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Incest बेटी को लंड की प्यासी रंडी बनाया

कौनसा किरदार आपको सबसे अच्छा लगा?


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Shivgoyal

Faminc
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अब नूपुर गाड़ी स्टार्ट कर के घर की ओर निकल जाती हैं और कुछ ही वक्त में तीनों घर पे होते हैं।
अब आगे...
Update - 74
नुपुर घर पहुंचती हैं तो वहां पर श्रद्धा और शीला बाहर डाइनिंग टेबल पे बैठी होती हैं और शिवम से बात कर रही होती हैं। तो नूपुर भी उनके पास चली जाती हैं वही दिव्य शीला को लेके अपने रूम में चली जाती हैं। अब यहां पे बात ये होती हैं के दिव्या और निशा शीला को बिगाड़ने के लिए अलग लेके जाती हैं वही नूपुर श्रद्धा से सच बुलवाने के उसके पास रुक जाती हैं।
नूपुर अब शिवम को ऑफिस जाने का इशारा कर देती हैं जिसको शिवम समझ जाता हैं और तुरंत नूपुर की बात मानते हुए ऑफिस निकल जाता हैं। अब नूपुर आराम से डाइनिंग टेबल पे बैठती हैं और श्रद्धा से बात करने लगती हैं। वहां अंदर रूम में दिव्या शीला से पूछ रही होती हैं: यार तेरा कोई बॉयफ्रेंड हैं। तू इतनी मस्त दिखती हैं एक तो पटाया ही होगा।
शीला: क्या दीदी मैं ये सब काम नही करती हूं।
दिव्य: अरे अब मुझसे झूठ मत बोल तेरा बदन देख कितना भरा हुआ कोई लड़का मेहनत ना करे तब तक ये हो ही नही सकता हैं।
शीला: दीदी आप कितना बिगड़ गई हो मैं आपकी छोटी बहन हूं ऐसी बात करोगी मुझसे आप।
दिव्य: हां तू इतनी भरती जा रही हैं और मैं पूछूं भी ना। वैसे कौन हैं जो मेहनत कर रहा हैं तुझपे।
शीला थोड़ा शरमाते हुए: दी सच बोलूं कोई नही हैं मम्मी कहती हैं मेरे जिन में ही हैं कुछ। वैसे आप भी तो शुरू से भरी हुई थी। तो आप पे कौन मेहनत करता था और अभी कौन कर रहा हैं मेहनत।
दिव्य: पहले तो जेनेटिक ही थी ग्रोथ पर अब तो सच में मेरे ऊपर मेहनत हो रही हैं। हैं ना निशा।
निशा: हां दी बहुत मेहनत हो रही आप पे।
शीला: तो वो कौन हैं जो कर रहा हैं मेहनत।
दिव्य: बस हैं एक मर्द जो तुझको भी पसंद हैं मुझको भी हैं और निशा को भी हैं।
शीला: ऐसा कौन हैं दीदी।
दिव्य: हैं बस तुझे भी मिलेगा एक दिन बस अभी हम लोग कुछ एंजॉयमेंट करते हैं।
शीला: अच्छा दी क्या करे कोई गेम खेले जैसे पहले खेलते थे।
दिव्य: तू बड़ी भी हो जा जान। ये सब गेम बच्चो के हैं।
शीला: हां दी पर एंजॉयमेंट के लिए क्या कर सकते हैं?
दिव्य: तू वैसी वाली मूवीज देखती हैं?
शीला: दी????
दिव्य: बोल तो देख मैं जानती हूं तू भी शरीफ नही हैं और न ही मैं और निशा हैं। तो बता।
शीला: दी पर।
निशा: दी चलो गेम खेलते हैं truth एंड dare। और मैं बोतल लेके आती हूं।
अब निशा जा के दिव्या की अलमीरा से एक कांच की दारू की बोतल निकालती हैं। ये शीला को अजीब लगता हैं के दारू की बोतल यहां कहां से आई। अब निशा बोतल रखती हैं और बोलती हैं: दी और शीला रूल्स ये हैं इस गेम के कोई भी किसी से कुछ भी पूछ सकता हैं और कोई भी झूठ नही बोल सकता हैं। दूसरा इस गेम का कोई भी जवाब इस कमरे के बाहर नही जायेगा। Dare जो भी मिलेगा उसको करना ही होगा वरना हार जाएगा वो। क्युकी हम तीनो ही लड़किया है तो इस गेम के लेवल को कितना भी नीचे गिराया जा सकता हैं और जो उस लेवल से डरेगा वो गेम से आउट हो जायेगा। और हारने वाले को सजा में वो चीज करनी पड़ेगी या उसके साथ वो सब होगा जो जितने वाला चाहेगा। मंजूर दोनो को ये रूल्स?
