• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy ब्रह्माराक्षस

kas1709

Well-Known Member
10,079
10,629
213
अध्याय बाशठ

गुरु नंदी :- कुमार जो ज्ञान हम आपको दे सकते थे वो सभी ज्ञान हम आपको दे चुके है अब आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो ये आपके उपर निर्भर करता है

अभी उन्होंने इतना बोला ही था कि तभी वहा की जमीन थर थर कांपने लगी आसमान मे फिर से एक बार बिजलियाँ चमकने लगी तो वही ये सब देखकर सारे गुरुओं के चेहरे का रंग उड़ गया था उनके आँखों मे भय साफ दिख रहा था


उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने किसी अनहोनी को महसूस कर लिया था अभी मे उनसे इस सब का कारण पूछता उससे पहले ही वहा पर जितनी भी पत्थर की मूर्तियाँ थी वो सभी धीरे धीरे जीवित होने लगी

जो देखकर मुझे गुरु नंदी की कही बात याद आने लगी की ये सेना तभी जागेगी जब महासूर जागेंगे इसका मतलब की महासूर जाग चुके है और इससे पहले की मे कुछ और सोच पाता

उससे पहले ही उन सभी मूर्तियों ने हम पर हमला बोल दिया मे अभी अपने सोच मे गुम था कि तभी उन मूर्तियों मेसे एक ने मेरे उपर अपने गदा से वार किया जिससे मे दो कदम पीछे हो गया और जमीन पर गिर पड़ा

और जैसे ही गुरु नंदी ने मुझे गिरते देखा तो उन्होंने तुरंत अपने हाथों मे पकड़ी हुई तलवार को मेरे तरफ फेक दिया जिससे वो तलवार ठीक मेरे सामने आके गिर गई

लेकिन जब मैने उस तलवार को उठाने की कोशिश की तो वो तलवार इतनी भारी थी कि उसको उठाना तो दूर मे उसे हिला भी नही पा रहा था

गुरु नंदी :- वो नंदी अस्त्र से जुड़ी हुई तलवार है उस उठाने के लिए अपने शरीर मे 100 हाथियों की ताकत समाओ कुमार अह्ह्ह

मे :- नहीं....

अभी गुरु नंदी मुझे ये बात बता रहे थे की तभी कुछ सिपाहियों ने उनके भटके हुए ध्यान का फायदा उठा कर सीधा उनके सर को उनके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मेरे होश ही उड़ गये

मे उस तलवार को छोड़ अपने अस्त्रों की शक्ति पर ध्यान लगाने लगा लेकिन मेरे सारे प्रयत्न विफल जाते अभी मे इस कोशिश में लगा हुआ था कि तभी मुझे एक चीख सुनाई दी जो गुरु वानर की थी

जिनको उन दैत्यों ने घेर लिया था और एक दैत्य ने उनका एक हाथ काट दिया था और बाकी दैत्य उनका ये हाल देखकर नाच रहे थे


तो वही ये देखकर मे अपनी पूरी गति से उनके तरफ बढ़ने लगा मे शिबू की मायावी तलवारों को भी याद किया लेकिन वो भी नाकाम रहा मे खुदको बड़ा बेबस महसूस कर रहा था

गुरु वानर :- कुमार अपनी गति को अपने भार से जोड़ो तुम्हे अपने दिल और दिमाग को एक करना होगा अह्ह्ह बचाओ भद्रा

उनके यही आखरी बोल थे जो उन्होंने मरने से पहले बोले थे जी हाँ जब वो मुझे गति बढ़ाने के लिए बोल रहे थे की तभी एक दैत्य ने अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दी और उनका सर आके सीधा मेरे पैरों के पास गिरा


जिसे देखकर मेरे कदम वही थम गए मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मेरे सामने 2 अस्त्र धारकों को दैत्यों ने मार दिया और मे कुछ भी नही कर पाया क्या मे सच्ची मे सातों अस्त्रों के काबिल हूँ क्या मे सच्ची मे इस महान जिम्मेदारी को संभाल सकता हूँ

अभी मे ये सब सोच ही रहा था कि तभी आसमान से कही से एक आग का गोला आके मेरे से टकरा गया जिसे मैं दुर उड़ता हुआ जा गिरा अब तक मुझे बहुत चोटे आ चुकी थी

मे बार बार अपने सप्त अस्त्रों की शक्ति को जाग्रुत करने का प्रयास करता या फिर शिबू की मायावी तलवारों को प्रकट करने का प्रयत्न करता लेकिन उससे कुछ भी नहीं होता

जिसके बाद मेने भी अब उनके इस्तेमाल करने के सोच को टाल दिया और अपने बाहुबल का इस्तेमाल करने लगा लेकिन उन असुरों की खाल इतनी मजबूत थी की मेरा कोई भी प्रहार उन्हे कुछ भी चोट नही कर पा रही थी

ऐसा लग रहा था कि जैसे मे किसी पहाड़ पर अपने बाहु बल का प्रयोग कर रहा हूँ मै अभी तक एक दैत्य को नही मार पा रहा था

तो वही उन दैत्य सेना ने अभी तक गुरु नंदी और वानर के साथ साथ गुरु अग्नि, जल, सिँह को मार दिया था उन तीनों ने मुझे आखरी साँस तक मदद के लिए बुलाया था


लेकिन मे उनके पास पहुँच कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था उन्हे मरते हुए देखने के सिवा मुझे खुद पर इतना क्रोध आ रहा था कि मे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था मे बार बार खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था

