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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Devang

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मैं तुझ से कैसे पूछूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,शायद एक मां को एक बेटे से इस तरह की बातें और इस तरह के सवाल पूछने तो नहीं चाहिए लेकिन हम दोनों के बीच के हालात बदल चुके हैं,,,, और जिस तरह का शंका का मेरे मन में पूछ रहा है उस शंके को दूर करना भी जरूरी है,,,।


किस तरह का शंका मां मैं कुछ समझा नहीं,,,,,!(रघु आश्चर्य के साथ बोला)

यही कि मैं आज तक तेरी बाबूजी के सिवा किसी के भी सामने अपने कपड़े नहीं उतारी हुं,,,, कल रात को मैं मजबूर हो गई थी,,,, कुछ अपने हालात पर और कुछ तेरे लिए,,,,


मेरे लिए मैं कुछ समझा नहीं,,,,(रघु एक बार फिर से आश्चर्य के साथ बोला)




लाला मेरी इज्जत लूटना चाहता था और अपने आदमियों से भी लूटवाना चाहता था,, और तुझे जान से मार देना चाहता था लेकिन मैं ऐसा कैसे होने देना चाहती थी मैं उससे हाथ जोड़कर विनती करने लगी और, फिर उसने तेरे जान के बदले में मेरे साथ एक सौदा किया,,,


कैसा सोदा मां,,,,,?


यही कि अगर मैं हमेशा के लिए उसकी हो जाऊं तो वह तेरी जान को बख्श देगा,,,,


फिर तुम क्या की,,,,


मैं मजबूर हो गई मैं भला अपने जीते जी अपने बेटे को मरता हुआ कैसे देख सकती थी इसलिए मुझे उसकी बात माननी पड़ी अपने सीने पर पत्थर रखकर उसके इस पौधे को मंजूर करना पड़ा,,,,


क्या मैं तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं,,,


तुझ पर तो मुझे बहुत भरोसा है लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि तू मेरे भरोसे से कहीं ज्यादा ताकतवर है,,,(अपनी मां की इस बात पर रघु मुस्कुराने लगा,,,) और इसीलिए आज तक मैंने किसी के सामने कपड़े नहीं जा रही थी लेकिन लाला की बात मानते हुए मुझे उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होना पड़ा,,,.(कजरी जानबूझकर अपने बेटे के सामने इन सब बातों की चर्चा कर रही थी और बार-बार अपने नंगे पन का अपनी बातों से बोलकर प्रदर्शन कर रही थी ताकि उसका बेटा उत्तेजित हो सके,,,,इन सब बातों की चर्चा करना जरूरी नहीं था लेकिन फिर भी कजरी इस तरह की बातें कर रही थी क्योंकि वास्तव में रघु पर इसका आंसर होगी रहा था अपनी मां के मुंह से बार-बार अपने लिए नंगी शब्द सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी,,,। अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मां तुम्हें जरा सा भी शर्म नहीं आ रहा था लाला के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में,,,


मुझे बहुत शर्म आ रही थी मैं तो भगवान से मना रही थी कि मौत आ जाए लेकिन मैं मजबूर थी सिर्फ तेरे खातिर लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,,,


मां तुम जब लाला के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हुई तो लाला को कैसा लग रहा था,,,।


लाला,,,,,, लाला तो पागल हुआ जा रहा था साथ में उसके तीनों आदमी गंदी नजरों से मुझे देख रहे थे,,,,।


क्या लाला के तीनों आदमी भी वहीं थे,,,,।


हां तो क्या लाला की तीनों आदमी वही थे और मुझे इस तरह से देख रहे थे जैसे मुझे कच्चा खा जाएंगे और हां मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाना था वरना वह तीनों तो रास्ते में ही मुझे चोदने का मन बना लिए थे,,,,(कजरी चोदने शब्द पर कुछ ज्यादा ही भाव देते हुए बोली जिसका असर रघु पर बहुत ही भारी पड़ रहा था वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातों को पहली बार सुन रहा था और अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्दों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही उठने लगी थी,,,)


तुम्हें कैसे मालूम मां,,,,?



क्योंकि वह तीनों रास्ते पर मुझे परेशान करते आए,,, जो मुझे कंधे पर उठाए लिए जा रहा था वह बार-बार मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दे रहा था बार-बार उस पर चपत लगा रहा था,,,, और तो और वह तीनों इतने ज्यादा गरम हो गए थे कि तीनों आपस में बात करने लगे कि लाला के पास ले जाने से पहले क्यों ना वह तीनों ही उसकी चुदाई कर दें,,,,



फिर क्या हुआ,,,,?



फिर क्या तीनों तैयार भी हो चुके थे,,,,, लेकिन तीनों की बातें सुनकर मैं घबरा गई एक साथ तीन-तीन सोच कर ही मेरा बदन कांपने लगा,,,, और मैं लाला को सब कुछ बता देने के लिए बोली तो मैं तीनों घबरा गए,,,, तब जाकर मुझे लाला के पास सही सलामत पहुंचाएं लेकिन फिर भी वह तीनों को इस बात की तसल्ली थी कि लाला के बाद उन तीनों का भी नंबर लगेगा सच में रखो अगर तू ना होता तो ना जाने क्या हो जाता,,,,।


कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,



तू है तभी तो मुझे कोई फिक्र नहीं होती और आज सही सलामत घर पर हूं,,,,


लेकिन मां लाला बहुत गंदा है यह बात तो मैं जानता था लेकिन उसकी गंदी नजर तुम पर आकर ठहर जाएगी यह नहीं जानता था,,,,



तुम लोग शायद यह बात नहीं जानते लेकिन लाला की नजर मुझ पर बहुत पहले से ही थी वह बहुत पहले ही मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर चुका था लेकिन मैं उसके आगे झुकी नहीं और शालू की शादी को लेकर वह बदला लेना चाहता था इसलिए तो अपनी मनमानी करने के लिए मुझे उठवा लिया और उसके पास मौका भी था,,,,


लेकिन मां काफी समय से तुम उसके पास थी लेकिन ईतनी देर में वह तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं कर पाया,,,,।


हां जो तू कह रहा है वह बिल्कुल ठीक है लेकिन वह बहुत इत्मीनान से था उसे लग रहा था कि रात भर में उसके पास रहूंगी उसे क्या मालूम था कि तो उसका काल बनकर वहां पहुंच जाएगा इसलिए वह मेरे साथ संबंध नहीं बना पाया,,,,



लेकिन एक बात है ना तुमको नंगी देख कर लाना पागल हो गया होगा इतना तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं,,,,


ऐसा क्यों,,,,? (कजरी अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली)


क्योंकि तुम गांव भर में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो,,,


चल झूठी तारीफ करने को,,,,


नहीं मां मैं सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो तभी तो लाला तुम्हारे पीछे पड़ा हुआ था,,,,,(रघु की बातें कजरी को बहुत अच्छी लग रही थी और वैसे भी कौन सी औरत होगी जो अपनी खूबसूरती की तारीफ नहीं सुनना चाहेगी और वह भी यहां तो अपने ही बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी मानो हवा में उड़ रही हो,,,)


हां यह तो है पीछे तो वह बहुत समय से पडा हुआ ही था,,,,(कटोरी कौवा खटिया के नीचे रखते हुए बोली)


अच्छा हुआ पहले वह कुछ कर नहीं पाया वरना शायद वह रोज तुम्हारे साथ वही करता,,,,।


हां तु सच कह रहा है,,, लाला बहुत नीच इंसान है,,,,। उसके तीनों आदमी भी मुझे पाने की आस में कमरे के बाहर इंतजार करते हुए बैठे थे लेकिन मुझे अपनी बाहों में भरने से पहले मौत को गले लगा लिए,,,,।


तुम्हें कोई हाथ लगाए और वह जिंदा रह पाए ऐसा कैसे हो सकता है मां,,,,



तू बहुत बहादुर है बेटा,,,,,


अच्छा एक बात बताओ मा पूछना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी पूछ रहा हूं,,,,


क्या,,,,?


यही कि लाला तुमको जब मांगी देख रहा था तो तुम्हारे कौन से अंग पर उसकी निगाह ठहरी हुई थी,,,,,,,(रघु एकदम संकुचाते हुए बोला,,,)


पागल हो गया है क्या ऐसा कोई पूछता है,,,,

अब इसमें क्या हुआ मां,,,,


अरे मैं तेरी मां हूं और इस तरह का सवाल कोई अपनी मां से पूछता है,,,,



नहीं नहीं कभी नहीं मैं भी नहीं पूछता नहीं इस सवाल के पीछे सबसे बड़ा कारण है तुम्हारी खूबसूरती इसके लिए पूछ रहा हूं,,,,, क्योंकि दुनिया खूबसूरती के पीछे ही भागती है। अगर तुम खूबसूरत ना होती तो यह सब झमेला ही ना होता,,,,।


तो तुझको मेरी खूबसूरती अच्छी नहीं लग रही है यही कहना चाहता है ना तू,,,,



मुझे तो तुम पर नाज है कि तुम इतनी खूबसूरत हो,,,, इसलिए तो यह सवाल पूछ रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारा खूबसूरत बदन का हर एक कोना बेहद खूबसूरत है,,,इसलिए तो पूछ रहा हूं कि लाला की नजर तुम्हारे बदन के कौन से हिस्से पर सबसे ज्यादा घूम रही थी,,,,।
(अपने बेटे के इस तरह के सवाल पर कजरी कुछ देर तक सोचने लगी और फिर बोली)


हमममम,,, इस पर ,,(अपनी आंखों से ही अपनी चुचियों पर इशारा करते हुए.... यह देख कर रघु मुस्कुराने लगा और हंसते हुए बोला,,,)


मैं भी यही सोच ही रहा था,,,,


लेकिन तू ऐसा क्यों सोच रहा था,,,,,,,, और हां मैं तुझसे जो पूछना चाहती थी वह तो मैं भूल ही गई,,,,


क्या पूछना चाहती थी,,,,?



यही कि तू मुझे एकदम नंगी देख चुका है मेरे नंगे बदन को देख चुका है तो जाहिर है कि मेरी हर एक अंग को तु देखा भी होगा,,,(इतना सुनते ही रघु शर्मा कर मुस्कुराने लगा) मुस्कुरा मत मेरे को सब पता है,,, तभी तो तू अंदाजा लगा लिया कि लाला,,,मेरी इसको ही देख रहा होगा,,,( एक बार फिर से आंखों से ही अपनी दोनों चूचियों की तरफ इशारा करते हुए),,,, क्यों सही कह रही हुं ना,,,,



अब मैं क्या कहूं,,,,


वही जो मैं पूछ रही हूं,,,,


अब यह पूछ कर तुम मुझे शर्मिंदा कर रही हो अगर जानना चाहती हो तो मैं बताता हूं मैं तुम्हें वहां से उठाकर अपनी गोद में यहां घर तक लेकर आएगा और अपने हाथों से तूने कपड़े भी पहनाया ,,, तो जाहिर सी बात है कि मैं तुम्हें तुम्हारी नंगे पन को अपनी आंखों से देख भी रहा था लेकिन मेरा इरादा कुछ ऐसा नहीं था लेकिन क्या करता जब आंखों के सामने इतनी खूबसूरत चीज हो तो भला देखे बिना कोई कैसे रह सकता है,,,,।


अच्छा इतनी खूबसूरत,,,(कजरी मुस्कुराते हुए अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,,)


तो क्या,,,,शायद तुम नहीं जानती मा कि तुम पूरे गांव में पूरे गांव में कया गांव के अगल बगल के जितने भी गांव हैं उन्हें सारी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत तुम्हीं लगती हो,,,,,,क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो अपना बदन देखकर अपनी खूबसूरती देखकर दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम्हारे बदन में जरा भी ढीलापन नही है,,,(ढीलेपन वाली बात रघु अपनी मां की सूचियों की तरफ देखते हुए बोला था जो कि इस समय ब्लाउज के अंदर कैद थी और अपने बेटे की इस बात को और उसकी आंखों कह इशारे को वाची तरह से समझ गई थी और अपने बेटे की इस बात से वह अंदर ही अंदर शर्मा गई थी और अपने बदन पर गर्व भी करने लगी थी,, अपने बेटे के इस बात पर कजरी कुछ बोली नहीं बस शर्मा गई,,,)

चल छोड़ सब बात को,,,, देखा तो देखा मैं इसके लिए कुछ नहीं कह रही हूं लेकिन क्या तूने छुआ तो नहीं ना,,,


अरे कैसी बात कर रही हो मैं तुम्हें वहां से हाथों को उठाकर लेकर आया हूं और बोल रही हो छुआ कि नहीं,,,,


अरे मेरा मतलब उससे नहीं है,,, मैं यह कह रही हूं कि,,, तो मुझे नंगी देखकर कहीं अपना काबू खो दिया और,,, और उत्तेजित होकर कहीं मेरी ये,,,(आंखों से अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए) और मेरी ये,,,(अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों के बीच करते हुए) छुआ तो नहीं,,,,
(इतना कहते हुए कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई थी और यही हाल रघु का भी था चुचियों की तरफ तो ठीक जैसे ही उसकी मां अपनी आंखों का इशारा अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर की तरफ़ की रघु का लंड एकदम से फुंफकारने लगा,,,,, धीरे-धीरे दोनों एकदम खुलते चले जा रहे थे रघु को समझते देर नहीं लगी थी कि उसकी मां चुदवासी हुए जा रही है,,, लाला से तो चुदवाने में एतराज था लेकिन उसका लंड लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है रघु मन ही मन में यही बात सोचने लगा था,,,,,, अपनी मां की यह बात सुनकर वह बोला,,)

केसी बात कर रही हो मां,,,,,, नंगी थी इसलिए नजर तो हटा नहीं सकता था इसलिए तुम्हारा सब कुछ (सूचियों की तरफ से आंखों को नीचे की तरफ दोनों टांगों के बीच लाकर रोकते हुए) देख ही लिया हूं लेकिन छुआ नहीं हु लेकिन हां दुल्हन ब्लाउज पहनाते समयबटन बंद करते वक्त तुम्हारी सूचियों को पकड़कर मुझे अंदर करना पड़ा था बस इतना ही किया था बाकी मैंने तुम्हारी बुर को देखा जरूर लेकिन उसे हाथ नहीं लगाया,,,,(रघु जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में और अपनी मां की बुर का जिक्र साफ शब्दों में कर रहा था अपनी बेटे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनते ही कजरी पेटीकोट के अंदर पानी पानी होने लगीऔर अपनी मां के सामने पुर शब्द का प्रयोग करते हुए रघु की हालत खराब हो रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,,,अपने बेटे की बात सुनकर कचरी एकदम गरम हो गई थी और कर्म आहें भरते हुए एक लंबी सांस खींची और बोली,,,।)


चल अच्छा हुआ तू उसे हाथ नहीं लगाया करना शायद तुझसे अपने आप पर काबू कर पाना मुश्किल हो जाता,,(कजरी एकदम मादक अदा बिखेरते हुए बोली,,,, रघु अपनी मां के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,,)


नहीं,,,, इतना भी कमजोर नहीं हूं कि तुम्हारी बुर को हाथ लगाते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख पाऊं,,,,,


तुझे ऐसा लगता है बेटा अच्छे-अच्छे फिसल जाते हैं,,, तभी तो लाला बहककर इतना बड़ा कदम उठा लिया था,,,,,,


लेकिन मैं उनमें से नहीं हूं बहकना होता तो,,,, रात को ही बहक गया होता,,,(इतना कहते हुए रघु अपने पहचाने पर हाथ रखकर अपने खड़े लंड को दुरुस्त करने में लग गया और यह हरकत रघु बार-बार कर रहा था,,, पर अपने बेटे की हरकत देखकर कजरी समझ गई थी कि उसकी बातों से वह उत्तेजित हो जा रहा है और उसका लंड खड़ा हो रहा है भले ही वह लाख ना फिसलने की बात करें लेकिन कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे ऋषि मुनि विजय औरतों के अंगों को देखकर फिसल जाते हैं तो उसका बेटा क्या चीज है कजरी जानती थी कि उसका बेटा झूठ कह रहा हैलेकिन उसे हैरानी से बात की थी कि उसे संपूर्ण रूप से नंगी अपनी गोद में उठाकर घर तक लाने के बावजूद भी वह बहका कैसे नहीं वह चाहता तो उसके साथ कुछ भी कर सकता था और लाला का नाम दे सकता था,,, अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)


चल बड़ा आया ऋषि मुनि,,,, देखा तो सही ना,,,,


हां देखा जरूर,,,, पेटिकोट पहनाते समय सच कहूं तो आज मैं पहली बार बुर देखा हूं वरना मुझे तो उसके आकार के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी मन ही मन में बोली चल झूठा पहली बार देख रहा है,,,, और अपनी बहन को चोद रहा था वह किस में डाल रहा था,,,, साला बहन चोद कजरी यह गाली अपने मन में जानबूझकर अपने बेटे को दी थी क्योंकि वह जानती थी कि सालु की चुदाई व करता हैऔर अपनी बहन को चोदने की वजह से ही कजरी अपने मन में उसे बहन चोद की गाली दे रही थी,,,,, कजरी अपने मन में यह भी बोल रही थी कि काश तू मादरचोद बन जाता तो कितना मजा आता,,,)

कैसा लगा तुझे उसका आकार,,,,


बहुत ही खूबसूरत दोनों टांगों के बीच नजर पड़ते ही में एकदम भौचक्का हो गया पता ही नहीं चल रहा था सिर्फ एक पतली दरार नजर आ रही थी,,,, मैं तो बस देखता ही रह गया,,,,


मैं बोली थी ना वह चीज ही ऐसी है कि अच्छे-अच्छे फिसल जाती है तो अगर उसे छू लिया होता तो पागल हो जाता,,,।

नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,, है।


ऐसा ही है बेटा,,,


कहो तो अभी छू कर दिखाओ,,,


धत्,,,, कितने हरामि हो गया है तू,,,


तुम खुद कह रही हो तो क्या करूं,,,, वैसे माजितनी भी औरतों को देखा हूं इनमें से सबसे ज्यादा खूबसूरत और कसी हुई चूची तुम्हारी है,,,,
(अपने बेटे की इस बात पर कजरी उसे तिरछी नजरों से देखने लगी) सच कह रहा हूं,,,,


कितनी औरतों की देख चुका है तू,,,,


अरे बिना कपड़ों की नहीं,,,, बस आते जाते उस पर नजर पड़ी ही जाती है,,, अब देखो ना अपनी ललिया चाची की उनकी चुची तुमसे छोटी और कसी हुई नहीं है,,,।


तुझे यह सब कैसे पता चला,,,,


अरे ब्लाउज को देख कर ही पता चल जाता है,,,,
अब देखो ना तुम्हारा ब्लाउज आगे से कितना उठा हुआ होता है और एकदम कड़क लगता है पता चल जाता है कि ब्लाउज के अंदर की चूचियां कितनी जानदार और शानदार है,,,


बाप रे कितना हरामि हो गया है तु एकदम शैतान हो गया है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी वह अपने आप को एकदम चुदवासई महसूस कर रही थी उसका मन कर रहा था कि रघु के ऊपर अभी चढ़ जाए और उसके लंड को अपनी बुर में डालकर अपनी प्यास बुझा ले,,, लेकिन ऐसे नहीं कजरी भी शायद धीरे धीरे बढना चाहती थी,,,।उसे इतना तो यकीन था कि उसका बेटा है कि उसकी दोनों टांगों के बीच जरूर आएगा क्योंकि जो अपनी बड़ी बहन को चोद सकता है तो मां को चोदने में क्या हर्ज है और वैसे भी जिस तरह की दोनों बातें कर रहे थे उससे यही लग रहा था कि जल्द ही कजरी की बुर नुमा जमीन पर सावन की फुहारे पडने वाली है,,,,,, बाहर चिड़ियों की आवाज सुनाई दे रही थी सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों की ओर जा रहे थे सुबह-सुबह दोनों मां-बेटे इस तरह की गंदी और कामोत्तेजना से भरपूर बातें करके एकदम से चुदवासे हो चुके थे,,,, रघु का लंड लोहे के रोड की तरह खड़ा हो चुका था,,। वह इसी समय अपनी मां को चोदने की फिराक में था क्योंकि वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था और वह जानता था कि उसकी मां भी गरम हो चुकी है अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो उसकी मां को बिल्कुल भी ऐतराज नहीं होगा क्योंकि वो खुद यही चाह रही थी वरना इस तरह की बातें कभी नहीं करती और वैसे भी दोनों को खुला मौका जो मिल चुका था क्योंकि इस समय घर पर उन दोनों किसी का तीसरा कोई नहीं था शालू की शादी हो चुकी थी वहां अपने ससुराल जा चुकी थी इसलिए दोनों इत्मीनान थे,,,,,, और माहौल भी उसी तरह का बनता चला जा रहा था रघु बार-बार अपनी मां को दिखाते हुए अपने के जाने के ऊपर से लंड को दबा रहा था और कजरी अपने बेटे की इस हरकत को देखकर पानी-पानी हो जा रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि पजामे में उसके बेटे का लंड खड़ा हो चुका है और उसकी बुर में आने के लिए उतावला हो रहा है,,,, अपने बेटे को कजरी बहकाने के उद्देश्य से बोली,,,।)


सच कहना रघु तू मेरी उसको छूकर बहक नहीं जाएगा,,,


बिल्कुल भी नहीं मुझे अपने आप पर भरोसा है,,,
(कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो उसका बेटा वही करेगा जो अपनी बड़ी बहन के साथ किया था और इसके लिए कजरी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,,।)


नहीं नहीं तो बिल्कुल भी अपने आप पर काबू नहीं कर पाएगा मैं अच्छी तरह से जानती हूं तु बहक जाएगा,,,,


नहीं बहकुंगा अगर विश्वास नहीं है तो आजमा लो,,,,(रघु की हालत खराब होती जा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी मां बात कर रही थी उसे लगने लगा था की अपनी मां को चोदने का मौका उसे आज मिलने वाला है,,,,साथ ही कजरी की भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे भारी हो चली थी वाह लड़खड़ाते हुए शब्दों में बोली,,)


तुझे आजमाना ही पड़ेगा मैं भी देखना चाहती हूं कि तुझसे कितना काबू हो सकता है,,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी वापस खटिए पर पीठ के बल लेट गई और अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी पेटीकोट को उठा नहीं जा रही थी कि तभी अचानक बाहर से आवाज आई,,,,।


अरे सुनती हो कजरी,,,,(कजरी एकदम से चौंक गई और तुरंत अपनी पेटीकोट को सही करके अपने ऊपर चादर डाल दी वह जान गई की ललिया आई है,,,, और ललिया तुरंत कमरे में आते हुए बोली,,,

अरे गजब हो गया कजरी,,,,
(ललिया कुछ देख पाती इससे पहले ही कजरी अपने कपड़ों को दुरुस्त कर चुकी थी और खटिए पर आराम से लेट गई थी)

अरे इतना हांफ क्यों रही है बताएगी भी क्या हुआ,,,? (कजरी को अंदेशा हो चुका था कि रात वाली बात गांव वालों को पता लग गई है उसे डर इस बात का था कि कहीं उसका या उसके बेटे का जिक्र ना आ जाए)

अरे नहर के किनारे लाला और उसके आदमियों की लाश मिली है,,,


अरे क्या कह रही है ललिया,,,,,,


एकदम सच कह रही हूं कजरी सारे गांव वाले उधर ही गए हैं,,,


चाची मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है यह कैसे हो गया,,,,, तुम भी वही जा रही हो क्या,,,(रघु सब कुछ जान कर भी अंजान बनते हुए बोला)

हा में भी वही जा रही हुं,,,,


रुको मैं भी चलता हूं,,,,,(इतना कहकर वह खड़ा हो गया,,,)

मां हम दोनों वहीं जा रहे हैं,,, तुम घर की थोड़ी सफाई करके वहीं आ जाना,,,,(इतना कहकर रघु ललिया को साथ लेकर घर से बाहर निकल गया और कजरी वही खटिए पर लेटी हुई भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसके परिवार का बिल्कुल भी जिक्र ना हो रात को जो कुछ भी हुआ है उसके बारे में किसी को पता ना चले,,,, और इसके बाद में खटिया पर से खड़ी हुई औरत अपनी साड़ी पहनकर वह भी नहर की तरफ जाने लगी,,,।)
Behtareen update
 

Devang

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नहर के किनारे हड़कंप मचा हुआ था,,,, लाला और उसके तीनों साथी की लाश कीचड़ में सनी हुई थी,,, गांव वाले यह मंजर देख कर हैरान हो गए थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि लाना जैसे शैतान का भी यह हाल हो सकता है,,,, पूरा गांव इकट्ठा हो चुका था रघु भी दूसरों की तरह आश्चर्य जता रहा था,,,, जमीदार की बीवी भी वहां पहुंच चुकी थी और साथ ही अपने ससुर की मौत की खबर सुनते ही कोमल भी वहां पहुंच चुकी थी कोमल अपने ससुर की लाश देख कर हैरान हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रोए यहां से जिंदगी में उसने पहले कभी इस तरह का डरावना दृशय नहीं देखी थी,,,, पास में ही रघु खड़ा था,,, रघु की तरफ देखते ही उसे सारा मामला समझ में आ गया था वह समझ गई थी कि इन चारों की इस तरह की हरकत करने वाला रघु ही है लेकिन उसे भी आश्चर्य था कि रघु जैसा लड़का इतनी हिम्मत कैसे रख सकता है,,,। रघु और कोमल दोनों की नजरें आपस में मिली,,, आंखों ही आंखों में दोनों ने अपने मतलब की बात कर ली,,,, जमीदार की बीवी लाला की हालत देखकर परेशान हो गई थी गांव वालों से पूछने लगी कि यह किसने किया किसकी इतनी हिम्मत हो गई,,,, लाला रिश्ते से उसका समधी जो था,,, आखिरकार किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंच पाना गांव वालों के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था,,,,,,,फिर भी इसी नतीजे पर निकलेगी या किसी रंजिश की वजह से किसी ने लाला की यह हालत कर दी,,,, गांव की औरतें लाला की मौत पर खुश नजर आ रही थी क्योंकि वो लोग अच्छी तरह से जानती थी कि लाला अपने आदमियों के सहारे,,, और मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर उनके साथ मनमानी करता था,,,, कजरी भी वहां पहुंच चुकी थी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे के किए गए कारनामे को देखकर वह मन ही मन अपने बेटे पर फक्र महसूस कर रही थी और इस बात से उसे राहत महसूस हुई थी कि लाल और उसके साथियों की हत्या में उसके बेटे का कहीं भी जिक्र नहीं हो रहा था,,,,, थोड़ी देर बाद भीड छंटने लगी,,,,,,, जैसे-जैसे लाला की मौत की खबर मिलते जा रही थी वैसे वैसे उसके रिश्तेदार इकट्ठा होते जा रहे थे और लाला के साथ साथ उसके 3 साथी के भी रिस्तेदार इकट्ठा हो चुके थे चारों का अग्नि संस्कार किया गया सारी विधि में रघु भी शामिल था और किसी को कानों कान रघु के कारनामे के बारे में भनक तक नहीं लगी,,,,,,

शाम ढलने के बाद सांत्वना देने के लिए रघु कोमल के घर पहुंच गया जहां कुछ देर पहले ही गांव की औरतें कोमल को समझा-बुझाकर वापस अपने घर लौट चुकी थी रघु को देखते ही वह रघु के गले लग कर रोने लगी,,,, उसे चुप कराते हुए रघु बोला,,,।


अपने आप को संभालो कोमल,,,,,,इस तरह से रोती रहोगी तो कैसे चलेगा तुम्हारी भी तबीयत खराब हो जाएगी मैं नहीं चाहता कि तुम्हें किसी भी तरह से तकलीफ पहुंचे तुम रोते हुए मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,,

तो हम क्या करें रघु,,,हमें तो यह भी समझ में नहीं आ रहा है कि अपने ससुर की मौत पर खुश हो या दुखी,,,,


दुखी होने की जरूरत,,,नहीं है कोमल इस तरह से रो कर जिंदगी गुजारने का कोई मतलब नहीं है और वैसे भी अपने ससुर से छुटकारा पाकर तुम्हें तो राहत की सांस लेनी चाहिए थी क्योंकि वह तुम्हारा ससुर नहीं का हैवान था जो तुम्हारी इच्छा से खेलना चाहता था तुम्हें किसी भी वक्त लूट सकता था,,, और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो एक तरह से मैंने उसे मार कर तुम्हें छुटकारा दिलाया है एक राक्षस के हाथों से तुम्हें बचाया है,,,


लेकिन हम तो इस समय एकदम अकेले पड़ गए एक तो हमारा पति जोकि ना जाने कहां भटक रहा है,,, और ससुर के मरने की खबर सुनकर हमें तो समझ में नहीं आ रहा है,,, सच कहूं तो रघु हमें तो डर लग रहा है,,,,अपने ससुर की मौत ने एक तरह से मेरा भी हाथ है मुझे डर लगता है कि कहीं वह भूत बनकर,,,,,
(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और हंसते हुए बोला,,,)

अच्छा तो तुम्हारे डरने की वजह यह है,,,,(इतना कहने के साथ ही रखो अपनी बाहों में से कोमल को अलग करते हुए उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोला ,,,,)


अरे पागल भूत और कुछ नहीं होता मैं हूं ना,,,,,,


कब तक रहोगे रघु,,,,


जब तक मेरी धड़कन चलेगी तब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा,,,,


किस रिश्ते से मेरे साथ रहोगे रघु एक ना एक दिन सारे गांव वालों को पता चल जाएगा उस समय मेरी कितनी बदनामी होगी यह बात का अंदाजा लगाए हो कभी,,,


पति के रिश्ते से,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कोमल आश्चर्य से रघु की आंखों में देखने लगी क्योंकि वास्तव में उसकी आंखों में ऊसे अपने लिए प्यार नजर आ रहा था,,। कोमल की आंखों में आंसू आ गए,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें,,,,,, रघु की बातें सुनकर वो पूरी तरह से भावनाओं में बहती चली जा रही थी,,, उसके लिए यह पल बेहद हसीन और अनमोल था क्योंकि इस तरह से उसी से किसी ने भी नहीं कहा था रघु की तरह को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी किसी छोटी-छोटी मदद वह करता रहता था और उसके प्रति आकर्षण के चलते वह अपना तन उसे सौंप चुकी थी,,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था,,, कोमल विस्की आंखों में डबडबाई आंखों से देख रही थी,,, कोमल की आंखों में कुछ सवाल है जिनका जवाब वक्त के साथ ही मिलने वाला था लेकिन फिर भी अपने मन की बात कोमल के होठों पर आ ही गई,,,)

रघु हमें डर लग रहा है,,,


किस लिए,,,,


यही तो तुम कह रहे हो क्या समाज इस रिश्ते को स्वीकार करेगा मेरा पति जीवित है या मर गया है इस बारे में कोई नहीं जानता अगर जिंदा है फिर भी एक पति के होते हैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हो और अगर मर गया है तो क्या यह एक विधवा के लिए मुमकिन होगा एक कुंवारे लड़के से शादी कर सके,,,,


क्यों मुमकिन नहीं है कोमल,,,, वैसे भी जिंदगी अपने हिसाब से जीनी चाहिए यह समाज के रिश्तेदार यह किसी का दुख दूर नहीं कर सकते किसी का दुख बांट नहीं सकते केवल लोग समाज का डर दिखाकर तुम्हारी जिंदगी और नर्क कर देंगे क्या समाज को पता है कि तुम इतनेबड़े घर की बहू होने के बावजूद भी कितनी दुख सह रही हो पति के प्यार से वंचित हो शरीर सुख से वंचित हो और साथ ही अपने ही ससुर की गंदी नजरों से प्रताड़ित हो चुकी हो क्या समाज ही सब जानता है,,,, नहीं जानता ना तो मैं फिर दूसरों के हिसाब से जिंदगी जीने का क्या फायदा और वैसे भी तुम्हारी उम्र,,,, ही कितनी है,,, सच कहूं तो तुम्हें मेरी बीवी होना चाहिए था जो कि मैं ये कमि अब पूरी करना चाहती हूं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,,,,


सच में रघु क्या ऐसा हो सकता है,,,,


बिल्कुल हो सकता है मेरी कोमल,,,,भगवान लगता है हम दोनों को मिलाने के लिए यह सारी लीला रचे हैं,,,,


ओहहहहह,,, रघु,,,,,(इतना कहने के साथ ही कोमल भावनाओं में बहते हुए रघु के गले लग गई और इसी के साथ ही उसकी दोनों उन्नत चुचियां रघु की छाती से जा टकराई जिसके नुकीले एहसास से रघु पूरी तरह से कामविह्वल हो गया और अगले ही पल वह अपने होठों को कोमल के लाल लाल होठों पर रखकर उसका रस चूसना शुरू कर दिया,,,, पर अपने हाथ को उसकी पेट से नीचे की तरफ लाकर उसकी ऊभरी हुई गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा,,,, कोमल भी उत्तेजित होने लगी चुदवासी होकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,, पजामे में रघु का खड़ा लंड सीधे साड़ी के ऊपर से ही कोमल की बुर के ऊपर दस्तक देने लगा,,,, रघु और कोमल दोनों एकांत पाकर एकदम से चुदवासे हो गए,,,, रघु जोर-जोर से कोमल की गांड को दबाते हुए साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगा और देखते ही देखते रहो खूब कोमल की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी चित्र में गांड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट और नर्माहट दोनों का आनंद लेते हुए जोर जोर से दबाने लगा कोमल भी उसका साथ देते हुए अपने गुलाबी होठों को खोल कर रघु की जीभ को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चाटना शुरू कर दी,,,,,,, दोनों की सांसें तेज चलने लगी रघुउसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा और देखते ही देखते उसके ब्लाउज के सारे बटन को खोलकर झटके से उसका ब्लाउज एकदम से उसके बदन से अलग कर दिया कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और उसके नंगे पन के एहसास को अपनी छातियों पर महसूस करने के लिए अपने कुर्ते को झट से उतार कर कर अपनी नंगी छाती पर कोमल की नंगी छाती को दबा कर उसकी गरमाहट को महसूस करके उत्तेजित होने लगा,,,,,,।


ओहहहह कोमल,,,, क्या मस्त जवानी है तुम्हारी,,,, कसम से जवानी का गोदाम हो,,,,,(और इतना कहने के साथ ही एक हाथ में उसकी चूची पकड़ कर दूसरी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,)

