Devang
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Behtareen updateकोमल की उत्सुकता झरने को देखने के लिए बढ़ती जा रही थी,,,, कुदरत के अनमोल खजाने को देखने की चाह में कोमल अपने अनमोल खजाने कि अनजाने में ही नुमाइश कर चुकी थी,,, जिसका प्रभाव रघु के ऊपर बुरी तरह से पड़ रहा था,,, जो नजारा उसने अभी-अभी कोमल की साड़ी के अंदर देखा था,,, साड़ी के अंदर की गर्माहट उसके तन बदन में महसूस हो रही थी,,,रघु संपूर्ण रूप से उसके अनमोल गुप्त खजाने के दर्शन तो नहीं कर पाया था लेकिन उसकी संरचना को भलीभांति से देख कर उसके आकार का मुआयना कर चुका था,,, ऊंची नीची पगडंडियों,,टेढ़े मेढ़े रास्तों से दोनों चले जा रहे थे चारों तरफ घनी झाड़ियां ऊंचे ऊंचे पेड़ छाए हुए थे जो की पूरी तरह से जंगल का एहसास करा रहे थे,,, बहुत साल पहले यह पूरा जंगल ही था लेकिन धीरे-धीरे मानव वसाहत की वजह से इधर से जंगली जानवर पलायन कर गए,,,।
रघु यह तो पूरा जंगल जैसा है कहीं जंगली जानवर मिल गए तो,,,,।
मिल गए तो क्या हुआ मैं हूं ना,,,, मुझ पर भरोसा नहीं है क्या,,,?
नहीं भरोसा तो बहुत है,,,, लेकिन फिर भी डर लगता है,,,,
मगर तुम्हारे साथ हूं तो तुम्हें डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,, शेर भालू चीता मेरे होते हुए तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते,,,
यहां है क्या,,,(कोमल डरते हुए बोली)
नहीं नहीं यहां कोई भी नहीं है,,,, यह जगह पूरी तरह से सुरक्षित है,,,,
कहीं मेरे ससुर जी घर पर वापस आ गए तो,,,
मुझे नहीं लगता कि इतनी जल्दी वापस लौटेंगे,,,, अगर आ भी गए तो कोई बहाना बना देना,,,,
कौन सा बहाना,,,
अरे कोई भी बहाना औरतों के पास तो वैसे भी हजारों बहाने होते हैं,,,,,,,, लेकिन कोमल क्या सच में तुम्हारे ससुर जी तुम पर गंदी नजर रखते हैं,,,, वैसे भी मुझे उस आदमी का बिल्कुल भी भरोसा नहीं है,,,।
लगता है तुम्हें हम पर विश्वास नहीं हो रहा है,,,,
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है तुम कह रही हो तो सच ही होगा वैसे भी उस आदमी का असली रूप में देख चुका हूं लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि घर की बहू पर ही वह गंदी नजर रखता है,,,
रघु तुम नहीं जानते कि हम कितनी मुसीबत में जी रहे हैं,,, वह तो किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए हमारी इज्जत बची वरना बगीचे वाली औरत की तरह हमारी भी हालत कर देता,,,।
तो क्या तुम्हारे ससुर तुम्हें चोद देते,,,,(रघु एकदम से जानबूझकर गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए तपाक से बोला,,, उसकी यह बात सुनकर कोमल एकदम से सन्न रह गई ,,, उसे रघु से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि वह उसके सामने इस तरह से खुले शब्द में बोल देगा,,, कोमल इसकी सवाल का जवाब नहीं दे पाई और शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,,)
बहुत गंदे इंसान है तुम्हारे ससुर,,,,, खैर अब मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूंगा,,,
(रघु कि यह विश्वास भरी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थी,, लेकिन कभी-कभी उसके मुंह से खुले शब्द सुनकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठती थी,,, कोमल बिना जवाब दिए आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,, मौसम बहुत सुहावना हो चुका था दोपहर का समय था लेकिन आसमान में बादल छाने लगे थे,,, हालांकि बारिश होने की कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही थी लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी ठंडी ठंडी पवन बह रही थी,,,, दोनों चले जा रहे थे रघु निश्चिंत होकर उसे अपने साथ लिए जा रहा था,,,, कोमल को अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वहां किसी गैर लड़के के साथ सबकी नजरों से बचकर झरने की तरफ जा रही थी अगर यह बात किसी को पता चल जाए तो बहुत ही बदनामी हो जाए क्योंकि गांव में अक्सर इस तरह से औरतों को दूसरे लड़कों के साथ घूमने की इजाजत बिल्कुल भी नहीं थी,,, चलते हुए भी रघु अपनी आंखों को सेंक ले रहा था,,। कोमल के गोलाकार नितंब पानी भरे गुब्बारों की तरह हील डुल रहे थे,,,। और उसके हिलते हुए नितंबों को देखकर रघु का लंड पजामे में हरकत कर रहा था,,।,,, रास्ते भर कोमल यही सोच कर परेशान हो रही थी कि नीचे खड़ा रघु उसके साड़ी के अंदर झांक रहा था,,,,,, क्या उसके मन में भी वही सब चलता है जो दूसरे मर्दों के मन में चलता है,,, क्या वो भी उसके प्रति गंदे ख्याल रखता है,,, यही सब सोचकर परेशान हो रही थी लेकिन ना जाने क्यों उसे रघु की हरकत कहीं ना कहीं अच्छी भी लग रही थी,, भले ही वह सीधी-सादी बहुत ही अच्छी और संस्कारी औरत थी लेकिन, एक बात से वह भी इनकार नहीं कर सकती क्योंकि वह अंदर ही अंदर तन से प्यासी थी पति के प्यार से पैसे थी शारीरिक सुख से वंचित भी इसीलिए कहीं ना कहीं रघु की हरकतें उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में सिहरन पैदा कर रही थी,,,।
देखते ही देखते स्थान आ गया जहां पर रघु उसे लेकर आना चाहता था,,, चारों तरफ हरियाली ही हरियाली,,, पहाड़ों के बीच से नीचे गिरता हुआ झरना और झरने का पानी धीरे धीरे तालाब में इकट्ठा होना बेहद नयनरम्य दृश्य लग रहा था,,, दोनों छोटी सी टेकरी पर खड़े हो गए और सामने से पहाड़ पर से गिर रहे झरने को देखने लगे कोमल तो खुशी से फूली नहीं समा रही थी कुदरत की बेहद खूबसूरत कलाकृति उसे देखने को मिलेगी यहां पर एकदम शांति छाई हुई थी केवल झरने का शोर और पंछियों की कलबलाहट सुनाई दे रही थी,,, जो कि कानो को बेहद मधुर लग रही थी,,,,
देखो कोमल कितना खूबसूरत नजारा है,,,,
मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि इतना खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा कुदरत की बनाई हुई इतनी खूबसूरत कलाकृति होगी,,,, कसम से रघु हम यहां आकर बहुत खुश हैं,,, तुमने हमें स्वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया है,,,, (कोमल आश्चर्य से कुदरत के उस खूबसूरत नजारे को देखती जा रही थी वह मन ही मन बहुत खुश थी,,, मौसम की बड़ा सुहाना हो चुका था एकदम ठंडी ठंडी हवा तेज चल रही हवा के साथ साथ झरने से गिरते हुए पानी की बूंदे,, उसके तन बदन मैं ठंडक भर दे रहे थे रघु के मन में तो कुछ और चल रहा था,,,, इस झरने को देख कर उसे वह बात याद आ गई जब इसी जगह पर वह अनजाने में ही अपनी बहन सालों को संपूर्ण रूप से नंगी तालाब से निकलकर भागते हुए देखा था लेकिन उस समय उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि जिस लड़की को वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में देखा है वह उसकी बड़ी बहन ने,,, रघु का लंड उस वाक्ये को याद करके अंगड़ाई लेने लगा,,, उसका मन कोमल को संपूर्ण रूप से नंगी देखने को कर रहा था और इसीलिए वह कोमल से बोला,,।)
कोमल क्या तुम कभी झरने के नीचे खड़ी होकर नहाने का मजा ली हो,,,,
नहीं,,,, लेकिन मैं सच में झरने के नीचे खड़े होकर नहाने का मजा लेना चाहती हूं,,,।
तो देर किस बात की है चलो,,,,
लेकिन कपड़े,,,,, गीले हो जाएंगे तो पहन कर क्या जाएंगे,,, नहीं नहीं जाने दो,,,,(कोमल उदास मन से बोली हो झरने के नीचे खड़ी होकर ठंडे ठंडे पानी का मजा लेना चाहती थी लेकिन उसने दूसरे कपड़े भी नहीं लेकर आई थी,,,,और कपड़े गीले हो गए तो सुखेंगे भी नहीं क्योंकि धूप बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु को अपना काम ना बनता देख कर वह बोला,,,)
क्या करती हो कोमल तूम कितनी मुसीबत के बाद यहां पर आज तुम्हारी हो और यहां आ कर वापस लौट जाओगी अब पता नहीं इस तरह का मौका मिले या ना मिले,,, मेरी मानो आज अपने मन की इच्छा पूरी कर लो,,,,(रघु अपने मन में उठ रही उत्कंठा को अपनी जबान पर लाते हुए बोला)
मेरा मन भी कर रहा है लेकिन,,,,,(कोमल अपनी इच्छा को दबाते हुए बोली)
लेकिन क्या,,,,,?
मेरे कपड़े गीले हो गए तो,,,,
अरे गीले कैसे होंगे,,,, उन्हें उतारकर चलो ना,,,, कपड़े ही नहीं रहेंगे तो गीले कैसे होंगे,,, मैं तो जब भी यहां नहाता हूं तो कपड़े उतार कर नहाता हूं,,,,
अरे तुम तो लड़के हो तुम्हारा चलता है लेकिन हम,,,,
तो क्या हुआ तुम भी तो कपड़े उतार कर नहा सकती हो और वैसे भी यहां पर दूसरा कोई देखने वाला थोड़ी है,,,
तुम तो हो ना,,,,(तिरछी नजर से देखते हुए कोमल बोली)
अरे मैं तो तुम्हारा दोस्त हूं और दोस्त से कैसी शर्म,,,,(रघु कोमल को बहकाते हुए बोला,,,)
नहीं नहीं मुझे शर्म आती है,,,,
अरे यार शर्म कैसी,,,,,(रघु को अपना काम बिगडता हुआ नजर आ रहा था उसे लगने लगा था कि कोमल अपने कपड़े उतारने के लिए कभी भी तैयार नहीं होगी इसलिए वह बोला,,,)
अच्छा ठीक है कोमल पहले तुम नहा लो,,,, मैं अपनी नजर दूसरी तरफ करके रखता हूं तुम्हें देखूंगा भी नहीं मैं नहीं चाहता कि यहां से तुम अपना मन मार कर वापस लौटो,,,,
नहीं नहीं हमें तुम्हारा विश्वास बिल्कुल भी नहीं है,,,
ससुर नहीं हु, में तुम्हारा,,, जो मुझ पर विश्वास नहीं कर रही हो मैं एक बार बोल दिया तो बोल दिया मैं तुम्हारी,,, तरफ देखूंगा भी नहीं,,,, मुझ पर तुम्हें विश्वास तो है ना,,,,
(रघु की बात सुनकर उसे विश्वास तो नहीं हो रहा था लेकिन रघु पर थोड़ा थोड़ा भरोसा जरूर करती थी इसलिए उसकी बात मानते हो क हां मैं सिर हिला दि,,,।)
यह हुई ना बात,,,, अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ,,,,,(रघु जानबूझकर उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा था,,,,) और झरने में जाकर नहाने का मजा लो,,,,(रघु की जल्दी से नंगी होने वाली बात सुनकर कोमल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, बड़ा बेशर्म हो कर रघु ने यह बात कही थी,,, रघु जानबूझकर उसे अपने शब्दों के जाल में फसाना चाहता था और ऐसा हो भी रहा था रघु के मुंह से निकला हुआ एक एक अश्लील शब्द कोमल के कोमल मन पर हथौड़े की तरह वार कर रहा था,,, इस तरह के गंदे शब्द वह पहली बार सुन रही थी नंगी होने वाली बात को वह कुछ ज्यादा ही अपने मन पर ले रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उससे संभोग करने के लिए उसे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए कह रहा है,,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वो रखो की बात माने या ना माने झरने में नहाने की लालच से ऐसा करने से रोक भी नहीं रही थी,,, वह झरने में नहाना चाहती थी,,, अगर धूप निकली होती तो वह कपड़े पहने हुए ही झरने के नीचे नहाने लग जाती क्योंकि दो की वजह से उसके कपड़े सूख जाते हैं लेकिन धूप बिल्कुल भी नहीं थी और ऐसे नहीं कपड़ा सीखना नामुमकिन था और घर जाने पर अगर किले कपड़े में उसके ससुर उसे देख लेते तो क्या जवाब देती,,,, इसलिए वह रघु की तरफ देखी और थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)
तुम दूसरी तरफ मुंह करके खड़े हो जाओ और कसम है तुम्हें अगर मेरी तरफ देखे तो,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कमाल मैं अपने वादे पर अटल हूं,,,, एक बार बोल दिया तो बोल दिया,,(ऐसा कहते हुए रघु दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया और कोमल उसे देखकर धीरे-धीरे बड़े से पत्थर के पीछे जाने लगी,,, रघु का मन उत्सुकता से भरा जा रहा था,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था वह पत्थर के पीछे खड़ी होकर धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लगी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी उतार कर बड़े से पत्थर के ऊपर रख दे जहां से तिरछी नजर से रघु उस पत्थर की तरफ देख रहा था उसे पत्र के पीछे खड़ी कोमल तो नहीं दिख रही थी लेकिन पत्थर के ऊपर रखी हुई साड़ी जरूर दिख रही थी जिसे देख कर उसे यकीन हो गया कि कोमल अपने कपड़े उतार रही है और साड़ी उतार कर पत्थर पर रख चुकी थी,,, ब्लाउज की बारी थी,,,, रघु उत्सुकता से तिरछी नजर से पत्थर की तरह देखे जा रहा था जहां पर थोड़ी ही देर में पत्थर पर ब्लाउज रखा गया था जिसे देखकर पजामे के अंदर रघु का लंड अंगड़ाई लेने लगा,,, ब्लाउज के बटन खोलते हुए कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, मैं जानती थी कि किसी गैर मर्द की उपस्थिति में इस तरह से कपड़े उतारना गलत है लेकिन फिर भी वह जैसे किसी मोह पास में बंध चुकी थी,,,ना चाहते हुए भी अपने क्लाउड के सारे बटन खोल कर ब्लाउज को पत्थर के ऊपर रख दी थी उसके नारंगी जैसी गोल-गोल चूचियां एकदम उजागर हो गई थी हालांकि इस समय रघु की नजर उसकी चूचियों पर नहीं थी लेकिन फिर भी ब्लाऊज को देख कर ही वह कोमल की कोमल चुचियों की गोलाई के बारे में अंदाजा लगा रहा था,,,, कोमल का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अब बारी पेटीकोट की थी,,, और अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलते समय उसे अपने अंदर एक गंदी औरत होने का एहसास हो रहा था,,,क्योंकि अपनी पेटीकोट की डोरी खोलते समय है उसे ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे वह किसी पराए मर्द से चुदने के लिए अपनी पेटिकोट की डोरी खोलकर नंगी होने जा रही है,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था देखते ही देखते पेटीकोट की डोरी खुलते ही कमर के इर्द-गिर्द एक असली भी पेटीकोट ढीली हो गई और ढीली होकर उसके कदमों में गिर गई,,, मानो कोमल की जवानी प्रदर्शित होने के लिए मचल रही हो पत्थर के पीछे को पूरी तरह से नंगी थी संपूर्ण नंगी गोरे-गोरे खूबसूरत बदन पर कपड़े का रेसा भी नहीं था,,,, दूध जैसा चमकता बदन खूबसूरती का गोदाम लग रहा था बदन पर चर्बी की मात्रा बिल्कुल भी नहीं थी एकदम सुडौल काया,,,, गोलाकार नारंगी जैसी चुचियां,,, केले के तने के समान चिकनी चिकनी जांघें ,,,औ दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गहरी दरार झांट के रेशमी बालों से घीरी हुई,,, ऐसा लग रहा था कि मानो जंगल के बीच में से नदी बह रही हो,,,, बड़े पत्थर के ऊपर पेटीकोट के रखते ही,,रघु का लंड पजामे के अंदर टन टनाकर खड़ा हो गया,,,, उसे यकीन हो गया कि कोमल उसकी बातों में आ चुकी है,,, और ऊसकी बात मानकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है,,। कोमल के नंगे पन के एहसास से रघु पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबने लगा और ना चाहते हुए भी उसका हाथ पजामे के अग्रभाग पर आ गया,,,, कोमल इस तरह से पहाड़ियों के बीच अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर शर्म महसूस कर रही थी वह यहा से भाग जाना चाहती थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह जो भी कर रही है गलत कर रही है अौर इस बारे में किसी को भी पता चल गया तो वह बदनाम हो जाएगी,, लेकिन फिर भी उसका मन उसे वही रोके हुए था उसे अपने मन की करने देने के लिए उकसा रहा था,,, इसलिए वो झरने में जाने के लिए तैयार हो गई पत्थर की ओर से बाहर निकलने से पहले वह पत्थर पकड़ कर चोर नजरों से रघु की तरफ देखने लगी रघु जानता था कि कपड़े उतार कर नंगी हो जाने के बाद किसी भी समय कोमल बाहर आ सकती थी इसलिए वह अपनी नजर सामने ही किए हुए खड़ा रहा और यह देखकर कोमल के होठों पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे विश्वास हो गया कि रघु पलट कर उसकी तरफ नहीं देखेगा,,,, और पूरी तरह से विश्वास हो जाने के बाद,,, कोमल पत्थर की ओर से बाहर निकली और अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच की दरार पर रखकर पैर संभाल कर रखते हुए झरने की तरफ जाने लगी,,, उसके पायल की छन छन की आवाज से रघु को इस बात का एहसास हो रहा था कि कोमल पत्थर की ओर से बाहर आने के बाद झरने की तरफ जा रही थी इसलिए,,, रघु नजर घुमाकर कोमल को देखने लगा कोमल संपूर्ण रूप से नंगी थी,,, एकदम नंगी बिना कपड़ों की और बिना कपड़ों के भी वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, नग्नता में कोमल की खूबसूरती उसका हुस्न देखकर रघु की आंखें फटी की फटी रह गई,,,, कोमल अद्भुत खूबसूरती का खजाना थी वह झरने की तरफ जा रहे थे जिससे उसके गोलाकार नितंब आपस में रगड़ खाते हुए दाएं बाएं ऊपर नीचे हो रही थी,, और यह देख कर रघु का धैर्य जवाब दे रहा था,,। उसका मन कर रहा था कि उसके पीछे पीछे वह अभी झरने की तरफ चला जाए लेकिन वह जल्दबाजी दिखाना नहीं चाहता था क्योंकि जब उसके कहने से वह कपड़े उतार चुकी है तब तो धीरे धीरे टांग खोलने में भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी,,, यही सोच कर रघु अपना मन मार कर वहीं खड़ा का खड़ा रह गया,,, और कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए झरने की तरफ जा रही थी उसके लिए जिंदगी में यह पहला मौका था जब वह बिना कपड़ों के संपूर्ण रूप से नंगी होकर टहल रही थी और वह भी इस खुली जगह पर,,, उसे भी संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में घूमना कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन बदन में उत्तेजना किसिहरन भी फेल रही थी,,,, वह चलते हुए यही सोच रही थी कि रघु उसे देख तो नहीं रहा होगा,,, कोई भी इंसान अपने वादे पर पक्का तो रह सकता है लेकिन औरतों के मामले में उसका धैर्य कब जवाब दे जाए यह नहीं कहा जा सकता,,,,इसलिए और अभी के बारे में भी यही सोच रही थी कि वह उसे देख तो नहीं रहा होगा अगर देख रहा होगा तो उस समय वह उसे पूरी तरह से नंगी देख रहा होगा उसकी गोलाकार गांड ऊसे दिखाई दे रही होगी,,, अगर ऐसा है तो वह उसके नंगे बदन को देख कर क्या सोच रहा होगा क्या रघु भी वही सोच रहा होगा जो दूसरे मर्द सोचते हैं,,,यही सोचते हुए वचन की तरफ चली जा रही थी लेकिन पीछे मुड़कर देखने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अपने मन में यह सोच रही थी कि अगर वह उसे देखता ही होगा तो वह उससे नजर कैसे मिला पाएंगी,,, मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका ध्यान खुद ही अपनी चुचियों पर चला गया जो कि बेहद ठोस और गोलाकार थी,,, यह तो वह अच्छी तरह से जानते थे कि ठोस नजर आने वाली चूची दबाने पर कितनी नरम-नरम होती है,,,।अपनी चुचियों की गोलाई को देख कर उसे इस बात का अफसोस होने लगा कि उसके पति ने उसे स्त्री सुख का अहसास नहीं कराया,,, यह सोचते हुए कोमल झरने के बेहद करीब पहुंच गई जहां से उसे पानी के छींटे उसके बदन पर पड़ रही थी और उसे ठंडे पन का एहसास हो रहा था,,, आज उसका सपना पूरा होनेवाला था,,, प्रकृति से उसे हमेशा से लगाव रहा था,,,, खेतों में घूमना छोटी-छोटी पहाड़ियों पर चढ़ना नदी में नहाना यह सब उसेअच्छा लगता था इसलिए तो आज झरना देखकर वह बेहद खुश हो गई थी और झरने में नहाने की लालच की वजह से ही वहएक गैर मर्द के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए तैयार हो चुकी थी और हो भी गई थी,,, देखते ही देखते कोमल झरने के नीचे पहुंच गई पहली बार जब उसके सिर पर झरने का ठंडा पानी पड़ा तो वह ठंड से सिहर गई,,, लेकिन एक झटके में उसका पूरा बदन पानी से तरबतर हो गया धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा,,,, रघु उसे देखे जा रहा था,,,
थोड़ी देर में कोमल सब कुछ भूल गई उसे यह भी याद नहीं रहा कि थोड़ी ही दूर पर एक जवान लड़का खड़ा है,,, वहां अपनी सुध बुध भूल कर झरने के पानी में नहाने का आनंद लूटने लगी उसे इस बात का भी अहसास तक नहीं हुआ कि उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं है वह निश्चिंत होकर पूरी तरह से मगन होकर नहाने का मजा लेने लगी वह अपना हाथ अपने बदन पर चारों तरफ घुमाने लगी मानो की अपने घर में बने गुसल खाने में नहा रही हो,,, उसका दोनों हाथ उसके बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे भले ही वह उसकी गोल-गोल चूचियां हो या टांगों के बीच की पतली दरार हो,,, नितंबों पर दोनों हाथ को फेरते हुए मानो वह उस पर साबुन लगा रही हो,, जो देखकर रघु का दिमाग चकराने लगा क्योंकि जिस तरह से वह निश्चिंत होकर अपने बदन पर हाथ फेर रही थी,,, रघु यकीन नहीं कर पा रहा था किसकी आंखों के सामने कोमल ही है क्योंकि कोमल बेहद शर्मीली औरत थी,,, लेकिन इस समय कोमल का व्यवहार निश्चिंत पूर्ण और थोड़ा बेशर्मी वाला हो गया था इसमें कोमल की कोई भी गलती नहीं थी वह तो भूल चुकी थी कि वह कहां पर है कौन सी जगह पर है और किस के सामने,,, लेकिन कोमल की हरकत का मतलब रघु गलत समझने लगा उसे लगने लगा था कि शायद कोमल उसकी तरफ इशारा तो नहीं कर रही है,,,,कोमल की हरकत को देख कर रखो क्या मेरे में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी हालांकि वह पहले से ही काफी उत्तेजित हो चुका था उसे नंगी देखकर और उसकी हरकतों को देख कर तो वह मदहोश होने लगा,,,, उत्तेजना और बदन की प्यास से रघु का गला सूखता जा रहा था,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था झरने का पानी जिस तरह से उसके कोमल खूबसूरत नंगे बदन पर फिसल रहा था,,, उसी तरह से रघु की नियत कोमल के खूबसूरत नंगे बदन को देखकर फिसल रहा था वैसे भी रघुऔरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही लालची हो चुका खूबसूरत औरत देखते ही उसके मुंह में पानी आने लगता था लेकिन यहां तो कोमल की खूबसूरत नंगे बदन और उसकी हरकत को देख कर उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,,,रघु से सब्र कर पाना अब मुश्किल बजा रहा था इसलिए वह तुरंत अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगा हो गया,,,, कोमल नहाने में मस्त थी झरने का पानी उसके खूबसूरत बदन को ठंडा कर रहा था,,,,,,, उसे तो इस बात का पता तक नहीं था कि रघु जो उसे यहां लेकर आया था जो कि उसे इस अवस्था में ना देखने का वादा किया था और उसके खूबसूरत नंगे बदन को देख कर अपना धैर्य खो बैठा है और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो चुका है,,, रघु झरने में नहा रही कोमल की तरफ आगे बढ़ता हुआ अपने लंड को हिला रहा था एक तरह से वह कोमल की बुर में अपने लंड को डालने के लिए उसे पूरी तरह से तैनात करते हुए तैयार कर रहा था,,,