कि क्या इसीलिए मुझे चुना गया था की मे सबको मरते देखु क्या इसीलिए मुझे महान शक्तियाँ दी गई थी अब तक मे खुद को सर्व शक्तिशाली मानता था मुझे कोई नही हरा सकता मे ये हूँ वो हूँ

लेकिन आज जैसे मुझे किसी ने आइना दिखा दिया था की मे कुछ नही हूँ अगर मे इन मामूली दैत्यों से नही लड़ पा रहा हूँ तो मे महासुरों से क्या खाक लडूंगा ऐसे ही कई सारे खयाल मेरे मन में जनम ले रहे थे

और अभी मे इन सब ख्यालों से झूँझ रहा था कि तभी मेरी नज़र गुरु पृथ्वी पर गयी जिन्हे दैत्यों ने घेर लिया था और उन्हे वो मारने वाले थे की तभी मे उनके पास पहुँच गया

और उन असुरों पर वार करने लगा लेकिन अंजाम हर बार एक ही होता मेरे लात घुसे उनपर विफल जाते लेकिन उनका एक ही वार मुझे घायल करने के लिए काफी था

गुरु पृथ्वी :- कुमार इन पर लात घूसों का असर नहीं होगा इन्हे मारने के लिए तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को मजबूत करना होगा बिल्कुल किसी अभेद्य कवच की तरह तभी तुम इनके वार से बच पाओगे तुम्हे जो हमने सिखाया है उसे याद करो

अभी वो इतना बोले ही थे की तभी कही से एक तीर आया और वो सीधा उनके गर्दन मे जा घुसा और वो सीधा जमीन पर गिर पड़े जो देखकर अब मे पूरी तरह से टूट गया था

मे खुद की सुध बुध खो कर वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा था इस बात से अनजान की जिन्होंने गुरु पृथ्वी को मारा वो सब मेरे सामने ही है और उनका अगला शिकार मे ही हूँ

अभी वो सभी अपने अस्त्र को लिए मेरे तरफ बढ़ रहे थे की तभी किसी ने मुझे पीछे खिंचा और जब मेने मुझे पीछे खींचने वाले का चेहरा देखा तो वो गुरु काल थे जो बहुत क्रोध में थे जिन्हे देखकर मे वही जमीन पर बैठकर रोने लगा

मै :- मुझसे कुछ भी उम्मीद मत रखिये गुरु काल में कुछ नही कर पाऊंगा

गुरु काल :- तुमसे उम्मीद है किस को जब तुम्हारे सामने गुरु नंदी मारे गए थे और तुमने कुछ नही किया तभी मे जान गया था कि तुम बिना अस्त्रों के कुछ भी नही हो तुम केवल एक रोते हुए बालक हो जो केवल रो सकता हैं नही वो संसार की रक्षा करने मे सक्षम है नही अपने अपनों की न वो बुराई से लोहा ले सकता हैं न ही अपने माता पिता का प्रतिशोध ले सकता हैं

गुरु काल की ये सारी बात सुनकर अब मेरे अंदर क्रोध बढ़ रहा था मेरे आँखों मे आँसू अब सुख गए थे और दिमाग मे केवल अपने माता पिता पर हुए अत्याचार दिख रहे थे

गुरु काल :- क्रोध आ रहा है क्या तुम्हे हाँ लेकिन तुम रोने के अलावा कर भी क्या सकते हो अगर तुम युद्ध उनको खतम करने के लिए हथियार नही उठा सकते तो कायरों के तरफ कही छुप जाओ क्योंकि उनसे अकेले युद्ध करना और तुम्हे बचना मे एक साथ नही कर सकता जाओ छुप जाओ कायरों के तरह

इतना बोलके गुरु काल फिर से युद्ध के मैदान में कूद पड़े और सब सैनिकों को खतम करने लगे तो वही अब तक उनकी सारी बातों से मुझे क्रोध आ गया था और उसी क्रोध के वश मे आकर मे भी युद्ध के मैदान में कूद पडा

और इस क्रोध के कारण शायद मेरा बल भी बढ़ गया था क्योंकि जहाँ पहले उन दैत्यों पर मेरा एक वार भी ठीक से नही हो रहा था तो वही अब मेरे एक घुसे से वो असुर 10 कदम दूर जाके गिर रहे थे जो देखकर गुरु काल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी

गुरु काल :- शब्बाश कुमार अब आप अपने क्रोध को अपनी ऊर्जा मे बदलो इन पर तुम्हारे बाहुबल से नही बल्कि मायाबल से आक्रमण करो जो तलवार गुरु नंदी ने दी थी उसका इस्तेमाल करो

अभी उन्होंने इतना बोला था की तभी वहा एक जोरदार धमाका हुआ जिस धमाके से वहा हर तरफ धुआ फैल गया और जब धुआ हटा तो वहा पर सातों महासूर खड़े थे जिन्हे देखकर मेरा क्रोध बढ़ रहा था

और उसी क्रोध के आवेश मे मैं सीधा उन महासुरों के उपर टूट पड़ा लेकिन जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही उन सब ने मुझे घेर लिया और मुझ पर वार करने लगे जिससे मे चोटिल हो गया था

और अभी मे कुछ कर पाता उससे पहले ही महादंश ने मुझे उठाकर दूर फेक दिया और उसके बाद क्रोधासुर ने अपना एक तिर मेरे उपर छोड़ दिया लेकिन इसके पहले की वो तिर मुझ तक पहुँच पाता


