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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Devang

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बहुत ही गरमा गरम दृश्य शुरू हो चुका था जमीदार की हवेली में नंगा नाच होने वाला था जिसका मुक प्रेक्षक बना जमीदार सब कुछ देख रहा था,,,,, रघु,,, बेहद मस्तीखोर हो चुका था गांव की औरतों ने उसे वासना के इस खेल में एकदम मजा हुआ खिलाड़ी बना दी थी,,, और जिसका अनुभव रघु को बराबर प्राप्त हो रहा था,,, रघुजमीदार की बीवी की आंखों के सामने उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को बाहर निकाल लिया था जिसे देखकर जमीदार बौखला गया था,,,, रघु जानबूझकर जमीदार को ही दिखाते हुए जमीदार की बीवी के पीछे खड़ा कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसकी दोनों चूचियों को पके हुए आम की तरह अपने हाथ में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,,,

ससससहहहहह,,,आहहहहहहहह,,, रघु,,,,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,
(जमीदार की बीवी कीमत भरी आवाज कमरे में गूंजने लगी आवाज जमीदार की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी वह गुस्सा से भर चुका था लेकिन कुछ भी नहीं कर पा रहा था,,,,,)

आहीस्ता ,,,, से दबाना रघु,,,,,


मालकिन तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर मन काबू में नहीं देता और इसे धीरे-धीरे दबाने में नहीं बल्कि जोर-जोर से मसलने में ही मजा मिलता है,,,,। क्यों मालीक ठीक कहा ना,,,।(रघु कुटिल मुस्कान होठों के लिए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,, जमीदार रघु पर पूरी तरह से क्रोधित था,,यह बात रघु जमीदार के चेहरे के हाव भाव से अच्छी तरह से समझ रहा था,,,लेकिन रघु यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि जमीदार से अब कुछ होने वाला नहीं है और इस हवेली में अब जिसकी कही सुनी जाती थी वह पूरी तरह से उसके बस में है अगर बस में ना होती तो इतना बड़ा कदम ना उठाती,,, अपने ही हाथों से अपना सुहाग मिटाने की हिम्मत ना करती,,,।

हवेली की मालकिन की सबसे बड़ी कमजोरी रघु के हाथ लग चुकी थी और रघु भी अपनी बड़ी मालकिन की कमजोरी को अच्छी तरह से समझता था तभी तो आज वह अपनी बड़ी मालकिन के कमरे में उसके पति के सामने ही उसके खूबसूरत बदन से खेल रहा था,,, रघु जोर-जोर से चूचियां मसल रहा था,,,। देखते ही देखते रघु एक पति के सामने उसकी पत्नी की चूचियों को दबा दबा कर टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,,,,,, जमीदार की बीवी गरम सिसकारी से पूरे कमरे में शोर मचा रही थी लेकिन इस इस कार्य को केवल राधा सुन पा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि बंद कमरे के अंदर क्या हो रहा है और उस गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर खुद ही मस्त होकर अपनी चुचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर ब्लाउज के ऊपर से ही अपने आप को गर्म करने की कोशिश कर रही थी,,,,। रघु औरतों के जिस्म से अच्छी तरह से खेलना जानता था,,,औरत के जिस्म में उसकी उत्तेजना का केंद्र बिंदु क्या है यदि रघु अच्छी तरह से जानता था इसीलिए तो रह रह कर जमीदार की बीवी उछल पड़ती है क्योंकि वह साड़ी के ऊपर से जमीदार की बीवी की बुर को अपनी हथेली में दबोच ले रहा था,,,,ईस हरकत की वजह से जमींदार की बीवी और ज्यादा गर्म हो जा रही थी,,।,, और रघु को औरतों की बड़ी-बड़ी चूचियां पीने का बेहद शौक था और इस समय जमीन पर आरिफ की बीवी की लाजवाब सूचना उसके दोनों हाथों में थी इसलिए उसके मुंह में पानी आना लाजमी था,,,,जमीदार की बीवी गरमा गरम सिसकारी की आवाज लगातार अपने मुंह से निकाल रही थी,,,, देखते ही देखते रघुअपनी बड़ी मालकिन की चूची को दशहरी आम की तरह अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,

सससहहहहहह,,,आहहहहहह,,, रघु,,,,,ऊममममममम,,,,
(शायद जमीदार की बीवी को अपनी चूची पिलवाने में ज्यादा मजा आता था इसलिए रघु की इस हरकत की वजह से उसके बदन की कामाग्नि एकदम से भड़क उठी,,,रखो जमीदार की बीवी की चूची को बारी-बारी से अपने मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया और जमीदार की बीपी उत्तेजना के मारे अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसे रघु की पजामे में डाल दिया और उसके खड़े लंड को पकड़ के दबाना शुरू कर दी,,,,, यह सब जमीनदार देख रहा था उसका खून खोल रहा था,,, क्योंकि जिस तरह की हरकत उसकी बीवी रघु के साथ कर रही थी उस तरह की हरकत उसने कभी भी उसके साथ नहीं की थी,,,,,,,। जमीदार के मन में ढेर सारी बातें चल रही थी इस समय के नजारे को देखकर अंदर ही अंदर आग बबूला हो रहा था उसके खानदान की इज्जत हवेली की मान मर्यादा सब कुछ तार-तार हो रही थी और वह भी उसकी आंखों के सामने जो कि उसे देखा नहीं जा रहा था लेकिन फिर भी वह देख रहा था इस समय के नजारे ने उसके अंदर क्रोध की ज्वाला को और ज्यादा बढ़ा दिया क्योंकि जिस पर अब तक वह पूरा अपना हक समझता था,,,,ऊसी जिस्म की सबसे खूबसूरत चुची,,, गांव के जवान लड़की के हाथों में थी जिसे वह अपने मुंह में भर कर पी रहा था,,, और उसकी खूबसूरत बीवी जिसे देख कर उसे कभी नहीं लगा था कि वह उसे इतना बड़ा धोखा देगी उसका हाथ,,, बेशर्म औरतों की तरह एक पराए जवान लड़के के पर जाने के अंदर था और उसके लंड को पकड़ कर दबा रही थी यह सब नजारा जमीदार के लिए बेहद घातक था अगर वह संपूर्ण स्वस्थ होता तो अब तक रघु के जिस्म में जान नहीं होती,,,, अपनी लाचारी पर उसे रोना आ रहा था,,,,, और उसकी आंखों के सामने ही रघु उसके घर की इज्जत को तार-तार कर रहा था,,,, रघु दोनों हाथों से अपनी मालकिन की सूचियों को पकड़कर दबाते हुए उसके मुंह में भरकर पी रहा था उत्तेजना के मारे जमीदार की बीवी की चूची की निप्पल एकदम कड़क हो कर खड़ी हो गई थी,,, और इस समय बंदूक की गोली की तरह नजर आ रही थी और वाकई में औरत की चूचियां और उसकी निप्पल किसी,,, बंदूक से कम नहीं होती दोनों ही जान ले लेती है,,, जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा कोई पल आएगा जब वह अपने यहां तो अपने पति को धोखा देगी उसे मरवाने की साजिश रची थी और उसकी आंखों के सामने ही अपने बदन की प्यास बुझाएगी,,, यह सब पहले बिल्कुल भी नहीं था शायद रघु से मुलाकात ना होती तो जमीदार की बीवी इस तरह से बेशर्म ना होती और हवेली में वासना का नंगा नाच ना हो रहा होता,,,,।


मालकिन,,,, तुम्हारी चूचियां मुझे दशहरी आम की तरह लगती हैं एकदम मीठी शहद की तरह,,,,


तो पी जा मुंह में भर कर मना किसने किया है,,,,,


ओहहहहह,,,,, मालकिन तुम बहुत खूबसूरत औरत हो,,, ना जाने कैसे ईस बूढ़े इंसान के पल्ले पड़ गई,,,(जमीदार की तरफ कटाक्ष भरी नजरों से देखते हुए रघु बोला)


मेरी किस्मत खराब थी,,, पहले भी तो मैं तुझे बता चुकी हूं अगर मेरे बाबूजी पैसों की कर्जदार ना होते तो आज मैं भी किसी जवान हाथों में होती,,,।


अभी भी तो जवान हाथों में हो,,, मालकिन,,,,


हां सो तो है,,,, तभी तो अपनी जवानी का मजा लूट रही हु,,,,

ओहहहहहह,,,, मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से दोनों चुचियों को हाथ में भरकर उसे मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया यह देखकर जमीदार की बीवी मद भरी आवाज में बोली,,,)


दशहरी आम पर ही ध्यान देते रहोगे या,,,, लहसुन के बारे में सोचोगे,,,,(लहसुन से जमीदार की बीवी का इशारा अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार से था जो कि रघु अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए अपने दोनों हाथों से जमीदार की बीवी की शाडी खोलने लगा,,,,,और देखते ही देखते रहो जमीदार की बीवी की साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया इस समय जमीदार की बीवी पेटीकोट और ब्लाउज में थी जो कि ब्लाउज पूरी तरह से खुला हुआ था और उसमें से उसके दशहरी आम एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी,,,, एक बार फिर रघु जमीदार की बीवी के पीछे चला गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया,,,, जमीदार सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा था उसकी बीवी रघु की बाहों में थी,,,, रघु अपना कमीनापन दिखाते हुए जमीदार की तरफ देखते हूए बोला,,,।



अब देखो मालिक मैं कैसे तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारी बीवी के कपड़े उतारकर उसे नंगी करता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु उसके पेटीकोट की डोरी को पकड़कर खींच दिया और पलक झपकते ही जो पेटीकोट उसके बेशकीमती खजाने को छुपाए हुए थी वही पेटीकोट सरररररररर करकेउसके कदमों में गिर गई और उसके बेशकीमती खजाने पर संपूर्ण रूप से उजागर कर दी,,,, जमीदार की बीवी अपने ही कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने एक डेढ़ जवान लड़के के हाथों से नंगी हो चुकी थी उसकी मोटी मोटी चिकनी केले के सामान मदहोश कर देने वाली जांघ नजर आ रही थी,,,, जिस की चिकनाहट पर दुनिया का हर मर्द फिसल जाए,,,, रघु जमीदार की बीवी की दोनों जनों को अपनी हथेली में पकड़कर दबाते हुए बोला,,,।


देखिए मालिक आपकी बीवी कितनी खूबसूरत है,,,, आपकी बीवी का नंगा पूरा बदन कितना खूबसूरत लग रहा है,,,, और सबसे ज्यादा खूबसूरत और हसीन है आपकी बीवी की बुर,,,(अपनी हथेली को जमीदार की बीवी की बुर पर रखते हुए बोला,,,, यह देखकर जमीदार की सांसे ऊपर नीचे होने लगी अगर इस समय वह बोल भी पाता तो ना जाने कितनी गंदी गंदी गालियां रघु और अपनी बीवी को दे चुका होता,,,, लेकिन सब कुछ उसके हाथ से बाहर निकल चुका था,,,, रघु बेशर्मी दिखाते हए और अपनी हथेली को उसकी बीवी की बुर पर जोर जोर से रगडते हुए बोला,,,)


देखिए मालिक आपकी बीवी की बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,, जानते हो आपकी बीवी को इस समय क्या चाहिए,,,, मेरा लंड,,,, जो कि आपकी बीवी की बुर की गहराई नापने के लिए तड़प रहा है,,,,


लाओ,,, दिखा दूं जमींदार साहब को तुम्हारा लंड,,, जिसे देखकर शायद जमींदार होश में आ जाए ,,,, और तुम्हारी मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर उन्हें इस बात का एहसास हो कि,,, तुम्हारे लंड़के आगे ईनका लंड बच्चा है,,,, जिसके बलबूते पर अपनी मर्दानगी साबित करना चाहते थे,,,,(और इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी घुटनों के बल बैठ गई और अपने दोनों हाथों से रघु के पजामे के दोनों छोर को पकड़ कर एक झटके से नीचे घुटनों तक सरका दी,,, देखते ही देखते रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहराने लगा,,,। जमीदार की नजर जैसे ही उसके लंड पर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वाकई में रघ6 का लैंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था,,, यह बात जमीदार अपने मन में सोच रहा था,,,, जमीदार की आंखों के सामने ही जमीदार की बीवी,,, रघु के लहराते हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ ली यह देखकर जमीदार कि सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,,,, यह नजारा जमीदार से देखा नहीं जा रहा था लेकिन वह अपने बीवी की बेशर्मी को देखना चाह रहा था जो कि अब तक सती सावित्री बन कर इस हवेली की शोभा बढ़ा रही थी,,।


देख रहे हो जमींदार साहब,,, इसको कहते हैं लंड मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड,,,(जमीदार की बीवी रघु के लंड को पकड़ कर उसे हिलाते हुए अपने पति को दिखाते हुए बोली) है तुम्हारा ऐसा इसका आधा भी नहीं है और चलते हो अपनी मर्दाना ताकत दिखाने,,,, मुझे मजबूर समझ कर मेरी जिंदगी तबाह कर के यहां बीवी बना कर लाए थे,,, सच कहूं तो जमींदार साहब तुमसे शादी करने के बाद आज तक में शरीर सुख से वंचित नहीं मुझे पता ही नहीं चला कि चुदाई का असली सुख क्या होता है वह तो रघु मिल गया अगर यह मुझे मेरे मायके ना पहुंचाता,, तो शायद में चुदाई के असली सुख से वंचित रह जाती,,,,।(अपनी बीवी के मुंह से यह बात सुनते ही जमीदार का शक सही साबित हुआ वह अपने मन में पहले ही शंका कर चुका था कि मायके भेजते समय ही इन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हुआ है,,,। जमीदार की बीवीरघु के मोटे तगड़े लंड को जानबूझकर जोर-जोर से हिलाते हुए जमीदार को दिखा रही थी और उसे जला भी रही थी,,,।) देखना जब यह मेरी बुर में जाएगा तो गजब ढाएगा,,,(जमीदार की बीवी की एक बड़े घर की मालकिन की बेशर्मी भरी बातें सुनकर रघु भी अचंभित और जमीदार तो तिल तिल मर रहा था,,,। और मरता भी कैसे नहीं,,,किसी की बीवी उसकी आंखों के सामने ही अपने यार से अय्याशी करेगी तो ईस बात के लिए तो मार देने वाली या तो मर जाने वाली बात होती,,,,,। गुस्से से फूले नहीं समा रहा था जमीदार,,,, अभी उसकी आंखों ने जो देखा उसे देखकर उसके दिल का दौरा पड़ते पडते रह गया,,,,उसकी बीवी उसकी आंखों के सामने ही एक नौजवान गांव के लड़के के खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,। यह देख पाना जमीदार के लिए मुश्किल हुआ जा रहा था लेकिन वह भी अपनी आंखों से अपनी बीवी की बेशर्मी देखने के लिए मजबूर हो गया था आज तक उसकी बीवी ने उसके साथ इस तरह की हरकत कभी नहीं की थी अपनी तरफ से उसे संतुष्ट करने की किसी भी प्रकार की कोशिश को अंजाम तक नहीं देती इसलिए या देखकर जमीदार की आंखों में खून उतर आया,,,, देखते ही देखते जमीदार की बीवी रघु के मोटे लंबे लंड को पूरा का पूरा अपने गले तक उतार ली और रघु भी बेशर्मी की हद पार करते हुए जमीदार की बीवी के बाल को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया मानो कि जैसे उसका लंड उसके मुंह में नहीं बल्की उसकी बुर में हो,,, मजा दोनों को बहुत आ रहा था और जिस तरह का माहौल बना हुआ था उससे उन दोनों की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी क्योंकि दोनों पहली बार किसी के सामने इस तरह से संभोग क्रीड़ा का आनंद ले रहे थे हालांकि यह अभी संभोग क्रीडा बिल्कुल भी नहीं था लेकिन संभोग से पहले होने वाली उत्तेजनात्मक हरकत थी जिसका दोनों भरपूर मजा ले रहे थे,,,,, रघु जमीदार की तरफ देखते हुए अपनी कमर आगे पीछे करके हीला रहा था,,,, दोनों को मजा आ रहा था लेकिन जमींदार की हालत खराब हो रही थी,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी आंखों के सामने ही उसकी बीवी बेशर्मी पन की सारी हदें पार कर जाएगी,,,, जमीदार की बीवी जानबूझकर अपने पति के सामने इस तरह की हरकत कर रही थी वह रघु के साथ मिलकर अपने पति को नीचा दिखाना चाहती थी,,,, कुछ देर तक मुखमैथुन का आनंद लेने के बाद जमीदार की बीवी अपने मुंह में से लंड को बाहर निकाल दी जो की पूरी तरह से उसके थुक में सना हुआ था,,,, अपनी उखडती हुई सांसो को दुरुस्त करने के बाद जमीदार की बीवी खड़ी हुई है जमीदार से बोली,,,।


देखा इसे कहते हैं लंड और तुम्हारा देखूं तो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह जमीदार की तरफ आगे बढ़ी,,, और जमीदार के पजामे का नाडा खोलने लगी,,, जमीदार समझ गया कि वह क्या करना चाहती है वह उसे रोकना चाहता था उसे ऐसा करने से मना करना चाहता हूं लेकिन कुछ भी उसके बस में नहीं था वह अपना शरीर बिल्कुल भी हिला नहीं पा रहा था और रघु अपने लंड को हाथ में पकड़ कर वह भी जमीदार के बिस्तर के करीब आ गया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी जमीदार की बीवी भी मुस्कुरा रही थी मानो कि जैसे जमीदार को चिढा रहे हो,,,, अपने चेहरे के हाव-भाव को बदलते हुए जमीदार अपना क्रोध प्रकट कर रहा था जमीदार के बीवी उसके चेहरे के बदलते अभाव को देखकर समझ रही थी कि किस तरह की हरकत करने जा रही है ऐसा करने से वह रोकना चाह रहा है,,,, इसलिए तो उसे और भी ज्यादा मजा आ रहा था देखते ही देखते जमीदार की बीवी अपने ही पति का पजामा जोर से खींचते हुए घुटनों तक कर दी,,,,,,, और अपने पति के छोटे से सिकुड़े हुए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे ही लाकर खड़ा करने की कोशिश करते हुए बोली,,,,।



ईसी पर तुम्हें इतना घमंड था ना,,,


अरे मालकिन आपके पति का तो बहुत छोटा है एकदम बच्चे जैसा,,, आपको तो बिल्कुल भी मजा नहीं आता होगा,,,।


सच कह रहे हो तुम रखो मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता था तुमसे मिलने के बाद ही मुझे पता चला की चुदाई का असली सुख क्या होता है,,,, वरना यह छोटा सा नुनु मेरी बुर में कब घुस कर बाहर निकल जाता था पता ही नहीं चलता था,,,,(इतना कहकर वह हंसने लगी और साथ में रघु भी हंसने लगा,,, था,,, जमीदार अपनी ही नजरों में गिरता चला जा रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर उसे चुल्लू भर पानी मिलता तो उसमें नाक रगड़ रगड़ कर मर जाता,,,। जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु बोला,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मालकिन मेरा लंड है ना तुम्हारे पूरे मैं मस्ती की लहर पैदा कर देगा अभी देखना मैं कैसे अपने लंड को तुम्हारी बुर में डालकर तुम्हारी चुदाई करता हूं एक दम मस्त हो जाओगी,,,
(रघु की बात सुनकर जमीदार का खून खोलने लगा था लेकिन कर कुछ नहीं सकता था यदि वह अच्छी तरह से जानता था उसकी आंखों के सामने एक लड़का उसकी बीवी को भी चोदने की बात कर रहा था और वह कुछ नहीं कर पा रहा तो इससे बड़ी लाचारी की बात और क्या हो सकती थी,,,)


देर किस बात की है मेरे राजा मेरी बुर तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है,,,,(जमीदार की बीवी एकदम मादक स्वर में पूरी वह भी एक दम मस्त हो चुकी थी और रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी,,,। दूसरी तरफ कमरे में जिस तरह का दृश्य छोड़कर राधा अपने कमरे में गई थी,,, उससे अपने कमरे में ठहरा नहीं जा रहा था इसलिए वह अपने कमरे से बाहर निकल कर वापस अपनी सास के कमरे का दरवाजा खोलकर दरवाजे पर ही खड़ी होकर चोरी-छिपे अंदर का दृश्य देखने लगी जो कि बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,,)

रुक जाओ मालकिन तुम्हारी बुर की मलाई तो चाट लु,,, इससे मेरे लंड को और ज्यादा ताकत मिलती है,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खुदजमीदार की बीवी की एक टांग पकड़ कर बिस्तर पर रख दिया और एक टांग नीचे जमीन पर ही रहने दिया और खुद घुटनों के बल बैठकर जमीदार की आंखों के सामने ही बेहद नजदीक से उसकी ही बीवी की दुर्घटना शुरू कर दिया यह नजारा जमीदार के लिए जानलेवा साबित हो रहा था उसकी सांसें उखड़ रही थी,,,, वह कभी रघु को देखता तो कभी अपनी बीवी की तरफ जो कि बुर चटवाने की वजह से पूरी तरह से मस्त नजर आ रही थी,,,,जमीदार अपने हाथ-पांव हिलाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दूसरी तरफ दरवाजे पर खड़ी होकर राधा इस नजारे का आनंद ले रही थी और अपने ही हाथों से ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को मसल रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि ना जाने उसका नंबर कब आएगा,,,, देखते ही देखते रघु ने जमीदार की बीवी के बदन में सुरसुराहट पैदा कर दिया,,,,अब दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था जमीदार की बीवी उसी स्थिति में खड़ी थी और रघु आसन बदलना नहीं चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह खड़ी थी इस आसन से उसकी चुदाई करने पर जमीदार एकदम साफ साफ अपनी बीवी की बुर में उसके लंड को अंदर बाहर होता हुआ देख सकता था,,,, और शायद जमीदार की बीवी भी यही चाहती थी इसलिए वह खुद अपनी स्थिति को बदली नहीं और वैसे ही खड़ी रही,,,, रघु खड़ा होकर अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे बढ़ाते हुए कहा,,,,।


मालकिन संभालना,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रघु आने दो,,,,।

(और इतना ही कहना था कि रघु अपने दोनों हाथों से जमीदार की बीवी की चिकनी कमर थाम लिया,,,। और एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड उसकी गुलाबी गुफा में डाल दिया,,,,, जमीदार की बीवी के मुंह से हल्की सी आह निकली जो कि इस बात का सबूत था कि,,, रघु का मोटा तगड़ा लंड एक झटके में ही ऊसके बच्चेदानी से टकरा गया था,,,, रघु शुरू से ही आहिस्ता आहिस्ता नहीं बल्कि तेज झटके लगाते हुए जमीदार की बीवी को चोदना शुरू कर दिया उसकी ताकत और रफ्तार देखकर जमीदार खुद दंग रह गया था उसे रघु से जलन हो रही थी,,,,और वह भी साफ-साफ देख पा रहा था कि उसका मोटा तगड़ा देंगे उसकी विधि की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था,,, जिसे देखकर जमीदार को इस बात का एहसास हो गया कि यह दोनों काफी समय से चुदाई करते आ रहे हैं तभी तो उसके मोटे तगड़े लेने के लिए उसकी बीवी की बुर में सांचा नुमा जगह बन गई थी,,,,।


आहहहहह,,,आहहहहह७,,,,, रघु,,,,, मेरे राजा ऐसे ही,,आहहहहहह,,,, और जोर से मेरे राजा,,,,।


चिंता मत करो मेरी रानी आज तुम्हें खूब पानी पिलाऊंगा,,,,,

(यह नजारा देखकर जमीदार गुस्से से फूले नहीं समा रहा था और दूसरी तरफ दरवाजे पर खड़ी राधा की हालत खराब हो रही थी और वह खुद ही अपनी साडी को कमर तक उठाकर अपनी उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर कर रही थी,,,,जमीदार बार-बार अपनी नजर को खेल ले रहा था लेकिन अपनी बीवी की गर्म सिसकारी की आवाज उसे उस नजारे को देखने के लिए मजबूर कर रही थी,,,,जमीदार अपने मन में यही सोच रहा था कि जिस तरह से रख उसकी चुदाई कर रहा है वाकई में उसने कभी भी इस तरह का दम नहीं दिखाया था और तो और उसे इस बात का अहसास था कि रघु की तरह मोटा तगड़ा लंबा लंड उसके पास नहीं था,,, कुछ देर तक इसी स्थिति में चुदाई करने के बाद जमीदार की बीवी खुद उसे अपनी स्थिति बदलने के लिए बोल कर उसे अपना लंड निकालने के लिए बोली और जैसे ही रघु ने अपने लंड को बाहर निकाला,,,, जमीदार की बीवी,,पलंग पर घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहरा दी यह देखकर रघु समझ गया कि उसे क्या करना है,,। रघु पीछे आकर इसकी बड़ी बड़ी गांड पर दो-चार चपत लगा दिया और देखते ही देखते उसकी गोरी गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई,,,, जमीदार ने भी कभी इस तरह की हरकत नहीं किया था और देखते ही देखते रहते हो उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर,,, एक बार फिर से अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया,,, वहां दूसरी तरफ राधा अपनी दोनों टांगे फैलाकर अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल रही थी,,,,, जमीदार की हालत खराब थी,,,,
तकरीबन इसी स्थिति में 35 मिनट तक लगातार रघु जमीदार की बीवी की चुदाई करता रहा और ढेर सारा पानी उसकी बुर में डाल दिया,,, और उसे पीछे से पकड़ कर हांफने लगा,,,,,, थोड़ी देर बाद में बड़ा जमीदार की बीवी के ऊपर से उठा और अपने पजामे को पहनने लगा जमीदार की बीवी भी अपने नंगे बदन पर पेटिकोट डालकर उसकी डोरी को बांधते हुए बोली,,,,,


देखना जमीदार साहब बहुत ही जल्द इस घर का वारिश मिलेगा,,, अब तो समझ ही गए होंगे की किस की औलाद मिलने वाली है,,,,,(इतना सुनते ही जमीदार और ज्यादा क्रोधित हो गया लेकिन कर भी क्या सकता था दूसरी तरफ अपने ब्लाउज के बटन को बंद करते हुए वह बोली)

हा रघु आज से पांचवे दिन ही बिरजू की शादी तुम्हारी बहन सालु से होगी और वह भी मंदिर में,,,, क्योंकि जमीदार साहब की ऐसी हालत को देखकर धाम धुमसे शादी करना ठीक नहीं है,,,,(इतना सुनते ही रघु खुशी से उछल पड़ा,,,उससे अपनी खुशी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह खुशी के मारे एक बार फिर से जमीदार की बीवी को उठा लिया,,,)

अरे अरे क्या कर रहे हो गिर जाऊंगी,,,,


नहीं हीरो की मालकिन मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,,(और ऐसा कहते हुए जमीदार की बीवी को उसी तरह से उठाए हुए ही गोल गोल घूमने लगा,,,, दरवाजे पर खड़ी राधा भी खुशी से झूम उठी,,, रघु ने जैसे ही जमीदार की बीवी को नीचे जमीन पर खड़ी किया वैसे ही उसकी नजर राधा पड़ गई और उसे देखकर रघु से बोली,,,)

रघु आज तो मैं यहीं रुकना है जाना नहीं है,,, देख रहे हो राधा को,,, कितनी गर्म हो गई इसकी भी गर्मी तुम्हें ही उतारना है और इस हवेली को एक साथ दो-दो चिराग देना है,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मालकिन छोटी मालकिन को भी मैं एकदम मस्त कर दूंगा,,,,

जमीदार अपने घर में वासना का नंगा नाच देख पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था,,, वह मर जाना चाहता था लेकिन मौत भी उसे नसीब नहीं थी शायद अपनी आंखों के सामने ही इस हवेली में अपने ही घर की औरतों का नंगा नाच देखने के लिए वह जिंदा था,,,,

रघु पूरी रात उसी हवेली मे रुका और बारी बारी से बड़ी मालकिन और छोटी मालकिन की चुदाई करता रहा,,,,।
Behtareen update
 
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Devang

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रघु ने जब अपनी मां से शादी का दिन तय हो गया यह बताया तो उसकी मां खुशी से झूम उठे शालू के कानों में यह खबर पडते ही वह खुशी से फूले नहीं समा रही थी,,, आखिरकार घर की इज्जत जो बच चुकी थी,,,। कजरी तो खुशी के मारे अपने बेटे को गले लगा ली थी,,,।