रघु के लिए यह अवस्था ही ऐसी थी बिल्कुल काबू से बाहर कोमल की मदहोश जवानी रघु को पल-पल बेकाबू कर रही थी,,, देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए रघु झरने के नीचे ना रहे कोमल के बेहद करीब पहुंच गया उसके ऊपर भी झरने का पानी गिरने लगा,,,, रघु ठीक कोमल के पीछे जाकर खड़ा हो गया उसके नितंबों पर से फिसल रही पानी की बूंदे रघु के प्यास को और ज्यादा बढ़ा रही थी उसका मन कर रहा था कि नीचे बैठ कर उसके नितंबों से गिर रही पानी की बूंदों को जीभ लगाकर चाट कर अपनी प्यास बुझा ले,,,, रघु का लंड सीधा टनटनाकर खड़ा था,। और इतना करीब था कि अगर थोड़ा सा भी कोमल पीछे होती तो रघु का लंड सीधे उसकी गांड पर स्पर्श करता ,,,, और यही हुआ भी,,,, कोमल तो अपने में मशगूल थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके पीछे रघु नंगा और अपने लंड को खड़ा करके खड़ा है,,,, और अचानक ही कोमल अपने घुटनों को अपने हाथ से मलने के लिए नीचे झुकी ही थी कि उसकी गांड पर कोई ठोस चीज की चुभन महसूस हुई और वह डर के मारे पीछे पलट कर देखी तो उसके होश उड़ गए पीछे रघु एकदम नंगा होकर खड़ा था उसका लंड उसकी गांड की दरार के बीचो बीच फंस चुका था,,,,,, अपने आप को संभालने के चक्कर में आगे की तरफ गिरने ही वाली थी कि तुरंत रघु अपना दोनों हाथ उसकी कमर पर रख कर उसे थाम लिया और उसी स्थिति में पकड़ लिया मानो कि जैसे किसी औरत को घोड़ी बनाकर चोद रहा हो,,,, नीचे गिरने के डर से वह पूरी तरह से सहम उठी थी,,,
उसे डर से वह निकल पाती इससे पहले ही रखो का लंड का गर्म सुपाड़ा उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी पत्तियों पर रगड़ खाने लगी,,,, कोमल को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि उसके बदन में यह कैसी भावना जागरूक हो रही है वह पूरी तरह से अद्भुत अहसास में डूबने लगी पल भर में ही ठंडे पानी की बौछार में भी उसका खूबसूरत गर्म बदन और भी ज्यादा गर्म होने लगा,, रघु उसी तरह से पकड़े हुए बोला,,,।
क्या करती हो कोमल अभी तो तुम नीचे गिर गई होती,,,,(ऐसा कहते हुए रघु उसकी कमर पकड़कर ऊसे ऊपर उठाने लगा,,,) मैं कहा था ना तुमसे अबसे तुम्हारी रक्षा में करूंगा,,,
(कोमल को अपनी कमर पर,, मजबूत हथेलियों का स्पर्श और उसका कसाव बेहद आनंददायक और रोमांचक लग रहा था उसे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था वो कुछ बोल नहीं पा रही थी सिर्फ उसके मुंह से इतना ही निकला,,,)
तुम यहां तुम तो वादा किए थे,,,, फिर,,,,,(कोमल रघु की आंखों में देखते हुए पूरी रही थी कि उसके होठों पर अपनी उंगली रखकर ऊसे चुप करते हुए रघु बोला,,)
कुछ मत कहो कोमल,,, तुम्हारी खूबसूरती देखकर मुझसे रहा नहीं गया बेवकूफ है तुम्हारा पति जो इतनी खूबसूरत अप्सरा जैसी पत्नी को छोड़कर दर-दर भटक रहा है अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मे तो रात दिन तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तुम्हें प्यार करता,,,,(ऐसा कहते हो मेरे को अपनी प्यासे होठों को कोमल के खूबसूरत गुलाबी तपते हुए होठों के करीब ले जाने लगा,,, कोमल को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था वह अपने होठों को अपने चेहरे को दूसरी तरफ फेर लेना चाहती थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई,,, ना जाने कैसी कशिश थी कि वह अपने काबू में नहीं थी,,,और देखते ही देखते रघु अपने होठों को उसके गुलाबी होठों पर रखकर उसे मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,,,, पल भर में ही कोमल प्यासी जवानी की आग में पिघलने लगी,, वह रघु को रोकने की भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, चुंबन होठों पर हो रहा था लेकिन सुरसुराहट टांगों के बीच की पत्नी दरार में हो रहा था,,, कोमल कुछ समझ नही पा रही थी,,। शायद उसके होठों से पहली बार कोई इस तरह की हरकत कर रहा था कोमल की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर रघु की हिम्मत बढने लगी और उसके होठों को चूसते हुए अपना एक हाथ उसकी मखमली रसभरी नारंगी पर रख दिया,, और उसे जोर से दबा दिया,,,,।
आहहहहहहह,,,,
(सिर्फ इतना ही कोमल के मुख से निकल पाया और रघु दूसरा हाथ दूसरी चूची पर रखकर दबाना शुरू कर दिया,,, कोमल के कोमल तन तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरू हो गई रघु शराबी की तरह कोमल के होठों से शराब के बुंदो का रसपान कर रहा था,,, कोमल को समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसका साथ दे या हट जाए,,,यह जानते हुए भी कि जो कुछ भी कहो रहा है वह गलत हो रहा है फिर भी वह अपने जिस्म के प्यास के अधीन होकर पर रखो को इनकार नहीं कर पा रही थी वह पूरी तरह से असमर्थ हो चुकी थी,,रघु पागलों की तरह उसके रसीले होंठों का रसपान करना है और दोनों हाथों से चूची को दबाते हुए अपने खड़े लंड की ठोकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई मखमली बुर के ऊपर मार रहा था,,, रघु के लंड की ठोकर अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कोमल पूरी मदहोश हो चुकी है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसके घुटने थरथर कांप रहे थे,,,,,,कोमल प्यासी थी शादीशुदा जिंदगी में की कुंवारी लड़की की तरह जी रही थी पति का सुख कभी प्राप्त नहीं हुआ था शारीरिक सुख क्या है इसकी परिभाषा उसे नहीं मालूम थी इसलिए रघु के प्रयास से वह पूरी तरह से काम विह्वल हो गई,,, और कुछ ही देर बाद चुंबन में वह रघु का साथ देने लगी,,, उसके होंठ अपने आप खुल चुके थे और उसके खुले हुए होठों को महसूस करके रघु फूले नहीं समा रहा था फोटो के खुलने का मतलब था कि उसकी सहमति प्राप्त हो चुकी थी और होठ खुलने के बाद टांग खुलने में ज्यादा देर नहीं लगता,,, रघु तो मदहोश होकर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया ऊपर झरने का पानी और नीचे बुर से मदन रस बराबर बह रहा था,,,,,रघु को इस बात का डर था कि मदहोश होकर कहीं पांव फिसल गया तो सीधा दोनों नीचे तालाब में जाकर गिरेंगे,,, इसलिए रघुएक झटके में ही उसे अपनी गोद में उठा लिया और झरने से बाहर निकलने लगा कोमल के लिए बोलने लायक कुछ भी नहीं था ,,, रघु अच्छे से मजा लेना चाहता था इसलिए बड़े पत्थर के करीब रखे हुए कपड़ों पर उसे धीरे से बिठा दिया,,, और कोमल भीबड़े आराम से कपड़ों पर बैठ गई को पूरी तरह से नंगी थी पानी में भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,, रघु भी पूरा नंगा था उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,,तिरछी नजरों से शरमाते हुए कोमल उसकी दोनों टांगों के बीच निगाह डाली तो उसके खड़े लंड की मोटाई और लंबाई देखकर उसके होश उड़ गए,,, शर्मा कर घबराकर तुरंत उसकी निगाहें नीचे हो गई,,, रघु की हालत खराब हो रही थी कोमल का भीगा बदन उसकी उत्तेजना को ज्यादा बढ़ा रहा था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा था वह जानता था कि वह कोमल के साथ जो कुछ भी करेगा कोमल पूरी तरह से मस्त हो जाएगी वरना अगर उसे अच्छा नहीं लगता तो वह उसे कब से धक्का देकर हटा दी होती,,, इसी आत्मविश्वास से वह कोमल के करीब बैठ गया उसकी दोनों टांगों को फैलाने लगा,,,।
यह क्या कर रहे हो रघु,,,,(रघु की तरफ शर्माते हुए देखकर वह बोली,,,)
तुम्हें स्त्री होने का गौरव प्राप्त कराने जा रहा हूं,,,(ऐसा कहते हुए और कोमल की दोनों टांगों को खोल दिया,,, कोमल की दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर को देखकर रघु की आंखें चौंधिया गई,,,, वह कोमल की गुलाबी बुर को देखता ही रह गया कोमल की रसीली बुर को देखकर
उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि वाकई में कोमल पूरी तरह से अनचुदी बुर की मालकिन थी,,, एक शादीशुदा औरत की कुंवारी बुर पाकर रघु खुशी से झूम उठा,,,,, उसकी गुलाबी बुर के इर्द-गिर्द रसीली बालों का झुरमुट नजर आ रहा था,,, रघु कोमल के झांट के बाल देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया,,।
वाह,,,, कोमल जितनी चेहरा खूबसूरत तुम हो उतनी ही ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी दोनों टांगों के बीच यह गुलाबी बुर है,,,,(रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,, और कोमल रघु के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,,, वह शर्म के मारे गड़ी जा रही थी,,, वह बुत बनकर उसी तरह से बैठी रह गई,,, रघु पागलों की तरह उसकी दोनों टांगों के बीच में नजर गड़ाए हुए उसकी गुलाबी बुर को देखे जा रहा था,,,। बेहद उत्तेजनात्मक मादकता से भरा हुआ नजारा था चारों तरफ हरियाली और पहाड़ी छाई हुई थी झरना बह रहा था,,, मौसम बहुत ही सुहावना हो चुका था और छोटी सी टेकन के पास में कपड़ों के ढेर पर खूबसूरती से भरी हुई कोमल अपनी दोनों टांगें फैलाए बैठी हुई थी,,, जो कि उसकी टांगों को रघु ने ही अपने हाथों से फैलाया था,,, रघु की हरकत की वजह से और पहली बार इस तरह के वाक्ये के बदौलतकोमल के बदन में भी सुरूर चढ़ना शुरु हो गया था जिसका असर उसे दोनों टांगों के बीच अपनी रसीली गुलाबी बुर के अंदर महसूस हो रही थी,,, उसमें से उसे अपना मदन रस बहता हुआ साथ महसूस हो रहा था,,,।
अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाना चाहता था,,,वह कोमल की मदमस्त जवानी का रस पूरी तरह से निचोड़ लेना चाहता था,,, इसलिए मैं अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सीधे उसे कोमल की मदमस्त चिकनी मोटी जांग पर रख दिया,,,कोमल पहली बार अपनी चिकनी जांघों पर मर्दाना हाथों का स्पर्श पाकर पूरी तरह से सिहर उठी और उसके मुंह से अनायास ही सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।
ससससहहहह,,,,,,,,,,
क्या हुआ कोमल,,,?(रघु जानबूझकर उसकी जान को अपनी हथेली से दबाते हुए बोला)
कककक,, कुछ नहीं,,,(कोमल घबराते हुए और शरमाते हुए हकला कर बोली)
तुम बहुत खूबसूरत हो कोमल,,, मुझे यकीन नहीं होता तो इतनी खूबसूरत औरत को छोड़कर एक आदमी भला यहां वहां क्यों भटक रहा होगा,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी जांघ पर रखकर उसे सहलाते हुए बोला,,,अपने हथेलियों की हरकत का असर वाह कोमल की खूबसूरत चेहरे पर अच्छी तरह से देख रहा था,,, वह जानबूझकर कोमल को बातों में उलझा ना चाहता था,,,,) कोमल क्या तुम्हारे पति ने इस तरह से तुम्हारी खूबसूरत जांघों को अपनी हथेली से सह लाया है,,,।
(रघु को इस तरह के सवाल का जवाब अपने मुंह से देने में असमर्थ हूं इसलिए ना में सिर हिला कर जवाब दी,,)
तब तो बेवकूफ है तुम्हारा पति,,,, अगर मेरे पास ऐसी बीवी होती तो पता है मैं क्या करता,,,?(कोमल की तरफ देखकर रघु बोला)
क्या करते,,,?(कोमल शरमाते हुए बोली,,,,भाभी देखना चाहती थी कि एक आदमी अगर औरत को प्यार करता है उसे मानता है तो वह उसके साथ कैसा व्यवहार करता है,,, क्योंकि अपनी पत्नी की तरफ से उसे किसी भी तरह के व्यवहार का ना तो अंदाजा था ना तो कभी महसूस ही कर पाई थी पति की तरफ से उसे हमेशा दुख ही प्राप्त हुआ था,,)
बताऊं मैं क्या करता,,,,,( इतना कहते हुए रघु उसकी जांघों को अपनी हथेली से चलाते हुए धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों के बीच जाने लगा और अपने होठों को उसकी मखमली चिकनी जांघ पर रखकर उसे चूमने लगा,,, कोमल की हालत खराब हो रही थी वहरघु की बातों से और उसकी हरकत से पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,, वह उसकी जांघों को बेतहाशा चूम रहा था यह तो रास्ता था मंजिल तक पहुंचने के लिए और मंजिल थी उसकी गुलाबी बुर,,,, लेकिन पहले वह रास्ते का मजा ले रहा था,,, क्योंकि मंजिल से ज्यादा सफर में मजा आता है,,,, रघु दोनों हाथों की हथेलियों को उत्तेजना बस उसकी चिकनी मोटी जांघों जोर-जोर से दबाते हुए उस पर अपने होंठों से लगातार चुंबन किया जा रहा था,,, उत्तेजना के मारे कोमल की सांसे गहरी चलने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बदन में क्या हो रहा है,,,, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस समय झरने के करीब नंगी होकर बैठी है,,,शायद बदन की प्यास ही कुछ ऐसी होती है कि सब कुछ भुला देती है,,,। देखते ही देखते रघु का हाथ कोमल की चिकनी बुर पर चला गयाअपनी कोमल के नाजुक अंग को सहलाने लगा क्योंकि उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, अपनी बुर के ऊपर मर्दाना हाथ पडते ही वह पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में डूबने लगी उसकी सांसों की गति तेज हो गई,,। कोमल मदहोश हुए जा रही थी उसका मन अपने काबू में नहीं था शायद पहली बार उसके बदन से कोई मर्द इस तरह से प्यार कर रहा था और प्यार करने पर औरतों को कैसा एहसास होता है यह भी उसे पहली बार ही हो रहा था,,, रघु कोमल की रेशमी झांटों की झुरमुटो मे धीरे-धीरे उंगली घुमाते हुए ,, ऊसकी गुलाबी बुर से खेलने लगा,,, जब जब उसकी गुलाबी छीन पर रखो की उंगली रगड़ खा जाती तब तब कोमल की सांस अटक जा रही थी,,,, रघु की उंगलियां कोमल के मदन रस में भीग चुकी थी,,, रघु अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कोमल की कोमल बदन से खेलते हुए वह मदहोश होने लगा था,,,
सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,(रघु जब जब उसकी चिकनी मांसल जांघों को अपनी हथेली में लेकर दबाते हुए अपनी उंगली का स्पर्श उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों पर करता तब तक उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी,, और उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु और ज्यादा बेचैन हो जाता,,, रघुउसके गुलाबी छेद से निकल रहे मदन रस का स्वाद लेना चाहता था इसलिए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,, रघु अपने लिए जगह बना रहा था,, वह देखते ही देखते कोमल की दोनों टांगों के बीच में आ चुका था,,, पंछियों के चहकने की आवाज झरने के पानी की मधुर आवाज के साथ साथ कोमल के मुख से रह-रहकर निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज पूरे वातावरण में नशा घोल रहा था,,। कोमल शर्मा रही थी उसका पूरा वजूद अद्भुत एहसास की आगोश में घिर चुका था,,, देखते ही देखते रघुअपने दोनों हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़कर थोड़ा सा और फैला दिया,,,, कोमल की गुलाबी बुर देखकर रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,, इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा उसने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा हालांकि उसने अपनी जिंदगी में कई औरतों की बुर को नजर भर कर देख चुका था लेकिन जो मजा और जो नशा ऊसको कोमल की बुर में आ रहा था वह किसी की बुर नहीं आया था,,,।
कोमल अपनी नजरों को नीचे करके रघु की तरफ चोरी-छिपे देख रही थी,,, रघु की जीभ लजीज अंग देखकर लपलपा रही थी,, कोमल रघु को अपनी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के करीब बढ़ता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,।
जैसे-जैसे उसका मुंह गुलाबी बुर की तरफ़ बढ़ रहा था वैसे वैसे कोमल के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,। और कोमल कुछ समझ पाती इससे पहले ही रघु अपनी प्यासी होठों को जाटों के झुरमुटो के बीच घिरी हुई उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख दिया,,,,।
सहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,(रघु की हरकत की वजह से कोमल के मुख से बस इतना ही निकला और उसका बदन ऐंठने लगा,,,, कोमल रघु को रोक नहीं पाई क्योंकि रघु की यह हरकत कोमल के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना के साथ-साथ उसे एकदम से चुदवासी बना दिया था,,,,और जैसे ही उसने अपनी बुर के गुलाबी छेद के अंदर हल्की सी जीभ घुसती हुई महसूस की वैसे ही उत्तेजना का दबाव ना सहन कर पाने के कारण उसकी बुर से भलभला कर मदन रस बहने लगा,,,, यह कोमल के लिए अद्भुत था अतुल्य था उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि,,, उसे इस तरह के अद्भुत सुख का अहसास होगा,,, रघु का घोड़ा दौड़ चुका था,,, अब रुकने वाला नहीं था कोमल की जवानी का दीवाना का पहले ही हो चुका था बस उसके खूबसूरत बदन को भोगने का सपना देखता रहता था और आज यह सपना पूरा हो रहा था रखो पागलों की तरह उसकी गुलाबी बुर को चाट रहा था,,, मानो की बुर ना होकर मीठी खीर से भरी कटोरी हो,,,उसकी बुर से निकला मदन रस का एक एक बूंद रघु अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,।कोमल को अजीब लग रहा था गंदा लग रहा था क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि औरत की पेशाब वाली जगह को कोई मुंह लगाकर कैसे चाट सकता है,,,, लेकिन फिर भी ना जाने कैसी कशिश थी कि वह रघु की हरकत में पूरी तरह से खो चुकी थी उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था,,,,वह आसमान की तरफ नजर करके अपनी बुर चटाई का मजा ले रही थी,,, आसमान में उसे पंछी उड़ते हुए नजर आ रहे थे बड़ा ही मोहक दृश्य था इस तरह से खुले में संभोग से पहले संभोग रस में डूबने का अलग ही मजा था,,, रघु की सांसे भी तेजी से चल रही थी,,,वह जानता था कि उसके मोटे तगड़े लंड के लिए कोमल की गुलाबी बुर का गुलाबी छोटा सा छेद पर्याप्त नहीं है,,, इसलिए वह अपने लंड के लिए रास्ता बनाने की खातिर उसकी बुर को चाटते हुए ऊसमें अपनी एक उंगली डालना शुरू किया,,, गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में उंगली का प्रवेश,,, कोमल को अद्भुत लग रहा था और देखते ही देखते रघु अपनी एक उंगली को पूरी तरह से, कोमल की बुर में प्रवेश करा दिया,,,,एक उंगली के जाते ही उसे दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को सहन कर गई,,
लेकिन जैसे ही रघु अपनी दूसरी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू किया उसे दर्द ज्यादा होने लगा और अपना एक हाथ बढ़ा कर रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकने लगी,,,।
नहीं नहीं रघु हमें दर्द हो रहा है,,,
दर्द के बाद ही मजा आएगा कोमल,,,,
नहीं रहने दो हमें नहीं लगता कि हम यह दर्द सहन कर पाएंगे,,,
क्यों नहीं सहन कर पाओगी हर औरत यह दर्द सहन करती है तभी तो चुदाई का मजा लेती है,,,,
लेकिन हमसे यह नहीं हो पाएगा,,,,
(रघु समझ गया कि अगर यह दूसरी उंगली नहीं डालने दे रही है तो उसका मोटा लंड कैसे डालने देगी इसलिए उसे रास्ते पर लाना बेहद जरूरी था,,, इसलिए बिना कुछ बोले अपनी एक उंगली को ही अंदर बाहर करते हुए वह फिर से अपने होठों को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख कर चाटने लगा,,,। एक बार फिर से कोमल मदहोश होने लगी उस पर खुमारी जाने लगी उसकी आंखों में नशा छाने लगा और ना चाहते हुए इस बार ना जाने कैसे उसका एक हाथ रघु के सिर पर आ गया और वह उसे उत्तेजना बस दबाने लगी,,,यह कैसे हो गया यह कोमल को भी नहीं पता चला बस वह उस पल के आनंद में खो जाना चाहती थी,,,, रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी दूसरी उंगली उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया दर्द हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,, इसलिए हल्की-हल्की दर्द से कराहते हुए,,वह मस्त होने लगी,,,। रघु देखते ही देखते उसे आनंद देते हुए अपनी दोनों ऊंगली एक साथ अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, कोमल को मजा आने लगा वह मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी ठीक तरह से कभी लंड का साथ अपनी बुर में ना चखने के कारण रघु की दोनों उंगली से उसे दर्द हो रहा था और उसे लंड का मजा भी मिल रहा था,,,,
अब कैसा लग रहा है कोमल,,,,,
बहुत मजा आ रहा है रघु,,,,आहहहहहहह,,,, हमसे रहा नहीं जा रहा है,,,, ना जाने हमें क्या हो रहा है,,,,
क्या इस तरह से तुम्हारे पति ने तुमसे कभी प्यार नहीं किया,,,
नहीं कभी भी नहीं,,,, हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि कोई इस तरह से प्यार करता होगा,,, इससे तो पेशाब किया जाता है तुम उस पर मुंह लगाकर कैसे चाट रहे हो तुम्हें गंदा नहीं लगता,,,,(आंखों में खुमारी भरते हुए कोमल बोली ,,,)
हम हम मर्दों को यही पसंद है और सब औरतों को भी यही अच्छा लगता है,,,,
क्या सबको,,,,?(कोमल आश्चर्य से दूरी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके साथ ही यह पहली बार ऐसा हो रहा है वह यह नहीं जानती थी कि सभी औरतों को अपनी बुर चटवाना और मर्दों को चाटना कितना पसंद है,,,)
हां सबको सभी औरतों को यह पसंद है,,,(रखो अपनी दोनों उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला और उसे इशारे से अपनी दोनों टांगों के बीच देखने के लिए इशारा करके बोला) देख रही हो और कितनी आराम से दोनों उंगली अंदर बाहर जा रही है और तुम्हें दर्द नहीं बल्कि मजा आ रहा है,,, मैं कहता था ना कि दर्द के बाद ही मजा आता है,,(कोमल भी हैरान थी वाकई में उसे पता भी नहीं चला कब और दर्द से गुजर गई और आनंद के सागर में डूबने लगी उसे मज़ा आ रहा था रघु की हरकत ऊसे और आनंद दे रही थी कोमल की शर्म धीरे-धीरे खत्म हो रही थी,,, रघु अब कोमल को चोदना चाहता था,,,। इसलिए वह अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी खड़े मोटे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए बोला,,,,
देखना कोमल मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे मोटे लंड को बड़े आराम से अपनी बुर के अंदर ले लोगी फिर देखना तुम्हें कितना मजा आता है,,,, तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि तुम सच में शादी शुदा जिंदगी का असली मजा कभी नहीं ले पाई हो जो अब मैं तुम्हें दूंगा,,,,।
नहीं नहीं हमे तो डर लग रहा है तुम्हारा कितना बड़ा और मोटा है,,,(कोमल आश्चर्य से रघु के मोटे तगड़े लंड को देखते हुए बोली)
कुछ नहीं होगा कोमल मुझ पर विश्वास रखो,,, मुझ पर यकीन करो,,,तुम्हें इतना मजा दूंगा कि तुम्हें लगेगा कि तुम आसमान में उड़ रही हो,,,,
