अब शिवम् और निशा कमरे में पहुंचते हैं। दिव्या दोनो को देखती हैं और एक कामिनी मुस्कान मुस्कुराती है।
अब आगे...
अपडेट - 66a
दिव्या निशा और शिवम को देख के पूछती हैं: और होगया पिता पुत्री का मिलना?
निशा इसपे तुरंत जवाब देती हैं: हां कामिनी होगया मिलन और तू जो सोच रही हैं न तो वो नही हुआ हैं मैं पापा से नही चुदवाया हैं इसीलिए बोल रही हैं न रंडी कही मैने अपनी चूत न मरवा ली हो। बोल साली।
दिव्या: हाए कामिनी तू अब इतने हक से बोलती हैं के मुझे मजा ही आ जाता हैं। और तू अगर चुद भी जायेगी ना पापा से तो मुझे कोई दिक्कत नही तू चुदे मैं चुदहू एक ही बात हैं।
निशा: ऐसा हो ही नही सकता हैं मेरी सबसे प्यारी बहन से पहले मैं चुदने के बारे में सोच भी लू। भले ही पापा हो या भैया आप की पहला हक होगा चुदने का।
दिव्या: तू इस दुनिया की सबसे प्यारी छोटी बहन हैं।
निशा: आप सबसे प्यारी और सुंदर बहन हो। मेरी जान।
अब दोनो की बातो के बीच शिवम बोलता हैं: जान चुदाई करनी हैं?
दिव्या: पापा आपको बहुत तड़प हो रही हैं अपनी बेटी चोदने की।
शिवम: जान तेरी मां का फोन आया था और वो पलक को अपने साथ लेके गई हैं और बता रही थी तू बहुत तड़प रही है इसलिए मैं जल्दी जल्दी अपने काम छोर के आया हूं अब अगर वो दोनो आ जाए और तेरी तड़प ना मिटे तो मुझे मत बोलना।
दिव्या: पापा वो हमें आपके साथ चुदाई नही करनी है बस cuddle और kiss करना हैं।
शिवम: ठीक हैं मेरी जान। मुझे तो बहुत अच्छा लगेगा मेरी दोनो बेतिया मेरी बाहों में होंगी तो उन दोनो के शरीर को छूने का मजा और किसी चीज में नही हैं।
इतने पे दिव्या बिस्तर पे बैठे बैठे शिवम का पकड़ लेती हैं और दोनो एक दूसरे को kiss करने लगते हैं।
निशा वही पे खड़ी रह कर दोनो को देखती हैं और मन में सोचने लगती हैं: हाए इसी को इंसेस्ट बोलते हैं। वो तड़प, वो हक, वो गुस्सा और वो desperation जो इतनी देर में दी की आखों में देखा उसी को असली प्यार कहते हैं शायद। मैं अगर किसी गैर मर्द से भी प्यार करती तो ये तड़प नही ला पाती को अभी देख रही हूं। ऐसा लग रहा हैं कई सालों के बाद दो आशिक मिल रहे हैं। ये बहुत खूबसूरत नजारा हैं और मेरे मन में भी यही तड़प महसूस कर रही हूं मैं। कितने प्यारे लग रहे दोनो कोई फिकर नही हैं किसी भूल की दोनो को और ना ही इस जमाने से छुपना हैं इन दोनो को। इंसेस्ट में ये खूबसूरती होती हैं मुझे नही पता था। काश मैं पहले अपने प्यार को पा लेती काश मैं पहले ही पापा को ऐसे kiss कर पाती उनके नीचे आ जाती। हाए भगवान अपने इस दुनिया में इंसेस्ट को इतना बुरा क्यों बताया हम जैसी लड़कियां इस चीज को बुरा मान कर अपनी सच्ची मोहब्बत से कुछ बोल ना पाए। पर मेरे लिए अच्छा आज मेरे पापा के सामने नंगी थी और मेरे सामने नंगे थे उन्होंने मुझे गोद में उठाया था मतलब मेरा प्यार मुकमल हो जायेगा। बस दी का प्यार उनसे दूर न करू इतनी कोशिश हमेशा ही करूंगी। उन्होंने मुझे सब दिलाया मैं अपना सब उनको दूंगी।
इतना सोचते हुए निशा बिस्तर के एक तरफ बैठ के दोनो के देखने लगती हैं और उसको समझ आता हैं के दोनो एक दूसरे में इतना खो गई हैं के दोनो को कुछ न याद है ना ही कुछ पता चल रहा। इस बात से वो मन में खुश होती है और सोचती हैं: ये दोनो कितने प्यारे लग रहे हैं मन कर रहा बस देखती रहूं दोनो को। अब तो पापा मुझे चोदे या नहीं बस मुझे पूरी जिंदगी इन दोनो के इस प्यार को देखने को मिलता रहे उतना काफी हैं।
अभी दोनो को kiss करते हुए 15 मिनट बीत जाते हैं पर दोनो एक मिनट के लिए भी होंठो को अलग नही करते हैं और निशा भी बस चुप चाप पूरा वक्त दोनो को निहार रही होती बिना की तड़प के वो बस देख कर पूरे नजारे को अपने दिल में बसा रही होती हैं। उस एक वक्त खुद निशा भी उस नजारे में खो चुकी होती हैं और उसके मन में एक पल के लिए भी शिवम को पाने का खयाल नहीं आता हैं न ही दिव्या से जलन होती हैं उसको कोई।
