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हां एक बेटी को अपने बाप के लंड की गुलाम बन के रहना चाहिएUsko pyar se chod dena chahiye uske liy papa ka land hi sb kuch h
Yr kahaani ka next part update kroहां एक बेटी को अपने बाप के लंड की गुलाम बन के रहना चाहिए![]()
Bro update aa gaya hainYr kahaani ka next part update kro
Bro age ka update kro yrदिव्य और निशा हस्ती और एक साथ हां बोल देती हैं। अब दोनो लड़किया अपने कपड़े गाड़ी में से उठा कर पहनती हैं। और फिर तीनों दुकान में समान लेने चले जाते हैं।
अब आगे...
Update - 68b
तीनों दुकान में पहुंचते हैं तो वहा एक थोड़ा मोटा सा आदमी होता हैं जो दुकान का मालिक होता हैं और एक लड़का होता हैं। जैसे मालिक दिव्या और निशा को देखता हैं उसकी आंखें बड़ी हो जाती हैं। वो लगातार दोनो के चुचियों को घूर रहा होता हैं। उसको ऐसा करते तीनो बाप बेटी पकड़ लेते हैं।अब शिवम की नजर दुकान के अंदर पड़ती हैं तो वो लड़का उन दोनो की गांड देख के आंखें सेक रहा होता हैं।
अब थोड़ी देर तीनों कुछ बोले बिना खड़े रहते हैं। फिर दिव्या बोलती हैं: पापा हम खड़े क्यों हैं?
शिवम: हां बेटा ये लोग पता नही क्या सोच रहे हैं।
दोनो की आवाज पड़ते हैं मालिक होश में आता हैं और तुरंत पूछता हैं: आप को क्या चाहिए?
दिव्य बड़ी प्यारी आवाज में बोलती हैं: अंकल हम कुछ रजिस्टर और pens चाहिए।
अब उन लोगो के कान में एक दम से आई वो सुरीली आवाज आग में घी का काम करती हैं। जो लंड उन का दोनो को देख के खड़ा होता हैं। वो इस आवाज को सुन के फटने को हो जाता हैं।
अब दोनो से किसी भी तरीके से कंट्रोल नही हो रहा होता हैं पर दोनो कुछ कर भी नही सकते हैं ये सोच के दोनो उनको तीनों को जल्दी भागा के घर भागने की सोचते हैं। अब मालिक अपने कर्मचारी की ओर देखता हैं अब दोनो आखों में ही एक दूसरे को अपना हाल समझा देते हैं। तो मालिक उस लड़के से बोलता हैं: छोटू जरा रजिस्टर लेके आओ मैं यहां pen दिखा देता हूं।
दिव्य और निशा दोनो का हाल समझ रही होती हैं और दोनो लड़किया उनको और torture करने का सोचती हैं। जिसके लिए दोनो decide करती हैं के सब काम अभी धीरे धीरे करेंगी। वो pen दिखाता है तो दोनो अपनी फरमाइसे बताने लगती हैं। अब थोड़ी देर तक यही चलता हैं दोनो अब अपना क्लीवेज भी दिखाने लगती हैं आगे बढ़के जिससे दोनों का हाल और खराब हो जाता है। दोनो एक दिन से एक असहनीय सीमा पे पहुंच जाते हैं तभी मालिक की नजर शिवम पे पड़ती हैं जो के हस रहा होता हैं। शिवम की हसी देख उसको लगता हैं के इस आदमी को समझ आ रहा हैं। तो वो शिवम को ही देखता है और आंखों से रिक्वेस्ट करता है दोनो को लेके जाने की।
अब शिवम जब उसकी ओर देखता है उसको उसकी बात समझ आ जाती हैं और उनको और तड़पना नही चाहता होता हैं तो दिव्या से बोलता हैं: बेटा बस हो गया बहुत देर हो रही ये ये ले लो बस।
दिव्य: पापा पर...
