62
प्रिया की रात बहुत खराब थी। पहले तो उसे बहुत देर तक नींद नहीं आई। सोने की कोशिश करती तो उसकी आंखों के सामने लंबा मोटा कीड़ा खड़ा हो जाता। प्रिया का गला सुख गया था पर उसकी नीचे उतरने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
जब फुलवा मां ने अपना गाउन पहना और अपने बिस्तर पर सो गई तब प्रिया ने चुपके से उतर कर पहले शौचालय में अपने चेहरे और बदन को ठंडे पानी से धोया और फिर अपने कमरे में रखा एक बॉटल ठंडा पानी पी गई। कुछ अच्छा लगा तो प्रिया दुबारा सोने की कोशिश करने लगी।
अबकी बार नींद लग गई पर भयानक सपने आने लगे।
प्रिया को ऐसे लगा की कोई उसे उठा रहा है। प्रिया ने पाया की वह एक 7 फीट लंबा 3 फीट मोटा कीड़ा था जो उसे कह रहा था कि अब उसकी बारी है। प्रिया ने उसे रोकने की कोशिश की पर वह प्रिया के अंदर घुसते हुए उसे हिलाने लगा।
प्रिया की आंखे खुली तो वह बस चलती ट्रेन के कारण हिल रही थी।
प्रिया ने वापस सपना देखा की चिराग उसके ऊपर लेटा हुआ है और वह चीखने की कोशिश कर रही है। चिराग ने प्रिया का मुंह दबाया और अपने कीड़े को उसकी गीली जगह पर लगाया।
चिराग, “चिल्लाना मत! मां जाग जायेगी! क्या तुम उसे अपने भाई से चुधवाते हुए दिखाना चाहती हो?”
चिराग का कीड़ा उसके अंदर घुसते हुए उसे काटने लगा। प्रिया चिराग की हथेली में चीख पड़ी।
प्रिया पसीने से लथपथ उठ कर बैठ गई पर फुलवा और चिराग चैन से सो रहे थे।
प्रिया दुबारा थक कर सो गई तो अलग अलग रंग और आकार के कीड़े कुश्ती करते हुए तय कर रहे थे कि प्रिया को कौन पहले खायेगा।
प्रिया ने सिसकते हुए आंखें खोली और उसे एक और सिसकने की आवाज आई। प्रिया ने अपनी आंखों को मूंद कर चुपके से देखने की कोशिश की तो चिराग का बिस्तर खाली था।
फुलवा की आहें बता रही थी कि चिराग मां को उसका मजेदार दर्द देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। फुलवा की आहें तेज़ हो गई तो चिराग भी हांफने लगा। दोनों की आहों और कराहने में प्रिया की दबी हुई सिसकियां खो गई। फुलवा ने चिराग को हल्के से पुकारते हुए उसे गले लगाया तब तक प्रिया पागल हो कर चीखने की कगार पर पहुंच चुकी थी।
फुलवा ने कुछ देर बाद जब प्रिया को उठाया और उतरने के लिए तयार होने को कहा तब प्रिया का हुलिया बदला हुआ था। रात भर सिसकियां दबाने से होंठ फूल गए थे और अधूरी नींद से आंखों में अजीब हिचकिचाहट भरी मासूमियत थी।
फुलवा के अंदर से औरत और मां एक साथ बोल पड़ी। औरत के मुताबिक अगर यह रंडीखाने में पली बढ़ी नहीं होती तो इसके हुस्न के चर्चे चारों ओर होते। मां ने कहा कि उसकी बच्ची हुस्न से बहुत ज्यादा है पर वह अपनी बच्ची को वह सब कुछ देगी जो उसका होना चाहिए।
फुलवा प्रिया के उलझे बालों को संवारते हुए, “बुरे सपने आए?”
प्रिया क्या बताती अपने सपनों के बारे में? उसने सिर्फ सर हिलाकर हां कहा।
फुलवा, “सब ठीक हो जाएगा!”
प्रिया ने उतरकर अपनी फुलवा मां को गले लगाया और मुंह धोने चली गई। वहां प्रिया ने चिराग को देखा और उसका चेहरा टमाटर सा लाल हो गया। चिराग भी उसे टूथपेस्ट और ब्रश देकर कमरे में लौट गया।
सुबह का चाय नाश्ता करते हुए चिराग, “मोहनजी के दोस्त ने हमारे लिए गाड़ी भेजने का वादा किया है। इस तरह हम आसानी से हमारे नए घर पहुंचेंगे।“
मुंबई में स्टेशन पर उतरते ही एक दुबले पतले आम दिखने वाले इंसान ने उनसे बात करना शुरू किया।
आदमी, “चिराग? फुलवा? मेरा नाम छोटेलाल है। मैं आप को आप के नए घर ले जाने आया हूं।“
फुलवा को यह आदमी अलग लगा क्योंकि इसकी आंखे सब देखती और सब पहचानती थी। दोनों मर्दों ने सारा सामान गाड़ी में रखा और गाड़ी चल पड़ी।
फुलवा, “आप कौन हैं? आप ड्राइवर नहीं हो!”