(रघु की बातों से उसे भरोसा तो हो रहा था और वह उत्सुक और उतावली भी थी संभोग सुख से वाकिफ होने के लिए लेकिन उसे रघु के लंड को देखकर डर भी लग रहा था लेकिन फिर भी प्रभु जिस तरह से कह रहा था कि दर्द के बाद ही असली मजा आता है अपने मन में उस दर्द को सहने की क्षमता बढ़ा रही थी वह बोली कुछ नहीं बस रघु को देखती रह गई रघु उसकी ख़ामोशी को उसकी हामी समझकर उसके करीब बड़ा और उसे अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर से उसके गुलाबी होठों को चूसते हुए उसकी नारंगी ओ को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया एक बार फिर से कमल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, जोर-जोर से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था और देखते ही देखते वह उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दियाकोमल पूरी तरह से गर्म हो गई उसके मुंह से गर्म सिसकारी निकलने लगी और उस सिसकारी को सुनकर रघु और ज्यादा चुदवासा हुआ जा रहा था,,, वह बारी-बारी से कोमल की दोनों चूचियों को पीकर उसका मजा लेने लगा,,, कोमल को मजा आ रहा था वह आनंदित हो रही थी यही मौका उसे ठीक है ना वो धीरे धीरे उसके होठों को चूसता हुआ उसे कपड़ों पर लिटा दिया और धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों को फैलाना शुरू कर दिया रघु उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया और अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों के नीचे रखकर उसे थाम कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, दोनों की धड़कन में तेज चल रही थी सबसे ज्यादा उत्सुकता कोमल को थी क्योंकि रघु इस काम में पहले से ही माहीर था,,,,रघु का लंड लपक रहा था कोमल की बुर के अंदर जाने के लिए कोमल उत्सुकता से शर्मसार होते हुए भी अपनी दोनों टांगों के बीच नजरे गड़ाए हुए थी,,,वह देखना चाहती थी कि एक लंड बुर के अंदर किस तरह से प्रवेश करता है,,,,रघु जानता था कि शुरुआत में थोड़ी तकलीफ होगी इसलिए पहले से ही ढेर सारा थूक अपने लंड के सुपाडे पर लगाकर और उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया,,, जैसे ही रघु अपने लंड के सुपाड़े को कोमल की बुर के मुहाने पर रखा,,, कोमल को ऐसा लगा मानो जैसे उसकी सांसें थम गई हो,,,, उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा और धीरे धीरे रखो अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,,थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन धीरे-धीरे चिकनाहट की वजह से और अपनी दो उंगली के करामत की वजह से रघु का लंड कोमल की बुर के अंदर घुस रहा था,,, रघुअपने हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे दिशा दिखाते हुए कोमल की बुर में डाल रहा था,,, कोमल को दर्द का एहसास हो रहा था लेकिन वह इस दर्द को भी जाना चाहती थी उसे असली सुख को महसूस करने की उत्सुकता थी और चाहती थी इसलिए वह इस दर्द की परवाह नहीं कर रही थी लेकिन फिर भी दर्द की वजह से उसके चेहरे पर के भाव पल पल पल रहे थे देखते देखते रघु का लंड का आगे वाला भाग कोमल की बुर के अंदर प्रवेश कर गया यह प्रभा के लिए बेहद प्रसन्नता की बात थी और कोमल के लिए तो यह अतुल्य सुख था,,। सुपाड़े के प्रवेश करते ही रघु रुक गया था,,,वह कोमल के चेहरे को देख रहा था और इस तरह से रघु को अपने आपको देखता हुआ पाकर कोमल एकदम से शर्मिंदा हो गई और दूसरी तरफ नजर घुमा ली,,, उसकी यह सादगी रघु को अच्छी लगी रघु अब आगे का कार्यक्रम निपटाने में लग गया धीरे-धीरे उसका लंड बुर के अंदर सरक रहा था और कोमल का दर्द बढ़ता जा रहा था,,,।
आहहहहह,,, रघु दर्द कर रहा है,,,
बस बस थोड़ा सा और,,,,
नहीं तुम्हारा बहुत मोटा है मुझे नहीं लगता घुस पाएगा,,,
मुझ पर विश्वास है कि नहीं,,,
तुम पर मुझे पूरा विश्वास है लेकिन डर लग रहा है,,,,
डर और दर्द में ज्यादा फर्क नहीं होता लेकिन दर्द के आगे ही मजा आता है यह बात मैं तुमसे पहले भी बता चुका हूं,,,,
धीरे धीरे,,,,
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल,,,,
(और इतना कहते हुए रघु आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ने लगा,,, धैर्य और हिम्मत रंग ला रही थी रघु का आनंद धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था और देखते ही देखते पूरा का पूरा कोमल की गुलाबी बुर के अंदर समा गया,,,।)
अब देखो कोमल,, तुम्हें मेरा लंड नजर आ रहा है,,,
(कोमल हैरान थी,, उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था वास्तव में इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी गुलाबी बुर के छेद में मानो खो गया था,,, अद्भुत नजारा था अविश्वसनीय लेकिन कोमल के लिए रघु का तो यह रोज का था,,,।
कोमल के चेहरे पर हेरानी और आश्चर्य के भाव को रघु पढ़ चुका था,, इसलिए वहां दोनों हाथों से कमर की कमर को थाम कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,कोमल की खुशी और उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था आज बहुत खुश थी शादीशुदा जिंदगी में पहली बार उसकी चुदाई हो रही थी चुदाई का सुख औरत को कैसा महसूस होता है यह उसे पहली बार ज्ञात हो रहा था,,, उस पहाड़ियों से घिरी हुई जगह मैं कोमल की गरम सिसकारियां गुजने लगी,,। रघु की कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी और कोमल अपनी दोनों टांगों के बीच नजर गड़ाए हुए ऊस नजारे का मजा ले रही थी,, पहली बार वह अपनी आंखों से मोटे तगड़े लंड को बुर में घुसते हुए अंदर बाहर होते हुए देख रही थी,,,,,, उसे आश्चर्य के साथ साथ मजा भी आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी छोटी सी बुर के छोटे से छेद में घुसकर पूरी तरह से गायब हो गई,,,,,,, कोमल के लिए यह आश्चर्य से बिल्कुल कम नहीं था,,,।
ओहहहह कोमल मेरी रानी ,,,आहहहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है कोमल रानी,,,,ऊहहहहहहह,,,, गजब की बुर है तुम्हारी एकदम कशी हुई,,,,आहहहहहहहह,,, कोमल रानी,,,,
हमें भी बहुत मजा आ रहा है,,सहहहहहह,,,आहहहहह,,, सच में रघु हमें पता नहीं था कि इस खेल में इतना मजा आता है,,,,,आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,,आहहहहहह,,(कोमल के कहते हुए जोश में आकर रघु जोर-जोर से दो चार धक्के लगा दिया,,, और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर कोमल के दोनों संतरो को अपने हाथों में थाम लिया,,,,, और उसे जोर-जोर से दबाते हुए अपनी कमर हिलाने लगा इस तरह से स्तन मर्दन के साथ चुदवाने मे कोमल को बहुत मजा आ रहा था वह एक बार झड़ चुकी थी,,, थोड़ी ही देर में दोनों अपने चरम सुख के करीब पहुंचने लगे,,, कमर की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,रघु को एहसास हो गया कि कोमल का पानी निकलने वाला है इसलिए वह दोनों हाथ उसके नीचे पीठ की तरफ डालकर उसे कसकर अपनी बाहों में भर लिया,,, कोमल की गोल-गोल चुचियां रघु की चौड़ी छाती से दब रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी तनी हुई निप्पल भाले की नोक की तरह रघु के सीने में चुभ रही थी,, लेकिन दोनों का मजा आ रहा था मस्ती के सागर में कोमल पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह अपने दोनों हाथ को वर्गों की पीठ पर रखकर उसकी पीठ को सहलाने लगी ,,,
सससहहहहह आहहहहह,,, रघु हमें कुछ और है ,,,,हमें कुछ हो रहा है रघु,,,,,आहहहहहह,,,,
तुम्हारा पानी निकलने वाला है मेरी जान,,,, बस देखती जाओ,,,
इतना कहने के साथ ही रघु जोर जोर से धक्के लगाने लगा बिना रुके बिना थके वह लगातार अपनी कमर हीला रहा था,,, थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ झड़ गए रघु उसकी बाहों में हांफने लगा,,,, कोमल की अनुचुदी बुर रघु के मोटे तगड़े लंड से चूद चुकी थी,,,, गजब के एहसास से कोमल पूरी तरह से भर चुकी थी रघु उसे अपनी बाहों में लिए उसके ऊपर लेटा रहा,,,
थोड़ी देर बाद जब वासना का तूफान शांत हुआ तब,,,, कोमल शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, रघु से आंख तक मिलाने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, जैसे तैसे करके वह रघु को अपने ऊपर से हटाई,,, और अपने नंगे पन के एहसास से वह शर्म से गडी जा रही थी,,, वह जल्दी से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहनने लगी,,, रघु भी अच्छी तरह से समझता था,,, इसलिए वह भी अपने कपड़े पहन लिया,,,वहां पर रुकना आप कोमल के लिए मुनासिब नहीं था इसलिए वह बिना कुछ बोले वहां से चलती बनी रास्ते भर वह रघु से एक शब्द तक नहीं बोल पाई,,,, घर पर वह समय से पहुंच गई थी उसके ससुर अभी घर नहीं लौटे थे,।
रघु वहां से अपने घर चला गया,,।
Behtareen updateरघु बहुत खुश था,,, एक और बड़े घर की बहू जो उसके नीचे आ चुकी थी,,,, कसी हुई जवान बुर चोदने में उसे अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई थी,,, यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी खूबसूरत और जवान औरत को छोड़कर उसका पति न जाने कहां भटक रहा था और एक तरह से अच्छा ही था कि वह घर छोड़कर भटक रहा था वरना इतनी खूबसूरत जवान औरत को चोदने का सुख उसे प्राप्त नहीं हो पाता,,,।
दूसरी तरफ आज कोमल का अंग अंग महक रहा था पहली बार उसकी जवानी किसी मर्दाना हाथों से महकी थी,,। पहली बार वह जानी थी कि संभोग सुख कैसा होता है,,, मर्द औरत के साथ किस तरह से चुदाई करता है,,, वह मन ही मन रघु को धन्यवाद दे रही थी जो उसने उसे स्त्री सुख से वाकिफ कराया था,,, अभी भी उसकी आंखों के सामने रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड नाच उठता था,,, रघु से चुदाई का भरपूर आनंद प्राप्त करने के बाद भी उसे यकीन नहीं हो,, था कि रघु का मोटा तगड़ा लंड और उसका बैगन की तरह मोटा सुपाड़ा उसकी छोटी सी बुर के छोटे से छेद में कैसे घुसा होगा,,, लेकिन कोमल के लिए नामुमकिन लगने वाला कार्य मुमकिन कर दिखाया था रघु ने,,, अभी भी उसे अपनी बुर के अंदर रघु के लंड की रगड़ महसूस हो रही थी,,, वह रघु के साथ गरमा गरम चुदाई को याद करके गुशल खाने में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, और नहाने लगी,,,,,
कोमल खाना बना चुकी थी,, लेकिन अभी तक उसके ससुर घर पर नहीं आए थे,,, वैसे भी उसे अब घर पर अपने ससुर की मौजूदगी अच्छी नहीं लगती थी क्योंकि अब वह अपने ससुर के गंदी नजरों को पहचानने लगी थी,,, ससुर की प्यासी नजरें उसे अपने बदन पर हमेशा चुभती हुई महसूस होती थी,,। काफी देर हो गई थी और अभी तक कमल के ससुर घर नहीं आए थे इसलिए वह खाना खाकर अपने कमरे में चली गई लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि अपनी जवानी में पहली बार वह मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड का स्वाद चख चुकी थी,,, जिसकी वजह से उसे अपनी दोनों टांगों के बीच मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था रघु की याद उसे बहुत आ रही थी और वह बिस्तर पर करवटें बदल रही थी,,,, वह रघु के साथ दोबारा चुदवाना चाहती थी,, संभोग का आनंद लेना चाहती थी,,, लेकिन रघु तो अपने घर पर खाना खाकर सोने की तैयारी में था कि तभी छत पर चटाई बिछाकर लेटी हुई कजरी उसे आवाज देते हुए बोली,,,।
रघु,,,,,ओ,,,,, रघु,,,,,,
क्या हुआ मा",,,,,,,(रघु अपने लिए चटाई बिछा रहा था और उसे बिछाए बिना ही अपनी मां की आवाज सुनकर अपनी मां के पास पहुंच गया,,,)
बेटा मेरे पैर तो दबा दें बहुत दर्द कर रहा है,,,,(चेहरे पर दर्द की पीड़ा लाते हुए कजरी वाली लेकिन उसे दर्द बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन आज उसके मन में पता नहीं क्या चल रहा था,,, जिस दिन से कजरी पानी की टंकी में अपने बेटे के साथ नहाई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की दीवारों पर महसूस की थी तब से वह रघु के साथ के लिए तड़प रही थी और आज अपने पैर दबवाने के बहाने वह अपने बेटे को कुछ दिखाना चाहती थी,,, वह अपने मन में यह सोच कर रखी थी कि क्या होगा यह नहीं जानती लेकिन अगर कुछ हुआ तो वह जरूर अपने बेटे का पूरा साथ देगी,,,एक तरह से वह अपने मन को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी अपने बेटे के साथ संभोग करने के लिए,,, रघु भी अपनी मां की बात मानते हुए वहीं बैठ गया और पैर दबाने लगा,,,, वह दूसरी तरफ मुंह करके एक करवट पर लेटी हुई थी जिससे रघु कि नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर बराबर जा रही थी जो कि इस समय साड़ी में होने के बावजूद भी अपना पूरा जलवा दिखा रही थी,,,, रघु,,, साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां के पैर दबाने लगा,,, अपने बेटे की मर्दाना हथेलियों का स्पर्श और उसकी पकड़ अपने पैरों पर उसे बहुत ही अच्छी लग रही थी,,,, उसका रोम-रोम पुलकित हुआ जा रहा था,,, कुछ देर तक रघु अपनी मां के कलाकार नितंबों को देखकर मस्त होता हुआ साड़ी के ऊपर से ही घुटनों तक पैर दबाता,,रहा,,,, कजरी को भी मजा आ रहा था उसके मन में अपने बेटे को लेकर कामुक भावनाएं जागरूक हो रही थी जिसके चलते उसकी दोनों टांगों के बीच पतली दरार में पानी का सैलाब उठ रहा था,,, कजरी जानबूझकर अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी ताकि रघु की नजर उसके नितंबों पर आराम से पड़े और ऐसा हो भी रहा था,,,, थोड़ी देर बाद अपनी मां के पैर दबाते हुए रघु बोला,,,।)
अब कैसा लग रहा है मां,,,?
बहुत अच्छा लग रहा है बेटा लेकिन सुकून नहीं मिल रहा है,, दर्द अभी भी बराबर बना हुआ है,,,
अभी ठीक हो जाएगा,,,( और इतना कहकर वो फिर से पैर दबाने लगा,,,रघु की इच्छा हो रही थी कि वह अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर उसके नंगे पैरों को दबाएं,,, उसके गोरेपन को अपनी आंखों से देखें लेकिन वह अपनी मर्जी से ऐसा कर सकने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था वैसे भी चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, कजरी भी यही चाहती थी,,, उसकी भी इच्छा यही हो रही थी किउसका बेटा उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसके नंगे जिसमें पर मालिश करें उसे दबाए ताकि उसे सुकून मिल सके उसकी जवानी की गर्मी शांत हो सके,,, इसलिए अपने बेटे की तरफ से किसी भी प्रकार की पहल ना होता देख कर वह बोली,,,)
रुक जा ऐसे आराम नहीं मिलेगा,,, ले तेल की कटोरी और से मेरे घुटनों पर लगाकर मालिश कर,,,(अपने पास में पड़ी हुई पेड़ की कटोरी को अपने हाथ से उठा कर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,,, और रघु भी उसे अपने हाथ में थाम लिया,,, कजरी खुद ही करवट बदलते हुए पीठ के बल लेट गई और अपनी साड़ी को अपने दोनों हाथों से घुटनों तक उठा दी,,,, हालांकि उसके पैर चटाई पर सटे हुए थे वह अपने पैरों को उठाई बिल्कुल भी नहीं थी,,, लेकिन साड़ी पटना तक आ चुकी थी यह देख कर रघु के तन बदन में हलचल होने लगी अपनी मां की गोरी गोरी पिंडलियों को देखकर उसका मन बहकने लगा,,, और वह जल्दी से कटोरी में से तेल को अपनी हथेली में गिरा कर अपनी मां की घुटनों से लेकर पैर तक लगाकर उसे दबाते हुए मालिश करने लगा,,, रघु को मजा आ रहा था उत्तेजना के मारे धीरे-धीरे उसका लंड खड़ा होने लगा था,,, कजरी भी आनंदित हुए जा रही थी अपनी उत्तेजना से गहरी होती सांसो को वह सामान्य करने की पूरी कोशिश कर रही थी,,, रघु,,,, रघु मौके का फायदा उठाना चाहता था अपनी मां के चेहरे पर बदलते भाव को अच्छी तरह से पहचान रहा था इसलिए जब जब वह घुटनों तक अपने हाथ को ले जाता तब तक अपनी उंगलियों को अपनी मां की साड़ी के अंदर तक सरका देता और उसकी नरम नरम मोटी जांघों को अपनी उंगलियों से दबाकर उस का आनंद ले रहा था,,,कजरी भी अपने बेटे की ऊंगलियों का दबाव अपनी जांघों पर महसूस करके मस्त हुए जा रही थी,, रघु की हरकत बढ़ती जा रही थी थोड़ी-थोड़ी मूली करके वह अपनी हथेली तक को अपनी मां की जांघों तक पहुंचा दे रहा था,,,, कजरी मस्त हुए जा रही थी रघु भी बेहाल हुआ जा रहा था,,,। बार-बार मालिश करने के बहाने वहां अपने हाथ को अपनी मां की साड़ी के अंदर डालकर उसकी चिकनी जांघों को छूने का दबाने का मजा ले रहा था,,,, उत्तेजना के मारे कजरी का गला सूख रहा था,,, वह अपने बेटे को किसी ने किसी बहाने से अपनी बुर दिखाना चाहती थी,,, क्योंकि वो जानती थी कि मर्द चाहे जितना भी अपने ऊपर काबू कर ले लेकिन एक बार औरत की बुर देख लेने के बाद अपने ऊपर वह काबू नहीं कर पाता,,,और यदि वह चाहती थी कि अगर एक बार उसका बेटा उसकी बुर के दर्शन कर लेगा तो जरूर उसके अंदर अपना लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,, इसलिए वह अपनी बुर अपने बेटे को दिखाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,,)
अब कैसा लग रहा है मां,,,,,(रघु कटोरी में से थोड़ा सा और तेल अपनी हथेली में गिराते हुए बोला,,,)
अब ऐसा लग रहा है थोड़ा थोड़ा आराम हो रहा है तेरे हाथों में तो जादू है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तुम इतनी अच्छी मालिश कर लेता है,,,(ऐसा कहते हुए कजरी एक बहाने से अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैलाकर चौड़ा कर ली,,,, रघु अभी अपने दोनों हथेलियों में सरसों के तेल को बराबर लगा रहा था,,, और कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) रुक थोड़ा पैरों को मोड़कर देखु दर्द होता है कि नहीं,,,,(और इतना कहने के साथ ही कजरी अपने आप को पूरी तरह से तैयार करके अपने पैरों को घुटने से मोड दी,,,अच्छी तरह से जानती थी कि पैरों को इस तरह से मोड़ने पर क्या होने वाला है और जैसा वह सोच रही थी वैसा ही हुआ,,, लेकिन रघु इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और इसलिए ही अपनी आंखों के सामने इस तरह का नजारा देखकर वह पूरी तरह से आश्चर्य से भर गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,कजरी ने जिस तरह से फुर्ती दिखाते अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ ली थी,, उसके साड़ी सीधे कमर तक जल्दी से सरक गई थी और जिसकी वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली धरा बेहद खूबसूरती लिए नजर आने लगी थी और उसके इर्द-गिर्द हल्के हल्के रेशमी मुलायम बालों का झुरमुट सा नजर आ रहा था चांदनी रात में रघु अपनी मां की बुर को बहुत ही अच्छी तरह से देख पा रहा था,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो या पल यही थम गया हो,,, क्योंकि रघु बिना पलक झपकाए अपनी मां की बुर को देखता ही जा रहा था उसके मन में, उसके तन में प्यास जगने लगी थी हलचल सी मच ने लगी थी,,, कचरी अपनी दोनों टांगों को फैलाए हुए थीअपनी गर्दन को उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देखकर रघु की तरफ देख ले रही थी बार-बार वह यही क्रिया को कर रही थी,,, मानो जैसे उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस तरह की शर्मनाक हरकत को अंजाम दे रहई है,,,इससे पहले कभी और सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से वह कभी अंग प्रदर्शन करेगी और वह भी अपने ही बेटे की आंखों के सामने क्योंकि कजरी कभी भी ऐसी नहीं थी और बेहद शर्म सील और संस्कारी थी,,, लेकिन अपने बेटे की नजरो ने उसे मजबूर कर दिया था और उसके बदन की चाहत भी यही थी जिसे वह बरसो से दबा कर रखी थी,,, तेरे दिल में चाहत उफान मारने लगी जिसका नतीजा यह हुआ कि आज वह अपने बेटे की आंखों के सामने दोनों टांगें फैलाकर उसे अपनी बुर दिखाकर उसे उकसा रही थी,,, रघु की आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें चांदनी रात में उसकी मां की बुर और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,।
उत्तेजना के मारे कजरी का भी गला सूख रहा थावह चाहती थी कि उसका बेटा कुछ हरकत करें उसकी बुर को अपने हाथों से छूए उसे दबाए उसे प्यार करें,,, और यही रघु भी चाहता था,,अपनी मां की पर को अपने हाथों से छूना चाहता था उसकी गर्माहट को अपनी हथेलियों पर महसुस करना चाहता था,,,लेकिन ऐसा कर पाने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था ना जाने क्यों वह अपनी मां के सामने मूर्ति बना हुआ था,,,वरना अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो अब तक वह उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसके ऊपर चढ़ गया होता,,, शायद यह दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता था जो दोनों को कुछ आता तक आगे बढ़ने से रोक रहा था लेकिन फिर भी दोनों को भरपूर आनंद प्राप्त हो रहा था और कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,
बेहद उत्तेजनात्मक और मादकता से भरा हुआ यह नजारा था,,,चांदनी रात में छत के ऊपर कजरी अपनी दोनों टांगे फैला है अपने बेटे को अपनी बुर दिखा रही थी और रघु प्यासी नजरों से अपनी मां की बुर को देख रहा था,,,, रघु से रहा नहीं जा रहा था वह अपनी मां की गुलाबी दूर को स्पर्श करने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया वैसे सीढ़ियों पर पायल के छनकने की आवाज आने लगी,,, रघु एकदम से सतर्क हो गया और कजरी तुरंत अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी साड़ी को एकदम नीचे पैरों की तरफ कर दी,,, शालू कुछ देख पाती इससे पहले ही कजरी अपने आप को दुरुस्त कर चुकी थी और रघु अपनी मां के पैर दबाने लगा था,,, शालू छत के ऊपर आ चुकी थी और रघु को इस तरह से पैर दबाते हुए देख कर बोली,,,।
क्या बात है आज सूरज पश्चिम से कैसे ऊग गया,,,
(रघु के जवाब देने से पहले ही कजरी बोली,,)
आज थकान महसूस हो रही थी इसलिए रघु पैर दबाने लगा,,,
चल तू हट जा मेरे पैर दबा देती हुं,,,
(और इतना कह कर सालु अपनी मां के पैर दबाने लगी और रघु वहीं पास में बैठ कर बातें करने लगा,,, दूसरी तरफ आज लाला घर पर नहीं आया था कोमल इंतजार करते करते सो गई,,, लाला घर पर नहीं लेकिन अपने आम के बगीचे में बने बस घर में था जहां पर वह गांव की औरतों के साथ रंगरलिया मनाया करता था,,,।)
लाला,,,, प्रताप सिंह अपनी बेटी की शादी हमारी लड़की से कर तो लेंगे ना,,,
हां हां मुझ पर विश्वास नहीं है क्या तुम्हें तभी तो आज प्रताप सिंह को तुम्हारी लड़की दिखाने के लिए लाया था और प्रताप सिंह बहुत खुश भी हैं,,,।(लाला एकदम नग्नावस्था में बिस्तर पर लेटी उस औरत की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपनी कमर हिला रहा था,,,।)
तो क्या,, मेरी बेटी की शादी जमीदार के घर में हो जाएगी,,,।
हो जाएगी अरे समझो हो गई,,,(लाला जोर-जोर से धक्का लगाते हुए बोला,,,)
धोखा तो नहीं होगा ना लाला,,,(वह औरत लाला की नंगी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे सहलाते हुए बोली,,)
तुम मेरी शरण में हो धोखा की तो कोई बात की गुंजाइश ही नहीं है तुम शायद नहीं जानती कि जमीदार मेरे रिश्तेदार हैं मेरे समधी हैं वह मेरी बात को कभी नहीं टाल सकते,,, बस तुम यूं ही मेरी रात रंगीन किया करो,,,
तभी तो मैं शाम ढलते ही यहां पहुंच गई हूं लाला,,,
हां ऐसे ही मुझे मजा लिया करो देखना बहुत ही जल्दी तुम्हारी लड़की जमीदार के घर की बहू बन जाएगी,,,
ओहहहह,,, लाला,,,(और इतना कहकर वो औरत लाला के गले में बाहें डालकर उसके होठों को चूमने लगी और लाला जोश में आकर जोर-जोर से अपना लंड उस औरत की बुर में पेलने लगा,,, यह कार्यक्रम सुबह तक चलता रहा और सुबह की पहली किरण के साथ ही औरत आम के बगीचे से निकल कर अपने घर की तरफ चली गई,,,)
Behtareen updateप्रताप सिंह सुबह खाना खाते समय बहुत खुश नजर आ रहे थे इसलिए उनकी बीवी बोली,,।
क्या बात है आज आप बहुत खुश नजर आ रहे हैं,,?(पंखी से हवा देते हुए वह बोली,,)
खुश होने वाली बात हीं है तुम सुनोगी तो तुम भी खुश हो जाओगी,,,
ऐसी कौन सी बात है,,,?
