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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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motaalund

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रीत





मार्कोस के कमांडर ने बोट में से रैफ्ट का एक टुकड़ा फेंका और वो रीत की ओर तैर रहा था। गहरा काला अरब सागर, अँधेरे में डूबा। होली के अगले दिन का चाँद, बादलों से लुकाछिपी करते पास कुछ चांदनी कभी-कभी बरसा देता।


दुर्दांत भयावह काल की तरह पास में वो विशालकाय टेरर शिप, और समुद्र की लहरों से लड़ती, थपेड़ों से जूझती, बिंदास बनारसी बाला, सिर्फ एक लकड़ी के टुकड़े के सहारे तैरती, समुद्र की ताकत अपनी बाहों से नापती, जूझती, रीत।

उसे अहसास हो गया था, कि सबसे पहले, उसे उस टेरर शिप से दूर जाना था। जितना दूर हो सके। एक इन्फ्लेटेबल बोट उस शिप के पास भी थी, लेकिन रीत उधर नहीं जा सकती थी। पांच मिनट में शिप सिंक होना था, और जैसे ही वो सिंक होना शुरू होता, आसपास की छोटी मोटी चीजें, सब उसके साथ, समुद्र के गर्त में। गनीमत हो डी॰आर॰डी॰ओ॰ वालों का।

जो ड्रेस इस आपरेशन के लिए रीत ने पहनी थी, वो लाइफ बेल्ट की तरह थी। एक बटन दबाकर उसमें हवा भरी जा सकती थी। और इन्फ्लेट करने के बाद, रीत अब कम से कम समुद्र में डूब नहीं सकती थी। उसने अपनी हेड लाईट भी आन कर दी थी। और थोड़ी देर में वो शिप से दूसरी दिशा में जा रही थी। वह बार-बार पीछे मुड़कर उस शिप की छाया को देखती और उसकी बाँहों में दुबारा ताकत भर उठती।

और तभी उसको एक इन्फेलटेबल बोट दिखी, वही जिससे पहले चार लोग हेलीकाप्टर में चढ़े थे।किसी तरह वह उसमें चढ़ी, और एक पल के लिए उसने गहरी सांस ली। और जब उसने शिप की ओर देखा तो उसे लगा वो शिप स्टार बोर्ड साइड में, टिल्ट हो रहा है। पहले तो उसे विश्वास नहीं, हुआ फिर दुबारा देखा। अबकी टिल्ट और प्रोनाउंस्ड था।

लेकिन फिर उसे याद आया की कहीं शिप के साथ, और तुरंत उसने अपने ड्रेस में रखे दो फ्लेयर्स एक साथ जलाये और दोनों हाथों से हवा में लहराने लगी। आसमान अभी भी काला था और सूना, सिर्फ सन्नाटा।

उसके दिल की धड़कन और तेज होने लगी, कहीं आज की रात। काल रात्रि, लेकिन उसे अपने ऊपर भरोसा था और उससे भी ज्यादा काशी के कोतवाल पर, और तभी हल्की-हल्की आसमान में हेलीकाप्टर के रोटर की आवाज सुनायी देने लगी।



शिप और टिल्ट हो रहा था, और लहरे भी अब शिप की ओर, अपने रेडियो से रीत बार मेडे में डे का मेसेज दे रही थी। वो जान रही थी की बस कुछ मिनटों में उसने अगर ये बोट नहीं छोडी तो, और हेलीकाप्टर उसके बोट के ठीक ऊपर आकर रुका, विन्च नीचे आ गई थी और रोप लहरा रही थी।

