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Incest बेटी को लंड की प्यासी रंडी बनाया

कौनसा किरदार आपको सबसे अच्छा लगा?


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Shivgoyal

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Rakesh1999

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जबदस्त अपडेट....👌👌👌👌👌
 

Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Shivgoyal

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अब शिवम् और निशा कमरे में पहुंचते हैं। दिव्या दोनो को देखती हैं और एक कामिनी मुस्कान मुस्कुराती है।
अब आगे...
अपडेट - 66a
दिव्या निशा और शिवम को देख के पूछती हैं: और होगया पिता पुत्री का मिलना?
निशा इसपे तुरंत जवाब देती हैं: हां कामिनी होगया मिलन और तू जो सोच रही हैं न तो वो नही हुआ हैं मैं पापा से नही चुदवाया हैं इसीलिए बोल रही हैं न रंडी कही मैने अपनी चूत न मरवा ली हो। बोल साली।
दिव्या: हाए कामिनी तू अब इतने हक से बोलती हैं के मुझे मजा ही आ जाता हैं। और तू अगर चुद भी जायेगी ना पापा से तो मुझे कोई दिक्कत नही तू चुदे मैं चुदहू एक ही बात हैं।
निशा: ऐसा हो ही नही सकता हैं मेरी सबसे प्यारी बहन से पहले मैं चुदने के बारे में सोच भी लू। भले ही पापा हो या भैया आप की पहला हक होगा चुदने का।
दिव्या: तू इस दुनिया की सबसे प्यारी छोटी बहन हैं।
निशा: आप सबसे प्यारी और सुंदर बहन हो। मेरी जान।
अब दोनो की बातो के बीच शिवम बोलता हैं: जान चुदाई करनी हैं?
दिव्या: पापा आपको बहुत तड़प हो रही हैं अपनी बेटी चोदने की।
शिवम: जान तेरी मां का फोन आया था और वो पलक को अपने साथ लेके गई हैं और बता रही थी तू बहुत तड़प रही है इसलिए मैं जल्दी जल्दी अपने काम छोर के आया हूं अब अगर वो दोनो आ जाए और तेरी तड़प ना मिटे तो मुझे मत बोलना।
दिव्या: पापा वो हमें आपके साथ चुदाई नही करनी है बस cuddle और kiss करना हैं।
शिवम: ठीक हैं मेरी जान। मुझे तो बहुत अच्छा लगेगा मेरी दोनो बेतिया मेरी बाहों में होंगी तो उन दोनो के शरीर को छूने का मजा और किसी चीज में नही हैं।
इतने पे दिव्या बिस्तर पे बैठे बैठे शिवम का पकड़ लेती हैं और दोनो एक दूसरे को kiss करने लगते हैं।
निशा वही पे खड़ी रह कर दोनो को देखती हैं और मन में सोचने लगती हैं: हाए इसी को इंसेस्ट बोलते हैं। वो तड़प, वो हक, वो गुस्सा और वो desperation जो इतनी देर में दी की आखों में देखा उसी को असली प्यार कहते हैं शायद। मैं अगर किसी गैर मर्द से भी प्यार करती तो ये तड़प नही ला पाती को अभी देख रही हूं। ऐसा लग रहा हैं कई सालों के बाद दो आशिक मिल रहे हैं। ये बहुत खूबसूरत नजारा हैं और मेरे मन में भी यही तड़प महसूस कर रही हूं मैं। कितने प्यारे लग रहे दोनो कोई फिकर नही हैं किसी भूल की दोनो को और ना ही इस जमाने से छुपना हैं इन दोनो को। इंसेस्ट में ये खूबसूरती होती हैं मुझे नही पता था। काश मैं पहले अपने प्यार को पा लेती काश मैं पहले ही पापा को ऐसे kiss कर पाती उनके नीचे आ जाती। हाए भगवान अपने इस दुनिया में इंसेस्ट को इतना बुरा क्यों बताया हम जैसी लड़कियां इस चीज को बुरा मान कर अपनी सच्ची मोहब्बत से कुछ बोल ना पाए। पर मेरे लिए अच्छा आज मेरे पापा के सामने नंगी थी और मेरे सामने नंगे थे उन्होंने मुझे गोद में उठाया था मतलब मेरा प्यार मुकमल हो जायेगा। बस दी का प्यार उनसे दूर न करू इतनी कोशिश हमेशा ही करूंगी। उन्होंने मुझे सब दिलाया मैं अपना सब उनको दूंगी।
इतना सोचते हुए निशा बिस्तर के एक तरफ बैठ के दोनो के देखने लगती हैं और उसको समझ आता हैं के दोनो एक दूसरे में इतना खो गई हैं के दोनो को कुछ न याद है ना ही कुछ पता चल रहा। इस बात से वो मन में खुश होती है और सोचती हैं: ये दोनो कितने प्यारे लग रहे हैं मन कर रहा बस देखती रहूं दोनो को। अब तो पापा मुझे चोदे या नहीं बस मुझे पूरी जिंदगी इन दोनो के इस प्यार को देखने को मिलता रहे उतना काफी हैं।