मैंने बिरजू के लिए लड़की पसंद कर ली है बहुत सुंदर है,,, अपने समधी ने ही यह रिश्ता करवाया है,,,
(इतना सुनते ही प्रताप सिंह की बीवी और पानी लेकर आ रही प्रताप सिंह की बहू दोनों एकदम से सकते में आ गए,, वह दोनों पहले एक दूसरे को और फिर प्रताप सिंह को आश्चर्य से देखने लगे,,, क्योंकि दोनों यही चाहते थे कि रघु की बहन शालू इस घर में बहू बनकर आए ताकि शालू के बहाने रखो का इस घर में आना-जाना हमेशा बना रहे और दोनों अपने बदन की प्यास रघु से बुझाती रहें,, लेकिन प्रताप सिंह के लिए फैसले से दोनों के अरमानों पर पानी फिरता हुआ दिखाई देने लगा,,, इसलिए प्रताप सिंह की बीवी बोली,,,।)
नहीं नहीं यह आप क्या कर रहे हैं मैं पहले भी आपसे कह चुकी हूं कि बिरजू किसी और से प्यार करता है और वह लड़की रघु की बहन है,,,
मैं कुछ नहीं जानता,,,, मेरा फैसला अटल है,,,
अपने बेटे की खुशी के बारे में तो सोचिए,,,
उसकी खुशी किस में है यह उसे क्या मालूम,,, वह तो अभी अच्छे बुरे की परख करना नहीं जानता,,,,
वह बच्चा नहीं है बड़ा हो चुका है उसे अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा हक है,,,।
यह हक मैंने अभी ऊसे नहीं दिया है,,,वो वही करेगा जो मैं कहूंगा,,,
बाबू जी ऐसा मत करिए,,, रघु की बहन शालू बहुत खूबसूरत है सुंदर है और संस्कारी है,, इस घर के लिए और बिरजू के लिए वह लड़की एकदम ठीक रहेगी,,,
बहु इस घर के लिए कौन ठीक रहेगा कौन नहीं इसका फैसला तुम नहीं करोगी,,,
लेकिन बाबू जी,,,
बस इससे ज्यादा मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहता,,, मैं फैसला कर लिया तो कर लिया मैं उस लड़की के बाप को जबान दे कर आया हूं,,,, 1 सप्ताह बाद बिरजू और उस लड़की की सगाई है,,,,(इतना कहकर प्रताप सिंह उठ कर चला गया,,,)
अब क्या होगा माजी अगर चालू कीजिएगा इस घर में कोई और लड़की आ गई तो हम दोनों का क्या होगा,,,
मैं भी यही सोच रही हूं राधा,,,, कुछ ना कुछ तो करना होगा,,,
लेकिन क्या करना होगा हम दोनों तो कुछ कर भी नहीं सकते,,,।
एक काम करो किसी को भेजकर रघु को दोपहर के समय घर के पीछे बुलाओ,,, उसे बताना जरूरी है,,, वरना वहां पर कभी विश्वास नहीं करेगा,,,।
ठीक है माजी,,,
शालू बिरजू के साथ जीवन बिताने का सपना समझो रही थी कचरी भी अपनी बेटी की शादी बड़े घर में होने की उम्मीद जगाए बैठी थी और रघु बड़ी मालकिन पर पूरा भरोसा करके निश्चिंत होकर खेतों में गाय चराते हुए ललिया की बेटी रानी से बातें कर रहा था,,।
तू बहुत झूठी है,,,
ऐसा क्यों बोल रहा है तू,,,
फिर क्या बोलूं पता है ना उस दिन तेरी गाय दूर तक चली गई थी और मैं ला कर दिया था,,, याद है कि नहीं,,,?
मुझे याद है,,,
फिर तो यह भी याद होगा कि क्या शर्त हुई थी,,,
मुझे नहीं मालूम,,,
नाटक करना शुरू कर दी,,,
इसमें कौन सी नाटक वाली बात है,,,
बात है ही ना तू वादा करके मुकर गई,,, पता है कि मुझे चुम्मा देने के लिए वादा करी थी,,,
छी,,,, कितनी गंदी बात बोलता है तु,,,
इसमें कौन सी गंदी बात है क्या करूं जिंदगी में किसी को चुम्मा देगी नहीं,,,
नहीं किसी को नहीं दूंगी,,,,
अपने पति को भी नहीं,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
चल रहने दे वो तो जबरदस्ती ले लेगा,,,, चुम्मा भी और तेरी वो भी,,,(इतना कहते हुए रघु वही घास के ढेर पर बैठ गया,,, तेरी वह भी ले लेने वाली बात सुनकर रानी सन्न रह गई क्योंकि वह समझती थी कि रघु क्या कह रहा है और किसके बारे में कह रहा है लेकिन फिर भी,,, वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
वह भी,,, क्या मतलब है,,,
चल तू इतनी भी नादान नहीं है कि मेरे कहने के मतलब को ना समझी हो,,,
सच में मुझे नहीं मालूम कि तू क्या कह रहा है,,,,
चल जाने दे छोड़,,, वादा तो पूरा करती नहीं है मतलब बताने का क्या फायदा,,,
तू वादा ही ऐसा करवाता है,,,, शर्म आती है,,।
इसमें शर्म की क्या बात है,,,
शर्म वाली ही तो बात है,,,, कोई लड़की क्यआ चुम्मा देती है,,।
क्यों नहीं देती हर लड़की देती है,,, चुम्मा में कितना मजा आता है,,,आहहहहहहहह,,,,(मस्ती से सिसकते हुए बोला,,)
तो क्या तेरी बहन भी चुम्मा दी है किसी को,,,
(अपनी बहन का जिक्र आते ही रघु गुस्से से तिलमिला उठा,,, कोई और वक्त होता तो शायद वह रानी के गाल पर तमाचा जड़ दिया होता लेकिन वो रानी को धीरे-धीरे लाइन पर लाना चाहता था,,, ताकि रानी की बुर का मजा ले सके,,, इसलिए खराब लगने के बावजूद भी वह बड़े ही सहज भाव से बोला,,)
क्या पता देती भी होगी सब लोग देते हैं वह भी देती होगी,,,
बाप रे तुझे शर्म नहीं आती अपनी बहन के बारे में इस तरह की बातें करते हुए,,,
इसमें कैसी शर्म हर औरत और लड़कियों का काम ही है देना और हम मर्दों का काम है लेना,,,तेरी मां भी तो किसी ने किसी को चुम्मा भी देती होगी और अपनी वो भी देती होगी,,,,,
देख मां के बारे में कुछ मत बोलना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,
तू खामखा गुस्सा करती है मैं तो सच्चाई बता रहा हूं तेरी मां कौन सी बुढी हो गई है अभी भी एकदम जवान लगती है,,, देखी नहीं है जब चलती है तो,, उसकी बड़ी बड़ी गांड कैसे मटकती है,,,(रघु जानबूझकर उसे बहकाने के लिए उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था,, और उसका असर रानी के ऊपर होता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,) कसम से देखने वालों का लैंड खड़ा हो जाता है,,,(रघु अब हर एक शब्द में अश्लीलता ला रहा था,, रानी रघु के मुंह से लंड शब्द सुनते ही अंदर ही अंदर मस्त होने लगी,,, अपने चेहरे पर जानबूझकर गुस्सा का भाव ला रही थी,,,)
देख रघु तो यह सब बातें मत बोल मुझे अच्छा नहीं लगता,,,
देख इसमें कोई अच्छा लगने या ना लगने वाली बात नहीं है यह तो सच्चाई है और एक लड़की होने के नाते तू भी अच्छी तरह से समझती है,,, क्या तू कभी अपनी मां की खूबसूरती पर गौर नहीं की है,,, अपनी मां के साथ आते जाते हैं कभी गैरों की नजरों को देखी नहीं है कि किस तरह से तेरी मां की खूबसूरती के ऊपर से नीचे तक निहारती रहती है,,, कसम से देखने वाले को मजा आ जाता है,,,
(रघु की बातें गंदी होने के बावजूद भी रानी को ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी,,, वह भी रघु के पास बैठी हुई थी और जानबूझकर गुस्सा दिखाने का नाटक कर रही थी,,, रघु यह तरीका रामू पर आजमा चुका था और रामू अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनकर मस्त हो जाता था,,, ठीक वैसा ही उसकी बहन रानी के साथ हो रहा था,,, रानी जवान हो चुकी थी उसके बदन के हर एक अंग में अत्यधिक उभार आना शुरू हो गया था,,, कमीज के अंदर उसके कश्मीरी सेव धीरे-धीरे मिठास भर रहे थे,,,, टांगों के बीच गुलाबी दरार पर मखमली बाल आना शुरू हो गया था,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
तु चुम्मा की बात कर रही है,,, मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मां चोरी छिपे अपनी दोनों टांगे फैलाकर किसी जमाने लंड का मजा लेती होगी,,, तभी तो उसके चेहरे पर इतनी निखार है,,,
तब तो तेरी मां भी किसी से चुदवाती होगी,,,, तभी तो तेरी मां भी इतनी खूबसूरत है,,,(तैश में आकर रानी के मुंह से चुदाई शब्द निकल गया,,, रघु बहुत खुश हुआ क्योंकि वह यही तो चाहता था,,, लेकिन रानी अपने मुंह से निकले गंदे शब्द की वजह से शर्म से पानी पानी हो गई,,, और इसी पल का मौका उठाते हुए,, रघु रानी से बोला,,,।)
,,,, हो सकता है बताऊं कैसे,,, बताऊं,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु रानी को अपनी बाहों में कस लिया,,,)
नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल मत कर,,, कोई देख लेगा,,,(बस कोई देख लेगा शब्द सुनकर रघु समझ गया कि रानी के मन में क्या चल रहा है,,, इसलिए वह उसे हरी हरी घास पर लेटाते हुए बोला,,,)
कोई नहीं देखेगा मेरी रानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु रानी के खूबसूरत लाल-लाल होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा,,,, थोड़ी ही देर में रानी को मजा आने लगा रानी के लिए पहला मौका था जब वह किसी जवान लड़के की बाहो में थी और वह उसे चुंबन कर रहा था,,। थोड़ी ही देर में दोनों एकदम मस्त हो गए,,, कमीज के ऊपर से रघु उसके दोनों कश्मीरी सेव को दबाना शुरू कर दिया पहली बार कोई उसकी चूचियों को दबा रहा था उसे मजा आ रहा था,,, रानी की चूचियां अभी आकार में बड़ी बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन मजा बराबर दे रही थी,,,रानी के मुंह से रह-रहकर दर्द से कराहने के साथ-साथ मस्ती भरी सिसकारियां की आवाज निकल रही थी,,,। धीरे धीरे रघु अपना हाथ नीचे सलवार के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसलने का आनंद लेने लगा इसमें रानी को बहुत मजा आ रहा था,,। यह देखकर रघु उसकी सलवार की डोरी को खोलना शुरू कर दिया लेकिन रानी अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, लेकिन रघु कहां मानने वाला था,,, जिस जगह पर दोनों मजे ले रहे थे वह जगह थोड़ी खुली जगह पर थी इसलिए रघु खड़ा हुआ और रानी को अपनी गोद में उठा लिया और उसे लेकर घनी झाड़ियों मैं जाने लगा जिस तरह से रघु उसे अपनी गोद में उठाया था रानी को उसका यह तरीका और हरकत बहुत अच्छी लग रही थी वह शर्म से अपनी आंखों को बंद कर ली थी और सर हमसे इस तरह से आंखें बंद होता देख कर रघु को एहसास हो गया कि रानी की तरफ से पूरी तरह से स्वी कृति है,,,
रघु इस तरह से रानी की सलवार की डोरी खोल कर उसकी गुलाबी बुर देखकर मदहोश हो गया
honor credit union
पजामे में रघु का लंड पूरी तरह से खडा हो गया और सीधा सलवार के ऊपर से ही रानी की गांड पर ठोकर मारने लगा,,, इससे रानी और ज्यादा उत्तेजित हो गई उत्तेजना के मारे उसका चेहरा उसके गोरे गोरे गाल कश्मीरी सेव की तरह लाल हो गए,,, घनी झाड़ियों में ले जाते ही घास पर लिटा कर रघु उसकी सलवार की डोरी खोल कर उसे एक झटके में उतार दिया कमर के नीचे रानी पूरी तरह से नंगी हो गई,,, उसकी खूबसूरती और कमर के नीचे नंगे पन को देखते हुए रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,,।
वाह रानी तू तो सचमुच की रानी है कसम से तु बहुत खूबसूरत है,,,,(रघु के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर रानी शर्मा गई,,, हालांकि अभी तक कमर के नीचे से नंगी कर देने के बावजूद भी रघु रानी की बुर को नहीं देखा था वह उसकी कमीज़ उतारने लगा और रानी अपनी कमीज उतरवाने में उसका सहयोग करने लगी अगले ही पल रानी उसकी आंखों के सामने घास पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था रघु एक पल की भी देरी करना गवारा नहीं समझ रहा था इसलिए अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर वह सीधा उसकी बुर पर अपनी प्यासे होठ रखकर उसे चाटना शुरू कर दिया,,, रानी के लिए बेहद अद्भुत था पल भर में ही रानी छोड़ गई उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट पड़ा,,, लेकिन रघु,, बिल्कुल भी नहीं रुका वह लगातार अपनी जीभ को उसकी मखमली बुर में डालकर उसे चाटता रहा नतीजे एक बार फिर से वह गरम हो गए और गर्म सिसकारी लेने लगी,,, कुछ देर तक उसकी बुर चाटने का आनंद लेने के बाद रघु ऊपर की तरफ नजर करके उसके दोनों कश्मीरी सेव को ललचाए आंखों से देखने लगा और अगले ही पल उसके दोनों कश्मीरी सेव को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया रानी के मुख से दर्द भरी कराह फूट पड़ी लेकिन जैसे ही रघु उसके दोनों कश्मीरी सेव को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया वैसे ही उसके मुख से गर्म सिसकारी की मस्ती भरी आवाज गूंजने लगी,,, दोनों को मजा आ रहा था रानी मदहोश हुए जा रही थी,,, यही मौका देख कर रघु अपने कपड़े उतारने लगा पजामे को उतरते ही उसका खड़ा लंड हवा में लहराने लगा यह देखकर रानी के होश उड़ गए,,,,वह अंदर ही अंदर सिहर उठी लेकिन डर के मारे कुछ बोल नहीं पाई,,,, रघु घुटनों के बल बैठकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, और यही हाल रानी का भी था,,, रघु ढेर सारा अपने लंड को सुपाड़े पर लगाकर उसे पूरी तरह से गिला कर लिया उसके बाद थोड़ा सा थुक ऊसकी बुर पर भी लगा दिया वैसे भी पहले से ही उसकी बुर पूरी तरह से पनिया चुकी थी,,,, रघु जानता था कि थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन उसे विजय हासिल जरूर होगा लेकिन रानी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह घबरा रही थी डर रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु को इतना मोटा तगड़ा लैंड उसकी बुर में घुस जाएगा,,, रघु धीरे-धीरे प्रयास करना शुरू कर दिया,,,, वह जल्दबाजी बिल्कुल भी नहीं दिखा रहा था और इसका परिणाम उसे मिल रहा था रानी को दर्द तो हो रहा था लेकिन रघु की हरकतों की वजह से उसे आनंद भी आ रहा था,,।
आखिरकार धीरे-धीरे और रघु की सूझबूझ की वजह से रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ उसकी तह तक घुस गया,,, पल भर के लिए रानी फिर से दर्द से बिलबिला उठी लकी रघु अच्छी तरह से जानता था दर्द को मजे में बदलने के लिए वह रानी के ऊपर चूक गया और उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और तब तक उसे पीता रहा जब तक की रानी के मुंह से आ रही दर्द के कराहने की आवाज मस्ती भरी सिसकारियां में नहीं बदल गई,,,, जैसे ही रानी के मुंह से मस्ती भरी आवाज निकलना शुरू हुई वैसे ही रघु की कमर ऊपर नीचे होना शुरू हो गई रघु रानी को चोदना शुरू कर दिया था,,, रानी को मजा आने लगा जैसे-जैसे लंडरानी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था जैसे वैसे उसकी आनंद की परिभाषा बदलती जा रही थी,,।
रघु झाड़ियों के अंदर रानी की चुदाई करता हुआ
tanager place
अब कैसा लग रहा है रानी,,,
सहहहहहह,,,आहहहहहहह,,, रघु अब मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,
रानी भी रघु से चुदाई का मजा लेते हुए
मेरी रानी इस खेल में मजा ही आता है तभी तो सभी औरतें यही खेल खेलते हैं घर में या चोरी छुपे बाहर जैसा कि तुम और मैं,,,,,
आहहहहहह,,,,,, रघु,,,,,,ऊफफ,,,,,
रानी की मस्ती को देखते हुए रघु जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया आखिरकार तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त गरमा गरम चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,, रानी पहली बार चुदाई का मजा ली थी,, रानी की बुर का उद्घाटन हो चुका था दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर झाड़ियों से बाहर आ गया,,,।
रानी चुदवाने के बाद
हाय दैया,,,,वो,,, देख रघु मेरी गाय फिर से दूर चली गई है,,, जा,, जल्दी से वापस ले आ,,, अब तो तुझे कुछ नहीं चाहिए ना,,,।
चाहिए ना लेकिन आज नहीं फिर किसी दिन,,,(इतना क्या कर रघु मुस्कुराने लगा,,)
दूंगी,,,, जा पहले मेरी गाय वापस ले आ,,,
(रघु बहुत खुश हुआ और दौड़ता हुआ उस गाय के पीछे जाने लगा,,, थोड़ी देर बाद प्रताप सिंह की बीवी का नौकर रघु को ढूंढता हुआ उसके पास आया और बड़ी मालकिन मुझे बुला रहे हैं ऐसा संदेश कह कर उसे अपने साथ ले गया,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या बात हुई जो मालकिन उसे बुला रही है,,।)
Behtareen updateप्रताप सिंह सुबह खाना खाते समय बहुत खुश नजर आ रहे थे इसलिए उनकी बीवी बोली,,।
क्या बात है आज आप बहुत खुश नजर आ रहे हैं,,?(पंखी से हवा देते हुए वह बोली,,)
खुश होने वाली बात हीं है तुम सुनोगी तो तुम भी खुश हो जाओगी,,,
ऐसी कौन सी बात है,,,?
मैंने बिरजू के लिए लड़की पसंद कर ली है बहुत सुंदर है,,, अपने समधी ने ही यह रिश्ता करवाया है,,,
(इतना सुनते ही प्रताप सिंह की बीवी और पानी लेकर आ रही प्रताप सिंह की बहू दोनों एकदम से सकते में आ गए,, वह दोनों पहले एक दूसरे को और फिर प्रताप सिंह को आश्चर्य से देखने लगे,,, क्योंकि दोनों यही चाहते थे कि रघु की बहन शालू इस घर में बहू बनकर आए ताकि शालू के बहाने रखो का इस घर में आना-जाना हमेशा बना रहे और दोनों अपने बदन की प्यास रघु से बुझाती रहें,, लेकिन प्रताप सिंह के लिए फैसले से दोनों के अरमानों पर पानी फिरता हुआ दिखाई देने लगा,,, इसलिए प्रताप सिंह की बीवी बोली,,,।)
नहीं नहीं यह आप क्या कर रहे हैं मैं पहले भी आपसे कह चुकी हूं कि बिरजू किसी और से प्यार करता है और वह लड़की रघु की बहन है,,,
मैं कुछ नहीं जानता,,,, मेरा फैसला अटल है,,,
अपने बेटे की खुशी के बारे में तो सोचिए,,,
उसकी खुशी किस में है यह उसे क्या मालूम,,, वह तो अभी अच्छे बुरे की परख करना नहीं जानता,,,,
वह बच्चा नहीं है बड़ा हो चुका है उसे अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा हक है,,,।
यह हक मैंने अभी ऊसे नहीं दिया है,,,वो वही करेगा जो मैं कहूंगा,,,
बाबू जी ऐसा मत करिए,,, रघु की बहन शालू बहुत खूबसूरत है सुंदर है और संस्कारी है,, इस घर के लिए और बिरजू के लिए वह लड़की एकदम ठीक रहेगी,,,
बहु इस घर के लिए कौन ठीक रहेगा कौन नहीं इसका फैसला तुम नहीं करोगी,,,
लेकिन बाबू जी,,,
बस इससे ज्यादा मैं कुछ भी नहीं सुनना चाहता,,, मैं फैसला कर लिया तो कर लिया मैं उस लड़की के बाप को जबान दे कर आया हूं,,,, 1 सप्ताह बाद बिरजू और उस लड़की की सगाई है,,,,(इतना कहकर प्रताप सिंह उठ कर चला गया,,,)
अब क्या होगा माजी अगर चालू कीजिएगा इस घर में कोई और लड़की आ गई तो हम दोनों का क्या होगा,,,
मैं भी यही सोच रही हूं राधा,,,, कुछ ना कुछ तो करना होगा,,,
लेकिन क्या करना होगा हम दोनों तो कुछ कर भी नहीं सकते,,,।
एक काम करो किसी को भेजकर रघु को दोपहर के समय घर के पीछे बुलाओ,,, उसे बताना जरूरी है,,, वरना वहां पर कभी विश्वास नहीं करेगा,,,।
ठीक है माजी,,,
शालू बिरजू के साथ जीवन बिताने का सपना समझो रही थी कचरी भी अपनी बेटी की शादी बड़े घर में होने की उम्मीद जगाए बैठी थी और रघु बड़ी मालकिन पर पूरा भरोसा करके निश्चिंत होकर खेतों में गाय चराते हुए ललिया की बेटी रानी से बातें कर रहा था,,।
तू बहुत झूठी है,,,
ऐसा क्यों बोल रहा है तू,,,
फिर क्या बोलूं पता है ना उस दिन तेरी गाय दूर तक चली गई थी और मैं ला कर दिया था,,, याद है कि नहीं,,,?
