अपनी मां का सवाल सुनते हो रघु एकदम से चौंक उठा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह का सवाल पूछ बैठेगी,,, लेकिन यह सवाल उसकी मां के मन में आया कैसे इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान और परेशान भी था,,, फिर भी निश्चिंत होकर वह अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,।
कैसी बातें कर रही हो मां बिरजू का और किसका,,,, और यह बात तो तुमने ही मुझे बताई थी,,,,,,।
लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता की शालू ऐसा कर सकती है,,,।
सब कुछ तुम्हारे सामने ही तो था मां,,,( वह अभी भी पूरी तरह से नंगा अपनी मंकी मां पर लेटा हुआ था लेकिन ऐसा कहते हुए वह अपनी मां के ऊपर से उठने लगा और खटिया के पाटी पर बैठ गया,,,)
नहीं नहीं सब कुछ मेरी आंखों के सामने नहीं था यह तो मेरी आंखों के सामने बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है,,,।
कैसी बातें कर रही हो मां,,,,,, क्या हो गया है तुम्हें आज बहकी बहकी बातें कर रही हो,,,,(रघु अपनी मां से नजरे चुराता हुआ बोला,,, उसके मन में शंका हो रही थी कि कहीं उसकी मां को कुछ पता तो नहीं चल गया इसलिए वह इस समय अपनी मां से कतरा रहा था लेकिन कजरी सब कुछ जानती थी वह बस अपने बेटे के मुंह से सुनना चाहती थी,,,)
बहकी बहकी बातें नहीं कर रही हूं लेकिन मैं तेरे मुंह से सच सुनना चाहती हूं,,,, तुम दोनों भाई बहन मिलकर मुझे क्या पट्टी पढ़ा गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन कुछ तो हुआ है,,, ,,,(कजरी भी खटिया पर बैठते हुए अपने बदन पर चादर डालते हुए बोली,,,)
अब क्या बताऊं बिरजू और शालू दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे और दोनों के बीच कब क्या हो गया पता ही नहीं चला,,,
चल यह बात तो मैं मानती हूं,,, कि उन दोनों में प्यार था और वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,,,,,, लेकिन रघू मैं तेरी मां हूं तुम दोनों की मां हु मुझे इतना तो पता चलता ही है कि मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं,,,,(रघु की आंखों में झांकते हुए बोली रघु एकदम से सकपका गया,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां को पता चल गया है कि उसके और उसकी बहन के बीच में कुछ चल रहा है,,,, फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,,,)
क्या बात तुम भी बे मतलब की बातें कर रही हो,,,
बेमतलब की नहीं बेटा मैं सच कह रही हुं,,,, क्योंकि मैंने तुम दोनों को छत पर चुदाई करते हुए देख ली थी,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही रघु की आंखें चौड़ी हो गई क्योंकि वह अभी तक ही समझ रहा था कि उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर रघु दिन से हैरान हो गया था,,,बात को बदलने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह बिल्कुल सच था,,,, कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,,,)
लेकिन उस समय में कुछ नहीं बोली क्योंकि बहुत बड़ी जो हमारे सर पर भी पता थी वह माथे से दूर होने वाली थी और सिर्फ तेरी वजह से इसलिए मैं खामोश रही लेकिन आज मैं तुझसे यह कह रही हूं,,,,,,(रघु के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था बस शर्म से अपना सर नीचे झुकाए खटिया के पाटी पर बैठा था,,,) अब इंकार करने से कोई फायदा नहीं मैं अपनी आंखों से देखी थी तू अपनी बड़ी बहन को चोद रहा था और वह भी खूब मजे ले रही थी,,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि सालु इतनी समझदार और भोली भाली होने के बावजूद ऐसे कदम क्यों उठा ली,,, (रघु शर्म से नजरे झुकाए बैठा हुआ था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,,,यह बात कजरी भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया उसी तरह से उन दोनों भाई-बहन के बीच की सारी संबंध स्थापित हो गया होगा इसमें कुछ गलत कजरी को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि वह खुद मां होने के बावजूद भी अपनी बेटे के साथ ही चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,,।)