अभी दोनो को kiss करते हुए 15 मिनट बीत जाते हैं पर दोनो एक मिनट के लिए भी होंठो को अलग नही करते हैं और निशा भी बस चुप चाप पूरा वक्त दोनो को निहार रही होती बिना की तड़प के वो बस देख कर पूरे नजारे को अपने दिल में बसा रही होती हैं। उस एक वक्त खुद निशा भी उस नजारे में खो चुकी होती हैं और उसके मन में एक पल के लिए भी शिवम को पाने का खयाल नहीं आता हैं न ही दिव्या से जलन होती हैं उसको कोई।
अब इतनी देर में दरवाजे की बेल बजती है। अभी बेल तीनों को नही सुनाई देती हैं। अब दोबारा कोई कस के बेल बजाता हैं तो निशा होश में आती हैं और सोचती हैं ये बेल कौन बजा रहा हैं वो दिव्या और शिवम को रोकने का सोचती है पर वो करने से उसका दिल माना कर देता हैं तो वो सोचती है: इन दोनो को परेशान नहीं करती हूं कोई कपड़ा डाल के दरवाजे पे कौन हैं देख के आती हूं कुछ होगा गड़बड़ तो इन दोनो को डिस्टर्ब करूंगी।
ये सोच के निशा तुरंत पूरा एक गाउन डाल लेती हैं और दरवाजे पे चिलाती हुई पहौचती हैं: कौन हैं बाबा खोल रही हूं इतना बिल कहे बजा रहे हो।
दरवाजा खोलती हैं तो देखती हैं सामने कोई अनजान इंसान खड़ा होता हैं। उसको देख निशा सपाका जाती हैं।
निशा पूछती हैं: आप कौन सर।
इंसान: मैं शिवम का दोस्त हूं तुम कौन हो।
निशा: मैं शिवम की छोटी बेटी निशा। आपको कोई काम था क्या।
दोस्त: हां शिवम मिलने वाला था मुझसे पर मिलने नही आया उसके ऑफिस गया तो वो वहा भी नही था वहा पता चला के घर पे हैं।
अब निशा को समझ नही आता हैं के ये सब छुपाए या बताए तो वो सोचती है के झूठ बोल देती हूं कुछ क्युकी पापा और दी को परेशान नहीं होने देना हैं।
निशा: वो पापा आए थे पर निकल गए है किसी काम से बाहर कितनी देर में आयेंगे मुझे नही पता हैं।
दोस्त: अच्छा चलो ठीक हैं। वैसे नूपुर हैं घर में?
निशा: नही वो भी बाहर गई हैं उनसे कोई काम था क्या?
दोस्त: नही नही बस पूछा शिवम नही होता तो मैं उस से ही मिले चला जाता। अच्छा घर पे कोई और हैं?
निशा: नही कोई नही मैं अकेली हूं।
अब निशा ने ये बात मासूमियत में बोली होती हैं अपने पापा और दी को बचाने के लिए। तभी निशा की नजरे उस आदमी की आंखो पे पड़ती हैं जो उसको ऊपर से नीचे तक देख रहा होता हैं। इस बात पे पहले निशा को गुस्सा आता हैं क्युकी वो समझ जाती हैं ये क्या सोच रहा फिर उसके दिमाग में अचानक से दिव्या की बातें आती हैं और उसको समझ आता हैं के वो एक मर्द हैं और उसको मैं अच्छी लग रही होंगी इसलिए मेरी लेना चाह रहा हैं। पर उसको याद आता है इस बात को वो आगे नहीं बढ़ने दे सकती हैं क्युकी पापा और दी इस हालत में नहीं हैं के कोई उन्हें देखे तो वो तुरंत बोलती हैं: अंकल क्या देख रहे हैं आप?
दोस्त: कुछ नही मैं अंदर आ सकता हूं क्या?
निशा: नही अंकल आप नही आ सकते हैं और आप जो सोच रहे उसको वही रोक दीजिए मैं मेरे मम्मी पापा की लाडली हूं अगर कुछ भी अपने ऐसा वैसा करने की कोशिश की भी तो मेरा जो होगा सो होगा पर मेरे मम्मी पापा को आप भी जानते होंगे वो आपको कही से भी ढूंढ के वो हसर करेंगे के आप सोच भी नहीं सकते हैं।
अब इतना सुन शिवम की दोस्त की गांड फट जाती हैं और बोलने लगता हैं: ऐसा कुछ नही बेटा तुम गलत समझ रही हो मुझे मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था वैसे भी मुझे याद आया मुझे एक काम था मैं निकलता हूं पापा आए तो बोलना मैं आया था।
निशा: हां अंकल अच्छा ही होगा के मैं आपको गलत ही समझूं बाकी पापा को बता दूंगी सब अब आप जाइए।
ये बोले निशा दरवाजा बंद कर लेती हैं और उसको उतने देर में एहसास होता हैं के पहले लोगो को वो समझ नही पाती थी और कोई गंदी हरकत करता भी तो रोकने या जवाब देने की हिम्मत नही हो पाती थी पर आज उसने एक बार किसी इंसान को उसकी औकात याद दिलाई होती हैं। इसपे वो खुश हो जाती हैं और सोचती हैं: ये सब सच और दी ने जो कुछ बताया हैं उसी वजह से मुझे अपनी इज्जत का डर नहीं था और उनकी नजरो को भी समझ पाई थी इतनी जल्दी। ये सब दी की सीख से ही मिली हिम्मत से हुआ हैं। अब मैं इन सबको कभी भी गलत नही मानूंगी भले कोई कुछ कहे मैं प्यार हिम्मत और अपने अंदर बदलाव सब देखे हैं इसके बाद। आई लव यू दी।
 
