रीत
मार्कोस के कमांडर ने बोट में से रैफ्ट का एक टुकड़ा फेंका और वो रीत की ओर तैर रहा था। गहरा काला अरब सागर, अँधेरे में डूबा। होली के अगले दिन का चाँद, बादलों से लुकाछिपी करते पास कुछ चांदनी कभी-कभी बरसा देता।
दुर्दांत भयावह काल की तरह पास में वो विशालकाय टेरर शिप, और समुद्र की लहरों से लड़ती, थपेड़ों से जूझती, बिंदास बनारसी बाला, सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे तैरती, समुद्र की ताकत अपनी बाहों से नापती, जूझती, रीत।
उसे अहसास हो गया था, कि सबसे पहले, उसे उस टेरर शिप से दूर जाना था। जितना दूर हो सके। एक इन्फ्लेटेबल बोट उस शिप के पास भी थी, लेकिन रीत उधर नहीं जा सकती थी। पांच मिनट में शिप सिंक होना था, और जैसे ही वो सिंक होना शुरू होता, आसपास की छोटी मोटी चीजें, सब उसके साथ, समुद्र के गर्त में। गनीमत हो डी॰आर॰डी॰ओ॰ वालों का।
जो ड्रेस इस आपरेशन के लिए रीत ने पहनी थी, वो लाइफ बेल्ट की तरह थी। एक बटन दबाकर उसमें हवा भरी जा सकती थी। और इन्फ्लेट करने के बाद, रीत अब कम से कम समुद्र में डूब नहीं सकती थी। उसने अपनी हेड लाईट भी आन कर दी थी। और थोड़ी देर में वो शिप से दूसरी दिशा में जा रही थी। वह बार-बार पीछे मुड़कर उस शिप की छाया को देखती और उसकी बाँहों में दुबारा ताकत भर उठती।
और तभी उसको एक इन्फेलटेबल बोट दिखी, वही जिससे पहले चार लोग हेलीकाप्टर में चढ़े थे।किसी तरह वह उसमें चढ़ी, और एक पल के लिए उसने गहरी सांस ली। और जब उसने शिप की ओर देखा तो उसे लगा वो शिप स्टार बोर्ड साइड में, टिल्ट हो रहा है। पहले तो उसे विश्वास नहीं, हुआ फिर दुबारा देखा। अबकी टिल्ट और प्रोनाउंस्ड था।
लेकिन फिर उसे याद आया की कहीं शिप के साथ, और तुरंत उसने अपने ड्रेस में रखे दो फ्लेयर्स एक साथ जलाये और दोनों हाथों से हवा में लहराने लगी। आसमान अभी भी काला था और सूना, सिर्फ सन्नाटा।
उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी, कहीं आज की रात। काल रात्रि, लेकिन उसे अपने ऊपर भरोसा था और उससे भी ज्यादा काशी के कोतवाल पर, और तभी हल्की-हल्की आसमान में हेलीकाप्टर के रोटर की आवाज सुनायी देने लगी।
शिप और टिल्ट हो रहा था, और लहरे भी अब शिप की ओर, अपने रेडियो से रीत बार मेडे में डे का मेसेज दे रही थी। वो जान रही थी की बस कुछ मिनटों में उसने अगर ये बोट नहीं छोडी तो, और हेलीकाप्टर उसके बोट के ठीक ऊपर आकर रुका, विन्च नीचे आ गई थी और रोप लहरा रही थी।
उम्मीद की आखिरी किरण की तरह, उछलकर उसने रोप पकड़ ली।
रोप मार्कोस के लीडर कंट्रोल कर रहे थे। बिना नीचे देखे वो दोनों हाथों थे रस्सी पकड़, हेलीकाप्टर में पहुँच गई। और जैसे ही वो अंदर घुस रही थी, उसने नीचे देखा। सी बहुत चापी हो गया था। वह जिस बोट पर थी, समुद्र की लहरों पर गेंद की तरह उछल रही थी। शिप उसी तरह था। मार्कोस कमांडर ने बताया की उन्हें नेवल कंट्रोल ने बोला है की वो यहीं आधे घंटे तक और रहेंगे, और जब तक शिप पूरी तरह सिंक नहीं कर जाता उसे आब्जर्व करेंगे। कम्प्लीट सिंक होने के पन्दरह मिनट बाद ही वह वहां से निकलेंगे। और तब तक वो शिप के ओरिजिनल कैप्टेन को भी ब्रीफ करेंगे।
रीत उनकी बात सुन रही थी लेकिन उसकी निगाह नीचे शिप से चिपकी थी।
अब वह काफी तिरछा हो गया था। पहला आयल वेल अभी भी, शिप से 500 मीटर दूर था।