मुझे याद है,,,
फिर तो यह भी याद होगा कि क्या शर्त हुई थी,,,
मुझे नहीं मालूम,,,
नाटक करना शुरू कर दी,,,
इसमें कौन सी नाटक वाली बात है,,,
बात है ही ना तू वादा करके मुकर गई,,, पता है कि मुझे चुम्मा देने के लिए वादा करी थी,,,
छी,,,, कितनी गंदी बात बोलता है तु,,,
इसमें कौन सी गंदी बात है क्या करूं जिंदगी में किसी को चुम्मा देगी नहीं,,,
नहीं किसी को नहीं दूंगी,,,,
अपने पति को भी नहीं,,,
नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
चल रहने दे वो तो जबरदस्ती ले लेगा,,,, चुम्मा भी और तेरी वो भी,,,(इतना कहते हुए रघु वही घास के ढेर पर बैठ गया,,, तेरी वह भी ले लेने वाली बात सुनकर रानी सन्न रह गई क्योंकि वह समझती थी कि रघु क्या कह रहा है और किसके बारे में कह रहा है लेकिन फिर भी,,, वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
वह भी,,, क्या मतलब है,,,
चल तू इतनी भी नादान नहीं है कि मेरे कहने के मतलब को ना समझी हो,,,
सच में मुझे नहीं मालूम कि तू क्या कह रहा है,,,,
चल जाने दे छोड़,,, वादा तो पूरा करती नहीं है मतलब बताने का क्या फायदा,,,
तू वादा ही ऐसा करवाता है,,,, शर्म आती है,,।
इसमें शर्म की क्या बात है,,,
शर्म वाली ही तो बात है,,,, कोई लड़की क्यआ चुम्मा देती है,,।
क्यों नहीं देती हर लड़की देती है,,, चुम्मा में कितना मजा आता है,,,आहहहहहहहह,,,,(मस्ती से सिसकते हुए बोला,,)
तो क्या तेरी बहन भी चुम्मा दी है किसी को,,,
(अपनी बहन का जिक्र आते ही रघु गुस्से से तिलमिला उठा,,, कोई और वक्त होता तो शायद वह रानी के गाल पर तमाचा जड़ दिया होता लेकिन वो रानी को धीरे-धीरे लाइन पर लाना चाहता था,,, ताकि रानी की बुर का मजा ले सके,,, इसलिए खराब लगने के बावजूद भी वह बड़े ही सहज भाव से बोला,,)
क्या पता देती भी होगी सब लोग देते हैं वह भी देती होगी,,,
बाप रे तुझे शर्म नहीं आती अपनी बहन के बारे में इस तरह की बातें करते हुए,,,
इसमें कैसी शर्म हर औरत और लड़कियों का काम ही है देना और हम मर्दों का काम है लेना,,,तेरी मां भी तो किसी ने किसी को चुम्मा भी देती होगी और अपनी वो भी देती होगी,,,,,
देख मां के बारे में कुछ मत बोलना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,
तू खामखा गुस्सा करती है मैं तो सच्चाई बता रहा हूं तेरी मां कौन सी बुढी हो गई है अभी भी एकदम जवान लगती है,,, देखी नहीं है जब चलती है तो,, उसकी बड़ी बड़ी गांड कैसे मटकती है,,,(रघु जानबूझकर उसे बहकाने के लिए उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था,, और उसका असर रानी के ऊपर होता हुआ साफ दिखाई दे रहा था,,,) कसम से देखने वालों का लैंड खड़ा हो जाता है,,,(रघु अब हर एक शब्द में अश्लीलता ला रहा था,, रानी रघु के मुंह से लंड शब्द सुनते ही अंदर ही अंदर मस्त होने लगी,,, अपने चेहरे पर जानबूझकर गुस्सा का भाव ला रही थी,,,)
देख रघु तो यह सब बातें मत बोल मुझे अच्छा नहीं लगता,,,
देख इसमें कोई अच्छा लगने या ना लगने वाली बात नहीं है यह तो सच्चाई है और एक लड़की होने के नाते तू भी अच्छी तरह से समझती है,,, क्या तू कभी अपनी मां की खूबसूरती पर गौर नहीं की है,,, अपनी मां के साथ आते जाते हैं कभी गैरों की नजरों को देखी नहीं है कि किस तरह से तेरी मां की खूबसूरती के ऊपर से नीचे तक निहारती रहती है,,, कसम से देखने वाले को मजा आ जाता है,,,
(रघु की बातें गंदी होने के बावजूद भी रानी को ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी,,, वह भी रघु के पास बैठी हुई थी और जानबूझकर गुस्सा दिखाने का नाटक कर रही थी,,, रघु यह तरीका रामू पर आजमा चुका था और रामू अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनकर मस्त हो जाता था,,, ठीक वैसा ही उसकी बहन रानी के साथ हो रहा था,,, रानी जवान हो चुकी थी उसके बदन के हर एक अंग में अत्यधिक उभार आना शुरू हो गया था,,, कमीज के अंदर उसके कश्मीरी सेव धीरे-धीरे मिठास भर रहे थे,,,, टांगों के बीच गुलाबी दरार पर मखमली बाल आना शुरू हो गया था,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
तु चुम्मा की बात कर रही है,,, मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मां चोरी छिपे अपनी दोनों टांगे फैलाकर किसी जमाने लंड का मजा लेती होगी,,, तभी तो उसके चेहरे पर इतनी निखार है,,,
तब तो तेरी मां भी किसी से चुदवाती होगी,,,, तभी तो तेरी मां भी इतनी खूबसूरत है,,,(तैश में आकर रानी के मुंह से चुदाई शब्द निकल गया,,, रघु बहुत खुश हुआ क्योंकि वह यही तो चाहता था,,, लेकिन रानी अपने मुंह से निकले गंदे शब्द की वजह से शर्म से पानी पानी हो गई,,, और इसी पल का मौका उठाते हुए,, रघु रानी से बोला,,,।)
,,,, हो सकता है बताऊं कैसे,,, बताऊं,,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु रानी को अपनी बाहों में कस लिया,,,)
नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल मत कर,,, कोई देख लेगा,,,(बस कोई देख लेगा शब्द सुनकर रघु समझ गया कि रानी के मन में क्या चल रहा है,,, इसलिए वह उसे हरी हरी घास पर लेटाते हुए बोला,,,)
कोई नहीं देखेगा मेरी रानी,,,,(और इतना कहने के साथ ही रघु रानी के खूबसूरत लाल-लाल होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा,,,, थोड़ी ही देर में रानी को मजा आने लगा रानी के लिए पहला मौका था जब वह किसी जवान लड़के की बाहो में थी और वह उसे चुंबन कर रहा था,,। थोड़ी ही देर में दोनों एकदम मस्त हो गए,,, कमीज के ऊपर से रघु उसके दोनों कश्मीरी सेव को दबाना शुरू कर दिया पहली बार कोई उसकी चूचियों को दबा रहा था उसे मजा आ रहा था,,, रानी की चूचियां अभी आकार में बड़ी बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन मजा बराबर दे रही थी,,,रानी के मुंह से रह-रहकर दर्द से कराहने के साथ-साथ मस्ती भरी सिसकारियां की आवाज निकल रही थी,,,। धीरे धीरे रघु अपना हाथ नीचे सलवार के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसलने का आनंद लेने लगा इसमें रानी को बहुत मजा आ रहा था,,। यह देखकर रघु उसकी सलवार की डोरी को खोलना शुरू कर दिया लेकिन रानी अपना हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, लेकिन रघु कहां मानने वाला था,,, जिस जगह पर दोनों मजे ले रहे थे वह जगह थोड़ी खुली जगह पर थी इसलिए रघु खड़ा हुआ और रानी को अपनी गोद में उठा लिया और उसे लेकर घनी झाड़ियों मैं जाने लगा जिस तरह से रघु उसे अपनी गोद में उठाया था रानी को उसका यह तरीका और हरकत बहुत अच्छी लग रही थी वह शर्म से अपनी आंखों को बंद कर ली थी और सर हमसे इस तरह से आंखें बंद होता देख कर रघु को एहसास हो गया कि रानी की तरफ से पूरी तरह से स्वी कृति है,,,
रघु इस तरह से रानी की सलवार की डोरी खोल कर उसकी गुलाबी बुर देखकर मदहोश हो गया
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पजामे में रघु का लंड पूरी तरह से खडा हो गया और सीधा सलवार के ऊपर से ही रानी की गांड पर ठोकर मारने लगा,,, इससे रानी और ज्यादा उत्तेजित हो गई उत्तेजना के मारे उसका चेहरा उसके गोरे गोरे गाल कश्मीरी सेव की तरह लाल हो गए,,, घनी झाड़ियों में ले जाते ही घास पर लिटा कर रघु उसकी सलवार की डोरी खोल कर उसे एक झटके में उतार दिया कमर के नीचे रानी पूरी तरह से नंगी हो गई,,, उसकी खूबसूरती और कमर के नीचे नंगे पन को देखते हुए रघु एकदम मदहोश होता हुआ बोला,,,।
वाह रानी तू तो सचमुच की रानी है कसम से तु बहुत खूबसूरत है,,,,(रघु के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर रानी शर्मा गई,,, हालांकि अभी तक कमर के नीचे से नंगी कर देने के बावजूद भी रघु रानी की बुर को नहीं देखा था वह उसकी कमीज़ उतारने लगा और रानी अपनी कमीज उतरवाने में उसका सहयोग करने लगी अगले ही पल रानी उसकी आंखों के सामने घास पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था रघु एक पल की भी देरी करना गवारा नहीं समझ रहा था इसलिए अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर वह सीधा उसकी बुर पर अपनी प्यासे होठ रखकर उसे चाटना शुरू कर दिया,,, रानी के लिए बेहद अद्भुत था पल भर में ही रानी छोड़ गई उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट पड़ा,,, लेकिन रघु,, बिल्कुल भी नहीं रुका वह लगातार अपनी जीभ को उसकी मखमली बुर में डालकर उसे चाटता रहा नतीजे एक बार फिर से वह गरम हो गए और गर्म सिसकारी लेने लगी,,, कुछ देर तक उसकी बुर चाटने का आनंद लेने के बाद रघु ऊपर की तरफ नजर करके उसके दोनों कश्मीरी सेव को ललचाए आंखों से देखने लगा और अगले ही पल उसके दोनों कश्मीरी सेव को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया रानी के मुख से दर्द भरी कराह फूट पड़ी लेकिन जैसे ही रघु उसके दोनों कश्मीरी सेव को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया वैसे ही उसके मुख से गर्म सिसकारी की मस्ती भरी आवाज गूंजने लगी,,, दोनों को मजा आ रहा था रानी मदहोश हुए जा रही थी,,, यही मौका देख कर रघु अपने कपड़े उतारने लगा पजामे को उतरते ही उसका खड़ा लंड हवा में लहराने लगा यह देखकर रानी के होश उड़ गए,,,,वह अंदर ही अंदर सिहर उठी लेकिन डर के मारे कुछ बोल नहीं पाई,,,, रघु घुटनों के बल बैठकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, और यही हाल रानी का भी था,,, रघु ढेर सारा अपने लंड को सुपाड़े पर लगाकर उसे पूरी तरह से गिला कर लिया उसके बाद थोड़ा सा थुक ऊसकी बुर पर भी लगा दिया वैसे भी पहले से ही उसकी बुर पूरी तरह से पनिया चुकी थी,,,, रघु जानता था कि थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन उसे विजय हासिल जरूर होगा लेकिन रानी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह घबरा रही थी डर रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रघु को इतना मोटा तगड़ा लैंड उसकी बुर में घुस जाएगा,,, रघु धीरे-धीरे प्रयास करना शुरू कर दिया,,,, वह जल्दबाजी बिल्कुल भी नहीं दिखा रहा था और इसका परिणाम उसे मिल रहा था रानी को दर्द तो हो रहा था लेकिन रघु की हरकतों की वजह से उसे आनंद भी आ रहा था,,।
आखिरकार धीरे-धीरे और रघु की सूझबूझ की वजह से रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ उसकी तह तक घुस गया,,, पल भर के लिए रानी फिर से दर्द से बिलबिला उठी लकी रघु अच्छी तरह से जानता था दर्द को मजे में बदलने के लिए वह रानी के ऊपर चूक गया और उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और तब तक उसे पीता रहा जब तक की रानी के मुंह से आ रही दर्द के कराहने की आवाज मस्ती भरी सिसकारियां में नहीं बदल गई,,,, जैसे ही रानी के मुंह से मस्ती भरी आवाज निकलना शुरू हुई वैसे ही रघु की कमर ऊपर नीचे होना शुरू हो गई रघु रानी को चोदना शुरू कर दिया था,,, रानी को मजा आने लगा जैसे-जैसे लंडरानी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था जैसे वैसे उसकी आनंद की परिभाषा बदलती जा रही थी,,।
रघु झाड़ियों के अंदर रानी की चुदाई करता हुआ
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अब कैसा लग रहा है रानी,,,
सहहहहहह,,,आहहहहहहह,,, रघु अब मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,
रानी भी रघु से चुदाई का मजा लेते हुए
मेरी रानी इस खेल में मजा ही आता है तभी तो सभी औरतें यही खेल खेलते हैं घर में या चोरी छुपे बाहर जैसा कि तुम और मैं,,,,,
आहहहहहह,,,,,, रघु,,,,,,ऊफफ,,,,,
रानी की मस्ती को देखते हुए रघु जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया आखिरकार तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त गरमा गरम चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,, रानी पहली बार चुदाई का मजा ली थी,, रानी की बुर का उद्घाटन हो चुका था दोनों अपने अपने कपड़े पहन कर झाड़ियों से बाहर आ गया,,,।
रानी चुदवाने के बाद
हाय दैया,,,,वो,,, देख रघु मेरी गाय फिर से दूर चली गई है,,, जा,, जल्दी से वापस ले आ,,, अब तो तुझे कुछ नहीं चाहिए ना,,,।
चाहिए ना लेकिन आज नहीं फिर किसी दिन,,,(इतना क्या कर रघु मुस्कुराने लगा,,)
दूंगी,,,, जा पहले मेरी गाय वापस ले आ,,,
(रघु बहुत खुश हुआ और दौड़ता हुआ उस गाय के पीछे जाने लगा,,, थोड़ी देर बाद प्रताप सिंह की बीवी का नौकर रघु को ढूंढता हुआ उसके पास आया और बड़ी मालकिन मुझे बुला रहे हैं ऐसा संदेश कह कर उसे अपने साथ ले गया,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या बात हुई जो मालकिन उसे बुला रही है,,।)
Behtareen updateरघु जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा तीनों जमीदार के सामने खड़े थे जहां पर जमीदार बैठकर हुक्का गुड गुडा रहा था,,, तीनों में से किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी शादी की बात करने के लिए जमीदार की बीवी जमीदार के गुस्से से अच्छी तरह से वाकिफ थी,,, राधा एकदम होने के नाते अपने ससुर के मिजाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, अपनी बीवी और अपनी बहू के साथ रघु को देखकर जमीदार को थोड़ी हैरानी हुई इसलिए वह बोला,,,।
क्या बात है,,,, इस तरह से तुम (रघु की तरफ नजरों से इशारा करते हुए) हमारी बीवी और बहू के साथ खड़े हो क्या कोई जरूरी बात है,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार फिर से हुक्का मुंह में लेकर गुडगुडाने लगा,,,)
हां मालिक बहुत जरूरी काम है,,,,
क्या काम है बताओ,,,,
छोटा मुंह बड़ी बात लेकिन कहना बहुत जरूरी है,,,
पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो जो कहना चाहते हो,,,,(जमीदार गुस्से में बोला,,, जमीदार के लहजे को देख कर रघु भी सहम गया,, आखिरकार वो कर भी क्या सकता था जमीदार की ताकत को अच्छी तरह से पहचानता था जिसके आगे वह कुछ भी नहीं था,,, फिर भी हिम्मत इकट्ठा करते हुए बोला,,,)
मालिक में शादी की बात करने आया था,,,
किसकी शादी की बात,,,(जमीदार फिर से तेज लहजे में बोला)
वववव,,,वो,,,, छोटे मालिक की बिरजू की,,,,
बिरजू की शादी की बात करने के लिए तुम आए हो,,, औकात देखे हो अपनी,,,,
ममममम,,,, मालिक औकात की बात नहीं है प्यार मोहब्बत की बात है,,,,(घबराते हुए रघु बोला)
प्यार मोहब्बत,,,,मैं कुछ समझा नहीं मैं पहले भी कह चुका हूं कि पहेलियां मत बुझाओ सीधे-सीधे कहो,,,,
छोटे मालिक बिरजू मेरी बड़ी बहन सालु से प्यार करते हैं,,,
(इतना सुनते ही जमीदार जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगा,,,, उसको हंसता हुआ देखकर तीनों एक दूसरे के चेहरे को देखने लगे,,,,)
प्यार मोहब्बत करते हैं तो क्या हुआ,,,,
मेरा मतलब है कि मालिक छोटे मालिक मेरी बड़ी बहन से शादी करना चाहते हैं और शालू भी छोटे मालिक बिरजू से प्यार करती है और शादी करना चाहती हैं,,,,
खामोश,,,, अपनी औकात में रहो,,,, मत भूलो तुम्हारी औकात दो कौड़ी की भी नहीं है,,,
मैं जानता हूं मालिक हमारे और आप में जमीन आसमान का फर्क है लेकिन प्यार मोहब्बत उच्च नीच भेदभाव दौलत शोहरत देखकर तो नहीं की जाती यह तो बस हो जाती है और वैसा ही हुआ है बिरजू जो कि इस घर के वारिश है मेरी बहन से प्यार करते हैं,,,
रघु,,,, तुम अपनी हद में रहो बार-बार प्यार मोहब्बत का नाम देकर ,,,, जमीन और आसमान को मिलाने की कोशिश मत करो,,,, शादी की बात सोचना भी नहीं,,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,(ऐसा कहते हुए रघु हाथ जोड़कर अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया) हम बर्बाद हो जाएंगे आप तो दयालु हैं,,, छोटे-बड़े में आप बिल्कुल भी फर्क नहीं करते,,, इसे शादी से छोटे मालिक की खुशी जुड़ी हुई है,,,.