ओहहहह ,,,, रघु बेटा मैं बता नहीं सकती कि मैं आज कितना खुश हूं,,, तुने तो अपने बाप का फर्ज निभाया है,, जो काम एक बात तो करना चाहिए था वह तूने किया है मुझे तुझ पर गर्व है बेटा,,,,,(कजरी कस के गले लगते हुए बोली कजरी के ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सीधे रघु की छातियों पर चुभने लगी,,,रघु को अपनी मां की चूचियों की चुभन बेहद ऊन्मादक लग रही थी ,,। वह भी कहां पीछे हटने वाला था,, भाभी मौके का फायदा उठाते हैं अपनी मां को उसी तरह से अपनी बाहों में भर लिया और अपनी हथेली को उसकी चिकनी पीठ पर फिराते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा अपने बेटे की हरकत का एहसास कजरी को अच्छी तरह से हुआ था लेकिन कुछ दिनों से जिस तरह की उन्मादक स्थिति वह से हो गुजर रही थी,,, और वह भी किसी दूसरे की वजह से नहीं बल्कि खुद के सगे बेटे की वजह से इसलिए अपने बेटे की यह हरकत उसे अच्छी लग रही थी,,। कजरीको यह भी पता था कि जिस तरह से अपनी बेटी को गले लगा कर रखी हुई है उसकी चूची जरूर उसकी छातियों पर अपना असर दिखा रही होगी इसलिए वह और कस के अपने बेटे को अपनी छाती से लगा ली थी,,, रघु उन्मादक स्थिति में मदहोश हुआ जा रहा था,,,वह अपनी हथेलियों को धीरे धीरे अपनी मां की चिकनी कमर को नीचे की तरफ नितंबों के उभार पर ले आया अपने बेटे की हथेली को अपने नितंबों पर महसूस करते ही उसके संपूर्ण बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,। देखते ही देखते दोनों काफी उत्तेजित हो गए और रघु अपनी मां की तरबूज जैसी गांड को दोनों हाथों में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,,कजरी अपने बेटे को अपनी बाहों की कैद से आजाद नहीं करना चाहती थी और ना ही रघु अपनी मां की बाहों की कैद से आजाद होना चाहता था,,,,,, रघु अपने बस में बिल्कुल भी नहीं था और वह वासना के अधीन होकर अपनी मां के खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में लेकर इतना मदमस्त हो गया कि अपनी मां की गर्दन पर अपने होठों से चुंबन लेने लगा,,, कजरी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी लेकिन फिर भी अपने काबू में थी वह जानती थी उन दोनों के बीच के पवित्र रिश्ते को जितना हो सकता था वह इस रिश्ते को तार-तार होने से बचाना चाहती थी लेकिन बदन की चाह उसकी प्यास के आगे वह भी बेबस थी,,,,,,, जिस तरह से रघुअपनी मां को बाहों में लेकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था और उसके गर्दन पर चुंबन ले रहा था और उसकी मां बिल्कुल भी ऐतराज नहीं जता रही थी यह देखकर रघु को लगने लगा कि आज जरूर वह अपनी मां को चोद पाएगा,,,, लेकिन तभी बाहर वाले कमरे से आवाज आई,,,।


मां खाना लग गया आ कर खा लो,,,,,
(शालू की आवाज सुनते ही दोनों की मदमस्त भरी तंद्रा भंग हुई उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि शालू घर पर ही है ,,,कुछ देर की खामोशी को देखकर उन दोनों को ऐसा ही लगा था कि चालू अपनी शादी की बात सुनकर शरमा गई है और चली गई है,,,, दोनों एक दूसरे से अलग है ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें अपनी गलती का पछतावा हो रहा है दोनों एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला पा रहे थे,,,, दोनों नजरों को झुकाए हुए ही बाहर आ गए और खाना खाने लगे लेकिन अंदर ही अंदर तीनों बहुत खुश थे,,,,।)


बेटी तेरे तो भाग्य खुल गए अब तो हवेली में रहेगी जांच करेगी,,,,(इतना सुनकर शालू शर्मा गई,,,, और रघु अपनी मां का साथ देते हुए बोला)

हां मां ,,, दीदी तो अब महल में रहेंगी,,,, रानी बनकर,,,, मां सच में जमीदार की हवेली बहुत खूबसूरत है,,, अपनी दीदी की तो किस्मत बदल गई।


हां रघु तो सच कह रहा हूं लेकिन जो कुछ भी हुआ है सब तेरी बदौलत ही हुआ है,,,,


अरे सब भगवान की कृपा है और बड़ी मालकिन की अगर वह ना होती तो शायद,,,,,,(इतना कहकर वो खामोश हो गया,,, और खाना खाने लगा)

वह सब तो ठीक है लेकिन इतनी जल्दी हम बंदोबस्त कैसे कर पाएंगे,,,।


हमें कुछ नहीं करना है मां,,,,सारा इंतजाम बड़ी मालकिन की तरफ से हमें बस सालु को दुल्हन बनाकर मंदिर तक ले जाना,,,, कोई धाम धुम से शादी नहीं करना है,,, जमीदार की तबीयत की वजह से,,, वैसे भी मम्मी हमारी इज्जत बच गई हमारे खानदान की,,,,,,(शालू की तरफ देखते हुए बोला तो रघु की बात सुनकर शालू का सर शर्मिंदगी से नीचे छूट गया वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि किसकी बदौलत पेट से है,,, सब किया धरा रघु का था उसके साथ जिस्मानी संबंध बनाकर उसे शादी से पहले ही पेट से कर दिया था यह बात कजरी नहीं जानती थी,,,, कजरी को यही बताया गया था कि जमीदार के लड़के बिरजू के द्वारा वह पेट से हुई है और तब जाकर रघु ने यह सारा खेल रचा था और अच्छी तरह से पार भी कर दिया था आज शालू की शादी जमीदार के लड़के बिरजू से तय हो चुकी थी,,, दोनों के सर से बहुत बड़ा बोझ हटने वाला था,,, तीनों खाना खाकर अपने अपने काम पर लग गए,,,, शादी का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा था वैसे वैसे कजरी रघु और शालू तीनों की चिंता बढ़ती जा रही थी,,, कजरी की चिंता इसलिए की शालू उसकी बेटी की शादी करने के बाद वह अपने ससुराल चली जाएगी घर सुना सुना हो जाएगा और रघु की चिंता है इसलिए कि सालु के जाने के बाद जब भी उसे चोदने का मन करेगा तो जुगाड़ नहीं हो पाएगा लेकिन चिंता में भी खुशी इस बात की थी कि उसकी की गई गलती बिरजू के सर मढ दी गई थी जोकि अच्छे तरीके से पार होने वाली थी,,,
देखते ही देखते रघु और कजरी ने सारे गांव में नेवता बांट दी,,, पूरे गांव वाले हैरान इस बात से थे कि शालू की शादी जमीदार के घर केसे तय हो गई,,, जिसका जवाब ना तो कजरी दे रही थी और ना ही रघु बस भगवान की कृपा है कहकर आगे बढ़ जा रहा था देखते ही देखते शादी की सारी तैयारियां हो गई,,, रघु लाला की बहू कोमल को भी शादी में आने का न्योता देना चाहता था इसलिए शादी के 1 दिन पहले ही उसके घर की तरफ निकल गया,,,, जहां पर लाला शराब के नशे में एकदम धुत,,, था,,, उसका अपमान हुआ था और तो और जिस लड़की की शादी तय करना चाहता था उस लड़की की ना उसकी बेज्जती करके गई थी क्योंकि वह जानकारी थी कि अब यह शादी होने वाली नहीं है अब तक वहां अपनी लड़की की शादी के बदौलत ही लाला को अपना जिस्म परोसती आ रही थी,,,, और वह लाला को कभी अपना गंदा मुंह मत दिखाना यह कह कर गई थी,,,। लाला अपमान की आग में जल रहा था वह बदला लेना चाहता था वह जानता था कि रघु की वजह से ही उसके द्वारा की गई शादी अब टल गई थी,,,लेकिन वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि जमीदार की इस तरह की हालत की बदौलत,,, ही जमीदार की बीवी अपनी मनमानी करने पर तुल चुकी थी क्योंकि वह जानते थे कि जमींदार ना तो बोल सकती हैं और ना ही कुछ कर सकते हैं इसलिए यह शादी पूरी तरह से उसकी मनमानी का ही नतीजा था,,, लाला बोतल मुंह में लगा कर घूंट भर भर कर पी रहा था,,, तभी उसकी बहू कोमल उस से खाना पूछने के लिए आई तो गुस्से में अपमान सहन करके और नशे में अपनी खूबसूरत बहू को देखते ही उसकी आंखों में वासना के लाल डोरे नजर आने लगे,,, उसे रहने की और वहां आगे बढ़कर अपनी बहू को मेरे को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने लगा कोमल एकदम से सकपका गई,,, लाला के मुंह से शराब की तेज बदबू आ रही थी जो कि कोमल के बर्दाश्त के बाहर थे अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन लाला पूरी जान लगा कर उसे अपनी बाहों में पकड़े हुए था,,,, कोमल घबरा गई थी क्योंकि उसे आज लगने लगा था कि आज वह अपनी इज्जत नहीं बचा पाएगी,,,, देखते ही देखते लाला अपनी धोती उतार कर फेंक दिया कोमल यह देखते ही रोने लगी,,, नशे में धुत लाला अपनी बहू कोमल के ब्लाउज को दोनों हाथों से पकड़ कर चीर दिया,,, तड़ तड़ करके उसके ब्लाउज के सारे बटन टूट कर जमीन पर बिखर गए और उसका ब्लाउज खुल गया लाला अपनी बहू कोमल की खूबसूरत संतरे जैसे चुचियों को देखकर एकदम पागल हो गया उसकी आंखों में हवस के बादल साफ नजर आने लगे,,, लाला जबरदस्ती अपनी कोई कि दोनों चूचियों को अपने हथेली में पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,, और कोमल उसे छोड़ देने की विनती की जा रही थी,,,।


यह क्या कर रहे हो बाबू जी मुझे छोड़ दीजिए मैं तुम्हारी बेटी समान हूं,,,,


कैसे छोड़ दु मेरी रानी तुम बहुत खूबसूरत हो और मैं यह भी जानता हूं कि प्यासी भी बहुत हो,,, आज मैं तुझे चोदकर तेरी और मेरी हम दोनों की प्यास बुझाऊंगा,,,,, आजा मेरी जान,,,,( ऐसा कहते हुए लाला जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था कोमल को आज अपनी इज्जत तार-तार होती हुई नजर आ रही थी,,,,,वह चिल्लाना चाह रही थी लेकिन डर के मारे उसके मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी वह एकदम सदमे में थी डरी हुई सहमी हूई जिसका लाला भरपूर फायदा उठा रहा था,,, लाला अपनी बहुत कोमल की साड़ी खोलना शुरू कर दिया,,, देखते ही देखते कमल की साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर गिर गई और वह अपने ससुर के सामने पेटीकोट में आ गई,,, लाला की आंखों में अपनी बहू की मदमस्त जवानी देख कर वासना की चमक उपसने लगी थी,,, लाला उसे पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके गोलाकार नितंबों के उधार पर अपने लंगोट में खड़े लंड को रगड़ रहा था उसे अनुभव बेहद उत्तेजना पूर्ण लग रहा था लाला को मजा आ रहा है और कोमल बेबस थी रो रही थी लाला की हालत पल पल खराब होती जा रही थीनशे में होने के बावजूद भी एक औरत के जिस्म को भोगने के लिए उसके बदन में ताकत आ गई थी,,, लाला अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर कोमल की पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा तो कोमल उसे रोकने कीआखिरी कोशिश करते हुए उसका हाथ पकड़ ली और तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।


लालाजी,,,, कहां हो लाला जी दरवाजा खोलिए,,,,,
(रघु की आवाज को कोमल अच्छी तरह से पहचानती थी और उसकी आवाज सुनते ही उसकी आंखों में चमक आ गई,,,, लेकिन लाला की हालत खराब हो गई उसके किए कराए पर पानी फिरता नजर आने लगा और कुछ बोला नहीं वह खामोश रहा,,, लेकिन आशा की आखिरी उम्मीद सामने नजर आती हुई देखकर कोमल से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से चिल्लाने लगी,,,।)


रघु मुझे बचाओ,,,, मुझे बचाओ रघु,,,।
(इतना सुनते ही रखो को समझते देर नहीं लगी कि अंदर क्या हो रहा है उसका खून खोलने लगा,,,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से दरवाजा पीटता रहा लेकिन अंदर से कोई खोलने वाला नहीं था क्योंकि कोमल लाला की गिरफ्त में थी और लाला उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका था इसके पेटीकोट की दूरी ना खुलने पर वह पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर की तरफ आ रहा था जिसे कोमल बार-बार पकड़कर नीचे कर दे रही थी,,,, कोमल अच्छी तरह से जानती थी कि ज्यादा देर तक होगा अपने ससुर का मुकाबला नहीं कर सकती थी इसलिए वह फिर से जोर-जोर से चिल्ला के लिए बोली)


मुझे बचा लो रघु यह हैवान मेरी इज्जत लूटना चाहता है,,,,।


चला जा हरामजादे ,,, यहां से चला जा वरना तेरी लाश भी गांव वालों को नहीं मिलेगी,,,,(इतना सुनते ही रघु एकदम पागल हो गया और गुस्से में बोला,,,)

साले मादरचोद मुझे धमकी देता है,,,,(इतना कहने के साथ ही दरवाजे पर दो बार जोर-जोर से एकदम ताकत लगाकर लात मारा दरवाजे की कड़ी एकदम से टूट गई और दरवाजा खुल गया और वह कमरे के अंदर आ गया और अंदर आते ही जो नजारा उसने देखा उसके होश उड़ गए लाला अपनी बहू कोमल को अपनी बाहों में दबोचे हुए था उसके ब्लाउज के सारे बटन टूटे हुए थे उसकी दोनों चूचियों एकदम साफ नजर आ रही थी और वह सिर्फ पेटीकोट में थी जिसे लाना ऊपर करने की कोशिश कर रहा था यह देखकर रघु एकदम से गुस्से से तिलमिला उठा,,,और आगे बढ़कर कोमल को लाला की चुंगल से छुडाकर लाला को पीटना शुरू कर दिया रघु के मजबूत हाथ लाला पर पडते ही लाला को नशा काफूर हो गया,,,, वह चारों खाने चित हो कर वहीं ढेर हो गया,,,, वह मरा नहीं था बेहोश हो गया था,,,, लाला को बेहोश देखकर कोमल के जान में जान आई और वह दौड़ कर रघु के गले लग गई वह रो रही थी,,,, लेकिन जिस अवस्था में वह थी उसकी नंगी चूचियां रघु के सी ने पर रगड़ खाने लगी,,, पल भर में ही रघु को उत्तेजना का एहसास होने लगा,,, लेकिन दिल ही दिल में व कोमल से प्यार करने लगा था कोई और मौका होता तो शायद गांव को मिल की चुदाई कर देता लेकिन इसलिए को मिलकर जिस्म के साथ खेलने का मतलब था कि उसकी नजर से भी गिर जाना इसलिए वह उसे सांत्वना देते हुए उसकी नंगी पीठ पर अपनी हथेली फिराते हुए उसे शांत करने लगा,,, और उसके ऊपर नीचे गिरी साड़ी डाल कर उसके नंगे बदन को ढक दिया,,,।


तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है कोमल मैं हूं ना,,,


आज तो मैं लुट गई थी रघु अगर तुम वक्त करना आते तो मैं तुम्हें मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाती,,,


ऐसा कभी नहीं होगा कोमल,,,,,और हां मैं तो तुम्हें यहां नेवता देने आया था अच्छा हुआ ठीक समय पर आ गया,,,


कैसा नेवता,,,,,


कल मेरी दीदी की शादी है जमीदार के लड़के के साथ मंदिर में जरूर आ जाना,,,,


क्या सच कह रहे हैं रघु,,,


हां मैं सच कह रहा हूं कल समय पर आ जाना,,,,


मैं जरूर आऊंगी रघु,,,,, तुम्हारे बिना मुझसे एक पल भी रहा नहीं जाता,,,,
(कोमल की बात सुन कर रघु उसकी तरफ ध्यान से देखने लगा,,, और मुस्कुराते हुए उसे वापस गले लगा लिया,,,,)

मुझे छोड़कर मत जाओ रघु,,,,


मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जा रहा हूं कोमल मैं यही हूं,,, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं,,,
(इतना सुनते ही कोमल की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे और वह रघु को हसरत भरी निगाहों से देखने लगी और बोली)


मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हु रघु,,,, बहुत प्यार करती हूं,,,,।

प्यार करती हो तो मुझ पर भरोसा रखो,,, मैं तुम्हारा बाल भी बांका नहीं होने दूंगा,,,,, अभी मुझे जाना होगा बहुत काम है,,,(इतना कहते हुए रघु कोमल के होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करने लगा कोमल भी उसका साथ देने लगी कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के होंठों के रस को पीते रहे और फिर वहां से चला गया,,,,,, शादी के 1 दिन पहले रात को कजरी गहरी नींद में सो रही थी और रघु छत पर लेटा अपनी बहन शालू का इंतजार कर रहा था,,, थोड़ी ही देर में शालू के पायल की आवाज आने लगी और रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,,)
Behtareen update
 
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कजरी चैन की नींद सो रही थी,,, रघु की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि वह जानता था कि कल शादी करके उसकी बहन अपने ससुराल चली जाएगी हालांकि उधर वह उससे मिल सकता था लेकिन ससुराल में उसकी चुदाई करने का मौका उसे मिलेगा कि नहीं यह निश्चित नहीं था इसलिए आज की रात वह पूरी तरह से संतुष्ट हो जाना चाहता था,,, शायद शालू के मन में भी यही चल रहा था,,, शालू भी जानती थी कि शादी के बाद वह ससुराल चली जाऊंगी और लंड के मुकाबले में बिरजू उसके भाई के सामने कुछ भी नहीं था जो मजा उसे अपनी भाभी से छुपा कर मिलता था वह बिरजू से नहीं मिल पाया था बिरजू उसे संपूर्ण रूप से संतुष्ट करने में नाकामयाब साबित हुआ था,,, अगर अपने शारीरिक जरूरतों की बात होती तो शायद शालु भी बिरजू से शादी करने के लिए इंकार कर देती लेकिन मामला उलझ चुका था वह पेट से थी,, और अपनी ऐसी पाप को छुपाने के लिए वह भी अपनी शारीरिक जरूरतों को एक तरफ रख कर इस शादी के लिए तैयार हो चुकी थी,,,रघु के साथ चुदाई का मजा लूट कर वो पूरी तरह से प्यासी हो चुकी थी,,, अपने भाई से चुदवाए बिना उसका भी मन नहीं मानता था,,,,

रघु छत पर लेटा हुआ अपनी बहन की पायल की आवाज सुनते ही उत्तेजित होने लगा,,, उसके बदन पर केवल तोलिया लिपटा हुआ था,, और तोलिए के अंदर धीरे धीरे उसका लंड अपना मुंह उठा रहा था शालू पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,, वह एक नजर अपनी मां के ऊपर डाली जो कि निश्चिंत होकर चैन की नींद सो रही थी और फिर धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए रघु के पास आ गई जो कि जाग रहा था,,। शालू वहीं पर बैठ गई,,, शालू को देखते हुए रघु उसी तरह से लेटे हुए ही बोला,,,।


अब तो खुश हो ना दीदी,,,


खुश क्यों नहीं होंऊगी,,, तूने जो मेरा हाल किया था अगर सब कुछ सही नहीं होता तो शायद मैं मर जाती,,,।


नहीं नहीं दीदी ऐसा भला मै होने देता,,,,


तेरी वजह से हुआ भी तो था,,,,



क्या तुम्हें मजा नहीं आया दीदी,,,,(रघु के इस बात पर सालु कुछ नहीं बोली,,) अब तो शादी करके तुम अपने ससुराल चली जाओगी वहां रोज बिरजू तुम्हारी चुदाई करेगा,,,,


लेकिन तेरे जैसा मजा नहीं दे पाएगा,,,(शालू उदास होते हुए बोली अपनी अतृप्त संतुष्टि की पूर्ति ना होने का एहसास उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था,,,)


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना,,, मैं वहां पर हमेशा आता जाता रहूंगा,,,,


आते जाते रहोगे लेकिन क्या हमें मौका मिल पाएगा और किसी ने देख लिया तो,,,।


ऐसा कुछ भी नहीं होगा दीदी,,, वैसे भी बिरजू एकदम बुद्धू है तुम तो उसे आराम से संभाल लोगी,,,,,


हां कह तो तू सच ही रहा है,,, लेकिन घर छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा है,,,।

अरे वह तो जाना ही पड़ेगा दुनिया का दस्तूर है शादी करके ससुराल में अपना घर बसाना पड़ता है नहीं तो क्या जिंदगी भर यहां रह कर अपने भैया से चुदवाती रहोगी,,,,।


बहुत हारामी हो गया है तु,,,,



तुम्हारी बदौलत दीदी,,,, वरना मैं तो बिल्कुल नकारा था कुछ भी पता नहीं चलता था लेकिन तुम्हारे खूबसूरत बदन ने,,(एक हाथ में कमीज के ऊपर से ही शालू की चूची पकड़कर दबाते हुए,,) मुझे एकदम समझदार बना दिया है,,,।


चल रहने दे तुम मर्दों को बस यही आता है,,,,



और वैसे भी औरतें मर्दों की इसी हरकत से खुश रहती हैं,,,,( तोलियों को एक तरफ करते हुए अपने खाने नंबर को अपने हाथ में पकड़ लिया यह देखकर सालु की बुर में बुलबुलाहट होने लगी,,,) क्यों सही कहा ना दीदी,,,,


हां तू सच कह रहा है,,,,(इतना कहते हुए सालु भीअपना हाथ बढ़ा कर अपने भाई के लंड को पकड़ ली और उत्तेजना के मारे ऊसे दबाने लगी,)


ससससहहहहह,,,, दीदी तुम्हारी यही अदा मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,, लंड को तुम बहुत अच्छी तरह से पकड़ कर दबाती हो,,,ससससहहहहह आहहहहहहहहहहह,,,(इतना सुनते ही शालू और जोर से अपने भाई के लंड को दबाने लगी किसी से रघु के मुंह से सिसकारी की आवाज निकल पड़ी,,,,)

दीदी बहुत दिन हो गए हैं,,, तुमने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चुसी,,,,,


मा जाग जाएगी,,,,,(अपने भाई के लंड को मुट्ठी आते हुए बोली)


नहीं जागेगी दीदी,,,,,


नहीं मुझे डर लगता है,,,,


डर कैसा दीदी,,,, पहली बार थोड़ी ना हूं बहुत बार तुम्हारी ले चुका हूं छत पर,,,,



फिर भी ना जाने क्यों मुझे डर लगता है अगर मा ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,, चल नीचे कमरे में चलते हैं,,,,


हां यह सही है,,,,
(इतना कहने के साथ ही रघु उठ खड़ा हुआ और अपने तालियों को कमर से लपेट ते हुए बोला,,,)


चलो दीदी कमरे में ही मजा आएगा तुम लालटेन उठा लो,,,
(शालू लालटेन उठाकर धीरे-धीरे सीढ़ियां उतरने लगे लेकिन उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए सीढ़ियां उतरकर वहां लालटेन को रघु के हाथ में पकड़ाते हुए बोली,,)

ले रघू इसे पकड़,,,,

अब क्या हुआ दीदी,,,


अरे मुझे जोरो की पिशाब लगी है पेशाब तो कर लेने दे,,,


वाहहहहहह,,,, दीदी अब तो मजा आ जाएगा तुम्हें पेशाब करते हुए देखने में बहुत मजा आएगा बड़ी बड़ी बड़ी गांड देखने में बहुत मजा आएगा,,,,।


चल पागल कहीं का बडा आया गांड देखने ऐसा लग रहा है कि जैसे कभी देखा ही नहीं,,,,


सब कुछ देख चुका हूं दीदी लेकिन पेशाब करते हुए देखने में जो मजा है वह किसी चीज में नहीं,,,,


चल अब थोड़ा दूर खड़े रह मुझे पेशाब करना है,,,


कर लो ना दीदी चारों तरफ अंधेरा है कोई देख थोड़ी ना रहा है और देखना चाहेगा तो भी उसे कुछ दिखेगा नहीं,,,


तू तो है ना देखने वाला,,,,


मुझसे कैसी शर्म दीदी मैं तो तुम्हारा सब कुछ देख चुका हूं और ले भी चुका हूं,,,,



बड़ा निकम्मा हो गया है तू,,,,(इतना कहते हुए शालू दो कदम आगे बढ़ गई और सलवार की डोरी खोलने लगी,,, अपने छोटे भाई के साथ चुदाई का सुख भोग कर,,, वह पूरी तरह से खुल गई थी,,, वरना अपने भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाने से पहले शालू बेहद सीधी सादी और संस्कारी लड़की थी उसके लिए यह सब बातें सोचना भी पाप था वह किसी के सामने इस तरह से खुले शब्दों में पेशाब करने वाली बात कहती भी नहीं कि भले ही वह उसकी सहेली क्यों ना हो लेकिन शालू जानती थी कि रघुउसका सबसे बड़ा राजदार था और साथी भी जिसके साथ वह सब कुछ कर सकती थी इसलिए उसकी शर्म एकदम से दूर हो चुकी थी,,, तभी तो बहुत बेझिझक,,, बाद में भाई से पेशाब करने वाली बात कह रही थी अंदर ही अंदर वह भी यही चाहती थी कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देखे उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज को अपने कानों से सुनकर एकदम मस्त हो जाए,,,, रखो दो कदम की दूरी पर लालटेन लिए खड़ा था लालटेन की रोशनी में जहां पर शालू खड़ी थी वहां तक का दृश्य एकदम साफ नजर आ रहा था बाकी एकदम अंधेरा ही अंधेरा था,,,, शालू अपने सलवार की दूरी खोज की थी और अपनी सलवार को नीचे घुटनों तक करके वहीं बैठ गई वह जानती थी कि उसका भाई पीछे से खड़ा उसको देख रहा है,,,परेशानी उसकी नजरें उसकी गोलाकार गांड पर टिकी होंगी यह भी वह जानती थी,,, लेकिन अपने भाई के सामने उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी वह बेशर्म बन चुकी थी और बेशर्म बनने में औरतों को कुछ ज्यादा ही मजा आता है और यही सुख शालू भी भोग रही थी,,,, देखते ही देखते रघु के कानों में अपनी बहन की बुरी में से निकल रही सिटी की मधुर आवाज गूंजने लगी ,वह पूरी तरह से मस्त हो गया बदहवास हो गया मदहोश हो गया अपनी बहन का यह कामुक रूप देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसका लंड खड़ा होकर तोलिए से बाहर आ गया जिसे वो खुद छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह तो अपनी बहन की गोलाकार गांड की आकर्षण में और उसकी बुर की मधुर आवाज में खो चुका था देखते ही देखते शालू मुत्र क्रिया को समाप्त करके खड़ी हो गई है अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी लेकिन रखवा के बर्तन उसे ऐसा करने से रोक दिया और उसकी सलवार की डोरी को खुद पकड़कर उसे कमरे के अंदर की तरफ ले जाने लगा सालु भी निश्चिंत होकर अपने भाई के साथ कमरे के अंदर जाने लगी,,,।
दोनों के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी शालू समझ गई थी कि उसे पेशाब करते वक्त पर उसका भाई अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं है और ऐसा ही हुआ कमरे के अंदर पहुंचते ही वह कमरे का पर्दा खींच दिया दरवाजा तो था नहीं इसलिए पर्दे का ही दरवाजा बनाया था और लालटेन को दीवाल में लगी एक कील से लटका दिया कमरे के अंदर पीली रोशनी फैल गई रघु अभी भी अपनी बहन की सलवार की डोरी अपने हाथ में पकड़े हुए था और उस दूरी को खींचकर वह अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया अपनी बहन को बाहों में पढ़ते ही उसके हाथ से सलवार की डोरी टूट गई और सलवार एकदम से शालू के कदमों में जा गिरी और कमर के नीचे से एकदम नंगी हो गई और रघु बदहवास होकर अपनी बहन की तरबुज जैसी गोल गोल गांड अपने दोनों हाथ से पकड़कर जोर जोर से दबाते हुए उसके लाल लाल होठों को पीना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते दोनों उत्तेजित हो गए शालू भी अपने भाई का साथ देते मैं अपने मुंह को खोल दिया और दोनों एक दूसरे की जीभ को चाटना शुरू कर दिए,,,