दिव्या: हां मंजूर है वैसे भी तुम दोनो ही हारोगी।
शीला: दी इतना ओवरकॉन्फिडेंस भी अच्छा नहीं है हारने पे दर्द होगा आपको।
निशा: कौन जीतेगा कौन हारेगा वो हम देख लेंगे चलो पहले गेम स्टार्ट करते हैं।
अब निशा बोतल घुमाती है और पहली ही turn में शीला पे बोतल आ जाती हैं। जिसपे दोनो पूछते हैं उस से truth or dare।
शीला truth लेती हैं। तो उस से सवाल पूछने के दिव्या बोलती हैं: जान ये बताओ एक बार तुम्हे घर पे डाट पड़ी थी जिसके इल्जाम से मैने बचाया था तुम्हे झूठ बोलके। अब ये बताओ उस दिन तुमने ही वो दारू पी थी या नहीं।क्युकी वो बहुत लंबा कांड था और मैने तब भरोसा किया था के मेरी बहन ये नही कर सकती हैं पर तू बता तुम वो दारू की बोतल लाई थी ना और तुमने पी थी ना दारू उस दिन।
शीला: हम्म्म दी मैं ही वो दारू लाई थी पर पी नही थी क्युकी मेरे पीने से पहले ही कांड हो गया था और अपने मुझे बचाया था तो फिर मैंने सोचा कभी नही पियूंगी दारू। तो मुझे पीनी थी पर दारू कभी नही पी पे मैं।
दिव्य: हाए मेरी बहन। आज पायेगी मेरे पास हैं हम तीनो गेम के बाद पी लेंगे।
शीला: दी पर ये तो गलत होता हैं न।
दिव्य: तू बस शांत रह। चलो अब मैं बोतल घुमाती हूं।
दिव्य बोतल घुमाती हैं तो अब की बार निशा पे आती हैं। तो निशा झट से ही dare बोल देती हैं।
दिव्य: शीला तू देगी dare या मैं दूं।
शीला मन में निशा को हराने के लिए बोलती हैं: दी मैं दूंगी dare।
शीला: निशा तुम्हे dare हैं के तुम दिव्या दी को लिप पे kiss करो।
निशा हस देती है और बोलती हैं: बस इतना सुझा तुमसे।
अब निशा आगे बड़के दिव्या के पास पहुंचती हैं और उसके होंठो पे होंठ रखे चूमना चालू कर देती हैं। निशा पहले से ही गरम होती हैं तो kiss के दौरान वो चुचियों को मसलने लगती हैं दिव्या की जिसपे दिव्या भी मसलना शुरू कर देती हैं। दोनो को देख शीला भी गरम होने लगती हैं। अब दो मिनट बाद शीला दोनो को अलग करवाती हैं और बोलती हैं: ये क्या था इतनी डेस्परेट kiss?
निशा: जान तुझे नही पता हैं मैं और दी क्या क्या नहीं कर चुके हैं। वैसे दी अब गर्मी लग रही हैं ये टी शर्ट उतार दूं।
दिव्या: हां मैं भी उतार रही हूं।
निशा अपनी टी शर्ट उतारती हैं और उठ के जा के दरवाजा लॉक कर देती हैं। शीला भी क्युकी गरम हो जाती हैं ऊपर से दिव्या और निशा की चूचियां भी बिल्कुल खुली होती हैं तो वो भी अपनी टी शर्ट उतार देती हैं। अब वो ब्रा में होती हैं जिसको देखा दिव्या बोलती हैं: यार तू ये ब्रा में रह कैसे लेती हैं। तेरा दम नही घुटता है इसको पहन के।
शीला: दी होती तो हैं परेशानी पर क्या कर सकते है।
दिव्य: अभी तो उतार दे ये भी तुझे देख देख के मुझे उलझन हो रही हैं।
अब दिव्या के कहने पे शीला ब्रा भी उतार देती हैं। अब दिव्या उसकी चुचियों को देखती हैं जो कही न कही निशा और दिव्या की तरह ही होती हैं। तो वो उनको देख के समझ जाती हैं के इसका फेस भी मेरे और निशा की तरह और शरीर भी। हो ना हो ये मेरी ही सगी बहन है। अब ये बात वो निशा को इशारों में समझा देती हैं। अब दोनो को बस गाने को इसी हिसाब से चलाना होता हैं भले वो दोनो एक अनजान निसाने पे तीर चला रही होती हैं पर दोनो को यकीन होता हैं अगर तीर लगा सही से तो उनकी लॉटरी लग जायेगी। घर में एक और रंडी आ जायेगी। अब शीला बोतल घुमाती है तो फिर से बोतल निशा की तरफ ही आता हैं। अब निशा दिव्या की तरफ देखती हैं जहां से इशारा truth का आता हैं तो निशा truth ले लेती हैं।
शीला: निशा ये बताओ तुमने आज तक किस किस के साथ सेक्स किया हैं?