उम्मीद की आखिरी किरण की तरह, उछलकर उसने रोप पकड़ ली।



रोप मार्कोस के लीडर कंट्रोल कर रहे थे। बिना नीचे देखे वो दोनों हाथों थे रस्सी पकड़, हेलीकाप्टर में पहुँच गई। और जैसे ही वो अंदर घुस रही थी, उसने नीचे देखा। सी बहुत चापी हो गया था। वह जिस बोट पर थी, समुद्र की लहरों पर गेंद की तरह उछल रही थी। शिप उसी तरह था। मार्कोस कमांडर ने बताया की उन्हें नेवल कंट्रोल ने बोला है की वो यहीं आधे घंटे तक और रहेंगे, और जब तक शिप पूरी तरह सिंक नहीं कर जाता उसे आब्जर्व करेंगे। कम्प्लीट सिंक होने के पन्दरह मिनट बाद ही वह वहां से निकलेंगे। और तब तक वो शिप के ओरिजिनल कैप्टेन को भी ब्रीफ करेंगे।


रीत उनकी बात सुन रही थी लेकिन उसकी निगाह नीचे शिप से चिपकी थी।



अब वह काफी तिरछा हो गया था। पहला आयल वेल अभी भी, शिप से 500 मीटर दूर था।
यूं तो रीत दिमागी रूप से तेज है... लेकिन शारीरिक तौर पर भी किसी से कम नहीं...
" झलकियाँ " शायद उन रीडर्स के लिए हैं जिन्होने स्टोरी पढ़ा नही होगा । निस्संदेह यह रीडर्स को आकर्षित करती है लेकिन इन पर कोई विचार-विमर्श करना इतना आसान और सहज भी नही होता ।
एक बार " झलकियों " पर कमेन्ट करना और कुछ दिन बाद ओरिजनल अपडेट पर फिर से उसी सब्जेक्ट पर कमेन्ट करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है , खासकर उन रीडर्स के लिए जो विस्तृत और डिटेल मे रिव्यू देते हैं ।

आप स्टोरी पर अपडेट देना शुरू करिए , रीडर्स अपनी सोच या क्षमतानुसार रिव्यू देते जाएंगे । लेकिन अगर रीडर्स की संख्या के बारे मे बात करें तो यहां भी हालात उन धुरंधर फिल्म निर्माता-निर्देशक की तरह का है जो यह समझ ही नही पाते कि उनकी बनाई हुई फिल्म हिट होगी भी या नही ।
कोई हिट फार्मूला नही होता । अच्छी फिल्म भी फ्लाप हो जाती है और वाहियात फिल्म भी सफलता के झंडे गाड़ देती है ।
इसलिए मुझे लगता है इन सब का परवाह किए वगैर अपना कर्म करते रहना चाहिए ।

वेटिंग फर्स्ट अपडेट कोमल जी !
100% agree with you.
 

Mass

Well-Known Member
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" झलकियाँ " शायद उन रीडर्स के लिए हैं जिन्होने स्टोरी पढ़ा नही होगा । निस्संदेह यह रीडर्स को आकर्षित करती है लेकिन इन पर कोई विचार-विमर्श करना इतना आसान और सहज भी नही होता ।
एक बार " झलकियों " पर कमेन्ट करना और कुछ दिन बाद ओरिजनल अपडेट पर फिर से उसी सब्जेक्ट पर कमेन्ट करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है , खासकर उन रीडर्स के लिए जो विस्तृत और डिटेल मे रिव्यू देते हैं ।

आप स्टोरी पर अपडेट देना शुरू करिए , रीडर्स अपनी सोच या क्षमतानुसार रिव्यू देते जाएंगे । लेकिन अगर रीडर्स की संख्या के बारे मे बात करें तो यहां भी हालात उन धुरंधर फिल्म निर्माता-निर्देशक की तरह का है जो यह समझ ही नही पाते कि उनकी बनाई हुई फिल्म हिट होगी भी या नही ।
कोई हिट फार्मूला नही होता । अच्छी फिल्म भी फ्लाप हो जाती है और वाहियात फिल्म भी सफलता के झंडे गाड़ देती है ।
इसलिए मुझे लगता है इन सब का परवाह किए वगैर अपना कर्म करते रहना चाहिए ।