देखते ही देखते रघु अपने हाथों सेअपनी बहन की कमीज को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाने लगा और उसकी बहन भी उसका साथ देते अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा दी और देखते-देखते रघु अपनी बहन की कमीज उतार फेंका और शालू खुद अपने पैरों से अपने पैरों में फंसी सलवार को पैरों का सहारा लेकर उतार कर नीचे फेंक दी शालू अपने भाई की बाहों में पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और वहां एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने भाई के टावल को खींच कर नीचे जमीन पर खेती दोनों कमरे के अंदर संपूर्ण रूप से नंगे हो गए,,,।
ओहहहहहह,,,, दीदी मेरी प्यारी दीदी कल तुम्हारी शादी है और आज की रात में तुम्हारे साथ सुहागरात मना रहा हूं,,,,


हां मेरे राजा,,,, सुहागरात मनाने का असली हकदार तू ही है तभी तो नहीं आज के बाद तुझे नीचे लेकर आई हूं ताकि आज की रात में खुलकर तेरे साथ चुदाई का मजा ले सकु,,,



ओहहहहह दीदी तुम कितनी अच्छी हो अपने भाई का इतना ख्याल रखती हो,,,,


अपने भाई का ख्याल में नहीं रखुंगी तो कौन रखेगा,,,,,


ओहहहहह,,,,दीदी (इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और अपने भाई की इस हरकत से शालू एकदम से मदहोश हो गई और वह अपने भाई का सर पकड़ कर अपनी चूची पर जोर जोर से दबाने लगी,,,,,रेखा के नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के खड़े लंड को पकड़कर उसे अपनी बुर की गुलाबी दरार पर रगड़ना शुरु कर दी,,,दोनों मदहोश में जा रहे थे अपने अपने तरीके से दोनों एक दूसरे के बदन से आनंद ले रहे थे,,,, कुछ देर तक इसी तरह से रघु अपनी बहन की दोनों चूचियों को पीकर मजा लेता रहा,,,। और अब वह अपनी बहन को चोदना चाहता था,,, और अपने लंड को पकड़ कर अपनी बहन की बुरके गुलाबी छेद पर र रगडते हुए बोला,,,।)


दीदी,,,, बिरजू से चुदवाते समय मेरे लंड की याद आएगी ना तुम्हें,,,


बहुत आएगी मेरे भैया,,, क्योंकि बिरजू का लंड तेरे जितना मोटा और लंबा नहीं है,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दीदी मैं बराबर पहुंचता रहूंगा तुम्हें चोदने के लिए,,,।
(दोनों कमरे के बीचो बीच खड़े होकर ही काम क्रीड़ा कर रहे थे तूने एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे रघु तड़प रहा था अपनी बहन को चोदने के लिए इसलिए वह अपनी बहन से बोला,,,)

खटिया पर चला दी थी मैं तुम्हें आज जी भर के चोदना चाहता हूं,,,,


चोद लेना मेरे राजा,,, लेकिन पहले मैं तेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना चाहती हु,,,,


ओहहहहहह,,, दीदी,,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन के दोनों कंधों को पकड़कर नीचे की तरफ दबाव बनाने लगा और शालू देखते ही देखते अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपने भाई के खड़े लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, रघु की तो हालत खराब हो रही थी शालू बड़े अच्छे से उसके लंड की चुसाई कर रही थी,,, शालू अपनी बहन के लंड को चूसने में माहिर हो चुकी थी उसे अच्छी तरह से पता था कि कैसे लंड को चूस कर मर्द को मस्त किया जाता है और यही सच भी था रघु पूरी तरह से अपनी बहन का गुलाम हो चुका था उसे अपने बहन की जीभ अपने लंड पर बड़े अच्छे से महसूस होती थी,,,। सालुअपने भाई के लंबे लंड को गले तक नीचे उतारकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी उसकी सांस अटक जा रही थी लेकिन लंड चूसने के आनंद को वह बिल्कुल भी जाने नहीं देना चाहती थी,,,,,, रघु धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अपने भाई की यह हरकत शालू को और अच्छी लगती थी,,,। कुछ देर तक दोनों इसी अवस्था में आनंद लेते रहे उत्तेजना के मारे रघु को लग रहा था कहीं उसके लंड से लावा ना फूट पड़े,,, इसलिए वह,,, अपने लंड को अपनी बहन के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,, उसकी सांसे बड़ी भारी चल रही थी,,,, रघु अपनी बहन को आश्वस्त करते हुए बोला,,,।


अब मेरी बारी दीदी और इतना कहने के साथ ही वह,,अपनी बहन की बाहों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए खुद नीचे घुटनों के बल बैठ गया शालू को समझते देर नहीं लगी कि उसका भाई क्या करना चाहता है इसलिए वह तुरंत खड़ी हुई और अपने घुटनों को मोड़कर उसे अपने भाई के कंधे पर रख ली जिससे उसकी गुलाबी बुर ठीक उसके मुंह के सामने आ गई जिससे रघु को उसकी बुर चाटने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं पेश आ रही थी और वह अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपनी बहन की बुर को लपा लप चाटने लगा,,,, दोनों एक दूसरे में पूरी तरह से खो चुके थे लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था दरवाजे पर पर्दा लगा हुआ था इतनी रात को किसी के भी आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए दोनों निश्चिंत थे लेकिन दूसरी तरफ छत पर अचानक कजरी की नींद खुल गई और वह उठ कर बैठ गई पास में पडे लौटे को उठाकर वह पानी पीने लगी,,, और‌वह छत पर चारों तरफ छत पर नजर दौड़ाई तो वह हैरान रह गई छत पर रघु और शालू दोनों नहीं थे,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी रात हो गई और वह दोनों छत पर नहीं आए लेकिन उसे याद आया कि जब वह छत पर आई थी तब रघु छत पर सो रहा था ऐसा कजरी को लग रहा था जबकि वह जाग रहा था इसलिए वह हैरान हो गई कि आखिरकार इतनी रात को दोनों कहां है गर्मी में दोनों नीचे सोने से रहे लेकिन फिर भी वह बेचैन हो गई परेशान हो गई और वह धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे की तरफ आने लगी,,,।

दूसरी तरफ कमरे में एक दूसरे के अंगों से खेलने का घमासान मचा हुआ थारखो पागलों की तरह अपनी बहन की बुर को चाट रहा था मानो कि जैसे कटोरे में भरी खीर को चाट रहा हो,,, हालांकि की की मलाई से कहीं अत्यधिक आनंदित और पोस्टिक बुर की मलाई होती है इसे चाटने में जो सुख मर्दों को मिलता है और जिस तरह से तृप्ति का एहसास औरतों को होता है ऐसा पूरे जगत में किसी भी कार्य को करने से नहीं होता,,,, रघु के ईस तरह की बुर चटाई से शालू एकदम आनंदित हो उठी थी,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अभी भी वह अपने घुटनों को मोड़कर अपने भाई के कंधे पर रखी हुई थी और अपने दोनों हाथों से उसके बाल को पकड़कर जोर जोर से अपनी बुर पर रगड रही थी,,,।

कजरी सीड़िया नीचे उतर चुकी थी,,, जैसे ही कमरे के पास पहुंची पर्दा लगा होने के बावजूद भी अंदर लालटेन की रोशनी का एहसास उसे हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सब क्या हो रहा है जैसे ही वह कमरे के पास पहुंची तो अंदर से गरम सिसकारी की आवाज उसे सुनाई देने लगी इस आवाज से वह भलीभांति वाकिफ थी एक औरत होने के नाते औरत के मुंह से निकल रही गरमा गरम सिसकारी की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी,,।इस तरह की आवाज सुनकर उसके होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह की आवाज उसके घर से कैसे आ रही है उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और छत पर से शालू और रघु के गायब होने की वजह से उसके मन में जिस तरह की कल्पना हो रही थी उसे सोच कर उसके पांव लड़खड़ा रहे थे,,,, आखिरकार धड़कते दिल के साथ वह अपने दिल को मजबूत कर के आगे बढ़ते हुएकांपते हाथों से पर्दे को थोड़ा सा हटा कर अंदर की तरफ देखी तो अंदर के नजारे को देखकर उसके होश उड़ गए उसके पास वही जमीन पर एकदम से गड गए और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,। जिस तरह के नजारे को अपनी आंखों से देखी थी उसे डर था कि कहीं उसे दिल का दौरा ना पड़ जाए,,,वास्तव में मां के लिए इस तरह का नजारा देखना किसी सदमे से कम नहीं था कि कमरे के अंदर उसका छोटा बेटा अपनी बड़ी बहन की बुर चाट रहा है और दोनों मजे ले रहे हो,,, कजरी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसका मन कर रहा था कि कमरे के अंदर जाकर दोनों को जी भर कर पीटे इस तरह की गंदी हरकत करने के लिए दोनों को सजा दे,,,लेकिन कमरे में जाने की हिम्मत उसकी बिल्कुल भी नहीं हो रही थी वह बस दरवाजे पर खड़ी होकर पर्दे को थोड़ा सा हटा कर अंदर के तेरे को देख रही थी अंदर का कामुक दृश्य इतना उत्तेजना से भरा हुआ था कि 5 मिनट भी बीते नहीं होंगे कि न जाने कजरी को क्या होने लगा वह उस कामोत्तेजना से भरे हुए नजारे मे वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी,,, कजरी को गुस्सा आ रहा था क्रोध से भरी जा रही थी लेकिन कमरे के अंदर के गरमा गरम नजारे में कुछ ऐसा कर सकती वह कुछ कर नहीं पा रही थी,,,

सससहहहह ,,,आहहहहहह,,,, मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है मुझे तेरी जीभ मुझे पागल कर देगी,,,, सच में बुर चटवाने में कितना मजा आता है,,,,(अपनी बेटी के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर कजरी एकदम से हैरान हो गई लेकिन उसकी यह बात की बुर चटवाने में बहुत मजा आता है इससे उसके मन में दबी हसरत जागने लगी,,, इस नजारे को देखकर उससे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसे मन के किसी कोने में अच्छा भी लग रहा था क्योंकि वर्षो से वह प्यासी थी अपनी इच्छाओं को अपनी भावनाओं को अपने मन में दफन कर चुकी थी अपनी बेटी की गरमा गरम बातें और उसकी हरकत उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा करने लगी थी उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके बेटे की जीभ उसकी बेटी की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी शादीशुदा जिंदगी में उसके पति ने कभी भी इस तरह की हरकत इसके साथ नहीं की थी इसलिए कजरी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि औरतों की बुर भी चाटी जाती है,,,। इसलिए कजरी के संपूर्ण वजूद को हिला के रख दिया था पल भर में ही कजरी को अपनी बुर गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,।
कमरे के अंदर के नजारे को देखकर जो गुस्से में तिलमिला उठी थी उसका गुस्सा वासना की आग में जलकर काफूर हो चुका था अब कजरी धीरे धीरे अंदर चल रहे दृश्य का आनंद लेने लगी,,, एक मां के लिए ईस नजारे को देखना बेहद शर्मनाक था लेकिन कजरी के मन में इस तरह की हलचल हो रही थी कजरी को खुद समझ में नहीं आ रहा था,,,, रघु अपनी बहन की पतली कमर को पकड़कर उसकी बुर को चाट रहा था,,,,, कजरी को अपने बेटे से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,,लेकिन एक बात से वह भी इंकार नहीं कर सकती थी कि उसके बच्चे बड़े हो गए थे जवान हो गए थे और जिस तरह का बदलाव रघु के अंदर ऐसे देखने को मिल रहा था खास करके उसके खुद के साथ उसे समझ जाना चाहिए था कि उसका बेटा जवान हो गया है,,,,लेकिन इस समय ना जाने क्यों इतना होने के बावजूद भी अपने बच्चों की इतनी गंदी हरकत का वह आनंद ले रही थी,,, इसकी एक ही वजह थी कि वह खुद प्यासी थी,,,।

इसलिए सामने का नजारा देखकर वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी लालटेन की रोशनी में ऊसे सब कुछ साफ नजर आ रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था,,,रघु बार बार कट उसकी कमर पर दोनों हाथ रखकर दबाता तो कभी उसकी गोलाकार गांड को अपने दोनों हथेली में भर लेता,,, यह सब नजारा कजरी के लिए अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था,,,।


आहहहह,,,, रघु अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मेरी बुर में आग लगी है मेरे राजा मुझे तेरा लंड चाहिए जल्दी से मेरी चुदाई कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।
(अपनी बेटी के मुंह से यह बात सुनकर कजरी एकदम स्तब्ध रह गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी हो सुन रही है उसकी बेटी कह रही है उसे उम्मीद ही नहीं थी कि उसकी बेटी इतनी गंदी बात कहेगी,,,, वह हैरान थी लेकिन उत्सुक भी थी थोड़ी देर बाद रघु खड़ा हुआ और अपनी बहन को तुरंत अपनी गोद में उठा लिया दोनों एकदम नंगे थे,,, कजरी की नजर अपने बेटे के खड़े लंड पर पड़ी जो कि इस समय सालु को गोद में उठाने की वजह से उसका लंड उसकी पीठ पर रगड़ खा रहा था,,,, कजरी का दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका बेटा और उसकी बेटी दोनों काम क्रीडा में मग्न हो गए थे उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे पर खड़ी ऊन दोनों की मां उनकी बेशर्मी भरी हरकत को देख रही है,,,,।


चलो मेरी रानी खटिया हम दोनों का इंतजार कर रहा है चलो आज तुम्हारी जमकर चुदाई करता हूं,,,,(इतना कहते हुए रघु उसे खटिया पर लेटा दिया कजरी के लिए यह नजारा अद्भुत होता जा रहा था उसने कभी अपनी आंखों से इस तरह के नजारे को नहीं देखी थी और देखी भी तो,,, अपने ही बच्चों को,,,, रघु पूरा जवान हो चुका था एक औरत को संतुष्ट करने लायक उसके पास मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड कजरी को नजर आ रहा था,,, कजरी इस बात के हिसाब से और ज्यादा उत्तेजित हो गई कि उसका बेटा अपनी ही बहन को गोद में उठाकर खटिया पर लेटा कर क्या करने वाला है इसलिए उससे यह नजारा बर्दाश्त नहीं हुआ और वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी ही हथेली से अपनी गरम बुर को ठंडा करने की कोशिश करने लगी,,, रघु दुनिया से बेखबर मान मर्यादा को तार-तार करते हुए अपनी बहन की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसे अपनी बाहों में भरकर अपने रहने की उसकी बुर में एक झटके में पूरा का पूरा पेल दिया,,, बस हल्की सी आहहह सालु के मुंह से निकली और उसके बाद रघु की कमर रफ्तार के साथ ऊपर नीचे होने लगी कजरी की हालत खराब हुई जा रही थी वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डालकर अंतर बार कर रही थी ना जाने क्यों उसका मन कर रहा था कि कमरे में चली जाए और अपनी बेटी शालू को हटाकर खुद उसकी जगह लेट जाएं क्योंकि सालु से ज्यादा वो खुद प्यासी थी,,, रघु की नंगी पीठ पर सालु की हथेली इधर से उधर घूम रही थी,,, जो की कजरी के लिए शायद एक सबक थी रिश्ते नाते मान मर्यादा सब अपनी जगह,,, और शरीर की भूख एक जगह,,,, शरीर की जरूरत पूरी करने के लिए उसकी बड़ी बेटी शालू और उसका छोटा बेटा रघु काम क्रीड़ा में पूरी तरह से तल्लीन हो चुके थे,,,। पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी कजरी अपने बदन की जरूरत के कारण अपने तन की प्यास के आगे लाचार थीवह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को तार-तार होते हुए अपनी नजरों से देख कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी बल्कि उस नजारे को देखकर वो खुद गर्म हो चुकी थी,,,। यह चुदाई लगभग आधे घंटे तक चलती रही,,,जो खुद अपनी उंगली से ही 2 बार झड़ चुकी थी लेकिन लड़कों का पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था यह देखकर कजरी खुद हैरान थी कजरी अपने कानों से सालों की बात सुन चुकी थी कि वह इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी लेकिन रखो उसी तरह से टिका हुआ था तकरीबन आधे घंटे बाद उसका भी पानी निकल गया अपने बेटे के मर्दाना ताकत को देखकर कजरी बेहाल हो गई थी न जाने क्यों अपने बेटे के प्रति इस समय और ज्यादा आकर्षित हो चुकी थी वह ज्यादा देर तक वहां खड़ी नहीं रही और वापस छत के ऊपर आ गई लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी कल शादी थी और वह अपने बच्चों के सामने इस जिक्र को छेडकर,,, माहौल को खराब नहीं करना चाहती थी छत पर उसके जाने के बाद तकरीबन 2 घंटे के बाद है दोनों वापस छत पर आए तेरी समझ गई कि इन 2 घंटों में वह दोनों ना जाने कितनी बार संभोग रत हुए होंगे,,,,। धीरे-धीरे कजरी की भी आंख लग गई,,,,, दूसरे दिन उठते ही वह शादी की तैयारी में जुट गई,,,।
Behtareen update
 
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Devang

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आज का दिन कजरी के परिवार के लिए बहुत खास था क्योंकि आज एक साथ दो काम होने वाले थे एक तो शालू के हाथ पीले होने वाले थे और कजरी के माथे से बहुत बड़ा बोझ था, वह उतरने वाला था,,, बोझ शालू नहीं थी बल्कि उसकी हरकत की वजह से वह पेड़ से हो गई थी वह बोझ था,,, कजरी के लिए यही अच्छी बात है कि शालू पेट से है इस बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी केवल रघु और बिरजू की मां उसकी बहू और जमीदार को यह बात मालूम थी,,,, कजरी दिल से जमीदार की बीवी को दुआ दे रही थी क्योंकि उसी की बदौलत आज यह रिश्ता खुशी पूर्वक संपन्न होने जा रहा था,,, कजरी घर में और आंगन में झाड़ू लगाकर साफ सफाई कर रही थी,,,लेकिन उसके मन में अभी भी हलचल मची हुई थी जो नजारा उसने रात को अपनी आंखों से देखी थी उस पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखी थी वह सनातन सत्य था हकीकत था वह कोई सपना नहीं था बल्कि अपनी आंखों से देखा हुआ रिश्तो को तार-तार करता हुआ बेहद शर्मनाक नजारा था लेकिन उस शर्मनाक नजारे को देखते हुए भी कजरी के मन में गुस्सा नहीं था बल्कि उस नजारे का आकर्षण पूरी तरह से उसके तन बदन के साथ-साथ उसके प्यासी भावनाओं पर हावी हो चुका था,,,, वह साफ-साफ अपनी आंखों से देख रही थी कि उसका जवान बेटा और जवान बेटी दोनों एक दूसरे के नंगे बदन से खेल रहे थे ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि दोनों एक दूसरे के सामने शर्म या परदा कर रहे हो,,, वह दोनों एकदम बेशर्म हो चुके थे और बेशर्मी से भरी हुई हरकत कर रहे थे,,,, कजरी अपने मन में यही सोच कर हैरान हो रही थी कि किस तरह से उसका बेटा अपनी बड़ी बहन की बुर को जीभ लगा कर चाट रहा था,,,क्योंकि उसने आज तक अपनी शादीशुदा जिंदगी में इस तरह की हरकत ना तो की थी और ना ही उसके पति ने इस तरह की चेष्टा करने की कोशिश की थी उसे तो पता भी नहीं था कि औरतों की बुर को चाटा भी जाता है,,, इसलिए तो वह उस नजारे को देखकर एकदम मदहोश हो चुकी थी और उस दृश्य को देखकर अपने बच्चों पर गुस्सा करने की जगह उस दृश्य से एकदम आकर्षित हो गई थी,,,। और पूरे कामोत्तेजना से भरपूर संभोग दृश्य को देखे बिना वहां से गई नहीं,,,, कजरी के मन में बार-बार यह प्रश्न उठ रहा था कि उन दोनों के बीच यह शारीरिक रिश्ता कब से पनप रहा है उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी शालू ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी कहीं ऐसा तो नहीं कि रघु ने ही उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर कर दिया हो लेकिन सालु भी तो मजा ले रही थी,,,अगर उसमें लाज शर्म होती तो वह खुद अपने मुंह से जिस कार्य को करने में उसे संतुष्टि मिल रही थी वह क्यों कहती,,,, दोनों में खिचड़ी काफी समय से पक रही है लेकिन तभी उसके दिमाग चकराना शुरू हो गया उसे इस बात की शंका होने लगी कि कहीं शालू के पेट में पल रहा बच्चा कहीं उसके खुद के भाई का तो नहीं यह बात मन में आते ही उसका दिल बैठने लगा उसे चक्कर आने लगा और वह वहीं पर बैठ गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कहीं ऐसा हुआ तो कितनी कलंक वाली बात है,,,। लेकिन थोड़ी देर शांत रहने के बाद वह अपने लंबे सोचने लगी कि अगर ऐसा है तो बेशक यह शर्मिंदगी से भरी बात है रिश्तो को तार-तार कर देने वाली बात है और अच्छा हुआ कि यह बात किसी को पता तक नहीं है और तो और शालू के पेट में बच्चा पल रहा है और वह बिरजू का है इस बात से बिरजू की मां भी इनकार नहीं कर पाई और यही बात कजरी के लिए राहत देने वाली थी,,,। वह अपने मन में ही सोच रही थी कि उसका बेटा साले को चोद कर उसे कितना आनंद से भर दे रहा था तभी तो खटिए पर उसकी बेटी मदहोश हुए जा रही थी,,, जिस तरह से जोर-जोर से अपनी कमर हिला कर अपनी बहन को चोद रहा था यह नजारा देखकर कजरी अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके बेटे में मर्दाना ताकत से भरा हुआ जो है और बहुत देर तक वह सालु की चुदाई करता रहा,,, कजरी यही बात अपने मन में सोच सोच के उत्सुक हो रही थी कि अपनी शादीशुदा जिंदगी में कितनी देर तक कभी भी उसने चुदाई का आनंद नहीं ले पाई थी,,। उसका आदमी डालते ही दो-तीन धक्के में पानी निकाल देता था चुदाई के असली सुख से वह पूरी तरह से वंचित रह गई थी,,, अपने जवान बेटे और जवान लड़की की गरमा गरम चुदाई देखकर ना चाहते हुए भी कजरी के मन में ख्याल आने लगा कि अगर उसके बेटे का लंड उसकी बुर में जाएगा तो वह कितनी देर तक चोदेगा कितनी देर तक ठहर पाएगा उसे कितनी बार एक ही बार में झाड़ पाएगा,,,, यह सब सोचकर ही कजरी की बुर गीली होती जा रही थी,,,,। वह अपने बेटे के ख्यालों में एकदम से खो चुकी थी,, कि तभी रघु उसे आवाज देते हुए बोला,,,।


तुम अब तक यही दोस्ती होना कितना काम करना है पता है जल्दी उठो,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई और वह हड़बड़ा कर खड़ी हो गई,,,,)

क्या सोच रही हो मां,,,


ककककक,,,कुछ नहीं यही सोच रही हूं कि शालू चली जाएगी तो घर सुना सुना हो जाएगा,,,


हां मां तुम सच कह रही हो दीदी के बिना यह घर काटने को दौड़ेगा मुझे तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा,,(रघु अपनी कमर पर दोनों हाथ रखते हुए बोला और यह बात सुनकर कचरी अपने मन में सोचने लगी कि किस लिए उसके जाने के बिना यह घर तुझे काटने को दौड़ेगा यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं,,, अपनी बड़ी दीदी को चोदे बिना तेरा मन नहीं मानता और वह भी तेरे लंड की एक दम प्यासी हो चुकी है,,,, तभी तो शादी के 1 दिन पहले ही अपने ही भाई से चुदवाकर अपने पति से पहले ही अपने भाई के साथ ही सुहागरात मना रही थी,,,)


चल अच्छा मैं साफ-सफाई कर दी हूं तू बाकी की तैयारी कर,,, और हां गांव में सब को कह तो दिया है ना मंदिर पर चलना है,,,


हां मैं सबको कह दिया हूं समय पर सब मंदिर पर पहुंच जाएंगे,,,,


चल ठीक है जा दूसरे काम निपटा,,,,


ठीक है मां,,,(इतना कहकर वह दूसरे काम को निपटाने के लिए चल दिया,,,,कजरी अपने बेटे को जाते हुए देख रही थी अपने बेटे को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही लड़का है जिस पर वह भरोसा करती थी वो खुद अपनी ही बहन की चुदाई कर रहा है,,, लेकिन जिस तरह की भावना कजरी के अंदर जागरूक हो रही थी यह देख कर उसे पूरा यकीन हो गया था कि रघु जब अपनी बहन को चोद सकता है तो उसे भी चोद सकता है उसे भी कभी सुख दे सकता है जो अपनी बहन को दे रहा है,,,इस बात से कजरी को संतुष्टि प्राप्त हो रही थी और वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि जल्द ही उसकी कोरी बुर में उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड समा जाएगा,,,, इतना सोच कर वह पूरी तरह से गनगना गई,,,,, जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही है यह उसके लिए पहला मौका था जब वह शादी के मौके पर अपना अहम हिस्सा निभाने जा रही थी अब तक वह दूसरों की शादी में फिर भाग लेते आ रही थी लेकिन आज उसे अपनी ही बेटी की शादी करके उसे विदा करना था इसलिए उसे बेटी से बिछड़ने का गम भी था और खुशी भी,,।

देखते ही देखते आखिरकार गांव के सभी लोग मंदिर पर इकट्ठा होने लगे,, मंदिर को बड़े अच्छे से सजाया गया था मंदिर के आगे मंडप बांधा गया था जिसमें बैठकर विवाह संपन्न होना था,,, थोड़ी ही देर में रघु और कजरी अपनी बहन को दुल्हन की तरह से जाकर मंदिर पर ले आए साथ में ले लिया और उसकी दोनों लड़कियां और रघु का दोस्त भी था,,,, सब लोग बहुत खुश थे,,, थोड़ी ही देर में बड़ी मालकिन और उसके नौकर के साथ बिरजू भी दूल्हा बनकर मंदिर पर पहुंच गया पंडित पहले से ही मौजूद थे पंडित ने आवाज लगाकर दूल्हा दुल्हन को दोनों को मंडप में बुला लिया और मंत्रोचार करने लगे कि तभी,,, बड़ी मालकिन रघु से बोली जो कि आज खुद सज धज कर एकदम दुल्हन लग रही थी उसको देखते ही रघु के पजामे में हरकत होना शुरु हो गया था अगर विवाह का अपना होता तो बड़ी मालकिन को यही पटक कर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,, लेकिन डाकू जानता था कि देर सबेर,,, मालकिन को चोदने का शोक उसे नहीं जाता है तो इस तरह से मन को मचलने से क्या फायदा,,,,, बड़ी मालकिन जोकि रघु के साथ ही खड़ी थी रघु को इधर उधर देखते हुए बोली,,,।)


अरे रघु अभी तक राधा नहीं आई,,,,


क्या अभी तक छोटी मालकिन नहीं आई उन्हें तो तुम्हारे साथ नहीं आना चाहिए था,,,


हां आ तो रही थी साथ में लेकिन जमीदार को दूध पिलाना था इसलिए रुक गई थी,,,, एक काम करो तुम ही जल्दी से जाओ और राधा को साथ लेकर आओ,,,,


ठीक है मालकिन मैं भी जाता हूं और अभी आता हूं,,,,

मां तब तक तुम ख्याल रखना,,,,


ठीक है बेटा जल्दी आना,,,,, तुझे ही सारे रस्म निभाना है,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं अभी गया और अभी आया,,,,

(हवन का धुआं चारों तरफ अपनी खुशबू बिखेर रहा था बड़ा ही मनमोहक और लुभावना दृश्य था,,, गांव वाले मंडप के चारों तरफ नीचे जमीन पर बैठे थे पास में ही भोजन का प्रबंध हो रहा था जिसकी खुशबू से गांव वालों के मुंह में पानी आ रहा था,,, कुछ लोग इस शादी को लेकर हैरान भी थे तो किसी को इतना भी हो रही थी कि शालू कि ईतने बड़े घर में शादी हो रही है,,,,,,, गांव के ही कुछ लोगों ने सारे प्रबंध का बीड़ा उठा लिया था जो इधर-उधर घूम कर सारे प्रबंध को अपनी निगरानी में देखरेख कर रहे थे,,, मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गूंज रहा था बिरजू और शालू बेहद खुश हैं शालू बड़ा सा घूंघट करके शर्मा कर देती हुई थी और बिरजू बार-बार चालू की तरफ देख ले रहा था दोनों की मन की इच्छा जो पूरी हो रही थी,,, दूसरी तरफ रघु हवेली पर पहुंच गया था दरवाजे पर दस्तक देकर वह खड़ा हो गया तो थोड़ी देर बाद हम होली का दरवाजा खुला और खुद राधा ने दरवाजा खोली राधा भी एकदम दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार हुई थी,,, उसे देखते ही रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया,,,।)


वाह छोटी मालकिन आज तो तुम खुद दुल्हन की तरह लग रही हो,,,।


और दिन कैसी लगती थी,,,,


नहीं मेरी ऐसी कोई बात नहीं है आपतो हमेशा खूबसूरत लगती हो लेकिन आज की बात कुछ और है,,, आज तुम एकदम दुल्हन की तरह लग रही है,,,,(कंधे पर रखा हुआ पल्लु को रघु अपने हाथों से उसके सिर पर रखते हुए ,,) अब देखो एकदम चांद का टुकड़ा लग रही हो,,,.