निशा: मैने। बहुत तो नही किया हैं पर एक नाम मैं definitely ले सकती हूं। वो मेरी दिव्या दी। दी के साथ मैने रोज ही सेक्स किया हैं।
शीला दिव्या और निशा को घूरती है क्युकी उस kiss के बाद उसको लगता हैं के कुछ तो चक्कर होगा पर इतने आराम से निशा काबुल करेगी उसकी उम्मीद शीला को नही थी। अब इस जवाब के बाद शीला समझ जाती हैं के अब इस गेम में ना ही कोई लिमिट होगी और न ही इन दोनो से छुपाने की जरूरत है क्युकी ये दोनो भी मुझे ट्रस्ट कर रहे हैं।
इधर रूम में ये सब हो रहा हैं। वही नीचे शिवम के जाने के बाद नूपुर और श्रद्धा में बात हो रही होती हैं। नूपुर बातो बातो में बोलती हैं: वैसे श्रद्धा तुमने दूसरी शादी का क्या सोचा हैं।
श्रद्धा: क्या भाभी फिर से वही बात सब करते हैं ठीक है पर आप तो मत करो।
नूपुर: जान शरीर की कुछ जरूरतें होती हैं। अब शीला की जिम्मेदारी भी खतम पे हैं कल को वो शादी कर लेगी फिर क्या करोगी तुम अकेली। इतने सालो में जिस्म को अपने तुमने जरा भी पानी नहीं दिया हैं। समझो।
श्रद्धा: भाभी देना भी नही हैं पानी और वैसे भी आप तो रोज ही अपने जिस्म को पानी तो देती ही हैं ना और भैया के जैसा औजार हो तो पानी मिलने का सुख हो भी रोड पे ऐसे औजार मिलते कहा हैं।
नूपुर: तुझे कैसे पता तेरे भाई का औजार कैसा हैं।
श्रद्धा: वो आप बताती हो न के कितना मजा आता हैं आपको बिस्तर पे तो अंदाजा लगाया।
नूपुर: श्रद्धा मुझे सब पता हैं वैसे।
श्रद्धा: क्या पता हैं भाभी?
नूपुर: छोर वक्त आने पे बताऊंगी।
श्रद्धा: भाभी अच्छा ये बताओ निशा यही रहती हैं क्या?
नूपुर: हां।
श्रद्धा: क्यों? प्राची दी के यहां कोई प्राब्लम हैं क्या?
नूपुर: प्रोब्लम वही हैं जो तेरी थी बस उसने डाइवोर्स नही दिया था तुमने दे दिया था बाकी निशा तो इसलिए रहती हैं क्युकी वो इस घर की बेटी हैं।
श्रद्धा: मतलब?
नूपुर: अरे निशा मेरी ही बेटी हैं। वो क्या हुआ था ना प्राची के पति ने उसको छोर दिया था। तो उसको सबको शांत करने के लिए बच्चे चाहिए थे तो प्राची की शादी से पहले मैं प्राची और शिवम थ्रीसम सेक्स करते थे। लगभग रोज ही। तो शादी के बाद प्राची को समझ आ गया उसका पति कुछ नही कर सकता हैं तो एक दिन उसने बिना बताए कन्सीव कर लिया बच्चा शिवम का।
श्रद्धा: क्या भाभी और आप खुश हैं के वो आपके पति के साथ करती थी?
नूपुर: मैं करवाती थी जान। मुझे अच्छा लगता अगर किसी को सुख नही मिल रहा हैं तो मेरे पति से सुख ले। पर बात बुरी ये लगी के प्राची ने मुझे बताया भी नही इतने सालो तक के निशा और निशांत हमारा परिवार हैं। अब औरतें बच्चा चोरी कर तो लेती हैं अपने कोख में पर ये नही सोचती हैं के मैं और खुश होंगी अगर वो उस बच्चे को जनेगी। मैं भी तो अपनी बेटियो को प्यार कर पाऊंगी। पर सबको अपना स्वथ दिखता हैं।
श्रद्धा: भाभी आपको ये बातों का बुरा नही लगता हैं।
नूपुर: मैं इंसेस्ट हूं मुझे क्यों ही बुरा लगेगा मैं खुद शिवम को शेयर कर दूं।
श्रद्धा: भाभी मैने देखा निशा और दिव्य बहुत क्लोज हैं तो उनको भी सब पता हैं?