सससहहहह आहहहहहहह,,,, रघु,,,,,,,(रघु कि ईस तरह की हरकत से कोमल के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, रघु पूरे जोश से कोमल की कोमल चूची को मुंह में भर कर उसकी गर्माहट उसके मद भरे रस के एहसास में डूबता चला जा रहा था,,, यह पल रघु के लिए बेहद उत्तेजक था,,,, कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव इस समय रघु कर रहा था क्योंकि इस समय का माहौल कुछ और था,,,, अभी-अभी कोमल के ससुर का अंतिम संस्कार हुआ था उसकी चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि उसकी बहू कोमल अपने मन की अपने तन की प्यास को बुझाने में लगी हुई थी जिसका कारण यह भी था कि ससुर की हरकत को देखते हुए वह उससे नफरत करने लगी थी और मन ही मन में उसे ससुर मानने से इंकार करती थी वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि ससुर को बाप का दर्जा दिया जाता है लेकिन यहां तो ससुर ही हैवान हो चुका था ऐसे में कोमल के पास कोई विकल्प नहीं बचा रहा था और उसे सांत्वना की जरूरत थी ऐसे शाथी की जरूरत थी,,,जो उसको समझ सके उसे सहारा दे सके उसकी भावनाओं की कद्र कर सके और इस समय उसकी नजर में केवल रघु ही था जो कि इस समय हर एक मोड़ पर उसके साथ खड़ा था,,,, इसलिए तो रघु के सानिध्य को पाकर वह यह भी भूल गई थी कि आज ही उसके ससुर का देहांत हुआ था और वह रघु के द्वारा जारी किए गए काम कीड़ा में तल्लीन हो गई जिस शिद्दत से रघु उसकी दोनों कोमल सूचियों से खेलता हुआ उसे मुंह में बारी-बारी से भरकर पी रहा था उतने ही प्यार से कोमल अपनी चुचियों को रघु के मुंह में डालकर पिला रही थी,,,,
कुछ देर पहले गमगीन बन चुका कमरे का माहौल अब मादकता का रस घोल रहा था रघु धीरे-धीरे कोमल की साड़ी को अपने हाथों से खोल रहा था ,,, रघु कोमल को नंगी करना चाहता था और कोमल रघु के हाथों से नंगी होना चाहती थी,,, शायद ऐसा कभी ना होता अगर कोमल को अपने पति से मर्दाना क्यों से भरा प्यार मिला होता लेकिन पुरुष के मर्दाना प्यार से वंचित रह चुकी थी इसलिए रघु को पाते ही वह सब कुछ भूल चुकी थी कोमल रघु का हौसला बढ़ाने के लिए उसके बालों में अपनी उंगली डालकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और रघु देखते ही देखते अपने हाथों से कमर पर बनी उसकी साड़ी को खोलकर नीचे जमीन पर फेंक दिया था और पल भर में ही उसकी पेटीकोट की डोरी खींच कर उसकी पेटीकोट को उसके कदमों में गिरा दिया था रघु की बाहों में रघु की आंखों के सामने कोमल पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और नंगी होने के बाद कोमल रत्ती का रूप लग रही थी,,,,,,, शाम ढल चुकी थी अंधेरा छाने लगा था,,,, जहां गांव वाले यह बात को सोचकर परेशान और चिंतित थे कि पति और ससुर के बिना कोमल कैसे अपनी जिंदगी बिताएगी,,,, वही दूसरों के सोच के विरुद्ध कोमल अपने प्रेमी की बाहों में नंगी होकर उसे अपने हुस्न का रस पिला रही थी,,,,,

रघु के मुंह में कोमल की चूची थी और रघु का एक हाथ कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी कोमल कस नरम नरम मद भरी बुर के ऊपर गश्त लगा रही थी कोमल की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह बार-बार रघु की हरकत से गर्म होकर लंबी लंबी सांसे लेकर छोड़ रही थी और उत्तेजना के आवेश में आकर वह अपना एक हाथ,,,रघु के पजामे में डालकर उसके खड़े टनटनाते हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसकी गरमाहट को महसूस करते ही पानी पानी हुई जा रही थी,,,, जिसका एहसास रघु को अपनी उंगलियों पर महसूस हो रहा था,,,
अपनी महबूबा को पानी पानी होता देख रघु से रहा नहीं गया और वह,,,, कोमल को अपनी गोद नहीं उठा लिया,,,कोमल पहले तो घबरा गई लेकिन रघु कि ताकत सेपूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी कि निश्चिंत रहो गई रघु उसे अपनी गोद में उठाये हुए ही ऊसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,, उसके बदन के हर एक कोने में उसी छलकती जवानी चिकोटी काटने लगी,,,, उसे इस बात का था और ज्यादा गीला कर रहा था कि,,, रघु उसे अपनी गोद मैं उठाकर उसे चोदने के उसके कमरे में ले जा रहा है।,,, रघु उसकी आंखों में देख रहा था कोमल शर्मा रही थी,,,, रघु कोमल को अपनी गोद ने उठाए उसके संपूर्ण वजूद को अपनी आंखों से देख रहा था,,।रघु और कोमल दोनों में किसी भी प्रकार की वार्तालाप हो नहीं रही थी और रघु ना तो कोई बात करना चाहता था वह नहीं चाहता था कि बात करने पर किसी बात से उसे अपने परिवार की या अपने ससुर की याद आ जाए जिससे माहौल खराब हो जाए इसलिए वह चुप रह कर अपना काम धीरे-धीरे आगे बढ़ा रहा था देखते ही देखते वह कोमल को लेकर उसे कमरे में पहुंच गया और धर्म धर्म करते पर लगभग उसे उछाल कर गिरा दिया जिससे वह नरम नरम गद्दी पर गिरते ही थोड़ा सा उछल गई और रघु अपने लिए जगह बनाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया और अपना मुंह ऊसकी पिघलती हुई बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, कोमल पागल हो गई मदहोश होने लगी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो वह हवा में उड़ रही हो रह रहे कर वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,,,

लोहा गरम हो चुका था हां थोड़ा मारने की डेरी के मौके की नजाकत को समझते हुए रघु अपने बदन पर से पजामे को भी उतार फेंका,,, कोमल के कमरे में कोमल और रघु पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गए,, रघु के खड़े लंड को देखते ही,,, एक बार फिर से कोमल की आंखों में चमक आ गई,,, उसे इस बात का अहसास हुआ कि वास्तव में उस के नसीब में इसी तरह का जवान लंड होना चाहिए था जो कि अपनी इस कमी को वह पूरा कर लेना चाहती थी,,, इसलिए वह खुद ही अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,,, कोमल की इस खूबसूरत हरकत ने रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर को ज्यादा बढ़ावा दे दिया और वह बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाया और कमर की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देना एक बार फिर से उसकी कमर ऊपर नीचे होने लगी,,,एक बार फिर से कोमल अपनी पुर के अंदर एक मोटे तगड़े लंड को अंदर बाहर होता हुआ महसूस करने लगी,,,,,,,
यह चुदाई रात भर चलती रहे,,, सुबह बाहर दरवाजे की दस्तक को सुनकर कोमल की नींद खुली तो बिस्तर में वह अपने आप को रघु की बाहों में पाई जो कि वह पूरी तरह से मांगा था और उसका ढीला उसका लंड फिर भी खंड की तरह उसकी गोलाकार गांड से सटा हुआ था और वह खुद एकदम नंगी उसकी बाहों में थी अपनी आंखों को मिलते हुए दरवाजे की दस्तक को सुनकर वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन बाहर से आ रही पैसे की आवाज के साथ साथ कुछ लोगों की आवाज को सुनकर वह उस आवाज को पहचानने की कोशिश करने की वजह से उस आवाज को पहचानी वह एकदम से चौंक गई दरवाजे पर उसकी मां और बापू जी थे और वह खुद एक अनजान लड़की के साथ अपने कमरे में एकदम नंगी लेटी हुई थी एकदम से घबरा गई और रघु को जगाने लगी,,,,

अरे उठो अभी तक सोए हो जल्दी उठो,,,,

क्या हुआ,,,?(रघु भी एकदम से हडबडाते हुए उठ कर बैठ गया,,,)

अरे बाहर मेरे मां और बाबू जी आए हैं जल्दी यहां से जाओ,,,


लेकिन कैसे जाऊं दरवाजे पर तो तुम्हारे मां और बाबू जी खड़े हैं,,,,

पीछे के रास्ते से चले जाओ,,,(कुछ देर सोचने के बाद वह धीरे से बोली,,,, रघु जल्दी से बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया और अपने कपड़े समेट कर पहनने लगा साथ में कोमल भी अपनी की साड़ी उठाकर पहनने लगी जल्दी से एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों पर चुंबन करके वहां से चलता बना और वह थोड़ा सा मायूस होकर दरवाजा खोलने लगी दरवाजे पर अपने मां-बाबु जी को देख कर वह फूट-फूट कर रोने लगी,,,


दूसरी तरफ कजरी रात भर रघु के बिना बिस्तर पर तड़पती रही,,,भले ही वह अपने बेटे के साथ चुदाई के सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन उसके साथ दो अर्थ वाली गंदी बातें करके मस्त हो जाती थी,,,,थोड़ी ही देर में रघु अपने घर पर पहुंच गया और उसे देखते ही कजरी उस पर नाराज होते हुए बोली,,,।


रात भर कहां रह गया था मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुझे मालूम है,,,।


अरे मा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है दोस्त के घर रुक गया था वह जबरदस्ती घर पर रोक लिया तो क्या करता,,,


तो क्या करता,,,,,, यहां मेरी क्या हालत हो रही थी तुझे इस बात का अंदाजा है,,,,(कजरी मुंह बनाते हुए बोली,,)


जानता हूं मां,,,, तुम परेशान हो रही थी लेकिन क्या करता है मजबूर हो गया था,,,,,,


तेरे बिना आप एक पल भी अच्छा नहीं लगता मुझे छोड़कर मत जाना ,,,(ऐसा कहते हुए वह अपने बेटे को गले लगा ली,,, रघु भी अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया उसकी बड़ी बड़ी चूची को अपनी छाती पर महसूस करते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके पजामे में कैद घोड़ा अपना मुंह ऊठाने लगा,,, जो कि सीधा साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मारने लगा कजरी अपने बेटे के घोड़े को अपनी बुर की जमीन पर दौड़ता हुआ महसूस करते हुए एकदम से उत्तेजित हो गई और कसके उसे अपनी बाहों में भर ली अपनी मां की उत्तेजना को महसूस करते ही रघु अपने दोनों हाथों को उसकी पीठ पर से नीचे लाते हुए उसकी गांड पर रख दिया उसे जोर से दबा दिया,,,,,,, लेकिन यह मतवाला घोड़ा कजरी की बुर पर दूर तक दौड़ कर जाता है इससे पहले ही बाहर से ललिया की आवाज आ गई,,,।

अरे कजरी खेतों पर चलना नहीं है क्या,,,,
(ललिया की आवाज सुनते ही अपने मन में उसे गाली देते हुए बोली आ गई हरामजादी डायन,,, उस दिन भी सारा काम करती थी और आज भी,,,)


हां आई,,,,,,
(रघु भी मन ही मन लगी आपको ढेर सारी गाली दिया कजरी मन मसोस कर चली गई,,,, और थोड़ी देर बाद रघु भी अपनी मां का हाथ बताने के लिए खेतों की तरफ चल दिया,,)
Behtareen update
 

Devang

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कजरी और ललिया खेतों पर पहुंच चुके थे कजरी को ललिया पर बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,,बार-बार वह एन मौके पर आकर उसकी गर्म जवानी पर ठंडा पानी डाल दे रही थी,,,, लेकिन वह कजरी को खुलकर डांट भी नहीं सकती थी,,, थोड़ी ही देर में रघु भी वहां पहुंच गया,,, ललिया पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था,,,,,, अपनी जवानी की गर्मी वह गुस्से में ललिया पर उतारना चाहता था,,,, और मौके की तलाश में था,,, वह भी अपनी मा और ललिया के साथ काम में हाथ बंटाने लगा,,,,,,


क्यों चाची आज बहुत जल्दी पड़ी थी खेतों पर आने की,,,,(रघु एक नजर अपनी मां के ऊपर डालकर ललिया की तरफ देखते हुए बोला,,,, रघु और उसकी मां कजरी एक खेत में और ललिया दूसरे खेत में आमने सामने काम कर रही थी,,, कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,)

अरे कौन सी जल्दबाजी देख नहीं रहा है कितना समय हो गया है अभी सूरज सर पर आ जाएगा तो खेतों में काम भी नहीं हो पाएगा,,,


फिर भी ,,, थोड़ा देर में आती तो शायद मेरा काम बन जाता,,,(इतना सुनते ही कजरी के तन बदन में हलचल सी होने लगी टांगों के बीच थरथराहट होने लगी अपने बेटे के कहने का मतलब को वह अच्छी तरह से समझ रही थी,,,अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी अपने मन में सोचने लगी कि क्या उसका बेटा भी इसी मौके की तलाश में है ,,,, इस बात का एहसास ही कजरी की बुर में पानी भर गया,,,,, उसका मन मचल उठा कुछ देर पहले जब वह साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे का लंड की ठोकर को अपनी बुर्के महसूस कर रही थी और अब वह अपने बेटे की बात सुनकर अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए मचल उठी थी,,, और दूसरी तरफ रघु की यह बात ललिया समझ नहीं पाई और बोली,,,)


ऐसा कौन सा तेरा काम बन जाता ,,,, दिन भर सोया सोया खाट तोड़ता रहता है,,, थोड़ा काम भी कर लिया कर,,,,,


खाट पर सोए सोए भी बहुत सा काम हो जाता है चाची यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो,,,(रघु अपनी मां की तरफ देखता हुआ बोला और उसकी मां शर्म से नजरें नीचे झुका ली,,, रघु के कहने का मतलब को ललिया भी अच्छी तरह से समझ गई थी रघु ने यह साथ कजरी को नहीं बल्कि ललिया को उत्तेजित करती हुई बोला था लेकिन कजरी सोच रही थी यह बात उसने उसके लिए बोला है इसलिए शर्म आ गई थी और ललिया जानती थी कि रघु उसकी कर चुका है और इस बात का मतलब वह अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह भी शर्मा कर कुछ बोली नहीं है,,, कुछ देर तक तीनों इसी तरह से काम करते रहे,,, जब तीनों को थोड़ी सी थकावट महसूस हुई तो तीनों एक पेड़ की छाया के नीचे बैठ गए,,,, तीनों काफी थक चुके थे,,, रघु अपनी मां से नजरें बचाकर ललिया की तरफ देख कर इशारा कर रहा था,,, ललिया उसके इशारे को समझ कर शर्मा रही थी हालांकि उसका भी मन करने लगा था,,,, रघु इशारे से उसे,, खेतों के बीच बने हेड पंप के पास चलने के लिए बोल रहा था क्योंकि वहां घड़ी झाड़ियां थी,,,, कजरी इन सबसे बेखबर अपनी थकान मिटाने के लिए पेड़ का सहारा लेकर अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,,, कजरी को इस तरह से आंख बंद करके लेटा हुआ देखकर रघु अपने एक हाथ के अंगूठे और अंगुली को गोल करके और दूसरे हाथ की उंगली को उस गोलाई में डालकर अंदर बाहर करते हुए उसे चोदने का इशारा करने लगा रघु कि ईस तरह की हरकत और इशारे को देखकर ललिया शर्म से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, रघु बार-बार उसे इशारा करके झाड़ियों में चलने के लिए कह रहा था,,, और ललिया कजरी की तरफ देख कर उसे मना कर रही थी ऊसे इस बात का डर था कि कहीं कजरी को पता ना चल जाए,,,,,, रघु अपनी मां की बंद आंखों को देख कर ललिया की तरफ इशारा किया कि उसकी मां सो चुकी है,,, लेकिन ललियां डर रही थी,,, रघु परेशान था बुर में लंड डालने के लिए अपनी जवानी के गर्मी वह इस समय ललिया से ही मिटा सकता था,,, इसलिए वह ललिया पर ज्यादा जोर दे रहा था,,, रघु को लगने लगा कि उसकी मां की हाजिरी में ललिया डर रही है इसलिए रघु खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर उसे उठाने लगारघु की हरकत को देखकर ललिया की बुर में भी हलचल मचने लगी थी इसलिए वह रघु को और ज्यादा इंकार नहीं कर पाई और कजरी की तरफ एक नजर डालकर दबे पैर झाड़ियों की तरफ चल दी,,,,,, कजरी थक कर मीठी नींद में खो गई थी,,,,,,

रघु ललिया का हाथ पकड़े हुए खेतों के बीच ले गया,,,, और वही नीम के घने पेड़ के छांव के नीचे ललिया को खड़ी करके ,, ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए बोला,,,।

आहहहहह,,, मेरी रानी बहुत जवानी चढ़ी है तुझे,,,,


तुझ पे भी तो जवानी चढ़ी है तभी मुझे यहां जबरदस्ती पकड़ कर लेकर आया है,,,


उठाकर तो नहीं लाया ना मेरी रानी तेरी भी तो इच्छा कर रही थी लेने को,,, तभी तो आई है मेरे साथ,,,,(ब्लाउज के बटन को अपने दोनों हाथों से खोलते हुए बोला,,,)


क्या करूं तेरा लंड ही ऐसा दमदार है कि मुझे आना पड़ा,,,(पजामे के ऊपर से ही रघु के खड़े लंड को मसलते हुए बोली,,,)

मुझे भी तो तेरी बुर की बहुत याद आ रही थी आज मौका मिला है,,, आज सारी कसर निकाल लूंगा,,,,(ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी दोनों सूची को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,, इतने दिन बाद याद आई तुझे,,,


क्या करूं मेरी जान मौका नहीं मिल रहा था,,,,


यहां तेरी मां आ गई तो,,,,


नहीं आएगी देखी नहीं गहरी नींद मैं सोने लगी थी,,,।(इतना कहने के साथ ही रघु उसकी एक चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,)


सससहह७,आहहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,,, अगर मान ले कि तेरी मां आ ही गई तब क्या करेगा,,,, अगर हम दोनों को देख ली तो,,,,(उत्तेजना के मारे गहरी सांस लेते हुए बोली)

देख ली तो देख ली,,,, हम दोनों को इस हाल में देखकर वह समझ जाएगी कि उसका बेटा जवान हो गया है उसकी शादी करना जरूरी है,,,,,(रघु चूची को अपने मुंह से बाहर निकाल कर दूसरी चूची पर मुंह रखते हुए बोला),,,


आहहहहह,,,, कहीं अपनी मां की चुदाई मत कर देना,,,,


मादरचोद उसकी तो बाद में सोचेंगे,,,,, चल पहले मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चुस,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु एक झटके में अपना पहचाना घुटनों तक कर दिया और अपने खड़े लंड को हिलाता हुआ,,, एक हाथ कजरी के कंधे पर रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए उसे अपने लंड को चूसने के लिए उकसाने लगा,,,,,,, कजरी रघु लंड की पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी,,, इसलिए तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गई और उसके खड़े मोटे लंबे कोई झटके से अपने मुंह में भर कर चूसना शुरु कर दी,,,,।)


आहहहहहहह,,,,आहहहहहहहह,,,ओहहहहहहह,,,, मेरी रानी,,,,,, गजब बहुत अच्छा लग रहा है,,,,, बस ऐसे ही मेरी रानी पूरा मुंह में भर कर,,,,,आहहहहहहह,,,,,(रघु ललिया की इस हरकत पर उसकी जीभ की करामत को देखते हुए एकदम मदमस्त हो गया और गर्म सांसे भरते हुए अपनी कमर को आगे पीछे कर के उसके मुंह को चोदना शुरु कर दिया,,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा ले रहे लेकिन रघु को लगने लगा कि उसके लंड का लावा कभी भी फूट पड़ेगा,,, इसलिए वह तुरंत अपने लंड को ललिया के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,,, मोटा तगड़ा लंड होने की वजह से ललिया हांफने लगी थी,,,,,, रघु पूरी तरह से तैयार था ललिया की बुर में अपना लंड डालने के लिए,,,,,।


बस मेरी रानी अब खड़ी हो जा अब मुझसे और ज्यादा इंतजार नहीं हो रहा है,,,,, साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखा दे मुझे,,,, बहुत दिन हो गए तेरी बुर के दर्शन किए,,,,।


चिंता मत कर मेरी मां जा मैं भी बेताब हुं तुझे अपनी पूरी दिखाने के लिए,,,,,(और इतना कहने के साथी ललिया खड़ी हुई और अपनी साड़ी को एक झटके से कमर तक उठाकर अपनी गुलाबी बुर को रघु के सामने परोस दी,,,, रघु की आंखों में चमक आ गई,,,,उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे लगी या नहीं बल्कि उसकी मां की साड़ी उठाकर उसे अपनी बुर के दर्शन करा रही है,,,, इसलिए रघु कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया,,,।और अपना हाथ बढ़ाकर ललिया की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,)


आहहहहहह,,,, क्या मस्त बुर है रे तेरी,,,, साली तेरी बुर पूरा लंड डालकर तेरे को चोद दूंगा,,,


तो चोदना मेरे राजा,,,, मैं भी तो यही चाहती हूं,,,(अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल गोल नचाते हुए बोली,,,,)

आजा मेरी रानी इंतजार किस बात का है,,,(इतना कहने के साथ ही रघु ललिया की कमर में अपना दोनों हाथ डाल कर,,, अपनी कमर को हिलाने लगा जिसकी वजह से रघु का लंड ललिया की बुर के इर्द-गिर्द रगड़ खाने लगी रघु की इस हरकत की वजह से लगी आग की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपने आप को सातवें आसमान में उड़ते हुए महसूस करने लगी,,, पल-पल ललिया की हालत खराब हो रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर ले लेना चाहती थी,,,।इसलिए अपना ही खाते नीचे की तरफ ले जाकर रघु के लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रगड़ना शुरु कर दी,,,

आहहहहहह रघु,,,, बहुत गर्म लंड है रे तेरा मेरी बुर पिघलने लगी है,,,,,


सससहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,, मेरी रानी तेरी पुर की कही करम है मुझे डर है कि कहीं जल्दी से मेरा लंड पिघलना जाए,,,,,(ललिया की गर्दन पर चुंबनो की बौछार करते हुए बोला,,,)


नहीं नहीं मेरे राजा ऐसा बिल्कुल मत होने देना,,,, जब तक मेरा पानी निकल जाए उससे पहले तू झडना मत,,,, बस अब डाल दे मेरी बुर में अपना लंड मेरे राजा,,,,,(ललिया रघु के लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच रखते हुए बोली,,,,और रघु ललिया की हरकत की वजह से पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उतावला भी इसलिए अपना एक हाथ उसकी चिकनी जांघों पर रखकर उसे उठाते हुए अपनी कमर पर लपेट लिया और उसी अवस्था में अपने लंड को उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया,,,, रघु ललिया को पेड़ के सहारे टिका दिया था,,,, और खड़े-खड़े ही धीरे-धीरे करके बड़ी शिद्दत के साथ रघु अपने मोटे तगड़े लंड को ललिया की बुर की गहराई तक उतार दिया,,,,, ललिया को अपनी बच्चेदानी पर रघु के लंड के सुपाड़े की ठोकर महसूस होने लगी,,,, उत्तेजना में पूरी तरह से गदगद हो गई और रघु धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया,,,,,,

लगातार रघु एक ही रफ्तार से अपनी कमर को हिला रहा था और उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर उसे पी रहा था और अपने दोनों हाथों को उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबोचे हुए था मानो कि जैसे उसकी बड़ी बड़ी गांड का सहारा लेकर उसे पकड़े हुए हो,,,, ललिया पूरी तरह से रघु की आगोश में समा चुकी थी रघु पूरी तरह से उसे अपनी बाहों में लेकर कैद किए हुए था,,,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड कोअपनी पुर के अंदर अंदर कहां रहता महसूस करके ललीया को बेहद सुकून मिलता था,,,,

आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है रे ऐसा लग रहा है कि पहली बार तु मेरी चुदाई कर रहा है,,,,।

सससहहहहह,,,ऐसा ही लगेगा मेरी चाची जब जब मैं तुम्हारी चुदाई करूंगा तब तक तुम्हें ऐसा लगेगा कि मेरा लंड तुम्हारी बुर में पहली बार जा रहा है,,,,,,


हां रे सच कह रहा है तू,,,,, बहुत अच्छा लग रहा है,,,,(रघु के बालों में अपनी उंगली घुमाते हुए बोली,,, ललिया को अपनी बुर में रघु का लंड को ज्यादा ही मोटा लगता था वैसा नहीं था कि उसकी बुर कसी हुई थी तीन तीन जवान बच्चों की मां होने के बाद लागू नहीं था कि उसकी बु की कसावट ढीली पड़ चुकी थी,,, लेकिन रघु का लंड था ही इतना मोटा की जिस किसी की भी बुर में जाता था उसे अपनी बुर कसी हुई ही लगती थी,,,,

नीम के घने पेड़ की छांव में पेड़ का सहारा लेकर रघु अपनी मां की नजरों से बचकर ललिया की चुदाई कर रहा था जिसे वह चाची कहता था,,,, रघु पूरी तरह से ललिया के खूबसूरत बदन से मजा ले रहा था,,,अभी चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी उसे अपनी हथेली में लेकर दबाने लगता तो कभी उसकी गोरी गोरी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए जोर से मसल दे रहा था,,,, रघुलड़कियों की बुर में अपना लंड पेलते हुए थोड़ा सा पीछे होकर ललिया को बोला,,,।


सहहहहहह मेरी रानी जरा अपनी दोनों टांगों के बीच तो देखो कैसे मेरा मोटा लंड तुम्हारी छोटी सी बुर के अंदर बाहर हो रहा है,,,,(रघु की बात सुनते ही दुनिया की नजर जैसे यह अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वहां की स्थिति को देखकर पूरी तरह से शर्म से पानी-पानी हो गई वाकई में अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी ललिया विश्वास नहीं कर रही थी कि रघु का इतना मोटा लंड उसकी बुर के छोटे से छेद में कैसे आराम से अंदर बाहर हो रहा था वह शरमा गई और शर्मा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ फेर ली,,,,)


शर्मा क्यों रही हो मेरी जान,,,,मुझे तो यह नजारा देखने में बहुत ही मजा आ रहा है कैसे तुम्हारी बुर में मेरा लंड घुस रहा है,,,,(रघु जानबूझकर इस तरह की गंदी बात करते हुए ललिया को और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था,,,)


नहीं मैं नहीं देखूंगी ,,,,

क्यों नहीं देखोगी,,,,



मुझे शर्म आती है ,,,,,


इस में कैसी शर्म टांग फैला कर अपनी बुर में मेरा लंड ले रही हो और उसे देखने में शर्म आ रही है,,,,,,।


हां आ रही है,,,,,

लेकिन क्यों आ रही है बताओ ना,,,,,


विश्वास नहीं हो रहा है,,,,,


क्या विश्वास नहीं हो रहा है,,,,,


यही कि तुम्हारा मोटा लंड मेरी बुर के अंदर कितने आराम से अंदर बाहर हो रहा है,,,,


यही तो करामत है मेरी जान,,,,,,, इसी को तो बुर कहते हैं जो अपने अंदर कितनी भी मोटी और लंबी चीज को ले लेती है,,,,


क्या अपनी मां को भी ऐसे ही चोदेगा,,,,


धत,,,,,ऐसी कैसी बात कर रही है तु,,,,,,


सही कह रही हूं बताना,,,,तेरी मां की बुर तो मेरी बुर से भी ज्यादा हसीन होगी,,,,


ऐसा क्यों कह रही है,,,,,(गहरी सांस लेते हुए बोली)


क्योंकि तेरी मां पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है,,,,


हां यह बात तो है,,,,(खूबसूरती वाली बात सुनकर उत्तेजित होता हुआ रघु उसकी दोनों चूचियों को जोर से मसलते हुए बोला)


तभी तो कह रही हूं अगर तेरी मां भी मेरी तरह से दोनों टांगे फैला कर तुझे अपना लंड अपनी बुर में डालने के लिए बोले तो क्या तू डालेगा,,,,
(ललिया जानबूझकर उसकी मां का जिक्र बार-बार कर रही थी वह रघु के मुंह से सुनना चाहती थी कि ऐसे हालात में क्या वह अपनी मां को चोद देगा क्योंकि ललिया खुद मजबूर होकर अपने बेटे से चुदवा चुकी थी,,,क्योंकि उसका बेटा रामू यह बात अच्छी तरह से जान गया था कि रघु उसकी मां को चोदता है,,, और ऊसी का फायदा उठाते हुए रामू भी अपनी मां की चुदाई कर चुका था और ललिया को यही लगता था कि,,,पूरी दुनिया में वही कैसी औरत है जो अपने ही बेटे के साथ चुदवा चुकी है इसलिए थोड़ा उसे गलत भी लगता था,,, और इसीलिए वह रघु के मन की बात इस तरह के नाजुक मौके पर जानना चाहती थी,,,। लेकिन रघु बहुत ही सातिर था,,,एैसे नाजुक क्षण में भी इस तरह की बातें नहीं करना चाहता था जिससे उसकी मां पर कोई उंगली उठा सकें,, इसलिए बलिया किस तरह की गंदी बात तो उसे उत्तेजित होने के बावजूद भी वह अपना मुंह नहीं खोलना चाहता था बस ना नुकुर कर रहा था,,, लेकिन फिर भी ललिया उसके पीछे पड़ी हुई थी,,,)


बोलना अपनी मां को चोदेगातेरी मां की टांगो के बीच तो बहुत खूबसूरत छेद है क्या तू उसमें अपना लंड डालेगा,,,,
(ललिया के मुंह से अपनी मां के लिए गंदी बातें सुनकर रघु की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी और वह जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोला,,,,)


मेरी जान मेरी रंडी क्या रामू तुझे चोदता है क्या,,,, बोलना मेरी जान,,,,, क्या रामु,,,,तेरी बुर में लंड डालता है,,,


धत्,,, हरामी कैसी बातें करता है,,,,


कैसी बातें नहीं,,,, सच कह रहा हूं,,,, एक बार अपने बेटे को मौका देकर देख तुझे मस्त कर देगा,,,

धत्,,,,, कितना गंदा है तु,,,,, मादरचोद,,,,,
(रघु कि बातें सुनकर ललिया को बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था क्योंकि जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच था,,,। रघु अपने लंड को ऊसकी बुर में से बाहर निकाल कर उसे पैड की तरफ घुमा दिया,,,,,, और उसकी कमर को पकड़ कर उसकी गोलाकार गांड को अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,,)

साली रंडी कुत्तिया,,, कितना मजा आएगा मैं तुझे बताता हूं,,, तू सोच कि मेरी जगह तेरा बेटा है और वह तुझे चोद रहा है देखने कितना मजा आता है तुझे,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपने लंड को एक बार फिर से पीछे से ललिया की बुर में डाल दिया,,,,,,, और ललिया कि मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,,, उसकी चीख की आवाज सुनकर रघु बोला,,,)

देखी ना शाली कितना मजा आता है,,, अपने बेटे की कल्पना करके,,,,
(यह बात सही थी कि ललिया को भी अपने बेटे के साथ मजा आता था लेकिन संतुष्टि का अहसास सिर्फ रघु के साथ ही आता थाइसलिए भले ही वह रघु की जगह अपने बेटे की कल्पना करने लगी थी लेकिन जो लंड उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था वह रघु का ही था इस बात से वह भी झुठला नहीं सकतेी थी,,, और रघु की जगह अपने बेटे की कल्पना करके चुदवाना ललिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी क्योंकि वह वास्तव में अपने बेटे से ही चुदवाती थी,,। लेकिन रघु को बहुत मजा आ रहा थाक्योंकि वाला दिया की जगह अपनी मां की कल्पना कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पीछे से अपनी मां की बुर में लंड डालकर चुदाई कर रहा हो इसलिए वह काफी उत्तेजना महसूस कर रहा था और बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था,,, वह दोनों चुदाई में मग्न थे और दूसरी तरफ कजरी पेड़ के नीचे मीठी नींद का मजा ले रही थी लेकिन रामू और उसकी बहन रानी खेतों में अपनी मां का हाथ बंटाने के लिए पीछे के रास्ते से आ रहे थे,,,इस बात से बेखबर की खेतों में उनकी मां काम करने की जगह कामलीला रचा रही है,,,,जैसे ही वह लोग खेतों मे हेड पंप के करीब पहुंचे वहां से अा रही मादक सिसकारी की आवाज सुनकर दोनों के कान खड़े हो गए क्योंकि वह दोनों इस आवाज से भलीभांति वाकिफ थे,,, एक पेड़ के पीछे छुप कर दोनों यह देखने लगे कि वह आवाज आ कहां से रही है,,, जैसे ऊन दोनों की नजर पेड़ से सट कर खड़े रघु और झुक कर खडी अपनी मां पर पड़ी वैसे ही दोनों के होश उड़ गए,,, दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई,,, रामू यह बात जानता था कि रघु उसकी मां को चोदता है लेकिन उसने कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था आज पहली बार वह अपनी आंखों से अपनी मां की चुदाई देख रहा था उसका जिगरी दोस्त उसकी मां के पीछे खड़ी होकर उसकी कमर को थामें अपना लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,, पहले तो रामू को बहुत गुस्सा आया लेकिन अपनी बहन को बड़े ध्यान से उस नजारे को देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, रानी पहले से ही एक पर रघु से चुदाई का मजा लूट चुकी थी इसलिए जुदाई में कितना मजा आता है यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए तो अपनी मां को चुदवाते हुए देख कर एक बार फिर से उसकी बुर गर्म होने लगी,,,।,, वह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी मां रघु से चुदवा रही है फिर भी वह गुस्सा होने की जगह बड़े गौर से उस गर्म नजारे को देखकर गर्म हो रही थी,,,,,,


साली हरामजादी कैसा लग रहा है बोल,,,तेरी बुर में बहुत गर्मी है आज पूरी गर्मी निकाल दुंगा,,,,


मादरचोद निकालना सिर्फ बोलने से काम नहीं चलता और तेज धक्के लगा मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,।

(रखो और अपनी मां की गरम बातें सुनकर रानी और रामू दोनों ऊतेजीत होने लगे,,,,रानी पेड़ के सहारे पेड़ की ओट में आगे खड़ी थी और ठीक उसके पीछे रामु खड़ा था,,,,अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर रामू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था पजामे में उसका लंड खड़ा हो गया,,, और अपनी उत्तेजना को काबू ना कर सकने के कारण वह अपना है खाना खिला कर अपनी बहन की चूची पर रख दिया और कुर्ती के ऊपर से ही अपनी बहन की चूची को दबाना शुरू कर दिया रघु के साथ चुदाई का मजा लेकर वह ना जाने कब से तड़प रही थी एक बार फिर से अपनी बुर में लंड लेने के लिए इसलिए अपने भाई की हरकत से वह एकदम से गर्म हो गई और उसे रोकने की जगह अपनी गांड को पीछे की तरफ रामू के लंड की तरफ ठेलने लगी और रानी अपने भाई के लंड को अपनी गांड पर महसूस करने लगी वह और ज्यादा उत्तेजित होने लगी रामू अपनी बहन की चूची को जोर जोर से दबाने लगा जब उसे इस बात का एहसास हो गया की रानी कुछ बोलेगी नहीं तो अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर उसके सलवार का नाडा खोलने लगा,,,सामने के गर्म नजारे को देखकर रानी इंकार नहीं कर पाई और उसे अपने सलवार का नाडा खोलने दी देखते ही देखते रामू अपनी बहन की सलवार को घुटनो तक खींच कर नीचे कर दिया,,, दोनों घनी झाड़ियों के पीछे थे इसलिए देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,, रानी के मुंह से गर्म सांसे निकल रही थी वह लगातार अपनी मां को रघु से चुदवाते हुए देख रही थी,,। उसकी पलकें झपक नही रही, थी,,, जैसा दिखाई दे रहा था कि उसकी मां बड़े मजे लेकर रघु से चुदवा रही थी,,, रामू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी बहन को चोदने जा रहा था वैसे भी पहले वह सोच करते समय अपनी बहन की गोरी गोरी गांड देखकर अपने हाथ से हिला कर अपने मन को शांत कर लेना था लेकिन आज उसे मौका मिला था अपनी बहन की गर्म जवानी को अपने लंड से शांत करने के लिए इसलिए वह इस मौके को जाने देना नहीं चाहता था,,,जब से उसे इस बात का पता चला था कि रघु उसकी मां की चुदाई करता है तब से वह रघु से ठीक से बात तक नहीं करता था लेकिन मन ही मन रघु को दुआएं भी देता था क्योंकि उसकी बदौलत ही उसे अपनी मां को चोदने का मौका जो मिला था और आज दूसरी बार वह रघु को मन ही मन दुआ दे रहा था क्योंकि फिर से उसकी वजह से ही एक बार फिर से उसे अपनी बहन को चोदने का मौका मिल रहा था,,,, रानी खुद को खुद अपने भाई को अपनी गांड सौंप दी वो थोड़ा झुक गई अपनी मां को चोद कर रहा हूं इतना तो समझ गया था कि चुदाई कैसे करते हैं और किस तरह से करते हैं इसलिए अच्छे से अपने लंड पर थूक लगाकर वह अपनी बहन के बुलाकी पुर के छेद पर अपना लंड रख कर धीरे धीरे से अंदर की तरफ डालने लगा,,,अपनी मां की चुदाई देख कर उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे अपने भाई के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने में उसे जरा भी कठिनाई महसूस नहीं हुई क्योंकि पहले से ही रघु उसकी बुर में अपनी लंड का सांचा तैयार कर चुका था और रामू का लंड रघु से 19 ही था,,,, गजब का माहौल बन चुका था एक तरफ खेतों के बीचो-बीच हेड पंप के पास नीम के पेड़ के नीचे रामू की मां उसके जिगरी दोस्त रघु से चला रही थी और दूसरी तरफ उसके ठीक सामने ही झाड़ियों का सहारा लेकर अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर दोनों भाई बहन चुदाई का मजा ले रही थी,,,, रामू और रानी दोनों हैरान थे क्योंकि रघु उनकी मां को चोदते हुए गंदी गंदी गालियां दे रहा था लेकिन उसकी मां जाना भी ऐतराज नहीं कर रही थी बल्कि वह रघु के द्वारा दी गई गाली का जवाब गाली से ही दे रही थी ,,,,,,,,