रघु के मुंह से, अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर राधा गदगद हो गई,,,,उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा साथ में चला रही थी और यही अदा रघु के मन के तार को छेड़ रही थी,,,,


चल रहने दे तारीफ करने को,,,, अगर इतनी ही खूबसूरत होती तो,,, अपनी बड़ी मालकिन की ही सेवा में ना जुटा रहता,,,, छोटी मालकिन पर तो तु बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता,,,,(राधा प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं छोटी मालकीन ऐसा क्यों कहती हो,,, बड़ी मालकिन का ख्याल रखना बहुत जरूरी है यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो क्योंकि वह खुश रहेंगे तो मेरा यहां पर आना-जाना बना है क्या और तुम्हारी भी सेवा करने का मौका वो खुद ही मुझे दे देती है अगर मैं उनका ख्याल नहीं रख लूंगा तो हो सकता है इस हवेली से मेरा दाना पानी उठ जाए,,,,।


कह तो तु ठीक ही रहा है,,,, लेकिन फिर भी तू नहीं जानता कि मेरे दोनों टांगों के बीच कितनी हलचल मची हुई है,,,,

तुम चिंता मत करो छोटी मालकिन तुम्हारी खुजली को मैं जरूर मिटा दूंगा लेकिन तुम मंदिर पर क्यों नहीं पहुंची,,, कितना समय हो रहा है,,।


हां मैं जाने के लिए तैयार हो चुकी थी लेकिन माजी ने कहा कि बाबू जी को दूध पिला दो तो मैं दूध पिलाने के लिए रुक गई,,,।


बाबू जी को अपना दूध पीला रही थी,,,।,(रघु ब्लाउज में से झांकती उसकी दोनों चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,)


धत्,,,,, कितना शैतान हो गया है तू,,,, यह तो सिर्फ तेरे लिए है,,,,(राधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

ओहहहह,,,हो,,,,, तुम्हारी यही अदा तो मुझे पागल बना देती है छोटी मालकिन,,,,

(रघु कि यह बात सुनकर राधा शर्मा गई और मुस्कुराते हुए बोली,,,)


चल अच्छा अब देर हो रही है बाबू जी को मैं दूध पिला चुकी हूं,,,,
(राधा की बात सुनकर रघु इधर-उधर देखने लगा वह पूरी तसल्ली कर लेना चाहता था कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,,, और उसे चकर पकर देखता हुआ पाकर राधा बोली,,,)


इधर उधर क्या देख रहा है चल अब देर नहीं हो रही है,,,।


रुक तो जाओ छोटी मालकिन,,, अब ऐसा मौका ना जाने कब मिलेगा,,,,


मतलब,,,!(अपनी आंखों को नचाते हुए राधा बोली,,,)


मेरा मतलब है कि,,,,(इतना कहने के साथ ही दरवाजे पर खड़ा रघु घर में कदम आगे बढ़ाया और कदम बढ़ाते ही,,, आगे बढ़ कर रघु राधा को अपने हाथों का घेराबंदी करके उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,,)


अरे अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, नीचे उतार में गिर जाऊंगी,,,,


नहीं नहीं छोटी मालकिन मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा,,,,


लेकिन चलना देर नहीं हो रही है क्या,,,,?


अरे शादी तो होती रहेगी लेकिन ऐसा मौका मुझे फिर कभी नहीं मिलेगा,,,,


अरे करना क्या चाहता है तू,,,,


वही जो एक खूबसूरत औरत के साथ एक जवान मर्द को करना चाहिए,,,,,


अरे रहने दे बाबू जी जाग रहे हैं,,,,



जाग रहे हैं तभी तो,,,,(ऐसा कहते हुए गोद में उठाए हुए रघु राधा को जमीदार के कमरे में ले जाने लगा)


नहीं नहीं रघु वहां नहीं मुझे शर्म आती है बाबूजी क्या सोचेंगे,,,



जो भी सोचना है सोचने दो तुम भूल गई बाबुजी ने तुम्हारा कितना अपमान किया था,,,,



हमें जानती हूं रघु लेकिन मुझे शर्म आ रही है,,,


इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है छोटी मालकिन भला जमीदार देखने के सिवाऔर क्या कर सकते हैं ना तो कुछ बोल सकते हैं ना किसी को कुछ बता सकती हैं डरने वाली कोई बात नहीं है,,,,,(ऐसा कहते हुए रघुजमीदार की बहू राधा को गोद में उठाए हुए ही जमीदार के कमरे में पहुंच गया जमीदार की आंखें खुली उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वह जानता था कि आज उसकी इच्छा के विरुद्ध हो रहा है उसकी आंखों में गुस्सा था लेकिन लाचार था वह इस बात से और दुखी था कि उसकी ऐसी हालत के बावजूद भी उसकी बीवी अपने लड़के की शादी उस लड़की से कर रही है जिसका रिश्ता उसे गवारा नहीं था,,,,, और रघु को अपनी बहू को गोद में उठाए हुए अपने कमरे में देख कर वह और जल भुन गया,,,, रघु राधा को उसी तरह से गोद में उठाए हुए जमीदार के बिस्तर के करीब गया और बोला,,,)


क्या हाल है मालिक,,,, देख लिया ना छोटी सी जीद का नतीजा,,,, आज मेरी बहन जी इस घर की इस हवेली की बहू बनकर आ रही है तुम्हारे बेटे बिरजू की और शालू की शादी मंत्रोच्चार के साथ शुरू हो गई है इसे कहते हैं किस्मत का पलटवार,,,,, क्यों राधा रानी,,,(गोद में उठाए हुए ही वह राधा की तरफ देखते हुए बोला लेकिन राधा कुछ बोली नहीं शर्मा कर दूसरी तरफ नजरों को फिर लिए देखकर जमीदार के सामने ही रघु राजा के होठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा जो देखकर जमीदार की हालत और खराब होने लगी वह मन ही मन में अपनी बहू को बहुत गाली देने लगा,,,, और मन में गाली देने के सिवा और कुछ भी कर नहीं सकता था,,,,)

मालिक अगर थोड़ा सा सब्र रख कर हालात पर गौर किए होते तो सब कुछ सही हो जाता,,, घर में दो दो औरतें प्यासी थी लेकिन उनकी प्यास की तुम्हे कद्र ही नहीं थी,,, थोड़ा सा दिमाग लगाए होते घर में झांक लिया होता घर की औरतों के दर्द को समझे होते तो आज तुम घर की दोनों औरतों के साथ मौज कर रहे होते लेकिन तुम्हारे में तो इतना दम भी नहीं है कि अपनी ही बीवी की प्यास बुझा सको,,, अगर बुझा सकते तो तुम्हारी बीवी मेरी पहलू में ना आती,,, और देखो मैंने सब्र से काम लिया,,, नतीजा तुम्हारी आंखों के सामने है,,,(राधा को नीचे जमीन पर रखते हुए और ब्लाउज के नीचे के बटन को अपने हाथ से खोलते हुए उसे उपर की तरफ करके,,, राधा कि नारंगी जैसी चुची बाहर निकाल दिया और,,,, यह देखकर जमीदार और क्रोधित होने लगा लेकिन रघु अपने एक हाथ से राधा की चूची को पकड़कर दबाते हुए) अगर सपने से काम लिए होते तो आज चम्मच से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,,(और इतना कहते ही रघु अपना मुंह राधा की चूची पर रख कर उसे पीना शुरू कर दिया,,,,, राधा एकदम से सिसकारी भरने लगी,,, और रघु जमीदार के सामने ही उसकी बहू की दोनों चुचियों को बाहर निकालकर से बारी-बारी से दबा दबा कर पीना शुरू कर दिया राधा अपने ससुर के सामने शर्मा रही थी,,,लेकिन अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी ना चाहते हुए भी उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,,।)


ससससहहहहह,,,आहहहह७हहहहह,,,,ऊफफफ,,,,,,
(अपनी बहू की मस्ती भरी सिसकारी की आवाज सुनकर जमीदार को वैसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कानों में गर्म सीसा पिघला कर डाल रहा हो,,, वह अंदर ही अंदर तड़प रहा था अपने आपको भी करता हुआ नहीं सोच कर रहा था जिस हवेली के सामने कोई आंख उठा कर देख नहीं सकता था आज वह हालत थी कि गांव का ही एक लड़का उसके घर की इज्जत से खेल रहा था,,,, रघुजमीदार की तरफ देखते हुए राधा की दोनों चूचियों को पीकर तृप्त हो गया था,,,, समय का अभाव रघु के पास ही था वह जानता था कि समय पर शादी में पहुंचना जरूरी है लेकिन जमीदार को यह बेहतरीन नजारा दिखाना भी जरूरी था वह जमीदार को उसकी औकात दिखाना चाहता था,,,, राधा शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी वह भी लोगों का साथ पूरी तरह से दे रही थी लेकिन बुत बनकर खड़ी थी,,,आखिरकार बिस्तर पर लेटा हुआ इंसान उसका ससुर था जिसकी वह बहुत इज्जत करती थी अपने बाबूजी की तरह उसका भी मान सम्मान करती थी लेकिन हालात बदल गए थे अपने जिस्म की प्यास के कारण वह भी बेशर्मी का रास्ता अपना ली थी खास करके उस दिन से जिस दिन उसके ससुर ने उसे अपमानित किया था उस पर लांछन लगाया था वह भी मन ही मन में अपने ससुर से बदला लेना चाहती थी और इसीलिए वह भी अपने ससुर के कमरे में रघु को उसके खूबसूरत बदन से खेलने से इंकार ना कर पाए वह जानती थी कि भले ही उसके ससुर कुछ बोल नहीं पा रहे हो कुछ कर नहीं पा रहे हो लेकिन इस तरह का शर्मिंदगी भरा नजारा देखकर वह तिल तिल तड़प उठेगा और यही उसकी सजा है,,,,)


देख रहे हो मालिक,,, तुम्हारी बड़ी बड़ी खूबसूरती में इसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता बेहद खूबसूरत जिस्म की मालकीन जिसे पाने के लिए गांव का हर मर्द तड़प उठता है और जानते हो तुम्हारी बहू को याद करके ना जाने कितने लोग अपना लंड ही ना कर पानी निकाल देते हैं मेरा भी यही हाल था जब मैं पहली बार तुम्हारी बहू को देखा था मैं तो पागल हो गया था मुझे नींद नहीं आती थी,,, मैं भी ना जाने कितनी बार तुम्हारी बहू को याद करके अपने हाथ से अपना लंड हिला कर पानी निकाला हूं,,,,(यह बात सुनकर जमीदार पर गुस्सा निकाला उसकी आंखें बता रही थी कि वह आग बबूला हो रहा था और यही बात राधा सुनकर शर्म से पानी पानी होने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि रघु जो कह रहा था वह वाकई में सच ही होगा,,, लेकिन फिर भी अपनी तसल्ली के लिए उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,)

क्या तू सच कह रहा है रघु,,,,


हां छोटी मालकीन में बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,, तुम्हें देखकर गांव के हर मर्द की हालत खराब हो जाती है जैसे कि मेरी,,,, मैं भी तुमको ही याद करके,,,,(अपनी पजामे को घुटनों तक सरका कर अपनी खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हीलाते हुए,,) ना जाने कितनी बार इसको हिला हिला कर इसका पानी निकाल दिया हुंं(रघु की बात सुनते ही राधा की नजर जैसे ही नीचे गई उसके खड़ी लंड को देखकर उसकी बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,, वह शर्म के मारे पानी पानी हो गई लेकिन उसके खानदान को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्मी को मैसेज करने की लालच को वह अपने अंदर दबा नहीं पाई और अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर अपने ससुर के सामने ही रघु के लंड को पकड़कर उसे जोर जोर से दबाते हुए हिलाने लगी,,,, यह देख कर जमींदार की आंखों में खून उतर आया लेकिन बेबस लाचार वह कुछ कर नहीं पा रहा था,,,, वह अपनी किस्मत को कोसने लगा और इसके सिवा और कुछ कर भी नहीं सकता था,,,, राधा के नरम नरम हाथ अपने लंड पर महसूस होते ही रघु के मुंह से हल्की सिसकारी फूट पड़ी,,,,)


आहहहहह,,,, छोटी मालकिन,,,,, बहुत अच्छा लग रहा है,,, अब जरा इसे अपने ससुर के सामने मुंह में लेकर इसे एकदम गीला कर दो ताकि ये तुम्हारी बुर में बड़े आराम से जा सके,,,,,
(इतना सुनते ही राधा रघु की आज्ञा का पालन करते हुए एक नजर अपने ससुर के ऊपर डाली दोनों की नजरें आपस में टकराई और मानो जमीदार अपनी नजरों से ही राधा को मार डालने की धमकी दे रहा हो,,, लेकिन राधा अपने ससुर की नजरों की दहशत को अनदेखा करते हुए नीचे घुटनों के बल बैठ गई,,, और रघु के खड़े लंड को बेझिझक अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी ,,,, लाल रंग की साड़ी में राधा एकदम दुल्हन की तरह लग रही थी और रघु दुल्हा लग रहा था,,,, राधा कुछ दिनों से रघु से चुदाई का सुख नहीं पाई थी इसलिए पूरी तरह से पागल हो गई थी इसलिए जितना हो सकता था उतना अपने मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी जमीदार अपने मन में यह सोच कर हैरान था कि उसके घर की औरतें ईतनी प्यासी है उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था,,, रघु मदहोश हो रहा है एक तरफ उसकी बहन की शादी हो रही थी जहां पर मंत्रोच्चार पढ़ा जा रहा था और दूसरी तरफ रघु अपनी बहन की जेठानी के साथ,,, सुहागरात मना रहा था और वह भी दिन में ही,,,, जमीदार की हालत खराब हो रही थी उसे अपनी हालत पर गुस्सा आ रहा था कि वहां यह सब देखने के लिए जिंदा क्यो है इससे अच्छा तो मर गया होता,,, कुछ देर तक रघु राधा के मुंह में ही अपना लंड डालकर अपनी कमर हिलाता रहा,,,, लेकिन समय का अभाव उसके पास था,,, उसे ईस बात का डर भी था कि कहीं मालकिन किसी और को हवेली पर ना भेज दे,,, इसलिए रघु सब कुछ जल्दी खत्म करना चाहता था,,, इसलिए रघु,,, राधा के मुह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया,,, राधा तड़प उठी रघु के मोटे तगड़े लंड को मुंह में लेकर चूसने के आनंद को प्राप्त करके राधा ये भी भुल गई कि उसे शादी में भी जाना है,,,।
रघु राधा को पकड़कर खड़ी किया और उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, देखते ही देखते रघु राधा की साड़ी को उठाकर कमर तक कर दिया और उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी होकर चमकने लगी,,, राधा की गोरी गोरी गदराई गांड को देखकर रघु की हालत खराब होने लगी वह जमीदार को और जलाना चाहता था इसलिए राधा की कमर को पकड़ कर जमीदार की तरफ कर दिया जिससे जमीदार को उसकी बहू की गोरी गोरी गदराई गांड एकदम साफ नजर आए,,, एक पल के लिए तो अपनी बहू की गोरी गोरी मदमस्त गांड देखकर जमीदार की भी हालत खराब हो गई,,,, रघु जमीदार को उसकी बहू की कार दिखाते जैसी गोरी गोरी गांड पर लगातार चार पांच चपत लगाने लगा जिससे देखते ही देखते राधा की गोरी गांड टमाटर की तरह लाल हो गई,,,, जमीदार को रघु का इस तरह से उसकी बहू की गांड पर शपथ लगाना अच्छा नहीं लग रहा था वह फिर से क्रोधित होने लगा,,,, राधा शर्म के मारे सिमटी जा रही थी भले ही वह भी अपनी सांसों से अपने अपमान का बदला लेना चाहती हो लेकिन इस तरह से वह अपने ससुर के सामने आएगी यह कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड अपने ससुर को दिखाने में शर्म महसूस हो रही थी वो शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,,।


देखो जमीदार साहब मेरी किस्मत देखो जिस औरत को देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था जिसको याद करके सिर्फ मुठ मारा करता था मैं कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे मैं चोद पाऊंगा,,, और आज देखो ईस हवेली की दोनों औरतेंमेरे लिए पागल है और मैं जब चाहो तब हवेली में आकर तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारी बीवी के साथ-साथ तुम्हारी बहू को चोद सकता हूं,,,, क्यों छोटी मालकिन,,,,?
(रघू राधा के मुंह से जमीदार को सुनवाना चाहता था लेकिन राधा शर्म के मारे कुछ बोल रही थी तो रघु ही उसको उकसाते हुए बोला,,,)


शरमाओ मत राधा रानी,,,,, बोलो ना,,, मैं जब चाहु तब इस हवेली में आकर तुम्हारी चुदाई कर सकता हूं ना,,,,।


हा,,,,रे कर सकता है,,,,,,(राधा शर्माते हुए बोली)


सोना मालिक,,,,,अब देखो मैं कैसे तुम्हारी बहु की चुदाई कर सकता हूं अपने मोटे खड़े लंड से,,,(अपनी टनटनाते हुए लंड को हाथ में लेकर जमीदार को दिखाते हुए बोला,,, जमीदार अपने चेहरे को नहीं ला सकता था इसलिए अपनी नजरों को कभी रघु के लंड की तरफ तो कभी अपनी बहू की गांड की तरफ घुमा रहा था,,,,, रघु पूरी तरह से तैयार था राधा को चोदने के लिए,,, इसलिए वह राधा से बोला,,,)


थोड़ा झुक जाओ मेरी रानी फिर देखो मेरा कमाल,,,,,
(इतना सुनते ही राधा झुक गई,,, और उसकी गोल गोल गांड और ऊभरकर बाहर आ गई,,, जिससे उसकी गुलाबी बुर साफ नजर आने लगी,,,राधा के गुलाबी पुर जमीदार की नजरों से बच नहीं पाई जमीदार की भी नजर अपनी ही बहू की गुलाबी बुर पर पड़ी तो उसके होश उड़ गएउसे इस अवस्था में भी इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में उसकी बहू की बुर बेहद खूबसूरत और हसीन है लेकिन उसे इस बात का अफसोस था कि उसकी इस हालत का फायदा उठाते हुए उसकी आंखों के सामने ही उसकी बहू को गैर लड़का चोदने जा रहा है,,,, उसे अपने बड़े बेटे पर क्रोध आने लगा जो कि एकदम निकम्मा और निकला थाअगर वह अपनी औरत का ख्याल रखता तो शायद उसे यह दिन देखना नहीं पड़ता,,,, रघु कमल राधा की बुर को चाटने को कर रहा था लेकिन उसके पास समय नहीं था इसलिए वह राधा को चोदना चाहता था,,,।

देखते ही देखते रघु अपने खड़े लंड को राधा की गुलाबी बुर में अंदर तक डाल दिया,,,, राधा एकदम से सिहर उठी राधा उसके लंड को अपनी बुर की गहराई तक महसूस कर रही थी यहां तक कि उसे उसके लंड का सुपाड़ा अपने बच्चे दानी के ऊपर महसूस हो रहा था,,, इसलिए वो और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी,,,।


देखो मालिक मैं तुम्हारी आंखों के सामने कैसे तुम्हारी बहू की जबरदस्त चुदाई करता हूं और साथ ही तुम्हें तुम्हारा पोता भेंट में दूंगा यह मेरा वादा है,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु की कमर तेज रफ्तार से आगे पीछे होने लगी वह साड़ी को कमर तक उठाए हुए उसकी कमर को पकड़ कर चुदाई करना शुरू कर दिया,,,,फच्च,, फच्च की आवाज से जमीदार का कमरा गूंजने लगा,,, राधा की केले के समान मांसल जांघें रघु की जांघों से टकराकर एक अद्भुत आवाज पैदा कर रही थी,,,, राधा की गरम सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी,,,,,, राधा एक दम मस्त हो चुकी थी,,, तकरीबन जमीदार के कमरे में जमीदार की आंखों के सामने रघु आधा घंटा तक उसकी बहू की चुदाई करता रहा,,, अपने ससुर के सामने संभोग करते हुए राधा उत्तेजना के मारे जल्दी ही झड़ चुकी थी लेकिन रघु की सूझबूझ से या फिर से तैयार हो चुकी थी और अंत में दोनों एक साथ अपना पानी निकाल कर झड़ गए,,,, रघु अपने लंड की पिचकारी को,, राधा की बुर में पूरी तरह से खाली करने के बाद ही बाहर निकाला,,,, राधा एक दम तृप्त हो चुकी थी राधा ऐसी गरमा गरम चुदाई के कारण पसीने से तरबतर हो चुकी थी,,,, राधा अपने कपड़ों को दुरुस्त करके,,, हाथ मुंह धोने के लिए चली गई और रघु अपने पजामे को पहन कर उसकी डोरी को बांधते हुए,,, जमीदार से बोली,,,।

देख लिया जमीदार मुझ से टकराने का नतीजा मेरा अपमान करने का बदला मैं तुझसे रोज लूंगा तु तील-तील मरेगायही तेरी इस हवेली में तेरे कमरे में तेरी आंखों के सामने ही तेरी बीवी की रोज चुदाई करूंगा,,,, तेरी बहू को भी रोज अपने लंड की शैर कराऊंगा मादरचोद,,,,
(और ऐसा कहकर रघु उसके कमरे से बाहर निकल गया कुछ ही देर में राधा भी वहां पर आ गई और रघु वहीं खड़ी तांगा को बाहर निकाला और राधा को उसमें बैठने के लिए बोला,,, थोड़ी ही देर में वह दोनों मंदिर पर पहुंच गए,,, उन्हें देखकर जमीदार की बीवी बोली,,,)

इतनी देर कहां लगा दीए तुम दोनों,,,,,, विवाह संपन्न होने वाला है,,,


बाबूजी ठीक से दूध नहीं पी पा रहे थे,,, इसलिए देर हो गई,,,



चलो कोई बात नहीं अच्छा हुआ समय से पहुंच गए,,,,


रघु भी वहीं खड़ा हो गया तभी उसे सामने से कोमल आती हुई नजर आई और वह मुस्कुराने लगा और तुरंत,,, कोमल के पास पहुंच गया,,,,


अच्छा हुआ तुम्हारा ही तुम्हारा इंतजार कर रहा था,,,


तुम बुलाओ और मैं ना आऊं कैसे हो सकता है,,,,


तुम्हारे ससुर जी,,,,



उनका नाम मत लो मेरे सामने,,, वह ससुर नहीं हैवान है,,,।


चलो उसका नाम नहीं लेते हैं,,,, लेकिन आ जाओ मंडप के पास बैठो मैं और प्रबंध देख कर आता हूं,,,(इतना कहकर रघु इधर उधर का इंतजाम देखने चला गया और कोमल मंडप के पास आकर बैठ गई,,,।


तुम कब आई बेटी,,,,(जमीदार की बीवी राधा को देख कर बोली)


अभी अभी आ रही हूं,,,,,


अच्छा हुआ कि तुम भी आ गई,,, समधी जी नहीं दिख रहे हैं,,,,


वह सुबह से कहीं गए हैं,,,


ठीक है कोई बात नहीं,,,,

(थोड़ी ही देर में विवाह संपन्न हो गया,,,, इसके बाद भोजन का प्रबंध कराया गया जहां पर सब लोग बैठ कर बड़े ही आराम से भोजन ग्रहण किए और विदाई की बेला पर कजरी की आंखें नम हो गई,,,,विवाह समारोह सादगी में हुआ था लेकिन फिर भी बड़ी मालकिन ने डोली का बंदोबस्त की थी ताकि उनकी बहू डोली में बैठकर उनकी हवेली तक जाएकजरी अपनी बेटी को डोली में बैठी हुई देखकर खुशी से फूले नहीं समा रही थी बारी बारी से गांव की औरतें चालू करो आशीर्वाद के साथ साथ भेंट उपहार दे रहे थे,,,, थोड़ी देर में कहांर डोली उठाकर हवेली की तरफ चल पड़े सब लोग एक दूसरे से विदा लिए,,,
Behtareen update
 

Devang

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विवाह शांतिपूर्वक और अच्छे से संपन्न हो चुका था कजरी और गांव की औरतें शालू को विदा करके नम आंखों के साथ गांव लौट गई थी कहार डोली उठाए हवेली की तरफ जा रहे थे और,,, जमीदार की बीवी और बहू को हवेली छोड़ने के लिए रघु तांगा तैयार कर रहा था कोमल भी वहीं पास में खड़ी थी,,, क्योंकि रास्ते में उसे भी घर छोड़ते हुए जाना था,,,,

आज कैसा लग रहा है रघु तुम्हें,,,


सच कहूं तो मालकीन आज ऐसा लग रहा है कि दुनिया की सारी खुशियां मेरी झोली में आ गई हो,,, और यह सब केवल आपकी वजह से हुआ है,,,।


मेरी वजह से नहीं इन सब में तेरा भी हाथ है,,,, सच कहूं तो सिर्फ तेरी वजह से ही यह शादी संपन्न हुई है,,,
(यह बात मालकिन सच ही कह रही थी और रघु और राधा भी इस बात को अच्छी तरह से समझ रहे थे क्योंकि भले ही यह शादी शालू की थी लेकिन शालू की शादी के साथ साथ रघु राधा और बड़ी मालकिन का भी गठबंधन हो चुका था और हमेशा के यह साथी तो केवल एक बहाना था और इस लालच का केंद्र बिंदु था रघु जिसके मर्दाना ताकत के आगे हवेली की बहूएं अपने घुटने टेक चुकी थी,,,। और हमेशा के लिए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लालच की वजह से ही आज जबरजस्ती इस शादी को करवाई और अपने ही पति को पूरी तरह से अपाहिज बना दी,,,,)

यह तो आपका बड़प्पन है मालकिन,,, वरना इस नाचीज की हैसियत क्या थी,,,?(घोड़े को तांगे में फंसाते हुए बोला,,)


तुम ना चीज नहीं हो तुम बहुत ऊंची चीज हो,,,(जमींदार की बीवी हंसते हुए तांगे पर अपना एक पैर रखकर चढ़ते हुए बोली,,, इसके बाद एक-एक करके राधा और कोमल भी बैठ गए रघु तांगे को हांक कर आगे बढ़ा दिया,,,,)

जैसा सोची थी उससे भी कहीं अच्छी तरीके से यह शादी संपन्न हो गई,,,, भोजन का प्रबंध भी बहुत ही अच्छा था,,।

ठीक कह रही हो मां जी,,, भोजन तो मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा,,, और तुम्हें कोमल,,,,