नूपुर: मैं दोनो से कुछ नही छुपाती हूं। और न ही प्राची। हम दोनो ने ये सब दोनो को बता रखा हैं और दिव्य तो तबसे निशा पे जान छिड़कती हैं।
श्रद्धा: दोनो बेतिया आपकी बात मानती हैं? क्युकी शीला मेरी नही सुनती हैं पता नही क्यों?
नूपुर: चलो दिखती हूं वो कितनी बात मानती हैं। अभी मैं आवाज दूंगी और 5 तक गीनूंगी और निशा नीचे होगी।
नूपुर निशा को आवाज लगती हैं वहां पे नेक्स्ट राउंड होने ही वाला होता हैं के निशा अपना हाथ रोक की बोतल घुमाए बिना तुरंत टी शर्ट डाल के नीचे भाग जाती हैं। वहां पे नूपुर 5 तक गिन रही होती हैं। और निशा सामने होती हैं गिनती खतम होने तक।
निशा: क्या हुआ मम्मी? क्यों बुलाया अपने?
नूपुर: क्या कर रही हो तुम लोग?
निशा: मम्मी truth and dare खेल रहे हैं।
नूपुर: अच्छा एक काम करेगी यहां पे जमीन पे कुछ गिरा हुआ हैं साफ कर दोगी।
निशा नूपुर की बात सुनते ही तुरंत वो चीज साफ कर देती हैं। ये देख श्रद्धा हैरान हो जाती हैं। अब नूपुर काम के बाद निशा के होंठ चूमते हुए थैंक यू बोलती हैं। और निशा को ऊपर भेज देती हैं। और श्रद्धा के सामने होशियारी मारती हैं। श्रद्धा बोलती हैं: भाभी कैसे किया अपने ये सब।
नूपुर: बच्चो को बस प्यार और परवाह से मतलब होता हैं। उसको वो को kiss प्यार में मिली हैं उसके लिए वो कुछ भी कर सकती हैं। और मेरी बिटिया जानती हैं के उनकी मां कितना प्यार करती हैं उनको।
श्रद्धा: पर भाभी इस से बच्चे बिगड़े नही?
नूपुर: रोकने से तो कन्फर्म ही बिगड़ेंगी इस से अच्छा मैं बिगाड़ू दोनो को जिससे वो हर चीज सीखे पर मुझे भी बताए।
श्रद्धा: हां भाभी।
नूपुर: हर चीज से पहले बच्चो से और खुद से सच बोलना सीखो फिर ही बच्चे यकीन करेंगे तुम्हारा। प्राची ने जबसे वो सच कबूला हैं मेरी दोनो बेटियां उसकी बहुत रिस्पेक्ट करने लगी हैं।
श्रद्धा: पर भाभी कभी कभी सच आसान नहीं होता है बताना।
नूपुर: तुम्हे पता हैं सब सच आसान होता हैं अगर जिसको वो बात समझ में आती हो और उसको ही समझती जाए। अब मुझे सब पता हैं पर तुम में हिम्मत नही हो रही हैं के तुम कॉन्फेस कर लो।
श्रद्धा: भाभी क्या पता हैं?
नूपुर: अच्छा तुम्हे लग रहा हैं मैं अंधेरे में तीर मार रही हूं पर ये नही हैं। मैं जानती हूं शीला किसकी बेटी हैं और मुझे खुशी हैं इस चीज की बस तू बोलती नही हैं इतने सालो तक मैं अंधेरे में थी मेरी चीज दूर रख ली तुम सबने। श्रद्धा: सॉरी भाभी अब मैं समझ गई आपको सच पता हैं। हां शीला भैया की ही हैं।
नूपुर: कहानी तू बताएगी या नहीं।
अब ऊपर रूम में आते हैं। यहां पे निशा वापस आती हैं और बोतल घुमाती हैं। इस बार बोतल शीला पे आती हैं। तो वो truth ले लेती हैं।
दिव्य: शीला देख हम तीनो के शरीर तक अब खुल गए हैं तो सच में ये बात तू बता के कोई भी ऐसी बात हैं जो तूने आज तक किसी को न बताई हो और वो तेरे लिए कुछ सदमे जैसी हो? मैं खुद से कोई बात नही बनाऊंगी बस ये सवाल तेरा ही हैं तू बता कुछ भी। पर कोई बड़ी चीज होनी चाहिए जो तू कभी सच ना बोलती।
शीला: दी हैं एक बात पर आप नाराज नहीं होगी बोलो।
दिव्य: इस रूम की कोई बात भी नाराज होने वाली नही हैं और सच पे नाराज नहीं हुआ जाता हैं।
शीला: दी आपको पता हैं मेरे पापा मामा हैं। एक दिन मैंने मम्मी की आवाज सुनी थी वो मास्टरबेट कर रही थी तब उन्होंने ये बोला था के मैं मामा की बेटी हूं और उन्होंने मामा से छुपके से चुदवाया था। मामा और मामी को बेहोश कर के। आपको पता हैं उस दिन मुझे बहुत बड़ा सदमा लगा था तब से मैने उनसे बात करनी छोर दी हैं। और आज आने की जिद्द भी मेरी ही थी मुझे मेरे मम्मी पापा को देखना था उनको अब मैं अपनी मां नही मानती हूं।
दिव्या: कितने वक्त से ये तुझे पता हैं?
