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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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यूं तो रीत दिमागी रूप से तेज है... लेकिन शारीरिक तौर पर भी किसी से कम नहीं...
एकदम सही कहा आपने

वक्त ने कम उम्र में ही उसे लोहे सा तपा कर के पक्का कर दिया।

रीत का प्रसंग मोहे रंग दे में बाद में आया था और कई पोस्टों में रीत की बात चीत भी आयी।
 

komaalrani

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बस दो चार दिन और यह महा यात्रा शुरू होगी

पाठकों से अनुरोध है की शुरू से ही कहानी को अपना प्यार दुलार आशीष दें, बिना पाठक मित्रों के सपोर्ट के साथ के कहानी का कोई अस्तित्व नहीं होता


फागुन के दिन चार, जल्द ही।
 

komaalrani

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१४ फरवरी

पहला भाग ---हवा में फगुनाहट
 

komaalrani

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"Valentines Day".... 😀😃
और उस दिन बसंत पंचमी भी है, बसंत के आगमन का सूचक
 

komaalrani

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आज प्रथम गाई पिक पंचम

आज प्रथम गाई पिक पंचम।
गूंजा है मरु विपिन मनोरम।

मस्त प्रवाह, कुसुम तरु फूले,
बौर-बौर पर भौंरे झूले,
पात-गात के प्रमुदित झूले,
छाई सुरभि चतुर्दिक उत्तम।

आँखों से बरसे ज्योतिःकण,
परसे उन्मन-उन्मन उपवन,
खुला धरा का पराकृष्ट तन,
फूटा ज्ञान गीतमय सत्तम।

प्रथम वर्ष की पांख खुली है,
शाख-शाख किसलयों तुली है,
एक और माधुरी घुली है,
गीत-गन्ध-रस वर्णों अनुपम।



बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

थोड़ी ही देर में ' फागुन के दिन चार' का पहला भाग
 

komaalrani

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बसंत पंचमी की शुभकामनाएं



बसंत का दिन हो और मन्मथ का जिक्र न हो, फूलों का जिक्र न हो

मदन के पांच शर फूलों के ही तो थे, अशोक, अरविन्द ( श्वेत कमल ), निलोत्प्ल ( नील कमल ) नवमल्लिका (चमेली) और आम्र मंजरी और धनुष गन्ने का बना हुआ।

लेकिन जब कंदर्प भस्म हुए, उनका उनका रत्नमय धनुष टूटकर खंड-खंड हो धरती पर गिर गया। जहाँ मूठ थी, वह स्थान रुक्म-मणि से बना था, वह टूटकर धरती पर गिरा और चंपे का फूल बन गया!

हीरे का बना हुआ जो नाह-स्थान था, वह टूटकर गिरा और मौलसिरी के मनोहर पुष्पों में बदल गया!

इंद्रनील मणियों का बना हुआ कोटि देश भी टूट गया और सुंदर पाटल पुष्पों में परिवर्तित हो गया।

लेकिन सबसे सुंदर बात यह हुई कि चंद्रकांत-मणियों का बना हुआ मध्य देश टूटकर चमेली बन गया और विद्रुम की बनी निम्नतर कोटि बेला बन गई, स्वर्ग को जीतनेवाला कठोर धनुष, जो धरती पर गिरा तो कोमल फूलों में बदल गया!


संहार में सृजन का इससे अच्छा उदाहरण क्या मिलेगा, खुद नष्ट होकर जहाँ एक आयुध भी फूलों की रचना करता है।

वह देह विहीन हो कर भी हर विवाह मंडप में अपने वाहन शुक के रूप में नव वर वधू के मन में कामना का संचार करता है, उनका वंश अक्षुण रहे, मानव जाति बनी रहे, इसका वर, वर वधू को देते हैं।

उन मन्मथ और रति की कृपा इस कथा यात्रा पर हो और इस कथा के सह यात्रियों पर भी ,

सभी पाठक मित्र, उनके प्रियजन, परिजन पर उनके अक्षुण आशीष की वर्षा हो


Mango-Baur-esy-005382606.jpg



बसंत पंचमी की शुभकामनाये


Holi-palash-2-images.jpg



फागुन के दिन चार -पहला भाग बस थोड़ी देर,
Champa-Nature-Rabbit-Plumeria-Yellow-Plant.jpg



Marigold-licensed-image.jpg
 
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सकल बन फूल रही सरसों

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Mustard-R.jpg

सकल बन फूल रही सरसों।
बन बिन फूल रही सरसों।

अम्बवा फूटे, टेसू फूले,
कोयल बोले डार-डार,
और गोरी करत सिंगार,


मलनियाँ गेंदवा ले आईं कर सों,
सकल बन फूल रही सरसों।
तरह तरह के फूल खिलाए,
ले गेंदवा हाथन में आए।



निजामुदीन के दरवज़्ज़े पर,
आवन कह गए आशिक रंग,
और बीत गए बरसों।

सकल बन फूल रही सरसों।

अमीर खुसरो
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं


फागुन के दिन चार -पहला भाग बस थोड़ी देर में
 
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बसंत पंचमी और वैलेंटाइन्स डे के साथ

फागुन के दिन चार

holi-image-3-big.jpg
 

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फागुन के दिन चार पहला भाग

फागुन की फगुनाहट

गुड्डी --- बनारस वाली
 
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