दिव्य के पर बोलते ही शिवम उसके होंठो को चूमता हैं और उसकी चुचियों को मसलता हुआ होंठ हटाते हुए बोलता हैं: जान हो गया बहुत घर भी चलना है।
दिव्या शिवम की इस हरकत से हैरान होती पर खुश भी बहुत होती हैं और बोलती हैं: ठीक है पापा जैसा आप बोले। अंकल ये सब पैक कर दो।
वो दोनो मर्द देख रहे होते हैं पर वो kiss ने उन दोनो के लंड को और दर्द दे दिया होता हैं।
तो दोनो जल्दी से समान पैक करके उनको पकड़ते हैं और दुकान का शटर गिरा के लंड हिलाने लगते हैं वही शिवम दिव्या और निशा कार में बैठते हैं। दिव्य पूछती हैं: पापा अपने kiss क्यों की वहा पे।
शिवम: तुम पर पे अटकी थी। तो क्या करता?
दिव्य: पापा उनको परेशान कर रही थी बस।
शिवम: बेटा बहुत ज्यादा कर दिया था तुम दोनो ने के उन्होंने मुझसे रिक्वेस्ट की थी।
दिव्य हस्ते हुए: अच्छा पापा इसलिए दोनो घर भागने की जगह शटर डाल दिए हैं।
शिवम: हां जान तुम दोनो ने बहुत तड़पाया हैं।
इसपे दोनो हसने लगती हैं और दिव्य बोलती हैं: पापा kiss करके तो अपने भी तड़पा दिया है मुझे।
शिवम: अच्छा मेरी जान। तो क्या करू तुम्हारी तड़प के लिए।
दिव्य: अभी कुछ नही कल करेंगे जब गाड़ी सीखने चलेंगे।
शिवम: ठीक हैं जान।
निशा: दी वैसे एक बात याद आई आपका बर्थडे हैं न परसो।
दिव्य: हां मेरी जान। क्यों पूछा तूने।
निशा: दी आपके पीरियड्स रहेंगे क्या तब तक।
दिव्य: नही जान। कल तक रुक जायेंगे।
निशा: दी आपको कैसे पता?
दिव्य: जान मेरी चूत जितनी तड़प रही हैं इसको पता हैं न परसो पापा इसको बेस्ट बर्थडे गिफ्ट देंगे।
निशा: दी अगर ये पीरियड्स नही रुको तो आप क्या करेंगी?
दिव्य: अगर ऐसा कुछ भी हुआ तो भी मैं परसो चुद जाऊंगी पापा से।
अब शिवम इस बात पे दिव्या के होंठ को चूमते हुए बोलता हैं: जान परसो तुम्हारी चूत को जरूर लंड दूंगा।
ये बोले शिवम गाड़ी चला देता हैं घर की ओर। अब तीनो लोग बतियाते हैं और दिव्य शिवम को थोड़ा घुमाते हुए घर ले जाने को बोलती है तो शिवम थोड़ा लंबे रास्ते से घर जाने लगता है और लड़कियां पूरे कपड़े उतार के गाड़ी में गाने बजाने लगती हैं और ऐसे ही नाचते गाते तीनो घर आ जाते हैं।
Mst brooooये बोले शिवम गाड़ी चला देता हैं घर की ओर। अब तीनो लोग बतियाते हैं और दिव्य शिवम को थोड़ा घुमाते हुए घर ले जाने को बोलती है तो शिवम थोड़ा लंबे रास्ते से घर जाने लगता है और लड़कियां पूरे कपड़े उतार के गाड़ी में गाने बजाने लगती हैं और ऐसे ही नाचते गाते तीनो घर आ जाते हैं।
अब आगे...
Update - 69
अब तीनो घर आते हैं तो नूपुर दिव्या से पूछती हैं: इतनी देर कैसे लग गई।
दिव्य नूपुर को शिवम के लंड की तरफ इशारा कर देती हैं और हल्का सा मुस्कुरा देती हैं। इसको देख नूपुर समझ जाती हैं। पर क्युकी पलक इस सवाल का जवाब सुनना चाहती होती हैं तो दिव्या एक जूठा बहाना बना देती हैं।
इस बहाने को सुन पलक शांत हो जाती हैं और अपने रूम के ओर चल देती हैं। नूपुर यहां किचन में काम कर रही होती हैं तो वो दिव्या को अपने पास बुलाती हैं और पूछती हैं: क्या क्या किया तुम लोगो ने और निशा ने अपनी चूत दी के नही?