आखिरकार ललिया के साथ-साथ रघु का भी पानी निकल गया और कुछ देर में,,, रानी और रामू दोनों झड़ गए,,, रघु के साथ चुदवा कर रानी को इतनी शर्म महसूस नहीं हुई थी जितनी,,, अपने भाई से जितना कर सब महसूस कर रही थी वह अपने भाई से नजर भी नहीं मिला पाया दूसरी तरफ मुंह करके अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी और बिना कुछ बोले वहां से घर वापस लौट गई,,, राम कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा है उसके बाद पीछे की तरफ से घूम कर उस जगह पर आ गया जहां पर वह तीनों काम कर रहे थे,,,। और अपनी मां के काम में इस तरह से हाथ बढ़ाने लगा कि मानो कुछ हुआ ही ना हो,,, ललिया भी निश्चित थी क्योंकि उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि उसकी कामलीला को उसके बच्चे अपनी आंखों से देख चुके हैं,,,।

सूरज सर पर आ चुका था,,,, कजरी बार-बार अपने बेटे की तरफ देख रही थी उसके गठीला बदन को देखकर उसका रोम-रोम पुलकित हो रहा था खास करके उसकी बुर की गहराई में सिहरन सी दौड़ जा रही थी,,,। वह जल्द से जल्द अपने बेटे के साथ एकांत गुजारना चाहती थी लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था,,,,।
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Devang

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कोमल जिसके मन में अब रखो पूरी तरह से फंस चुका था और उसके साथ शादी करके अपना जीवन बिताने के सपने बुनने लगी थी वह रोते-रोते अपना सारा दुखड़ा,,, अपने माता पिता को बता दी,,,,पहली बार कोमल के माता-पिता को इस बात का एहसास हो रहा था कि बड़े घर में शादी करके उन्होंने गलती कर दी है,,, उन्हें तो यही लग रहा था कि उनकी बेटी बड़े घर की बहू बनकर खुश हैं,,,, उन्हें क्या मालूम था कि उसकी बेटी नरक की जिंदगी बिता रही थी और इस बात का जैसे उन्हें पता चला कि उसके ससुर की गंदी नजर उनकी बेटी कोमल पर थी वैसे ही कोमल के माता-पिता को लाला के मरने का जरा भी दुख नहीं होगा उन्हें बल्कि मन ही मन प्रसन्नता हो रही थी कि उनकी बेटी शैतान के हाथों से छूट चुकी थी आजाद हो चुकी थी लेकिन उन्हें इस बात की भी फिकर थी कि इतने बड़े हवेली और जायदाद को कोमल अकेले कैसे संभाल पाएगी,,,, कोमल से ही उन्हें इस बात का पता चला कि उसका पति महीनों गुजर गई घर नहीं लौटा था ना उसकी कोई खबर मिली थी और उसके नकारा होने का भी पता चल चुका था,,,। बात ही बात में कोमल ने मां बाप के सामने कर दी कोमल के मां-बाप हैरान थे कि पति के जीवित होने के बावजूद वह दूसरी शादी कैसे कर पाएगी समाज क्या कहेगा और तो और क्या रघु के घरवाले इस बात के लिए राजी होंगे,,, लेकिन कोमल ने अपने मां-बाप को रघु से विवाह करने के लिए मना ली थी,,,,।

जैसी तेरी इच्छा बेटी हम तो तेरी खुशी के लिए इतने बड़े घर में तेरा विवाह किए थे लेकिन हमें क्या मालूम था कि इतनी बड़ी हवेली तेरे लिए नर्क के समान होगी लेकिन फिर भी अगर तेरी इच्छा है रघु से विवाह करने की तो हमें इसमें कोई एतराज नहीं लेकिन फिर भी हम एक बार रघु से मिलना चाहते हैं,,,, और कुछ दिनों के लिए अपने साथ ले जाना चाहते हैं,,,, क्योंकि लाला के देहांत के बाद तेरा मन यहां नहीं लग पाएगा,,,,


ठीक है पिताजी में किसी को खबर देकर रघु को यहां बुलवा लेती हूं,,,,,,,(इतना कहकर कोमल प्रसन्न नजर आने लगी लेकिन उसे इस बात का मलाल था कि मायके चले जाने से उसके कहीं की इच्छा अधूरी रह जाएगी क्योंकि रघु के साथ संभोग का सुख प्राप्त करके उसकी लत लग चुकी थी लेकिन फिर भी जिस तरह से उसके मां-बाप विवाह के लिए राजी हो गए थे इस बात से खुश थी और अपने मां-बाप को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गई थी थोड़ी ही देर बाद रघु भी वहां आ गया आते ही वह कोमल की मां बाप के पैर छूकर उन्हें प्रणाम किया,,,, रघु को देखकर कोमल के मां-बाप दोनों खुश नजर आ रहे थे क्योंकि रघु पूरी तरह से कोमल के लिए एकदम ठीक था लेकिन फिर भी उनके मन में संदेह था इसलिए रघु से बोले,,,)

बेटा क्या तुम कोमल से विवाह करने के लिए राजी हो,,,


जी बाबू जी मैं कोमल से विवाह करना चाहता हूं,,,


यह बात जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है फिर भी,,,


जी बाबू जी मैं सबको चाहता हूं और यह भी जानता हूं कि शादीशुदा होने के बावजूद भी कोमल नरक की जिंदगी जी रही थी और यहां से बिल्कुल भी खुश नहीं है,,,,


क्या तुम्हारे माता-पिता इस बात से राजी होंगे,,,,


पिताजी नहीं है और मैं मां को जानता हूं वह मेरी खुशी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हो जाएगी और वैसे भी मैं कोमल के बिना एक पल भी नहीं रह सकता दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए लेकिन मैं कोमल का हाथ कभी नहीं छोडूंगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर कोमल के माता-पिता को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान हुई और वह खुश थे कि आगे की जिंदगी कोमल हंसी खुशी से गुजारेगी वैसे भी लाला की हवेली और जायदाद की रखवाली करने के लिए कोई तो चाहिए था और उन्हें रघु पर पूरा भरोसा हो चुका था इसलिए वह लोग बेहद खुश थे,,,, रघु इस बात से थोड़ा असहज हो गया कि कोमल भी उन लोगों के साथ जा रही थी लेकिन इस बात से खुश भी था कि उसके मां बाबूजी की शादी के लिए तैयार हो चुके थे शाम का वक्त हो रहा था वह बाहर तांगा तैयार था रघु कोमल की माता-पिता का सामान तांगे में रख रहा था,,,, और वह दोनों तानी पर बैठ गए थे लेकिन कोमल अभी भी अपने कमरे में ही थी,,,, तो कोमल के बाबूजी रघु से बोले,,,)


जा बेटा जरा देख तो कोमल कहां रह गई,,,,, शादी हो गई लेकिन अभी भी लापरवाह है जरा सा भी ध्यान नहीं रहता,,,



जी बाबू जी मैं भी जा कर देखता हूं,,,,(रघु इतना कह कर घर में प्रवेश करते हुए आवाज लगाया,,,)


कोमल ,,,,,ओ,,,,,कोमल कहां हो तैयार नहीं हुई क्या,,,,
(कोमल चौकी अपने कमरे में रघु का इंतजार कर रही थी उसे इस बात का अहसास था कि उसे ढूंढते हुए रघु उसके कमरे में जरूर आएगा और इस तरह से उसे आवाज लगाता हुआ देखकर वो एकदम से भाव विभोर हो गई रघु के अंदर उसे अपना पति नजर आने लगा था वह रघु को अपने पति के रूप में ही देखने लगी थी इसलिए वह प्रसन्नता से अंदर ही अंदर झूम उठे और खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू आ गए क्योंकि वह रघु से दूर नहीं होना चाहती थी,,, और रघु उसे आवाज लगाता हुआ ढूंढता हुआ उसके कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, दरवाजे की तरफ पीठ करके कोमल खड़ी थी,,,,,, कोमल के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जाने से पहले रघु के मन में कोमल के साथ संभोग सुख भोगने की कामना जारी रखी और यही कामना कोमल के भी मन में प्रज्वलित हो चुकी थी तो मैं किस बात का एहसास हो गया कि रघु ठीक उसके पीछे खड़ा है लेकिन उससे नजरें मिलाने की उसके में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी,, कुछ दिनों के लिए दोनों अलग होने वाले थे और यह जुदाई ऊस से बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,। रघु खुदा तू बड़ा और पीछे से जाकर कोमल को अपनी बाहों में भर लिया पलभर में ही कोमल के पिछवाड़े को देख कर रघु के लंड में तनाव आना शुरू हो गया था जो कि पीछे से उसे अपनी बाहों में भरने की वजह से उत्तेजना में उसका लंड उसके पिछवाड़े से रगड़ खाने लगा था जिसके एहसास से कोमल के तन बदन में उत्तेजना की आग भड़कने लगी थी,,,,,,, रघु के द्वारा इस तरह से अपनी बाहों में भरने की वजह से,,,कोमल अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और जोर से रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर रघु एकदम हैरान हो गया और उसके कंधे को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसे गौर से देखने लगा,,,,, कोमल को रोता हुआ देखकर रखो कि परेशान हो गया और उसकी आंखों से आंसु को साफ करने लगा और बोला,,,


रो क्यों रही हो कोमल तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती,,,,,


हमसे यह जुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,


कुछ दिनों की तो बात है,,,, उसके बाद तो हम दोनों को जिंदगी भर साथ ही रहना है,,,,


हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों शादी के बंधन से जुड़ जाएंगे,,,,


तुम चिंता मत करो और मुझ पर विश्वास करो ऐसा ही होगा हम दोनों की शादी होगी तुम मेरी पत्नी बनोगी,,,,,(ऐसा बोलते हो कोमल की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले लिया और उसकी आंखों में जाकर भी अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर चूसना शुरू कर दिया पल भर में ही यह चुंबन एकदम प्रगाढ़ होने लगा दोनों उत्तेजित होने लगे बाहर कोमल के माता-पिता उसका इंतजार कर रहे थे और अंदर रघु उनकी लड़की के साथ उत्तेजित पल गुजर रहा था,,,, रघु जाने से पहले कोमल की चुदाई करना चाहता था,,, इसलिए देखते ही देखते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, कोमल भी इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी इसलिए रघु का किसी भी प्रकार से विरोध ना करते हुए उसका सहकार कर रही थी यह जानते हुए भी कि बाहर उसके माता-पिता उसका इंतजार कर रहे हैं,,,,देखते ही देखते कोमल की साड़ी को व कमर तक उठा दिया और कोमल इसके बाद क्या करना है वह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी गांड को रघु की तरफ करके पलंग के ऊपर झुक गई और अपने हाथ की कोहनी को पलंग के नरम नरम गद्दे पर रखकर,,, अपनी मतवाली गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा आसन में कोमल को देखकर रघु से राह नहीं किया और तुरंत अपने पजामे को घुटनो तक खींच लिया और अपने खड़े लंड को ठीक कोमल की गुलाबी बुर पर लगा कर,,, बिना थूक लगाए जोरदार धक्का दिया और पहली ही प्रयास में रघु का मोटा तगड़ा लंड कोमल की बुर को छेंदता हुआ,, सीधा उसके बच्चेदानी से टकरा गया और कोमल के मुंह से हल्की सी आहह निकल गई,,, रघु कोमल को चोदना शुरू कर दिया कोमल मस्त हुए जा रही थी,,,। हर एक धक्के का जवाब वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर दे रही थी,,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,
रघु कोमल की अटैची लेकर हवेली के बाहर आया और तांगे में रखने लगा,,,, अटैची के रखने के बाद कोमल रघु के हाथ का सहारा लेकर तांगे पर बैठ गई रघु और कोमल दोनों की आंखें नम थी दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे लेकिन इस समय कोमल का उसके मायके जाना ही ठीक था थोड़ा मन बहल जाता,,,, तांगा आगे बढ़ गया और रघ6 तब तक वहीं खड़ा होकर तांगे को देखता रहा जब तक तांगा आंखों से ओझल नहीं हो गया,,,।

शाम ढलने लगी थी रघु इधर-उधर घूमता हुआ अपने घर पहुंचा तो कजरी उसका ही इंतजार कर रही थी,,,,।


क्या बना रही हो मां,,,

आज तेरी पसंद का खीर और पूड़ी बना रही हूं लेकिन मेरे बदन में आज बहुत दर्द है थोड़ी मेरी मदद कर देगा,,,।


अरे हां हां क्यों नहीं,,,, आखिरकार मुझे ही तो अब तुम्हारी मदद करना पड़ेगा शालू जो नहीं है,,,,


ठीक है तू सब्जी काट दे और मैं आटा गुंथ देती हूं,,,,


ठीक है मां,,,,

(कजरी के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने बेटे को पूरी तरह से उत्तेजित कर देना चाहती थी ताकि उसके मन की मुराद पूरी हो सके इसलिए वह लंबी लंबी लौकी को रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,)

ले ईसे छोटी-छोटी काट दे,,,,


लेकिन मुझे तो लौकी बिल्कुल भी पसंद नहीं,,,


मैं जानती हूं लेकिन मुझे तो पसंद है ना तेरे लिए तो मैं खीर पूड़ी बना रही हूं,,,,


मा मुझे समझ में नहीं आता कि तुम्हें लौकी क्यों पसंद है,,, लंबी लंबी है इसलिए,,,,



हां तो सच कह रहा है लंबी लंबी है इसलिए क्योंकि हम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है,,,(अपने बेटे की तरफ कातिल मुस्कान बिखेरते हुए बोली)


ना जाने क्यों तुम औरतों को लंबी लंबी चीज ही पसंद आती है हम लड़कों को तो गोल-गोल चीज ज्यादा पसंद आती है,,,(लौकी को चाकू से छीलते हुए बोला,,,)


भला तुम लड़कों को गोल-गोल चीज ही क्यों पसंद आती है,,,,(आटे में लोटे से पानी डालते हुए बोली)


क्योंकि मां गोल गोल चीज पकड़ने में आसान होती है और अच्छा भी लगता है,,,,(लौकी को काटते हुए बोला,,कजरी की बातों को रघु और रघु की बातों को कितनी अच्छी तरह से समझ रही थी दोनों मां-बेटे दो अर्थ वाली बातें कर रहे थे दोनों को इस तरह की बातें करने में मजा भी आ रहा था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर कजरी बोली,,)


अच्छी बात है तुम लोगों की यही आदत तो औरतों को अच्छी भी लगती है,,,(गहरी सांस लेते हुए कजरी बोली और अपनी मां की यह बात सुनकर रघु उत्तेजना से गदगद हो गया और अपनी मां के कहने का मतलब को जानते हुए भी जानबूझ कर बोला,,,)


हम लोगों की आदत औरतों को क्यों पसंद आती है,,,,


समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर बैठ गई जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया दिखने लगी और अपनी मां की गोरी गोरी मांसल चिकनी पिंडली को देखकर पजामें में रघु का लंड तनने लगा,,,।और कजरी जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर अपनी दोनों हाथों को टांगों के बीच से लाकर आंटे को जोर जोर से गुंथने लगी,,,कचरी पहले से ही जानबूझकर अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खोल कर रखी थी क्योंकि वह जानती थी इस तरह से आटा गूंथने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां छलक कर बाहर आ जाएंगी,,, और यही हुआ जैसे ही वह आटा गूंथने के लिए थोड़ा सा झुकी,,,ब्लाउज का पहला बटन खुला होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के बाहर छलक उठी जिसे देखते ही रघु की हालत खराब हो गई और वह फटी आंखों से अपनी मां की सूचियों को देखने लगा,,,,।
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Devang

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पल भर में ही रघु की हालत खराब हो चुकी थी ऐसा नहीं था कि पहली बार वह इस नजारे को अपनी आंखों से देख रहा था इससे पहले कि वह अपनी मां के खूबसूरत कथन के लगभग लगभग हर किस्से को देखे चुका था लेकिन अपनी मां के बदन में जिस तरह की लचक मरोड़ और कटाव को देखकर वह उत्तेजित होता था उस तरह से वह किसी भी औरत के खूबसूरत बदन को देखकर उत्तेजित नहीं होता था अपनी मां में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजनापूर्ण अंगों का एहसास होता था,,,वह सब्जी काटते काटते जिस तरह से अपनी आंखें चौड़ी करके ब्लाउज में से झांक रहे उसकी बड़ी बड़ी चूची को देख रहा था उसे कजरी बेहद खुश नजर आ रही थी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,,,, कजरी को लगने लगा था कि उसका पहला वार ठीक निशाने पर जा लगा था,,,, वह उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को चोरी करके रोटी दोनों टांगों के बीच से अपने दोनों हाथों को थाली में रखकर आटे को गुंथने लगी,,,, और आटे को गुंथते समय ऊपर नीचे हिलने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों में जैसे जान आ गई हो इस तरह से आपस में रगड़ खाकर हिल रही थी,,, कुछ पल के लिए रघु सब्जी काटना भूल गया था और फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था मानो कि जैसे अभी दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के ब्लाउज को खोल कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाना शुरु कर देगा,,,,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कब तक जितनी भी चुचियों को वह देख चुका था उनमें से लाजवाब चुची उसकी मां की ही थी,,,, अपने बेटे को इस तरह से अपनी चुचियों को घूरता हुआ देखकर कजरी बोली,,,।


अरे सब्जी भी काटेगा कि देखता ही रहेगा,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही रघु एकदम से झेंपता हुआ फिर से सब्जी काटने लगा लेकिन चोर नजरों से बार-बार वह अपनी मां की चूची की तरफ देख ले रहा था आखिरकार आंखों के सामने इतना मादक दृश्य जो था भला उस देश से को देखने से वह अपने मन को कैसे मना कर सकता था,,,। बड़ा ही मोहक दृश्य के साथ-साथ मौसम भी बनता जा रहा था,, अंधेरा हो चुका था ठंडी हवा चल रही थी आसमान में धीरे-धीरे बादल छाने लगी,थे,,, बारिश पड़ने के आसार नजर आ रहे थे,,,, कजरी बन में बारिश पड़ने की प्रार्थना भी कर रही थी,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बरसात के मौसम में तन बदन कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो जाता है पुरुष संसर्ग के लिए और यही हाल मर्दों का भी होता है,,,,)

शालू के जाने के बाद मुझे लगता नहीं था कि तू मेरी इतनी मदद करेगा,,,(चूल्हे में सूखी हुई लकड़ी डालते हुए)


तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा था,,,,


वैसे भी तू घर का काम कहां करता था जब कोई काम बोलो तो बहाना बनाकर निकल जाता था लेकिन जिस तरह से तु शालू के जाने के बाद से मेरी मदद कर रहा है मुझे बहुत खुशी मिल रही है,,,,


पहले की बात कुछ और थी मा पहले शालू थी तो मुझे बिल्कुल भी फिकर नहीं होती थी मैं जानता था कि शालू सब कुछ कर देगी लेकिन शालु के जाने के बाद तुम अकेली पड़ गई हो,,,,,,(इतना कहने के बाद वह अपनी मां को गौर से देखने लगा उसकी मां की उसकी आंखों में देखने लगी रघु को यही सही मौका लगा अपनी मां के मन में चल रहे भावनाओं के बारे में जानने के लिए इसलिए वह बेझिझक अपनी मां से बोला) वैसे भी मैं पिताजी के जाने के बाद वर्षों से तुम अकेले ही हो,,,,
(अपनी बेटे के मुंह से इस बात को सुनते ही कजरी थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इस तरह का सवाल पूछ बैठेगा फिर भी अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं रे अकेले कहां पड़ गई हूं तू है चालू है तुम दोनों तो हो,,,



यह तो मैं भी जानता हूं मां,,,, लेकिन पिताजी नहीं है इसका तो भरपाई नहीं हो सकता ना,,,,


हां वो तो है,,,,(आटे की लोई बनाते हुए बोली,,,)

कितना कठिन हो जाता है एक औरत के लिए बिना आदमी के जीवन गुजारना,,,(सब्जी काटते हुए रघु बोला,,,)


तु बात तो एकदम ठीक ही कह रहा है,,,, मुझे ही देख ले कैसे मैंने तुम दोनों को पाल पोस कर बड़ा किया,,,,, लेकिन सच कहूं तो तेरा मुझे बहुत सहारा है,,,(रोटी को बेलते हुए बोली,,,)


मेरा सहारा,,,, कैसे,,,?(सब्जी और चाकू को उसी तरह से हाथ में पकड़े हुए बोला)


अरे देखना,,, जो काम तेरे पिताजी को करना चाहिए था वह काम तूने किया,,,


कौन सा काम मां,,,,


अरे तेरी बहन की शादी,,,,अब तूने ही तो सब कुछ तय किया था,,, वरना मैं कहां मालकिन को जानती थी शादी की बात तो तेरे से ही शुरू हुई और देखा चालू अपनी ससुराल है और बड़ी हंसी खुशी से राज कर रही है,,,।


हां सो तो है लेकिन यह तो मेरा फर्ज था,,,,,,


फिर भी रघु इस दौरान तूने अपने बाबूजी की कमी महसूस होने नहीं दिया,,,


कुछ भी हो मा लेकिन उनकी जगह तो नहीं ले सकता ना,,,,
(रघु के कहने का मतलब को कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके पति की जगह लेने से उसका मतलब साफ था कि वह उसके साथ हमबिस्तर का संबंध बनाना चाहता था,,,, अपने बेटे की बात का मतलब समझते ही,,, कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी,,, लेकिन कजरी बोली कुछ नहीं,,,, रघु उसी तरह से सब्जी करता रहा,,, ब्लाउज में से झांसी अपनी मां की चूचियों के ऊपर पसीने की बूंदे उपसता हुआ देखकर रघु बोला,,,)

इतनी ठंडी हवा चल रही है फिर भी तुम्हारी उस पर,,,( चुची की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) पसीना हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर उसके ऊंगली का इशारा अपनी चूची की तरफ होता देख कर अपनी चूची की तरफ देखने लगी जिसपर वास्तव में पसीने की बूंदे उपस रही थी,,,)

ओहहहह,,, चुल्हा जल रहा है ना इसकी वजह से,,, जरा इसे पोछ दे मेरे हाथों में आटा लगा है,,,,
(इतना सुनते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, वह तुरंत सब्जी छोड़कर घुटनों के बल चलता हुआ अपनी मां की करीब गया और अपनी मां की साड़ी का पल्लू अपने हाथ में लेकर अपनी मां की चूची पर से पसीने की बूंदों को साफ करने लगाअपनी मां की चूची पर हाथ लगाते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी उसका लंड खड़ा होने लगा ब्लाउज में से झांक रही खरबूजे जैसी उसकी दोनों चूचियां दशहरी आम की तरह रस से भरी हुई थी जिसे रघु अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने के लिए उतावला हो रहा था,,,, कजरी भी अपने बेटे की हाथों का स्पर्श अपनी चूची पर पाते ही मस्त हो गई,,,,उसका दिल तो चाहता था कि अपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी चूची को तोहफे के रूप में उसके हाथों में थमा दे,,, लेकिन कजरी अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी,,, धीरे धीरे साड़ी के पल्लू से अपनी मां की चूची पर उपसी हुई पसीने की बूंदों को वह अच्छी तरह से साफ कर दिया,,,,,,,अपनी मां की चूची की नरमाहट को एक बार और महसूस करके वह पूरी तरह से गनगना गया,,,,उत्तेजना के मारे रघु की सांसें तेज हो चली थी जिसका एहसास कजरी को अच्छी तरह से हो रहा था अपने बेटे की हालत पर उसे अंदर ही मजा आ रहा था,,,,,,।

अब देखो अच्छी तरह से साफ हो गया ना,,,,(ऐसा कहते हुए वक्त पीछे की तरफ घुटनों के बल आने लगा तो उसकी मां बोली,,,)


यह तो फिर पसीने से भीग जाएगी,,,,


तो क्या हुआ मैं फिर साफ कर दूंगा,,,,


कब तक साफ करते रहेगा,,,


जब तक तुम्हारी गीली होती रहेगी,,,,(इस बार रघु अपनी मां की चूची के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की बुर के लिए बोला था,,, जो की कजरी इतनी नादान नहीं थी कि अपनी बेटी के कहने का मतलब कुछ समझ ना पाए वह अपने बेटे के कहने का मतलब को समझ चुकी थी और उसकी बात सुनकर अपनी बुर में से पानी की बूंद को टपकती हुई महसूस भी की थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,, वो ज्यादा कुछ नहीं बोली बस अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)


चल देखूंगी कब तक तु साथ देता है,,,


हमेशा,,,, जब तक तुम संतुष्ट ना हो जाओ,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी रघु कि तरफ आश्चर्य से देखी तो रघु तुरंत अपनी बात को बदलता हुआ बोला,,)


मेरा मतलब है कि जिंदगी भर,,,,


तुझ पर मुझे पूरा भरोसा है,,,,(इतना कहने के साथ गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी को थोड़ा सा और घुटनों के ऊपर ले जाकर बैठ गई जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच अच्छा खासा जगह बन गया रघु सब्जी काट चुका था इसलिए एक बहाने से उसे खड़ा करती हो हुए बोली,,)


बेटा जरा लालटेन की रोशनी बढ़ा देना तो,,, कढ़ाई में सब्जी डालनी है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी पास में पड़ी कढ़ाई को उठाकर चूल्हे पर रखने लगी रघु को लगा कि उसकी मां सच में कढ़ाई में सब्जी डालने के लिए उसे लालटेन की रोशनी बढ़ाने के लिए बोली ताकि कढ़ाई में अच्छी तरह से दिखाई दे सके लेकिन जैसे ही वह खड़ा होकर लालटेन की रोशनी को बढ़ाने लगा वैसे ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी नजर सीधे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच साड़ी के बीचो बीच चली गई जिसमें लालटेन की रोशनी में रघु को अपनी मां की कसी हुई और फुली हुई बुर साफ नजर आ रही थी,,, जिस पर हल्के हल्के रेशमी बालों का गुच्छा भी नजर आ रहा था लोगों की तो हालत खराब हो गई पल भर में ही उसकी पजामी का आगे वाला भाग एकदम से तन कर तंबू हो गया कजरी की नजर जैसे यह अपने बेटे पर गई और साथ में उसके तंबू पर गई तो उसके भी होश उड़ गए लेकिन वह मन ही मन खुश हो गई क्योंकि उसकी यह तरकीब काम कर गई थी वो जानबूझकर अपनी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर लोगों को खड़े होकर रोशनी बढ़ाने के लिए बोली थी वह जानती थी कि जब वह खड़ा होगा तो उसकी नजर उसकी टांगों के बीच जरूर जाएगी और ऐसा ही हुआ,,,, कजरी कुछ बोली नहीं बस सब्जी डालकर उसने मसाला डालने लगी वह कुछ देर तक और अपने बेटे को अपनी मदमस्त कसी हुई बुर के दर्शन कराना चाहती थी ताकि रघु पूरी तरह से उसकी बुर देखकर मदहोश हो जाए और जो वह चाहती है वह करने के लिए बिना किसी रोक-टोक के तैयार हो जाए,,,। रघु की तो हालत खराब हो रही थी,,,ठंडी ठंडी हवा में भी उसके पसीने छूट रहे थे,,,, बडा ही मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,वह फटी आंखों से लगातार घूर घुर के अपनी मां की बुर को देखे जा रहा था जो कि,,, साड़ी के पर्दे में कैद होने के बावजूद भी पड़ी साफ साफ नजर आ रही थी,,,,,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देख देख कर कजरी ललचा रही थी,,,,,, बस कजरी इस मादक दृश्य पर पर्दा डालना चाहती थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पूरी तरह से रघु को उत्तेजित कर देना चाहती थी,,,,,, इसलिए अपनी टांगों को ठीक कर के वह रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,


थोड़ा सा तेल देना तो,,,
(और कजरी की आवाज सुनते ही रघु की जैसी तंद्रा भंग हुई हो और वह तुरंत तेल के डिब्बे को लेकर अपनी मां के पास रख दिया और वहीं बैठ गया क्योंकि तब तक उसे इस बात का अहसास हो गया था कि,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और पजामे में अच्छा खासा तंबू बन गया है इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गया था,,,,,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने बेटे के हाल पर कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसके बेटे के पजामे में छुपा हथियार कैसा है,,,,,,,क्योंकि बड़ी करीबी से उसने अपने बेटे के लंड को अपने बुर के इर्द-गिर्द महसूस कर चुकी थी,,, इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, रघु के हाथों से तेल का डिब्बा लेकर कढ़ाई में तेल डालने लगी और सब्जी को पकने के लिए ढक कर रख दी,,,, दूसरे चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखकर रोटी बेल कर उस पर रखने लगी,,, रघु पूरी तरह से आवाक् हो चुका था,,,ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी बुर के दर्शन कर रहा हो,,,, ना जाने कितनी बार और न जाने कितनी औरतों की बुर चोद चुका था,,, लेकिन जो उत्तेजना जक्ष जो एहसास उसे अपनी मां की बुर देखने पर होता था,,, उस तरह का एहसास उसे किसी की भी बुर देखने में या उस में लंड डालकर चोदने में नहीं होता था,,, रघु पूरी तरह से अद्भुत अहसास से भर चुका था,,,,


कुछ क्षण के लिए दोनों खामोश हो चुके थे,, कजरी इस तरह के पल की विवसता ऊन्मादकता और कमजोरी को अच्छी तरह से समझती थी,,, इसलिए कुछ क्षण तक वह भी खामोश रहना ही उचित समझी,,,, रघु वही पास में बैठा अपनी मां की रसीली बुर की संरचना के बारे में कल्पना करने लगा,,,जबकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर एक जैसी ही होती है,,,,, फर्क सिर्फ कसाव और ढीलेपन के साथ-साथ बुर वाली के चरित्र का होता है,,,,

माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन रसोई के दायरे का वातावरण पूरी तरह से उन्मादकता से भरा हुआ था उत्तेजना की गर्मी मां बेटे दोनों को सुलगा रही थी,,, कजरी प्रसन्न होते हुए उसी डिब्बे में से थोड़ा तेल कढ़ाई में डालकर उसमें बेली हुई पुडी को डालकर पका रही थी,,, जो कि थोड़ी ही देर में गर्म होकर फूल गई,,,,,,


तू जानता है की पूडी इतनी फूल क्यों जाती है,,,?(बड़े चमचे से गरम तेल में तेरती हुई पूडी को पलटते हुए बोली,,)


नहीं मैं नहीं जानता,,,,


मैं तुझे बताती हूं जब कोई चीज ज्यादा गर्म हो जाती है तो वह इसी तरह से फूल जाती है,,, जैसे कि यह पूडी,,, और भी ऐसी चीज है जो गरम होने के बाद फुल जाती है,,,(अपने बेटे की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली)


पुड़ी के अलावा और कौन सी चीज है जो गर्म होने पर फुल जाती है,,,(रघु अपनी मां के कहने की मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन वह अपनी मां के मुंह से जानना चाहता था इसलिए वह नादान बनता हुआ बोला)


हममम,,, ऐसी चीज बहुत ही खास लेकिन वक्त आने पर तुझे खुद ब खुद पता चल जाएगा,,,,


भला ऐसी कौन सी चीज है जो वक्त आने पर पता चल जाएगा अभी भी तो बता सकती हो,,,,


तू बड़ा बेसब्रा है,,, थोड़ा इंतजार तो कर समय आने पर मुझे बताने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,(कढ़ाई में दूसरी पुडी को तलते हुए बोली,,,,, अपनी मां के कहने का मतलब को रुको अच्छी तरह से समझ रहा था और जिस अंदाज में उसने गरम होकर फुलने वाली बात की थी अपनी मां का इशारा अपनी बुर की तरफ,,, एकदम साफ लफ्जो में कहते हुए देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,, वह समझ गया था कि उसकी मां बहुत ही जल्द उसके लिए अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर को उसके आगे परोस देगी,,, अपनी मां की बातों को सुनकर रघु की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसे लगने लगा था कि कहीं उसके लंड की नसें ना फट जाए,,, जिस तरह से उसकी मां दिलासा दे रही थी रघु कुछ और नहीं पूछा सका,,,, बस पूडी को बेलते हुए वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे के साथ-साथ ब्लाउज में हलचल कर रही चूचियों को देखता रहा,,,,,,मां बेटे दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुके थे दोनों के तन बदन में उत्तेजना अपना पूरा असर दिखा रहा था कजरी की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, और रघु को इसी बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दें,,,,,


आखिरकार भोजन बन कर तैयार हो गया,,,,,,,, दोनों मां-बेटे हाथ मुंह धो कर खाना खाने की तैयारी करने लगे लेकिन कजरी हाथ पैर धोने के बाद अपनी साड़ी को करते हो तब उठाकर उसने अपनी कमर पर खोस ली जिससे घुटनों से नीचे तक का भाग पूरी तरह से उजागर हो गया अपने हाथ को तोड़ते हुए मेरे को अपनी मां की इस हरकत पर ध्यान दिया था वह घुटनों से नीचे मांसल पिंडलियों, चिकनी टांग को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,। कजरी का भी दिल धक-धक कर रहा था,,,, अपने बेटे को और खुद को खाना परोस कर वहीं खाने बैठ गई लेकिन कजरी अपने बेटे के ठीक सामने बैठ गई और लालटेन को उतार कर जहां बैठी थी वहां से थोड़ी सी ऊंचाई पर लालटेन को रख दी,,, कजरी अपने बेटे के सामने टांगों को फैला कर बैठ गई और बीच में खाली लेकर खाने लगी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से बैठने पर उसकी दोनों टांगें खुल जाएंगे और एक बार फिर से उसके बेटे को उसकी रसीली बुर के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, और ऐसा ही हुआ इस बार भी रघु की नजर अपनी मां के इस तरह से बैठने की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच चली गई और इस बार लालटेन एकदम करीब होने की वजह से उसका उजाला पूरी तरह से कजरी के साड़ी तक पहुंच रहा था मानो की लालटेन से उठ रही पीली रोशनी उसकी मां की बुर को स्पर्श करना चाहती हो,,,,,,
रघु की हालत एक बार फिर से खराब होने लगी जिस तरह सेउसकी मां बता रही थी कि कोई भी चीज जब गर्म हो जाती हो तो मैं पूरी तरह से फूल जाती है उसी तरह से उसकी मां की बुर भी पूरी तरह से गर्म होकर कचोरी की तरह खुल चुकी थी जिसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी,,,वह अपनी कामुक हरकत से पूरी तरह से अनजान बनी रहना चाहती थी ताकि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसके गदराए जिस्म की उत्तेजना से भरपूर केंद्र बिंदु को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो सके,,,,,, और ऐसा हो भी रहा था रघु का लंड था कि नीचे बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,,। रघु के खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच केंद्रीत हो चुकी थी,,,,,, कजरी के गजराए बदन में उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर और ज्यादा सुशोभित हो रही थी,,,,, रघु की आंखें पलक झपकना भूल चुकी थी वह एक टक अपनी मां की बुर को ही देखे जा रहा था,,,कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी किसी तरह से वह बैठी हुई है उसकी बुर उसके बेटे को साफ दिखाई दे रही होगी इसलिए कुछ देर तक वह अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दि लेकिन वह समझ चुकी थी कि उसका बेटा पूरी तरह से तड़प उठा होगा और यही तड़प तो वह उसके अंदर चाहती थी इसलिए,,,,,, वह यही बात पक्की करने के लिए कि उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच देख रहा है या नहीं इसलिए वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,,


अरे तू अभी तक खाया नहीं कहां ध्यान है तेरा,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजरों की तरफ उसके सिद्धांत को समझते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखी तो जानबूझकर शर्मा ने का नाटक करते हुए बोली,,,)

अरे बाप रे,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दोनों टांगे एक तरफ कर ली और शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली,, रघु अपनी मां के इस हरकत पर पूरी तरह से मस्त हो गया क्योंकि जिस तरह से हुआ शर्मा कर अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके इतनी दूर को छुपा ली थी वह नजारा पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,, और कजरी खाते हुए बोली,,,)

जल्दी से खा ले नहीं तो ठंडा हो जाएगा,,,,


अभी तो पूरा गर्म हुआ हूं,,,,


क्या,,,,?