छोटे मालिक की खुशी किस से जुड़ी है यह फैसला करने वाले तुम कौन होते हो,,,,, जरूरी तो नहीं कि प्यार मोहब्बत हो जाए तो शादी भी हो जाए,,,, नजरों का दोष है नया खुन है,,, तुम्हारी बहन से नजरें लड़ गई होगी या यूं कह लो कि तुम्हारी बहन ही हमारे बेटे को अपने प्रेम जाल में फसाई है,,,
नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,
देखो मैं कुछ नहीं सुनना चाहता हमारे बेटे की शादी तुम्हारी बहन के साथ बिल्कुल भी नहीं होगी मैं उसके लिए लड़की ढूंढ लिया हूं और उसी के साथ शादी होगी यह हम वचन देकर आए हैं,,, और हमारा वचन पत्थर की लकीर है,,,।
ऐसा मत कहिए मालिक,,,, कुछ तो रहम करिए,,, आप ही सोचो मेरी बहन का क्या होगा,,,।
यह हम क्यों सोचें रघु,,, देखो अब मैं ज्यादा कुछ सुनना नहीं चाहता मैं तुम्हारी बहन से अपने बेटे की शादी बिल्कुल भी नहीं करा सकता,,,, इससे पहले कि मैं अपने आदमियों को बुलवाकर तुम्हें धक्के देकर बाहर निकलवा दूं तुम चले जाओ यहां से,,,
(रघु कुछ भी कर सकने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा था सबसे ज्यादा उसे अपने परिवार की बदनामी की डर लगी हुई थी और इस तरह से रघु की बेज्जती जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हुई थी और ना ही राधा से,,, जमीदार की बीबी बीच बचाव करते हुए बोली,,,)
सुनिए ऐसा क्यों कर रहे हैं आप,,,, हमारा बेटा बिरजू इसकी बहन शालू से प्यार करता है और शादी करना चाहता है,,,, आप कर दोनों की शादी करवा देंगे तो दोनों जिंदगी भर खुश रहेंगे और यह परिवार भी हंसता खेलता रहेगा,,,।
तुम भी ईसकी बातों में आ गई,,, यह छोटे लोग हैं हमेशा बड़े लोगों को फसाने के नए-नए षड्यंत्र रचते रहते हैं,,,।
नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,
जी बाबू जी माजी सच कह रही है रघु बहुत सीधा लड़का है,,,(राधा बीच बचाव करते हुए बोली)
चुप,,, हरामजादी,,,, तेरी इतनी हिम्मत हो गई कि तू हमारे सामने बोल रही है,,, अभी तक इस घर को एक बच्चा तक नहीं दे सकी और बीच में बोलकर इस घर की बहू होने का फर्ज निभा रही है पहले इस घर को एक चिराग दें तब बोलने का अधिकार होगा तुझे,,,,(राधा को इस तरह से बीच में बोलता हुआ देखकर जमीदार एकदम गुस्से में आ गया था क्योंकि आज तक रहा था उसके सामने एक शब्द तक नहीं बोल पाई थी और आज बहुत बड़े फैसले पर बहस करने के लिए अपना मुंह खोल दीजिए इसलिए जमीदार का गुस्सा उस पर फूट पड़ा यह सच था कि राधा अभी तक मां नहीं बन पाई थी और इस घर को वारिश नहीं दे पाई थी,,,अपने ससुर किस तरह की कड़वी बात सुन कर रहा था एकदम सही मीठी उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके ससुर इस तरह से गिरे शब्दों में उससे बात करेंगे वह पूरी तरह से आश्चर्य में पड़ गई थी,,, जमीदार की बीवी भी हैरान थी,,, इसलिए राधा का बचाव करते हुए बोली।)
यह आप क्या कह रहे हैं राधा हमारी बहू है और एक बहू से इस तरह से बात की जाती है क्या हो गया है आपको,,,, गलती हमारे बेटे ने की और उसका गुस्सा तुम हम पर निकाल रहे हो,,,,
हमारा बेटा कौन सा हमारा बेटा जब से तुझ से शादी करके तुझे इस घर में लाया हूं तू एक भी बच्चे को जन्म दे कभी मां बन पाई तब कैसे हुआ तेरा बच्चा हो गया,,, वह मेरा बेटा है,,, तू कभी मां नहीं बन सकती इस घर को इस हवेली को एक औलाद नहीं दे सकती तुम दोनों एक जैसी हो,,, लोकसमाज और इज्जत की बात ना होती तो हम तुम दोनों को धक्का मार कर घर से निकाल देते,,, तुम दोनों इस हवेली में रहने के लायक नहीं हो,,,,
(जमीदार के मुंह से आ जाऊंगा रे बरस रहे थे आज ऐसा पहली बार हो रहा था कि जमीदार अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं था और अनाप-शनाप बक रहा था,,, उसका यह रोग जमीदार की बीवी और उसके पाव राधा के साथ-साथ रघु भी पहली बार देख रहा था क्योंकि जब भी वह जमीदार को देखता था तो हमेशा हंसते हुए प्रसन्न होकर भी और दूसरों की मदद करते हुए देखा था इसलिए तीनों को आश्चर्य हो रहा था कि यह कैसे हो गया जमीदार पूरी तरह से गुस्से में आग बबूला था,,,, फिर भी जमीदार की बीवी से शांत करने की कोशिश करते हुए बोली,,)
आज आप शराब तो नहीं पी लिए हैं,,, यह किस तरह की बातें कर रहे हैं,,,, मैं इस घर को चिराग नहीं दे पाई क्या मैं मां नहीं बन पाई,,, कभी यह सवाल अपने आपसे किए है,,, मैं इसे घर में अपनी मर्जी से नहीं आई थी आपने मेरे बाबूजी को बहला-फुसलाकर मुझसे शादी करके इस घर में लाए हैं,,, आप में ही ताकत नहीं है बाप बनने की,,, बूढ़े हो गए हैं आप,,,बुढ़े,,,,जैसे जैसे उम्र हो रही है वैसे वैसे आपकी बुद्धि काम नहीं कर रही है,,,,अरे वीर जी उसकी बहन से प्यार करता है उससे शादी करना चाहता है और जानते हैं आपके बिरजू ने क्या किया है,,, उसकी बड़ी बहन को पेट से कर दिया है,,,, वह मा बनने वाली हैं,,, अगर यह शादी नहीं हुई तो वह मर जाएगी उसके घरवालों की बदनामी हो जाएगी,,,।
हरामजादी मुझसे जबान लडाती है,,,(ऐसा कहते हुए जमीदार कुर्सी पर से उठा और अपनी बीवी को घर पर जोरदार तमाचा मार दिया जिससे वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और नीचे गिर गई,,, रघु और राधा तुरंत उसकी और बढै और उसे संभाल कर उठाने लगे,,,, राधा के साथ साथ रघु भी घबरा गया था,,, जमीदार से इस तरह की उम्मीद तीनों को नहीं थी जमीदार की बीवी को दोनों ने संभाल कर खड़ी किया जमीदार की बीवी भी एकदम गुस्से में थी,,,।
यह शादी होकर रहेगी मैं देखती हूं कि यह शादी कैसे नहीं होती है,,,(जिस तरह से जमीदार की बीवी रघु का पक्ष ले रही थी रघु को थोड़ी बहुत आशा की किरण नजर आ रही थी उसे उम्मीद थी कि अगर बड़ी मालकिन के हाथों में सब कुछ हुआ तो यह शादी जरूर हो जाएगी,,, लेकिन जमीदार का डर भी उसे था क्योंकि जमीदार के हाथों में सत्ता थी ताकत थी सब कुछ उसके हाथों में था,,,)
यह सादी हरगीज नहीं होगी,,, ना जाने किस का पाप अपने पेट में लेकर घूम रही है,,, कुछ नहीं मिला तो बिरजू का ही नाम लगा दिया,,, तेरी बहन को इतना ही जवानी का जोश है तो कहीं और जाकर मुंह मार लेना चाहिए था,,,(जमीदार की बातें सुनकर रघु को गुस्सा आ रहा था,,, अपनी बहन की हालत का जिम्मेदार वह खुद था इसलिए कोई भी कदम उठाने से पहले वह घबरा रहा था,,, और घबराते हुए बोला,,,।)
वह पाप नहीं है मालीक प्रेम मोहब्बत का परिणाम है ईस घर का चिराग है,,, जो आपके आंगन में खेलने के लिए उत्सुक हैं,,, ऐसे मुंह मत फेरीए मालिक,,, अपना लीजिए मेरी बहन को अपनी बहू के रूप में,,,।
रघु,,,,,, तु शायद हमें ठीक से नहीं जानता,,, अगर जानता होता तो हमारे सामने इतनी बड़ी बड़ी बात बोलने की हिम्मत ना करता मैं तुझे साफ शब्दों में कह दे रहा हूं कि तेरी बहन की शादी इस घर में बिल्कुल भी नहीं हो सकती हां मैं इतना जरूर कर सकता हूं कि तेरी बहन की शादी की सारी मदद कर सकता हूं,,,,
लेकिन मालिक ऐसे में उसे अपनाएगा कौन,,, और वह बिरजू से प्यार करती है और उसके बिना जी नहीं सकती वह मर जाएगी मालिक,,,,
मर जाए इससे हमें कोई परवाह नहीं है,,,,, आइंदा अपनी बहन के साथ मेरे बेटे का नाम जोड़ने की हिम्मत मत करना और हां अगर कुछ भी ऐसी वैसी बात गांव में फैली तो तू और तेरा परिवार खुद बदनाम हो जाएगा तेरी बहन खुद बदनाम हो जाएगी क्योंकि लोग तेरी नहीं मेरी सुनेंगे,,,, तेरी बहन के पेट में किसका बच्चा है यह गांव वाले नहीं जानते हमारे एक ईसारे की देरी रहेगी और सब कुछ बर्बाद हो जाएगा,,,,,
नहीं मालिक ऐसा मत करिए,,,
हरिया,,,,, भोला,,,,,, मोहन कहां मर गए सब के सब,,,
(इतना कहना था कि पांच छः मुस्टडे हाथ में लट्ठ लिए हाजिर हो गए,,, इन सब को देख कर रघु घबरा गया,,,)
इस रघु के बच्चे को उठाकर बाहर फेंक दो और ज्यादा चु चा करे तो,,, मार मार के इसके हाथ पैर तोड़ कर इसी नहर में बहा दो,,,(इतना सुनकर रघु के साथ-साथ जमीदार की बीवी राधा भी घबरा गई,,, वो लोग तुरंत रघु को पकड़कर घर के बाहर गए गए और उसे जोर से दूर फेंक दीए,,, रघु के हाथों में चोट लग गई,,, रघु की आंखों से आंसू निकलने लगे,,, वह बेहाल हो चुका अपनी स्थिति पर रो रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था की अपनी बहन की ऐसी हालत करने में उसी का हाथ है ,,, चारों तरफ से अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था कहीं राह दिखाई दे रही थी,,, उसे लगने लगा था कि अपनी बर्बादी का फैसला हुआ खुद अपने हाथों से ही लिख चुका है,,, वह रोते हुए अपने घर की तरफ चला गया,,,।
वह तेरा रात को अपने घर पर लौटा जब उसकी बहन शालू और उसकी मां सो चुके थे,,,
दूसरी तरफ हवेली में जमीदार अभी भी पूरी तरह से गुस्से में था और वह शराब पी रहा था,,, जमीदार की बीवी अपने कमरे में अपनी किस्मत को रो रही थी,,, जमीदार की बातें सुनकर वह गुस्से में थी,,, जिस तरह से वह अपमानित हुई थी वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी,,, रघुवर उसकी प्रोग्राम था के सामने उसके पति ने उस पर मार्तत्व का सवाल उठाया था एक तरह से उसे बांझ कह दिया था,, यह बात उसे अंदर तक कचोट रही थी,,, वह इतने गुस्से में थी कि उसका बस चलता तो वह खंजर को जमीदार के सीने में घोंप देती,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसमें इतनी ताकत नहीं थी,,,, वह अपने अपमान का बदला लेना चाहती थी उसी के बारे में सोच रही थी कि तुरंत दरवाजा भडाक की आवाज के साथ खुला,,,
हरामजादी,,,,, मादरचोद,,,,,,, मुझ पर इल्जाम लगाती है कि मैं बाप नहीं बन सकता,,, मुझमें ताकत नहीं है,,, रंडी साली कुत्तिया आज मैं तुझे अपनी ताकत दिखाता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार अपनी बीवी के बाल को पकड़कर जोर से खींचते हुए अपनी बाहों में भर लिया,,, वह छुडाने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन छुड़ा नहीं पाई,,, जमीदार शराब के नशे में पूरी तरह से गुस्से में था और अपनी मर्दानगी दिखाने पर आतुर हो चुका था,,, पूरा जबरदस्ती अपनी बीवी के ब्लाउज खोलने की जगह उसे दोनों हाथों से पकड़कर फाड़ दिया ब्लाउज के बटन टूट कर फर्श पर बिखर गए,,,, यह सब राधा दरवाजे की ओट के पीछे खड़ी हो कर देख रही थी जो कि अभी अभी आई थी और वह भी अपनी सास को सांत्वना देने के लिए लेकिन अंदर का नजारा कुछ और ही चल रहा था,,, ब्लाउज के पढ़ते ही उसकी दोनों खरबूजे जैसी चूचियां,,, उछल कर बाहर आ गई,,, उन चुचियों से प्यार करने की जगह जमीदार उस पर अपना गुस्सा उतारा था और उसे अपने दोनों हाथों में भर कर जोर जोर से दबा रहा था वह इतनी जोर से दबा रहा था कि जमीदार की बीवी दर्द से चिल्ला उठ रही थी,,,उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर राधा का मन पिघल रहा था वह छुड़ाने के लिए अंदर जाना चाहती थी लेकिन उसे डर लग रहा था कि किसी तरह से उसके ससुर ने अपमानित किया था इस बात का डर था कि कहीं जो है उसकी सास के साथ कर रहे हैं कहीं उसके साथ भी ना करने लगे क्योंकि वह पूरी तरह से नशे में था,,,, अगले ही पल जमीदार अपनी बीवी को बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और तुरंत उसकी सारी पकड़कर उठाते हुए उसे कमर तक कर दिया,,, गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर जमीदार उस पर जोर जोर से तमाचा मारने लगा देखते ही देखते उसकी गोरी गोरी गांड लाल टमाटर की तरह हो गई,,, यह सब राधा से देखा नहीं जा रहा था,,, अगले ही पल जमीदार अपनी धोती खोल दिया और नंगा होकर अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल कर,,, चोदना शुरू कर दिया लेकिन 5 6 धक्के में ही जमीदार जमीन चाट गया उसका पानी निकल चुका था,,,यह देखकर राधा को यकीन हो गया कि उसकी सांसे जो कुछ भी कह रही थी वह एकदम सच कह रही थी राधा वहां से अपने कमरे में चली गई,,,
जमीदार बिस्तर पर पसर गया था बेसुध होकर धोती नीचे जमीन पर बिखरी पड़ी थी,,,, और उसकी बीवी कुछ देर तक उसी तरह से घोड़ी बने रोती रही अपने कपड़ों को भी दोस्त करने की कोशिश नहीं की वो जानती थी कि दरवाजा खुला हुआ है लेकिन आज उसे किसी बात की फिक्र नहीं थी उसे अपने आप पर अपनी किस्मत पर और अपने अपमान पर रोना आ रहा था उसका बदला लेना चाहती थी,,, इसलिए दूसरे दिन रघु से मिलने की ठान ली,,,।
Behtareen updateरघु का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस तरह से जमीदार ने उसकी बेज्जती किया था उससे वह अंदर ही अंदर क्रोध से जल रहा था वह जमीदार से बदला लेना चाहता था,, लेकिन उससे भी पहले जरूरी था अपनी बड़ी बहन की शादी और वह भी जमीदार के ही घर में,,, रघु बेशक जमीदार के आगे कमजोर था क्योंकि वह अकेले जमीदार से लड़ नहीं सकता था लेकिन फिर भी वह अपने आप पर आ जाता तो जमीदार को धूल चटा सकता था लेकिन ऐसा करने से हो सकता था की बाजी पूरी तरह से जमीदार के हाथ में चली जाए क्योंकि उसकी बहन गर्भवती है यह बात उसे भी पता चल चुकी थी और अपने ऊपर किसी भी खतरे को भांप कर,, जमीदार उसकी बहन को बदनाम कर सकता था और ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,
जमीदार के घर पर क्या हुआ इस बारे में उसने अभी तक अपनी मां से बिल्कुल भी बात नहीं किया था वह अपनी मां को किसी भी हाल में चिंता में नहीं डालना चाहता था,,,रघु किसी भी तरह से अपनी बहन की शादी बिरजू से करवाना चाहता था वो भी इसलिए नहीं की बिरजू और सालु एक दूसरे से प्यार करते थे बल्कि इसलिए कि शालू गर्भवती हो चुकी थी ऐसे में बिरजू से शादी करवाने में ही उसकी और उसके खानदान की भलाई थी क्योंकि शालू बिरजू के साथ शारीरिक संबंध बना चुकी थी,,, लेकिन जमीदार ने मुश्किल पैदा कर दिया था,,, वह किसी भी हाल में यह शादी होने नहीं देना चाहता था,,,, रघु जमीदार के गुस्से को देख चुका था जिस तरह से वह अपनी बीवी को तमाचा मार कर और उसे भला बुरा बोल कर अपनी बहू तक को नहीं छोड़ा इस बात से रघु समझ गया था कि जमीदार शालू की शादी अपने बेटे बिरजू से करने के लिए कभी तैयार नहीं होगा,,,।
जमीदार की बीवी और उसकी बहू रघु से मिलने के लिए उसके पास पहुंच गए लेकिन जब घर के भी उसके घर पर नहीं गई क्योंकि वह जानती थी कि उसका उसके घर पर जाना यह बात जमीदार को पता चल सकती है,,, इसलिए रघु के खेतों में ही मुलाकात करना उचित समझकर,,, जमीदार की बीवी रघु को खेत में बुला ली,,,,,, रघु भी खबर मिलते ही खेत पर पहुंच गया,,,,
रघु के खेत में बीचोबीच घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी और नीम का पेड़ लगा हुआ था जिसके छाया मे जमीदार की बीवी और उसकी बहू राधा बैठी हुई थी,,,, वहां पर पहुंचते ही,,,
क्या बात है बड़ी मालकीन,,,, इधर खेतों में एकाएक क्यों बुला ली,,,(कोई और समय होता तो रघु को ऐसा ही लगता कि चौकीदार की बीवी चुदवाने के लिए खेत में बुला रही है,,, लेकिन अभी हालात बिल्कुल भी ऐसे नहीं थे कि शारीरिक संबंध बनाया जाए क्योंकि,, जमीदार ने अपनी बीवी का बुरी तरह से अपमान किया था और मारा भी था,,। ऐसे में बिल्कुल भी नहीं था कि जमीदार की बीवी खेतों में रघु से शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से आई हो,,)
रघु कल जो कुछ भी हुआ उसकी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,
मुझे भी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी जिस तरह से बाबूजी ने मेरा अपमान किया है मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी,,, मैं मां नहीं बन सकती इसका जिम्मेदार उनका ही बेटा है इसमें मेरा क्या कसूर है,,,(इतना कहते हुए राधा की आंखों में आंसू भर आए)
सब ठीक हो जाएगा बहु तुम चिंता मत करो,,,, रघु तुमने तो देख ही लिया क्योंकि वह बिल्कुल भी मानने वाले नहीं हैं,,, हम लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकल पाया बेइज्जती हुई सो अलग,,,।
लेकिन मालकीन अब ,,, अब हमारा क्या होगा हम लोग तो कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,, शालू के पेट में बिरजू का बच्चा पड़ रहा है आज नहीं तो कल यह जमाने को पता चल जाएगा फिर सोचो क्या होगा आप लोगों का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा,,,, लेकिन हम लोग कहीं के नहीं रह जाएंगे,,,। शालू की शादी जमीदार बिरजू से कभी नहीं होने देगा,,।
होने देगा और ऐसा होकर रहेगा लेकिन इसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए अगर मेरी मदद करने का हौसला रखते हो तो अपनी माथे से यह कलंक भी मिटा सकते हो वरना कुछ नहीं हो पाएगा,,,
मैं कुछ भी करने को तैयार हूं मालकिन,,,,,
देखो बिरजू यह इतना आसान नहीं है जितना कि कहने में लग रहा है मैं जमीदार को रास्ते से हटाने की बात कर रही हूं,,,।
क्या,,,,?(रघु एकदम से चौक ते हुए बोला जमीदार की बीवी की बात सुनकर उसकी बहू राधा भी चौक गई)
हां जो तूम सुन रहे हो,, मैं बिल्कुल सच कह रही हु ऐसा ही करना होगा तभी जाकर सालु कि शादी बिरजू से हो पाएगी और उसके माथे का कलंक भी मिट पाएगा वरना सब कुछ अनर्थ हो जाएगा रघु,,, फैसला तुम्हारे हाथों में है,,,।
बडी मालकिन जरा ठीक से सोच लो अपने सिंदूर का सौदा कर रही हो,,,
मैं उसे अब अपना पति बिल्कुल भी नहीं मानती,,जब वह मुझे अपनी पत्नी नहीं मानता नहीं मुझे इज्जत देता है ना मेरी बात मानता है और ना मुझे फैसला करने का हक है तो मैं किस रिश्ते से उसकी पत्नी हूं वापस मुझे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए रखा है,,,
लेकिन ऐसा करने में खतरा है,,, कहीं हम पकड़े गए तो,,,
ऐसा कुछ भी नहीं होगा मैं तुम्हें सब बताती हूं कैसे कर रहा है लेकिन तुम्हें पीछे नहीं हटना है अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा तुम्हारे बहन का भविष्य तुम्हारे हाथों में है,,,,
मैं पीछे नहीं हटूंगा मालकिन मुझे भी अपने अपमान का बदला लेना है जमीदार ने मेरी बहुत बेज्जती की,,,,
हां तो तुम्हें वैसा ही करना होगा जैसा मैं कहती हूं तुम्हारा बदला भी पूरा हो जाएगा मेरा भी और तुम्हारी बहन की शादी में मेरे घर में हो जाएगी वह राज करेगी राज,,,,
हां रघु मां जी ठीक कह रही है,,, और तो और तुम्हारी बहन की शादी हो हमारे घर में हो जाने से तुम्हारा आना जाना भी बराबर बना रहेगा और जमीदार के ना रहने पर तो किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी,,,,
(रघु को सास बहू दोनों की बातें उचित लग रही थी सबसे ज्यादा जरूरी बात थी शालू की शादी और जिस तरह से मालकिन कह रही थी उसी तरह से ठाकुर को ठिकाने लगा देने के बाद उसकी बहन की शादी धाम धूम से उस घर में हो जाएगी,,,, कुछ देर सोचने के बाद रघु बोला,,,)
ठीक है मैं तैयार हूं लेकिन करना कब है,,,?
