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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
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Lefty69

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चिराग, “ओह मां, माफ करना…”

चिराग ने अपनी मां के गालों को छू कर चुपके से, “मुझे डर है कि मैं आप को छू कर आप को चोट लगाऊंगा!”


फुलवा चिढ़ाते हुए कमरे में जाते हुए, “आजमा कर देख लो! लेकिन शायद मेरे बच्चे को तयार होने से पहले कुछ और आराम की जरूरत है! क्यों न मैं उस समान उठने वाले को थोड़ी देर के लिए…
आह!!…
मां!!… ”

चिराग ने अपनी मां को उठाकर सजाए हुए बेड पर पटक दिया। फुलवा बेड पर अपने पेट के बल गिर गई और उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया।

फुलवा चौंक कर पीछे देखते हुए, “बेटा क्या कर रहे हो?”


चिराग ने आव देखा ना ताव और झट से अपनी पैंट को घुटनों तक उतार कर अपनी मां पर कूद पड़ा। फुलवा ने बेड पर से उठने की कोशिश की पर साड़ी में उसे पहले अपनी कलाई और घुटनों पर खड़ा होना पड़ा। चिराग ने तुरंत एक तकिया अपनी मां के पेट पर दबाते हुए उसे पीछे से धक्का दिया। फुलवा वापस बेड पर गिर गई पर अब उसकी कमर कुछ हद्द तक हवा में उठी हुई थी।


चिराग ने अपनी मां के संवारे हुए बालों को अपनी बाईं मुट्ठी में पकड़ कर खींचा और वह चीख पड़ी। फुलवा की साड़ी को चिराग के दाएं हाथ ने कमर तक उठा लिया था तो फुलवा को अपनी खुली टांगों पर AC की सर्द हवा चुभ गई।


फुलवा ने अपनी फैली हुई टांगें मारते हुए चिराग को रोकने की कोशिश की। चिराग ने अपनी मां की बातों को नजरंदाज करते हुए उसकी नई पतली लगभग पारदर्शी पैंटी को उसके दाएं कूल्हे पर सरका दिया।


फुलवा, “नही!!…
नहीं!!…
बेटा!!…
नही!!…
दर्द होगा!!…
नही!!…
बेटा नहीं!!…
मैं तुम्हारी…
मां!!!…
आ!!…
आ!!…
आह!!!…”


चिराग का पूरा सुखा लौड़ा एक ही चाप में फुलवा की भूखी गीली चूत में समा गया। फुलवा की आंखों के सामने तारे चमकने लगे। इस मीठे दर्द से फुलवा कराह उठी और उसके कूल्हे उठ कर चिराग को जगह देने लगे।


चिराग का लौड़ा इस तरह फुलवा को चोदते हुए उसकी चूत के सामने वाले हिस्से को सुपाड़े से रगड़ता उसे मज़ा दे रहा था पर चिराग को चूत में कुछ अधूरा एहसास हो रहा था। चिराग ने अपनी मां के यौन रसों से भीगे लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकाल कर जड़ तक पेलते हुए अपनी मां की चीखों को आहें बना दिया था।


फुलवा ने मुड़कर अपने बेटे को देखते हुए, “बेटा!!…
इतना गुस्सा…
आह!!!…
आ!!…
आ!!…
आ!!…
आ!!…
आह!!!!…
हा!!…
हा!!…
हा!!…”


चिराग ने अपनी मां की आंखों में देखते हुए अपने लौड़े की दिशा कुछ कोन से बदल दी जिस से चिराग का पूरा लौड़ा अपनी पहली गांड़ में दब गया।


फुलवा, “नहीं!!…
नही!!…
नही!!…
यह तूने क्या किया…
आ!!…
आ!!…
आह!!…
बेटा!!…
आ!!…
आ!!…
अन्ह!!…”


चिराग ने अपनी मां की गांड़ को आराम का मौका नहीं दिया। चिराग ने अपने लौड़े को सुपाड़े से जड़ तक तेजी से पेलना जारी रखा। चिराग जब भी अपने लौड़े की जड़ को फुलवा की गांड़ में दबाता फुलवा के नरम गद्देदार गोले दबकर उसकी नई पैंटी खींच जाती। पैंटी की मुड़ी हुई किनार फुलवा की बहती हुई चूत के ऊपर उभरे हुए दाने का रगड़ती और फुलवा बेबसी में उत्तेजित होकर रो पड़ती। फुलवा की गांड़ आज कई सालों बाद चुधते हुए भी बिना किसी मदद के फुलवा को झड़ने के लिए मजबूर कर रही थी।