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Shivgoyal

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Sorry दोस्तो मैं इतने लंबे वक्त तक इस कहानी को नही देख पाया था। कुछ अपनी जिंदगी में उलझ गया था।
 

Shivgoyal

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ये बोले निशा दरवाजा बंद कर लेती हैं और उसको उतने देर में एहसास होता हैं के पहले लोगो को वो समझ नही पाती थी और कोई गंदी हरकत करता भी तो रोकने या जवाब देने की हिम्मत नही हो पाती थी पर आज उसने एक बार किसी इंसान को उसकी औकात याद दिलाई होती हैं। इसपे वो खुश हो जाती हैं और सोचती हैं: ये सब सच और दी ने जो कुछ बताया हैं उसी वजह से मुझे अपनी इज्जत का डर नहीं था और उनकी नजरो को भी समझ पाई थी इतनी जल्दी। ये सब दी की सीख से ही मिली हिम्मत से हुआ हैं। अब मैं इन सबको कभी भी गलत नही मानूंगी भले कोई कुछ कहे मैं प्यार हिम्मत और अपने अंदर बदलाव सब देखे हैं इसके बाद। आई लव यू दी।
अब आगे...
Update - 66b
अब थोड़ी देर तक ये सब सोचने के बाद निशा सोचती हैं: यार दी ने बताया था वो नंगी सड़क पे भी घुम्ही हैं क्या मुझमें दी जितनी हिम्मत आ गई हैं के मैं नंगी ही सड़क पर निकल जाऊं। मुझे एक बार देखना चाहिए मेरे जिस्म देख के मर्दों का क्या हाल होता हैं।
अब इतना सोचते हुए निशा उत्साहित हो जाती हैं जल्दी से अपना गाउन उतार के फेक देती हैं। अब वो थोड़ा हिचकते हुए दरवाजे की ओर बढ़ती हैं। वो जैसे ही दरवाजा खोलती हैं उसको घबराहट होने लगती हैं जैसे उसके अंदर की लड़की को ये सब गलत लग रहा हो। उसके जेहन में कई चीजे चलने लगती हैं। अब यही सब सोचते हुए एक मिनट को उसका मन दरवाजा बंद कर के अंदर जाने का होता हैं पर वो हिम्मत जुटा के बाहर की ओर बढ़ने लगती हैं।
अब निशा किसी तरह धीमे धीमे चार पायदान उतरी ही होती हैं उतनी देर में उसको पीछे से दिव्या की आवाज आती हैं जिसके आवाज में एक परेशानी होती हैं।
आवाज सुन के निशा पीछे मुडके देखती हैं तो पाती हैं के दिव्या के आंखो में आंसू हैं। दिव्या को ऐसे देख निशा थोड़ा डर जाती हैं। और दिव्य तुरंत ही निशा को गले से लगा लेती हैं और बोलती हैं: सॉरी मेरी जान, मैं और पापा ये सब करने लग गए के तेरा ध्यान ही नहीं दिया।
निशा को अब समझ आता है के उसको कमरे में ना पाके दिव्या डर गई हैं। इस से पहले निशा कुछ बोले दिव्या बोलती हैं: जान तू इतना नाराज हो गई के तू हमसे कुछ बोले ऐसे घर से जाने लगी। तुझे बुरा लगा था तो रोक देती मेरी जान।
अब निशा बोल पड़ती हैं: अरे दी आप अलग ही नौटंकी कर रही हो मैं आपसे नाराज नहीं हूं और मैं बस नीचे ऐसे ही जा रही थी।
निशा के जवाब पे दिव्या संतुष्ट नहीं होती और ये चीज निशा समझ जाती हैं। तो वो बोलती हैं: दी पहले कमरे में चले मैं सब समझाती हूं आपको।