तू कुछ बताएगा भी कि ईसी तरह से खामोश बैठा रहेगा,,,
मममम,,, मैं क्या बोलूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,,
जो कुछ भी हुआ वह सब मुझे बता दे मैं तुझे मारने पीटने वाली या तुझे भला बुरा कहने वाली नहीं हूं क्योंकि अब हम तीनों एक ही कश्ती पर सवार, है,,,।(इतना कहने के साथ ही कचरी अपने बदन पर डाले हुए चादर को हटा दी और एक बार फिर से निर्वस्त्र हो गई क्योंकि वह रघु को यह बताना चाहती थी कि अब उसे शर्म करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है,,,खास करके तब जब एक बेटा खुद अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना देता है और एक मां खुद अपने बेटे से संतुष्ट होती है,,,। चादर के हटते ही रघु की नजर अपनी मां की छातियों पर चली गई जो कि सुबह-सुबह और भी ज्यादा खूबसूरत और उत्तेजक नजर आ रही थी,,,, कचरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
शालू के पेट में तेरा ही बच्चा है ना,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुन कर रखो अपनी मां की आंखों में देखने लगा लेकिन उसे अपनी मां की आंखों में जरा भी गुस्सा क्रोध नजर नहीं आ रहा था बल्कि सच जानने की उत्सुकता नजर आ रही थी और जैसा कि उसकी मां ने बताया कि वह तीनों एक ही कश्ती पर सवार है तो रघू को इस बात से थोड़ी हिम्मत मिलने लगी,,,, वह भी अपनी मां को सब सच बताने का ठान लिया था और अपनी मां का यह सवाल सुनते ही बोला,,,,)
तुम ठीक कह रही हो मां,,,, दीदी के पेट में मेरा ही बच्चा है,,,।
(यह सुनते ही कजरी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया हालांकि उसे पूरी तरह से शक हो चुका था कि उसकी बेटी के पेट में उसके ही बेटे का बच्चा है,,,,)
लेकिन यह सब हुआ कैसे क्योंकि शालु जैसी लड़की सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,,
मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हुआ था,,, वहीं सच था,,, मैं अंदर कमरे में इसी कमरे में सोया हुआ था,,, और सुबह सुबह शालू मुझे जगाने के लिए आई थी,,,, तुम तो जानती हो मा कि मैं तोलिया लपेट कर सकता हूं नींद में इधर-उधर तोलिया हो गया था,,,, और मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था मैं गहरी नींद में था शालू मुझे जगाने आई और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई,,,, और वह ना जाने क्यों बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली और हीलाने लगी,,,, मेरी नींद खुली तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था वह मुझे नहीं देख पाई थी कि मैं जाग गया हूं मैं उसी तरह से आंखें बंद कर लिया क्योंकि तुम तो अच्छी तरह से जानती हो मां की उस तरह का पल एक जवान लड़के के लिए कैसा होता है,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर और वह भी अपनी बेटी के बारे में उसकी गंदी हरकत के बारे में सुनकर ही कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह शालू को कभी भी गंदा काम करते हुए सोची नहीं थी और अपने बेटे के मुंह से सुनकर यह पहली मर्तबा था जब वह सालु के बारे में पूरी तरह से कल्पना कर रही थी की उस दिन क्या क्या हुआ होगा कैसा लग रहा होगा रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
वह मेरा लंड हीलाना शुरू कर दी थी मुझे अच्छा लग रहा था,,, मैं देखना चाहता था कि वह और क्या करती है और तभी बाहर किसी की आवाज आई और वो तुरंत भाग खड़ी हुई,,,, इसी तरह से दूसरे दिन भी हुआ लेकिन मेरी हालत एकदम खराब हो गई मुझसे रहा नहीं गया और मैं दीदी का हाथ पकड़ लिया और उसके बाद वह सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था,,,। और यह सिलसिला रोज का हो क्या एक तरह से कहूं तो दीदी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी बिना मेरे लंड को अपनी बुर में लिए उनका मन नहीं मानता था,,,,(रघु बिना रुके बोले जा रहा था साथ ही अपनी बहन के बारे में और खुद के बारे में इतनी गंदी बात बताते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी साथ ही अपनी मां की नंगी चूची को देखकर उसकी उत्तेजना और पढ़ रही थी और वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हाथ से अपनी मां की चूची को दबा भी रहा था और बात को आगे भी बढ़ा रहा था,,,) हम दोनों रोज चुदाई करते हैं छत पर तुम्हारे सो जाने के बाद हमें हमेशा दीदी के पास चला जाता था और दीदी की जमकर चुदाई करता था और ऐसे ही किसी दिन तुम्हारी नजर हम दोनों पर पड़ गई होगी,,,,।