कककक,,,कुछ नहीं मैं कह रहा हूं कि इतनी जल्दी ठंडा नहीं होगा अभी तो गरम खाना है,,,,
(कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी थोड़ी देर बाद दोनों ने अपना अपना खत्म कर लिया और सोने की तैयारी करने लगे,,,, आसमान में बादल छाने लगे थे बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे,,, दोनों छत पर सोने के लिए जा रहे थे और रघु आगे आगे और कजरी पीछे लालटेन लिए चल रही थी कि तभी उसके मन में एक और युक्ति सूझी और वह सीडी पर ही लालटेन को रख दी तब तक रघु 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था,,,।


रघु तू चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,


कहां जा रही हो,,,( रघु सीडी पर चढ़े हुए ही अपनी गर्दन पीछे घुमा कर अपनी मां की तरफ देखती हुए बोला,,)


अरे तुझे बताना जरूरी है क्या तू चल मैं आ रही हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर जाने लगी और लालटेन को वही सीढ़ी के पास रख दी,,, रघु को अंदेशा हो गया था कि उसकी मां क्या करने जा रही है,,, इसलिए वह छत की तरफ ना जाकर वही खड़ा रहा और अपनी मां की तरफ देखता रहा जोकी ताडपत्री और टूटे हुए लकड़ी से बनाए हुए गुसल खाने की तरफ जा रही थी रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,।)
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Devang

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पल भर में ही रघु की हालत खराब हो चुकी थी ऐसा नहीं था कि पहली बार वह इस नजारे को अपनी आंखों से देख रहा था इससे पहले कि वह अपनी मां के खूबसूरत कथन के लगभग लगभग हर किस्से को देखे चुका था लेकिन अपनी मां के बदन में जिस तरह की लचक मरोड़ और कटाव को देखकर वह उत्तेजित होता था उस तरह से वह किसी भी औरत के खूबसूरत बदन को देखकर उत्तेजित नहीं होता था अपनी मां में उसे कुछ ज्यादा ही उत्तेजनापूर्ण अंगों का एहसास होता था,,,वह सब्जी काटते काटते जिस तरह से अपनी आंखें चौड़ी करके ब्लाउज में से झांक रहे उसकी बड़ी बड़ी चूची को देख रहा था उसे कजरी बेहद खुश नजर आ रही थी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,,,, कजरी को लगने लगा था कि उसका पहला वार ठीक निशाने पर जा लगा था,,,, वह उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को चोरी करके रोटी दोनों टांगों के बीच से अपने दोनों हाथों को थाली में रखकर आटे को गुंथने लगी,,,, और आटे को गुंथते समय ऊपर नीचे हिलने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चुचियों में जैसे जान आ गई हो इस तरह से आपस में रगड़ खाकर हिल रही थी,,, कुछ पल के लिए रघु सब्जी काटना भूल गया था और फटी आंखों से अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था मानो कि जैसे अभी दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां के ब्लाउज को खोल कर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाना शुरु कर देगा,,,,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कब तक जितनी भी चुचियों को वह देख चुका था उनमें से लाजवाब चुची उसकी मां की ही थी,,,, अपने बेटे को इस तरह से अपनी चुचियों को घूरता हुआ देखकर कजरी बोली,,,।


अरे सब्जी भी काटेगा कि देखता ही रहेगा,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही रघु एकदम से झेंपता हुआ फिर से सब्जी काटने लगा लेकिन चोर नजरों से बार-बार वह अपनी मां की चूची की तरफ देख ले रहा था आखिरकार आंखों के सामने इतना मादक दृश्य जो था भला उस देश से को देखने से वह अपने मन को कैसे मना कर सकता था,,,। बड़ा ही मोहक दृश्य के साथ-साथ मौसम भी बनता जा रहा था,, अंधेरा हो चुका था ठंडी हवा चल रही थी आसमान में धीरे-धीरे बादल छाने लगी,थे,,, बारिश पड़ने के आसार नजर आ रहे थे,,,, कजरी बन में बारिश पड़ने की प्रार्थना भी कर रही थी,,, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि बरसात के मौसम में तन बदन कुछ ज्यादा ही व्याकुल हो जाता है पुरुष संसर्ग के लिए और यही हाल मर्दों का भी होता है,,,,)

शालू के जाने के बाद मुझे लगता नहीं था कि तू मेरी इतनी मदद करेगा,,,(चूल्हे में सूखी हुई लकड़ी डालते हुए)


तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा था,,,,


वैसे भी तू घर का काम कहां करता था जब कोई काम बोलो तो बहाना बनाकर निकल जाता था लेकिन जिस तरह से तु शालू के जाने के बाद से मेरी मदद कर रहा है मुझे बहुत खुशी मिल रही है,,,,


पहले की बात कुछ और थी मा पहले शालू थी तो मुझे बिल्कुल भी फिकर नहीं होती थी मैं जानता था कि शालू सब कुछ कर देगी लेकिन शालु के जाने के बाद तुम अकेली पड़ गई हो,,,,,,(इतना कहने के बाद वह अपनी मां को गौर से देखने लगा उसकी मां की उसकी आंखों में देखने लगी रघु को यही सही मौका लगा अपनी मां के मन में चल रहे भावनाओं के बारे में जानने के लिए इसलिए वह बेझिझक अपनी मां से बोला) वैसे भी मैं पिताजी के जाने के बाद वर्षों से तुम अकेले ही हो,,,,
(अपनी बेटे के मुंह से इस बात को सुनते ही कजरी थोड़ा सा असहज महसूस करने लगी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इस तरह का सवाल पूछ बैठेगा फिर भी अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं रे अकेले कहां पड़ गई हूं तू है चालू है तुम दोनों तो हो,,,



यह तो मैं भी जानता हूं मां,,,, लेकिन पिताजी नहीं है इसका तो भरपाई नहीं हो सकता ना,,,,


हां वो तो है,,,,(आटे की लोई बनाते हुए बोली,,,)

कितना कठिन हो जाता है एक औरत के लिए बिना आदमी के जीवन गुजारना,,,(सब्जी काटते हुए रघु बोला,,,)


तु बात तो एकदम ठीक ही कह रहा है,,,, मुझे ही देख ले कैसे मैंने तुम दोनों को पाल पोस कर बड़ा किया,,,,, लेकिन सच कहूं तो तेरा मुझे बहुत सहारा है,,,(रोटी को बेलते हुए बोली,,,)


मेरा सहारा,,,, कैसे,,,?(सब्जी और चाकू को उसी तरह से हाथ में पकड़े हुए बोला)


अरे देखना,,, जो काम तेरे पिताजी को करना चाहिए था वह काम तूने किया,,,


कौन सा काम मां,,,,


अरे तेरी बहन की शादी,,,,अब तूने ही तो सब कुछ तय किया था,,, वरना मैं कहां मालकिन को जानती थी शादी की बात तो तेरे से ही शुरू हुई और देखा चालू अपनी ससुराल है और बड़ी हंसी खुशी से राज कर रही है,,,।


हां सो तो है लेकिन यह तो मेरा फर्ज था,,,,,,


फिर भी रघु इस दौरान तूने अपने बाबूजी की कमी महसूस होने नहीं दिया,,,


कुछ भी हो मा लेकिन उनकी जगह तो नहीं ले सकता ना,,,,
(रघु के कहने का मतलब को कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी उसके पति की जगह लेने से उसका मतलब साफ था कि वह उसके साथ हमबिस्तर का संबंध बनाना चाहता था,,,, अपने बेटे की बात का मतलब समझते ही,,, कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी,,, लेकिन कजरी बोली कुछ नहीं,,,, रघु उसी तरह से सब्जी करता रहा,,, ब्लाउज में से झांसी अपनी मां की चूचियों के ऊपर पसीने की बूंदे उपसता हुआ देखकर रघु बोला,,,)

इतनी ठंडी हवा चल रही है फिर भी तुम्हारी उस पर,,,( चुची की तरफ उंगली से इशारा करते हुए) पसीना हो रहा है,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर उसके ऊंगली का इशारा अपनी चूची की तरफ होता देख कर अपनी चूची की तरफ देखने लगी जिसपर वास्तव में पसीने की बूंदे उपस रही थी,,,)

ओहहहह,,, चुल्हा जल रहा है ना इसकी वजह से,,, जरा इसे पोछ दे मेरे हाथों में आटा लगा है,,,,
(इतना सुनते ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, वह तुरंत सब्जी छोड़कर घुटनों के बल चलता हुआ अपनी मां की करीब गया और अपनी मां की साड़ी का पल्लू अपने हाथ में लेकर अपनी मां की चूची पर से पसीने की बूंदों को साफ करने लगाअपनी मां की चूची पर हाथ लगाते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी उसका लंड खड़ा होने लगा ब्लाउज में से झांक रही खरबूजे जैसी उसकी दोनों चूचियां दशहरी आम की तरह रस से भरी हुई थी जिसे रघु अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने के लिए उतावला हो रहा था,,,, कजरी भी अपने बेटे की हाथों का स्पर्श अपनी चूची पर पाते ही मस्त हो गई,,,,उसका दिल तो चाहता था कि अपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी चूची को तोहफे के रूप में उसके हाथों में थमा दे,,, लेकिन कजरी अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी,,, धीरे धीरे साड़ी के पल्लू से अपनी मां की चूची पर उपसी हुई पसीने की बूंदों को वह अच्छी तरह से साफ कर दिया,,,,,,,अपनी मां की चूची की नरमाहट को एक बार और महसूस करके वह पूरी तरह से गनगना गया,,,,उत्तेजना के मारे रघु की सांसें तेज हो चली थी जिसका एहसास कजरी को अच्छी तरह से हो रहा था अपने बेटे की हालत पर उसे अंदर ही मजा आ रहा था,,,,,,।

अब देखो अच्छी तरह से साफ हो गया ना,,,,(ऐसा कहते हुए वक्त पीछे की तरफ घुटनों के बल आने लगा तो उसकी मां बोली,,,)


यह तो फिर पसीने से भीग जाएगी,,,,


तो क्या हुआ मैं फिर साफ कर दूंगा,,,,


कब तक साफ करते रहेगा,,,


जब तक तुम्हारी गीली होती रहेगी,,,,(इस बार रघु अपनी मां की चूची के लिए नहीं बल्कि अपनी मां की बुर के लिए बोला था,,, जो की कजरी इतनी नादान नहीं थी कि अपनी बेटी के कहने का मतलब कुछ समझ ना पाए वह अपने बेटे के कहने का मतलब को समझ चुकी थी और उसकी बात सुनकर अपनी बुर में से पानी की बूंद को टपकती हुई महसूस भी की थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,, वो ज्यादा कुछ नहीं बोली बस अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)


चल देखूंगी कब तक तु साथ देता है,,,


हमेशा,,,, जब तक तुम संतुष्ट ना हो जाओ,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी रघु कि तरफ आश्चर्य से देखी तो रघु तुरंत अपनी बात को बदलता हुआ बोला,,)


मेरा मतलब है कि जिंदगी भर,,,,


तुझ पर मुझे पूरा भरोसा है,,,,(इतना कहने के साथ गर्मी का बहाना करके अपनी साड़ी को थोड़ा सा और घुटनों के ऊपर ले जाकर बैठ गई जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच अच्छा खासा जगह बन गया रघु सब्जी काट चुका था इसलिए एक बहाने से उसे खड़ा करती हो हुए बोली,,)


बेटा जरा लालटेन की रोशनी बढ़ा देना तो,,, कढ़ाई में सब्जी डालनी है,,,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी पास में पड़ी कढ़ाई को उठाकर चूल्हे पर रखने लगी रघु को लगा कि उसकी मां सच में कढ़ाई में सब्जी डालने के लिए उसे लालटेन की रोशनी बढ़ाने के लिए बोली ताकि कढ़ाई में अच्छी तरह से दिखाई दे सके लेकिन जैसे ही वह खड़ा होकर लालटेन की रोशनी को बढ़ाने लगा वैसे ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी नजर सीधे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच साड़ी के बीचो बीच चली गई जिसमें लालटेन की रोशनी में रघु को अपनी मां की कसी हुई और फुली हुई बुर साफ नजर आ रही थी,,, जिस पर हल्के हल्के रेशमी बालों का गुच्छा भी नजर आ रहा था लोगों की तो हालत खराब हो गई पल भर में ही उसकी पजामी का आगे वाला भाग एकदम से तन कर तंबू हो गया कजरी की नजर जैसे यह अपने बेटे पर गई और साथ में उसके तंबू पर गई तो उसके भी होश उड़ गए लेकिन वह मन ही मन खुश हो गई क्योंकि उसकी यह तरकीब काम कर गई थी वो जानबूझकर अपनी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर लोगों को खड़े होकर रोशनी बढ़ाने के लिए बोली थी वह जानती थी कि जब वह खड़ा होगा तो उसकी नजर उसकी टांगों के बीच जरूर जाएगी और ऐसा ही हुआ,,,, कजरी कुछ बोली नहीं बस सब्जी डालकर उसने मसाला डालने लगी वह कुछ देर तक और अपने बेटे को अपनी मदमस्त कसी हुई बुर के दर्शन कराना चाहती थी ताकि रघु पूरी तरह से उसकी बुर देखकर मदहोश हो जाए और जो वह चाहती है वह करने के लिए बिना किसी रोक-टोक के तैयार हो जाए,,,। रघु की तो हालत खराब हो रही थी,,,ठंडी ठंडी हवा में भी उसके पसीने छूट रहे थे,,,, बडा ही मादक दृश्य उसकी आंखों के सामने था,,,वह फटी आंखों से लगातार घूर घुर के अपनी मां की बुर को देखे जा रहा था जो कि,,, साड़ी के पर्दे में कैद होने के बावजूद भी पड़ी साफ साफ नजर आ रही थी,,,,,,, उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जिसे देख देख कर कजरी ललचा रही थी,,,,,, बस कजरी इस मादक दृश्य पर पर्दा डालना चाहती थी क्योंकि वह धीरे-धीरे पूरी तरह से रघु को उत्तेजित कर देना चाहती थी,,,,,, इसलिए अपनी टांगों को ठीक कर के वह रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,


थोड़ा सा तेल देना तो,,,
(और कजरी की आवाज सुनते ही रघु की जैसी तंद्रा भंग हुई हो और वह तुरंत तेल के डिब्बे को लेकर अपनी मां के पास रख दिया और वहीं बैठ गया क्योंकि तब तक उसे इस बात का अहसास हो गया था कि,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और पजामे में अच्छा खासा तंबू बन गया है इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गया था,,,,,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने बेटे के हाल पर कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसके बेटे के पजामे में छुपा हथियार कैसा है,,,,,,,क्योंकि बड़ी करीबी से उसने अपने बेटे के लंड को अपने बुर के इर्द-गिर्द महसूस कर चुकी थी,,, इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, रघु के हाथों से तेल का डिब्बा लेकर कढ़ाई में तेल डालने लगी और सब्जी को पकने के लिए ढक कर रख दी,,,, दूसरे चूल्हे पर दूसरी कढ़ाई रखकर रोटी बेल कर उस पर रखने लगी,,, रघु पूरी तरह से आवाक् हो चुका था,,,ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी बुर के दर्शन कर रहा हो,,,, ना जाने कितनी बार और न जाने कितनी औरतों की बुर चोद चुका था,,, लेकिन जो उत्तेजना जक्ष जो एहसास उसे अपनी मां की बुर देखने पर होता था,,, उस तरह का एहसास उसे किसी की भी बुर देखने में या उस में लंड डालकर चोदने में नहीं होता था,,, रघु पूरी तरह से अद्भुत अहसास से भर चुका था,,,,


कुछ क्षण के लिए दोनों खामोश हो चुके थे,, कजरी इस तरह के पल की विवसता ऊन्मादकता और कमजोरी को अच्छी तरह से समझती थी,,, इसलिए कुछ क्षण तक वह भी खामोश रहना ही उचित समझी,,,, रघु वही पास में बैठा अपनी मां की रसीली बुर की संरचना के बारे में कल्पना करने लगा,,,जबकि वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि औरतों की बुर एक जैसी ही होती है,,,,, फर्क सिर्फ कसाव और ढीलेपन के साथ-साथ बुर वाली के चरित्र का होता है,,,,

माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन रसोई के दायरे का वातावरण पूरी तरह से उन्मादकता से भरा हुआ था उत्तेजना की गर्मी मां बेटे दोनों को सुलगा रही थी,,, कजरी प्रसन्न होते हुए उसी डिब्बे में से थोड़ा तेल कढ़ाई में डालकर उसमें बेली हुई पुडी को डालकर पका रही थी,,, जो कि थोड़ी ही देर में गर्म होकर फूल गई,,,,,,


तू जानता है की पूडी इतनी फूल क्यों जाती है,,,?(बड़े चमचे से गरम तेल में तेरती हुई पूडी को पलटते हुए बोली,,)


नहीं मैं नहीं जानता,,,,


मैं तुझे बताती हूं जब कोई चीज ज्यादा गर्म हो जाती है तो वह इसी तरह से फूल जाती है,,, जैसे कि यह पूडी,,, और भी ऐसी चीज है जो गरम होने के बाद फुल जाती है,,,(अपने बेटे की तरह मुस्कुराते हुए देख कर बोली)


पुड़ी के अलावा और कौन सी चीज है जो गर्म होने पर फुल जाती है,,,(रघु अपनी मां के कहने की मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन वह अपनी मां के मुंह से जानना चाहता था इसलिए वह नादान बनता हुआ बोला)


हममम,,, ऐसी चीज बहुत ही खास लेकिन वक्त आने पर तुझे खुद ब खुद पता चल जाएगा,,,,


भला ऐसी कौन सी चीज है जो वक्त आने पर पता चल जाएगा अभी भी तो बता सकती हो,,,,


तू बड़ा बेसब्रा है,,, थोड़ा इंतजार तो कर समय आने पर मुझे बताने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी,,,,(कढ़ाई में दूसरी पुडी को तलते हुए बोली,,,,, अपनी मां के कहने का मतलब को रुको अच्छी तरह से समझ रहा था और जिस अंदाज में उसने गरम होकर फुलने वाली बात की थी अपनी मां का इशारा अपनी बुर की तरफ,,, एकदम साफ लफ्जो में कहते हुए देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,, वह समझ गया था कि उसकी मां बहुत ही जल्द उसके लिए अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी बुर को उसके आगे परोस देगी,,, अपनी मां की बातों को सुनकर रघु की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उसे लगने लगा था कि कहीं उसके लंड की नसें ना फट जाए,,, जिस तरह से उसकी मां दिलासा दे रही थी रघु कुछ और नहीं पूछा सका,,,, बस पूडी को बेलते हुए वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे के साथ-साथ ब्लाउज में हलचल कर रही चूचियों को देखता रहा,,,,,,मां बेटे दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुके थे दोनों के तन बदन में उत्तेजना अपना पूरा असर दिखा रहा था कजरी की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, और रघु को इसी बात का डर था कि कहीं उसका लंड पानी ना फेंक दें,,,,,


आखिरकार भोजन बन कर तैयार हो गया,,,,,,,, दोनों मां-बेटे हाथ मुंह धो कर खाना खाने की तैयारी करने लगे लेकिन कजरी हाथ पैर धोने के बाद अपनी साड़ी को करते हो तब उठाकर उसने अपनी कमर पर खोस ली जिससे घुटनों से नीचे तक का भाग पूरी तरह से उजागर हो गया अपने हाथ को तोड़ते हुए मेरे को अपनी मां की इस हरकत पर ध्यान दिया था वह घुटनों से नीचे मांसल पिंडलियों, चिकनी टांग को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,। कजरी का भी दिल धक-धक कर रहा था,,,, अपने बेटे को और खुद को खाना परोस कर वहीं खाने बैठ गई लेकिन कजरी अपने बेटे के ठीक सामने बैठ गई और लालटेन को उतार कर जहां बैठी थी वहां से थोड़ी सी ऊंचाई पर लालटेन को रख दी,,, कजरी अपने बेटे के सामने टांगों को फैला कर बैठ गई और बीच में खाली लेकर खाने लगी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से बैठने पर उसकी दोनों टांगें खुल जाएंगे और एक बार फिर से उसके बेटे को उसकी रसीली बुर के दर्शन करने को मिल जाएंगे,,, और ऐसा ही हुआ इस बार भी रघु की नजर अपनी मां के इस तरह से बैठने की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच चली गई और इस बार लालटेन एकदम करीब होने की वजह से उसका उजाला पूरी तरह से कजरी के साड़ी तक पहुंच रहा था मानो की लालटेन से उठ रही पीली रोशनी उसकी मां की बुर को स्पर्श करना चाहती हो,,,,,,
रघु की हालत एक बार फिर से खराब होने लगी जिस तरह सेउसकी मां बता रही थी कि कोई भी चीज जब गर्म हो जाती हो तो मैं पूरी तरह से फूल जाती है उसी तरह से उसकी मां की बुर भी पूरी तरह से गर्म होकर कचोरी की तरह खुल चुकी थी जिसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी,,,वह अपनी कामुक हरकत से पूरी तरह से अनजान बनी रहना चाहती थी ताकि उसका बेटा अपनी खुली आंखों से उसके गदराए जिस्म की उत्तेजना से भरपूर केंद्र बिंदु को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो सके,,,,,, और ऐसा हो भी रहा था रघु का लंड था कि नीचे बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था,,,। रघु के खाने में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था उसका पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच केंद्रीत हो चुकी थी,,,,,, कजरी के गजराए बदन में उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर और ज्यादा सुशोभित हो रही थी,,,,, रघु की आंखें पलक झपकना भूल चुकी थी वह एक टक अपनी मां की बुर को ही देखे जा रहा था,,,कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी किसी तरह से वह बैठी हुई है उसकी बुर उसके बेटे को साफ दिखाई दे रही होगी इसलिए कुछ देर तक वह अपने बेटे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दि लेकिन वह समझ चुकी थी कि उसका बेटा पूरी तरह से तड़प उठा होगा और यही तड़प तो वह उसके अंदर चाहती थी इसलिए,,,,,, वह यही बात पक्की करने के लिए कि उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच देख रहा है या नहीं इसलिए वह रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,,


अरे तू अभी तक खाया नहीं कहां ध्यान है तेरा,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजरों की तरफ उसके सिद्धांत को समझते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखी तो जानबूझकर शर्मा ने का नाटक करते हुए बोली,,,)

अरे बाप रे,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दोनों टांगे एक तरफ कर ली और शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली,, रघु अपनी मां के इस हरकत पर पूरी तरह से मस्त हो गया क्योंकि जिस तरह से हुआ शर्मा कर अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके इतनी दूर को छुपा ली थी वह नजारा पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था,, और कजरी खाते हुए बोली,,,)

जल्दी से खा ले नहीं तो ठंडा हो जाएगा,,,,


अभी तो पूरा गर्म हुआ हूं,,,,


क्या,,,,?


कककक,,,कुछ नहीं मैं कह रहा हूं कि इतनी जल्दी ठंडा नहीं होगा अभी तो गरम खाना है,,,,
(कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी थोड़ी देर बाद दोनों ने अपना अपना खत्म कर लिया और सोने की तैयारी करने लगे,,,, आसमान में बादल छाने लगे थे बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे,,, दोनों छत पर सोने के लिए जा रहे थे और रघु आगे आगे और कजरी पीछे लालटेन लिए चल रही थी कि तभी उसके मन में एक और युक्ति सूझी और वह सीडी पर ही लालटेन को रख दी तब तक रघु 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था,,,।


रघु तू चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,


कहां जा रही हो,,,( रघु सीडी पर चढ़े हुए ही अपनी गर्दन पीछे घुमा कर अपनी मां की तरफ देखती हुए बोला,,)


अरे तुझे बताना जरूरी है क्या तू चल मैं आ रही हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी जानबूझकर जाने लगी और लालटेन को वही सीढ़ी के पास रख दी,,, रघु को अंदेशा हो गया था कि उसकी मां क्या करने जा रही है,,, इसलिए वह छत की तरफ ना जाकर वही खड़ा रहा और अपनी मां की तरफ देखता रहा जोकी ताडपत्री और टूटे हुए लकड़ी से बनाए हुए गुसल खाने की तरफ जा रही थी रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,।)
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Devang

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रघु को इस बात का अंदेशा हो गया था कि क्या करने के लिए उसकी मां गुसल खाने की तरफ जा रही है इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह 3 सीढ़ियां चढ़ चुका था लेकिन फिर भी इसके आगे जाने की हालत में हो बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसका मन कुछ और ही कह रहा था,,, वह ना तो एक सीडी नीचे उतरा और ना ही ऊपर,,, वह दीवाल की ओट से अपनी मां को बड़ी गौर से देख रहा था और उसकी मां मादक चाल चलते हुए आगे बढ़ रही थी वह जानती थी कि उसका बेटा कहीं ना कहीं से उसे देख रहा होगा इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड को कुछ ज्यादा ही मटका रही थी,,,,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,,मर्दों की नजर हमेशा औरतों की बड़ी बड़ी गांड पर ही आकर्षित होती रहती है और अपने बेटे की हरकत को तो वह भली-भांति जानती थी,,,।

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह एक टक अपनी मां की तरफ ही देख रहा था,,,अपनी मां की मटकती गांड को देख कर आनायास ही उसका हाथ पजामे के ऊपर से अपने लंड पर चला गया जो कि पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, यह पल बेहद अद्भुत और काम उत्तेजना से भरा हुआ था,,, क्योंकि बेटा अपनी मां की खूबसूरत बदन और उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपना लंड मसल रहा था,,,,कजरी को पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसे ही देख रहा होगा इसलिए एक बार भी पीछे मुड़कर अपने बेटे की तरफ नहीं देखी,,, गुसल खाने के करीब पहुंचते ही वह अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़कर जानबूझकर अपने दाएं बाएं देखने लगी कि तुम कोई देख तो नहीं रहा है,,, और वह अपने बेटे को यह यकीन दिलाना चाहती थी कि उसे इस बात का आभास तक नहीं है कि उसका बेटा उसे देख रहा है,,,,,, इसलिए अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए और घर के बाहर खुले वातावरण का आनंद लेते हुए वह अपनी सारी को उसी तरह से पकड़े हुए हैं धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी ,,,,जैसे कि यह सारा कार्यक्रम उसने अपने बेटे को अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाने के लिए ही रखा हो,,, और वैसे भी यह सब जानबूझकर ही था देखते ही देखते कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,,,, एक पल के लिए तो रघु की दिल की धड़कन रुक गई रघु आंखें फाड़े अपनी मां के इस खूबसूरत मादक नजारे को देखता रह गया,,,,,, अंधेरी रात थी लेकिन फिर भी लालटेन की रोशनी के दायरे में कजरी की मदमस्त गांड रघु को एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,, रघु की सांसे बहक रही थी कुछ क्षण तक कजरी उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाए हुए खड़ी रही और इसके बाद नीचे बैठकर मुतना शुरू कर दी वैसे भी ऊसे बड़े जोरों की पेशाब लगे हुई थी,,,,, पेशाब करते करते वहां एक साथ दो काम कर देना चाहती थी पेशाब भी और अपने बेटे को अपने खूबसूरती के जाल में पूरी तरह से विवस करने की,,, जो कि दोनों काम बड़ी बखूबी से हो रहा था अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गांड को देखकर रघु की हालत खराब होने लगी थी,,, कजरी इतनी जोर से मुत रही थी कि उसके मुतने की आवाज बांसुरी की धुन की तरह रघु के कानों में पड रही थी,,, रघु के कानों में जैसे मिश्री घुल रही हो,,, रघु पल-पल मादकता के एहसास से मदहोश होता चला जा रहा था,,,, कजरी मंद मंद मुस्कुरा रही थी हालांकि वह पूरी तरह से खुली नहीं लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से और जिस तरह से पेशाब करती है उसी तरह से पेशाब कर रही थी लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों को पेशाब करते हुए देखने में मर्दों को कितना मजा आता है क्योंकि ऐसा उसके साथ हुआ तो बहुत बार होगा लेकिन कभी कबार उसकी नजर उन अनजान नजरों पर पड़ जाती थी जो उसे पेशाब करने की स्थिति में आंखें फाड़े देखते रहते थे उस पर कजरी शर्म से पानी पानी हो जाती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसे पेशाब करते हुए देखे लेकिन इस समय की बात कुछ और थी,,, कजरी के तन बदन में मादकता का एहसास एक मादक खुशबू की तरह घुलता चला जा रहा था,,, और वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी को जानबूझकर वह पेशाब करते हुए अपनी गोरी गोरी गांड को दिखाएगी,,,। और वह भी किसी गैर को नहीं बल्कि अपने ही सगे बेटे को इसलिए तो यह पर उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था एक बार निश्चित करने के लिए कि जो पैंतरा उसने आजमाया है उस पर खरी उतरी है या नहीं इसलिए वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर अपने बेटे को देखने नतीजों की सीढ़ियों पर खड़ा होकर दीवार की ओट में से उसे ही देख रहा था बस पल भर के लिए वह अपनी नजर घुमा कर वापस उसी स्थिति में हो गई और मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि उसका यह पूरी तरह से काम कर गया था अपने बेटे को अपनी तरफ देखते हुए पाकर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई इसका आंसर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच किस को गुलाबी पत्तियों के बीच महसूस होने लगी जिसमें से पेशाब के साथ-साथ उत्तेजना का मधुर रस भी टपक रहा था,,,।

अपने काम में पूरी तरह से वह कामयाब हो चुकी थी इसलिए तुरंत पेशाब करके उठ खड़ी हुई यह देखते ही रखो तुरंत सीढ़ियों से ऊपर चला गया और कजरी वापस लालटेन उठाकर छत पर आ गई,,, रघु एक तरफ चटाई बिछा रहा था,,,, उसे एक तरफ चटाई बिछाता हुआ देखकर कजरी उसे कहना चाहती थी कि वह उसके पास ही सोए,,, लेकिन ऐसा कहने से उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, रघु‌ खुद चाहता था अपनी मां के पास सोना लेकिन वह भी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,, कजरी को ही अपने बदन का दर्द का बहाना बनाते हुए बोलना पड़ा कि,,,,।


आहहहहह,,,, रघु खेतों में काम कर करके मेरा बदन पूरा टूट रहा है,,,, शालू होती तो मेरी मालिश कर देते और बचे आराम मिल जाता,,,,,(कजरी का इतना कहना था कि रघु तुरंत बोल पड़ा)


अरे मैं हूं ना मा,,, मैं मालिश कर दूंगा आखिरकार शालू की जगह मुझे भी हाथ बढ़ाना है,,,,(रघु किसी भी तरह से अपने हाथ में आई इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था वह किसी न किसी बहाने से अपनी मां को स्पर्श करने का सुख प्राप्त करना चाहता था,,,)


तू कर पाएगा,,,,


यह पूछो कि मैं क्या नहीं कर पाऊंगा तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द रफूचक्कर हो जाएगा,,,,


क्या बात है,,,,,, मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,


भरोसा रखो मै शिकायत का बिल्कुल भी मौका नहीं दूंगा,,,
(रघु अपनी मां को भरोसा दिलाते हुए बोला वैसे भी उसे अपने बेटे पर पूरी तरह से भरोसा था,,,भले ही बात मालिश की हो रही हो लेकिन दोनों के कहने का मतलब एक ही है दोनों शारीरिक संतुष्टि की बात कर रहे थे,,,उसका बेटा उसे किस तरह से सारी संतुष्टि देगा यह उसे अच्छी तरह से पता था क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी बड़ी बेटी और अपने बेटे के बीच शारीरिक संबंध देख चुकी थी उन दोनों की घमासान चुदाई को अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,,,, बस वह खुद अपने बेटे के मर्दाना ताकत से दो चार हाथ होना चाहती थी,,, वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बिस्तर में उसके साथ किस तरह की उठापटक करता है,,, इसलिए अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली,,)



चल देखते हैं,,, हाथ कंगन को आरसी क्या,,,,,,


देख लो मैं कब इनकार कर रहा हूं,,,,

(अपने बेटे की बातें सुनकर मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखते हुए वह नीचे चटाई बिछाने लगी,,, आसमान में बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, कजरी चटाई बिछा ही रही थी कि तभी जोरों की बारिश शुरू हो गई,,,,)

अरे ये तो बारिश शुरू हो गई जल्दी चल नहीं तो भीग जाएंगे,,,,,,


सत्यानाश ,,,,,रघु अपने मन में ही बोला उसे लग रहा था कि बारिश के कारण कहीं सारा मामला बिगड़ ना जाए कहीं उसकी मां का दिमाग बदल ना जाए क्योंकि वह इस तरह के मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वह मन ही मन बरसात को गाली देने लगा और अपनी चटाई को भी समेटने लगा,,,,,,


चल जल्दी चल बड़ी जोरों की बारिश पड़ रही है,,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों सीढ़ी के रास्ते नीचे आने लगे,,, लेकिन तब तक कजरी पूरी तरह से नहीं लेकिन फिर भी साड़ी गीली होने लगी थी और रघु का कुर्ता गीला हो चुका था,,,, दोनों जल्दी से अंदर वाले कमरे में पहुंच गए रघु दीवाल मैं गढ़ी हुई लकड़ी पर लालटेन टांग दीया,,, लालटेन की पीली रोशनी अंधेरे को चीरते हुए उजाला प्रदान करने लगी,,, पूरे घर में उजाला फैल गया,,,बाहर बड़े जोरों की बारिश शुरु हो चुकी थी बादलों की गड़गड़ाहट तेज हो चुकी थी,,,,,, रघु अपने कुर्ते को निकालने लगा क्योंकि वह गीला हो चुका था,,,प्रकाश ने अपने बेटे की उपस्थिति में ही उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी को कंधे पर से नीचे गिरा कर अपनी कमर में बंधी साड़ी को खोलने लगी क्योंकि उसकी साड़ी भी गीली हो चुकी थी,,,, रघु अपने कुर्ते को उतारते हुए अपनी मां पर नजर डाला तो एकदम दंग रह गया उसकी आंखों में चमक छाने लगी,,, रघु की मां कमर में बसी साड़ी को खोल रही थी और उसकी विशाल छातियां अपनी मादकता फैला रही थी,,, रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा अपनी मां की ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर रघु के मुंह में पानी आने लगा,,, और उसकी गहरी नाभि को देखकर रघु को ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि जैसे वह छोटा सा गड्ढा उसकी मां की नाभि नहीं बल्कि उसकी रसीली बुर हो,,,,,, रघु के लंड मैं सनसनाहट सी दौड़ गई थी,,,, कजरी बेझिझक अपने बेटे के सामने ही अपनी साड़ी उतार रही थी शायद इस बात का आभास उसे हो गया था कि अगर जिंदगी का मजा लेना है तो थोड़ा बेशर्म मरना होगा अपने अंदर के शर्म को मारना होगा,,, और रघु अपनी मां को एकटक देखता जा रहा था ,,, जैसे ही कट गई अपनी साड़ी को उतार कर वहीं पास में डाली हुई रस्सी पर टांगी,,, वैसे ही उसकी नजर अपने बेटे पर गई जो कि उसे ही देख रहा था उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर कजरी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहा है,,,,?


तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,,,


चल झूठा,,,,, मैं भला कब से खूबसूरत होने लगी,,,,


नहीं मा सच में तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,


चल बातें मत बना मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा है,,,, जल्दी से तेल की मालिश कर दे वरना आज नींद नहीं आएगी,,,,



तुम चिंता मत करो ना तुम खटिया पर लेटो मैं तेल लगा कर तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,,
(अपने बेटे के मुंह से तेल लगाने वाली बात सुनते ही उसकी गुलाबी पुर की गुलाबी पत्तियों में झुर झुरी सी छा गई,, क्योंकि तेल लगाने वाली बात का तात्पर्य वह अच्छी तरह से समझती थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं बस खटिया पर पेट के बल लेट ते हुए बोली,,,)


चल देखते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह पेट के बल खटिया पर लेट गई,,,, रघु पेटीकोट में छुपी उसकी उभरी हुई गांड को देखकर एक दम मस्त हो गया जो कि कुछ देर पहले वह उसी गांड को एकदम नंगी देख चुका था,,,, रघु बिल्कुल भी देर ना करते हुए जल्दी से तेल के डिब्बे में से कटोरी में तेल गिराने लगा लगभग तेल से आधी कटोरी भर दिया था,,,, दूसरी तरफ कजरी अपने बेटे को देख रही थी जिस तरह से वह कटोरी में तेल गिरा रहा था उसे देखते हुए कजरी को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे आज वह तेल लगाकर उसकी चुदाई करेगा,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने बेटे के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी,,, रघु कटोरी लेकर अपनी मां के पास आ गया,,, पर खड़े होकर उसकी मदमस्त भरी हुई गांड को देखने लगा कार्ड के ऊपर पतली चिकनी कमर पर फिसलन भरी राह को देखने लगा मांसल चिकनी पीठ के बीच में पतली गहरी दरार को देखने लगा जो कि बेहद मादकता से भरी हुई थी,,,,, रघु गहरी सांस लेते हुए खटिए पर ही बैठ गया,,,,,,

आज कुछ गजब का होने वाला था इस बात का एहसास दोनों मां-बेटे को हो चुका था बाहर बड़ी तेज बारिश हो रही थी,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार वातावरण में शोर मचा रही थी ठंडी ठंडी हवा बह रही थी जो कि अंदर कमरे तक पहुंच रही थी और कमरे को दोनों मां-बेटे की जवानी की गर्मी से राहत पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन शायद जवानी की गर्मी की आंखें मौसमी बारिश की ठंडक कमजोर पड़ती नजर आ रही थी,,,, ऐसे खुशनुमा मौसम में भी दोनों मां-बेटे एकदम गरम हो चुके थे,,, हाथ में तेल की कटोरी लिए हुए रघु बोला,,,।


कहां दर्द कर रहा है मां,,,,,


अरे यही कमर बहुत ज्यादा दर्द कर रही है दर्द तो पूरा बदन ही कर रहा है लेकिन कमर कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही हैं,,,(हल्की दर्द से भरी हुई कराह के साथ वह बोली)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां मेरा हाथ लगते ही दर्द दूर हो जाएगा,,,,,

काश ऐसा ही हो,,,,


ऐसा ही होगा बस तुम देखती जाओ,,,(इतना कहने के साथ ही रघु कटोरी के तेल की धार अपनी मां की कमर पर गिराने लगा,,, तेल की तेज धार कजरी को अपनी कमर पर साफ तौर पर महसूस हो रही थी,,, तेल के गिराने के बाद रघु तेल की कटोरी को खटिए के नीचे रखकर अपने दोनों हाथ को एक साथ अपनी मां की कमर के इर्द-गिर्द रख दिया,,, मांसल कमर जैसे ही रघु के दोनों हाथों में समाई रघु की हालत एकदम से खराब हो गई अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके तन बदन में अद्भुत सुख का अहसास होने लगा पहली बार वह इस तरह से अपनी मां की कमर को पकड़ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मां की कमर दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को उसकी बुर में डालने जा रहा है,,,, रघु इस अद्भुत पल के एहसास में पूरी तरह से डूबने लगा और गहरी सांस लेने लगा,,,, कजरी की भी यही हालत थी पहली बार बरसों के बाद फिर मर्दाना हाथ उसकी कमर को पकड़े हुए थे और वह भी खुद का बेटा ही कजरी के तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी कजरी की गर्म सांसे माहौल को और गर्म करने लगी,,,,, रघु लंबी आह भरते हुए अपनी मां की कमर पर गिरे हुए तेल को हथेली से इधर-उधर फैलाते हुए मालिश करने लगा,,,, गजब का एहसास से भरा हुआ यह पल दोनों मां बेटे पूरी तरह से जी लेना चाहते थे,,,।

रघु धड़कते दिल के साथ अपनी मां की चिकनी कमर पर मालिश करना शुरू कर दिया था,,,, उसकी हथेली और ऊंगलीया बराबर कमर पर गर्दिश कर रही थी,,,,,, रघु ऊतेजना के मारे,,,, अपनी हथेलियों का दबावअपनी मां की कमर पर बढ़ा दे रहा था जिससे उसकी मां भी उत्तेजित हो जाती थी पहली बार अपने कमर पर मर्दाना हथेलियों का एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर दे रहा था मदहोशी का असर उसकी दोनों टांगों के बीच की उस बेशकीमती खजाने पर पड़ रही थी,,, जिसके चलते कजरी खुद मां बेटे की बीच की पवित्र रिश्ते की दीवार को गिराने पर आतुर हो चुकी थी,,,, कमर पर मालिश करते हुए भी रघु की नजर और ध्यान दोनों अपनी मां की गोलाकार बड़ी-बड़ी गांड पर केंद्रित थी,,, जो कि इस समय पेटीकोट नुमा पर्दे में कैद थी,,,वैसे भी जमाने का दस्तूर यही है कि जो चीज कीमती होती है उसे हमेशा परदे में ही रखा जाता है चाहे वो खजाना हो या नारी,,,,।

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रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था पजामे में पूरी तरह से बवंडर सा उठ रहा था,,। वह अपनी मां की गांड को अपने हाथों से दबाते हुए उसकी मालिश करना चाहता था,,, लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,अपनी उत्तेजना पर वह बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए वह अपनी उंगलियों को धीरे धीरे ऊपर की तरफ जब ले जाता तो पेटिकोट की किनारी से अंदर सरका देता,,, और नीचे की तरफ लाता तो पेटिकोट की किनारी से अपनी ऊंगलियों को अंदर सरकार देता जिससे उसे अपनी मां के नितंबो के उठाव का अहसास होने लगता था,,,, ज्यादा कुछ ना करते हुए भी इतने से ही रघु को बेहद उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,,,,, रह रह कर वह अपनी मां की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबा देता था मानो कि जैसे वह अपनी मां के साथ संभोग का वह उत्तेजना भरा पल महसूस कर रहा हो जिससे रघु कि ईस तरह की हरकत से कजरी के तन बदन में मीठा सा दर्द उठने लगता था और उसके मुंह से हल्की कराह भरी आह निकल जाती थी,,,,कजरी को इस बात का आभास तक नहीं था कि अपने बेटे से मालिश करवाने में उसे इतना ज्यादा आनंद आएगा,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,(रघु अपनी मां की कमर पर हथेली से दबाव देते हुए बोला,,,)

आहहहहह,,,,बहुत अच्छा लग रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तू इतनी अच्छी मालिश कर सकता है,,,,

मैं बहुत कुछ कर सकता हूं मां बस एक बार मौका दे कर देखो,,,,(रघु का इशारा दूसरी तरफ था जो कि उसकी मां उसके इशारे को अच्छी तरह से समझ रही थी)


और क्या क्या कर सकता है तू,,,,


वह सब काम कर सकता हूं जो एक मर्द को करना चाहिए,,,,(इस बार थोड़ा जोर से अपनी मां की कमर को हथेली में दबाते हुए बोला,,, अपनी बेटे की बातें सुनकर कजरी को मजा आ रहा था क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में कह रहा है,,,,)


मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है तु सब कुछ कर सकता है,,,, समय आने पर तुझे वह सब करना पड़ेगा जो एक मर्द को करना चाहिए,,, अभी बस मालिश करके मेरे दर्द को दूर कर,,,,
(रखो अपनी मां के मुंह से कुछ और सुनना चाहता था लेकिन उसकी मां बात को बदल दी थी,,,)

अब कहां ज्यादा दर्द कर रहा है मां,,,,


यहां पीठ के ऊपरी भाग पर,,,(अपने हाथ को पीछे लाकर अपनी पीठ की तरफ उंगली करते हुए बोली,,, कजरी जानबूझकर अपनी पीठ की तरफ इशारा कर रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरफ उसका बेटा अच्छी तरह से मालिश नहीं कर पाएगा क्योंकि वह ब्लाउज पहनी हुई थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघु बोला,,)


ठीक है मैं अभी दर्द दूर कर देता हूं,,,,,(रघु भी यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां जिस जगह पर मालिश करने के लिए बोल रही है बिना ब्लाउज उतारे उस जगह की मालिश वह नहीं कर पाएगा,,,,,,अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था वह अपनी मां से ब्लाउज उतारने वाली बात कैसे कहे,,, वह इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था,,, बादलों की गड़गड़ाहट एकाएक बढ़ जा रही थी जिससे कजरी उसकी आवाज से चौक जाती थी बाहर तूफानी बारिश हो रही थी,,,, ऐसे में पूरा गांव नींद की आगोश में चला गया था लेकिन कजरी और रघु दोनों आस लगाए धीरे-धीरे अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे,,, कुछ देर तक उसी तरह से बैठे रहने पर कजरी बोली,,,)


क्या हुआ,,,, नहीं हो पाएगा क्या,,,,(कजरी की बात सुनकर रघु को ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी मां उसे उकसा रही है इसलिए रघु बोला,,,)


होगा कैसे नहीं,,,,,जो काम में एक बार हाथ में ले लेता हूं तो उसे पूरा किए बिना नहीं छोड़ता लेकिन इसमें एक दिक्कत है,,,,,


कैसी दिक्कत,,,,?


बिना ब्लाउज उतारे मालिश नहीं हो पाएगी,,,(रघु अपने मन की बात बोल दिया,,,केसरिया अपने बेटे की यह बात सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)


फिर,,,,,


फिर क्या अपने ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज उतारो,,,,
(इस तरह की बात करने मात्र से रघु की हालत एकदम से खराब होने लगी वह इतने ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मानो जैसे कि वह अपनी मां के साथ संभोग कर रहा हो और अपने बेटे की इस तरह की खुली बातें सुनकर कजरी की भी हालत खराब हो गई मानो कि जैसे वह उसके कपड़े उतारने के लिए बोल कर उसके साथ संभोग करना चाहता हो,,,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,, क्योंकि वह भी आतुर थी अपने बेटे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज ऊतारने के लिए,,,,, इसलिए गहरी सांस ली और उठते हुए बोली,,,)

रुक जा उतारती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह धीरे से उठी,, और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, उसकी पीट रघु की तरफ थी,,, रघु चोर नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी मां धीरे-धीरे अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए अपनी खूबसूरत खजाने को उजागर करने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,कजरी एक-एक करके धड़कते दिल के साथ अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और बड़े ही कामुक नजरों से रघु अपनी मां की हरकत देख रहा था हालांकि वह आगे से सरकार को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसे अपनी मां के दोनों हाथों की हरकते साफ पता चल रहा था कि वह कब अपनी ब्लाउज का कौन सा बटन खोल रही है,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने हाथों से अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे उतारने लगी ब्लाउज को उतारते समय रघु की नजर जो भी हल्की सी नजर आ रहे हैं कजरी की चूची पर पड़ गई और उस मदहोश कर देने वाली रस से भरी हुई दशहरी आम की झलक भर देख कर रघु का लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया,,,,रघु का मन बहुत कर रहा था कि वहां से बढ़कर अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में भरकर लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें अभी नहीं थी,,, देखते ही देखते कजरी अपना ब्लाउज उतार कर अपने सिरहाने रख ली कमर के ऊपर सेवा पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी हालांकि पूरी तरह से अभी रघु अपनी मां के दशहरी आम को नहीं देख पा रहा था लेकिन उसके मन की लालच बढ़ती जा रही थी,,।
कजरी जानती कि किस तरह से उसका बेटा उसके दोनों चुचियों को नहीं देख पा रहा है और उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही है लेकिन यही वह चाहती थी वह धीरे-धीरे अपने बेटे मे अपनी खूबसूरत बदन की मदहोशी भर देना चाहती थी,,, वह उसी तरह से लेट गई और बोली,,,)

अब ठीक है ना,,,,


हां मां अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से तेल से भरी कटोरी को उठा लिया और उसकी धार को अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ गिराने लगा,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी,,, लोगों की आंखों के सामने उसकी मां अधनंगी लेटी हुई थी,,, अपनी मां की खूबसूरत जिस्म की बनावट देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,,,वह अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर अपनी दोनों हथेलियां ऊपर से नीचे घुमाना शुरू कर दिया,,,, लेकिन इस तरह से बैठे होने की वजह से,,, वो ठीक तरह से अपनी मां की मालिश नहीं कर पा रहा था,,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।


मैं जिस तरह से बैठा हूं उस तरह से ठीक तरह से मालिश नहीं हो पा रही है तुम कहो तो,,,(इतना कहकर वो खामोश हो गया कजरी को बहुत मजा आ रहा था बरसात की तूफानी रात में वह पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए वह अपने बेटे से बोली)

तुझे जैसा ठीक लगता है वैसा कर मुझे बस इस दर्द से निजात दिला,,,,
(फिर क्या था रघु पेटीकोट में कैसे अपनी मां की उभरी हुई गांड को देखकर,, अपनी एक टांग अपनी मां की गांड के उस पार ले जाते हुए घुटनों के बल बैठ गया अब उसके दोनों घुटने कजरी की गांड के इर्द-गिर्द थे,,,ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह अपनी मां की गांड पर सवार हो चुका हो कजरी को भी अपने बेटे की इस हरकत का आभास पूरी तरह से हो गया तो वह पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगी,, अब वह अपनी मां की पीठ की तरफ आ कर चुप कर दोनों हाथों से अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर दबाव देते हुए उसकी मालिश करना शुरू कर दिया,,, इस तरह से कजरी को भी बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी वह एक तरह से अपनी मां के जिस्म से खेल रहा था जिसमें कजरी को भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,, रघु जिस तरह से बैठा हुआ था उस तरह से उसकी मां की बड़ी बड़ी उभरी हुई गांड उसकी दोनों टांगों के ऊपरी सतह पर स्पर्श हो रही थी जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक वह अपनी मां के पीठ की मालिश करता रहा,,, और अपनी मां से बोला,,,।


अब बोलो कैसा लग रहा है,,,,


बहुत अच्छा बेटा बहुत अच्छा,,,,, मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तू मालिश करने में इतना माहीर है,,,,
(कजरी एकदम से उन्मादीत स्वर में बोली,,, अपनी मां की संतुष्टि भरी बातें सुनकर रघु को भी संतुष्टि मिल रही थी इसलिए वह बोला,,,,)


रुको मा तुम्हारी टांगों की भी मालिश कर दु,,, खेतों में चल चल कर दुखने लगे होंगे,,,


हां तु सच कह रहा है,,, मेरे पैरों में भी दर्द हो रहा है,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां टांगो के दर्द को भी दूर कर दूंगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां के पैरों की तरफ आ गया हालांकि बार-बार अपनी मां की गांड का हो रहा स्पर्श उसके तन बदन में उत्तेजना की आग और ज्यादा भढका चुका था,,, वह अपनी मां के पैरों के लग आकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ करने लगा अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी पूरी तरह से सिहर उठी उसे लगने लगा था कि जैसे उसका बेटा उसकी सारी को कमर तक उठा देगा लेकिन उसकी धारणा गलत साबित हुई वह अपनी मां की साड़ी को केवल घुटनों तक लाकर उसी तरह से रोक दिया,,,,, अपनी मां की गोरी गोरी मांसल पिंडलियों को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी,,, उसके पजामे में गदर मचा हुआ था,,, उत्तेजना की पराकाष्ठा क्या होती है यह ना तो रघु जानता था और ना ही कजरी दोनों केवल मजा ले रहे थे दोनों अपने-अपने नाजुक और कठोर अंगों में उत्तेजना के बवंडर को अच्छी तरह से महसूस कर रहे थे,,,,

अपनी हथेली में सरसों का तेल गिरा कर वह अपनी मां की पिंडलियों को दोनों हाथों से मालिश करने लगा बारी-बारी से वह अपनी मां की टांग पर मालिश करते हुए उसके पैरों को दबा रहा था,,,, कजरी अद्भुत सुख के एहसास से भर्ती चली जा रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि मात्र मालिश करने में इतना अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की अनुभूति उसके होगी वह पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,उसका मन कर रहा था कि यह मालिश वालिश का बहाना छोड़ कर सीधे अपने बेटे को अपने ऊपर चढ़ा ले और उसके लंड को अपनी बुर में लेकर चुदाई का अद्भुत सुख भोग ले,,,, लेकिन नहीं सीधे-सीधे अपने बेटे को चोदने के लिए नहीं बोल सकती थी लेकिन फिर भी उसे जो वह कर रहे थे इसमें बहुत मजा आ रहा था वह जानती थी कि रास्ता भले ही टेढ़ा मेढ़ा चल रहा हो लेकिन मंजिल तक पहुंचेगी जरूर,,, इसी उम्मीद से वह अपने बेटे की हर हरकत का आनंद ले रही थी,,,,

रघु की सांसे बहक रही थी अपनी मां की पिंडलियों की मालिश करते हुए वह अपने दोनों हथेलियों को पिंडलियों के ऊपर की तरफ ले जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेली ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी की सांसे बहकती चली जा रही थी ,,,रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की गर्म जवानी का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,,, देखते ही देखते रघु अपनी दोनों हथेलियों को,,, अपनी मां की जांघों तक लेकर चला गया,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे रघु उसके साथ मनमानी कर रहा हो,, और कजरी उसे अपने बदन से मनमानी कर देने की इजाजत दे दी हो,,,,

आसमान में बादल का गरजना अभी भी चालू था यह बरसात की रात दोनों मां-बेटे के बीच एक नए रिश्ते को जन्म देने वाली थी,,,, ना तो कजरी अपने बेटे को आगे बढ़ने से रोक रहीं थी और ना ही रघु रुकना चाहता था,,, शायद इस समय हालात और बदन की जरूरत ही यहीं थी,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित अब वह मालिश करने की जगह उत्तेजना के चलते अपनी मां की मोटी मोटी जांघों को हथेली में भरकर दबा दे रहा था जिससे कजरी के तन बदन में सिरहन सी दौड़ जा रही थी,,, कजरी पेट के बल लेटी हुई थी,,, उसकी गदराई गांड रघु की आंखों के सामने थी जिसे देख कर रघु के मन में लालच उठ रही थी,,,,उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था और वह बार-बार अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रहा था,,,,, रघु मालिश करने की जगह अपनी मां की जांघों को सहलाने लगा,,,, जिस जगह पर उसकी हथेलियां घूम रही थी वहां से उसकी उंगलियां कजरी के नितंबों के उभार के ऊपर थिरकन कर रही थी,,,रघु को इस बात का आभास था कि उसकी उंगली उसकी मां की गांड के ऊभरे हुए भाग के शुरुआत पर टिकी हुई थी,,,,,,,रघु इस हद से आगे गुजर जाना चाहता था लेकिन इससे पहले अपनी मां की सहमति जानना उसके लिए बेहद जरूरी था वैसे तो उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी मां उसे पूरी तरह से खुला निमंत्रण दे चुकी है अपनी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए लेकिन फिर भी वह अपनी मां की हमी चाहता था,,,, इसलिए वह अपनी मां की जांघों को सगलाते हुए बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है मां,,,?



आहहह,,,,, बहुत अच्छा बेटा बहुत ही अच्छा तेरे हाथों में तो जादू है तेरा हाथ रखते मेरे बदन से दर्द दूर होता चला जा रहा है जहां जहां तेरा हाथ लग रहा है वहां दर्द का नामोनिशान नहीं,, है,,,आहहहहह,,, बस ऐसे ही ऐसे ही मालिश करता रहे मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,
(कजरी एकदम मादक स्वर में बोली,,, रघु अपनी मां की मादक स्वर को अच्छी तरह से पहचान रहा था क्योंकि इस तरह की बात अक्सर को वह पहले भी कई बार सुन चुका था पहली बार हलवाई की बीवी के साथ उसे इस तरह की आवाज के बारे में ज्ञात हुआ और धीरे-धीरे जितनी भी औरतों के संगत में होगा आता क्या सबके साथ ऐसे कामुक छाया में औरतों की आवाज की क्या स्थिति होती है भाई भली-भांति जाने लगा इसलिए उसे पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी है अब वह कुछ भी करेगा उसकी मां कुछ नहीं बोलेगी वैसे भी अपनी मां की तरफ से संतुष्टि भरे आदेश को प्राप्त कर चुका था इसलिए रघु एक पल भी देखना लगाते हुए अपनी उंगलियों को दोनों जांघों के बीच ले जाने लगा जैसे जैसे उसकी उंगली आगे बढ़ने की वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसकी उंगली किस दिशा में आगे बढ़ रही है और देखते ही देखते रघु को अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर के रेसमी बालों का एहसास होने लगा और ऐसा होते ही रघु के खड़े लंड से मादक तरल पदार्थ नीचे चु गया,,, यह साफ तौर पर अपनी मां की मदद से जवानी के आगे घुटने टेक देने का आगाज़ था रघु को इस बात का डर था कि उसका उसकी मां की बुर में गए बिना ही कहीं पानी ना छोड़ दे,,,,लेकिन रघु इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था और बात अच्छी तरह से जानता था कि जितनी भी औरतों के साथ हो चुदाई का शुभ हो चुका है उनकी जवानी से कह चुका है उन सब में सबसे अद्भुत और बेहद कमनीय काया की मालकिन उसकी मां थी,,,,, वो जानता था कि उसकी मां की गांड को साड़ी में देखने के बावजूद भी कितने लोगों का पानी निकल जाता है अगर वह किसी के सामने अगर अपने वस्त्र उतारकर नंगी हो जाए तो भी सामने वाला चोदे बिना ही अपने घुटने टेक देगा,,, लेकिन यह रघु की सूझबूझ और इसकी मर्दाना ताकत का असर ही था कि अब तक वह अपनी मां के खूबसूरत बदन से खेलने के बावजूद भी,,टिका हुआ था उसके लिए पानी नहीं छोड़ा था हालांकि कई बार वहां अपने आप को कमजोर होता है मैं सोच कर चुका था लेकिन हिम्मत नहीं आ रहा था अपनी मां की खूबसूरत सेनानी को पूरी तरह से संतुष्ट कर देना चाहता था ना कि अपनी मां को संतुष्ट किए बिना ढेर होना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां उससे बहुत ज्यादा उम्मीद लगाए हुए है और वह अपनी मां की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहता था,,, इसलिए जैसे ही उसे अपनी मां की बुर के ऊपर उगे हुए रेशमी बालों का एहसास अपनी उंगलियों पर हुआ वह पूरी तरह से सचेत हो गया क्योंकि वह बेहद नाजुक घड़ी थी,,, इसी पल मेंबहुत से लोग अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाती और पानी छोड़ देते हैं इसलिए रघु अपने आप को पूरी तरह से संभाल चुका था लेकिन कजरी ऐसे नाजुक मौके पर पूरी तरह से बहक गई थीक्योंकि उसे साफ तौर पर महसूस हो रहा था कि उसके बुर के बाल उसके बेटे की उंगली से ही स्पर्श हो रहे हैं और इसी उत्तेजना के चलते अपने मन पर काबू नहीं कर पाई और उसकी बुर पानी छोड़ दी,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,, रघु को अपनी उंगलियों पर अपनी मां के मदन रस का फुहार पडता हुआ महसूस हुआ,,, और उसकी गहरी चल रही सांसो को देखकर रघु को समझते देर नहीं लगी कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां की बुर ने पानी छोड़ दि है,,, रघु की भी हालत एकदम से खराब हो गई उसे अपना लंड फटने की स्थिति में महसूस होने लगा,,,
अद्भुत और अवर्णनीय दृश्य कमरे के अंदर का होता जा रहा था बाहर का माहौल पूरी तूफानी बारिश से झूम रहा था तेज ठंडी हवाएं सरररररर सररररररर करके वातावरण को और भी ज्यादा ठंडा बना रही थी लेकिन कमरे के अंदर का दृश्य और वातावरण पूरी तरह से गर्म था,,, रघू अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी से खेल रहा था,,,,,,, रघु की भी सांसें उखड़ रही थी अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी को पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहता था कजरी भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी मालिश नहीं कर रहा है बल्कि उसके बदन से खेल रहा है,,, और उसे भी इस खेल में मजा आ रहा था,,,,
रघु अभी तक अपनी उंगलियों को अपने हाथ को अपनी मां की जांघों के बीच में से बाहर नहीं खींचा था उसे तो मजा आ रहा था वह अपनी उंगली को गोल गोल घुमा रहा था अपनी मां के रेशमी बालों के इर्द-गिर्द हालांकि अभी तक वह अपनी उंगली से अपनी मां की बुर को स्पर्श तक नहीं किया था,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसे अपनी उंगली पर महसूस हो रही थी,,,,, अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को वह अच्छी तरह से महसूस कर रहा था,,,, वह ईस खेल में और आगे बढ़ना चाहता था,,, पेटिकोट जागो तक चढ़ी हुई थी,,, पेटिकोट के अंदर रघू का हाथ था,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मां की बुर को अपनी उंगली से स्पर्श करना चाहता था उसे छूना चाहता लेकिन ना जाने क्यों वह रुका हुआ था शायद वह इससे आगे बढ़ने से पहले अपनी मां की ईच्छा जान लेना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है ना,,,(गहरी सांस लेते हुए वह बोला,,,अपने बेटे की यह बात सुनकर कचरी को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सवाल का जवाब दे कि नहीं क्योंकि उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन जवाब देने में उसे शर्म आ रही थी लेकिन फिर भी उसे कुछ तो बोलना था और वैसे भी उसकी इच्छा आगे बढ़ने को कर रही थी वह यही अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा इसे आगे बढ़कर कोई और हरकत करें इसलिए वह मादक स्वर में बोली,,,)


सससहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,, बहुत राहत मिल रही है बेटा तेरी इस तरह की मालिस तो मेरे बदन के सारे दर्द को दूर कर देगी,,,


तो क्या रहने दो या और करु मालिश,,,,,(अपनी मां की इच्छा जानने का रघु के पास इससे अच्छा और कोई सवाल नहीं था,,,)

करता रहे बेटा,,, ऐसे ही करता रे,,, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,, मालिश करना बंद मत करना तेरे हाथों में जादू है,,,
(अपनी मां की तरह की बातें सुनकर रघु खुश होता हुआ बोला)



ठीक है मां,,,,आज भी तुम्हारा सारा दुख सारी तकलीफ दूर कर दूंगा अब देखो मेरे हाथ का कमाल,,,,
(ऐसा कहते हुए रघु उसी तरह से अपनी उंगली को अपनी मां की बुर के बाल पर घुमाता रहा,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी सिरहन दौड़ जा रही थी बार-बार वह सोच रही थी कि अब उसका बेटा अपनी उंगली उसकी बुर में छुआएगा,,,, लेकिन रघु अपनी मां को और ज्यादा तड़पाना चाहता था इसलिए वह अपनी उंगली को कजरी की बुर से स्पर्श नहीं कर रहा था बस उसके इर्द-गिर्द ले जाकर वापस खींच ले रहा था कजरी की बुर बहुत पानी छोड़ रही थी इतना तो वह जवानी के दिनों में नहीं छोड़ती थी,,,, अपनी मां के तरफ से पूरी तरह से स्वीकृति पाते ही रघु को मनमानी करने का पूरा अधिकार मिल गया था इसलिए वह,,,,,, दोनों हाथ बाहर निकाल कर अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ सरका ने लगे अपने बेटे की इस हरकत पर कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि मैं जानती थी कि आप उसका बेटा उसकी गांड को एकदम नंगी कर देगा और ऐसा ही हुआ रघू धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी ऊपर की तरफ उठाने लगा जैसे जैसे रघू की आंखों के सामने कजरी की मदमस्त गांड का उभार नजर आता जा रहा था वैसे वैसे रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, कजरी की शाडी उसके नितंबों के आधे तक ही आई थी कि उसकी जांघों के नीचे दबी हुई साड़ी ऊपर की तरफ नहीं हो पा रही थी यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से पता थी,,, कजरी चाहती तो थोड़ा सा अपनी जांघों को ऊपर की तरफ करकेसाड़ी कमर तक उठाने में रघु का सहयोग कर सकती थी लेकिन ना जाने क्यों उसे इस समय एकदम शर्म आ रही थी ,,वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार शर्म आती क्यों नहीं उसका बेटा जो उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी कर रहा था,,,।
लेकिन रघू के लिए पर्याप्त था,,, रघुअपनी मां को यह जताना चाहता था कि वह उसकी मालिश करने के लिए ही उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, इसलिए कटोरी उठाकर उसकी तेजधार को अपनी मां की गांड के बीचो बीच उसकी फांकों पर गिराने लगा,,,कजरी की हालत खराब होती जा रही थी अपने बेटे की हरकत से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी शर्म के मारे और उत्तेजना के मारे उसके गोरे गोरे गाल टमाटर की तरह लाल हो चुके थे रघु ढेर सारा तेल उसकी गांड पर गिरा कर कटोरी को नीचे रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी गांड की मालिश करना शुरू कर दिया ढेर सारा तेल की गांड की दरार से होता हुआ उसकी बुर की गुलाबी फांको के बीचो-बीच इकट्ठा हो रही थी,,, जोकि रघु के लिए ही राहत वाली बात थी इससे तेल की चिकनाहट पाकर रघु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में जा सकता था,,,
अपने बेटे के मजबूत हथेलियों को अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस करते ही कजरी के तन बदन में आग लग गई,,,वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसकी मालिश करेगा और इस तरह से करेगा कि वह पानी पानी हो जाएगी,,, रघु की हालत खराब थी वह अपनी मां की मोटी मोटी जांघों के इर्द-गिर्द अपना घुटना टीका कर एक तरह से अपनी मां के ऊपर बैठकर उसकी मालिश कर रहा था बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेलियों में जितना हो सकता था उतना लेकर वह जोर-जोर से दबाते हुए मालिश कर रहा था उत्तेजना के मारे रघु के भी गाल लाल हो चुकी थी,,,,,,रघु ने अब तक जितनी भी औरतों के साथ समय गुजारा था उन सब में सबसे ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का एहसास उसे अपनी मां के साथ आ रहा था बार-बार उसे ऐसा लग रहा था कि उसका लंड पानी फेंक देगा,,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी मर्दाना ताकत के केंद्र बिंदु को संभाले हुए था,,,,,,

वातावरण और भी ज्यादा तूफानी होता जा रहा था बाहर और तेज हवाएं चल रही थी तूफान आ रहा था बरसात अपने जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण रह रह कर भयानक हो जा रहा था,,,, पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां बेटे की आंखों से नींद कोसों दूर थी,,। दोनों के दिल की धड़कन बहक रही थी,, सांसो का उतार-चढ़ाव जारी था,,। ऐसे में रघू अपनी मंजिल पाने के लिए टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजर रहा था जिसमें उसे मजा भी आ रहा था वह बार-बार अपनी मां की गांव की दोनों आंखों को अपने दोनों हथेली में भरकर एक दूसरे से जुदा करते हुए जोर जोर से मालिश कर रहा था,,,, कजरी अत्यधिक उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी,,,, बार-बार उसकी बुर पानी पी रही थी वह खुद हैरान थी कि उसकी बुर में कितना पानी है इतना तो वह पेशाब करते समय पानी नहीं छोड़ती थी जितना कि मदहोश होकर छोड़ रही थी,,,
रघु का लंड बवाल मचाने को तैयार था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे अपने काम की चीज की खुशबू मिल गई हो और उस खुशबू के अंदर समा जाने के लिए पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,,, लेकिन किसी तरह से रघू संभाले हुए था,,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था बाहर इतनी तेज हवा चल रही थी कि हवा के झोंके से अंदर वाले कमरे का पर्दा लहरा उठता था,,, लेकिन ऐसी तूफानी बारिश में किसी भी कभी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था दोनों पूरी तरह से मुक्त थे क्योंकि शालू अपने ससुराल में थी और इस समय पूरे घर में केवल रघू और उसकी मां ही थी,,,, कजरी अपने मन में इस बात के लिए बार-बार धन्यवाद दे रही थी कि इस समय शालू घर पर नहीं थी वरना इस तरह का अनमोल मदहोशी से भरा हुआ पल वह नहीं गुजर पाती,,,,

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था और आगे चलने को मचल रहा था इसलिए रघु इस बार अपनी वाली को मालिश करने के बहाने अपनी मां की गांड की दोनों फांकों के बीच की गहरी दरार में उंगली डालकर ऊपर से नीचे तक मालिश करने की मन में ठान लिया,,, पर मालिश करते हुए वह गांड की गहरी दरार में अपनी उंगली डालकर नीचे की तरफ लाने लगा,,, कजरी की संपूर्ण गांड सरसों के तेल से डूबी हुई थी इसलिए बड़े आराम से रघु की उंगली दरार में फिसल रही थी जैसे ही रघु की बीच वाली उंगली कजरी के गांड के भूरे रंग के छेद के ऊपर पहुंची,,, कजरी के संपूर्ण बदन में सिरहन सी दौड़ गई,,, रघु को गांड की गहराई कुछ ज्यादा ही थीइसलिए उसे अपनी मां की गांड का छेद तो दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास पूरी तरह से था कि जिस जगह पर वह अपनी उंगली रखे हुए हैं वह उसकी मां की गांड का छेद इस बात से इस अहसास से रघु की पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह अपनी उंगली को अपनी मां की गांड के छेद से हटा नहीं रहा था वह अपनी मां की गांड के छेद में उंगली डालना चाहता था इसलिए अपनी उंगली का दबाव अपनी मां की गांड के छोटे से छेद पर बढ़ाने लगा,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से कजरी पूरी तरह से पानी पानी हो रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी गांड के छेद में रहना चाहता है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, ना चाहते हुए भी उसके कमर के नीचे वाले भाग में कसमस आहट होने लगी तो रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ ला दिया,,, और गांड के छेद के ठीक नीचे उत्तेजना का केंद्रीय बिंदु थी कजरी की बुर रघु पूरी तरह से मचल उठा जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली अपनी मां की बुर पर स्पर्श हुई,,,,,,, वैसे ही रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी और एक बार और अपनी बेटी की उंगली का स्पर्श अपनी बुर पर महसूस होते ही कश्मीर की दूर अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाई और फिर से पानी की पिचकारी फेंक दी,,,, जिंदगी में पहली बार कजरी की बुर बार-बार पानी फेंक रही थी,,, अपनी मां के भजन रस की पिचकारी उसे अपनी उंगली पर महसूस हुई थी और वह तुरंत अपनी उंगली को थोड़ा सा और ज्यादा दबाव देते हुए अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच रगड़ने लगा,,,, कजरी के लिए यह उत्तेजना असहनीय था ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।