दिव्य: नही ना मम्मी निशा ने चुदाई नही की।
नूपुर: क्यू?
दिव्य: वो उसी से पूछो आप। मैं बस अपना बता दूं यहां उस वक्त पापा का लंड बहुत तड़प रहा था तो मैं एक सुनसान जगह ले गई थी और वहां अच्छे से मैने अपनी गांड मरवाई पापा से।
नूपुर: हां जान मैने देखा था पर क्या ही कर सकती थी मैं और जब तुमने झूठ बोला था न तो मैं समझ गई थी इसलिए निशा को भेजा था के तू उसकी चूत खुलवा देगी। पर वो वर्जिन ही आ गई घर।
दिव्य: मम्मी मैने बोला था पर मानी ही नही वो।
अब नूपुर निशा को अपने पास बुला लेती हैं और उसकी चूत में अपनी मसलों से सनी उंगली डाल देती हैं। जिस से उसको थोड़ी जलन होती हैं और वो नूपुर को उंगली बाहर निकलने के लिए बोलती हैं। अब नूपुर वो उंगली निकाल लेती हैं और निशा के मुंह में डाल के फिर उसको kiss करती हैं और बोलती हैं: जान जलन हो रही थी क्या?
निशा: हां मम्मी।
नूपुर: तो रंडी इस चूत का कोई मतलब है इसका कोई काम तो हैं नहीं तो इसका अब मैं आचार भी न डालूं क्या।
निशा: क्या मतलब मम्मी?
नूपुर: मां की लोड़ी साली। अब इस चूत का क्या ही मतलब हैं इस घर में अब तो इसका आचार ही डाल सकती हूं उसमें भी इस रंडी को जलन हो रही हैं।
निशा: मम्मी ऐसा क्यों बोल रही हो?
नूपुर: तो क्या बोलूं तेरी आरती उतारू जब बहन की लोड़ी तुझे मैने इन दोनो के साथ भेजा था तो तू घर वापस वर्जिन कैसे आई। साली अपनी चूत मरवा नहीं सकती थी।
निशा: वो...वो...
नूपुर: क्या वो वो साली मुझे लगा था दिव्या गांड मरवाएगी तो तू भी चूत दे देगी। अब दिव्या के पीरियड्स हैं तो बेचारी चूत नही दे पा रही हैं। तो तेरे पापा को एक नई चूत मिल जायेगी। पर नही रंडी को संस्कारी बनना हैं।
निशा: नही मम्मी ये नही हैं सॉरी पर मैं दी की चूत मरवाने के बाद ही मरवाना चाहती हूं।
नूपुर: किस खुशी में?
निशा: मम्मी पापा को अपनी सगी बेटी की चूत पहले मिलनी चाहिए समझो ना।
नूपुर: अच्छा पर तू भी तो सोच तेरी दी अगर चूत नही दे पा रही हैं तो तू उसकी जगह पापा के लंड को संभाले। और तुम दोनो ही उनकी सही बेटी हो समझी। और तुम दोनो ये संस्कारी टाइप लड़किया ना बना करो मेरी पर्सनलाइज्ड रंडिया हो तुम दोनो।
निशा: हां मम्मी पर मैं तो पापा की रखैल की बेटी हूं ना।
नूपुर: तो मैं भी उनकी रखैल ही हूं। इस घर की सब औरतें उनकी रखैल ही हैं समझी। और एक बात और तू उस प्राची की बेटी नही हैं मेरी हैं ये याद रखना और मैं तुम दोनों फरक करती होती तो तुझे दिव्या के चुदने से पहले नंगा ना करती या फिर तुझे इतना सीखा के चुदने के लिए न कहती तेरी इज्जत लुटवा देती। पर मेरे लिए तू दिव्या ही हैं तो जैसे तेरी बहन की चूत हैं वैसी ही तेरी भी हैं। अब अगर अगली बार तूने अपनी चूत देने में इतनी नौटंकी की और मेरे और दिव्या के कहने के बाद भी नही चुदाई की तो मैं सच में इस चूत का आचार बना दूंगी और ऊपर छत पे सुखा के अगले दिन हम लोग इसको खा भी जायेंगे। एक वर्जिन चूत की इस घर पे कोई जगह नहीं है।