शीला: 6 महीने के लगभग।
दिव्य: तो सही हैं।
शीला: दी आपको शौक नही लगा?
दिव्या: घंटा नही मुझे तो यकीन ही था तू मेरी सगी बहन हैं। बस तुझे भी ये पता हैं तो अच्छा लग रहा हैं। तुझे कुछ मैं राज बताती हूं बस तू किसी को नही बोलेगी और न ही सदमे में जाएगी बोल।
शीला: नही दी आप बोलिए।
अब दिव्या शीला को सब बता देती हैं पहले शीला हैरान रह जाती हैं फिर उसको सब समझ आता हैं तो उसको भी ये सब अच्छा लगने लगता हैं। वो बोलती हैं: दी मैं अब यही रह सकती हूं और आज आपकी चुदाई देख सकती हूं।
दिव्य: हां और नही तो क्या।
अब नीचे श्रद्धा नूपुर को सब बता देती हैं। फिर नूपुर उसको अपना सच बताती हैं फिर वो कहती हैं: भाभी ये सब कितना अच्छा हैं इसलिए निशा और दिव्य आप पे ट्रस्ट करते हैं। मैं अब शीला को भी सब बता के आज आपके पास कुछ दिनों के लिए छोर के जाती हूं। आप इसका ध्यान रखना फिर मेरा काम निपटते ही मैं भी आ जाऊंगी आपको ज्वाइन करने।
नूपुर: ठीक हैं।
अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
 
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Shivgoyal

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अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
अब श्रद्धा के जाते ही दिव्या शीला से पूछती हैं: जान दारू पिएगी।
नूपुर: नही।
दिव्य: क्यों मम्मी?
नूपुर: जान सिगरेट दारू तुम लोग कभी भी कर सकते हो पर अभी तुम लोगो को शीला के साथ होश में सेक्स करना चाहिए उसको अच्छी अच्छी पोर्न दिखानी चाहिए। मैं चाय नाश्ता बनाके आती हूं तुम लोग बिस्तर और मोहौल गरम करो। फिर आज दिव्या तुम्हारी वर्जिनिटी भी जानी हैं याद हैं तो उस सुहागरात की तयारी भी करनी है।
दिव्य: हां मम्मी ठीक है। हम लोग पहले शीला की जवानी को बाहर ले आए फिर और काम करते हैं।
नूपुर: हां वैसे मैं खुश हूं के एक हाथ और आ गया जो सुहागरात की तयारी में हेल्प कर देगा। वैसे काव्य को भी बुला लेना उसकी मदद भी लगेगी हमे।
दिव्य: अभी बुलाती हूं मम्मी।
अब दिव्या काव्य को कॉल करती हैं वही नूपुर अपने घर की नई सदस्य को ये सबके बारे में समझाती है। नूपुर मन में सोचती हैं: सच में शिवम को जब पता चलेगा उनकी लड़की भांजी उन्ही की बेटी हैं और वो उनके लिए नंगी होने को तयार हैं तो वो कितने खुश होंगे।
नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
दिव्य: तो रंडियों की मालकिन के घर चूत मरवाने के लिए ऐसे ही खेल खेलने पड़ेंगे ना मम्मी।
नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
नूपुर: me too जान। अब तुम और निशा शीला को सब रंडियों वाली बातें शिखा दो। इसको भी अपनी तरह ही रंडी बना दो। शीला तुम्हे रंडी बनना हैं ना।
शीला: हां मम्मी बिलकुल।
दिव्य: मम्मी वैसे एक बात सोचो पापा की जितनी बेटियां भी है सबको रंडी बनाना बहुत आसान हैं।
नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
नूपुर: साली मैं कोठे पे चुदने वाली रंडी थी सड़क पे ग्राहक पकड़ने वाली नही थी। समझी। पर अब तुम तीनो को सड़क वाली छिनार ही बनाऊंगी। आज तेरी चूत चुदवा दिन फिर देखियो रोज घर पे तेरे ग्राहक खड़े होंगे।
दिव्या: सच में मम्मी।
नूपुर: और नही तो क्या तू बोलना उतने मर्द बुलाऊंगी तेरी चूत मरवाने के लिए।
अब नूपुर दिव्या को kiss कर के नीचे जाती हैं कुछ काम निपटाने उतने में निशा और दिव्य शीला को सेक्स शिखाने लग जाती हैं। और थोड़ी ही देर में काव्य भी आ जाती हैं घर।
 

abhayincest

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अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
अब श्रद्धा के जाते ही दिव्या शीला से पूछती हैं: जान दारू पिएगी।
नूपुर: नही।
दिव्य: क्यों मम्मी?