हां रात को मेरी नींद खुल गई थी तो तुम दोनों पर मेरी नजर पड़ गई थी लेकिन तब तक तो शालू पेट से हो चुकी थी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि तुम दोनों ने मिलकर अपनी गलती उस बिरजू के मत्थे क्यों चढ़ दीए और कैसे,,,,,,,(कजरी को अपने बेटे के हाथों से स्तन मर्दन कराना अच्छा लग रहा था,,,कजरी के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी आगे की कहानी सुनने के लिए क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि साल और उसका बेटा मिलकर कैसे अपनी करनी को दूसरे के मत्थे की लकीर बना दिए थे,,,,रघु जवाब देता हुआ बोला लेकिन अपनी मां की चूची दबाते दबाते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और कजरी की भी नजर अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच झूलते हुए उस लंड पर पड़ चुकी थी जो कि रात भर उसकी बुर के अंदर शरण लिए हुए था,,,, और उसे देख कर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,)
मैं अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू सालु से प्यार करता है और उसके साथ हीविवाह करना चाहता है चालू नहीं बताई थी कि उसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था लेकिन सालु आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी,,,।
फिर क्या हुआ,,,?(इस बार कजरी से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रघु के लंड को अपने हाथ में पकड़ लि और उसे हिलाना शुरू कर दी,,,, जिससे रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।)
फिर क्या था हम दोनों ने षड्यंत्र रचाया,,,, बिरजू को फंसाने का क्योंकि वह पहले से ही शालु पर मरता था और वह आलू को चोदना भी चाहता था और इसी का फायदा उठाकर मैं दीदी को सारी पट्टी पढ़ा दिया और पट्टी पढ़ाने के बादशालू से बोला कि वह आम वाले बगीचे में उसे बुलाया और वहां पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और ऐसा ही हुआ शालू बिरजू को आम वाले बगीचे में बुलाई और उसके साथ चुदवाई,,,, उस बेचारे को तो मालूम ही नहीं था कि उसके चोदने से पहले ही शालू पेट से हो चुकी है और शालू यह बात जानती थी कि वह इस मामले में पूरी तरह से गिरते हुए उसे समय का बिल्कुल भी भाग नहीं होता और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने बड़ी मालकिन से इस बारे में बात किया था और तब जाकर शालू की शादी बिरजू से हुई,,,।
अपने बेटे की बात सुनते ही आश्चर्य और खुशी से कजरी की आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रखो को क्या बोले उसे डांटे फटकारे मारे या भला बुरा कहे,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसमें रघु की गलती सरासर थी लेकिन एक बड़ी समस्या से निकालकर चालू की अच्छे घर में विवाह भी उसी ने ही संपन्न करवाया था,,,, अगर कजरी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे से चुदवाने का हनन देना लूट रही होती तो शायद अपनी बेटी और अपनी बेटी के पीछे सारी संबंध को लेकर कजरी बवाल मचा चुकी होती या तो फिर उसे दिल का दौरा पड़ चुका होता लेकिन अब वह इस रिश्ते से खुश थी ,,,,
बाप रे मेरी पीठ पीछे तुम दोनों ने इतना बड़ा षड्यंत्र रचा दिया और मुझे इसकी भनक तक नहीं लगी वह तो अच्छा हुआ था कि मैं रात को छत पर तुम दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी थी वरना मुझे जिंदगी में कभी भी पता नहीं चलता कि मेरे ही घर में मेरे बेटे और बेटी आपस में चुदाई का मजा लूट रहे है,,,।