निशा: ठीक है मम्मी। जैसा आप और दीदी कहेंगी वही मैं करूंगी।
दिव्य: तो तुझसे मैने ये बोला हैं ना मुझे दी नही रंडी बोला कर।
निशा: सॉरी मेरी रण्डी।
दिव्य: गुड गर्ल।
नूपुर: अच्छा निशा वैसे ज्यादा डांटा हो तो सॉरी जान और तुम्हे जलन हुई होगी ना चलो मैं तुम्हारी चूत धो देती हूं।
निशा: अबे रंडी। अब तू छिनालपना कर रही हैं। साली अगर तेरी रंडिया तेरी नही सुनेगी तो अच्छे से इस कोठे को कैसे चलाएंगी। और रही बात इस मसालों की जलन की तो मैं तो तेरी सब्जी ही हूं ना तू मसाला लगाए या चौखा मुझे तो बस इस शरीर को तुझे सर्व ही करना हैं।
नूपुर: हाए मेरी जान तू बिल्कुल रंडी बन गई हैं अब तुम दोनो इस कोठे की जान बन जाओ बस। और सुनो ये डांट तुम दोनो के लिए थी। कल से तुम दोनो को स्कूल जाना है वहा तुम दोनो को सब संस्कारी बनाएंगे और बोलेंगे ये सब गलत हैं और होगा भी पर इस गलत में जो सुख हैं वो उनके सही में नही हैं। तो तुम दोनो मेरी परवरिश मत भूलना।
दिव्य: आपको क्या लगता हैं आपकी रंडिया इतनी ना समझ हैं के अपनी मां की सिखाई बातों को भूल जाए वो भी उन घटिया चूत वालियों की बातें सुन के। मम्मी हम दोनो आपकी सबसे प्यारी रंडिया बनेंगी और आप अगर कहोगी तो अपनी रंडियों वाली हरकत उस जगह भी करेंगे।
नूपुर: गुड मेरी जान तुम दोनो अभी बस इस कोठे में रंडिया बनो और बस ये करना के अपने जिस्म पे वहा पे उतने कम से कम कपड़े रखना और उनकी आदत मत लगाना।
निशा: मम्मी नंगा रहने में इतना मजा है के कपड़ो की आदत हम्हे अब कभी नहीं लग सकती हैं। और आप बोलो तो नंगी चली जाए हम दोनो।
नूपुर: अभी नही जान एक बार तुम दोनो पापा से अपनी चूत चुदवा लो फिर जहां जैसे जाना हो जाना फिर तुम दोनो की कोई चूत मरेगा उसका डर नही रहेगा।
दोनो साथ में: ठीक हैं मम्मी।
नूपुर: तुम दोनो को पैंटी और ब्रा अलाउड नही हैं और शर्ट अभी रात में तुम दोनो बैठके मेरे साथ चोटी करवाओगी।
निशा: मम्मी स्कर्ट भी चोटी करोगी ना?
नूपुर: और नही तो क्या मेरी दोनो बेटियों की बस चूत से जरा नीचे तक रहेगी स्कर्ट। और शर्ट मेरी बेटियों के पेट के ऊपर तक रहेगा।
अब ये सुन दोनो खुश हो जाती हैं। उतने में पलक नीचे आती हैं खाने के लिए पर वो देखती हैं के तीनों बात कर रही हैं और खाना कुछ नही बना हैं तो वो पूछती हैं: मम्मी खाना कब तक बनेगा।
नूपुर: आरे सॉरी जान अभी बस बनने वाला हैं तुम बैठो और तुम दोनो भी जा के बैठ जाओ।
दोनो साथ में: ठीक हैं मम्मी।
अब निशा और दिव्य जा के कुर्सी पे बैठती हैं तो पलक देखती हैं निशा की चूत पे मसाले लगे हैं तो वो पूछती हैं निशा से: निशा तेरी चूत पे मसाले कैसे लगे?