कल ही एकदम सुबह जब सूरज निकलता है उसके पहले ही क्योंकि उस समय जमींदार टहलने के लिएखेतों की तरफ जाती है और उस समय उनके साथ कोई भी आदमी नहीं होता वह बिल्कुल अकेले होते हैं,,, और वही मौका एकदम ठीक है अंधेरे का फायदा उठाकर तुम जमीदार को मार सकते हो,,,,
ठीक है मालकिन,,,आप जिस तरह से कह रही है अगर वैसा ही हुआ तो समझ लो काम हो जाएगा,,,
वैसा ही होगा रघु,,,, अच्छा अब हम चलते हैं,,, अगर किसी को यह भनक भी लग गई कि हम दोनों ईधर आए हैं तो गजब हो जाएगा,,,(इतना कहकर बड़ी मालकिन और उसकी बहू दोनों चली गई रघु सोच में पड़ गया था की बड़ी मालकिन ऊससे हत्या करने के लिए कह रही थी,,, जिसके बारे में वह सोच भी नहीं सकता था लेकिन उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था जान से ज्यादा इज्जत प्यारी होती है इज्जत के लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाता है रघु के सामने भी बस यही एक रास्ता नजर आ रहा था क्योंकि रघु अच्छी तरह से समझ गया था कि जमीदार के जीते जी उसकी बड़ी बहन उस घर की बहू कभी नहीं बन सकती और अगर ऐसा नहीं हो पाया तो ,,,, उसकी बहन शालू का हाथ समाज नहीं थाम पाएगा,,, और इसका जिम्मेदार भी वह खुद था इसलिए उसे ही रास्ता निकालना था काफी सोच विचार करने के बाद आखिरकार वह ऐसी निष्कर्ष पर पहुंचा की बड़ी मालकिन जो कह रही है उसी में सबकी भलाई है,,,,
दूसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही रघु किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गया,,, ,,, फैसला तो कर चुका था लेकिन उसके मन में डर भी लग रहा था क्योंकि आज तक उसने किसी से भी मारपीट नहीं किया और यहां तो सीधे-सीधे जान लेने की बात आ चुकी थी,,,, और जिस कशमकश में रघु फंसा हुआ था वहां पर सिर्फ दो ही चीज नजर आती थी या तो जान लेना या फिर जान देना,,,,,,,,।
आखिरकार रघु उस जगह पर छुप गया जहां से जमीदार टहलने के लिए निकला करता था अभी भी चारों तरफ अंधेरा था सूरज निकलने में समय था वह बेसब्री से जमीदार का इंतजार करने लगा,,,, हाथ में एक मोटा लट्ठ लिए रघु वहीं खेतों के अंदर बैठा रहा,,,,थोड़ी ही देर बाद किसी के चहलकदमी की आवाज उसके कानों में पड़ी,,, वह नजर उठाकर उस दिशा में देखा तो उसे जमीदार दिखाई दिया,,,, उसे थोड़ी बहुत घबराहट होने लगी उसकी रगों में खून का दौरा तेज हो गया,,,, जमीदार निश्चिंत होकर रोज की तरह बड़े आराम से चहल कदमी करता हुआ आ रहा था,,, हाथ में लकड़ी की छड़ थी,,,,,, जैसे ही जमीदार रघु के एकदम करीब से गुजरा रघु मौका देख कर एकदम से खेतों में से बाहर आया और जमीदार के ऊपर लट्ठ बरसाना शुरू कर दिया,,, और तब तक बरसाता रहा जब तक कि जमीदार नीचे गिर नहीं गया,,, नीचे गिरने के बाद भी रघु उसके ऊपर लट्ठ बरसाता रहा,,,। मौका देख कर रघु वहां से भाग गया किसी ने भी उसे आते जाते ना उसे मारते हुए देखा,,,।
सुबह हुई तो पूरे गांव में हड़कंप मच गया,,, गांव के दो चार आदमी जमींदार को वैध के पास ले गए,,, जमीदार की सांसे अभी चल रही थी हवेली में खबर मिलते ही रोना-धोना शुरू हो गया,,, जमीदार की बीवी और बहूअच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी रोने का नाटक करने लगी,,,,
पूरा गांव शोक मग्न हो गया,, किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का हादसा हो जाएगा,,, थोड़ी देर में सारे रिश्तेदार नाती इकट्ठा होने लगे तरह तरह की बातें बनाने लगे,,, सब को लगने लगा कि जरूर है जमीदार के किसी दुश्मन का काम है तो कोई कहता है कि चोर ऊच्चको का काम था,,,,,,जमीदार की बीवी और उसकी बहू दोनों खुश नजर आ रहे थे लेकिन अपनी खुशी अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने दे रहे थे,,। राधा के पिताजी लाला भी वहां पहुंच गया,,,, जिस तरह की हालत जमीदार की हो चुकी थी किसी को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह बच पाएगा,,,
तकरीबन 10 दिन तक वेद ने जमीदार का इलाज किया,,, सांसे चल रही थी,,,,, जैसे-जैसे जमीदार का इलाज बढ़ता जा रहा था रघु और जमीदार की बीवी और बहू तीनों की हालत खराब होती जा रही थी उन तीनों को इस बात का डर था कि कहीं जमीदार बच गया तो उनके किए कराए पर पानी फिर जाएगा हालांकि इस बात से पूरी तरह से निश्चिंत थे कि होश में आ जाने के बाद भी जमीदार यह नहीं बता सकता कि उस पर किसने हमला किया है,,,,।
फिर भी तीनों की हालत खराब थी तीनों आपस में बातें करने लगे थे कि अगर जमीदार बच गया तो क्या होगा,,,
लेकिन जमीदार की बीवी जैसे कि मन में ठान चुकी थी कि अगर जमीदार बच भी जाएगा तो उस पर दोबारा हमला करेंगे,,,,
तकरीबन 15 दिन गुजर जाने के बाद जमीदार ने अपनी आंखे खोला,,, जमीदार की बीवी वहीं पास में खड़ी थी,,, जमीदार बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन बोल नहीं पा रहा था हाथ की हरकत करना चाह रहा था लेकिन कर नही पा रहा था,,, जल्द ही वेद को समझ में आ गया कि जमीदार देख तो सकता है लेकिन बोल नहीं पाएगा ना तो हाथ को हिला पाएगा ना पैर को,,,। जैसे ही यह बात वैद जमीदार की बीवी को बताया,,, जमीदार की बीवी खुश हो गई ,,, राधा को इस बात की खबर पडते ही वह खुशी से झूम उठी,,,, जहां पूरा गांव रिश्तेदार सदमे में थी वही तीन लोग बेहद खुश थे ,,जमीदार की बीवी जमीदार की बहू और रघु,,,,। तीनों के मन की हो चुकी थी,,,।
महीना गुजर गया रिश्तेदारों का आना जाना हवेली में कम होने लगा जमीदार को उनके ही कमरे में,,, एक बिस्तर पर लिटाया गया,,,, और उनकी सेवा चाकरी करने के लिए नौकर को भी काम पर लगा दिया गया,,,।
शाम के वक्त जमीदार की बीवी जमीदार के कमरे में गई उसे दूध पिलाने का समय हो रहा था जमीदार की गिलास उठा कर जमीदार के होठों पर लगाकर धीरे-धीरे दूध को मुंह में डालने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,
देख लिया ना मनमानी करने का अंजाम अगर मेरी बात मान ली होती तो आज क्लास से नहीं बल्कि मुंह लगाकर दूध पी रहे होते,,, और वह भी मेरा,,, चलो कोई बात नहीं,,, तुम तो शालू को इस घर की बहू बनाने से रहे,,, लेकिन जमीदार साहब,,, शालू इसी घर की बहू बनेगी मैं शादी कराऊंगी बिरजू की सालु से,,, अब देखती हूं कौन रोकता है,,,
(इतना सुनते ही जमीदार के चेहरे पर गुस्से का भाव साफ नजर आने लगा,,, वह क्रोधित हो गया था और दूध के गिलास से अपना मुंह दूसरी तरफ हटा लिया,,, यह देख कर जमीदार की बीवी बोली,,,।
वाह रे मेरे जमीदार साहब रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया,,,, लेकिन यह तो शुरुआत है अभी से भी बड़ा झटका मैं तुम्हें दूंगी इसी कमरे में,,,,,,,।
Behtareen update,, रघु बहुत खुश था,, रघु क्या जमीदार की बीवी और राधा भी बेहद खुश थी, और होती भी कैसे नहीं आखिरकार उनके मन की जो हो चुकी थी,,, रघु के तो रास्ते का सबसे बड़ा कांटा दूर हो चुका था,, अब वह अपनी बहन की शादी बिरजू से बिना रोक टोक से करा सकता था,,,,,,।
कजरी जिसकी भावनाए मचलने लगी थी अपने ही बेटे के मर्दाना अंग को अपने अंदर लेने के लिए,,,,, वह अपनी भावनाओं पर काबू कर सकने में अब असमर्थ होती जा रही थी आखिरकार सबसे पहले वह एक औरत थी जिसकी को जरूर देखें कुछ इच्छाएं थी जो कि बरसों से उसके अंदर ही कभी रह गई थी लेकिन अब धीरे-धीरे वह बाहर आना शुरू हो गई थी,,,
ऐसे ही एक दिन कजरी नहा कर अपने कमरे के अंदर पेटीकोट और ब्लाउज पहन रही थी पेटिकोट तो पहन चुकी थी लेकिन ब्लाउज पहनने के बाद उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी ब्लाउज के दो बटन टूट चुके हैं,, और वह उसी तरह से ब्लाउज को पहने हुए ही सुई और डोरा ढुढने लगी,,, शालू और रघु दोनों घर पर नहीं थे वह अकेली ही थी,,, थोड़ी देर में उसे सुई और डोरा दोनों मिल गया,,, वह डोरे को सुई के छेद में डालने लगी,,, लेकिन छोटे से छेद मैं डोरा जा नहीं रहा था,,,, वह परेशान होने लगी,, ब्लाउज के बटन अभी भी पूरी तरह से खुले हुए थे उसकी दोनों चूचियां खरबूजे की तरह लटकी हुई थी,,, लेकिन दोनों में लटकन बिल्कुल भी नहीं एकदम कड़क और गोल थी,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर शालू होती तो सुई में धागा डालकर ब्लाउज के बटन लगा दी होती,,,जब काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी सुई के अंदर धागा नहीं गया तो वहां परेशान होकर अपने ब्लाउज को निकालने की सोचने लगी कि तभी अंदर वाले कमरे में जहां पर कजरी सुई में धागा डाल रही थी वहां पहुंच गया एकाएक रघु के इस तरह से कमरे के अंदर आ जाने की वजह से वो एकदम से सक पका गई और अपनी दोनों चूचियों को छुपाने की कोशिश करने लगी,,,, इस समय ना जाने क्यों कजरी को शर्म आने लगी थी जो कि रात को छत पर अपने ही बेटे से अपनी मालिश करवाने के बहाने उसे अपनी बुर के दर्शन करा रही थी,,।
रघु अंदर वाले कमरे में आते ही अपनी तेज नजरों से देख लिया था कि उसकी मां सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी और ब्लाउज पूरी तरह से खुला हुआ था उसमें एक भी बटन लगे हुए नहीं थे,,,, रघु की नजर एक झलक भर अपनी मां की दोनों नंगी चूचियों पर भी पड़ चुकी थी यह देख कर रघु के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, लेकिन अपने खुले हुए ब्लाउज में से झांक रही अपनी दोनों चूचियों को छुपाने की कोशिश करते हुए उसके हाथ से सुई और धागा तूने छूट कर नीचे गिर गया था,,, जिसे नीचे छुपा कर रघु उठाते हुए बोला,,,
क्या हुआ मां क्या सिलाई कर रही थी,,,
अरे कुछ नहीं बेटा ब्लाउज के बटन लगा रही थी लेकिन सुई में धागा जा ही नहीं रहा,,,
रुको मैं सुई में धागा डाल देता हूं,,,
तू सुई में धागा डाल लेगा,,,
तो क्या इस काम में मै माहिर हूं,,,, कितना भी छोटा छेद हो मैं अपनी सूझबूझ से उस में धागा डाल ही देता हूं,,,।(रघु दो अर्थ वाला शब्द बोल रहा था,,, और कजरी भी अपने बेटे के इस दो अर्थ वाले शब्द को सुनकर रोमांचित हो उठी,,, वह अपने मन में ही कल्पना करने लगी की,,, उसके बेटे का हथियार कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है और बरसों से उसकी बुर में लंड नहीं गया इसलिए उसका छेद काफी छोटा और शंकरा हो चुका था उसके बेटे के कहने के मुताबिक कैसा भी छेद हो वह बड़े आराम से डाल देगा,, यह, ख्याल मन में आते ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई,,, रघु पल भर में धागा में थूक लगाकर सुई में डाल दिया यह देख कर कजरी और ज्यादा रोमांचित हो उठी क्योंकि जिस तरह से वह धागे में थूक लगाकर उसे डाल रहा था,,,,, कजरी कल्पना करने की इसी तरह से वह अपने लंड पर थूक लगाकर उसकी बुर में डालेगा,,,, इस तरह की अश्लील कामोत्तेजक ख्याल की वजह से कजरी की हालत खराब होती जा रही थी,,,,, रघु सुई में धागा डाल चुका था,,, और सुई में धागा डालने के बाद बोला,,,।
लाओ में बटन लगा देता हूं कहां है क्लाउज,,,,
(रघु के मुंह से इतना सुनते ही कचरी एकदम से सन्न रह गई,,,।)
नहीं नहीं तू ला दे इधर मैं खुद लगा लूंगी,,,।
नहीं मां मुझे लगाने दो ना मैं लगा लेता हूं,,,(रघुजानबूझकर बटन लगाने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह जानता था कि जो ब्लाउज उसकी मां बहन नहीं है उसी ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करने देती है,,,)
अरे रघु तू रहने दे मैं लगा दूंगी बस धागा नहीं जा रहा था जो तूने डाल दिया है अब मैं आराम से लगा लूंगी,,,।
नहीं मा ऐसा क्यों कर रही हो,,,, लाओ ना में लगा देता हूं,,, कहां है ब्लाउज,,,?(रघु जानबूझकर इधर उधर नजर घुमाते हुए बोला,,,)
तो ऐसे नहीं मानेगा,,,,
इसमें मानने वाली क्या बात है,,,,
ले यह रहा ब्लाउज इसमें लगाना है बटन,,,,(कजरी एकदम से अपने ब्लाउज के दोनों छोर को पकड़ते हुए बोली और ऐसा करने से इसकी ब्लाउज के दोनों छोर थोड़ा खुल गया था जिससे रघु को अपनी मां की दोनों चूचियां एकदम साफ नजर आने लगी थी,,, कजरी को ऐसा था कि रघु शर्मा जाएगा और सुई धागा वही छोड़कर चला जाएगा लेकिन वह अपनी मां की हरकत पर एक टक ब्लाउज में हीं देखता रह गया,,, कजरी को इस तरह से रघु का अपनी चूचियों को देखना अच्छा भी लग रहा था,,,।
लाओ इसमें कौन सी बड़ी बात है अभी बटन लगा देता हूं,,, कहां है बटन,,,(रघु एकदम से सहज होता हुआ बोला,,,)
ओ रहा उस डिब्बे में,,,,(आंख से इशारा करते हुए कजरी बोली,,, रघु तुरंत उस डिब्बे की तरफ गया और उसमें से दो बटन निकालकर अपनी मां के पास आ गया,,,)
अभी लगा देता हू,,,,(इतना कहकर वह ब्लाउज में बटन लगाने की तैयारी करने लगा कजरी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से हैरान थी उसकी आंखों में उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं नजर आ रही थी,,, कजरी भी टस से मस नहीं हो रही थी हालांकि उसे शर्म आ रही थी लेकिन न जाने कौन सा आकर्षण था कि वह ना तो खुद वहां से जा रही थी और ना ही अपने बेटे को ऐसा करने से रोक पा रही थी,,, रघु की आंखों में अपनी चुचियों को देखकर एक अद्भुत चमक कजरी को नजर आ रही थी,,,, रघु अपनी मां की चूचियों को ही देख रहा था,,। एकदम गोलाकार खरबूजे की तरह कड़क,,, जिसे देख कर रखो के मुंह में पानी आ रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि,,, बटन लगाने के बहाने वह अपनी मां की चूचियों को छू सकता है और इसीलिए उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा जब वह एक हाथ से अपनी मां के ब्लाउज को छोड़ पकड़ कर उस पर बटन लगाना शुरू कर दिया,,, बार-बार जानबूझकर रघु की उंगलियों का स्पर्श चुचियों पर हो जा रहा था,,, जिसकी वजह से रघु के साथ-साथ कजरी के तन बदन में हलचल सी मच जा रही थी,,,। कजरी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी ब्लाउज का बटन उसका बेटा अपने हाथों से लगाएगा वो भी ब्लाउज पहने हुए ही,,, रघु बार-बार जानबूझकर अपनी मां की चुचियों को स्पर्श कर दे रहा था ,, चुचियों कि गर्माहट उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,। रघु का मन बहक रहा था वह अपनी मां की चूचियां अपनी हथेली में पकड़कर दबाना चाहता था उसे चूमना चाहता था लेकिन ऐसा कर सकने की स्थितिऔर हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी हालांकि उसकी जगह कोई और औरतहोती तो वह अब तक चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर उसे दबाने के साथ-साथ उसे पीने का भी सुख ले लिया होता,,, लेकिन बार-बार वह अपनी मां की चूचियों को छू ले रहा था हल्का सा स्पर्श भी रघु के तन बदन में उत्तेजना भर दे रहा था,,, देखते ही देखते पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, जिसका एहसास कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच बराबर होने लगा था नीचे देखने की हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी वह भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी लेकिन फिर भी हिम्मत करके वह नीचे की तरफ अपनी नजर दौड़ाई तो एकदम हैरान रह गई,,, रघु के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जो कि सीधा खड़ा होकर पेटिकोट के ऊपर से ही उसकी पुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था,,,पल भर में ही इस नजारे को देखकर और उसे महसूस करके कजरी की सांसे तेज चलने लगी,,,रघु धीरे-धीरे एक बटन लगा चुका था और दूसरा बटन लगा रहा था रघु यही सोच रहा था कि यह समय यहीं रुक जाए क्योंकि इस पल में उसे बेहद सुख की अनुभूति हो रही थी क्योंकि भले ही वह अपनी मां की चुदाई नहीं कर रहा था लेकिन चुदाई से भी अत्यधिक सुख उसे प्राप्त हो रहा था,,,,।
मां बेटे दोनों की हालत खराब थी अंदर वाले कमरे में रखो अपनी मां के ब्लाउज के बटन लगाते हुए उसकी चुचियों को छोड़ने का स्पर्श करने का आनंद ले रहा था हालांकि वह पूरी तरह से खुलकर अपनी हथेली में अपनी मां की चुचियों को नहीं पकड़ पा रहा था लेकिन फिर भी हल्का-हल्का स्पर्श उसे जवानी का जोश बढ़ाने में मदद कर रहा था,,,
जब-जब रघु की हथेली का स्पर्श कजरी को अपनी गोलाईयों पर होता वह पूरी तरह से गर्म हो जाती ,,,
रघु को इस बात का एहसास था कि पजामे में बना तंबू उसकी मां की बुर पर ठोकर मार रहा है और यह देखकर रघु भी अपने कदम पीछे नहीं ले रहा था बल्कि बार हल्का-हल्का अपनी कमर को आगे की तरफ ठैल रहा था जिससे कजरी को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं पेटिकोट के ऊपर से ही उसके बेटे का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार में प्रवेश न कर जाए,,,उत्तेजना के मारे कजरी की सांसे गहरी चल रही थी और गहरी सांसे चलने की वजह से उसकी दोनों चूचियां ऊपर नीचे उठ बैठ रही थी जिसकी वजह से बड़े आराम से कचरी की चूत में उसके बेटे के हाथ पर स्पर्श हो रही थी,,,
देखते-देखते रघु अपनी मां के ब्लाउज में दोनों बटन लगा दिया,,,, और सुई से धागे का गिठान लेते हुए बोला,,,
देख लो मा एकदम अच्छे से लगा दिया हुंं,,,, अब यह बिल्कुल भी टूटने वाला नहीं है,,,(रघु की बात सुनकर प्रतिमा बस हां में सिर हिला रही थी बोल सकने की हिम्मत उसके में बिल्कुल भी नहीं थी,,, और वह अपनी मां की ऐसी खामोशी को उसकी संमती समझ रहा था,,, इसलिए सुई धागा को एक तरफ रखते हुए वह बोला,,,।)
रुको मैं तुम्हारे ब्लाउज का बटन लगा देता, हूं,,,,
(इस पर भी कजरी उसे रोक नहीं पाए वह भी अपने बेटे के स्पर्श का आनंद लेना चाहती थी,, वह मूर्ति बनी देखती रह गई और रघु,,,,,अपनी मां के ब्लाउज के ऊपर वाला बटन काम करने लगा देते वह अपनी मां के ब्लाउज के ऊपर के दो बटन बंद कर चुका था वह जानबूझकर ऊपर के ही बटन को पहले बंद कर रहा था ताकि वह नीचे वाला बटन बंद करते समय अपनी मां की चूची को हाथ से पकड़ सके और ऐसा ही हुआ आखरी दो बटन लगाते समय वहा अपनी मां की बाइ चुची को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ब्लाउज के कटोरे में डालने लगा,,, यह हरकत कजरी के लिए जानलेवा साबित हो रही थी ऊपर हाथ की हरकत और नीचे लंड की ठोकर उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर रही थी,,,। उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बहना शुरू कर दी थी,,, कजरी अपनी सांसो को दूर से नहीं कर पा रही थी,,, तभी रघु अपनी मां की दांई चुची को पकड़ लिया और उससे ब्लाउज के कटोरे में डालने लगा लेकिन इस बार रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था वह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पीना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहा था और इसीलिए वह उस सूची को ब्लाउज के कटोरे में डालते हुए वह जोर-जोर से चूची को दबा रहा था छोड़ रहा था,,, ऐसा बार-बार कर रहा था जिससे कजरी पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी और कटोरे में आखिरी मौके में डालते समय वह कस के अपनी मां की चूची को दबा दिया पूरी तरह से उत्तेजित अवस्था में रघु ने यह हरकत किया था जिससे कजरी के मुंह से उत्तेजना भरी सिसकारी फुट पड़ी,,,।
सससहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपनी मां के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुन कर रखो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था अपनी मां की खामोशी को देखकर उसे इतना तो समझ में आ गया था कि उसकी हरकत उसकी मां को अच्छी लग रही है और वह इससे ज्यादा बढ़ना चाहता था,,, वह अपनी मां के ब्लाउज के आखिरी बटन को लगा रहा था,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा कुछ और हरकत करें और रघु भी अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल रहा था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आज अपनी मां को चोदने का पूरा मन बना चुका है,,, क्योंकि इतना तो वह अच्छी तरह से जानता था कि उसके लंड की हरकत उसकी मां अच्छी तरह से समझ रही है और कुछ बोल नहीं रही है इसका मतलब साफ था कि अगर वह पेटिकोट उठाकर अपनी मां की बुर में लंड डाल देगा तो भी ऊसकी मां को कोई भी एतराज नहीं होगा,,,, और शायद दोनों मां बेटे के मन में यही चल रहा था,,, क्योंकि मौका दोनों के पक्ष में था इसने घर पर चालू नहीं थी और दोनों अंदर वाले कमरे में थे और दोनों काफी उत्तेजित भी हो चुके थे कजरी की बुर से पानी लगातार बह रहा था जिससे पेटिकोट के आगे वाला भाग गीला हो चुका था जिसका आभास रघु को अच्छी तरह हो रहा था वह साफ देख पा रहा था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां गीली हो चुकी थी जोकि एक तरह से कजरी की तरफ से संपूर्ण सहमति का इशारा था,,,। रघु अपनी मां की आंखों में देखने के लिए कजरी की नजर भी रघु की नजरों से टकरा गई कुछ सेकंड तक दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते रहे और कजरी ने शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे कर दी,,, उसका इस तरह से शर्माना रघु की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने लगारघु अपने मन में यही सोच रहा था कि ऐसा मौका उसे फिर पता नहीं कब मिलेगा इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था पर वह अपनी मां की पेटीकोट को कमर तक उठाने की सोच ही रहा था कि बाहर बर्तन के खनकने की आवाज आने लगी,, मां बेटे दोनों समझ गए कि सालु घर पर आ चुकी हैं,,,, रंग में भंग पड़ चुका था किसी भी वक्त अंदर वाले कमरे में आ सकती थी इसलिए समय गवाएं बिना रघु वहां से जाने को हुआ और जाते-जाते,,, अपनी मां की चुचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,।
तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,,,,
(इतना कहते हुए वह कमरे से बाहर चला गया कजरी प्यासी नजरों से अपने बेटे को कमरे से बाहर जाते हुए देखते रह गई,,,शालू घर पर आ चुकी है इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी इसलिए साड़ी पहनने लगी लेकिन साड़ी पहनने से पहले अपने पेटिकोट के आगे वाले भाग पर डाली तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और अपने गीले पन के एहसास से वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई,,,।
Behtareen updateकजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, पहली बार उसके बेटे ने उसकी खूबसूरती की तारीफ किया था,,, कजरी अपने मन में सोचने लगी कि क्या देख कर रहा उसकी खूबसूरती की तारीफ किया,,,, कहीं उसकी चूचियों को देखकर तो नहीं,,, हां ऐसा हो सकता है पहली बार वह चुचियों को देख रहा था उसे छू रहा था उसे दबा रहा था शायद इसीलिए उसे खूबसूरती का एहसास हुआ हो कजरी अपने मन में यह सब बातें सोचने लगी वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी आखिरकार बरसो के बाद किसी मर्द का हाथ जो उसकी चुचियों पर पड़ा था,,, जिस तरह से रघु चुचियों के बारी बारी से पकड़कर ब्लाउज के कटोरे में डाला था चुचियों पर उसकी हथेली की पकड़ और उसका कसाव देखकर कजरी इतना तो समझ गई थी कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वाकई में उसकी चूचियां एक मर्दाना हाथों में जाएंगी,,, इस बात को सोच कर ही उसका बदन सिहरने लगा,,,।
प्रताप सिंह अपने कमरे में लेटे हुए था,,,, सिरहाने उसकी बीवी पंखा हिला कर उसे हवा दे रही थी,,, और पैर के लग लाला बैठा हुआ था,,, प्रताप सिंह की हालत पर उसे तरस आ रहा था लाला के सामने प्रताप सिंह की बीवी भी अफसोस जता रही थी,,, लेकिन यह सिर्फ ऊपरी मन से था अंदर से तो वह बहुत खुश थे क्योंकि ,,, अब सारा कारभार उसके हाथों में आ चुका था,,,,,,,
बसंती जी कब पूरी तरह से ठीक होते हैं यह कोई नहीं कह सकता क्योंकि वैध जी भी यही कह रहे थे कि,,,,,,,(इतना कहकर लाला चुप हो गया,,)
क्या कह रहे थे वेद जी,,,,(तेज निगाहों से जमीदार की बीवी लाला की तरफ देखते हुए बोली,,)
यही कि अब जमीदार साहब की तबीयत में सुधार अगर होगा तो हो जाएगा और नहीं हुआ तो बिल्कुल भी नहीं होगा,,,
यह तो हम भी जानते हैं समधी जी,,,, हमें तो यकीन नहीं हो रहा है कि इनके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा ना जाने कौन इनका ऐसा दुश्मन बन गया था कि उनकी जान लेने पर उतारू हो चुका था,,,, यह तो भगवान की कृपा है की जान बच गई,,,।
मैं भी यही कहना चाह रहा था,,,,, आखिरकार कब तक ऐसे बैठे रहने से काम चलेगा मैं यह कह रहा था कि समधी जी बिरजू की शादी एक जगह पर तय करके आए थे अगर शादी की तारीख पक्की हो जाती तो,,,,
नहीं नहीं,,, हमें तो यह बिल्कुल भी नहीं पता,,,, इन्होंने हमें कभी भी इस बारे में कोई भी बात नहीं की तो हम कैसे मान ले,,,,
(इतना सुनते ही जमीदार की आंखें चोडी हो गई,,, भोपाल कुछ पा नहीं रहा था लेकिन अपने गुस्से को जाकर कर सकता था और अपनी बीवी की यह बात पर उसे बहुत गुस्सा आया था,,,)
मेरी बात का यकीन करिए मैं और समधी जी खुद लड़की देख कर आए हैं,,,,
देखिए समधी जी आप क्या कह रहे हैं इस बारे में हमें बिल्कुल भी खबर नहीं,, है,,,, और रही बात हमारे बेटे बिरजू की शादी की तो उसके लिए हमने एक सुंदर सी लड़की देख रखी जिससे बिरजू भी प्यार करता है,,, बिरजू की शादी उसी लड़की से होगी यह हमने तय कर चुके हैं,,,।
नहीं नहीं ऐसा मत कहिए हमने उस लड़की की मां को जबान देकर आए हैं,,,,
देखिए समधी जी,,, इस बारे में हम और कोई बात नहीं सुनना चाहते,,,, फैसला हम कर चुके हैं,,, बिरजू की शादी वही होगी जहां वह चाहता है,,,,
लेकिन समधीन जी,,,,
बस करिए समधी जी,,,, आपकी बात सुनकर देख रहे हैं ईनके माथे पर पसीना आ रहा है ईनकी तबीयत खराब हो रही है,,,,,, आइंदा शादी की बात मत करिएगा,,,,(लाला के सामने सिर्फ दिखावा करते हुए जमीदार की बीवी जमीदार के सर पर हाथ फेरने लगी,,, लाला समझ गया कि अब दाल गलने वाली नहीं है,,, क्योंकि उसे भी साफ नजर आ रहा था कि उसके समधिन का मिजाज बदल चुका था,,,, अगर जमीदार की तबीयत सही होती तो आज ऐसा कुछ भी नहीं होता,,, कुछ देर तक कमरे में खामोशी छाई रही कमरे में लाना की बेटी राधा भी खड़ी थी लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,और उसके बोलने लायक कुछ था कि नहीं क्योंकि उसके साथ जो भी कह रही थी उसमें ही उसकी भी भलाई थी,,,, लाला समझ गया कि,,, अब कुछ नहीं हो सकता इसलिए वहां से गुस्से में खड़ा हो गया और कमरे से बाहर निकलने लगा तो उसकी बेटी राधा की उसके पीछे पीछे के दरवाजे तक छोड़ने के लिए आई,,,,लाला राधा से की शादी के बारे में बात करने के लिए बोला तो राधा ने साफ इंकार कर दी,,,,।
नहीं बाबू जी मैं कुछ नहीं कह सकती आप तो जानते हैं कि फैसला लेने का अधिकार ससुर जी के हाथ में था और आप उनकी हालत ठीक नहीं है और ऐसे में मां जी के हाथ में सब कुछ है,,,,
तुम अगर समझा देती बेटी तो शायद वो मान जाती,,,,
ठीक है पिताजी कहते हैं तो मैं जरूर बात करूंगी लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ नहीं होने वाला,,,।
(लाला निराश होकर जा चुका था,,, राधा खुश थी,,,,, भले ही उसके बाप की बात का कोई मतलब ना निकला हो शादी के लिए किया गया वादा टूट गया हो,,,, लेकिन जिस्म की चाहत के आगे सब कुछ बेकार है यह राधा की खुशी देखकर अच्छी तरह से समझा जा सकता था,,,, जमीदार की बीवी जमीदार के पास बैठे हुए थे और जमीदार के बाल को सहलाते हुए बोली,,,)
देख लिया ना,,,जमीदार साहब वक्त बदलते देर नहीं लगती कल तक सब कुछ तुम्हारे हाथ में था हमारी बात की आपके आगे कोई दरकार नहीं होती थी लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है आप सब कुछ हमारे हाथ में है,,, इसका नमूना तो अभी-अभी देख ही चुके हो,,,(इतना सुनते ही जमीदार एकदम क्रोधित हो क्या उसके चेहरे पर आवेश के भाव साफ नजर आने लगी लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता जमीदार की बेबसी को देख कर जमीदार की बीवी बोली)
तेवर दिखाने की कोई जरूरत नहीं है जमीदार साहब,,,, रस्सी जल चुकी है,,,, अब कोई काम की नहीं,,,, देख लिया ना औरत की ताकत,,,,जब बात औरत के स्वाभिमान की आती है तो यही अंजाम होता है,,,।(इतना कह रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुआ और जमीदार की बीवी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए अपनी बहू राधा से बोली,,,)
जाओ बहु,,, दरवाजा खोल दो रघु आया होगा,,,,(जमीदार के चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोली,,,,) हम बोले थे ना जमीदार साहब इसी कमरे में तुम को सबसे बड़ा झटका दूंगी समय आ गया है,,,, अरे जाओ बहु दरवाजा तो खोल दो,,,,(एक कोने में खड़ी राधा तुरंत गई और दरवाजा खोल दी सामने रखो ही था जिसे कुछ देर पहले जमीदार की बीवी ने हीं बुलवाई थी,,,,, रघु कमरे में प्रवेश करता हुआ बोला,,)
क्या बात है बड़ी मालकिन कोई जरूरी काम था क्या,,,?