उससे पहले ही गुरु काल मेरे और उस तिर के मध्य आ गए और वो तिर उनके सीने मे धस गया और वो सीधा मेरे पैरों के पास गिर गए जो देखकर मेने तुरंत उनके सर अपने गोद मे ले लिया मुझे ऐसा लग रहा था की वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहे हैं

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे गोद मे ही दम तोड़ दिया तो वही गुरु काल का निर्जीव शरीर को अपने गोद मे महसूस करके मेरा क्रोध अपनी चरम पर पहुँच गया था

जिसके चलते मे फिर एक बार उन महासुरों के तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इसबार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था महादंश ने मुझे किसी खिलौने समान उठाकर दूर फेक दिया लेकिन मे रुका नही

अभी मे फिर से कोशिश करता की तभी मेरा ध्यान गुरु नंदी की दी हुई तलवार पर पड़ी और जैसे ही मैने उसे देखा मेरे मन में सारे गुरुओं द्वारा बताई हुई बाते आ गयी जिसके चलते मे वही तलवार के पास बैठकर ध्यान लगाने लगा


जिसके बाद मुझे अपने शरीर में बहुत से बदलाव महसूस होने लगे और अभी मे ध्यान बैठा था की तभी क्रोधासुर ने फिर से एक तिर मेरे तरफ छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर मेरे शरीर से टकराया

वैसे ही उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update.....
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

parkas

Well-Known Member
28,392
62,680
303
अध्याय बाशठ

गुरु नंदी :- कुमार जो ज्ञान हम आपको दे सकते थे वो सभी ज्ञान हम आपको दे चुके है अब आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो ये आपके उपर निर्भर करता है

अभी उन्होंने इतना बोला ही था कि तभी वहा की जमीन थर थर कांपने लगी आसमान मे फिर से एक बार बिजलियाँ चमकने लगी तो वही ये सब देखकर सारे गुरुओं के चेहरे का रंग उड़ गया था उनके आँखों मे भय साफ दिख रहा था


उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने किसी अनहोनी को महसूस कर लिया था अभी मे उनसे इस सब का कारण पूछता उससे पहले ही वहा पर जितनी भी पत्थर की मूर्तियाँ थी वो सभी धीरे धीरे जीवित होने लगी

जो देखकर मुझे गुरु नंदी की कही बात याद आने लगी की ये सेना तभी जागेगी जब महासूर जागेंगे इसका मतलब की महासूर जाग चुके है और इससे पहले की मे कुछ और सोच पाता

उससे पहले ही उन सभी मूर्तियों ने हम पर हमला बोल दिया मे अभी अपने सोच मे गुम था कि तभी उन मूर्तियों मेसे एक ने मेरे उपर अपने गदा से वार किया जिससे मे दो कदम पीछे हो गया और जमीन पर गिर पड़ा

और जैसे ही गुरु नंदी ने मुझे गिरते देखा तो उन्होंने तुरंत अपने हाथों मे पकड़ी हुई तलवार को मेरे तरफ फेक दिया जिससे वो तलवार ठीक मेरे सामने आके गिर गई

लेकिन जब मैने उस तलवार को उठाने की कोशिश की तो वो तलवार इतनी भारी थी कि उसको उठाना तो दूर मे उसे हिला भी नही पा रहा था

गुरु नंदी :- वो नंदी अस्त्र से जुड़ी हुई तलवार है उस उठाने के लिए अपने शरीर मे 100 हाथियों की ताकत समाओ कुमार अह्ह्ह

मे :- नहीं....

अभी गुरु नंदी मुझे ये बात बता रहे थे की तभी कुछ सिपाहियों ने उनके भटके हुए ध्यान का फायदा उठा कर सीधा उनके सर को उनके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मेरे होश ही उड़ गये

मे उस तलवार को छोड़ अपने अस्त्रों की शक्ति पर ध्यान लगाने लगा लेकिन मेरे सारे प्रयत्न विफल जाते अभी मे इस कोशिश में लगा हुआ था कि तभी मुझे एक चीख सुनाई दी जो गुरु वानर की थी

जिनको उन दैत्यों ने घेर लिया था और एक दैत्य ने उनका एक हाथ काट दिया था और बाकी दैत्य उनका ये हाल देखकर नाच रहे थे


तो वही ये देखकर मे अपनी पूरी गति से उनके तरफ बढ़ने लगा मे शिबू की मायावी तलवारों को भी याद किया लेकिन वो भी नाकाम रहा मे खुदको बड़ा बेबस महसूस कर रहा था

गुरु वानर :- कुमार अपनी गति को अपने भार से जोड़ो तुम्हे अपने दिल और दिमाग को एक करना होगा अह्ह्ह बचाओ भद्रा

उनके यही आखरी बोल थे जो उन्होंने मरने से पहले बोले थे जी हाँ जब वो मुझे गति बढ़ाने के लिए बोल रहे थे की तभी एक दैत्य ने अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दी और उनका सर आके सीधा मेरे पैरों के पास गिरा


जिसे देखकर मेरे कदम वही थम गए मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मेरे सामने 2 अस्त्र धारकों को दैत्यों ने मार दिया और मे कुछ भी नही कर पाया क्या मे सच्ची मे सातों अस्त्रों के काबिल हूँ क्या मे सच्ची मे इस महान जिम्मेदारी को संभाल सकता हूँ

अभी मे ये सब सोच ही रहा था कि तभी आसमान से कही से एक आग का गोला आके मेरे से टकरा गया जिसे मैं दुर उड़ता हुआ जा गिरा अब तक मुझे बहुत चोटे आ चुकी थी