निशा नूपुर की तरफ देखती हैं और बोलती हैं: मम्मी को मेरी चूत इतनी पसंद हैं न दी के वो इसका आचार बना के खाना चाहती हैं।
नूपुर: ये तो सच हैं। वैसे निशा तू यही मैं सच में तेरी चूत का आचार बना लूं आज के खाने के लिए।
निशा: हां मम्मी। बिलकुल।
अब निशा वापस नूपुर के पास चली जाती हैं नूपुर सब्जी बनाती हैं और निशा रोटी सिकवाने लगती हैं फिर पहले नूपुर निशा से सबकी प्लेट्स लगवाती हैं और जब तीनो को खाना मिल जाता हैं नूपुर थोड़े मसाले और निकल के निशा की चूत पे जिसकी जलन से निशा बिलकुल तड़प जाति हैं फिर नूपुर थोड़ा तेल डाल देती हैं सरसो का। फिर वो पूरी चूत पे निशा के मसलों को मलती हैं और अंदर भी ले जा के कर रही होती हैं इस से निशा इतना तड़प जाति हैं के उसकी चूत भी पानी छोड़ देती हैं जिसको नूपुर सब मसालों में मिलने लगती हैं। ये होने के बाद नूपुर निशा को उसकी प्लेट देती हैं और किचन की स्लैब पे उसको बैठक देती हैं चूत खुलवा के और अपनी प्लेट उसकी चूत के सामने रखे के खाने लगती हैं। कभी निशा की चूत से रोटी लगा के खाती हैं कभी जीभ से चाट के।
निशा को इस तरीके के सेक्स से बहुत मजा आने लगता हैं और वो अपनी प्लेट नीचे रख देती हैं बोलती हैं: आह मम्मी मुझे नही पता ये सब मेरी चूत के लिए कितना खराब हैं पर.... आह... आह्ह्ह.... पर अगर आप रोज इस चूत का आचार खाओगी तो मैं इस सुख के लिए इस चूत को आपको देती हूं।
नूपुर निशा की चूत चाटना रोक कर: जान मैं तेरी चूत के साथ सब कुछ करूंगी जो कुछ गंदे से गंदा काम हम लोग कर सकते हैं। तेरी चूत के फ्लेवर का आचार 100 रंदुए पैदा करने के लिए काफी हैं।
उतने में दिव्या भी अपनी प्लेट लेके आती हैं और निशा की चूत पे लगे मसाले को खाने के लिए रोटी का टुकड़ा बढ़ती ही हैं के नूपुर रोक देती हैं उसका हाथ और बोलती हैं: साली ये मेरा आचार हैं बस मैं खाऊंगी तू भाग यहां से।
निशा: मम्मी रहन दो ना मैं तो सबकी हूं सबको खाने दो ना आचार।
नूपुर: ठीक हैं।
अब निशा की चूत का मसाला दिव्या रोटी पे लगाके खाती हैं तो उसको भी मजा आ जाती हैं। उसको देख पलक और शिवम भी आ जाते हैं।
नूपुर बोलती हैं: पता हैं ये बहुत पौष्टिक आचार हैं।
दिव्य: मम्मी मैं तो ये रोज खाऊंगी अब से।
पलक को कुछ अच्छा नहीं लगा होता हैं क्युकी उसकी रंडियों के खयाल से नही खाया होता हैं तो वो वापस कुर्सी पर बैठ जाती हैं वही बाकी तीनों निशा की चूत को खाने लगते है। अब सब जैसे ही अपना खाना खतम करते हैं तो नूपुर निशा को खाना अपने हाथ से खिलाती हैं और जो बचा कुछ मसाला निशा की चूत पे लगा होता हैं उसको भी खिलाती हैं जो निशा को भी अच्छा लगता हैं। अब खाना खतम होने पे निशा नूपुर के साथ बाथरूम में चली जाती हैं वही बाकी सब अपने रूम में।