नूपुर: जान सिगरेट दारू तुम लोग कभी भी कर सकते हो पर अभी तुम लोगो को शीला के साथ होश में सेक्स करना चाहिए उसको अच्छी अच्छी पोर्न दिखानी चाहिए। मैं चाय नाश्ता बनाके आती हूं तुम लोग बिस्तर और मोहौल गरम करो। फिर आज दिव्या तुम्हारी वर्जिनिटी भी जानी हैं याद हैं तो उस सुहागरात की तयारी भी करनी है।
दिव्य: हां मम्मी ठीक है। हम लोग पहले शीला की जवानी को बाहर ले आए फिर और काम करते हैं।
नूपुर: हां वैसे मैं खुश हूं के एक हाथ और आ गया जो सुहागरात की तयारी में हेल्प कर देगा। वैसे काव्य को भी बुला लेना उसकी मदद भी लगेगी हमे।
दिव्य: अभी बुलाती हूं मम्मी।
अब दिव्या काव्य को कॉल करती हैं वही नूपुर अपने घर की नई सदस्य को ये सबके बारे में समझाती है। नूपुर मन में सोचती हैं: सच में शिवम को जब पता चलेगा उनकी लड़की भांजी उन्ही की बेटी हैं और वो उनके लिए नंगी होने को तयार हैं तो वो कितने खुश होंगे।
नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
दिव्य: तो रंडियों की मालकिन के घर चूत मरवाने के लिए ऐसे ही खेल खेलने पड़ेंगे ना मम्मी।
नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
नूपुर: me too जान। अब तुम और निशा शीला को सब रंडियों वाली बातें शिखा दो। इसको भी अपनी तरह ही रंडी बना दो। शीला तुम्हे रंडी बनना हैं ना।
शीला: हां मम्मी बिलकुल।
दिव्य: मम्मी वैसे एक बात सोचो पापा की जितनी बेटियां भी है सबको रंडी बनाना बहुत आसान हैं।
नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
नूपुर: साली मैं कोठे पे चुदने वाली रंडी थी सड़क पे ग्राहक पकड़ने वाली नही थी। समझी। पर अब तुम तीनो को सड़क वाली छिनार ही बनाऊंगी। आज तेरी चूत चुदवा दिन फिर देखियो रोज घर पे तेरे ग्राहक खड़े होंगे।
दिव्या: सच में मम्मी।
नूपुर: और नही तो क्या तू बोलना उतने मर्द बुलाऊंगी तेरी चूत मरवाने के लिए।
अब नूपुर दिव्या को kiss कर के नीचे जाती हैं कुछ काम निपटाने उतने में निशा और दिव्य शीला को सेक्स शिखाने लग जाती हैं। और थोड़ी ही देर में काव्य भी आ जाती हैं घर।
Uffff yrrrrr mmmmm
 

abhayincest

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अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
अब श्रद्धा के जाते ही दिव्या शीला से पूछती हैं: जान दारू पिएगी।
नूपुर: नही।
दिव्य: क्यों मम्मी?