वेटिंग फर्स्ट अपडेट कोमल जी !
Very much agree SANJU ( V. R. ) .
Your analogy of movies (& their formulas) are very apt...wrt to a story being hit (liked) or flop in this forum :)
SANJU ( V. R. ) komaalrani
 

Innocent_devil

Evil by heart angel by mind 🖤
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नई कहानी के लिए शुभकामनाएं आपको । कुछ हटकर पढ़ने को मिल रहा है आपके द्वारा । वैसे तो आपको सभी कहानियां एकदम सेंहटकर ही होती है । खैर आपकी लेखनी का प्रशंसक बहुत लंबे समय से रहा हूं । शायद तब से जब आपकी पहली कहानी मजा पहली होली का आई थी । वो कहानी मैने कहीं और पढ़ी थी । उसी कहानी का पीछा करते हुए xossip तक आया था । खैर आपको आपको पढ़ना हमेशा ही उत्तेजक और सुकून भरा अनुभव देता है । ऐसे ही लिखते रहिए और हम लोग ऐसे ही आपको पढ़ते रहेंगे
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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कोमल जी,
ईमानदारी से कहूं तो इसी कहानी ने मेरा हिन्दी इरोटिका से परिचय कराया ‌बाद सागर सरहदी की कहानी मिली। इसके पहले या तो अंतर्वासना -मस्तराम टाइप की कुछ पढ़ी भी पर स्तरहीन लगी तो दूर से नमस्ते कर दी, हां, कुछ अंग्रेजी इरोटिका जरूर पढ़ी जो अच्छी भी लगी पर दिमाग को😀 हृदय तक तो अपनी ही भाषा पहुंच सकती है ना। साहित्यिक सी शुरूआत के पश्चात जब हीरो की भाभी से भेंट ने ही चकरा सा दिया - अर्‌र्‌र्‌रे 😯 इतना खुल्लम खुल्ला। फिर आगे तो कहना ही क्या। आशा है पूरी की पूरी वहीं कहानी हो, उन्हीं गीतों, पहेलियों के साथ - छाती से छाती मिले, मिले छेद से छेद •••••••••

खुद भी थोड़ा बहुत हिन्दी साहित्य से जुड़ाव रहा इसलिए आपके पंखे हो गये 🙏😀
रविवार की पहेली... बूझो तो जाने।

छाती से छाती मिली, मिला कीले से छेद
जब रगड़म रगड़ा हुई तो
, निकले सफेद सफेद।

स्वागत है...
 

komaalrani

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रविवार की पहेली... बूझो तो जाने।

छाती से छाती मिली, मिला कीले से छेद
जब रगड़म रगड़ा हुई तो
, निकले सफेद सफेद।

स्वागत है...
 

komaalrani

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सिंपल --

आटा

🙏🙏
 

komaalrani

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" झलकियाँ " शायद उन रीडर्स के लिए हैं जिन्होने स्टोरी पढ़ा नही होगा । निस्संदेह यह रीडर्स को आकर्षित करती है लेकिन इन पर कोई विचार-विमर्श करना इतना आसान और सहज भी नही होता ।
एक बार " झलकियों " पर कमेन्ट करना और कुछ दिन बाद ओरिजनल अपडेट पर फिर से उसी सब्जेक्ट पर कमेन्ट करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है , खासकर उन रीडर्स के लिए जो विस्तृत और डिटेल मे रिव्यू देते हैं ।

आप स्टोरी पर अपडेट देना शुरू करिए , रीडर्स अपनी सोच या क्षमतानुसार रिव्यू देते जाएंगे । लेकिन अगर रीडर्स की संख्या के बारे मे बात करें तो यहां भी हालात उन धुरंधर फिल्म निर्माता-निर्देशक की तरह का है जो यह समझ ही नही पाते कि उनकी बनाई हुई फिल्म हिट होगी भी या नही ।
कोई हिट फार्मूला नही होता । अच्छी फिल्म भी फ्लाप हो जाती है और वाहियात फिल्म भी सफलता के झंडे गाड़ देती है ।
इसलिए मुझे लगता है इन सब का परवाह किए वगैर अपना कर्म करते रहना चाहिए ।