अरे अब तुमसे जरूरी काम नहीं होगा तो किससे होगा,,, अब तो तुम्हारा इस घर में आना जाना होता ही रहेगा,,,
अरे मालकिन सब आपकी मेहरबानी है,,,,
हमारी नहीं सब ऊपर वाले की मेहरबानी है और थोड़ा बहुत हमारे जमींदार साहब की,,,, न ये अपनी जिद पर अड़े रहते,,, और ना ही हमारे स्वाभिमान को ललकारते,,, तो सब कुछ ठीक ही चलता रहता जमींदार साहब की यह हालत नहीं होती,,,(जमीदार की बीवी सिरहाने बैठे बैठे ही जमीदार के बाल में उंगली फिरते हुए बोली,,, रघु को देखकर जमीदार को समझ नहीं पा रहा था वापस टकटकी लगाए रघु को देखे जा रहा था और अपनी बीवी की बात के ताने-बाने को बुनकर किसी निष्कर्ष पर निकलने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,,इतना तो वह जानता ही था कि बिरजू की शादी रखो की बहन के साथ करने के लिए ही उसकी बीवी और वह खुद उसे मनाने के लिए आए थे लेकिन इसी कमरे में बड़े झटके वाली बात को वह समझ नहीं पा रहा था,,,, जमीदार की बीवी ही बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)
जमींदार साहब आप लाख कोशिश कर लिए लेकिन कुछ हुआ नहीं,,,,रघु की बहन भी इस घर की बहू बनेगी अब यह तय है और आज ही शादी की तारीख में की होगी,,,, यह तो था हमारी बात ना मानने का नतीजा और अब हमारे स्वाभिमान हमारे स्त्रीत्व को जो तुमने गाली दिए हो,,,, उसका परिवार तो हम तुमसे आज ही लेकर रहेंगे,,,, क्या कहे थे,,,, की इस घर को हम चिराग नहीं दे पाए मां नहीं बन पाए इसमें किसकी गलती है,,,,,, तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी मेरी जिंदगी खराब करने वाले तुम हो अपनी हवस मिटाने के लिए ना अपनी उम्र का लिहाज किए और मेरी उम्र का ख्याल बस ले आए अपने घर में बीवी बनाकर,,, दम है तुम्हारे में शुरू होते नहीं हो कि खत्म हो जाते हो,,,, खुद के लंड में ताकत नहीं है और दूसरे को ईल्जाम लगाते हो,,,,(जमीदार अपनी बीवी की बात को सुनते जा रहा था वहां खड़ा रघु और राधा भी उसकी बात को सुन रहे थे और समझ भी रहे थे,,,, जमीदार बेबस था लाचार था वरनाइस तरह की गंदी बातें अपनी बीवी को मुंह से सुनना उसे कभी भी गवारा नहीं होता खास करके दूसरे के सामने लेकिन कर भी क्या सकता था सुनने के सिवा उसके पास और कोई चारा नहीं था,,,,)
क्या कह रहे थे मैं मां नहीं बन सकती तो सुन लो जमींदार साहब,,,, मै मा बनूंगी,,,, लेकिन जानते हो किसके बच्चे की,,,(इतना कहने के साथ ही बिस्तर पर से वह खड़ी हो गई और रघु का हाथ पकड़ते हुए बोली) रघु के ईसके बच्चे की मां बनुंगी,,,,(इतना सुनते ही जमीदार के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था कि उसकी जिंदगी में इंसान पल भी आएगा जब वह इतना तिरस्कृत होगा और वह भी अपने ही बीवी के आगे और उसकी बीवी खुद उसे तिरस्कृत करेगी उसका अपमान करें और गांव के ही लड़के के साथ रंगरेलियां मनाने की बात करेगी और उसके बच्चे की मां बनने की यह प्रताप सिंह के लिए डूब मरने वाली बात थी या फिर मार देने वाली बात थी लेकिन ना वह डूब कर मर सकता था ना ही मार सकता था दोनों ही सूरत में वह पूरी तरह से लाचार था,,,, सिर्फ गुस्सा कर सकता था अपने नथुनों से,,, जोर-जोर से सांसे ले सकता था,,,, उसकी हालत देखकर जमीदार की बीवी खुश होने लगी और हंसते हुए बोली,,,)
क्या हुआ जमींदार साहब होश उड़ गए,,,, यह तो शुरुआत है अभी बहुत कुछ देखना बाकी है आपको,,, देखना मैं आपकी जिंदगी नरक से भी बदतर कर दूंगी औरत की ताकत का अंदाजा तुम्हें बिल्कुल भी नहीं है,,,,। और हां एक बात और,,,,,,,, ये,,,(राधा की तरफ उंगली से इशारा करते हुए)
इसे भी गाली दे रहे थे ना,,,, कि यह भी अभी तक मां नहीं बन पाई,,, तो इसमें भी तुम्हारे ही लड़के का दोष है,,, तुम्हारे खानदान में दोष,,, है,,, औरत की इच्छा पूरी करने की ताकत तुम्हारे खानदान में बिल्कुल भी नहीं है,,,, और यह भी रघु के ही बच्चे की मां बनेगी इस हवेली को चिराग देगी,,,(इतना सुनकर जमीदार की हालत और खराब हो गई उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे अपने आप पर परेशानी लगा किसकी आंखों के सामने उसके घर में अनर्थ होने जा रहा था,,,, रघु और राधा दोनों खुश नजर आ रहे थे रघु तो खुश ही था आखिरकार सब कुछ सही जो हो रहा था उसकी बड़ी बहन इस घर में बहू बनकर आने वाली थी और उसके लिए इस घर में इस खानदान में,,तीन तीन बुर का जुगाड़ हो चुका था एक बड़ी मालकिन,,,,, राधा,,, और उसकी खुद की बड़ी बहन शालू,,,, सब कुछ सही हो जाने पर वह ईस घर में आकर तीनों को बारी-बारी से चोद सकता था,,,। अब सही समय आ गया था जमीदार की आंखों के सामने अपनी जवानी का जलवा दिखाने का इसलिए जमीदार की बीवी जमींदार की आंखों के सामने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिर आते हुए अपनी भारी भरकम छाती को रघु के सामने उजागर करते हुए बोली,,,,
आ जाओ रघु अब देर किस बात की है,,,,
(रघु तो बड़ी मालकिन की ब्लाउज में कैद उसकी बड़ी बड़ी छातियों को देखकर,,, एकदम लालच से भर गया उसके लिए भी आज का दिन कुछ अद्भुत और अलग ही था क्योंकि वह एक औरत को उसके ही पति की आंखों के सामने चोदने वाला था,,, और कोई मामूली औरत को नहीं गांव के बड़े जमीदार की बीवी को चोदने वाला था,,, इस बात का एहसास रघु को पूरी तरह से उत्तेजित कर लिया वह समझ गया था कि अब इस हवेली में नंगा नाच होने वाला है,,, वह तुरंत आगे बढ़ा और जमीदार की आंखों के सामने राधा की आंखों के सामने जमीदार की बीवी और राधा की सास को अपनी गोद में उठा लिया,,,, जमीदार की बीवी इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी वो एकदम से घबरा गई लेकिन उसे रघु के ऊपर पूरा भरोसा था उसकी ताकत पर पूरा भरोसा था रघु जमीदार की खूबसूरत बीवी को अपनी गोद में उठा लिया था यह देखकर राधा भी स्तब्ध रह गई थी और जमीदार की तो हालत खराब हो गई थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसके घर की इज्जत उसकी बीवी की इज्जत लूटने जा रही थी,,, रघु जमीदार की बीवी को गोद में उठाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों के रस को पीना शुरू कर दिया,,।
क्रमशः
Behtareen updateरघु जमीदार की बीवी को अपनी गोद में उठाए हुए था,, और उत्तेजना में आकर,, उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,, बिस्तर पर लाचार पड़ा जमीदार अपनी फटी आंखों से इस नजारे को देखकर क्रोधित हुआ जा रहा था,,, लेकिन कुछ भी उसके हाथ में नहीं था वह सिर्फ क्रोध कर सकता था और इसके अलावा कुछ भी कर सकने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं था,,, दूसरी तरफ रघु की उत्तेजना का ठिकाना ना था क्योंकि जिंदगी में पहली बार हुआ किसी पति के सामने उसकी पत्नी के साथ रंगरेलियां मनाने जा रहा था और उसकी शुरुआत वह बड़े घर की मालकिन को अपनी गोद में उठाकर उसके होंठ को चूसते हुए कर चुका था,,, जमीदार की बीवी भी रघु का साथ देते हुए अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ करके उत्तेजना मैं आकर रघु के बाल में अपनी उंगली फेरने लगी,, दोनों का चुंबन एकदम प्रगाढ़ होता जा रहा था,, दोनों एकदम से भूल गए कि कमरे में जमीदार के साथ राधा के खड़ी है,,,राधा रघु की ताकत पर पूरी तरह से आफरीन हो चुकी थी जिस तरह से वह भारी भरकम जमीदार की बीवी को बड़े आराम से अपनी गोद में उठाकर उसके लाल-लाल होठों के रस को चुस रहा है उसे देखते हुए राधा की दोनों टांगों के बीच के गुलाबी छेद में से पानी रिसने लगा,,,,,,वह खुद रघु की मर्दाना ताकत को आजमा चुकी थी और उससे संपूर्ण रूप से संतुष्ट भी थी लेकिन जिस अंदाज में उसने उसकी सास को अपनी गोद में उठाया था उसे देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,,,
दोनों बारी बारी से एक दूसरे के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने का आनंद लूट रहे थे दोनों के मुंह से निकल रही लार एक दूसरे के मुंह में घुल जा रही थी,,, और यह देख कर राधा की बुर से भी लार टपकने लगा था,,,, जमीदार लाचार था,,,हालात के हाथों बेबस था,,,
जमीदार की आंखों में खून उतर आया क्योंकि उसकी बीवी को उठाया हुआ था उसके हाथ उसकी बीवी की उभरी हुई गांड पर थी,, जिस का सहारा लेकर वहां अपने हाथ में उसकी बीवी को उठाया था,,, अब तक जमींदार अपनी बीवी पर अपना हक समझता था और ऐसा था भी लेकिन धीरे-धीरे हालात बदल गए थे,,,,,, कुछ देर तक यह नजारा ऐसा ही चलता रहा रघु जमीदार की आंखों के सामने उसकी बीवी के लाल लाल होठों का रस पीकर मस्त हो चुका था,,, वो धीरे से जमीदार की बीवी को नीचे जमीन पर उतारा जमीदार की बीवी अपने पति की तरफ टोन भरी नजर से देखने लगी,,, और मुस्कुराते हुए एक बार फिर से वह खुद रघु को अपनी बाहों में भर कर उसके होठों को चूसने लगी,,, रघु भी कम कमीना नहीं था वह जानता था कि अब जमीदार किसी काम का नहीं है और सब कुछ उसकी बीवी के हाथ में ही तो वह जमीदार को और चलाने के लिए उत्तेजना मैं आकर उसकी बीवी को अपनी बांहों में भरते हुए अपने दोनों हाथेलीयो को उसकी चिकनी पीठ से नीचे की तरफ ले जाते हुए अपनी हथेली को उसकी कमर के नीचे उसके नितंबों के उभार पर लाकर उसे दोनों हथेलियों में दबोच लिया,,,,,, गांड के उभार पर का मांस मानो वह अपनी हथेलियों में भरकर नोच लेना चाहता हो,,,,,, रघु कि इस उत्तेजना भरी हरकत के कारण जमीदार की बीवी की हालत खराब हो गई और उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फुट पड़ी,,, कोरिया देखकर जमीदार की हालत खराब होने लगी उसकी आंखों में लाल डोले ऊपस आए थे,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे यह दिन भी देखना पड़ेगा,,, जिसकी नजर उठा कर देखने की औकात नहीं कि आज वह लौंडा उसकी बीवी के बदन से खेल रहा था,,,, ,,,
ओहहहहहह,,,मालकिन तुम्हारी गांड मुझे बहुत पसंद है बहुत अच्छी लगती है इसे खेलने में मुझे बहुत मजा आता है,,,,(रघु जानबूझकर यह बात एकदम उत्तेजित स्वर में और जमीदार की बीवी की गांड को उसकी आंखों के सामने मसलते हुए बोला रघु की बात सुनकर जमीदार का क्रोध बढ़ने लगा वह बार-बार अपने पैरों को अपने हाथों को हिलाने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,, रघु की बात सुनकर जमीदार की बीवी बोली)
मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी हूं रघु ,,,जैसा जी चाहे वैसा मेरे बदन से मेरे साथ कर सकते हो,,,,
ओहहहह,,, मालकिन तुम बहुत अच्छी हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही जमीदार को और जलाने के लिए वह अपनी बाहों में लिए हुए ही जमीदार की बीवी को ठीक इस तरह से खड़ा हो गया की जमीदार की बीवी की पीठ जमीदार के सामने आ गए और वह जमीदार की बीवी की साड़ी को उसकी आंखों के सामने ही ऊपर की तरफ उठाने लगा,, और वह भी एक झटके के साथ नहीं आहिस्ता आहिस्ता धीरे-धीरे वह जमीदार को एकदम नीचा दिखाते हुए,,, उसकी बीवी की साड़ी को वह ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, इस हरकत को अंजाम देते हुए रघु जमीदार की आंखों में देख रहा था वह देखना चाहता था कि अपनी बीवी कोई साल में देख कर उस पर क्या बीतती है,,,, राधा की भी सांसे तेज चलने लगी थी वह भी रघु की इस हरकत का अंजाम देखना चाहती थी मंजिल पर पहुंचने की खुशी देखना चाहती थी,,,, रघु पूरी तरह से बदहवास हो चुका था एक औरत जोकि जिस औरत के साथ वो खेल रहा था उसकी बहु थी और एक ऊसका पति एकदम लाचार था,,, इतना लाचार की कुछ कर नहीं पा रहा था और ना ही मुंह से ही उसे रुकने के लिए बोल रहा था,,,, और रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए और अपने अपमान का बदला लेते हुए जमीदार की बीवी की साड़ी को धीरे-धीरे करके एकदम ऊपर उठा दिया कमर के ऊपर जिससे जमीदार की बीवी की नंगी मोटी मोटी गदराई गांड जमीदार की आंखों के सामने चमकने लगी,,, ओर रघु जमीदार की बीवी की नंगी गांड को अपने हाथ में भरकर जोर जोर से मसलने लगा,,, जिसकी वजह से जमीदार की बीवी के मुख्य गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,।
सससहहहह,,,आहहहहहह,,,,, रघु क्या कर रहा है,,,(एकदम मादक स्वर में बोली,,,)
तुम्हारी खूबसूरत गांड से खेल रहा हूं मालकिन,,,,
क्यों तुझे मेरी गांड ज्यादा पसंद है क्या,,,?
बहुत पसंद है मालकिन,,,,, इतना कि मैं बता नहीं ,,,,
देखो ना मालकिन मालिक देख रहे हैं,,,,(रघु जमीदार की बीवी की गांड पर चपत लगाते हुए बोला,,,।
आहहहह,,,रे ,,,, क्या कर रहा है,,,,,, जमीदार देख रहे तो देखने दो और देखने के सिवा कर भी क्या सकते हैं,,,,,,
(अपनी बीवी के मुंह से इस तरह की बात सुनकर जमीदार और गुस्से में आ गया और जोर-जोर से अपने नथुनों में से सांस अंदर बाहर करने लगा,,। रघु जानता था की जमीदार को बहुत गुस्सा आ रहा है इसलिए रखो जानबूझकर उसे और गुस्सा दिलाने के लिए अपनी उंगली को उसकी बीवी की गांड की फांकों के बीच डालने लगा,,, और जमीदार को सुनाते हुए बोला,,)
ओहहहह,,, मालकिन तुम्हारी खूबसूरत गांड देखकर आज तो मेरा मन तुम्हारी गांड मारने को कर रहा है,,,,(इतना कहते हुए रघु अपनी बीच वाली उंगली को जमीदार की बीवी की गांड के भूरे रंग के छेद में घुसाने ा लगा,,,, छोटे से छेद में रघु की उंगली को घुसता हुआ महसूस करते ही वह एकदम से उछल पड़ी,,,,)
आहहहहह,,, रघु,,,, क्या कर रहा है,,,, अभी उस जगह नहीं,,,,
तो कब मालकीन,,,,(रघु उस छोटे से छेद कर अपनी उंगली को हल्के हल्के घुमाते हुए बोला,,,।)
जब समय आएगा तो पीछे वाला भी ले लेना,,, आज तो मेरी बुर में आग लगी है इसे बुझाना जरूरी है,,,।(अपनी सास के मुंह से,, इस तरह की खुली गंदी बातें सुनकर राधा एकदम हैरान थी लेकिन उसकी बातों से उसे मजा भी आ रहा था दूसरी तरफ जमीदार की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसकी सांस ऊपर नीचे हो रही थी मानो कि अभी दिल का दौरा पड़ जाएगा,,,, जमीदार भले कुछ कर सकने की स्थिति में नहीं था लेकिन वह अपने मन में सोच रहा थाअपनी बीवी की बेवफाई के बारे में जिस तरह की खुली बातें अभी इस समय वह अपने से आधी उम्र के छोकरे के साथ कर रही थी,,, उस तरह की बातें उसने आज तक उससे नहीं की यह सब सोचकर जमीदार अपने आप को और ज्यादा लाचार महसूस करने लगा,,, रघु जानबूझकर ऊसे और गुस्सा दिलाना चाहता था,,, इसलिए जमीदार की बीवी को थोड़ा सा झुका कर उसी तरह से अपनी बाहों में दिए हुए ही वह अपने दोनों हाथों से जमीदार की बीवी की गांड की दोनों फांकों को पकड़कर उस छोटे से पूरे रंग के छेद को जमीदार को दिखाते हुए बोला,,,।)
ठीक से देख लीजिए मालिक अपनी बीवी की खूबसूरत गांड के इस छोटे से छेद को,,, देखना एक दिन तुम्हारी आंखों के सामने ही,, तुम्हारी बीवी मतलब की मालकिन की गांड के छेद में अपना लंड डालकर मालकिन की गांड मारूंगा,,,,
(रघु के यह गंदे शब्द उसकी बीवी के लिए जमीदार के सीने में शुल की तरह चुभ रहे थे,,, और कोई वक्त होता तो रघु इस तरह की बातें करने की हिम्मत कदापि नहीं करता और खुद जमीदार स्थिति में ना होता तो इतना सुन कर रघु उसकी आंखों के सामने इस तरह से खड़ा नहीं रह पाता,,,। ,,, लेकिन कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने उसकी बीवी की इज्जत उसके घर के नौकर के बराबर का लड़का लूट रहा था मजे ले रहा था लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहा था,,, बस गुस्से में आकर थोड़ी-थोड़ी देर पर अपना मुंह फेर ले रहा था ताकि,,, अपने खानदान मान मर्यादा का मुंह काला होते हुए वह देख ना पाए,,,,,, लेकिन ज्यादा देर तक वह इस नजारे को अनदेखा कर नहीं पा रहा था,,, जमीदार की पूरा मामला अब समझ में आ रहा था कि किस लिए उसकी बीवी शालू को इस घर की बहू बनाने पर उतारू थी जिस तरह से रघु उसके बदन से बेझिझक खेल रहा था,,, यह खेल आज का नहीं था बल्कि ना जाने कब से यह सिलसिला शुरू था,,, थोड़ा और ज्यादा दिमाग पर जोर देने पर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी गलती थी जो उसने रघु के साथ उसकी बीवी को मायके जाने दिया हो ना हो रघु के साथ मायके जाने के दरमियान ही इन तीनों के बीच इस तरह के रिश्ते पनपना शुरू हो गए जो कि आज उसके खुद के लिए नासूर बन चुका था,,,, रघु पूरी मस्ती में था जोश से भरा हुआ,,, जमीदार की बीवी भी मस्ती में आ चुकी थी रघु जोर-जोर से उसकी गोरी गोरी गांड पर चपत लगाता हुआ उसकी गांड से खेल रहा था,,,वह भी जानता था कि राधा भी वही खड़ी होकर इस नजारे का आनंद ले रही है इसलिए वह जमीदार की बीवी की गांड को उसकी आंखों के सामने करते हुए जिस तरह से जमीदार के सामने झुका कर उसकी गांड के भूरे रंग के छेद को दिखा रहा था उसी तरह से राधा को भी जमीदार की बीवी की गांड के भूरे रंग के छेद को दिखाते हुए बोला,,,,।)
छोटी मालकिन देख रही हो तुम्हारी सास कितनी खूबसूरत है और तुम्हारी सास की गांड कितनी खूबसूरत है बड़ी-बड़ी देख कर ही लंड खड़ा हो जाता है,,,, तुम्हारी भी गांड बहुत खूबसूरत है छोटी मालकिन देखना एक दिन तुम दोनों की एक साथ गांड मारूंगा,,,
( इतना सुनते ही रहता है एकदम से शर्मा गई और शर्मा कर बोली,,,)
धत्,,,,, (और इतना कहते हैं शर्मा कर और मुस्कुरा कर वहां से अपने कमरे की तरफ भाग खड़ी हुई)
यह तो शर्मा कर भाग गई मालकिन,,,,।
उसका भी मन कर रहा होगा,,,, लेकिन सब की उपस्थिति में शर्मा रही है,,,, चल जाने दे उसकी जवानी से बाद में करना पहले मेरी गर्म जवानी को ठंडा कर,,,,।
(इतना सुनना था की रघु जमीदार के बीवी के ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,, जमीदार से यह देखा नहीं जा रहा था वह खड़ा नहीं हो पा रहा था लेकिन फिर भी खड़े होने की कोशिश कर रहा था जो कि बिल्कुल नाकाम थी,,,पर देखते ही देखते रखो जमीदार की आंखों के सामने ही उसकी बीवी के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी खरबूजे चुचियों को बाहर निकाल दिया
लाजवाब