हां,,,,, हां हां,,,, बहुत अच्छा प्रबंध था,,,(इतना कहकर कोमल शांत हो गई,,, उसका मन अपने आप से ही जूझ रहा था उसका मन शांत नहीं था वह अपने ससुर के बारे में ही सोच रही थी,,, ऊसे इस बात का डर था कि कहीं घर पहुंचने पर उसका ससुर उसके साथ फिर से वही हरकत किया तो वह कैसे बच पाएगी अपनी जिंदगी के बारे में सोच कर वह दुखी हो रही थी,,,, तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा था,,, रास्ते में शालू की डोली भी मिली जिसके साथ पैदल ही बिरजू साथ साथ में चल रहा था,,,, बड़ी मालकिन को घर पहुंच कर अपनी बहू के स्वागत का सारा प्रबंध करना था,,, इसलिए वह भी डोली से पहले ही घर पहुंचना चाहती थी,,, तांगे में बैठकर और वह भी रघु के साथ जमीदार की बीवी को बहुत दिन याद आने लगा जब इसी तरह से रघु तांगे में बैठा कर उसे उसके मायके लेकर जा रहा था उस दिन के लिए जमीदार की बीवी भगवान का शुक्रिया अदा कर रही थी क्योंकि अगर उस दिन तांगा लेकर रखो उसके मायके नहीं जाता तो शायद उसे रघु कभी नहीं मिल पाता उसे सब कुछ याद आ रहा था किस तरह से सारी रात घने जंगल में रघु टांगे के अंदर ही उसके सारे कपड़े उतार कर उसे एकदम नंगी करके रात भर उसकी चुदाई किया था औरत और लालटेन की रोशनी में उसे तांगे के करीब झाड़ियों के बीच पेशाब करने के लिए उसका सहारा बना था और उसे पेशाब करता हुआ देखकर किस तरह से रघु की हालत ज्यादा खराब हो गई और वह वहीं पर डाली पर लालटेन को टांग कर वही झाड़ी में खड़े-खड़े ही उसकी भरपूर चुदाई किया,,, और तो और मायके में भी जमकर उसकी चुदाई किया,,, यह सब याद करके जमीदार की बीवी की बुर गीली होना शुरू हो गई थी,,,।

रास्ते में ही कोमल का घर पड़ता था कोमल के घर के सामने तांगा रोककर रघु उसे वही उतार दिया और उसे देखकर एक मुस्कान अपने होठों पर लाकर आगे बढ़ गया,,, थोड़ी ही देर में रखो तांगा लेकर हवेली पहुंच चुका था,,, और थोड़ी ही देर में सास बहू दोनों शालू का स्वागत करने के लिए परंपरा गलत तरीके से सारी तैयारी कर ली और थोड़ी देर बाद ही डोली भी घर पर पहुंच गई जिसमें से राधा शालू को नीचे उतार कर उसे घर के अंदर प्रवेश करने की रीति रिवाज निभाने लगी,,, बिरजू बहुत खुश था,,, क्योंकि वह भी शालू के साथ ही शादी करना चाहता था और,,, आज उसके मन की हो गई थी,,,,


थोड़ी ही देर में गृह प्रवेश की बीवी पूरी हो गई और जमींदार की बीवी अपने बेटे और बहू को अपने पति के कमरे में उनका आशीर्वाद लेने के लिए ले गई,,, जमीदार अपने बेटे को शालू के साथ देख कर क्रोध से भर गया उसे यह शादी कतई मंजूर नहीं थी लेकिन विवश था लाचार था कर भी क्या सकता था,,, शालू और बिरजू दोनों जमीदार के पैर छूकर आशीर्वाद दिया लेकिन आशीर्वाद देने के लिए जमीदार में बिल्कुल भी ताकत नहीं थी और शायद आशीर्वाद देता भी नहीं,,,,।

ठीक है बेटा बिरजू,,,, बहू को अपने कमरे में लेकर जाओ,,, राधा तुम थोड़ा इन दोनों को खाने का प्रबंध करो,,,, दोनों थक गए होंगे,,,।


ठीक है माजी,,(इतना कह कर राधा अपने देवर बिरजू और अपनी देवरानी सालु को उनके कमरे में लेकर जाने लगी,,,, जमीदार के बीवी जमींदार को तिरछी नजरों से देखते हुए अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लाते हुए बोली,,,)

देख लिया ना जमींदार साहब आज तुम्हारी मन की नहीं बल्कि मेरे मन की हुई है आखिरकार शालू इस घर में बहू बनकर आ ही गई और कर क्या लिए तुमने शिवाय खटिया तोड़ने के,,,, हरामजादी तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी मैं भी तुझे थोड़ा-थोड़ा करके मारूंगी ताकि तुझे इस बात का एहसास हो कि अपनी हवस के चलते किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद नहीं की जाती उनके अरमानों का उनके सपनों का गला नहीं घोटा जाता,,,,,,, इतना तो जानते ही होगे कि आज की रात हमारे बेटे बिरजू और सालु की सुहागरात है,,,(ऐसा कहते हुए जमीदार की बीवी दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी और दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी और वापस पलंग की तरफ आते हुए बोली) एक तरफ हमारा बेटा हमारी बहू के साथ सुहागरात मनाएगा और उससे पहले तुम्हारी बीवी अपने इस यार के साथ,,(रघु के गले में अपनी दोनों बाहें डालते हुए,,) इसी कमरे में तुम्हारी आंखों के सामने सुहागरात मनाएगी,,,, क्यों रघु चोदोगे ना मुझे,,(अपनी नाजुक उंगली को रघु के होठों पर फिराते हुए)


इसमें पूछने वाली क्या बात है मालकिन,,,(और इतना कहने के साथ ही एक बार फिर से रघु दम दिखाते हुए जमीदार की बीवी को जमीदार की आंखों के सामने ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया,,,, और देखते ही देखते दोनों के बदन से वस्त्र कब उतर कर नीचे जमीन पर बिखर गए शायद इस बारे में दोनों को भी पता नहीं चला और रघु जमीदार की आंखों के सामने ही अपने मोटे खड़े लंड को उसकी बीवी की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,, और तब तक चलता रहा जब तक कि उसका गरम पानी पूरी तरह से निचुड़ कर जमीदार की बीवी की बुर में ना ऊतर गया,,,,।


दूसरी तरफ कोमल अपने कमरे में आराम कर रही थी कि तभी घर के पीछे वाला दरवाजा खुला और से दरवाजा खुलने की आहट हो गई उसे पता चल गया कि उसके ससुर घर पर आ चुके हैं लेकिन कदमों की आहट कुछ ज्यादा ही थी वह अपने कमरे से बाहर निकल कर चोरी से खिड़की से बाहर की तरफ देखी तो लाला अपने 3 आदमियों के साथ कमरे में बैठा हुआ था और शराब पी रहा था और वह तीनों की शराब पी रहे थे लाला के चेहरे से पता चल रहा था कि वह कितना क्रोध में था,,,, वह शराब के गिलास को होठों से लगाते हुए बोला,,,)


लानत है मुझ पर वह हराम का पिल्ला मेरी सारी बाजी को पलट दिया,,, नहीं छोडूंगा उस हरामजादे को,,, मैं अपने अपमान का बदला उससे लेकर रहूंगा,,, समझता क्या है मादरचोद,,,,(इतना कहकर गिलास की सारी शराब एक ही सांस में अपने गले के नीचे उतार ले गया,, कोमल अपने ससुर का यह रूप देखकर एकदम से घबरा गई थीं,,, उसके साथ ही में शराब पीकर एकदम हैवान हो चुके थे जिसमें से एक बोला,,,)


मालिक आपका अपमान मतलब हमारा अपमान है,,, इसका बदला हम जरूर लेंगे,,, कहो तो साले को उसकी औकात याद दिला दें,,, उसके हाथ पाव तोड़कर अपाहिज करते या फिर उसे जान से ही मार दें,,,,( शराब का घूंट भरता हुआ वह बोला,, तभी दूसरा आदमी बोला,,,)

यह सच कह रहा हूं आज तक गांव में गांव में तो क्या क्या ओके 20-20 कोस तक जितने भी गांव हैं किसी ने भी आपकी तरफ नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं की और यह साला कुत्तिया का पिल्ला,,, इतना बड़ा अपमान कर गया इसका बदला तो लेना ही होगा मालिक,,,,


हां हां हमें यह बदला लेना ही होगा उसे ऐसी मौत मारेंगे कि सात जन्म तक याद रखेगा,,(तीसरा भी सुर में सुर मिलाता हुआ बोला,,, कोमल खिड़की की ओट में से सब कुछ देख भी रही थी और सुन भी रही थी,,, उसे घबराहट हो रही थी,,,)

मैं मारूंगा उसे अपने हाथों से,,,, जब तक उसे मार नहीं लूंगा तब तक मुझे चैन नहीं आएगा,,,,(लाला क्रोधित होता हुआ बोला,, और यह बात कोमल के कानों में पड़ते ही उसके होश उड़ गए वह समझ गई कि रघु बहुत बड़ी खतरे में है उसका दिल बैठा जा रहा था,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,)


लेकिन मालिक,,,, ऐसे ही मार देंगे तो कुछ मजा नहीं आएगा,,, उसे बेइज्जत करके मारेंगे,,,,


कैसे,,,,?(दूसरा आदमी बीच में बोल पड़ा)



मालिक की नजर ना जाने कब से रघु की मां कजरी पर है,,, मालिक कजरी के जवानी का रस पीना चाहते हैं,,,(वह आदमी लाला की तरफ देखता हुआ बोला जो कि कुछ सोचते हुए शराब का घूंट पी रहा था,,,)


तब तो यही मौका ठीक रहेगा मालिक,,,(दूसरा आदमी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


हां हां,,,,मालिक बदला लेने में इंतजार करने की जरूरत नहीं है आज की ही रात दील के सारे अरमान पूरे कर लो मालिक,,,, रघु को मौत की नींद सुला दो और उसकी मां के साथ अपने तन की प्यास बुझा लो,,,,,,,,


तु ठीक ‌कह रहा है,,,,,, आज की रात बहुत खास है आज की रात उस हरामजादे की बहन की सुहागरात है वहां हमारे समधी का लड़का उस हरामजादी के साथ सुहागरात मनाएगा और मैं उस हरामजादे की मां के साथ सुहागरात मनाऊंगा,,, और उसके बाद अपने हाथों से उस रघु को मौत के घाट उतारुंगा,,,, तब जाकर मेरे मन की भड़ास मिटेगी,,,,



तो देर किस बात की है मालिक हमें इजाजत दो,,,, हम उसकी मां को लाकर आपके कदमों में डाल देते हैं,,,,


कर पाओगे,,,,(लाला आश्चर्य जताते हुए बोला)


क्यों मालिक अब तक नहीं करते आए हैं क्या,,, जिस किसी औरत पर आपका दिल आया है आप के इशारे पर तब तब उठाकर आपके कदमों में डाल दिया है,,, कजरी को भी उठा कर लाएंगे,,,,,


मुझे तुम लोगों पर भरोसा है,,,, ऐसा ही करना है,,, आज की रात कजरी को मेरे पास लेकर आना,,, आज की रात में कजरी को जी भर कर चोदूंगा,,,,, और यह बात रघु को पता चलनी चाहिए,,, कि मैं रात भर उसकी मां की चुदाई किया हूं,,,, यह खबर सुनते ही वह पागल हो जाएगा,,,, शर्मिंदा हो जाएगा अपनी नजरों में ही गिर जाएगा और उसके बाद फिर रघु को इस दुनिया से अलविदा कर देंगे,,,,(हाथ में शराब का ग्लास लिए लाला मन में कल्पना करते हुए बोला,,, कोमल यह सुनकर हैरान रह गई वह कभी नहीं चाहती थी कि रघु पर या रघु के परिवार पर किसी तरह की मुसीबत आए,,,,,,,)


जाओ और देखना किसी को कानों कान खबर ना पड़ जाए बड़ी चालाकी से और सफाई से यह काम करना और उस कजरी को नहर के पास वाले घर में लेकर आना,,, बगीचे वाले घर का पता रघु को अच्छी तरह से मालूम है,,,, जाओ जल्दी जाओ,,,(लाला अपने आदमियों को जल्दी से यह काम पूरा करने के लिए बोला और वो लोग भी अपने मालिक की बात मानते हुए सलाम करके घर से बाहर निकल गए,,,, तभी बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने लगी,,,, बारिश होने वाली थी ,,,, लाला बारिश का अंदेशा जानकर कोने में पड़ी छतरी उठाया और घर से बाहर निकल गया उसकी बातें सुनकर कोमल समझ गई कि वह कहां जा रहा है,,,, कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी रघु के परिवार के साथ बहुत गलत होने जा रहा था,,, जिसे कोमल रोकना चाहती थी,,,वह खबर जल्द से जल्द रघु के पास पहुंचाना चाहती थी लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था वह जानती थी कि समय रघु कहां है इसलिए हिम्मत करके बस घर से बाहर निकलते चारों तरफ अंधेरा था आसमान में काले बादल मंडरा रहे थे किसी भी वक्त तेज बारिश शुरू होने वाली थी यह सब की फिक्र किए बिना कोमल लगभग भागते हुए हवेली की तरफ जाने लगी,,, जहां पर रघु हवेली से निकलने की तैयारी में था,,, रघु तृप्त हो चुका था अपनी बहन की सुहागरात से पहले वह अपनी बड़ी मालकिन के साथ सुहागरात मना चुका था,,,, जाते-जाते शालू उससे मिलने के लिए आई और उसकी आंखों में आंसू आ गए,,,, रघु माहौल को खराब नहीं करना चाहता था,,,,,, इसलिए उसका मन बनाने के लिए धीरे से उसके कान में बोला,,,।


दीदी जीजा जी एकदम नादान है जो कुछ भी करना है तुम्हें ही करना है अच्छे से सुहागरात मनाना,,,,(रघु कि यह बात सुनते ही सालु के चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी और वह ना चाहते हुए भी मुस्कुरा दी,,, जमीदार की बीवी उसे रोकना चाहती थी और रात भर उसके साथ मस्ती करना चाहती थी लेकिन अब जानता था कि घर पर उसकी मां अकेली है और शालू को विदा करने के बाद उसकी मां को संभालने वाला भी चाहिए था इसलिए वह घर जाना चाहता था आखिरकार वह सब से विदा लेकर घर से बाहर निकल गया बाहर का वातावरण देखकर वह समझ गया कि बारिश होने वाली है इसलिए जल्दी जल्दी अपने पांव अपने घर की तरफ आगे बढ़ाने का कुछ दूरी पर गया था कि बारिश शुरु हो गई और वह भी बड़े जोरों के साथ बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवा के साथ बारिश होना शुरू हो गई थी,,,
कोमल खबर आ जाए इस तरह की तूफानी बारिश से हमेशा उसे डर लगता था लेकिन वह हिम्मत करके आगे बढ़ती रही क्योंकि यह खबर रघु तक पहुंचाना बेहद जरूरी था,,। वह मन में भगवान का नाम लेकर आगे बढ़ती रही,,,बरसात के पानी में वह पूरी तरह से देख चुकी थी देखते ही देखते चारों तरफ पानी ही पानी नजर आने लगा उसे ठंड भी लग रही थी लेकिन हवेली पर पहुंचना जरूरी था दूसरी तरफ से रघु अपनी मस्ती में चला आ रहा था,,,,तभी उसे दूर से कोई साया उसकी तरफ बढ़ता हुआ नजर आने लगा वह एक पल के लिए खड़ा हो गया किस तूफानी बारिश में सुनसान जगह पर यह कौन चला आ रहा है,,, जैसे-जैसे वह साया नजदीक आता जा रहा था वैसे वैसे रघु के मन में थोड़ी घबराहट होने लगी थी,,, भूत प्रेतों की बातें व कहानियां बुजुर्गों से सुन चुका था लेकिन कभी उन्हें अपनी आंखों से देखा नहीं था उसे लगने लगा था कि शायद वह सच में आज किसी भूत को देख रहा है जैसे-जैसे बसाया नजदीक आने लगा वैसे वैसे रघु को यह एहसास होने लगा कि वह शायद किसी औरत की है और औरत का ख्याल आते ही उसे चुड़ैल का भ्रम होने लगा,,,,कोमल कुछ देख नहीं रही थी बस आगे बढ़ी जा रही थी और एकाएक एकदम से रघु से टकरा गई,,,, अपने बेहद करीब कोमल को देखते ही बार उसे पहचान लिया और अपने दोनों हाथों से उसे थाम लिया वरना वह गिर जाती,,,,।


कोमल तुम यहां कर रही हो इतनी तूफानी बारिश में,,,,


मैं तुम्हें ही पुरानी आ रही थी रघु,,,,



मुझे लेकिन क्यों और अभी इतनी तूफानी बारिश में ऐसी कौन सी बात हो गई थी जो तुम मुझे बुलाने के लिए ऐसी तूफानी बारिश में घर से बाहर निकल गई,,,,,


क्या करूं रघु बात ही कुछ ऐसी हो गई थी,,,,


कैसी बात मुझे ठीक से समझाओ,,,,?



रघु,,, रघु,,,, मेरे ससुर है ना,,, अपने आदमियों को तुम्हारी मां को उठा लाने के लिए भेजें है,,,,


मेरी मां को लेकिन क्यों,,,(रघु हैरान होता हुआ बोला)


तुम से बदला लेना चाहते है,,,,मेरे ससुर तुम्हारी मां के साथ गंदा काम करना चाहते हैं,,,उसके बाद तुम्हें बेइज्जत करके तुम्हें मारने का षड्यंत्र बनाया है,,,,(रघु को सारी बात समझ में आ गई,,, बस इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां के साथ भी लाला वही करना चाहता है कि दूसरी औरत के साथ करता रहा है रघु का खून खोलने लगा वह किसी भी तरह से अपनी मां को बचाना चाहता था,,,,।)

कहां है लाला,,,(रघु गुस्से में चिल्लाते हुए बोला) उसी आम के बगीचे वाले घर में ना,,,,


नहीं नहीं रघु वहां नहीं,,, मैं उसके मुंह से सुनी थी कि बगीचे वाले घर को तुम अच्छी तरह से जानते हो वह अपने आदमियों को तुम्हारी मां को नाहर के पास वाले घर में लाने के लिए बोल कर गया है,,,,


और उसके आदमी,,,,


तुम्हारे घर की तरफ निकले हैं,,,,


यह कब की बात है,,,,


अभी अभी कुछ देर पहले की है,,,,


कोमल अच्छा हुआ तुम मुझे यह सब बातें बता दी तुम्हारा एहसान में जिंदगी भर नहीं बोलूंगा तुम घर चली जाओ,,,, आज लाला के बच्चे का आखिरी दिन है,,,,, लाला हरामजादे मैं आ रहा हूं,,,,(रघु गुस्से में चिल्लाते हुए अपने घर की तरफ तेज बारिश में भी भागता हुआ चला गया,,, वही सोच रहा था कि शायद वो लोग अभी उसके घर ना पहुंचे हो लेकिन जब वह घर पर पहुंचा तो उसकी मां घर पर नहीं थी उसके पहुंचने से कुछ देर पहले ही लाला के आदमी कजरी को उठाकर घर से ले जा चुके थे तेज बारिश हो रही थी इसलिए अगल-बगल पास पड़ोस में किसी को भनक तक नहीं लगी,,,,घर पर अपनी मां को ना पाकर रघु एकदम से गुस्से में आग बबूला हो गया,,, ना चाहते हुए भी उसके मन में गंदे गंदे ख्याल आ रहे थे और उसके ख्यालों में उसे वही तिरछी नजर आ रहा था जब वह आम के पेड़ पर चढ़कर खिड़की में से घर के अंदर का नजारा देख रहा था उसे उस औरत की जगह अपनी मां नजर आ रही थी और उसे नजर आ रहा था कि लाना उसकी मां की दोनों टांगों के बीच में जगह बनाकर उसकी मां की चुदाई कर रहा है ,,, और यह ख्याल मन में आते ही रघु का गुस्सा और ज्यादा पड़ गया और वह घर में पड़ी कुल्हाड़ी जो कि एकदम तेज धारदार थी उसे उठा लिया और उसे लेकर भागते हुए नहर वाले घर की तरफ जाने लगा,,,,
लाला के आदमी कजरी को जल्दी जल्दी लेकर चले जा रहे थे उनमें से एक आदमी कजरी को अपने कंधे पर उठाया हुआ था जोकि भागते हुए भी कजरी की बड़ी बड़ी गांड को दबाने के अपने लालच को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार कजरी की गांड को दबा रहा था,,,, कजरी छटपटा रही थी उसके हाथों में से छूटने के लिए,,, लेकिन लाला के आदमी बहुत ही मजबूत थे,,, वह किसी भी हाल में कजरी को अपनी पकड़ से छूटने नहीं देते,,,,


आज तो मालिक को मजा आ जाएगा,,,, जब इसकी चुदाई करेंगे,,,,(साथ में चल रहा है एक आदमी बोला तभी दूसरा आदमी भी सुर में सुर मिलाते हुए बोला)

हां यार जिस तरह से लाला की नजर,,, रघु की मां कजरी पर ना जाने कब से थी,,, में भी ईसके खूबसूरत बदन को देखकर इसका दीवाना हो गया था,,,, मैं भी ईसको चोदना चाहता थालेकिन अपने मालिक की नजर इस पर थे इसलिए मैं ऐसा करने से डरता था कि कहीं मालिक को पता चल गया तो ,,,,


तू चिंता मत कर,,,, कजरी को तो मैं पहली बार देख रहा हूं,,, इसको देख कर ही मेरा बुरा हाल है,,,, देख ईसकी गांड कितनी बड़ी बड़ी है,,,(कजरी को अपने कंधे पर उठाए हुए ही वह कजरी की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,, यह देख कर दूसरे दोनों की भी हालत खराब होने लगी कजरी को सारा मामला समझ में आ गया था लाला की नजर ना जाने कब से उसके ऊपर थी और आज उसकी नसीब खराब थी जो उसके हाथ लग गई थी वह मन में भगवान से प्रार्थना करने लगी कि उसकी इज्जत बचा ले लिखित बेबस थी इतनी भयंकर बारिश में तूफान ने उसे बचाने वाला भला कौन आ सकता था,,,)

तू सच कह रहा है इसकी गांड देख कर ही तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था,,, आज मालिक को एकदम शुद्ध माल मिला है देखना आज मालिक तृप्त हो जाएंगे रात भर इसकी चुदाई करेंगे,,,,


यार तेरी बात सुनकर मेरे मन में ख्याल आया है तुम लोग का हो तो बताऊं,,,,(कजरी को कंधे पर उठाए हुए ही वह जल्दी-जल्दी चलते हुए बोला,,,)


बता क्या ख्याल आया है,,,,


यार मैं सोच रहा था कि अपने मालिक तो इसको चोदने वाले ही नहीं किसी भी हाल में इस को छोड़ेंगे नहीं,,, इसलिए मैं सोच रहा था कि मैं मालिक के पास पहुंचा आने से पहले इस तूफानी बारिश का फायदा उठाकर यहीं कहीं पर हम तीनों मिलकर इसकी चौड़ाई करके मजा लेने इसके बाद मालिक के पास ले जाएंगे,,,


तेरा कहना तो एकदम सच है लेकिन इसमें बहुत खतरा है,,,



नहीं नहीं ऐसा करने की सोचना भी नहीं,,,, अगर मालिक को पता चल गया तो रघु के साथ साथ हम तीनों को भी जिंदा गाड़ देंगे,,,
( रघु का जिक्र आते ही कजरी के होश उड़ गए,,, उसका दिल बैठने लगा,,,)

क्या किया तुम लोगों ने रघु के साथ,,,, बोलो क्या किया तुम लोगों ने,,,,


अभी तक तो कुछ नहीं किया है लेकिन बहुत ही जल्द रघु की हालत खराब होने वाली है,,,,


हराम जादो मेरे रघु की तरफ आंख उठाकर भी मत देखना,,,,


नहीं तो क्या कर लेगी पहले अपनी इज्जत बचा,,,,


मैं तो कहता हूं यह जो कह रहा है बिल्कुल ठीक कह रहा है मालिक के पास ले जाने से पहले अपने तीनों मिलकर इसकी चुदाई करके मजा ले लेते हैं,,, कजरी जैसी खूबसूरत औरत पूरे गांव में नहीं है,,,, और वैसे भी यहां पर हम तीनों केस की चुदाई कर लेंगे तो मालिक को इस बात की भनक तक नहीं लगेगी,,, क्यों सच कह रहा हूं ना,,,
(कजरी उसकी बात सुनकर एकदम से घबरा गई किसी भी हाल में आज उसकी चुदाई होना निश्चित था,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर लाला के पास कहीं तो केवल लाला ही उसको चोदेगा,,, लेकिन उससे पहले यह तीन मिलकर इस की चुदाई करेंगे और तीनो के तीनो एकदम सांड की तरह थे,,, यह सोचकर ही कजरी एकदम से घबरा गई,,,)


हां मेभी तो यही कह रहा था,,,(कंधे पर उठाए हुए ही वह एक बार फिर से कजरी की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,, लेकिन इस बार वह कजरी की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए उसकी कमर तक ला दिया और उसकी नंगी गांड को जितना हो सकता था उसने अपनी हथेली में भर-भर कर उसकी गांड को दबाने का मजा लूटने लगा,,,जिस तरह से वह जोर जोर से कजरी की गांड को दबा रहा था कजरी को दर्द हो रहा था,,, उसकी नंगी गांड को उसके दोनों साथी देख कर मजा ले रहे थे,,,ऊन दोनों में से एक बोला,,,)

यार मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरा भी बहुत मन कर रहा है इसको चोदने का इसको उतार यहीं पर इसकी चुदाई करते हैं,,,, मालिक को कानो कान खबर नहीं पड़ेगा,,,, वैसे भी हमसे बताएगा कौन हम तीनो में से कोई भी तो बताएगा नहीं,,,,


मैं बताऊंगी हरामजादों मैं सब कुछ लाला को बता दूंगी,,,,

(कजरी की बात सुनते ही तीनों हैरान रह गए,,, इस बारे में उन तीनों ने सोचा भी नहीं था लेकिन उसकी बात सुनते ही,, उन तीनों का मजा लेने का विचार ज्यादा रहा तीनों के होश उड़ गए,,,, उनमें से एक कजरी की कांड पर चपत लगाते हुए उसे ज़ोर से हथेली में भरते हुए बोला)


हरामजादी तुझे बहुत मालिक से चुदवाने का शौक चढ़ा है,,, हम तीनों का भी ले लेगी तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा,,,


नहीं मैं लाला को सब बता दूंगी,,,,


अब क्या होगा,,,,?