फुलवा बेबसी में रोते हुए, “नहीं!!…
नही बेटा!!…
नही!!…
नहीं!!…
न…
ई!!…
ई!!…
ई!!…
ईई!!…
आ!!…
आह!!…
आह!!…
हा!!…
हा!!…
हां!!…
हां!!…
हां बेटा!!…
बेटा!!…
बे…
आअंह…”

फुलवा तकिए पर झड़ते हुए बेसुध होकर गिर गई और उसकी गांड़ ने चिराग को निचोड़ते हुए ऐसे कस लिया की बेचारा झड़ते हुए एक भी बूंद बहा नहीं पाया।


चिराग ने अपने लौड़े को अपनी मां की गांड़ में दबाए रखते हुए उसे घुमाया। फुलवा अब तकिए पर अपनी गांड़ रखे पीठ के बल लेटी हुई थी।


चिराग ने अपने लौड़े को फुलवा की गांड़ में रख कर अपने स्खलन पर काबू रखते हुए अपनी मां का नया ब्लाउज खोल। ब्लाउज के अंदर की लगभग पारदर्शी ब्रा में से फुलवा की चूचियां ललचाते तरीके से छुपी हुई थीं। चिराग को यह बात कतई मंजूर नहीं थी।


चिराग ने अपनी मां की ब्रा के कप को नीचे खींचते हुए उसकी लज्जतदार चूचियों को आजाद किया। चिराग ने फिर अपनी मां के पैरों को उठाते हुए उसके घुटनों को अपनी कोहनियों में फंसाया और खुद अपनी मां के बदन पर लेट गया।


फुलवा के पैर फैल कर उठ गए। फुलवा की गांड़ और खुलकर उठ गई। फुलवा की आह निकल गई और आंखें खुल गईं।


फुलवा चिराग को अपने चेहरे के करीब देखते हुए, “क्या कर रहे हो बेटा?”


चिराग अच्छे बेटे की तरह, “मैं आप की गांड़ मार रहा हूं, मां!!”


फुलवा, “बेटा मैं तेरी मां…
आ!!…
आ!!…
आह!!…
हूं!!…”

चिराग, “हां…
मां…
इसी…
लिए…
आप…
की…
गांड…
पर…
कब्जा…
कर…
रहा…
हूं!…”


फुलवा ने अपने बेटे के बालों को पकड़ कर, “पर…
यह…
आह!…
गलत…
उम्म्म!!…
गलत…
ऊंह!!…
है!…
बेटा!!…
नहीं!!…
नही!!…
न…
ई!!…
ई!!…
ईई!!!…
ईह!!…
आह!!…
आह!!…
आँह!!…
हा!!…
हा!!…
हां!!…
हां!!…
हां!!…
आह!!…
हां!!…”


फुलवा अपने यौन शिखर पर दुबारा उड़ने लगी और आखिर में चीख कर बेहोश हो गई। फुलवा की गांड़ दुबारा चिराग के लौड़े को कस कर निचोडते हुए ढीली पड़ गई।


चिराग का लौड़ा फट पड़ा और उसके गोटियों ने अपना बना माल फुलवा की भूखी आतों में उड़ेल दिया। चिराग अपनी मां के घुटनों को अपनी कोहनियों में लिए उसे अपनी बांहों में भर कर उसकी चूचियों को चूसता पड़ा रहा।


फुलवा ने होश में आते हुए आह भरी तो चिराग ने अपनी मां के पैरों को आज़ाद किया। फुलवा अपने बेटे को अपनी चूचियां चूसते हुए महसूस कर उसके बालों में उंगलियां फेरते पड़ी रही।


चिराग डरकर, “मां, मैंने आप को चोट पहुंचाई! आप के साथ जबरदस्ती की! आप बस रुकने को कहती तो…”


फुलवा ने चिराग को हल्के से चाटा मारा।


फुलवा आह भरते हुए, “हर औरत चाहती है कि उसका मर्द उसके ऊपर अपना हक़ बताए हमें थोड़ा चीखने चिल्लाने पर मजबूर करे!”


चिराग सोचते हुए, “पर आपने तो कहा था की औरत की इजाजत के बगैर…”


फुलवा हंस पड़ी और चिराग के माथे को चूम लिया।


फुलवा, “वह भी सच है। हम ऐसी ही हैं! और हमें कब कैसा मन हो रहा है यही असली पहेली है!”


चिराग का हक्का बक्का चेहरा देख कर फुलवा दिल खोल कर हंस पड़ी और उसे एक ओर धक्का देकर बेड पर से उठ गई। चिराग बेड पर कुछ देर पड़ा रहा और फिर अपनी मां को देखने लगा।


फुलवा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी गांड़ धोने के बाद नए ब्रा पैंटी का सेट निकाला।


चिराग, “मां, यह सारे कपड़े, मेकअप…
कैसे?”