मे बार बार अपने सप्त अस्त्रों की शक्ति को जाग्रुत करने का प्रयास करता या फिर शिबू की मायावी तलवारों को प्रकट करने का प्रयत्न करता लेकिन उससे कुछ भी नहीं होता

जिसके बाद मेने भी अब उनके इस्तेमाल करने के सोच को टाल दिया और अपने बाहुबल का इस्तेमाल करने लगा लेकिन उन असुरों की खाल इतनी मजबूत थी की मेरा कोई भी प्रहार उन्हे कुछ भी चोट नही कर पा रही थी

ऐसा लग रहा था कि जैसे मे किसी पहाड़ पर अपने बाहु बल का प्रयोग कर रहा हूँ मै अभी तक एक दैत्य को नही मार पा रहा था

तो वही उन दैत्य सेना ने अभी तक गुरु नंदी और वानर के साथ साथ गुरु अग्नि, जल, सिँह को मार दिया था उन तीनों ने मुझे आखरी साँस तक मदद के लिए बुलाया था


लेकिन मे उनके पास पहुँच कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था उन्हे मरते हुए देखने के सिवा मुझे खुद पर इतना क्रोध आ रहा था कि मे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था मे बार बार खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था

कि क्या इसीलिए मुझे चुना गया था की मे सबको मरते देखु क्या इसीलिए मुझे महान शक्तियाँ दी गई थी अब तक मे खुद को सर्व शक्तिशाली मानता था मुझे कोई नही हरा सकता मे ये हूँ वो हूँ

लेकिन आज जैसे मुझे किसी ने आइना दिखा दिया था की मे कुछ नही हूँ अगर मे इन मामूली दैत्यों से नही लड़ पा रहा हूँ तो मे महासुरों से क्या खाक लडूंगा ऐसे ही कई सारे खयाल मेरे मन में जनम ले रहे थे

और अभी मे इन सब ख्यालों से झूँझ रहा था कि तभी मेरी नज़र गुरु पृथ्वी पर गयी जिन्हे दैत्यों ने घेर लिया था और उन्हे वो मारने वाले थे की तभी मे उनके पास पहुँच गया

और उन असुरों पर वार करने लगा लेकिन अंजाम हर बार एक ही होता मेरे लात घुसे उनपर विफल जाते लेकिन उनका एक ही वार मुझे घायल करने के लिए काफी था

गुरु पृथ्वी :- कुमार इन पर लात घूसों का असर नहीं होगा इन्हे मारने के लिए तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को मजबूत करना होगा बिल्कुल किसी अभेद्य कवच की तरह तभी तुम इनके वार से बच पाओगे तुम्हे जो हमने सिखाया है उसे याद करो

अभी वो इतना बोले ही थे की तभी कही से एक तीर आया और वो सीधा उनके गर्दन मे जा घुसा और वो सीधा जमीन पर गिर पड़े जो देखकर अब मे पूरी तरह से टूट गया था

मे खुद की सुध बुध खो कर वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा था इस बात से अनजान की जिन्होंने गुरु पृथ्वी को मारा वो सब मेरे सामने ही है और उनका अगला शिकार मे ही हूँ

अभी वो सभी अपने अस्त्र को लिए मेरे तरफ बढ़ रहे थे की तभी किसी ने मुझे पीछे खिंचा और जब मेने मुझे पीछे खींचने वाले का चेहरा देखा तो वो गुरु काल थे जो बहुत क्रोध में थे जिन्हे देखकर मे वही जमीन पर बैठकर रोने लगा

मै :- मुझसे कुछ भी उम्मीद मत रखिये गुरु काल में कुछ नही कर पाऊंगा

गुरु काल :- तुमसे उम्मीद है किस को जब तुम्हारे सामने गुरु नंदी मारे गए थे और तुमने कुछ नही किया तभी मे जान गया था कि तुम बिना अस्त्रों के कुछ भी नही हो तुम केवल एक रोते हुए बालक हो जो केवल रो सकता हैं नही वो संसार की रक्षा करने मे सक्षम है नही अपने अपनों की न वो बुराई से लोहा ले सकता हैं न ही अपने माता पिता का प्रतिशोध ले सकता हैं

गुरु काल की ये सारी बात सुनकर अब मेरे अंदर क्रोध बढ़ रहा था मेरे आँखों मे आँसू अब सुख गए थे और दिमाग मे केवल अपने माता पिता पर हुए अत्याचार दिख रहे थे

गुरु काल :- क्रोध आ रहा है क्या तुम्हे हाँ लेकिन तुम रोने के अलावा कर भी क्या सकते हो अगर तुम युद्ध उनको खतम करने के लिए हथियार नही उठा सकते तो कायरों के तरफ कही छुप जाओ क्योंकि उनसे अकेले युद्ध करना और तुम्हे बचना मे एक साथ नही कर सकता जाओ छुप जाओ कायरों के तरह

इतना बोलके गुरु काल फिर से युद्ध के मैदान में कूद पड़े और सब सैनिकों को खतम करने लगे तो वही अब तक उनकी सारी बातों से मुझे क्रोध आ गया था और उसी क्रोध के वश मे आकर मे भी युद्ध के मैदान में कूद पडा

और इस क्रोध के कारण शायद मेरा बल भी बढ़ गया था क्योंकि जहाँ पहले उन दैत्यों पर मेरा एक वार भी ठीक से नही हो रहा था तो वही अब मेरे एक घुसे से वो असुर 10 कदम दूर जाके गिर रहे थे जो देखकर गुरु काल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी

गुरु काल :- शब्बाश कुमार अब आप अपने क्रोध को अपनी ऊर्जा मे बदलो इन पर तुम्हारे बाहुबल से नही बल्कि मायाबल से आक्रमण करो जो तलवार गुरु नंदी ने दी थी उसका इस्तेमाल करो

अभी उन्होंने इतना बोला था की तभी वहा एक जोरदार धमाका हुआ जिस धमाके से वहा हर तरफ धुआ फैल गया और जब धुआ हटा तो वहा पर सातों महासूर खड़े थे जिन्हे देखकर मेरा क्रोध बढ़ रहा था

और उसी क्रोध के आवेश मे मैं सीधा उन महासुरों के उपर टूट पड़ा लेकिन जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही उन सब ने मुझे घेर लिया और मुझ पर वार करने लगे जिससे मे चोटिल हो गया था

और अभी मे कुछ कर पाता उससे पहले ही महादंश ने मुझे उठाकर दूर फेक दिया और उसके बाद क्रोधासुर ने अपना एक तिर मेरे उपर छोड़ दिया लेकिन इसके पहले की वो तिर मुझ तक पहुँच पाता


उससे पहले ही गुरु काल मेरे और उस तिर के मध्य आ गए और वो तिर उनके सीने मे धस गया और वो सीधा मेरे पैरों के पास गिर गए जो देखकर मेने तुरंत उनके सर अपने गोद मे ले लिया मुझे ऐसा लग रहा था की वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहे हैं

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे गोद मे ही दम तोड़ दिया तो वही गुरु काल का निर्जीव शरीर को अपने गोद मे महसूस करके मेरा क्रोध अपनी चरम पर पहुँच गया था

जिसके चलते मे फिर एक बार उन महासुरों के तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इसबार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था महादंश ने मुझे किसी खिलौने समान उठाकर दूर फेक दिया लेकिन मे रुका नही

अभी मे फिर से कोशिश करता की तभी मेरा ध्यान गुरु नंदी की दी हुई तलवार पर पड़ी और जैसे ही मैने उसे देखा मेरे मन में सारे गुरुओं द्वारा बताई हुई बाते आ गयी जिसके चलते मे वही तलवार के पास बैठकर ध्यान लगाने लगा


जिसके बाद मुझे अपने शरीर में बहुत से बदलाव महसूस होने लगे और अभी मे ध्यान बैठा था की तभी क्रोधासुर ने फिर से एक तिर मेरे तरफ छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर मेरे शरीर से टकराया

वैसे ही उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and lovely update....
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,810
57,790
259
अध्याय बाशठ

गुरु नंदी :- कुमार जो ज्ञान हम आपको दे सकते थे वो सभी ज्ञान हम आपको दे चुके है अब आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो ये आपके उपर निर्भर करता है

अभी उन्होंने इतना बोला ही था कि तभी वहा की जमीन थर थर कांपने लगी आसमान मे फिर से एक बार बिजलियाँ चमकने लगी तो वही ये सब देखकर सारे गुरुओं के चेहरे का रंग उड़ गया था उनके आँखों मे भय साफ दिख रहा था


उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने किसी अनहोनी को महसूस कर लिया था अभी मे उनसे इस सब का कारण पूछता उससे पहले ही वहा पर जितनी भी पत्थर की मूर्तियाँ थी वो सभी धीरे धीरे जीवित होने लगी

जो देखकर मुझे गुरु नंदी की कही बात याद आने लगी की ये सेना तभी जागेगी जब महासूर जागेंगे इसका मतलब की महासूर जाग चुके है और इससे पहले की मे कुछ और सोच पाता

उससे पहले ही उन सभी मूर्तियों ने हम पर हमला बोल दिया मे अभी अपने सोच मे गुम था कि तभी उन मूर्तियों मेसे एक ने मेरे उपर अपने गदा से वार किया जिससे मे दो कदम पीछे हो गया और जमीन पर गिर पड़ा

और जैसे ही गुरु नंदी ने मुझे गिरते देखा तो उन्होंने तुरंत अपने हाथों मे पकड़ी हुई तलवार को मेरे तरफ फेक दिया जिससे वो तलवार ठीक मेरे सामने आके गिर गई

लेकिन जब मैने उस तलवार को उठाने की कोशिश की तो वो तलवार इतनी भारी थी कि उसको उठाना तो दूर मे उसे हिला भी नही पा रहा था

गुरु नंदी :- वो नंदी अस्त्र से जुड़ी हुई तलवार है उस उठाने के लिए अपने शरीर मे 100 हाथियों की ताकत समाओ कुमार अह्ह्ह

मे :- नहीं....

अभी गुरु नंदी मुझे ये बात बता रहे थे की तभी कुछ सिपाहियों ने उनके भटके हुए ध्यान का फायदा उठा कर सीधा उनके सर को उनके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मेरे होश ही उड़ गये

मे उस तलवार को छोड़ अपने अस्त्रों की शक्ति पर ध्यान लगाने लगा लेकिन मेरे सारे प्रयत्न विफल जाते अभी मे इस कोशिश में लगा हुआ था कि तभी मुझे एक चीख सुनाई दी जो गुरु वानर की थी

जिनको उन दैत्यों ने घेर लिया था और एक दैत्य ने उनका एक हाथ काट दिया था और बाकी दैत्य उनका ये हाल देखकर नाच रहे थे