वेटिंग फर्स्ट अपडेट कोमल जी !
आपने एकदम सही कहा,

" झलकियाँ " शायद उन रीडर्स के लिए हैं जिन्होने स्टोरी पढ़ा नही होगा

मेरी पूरी कोशिश है की ऐसे बहुत से मित्र हैं जिन्होंने इस कहानी को नहीं पढ़ा या शायद इसके बारे में भी न सुना हो, तो उन्हें इस कहानी तक खींच के लाने का मेरा प्रयास रहेगा।

यह कहानी वैसे तो एरोटिक है लेकिन इस तरह की बाकी कहानियों से थोड़ी अलग है

थ्रिल भी इसका कोई राज घराने की कहानी या मर्डर मिस्ट्री नहीं है बल्कि वो समय है जो हम सब लोगों ने देखा है, जीया है भोगा है और कइयों के लिए वो बातें सिर्फ अखबार की ख़बरें नहीं थी,

इसलिए ये झलकियां बस उन्ही के लिए की उन्हें अंदाज हो की प्रणय प्रसंग देह संबंधो से अलग हट कर भी होंगे

और थ्रिल भी, ... मुझे विश्वास है की जो लोग शुरू के चार पांच भगा पढ़ लेंगे जुड़े रहेंगे।

कहानी बहुत जल्द शुरू होगी, इसी हफ्ते, दो चार दिन में
 

komaalrani

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कोमल जी,
ईमानदारी से कहूं तो इसी कहानी ने मेरा हिन्दी इरोटिका से परिचय कराया ‌बाद सागर सरहदी की कहानी मिली। इसके पहले या तो अंतर्वासना -मस्तराम टाइप की कुछ पढ़ी भी पर स्तरहीन लगी तो दूर से नमस्ते कर दी, हां, कुछ अंग्रेजी इरोटिका जरूर पढ़ी जो अच्छी भी लगी पर दिमाग को😀 हृदय तक तो अपनी ही भाषा पहुंच सकती है ना। साहित्यिक सी शुरूआत के पश्चात जब हीरो की भाभी से भेंट ने ही चकरा सा दिया - अर्‌र्‌र्‌रे 😯 इतना खुल्लम खुल्ला। फिर आगे तो कहना ही क्या। आशा है पूरी की पूरी वहीं कहानी हो, उन्हीं गीतों, पहेलियों के साथ - छाती से छाती मिले, मिले छेद से छेद •••••••••

खुद भी थोड़ा बहुत हिन्दी साहित्य से जुड़ाव रहा इसलिए आपके पंखे हो गये 🙏😀
पहला भाग बस दो चार दिन में

बस यही अपेक्षा रहेगी हर भाग के बाद आपके कमेंट आते रहें तो थोड़ा संबल रहेगा,

कहानी कोई भी हो एक लता की तरह होती है जिसे ऊपर चढ़ने के लिए पाठक का सहारा चाहिए रहता है।
 

komaalrani

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एक क्षेत्र विशेष के समस्याओं, कठिनाईयों.. उनसे जूझने का माद्दा...
लेकिन अपनों से बिछुड़ने का गम... एक नई जिंदगी की तलाश में...
सबकुछ समाहित था...
आपने चार लाइनों में कहानी का सत्व रख दिया,

और इसी बात को एक प्लॉट के जरिये चरित्रों के जरिये कहना।
 

komaalrani

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किशोरों के दिल में उठते उमंगों का ...
पुराने गाने और कवितायेँ कई बार, विशेष रूप से कैशोर्य में अव्यक्त भावों को कहने के लिए इस्तेमाल होते हैं। एकदम सही कहा आपने करन और रीत का कैशोर्य का रोमांस इस कहानी के यादगार प्रसंगों से एक है।
 
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