सससहहहहह,,,, आहहहहहहह,,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रहे गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही रघु बोला)


क्या हुआ मां अब कैसा लग रहा है,,,,,(अपनी मां की बुर की पतली दरार को अपनी उंगली से रगडते हुए बोला,,,,)


बहुत मजा आ रहा है,,,,(इस बार उत्तेजित अवस्था में अच्छा लगने की जगह से मजा आ रहा है निकल गया था,,, मजा शब्द अपनी मां के मुंह से सुनते ही रघु के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगी उसकी हरकत से उसकी मां पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी क्योंकि वह मालिश का नहीं बल्कि काम क्रीड़ा का आनंद ले रही थी,,,, लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी लेकिन मोटी मोटी जांघों की गहराई के बीच छिपी हुई गुलाबी छेद तक लालटेन की पीली रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए रघु को अपनी मां की बुर देखने में दिक्कत हो रही थी ऐसा नहीं था कि वह बुरके दर्शन ना किया हो,,, उसने ना जाने कितनी औरतों की बुर के दर्शन कर चुके थे,,, और खेतों में पेशाब करते हुए अपनी मां की बुर की भी दर्शन कर चुका था लेकिन नजदीक से देखने का मौका नहीं मिला था आज उसके पास पूरा मौका था अपनी मां की बुर को एकदम नजदीक से देखने के लिए लेकिन लालटेन की रोशनी उसकी बुर के करीब पहुंच नहीं पा रही थी,,,, इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी मां की जांघों के बीच से खींचता हुआ अपनी बीच वाली उंगली को अपनी नाक के पास जाकर उसकी मदहोश कर देने वाली खुशबू को पूरी तरह से अपने अंदर खींच लिया जिससे उसकी उत्तेजना में चार चांद लग गया पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और अपनी मां से बोला,,,,,।


पीठ के बल हो जाओ मा आगे से भी अच्छी तरह से मालिश कर दुं,,,,(अपनी बहकती हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए बोला,,,, अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी को शर्म आने लगी हालांकि वह भी अच्छी तरह से अपनी बुर को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस ना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों इस समय उसे शर्म आ रही थी,,,, कुछ देर तक तो ऐसा लगा कि जैसे वह तेरे को की बातें सुन ही नहीं पाई तो रघु फिर से बोला,,,)

क्या हुआ पीठ के बल घूम जाओ ना,,,,


मुझे शर्म आती है,,,,


इसमें कौन सी शर्म,,,, मालिश ही तो करना है,,,, और मैं तुमसे वादा कर चुका हूं कि आज तुम्हारे बदन का पूरा दर्द निकाल दूंगा,,,,


लेकिन फिर भी तेरी आंखों के सामने नंगी,,,,,,, मुझे शर्म आती है,,,।


शरमाओ मत मा वैसे भी यहां पर हम दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं है,,,,,, इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं है,,, वैसे भी तो मैं तुम्हारी गांड की मालिश कर ही चुका हूं,,,
( रघु जानबूझकर अपनी मां के सामने गांड शब्द का प्रयोग करते हुए बोला क्योंकि वह धीरे-धीरे खोलना चाहता था और अपनी मां को भी संपूर्ण रूप से मुक्त करना चाहता था ताकि वह शर्म के बंधन से मुक्त हो चुके,,,, और अंदर ही अंदर कजरी भी यही चाहती थी इस बात का आभास उसे अच्छी तरह से था की शर्म के बंधन को तोड़कर ही जीवन का असली मजा ले सकती है,,। अपने बेटे की बातें सुनकर हुआ कुछ देर तक सोचती रही उसके अंदर उत्तेजना का बवंडर उठ रहा था जिस पर उसका काबू बिल्कुल भी नहीं था,,,,,,, बाहर हो रही तेज बारिश की आवाज उसके तन बदन में उत्तेजना की निरंतर वृद्धि कर रहे थे उसके संपूर्ण बदन में मदहोशी छाई हुई थी,,, सांसों की गति बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जो उसका बेटा कह रहा है ऐसा करने पर उसके बदन का हर एक हिस्सा उसके बेटे की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो जाएगा,,, कजरी यह सोच सोच के सिहर उठ रही थी किपीठ के बल हो जाने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और उसकी सबसे बेशकीमती खजाना उसकी बुर उसके बेटे के सामने एकदम नंगी हो जाएगी,,,,उसके तन बदन में अजीब सी उत्सुकता बढ़ने लगी थी कुछ समय बीतने के बाद रघु फिर से बोला,,,,)


क्या सोच रही हो मां लगता है तुम्हें मालिश नहीं करवाना है,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं लेकिन उसकी आंखों के सामने ही करवट बदलने लगी उसकी हालत खराब हो रही थी और रघु के दिल में हलचल बढ़ने लगी थी देखते ही देखते कजरी शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद करके पीठ के बल लेट गई,,,, और उसके इस तरह से लेटने से रघु की उत्तेजना में एकाएत वृद्धि हो गई,,, अपनी मां की नंगी चूचियां देखकर उसकी आंखों की चमक बढ़ गई,,,,उसकी नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पड़ गई जिस पर झांटों का झुरमुट ऊगा हुआ था,, उसे देखते ही रघु के लंड ने अपनी मां की जवानी को सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,,,,रघु की सांसों की गति पर रघू का बिल्कुल भी काबू नहीं था वह पूरी तरह से बहक चुकी थी,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की नंगे बदन के कौन से अंग को देखकर पूरी तरह से संतुष्ट हो जाए क्योंकि कचरी की खूबसूरती बेमिसाल है और रघु अपनी मां की खूबसूरती को अच्छी तरह से पहचानता था लेकिन आज पहली बार अपनी आंखों के सामने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था हालांकि कमर के इर्द गिर्द अभी भी पेटीकोट लिपटी हुई थी,, लेकिन वह सब कुछ साफ नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, वह अपने नजरों को दूसरी तरफ पैर कर उस पर अपना हाथ रख ली थी इस अवस्था में अपनी बेटे के सामने पूरी तरह से शर्मा रही थी,,,,,, सांसो के उतार-चढ़ाव के साथ साथ उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लहरा रही थी,,,,,, रघु की आंखें फटी की फटी रह गई थी बार बार उसकी नजर कभी अपनी मां की चूचियों पर तो कभी उसकी मद भरी रसीली बुर पर चली जा रही थी,,,,
रघु को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की बुर कचोरी की तरह फूल चुकी थी,,, उसका मन बार-बार अपनी मां की बुर को हथेली में भरकर दबाने को कर रहा था उसमें जीभ डालकर उसके मदन रस को चाटने का मन कर रहा था,,,,
बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी,,, बारिश का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था चारों तरफ पानी पानी हो गया था तेज चलती तूफानी हवा अंदर के कमरे के परदे को भी झकझोर कर रख दे रही थी कमरे में तूफानी हवा अपनी ठंडक को बिखेर रही थी लेकिन कजरी की मदमस्त गरमा गरम जवानी के आगे पल भर में घुटने टेक दे रही थी क्योंकि ऐसे मौसम में भी कजरी और रघु दोनों के माथे से पसीने की बूंदे उपस रही थी,,, जो की गवाही दे रही थी कि औरत की गर्म जिस्म के आगे बर्फ का पहाड़ भी पिघलने पर मजबूर हो जाता है,,,,,,

रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ क्या करें,,, कजरी की हालत खराब थी कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी मदमस्त खरबूजे जैसी चूचियां और उसकी दोनों टांगों के बीच की बेशकीमती खजाना अपने बेटे के सामने उजागर की हुई थी,,,तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से अपने बदन की नुमाइश अपने बेटे की आंखों के सामने करेगी,,, रघु भी खटिया पर बैठा हुआ था,,,,, कजरिया बात अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई है,,, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और बुर उसके बेटे की आंखों के सामने होगी और उसका बेटा उसकी दोनों मदमस्त खूबसूरत हम लोग को नजर भर कर देख रहा होगा इस बात का एहसास ही उसके तन बदन में आग लगा रहा था,,,, जिस तरह का एहसास कजरी के तन बदन में उसके मन में भर रहा था इस तरह का अनुभव उसे अपनी शादी की पहली रात में भी कभी नहीं हुआ था,,, रघू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर के घुंघराले बाल काट के मदन रस से बनी मोती समान बूंद को देखकर बोला,,,।


वाह तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर कजरी हल्के से अपनी आंख खोलकर किसी नजरों से अपने बेटे की तरफ देखिए तो उसकी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर मदहोशी से एकदम से कसमसाने लगी,,,। लेकिन जवाब में कुछ बोल नहीं पाई कुछ बोलने के लिए उसके लब खुल नहीं रहे थे,,,, पर अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किए बिना ही वह वापस कटोरी को उठाकर,,, तेल की धार को अपनी मां की चुचियों पर गिराते हुए बोला,,,)

आज देखना मैं ऐसी मालिश करूंगा कि फिर कभी जिंदगी में तुम्हारे बदन में दर्द नहीं उठेगा,,,(ऐसा कहते हो गए वहकटोरी से सरसों की धार को अपनी मां की दोनों चुचियों पर भारी बारिश गिराने लगा और उसे नीचे एक लकीर के रूप में गिराते हुए अपनी मां की गहरी नाभि में उस धार को छोड़ने लगा,,, कजरी की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और देखते ही देखते कजरी की गहरी नाभि सरसों के तेल से पूरी तरह से लबालब भर गई उसके बाद रघु कटोरी को वापस खटिया के नीचे रख दिया,,,, आधी रात गुजर चुकी थी लेकिन दोनों को समय का बिल्कुल भी भान नहीं था दिनभर खेतों में कड़ी मेहनत के बावजूद भी ना तो कजरी के चेहरे पर थकान नजर आ रही थी और ना ही रघू के,,,
ऐसा लग रहा था कि मानो आज की रात दोनों जागकर ही बिताने वाले हैं,,,,,,

अपनी मां के दोनों दशहरी आम को देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था अपनी मां की चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना चाहता था उसकी मालिश करना चाहता था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा करने पर उसकी मां की प्रतिक्रिया क्या होगी लेकिन उसे इतना तो विश्वास हो चुका था कि जिस तरह से दोनों के बीच शर्म का पर्दा धीरे धीरे उठता चला जा रहा है उसकी इस हरकत पर उसकी मां खामोशी रहेगी और उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लेगी ,, इसलिए रघूअपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर सीधे उसको अपनी मां की दोनों चुचियों पर रख दिया कजरी अपने बेटे की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से सिहर उठी,,,,,कुछ सेकेंड तक रघु उसी तरह से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरे रहा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां की सूचियों से वह कैसे आनंद ले,,,, अपने दिल की धड़कन पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था सरसों का तेल सूचियों पर पूरी तरह से सन चुका था उत्तेजना के मारे रघु को अपनी हथेली में अपनी मां की चुचियों के निप्पल एकदम तनी हुई नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे मूंगफली हो,,,वह अपनी मां की चूचियों को अपने हथेली में पकड़े हुए ही अपनी मां के चेहरे की तरफ देखने लगा जो कि उसका चेहरा पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुका था लेकिन वह रघु की तरफ देखने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,,,रघु अपनी मां के चेहरे की तरफ देखते हुए धीरे-धीरे अपनी मां की चूचियों की गोलाई को अपनी हथेली में दबाना शुरू कर दिया कजरी को साफपता चल रहा था कि अब उसके बदन की मालिश नहीं बल्कि उसके बदन के साथ काम क्रीड़ा का खेल खेला जा रहा है लेकिन उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,,, अपनी मां की चूची को जोर जोर से दबाते हुए रघु गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी किसी भी पल ऐसा लगने लगता था कि उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,,,
देखते ही देखते होते सेना के कारण कजरी की चुचियों के आकार में इजाफा होने लगा,,, रघु बड़ी शिद्दत से अपनी मां की दोनों चुचियों के साथ खेलना शुरू कर दिया था साथ में मालिश भी हो रही थी,,, जिस तरह से रघु अपनी मां की चूचियों को जोर जोर से दबा रहा था उसी से कजरी के बदन में दर्द हो रहा था लेकिन यह दर्द,,, दर्द कम मजा बहुत दे रहा था क्योंकि इस तरह की हरकत पर बदन में दर्द नहीं होता है और दर्द इस बात का निशानी होता है कि मजा बहुत आ रहा है,,,,,

अपने बेटे की हरकत की वजह से वहां अपने गर्म सिसकारी को बड़ी मुश्किल से रोक कर रखी थी लेकिन ज्यादा देर तक वह अपनी भावनाओं को काबू में नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकलने लगी,,,।

सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहहह,,,ऊईईईईईईई,,, मां,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से निकल रही गरम सिसकारी की आवाज को सुन कर रघु का मन खुशी से उछलने लगा,,, क्योंकि यह आवाज आवाज ना होकर रघू के लिए इशारा थी उसके आगे बढ़ने के लिए इसलिए बहुत जोर जोर से अपनी मां की दोनों चूचियों को सरसों के तेल से रगडते हुए बोला,,,)


कैसा लग रहा है मां,,,,,


सहहहहहहहह,,,,, पूछ मत मैं बता नहीं सकती,,,,, बस ऐसे ही दबाते रह,,,,,
(काम क्रीड़ा के आनंद में सरोबोर होकर कजरी के मुंह से दबाते रह निकल गया और अपने इस निकले हुए शब्द पर गौर करते ही कजरी शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि यह शब्द उसके मुंह से मदहोश होकर निकला था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसकी आंखों में खुमारी छा चुकी थी और अपनी मां की यह बात सुनते ही,,, रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया,,, वह और जोश के साथ अपनी मां की दोनों चूचियों को दबाना शुरू कर दिया,,, अपनी मां की तपती हुई गर्मी को वह खुद सहन नहीं कर पा रहा था,,, खुद उसके मुंह से भी गर्म सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी,,,,


तुम्हारे बहुत बड़े बड़े हैं,,,,


क्या,,,,?( कजरी मदहोश भरे स्वर में बोली)


तुम्हारी चूचियां,,,,


क्यों,,,,,?(कजरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)

बहुत बड़े-बड़े है दोनों ठीक से मेरे हाथ में नहीं आ रहे है,,,,,



तुझे अच्छे नहीं लग रहे हैं क्या,,,,(कजरी उसी तरह से मादक स्वर में बोली हालांकि अभी तक वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला रही थी वह दूसरी तरफ नजर फेर के ही बात कर रही थी,)


सच कहूं तो मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं,,,,(अपनी मां की बातें सुनकर रघु पूरी तरह से जो उसने कहा बार जोर से अपनी मां की चूची को दबा दिया जिससे कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,, क्या कर रहा है दर्द कर रहा है,,,,


दर्द को मिटाने के लिए ही तो जोर जोर से दबा रहा हूं,,,,


इतना भी जोर से मत दबा,,,,,कहीं ऐसा तो नहीं कि जोर जोर से दबाने में तुझे मजा आ रहा हो,,


कुछ कुछ ऐसा ही लग रहा है ना जाने मेरे बदन में क्या हो रहा है,,,,


अपने आप को संभाल कहीं गिला ना हो जाए,,,,


क्या गिला ना हो जाए,,,,

मममम,,, मेरा मतलब है कि कहीं तेरे पसीने ना छुट जाए,,,


मां तुम्हारा बेटा ऐसा वैसा नहीं है कि उसका पसीना छूट जाएगा बल्कि मैं अच्छे अच्छों का पसीना छुड़ा सकता हूं,,,


तभी तो मुझे तेरे ऊपर नाज है,,,

भरोसा रखो दर्द करेगा लेकिन जिंदगी में कभी दर्द भी नहीं होगा आज ऐसी तुम्हारी मालिश करूंगा,,,,(रघुअपनी मां की बातों को सुनकर एकदम मस्ती में आकर जोर-जोर से अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,, कजरी को बहुत मजा आ रहा था पानी छोड़ने वाली बात करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और यही हाल रघु का भी था अपनी मां के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,, उसके पजामे में भूचाल उठ रहा था,,,वह बार-बार अपने एक हाथ से अपने लंड को पजामे के अंदर बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,,, लेकिन वह पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह अकड चुका था और यह तभी शांत रहने वाला था जब इसके अंदर की सारी गर्मी कजरी की बुर निचोड नाले,,,, रघु की नजर बार-बार अपनी मां की दोनों जनों के बीच चली जाती थी क्योंकि कजरी मदहोश होकर उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों जांघों को आपस में रगड़ रही थी,,,, रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां के बदन में उन्माद बढ़ रहा है,,, उसकी मां की जवानी जंगली घोड़ी से कम नहीं थी जिसे काबू में करने के लिए अच्छा खासा हुनर की जरूरत थी,,, और रघु घोड़ी को कैसे काबू में किया जाता है यह अच्छी तरह से जानता था,,, अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाते हुए अपनी मां की नाभि के गड्ढे में भरे सरसों के तेल को अपनी उंगली से बाहर निकाल कर उसे अपनी मां के चिकने मांसल पेट पर फैलाने लगा,,, कजरी की सांस अटक रही थी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव वह जिंदगी में पहली बार महसूस कर रही थी बार-बार उसकी सांसे बहक जा रही थी,,,, उसका बेटा इतना बड़ा खिलाड़ी होगा इस बात का अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,,

रघु अपनी मां की गहरी नाभि में से सरसों के तेल को बाहर निकालकर पूरी तरह से पेट पर फैलाने लगा चुचियों से हाथ हटाते ही रघु दोनों हथेलियों को अपनी मां की चिकनी पेट पर फिराने लगा,,,,,, रघु को बहुत मजा आ रहा था चर्बी का नामोनिशान नहीं था एकदम चिकना पेट का और एकदम गोरा रघु के तन बदन में उत्तेजना के चिंगारी फूट रही थी वह बड़ी शिद्दत से अपनी मां के चिकने पेट पर अपना हाथ फिरा कर तेल लगा रहा था,,,, कजरी से रहा नहीं जा रहा था गहरी सांस से लेते हुए अपनी आंखों को बंद किए हुए थे बेहद खूबसूरत मदहोश कर देने वाला उन्मादक नजारा थालेकिन कजरी इस देश को अपनी आंखों से देखने में शर्म आ रही थी शायद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार अभी भी उसके अंदर बची हुई थी वह पूरी तरह से गीरी नहीं थी,,,,कुछ देर तक वह इसी तरह से अपनी मां के चिकने पेट पर अपनी दोनों हथेलियां फिर आता रहा और बार-बार कमर की तरफ लाकर उसे कस के दबोचता रहा जैसा कि एक मर्द औरत की चुदाई करते समय उसकी कमर को अपनी हथेली में लेकर दबाता है,,। अपनी मां के खूबसूरत बदन की मालिश करने में रघू अच्छा खासा समय व्यतीत कर चुका था,,,आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था लेकिन नींद दोनों की आंखों में बिल्कुल भी नहीं थी,,,, रघु की आंखों में अब उसकी मां की बुर चमक रही थी जिस तरह से वह अपनी मां के संपूर्ण बदन से खेल रहा था अब उसकी बुर से खेलना चाहता था,,,।


अब कैसा लग रहा है मा,,,
(लेकिन इस बार वह कुछ बोली नहीं बस कह रही तेरी सांसे लेती रही शायद अब बोलने के लिए उसके पास शब्द नहीं बचे थे क्योंकि रघु ने जिस तरह की मालिश उसकी की थी वह बेहद अवर्णनीय थी ,,, अद्भुत थी जिसका कोई जोड़ नहीं था कचरी ने आज तक इस तरह की मालिश ना तो देखी थी और ना करवाई थी,,,अपने बेटे की इस कारीगरी पर वह बार-बार उसे दिल से दुआ दे रही थी,,,अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब ना आता देख कर रघु उसके हाव-भावऔर गहरी चल रही सांसो की गति से यह अनुमान लगा चुका था कि जो भी वह कर रहा है उसमें उसकी मां को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और आगे बढ़ने की अनुमति भी दे रही है इसलिए इशारों ही इशारों में अपनी मां की अनुमति पाते ही वहअपनी मां की दोनों टांगों के बीच मखमली बुर के तरफ अपना ध्यान केंद्रित करने लगा,,,,।

वह अपने फुगली को ऊपर की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ लाते हुए बोला,,,।


अब देखना मां अब मैं तुम्हारी ऐसी अद्भुत तरीके से मालिश करूंगा कि देखती रह जाओगी ना तो ऐसी मालिश किसी ने किया होगा और ना ही सोचा होगा,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा किस तरह की मालिश करने वाला है लेकिन इतना उसे मालूम था कि जो भी उसका बेटा करेगा उसने उसका ही भला होगा इसलिए मौन स्वीकृति धारण करते हुए वह अपने बेटे को आगे बढ़ने की इजाजत दे चुकी थी और इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए रघु अपनी उंगलियों को पेट की तरफ से अपनी मां की बुर की तरफ आगे बढ़ाने लगा और जैसे-जैसे उसकी उंगलियां बुर के ऊपर से होते हुए घुंघराले बालों से होते हुए नीचे की तरफ जा रही थी वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, और जैसे ही कजरी ने अपने बेटे की ऊंगली को अपनी बुर के ऊपरी सतह पर महसूस की वैसे ही उसके पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, और रघु खुद अपनी मां की बुर को उंगली से स्पर्श करते ही मदहोश हो गया,,,, अब उससे सबर करना नामुमकिन सा हो रहा था,,,, उससे आप एक पल भी ठहरा नहीं जा रहा था और यही हाल कजरी का भी बार-बार उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ रही थी,,, 4 बोतलों का नशा अपनी आंखों में लेकर रघु एक गहरी दृष्टि अपनी मां की रेशमी घुंघराले बालों से ढकी हुई बुर पर डाला,,, पर बिना कुछ सोचे समझे ही अपने प्यासे होठों को सीधे अपनी मां की कचोरी जैसे खुली हुई बुर पर रख दीयाऔर एक गहरी सांस लेकर उसमें से उठ नहीं पा तक खुशबू को अपने अंदर पूरा का पूरा उतार लिया,,, बेहद अतुल्य अद्भुत और मादकता से भरी हुई खुशबू कजरी की बुर से उठ रही थी आज तक इस तरह की खुशबू को उसने किसी भी औरत की बुर में महसूस नहीं किया था इसलिए वह मादक खुशबू सराब से भी ज्यादा असर करते हुए रघु के दिलो-दिमाग पर छा गया और वह पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी मां की गुलाबी बुर के ऊपरी सतह पर रख कर चाटना शुरू कर दिया पहले तो कजरी को कुछ पता ही नहीं चला लेकिन जैसे हीउसे अपनी पुर पर कुछ अजीब सा होता हुआ महसूस हुआ तो वह अपनी आंखों को बंद रख नहीं पाई और तुरंत अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच ले गई वहां का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,

आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज बढ़ती जा रही थी बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था हवाए तेज चल रही थी,,,और तेज चलती हवाएं अंदर कमरे में पहुंचकर लालटेन को झकझोर दे रही थी जिससे लालटेन से उठ रही पीली रोशनी बहक सी जा रही थी,,,, रघु पूरी तरह से अपनी मां के ऊपर छा चुका था उसे कुछ भी सोचने समझने का मौका नहीं दिया था खटिया के पाटी पर बैठकर वह अपनी मां की बुर चाट रहा था कजरी ने आज तक इस तरह का नजारा ना देखी थी ना ही अपने पति के द्वारा इस तरह की हरकत का अनुभव लेते हुए मजा ली थी यह सब उसकी जिंदगी में पहली बार हो रहा था इसलिए पूरी तरह से हैरान थी उसे उसे तो यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसकी बुर को अपनी जीभ से चाट रहा है,,, एकाएक उसके बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी थी,,,,,, कजरी अपनी बेटी को इस तरह की हरकत करने से रोकना चाहती थी और उसे रोकने के लिए अपने लबों को खोल ही थी कि रघु की जीभ उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में अंदर तक घुस गई,,,पल भर में अपने बेटे की सरकार से उसके तन बदन में इतना ज्यादा उत्तेजना और आनंद की अनुभूति होने लगी कि वह कुछ बोल नहीं पाए उसके लबों से एक भी शब्द फुट नहीं पाए और एक अद्भुत एहसास से उसकी आंखें बंद हो गई,,,, रघु जो चाहता था उसे मिल चुका था हालांकि मंजिल अभी भी प्राप्त नहीं हुई थी लेकिन नजर जरूर आ रही थी रास्ते एकदम आसान हो चुकी थी दोनों साथ मिलकर कर रहे थे मंजिल का मिलना एकदम तय था,,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां की झांटों वाली बुर को चाट रहा था,,,, बुरके घुंघराले रेसमी बाल बार बार उसके मुंह में आ जा रहे थे,,, लेकिन उसकी मां की झांठ के बाल भी उसे बेहद आनंद दे रहे थे,,,,कुछ देर तक वहां खटिया के पाटी पर बैठकर ही अपनी मां की बुर को चाटता रहा,, हालांकि इस स्थिति में हुआ ठीक से अपनी मां की बुर की चटाई नहीं कर पा रहा था लेकिन वह अपना मुंह हटाना नहीं चाहता था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी मां को अपने बस में कर लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मां को उसका बुर चाटना अच्छा नहीं लगा तो ऐसा कभी नहीं करने देगी और रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था क्योंकि आज तक उसने बहुत सी औरतों और लड़कियों की बुर को चाटा था और जिसने उसे बेहद आनंद प्राप्त हुआ था लेकिन वह अपनी मां की चूत चाटना चाहता था उसके आनंद को प्राप्त करना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का विश्वास था कि दूसरी औरतों से ज्यादा उसकी मां की बुर उसे ज्यादा मजा देगी,,,। और ऐसा हो भी रहा था जिस तरह कि मादक खुशबू और आनंद का अनुभव वह अपनी मां की बुर से प्राप्त कर रहा था ऐसा मजा उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था,,, उसके कानों में थोड़ी ही देर में उसकी मां की गर्म सिसकारी की आवाज सुनाई देने लगी,,,, उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,, अब वह पूरी तरह से अपनी मां के साथ मनमानी कर सकता था,,,, इसलिए तुरंत खटिया के पाटी पर से हट कर वह अपनी मां की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया,,, उसकी मां भी अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी दोनों टांगों को जिस तरह से वह चाहता था उसी तरह से फैला ली,,, अपनी मां की दोनों टांगों को फैलाकर वह अपने दोनों हाथों से उसकी मोटी मोटी जांघों को थाम लिया और इस बार अपनी मां की बुर के ऊपर अपने होंठ रखने से पहले अपनी मां की तरफ देखा जो कि उसी को देख रही थी आपस में दोनों की नजरें टकराई और उसकी मां एकदम से मदहोश हो गई वह अपनी मां से पूछा,,,


अब कैसा लग रहा है मा,,,,(अपने बेटे का सवाल सुनकर कजरी कुछ बोली नहीं लेकिन शर्मा कर हंसते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर ली उसकी हंसी बड़ी कातिल थी एकदम मादकता से भरी हुई रघु अपने उपर काबू नहीं कर पाया,,,और एक बार फिर से अपनी मां की फूली हुई बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया रघु को बहुत मजा आ रहा था धीरे-धीरे कजरी का भी डर और शर्म खुलता जा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था आनंद से भाव विभोर होती जा रही थी मदहोशी बढ़ती जा रही थी और मदहोशी में वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के सर पर रख ली,,, और अपने बेटे के सर को जोर से दबा के उसके मुंह को अपनी बुर पर दबाने लगी, इससे रघु का जोश और ज्यादा बढ़ गया और वहां पागलों की तरह अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,
रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था किअपने लंड को उसकी फिर में जाने के लिए जगह बनाना बहुत जरूरी है इसलिए वह अपना एक उंगली डालकर उसे अंदर बाहर करने लगा क्योंकि उसे इस बात का पूरी तरह से जानता था कि वर्षों से उसकी मां चुदवाई नहीं है उंगली का तो नहीं जानता लेकिन उसकी मां किसी के लंड को अपनी बुर में नहीं चाहिए इस बात का विश्वास उसे गले तक था,इसलिए अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की बुर में अच्छी तरह से डालने के लिए उसमें जगह बनाना जरूरी था,,, दूसरी तरफ कजरी पागल हुए जा रही थी,,,अपने बेटे की उंगली को अपनी बुर में अंदर बाहर होता महसूस करते ही उसके दिलो-दिमाग पर उत्तेजना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी,,,

सससहहहहह,,, आहहहहह,,,,,ओह,,,,रघु,,,,,, यह क्या कर रहा है रे ओह मां,,,, मर गई,,,,, ससससहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहहह,,,,,, हाय दइया यह क्या हो रहा है मुझे,,,,ओहहहह,,,,, रघु मेरे बेटे यह क्या कर रहा है तू,,,,

रघु अपनी मां को पूरी तरह से आनंदित कर दे रहा था वह लगातार अपनी मां की बुर चाट रहा था और उसमें उंगली अंदर बाहर कर रहा था रघु को बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु का लंड फटने की स्थिति में आ चुका था,,,,, वह अपनी मां की बुर को तब तक चाटता रहा जब तक उसकी बुर से पानी नहीं फेंक दिया,,,, बस ऐसे ही उसकी पुर से मदन रस की पिचकारी बाहर निकली रघू उसे अमृत की धार समझकर जीभ से चाट गया,,,,,

कजरी की बुर एक बार फिर से झड़ चुकी थी,,,, वह पानी पानी हो गई थी लेकिन रघु अभी एक बार भी नहीं झड़ा था,,, लेकिन अब उसका लंड बगावत पर उतर आया रघु कुछ ऐसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उसका लंड कह रहा हूं कि मुझे बाहर निकालकर बुर में डालो वरना मैं फट जाऊंगा,,, रघु भी अपने लंड की विवशता को अच्छी तरह से समझता था,,,क्योंकि घंटो गुजर गए थे और ऐसे हालात में उसने अभी तक अपने लंड को उसके महबूबा से मतलब कि उसकी बुर से मिलाया नहीं था,,, और उसका लंड अपनी बुर से जुदाई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था,,,रुको धीरे से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच से खड़ा हुआ और खटिया से नीचे उतर गया उसकी मां अभी भी अपनी दोनों टांगों को उसी तरह से फैलाई हुई थी,,, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन उस पर अभी अधूरापन था,,, खालीपन था जिसको भरना रघु अच्छी तरह से जानता था,,,।


यह कैसी मालिश थी बेटा मेरे बदन में मीठा-मीठा दर्द उठने लगा है,,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोली हालांकि उसे अभी भी शर्म महसूस हो रही थी,,,लेकिन शायद उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसे भी बेशर्म बनना पड़ेगा इसलिए तो अपनी दोनों टांगों को अभी भी उसी तरह से फैलाए हुए थी,, मदन रस से उसकी बुर और उसके बाल पूरी तरह से गीले हो चुके थे अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए रघु बोला,,,)


यह भी दूर हो जाएगा मां,,, लेकिन इसके लिए अभी खास मालिश बाकी है,,(अपने कुर्ते को उतार कर जमीन पर फेंकते हुए) लेकिन यह मालिश हाथों से नहीं होगी इसके लिए खास अंग का उपयोग करना पड़ेगा जो की पूरी तरह से तुम्हारे दर्द को दूर कर देगी,,,,


हाथों से नहीं होगी फिर किससे करेगा तु मालीश ,,,(कजरी अपने बेटे की आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली,,, ओर रघू अपनी मां की बात सुनते ही अपने पजामे कोएक झटके में घुटनों तक खींच कर नीचे कर दिया और उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहराने लगा,,,, अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर कजरी की सांस अटक गई,, और रघु अगले ही पल अपने पजामे को उतार कर जमीन पर नीचे फेंक दिया और अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर हीलाते हुए बोला,,,)



इससे अब आगे की मालिश इससे ही होगी यही तुम्हारे बदन के सारे दर्द को दूर कर पाएगा,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर और उसके खड़े लंड को ले जाता हुआ देखकर कजरी की आंखों में चमक आ गई उसकी बुर एक बार फिर से कचोरी की तरह फूलने पीचकने लगी,,,, उत्तेजना के मारे गला सूखने का का अपने बेटे के खड़े लंड को देखकर उसे इतना तो विश्वास हो गया था कि आज उसकी खैर नहीं है लेकिन फिर भी वह अपने आप को पूरी तरह से अपनी बेटे के हवाले कर चुकी थी,,,उसे विश्वास था कि उसका बेटा उसे मंजिल तक पहुंचा कर रहेगा उसे बीच राह पर अकेला नहीं छोड़ेगा,,,, लेकिन अपने बेटे के स्थिति को देखकर वह पूरी तरह से शर्म आ गई थी उसका बेटा पहली बार उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा होकर अपनी खड़े लंड को दिखाकर अपनी मर्दाना ताकत की गवाही दे रहा था,,, रघूबेशर्मी की सारी हदों को पार कर देना चाहता था इसलिए अपनी मां की बुर में लंड डालने से पहले उसकी इजाजत लेना जरूरी समझ रहा था हालांकि वह इशारों ही इशारों में अपनी बुर को उसके हवाले कर चुकी थी लेकिन फिर भी उसका मन उसके मुंह से सुनने को हो रहा था इसलिए वह बोला,,,)

क्या मां तुम्हें मेरे मोटे लंड से मालिश करवाना मंजूर है या कहो तो नहीं करु,,,(बेशर्मी दिखाते हुए रघु अपने लैंड को हिलाते हुए बोला,,, भला एक मां के पास बेटे के ईस तरह के सवाल का जवाब कैसे हो सकता है,,, लेकिन फिर भी कजरी को इस बात का आभास हो चुका था कि स्वर्ग का आनंद लेना है तो बे शर्म बनना पड़ेगा इसलिए वह बोली,,)


तेरी मर्जी जो करना है करो मुझे तो बस इस दर्द से निजात पाना है,,,,
(दर्द से निजात पाने का मतलब रघु अच्छी तरह से समझ रहा था,,इसलिए मुस्कुराता हुआ एक बार फिर से खटिया पर चढ़ गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपने लिए जगह बनाने लगा,,, बरसों के बाद कोई लंड कजरी की बुर में जाने के लिए तैयार था पर्वती किसी गैर मर्द का नहीं अपने खुद के सगे बेटे का इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे पता नहीं चल रहा था कि आगे जो भी होगा कैसा होगा,,,बरसों से चुदाई के सुख से वंचित थी इसलिए बुर में लंड जाने का एहसास वह पूरी तरह से भूल चुकी थी,,, रघू पूरी तरह से तैयार था,, अपनी मां की बुर में लंड डालने के लिए वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर उसे अपनी मां की बुर पर लगाने लगा क्योंकि कुछ देर पहले पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर ,,,बुर की गर्मी से सूख चुकी थी,,,, रघूअपनी मां की तरफ देखा जो कि शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर कर लेटी हुई थी,,अपना दोनों हाथ अपनी मां के नितंबों के नीचे लाया और उसे पकड़कर खींचके अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, रघूअपने लंड कै सुपाड़े को अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख कर हल्कै से अंदर की तरफ ठेला,,,,लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए थोड़ी दिक्कत आ रही थी लेकिन फिर भी रघु कहा हार मानने वाला था वह दोबारा कोशिश किया और इस बार बुर की चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ सरकने लगा कजरी की हालत खराब हो रही थी एक नए सुख के एहसास से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,
रघु बड़ी शिद्दत से अपने लंड को अपनी मां की बुर के छेद में डाल रहा था,,, और जैसे-जैसे लंडबुर की गहराई में उतर रहा था वैसे वैसे कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी देखते ही देखते रघु के लंड का पूरा सुपाड़ा बुर की गहराई में घुस गया,,,,