तो वही ये देखकर मे अपनी पूरी गति से उनके तरफ बढ़ने लगा मे शिबू की मायावी तलवारों को भी याद किया लेकिन वो भी नाकाम रहा मे खुदको बड़ा बेबस महसूस कर रहा था

गुरु वानर :- कुमार अपनी गति को अपने भार से जोड़ो तुम्हे अपने दिल और दिमाग को एक करना होगा अह्ह्ह बचाओ भद्रा

उनके यही आखरी बोल थे जो उन्होंने मरने से पहले बोले थे जी हाँ जब वो मुझे गति बढ़ाने के लिए बोल रहे थे की तभी एक दैत्य ने अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दी और उनका सर आके सीधा मेरे पैरों के पास गिरा


जिसे देखकर मेरे कदम वही थम गए मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मेरे सामने 2 अस्त्र धारकों को दैत्यों ने मार दिया और मे कुछ भी नही कर पाया क्या मे सच्ची मे सातों अस्त्रों के काबिल हूँ क्या मे सच्ची मे इस महान जिम्मेदारी को संभाल सकता हूँ

अभी मे ये सब सोच ही रहा था कि तभी आसमान से कही से एक आग का गोला आके मेरे से टकरा गया जिसे मैं दुर उड़ता हुआ जा गिरा अब तक मुझे बहुत चोटे आ चुकी थी

मे बार बार अपने सप्त अस्त्रों की शक्ति को जाग्रुत करने का प्रयास करता या फिर शिबू की मायावी तलवारों को प्रकट करने का प्रयत्न करता लेकिन उससे कुछ भी नहीं होता

जिसके बाद मेने भी अब उनके इस्तेमाल करने के सोच को टाल दिया और अपने बाहुबल का इस्तेमाल करने लगा लेकिन उन असुरों की खाल इतनी मजबूत थी की मेरा कोई भी प्रहार उन्हे कुछ भी चोट नही कर पा रही थी

ऐसा लग रहा था कि जैसे मे किसी पहाड़ पर अपने बाहु बल का प्रयोग कर रहा हूँ मै अभी तक एक दैत्य को नही मार पा रहा था

तो वही उन दैत्य सेना ने अभी तक गुरु नंदी और वानर के साथ साथ गुरु अग्नि, जल, सिँह को मार दिया था उन तीनों ने मुझे आखरी साँस तक मदद के लिए बुलाया था


लेकिन मे उनके पास पहुँच कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था उन्हे मरते हुए देखने के सिवा मुझे खुद पर इतना क्रोध आ रहा था कि मे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था मे बार बार खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था

कि क्या इसीलिए मुझे चुना गया था की मे सबको मरते देखु क्या इसीलिए मुझे महान शक्तियाँ दी गई थी अब तक मे खुद को सर्व शक्तिशाली मानता था मुझे कोई नही हरा सकता मे ये हूँ वो हूँ

लेकिन आज जैसे मुझे किसी ने आइना दिखा दिया था की मे कुछ नही हूँ अगर मे इन मामूली दैत्यों से नही लड़ पा रहा हूँ तो मे महासुरों से क्या खाक लडूंगा ऐसे ही कई सारे खयाल मेरे मन में जनम ले रहे थे

और अभी मे इन सब ख्यालों से झूँझ रहा था कि तभी मेरी नज़र गुरु पृथ्वी पर गयी जिन्हे दैत्यों ने घेर लिया था और उन्हे वो मारने वाले थे की तभी मे उनके पास पहुँच गया

और उन असुरों पर वार करने लगा लेकिन अंजाम हर बार एक ही होता मेरे लात घुसे उनपर विफल जाते लेकिन उनका एक ही वार मुझे घायल करने के लिए काफी था

गुरु पृथ्वी :- कुमार इन पर लात घूसों का असर नहीं होगा इन्हे मारने के लिए तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को मजबूत करना होगा बिल्कुल किसी अभेद्य कवच की तरह तभी तुम इनके वार से बच पाओगे तुम्हे जो हमने सिखाया है उसे याद करो

अभी वो इतना बोले ही थे की तभी कही से एक तीर आया और वो सीधा उनके गर्दन मे जा घुसा और वो सीधा जमीन पर गिर पड़े जो देखकर अब मे पूरी तरह से टूट गया था

मे खुद की सुध बुध खो कर वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा था इस बात से अनजान की जिन्होंने गुरु पृथ्वी को मारा वो सब मेरे सामने ही है और उनका अगला शिकार मे ही हूँ

अभी वो सभी अपने अस्त्र को लिए मेरे तरफ बढ़ रहे थे की तभी किसी ने मुझे पीछे खिंचा और जब मेने मुझे पीछे खींचने वाले का चेहरा देखा तो वो गुरु काल थे जो बहुत क्रोध में थे जिन्हे देखकर मे वही जमीन पर बैठकर रोने लगा

मै :- मुझसे कुछ भी उम्मीद मत रखिये गुरु काल में कुछ नही कर पाऊंगा

गुरु काल :- तुमसे उम्मीद है किस को जब तुम्हारे सामने गुरु नंदी मारे गए थे और तुमने कुछ नही किया तभी मे जान गया था कि तुम बिना अस्त्रों के कुछ भी नही हो तुम केवल एक रोते हुए बालक हो जो केवल रो सकता हैं नही वो संसार की रक्षा करने मे सक्षम है नही अपने अपनों की न वो बुराई से लोहा ले सकता हैं न ही अपने माता पिता का प्रतिशोध ले सकता हैं