जैसे कि हम दोनों,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी अपनी मां की चूची पर रख कर दबातें हुए बोला,,, और रघु ने इतनी मस्ती भरी अदा सेअपनी मां की चूची दबाया था कि उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, और अपनी मां की उत्तेजना का रघु पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी बहन के बीच 4 दिसंबर को लेकर उसकी मां उसे भला-बुरा का है इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेना चाहता था ताकि वह भी सब कुछ भूल कर उन दोनों के रिश्ते पर अपनी सम्मति की मुहर लगा दे,,,, और इसीलिए रघू तुरंत अपनी मां पर झुकता हुआ अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया और खटिए पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर उसे अच्छी तरह से अपनी मां की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद पर लगाकर हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड फिर से कजरी की बुर में समा गया,,,, हल्की सी आह की आवाज के साथकजरी ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में समा लेने के लिए आमंत्रण दिया,,, और फिर क्या था एक बार फिर से रघु अपनी मां की बुर में समा गया था,,,उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों में पकड़ कर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, पर एक बार फिर से कजरी अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की आगोश में अपनी जवानी को समेट कर उसे सौंप चुकी थी,,, और गर्म सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लूट रही थी,,,,
थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों पर जा रहे थे इसलिए कजरी अपने ऊपर से अपने बेटे को हटाते हुए बोली,,,,।
चल हट अब उठ जा घर का काम भी करना है खेतों में भी जाना है,,, शालू अपने ससुराल में है इसलिए मुझे ही ढेर सारा काम करना पड़ता है,,,,।
तुम कहो तो मा,, मै शालु को कुछ दिनों के लिए ले आऊ,,,।
क्यों क्या करने के लिए उसकी चुदाई करने के लिए,,,
अरे नहीं मा,,,(रघु अपनी मां के ऊपर से उठता हुआ बोला,,) पहली बार है ना शालू के बिना यह घर अच्छा नहीं लगता,,,(नीचे जमीन पर गिरी अपने पजामे को उठाकर पांव में डालते हुए बोला,,, कजरी भी खटिया के नीचे गिरी अपनी साड़ी को नीचे छुपकर उठाते हुए बोली,,,)
क्या मालकिन उसे आने के लिए राजी होंगी,,,।
यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो तुमसे इजाजत तो मैं इस रविवार को ही जाकर ले जाऊंगा,,,
ठीक है जैसी तेरी मर्जी वैसे भी उसके बिना अच्छा तो नहीं लगता लेकिन उसके आ जाने पर हम दोनों के बीच यह मधुर मिलन नहीं हो पाएगा,,,,।
कैसे नहीं हो पाएगा मां,,,,,(पजामा पहन कर फिर से खटिया के पाटी पर बैठता हुआ बोला)
पागल हो गया क्या शालू की मौजूदगी में मैं तेरे लिए अपनी टांगे खोलने वाली नहीं हूं,,,,(खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी पांव में डालकर उसे अपनी कमर की तरफ खींचते हुए बोली,,,)
तुम अकेले अपनी दोनों टांगे नहीं खोल सकती लेकिन सोचो अगर तुम दोनों मिलकर अपनी दोनों टांगे मेरे लिए खोलो तो,,,
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से सन्न रह गई ,,)
क्या पागल हो गया है क्या शालू और मैं दोनों एक साथ,,, तू सच में पागल हो गया है,,( खटिया से नीचे उतरकर अपने पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए बोली)
अरे हो सकता है क्यो नहीं हो सकता क्या तुम दोनों की चुदाई में एक साथ नहीं कर सकता,,,, मेरे लंड में बहुत दम है मेरा लंड एक साथ तुम दोनों मां बेटी की बुर में जाकर तुम दोनों का पानी निकाल सकता है,,,।
चल रहने दे अपने लंड की बढ़ाई करने के लिए,,,,(साड़ी को अपनी कमर से बांधते हुए बोली,,,,)