छोटे, “ मुझे बताया गया था कि आप काफी तेज़ हो। सुंदर लड़कियां बेवकूफ नहीं होती यह मैं अच्छे से जानता हूं। आप के जवाब में बता दूं, आप में से किसी को खतरा हो सकता है यह जान कर मुझे भेजा गया है। आप मुझ पर भरोसा कर सकते हो क्योंकि फुलवाजी की मेरी बीवी के साथ दोस्ती है। (आईने में देख कर) साफ़िया आज आप से मिलना चाहती है। कहती है कि एक नई सहेली से मिलाना है।”
फुलवा, “तो यह है आप की कंपनी जिसके बारे में मुझे पता ना होना मेरी खुशनसीबी है!”
छोटेलाल मुस्कुराकर, “ अमीरों के राज़ होते हैं और जब तक वह गैर कानूनी नहीं हम उनकी हिफाजत करते हैं!”
प्रिया, “कोई हमारा पीछा कर रहा है!”
छोटेलाल, “वह वसीम भाई के लोग हैं। अब वह तुम्हें देख रहे हैं। फिर अगर कोई तुम्हें देखने की कोशिश करेगा तो मैं… उन्हें देखूंगा।”
छोटेलाल के आखरी दो शब्द बाकी लोगों को बता गए की छोटेलाल का दोस्त होना हमेशा फायदे का सौदा है। यह आम आदमी बीकुल आम नहीं था।
समुंदर के सामने एक बड़ी बिल्डिंग में एक दो बेडरूम कमरा किराए पर लिया गया था। फुलवा और चिराग इस बिल्डिंग को मानव शाह की वजह से जानते थे। चिराग ने मकानमालिक से मिलने के लिए दरवाजा खटखटाया और मानव शाह ने दरवाजा खोला।
मानव शाह ने तीनों को अंदर लेते हुए एक गहरी सांस ली और गंदी मुस्कान देते हुए उन्होंने देखने लगा।
मानव शाह, “कच्ची जवानी की खुशबू! आऊंऽ!!!… (प्रिया की ओर बढ़ कर) आप का तोहफा पसंद आया!”
प्रिया डर कर फुलवा से चिपक गई और फुलवा ने मानव शाह को डांटा।
फुलवा, “मेरी बच्ची को डराना मत! साफ़िया को बता दूंगी!”
मानव चिढ़ाते हुए, “पिछले साल तक तुम्हारी सिर्फ एक औलाद थी और आज अचानक ये लज्जतदार निवाला तुम्हारी बेटी बन गई?”
फुलवा ने प्रिया से मिलने की कहानी और प्रिया को होने वाले खतरे के बारे में मानव को बताया और उसके चेहरे से मस्ती के सारे भाव चले गए।
मानव, “लोग मुझे नरपिशाच कहते हैं और मैं मना नहीं करता पर मुझे इन बातों पर यकीन नहीं। लेकिन मुझे मेरे दोस्तों पर यकीन है और पैसे की लालच को बखूबी पहचानता हूं। (प्रिया से) सर उठाओ और डरो मत! यहां सारे दोस्त हैं। हमारे होते हुए तुम्हारे चाल चलन बिगड़ सकते है पर चोट नहीं आएगी!”
प्रिया के मन से मानव शाह का डर मिट गया था क्योंकि कहीं पर उसने मानव के अंदर एक चोट खाया मासूम महसूस किया। प्रिया ने आगे बढ़कर मानव शाह को गले लगाया तो फुलवा मुस्कुराई और चिराग को गुस्सा आ गया।
मानव शाह प्रिया को झूठे गुस्से से दूर करते हुए, “टेडी बियर समझी क्या? मैं असली भालू हूं, कुंवारियों को खाता हूं! चलो तुम्हें तुम्हारा घर दिखा दूं!”
दोपहर को चिराग अपने नए दफ्तर गया और वहां के अपने बॉस से मिला जब यहां घर पर महिला मंडल की आपातकालीन बैठक जमा हो गई। फुलवा से मिलने उसकी सहेलियां साफ़िया, हनीफा, रूबीना के साथ मोहिनी और नकचढ़ी काम्या भी आई थी। जब फुलवा ने सब की पहचान प्रिया से कराई तो काम्या ने प्रिया को ताने मारना शुरू किया।
काम्या प्रिया का चक्कर लगाते हुए, “ये क्या है? I mean कोई reality show?… इसे जितने कपड़े पहना दो और मेकअप लगा दो, दो टके की लड़की दो टके की ही रहेगी! किसी मॉल में खड़ी होकर सामान बेचेगी और अपनी छोटी सी तनखा में सड़ कर मरेगी!”