अब इतनी देर में दरवाजे की बेल बजती है। अभी बेल तीनों को नही सुनाई देती हैं। अब दोबारा कोई कस के बेल बजाता हैं तो निशा होश में आती हैं और सोचती हैं ये बेल कौन बजा रहा हैं वो दिव्या और शिवम को रोकने का सोचती है पर वो करने से उसका दिल माना कर देता हैं तो वो सोचती है: इन दोनो को परेशान नहीं करती हूं कोई कपड़ा डाल के दरवाजे पे कौन हैं देख के आती हूं कुछ होगा गड़बड़ तो इन दोनो को डिस्टर्ब करूंगी।
ये सोच के निशा तुरंत पूरा एक गाउन डाल लेती हैं और दरवाजे पे चिलाती हुई पहौचती हैं: कौन हैं बाबा खोल रही हूं इतना बिल कहे बजा रहे हो।
दरवाजा खोलती हैं तो देखती हैं सामने कोई अनजान इंसान खड़ा होता हैं। उसको देख निशा सपाका जाती हैं।
निशा पूछती हैं: आप कौन सर।
इंसान: मैं शिवम का दोस्त हूं तुम कौन हो।
निशा: मैं शिवम की छोटी बेटी निशा। आपको कोई काम था क्या।
दोस्त: हां शिवम मिलने वाला था मुझसे पर मिलने नही आया उसके ऑफिस गया तो वो वहा भी नही था वहा पता चला के घर पे हैं।
अब निशा को समझ नही आता हैं के ये सब छुपाए या बताए तो वो सोचती है के झूठ बोल देती हूं कुछ क्युकी पापा और दी को परेशान नहीं होने देना हैं।
निशा: वो पापा आए थे पर निकल गए है किसी काम से बाहर कितनी देर में आयेंगे मुझे नही पता हैं।
दोस्त: अच्छा चलो ठीक हैं। वैसे नूपुर हैं घर में?
निशा: नही वो भी बाहर गई हैं उनसे कोई काम था क्या?
दोस्त: नही नही बस पूछा शिवम नही होता तो मैं उस से ही मिले चला जाता। अच्छा घर पे कोई और हैं?
निशा: नही कोई नही मैं अकेली हूं।
अब निशा ने ये बात मासूमियत में बोली होती हैं अपने पापा और दी को बचाने के लिए। तभी निशा की नजरे उस आदमी की आंखो पे पड़ती हैं जो उसको ऊपर से नीचे तक देख रहा होता हैं। इस बात पे पहले निशा को गुस्सा आता हैं क्युकी वो समझ जाती हैं ये क्या सोच रहा फिर उसके दिमाग में अचानक से दिव्या की बातें आती हैं और उसको समझ आता हैं के वो एक मर्द हैं और उसको मैं अच्छी लग रही होंगी इसलिए मेरी लेना चाह रहा हैं। पर उसको याद आता है इस बात को वो आगे नहीं बढ़ने दे सकती हैं क्युकी पापा और दी इस हालत में नहीं हैं के कोई उन्हें देखे तो वो तुरंत बोलती हैं: अंकल क्या देख रहे हैं आप?
दोस्त: कुछ नही मैं अंदर आ सकता हूं क्या?
निशा: नही अंकल आप नही आ सकते हैं और आप जो सोच रहे उसको वही रोक दीजिए मैं मेरे मम्मी पापा की लाडली हूं अगर कुछ भी अपने ऐसा वैसा करने की कोशिश की भी तो मेरा जो होगा सो होगा पर मेरे मम्मी पापा को आप भी जानते होंगे वो आपको कही से भी ढूंढ के वो हसर करेंगे के आप सोच भी नहीं सकते हैं।
अब इतना सुन शिवम की दोस्त की गांड फट जाती हैं और बोलने लगता हैं: ऐसा कुछ नही बेटा तुम गलत समझ रही हो मुझे मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था वैसे भी मुझे याद आया मुझे एक काम था मैं निकलता हूं पापा आए तो बोलना मैं आया था।
निशा: हां अंकल अच्छा ही होगा के मैं आपको गलत ही समझूं बाकी पापा को बता दूंगी सब अब आप जाइए।
ये बोले निशा दरवाजा बंद कर लेती हैं और उसको उतने देर में एहसास होता हैं के पहले लोगो को वो समझ नही पाती थी और कोई गंदी हरकत करता भी तो रोकने या जवाब देने की हिम्मत नही हो पाती थी पर आज उसने एक बार किसी इंसान को उसकी औकात याद दिलाई होती हैं। इसपे वो खुश हो जाती हैं और सोचती हैं: ये सब सच और दी ने जो कुछ बताया हैं उसी वजह से मुझे अपनी इज्जत का डर नहीं था और उनकी नजरो को भी समझ पाई थी इतनी जल्दी। ये सब दी की सीख से ही मिली हिम्मत से हुआ हैं। अब मैं इन सबको कभी भी गलत नही मानूंगी भले कोई कुछ कहे मैं प्यार हिम्मत और अपने अंदर बदलाव सब देखे हैं इसके बाद। आई लव यू दी।