अब क्या होगा,,,, लेकर चलते हैं उसे लाला के पास,,, पहले लाला उसके बाद हम तीनों का नंबर तो लगने हीं वाला है,,,, साले छिनार,,,(एक बार फिर से उसकी गान्ड पर चपत लगाते हुए) हरामजादी भोसड़ा चोदी,,, तुझे क्या लगता है कि तेरी बुर हमें चोदने को नहीं मिलेगी जरूर मिलेगी लेकिन मालिक के चोदने के बाद,, समझ गई ना,,,,
(इतना कहकर वह तीनों तूफानी बारिश में हंसते हुए आगे बढ़ने लगे,,,, लाला नहर के पास वाले घर पर पहुंच चुका था बारिश बहुत तेज हो रही थी नहर के पास वाले घर में हर चीज का इंतजाम था वहां पहले से ही शराब की बोतलें रखी हुई थी जो कि लाला बोतल खोल कर धीरे-धीरे शराब का सेवन कर रहा था और बेसब्री से रघु की मां कजरी का इंतजार कर रहा था,,,)
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कजरी घबराई हुई थी,,,, आज का दिन उसके परिवार के लिए बेहद ही शुभ था लेकिन उसे लगने लगा था कि आज का दिन उसके लिए सबसे बड़ा मनहुस दिन साबित होने वाला है,,, अपनी बेटी को विदा करके वह आराम से घर पर पहुंच कर आज पड़ोस की औरतों से हंसते हुए बातें कर करके वह बेहद प्रसन्न थी,,, घर आकर वह अपने बेटे का इंतजार कर हीं रही थी कि तीन आदमी उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे उठा ले गए तूफानी बारिश के कारण आस पड़ोस में किसी को भनक तक नहीं लगी,,,जिस तरह से तीनों बातें कर रहे थे उसे सुनकर कजरी को लगने लगा था कि आज उसकी इज्जत बचने वाली नहीं है और वह भी एक से नहीं चार चार से,,, यह सोचकर ही उसके बदन में घबराहट फैल जा रही थी जिस इज्जत को अपने अस्तित्व को आज तक बचाते आ रही थी आज लूटने जा रही थी और उसके हाथ में कुछ भी नहीं था वह अपने आप को बचा नहीं सकती थी आखिरकार वह एक औरत थी,,, और ऊसके सामने और उसके तीन मुस्टंडे साथी,,, जो कि उसके घर में घुसकर उसे उठाकर ले जा रहे थे रास्ते भर उसे कंधे पर उठाकर ले जाने वाला आदमी उसके बदन से अपनी मनमानी करता जा रहा था जिस खूबसूरत बदन को कजरी आज तक किसी को हाथ लगाने नहीं रही थी वह आज बेबस थी,,, उसे एक एैसा इंसान छु रहा था जिसे वह जानती तक नहीं थी,,,, वह उसके बदन पर चारों तरफ हाथ घुमा रहा था,,,,, और बार-बार उसकी खूबसूरत बड़ी बड़ी गांड पर जोर जोर से चपत लगा रहा था,,,,, यह सब कजरी के लिए असहनीय था,,,, ना जाने लाला के पास पहुंचकर उसका क्या होने वाला था,,,, यही सोचकर कजरी घबरा रही थी,,,,अपनी मम्मी यही सोच रही थी कि अगर जैसा वह आदमी कह रहा है अगर वैसा ही होगा तो वह क्या मुंह दिखाएगी गांव वाले को,,, कैसे नजरे मिला पाएगी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था वह अपने मन में ठान ली थी कि अगर ऐसा कुछ भी गलत हुआ तो वह बहते हुए नहर में कूदकर अपनी जान दे देगी,,,,,।

तूफानी बारिश अपने उफान पर थी तेज हवाएं चल रही थी बिजली की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण भयानक लग रहा था ऐसे में वह तीनों बातों की चुटकी लेते हुए उसे लाला के पास लिए जा रहे थे कंधे पर उठाया हुआ इंसान बार-बार उसकी गांड को अपनी हथेली में दबोच कर आनंद ले रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार किसी औरत का शरीर उसके हाथ लगा हो,,,। कजरी अगर उन लोगों की हरकत लाला से बता देने की धमकी ना देती तो वह लोग तूफानी बारिश में उसी जगह पर उसकी चुदाई कर दिए होते,,,,,

क्रोध से भरा हुआ गुस्से से आगबबूला होकर हाथ में कुल्हाड़ी लिए रघु उन लोगों की तरफ ही बढ़ता चला आ रहा था,,, कोमल अपने ससुर की करतूत रघु को बता कर अपने घर वापस लौट चुकी थी,, रघु अपनी मां को लेकर बहुत परेशान था उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे विचार आ रहे थे वह सारे विचार अपनी मां और लाला के बीच की चुदाई से जुड़े हुए थे,,,, तूफानी बारिश में भी भागते हुए उसके दिमाग में यही दृश्य नजर आ रहा था कि जैसे लाला उसकी मां की चुदाई कर रहा है और रघु इस मन की कल्पना को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था,,, वह जल्द से जल्द लाला के घर पर पहुंच जाना चाहता था और तय कर लिया था कि आज लाला को जान से मार देगा,,,, लेकिन हवा इतनी तेज थी कि वह तेज चल नहीं पा रहा था और पानी भरने के कारण तेज तेज पांव भी नहीं चल रहे थे,,,

दूसरी तरफ लाला के आदमी कजरी को लेकर नहर के पास वाले घर पर पहुंच चुके थे,,, उनमें से एक आदमी दरवाजे पर दस्तक देने लगा अंदर बैठकर शराब पी रहा लाला दस्तक की आवाज सुनते ही एकदम उत्सुक हो गया उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वह तुरंत अपनी जगह से खड़ा हुआ और दरवाजे की तरफ लपका,,,, दरवाजे के पास पहुंचते ही तुरंत वह दरवाजे की कड़ी खोल कर दरवाजा खोल दिया,,,,, दरवाजा खोलते ही सामने अपने आदमी के कंधे पर कजरी को देखकर खुशी से फूले नहीं समाया,,,,


आओ कजरी रानी इस दिन का में बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था,,,,


मालिक आपकी पसंद की दाद देना पड़ेगा बड़ी करारी है,,,(कजरी को कंधे पर लटकाया हुआ आदमी बोला,,,)


अरे करारी है तभी तो मुझे बेहाल करके रखी है,,,(लाला उन लोगों को अंदर आने का इशारा करते हुए पीछे कदम लेते हुए बोला,,,वह तीनों के लाला के पीछे पीछे घर में आ गए और उनमें से एक दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया,,,, लाला पलंग पर बैठ गया और आदमी कजरी को वही नीचे जमीन पर बिठाने लगा,,, यह देखकर लाला बोला,,,।


अरे अरे यह क्या कर रहा है तू,,,,, इतनी खूबसूरत औरत को जमीन पर बैठा रहा है,,,,



मालिक यह पूरी तरह से पानी से भीग चुकी है,,,,,,,


तो क्या हुआ,,,,,, पानी से भीग चुकी है तो ऐसा कर इसके सारे कपड़े उतार कर इसे नंगी कर दी और फिर मेरे पलंग पर बैठा दे,,,
(यह सुनते ही कजरी की हालत खराब हो गई,,,, उसकी आंखों में बेबसी नजर आने लगी,,,, उसे लगने लगा कि अब कुछ ही देर में लाला के आदमी उसकी सारी उतारकर उसे नंगी कर देंगे यह सोचकर ही वह घबरा गई,,,, औरलाला का हुआ आदमी जो कजरी को उठा कर लाया था लाला की बात सुनते ही खुशी से फूले नहीं समा रहा था,,, उसके तन बदन में तेजा की लहर दौड़ लगी इस बात से कि वह अपने हाथों से किसी के कपड़े उतारकर से नंगी करेगा उसके नंगे बदन के दर्शन करेगा और ऐसा करने के लिए वह आगे बढ़ी रहा था कि तभी उसे लाला रोकते हुए बोला,,,।)


अच्छा रहने दे यह शुभकाम‌ मै खुद अपने हाथों से कर लूंगा,,,,(शराब का घूंट भरते हुए वह बोला,,,)

जी मालिक,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कदम पीछे ले लिया,,, लाला के ईस तरह से रोक देने से अंदर ही अंदर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था,,)


आज मेरी बरसों की तमन्ना पूरी होगी,,,,,, तुम लोगों को शायद मालूम नहीं कि नहीं बरसों से इस खूबसूरत गुलाब के फूल के पीछे पागलों की तरह लगा हुआ हूं लेकिन यह है कि भाव नहीं देती,,,, शाली न जाने किस गुमान में रहती है,,, अगर मेरी मानी होती तो अाज‌ यह दीन ना देखना पड़ता,,,, आखिरकार इस की जीत की वजह से आज उसके घर से उठाकर लाना पड़ा बहुत परेशान करती है यह और इसका बेटा रघु,,,,(रघु का जिक्र आते ही कजरी लाला की तरफ आश्चर्य से देखने लगी और लाला शराब की बोतल से शराब को गिलास में भरते हुए,,,) साला मेरे मुंह पर तमाचा मार गया है अपमान का तमाचा,,,,


मैं कुछ समझी नहीं लाला क्या कहना चाह रहे हो,,,(कजरी घबराते हुए बोली,,,)


साली अंजान बनती है,,,, ऐसे बोल रही है जैसे कुछ मालूम ही नहीं,,,,(शराब के गिलास को मुंह से लगाते हुए बोला,,) आज तु जो अपनी बेटी की शादी की है ना हवेली में,,, वहां पर मैं किसी और की शादी तय कर आया था जमींदार साहब भी हामी भर चुके थे,,,,, लेकिन ऐन मौके पर जमीदार की हालत खराब हो गई और हमारी समधन ने भी समिति के द्वारा और मेरे द्वारा तय की गई शादी से इंकार कर दिया और तेरी बेटी को अपने घर की बहू बना ली,,,, तेरी लड़की ने ना जाने कौन सा गुण देख ली कि मेरी बात मानने से इंकार करती ना तो अपने पति की बात मानी उनकी बात भी नहीं रखी,,,,, और तेरी बेटी बन गई बहु हवेली की,,,,,(गिलास में भरी हुई सारी शराब एक झटके में गले से नीचे उतार लिया,,,) अब कुछ समझ में आ रहा है,,, कि मैं तेरे बेटे के पीछे क्यों पड़ा हूं,,,,(कजरी बड़े गौर से लाला की बातों को सुन रही थी और उसे सब कुछ समझ में भी आ रहा था) तेरे बेटे को तो मैं अपने हाथों से मारूंगा,,, तब जाकर मेरे कलेजे को ठंडक मिलेगी,,,,(इतना सुनते ही कजरी अपनी जगह से खड़ी हो गई और रोते-रोते लाला के कदमों में जाकर गिर गई और हाथ जोड़कर बोली)


नहीं नहीं लाला इतने बेरहम मत बनो,,,, रघु मेरा एकलौता लड़का है,,, मेरे बुढ़ापे का सहारा है वह अभी बिल्कुल नादान है,,,,,(लाला के पैर पकड़ते हुए कजरी बोली)


नादानी तो वह कर चुका है जिसकी सजा उसे बराबर मिलेगी,,,,


नहीं नहीं लाला,,,, ऐसा मत करो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं,,,,
(कजरी को अपने पैरों में गिरा हुआ देखकर लाला हंसने लगा क्योंकि उसे लगने लगा था कि आज समय बदल गया है जिसकी जवानी को चखने के लिए वह तरसता रहता था जिसकी जवानी का स्वाद पाने के लिए वह खुद जिसके पैर पकड़ना चाहता था आज वह खुद उसके पैर में गिरी हुई थी लाचार बेबस और यह देख कर उसके आदमी भी हंस रहे थे,,, कजरी लाला को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह एकदम से डर गई थी रघु के लिए,,,,,,,, वो जानती थी कि लाला बेहद हरामी किस्म का आदमी था,,, वो रघु के साथ कुछ भी कर सकता था,,,, लाला कदमों में गिरी कजरी की टोढी पर उंगली रखकर उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए बोला,,,)

अब अपने बेटे की दुहाई देने से,,, काम बनने वाला नहीं है कजरी रानी,,,, तेरी चुदाई तो मैं आज करके ही रहूंगा,,, और तेरी आंखों के सामने ही तेरे बेटे को मौत के घाट उतारुंगा ,,,,,


नहीं-नहीं लाला ऐसा जुर्म मत करो,,,,, मेरे बेटे को बक्स दो बदले में मैं तुम्हारी जिंदगी भर के लिए गुलाम बन जाऊंगी,,,,
(यह बात सुनते ही लाला की आंखों में चमक आ गई,,,, उसका शैतानी दिमाग काम करना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी देर साथ रहने के बाद बोला,,)



क्या तु सच कह रही कजरी रानी,,,,,


मैं बिल्कुल सच कह रही हूं लाला अपने बेटे की कसम खाकर कहती हूं मैं जिंदगी भर के लिए तेरी गुलाम हो जाऊंगी बस मेरे बेटे को बख्श दे,,,,


मुझे विश्वास नहीं हो रहा है मेरी जान तु बहुत चालाक औरत है,,,,,,, इधर आ,,,(इतना कहने के साथ ही लाला कजरी के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा और उसे अपने जांघो पर बैठने के लिए बोला,,,, लाला की बात सुनकर वह हीचकीचाने लगी,,,, आज तक उसने कभी भी गैर मर्द का स्पर्श तक नहीं की थी,,, और लाला उसे अपनी जांघों पर बैठने के लिए बोल रहा था,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी घबराहट से उसका पूरा बदन थरथर कांप रहा था,,,,)

क्या हुआ रानी रुक क्यों गई बैठो ना,,,,, मुझे मालूम था तुम अपना वादा कभी पूरा नहीं करोगी इसलिए तो मैं अपने अपमान का बदला तुम्हारी इच्छा तो तुम्हारे बेटे की जान से लूंगा,,,,


नहीं नहीं लाला ऐसा मत करना मैं बैठती हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी संकुचाते हुए लाला की जांघ पर बैठ गई,,, लाला की जांघ पर बैठते ही उसके बदन में कपकपी सी दौड़ने लगी और लाला अपनी जांघों पर कजरी के गोलाकार नरम नरम नितंबों का दबाव उसका स्पर्श महसूस करते ही एकदम उत्तेजना से भर गया,,, और उसके बेटे के साथ ही उत्तेजना भरी आवाज निकालते हुए बोला,,,)


ससससहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,, मेरी रानी तुम्हारी गांड कीतनी नरम नरम है,,,,सहहहहहहहहह,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही कजरी की चूचियां पकड़ कर मसलने लगा,,,, वह मारे दर्द के कराह उठी,,,, यह देख कर लाला के तीनों आदमियों की भी हालत खराब होने लगी कजरी की मदमस्त जवानी से खेलते हुए लाला को देखकर वह लोग उत्तेजित होने लगे और लाला का हौसला बढ़ाते हुए बोले,,)

बहुत अच्छे मालिक ऐसे ही,,,,, इसे अपनी रखेल बना कर रख लो,,, गांव की दूसरी औरतों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी,,,)

बात तो तू ठीक ही कह रहा है मैं भी यही सोच रहा हूं,,, इसे रखे बना लो और रोज रात को मस्ती करुंं,,,कसम से इतना मजा देगी कि आज तक जितनी भी औरतों की चुदाई कीया हु वह लोग नहीं दे पाई है,,,,(इतना कहने के साथ लाला कजरी की दूसरी चुची को भी ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया,,,,, एक बार फिर से कजरी के चेहरे पर दर्द की पीड़ा झलकने लगी,,,, वह तीनो जोर जोर से हंसने लगे,,, तो लाला अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
लेकिन मुझे इस पर विश्वास नहीं होता यह बहुत चालाक औरत है कभी भी पलट सकती है,,,,


अरे मालिक इसकी चालाकी कितनी काम आएगी,,,, और अगर चलाकि करी तो इसका बेटा है ना रघु उसे रास्ते से हटाना ही पड़ेगा,,,, कर आपकी बात मानती रहेगी तो इस उमर में भी चुदाई का सुख भोगेगी और बेटा भी जिंदा रहेगा और अगर नहीं मानी तो बेटा तो हांथ से जाएगा ही,,, और आपसे अपनी इज्जत भी नहीं बचा पाएगी आज तक कोई औरत आपसे बची है क्या गांव में,,,, एक बार बेटा हाथ से गया तो फिर उधर आएंगे इसे इसी जगह पर हमेशा के लिए,,, जहां पर यह आपकी बीवी बन कर रहेगी,,,,(इतना कहकर फिर तीनों जोर-जोर से हंसने लगे,,, और लाला अभी भी ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाने का सुख भोगते हुए बोला,,,)


क्यों मेरी रानी कजरी अपने वादे पर कायम रहोगी या धोखा दोगी,,,,, देखो तुम्हारे सामने कोई भी रास्ता नहीं बचा है शिवा मेरी शरण में आने का,,,, तुम अगर धोखा दी तो बेटे से हाथ धो बैठोगी,,,और बेटे से हाथ होने के बावजूद भी तुम्हें मेरे नीचे ही आना होगा प्यार से नहीं तो जबरदस्ती से जैसा कि तुम देख रही हो कि मेरे आदमी कैसे तुम्हें तुम्हारे घर से उठा कर लाए है मैं चाहूं तो अभी भी तुमसे जबरदस्ती करके तुम्हारी बुर में अपना लंड डाल सकता हूं,,, और अपनी प्यास बुझा सकता हूं और वह भी एक दिन नहीं रोज और अगर प्यार से मान गई तो बेटा हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा भले ही उसने मुझे अपमान किया लेकिन मैं तुम्हारे खातिर अपना अपमान भूल जाऊंगा,,,,,,, पर तुम मेरी प्यास हमेशा बुझाते रहना,,, इस बारे में किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ेगी,,,,, रही बात मेरे आदमियों की इनकी चिंता तुम बिल्कुल भी मत करो यह लोग मेरे वफादार है जान दे देंगे लेकिन मुंह नहीं खोलेंगे,,,, बोलो क्या कहती हो,,,,(लाला धीरे से ब्लाउज का ऊपर वाला एक बटन खोल दिया जिससे कचरी की गोलाकार चूचियोंके बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आने लगी और उप सी हुई उसकी चूचियां भी जिसे देखकर लाला की आंखों में नशा उतर आया,,,, कजरी को मालूम था कि लाला उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है लेकिन वह कुछ भी बोल सकने की स्थिति में नहीं थी,,,,बात खुद की होती तो वह अपनी जान देकर भी अपनी इज्जत बचा ली थी लेकिन अब उसके बेटे की बात थी अगर वह इसकी बात नहीं मानती है तो उसका बेटा अपनी जान से हाथ धो बैठेगा और जीते जी कजरी कभी नहीं चाहेगी कि उसका बेटा इन् हैवानो के हाथों मारा जाए,,,, हर हाल में उसे लाला की बात मान नहीं था जिस इज्जत को जवानी को पति के देहांत के बाद संभाल कर रखी थी आज ना चाहते हुए भी दूसरों के हाथों लुटाना पड रहा था,,,, सोचने का समय बिल्कुल भी नहीं थी उसे केवल फैसला लेना था क्योंकि उसे अपनी इज्जत देकर अपने बेटे की जान बचानी थी,,,, वह यह सब सोच ही रही थी कि लाना उसके ब्लाउज के बाकी के बटन खोले बिना ही ऊपर से ही उसके ब्लाउज में हाथ डालकर उसकी नरम नरम चुचियों को दबाना शुरू कर दिया,,, लाला एकदम चुदवासा हो गया था जिसकी वजह से वह जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबा रहा था और कजरी को इससे दर्द भी हो रहा था,,,,,, )


बोलो मेरी जान चुप क्यों हो,,,,

(कुछ देर शांत रहने के बाद आखिरकार कजरी हां में सिर हिला दी,,, यह देखकर लारा के साथ-साथ उसके तीनों आदमी भी खुश हो गए बाहर अभी भी तेज बारिश हो रही थी तूफान पूरे जोश में था और उस तूफान भरी बारिश में रघु धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,, लाला कजरी की हामी भरा इकरार सुनते ही कजरी के गोरे गोरे गालों पर चुंबन ले लिया,,,, कजरी को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ कर नहीं सकती थी,,,, लाला फिर बोला,,,)


कजरी मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि तुम मेरी बात मान गई हो मुझे विश्वास दिलाने के लिए तुम्हें इसी समय अपने हाथों से अपने कपड़े उतार कर निर्वस्त्र होना पड़ेगा एकदम नंगी होना पड़ेगा,,,,(लाला की यह बातें सुनते ही कजरी आश्चर्य से लाला की तरफ देखने लगी मानो कि वह उसे ना कह रही हो लेकिन वो जानती थी कुछ होने वाला नहीं है,,, फिर भी वह बोली)

नहीं नहीं अपने हाथों से मुझे शर्म आती है,,,,(कजरी तिरछी नजरों से उसके तीनों आदमी की तरफ देखते हुए बोली)


देखो कजरी मुझे विश्वास दिलाने का बस यही एक तरीका है अगर तूने ऐसा नहीं करोगी तो मैं जान जाऊंगा कि तुम मुझे धोखा दोगी और फिर मुझे वही करना पड़ेगा जो कि तुम नहीं चाहती,,,,मैं यह काम अपने हाथों से ही कर सकता हूं लेकिन मैं चाहता हूं कि हमें विश्वास दिलाने के लिए तुम अपने हाथों से अपने कपड़े उतारो क्योंकि मेरे और मेरे आदमियों के सामने तुम अगर अपने हाथों से कपड़े उतारो की तो समझ लो कि तुम अपनी सारी शर्मो हया त्याग रही हो और तभी जाकर मजा भी आएगा,,, बोलो,,, हमारी बात मानोगी या बेटे से हाथ धोना है,,,,
(ना चाहते हुए भी कजरी को लाला की बात मानना पड़ा और वह धीरे से लाला की जांघों पर से उठ कर खड़ी हो गई,,,)
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नहर के किनारे बने घर में लाला अपने आदमियों के साथ कजरी की बेबसी का फायदा उठा रहा था नहर के किनारे लाला ने बगीचे की तरह इसे भी अपनी विलासिता के लिए ही बनवाया था,,,, घर में सुख सुविधा के सारे सामान मौजूद थे,,,,,,
घर के बाहर तूफानी बारिश अपना भयंकर रूप दिखा रही थी तेज आंधी के साथ-साथ बादलों की गड़गड़ाहट पूरे वातावरण को बेहद भयानक बना दे रहे थे ऐसे में रघु आगबबूला होकर हाथ में कुल्हाड़ी लिए लाला को जान से मार देने के उद्देश्य से घर से निकला था,,,, उसके मन में डर भी बना हुआ था कि कहीं उसकी मां के साथ कुछ गलत ना हो जाए,,,, रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि माना उसकी मां के साथ गलत करना चाहता है,,, और यही सोच सोच कर उसका दिमाग खराब हो रहा था बार-बार वह अपने मन को मनाने की कोशिश कर रहा था कि उसकी मां सुरक्षित है उसे कुछ नहीं होगा लेकिन उसके मन में कहीं इस बात का डर जरूर बना हुआ था कि लाला ऐसे ही किसी औरत को नहीं उठवाता और बगीचे वाले दृश्य को याद करके उसका और खून खोलने लगता था क्योंकि ना चाहते हुए भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ऊसे लाला नजर आ रहा था,,,,,, और यह दृश्य हकीकत में बदल जाए या उसे कभी भी गवारा नहीं था,,,, जब जब वह अपने दिमाग में इस तरह की कल्पना करता था तब तक उसकी आंखों से खून टपकता था उसके दिलो-दिमाग पर सिर्फ लाला ही छाया हुआ था वह लाला को खत्म कर देना चाहता था,,,। बरसात इतनी तेज थी और बहुत देर से हो रही थी जिसकी वजह से घुटनों तक पानी भर चुका था जिसमें रघु को चलने में तकलीफ हो रही थी लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ रहा था,,,,

दूसरी तरफ लाला और उसके आदमियों के सामने कजरी बेबस लाचार नजर आ रही थी लाला के हुक्म का पालन करने के लिए वह उसकी जांघों पर से उठकर नीचे खड़ी हो गई,,,, लाला की जांघों पर अपनी गांड रखकर बैठने में कजरी शर्म से पानी पानी हो गई और वह कभी सपने में भी नहीं सोची था कि उसे यह दिन देखना पड़ेगा जोकी ना चाहते हुए भी उसे गैर मर्द की जांघों पर बैठना पड़ेगा,,,, किसी मर्द की जांघों पर बैठने का मतलब यही होता है कि वह उसकी रखैल या गुलाम हो गई है,,,, जोकि रखेल और गुलाम दोनों में से किसी भी प्रकार की पदवी कजरी को कभी भी मंजूर नहीं ‌थी बेटे के मोह में,,, उसकी जानकी रक्षा के खातिर कजरी को ना चाहते हुए भी लाला की बात माननी पड़ रही थी,,। लाला को कजरी अच्छी तरह से जानती थी,,, वह जानती थी कि लाला कितना क्रुर और भोगी इंसान है,,,।इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी बात मानते हुए वह उसके सामने खड़ी होकर अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटा रही थी और लाला प्यासी नजरों से कजरी के भीगे बदन को घूर रहा था उसके तीनों आदमी भी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों को सेंक रहे थे,,।
साड़ी कंधे पर से नीचे आते ही कजरी का सुडोल विशाल छातिया नजर आने लगी,,, ब्लाउज का बटन लाला पहले से ही ऊपर वाला खोल चुका था जिसकी वजह से दोनों पहाड़ नुमा चूचियों के बीच में से मानो कोई गहरी लंबी नहर कह रही हो इस तरह से उसकी दोनों चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर नजर आ रही थी,,,,,, और यह देखकर लाला के मुंह में पानी आ रहा था,,,, औरत के मामले में लाला बेहद उतावला किस्म का आदमी था लेकिन कजरी के साथ वह बड़े इत्मीनान से काम ले रहा था चाहता तो वह आगे बढ़कर अपने हाथों से उसकी साड़ी उतारने का सुख प्राप्त कर सकता था लेकिन वह जानता था की उसके पास बहुत समय है और अगर वह उसकी धमकी से मान गई तो हर दिन रात चांदनी होगी इसीलिए वह बड़े आराम से कजरी की हर एक लीला को अपनी आंखों से देख रहा था कजरी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर धीरे-धीरे अपने कमर पर से साड़ी को खोलना शुरू कर दी,,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी पूरी तरह से घबराई हुई थी खास करके अपने बेटे की सलामती के लिए मन ही मन में भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी वह किसी गैर इंसान के सामने अपने साड़ी को इस तरह से खोलना नहीं चाहती थी लेकिन वह मजबूर थी अपनी साड़ी को कमर पर से खोलते हुए उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,,वह बड़े ही धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोल रही थी वह चाहती थी कि यह समय यही रुक जाए आगे ना बढ़े क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह लाला और उसके आदमियों के सामने नंगी हो लेकिन वो जानती थी कि ऐसा उसे करना ही होगा अगर बात बस तक ही रहती तो शायद वह अपनी जान देकर अपनी इज्जत बचा ली थी लेकिन बात उसके बेटे की थी और वह किसी भी हाल में अपने बेटे पर किसी भी प्रकार की मुसीबत आने देना नहीं चाहती थीआखिरकार धीरे-धीरे करके समय के प्रवाह के साथ वह अपनी साड़ी को कमर पर से खोलकर नीचे गिरा दी जो कि पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, लाल और उसके आदमियों के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी,,,जो की पूरी तरह से पानी में भीग जाने की वजह से उसके बदन से चिपकी हुई थी जिसमें से उसका पूरा भूगोल साफ तौर पर नजर आ रहा था,,,, कजरी अपने ब्लाउज के बाकी बटन को धीरे धीरे खोलने लगी,,,,,, और सारे बटन को खोलने के बाद वह अपने ब्लाउज उतारने में शर्मा रही थी यह देखकर लाला बोला,,,।


शरमाओ मत मेरी जान उतार दो उसे,,,,,शर्म आओगी तो फिर मजा कैसे आएगा और हमें विश्वास कैसे होगा कि तुम अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती हो,,,,
(इतना सुनते ही कजरी ना चाहते हुए भी बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अपने ब्लाउज का अपनी बाहों में से निकालने लगी लाला कजरी की इस उम्र में भी तनी हुई ठोस चूचियां देखकर एकदम काम विह्वल हो गया,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो उसकी आंखें देख रही है वह सच है,,,क्योंकि अब तक वह इस उम्र की ना जाने कितनी औरतों की चुदाई कर चुका था लेकिन उनकी चूचीया कजरी की जैसी ठोस वर्तनी में बिल्कुल भी नहीं थी सारे के सारे पपीते की तरह लटक गई थी इसलिए तो लाला के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया,,,,,, लाला के तीनों साथी कजरी कीमत मस्त जवानी भरी चूचियां देखकर दंग रह गए थे उन तीनों का ईमान डोल रहा था कजरी की चुदाई करने का ख्याल तीनों के मन में आ रहा था लेकिन लाला के सामने वह कुछ कर नहीं सकते थे इसलिए खामोश खड़े इस गरमा गरम नजारे का लुफ्त उठाते रहे,,,,


वाह कजरी तुम्हारी चूचियां इस उम्र मैं भी कितनी तनी हुई है,,,(ऐसा क्या तेरे लाला अपना हाथ आगे बढ़ा कर कचरी की चूची को हल्के से दबाते हुए,,,) ईसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा कजरी,,,,(गिर मर्दाना हाथों को अपनी चुचियों पर महसूस करते ही शर्म के मारे वह संकुचाने लगी,,,,


डरो मत मेरी जान,,,,, बस सब उतारती जाओ,,,,,

(इतना सुनते ही कजरी धीरे से अपने दोनों हाथों को अपने पेटिकोट की डोरी के ऊपर रखी वह अपनी पेटीकोट को उतारना नहीं चाहती थी,,,,लेकिन फिर भी वह जानती थी किसके चाहने न चाहने से क्या होता है इसलिए अपनी पेटीकोट की डोरी को अपने दोनों हाथों की उंगली से पकड़कर खींच दी,,, और उसे ढीला छोड़ दी,,, पेटीकोट बरसात के पानी में पूरी तरह से गिला हो चुका था जिससे ढीला होने के बावजूद भी उसका पेटीकोट जांघों से नीचे नहीं आ पाया तो कजरी घबराते शर्मा कर अपनी पेटिकोट के नीचे की तरफ उतारने लगी,,, नीचे झुक कर पेटिकोट को उतारने की वजह से उसकी गोलाकार गांड हवा में लहराने लगी थी जिसे देखकर लाला के तीनों साथी गर्म आंहे भरते हुए,, अपने पजामे में बने तंबू को अपने हाथ से मसलने लगे,,,,अगले ही पल अपनी पेटिकोट को उतारकर कजरी पूरी तरह से लाला और उसके तीनों साथी के सामने नंगी हो गई थी,,, जिंदगी में इससे शर्मसार कर देने वाला पल उसकी जिंदगी में कभी नहीं आया था कजरी शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, उसे असर इस बात का हो रहा था कि वह अभी तक जिंदा कैसे हैं उसे तो शर्म से डूब कर मर जाना चाहिए लेकिन अपने बेटे की जिंदगी की कीमत उसे अपनी इज्जत देकर चुकानी पड़ रही थी अपनी आंखों के सामने कजरी को एकदम नंगी देखकर लाला की आंखों में हवस की चमक नजर आने लगी एक दम से पागल हो गया,,,,और कजरी की आंखों के सामने ही अपनी दोनों टांगों को चौड़ा करके धोती के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर दबाने लगा और बोला,,,,।