फुलवा ने एक और पारदर्शी जोड़ी पहनते हुए। मैं कसरत करने के कपड़े खरीदने गई और कुछ औरतों से दोस्ती की! कैसे लग रही हूं?”


चिराग मुस्कुराकर, “अगर इस बात का मुझे जवाब देना पड़ेगा तो पिछला आधा घंटा बिलकुल बेकार गया!”


चिराग को फुलवा ने चूमा और चिराग कराह उठा।


चिराग, “रुको मां!! (फुलवा अचरज में रुक गई) मैंने हमारे लिए फिल्म के टिकट निकाले हैं! अभी निकले तो खाना खाकर फिल्म देख सकते हैं!”


फुलवा ने चिराग के कंधे पर चाटा मारा।


फुलवा, “तुमने मेरी हालत बिगाड़ दी! उसे ठीक करने में एक घंटा जायेगा! खाना ऊपर मंगा लो! तब तक मैं तयार हो जाती हूं। (जरा रुक कर) क्या पहनूं?”


चिराग शैतानी मुस्कान से, “कुछ ऐसा जिसे देख कर सिनेमा हॉल में भगदड़ मच जाए!”


फुलवा ने अपने शरारती बेटे को शरारती मुस्कान दी और सजने लगी।
 

Lefty69

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Superb update
Thank you for your prompt reply and continued support.

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Lefty69

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फुलवा के साथ जब चिराग थिएटर पहुंचा तो वहां लोगों को उन्हें देखते रहने के अलावा कोई काम नहीं सूझा। फुलवा समझ चुकी थी कि मोहनजी ने जब उन दोनों के लिए घर बनाया उन्हें चिराग के बारे में कुछ अंदाज तो था पर फुलवा की जेल की तस्वीरें छोड़ कोई तरीका नहीं था।


फिल्म की कहानी कुछ खास नहीं थी पर नाच गाने के हावभाव देखकर फुलवा को हंसी आई। शोर शराबे में 3 घंटे आराम से गुजर जाते अगर बीच में ही फुलवा ने झुककर चिराग के कान में भूख लगने की बात न कही होती। अगला एक घंटा दोनों एक दूसरे को छू कर अपनी आग भड़काते रहे। अगर फुलवा की हल्की आह निकल जाती तो वह अक्सर फिल्म के शोर में दब जाती। फिल्म खत्म हुई तो मां बेटे को कहानी की भनक भी नहीं थी।


जाहिर सी बात थी कि जब दोनों के पीछे होटल का कमरा बंद हुआ तो भूखी शेरनी अपने खाने पर झपट पड़ी। शेरनी ने अपने शिकार को नीचे दबाकर दबोच लिया और रास्ते में आती रुकावटों को हटाकर अपनी भूख मिटाने लगी। शिकार ने पहले कुछ हाथापाई कर नियंत्रण पाने की कोशिश की पर आखिर में अपनी हार मान कर शेरनी का निवाला बना।


शेरनी की भूख मिटने तक कमरे में से सिर्फ जंगली गुर्राहट और शिकार की आहें बन रही थी। जब शेरनी का पेट शिकार की गर्मी से भर गया तब शेरनी ने जीत की आह भरते हुए सुस्ताना शुरू किया। शिकार बेचारा कब का पस्त होकर बस अपनी सांसे गिन रहा था।


फुलवा ने अपने बेटे की सीने पर सर रखकर उसके गले को चूमा। चिराग ने अपनी मां के पसीने से भीगे बदन को अपनी बाहों में लेकर उसके बालों को चूमा।


चिराग, “मां, अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूं?”


फुलवा चिराग की धड़कने सुनते हुए, “बोलो बेटा!”


चिराग, “फर्श बहुत ठंडी है। क्या हम बिस्तर पर जाएं?”


दोनों ने हंसते हुए अपने बिखरे हुए कपड़े उठाए और बिस्तर में लेट गए।


फुलवा चिराग के सीने पर हाथ घुमाते हुए, “मीटिंग कैसी हुई?”


चिराग अपनी मां को बाहों में लेकर, “मजेदार!”


फुलवा चौंक कर, “मतलब?”