अब दोनो बहने कमरे में आती हैं शिवम भी निशा को लेके परेशान होता तो वो भी तुरंत सॉरी बोलने लगता हैं।
ये सब देख के निशा की आंखो में हल्का सा पानी आता हैं और वो बोलती हैं: पापा आप सॉरी बोल के मुझे अलग पाप चढ़ा रहे हैं। और आप दोनो मुझे इतना प्यार करते हैं के दो में के लिए मैं आप दोनो को नही दिखी आप दोनो इतना परेशान होगय। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात हैं आप दोनो बहुत प्यार करते हो मुझे।
दिव्या: हां जान बहुत प्यार करते हैं तुमसे और सॉरी हम दोनो में खो गए थे एक दूसरे में के तुझे देख ही नहीं पाए। पर तुझे ये बुरा लगा था तो तू हम दोनो को रोक देती ना चली क्यों गई।
निशा: दी अच्छा सुनो मुझे कुछ बुरा नही लगा था उल्टा आप दोनो जब kiss कर रहे थे तो मुझे ऐसा लग रहा था मैं जिंदगी भर आप दोनो को देखती रहूं। और इसी में मैं भी खो गई थी। पर कोई दरवाजे पे आया था उसने पहली बेल बजाई तो मुझे नही पता चला क्युकी मैं आप दोनो को देखने में मगन थी पर फिर वो बजाता चला गया तो मुझे सुनाई दी और आप दोनो की kiss टूट न जाए इसलिए मैने सोचा मैं खोलने जाती हूं दरवाजा और इसलिए एक गाउन डाल के मैं दरवाजे पे पहुंच गई। अब आप दोनो ऐसी संवेदनशील हाल में थे के मुझे लगा के कोई भी घर में न आए तो मैने दरवाजा खोला और सामने पापा आपका कोई दोस्त खड़ा था।
शिवम: मेरा दोस्त??
निशा: हां आज आपको किसी दोस्त से मिलना था क्या?
शिवम: हां एक से मिलने का प्लान बना था पर मैं तुम लोगो के पास आने के चक्कर में भूल गया था।
निशा: हां वही दोस्त आया था बोल रहा था शिवम कहा हैं? तो मैंने बोला पापा घर पे नही हैं किसी काम से बाहर गए हैं। अब उनको नही बता सकती थी आप दोनो ऐसी हालत में नहीं थे।
शिवम: हां सही किया।
दिव्या: हम्म्म।
निशा: फिर वो आदमी पूछने लगा नूपुर के नही? तो मैं उनका भी माना कर दिया। मैने कहा मम्मी भी बाहर तो फिर वो मुझे ऊपर से नीचे तक हवस भरी निघाओ से देखने लगा और पूछने लगा कोई और हैं घर में? तो मैं समझ गई सारी बात वो क्या चाहता हैं और आज दी से इतना कुछ सीखी थी के मुझे डर नही था अपनी इज्जत का बस इतना था मेरी दी और पापा को बचाना हैं बाकी कोई मेरे साथ कुछ भी करे तो मैने हिम्मत करके उस से बोला आप जो चाहते हो ना अंकल मैं सब समझ रही हूं पर ये याद रखना अगर मुझे हल्का भी कुछ हुआ मेरा तो कुछ नही जायेगा पर मेरे मम्मी और पापा आपका वो हाल करेंगे के आप किसी जन्म में भूल नहीं पाओगे। और मैंने इतना बोला तो वो बहाना बनाते हुए भाग गए।
इसपे दिव्या ताली बजती हैं और निशा को kiss करते हुए कहती हैं: वाह मेरी शेरनी बहुत सही जवाब दिया तूने।