गुरु काल की ये सारी बात सुनकर अब मेरे अंदर क्रोध बढ़ रहा था मेरे आँखों मे आँसू अब सुख गए थे और दिमाग मे केवल अपने माता पिता पर हुए अत्याचार दिख रहे थे

गुरु काल :- क्रोध आ रहा है क्या तुम्हे हाँ लेकिन तुम रोने के अलावा कर भी क्या सकते हो अगर तुम युद्ध उनको खतम करने के लिए हथियार नही उठा सकते तो कायरों के तरफ कही छुप जाओ क्योंकि उनसे अकेले युद्ध करना और तुम्हे बचना मे एक साथ नही कर सकता जाओ छुप जाओ कायरों के तरह

इतना बोलके गुरु काल फिर से युद्ध के मैदान में कूद पड़े और सब सैनिकों को खतम करने लगे तो वही अब तक उनकी सारी बातों से मुझे क्रोध आ गया था और उसी क्रोध के वश मे आकर मे भी युद्ध के मैदान में कूद पडा

और इस क्रोध के कारण शायद मेरा बल भी बढ़ गया था क्योंकि जहाँ पहले उन दैत्यों पर मेरा एक वार भी ठीक से नही हो रहा था तो वही अब मेरे एक घुसे से वो असुर 10 कदम दूर जाके गिर रहे थे जो देखकर गुरु काल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी

गुरु काल :- शब्बाश कुमार अब आप अपने क्रोध को अपनी ऊर्जा मे बदलो इन पर तुम्हारे बाहुबल से नही बल्कि मायाबल से आक्रमण करो जो तलवार गुरु नंदी ने दी थी उसका इस्तेमाल करो

अभी उन्होंने इतना बोला था की तभी वहा एक जोरदार धमाका हुआ जिस धमाके से वहा हर तरफ धुआ फैल गया और जब धुआ हटा तो वहा पर सातों महासूर खड़े थे जिन्हे देखकर मेरा क्रोध बढ़ रहा था

और उसी क्रोध के आवेश मे मैं सीधा उन महासुरों के उपर टूट पड़ा लेकिन जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही उन सब ने मुझे घेर लिया और मुझ पर वार करने लगे जिससे मे चोटिल हो गया था

और अभी मे कुछ कर पाता उससे पहले ही महादंश ने मुझे उठाकर दूर फेक दिया और उसके बाद क्रोधासुर ने अपना एक तिर मेरे उपर छोड़ दिया लेकिन इसके पहले की वो तिर मुझ तक पहुँच पाता


उससे पहले ही गुरु काल मेरे और उस तिर के मध्य आ गए और वो तिर उनके सीने मे धस गया और वो सीधा मेरे पैरों के पास गिर गए जो देखकर मेने तुरंत उनके सर अपने गोद मे ले लिया मुझे ऐसा लग रहा था की वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहे हैं

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे गोद मे ही दम तोड़ दिया तो वही गुरु काल का निर्जीव शरीर को अपने गोद मे महसूस करके मेरा क्रोध अपनी चरम पर पहुँच गया था

जिसके चलते मे फिर एक बार उन महासुरों के तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इसबार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था महादंश ने मुझे किसी खिलौने समान उठाकर दूर फेक दिया लेकिन मे रुका नही

अभी मे फिर से कोशिश करता की तभी मेरा ध्यान गुरु नंदी की दी हुई तलवार पर पड़ी और जैसे ही मैने उसे देखा मेरे मन में सारे गुरुओं द्वारा बताई हुई बाते आ गयी जिसके चलते मे वही तलवार के पास बैठकर ध्यान लगाने लगा


जिसके बाद मुझे अपने शरीर में बहुत से बदलाव महसूस होने लगे और अभी मे ध्यान बैठा था की तभी क्रोधासुर ने फिर से एक तिर मेरे तरफ छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर मेरे शरीर से टकराया

वैसे ही उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bohot khoob vajradhikari bhai, kya gajab likha hai, hadra ki takat use mul gai, per kis kaam ki?? sare guruo ne to use kitna samjhaya per wo ek ko bhi na bacha saka?
Superb update and mind blowing writing ✍️, 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
🔥🔥🔥💥💥
 
Last edited:

dhparikh

Well-Known Member
10,519
12,128
228
अध्याय बाशठ

गुरु नंदी :- कुमार जो ज्ञान हम आपको दे सकते थे वो सभी ज्ञान हम आपको दे चुके है अब आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो ये आपके उपर निर्भर करता है

अभी उन्होंने इतना बोला ही था कि तभी वहा की जमीन थर थर कांपने लगी आसमान मे फिर से एक बार बिजलियाँ चमकने लगी तो वही ये सब देखकर सारे गुरुओं के चेहरे का रंग उड़ गया था उनके आँखों मे भय साफ दिख रहा था


उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने किसी अनहोनी को महसूस कर लिया था अभी मे उनसे इस सब का कारण पूछता उससे पहले ही वहा पर जितनी भी पत्थर की मूर्तियाँ थी वो सभी धीरे धीरे जीवित होने लगी

जो देखकर मुझे गुरु नंदी की कही बात याद आने लगी की ये सेना तभी जागेगी जब महासूर जागेंगे इसका मतलब की महासूर जाग चुके है और इससे पहले की मे कुछ और सोच पाता

उससे पहले ही उन सभी मूर्तियों ने हम पर हमला बोल दिया मे अभी अपने सोच मे गुम था कि तभी उन मूर्तियों मेसे एक ने मेरे उपर अपने गदा से वार किया जिससे मे दो कदम पीछे हो गया और जमीन पर गिर पड़ा

और जैसे ही गुरु नंदी ने मुझे गिरते देखा तो उन्होंने तुरंत अपने हाथों मे पकड़ी हुई तलवार को मेरे तरफ फेक दिया जिससे वो तलवार ठीक मेरे सामने आके गिर गई

लेकिन जब मैने उस तलवार को उठाने की कोशिश की तो वो तलवार इतनी भारी थी कि उसको उठाना तो दूर मे उसे हिला भी नही पा रहा था

गुरु नंदी :- वो नंदी अस्त्र से जुड़ी हुई तलवार है उस उठाने के लिए अपने शरीर मे 100 हाथियों की ताकत समाओ कुमार अह्ह्ह

मे :- नहीं....