चिराग मां के माथे को चूम कर, “गंगाराम डाइज के मालिक को मिलने से पहले मैं बाजार में घुमा और कच्चेमाल की कीमत जानी। फिर मशीन की कीमत, चलाने का खर्चा और बाकी लागत को गिनकर सही हिसाब से मुनाफा जोड़ा।”


फुलवा बड़ी उत्सुकता से अपने बेटे से मीटिंग के किस्से सुन रही थी।


चिराग, “गंगाराम डाइज का मालिक साढ़े छह फीट का सांड जैसा आदमी है। उसे मिलकर कर लगा जैसे कोई बच्चा जो एक ही खेल से ऊब गया हो पर फिर भी खेल रहा हो।”


फुलवा, “कैसा खेल?”


चिराग सोचते हुए, “आसान जवाब होगा पैसा पर असलियत में लोग! यह आदमी इंसान की कमजोरियां पहचानकर उन्हें हराता है। पैसा तो बस हार जीत की निशानी है!”


फुलवा अपनी हथेली पर सर रखकर देखते हुए, “तुम हारे?”


चिराग मुस्कुराया, “उसकी भी एक कमजोरी है! वह खेल में इतना खो जाता है कि वह सिर्फ एक बात पर ध्यान केंद्रित करता है। मैं मुद्दे बदलता रहा! कभी डाई की कीमत, कभी ट्रांसपोर्ट तो कभी स्पेयर पार्ट्स। कॉन्ट्रैक्ट लिखे गए तब तक उसने मेरी तय कीमत पर डाइज बेची और अगले 3 साल स्पेयर पार्ट्स को तय कीमत पर देना भी मान गया।”


फुलवा मुस्कुराते हुए, “इतनी आसानी से हार गया?”


चिराग नटखट मुस्कान से, “पर उसने अपनी असली चाल चली नहीं थी! बीच में एक बार उस से मिलने उसकी बेटी आई थी। 27 साल की है पर कोई बोल के दिखाए की उसके 2 बच्चे हैं! जब उसे यह पता चला कि मैंने उसे हराया तो वह खुश हो गया। बोला की बच्चे होने के बाद दामाद बेटी से अच्छे पति का बर्ताव नहीं करता। अगर मैं उसकी बेटी को दो दिन की खुशी दूं तो वह मुझे वापस जाने के लिए अपनी 3 करोड़ रूपए की गाड़ी देगा!”


फुलवा का हाथ फिसला और वह बेड पर गिर गई।


फुलवा चौंक कर, “उसने तुम्हें 2 रात के लिए 3 करोड़ रुपए दिए!! क्या हुआ है बेटी को?”


चिराग दूर देखते हुए, “क्या कहूं मां! उसे ईश्वर ने छुट्टी लेकर तराशा है! कुदरत ने ममता से पकाया है! इतनी कम उम्र में अपने पिता के पूरे कारोबार की एक छत्र मल्लिका बनी है बस अपनी बेरहम अकल और ठोस ईमानदारी के जोर पर! मां, बस इतना समझ लो कि मानव शाह को मना करना शायद इस जिंदगी का सबसे घाटे का सौदा होगा!”


फुलवा जल भुन उठी और उसने ने चिराग के कंधे को काटते हुए उसकी गोटियां दबाई।


चिराग चीख पड़ा, “मां!!…
मां!!…
मैंने मना किया ना!!…”


फुलवा ईर्षा से, “इतना दुख हो रहा है तो हां कहा होता!”


चिराग ने अपनी मां को चूमते हुए, “दानव सुधर जाए तो भी उसकी सारी बातों पर यकीन नहीं करते! दानव शाह के बारे में जानकारी जुटाकर ही मैं उस से मिलने गया था। गंगाराम उसके भाई का एक नाम था जो दानव की कृपा से उम्रकैद मना रहा है। भाई का कसूर था लालच! ऐसे आदमी से मिला शहद भी थोड़ा ही चखना चाहिए!”


फुलवा, “अगर वह इतना बुरा है तो मोहनजी ने तुम्हें क्यों भेजा? और उसने तुम्हें अपनी बेटी क्यों देनी चाही?”


चिराग ने अपनी रूठी हुई मां के नंगे बदन को सहलाकर उसे मानते हुए, “अमीर लोगों की आदतें समझना मुश्किल है! शायद मैं गधा हूं या शायद यह कोई इम्तिहान है? कल हमें खाने पर बुलाया है तब तुम बता देना!”


फुलवा सोचते हुए, “दानव मानव शाह…
सुधर गया है…
बेटी को जायदाद दे दी…”
 

Lefty69

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Manav Shah is known from Manav bana Danav

Should Manav and Fulva become lovers? What about Kamya and Chirag?

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Kumar Abhi

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Gzb update bhai abhi abhi padha kya update hai manav shah ko bhi aad kr diya yha par
 

Lefty69

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Gzb update bhai abhi abhi padha kya update hai manav shah ko bhi aad kr diya yha par
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