निशा: दी आपने ही तो बोला था मर्द के नीचे लेटना ही काम हैं हमारा। तो फिर डर नही लगा के वो अपने नीचे ले सकता हैं मुझे बस इतना था मेरी दी और पापा की kiss nahi टूटनी चाहिए। इसलिए मुझमें इतनी हिम्मत आ गई।
दिव्या: मेरी जान तू बहुत बहादुर हैं। आई लव यू।
और दिव्या निशा को kiss करती हैं। फिर दिव्या पूछती हैं: पर तू बोली तू गाउन में थी पर नीचे की तरफ नंगी क्यू जा रही थी।
निशा: वो दी आपने बोला था न के आप सड़क पे नंगी घुम्ही हो तो मैं हिम्मत कर के नंगी रोड पे जा रही थी क्युकी मुझे आपकी तरह बहादुर बनना था। पर जितनी देर में कई हिम्मत बटोरी और थोड़ा नीचे उतरी आप आ गई।
दिव्या: अच्छा जान तुझे मेरी जैसे बनने की जरूरत नहीं हैं तू तो मुझसे बहुत स्ट्रॉन्ग हैं।
निशा: थैंक यू दी।
अब दिव्या शिवम की तरफ देखती हैं और बोलती हैं: पापा आपको नही लगता हैं के आपके दोस्त को सबक सीखना चाहिए। मेरी जान को अकेले देख के को वो करना चाह रहा था वो गलत हैं। अब हम लोग तो ये सोच के बड़ी हो रही हैं मर्द देख रहा हैं चोदना चाहता हैं तो अच्छा हैं हमारे लिए पर अभी बहुत सी लड़कियां जो इसका पूरा उल्टा सोचती हैं उनके लिए एक सब उनकी इज्जत हैं और इसने निशा को इसलिए नही छुआ क्युकी वो आपकी बेटी हैं पर किसी कमजोर की बेटी के साथ क्या क्या कर सकता हैं या करता होगा। जब तक सब लड़कियां हमारी तरह की नही होती हैं तब तक हम जैसी रंडियों का ही काम हैं न के ऐसी लड़कियों की इज्जत हम या तो अपनी इज्जत देके बचाए या ऐसे मर्दों को सबक सीखा के बचाए।
शिवम: तुम बिल्कुल सही बोल रही हो जान। और मुझे अपनी दोनो बेटियों पे गर्व हैं के दोनो कितनी स्ट्रॉन्ग हैं। मैं इस आदमी को पूरा मजा चखा दूंगा तुम दोनो परेशान न हो।
अब दिव्या निशा के पास जाके उसको किस करती हैं और बोलती हैं: जान ऐसे बिना बताए मत जाया करो। हम दोनो डर गए थे।
निशा: दी आप दोनो ये मत सोचा करो के ऐसे kiss करने से मुझे बुरा लगेगा। मेरे लिए ये देखना बहुत बड़ी चीज थी इतना प्यार मैं बस देखती रह गई।
दिव्या निशा के होंठो पे अपने होंठ रख के उसके रस को मुंह में लेने लगती हैं और निशा भी दिव्या को पकड़ के उसका पूरा साथ देती हैं। तभी ये सब करते करते वो दोनो शिवम के लंड पे गिर जाती हैं और दोनो लंड देख के मुस्कुराती हैं और अपनी अपनी जीभ बाहर निकल के लंड को दोनो तरफ से चाटने लगती हैं।
शिवम इस दो तरफा मजे से खुश हो जाता हैं और दोनो के बालो में हाथ फसा कर दोनो के मुंह को ऊपर नीचे करने लगता हैं।
अब ऐसे ही थोड़ी देर दोनो लड़किया ये करती हैं फिर एक दूसरे को kiss करते हुए शिवम के होंठो को बीच में ले आती हैं जिसपे शिवम अपनी जीभ बाहर निकल लेता है और दोनो अपने उसपे चलाने लगती हैं आगे पीछे। अब ऐसे ही तीनों एक तरीके से खेलते हैं उतने में नूपुर भी पलक के साथ घर वापस आ जाती हैं।
 