नूपुर: जान सिगरेट दारू तुम लोग कभी भी कर सकते हो पर अभी तुम लोगो को शीला के साथ होश में सेक्स करना चाहिए उसको अच्छी अच्छी पोर्न दिखानी चाहिए। मैं चाय नाश्ता बनाके आती हूं तुम लोग बिस्तर और मोहौल गरम करो। फिर आज दिव्या तुम्हारी वर्जिनिटी भी जानी हैं याद हैं तो उस सुहागरात की तयारी भी करनी है।
दिव्य: हां मम्मी ठीक है। हम लोग पहले शीला की जवानी को बाहर ले आए फिर और काम करते हैं।
नूपुर: हां वैसे मैं खुश हूं के एक हाथ और आ गया जो सुहागरात की तयारी में हेल्प कर देगा। वैसे काव्य को भी बुला लेना उसकी मदद भी लगेगी हमे।
दिव्य: अभी बुलाती हूं मम्मी।
अब दिव्या काव्य को कॉल करती हैं वही नूपुर अपने घर की नई सदस्य को ये सबके बारे में समझाती है। नूपुर मन में सोचती हैं: सच में शिवम को जब पता चलेगा उनकी लड़की भांजी उन्ही की बेटी हैं और वो उनके लिए नंगी होने को तयार हैं तो वो कितने खुश होंगे।
नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
दिव्य: तो रंडियों की मालकिन के घर चूत मरवाने के लिए ऐसे ही खेल खेलने पड़ेंगे ना मम्मी।
नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
नूपुर: me too जान। अब तुम और निशा शीला को सब रंडियों वाली बातें शिखा दो। इसको भी अपनी तरह ही रंडी बना दो। शीला तुम्हे रंडी बनना हैं ना।
शीला: हां मम्मी बिलकुल।
दिव्य: मम्मी वैसे एक बात सोचो पापा की जितनी बेटियां भी है सबको रंडी बनाना बहुत आसान हैं।
नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
नूपुर: साली मैं कोठे पे चुदने वाली रंडी थी सड़क पे ग्राहक पकड़ने वाली नही थी। समझी। पर अब तुम तीनो को सड़क वाली छिनार ही बनाऊंगी। आज तेरी चूत चुदवा दिन फिर देखियो रोज घर पे तेरे ग्राहक खड़े होंगे।
दिव्या: सच में मम्मी।
नूपुर: और नही तो क्या तू बोलना उतने मर्द बुलाऊंगी तेरी चूत मरवाने के लिए।
अब नूपुर दिव्या को kiss कर के नीचे जाती हैं कुछ काम निपटाने उतने में निशा और दिव्य शीला को सेक्स शिखाने लग जाती हैं। और थोड़ी ही देर में काव्य भी आ जाती हैं घर।
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abhayincest

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अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
अब श्रद्धा के जाते ही दिव्या शीला से पूछती हैं: जान दारू पिएगी।
नूपुर: नही।
दिव्य: क्यों मम्मी?
नूपुर: जान सिगरेट दारू तुम लोग कभी भी कर सकते हो पर अभी तुम लोगो को शीला के साथ होश में सेक्स करना चाहिए उसको अच्छी अच्छी पोर्न दिखानी चाहिए। मैं चाय नाश्ता बनाके आती हूं तुम लोग बिस्तर और मोहौल गरम करो। फिर आज दिव्या तुम्हारी वर्जिनिटी भी जानी हैं याद हैं तो उस सुहागरात की तयारी भी करनी है।
दिव्य: हां मम्मी ठीक है। हम लोग पहले शीला की जवानी को बाहर ले आए फिर और काम करते हैं।
नूपुर: हां वैसे मैं खुश हूं के एक हाथ और आ गया जो सुहागरात की तयारी में हेल्प कर देगा। वैसे काव्य को भी बुला लेना उसकी मदद भी लगेगी हमे।
दिव्य: अभी बुलाती हूं मम्मी।
अब दिव्या काव्य को कॉल करती हैं वही नूपुर अपने घर की नई सदस्य को ये सबके बारे में समझाती है। नूपुर मन में सोचती हैं: सच में शिवम को जब पता चलेगा उनकी लड़की भांजी उन्ही की बेटी हैं और वो उनके लिए नंगी होने को तयार हैं तो वो कितने खुश होंगे।
नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
दिव्य: तो रंडियों की मालकिन के घर चूत मरवाने के लिए ऐसे ही खेल खेलने पड़ेंगे ना मम्मी।
नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
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शीला: हां मम्मी बिलकुल।
दिव्य: मम्मी वैसे एक बात सोचो पापा की जितनी बेटियां भी है सबको रंडी बनाना बहुत आसान हैं।
नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
नूपुर: साली मैं कोठे पे चुदने वाली रंडी थी सड़क पे ग्राहक पकड़ने वाली नही थी। समझी। पर अब तुम तीनो को सड़क वाली छिनार ही बनाऊंगी। आज तेरी चूत चुदवा दिन फिर देखियो रोज घर पे तेरे ग्राहक खड़े होंगे।
दिव्या: सच में मम्मी।
नूपुर: और नही तो क्या तू बोलना उतने मर्द बुलाऊंगी तेरी चूत मरवाने के लिए।
अब नूपुर दिव्या को kiss कर के नीचे जाती हैं कुछ काम निपटाने उतने में निशा और दिव्य शीला को सेक्स शिखाने लग जाती हैं। और थोड़ी ही देर में काव्य भी आ जाती हैं घर।
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अब दोनो ऊपर रूम की तरफ जाते हैं फिर शीला से श्रद्धा की बात होती है तो श्रद्धा को पता चलता हैं शीला क्यों नाराज थी उस से। फिर वो सारी बोलती हैं और फिर दोनो मां बेटी का ट्रस्ट एक दूसरे पे बन जाता हैं और श्रद्धा वापस घर निकल जाती हैं।
दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
अब श्रद्धा के जाते ही दिव्या शीला से पूछती हैं: जान दारू पिएगी।
नूपुर: नही।
दिव्य: क्यों मम्मी?