अरे मां जरा तुम भी सोचो कितना मजा आएगा,,, हम तीनों एक साथ एकदम नंगे तुम भी नंगी दीदी भी और मैं भी,,, मैं कभी तुम्हारी बुर चाट रहा हूं तो कभी दीदी की कभी तुम्हारे मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही है तो कभी दीदी के और कभी तो मेरा लंड चाट रही हो तो कभी दीदी और वह भी एक दूसरे के सामने कितना मजा आएगा सोचो चल मेरा लंड तुम्हारी बुर से निकलकर दीदी की बुर में जाएगा एक साथ हम तीनों कितना मजई आएगा मां जरा सोचो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी खुद कल्पनाओ कि दुनिया में खोने लगी जैसा जैसा रघु बता रहा था वैसा वैसा वह अपने मन में कल्पना कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ऊलझन भी हो रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े कैसे उतार पाएगी,,,। हालांकि अपनी बेटी की बात सुनकर उसके भी मन में अपनी बेटी की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर अपने ही बेटे के साथ चुदाई का सुख भोगने के लिए उत्सुकता बढ़ती जा रही थी लेकिन अपने मुंह से खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,)
तेरी मर्जी में जो आए वह कर,,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर जाने लगी तो रखो खुश होता हुआ बोला)
तो ठीक है मैं ऐसी रविवार को दीदी को लेने के लिए जा रहा हूं,,,,।
(कजरी यह सोचकर ही मदहोश हुए जा रही थी कि,,,कितना बजे आएगा जब उसका बेटा और उसकी बेटी और वह खुद नंगी होकर एक दूसरे के साथ मजा लेंगे,,,, देखते-देखते रविवार का दिन आ गया और बड़े सवेरे ही रघु तैयार होकर जमीदार के घर पहुंच गया,,, जमीदार की बीवी रघु को देखते ही एकदम खुश हो गई,,, और उसका आवभगत करते हुए बोली,,,,)
आओ रघू तुम्हारा इंतजार में हमेशा करती रहती हूं लेकिन तुम हो की यहां का रास्ता ही भूल गए हो,,
नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तो रोज ही यहां आना चाहता हूं लेकिन अब यह मेरी दीदी का ससुराल है इसलिए थोड़ा सबर करता हूं,,,,
हर यह तुम्हारा ही घर है यहां जब चाहो तब आ सकते हो कोई पाबंदी नहीं है,,,,
जमीदार कैसे हैं,,,(पलंग पर लेटे हुए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,,)
जैसा छोड़ कर गए थे वैसे ही है,,,,
(रघु को देखते ही जमीदार की आंखें तन गई उसका गुस्सा बढ़ गया आखिर बढ़ता भी कि नहीं उसकी हालत का जिम्मेदार भी तो वही था उसकी आंखों के सामने ही उसकी औरत की चुदाई करता था,,,, एक नजर जमीदार के ऊपर डाल कर वह मालकिन से बोला,,,।)
बड़ी मालकिन बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।
कहो रघु इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,,।
पहली बार सालु घर से इतना दूर गई है,,, मतलब कि यह उसका ही घर है लेकिन मां बहुत परेशान रहती है मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों के लिए चालू कर घर ले जाता तो मां को थोड़ी शांति मिल जाती और मैं वापस आकर छोड़ जाऊंगा,,,,।
क्यों नहीं रघू मैं समझ सकती हूं,,,, लेकिन जो आग मेरे अंदर लगी है शायद तुम नहीं समझ पा रहे हो,,,, अपनी बहन को तुम ले जा सकते हो लेकिन उससे पहले मेरी आग बुझाना होगा,,,,(रघु कुछ कह पाता इससे पहले ही जमीदार की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और रघु के सामने अपनी नंगी बुर परोश,,,दी,,, रघु बड़ी मालकिन की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था,,,, और वह जमीदार की आंखों के सामने ही आगे बढ़ा और जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर कर के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया जमीदार अपनी आंखों से देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था,,, और देखते ही देखते रघु अपनी बहन के सास की चुचियों से खेलता हुआ,,, उसे जमीदार के पलंग पर ही झुका दिया उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए अपने मुसल को जमीदार की बीवी की ओखली में डाल दिया,,,, जमीदार के कमरे में जमीदार की बीवी की गरम सिसकारी बुझने लगी जिसे सुनकर जमीदार गुस्से से भरता चला जा रहा था,,। लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था जमीदार की बीवी को कितना मजा मिल रहा है उसके चेहरे