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Shivgoyal

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मैं आशा करता हूं के ये कहानी आप सबको अच्छी लग रही होगी। मैने बहुत लंबे वक्त बाद इस स्टोरी को आगे बढ़ाने का सोचा है। मुझे नहीं कितने लोग इस स्टोरी के आगे पाठ का सोचते सोचते इस कहानी से मुंह मोड़ लिए हैं। पर अभी जब तक मैं इस कहानी को सुनने के लिए मानसिक तौर पे तयार हूं तब तक मैं इस कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश करता रहूंगा।
Family extension
श्रद्धा: ये शिवम की छोटी बहन हैं इसकी शादी एक अमीर बिजनेसमैन से हुई थी। वो इंसान इस शादी के वक्त अमीर था क्युकी उस वक्त तक वो अपने पुस्तनी कारोबार को संभाल रहा था। एक वक्त आया के श्रद्धा के पति का कारोबार डूब गया। फिर श्रद्धा ने घर की जिम्मेदारियों को समझते हुए अपने भाई के बिजनेस में सामिल होगई। श्रद्धा काम में होसियार और तेज हैं। पर उसकी अपने पति से बनती नही हैं। शादी से पहले का प्यार दोनो के बीच में नही हैं। श्रद्धा अपने पति को इसलिए नही पसंद करती हैं क्युकी उसका शादी के दिन से आज तक कभी भी श्रद्धा को बिस्तर पे सुख नहीं दे पाया। शादी के कुछ महीनो तक उसने पैसों का सुख दिया था श्रद्धा को पर वो कारोबार डूबने के बाद बंद होगया। श्रद्धा का पति कारोबार के लॉस के बाद नशे का आदि होगया और साथ ही में श्रद्धा के पैसे चोरी करकर के वो रखैल और रंडियों के जंजाल में फस गया। श्रद्धा ने भी इन हरकतों की वजह से अपने पति से अलग रहने लग गई। और सेक्स के नाम पे दोनो की शादी को यही कोई 18–19 साल हो रहे होंगे पर दोनो में संबंध शुरू के तीन महीने ही बना जिसमें श्रद्धा की कुंवारी चूत कुंवारी ही रही। कुछ वक्त बाद श्रद्धा की एक बेटी हुई और उसके बावजूद उसका शरीर बिलकुल कुंवारी लड़कियों जैसा ही रहा।
शीला: ये श्रद्धा की एक लौती बेटी हैं श्रद्धा की शादी के दो साल बाद ये पैदा हुई थी। श्रद्धा पति इसको अपनी बेटी नही मानता हैं क्युकी श्रद्धा और वो शादी के एक महीने के बाद ही अलग अलग रहने लगे थे। पर श्रद्धा इसको अपने पति की ही बेटी बताती हैं और सबको सफाई में ये बोलती हैं के एक दिन उसका पति जबरदस्ती नशे में घर आया था और उसके साथ जबरदस्ती की थी नशे की हालत में जिसके बाद ये पैदा हुई थी। श्रद्धा की बात पे सबको यकीन है क्युकी उसका पति बहुत बड़ा नसेड़ी हैं। शीला पैदा किसी भी वजह से हुई हो पर श्रद्धा की उसमें जान बस्ती है वो उसको बड़े नाजों से रखती हैं। शीला जिस्म उसकी उमर के हिसाब से बहुत निखरा हुआ है। उसके साथ के लड़के उसको देखते ही पैंट में बह देते हैं अपना माल। शीला की खूबसूरती देख कई बार लोगो को यकीन नही होता हैं के इसमें इसके बाप माल है।
आगे की कहानी में ये दोनो किरदार भी इस फैमिली में एक खास जगह बनाएंगे।
 
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