ज्यादा काशी के कोतवाल पर, और तभी हल्की-हल्की आसमान में हेलीकाप्टर के रोटर की आवाज सुनायी देने लगी।



शिप और टिल्ट हो रहा था, और लहरे भी अब शिप की ओर, अपने रेडियो से रीत बार मेडे में डे का मेसेज दे रही थी। वो जान रही थी की बस कुछ मिनटों में उसने अगर ये बोट नहीं छोडी तो, और हेलीकाप्टर उसके बोट के ठीक ऊपर आकर रुका, विन्च नीचे आ गई थी और रोप लहरा रही थी।

उम्मीद की आखिरी किरण की तरह, उछलकर उसने रोप पकड़ ली।



रोप मार्कोस के लीडर कंट्रोल कर रहे थे। बिना नीचे देखे वो दोनों हाथों थे रस्सी पकड़, हेलीकाप्टर में पहुँच गई। और जैसे ही वो अंदर घुस रही थी, उसने नीचे देखा। सी बहुत चापी हो गया था। वह जिस बोट पर थी, समुद्र की लहरों पर गेंद की तरह उछल रही थी। शिप उसी तरह था। मार्कोस कमांडर ने बताया की उन्हें नेवल कंट्रोल ने बोला है की वो यहीं आधे घंटे तक और रहेंगे, और जब तक शिप पूरी तरह सिंक नहीं कर जाता उसे आब्जर्व करेंगे। कम्प्लीट सिंक होने के पन्दरह मिनट बाद ही वह वहां से निकलेंगे। और तब तक वो शिप के ओरिजिनल कैप्टेन को भी ब्रीफ करेंगे।

रीत उनकी बात सुन रही थी लेकिन उसकी निगाह नीचे शिप से चिपकी थी।



अब वह काफी तिरछा हो गया था। पहला आयल वेल अभी भी, शिप से 500 मीटर दूर था।
 
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komaalrani

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मैंने अपनी पोस्ट की जाने वाली कहानी, " फागुन के दिन चार " के कुछ अंश ऊपर पोस्ट किये हैं। कृपया पढ़ने के बाद कहानी के इन अंशो पर टिप्पणी जरूर करें।
 
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