को देख कर ही पता चल रहा था और रघु भी कस कस के धक्के लगा रहा था उसी समय जमीदार की दूध पीने का समय हो रहा था,,, और दूध पिलाने का जिम्मा शालू का था इसलिए वह रोज की तरह गिलास लेकर जमीदार की कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कमरे में से अजीब अजीब लेकिन जानी पहचानी आवाज सुनाई देने लगी उस आवाज को सुनकर वह एकदम से चौक गई,,,, जमीदार की बीवी अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के चक्कर में दरवाजा बंद करना भूल गई थी दरवाजा थोड़ा सा खुला था और जब शालू थोड़े से खुले दरवाजे में अंदर की तरफ झांककर देखी तो दंग रह गई,,, उसकी सास अपने पति के सामने पलंग के ऊपर झुकी हुई थी और गांड उपर की तरफ उठाई हुई थी और चुदवा रही थी,,, लेकिन किस से लेकिन यह उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन ध्यान से देखने पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी सांस के पीछे उसका भाई रघु खड़ा था जोकि उसकी सास को चोद रहा था शालू वहां खड़ी नहीं रह सकी और वापस रसोई घर की तरफ चली गई,,,, थोड़ी देर बाद लौटी तो सब कुछ शांत हो चुका था,,,लेकिन यह खबर सुनते ही की रघू उसे लेने आया है तो वह खुश हो गई,,, सब से आशीर्वाद लेकर चालू अपने घर की तरफ निकल गई लेकिन उसकी सास नहीं रघु को तांगा ले जाने के लिए बोली और रघु तांगे में अपनी बहन को बैठा कर अपने घर की तरफ ले जाने लगा ,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके भाई से क्यों चुदवा रही थी,,,। यही जानने के लिए वह बोली,,,।
क्यों रे अंदर क्या हो रहा था,,,
कहां,,,?
बाबूजी के कमरे में उनकी आंखों के सामने ही,,,,।
अच्छा तो तुझे पता चल गया,,,,(रघु हंसते हुए बोला)
हंस मत यह सब कैसे हो गया मुझे बता,,,
अरे यह सब बहुत पहले से चल रहा है तुझे याद है ना मैं मालकिन को उनके मायके लेकर गया था वही रास्ते में ही हम दोनों के बीच जुदाई का खेल शुरू हो गया,,, तू तो जानती ही है कि तेरी सांस कितनी जवान है और तेरे बाबूजी तेरे ससुर बूढ़े हो चुके हैं और अब तो बिस्तर ही पकड़ लिए है,,,, जवान औरतों की अपनी ख्वाहिश होती है खास करके चुदवाने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही थी तो रास्ते में ही मेरे लंड से चुदवाना शुरू कर दी,,,, और यह सिलसिला अभी तक जारी है,,,,।
बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है वह सभ्यता की मूरत इतनी शालीनता से रहती है इतनी संस्कारों वाली है,,,वह ऐसी होंगी उनके बारे में तो मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकती थी,,,,
अरे दीदी तू नहीं जानती जो सीधी सादी होती हैं खास करके उन में ही जवानी की आग भरी होती है,,, तेरी जेठानी राधा वह क्या कम है,,,
क्या मतलब,,,?(आश्चर्य जताते हुए शालू बोली)
मतलब यही कि तेरी जेठानी भी मेरे लंड का स्वाद अच्छा हो चुकी है,,,,।
क्या,,,?
तो क्या दोनों की चुदाई करने के बाद ही तो तेरा उस घर में जाने का रास्ता साफ हुआ है,,, क्योंकि उन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी है मेरा लंड,,, जब तक मेरा लंड समय-समय पर उन दोनों की बुर में ज्यादा रहेगा तब तक तो उस घर में रानी की तरह राज करेगी इसलिए मुझे समय समय पर उन दोनों की सेवा करनी ही पड़ेगी,,,।
(तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता चला जा रहा था और साथ में एक के बाद एक राज पर से पर्दा खुलता चला जा रहा था,,,)
और यह भी सुन तेरे बाद ही तेरी जिठानी और तेरी सास दोनों मां बनेंगी जिसका बाप मैं ही हूं,,,,,
(शालू की तो आंखें आश्चर्य से चोडा होती चली जा रही थी,,उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह बिल्कुल सच था और जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच होने वाला था,,,)
बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता नहीं चला,,,।
अरे दीदी बहुत कुछ बदल गया है घर चलोगी तो सब पता चल जाएगा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु और जोर से तांगा हांकने लगा,,,)