आहहहहह,,,,की आवाज के साथ कजरी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में स्वागत की रघु का पूरा लंड कजरी की बुर में समा चुका था कजरी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की गहराई में घुस चुका है,,, अपनी तसल्ली के लिए अपने सिर उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी तब जाकर उसे यकीन हुआ कि वाकई में उसकी बुर ने इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर की गहराई में छुपा ली है,,,अपनी मां को इस तरह से नजरें उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखता हुआ पाकर रघु बोला,,,


क्या देख रही हो मां पूरा का पूरा घुस गया है,,,,,, अब देखना में तुम्हारी कैसी चुदाई करता हु
(अपने बेटे की बेशर्मी भरी बातें सुनकर कजरी एकदम से शर्मा गई लेकिन उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी जिसे देखकर रघु का जोश बढ गया और वह अपने लंड को बाहर की तरफ खींच कर वापस धक्का मारकर उसे बुर में घुसेड़ दिया,,,, एक बार फिर से कजरी के मुंह से आहहह निकल गई,,,,, फिर क्या था रघु अपनी कमर को हीलाना शुरू कर दिया,,, वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था बरसों के बाद कजरी चुदवा रही थी यह एहसांस उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था,,,बरसों के बाद अपनी बुर में अपने ही बेटे का लंड लेकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुकी थी,,। रघु अपनी मां की दोनों जांघों को अपनी जांघों पर लेकर अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करते हुए उसको चोद रहा था,,,,,, अपनी मां को चोदने पर उसे देहात उत्तेजना और आनंद का अनुभव हो रहा था,,, देखते ही देखते रघु के धक्के तेज होने लगीउसके हर धक्के के साथ कजरी की बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छाती पर लहरा जा रही थी खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी,,,।


बहुत मस्त बुर है मा तुम्हारी,,,आहहहहह मैं तो पागल हुए जा रहा हूं,,,, कितनी कसी हुईं बुर है,,, कभी किसी का डलवाई नहीं क्या,,,,

नहीं रे तेरे बाबूजी के देहांत के बाद से पूरी सूखी पड़ी है,,, आज पहली बार तेरा ही जा रहा है,,,,,,


ओहहहहह मेरी प्यारी मां कैसा लग रहा है तुम्हें मेरे लंड से चुदवाना,,,,


बहुत मजा आ रहा है ऐसा मजा तो तेरे बाबूजी भी नहीं दीए,,,
(कचरी भी शर्मा शर्मा कर मदहोश होते हुए अपने बेटे के सवाल का जवाब दे रही थी,,,)


आप चिंता मत करो मैं ऐसे ही तुम्हारी रोज चुदाई करूंगा तुम्हें वह सुख दूंगा जो बाबूजी कभी नहीं दे पाए,,,

ओहहहहह मेरा प्यारा बेटा ऐसे ही मुझसे प्यार करते रहना,,,


तुम चिंता मत करो ना मैं तुम्हें इतना प्यार दूंगा कि तुम बाबूजी को भूल जाओगी,,,(और इतना कहने के साथ ही रघुअपनी मां की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपनी कमर को धक्का देने लगा बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बड़े आराम से अब लंड को अंदर बाहर ले रही थी उसमें से फच्च फच्च की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, जांघों से जांघें टकराने का आवाज और ज्यादा मादकता फैला रहा था,,,
रखो पूरी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था,,,

बाहर बादलों का गरजना और तेज हो चुका था बरसात और आंधी दोनों तेज हो चुकी थी बाहर का माहौल पूरी तरह से डरावना था लेकिन अंदर का माहौल पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था मदहोश कर देने वाला था कजरी की गरम जवानी पीली रोशनी मे अपनी आभा बिखेर रही थी,,,।
दोनों मां बेटे एकदम नंगे होकर जवानी का मजा लूट रहे थे आधी रात से ज्यादा का समय बीत चुका था पूरा गांव नींद की आगोश में था लेकिन दोनों मां-बेटे मां बेटे के रिश्ते से आगे निकलकर मर्द और औरत का रिश्ता निभा रहे थे रघु चुदाई के खेल में पूरी तरह से मजा हुआ खिलाड़ी था इसलिए अपनी मां को पूरी तरह से संतुष्ट करते हुए उसे चोद रहा था और कजरी बरसों बादअपनी मदहोश कर देने वाली जवानी को अपने बेटे के हाथों में सौंप कर निश्चिंत होकर संतुष्टि के एहसास से भर्ती चली जा रही थी,,,
कचरी की सांसे तेज चलने लगी थी उसके चेहरे का रंग बदलते जा रहा था उसके चेहरे पर शर्म और उत्तेजना की लालिमा साफ नजर आ रही थी उसकी तेज चलती है सांसे को देखकर रघु समझ गया कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है और वह अपने दोनों हाथों को उसकी दोनों पीठ की तरफ लाकर उसे अपनी बांहों में भरकर उसके ऊपर झुक गया और अपने होठों पर अपनी मां की गुलाबी होठों पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया कजरी की जीवन का यह पहला चुंबन था जो उसका बेटा ले रहा था अपने बेटे के इस तरह के चुंबन से कजरी पूरी तरह से मस्त हो गई और शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी इतनी ज्यादा अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव अपने बदन में कर रही थी कि झड़ने से पहले ही उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,,, कजरी का बदन अकड़ने लगा थारघु को औरत के झड़ने का एहसास अच्छी तरह से था इसलिए वह करके अपनी बाहों में उसे और ज्यादा दबोच लिया था और अपनी कमर बड़ी तेजी से हिलाना शुरू कर दिया था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था रघु के हर ठाप पर कजरी की आह निकल जा रही थी रघु की रफ्तार बढ़ती जा रही थी वह किसी इंजन सा चल रहा था और देखते ही देखते कजरी अपनी बाहों का कसाव रघु के ऊपर बढ़ाने लगी और अगले ही पल कजरी भला भला कर झढ़ने लगी,,, बरसों के बाद चुदवाई करवाते समय कजरी झढ़ी थी इसलिए यह एहसास उसकी जिंदगी का सबसे अनमोल एहसास था,,।

कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त कर पाती उससे पहले काफी समय से अपनी उत्तेजना को काबू में कीए रहने की वजह से
रखो पहली बार ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और दो-चार तेज झटकों के बाद वह भी झड़ गया,,, दोनों कुछ देर तक एक दूसरे की बाहों में उसी तरह से नंगे पड़े रहे,,,।

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Devang

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रघु दरवाजा बंद करके एकदम अंदर वाले कमरे में पहुंचा तो दंग रह गया उसकी मां कजरी खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी खटिया पर लेटी हुई थी,,,, लालटेन मद्धम रोशनी में जल रही थी,,,। जिस के उजाले में रघु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु तो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर एक बार फिर से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, रघु भले ही अपनी मां की जमकर चुदाई कर चुका था उसके नंगे बदन को देख चुका था अपने हाथों से उसके हर एक अंग को छूकर स्पर्श करके महसुस करके देख चुका था लेकिन कजरी का खूबसूरत बदन इतने बेहतरीन तरीके से तराशा हुआ था कि उसे बार बार नंगी देखने के बावजूद भी मन नहीं भरता था,,,,रघु बड़े गौर से अपनी मां को देख रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन रघू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,, पल भर में ही उसके पैजामा मे तंबू बन गया,,, कजरी को साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों के सामने उसके पहचानी का आगे वाला भाग उठता जा रहा था,,, और जब रघु का लंड पजामे में अपनी औकात में आ गया तो कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई खूंटा गड़ा हो,,,, अपने बेटे के खूंटे को देख कर बोली ,,,।

बाप रे तेरा तो देखकर ही खड़ा हो गया,,,,


खटिया पर नंगी लेटोगी तो मेरा तो क्या किसी का भी खड़ा हो जाएगा,,,,


तो उतार दे अपने कपड़े,,,,,


उतारना ही पड़ेगा मां,,, तुम्हारी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए मुझे कपड़े उतार कर नंगा होना पड़ेगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने कपड़े उतारने लगे और अपने बेटे को कपड़े उतारता हुआ देखकर कजरी के तन बदन में हलचल सी मचने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच,,,,, वह अपनी हथेली को अपनी बुरर पर रखकर उसे मसलते हुए बोली,,,)

दरवाजा तो बंद कर दिया है ना,,,,
Raghu or uski ma Kajri



बिल्कुल मेरी जान,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने पर जाने को भी बार उतार फेंका और उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया अपने बेटे के लहराते हुए लंड को देखकर कजरी की बुर कुलबुला रही थी,,, और अपने बेटे के मुंह से अपने लिए जान शब्द सुनकर उसके तन बदन में उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी चिकोटि काटने लगी,,,जिंदगी में पहली बार किसी ने उसे जान कहकर बुलाया था और वह भी उसका खुद का सगा बेटा,,,उसे जान शब्द अपने बेटे के मुंह से सुनकर अच्छा भी लग रहा था लेकिन हैरान भी थी,,, क्योंकि वह उसकी मां थी और वह उसका बेटा था लेकिन फिर भी अपने मन में सोचने लगी कि एक बार अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगे खोल देने पर दोनों के बीच का रिश्ता बदल गया है अब वह उसका बेटा बिल्कुल भी नहीं रह गया अब वह पूरा मर्द था और वह एक औरत मां बेटे का रिश्ता दोनों के बीच खत्म हो चुका था,,,,, और मन ही मन कजरी इस रिश्ते से बेहद खुश थी शालू जब तक अपने ससुराल नहीं गई थी तो कचरिया की सोच कर हैरान और परेशान हो जाती थी कि अकेले और कैसे रहता हूं कि घर में लेकिन अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना लेने के बाद अपने मन में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ की सालु अपने ससुराल चली गई उसके और उसके बेटे के बीच में तीसरा कोई भी नहीं था वह जब चाहे तब अपनी शारीरिक भूख अपने बेटे से मिटा सकती थी,,,,,,
RRaghu or uski ma Kajri

रघु कि नजर अपनी मां की चूचियों पर थी जोकि पानी भरे गुब्बारे की तरह छातीयो पर लहरा रही थी,,,,जब तक रघु ने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी नहीं देखा था तब तक उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु केवल उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड थी जो की साड़ी में लिपटी हुई होती थी लेकिन जब से वह अपनी मां को नंगी देख चुका था उसे भोग चुका था तब से उसकी मां की खूबसूरत बदन में ऐसा कोई भी अंग नहीं था जो उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु में अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक अंग को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ जाती थी,,,,इस समय उसे अपनी मां की चूची दशहरी आम की तरह लग रहे थे जिसमें मीठा रस भरा हुआ था और उसे चखने के लिए उसे जोर जोर से दबाना लाजिमी था,,, लेकिन उसकी प्राथमिकता इस समय अपने लंड को उसकी मां के मुंह में डालकर उसे चुसवाना था,,, क्योंकि बड़ी बात बिल्कुल भी नहीं थी ऐसे हालात में लेकिन फिर भी रुको थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां हो सकता है उसके लंड को मुंह में ना लें,,,, इसलिए वो पहले अपनी मां को गरम करना चाहता था क्योंकि उत्तेजना में दुनिया की कोई भी औरत संतुष्टि पाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं,,,, इसलिए रघु अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए अपनी मां को ललचा रहा था,,,, और उसकी मां अपने बेटे के लंड को देखकर ललच भी रही थी,,,,। इसलिए वह बोली,,,।


अब वहां खड़ा ही रहेगा कि यहां आएगा भी,,,।
(कजरी की बातों में अपने बेटे को पानी की उत्सुकता साफ झलक रही थी इसलिए तो रघू अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

ओहहह,,,, मेरी रानी को बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह रानी शब्द सुनते ही कजरी एकदम से शर्मा गई और शर्माते हुए बोली,,,)


तू रानी मत कहा कर,,,,


क्यों,,,,?(अपने लैंड को हिलाते हुए)

क्योंकि मुझे शर्म आती है रानी कह कर तो तेरे पिताजी ने भी आज तक मुझे नहीं बुलाया था,,,,


लेकिन मैं तो बुलाऊंगा क्योंकि तुम मेरी रानी हो मेरी जान मेरी सब कुछ हो,,,,

हरामी में तेरी मां हूं,,,

तो क्या हुआ एक बार तुम्हारी बुर में लंड डालने के बाद हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता बिल्कुल भी नहीं रह गया हम दोनों के बीच केवल मर्द और औरत का रिश्ता है,,, तुम खूबसूरत हो जवान हो,,,, मुझे अपना प्रेमी ही समझ लो,,,,,(ऐसा कहते हुए वह खटिया पर बैठ गया,,,अपने बेटे की मधुर बातों को सुनकर कजरी शर्मा रही थी शर्म से पानी पानी हुए जा रहे थे उसे अपने बेटे की बातों का असर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर में होता हुआ महसूस हो रहा था जोकि धीरे-धीरे गीली होने लगी थी,,, रघु को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसकी बातों से एकदम से शर्मा रही है रघु अपनी मां की शर्म देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो जाता था उसे रहने की और वह अपने होंठों को नीचे की तरफ लाकर अपनी मां के होठ पर रख दिया और उसे चूमना शुरू कर दिया,,,,,, अपने होठों पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श पाते ही,,, कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,, और वह अपने बेटे का साथ देते हुएअपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी दोनों के जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर बाहर हो रही थी दोनों एक दूसरे के जीभ को चाट कर मजा ले रहे थे,,,,,, कजरी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,
रघु भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना एक नीचे की तरफ लाकर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रख दिया और उसकी गीली बुर में अपनी उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा,,, कजरी की हालत अपने बेटे की उंगली से ही खराब होने लगी,,,, उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,, रघु की उंगली कजरी की पुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही थी कजरी उत्तेजना के मारे खटिया पर ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए रगड़ रही थी,,। रघुअपनी मां के होठों पर से अपने होठों को हटाकर उसकी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जिसने उसकी उंगली बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही है और वह से अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,,।


आहहहहह,,,, मेरी जान तेरी बुर तो बहुत पानी छोड़ रही है,,,रे जी मैं तो आ रहा है कि खा जाऊं,,,(रघु जोर-जोर से अपनी मां की बुर में उंगली करते हुए बोला,,,)

तो खा जाना रे रोका किसने है,,,(कजरी भी एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,, रघु अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया था और अपनी मां से से बातें कर रहा था कि जैसे किसी और औरत की बुर में उंगली कर रहा है लेकिन जहां तक संभोग में सुख और संतुष्टि की बात आती है तो हर इंसान ही करता है औरत और मर्द चुदाई के दौरान खुलकर गंदी गंदी बातें करके एक दूसरे को गाली देकर बातें करते हैं तो चुदाई का मजा और ज्यादा बढ़ जाता हैयह बात शायद पहली अच्छी तरह से जानती थी इसीलिए अपने बेटे का साथ देते हुए उसी भाषा में बात कर रही थी,,,।)


सच कह रहा हूं मेरी रानी तेरी बुर की मलाई जीभ से चाटने का मन कर रहा है,,,।

तो चाटना मादरचोद मैं भी तड़प रही हूं अपनी मलाई तुझे खिलाने के लिए,,,,।


मादरचोद बोलती है रंडी,,,,(अपनी मां की चूची को और दम लगाकर दबाते हुए बोला और इस तरह से जोर से दबाने की वजह से कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,,, मादरचोद नहीं है तो और क्या है तू अपनी मां को चोदता है तो मादरचोद ही हुआ ना तू भोसड़ी के,,,


हां शाली में हूं मादरचोद लेकिन तू भी छिनार है,,,,आहहहहह बहुत मजा देती है तू,,,,आहहहहहह मन कर रहा है कि घुस जाऊं भोसडै में,,,,


तो घुस जाना मादरचोद,,,, वहीं से तो तू निकला है और उसी में फिर से घुस जा,,,,,आहहहहहह,,, लगता है बिना चोदे ही पानी निकाल देगा मादरचोद,,,,,।



तेरी बुर में पानी की कमी नहीं है मेरी रानी मेरी छम्मक छल्लो तेरी बुर में से पानी की नदियां बह रही है,,, और यह सब कुछ तेरे लंड का करा कराया है,,,, भोसड़ी के तेरा लंड कितना बड़ा है ऐसा लगता है जैसे गधे का लंड है,,,


गधे का लंड ही तो तेरी बुर में जा रहा है मजा नहीं आ रहा है क्या तुझे,,,,(एक साथ अपनी दोनों उंगलियों को अपनी मां की बुर में डालते हुए बोला,,,)


मजा तो बहुत आ रहा है कभी तो तेरे आने से पहले अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर तेरा इंतजार कर रही थी,,,,


मेरे लंड से इतना प्यार है तो ले लेना मुंह में चुस के देख कितना मजा आता है,,,, एकदम गन्ने का मिठास मिलेगा तुझे,,,,।


तो ला डाल दे मेरे मुंह में मैं भी आ जाना मुंह में डालकर तेरे लंड को देखु तो सही कैसा लगता है,,,।


बहुत मजा आएगा रानी बहुत मजा इतना मजा की तू मेरे लंड को मुंह से बाहर नहीं निकालेगी,,,,,(अपरा को बिल्कुल भी देरी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना अवस्था में उसके मुंह में लेने की बात कर रही थी,,, इसलिए वह अपनी मां की छाती के ऊपर अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर खड़ा हो गया और अपनी फ्रेंड को हाथ से हीलाते हुए उसके सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर रखकर उसे रगड़ने लगा,,,,, कजरी के लिए यह बिल्कुल नया था,,, क्योंकि आज तक कुछ नहीं अपने पति के लंड को मुंह में नहीं गई थी उसे लंड को मुंह में लेना बहुत घिनौना लगता था,,, रघू बड़ी मस्ती के साथ अपने लंड को अपनी मां के होठों पर रगज रहा था और कजरी अपने होठों को बंद कर ली थी लंड को मुंह में लेने वाली बात को वह उत्तेजना में बोली थी,,,। उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा सच में ऐसा करेगा लेकिन रघु को तो बहुत मजा आ रहा था बार-बार वह अपनी लंड के सुपाड़े को जबरदस्ती अपनी मां के होंठों के बीच घुसेडना चाहता था लेकिन उसकी मां जबरदस्ती अपने होठों को बंद किए हुए थी,,,।


हाय मेरी रानी अब और मत तड़पा मेरा लंड तड़प रहा है तेरे मुंह में जाने के लिए,,,


ऊमममम,,, मुझसे नहीं होगा मैंने कभी इसे अपने मुंह में नहीं ली,,,,


तो एक बार इसे अपने मुंह में ले कर देख मेरी जान बहुत मजा आएगा,,,,, खोल अपने गुलाबी होंठों को और जाने दे मेरे लंड को उसके अंदर,,,,,आहहहहह मेरी रानी खोल,,,,,(ऐसा कहते हुए रघुअपने लंड कैसे पानी को जबरदस्ती अपनी मां के होठों के बीच ले जाने लगा लेकिन इस बारकजरी विरोध ना करते हुए अपने बेटे का साथ देने लगी और अपनी गुलाबी होठों को धीरे से खोल दी और जैसे ही उसके होठों के पट खुले वैसे ही रघु जल्दबाजी दिखाते हुए अपने लंड को उसके मुंह में ठूंस दिया,,,,,,,।


आहहहहह मेरी रानी आप अपनी जीभ को उस पर गोल गोल घुमाओ देखो बहुत मजा आएगा,,,।

और कजरी भी आज्ञाकारी बेटे की बात मानते हुए उसी तरह से करने के लिए जैसा कि रघु बता रहा था थोड़ी देर में कजरी को मजा आने लगा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि लंड चाटने में इतना मजा आता है,,,।

कजरी को पहली बार में ही इतना मज़ा आने लगा था लेकिन रखो तो जैसे स्वर्ग में उड़ रहा हूं उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इतने अच्छे से उसके लंड की चटाई करेगी,,,,कुछ ही देर में रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूटने लगी जैसा कि अब तक उसकी मां के मुंह से फुट रही थी,,,,।


सहहहहहह,,,आहहहहहह,,, मेरी रानी,,,,ओहहहह,,, मेरी कजरी रानी बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही,,,,(और ऐसा कहते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,,कजरी मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चाट रही थी मुंह में लेकर चूस रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, यह बात रघु कोई अच्छी तरह सेसमझ में आ रही थी कि उसकी मां को मजा आ रहा है रघु अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर फिर से अपनी मां की बुर में उंगली डाल दिया और उसे अंदर-बाहर करने लगा कजरी का मजा बढने लगा था लेकिन रघू इस मजे को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था,,,। इसलिए अपनी मां के मुंह से अपनी लंड को वापस खींच कर अपने आसन को बदल दिया,,, कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जब उसे पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के बारे में मालूम होगा तो वह उत्तेजना से और खुशी से गदगद हो गई,,,, क्योंकि रघू अपनी मां के ऊपर था,,, और कजरी नीचे लेकिन एक दूसरे का अंग एक दूसरे के मुंह में था,,,कजरिया राम से अपने बेटे का लैंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और रघु अपनी मां के बुर में जीभ डालकर चाट रहा था दोनों को एक साथ सुख मिल रहा था,,,,

लालटेन की पीली रोशनी बंद कमरे के अंदर दोनों मां बेटे एक दूसरे के अंगों से भरपूर सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, कजरी बार-बार पानी छोड़ रही थी जो कि उसकी बुर की गवाही दे रही थी कि उसे लंड चाहिए था,,,, रघु मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, कई औरतों के संगत में आकर औरतों की जरूरत को बड़े अच्छे तरह से जानता था,,,। कुछ देर तक और अपनी मां की बुर चाटने के बाद वह खड़ा हुआपर अपनी मां की तरफ देखने लगा चौकी उत्तेजना में पूरी तरह से लाल हो चुकी थी उसके होंठों से लार चु रही थी,,,,,, यही मौका सबसे खास होता है क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में औरतों की चुदाई औरतों को ज्यादा आनंद देती है,,,,

रघु समय ना गंवाते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया,,, और अपनी मां की बुर में एक झटके में अपना पूरा लंड डाल दिया और दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर उसे दबाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करने लगा,,,। वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था और बाहर बारिश गिरना शुरू हो गई थी,,,,रघु के धक्कों की वजह से खटिया चरमरा रही थी कजरी को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए,,,।

आहहहहह आहहहहह आहहहहह हरामी मादरर्चोद और जोर से चोद ,,,आहहहहहह,,,, लेकिन संभाल के कई खटिया टूट ना जाए,,,।


टूट गई तो क्या हुआ मेरी जान,,, मेरी रंडी बुरचोदी,,,, तेरी बुर चोदने के लिए तो मैं पलंग भी तोड़,,दु,,,,(ऐसा कहते हुए रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, साथ ही बार-बार अपनी मा की चुची को बारी बारी से मुंह में लेकर पी भी रहा था,,, कजरी अपनी बेटी की जबर्दस्त प्रहार की वजह से आहत भी हो रही थी लेकिन मजा भी बता रहा था,,,,)

आहहहहह आहहहहह,,,, हरामजादे कितना दम है रे तेरे में,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, सारी ताकत मेरी बुर पर ही निकाल रहा है क्या,,,,(कजरी मस्ती भरे स्वर में बोली)


तो क्या मेरी रंडी,,,, तेरी बुर में ही मुझे अपनी सारी ताकत लगाना है,,,, तभी तो तू मेरे लंड़ की दीवानी होगी,,,।


अब हो तो गई हूं तेरे लंड को बिना मुझे मजा नहीं आता,,, क्या मस्त लंड है तेरा मादरचोद अपनी मां को चोदता है,,,,आहहहहहह,,, रंडी बना दिया है तूने मुझे,,,


और तूने मुझे मादरचोद बना दी है बुर चोदी,,,,,


दोनों मां-बेटे एक दूसरे को गाली गलौज के साथ बात करते हुए चुदाई का परम आनंद लूट रहे थे,,, ऐसा सुख कजरी में कभी जिंदगी में प्राप्त नहीं की थी और ना ही रघु ने,,, कई औरतों के साथ चुदाई का खेल खेलने के बावजूद भी जो मजा उसे अपनी मां के साथ आ रहा था वैसा मजा उसे किसी के साथ नही आया था,,,

फच्च फच्च की आवाज कजरी कीबुर से लगातार आ रही थी,,,, कचरी की ओखली में उसका बेटा लगातार अपना मुसल मार रहा था,,,, जबरदस्त आनंद की पराकाष्ठा को दोनों प्राप्त कर रहे थे घर के बाहर बारिश तेज हो चुकी थी और इधर रघु अपनी मां की बुर में पानी की बौछार करने वाला था,,,ईस बार का सावन कजरी के लिए बहुत खास था क्योंकि वर्षों से उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार नहीं पड़ी थी लेकिन सावन के शुरू होते ही उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार मानो अपनी कृपा बरसा रही हो,,, उसकी सूखी जमीन सावन की फुहार से एकदम गीली चली थी,,,,।

देखते ही देखते कजरी की सांसे बड़ी तेज चलने लगी,,, रघु समझ गया और अपने दोनों हाथ के नीचे से डालकर अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया और अपने सीने से लगाकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,दरवाजा लग जाने की वजह से दोनों निश्चिंत होकर उसी तरह से सो गए रघु का लंड अभी भी उसकी मां की बुर,,, बाहर पक्षियों के चहकने की आवाज से कजरी की नींद खुली तो,, उसका बेटा उसके ऊपर ही सोया हुआ था कजरी को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था और वह उसके बारे में उंगली डालकर सहलाने लगी,,,,रघु की नींद खुल गई और नींद खुलते ही वह अपने होंठों को अपनी मां के होठों पर रखकर चुंबन करने लगा,,,, थोड़ी देर बाद वह अपने बेटे से बोली,,,।
Raghu or Kajri


रघु मुझे एक बात सच सच बताना,,, शालू के पेट में किसका बच्चा है,,,,?
Behtareen update
 

Devang

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रघु दरवाजा बंद करके एकदम अंदर वाले कमरे में पहुंचा तो दंग रह गया उसकी मां कजरी खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी खटिया पर लेटी हुई थी,,,, लालटेन मद्धम रोशनी में जल रही थी,,,। जिस के उजाले में रघु को सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु तो अपनी मां के नंगे बदन को देखकर एक बार फिर से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, रघु भले ही अपनी मां की जमकर चुदाई कर चुका था उसके नंगे बदन को देख चुका था अपने हाथों से उसके हर एक अंग को छूकर स्पर्श करके महसुस करके देख चुका था लेकिन कजरी का खूबसूरत बदन इतने बेहतरीन तरीके से तराशा हुआ था कि उसे बार बार नंगी देखने के बावजूद भी मन नहीं भरता था,,,,रघु बड़े गौर से अपनी मां को देख रहा था वह खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी लेकिन रघू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,, पल भर में ही उसके पैजामा मे तंबू बन गया,,, कजरी को साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों के सामने उसके पहचानी का आगे वाला भाग उठता जा रहा था,,, और जब रघु का लंड पजामे में अपनी औकात में आ गया तो कजरी को ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई खूंटा गड़ा हो,,,, अपने बेटे के खूंटे को देख कर बोली ,,,।

बाप रे तेरा तो देखकर ही खड़ा हो गया,,,,


खटिया पर नंगी लेटोगी तो मेरा तो क्या किसी का भी खड़ा हो जाएगा,,,,


तो उतार दे अपने कपड़े,,,,,


उतारना ही पड़ेगा मां,,, तुम्हारी मदमस्त जवानी से खेलने के लिए मुझे कपड़े उतार कर नंगा होना पड़ेगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने कपड़े उतारने लगे और अपने बेटे को कपड़े उतारता हुआ देखकर कजरी के तन बदन में हलचल सी मचने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच,,,,, वह अपनी हथेली को अपनी बुरर पर रखकर उसे मसलते हुए बोली,,,)

दरवाजा तो बंद कर दिया है ना,,,,
Raghu or uski ma Kajri



बिल्कुल मेरी जान,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने पर जाने को भी बार उतार फेंका और उसकी आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया अपने बेटे के लहराते हुए लंड को देखकर कजरी की बुर कुलबुला रही थी,,, और अपने बेटे के मुंह से अपने लिए जान शब्द सुनकर उसके तन बदन में उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी चिकोटि काटने लगी,,,जिंदगी में पहली बार किसी ने उसे जान कहकर बुलाया था और वह भी उसका खुद का सगा बेटा,,,उसे जान शब्द अपने बेटे के मुंह से सुनकर अच्छा भी लग रहा था लेकिन हैरान भी थी,,, क्योंकि वह उसकी मां थी और वह उसका बेटा था लेकिन फिर भी अपने मन में सोचने लगी कि एक बार अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगे खोल देने पर दोनों के बीच का रिश्ता बदल गया है अब वह उसका बेटा बिल्कुल भी नहीं रह गया अब वह पूरा मर्द था और वह एक औरत मां बेटे का रिश्ता दोनों के बीच खत्म हो चुका था,,,,, और मन ही मन कजरी इस रिश्ते से बेहद खुश थी शालू जब तक अपने ससुराल नहीं गई थी तो कचरिया की सोच कर हैरान और परेशान हो जाती थी कि अकेले और कैसे रहता हूं कि घर में लेकिन अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना लेने के बाद अपने मन में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ की सालु अपने ससुराल चली गई उसके और उसके बेटे के बीच में तीसरा कोई भी नहीं था वह जब चाहे तब अपनी शारीरिक भूख अपने बेटे से मिटा सकती थी,,,,,,
RRaghu or uski ma Kajri

रघु कि नजर अपनी मां की चूचियों पर थी जोकि पानी भरे गुब्बारे की तरह छातीयो पर लहरा रही थी,,,,जब तक रघु ने अपनी मां को पूरी तरह से नंगी नहीं देखा था तब तक उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु केवल उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड थी जो की साड़ी में लिपटी हुई होती थी लेकिन जब से वह अपनी मां को नंगी देख चुका था उसे भोग चुका था तब से उसकी मां की खूबसूरत बदन में ऐसा कोई भी अंग नहीं था जो उसके आकर्षण का केंद्र बिंदु में अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक अंग को देखकर उसकी उत्तेजना बढ़ जाती थी,,,,इस समय उसे अपनी मां की चूची दशहरी आम की तरह लग रहे थे जिसमें मीठा रस भरा हुआ था और उसे चखने के लिए उसे जोर जोर से दबाना लाजिमी था,,, लेकिन उसकी प्राथमिकता इस समय अपने लंड को उसकी मां के मुंह में डालकर उसे चुसवाना था,,, क्योंकि बड़ी बात बिल्कुल भी नहीं थी ऐसे हालात में लेकिन फिर भी रुको थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां हो सकता है उसके लंड को मुंह में ना लें,,,, इसलिए वो पहले अपनी मां को गरम करना चाहता था क्योंकि उत्तेजना में दुनिया की कोई भी औरत संतुष्टि पाने के लिए कुछ भी कर सकती हैं,,,, इसलिए रघु अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए अपनी मां को ललचा रहा था,,,, और उसकी मां अपने बेटे के लंड को देखकर ललच भी रही थी,,,,। इसलिए वह बोली,,,।


अब वहां खड़ा ही रहेगा कि यहां आएगा भी,,,।
(कजरी की बातों में अपने बेटे को पानी की उत्सुकता साफ झलक रही थी इसलिए तो रघू अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)

ओहहह,,,, मेरी रानी को बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह रानी शब्द सुनते ही कजरी एकदम से शर्मा गई और शर्माते हुए बोली,,,)


तू रानी मत कहा कर,,,,


क्यों,,,,?(अपने लैंड को हिलाते हुए)

क्योंकि मुझे शर्म आती है रानी कह कर तो तेरे पिताजी ने भी आज तक मुझे नहीं बुलाया था,,,,


लेकिन मैं तो बुलाऊंगा क्योंकि तुम मेरी रानी हो मेरी जान मेरी सब कुछ हो,,,,

हरामी में तेरी मां हूं,,,

तो क्या हुआ एक बार तुम्हारी बुर में लंड डालने के बाद हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता बिल्कुल भी नहीं रह गया हम दोनों के बीच केवल मर्द और औरत का रिश्ता है,,, तुम खूबसूरत हो जवान हो,,,, मुझे अपना प्रेमी ही समझ लो,,,,,(ऐसा कहते हुए वह खटिया पर बैठ गया,,,अपने बेटे की मधुर बातों को सुनकर कजरी शर्मा रही थी शर्म से पानी पानी हुए जा रहे थे उसे अपने बेटे की बातों का असर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर में होता हुआ महसूस हो रहा था जोकि धीरे-धीरे गीली होने लगी थी,,, रघु को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मां उसकी बातों से एकदम से शर्मा रही है रघु अपनी मां की शर्म देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो जाता था उसे रहने की और वह अपने होंठों को नीचे की तरफ लाकर अपनी मां के होठ पर रख दिया और उसे चूमना शुरू कर दिया,,,,,, अपने होठों पर अपने बेटे के होंठों का स्पर्श पाते ही,,, कजरी उत्तेजना से गदगद हो गई,,, और वह अपने बेटे का साथ देते हुएअपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी दोनों के जीभ एक दूसरे के मुंह के अंदर बाहर हो रही थी दोनों एक दूसरे के जीभ को चाट कर मजा ले रहे थे,,,,,, कजरी की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,
रघु भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपना एक नीचे की तरफ लाकर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रख दिया और उसकी गीली बुर में अपनी उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा,,, कजरी की हालत अपने बेटे की उंगली से ही खराब होने लगी,,,, उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,, रघु की उंगली कजरी की पुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही थी कजरी उत्तेजना के मारे खटिया पर ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए रगड़ रही थी,,। रघुअपनी मां के होठों पर से अपने होठों को हटाकर उसकी दोनों टांगों के बीच देखने लगा जिसने उसकी उंगली बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रही है और वह से अपनी मां की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,,।


आहहहहह,,,, मेरी जान तेरी बुर तो बहुत पानी छोड़ रही है,,,रे जी मैं तो आ रहा है कि खा जाऊं,,,(रघु जोर-जोर से अपनी मां की बुर में उंगली करते हुए बोला,,,)

तो खा जाना रे रोका किसने है,,,(कजरी भी एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,, रघु अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पाया था और अपनी मां से से बातें कर रहा था कि जैसे किसी और औरत की बुर में उंगली कर रहा है लेकिन जहां तक संभोग में सुख और संतुष्टि की बात आती है तो हर इंसान ही करता है औरत और मर्द चुदाई के दौरान खुलकर गंदी गंदी बातें करके एक दूसरे को गाली देकर बातें करते हैं तो चुदाई का मजा और ज्यादा बढ़ जाता हैयह बात शायद पहली अच्छी तरह से जानती थी इसीलिए अपने बेटे का साथ देते हुए उसी भाषा में बात कर रही थी,,,।)