प्रिया ने गुस्से में आकर, “कम से कम मैं जो कमाऊंगी अपने टके पर कमाऊंगी अपने बाप के नाम पर नही!”
महिला मंडल खामोश हो गया और प्रिया को लगा की वह ज्यादा बोल गई। प्रिया अपना सर उठाए रही तो काम्या मुस्कुराई।
काम्या फुलवा से, “आग है इसमें!… देखते है कि और क्या कर सकती है?”
प्रिया को लगा की उसने किसी इम्तिहान में सही जवाब दिया था। फिर सब औरतें दोस्त बनकर बातें करने लगी और जल्द ही प्रिया भी उनमें शामिल हो गई। सबने अगले दिन शॉपिंग और spa का प्लान बनाया और जाने की तयारी की जब दरवाजे में से सफेद रुमाल लिए हाथ अंदर आया।
मानव शाह, “मैं अकेला हूं! निहत्था हूं! रहम करो!”
सारी औरतों ने हंसकर, “निहत्था?…”
मानव अंदर आया तो प्रिया ने मोहिनी और काम्या के चेहरे पर मानव के लिए बिल्कुल एक से भाव देखे और चौंक कर फुलवा की ओर मुड़ गई।
फुलवा चुपके से, “बाकी सब को भी देखो!”
प्रिया जल्द ही समझ गई की उसके अलावा सिर्फ फुलवा और साफिया थी जिनपर मानव शाह की एक विशेष छाप नहीं थी। जब काम्या ने अपनी नई सहेली की सब याद रखने की खूबी बताई तो मानव को भी अचरज हुआ।
मानव शाह, “फोटोग्राफिक मेमोरी एक अनोखा वरदान है। पर हर वरदान की तरह इसे इस्तमाल करना सबसे बड़ी चुनौती है। अपनी पढ़ाई पूरी करो और फिर मुझसे मिलना। बातें करेंगे!”
प्रिया समझ गई की मानव शाह का बातें करना छोटेलाल के देख लेना जैसा ही गहरा और खतरनाक था। मानव शाह ने फुलवा और प्रिया को अगली सुबह अपने वकील से मिलने की सलाह दी और फुलवा मान गई।
अगली सुबह वकील ने प्रिया के कागजात खास कर Birth certificate की जरूरत बताई। प्रिया को छुपाकर यह करने की जरूरत जानकर फुलवा और वकील ने तरकीब सोची। फुलवा की देहबीक्री से भागी लड़कियां को बचाती संस्था 18 साल की होने वाली और हो चुकी सारी लड़कियों के birth certificate पुरानी दिल्ली और लखनऊ की बदनाम गलियों में से जमा करेगी और जो लड़कियां गुमशुदा होंगी उनकी पुलिस में खबर देंगी। इस तरह प्रिया का असली birth certificate मिल जाएगा और साथ ही कुछ लड़कियां बच जाएंगी।
फिर फुलवा और प्रिया मॉल गई और अपनी सहेलियों से मिली। मॉल के spa को एक दिन के लिए बंद कर दिया था क्योंकि आज उनकी खास ग्राहकों की टोली आई थी।
शाम को प्रिया के बाल उसके चेहरे के हिसाब से तराशे गए थे। प्रिया की भोएं आकार में आकर बिलकुल अलग लग रही थी। ब्यूटीशियन ने प्रिया को मेकअप लगाने और निकालने की विधि सिखाई थी जिस से प्रिया का चेहरा बिल्कुल बदल गया था।
Passion Dreams Boutique में से बाहर निकलती लड़की को कोई पुरानी दिल्ली के कोठे से जोड़ने की कोशिश भी नहीं कर सकता था। साफ़िया ने मां बेटी को उनके घर छोड़ा तो वहां चिराग खुले मुंह से प्रिया को देख रहा था।
साफिया हंसकर चिराग का मुंह बंद करते हुए, “बेटा मक्खी खानी है क्या? एक लड़के ने मुझे भी ऐसे ही देखा था!”
प्रिया अपनी खूबसूरती के असर से खुश होकर, “तो आपने क्या किया?”
प्रिया के कान में साफिया, “मैं हमारे बेटे को स्कूल से लेने जा रही हूं!”
प्रिया का खुला मुंह देख कर हंसते हुए साफिया अपने बेटे को स्कूल से लेने चली गई।