आहहहहहह,,,कजरी मेरी रानी आज तो मजा आ जाएगा,,,

(लाला कि ईतनी गंदी हरकत को देखकर कजरी शर्म से पानी पानी हो गई लेकिन कुछ नहीं कर पाई बस अपने चेहरे को अपने दोनों हथेलियों में भरकर ढंक ली,,,अपने तन को लाला की आंखों के सामने निर्वस्त्र करके वह अपने चेहरे को छुपा कर अपने मन को तसल्ली दे रही थी,,,, लाला अपने तीनों आदमियों की तरफ देखा जो हवस पर ही आंखों से कजरी को ही देख रहे थे अब इससे आगे का दृश्य केवल लाना ही देखना चाहता था इसलिए बना ताली बजाकर उन तीनों की तंद्रा भंग करते हुए तीनों को कमरे से बाहर जाने का इशारा कर दिया वह तीनों की अपना मन मार कर कमरे से बाहर आ गए,,,।लाला अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन वह पलंग पर से नीचे नहीं उतरा,, वह अत्यधिक उतावलापन का प्रदर्शन नहीं कर रहा था वह इत्मीनान से शरीर के अंग से टपकते हुए मदन रस को अपनी आंखों और होठों से पीना चाहता था,,,, कजरी को नंगी देखकर ऐसा लग रहा था जैसे लाला के अरमान पूरे हो रहे हो,,,।


वाह कजरी मेरी रानीयह तो जानता था कि तुम बहुत खूबसूरत हो तुम कि कपड़े उतारने के बाद इतनी ज्यादा खूबसूरत नजर आती हो या तो मैं आज पहली बार अपनी आंखों से देख रहा हूं कसम से अप्सरा हो अप्सरा ,,,,,
(लाला की हर एक बात कजरी के दिन पर छुरियां की तरह चल रही थी,,,,,)

मेरी जान थोड़ा उस तरफ घूम जाओ मैं तुम्हारी गांड देखना चाहता हूं,,,,
(इतना सुनते ही कजरी शर्मा कर दीवार की ओर मुंह करके खड़ी हो गई उसे इस बात का इत्मीनान थी कि वह तीनों हैवान कमरे से बाहर जा चुके थे,,, लाला की नजर जैसे ही कजरी की मदमस्त,, गोल गोल उभरी हुई गांड देखकर एकदम पागल हो गया कजरी शर्मा से गड़ी जा रही थी,,, वह जानती थी कि दीवार की तरफ मुंह करके वह लाला को अपनी गांड दिखा रही थी,,,जिसे कजरी आज तक अपनी जुती तक नहीं दिखाई थी आज अपने सारे कपड़े उतार कर उसे अपने नंगे बदन के दर्शन करा रही थी,,,,)


कच6री मेरी रानी तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा हो,,, कसम से हमेशा के लिए मेरी बन जाओ तूने रानी की तरह रखुंगा,,,,



मेरे रघु को तो कुछ नहीं करोगे ना,,,,


ना ना कजरी रानी मे रघु को अपने बेटे की तरह रखुंगा,,,, बस तुम हमेशा के लिए मेरी बन जाओ,,,।

(कजरी को अपने बेटे की फिक्र हो रही थीइसलिए ना चाहते हुए भी आज वह अपने बेटे की खातिर अपनी इज्जत का सौदा करने के लिए तैयार हो गई थी,,,)


कजरी तुम्हारी मदमस्त गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है तुम जैसी खूबसूरत औरतों का तो महलों में रहना चाहिए कहां ऊस झोपड़ी में अपनी जिंदगी खराब कर रही हो,,,।


हमारी किस्मत ही वही है लाला,,,,


किस्मत को बदला भी जा सकता है रानी,,,


कौन बदलेगा मेरी किस्मत को,,,।


मैं बदलूंगा कजरी,,, (इतना कहने के साथ ही लाला पलंग पर से उठ कर खड़ा हुआ और कजरी के पास पहुंच गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया कजरी एकदम से सिहर उठी जिंदगी में पहली बार किसी गैर मर्द की बांहों में जाते ही वहां सर में से पानी पानी हो गई )तुम्हें अपनी बना कर तुम्हें रानी बनाकर मैं तुम्हें यही रखूंगा इसी घर में,,,,
(कजरी कुछ बोल नहीं रही थी बस लाला की बात सुनी जा रही थी,,, लाला संपूर्ण रूप से नंगी कजरी को अपनी बांहों में भरते हुए उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया और उसकी धोती में उसका खडा लंड कजरी की दोनों टांगों के बीच हिलोरे मारने लगा,,, कजरी मन में क्रोधित हो रही थी लेकिनकुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि उसकी तरफ से किसी भी प्रकार का प्रतिकार का मतलब था उसके बेटे की मौत,,, इसलिए उसे सब कुछ सहना ही था,,,, कजरी को लग रहा था कि लाला अब अपने बस में नहीं है किसी भी वक्त उसकी चुदाई कर सकता था,,,वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी उसकी इज्जत बचाने के लिए लेकिन जानती थी कि ऐसे माहौल में ऐसी तूफानी बारिश में वह उसे बचाने के लिए आने वाला कोई नहीं था और वैसे भी किसी को इस बात की खबर तक नहीं थी कि कजरी इस समय कहां है कौन ले गया है,,,,इसलिए अपने मन में ठान ली थी कि आज निश्चित तौर पर उसकी इज्जत तार-तार हो जाएगी,,,, लेकिन लाला के पास बहुत समय था इसलिए वह बड़े इत्मीनान से कजरी की मदहोश कर देने वाली जवानी का रस पीन‌ा चाहता था इसलिए वह कजरी को अपनी बाहों से आजाद करते हुए वापस पलंग पर बैठ गया और कजरी से बोला,,,)


आज मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिन है और इसी खुशी के मौके पर कजरी मेरी रानी आज तुम मुझे शराब की लड़की अपने हाथों से शराब पीलाओगी,,,
(कजरी के बस में कुछ नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी शर्त मानना उसकी मजबूरी थी इसलिए वह आगे बढ़ी संपूर्ण रूप से नंगी होकर चहलकदमी करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन ऐसा करना उसके लिए मजबूरी बन चुकी थी वह नंगी पलंग के पास आई और टेबल पर रखी शराब की बोतल से सराब को गिलास में डालने लगी,,, दूसरी तरफ रघु नहर के पास बने घर के पास पहुंच चुका था,,, दूर से उसे वह घर दिखाई दे रहा था जिसके बाहर बरामदे में लालटेन तनी हुई थी और हंस लालटेन के उजाले में तीनों आदमी बैठे हुए थे आपस में बातें कर रहे थे जो कि उन लोगों को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि रघु उन तक पहुंच जाएगा,,, रघु क्रोध से भरा हुआ थातीनों आदमी बाहर बरामदे में बैठकर गप्पे लड़ा रहे थे और दरवाजे पर कड़ी लगी हुई थी जिसका मतलब साफ है कि घर के अंदर लाला औरउसकी मां थी इस बात का एहसास है तू ही उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से अपनी मां और लाला के साथ का गंदा दृश्य नजर आने लगा,,, उस दृश्य के बारे में कल्पना करते ही रघु एकदम से आग बबूला हो गया और तुम तीनों आदमी की तरफ आगे बढ़ा,,, उन तीनों आदमियों में से एक की नजर रघु पर पड़ गई,,, रघु कुल्हाड़ी को अपने पीछे छिपा रखा था,,,


अरे वह देख कजरी का लड़का भी आ गया साले का आज काम तमाम कर देते हैं,,,,


चल तो मादरचोद को देख लेते हैं उसकी इतनी हिम्मत कि यहां तक आ गया,,,,,(इतना कहने के साथ ही तीनों उठ खड़े हुए और रघु की तरफ आगे बढ़ने लगी बारिश अभी भी जोरों पर थी तूफान चल रहा था बादलों की गड़गड़ाहट बड़ी तेज हो रही थी सब कुछ भयानक दृश्य था रघु उन तीनों को अपनी तरफ आता हुआ देखकर वहीं रुक गया,,,, तीनों रघु के पास आकर उसे घेर लिया,,,, रघु जोर से चिल्लाते हुए बोला,,,)


बता मेरी मां कहां है,,,,
(इतना सुनते ही तीनों जोर-जोर से हंसने लगे उनको हंसता हुआ देखकर रघु को और गुस्सा आने लगा,,,)


बोलता क्यों नहीं कहां है मेरी मां,,,,


यार बता देना इस बेचारे को क्यों तड़पा रहा है बता दे इसकी मां कहां है,,,?


सुनना चाहेगा कहां है तेरी मां,,,,(उसकी बात सुनकर रघु बोला कुछ नहीं बस गुस्से में उसे देखे जा रहा था,,,, और वह आदमी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) इस समय तेरी मां हमारे मालिक लाला के साथ अंदर कमरे में अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर लाला के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा रही है,,,,
(इतना सुनते ही रघु एकदम से गुस्से से भर गया,,,, और रखो धीरे-धीरे अपना हाथ पीछे की तरफ जाने लगा,,, दूसरा आदमी बोला)

सच में यार तेरी मां बहुत खूबसूरत है मैं आज पहली बार इतनी खूबसूरत औरत को देखा हूं वह भी एक दम नंगी क्या गांड है तेरी मां की और चूचियां तो कमाल की है,,,, आज रात भर तेरी मां की चुदाई होगी और जब लाला का मन भर जाएगा तो उसके बाद हम तीनों का नंबर आएगा और सोच हम तीनों एक साथ तेरी मां की चुदाई करेंगे,,,(अब रघु के लिए अपनी मां के बारे में से ज्यादा सुनना नामुमकिन था वह अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर तेज धारदार कुल्हाड़ी बाहर निकाला और अगले ही पल पहले वाले आदमी की गर्दन पर दे मारा,,,,उसे छठ पटाने का भी मौका नहीं मिला और वहां पानी में गिर कर दम तोड़ दिया दूसरे दोनों आदमी तो देखते रह गए उन दोनों का समझ में नहीं आया कि पल भर में यह क्या हो गया,,,, तभी दूसरा आदमी जोर से चिल्लाया,,,।

हरामजादे,,, कुत्तिया की,,,,,(इतना ही बोलना था मेरे को कुल्हाड़ी का दूसरा बार उसकी गर्दन पर कर दिया और वह भी ज्यों का त्यों पल भर में ही नीचे गिरकर दम तोड़ दिया,,,,अपने दोनों साथी का हाल देख कर तीसरे वाले की हालत एकदम से खराब हो गई वह बोलने लायक नहीं रह गया था लेकिन वह भी रघु के गुस्से से बच नहीं पाया और कुल्हाड़ी का तीसरा वार उसके ऊपर हुआ और वह भी ढेर हो गया पल भर में ही लाला केसा गिर्द उसके मुस्टंडे आदमी रघु के हाथों मौत की नींद सो चुके थे,,, रघु का क्रोध बढ़ता जा रहा था वह दरवाजे की तरफ पहुंच गया बंद दरवाजे को देखकर उसे यकीन हो गया कि दरवाजे के पीछे लाला उसकी मां की चुदाई कर रहा है इसलिए रखो और ज्यादा गुस्सा हो गया,,, और वह दरवाजे की कड़ी खोले बिना ही जोर से दरवाजे पर एक लात मारा उसके अंदर इतना गुस्सा आ गया था इतनी ताकत आ गई थी कि उसके एक रात में ही पूरा दरवाजा टूट कर नीचे गिर गया और अंदर का दृश्य देखकर वह दंग रह गया,,,उसकी मां एकदम नंगी होकर पलंग के पास खड़ी थी हाथ में शराब का गिलास लिए हुए और लाला बिस्तर पर लेट कर अपनी धोती खोल रहा था,,, लाला और कजरी दोनों रघु को इस तरह से देखकर एकदम से चौंक गएकजरी तो अपनी स्थिति का भान होते ही और वह भी अपने बेटे के सामने एकदम से शर्मिंदा हो गई और वह बेहोश होकर वहीं गिर गई,,,।
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कजरी किसी गैर मर्द के साथ अपने आपको अपने बेटे के सामने नग्न अवस्था में बर्दाश्त नहीं कर पाई और शर्म के मारे बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी,,,, रघु एकदम आग बबूला हो चुका था जिस तरह से उसने दरवाजे को तोड़कर कमरे के अंदर प्रवेश करकेकमरे के अंदर के दृश्य को देखा था उसे से उसके तन बदन में आग लग गई थी क्रोध से जल रहा था,,, तू अपनी आंखों से साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां शराब का गिलास हाथ में ली हुई थी और लाला पेट के बल पलंग पर लेट कर अपनी धोती खोल रहा था,,,, लाला रघु को इस तरह से देख कर एकदम से घबरा गया था,,,उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था और उसके हाथों में,, खून से सनी हुई कुल्हाड़ी देखकर लाला की और हालत खराब हो गई,,,, वह हड़बड़ा कर पलंग पर उठ कर बैठ गया रघु को इस तरह से गुस्से में देख कर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई,,,।

हरिया,,,, कालू,,,,,,, शेरू कहां मर गए सब के सब,,,,,


तु सही कह रहा है लाला,,, तेरे तीनों आदमी,,(कुल्हाड़ी पर लगे खून को अपनी उंगली से साफ करते हुए) मर गए और इन तीनों को मैंने मारा है,,,,


क्या,,,? यह नहीं हो सकता यह हो ही नहीं सकता,,, वह तीनों एक एक 10 आदमी पर भारी है,,,,,


लेकिन तेरे तीनों आदमी मेरे सामने घुटने टेक दिए,,,, (कजरी बेहोश होकर पलंग के पास गिरी पड़ी थी एकदम नग्न अवस्था में लेकिन इस समय रघु के सर पर जुनून सवार था उसे केवल लाला दिखाई दे रहा था वह लाला को जान से मार देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां की तरह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था,,,)


तू झूठ बोल रहा है हरामि,,,,, ऐसा हो ही नहीं सकता,,,,(लाला गुस्से में बोला)


तुझे विश्वास नहीं हो रहा है तो आवाज लगाकर बुला ले देख कौन आता है,,,, उन तीनों की लाशें घर के बाहर पड़ी है,,,,
(रघु की कही बातों पर लाला को बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि उसके तीनों हाथ में शराब पीकर कहीं लुढ़क गए हों गए होंगे,,, क्योंकि उसे अपने तीनों आदमियों की ताकत पर पूरा भरोसा था किसी की हिम्मत नहीं थी कि उनके सामने नजर मिला सकें और यह लड़का उन्हें जान से मार देने का दावा कर रहा था लाला को बिल्कुल भी भरोसा नहीं हुआ तो वह फिर बोला,,,)



देख रघुबातें बनाना छोड़ दे मुझे अपने तीनों आदमियों पर पूरा भरोसा है साले शराब पीने में थोड़े कच्चे हैं इसलिए पीकर लुढ़क गए होंगे,,,,,

(इतना सुनते ही रघु जोर जोर से हंसने लगा,,, और उसकी तेज हंसी सुनकर लाला के पसीने छूट रहे थे उसके मन में यह बात कहीं ना कहीं घर कर गई थी कि वास्तव में रघु ने उसके तीनों आदमियों को जैसा कि वह कह रहा है मार दिया है,,, लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था,,,, लाला की बात सुनकर रघु बोला,,,)


मैं आज बहुत गुस्से में हूं लाला तीन क्या अगर 30 भी होते तो सब का वही हाल होता,,, जैसा कि तीनों का हुआ है,,,
(रघु की बात लाला के बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ रही थी वह मानने को तैयार ही नहीं था कि रघु अकेले उसके तीनों आदमियों को ढेर कर सकता है,,,)

नामुमकिन ऐसा हो ही नहीं सकता,,,,


नामुमकिन को मुमकिन करने के लिए ही मैं यहां आया हूं,,, अपने तन की प्यास बुझाने के लिए तूने आज गलत औरत चुन लिया,,,, अपने अपमान का बदला लेने के लिए तूने यह रास्ता एहतियात किया है,,, तू सच में पापी है आज तेरे पाप का घड़ा भर चुका है,,,,,
(लाला अपने मन में सोचने लगा कि अगर रघु जो कुछ भी कह रहा है उसमें जरा सी भी सच्चाई है तो आज उसकी मौत निश्चित है लेकिन वह भी कुछ कम नहीं था इमानदारी से इस जगह पर नहीं पहुंचा था वह भी बेईमानी लूटपाट हत्या करने के बाद ही इस स्थिति में पहुंचा था इसलिए ऊपर चला था वह धीरे-धीरे अपना हाथ पलंग पर बिछड़े हुए गद्दे के नीचे रखी चाकू की तरफ ले जाने लगा,,,)


देख रघु जो कुछ भी तू कर रहा है वह बिल्कुल गलत है,,,,


और जो तू कर रहा है वह सही है,,,,,, हरामजादे गांव की ना जाने कितनी औरतों की इज्जत से तु खेल चुका है तेरी तो घर की सगी बहू पर गंदी नजर है तो दूसरी औरतों को क्या छोड़ेगा,,,,(अपनी बहू का जिक्र आते ही लाला झेंप सा गया फिर अपने बचाव में बोला,,,)

वह औरतें खुद चलकर मेरे पास आई थी मैं उन्हें जोर जबस्ती करके अपने बिस्तर पर नहीं लाया था,,,।


मजबूरी का फायदा उठाना भी जोर जबरदस्ती से कम नहीं होता लाला,,,, तेरी हर एक हरकत को मैं अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि,,, मेरी मां पर ही तू गंदी नजर डालेगा,,,,


नहीं नहीं रघु यह गलत बात है,, मैं तेरी मां को छोड़कर बस्ती करके या उठाकर नहीं गया वह खुद मेरे पास चलकर आई है,,,


हरामजादे मेरी मां दूसरी औरतों की तरह नहीं है जो खुद तेरे पास चलकर आएगी,,,


नहीं रघु मैं सच कह रहा हूं भगवान कसम,,,,


तेरे लिए भगवान कहां है तू तो खुद को ही भगवान समझ बैठा है,,, तेरी बहू कोमल ने मुझे सब कुछ बता दि है,,,, तु ही अपनी तीनों आदमी को मेरे घर भेज कर मेरी मां को उठा लाने के लिए बोला था,,,,(इतना सुनते ही लाला गुस्से से पागल हो गया और गद्दे के नीचे रखे चाकू को बाहर निकालकर सीधा रघु की तरफ जोर से फेंक कर मार दिया और वह चाकू सीधा उसके कंधे पर जाकर घुस गई,,,, रघु दर्द से बिलबिला उठा और यही मौका देख कर लाला उसी स्थिति में पलंग पर से उठा और बाहर की तरफ भागा,,,, रघु के कंधे में वह चाकू लगभग आधा घुस चुका था जिसे बड़ी मुश्किल से रघु जोर से पकड़ कर बाहर की तरफ खींच लिया और चक्कू जैसे ही बाहर निकली वैसे ही उसके कंधे में से खून का फव्वारा छूटने लगा,,,,, लाला घर से बाहर भाग चुका था रघु गुस्से से तिलमिला उठा एक नजर वह अपनी मां के ऊपर डाला जो कि एकदम नंगी बेहोश पड़ी थी और फिर दरवाजे की तरफ लपका,,,,

रुक जा हरामजादे आज तुझे मेरे हाथों से कोई नहीं बचा पाएगा,,,,,,

लाला घर से बाहर निकलते ही घर के आगे अपने ही आदमियों की लाशें देखकर भौचक्का रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,,, वह मुंह फाड़े आश्चर्य से अपने तीनों आदमियों की लाश को देखने लगा,,,,, तभी पीछे कुल्हाड़ी लेकर दहाड़ ते हुए रघु उसकी तरफ लपका,,,।


रुक जा मादरचोद कहां भागता है आज तेरी मौत निश्चित है हरामजादे,,,,(इतना सुनते ही लाला पूरी ताकत लगा कर भागने लगा वह नहर की तरफ भागते चला जा रहा था और रघु उसके पीछे-पीछे,,,, आज रघु उसका इस धरती से नामोनिशान मिटा देना चाहता था,,,,क्योंकि बार-बार उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आ रहा था जो कि वह दरवाजा तोड़कर अंदर की तरफ देखा था उसकी मां शराब का ग्लास लेकर खड़ी थी और लाला अपनी धोती खोल रहा था जो कि निश्चित तौर पर उसकी मां की चुदाई करने की तैयारी कर रहा था वह अपने मन में यह सोच रहा था कि पता नहीं वह उसकी मां को चोद पाया या नहीं,,,, अगर ऐसा हुआ तो वह भी मर जाएगा क्योंकि वह अपनी मां को किसी दूसरे के साथ चुदता हुआ नहीं देख सकता था,,, इसलिए लाला पर उसे और ज्यादा गुस्सा आ रहा था और वह बड़ी तेजी से लाला की तरफ भागता चला जा रहा था और लाला उसे जान बचाकर पूरा दम लगा कर भाग रहा था और भागते भागते नहर के किनारे कीचड़ में गिर पड़ा और रघु उसके करीब पहुंच गया,,,उसके कंधे में चाकू पूरी तरह से घुस जाने की वजह से उस में से खून निकल रहा था और उसे दर्द हो रहा था लेकिन फिर भी उसे अपने दर्द की चिंता नहीं थी आगे से अपने अपमान का बदला लेना था अपनी मां के साथ हुए अपमान का बदला लेना था,,,


मुझ से बच कर कहां जाएगा लाला आज तेरी मौत मेरे हाथों से लिखी है,,,


नहीं नहीं रघु मुझे माफ कर दे मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दे,,,,,(लाला कीचड़ में रेंगते हुए आगे की तरफ हाथ जोड़े बढ़ रहा था,,, लेकिनरघु उसे माफ बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था आज निश्चित कर लिया था कि आज वह अपने हाथों से उसे मारेगा,,,)


तेरी गलती माफ करने वाली नहीं है लाला,,, तुझे तो मेरे हाथों से मरना ही होगा,,, तेरी काली करतूतों को तो मैं अच्छी तरह से जानता था लेकिन यह नहीं जानता था कि तू मेरे कि घर में मेरी मां के ऊपर गंदी नजर डालेगा,,,,



देख रघु मैं तेरी मां को अपने आदमीयो से यहां उठा कर लाने की गलती कर चुका हूं लेकिन मेरी मान तेरी मां आज भी एकदम पवित्र है मैं तेरी मां के साथ अभी तक कुछ नहीं कर पाया हूं,,,(इतना सुनते ही रघु थोड़ी राहत महसूस हुई,,,) तो फिर मुझसे बदला लेना चाहता है तो बेशक ले लेकिन जैसा मैंने किया हूं वैसे ही मेरी बहू है ना कोमल तु उसके साथ कुछ भी कर सकता है,,, कुछ भी मैं कुछ नहीं कहूंगा,,,,।


हरामजादे मादरचोद समझ कर क्या रखा है तू कहेगा और मैं कोमल के साथ कुछ भी करूंगा मैं कोमल से प्यार करता हूं कुत्ते,,,,,(इतना सुनते ही लाला एकदम से झेंप गया,,) कोमल से मे सच में प्यार करता हूं,,,,, और हां आज इस दुनिया से जाते जाते तुझे एक हकीकत बता देता हूं ताकि तु यह हकीकत सुनकर मरने के बाद भी भटकता रहेगा तड़पता रहेगा जिसकी तू लेने के लिए दिन रात जुगाड़ में लगा रहता था ना वही तेरी बहू कोमल कि मैं ले चुका हूं और वह भी जबरदस्ती से नहींवो खुद अपनी मर्जी से मुझे अपना सब कुछ दे चुकी है और वह भी मुझसे उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं अगर ऐसा ना होता तो तूफानी बारिश में भीगते हुए वह घर से बाहर निकल कर मुझे तेरे करतूत के बारे में बताने ना आती उसीने मुझे सब कुछ बताई है तभी तो मैं यहां पर पहुंच पाया हूं,,,(इतना सुनते ही लाला एकदम से आग बबूला हो गया और जोर से एक लात रघु के पेट में दे मारा रघु तिल मिलाकर वहीं गिर गया और मौके का फायदा उठाकर लाला उठ खड़ा हुआ और भागने लगा लेकिन रघु फुर्ती दिखाते हुए तुरंत खड़ा हुआ उसके पीछे भागते हुए जोर से चिल्लाया,,,,।