नूपुर: जान सिगरेट दारू तुम लोग कभी भी कर सकते हो पर अभी तुम लोगो को शीला के साथ होश में सेक्स करना चाहिए उसको अच्छी अच्छी पोर्न दिखानी चाहिए। मैं चाय नाश्ता बनाके आती हूं तुम लोग बिस्तर और मोहौल गरम करो। फिर आज दिव्या तुम्हारी वर्जिनिटी भी जानी हैं याद हैं तो उस सुहागरात की तयारी भी करनी है।
दिव्य: हां मम्मी ठीक है। हम लोग पहले शीला की जवानी को बाहर ले आए फिर और काम करते हैं।
नूपुर: हां वैसे मैं खुश हूं के एक हाथ और आ गया जो सुहागरात की तयारी में हेल्प कर देगा। वैसे काव्य को भी बुला लेना उसकी मदद भी लगेगी हमे।
दिव्य: अभी बुलाती हूं मम्मी।
अब दिव्या काव्य को कॉल करती हैं वही नूपुर अपने घर की नई सदस्य को ये सबके बारे में समझाती है। नूपुर मन में सोचती हैं: सच में शिवम को जब पता चलेगा उनकी लड़की भांजी उन्ही की बेटी हैं और वो उनके लिए नंगी होने को तयार हैं तो वो कितने खुश होंगे।
नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
दिव्य: तो रंडियों की मालकिन के घर चूत मरवाने के लिए ऐसे ही खेल खेलने पड़ेंगे ना मम्मी।
नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
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नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
नूपुर: साली मैं कोठे पे चुदने वाली रंडी थी सड़क पे ग्राहक पकड़ने वाली नही थी। समझी। पर अब तुम तीनो को सड़क वाली छिनार ही बनाऊंगी। आज तेरी चूत चुदवा दिन फिर देखियो रोज घर पे तेरे ग्राहक खड़े होंगे।
दिव्या: सच में मम्मी।
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rajeshsurya

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abhayincest

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दिव्या की सुहागरात। पार्ट १
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नूपुर यही सोच रही होती हैं उतने में दिव्या काव्य से बात करके नूपुर की तरफ बढ़ते हुए पूछती हैं: मम्मी मुझे एक सवाल हैं?
नूपुर: हां पूछो।
दिव्य: मम्मी शीला ने बताया के आपको और पापा को बेहोश कर के कंसीव किया था बुआ ने पर कैसे?
नूपुर: अरे मैं बताती हूं उसने क्या किया था तुम लोगो को आधा ही पता है मतलब। हुआ ये था एक बार मैं और शिवम उसके घर गए थे तब तू हो चुकी थी और तुझे तेरे दादा दादी के पास छोरके हम गए थे। तब तेरी बुआ ने मुझे बेहोशी की और तेरे पापा को नशे की दवाई दी थी जिससे उसने रात भर सेक्स किया तेरे पापा के साथ और मैं बेहोश पड़ी रही। इसलिए मुझे और शिवम को कुछ याद नहीं था उस रात का और हम यही लगता था के हम दोनो सेक्स करके सो गए थे। तेरी बुआ बहुत पहुंचा हुआ खेल खेली थी हमारे साथ।
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नूपुर: हां जान पर मैं पहले कहा थी रंडियों की मालकिन वो तो अब हुई हूं इतनी खूबसूरत सी तीन रंडियों को पाकर।
दिव्य: हाए मम्मी। I love you
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शीला: हां मम्मी बिलकुल।
दिव्य: मम्मी वैसे एक बात सोचो पापा की जितनी बेटियां भी है सबको रंडी बनाना बहुत आसान हैं।
नूपुर: होगा ही तुम तीनो में अपने पापा के इंसेस्ट वाले गुण आए हैं। तुम तीनो होगी ही रंडी जब बाप रंडुआ हैं तो।
दिव्य: हां जब बाप ने इतनी मस्त सड़कछाप रंडी से शादी करके चोदी हैं तो उसकी बेटियां तो सड़कछाप होंगी ही।
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