सच कह रहा हूं मेरी रानी तेरी बुर की मलाई जीभ से चाटने का मन कर रहा है,,,।

तो चाटना मादरचोद मैं भी तड़प रही हूं अपनी मलाई तुझे खिलाने के लिए,,,,।


मादरचोद बोलती है रंडी,,,,(अपनी मां की चूची को और दम लगाकर दबाते हुए बोला और इस तरह से जोर से दबाने की वजह से कजरी के मुंह से आह निकल गई)

आहहहहह,,,, मादरचोद नहीं है तो और क्या है तू अपनी मां को चोदता है तो मादरचोद ही हुआ ना तू भोसड़ी के,,,


हां शाली में हूं मादरचोद लेकिन तू भी छिनार है,,,,आहहहहह बहुत मजा देती है तू,,,,आहहहहहह मन कर रहा है कि घुस जाऊं भोसडै में,,,,


तो घुस जाना मादरचोद,,,, वहीं से तो तू निकला है और उसी में फिर से घुस जा,,,,,आहहहहहह,,, लगता है बिना चोदे ही पानी निकाल देगा मादरचोद,,,,,।



तेरी बुर में पानी की कमी नहीं है मेरी रानी मेरी छम्मक छल्लो तेरी बुर में से पानी की नदियां बह रही है,,, और यह सब कुछ तेरे लंड का करा कराया है,,,, भोसड़ी के तेरा लंड कितना बड़ा है ऐसा लगता है जैसे गधे का लंड है,,,


गधे का लंड ही तो तेरी बुर में जा रहा है मजा नहीं आ रहा है क्या तुझे,,,,(एक साथ अपनी दोनों उंगलियों को अपनी मां की बुर में डालते हुए बोला,,,)


मजा तो बहुत आ रहा है कभी तो तेरे आने से पहले अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर तेरा इंतजार कर रही थी,,,,


मेरे लंड से इतना प्यार है तो ले लेना मुंह में चुस के देख कितना मजा आता है,,,, एकदम गन्ने का मिठास मिलेगा तुझे,,,,।


तो ला डाल दे मेरे मुंह में मैं भी आ जाना मुंह में डालकर तेरे लंड को देखु तो सही कैसा लगता है,,,।


बहुत मजा आएगा रानी बहुत मजा इतना मजा की तू मेरे लंड को मुंह से बाहर नहीं निकालेगी,,,,,(अपरा को बिल्कुल भी देरी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना अवस्था में उसके मुंह में लेने की बात कर रही थी,,, इसलिए वह अपनी मां की छाती के ऊपर अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर खड़ा हो गया और अपनी फ्रेंड को हाथ से हीलाते हुए उसके सुपाड़े को अपनी मां के होठों पर रखकर उसे रगड़ने लगा,,,,, कजरी के लिए यह बिल्कुल नया था,,, क्योंकि आज तक कुछ नहीं अपने पति के लंड को मुंह में नहीं गई थी उसे लंड को मुंह में लेना बहुत घिनौना लगता था,,, रघू बड़ी मस्ती के साथ अपने लंड को अपनी मां के होठों पर रगज रहा था और कजरी अपने होठों को बंद कर ली थी लंड को मुंह में लेने वाली बात को वह उत्तेजना में बोली थी,,,। उसे नहीं मालूम था कि उसका बेटा सच में ऐसा करेगा लेकिन रघु को तो बहुत मजा आ रहा था बार-बार वह अपनी लंड के सुपाड़े को जबरदस्ती अपनी मां के होंठों के बीच घुसेडना चाहता था लेकिन उसकी मां जबरदस्ती अपने होठों को बंद किए हुए थी,,,।


हाय मेरी रानी अब और मत तड़पा मेरा लंड तड़प रहा है तेरे मुंह में जाने के लिए,,,


ऊमममम,,, मुझसे नहीं होगा मैंने कभी इसे अपने मुंह में नहीं ली,,,,


तो एक बार इसे अपने मुंह में ले कर देख मेरी जान बहुत मजा आएगा,,,,, खोल अपने गुलाबी होंठों को और जाने दे मेरे लंड को उसके अंदर,,,,,आहहहहह मेरी रानी खोल,,,,,(ऐसा कहते हुए रघुअपने लंड कैसे पानी को जबरदस्ती अपनी मां के होठों के बीच ले जाने लगा लेकिन इस बारकजरी विरोध ना करते हुए अपने बेटे का साथ देने लगी और अपनी गुलाबी होठों को धीरे से खोल दी और जैसे ही उसके होठों के पट खुले वैसे ही रघु जल्दबाजी दिखाते हुए अपने लंड को उसके मुंह में ठूंस दिया,,,,,,,।


आहहहहह मेरी रानी आप अपनी जीभ को उस पर गोल गोल घुमाओ देखो बहुत मजा आएगा,,,।

और कजरी भी आज्ञाकारी बेटे की बात मानते हुए उसी तरह से करने के लिए जैसा कि रघु बता रहा था थोड़ी देर में कजरी को मजा आने लगा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि लंड चाटने में इतना मजा आता है,,,।

कजरी को पहली बार में ही इतना मज़ा आने लगा था लेकिन रखो तो जैसे स्वर्ग में उड़ रहा हूं उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इतने अच्छे से उसके लंड की चटाई करेगी,,,,कुछ ही देर में रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूटने लगी जैसा कि अब तक उसकी मां के मुंह से फुट रही थी,,,,।


सहहहहहह,,,आहहहहहह,,, मेरी रानी,,,,ओहहहह,,, मेरी कजरी रानी बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही,,,,(और ऐसा कहते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मां के मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,,कजरी मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चाट रही थी मुंह में लेकर चूस रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, यह बात रघु कोई अच्छी तरह सेसमझ में आ रही थी कि उसकी मां को मजा आ रहा है रघु अपना एक हाथ पीछे की तरफ लाकर फिर से अपनी मां की बुर में उंगली डाल दिया और उसे अंदर-बाहर करने लगा कजरी का मजा बढने लगा था लेकिन रघू इस मजे को और ज्यादा बढ़ाना चाहता था,,,। इसलिए अपनी मां के मुंह से अपनी लंड को वापस खींच कर अपने आसन को बदल दिया,,, कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जब उसे पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के बारे में मालूम होगा तो वह उत्तेजना से और खुशी से गदगद हो गई,,,, क्योंकि रघू अपनी मां के ऊपर था,,, और कजरी नीचे लेकिन एक दूसरे का अंग एक दूसरे के मुंह में था,,,कजरिया राम से अपने बेटे का लैंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और रघु अपनी मां के बुर में जीभ डालकर चाट रहा था दोनों को एक साथ सुख मिल रहा था,,,,

लालटेन की पीली रोशनी बंद कमरे के अंदर दोनों मां बेटे एक दूसरे के अंगों से भरपूर सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, कजरी बार-बार पानी छोड़ रही थी जो कि उसकी बुर की गवाही दे रही थी कि उसे लंड चाहिए था,,,, रघु मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, कई औरतों के संगत में आकर औरतों की जरूरत को बड़े अच्छे तरह से जानता था,,,। कुछ देर तक और अपनी मां की बुर चाटने के बाद वह खड़ा हुआपर अपनी मां की तरफ देखने लगा चौकी उत्तेजना में पूरी तरह से लाल हो चुकी थी उसके होंठों से लार चु रही थी,,,,,, यही मौका सबसे खास होता है क्योंकि उसकी मां पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में औरतों की चुदाई औरतों को ज्यादा आनंद देती है,,,,

रघु समय ना गंवाते हुए अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया,,, और अपनी मां की बुर में एक झटके में अपना पूरा लंड डाल दिया और दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर उसे दबाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में अंदर-बाहर करने लगा,,,। वह अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया था और बाहर बारिश गिरना शुरू हो गई थी,,,,रघु के धक्कों की वजह से खटिया चरमरा रही थी कजरी को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए,,,।

आहहहहह आहहहहह आहहहहह हरामी मादरर्चोद और जोर से चोद ,,,आहहहहहह,,,, लेकिन संभाल के कई खटिया टूट ना जाए,,,।


टूट गई तो क्या हुआ मेरी जान,,, मेरी रंडी बुरचोदी,,,, तेरी बुर चोदने के लिए तो मैं पलंग भी तोड़,,दु,,,,(ऐसा कहते हुए रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, साथ ही बार-बार अपनी मा की चुची को बारी बारी से मुंह में लेकर पी भी रहा था,,, कजरी अपनी बेटी की जबर्दस्त प्रहार की वजह से आहत भी हो रही थी लेकिन मजा भी बता रहा था,,,,)

आहहहहह आहहहहह,,,, हरामजादे कितना दम है रे तेरे में,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, सारी ताकत मेरी बुर पर ही निकाल रहा है क्या,,,,(कजरी मस्ती भरे स्वर में बोली)


तो क्या मेरी रंडी,,,, तेरी बुर में ही मुझे अपनी सारी ताकत लगाना है,,,, तभी तो तू मेरे लंड़ की दीवानी होगी,,,।


अब हो तो गई हूं तेरे लंड को बिना मुझे मजा नहीं आता,,, क्या मस्त लंड है तेरा मादरचोद अपनी मां को चोदता है,,,,आहहहहहह,,, रंडी बना दिया है तूने मुझे,,,


और तूने मुझे मादरचोद बना दी है बुर चोदी,,,,,


दोनों मां-बेटे एक दूसरे को गाली गलौज के साथ बात करते हुए चुदाई का परम आनंद लूट रहे थे,,, ऐसा सुख कजरी में कभी जिंदगी में प्राप्त नहीं की थी और ना ही रघु ने,,, कई औरतों के साथ चुदाई का खेल खेलने के बावजूद भी जो मजा उसे अपनी मां के साथ आ रहा था वैसा मजा उसे किसी के साथ नही आया था,,,

फच्च फच्च की आवाज कजरी कीबुर से लगातार आ रही थी,,,, कचरी की ओखली में उसका बेटा लगातार अपना मुसल मार रहा था,,,, जबरदस्त आनंद की पराकाष्ठा को दोनों प्राप्त कर रहे थे घर के बाहर बारिश तेज हो चुकी थी और इधर रघु अपनी मां की बुर में पानी की बौछार करने वाला था,,,ईस बार का सावन कजरी के लिए बहुत खास था क्योंकि वर्षों से उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार नहीं पड़ी थी लेकिन सावन के शुरू होते ही उसकी सूखी जमीन पर सावन की फुहार मानो अपनी कृपा बरसा रही हो,,, उसकी सूखी जमीन सावन की फुहार से एकदम गीली चली थी,,,,।

देखते ही देखते कजरी की सांसे बड़ी तेज चलने लगी,,, रघु समझ गया और अपने दोनों हाथ के नीचे से डालकर अपनी मां को अपनी बाहों में भर लिया और अपने सीने से लगाकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए,,,दरवाजा लग जाने की वजह से दोनों निश्चिंत होकर उसी तरह से सो गए रघु का लंड अभी भी उसकी मां की बुर,,, बाहर पक्षियों के चहकने की आवाज से कजरी की नींद खुली तो,, उसका बेटा उसके ऊपर ही सोया हुआ था कजरी को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था और वह उसके बारे में उंगली डालकर सहलाने लगी,,,,रघु की नींद खुल गई और नींद खुलते ही वह अपने होंठों को अपनी मां के होठों पर रखकर चुंबन करने लगा,,,, थोड़ी देर बाद वह अपने बेटे से बोली,,,।
Raghu or Kajri


रघु मुझे एक बात सच सच बताना,,, शालू के पेट में किसका बच्चा है,,,,?
Behtareen update
अपनी मां का सवाल सुनते हो रघु एकदम से चौंक उठा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह का सवाल पूछ बैठेगी,,, लेकिन यह सवाल उसकी मां के मन में आया कैसे इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान और परेशान भी था,,, फिर भी निश्चिंत होकर वह अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,।

कैसी बातें कर रही हो मां बिरजू का और किसका,,,, और यह बात तो तुमने ही मुझे बताई थी,,,,,,।


लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता की शालू ऐसा कर सकती है,,,।


सब कुछ तुम्हारे सामने ही तो था मां,,,( वह अभी भी पूरी तरह से नंगा अपनी मंकी मां पर लेटा हुआ था लेकिन ऐसा कहते हुए वह अपनी मां के ऊपर से उठने लगा और खटिया के पाटी पर बैठ गया,,,)

नहीं नहीं सब कुछ मेरी आंखों के सामने नहीं था यह तो मेरी आंखों के सामने बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है,,,।


कैसी बातें कर रही हो मां,,,,,, क्या हो गया है तुम्हें आज बहकी बहकी बातें कर रही हो,,,,(रघु अपनी मां से नजरे चुराता हुआ बोला,,, उसके मन में शंका हो रही थी कि कहीं उसकी मां को कुछ पता तो नहीं चल गया इसलिए वह इस समय अपनी मां से कतरा रहा था लेकिन कजरी सब कुछ जानती थी वह बस अपने बेटे के मुंह से सुनना चाहती थी,,,)




बहकी बहकी बातें नहीं कर रही हूं लेकिन मैं तेरे मुंह से सच सुनना चाहती हूं,,,, तुम दोनों भाई बहन मिलकर मुझे क्या पट्टी पढ़ा गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन कुछ तो हुआ है,,, ,,,(कजरी भी खटिया पर बैठते हुए अपने बदन पर चादर डालते हुए बोली,,,)

अब क्या बताऊं बिरजू और शालू दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे और दोनों के बीच कब क्या हो गया पता ही नहीं चला,,,


चल यह बात तो मैं मानती हूं,,, कि उन दोनों में प्यार था और वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,,,,,, लेकिन रघू मैं तेरी मां हूं तुम दोनों की मां हु मुझे इतना तो पता चलता ही है कि मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं,,,,(रघु की आंखों में झांकते हुए बोली रघु एकदम से सकपका गया,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां को पता चल गया है कि उसके और उसकी बहन के बीच में कुछ चल रहा है,,,, फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,,,)

क्या बात तुम भी बे मतलब की बातें कर रही हो,,,


बेमतलब की नहीं बेटा मैं सच कह रही हुं,,,, क्योंकि मैंने तुम दोनों को छत पर चुदाई करते हुए देख ली थी,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही रघु की आंखें चौड़ी हो गई क्योंकि वह अभी तक ही समझ रहा था कि उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर रघु दिन से हैरान हो गया था,,,बात को बदलने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह बिल्कुल सच था,,,, कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,,,)
लेकिन उस समय में कुछ नहीं बोली क्योंकि बहुत बड़ी जो हमारे सर पर भी पता थी वह माथे से दूर होने वाली थी और सिर्फ तेरी वजह से इसलिए मैं खामोश रही लेकिन आज मैं तुझसे यह कह रही हूं,,,,,,(रघु के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था बस शर्म से अपना सर नीचे झुकाए खटिया के पाटी पर बैठा था,,,) अब इंकार करने से कोई फायदा नहीं मैं अपनी आंखों से देखी थी तू अपनी बड़ी बहन को चोद रहा था और वह भी खूब मजे ले रही थी,,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि सालु इतनी समझदार और भोली भाली होने के बावजूद ऐसे कदम क्यों उठा ली,,, (रघु शर्म से नजरे झुकाए बैठा हुआ था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,,,यह बात कजरी भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया उसी तरह से उन दोनों भाई-बहन के बीच की सारी संबंध स्थापित हो गया होगा इसमें कुछ गलत कजरी को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि वह खुद मां होने के बावजूद भी अपनी बेटे के साथ ही चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,,।)
तू कुछ बताएगा भी कि ईसी तरह से खामोश बैठा रहेगा,,,


मममम,,, मैं क्या बोलूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,,


जो कुछ भी हुआ वह सब मुझे बता दे मैं तुझे मारने पीटने वाली या तुझे भला बुरा कहने वाली नहीं हूं क्योंकि अब हम तीनों एक ही कश्ती पर सवार, है,,,।(इतना कहने के साथ ही कचरी अपने बदन पर डाले हुए चादर को हटा दी और एक बार फिर से निर्वस्त्र हो गई क्योंकि वह रघु को यह बताना चाहती थी कि अब उसे शर्म करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है,,,खास करके तब जब एक बेटा खुद अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना देता है और एक मां खुद अपने बेटे से संतुष्ट होती है,,,। चादर के हटते ही रघु की नजर अपनी मां की छातियों पर चली गई जो कि सुबह-सुबह और भी ज्यादा खूबसूरत और उत्तेजक नजर आ रही थी,,,, कचरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

शालू के पेट में तेरा ही बच्चा है ना,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुन कर रखो अपनी मां की आंखों में देखने लगा लेकिन उसे अपनी मां की आंखों में जरा भी गुस्सा क्रोध नजर नहीं आ रहा था बल्कि सच जानने की उत्सुकता नजर आ रही थी और जैसा कि उसकी मां ने बताया कि वह तीनों एक ही कश्ती पर सवार है तो रघू को इस बात से थोड़ी हिम्मत मिलने लगी,,,, वह भी अपनी मां को सब सच बताने का ठान लिया था और अपनी मां का यह सवाल सुनते ही बोला,,,,)

तुम ठीक कह रही हो मां,,,, दीदी के पेट में मेरा ही बच्चा है,,,।
(यह सुनते ही कजरी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया हालांकि उसे पूरी तरह से शक हो चुका था कि उसकी बेटी के पेट में उसके ही बेटे का बच्चा है,,,,)


लेकिन यह सब हुआ कैसे क्योंकि शालु जैसी लड़की सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हुआ था,,, वहीं सच था,,, मैं अंदर कमरे में इसी कमरे में सोया हुआ था,,, और सुबह सुबह शालू मुझे जगाने के लिए आई थी,,,, तुम तो जानती हो मा कि मैं तोलिया लपेट कर सकता हूं नींद में इधर-उधर तोलिया हो गया था,,,, और मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था मैं गहरी नींद में था शालू मुझे जगाने आई और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई,,,, और वह ना जाने क्यों बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली और हीलाने लगी,,,, मेरी नींद खुली तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था वह मुझे नहीं देख पाई थी कि मैं जाग गया हूं मैं उसी तरह से आंखें बंद कर लिया क्योंकि तुम तो अच्छी तरह से जानती हो मां की उस तरह का पल एक जवान लड़के के लिए कैसा होता है,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर और वह भी अपनी बेटी के बारे में उसकी गंदी हरकत के बारे में सुनकर ही कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह शालू को कभी भी गंदा काम करते हुए सोची नहीं थी और अपने बेटे के मुंह से सुनकर यह पहली मर्तबा था जब वह सालु के बारे में पूरी तरह से कल्पना कर रही थी की उस दिन क्या क्या हुआ होगा कैसा लग रहा होगा रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

वह मेरा लंड हीलाना शुरू कर दी थी मुझे अच्छा लग रहा था,,, मैं देखना चाहता था कि वह और क्या करती है और तभी बाहर किसी की आवाज आई और वो तुरंत भाग खड़ी हुई,,,, इसी तरह से दूसरे दिन भी हुआ लेकिन मेरी हालत एकदम खराब हो गई मुझसे रहा नहीं गया और मैं दीदी का हाथ पकड़ लिया और उसके बाद वह सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था,,,। और यह सिलसिला रोज का हो क्या एक तरह से कहूं तो दीदी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी बिना मेरे लंड को अपनी बुर में लिए उनका मन नहीं मानता था,,,,(रघु बिना रुके बोले जा रहा था साथ ही अपनी बहन के बारे में और खुद के बारे में इतनी गंदी बात बताते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी साथ ही अपनी मां की नंगी चूची को देखकर उसकी उत्तेजना और पढ़ रही थी और वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हाथ से अपनी मां की चूची को दबा भी रहा था और बात को आगे भी बढ़ा रहा था,,,) हम दोनों रोज चुदाई करते हैं छत पर तुम्हारे सो जाने के बाद हमें हमेशा दीदी के पास चला जाता था और दीदी की जमकर चुदाई करता था और ऐसे ही किसी दिन तुम्हारी नजर हम दोनों पर पड़ गई होगी,,,,।

हां रात को मेरी नींद खुल गई थी तो तुम दोनों पर मेरी नजर पड़ गई थी लेकिन तब तक तो शालू पेट से हो चुकी थी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि तुम दोनों ने मिलकर अपनी गलती उस बिरजू के मत्थे क्यों चढ़ दीए और कैसे,,,,,,,(कजरी को अपने बेटे के हाथों से स्तन मर्दन कराना अच्छा लग रहा था,,,कजरी के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी आगे की कहानी सुनने के लिए क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि साल और उसका बेटा मिलकर कैसे अपनी करनी को दूसरे के मत्थे की लकीर बना दिए थे,,,,रघु जवाब देता हुआ बोला लेकिन अपनी मां की चूची दबाते दबाते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और कजरी की भी नजर अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच झूलते हुए उस लंड पर पड़ चुकी थी जो कि रात भर उसकी बुर के अंदर शरण लिए हुए था,,,, और उसे देख कर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,)

मैं अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू सालु से प्यार करता है और उसके साथ हीविवाह करना चाहता है चालू नहीं बताई थी कि उसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था लेकिन सालु आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी,,,।

फिर क्या हुआ,,,?(इस बार कजरी से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रघु के लंड को अपने हाथ में पकड़ लि और उसे हिलाना शुरू कर दी,,,, जिससे रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।)

फिर क्या था हम दोनों ने षड्यंत्र रचाया,,,, बिरजू को फंसाने का क्योंकि वह पहले से ही शालु पर मरता था और वह आलू को चोदना भी चाहता था और इसी का फायदा उठाकर मैं दीदी को सारी पट्टी पढ़ा दिया और पट्टी पढ़ाने के बादशालू से बोला कि वह आम वाले बगीचे में उसे बुलाया और वहां पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और ऐसा ही हुआ शालू बिरजू को आम वाले बगीचे में बुलाई और उसके साथ चुदवाई,,,, उस बेचारे को तो मालूम ही नहीं था कि उसके चोदने से पहले ही शालू पेट से हो चुकी है और शालू यह बात जानती थी कि वह इस मामले में पूरी तरह से गिरते हुए उसे समय का बिल्कुल भी भाग नहीं होता और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने बड़ी मालकिन से इस बारे में बात किया था और तब जाकर शालू की शादी बिरजू से हुई,,,।


अपने बेटे की बात सुनते ही आश्चर्य और खुशी से कजरी की आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रखो को क्या बोले उसे डांटे फटकारे मारे या भला बुरा कहे,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसमें रघु की गलती सरासर थी लेकिन एक बड़ी समस्या से निकालकर चालू की अच्छे घर में विवाह भी उसी ने ही संपन्न करवाया था,,,, अगर कजरी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे से चुदवाने का हनन देना लूट रही होती तो शायद अपनी बेटी और अपनी बेटी के पीछे सारी संबंध को लेकर कजरी बवाल मचा चुकी होती या तो फिर उसे दिल का दौरा पड़ चुका होता लेकिन अब वह इस रिश्ते से खुश थी ,,,,


बाप रे मेरी पीठ पीछे तुम दोनों ने इतना बड़ा षड्यंत्र रचा दिया और मुझे इसकी भनक तक नहीं लगी वह तो अच्छा हुआ था कि मैं रात को छत पर तुम दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी थी वरना मुझे जिंदगी में कभी भी पता नहीं चलता कि मेरे ही घर में मेरे बेटे और बेटी आपस में चुदाई का मजा लूट रहे है,,,।


जैसे कि हम दोनों,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी अपनी मां की चूची पर रख कर दबातें हुए बोला,,, और रघु ने इतनी मस्ती भरी अदा सेअपनी मां की चूची दबाया था कि उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, और अपनी मां की उत्तेजना का रघु पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी बहन के बीच 4 दिसंबर को लेकर उसकी मां उसे भला-बुरा का है इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेना चाहता था ताकि वह भी सब कुछ भूल कर उन दोनों के रिश्ते पर अपनी सम्मति की मुहर लगा दे,,,, और इसीलिए रघू तुरंत अपनी मां पर झुकता हुआ अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया और खटिए पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर उसे अच्छी तरह से अपनी मां की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद पर लगाकर हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड फिर से कजरी की बुर में समा गया,,,, हल्की सी आह की आवाज के साथकजरी ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में समा लेने के लिए आमंत्रण दिया,,, और फिर क्या था एक बार फिर से रघु अपनी मां की बुर में समा गया था,,,उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों में पकड़ कर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, पर एक बार फिर से कजरी अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की आगोश में अपनी जवानी को समेट कर उसे सौंप चुकी थी,,, और गर्म सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लूट रही थी,,,,

थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों पर जा रहे थे इसलिए कजरी अपने ऊपर से अपने बेटे को हटाते हुए बोली,,,,।

चल हट अब उठ जा घर का काम भी करना है खेतों में भी जाना है,,, शालू अपने ससुराल में है इसलिए मुझे ही ढेर सारा काम करना पड़ता है,,,,।


तुम कहो तो मा,, मै शालु को कुछ दिनों के लिए ले आऊ,,,।


क्यों क्या करने के लिए उसकी चुदाई करने के लिए,,,


अरे नहीं मा,,,(रघु अपनी मां के ऊपर से उठता हुआ बोला,,) पहली बार है ना शालू के बिना यह घर अच्छा नहीं लगता,,,(नीचे जमीन पर गिरी अपने पजामे को उठाकर पांव में डालते हुए बोला,,, कजरी भी खटिया के नीचे गिरी अपनी साड़ी को नीचे छुपकर उठाते हुए बोली,,,)

क्या मालकिन उसे आने के लिए राजी होंगी,,,।


यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो तुमसे इजाजत तो मैं इस रविवार को ही जाकर ले जाऊंगा,,,


ठीक है जैसी तेरी मर्जी वैसे भी उसके बिना अच्छा तो नहीं लगता लेकिन उसके आ जाने पर हम दोनों के बीच यह मधुर मिलन नहीं हो पाएगा,,,,।


कैसे नहीं हो पाएगा मां,,,,,(पजामा पहन कर फिर से खटिया के पाटी पर बैठता हुआ बोला)

पागल हो गया क्या शालू की मौजूदगी में मैं तेरे लिए अपनी टांगे खोलने वाली नहीं हूं,,,,(खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी पांव में डालकर उसे अपनी कमर की तरफ खींचते हुए बोली,,,)

तुम अकेले अपनी दोनों टांगे नहीं खोल सकती लेकिन सोचो अगर तुम दोनों मिलकर अपनी दोनों टांगे मेरे लिए खोलो तो,,,
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से सन्न रह गई ,,)

क्या पागल हो गया है क्या शालू और मैं दोनों एक साथ,,, तू सच में पागल हो गया है,,( खटिया से नीचे उतरकर अपने पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए बोली)


अरे हो सकता है क्यो नहीं हो सकता क्या तुम दोनों की चुदाई में एक साथ नहीं कर सकता,,,, मेरे लंड में बहुत दम है मेरा लंड एक साथ तुम दोनों मां बेटी की बुर में जाकर तुम दोनों का पानी निकाल सकता है,,,।

चल रहने दे अपने लंड की बढ़ाई करने के लिए,,,,(साड़ी को अपनी कमर से बांधते हुए बोली,,,,)


अरे मां जरा तुम भी सोचो कितना मजा आएगा,,, हम तीनों एक साथ एकदम नंगे तुम भी नंगी दीदी भी और मैं भी,,, मैं कभी तुम्हारी बुर चाट रहा हूं तो कभी दीदी की कभी तुम्हारे मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही है तो कभी दीदी के और कभी तो मेरा लंड चाट रही हो तो कभी दीदी और वह भी एक दूसरे के सामने कितना मजा आएगा सोचो चल मेरा लंड तुम्हारी बुर से निकलकर दीदी की बुर में जाएगा एक साथ हम तीनों कितना मजई आएगा मां जरा सोचो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी खुद कल्पनाओ कि दुनिया में खोने लगी जैसा जैसा रघु बता रहा था वैसा वैसा वह अपने मन में कल्पना कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ऊलझन भी हो रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े कैसे उतार पाएगी,,,। हालांकि अपनी बेटी की बात सुनकर उसके भी मन में अपनी बेटी की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर अपने ही बेटे के साथ चुदाई का सुख भोगने के लिए उत्सुकता बढ़ती जा रही थी लेकिन अपने मुंह से खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,)

तेरी मर्जी में जो आए वह कर,,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर जाने लगी तो रखो खुश होता हुआ बोला)

तो ठीक है मैं ऐसी रविवार को दीदी को लेने के लिए जा रहा हूं,,,,।

(कजरी यह सोचकर ही मदहोश हुए जा रही थी कि,,,कितना बजे आएगा जब उसका बेटा और उसकी बेटी और वह खुद नंगी होकर एक दूसरे के साथ मजा लेंगे,,,, देखते-देखते रविवार का दिन आ गया और बड़े सवेरे ही रघु तैयार होकर जमीदार के घर पहुंच गया,,, जमीदार की बीवी रघु को देखते ही एकदम खुश हो गई,,, और उसका आवभगत करते हुए बोली,,,,)

आओ रघू तुम्हारा इंतजार में हमेशा करती रहती हूं लेकिन तुम हो की यहां का रास्ता ही भूल गए हो,,


नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तो रोज ही यहां आना चाहता हूं लेकिन अब यह मेरी दीदी का ससुराल है इसलिए थोड़ा सबर करता हूं,,,,


हर यह तुम्हारा ही घर है यहां जब चाहो तब आ सकते हो कोई पाबंदी नहीं है,,,,


जमीदार कैसे हैं,,,(पलंग पर लेटे हुए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,,)

जैसा छोड़ कर गए थे वैसे ही है,,,,

(रघु को देखते ही जमीदार की आंखें तन गई उसका गुस्सा बढ़ गया आखिर बढ़ता भी कि नहीं उसकी हालत का जिम्मेदार भी तो वही था उसकी आंखों के सामने ही उसकी औरत की चुदाई करता था,,,, एक नजर जमीदार के ऊपर डाल कर वह मालकिन से बोला,,,।)

बड़ी मालकिन बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।

कहो रघु इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,,।

पहली बार सालु घर से इतना दूर गई है,,, मतलब कि यह उसका ही घर है लेकिन मां बहुत परेशान रहती है मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों के लिए चालू कर घर ले जाता तो मां को थोड़ी शांति मिल जाती और मैं वापस आकर छोड़ जाऊंगा,,,,।


क्यों नहीं रघू मैं समझ सकती हूं,,,, लेकिन जो आग मेरे अंदर लगी है शायद तुम नहीं समझ पा रहे हो,,,, अपनी बहन को तुम ले जा सकते हो लेकिन उससे पहले मेरी आग बुझाना होगा,,,,(रघु कुछ कह पाता इससे पहले ही जमीदार की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और रघु के सामने अपनी नंगी बुर परोश,,,दी,,, रघु बड़ी मालकिन की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था,,,, और वह जमीदार की आंखों के सामने ही आगे बढ़ा और जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर कर के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया जमीदार अपनी आंखों से देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था,,, और देखते ही देखते रघु अपनी बहन के सास की चुचियों से खेलता हुआ,,, उसे जमीदार के पलंग पर ही झुका दिया उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए अपने मुसल को जमीदार की बीवी की ओखली में डाल दिया,,,, जमीदार के कमरे में जमीदार की बीवी की गरम सिसकारी बुझने लगी जिसे सुनकर जमीदार गुस्से से भरता चला जा रहा था,,। लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था जमीदार की बीवी को कितना मजा मिल रहा है उसके चेहरे को देख कर ही पता चल रहा था और रघु भी कस कस के धक्के लगा रहा था उसी समय जमीदार की दूध पीने का समय हो रहा था,,, और दूध पिलाने का जिम्मा शालू का था इसलिए वह रोज की तरह गिलास लेकर जमीदार की कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कमरे में से अजीब अजीब लेकिन जानी पहचानी आवाज सुनाई देने लगी उस आवाज को सुनकर वह एकदम से चौक गई,,,, जमीदार की बीवी अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के चक्कर में दरवाजा बंद करना भूल गई थी दरवाजा थोड़ा सा खुला था और जब शालू थोड़े से खुले दरवाजे में अंदर की तरफ झांककर देखी तो दंग रह गई,,,

उसकी सास अपने पति के सामने पलंग के ऊपर झुकी हुई थी और गांड उपर की तरफ उठाई हुई थी और चुदवा रही थी,,, लेकिन किस से लेकिन यह उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन ध्यान से देखने पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी सांस के पीछे उसका भाई रघु खड़ा था जोकि उसकी सास को चोद रहा था शालू वहां खड़ी नहीं रह सकी और वापस रसोई घर की तरफ चली गई,,,, थोड़ी देर बाद लौटी तो सब कुछ शांत हो चुका था,,,लेकिन यह खबर सुनते ही की रघू उसे लेने आया है तो वह खुश हो गई,,, सब से आशीर्वाद लेकर चालू अपने घर की तरफ निकल गई लेकिन उसकी सास नहीं रघु को तांगा ले जाने के लिए बोली और रघु तांगे में अपनी बहन को बैठा कर अपने घर की तरफ ले जाने लगा ,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके भाई से क्यों चुदवा रही थी,,,। यही जानने के लिए वह बोली,,,।


क्यों रे अंदर क्या हो रहा था,,,


कहां,,,?

बाबूजी के कमरे में उनकी आंखों के सामने ही,,,,।


अच्छा तो तुझे पता चल गया,,,,(रघु हंसते हुए बोला)


हंस मत यह सब कैसे हो गया मुझे बता,,,


अरे यह सब बहुत पहले से चल रहा है तुझे याद है ना मैं मालकिन को उनके मायके लेकर गया था वही रास्ते में ही हम दोनों के बीच जुदाई का खेल शुरू हो गया,,, तू तो जानती ही है कि तेरी सांस कितनी जवान है और तेरे बाबूजी तेरे ससुर बूढ़े हो चुके हैं और अब तो बिस्तर ही पकड़ लिए है,,,, जवान औरतों की अपनी ख्वाहिश होती है खास करके चुदवाने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही थी तो रास्ते में ही मेरे लंड से चुदवाना शुरू कर दी,,,, और यह सिलसिला अभी तक जारी है,,,,।


बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है वह सभ्यता की मूरत इतनी शालीनता से रहती है इतनी संस्कारों वाली है,,,वह ऐसी होंगी उनके बारे में तो मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकती थी,,,,


अरे दीदी तू नहीं जानती जो सीधी सादी होती हैं खास करके उन में ही जवानी की आग भरी होती है,,, तेरी जेठानी राधा वह क्या कम है,,,


क्या मतलब,,,?(आश्चर्य जताते हुए शालू बोली)



मतलब यही कि तेरी जेठानी भी मेरे लंड का स्वाद अच्छा हो चुकी है,,,,।

क्या,,,?


तो क्या दोनों की चुदाई करने के बाद ही तो तेरा उस घर में जाने का रास्ता साफ हुआ है,,, क्योंकि उन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी है मेरा लंड,,, जब तक मेरा लंड समय-समय पर उन दोनों की बुर में ज्यादा रहेगा तब तक तो उस घर में रानी की तरह राज करेगी इसलिए मुझे समय समय पर उन दोनों की सेवा करनी ही पड़ेगी,,,।
(तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता चला जा रहा था और साथ में एक के बाद एक राज पर से पर्दा खुलता चला जा रहा था,,,)

और यह भी सुन तेरे बाद ही तेरी जिठानी और तेरी सास दोनों मां बनेंगी जिसका बाप मैं ही हूं,,,,,

(शालू की तो आंखें आश्चर्य से चोडा होती चली जा रही थी,,उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह बिल्कुल सच था और जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच होने वाला था,,,)

बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता नहीं चला,,,।


अरे दीदी बहुत कुछ बदल गया है घर चलोगी तो सब पता चल जाएगा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु और जोर से तांगा हांकने लगा,,,)
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