ला,,,,,,,,,,ला,,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही कुल्हाड़ी का बार उसकी गर्दन पर कर दिया और उसका सर धड़ से अलग होकर नहर में जोकि पानी से भरा हुआ था और परी तेजी से बह रहा था उसमें गिर गया,,,, रघु बड़ी तेजी से हांफ रहा था लाला का काम तमाम हो चुका था उसकी करनी का फल उसे मिल चुका था आसमान में बादल जोर-जोर से गड़गड़ा रहे थे तूफानी बारिश अपना कहर बरसा रही थी,,,, रघु बदला ले चुका था उसके मन में खून की प्यास मिट चुकी थी उसके चेहरे पर लाला के खून के उड़े छींटे तेज बारिश में धुलने लगे थे,,,, लाला धीरे धीरे उस कमरे में आ गया जहां पर अभी भी उसकी मां बेहोश पड़ी थी वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर बैठ गया चैन की सांस लेने लगा उसने अपनी मां को बचा लिया था उसकी इज्जत तार-तार होने से बचा लिया था वह एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला जो कि अभी भी पूरी तरह से नंगी बेहोश होकर पड़ी थी इस समय अपनी मां को नंगी देखने के बावजूद भी उसके मन में उत्तेजना के भाव पैदा नहीं हो रहे थे क्योंकि समय का माहौल कुछ और था धीरे-धीरे बारिश कम हो रही थी लेकिन अभी सुबह होने में बहुत समय था और सुबह होने तक का इंतजार रघु नहीं कर सकता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ उसके बारे में किसी को कुछ भी पता चले,,,,बिल्कुल भी नहीं चाहता था कि किसी को यह पता चला कि नाना अपने आदमियों को भेजकर उसकी मां को यहां पर उठाकर ले आया था उसके साथ मनमानी करने के लिए उसकी इज्जत लूटने के लिए वह अपने घर की और अपनी मां की इज्जत को सही सलामत रखना चाहता था इसलिए पूरी तरह से बारिश बंद होने का और सुबह होने का इंतजार किए बिना वह नीचे पड़े अपनी मां के कपड़ों को समेटने लगा और उसी तरह से अपनी मां को नग्न अवस्था में ही अपनी गोद में उठा लिया और कमरे से बाहर आ गया अभी भी बारिश हो रही थी तेज नहीं फिर भी पड़ ही रही थी बादलों की गड़गड़ाहट अभी भी सुनाई दे रही थी,,, तूफानी बारिश और रात का फायदा उठाकर इस घनघोर अंधेरे में रघु अपने घर पर पहुंचाना चाहता था ताकि किसी को भी पता ना चले इसलिए वह अपनी मां को गोद में उठाया उसके कपड़ों को कंधे पर टांग घर की तरफ बढ़ने लगा बारिश की वजह से किसी का ऐसे माहौल में नजर आना नामुमकिन ही था इसलिए रघु को थोड़ा इत्मीनान था लेकिन फिर भी वह सबकी नजरों से बचना चाहता था आखिरकार वह अपनी मां को लेकर घर पर तो हो चुका था और उसे बिस्तर पर लिटा दिया,,,, वह अपनी मम्मी से उसने कहा कि आज का उसकी जिंदगी का अच्छा दिन है या खराब आज उसकी बहन की शादी हुई है वह अपने ससुराल गई है और रात को अपने पति के साथ सुहागरात भी बना रही होगी और दूसरी तरफ आज उसकी मां की इज्जत तार-तार होने से बची थी और रघु के हाथों से चार चार हैवानों का खून हुआ था,,, अपनी मां के ही पास खटिए पर बैठ कर,,, सारी घटनाओं के बारे में सोचने लगा और अपनी मां के होश में आने का इंतजार करने लगा,,।
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सारे घटनाक्रम रघु के होश उड़ा दिया था ,, रघु कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी मां के साथ ऐसा हो जाएगा,,,, लेकिन वह मन ही मन कोमल को धन्यवाद देने लगा कि सही मौके पर आकर उसने सब कुछ बताती और वह सही समय पर लाला के घर पहुंच गया वरना अनर्थ हो जाता,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि ,,, लाला उसकी मां को चोदे बिना नहीं छोड़ सकता,,, उसके पहुंचने से पहले ही लाला उसकी मां की चुदाई कर दिया रघु यह बात अपने मन में सोच कर परेशान हो रहा था,,, लेकिन फिर अपनी ही बात को झूठ साबित करते हुए वह अपने मन में सोचने लगा कि जब वह दरवाजे तोड़कर कमरे में पहुंचा था तो उसकी मां पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और लाला अपनी धोती उतार रहा था,,, इसका मतलब था कि वह ऊसकी चुदाई करने जा रहा था,,, चोद नहीं पाया था,,, वह खटिए पर बैठा बैठा यही सोच रहा था कि लाला उसकी मां को चोद पाया या नहीं इसी सवाल का उत्तर उसे नहीं मिल पा रहा था,,,अपने बारे में सोचने लगा कि इस सवाल का जवाब उसकी माही दे सकती है होश आने पर वह अपनी मां से इस बारे में जरूर बात करेगा,,,,,, लाला इतना नीचे गिर जाएगा इतना तो वह जानता ही था लेकिन उसकी बुरी नजर उसके ही घर में पड़ी है इस बात को वह मान नहीं पा रहा था लेकिन आज सब गिले-शिकवे दूर कर दिया था,,, आज लाला और उनके साथियों का काम तमाम हो चुका था उनके जुर्म और उनकी हवस का शिकार हो रही औरतें जब यह खबर सुनेगी तो खुशी से झूम उठेंगी,,,,,,,यही सोचते हुए लोगों के मन में इस बात की तसल्ली थी कि चलो गांव वालों को उसके जुर्म से निजात दिलाया और साथ ही अपनी मां की इज्जत भी बचा लिया और तो और उन लोगों को किसने मारा है यह बात किसी को भी कानों कान पता तक नहीं चलेगी यह बात केवल कोमल और उसकी मां ही जान सकती है उसकी मां तो यह बात किसी को बताने वाली नहीं है और कोमल पर उसे पूरा भरोसा था और वैसे भी वहां अपने ससुर से खुद परेशान हो चुकी थी अपनी इज्जत बचाती आ रही थी वह भी जरूर खबर सुनेगी तो उसका मन प्रसन्नता से झूम उठेगा,,,, यही सब सोचते हुए रघु अपनी मां की तरफ देखा जो कि समय एकदम बेहोश लेटी हुई थी और एकदम नंगी रघु की नजर अपनी मां के नंगे बदन पर ऊपर से नीचे तक गई जिंदगी में पहली बार वह अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख रहा था,,,,अपनी मां के नंगे बदन को और अच्छे से देखने के लिए वह खटिया पर से खड़ा हो गया और खड़े होकर अपनी मां को खटिया पर लेटी हुई देखने लगा वह अपनी मां को एकदम नंगी देख कर मन में सोचने लगा वहां क्या रूप है क्या बदन है एकदम अद्भुत कारीगरी का नमूना ऐसा लगता है कि जैसे खुद भगवान ने अपने हाथों से उसके खूबसूरत जिस्म को बनाया हो,,,, कजरी पीठ के बल लेटी हुई थी रघु अपनी मां की दोनों तनी हुई नंगी छातियों को देख रहा था जो कि सुसुप्त अवस्था में भी,, अद्भुत कामगार लग रही थी,,,,खरबूजे जैसी दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छातियों पर लौटी हुई थी,,, पल भर में रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,उसका मन कर रहा था कि वह अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाने का सुख भोगले लेकिन वह अपनी मां की मदमस्त जवानी को शायद अपनी आंखों से ही पीना चाहता था,,,,, दोनों चूचियों के नीचे सपाट चिकना पेट,,,, और कमर पर हल्की सी चमडियो की पडती दरार,,,, उसके खूबसूरत बदन में और ज्यादा इजाफा कर रहे थे अपनी आंखों से अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन के कटाव और उसकी रूपरेखा को देख रहा था क्योंकि बेहद कामोत्तेजना से भरे हुए मादक नजर आ रहे थे,,, रघु के मुंह में पानी आने लगा था साथ ही पजामे का आकार आगे से बढ़ने लगा था,,,,,,, रघु इस माहौल में भी पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था जिसका एक ही कारण था कि उसकी मां की खूबसूरती,,, उसका खूबसूरत चिकना मादक गदराया बदन,,,, खूबसूरती में कजरी इस समय स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी,,,,, रघु का एक मन कह रहा था कि आज ही इसी समय वह अपनी मां के बेहोशी का फायदा उठाते हुए उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त कर लें लेकिन उसका दूसरा मन उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,, क्योंकि दूसरा मन ही जानता था कि ऐसा करना गलत है और माहौल भी ठीक नहीं था अभी अभी कुछ दिन पहले ही वह लाला के हाथों में थी जहां पर वह उसकी इज्जत लूटा जाता था और वहां भगवान से प्रार्थना कर रही थी पिक्चर बचाने के लिए,,, और ऐसे में रघुअपने बेटे का फर्ज निभाते हुए वहां पहुंचकर अपनी मां की इज्जत भी बचाया और उन है वानो का कत्ल भी कर दिया,,,,और उसका मन यही कह रहा था कि ऐसे में अगर वह अपनी मां की चुदाई करेगा तो लाला और उसके में बिल्कुल भी फर्क नहीं रह जाएगा वह एक तरह से अपनी मां के साथ जबरदस्ती कहीं जाएगी भले ही उसकी मां को इस बारे में पता नहीं चलेगा लेकिन,,, रघु इस मामले मेंअपने आप से ही नजर नहीं मिला पाएगा क्योंकि वह यही चाहता था कि उसकी मां अपने संमती से अपना बदन उसे सौंपे अपनी जवानी उस पर लुटाएं,,,,,,,, इसलिए रघु बहुत सोचने के बाद अपने आप को इस तरह की हरकत करने से रोकने लगा,,,,।


आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था,,, बरसात अभी भी बाहर हो रही थी रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,जिस तरह का खतरा उठा कर उठा ऐसी तूफानी बारिश लाला के आदमियों से लाला से भिडा था वह बेहद काबिले तारीफ था ऐसा शायद रघु के बस में बिल्कुल भी ना होता लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी में रखो नहीं बल्कि एक बेटा अपना फर्ज निभाया था,,,, लाला से ना लाला के आदमियों से कोई भी इंसान भी भिडना नहीं चाहता था क्योंकि वह लोग बेहद बेरहम थे,,,,गांव की औरतों के साथ अपनी मनमानी करते थे उनका फायदा उठाते थे,,,, लेकिन शायद लाला की जिंदगी का यह आखरी मौका था जब वह कजरी के साथ अपनी मनमानी करना चाहा था,,,, आज ना तो लाला रह गया था और ना उसके आदमी,,,,वातावरण में अजीब सी शांति की केवल बारिश के शोर के सिवा और बीच-बीच में रह रहे कर बादलों की गड़गड़ाहट शांत वातावरण को भयानक बना दे रहा था,,,,हवा तेज चल रही थी जिसकी वजह से रघु को ठंड का एहसास हो रहा था,,,,उसके कपड़े भी पूरी तरह से किए थे वह कपड़े बदलने की सोचने लगा कि तभी उसे एहसास हुआ कि उसकी मां ऐसे ठंडे मौसम में भी एकदम नंगी लेटी हुई है भले ही बेहोश क्यों ना हो उसकी तबीयत खराब हो सकती है इसलिए वह,,,, उसके कपड़े जो कि घर में रस्सी पर टांग के रखे हुए थे उतार कर ले आया और सबसे पहले वह अपनी मां को ब्लाउज बनाने लगा हल्का सा सहारा देकर उसे उठाते हुए बराबर उसके दोनों हाथों में ब्लाउज डालकर उसे पहना दिया और उसके बटन बंद करते समय रघु की हालत खराब होने लगी क्योंकि ब्लाउज का बटन लगाते समय वह अपनी मां के चूची को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर कर रहा था,,,, हालांकि इस तरह का काम वह बहुत सी औरतों के साथ कर चुका था लेकिन आज अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ कर ब्लाउज के अंदर डालने में उसे अद्भुत सुख का और उत्तेजना का एहसास हो रहा था,,,,,,, ज्यादा नहीं तो वह इस मौके का फायदा उठाते हुए अपनी मां की दोनों चुचियों को अपनी हथेली में भरकर दबा ले रहा था,,,, बारी-बारी से दोनों चूचियों को ब्लाउज में डालकर वह ब्लाउज का बटन बंद कर दिया,,,, और फिर पेटिकोट उठाकर उसे नीचे से दोनों टांग को पेटीकोट के अंदर डालकर पेटीकोट को ऊपर की तरफ उठाने लगा अपनी मां की चिकनी मांसल जांघों पर नजर करते हुए उसके होश खोने लगे इसकी आंखों में अपनी मां की मदमस्त जवानी की चमक नजर आने लगी,,, वह पेटीकोट को घुटनों से ऊपर की तरफ लाते हुए पेटीकोट को उसी तरह से छोड़कर अपने दोनों हाथों को अपनी मां की दोनों जांघों पर फिराने लगा,,, उसे अपनी मां की चरणों पर अपना हथेली फिराते हुए इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की जांघ एकदम चिकनी एकदम मक्खन की तरह थी,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड खड़ा हो गया,,,, जांघों के ऊपर उसे अपनी मां की बुर एकदम साफ नजर आ रही थी उसकी पतली पतली दरार लालटेन की रोशनी में चमक रही थी,,,,, ना जाने रघु के क्या सुझा ओर वह अपनी नाक को अपनी मां की बुर की दरार के बेहद करीब लाकर जोर से नाक से सांस अंदर की तरफ खींचने लगा,,,,, पल भर में भी कजरी की बुर से निकल रही मादक खुशबू रघु की छातियों में भर गई और बुर की खुशबू का मादकता भरा एहसास रघु के तन बदन में आग लगाने लगा,,,, रघु का मन तड़प रहा था अपनी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैला कर उसमें जीभ डाल कर चाटने के लिए,,,,लेकिन ऐसा करने से वह बड़ी मुश्किल से अपने मन को शांत कर पाया और बस बुर की खुशबू लेकर अपने आपको मना लिया,,, पेटिकोट को कमर तक लाने के लिए वह अपनी मां की गांड को एक हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और पेटीकोट को कमर तक ले आया और उसकी डोरी को बांध दिया कुछ देर पहले खटिया पर कजरी एकदम नंगी लेटी हुई थी लेकिन रघु उसके तन पर ब्लाउज और पेटीकोट पहना दिया था और बिना कुछ और सोचे बिना वहां अपनी मां की बदन पर चादर डालकर उसे ओढ़ा दिया और खुद अपने कपड़े को बदलकर वही नीचे चटाई बिछा कर लेट गया,,।
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सुबह रघु की नींद सबसे पहले खुली,,, अंगड़ाई लेता हुआ वह चटाई पर उठ कर बैठ गया,,, खटिया पर सोई हुई अपनी मां की तरफ एक नजर डाला उसके मासूम और खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि शालू घर का बहुत सा काम संभालती लेकिन शादी के बाद अपने घर चली जाने की वजह से उसे लगने लगा था कि, उसे भी अपनी मां का हाथ बढ़ाना चाहिए ताकि घर के सारे काम का पूछो उस पर अकेले ना पड़ जाए,,,,वैसे भी रघु को इस बात का अच्छी तरह से साफ था कि घर में केवल वह और उसकी मां ही है जिससे उसे भी अपनी मां को आराम देना चाहिए,,,अपने मन में सोच रहा था कि घर के काम में हाथ बढ़ाकर अगर वह अपनी मां को खुश रखेगा तो उसकी मां उसे खुश रखेगी,,,,,,, तभी उसे ख्याल आया कि वो खुद अपनी मां को कपड़े पहनाया था,,, उसकी मां खटिया पर एकदम नंगी थी अपनी मां को अपने हाथों से कपड़े पहनाने का अनुभव से पहली बार हो रहा था ना कि उसने अब तक दोषी औरतों का सिर्फ अपने हाथों से कपड़े ही बता रहा था लेकिन पहली बार अपनी मां को कपड़े पहनाते हुए उसे अच्छा लग रहा था उसे वह बात भी याद आ गई जब वह अपनी मां को पेटीकोट पहनाते हुए अपने हाथों से उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी रसभरी गुलाबी बुर पर अपनी नाक रखकर उसकी मादक खुशबू को अपने अंदर लिया था ऊस एहसास को वह कभी भूल नहीं पाएगा,,,,। पल भर में ही उस बात को याद करते ही पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया वैसे भी मर्दों को हमेशा सुबह में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव होता है और बिना कुछ किए ही घंटे खड़ा हो जाता है लेकिन यहां तो उसके पास में खूबसूरती का पूरा खजाना लेटा हुआ था और उस खजाने को लूटने का रघु के पास पूरा मौका था लेकिन वह उस मौके का फायदा उठाना नहीं चाहता था लेकिन फिर भी अपनी मां के खूबसूरत बदन को याद करके उसके पूरी तरह से खराब हो गया था चटाई पर खड़ा हो गया ना चाहते हुए भी वह पजामे को घुटनों तक लाकर अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,,,वह अपनी मां को ऊपर से नीचे तक देखे जा रहा था और जोर-जोर से अपना लंड हीलाए जा रहा था,,,, रघु अजीब सी दुविधा में था एक तो अपनी मां के बेहोशी का फायदा आकर उसे चोद सकता था लेकिन वह इस तरह से अपने आप को और अपनी मां को धोखे में नहीं रखना चाहता था और दूसरी तरफ अपनी मां की खूबसूरत बदन को देख कर उसे रहा भी नहीं जा रहा था जिसकी वजह से वह खटिया पर लेटी हुई अपनी मां की खूबसूरत बदन को देखकर अपना लंड जोर जोर से हिला रहा था,,,,, रघु इस तरह से अपना पानी निकालना नहीं चाहता था इसलिए अपने आप पर काबू करते हुए वह अपने पजामे को ऊपर की तरफ चढ़ा दिया,,,, और बाहर निकल गया बारिश की वजह से सुबह का मौसम बेहद सुहावना लग रहा था वह झाडु उठाकर आंगन में झाड़ू लगाने लगा,,, ऐसा काम हुआ पहले कभी नहीं किया था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि इस तरह का काम से करना पड़ेगा अपनी मां के काम में हाथ उसे बताना ही पड़ेगा इसलिए थोड़ी देर में वह सारे आंगन में झाड़ू मार कर सफाई कर दिया,,,,, और जल्दी से चूल्हा जलाकर उस पर चाय पकने के लिए रख दिया हालांकि बिना नहाए वह कभी भी चाय नाश्ता नहीं करता था लेकिन आज ना जाने क्या उसके दिमाग में चल रहा था उसकी मां अभी भी खटिया पर लेटी हुई थी,,,,, रघु नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर दांत घिसने लगा था,,,,

दूसरी तरफ लंबे समय तक बेहोशी की चादर ओढ़ी हुई कजरी की आंख जैसे ही खुद ही भाग एकदम से घबराकर खटिए पर बैठ गई,,,,


नहीं-नहीं लाला ऐसा गजब मत करना,,,,,,(डर के मारे उसके मुंह से इस तरह की बात निकल गई वह अपनी चारों तरफ देखने लगी उसे लगने लगा कि यह तो उसका ही घर है वह पूरी तरह से होश में नहीं थी इसलिए बार-बार अपनी आंखों को मल दे रही थी,,,,थोड़ी देर बाद गौर से देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह लाला के घर पर नहीं बल्कि अपने खुद के घर पर मौजूद है वह खटिए को देखने लगी चारों तरफ दीवारों को देखने लगी घर के सामान को देखने लगी,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस तरह के चक्रव्यू में वह फंसी थी वहां से निकल कर वापस लौट कर आना नामुमकिन था,,,,, वह यह सब अभी सोच ही रही थी कि रघु कटोरी में चाय छानकर कमरे में हो क्या और अपनी मां को इस तरह से खटिया पर बैठा हुआ देखकर खुश हो गया,,,,, कजरी को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने देख कर वह मन में कुछ तो हो रही थी लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,,रघु ही अपनी मां की संख्या को दूर करते हुए और चाय की कटोरी को उसकी तरफ आगे बढ़ाकर बोला,,,,।


इस तरह से हैरान क्यों हो रही हो मां,,,,,यह , अपना ही घर है,,,,, और तुम अपने ही घर में हो,,,,


लललल,,, लेकिन लाला,,,,,(घबराहट भरे स्वर में बोली)


लाला लोड़े लग गए,,,,(अचानक ही उसके मुंह से निकल गया और वो मुस्कुरा दिया लेकिन कजरी पर इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ वह भी घबराई हुई थी,,,,)

ममममम,,, मैं कुछ समझी नहीं बेटा क्या हुआ था,,,, तुझे दरवाजा तोड़कर अंदर आया तो तेरे कुल्हाड़ी पर खून लगा हुआ था मैं एकदम से घबरा गई और गिर गई बस इतना याद है इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं है,,,, लेकिन तेरे कुल्हाड़ी पर खून कैसा लगा हुआ था,,,,।


वो खून लाला के आदमियों का था,,,,(रघु मुस्कुराता हुआ उस चटाई पर चाय की चुस्की ले कर बैठते हुए बोला,,, कजरी अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से घबरा गई,,,)


यह क्या कह रहा है तू बेटा,,,,


वही जो तुम सुन रही हो मां,,,,, क्यों मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा है क्या कि मैं अकेले ही उसके तीनों आदमियों को कैसे मार दूंगा,,,,,
(अपने बेटे की बातें सुनकर कजरी बोली कुछ नहीं बस ना में सिर हिला दी उसे वाकई में विश्वास नहीं हो रहा था अपनी मां को इस तरह से आश्चर्य होता हुआ देखकर वह बोला,,,)


मा बात समझ लो कि अगर मैं उन तीनों आदमियों के साथ-साथ लाला को ना मारता तो शायद तुम इस समय यहां नहीं होती,,,,,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए रघु बड़े इत्मीनान से बोला,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था जो की पूरी तरह से आश्चर्यचकित हुए जा रही थी,,,और, उसे देख कर रघु मन ही मन मुस्कुरा रहा था,,,रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह का उसने कार्य कर दिया है उस पर किसी को भी विश्वास नहीं होगा और यह भी जानता था कि लाला और लाला के साथियों का जो हाल हुआ है और किसने किया है इस बारे में किसी को कानों कान पता तक नहीं चलेगा,,,,)


नहीं रघु नहीं तु किसी का खून नहीं कर सकता,,,,


करना पड़ा मैं जिस तरह के हालात थे उस समय मैं क्या कोई भी होता वही करता जो मैंने किया है अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वह लोग मुझे मार देते तुम्हें मार देते,,,(रघु की बात सुनते ही कजरी को लाला की वह बात याद आ गई लाला भी रघु को मारना चाहता था मौत के घाट उतारना चाहता था,,, और लाला कजरी से उसकी इज्जत गिरवी रख कर उसके बेटे रघु की जान बख्श ना चाहता था,,, यह बात मन में आते ही कजरी थोड़ी शांति क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर रघु उन लोगों को नहीं मारता तो बोलोगी से मार देते,,,,)

लेकिन तूने इतना बड़ा कारनामा कर कैसे दिखाया मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा,,,,।


मां जब इंसान पर मुसीबत आती है तो कमजोर से कमजोर इंसान मजबूत बन जाता है और कुछ भी कर सकने के लिए तैयार हो जाता है,,,।,, और मैंने भी वही कियाजब मुझे इस बात का पता चला कि लाला के आदमी तुम्हें घर से उठाकर ले गए हैं मैं एकदम लोकल आ गया मेरे अंदर बदले की भावना भड़कने लगी मैं किसी भी तरह से तुम को बचाना और लाला को मारना चाहता था,,,,


लेकिन तुझे यह बात किसने बताया कि मुझे लाला के आदमी उठाकर ले गए है,,,, कहीं आस पड़ोस वालों को तो खबर नहीं है,,,।

नहीं नहीं रात में तुम्हारे साथ क्या हुआ है यह गांव वालों को भनक तक नहीं है सिर्फ कोमल को मालूम है और कोमल ने ही मुझे बताई थी तब मैं जाकर वहां पर पहुंच पाया था,,


कोमल वही लाला की बहू,,,


हां मां लाला की बहू,,, भला हो उसका जो अपने ससुर की बातों को सुन ली थी और मुझे आकर बता दी,,,, लेकिन मां मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूं सच सच बताना,,,,(रघु चाय की आखरी चुस्की भरकर कटोरी को नीचे रख दिया)


क्या,,,,?


क्या लाला ने या उसके आदमियों ने,,,,, मेरा मतलब है कि,,,,,(रघु थोड़ा सा घबराते हुए और शरमाते हुए) मैं पूछना चाहता हूं कि,,,,


अरे क्या पूछना चाहता है बोलेगा भी,,,,


यही कि क्या लाला,,, तुम्हारी,,,, चुदाई कर पाया,,,,,,
(अपने बेटे के सवाल पर कचरी उसके चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी वह जानती थी कि जिस तरह का माहौल बना हुआ था उससे किसी के भी मन में यही सवाल आना लाजमी है,,,,वह बबली आराम से जवाब देते हुए बोली,,)


नहीं मेरे लाल ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया जैसा मैं पहले थी आज भी वैसे ही हूं एकदम पवित्र,,,,


ओहहहह,,, मां,,,,यह बात सुनकर मैं कितना खुश हूं यह बता नहीं सकता(इतना कहते हुए वह अपनी मां को गले लगा लिया,,,) इसका मतलब है कि मैं समय पर वहां पहुंच गया,,,,,,(वह वापस अपनी मां को अलग करती हुए)
लेकिन मां जब मैं वहां पहुंचा था तब तुम लाला के सामने एकदम नंगी थी बिल्कुल नंगी,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनते ही वो एकदम से शर्मा गई,,,,) मैं तो तुम्हें लाला के सामने इस तरह से नंगी देखकर एकदम से घबरा गया,,,,,


क्यों घबरा गया,,,?


मैं सोचा कि लगता है कि लाला तुम्हारा काम तमाम कर दिया,,,,


काम तमाम कर दिया है मतलब,,,,


अरे मतलब यही कि लाला तुम्हारी चुदाई कर दिया है,,,,(रघु जानबूझकर अपनी मां से खुले शब्दों में बातें कर रहा था वह अपने लिए रास्ता बना रहा था,,,, वह जानता था कि उसकी मां के मन में भी उसको लेकर आकर्षण है क्योंकि अब तक ना जाने वह कितनी बार अपनी मां के सामने शर्मिंदा होने वाली हरकत कर चुका है लेकिन उसकी मां कुछ नहीं बोलती,,, रघु की बात सुनकर रजनी एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे करते हुए बोली,,)

धत्,,,, कैसी बातें कर रहा हैं तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,


अरे कैसी बातें क्या,,,, जिस हाल में मैंने तुम्हें देखा हूं किसी को भी लगेगा कि वह सब कुछ हो गया होगा और वैसे भी लाला तुम्हारी पूजा करने के लिए तो ले नहीं गया था वह तो तुम्हारी चुदाई करने के लिए ही ले गया था,,,,(रघु उसी चटाई पर बैठे-बैठे भी बोला और उसकी इस तरह की अश्लील गंदी बातें,, कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी,,,) इस बात से तुम भी इनकार नहीं कर सकती मां,,,,


तू सच कह रहा है लाला इसी काम के लिए मुझे अपने आदमियों से उठवा कर वहां ले गया था,,,, लेकिन शायद मेरी किस्मत बहुत अच्छी थी जो मुझे तुझ जैसा बेटा मिला है और मैं आज तेरे सामने सही सलामत हुं,,,,,,, लेकिन एक बात मैं भी पूछना चाहती हूं की जब मैं वहां तेरे सामने थी और तेरे सामने बेहोश होकर गिर गई थी तब मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था मतलब कि मैं उसे में एकदम नंगी थी और इस समय मैं यहां पर,,,(कजरी अपने कपड़ों की तरफ देखते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब तो रघु अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए मुस्कुराने लगा और कजरी इस तरह की बातें अपने बेटे से करके उत्तेजित हो जा रही थी जिसका असर से अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली करार में महसूस हो रही थी उसमें से मदन रस का रिसाव होना शुरु हो गया था,,,)


मैं अच्छी तरह से जानता हूं मां की तुम क्या कहना चाह रही हो,,, यही ना कि तुम्हारे बदन पर कपड़े कैसे आ गए,,,


हां मैं यही पूछना चाहती हूं,,,


मैं पहनाया हूं अपने हाथों से,,,,


क्या तूने,,,,? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है लेकिन कहां बनाया था वही लाला के घर पर,,,,


नहीं मैं वहां सूखे कपड़े कहां थे,,,, मैं वहां से तुम्हें यहां तक नंगी ही लेकर आया था और अपनी गोद में उठाकर,,,,


क्या गोद में उठाकर,,,,(इस बात से कजरी एकदम से उत्तेजित हो गई वह अपनी बेटी की ताकत को लेकर बेहद उत्साहित नजर आने लगी और इस बात से और ज्यादा उत्तेजना महसूस करने लगी की उसे एकदम नंगी उसका बेटा अपनी गोद में उठाकर यहां तक लाया,,,)


किसी ने देखा तो नहीं,,,


किसी ने नहीं देखा मां,,,और कोई देख ना ले इसलिए मैं रात को ही वहां से तुम्हें लेकर आ गया बरसात हो रही थी चारों तरफ पानी ही पानी था और यही मौका भी ठीक था वहां से घर तक ले आने के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि रात को जो कुछ भी हुआ वह किसी को पता चले,,,


तो क्या इस बारे में किसी को भी पता नहीं है,,,


किसी को भी नहीं सिवाय मेरे तुम्हारे और कोमल के,,,,
(कजरी को अपनी बेटे पर गर्व हो रहा था लेकिन इस समय अपने बेटे की बातों को सुनकर उसकी हिम्मत भरी बातों को सुनकर और उसके कारनामों के कारण उसे अपने रघु में बेटा नहीं बल्कि एक मर्दाना ताकत और जोश से भरा हुआ मर्द नजर आ रहा था और यही एक पतली रेखा होती है पारिवारिक रिश्तो में जिस्मानी संबंध की शुरुआत के लिए क्योंकि जब अपने रिश्तेदारों में औरतें आदमी को रिश्तो की जगह और इतिहास पुरुष नजर आने लगे तो किसी भी मर्यादा से बनी हुई दीवार टूटने में समय नहीं लगता और शायद यही हाल कजरी और रघु का भी होने वाला था तभी तो कजरी अब अपने बेटे के प्रति कुछ ज्यादा ही आकर्षित होने लगी थी,,,)


बोलो इतना कुछ हो गया लेकिन किसी को कानों कान खबर तक नहीं है और अच्छा ही हुआ बेटा कि इस बारे में किसी को पता नहीं है वरना मैं बदनाम हो जाती,,,,,, तुझ पर मुझे बहुत नाज है बेटा,,,



नाज कैसा मा यह तो मेरा फर्ज है,,,,,
(इतना सुनकर दोनों एक दूसरे को देखते हुए मुस्कुराने लगे,,, कजरी हाथ में चाय की कटोरी ली थी जिसे होठों पर लगाकर पीना शुरू कर दी चाय ठंडी हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसे बड़े प्यार से पीने लगी क्योंकि पहली बार उसके बेटे ने उसके लिए चाय जो बनाई थी,,, चाय की चुस्की लेते हुए कचरी जो कि उसके मन में बहुत देर से चल रहा था वह बोली,,,)

मैं तुझसे एक बात पूछना चाहती हूं जिसका जवाब तु सही सही देना,,,


पूछो क्या पूछना चाहती है,,,,


वैसे तो मुझे तुझसे पूछने में शर्म आ रही है लेकिन फिर भी जिस हालात में तु मुझे वहां से यहां लाया था अब ऐसा लगता है कि शायद हम दोनों के बीच शर्म वाली कोई बात नहीं रह गई है इसलिए मैं तुझसे पूछना चाहती हूं,,,


पूछो ना मा बेझिझक पूछो,,,,
Behtareen update
 
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