अभी गुरु नंदी मुझे ये बात बता रहे थे की तभी कुछ सिपाहियों ने उनके भटके हुए ध्यान का फायदा उठा कर सीधा उनके सर को उनके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मेरे होश ही उड़ गये

मे उस तलवार को छोड़ अपने अस्त्रों की शक्ति पर ध्यान लगाने लगा लेकिन मेरे सारे प्रयत्न विफल जाते अभी मे इस कोशिश में लगा हुआ था कि तभी मुझे एक चीख सुनाई दी जो गुरु वानर की थी

जिनको उन दैत्यों ने घेर लिया था और एक दैत्य ने उनका एक हाथ काट दिया था और बाकी दैत्य उनका ये हाल देखकर नाच रहे थे


तो वही ये देखकर मे अपनी पूरी गति से उनके तरफ बढ़ने लगा मे शिबू की मायावी तलवारों को भी याद किया लेकिन वो भी नाकाम रहा मे खुदको बड़ा बेबस महसूस कर रहा था

गुरु वानर :- कुमार अपनी गति को अपने भार से जोड़ो तुम्हे अपने दिल और दिमाग को एक करना होगा अह्ह्ह बचाओ भद्रा

उनके यही आखरी बोल थे जो उन्होंने मरने से पहले बोले थे जी हाँ जब वो मुझे गति बढ़ाने के लिए बोल रहे थे की तभी एक दैत्य ने अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दी और उनका सर आके सीधा मेरे पैरों के पास गिरा


जिसे देखकर मेरे कदम वही थम गए मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मेरे सामने 2 अस्त्र धारकों को दैत्यों ने मार दिया और मे कुछ भी नही कर पाया क्या मे सच्ची मे सातों अस्त्रों के काबिल हूँ क्या मे सच्ची मे इस महान जिम्मेदारी को संभाल सकता हूँ

अभी मे ये सब सोच ही रहा था कि तभी आसमान से कही से एक आग का गोला आके मेरे से टकरा गया जिसे मैं दुर उड़ता हुआ जा गिरा अब तक मुझे बहुत चोटे आ चुकी थी

मे बार बार अपने सप्त अस्त्रों की शक्ति को जाग्रुत करने का प्रयास करता या फिर शिबू की मायावी तलवारों को प्रकट करने का प्रयत्न करता लेकिन उससे कुछ भी नहीं होता

जिसके बाद मेने भी अब उनके इस्तेमाल करने के सोच को टाल दिया और अपने बाहुबल का इस्तेमाल करने लगा लेकिन उन असुरों की खाल इतनी मजबूत थी की मेरा कोई भी प्रहार उन्हे कुछ भी चोट नही कर पा रही थी

ऐसा लग रहा था कि जैसे मे किसी पहाड़ पर अपने बाहु बल का प्रयोग कर रहा हूँ मै अभी तक एक दैत्य को नही मार पा रहा था

तो वही उन दैत्य सेना ने अभी तक गुरु नंदी और वानर के साथ साथ गुरु अग्नि, जल, सिँह को मार दिया था उन तीनों ने मुझे आखरी साँस तक मदद के लिए बुलाया था


लेकिन मे उनके पास पहुँच कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था उन्हे मरते हुए देखने के सिवा मुझे खुद पर इतना क्रोध आ रहा था कि मे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था मे बार बार खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था

कि क्या इसीलिए मुझे चुना गया था की मे सबको मरते देखु क्या इसीलिए मुझे महान शक्तियाँ दी गई थी अब तक मे खुद को सर्व शक्तिशाली मानता था मुझे कोई नही हरा सकता मे ये हूँ वो हूँ

लेकिन आज जैसे मुझे किसी ने आइना दिखा दिया था की मे कुछ नही हूँ अगर मे इन मामूली दैत्यों से नही लड़ पा रहा हूँ तो मे महासुरों से क्या खाक लडूंगा ऐसे ही कई सारे खयाल मेरे मन में जनम ले रहे थे

और अभी मे इन सब ख्यालों से झूँझ रहा था कि तभी मेरी नज़र गुरु पृथ्वी पर गयी जिन्हे दैत्यों ने घेर लिया था और उन्हे वो मारने वाले थे की तभी मे उनके पास पहुँच गया

और उन असुरों पर वार करने लगा लेकिन अंजाम हर बार एक ही होता मेरे लात घुसे उनपर विफल जाते लेकिन उनका एक ही वार मुझे घायल करने के लिए काफी था

गुरु पृथ्वी :- कुमार इन पर लात घूसों का असर नहीं होगा इन्हे मारने के लिए तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को मजबूत करना होगा बिल्कुल किसी अभेद्य कवच की तरह तभी तुम इनके वार से बच पाओगे तुम्हे जो हमने सिखाया है उसे याद करो

अभी वो इतना बोले ही थे की तभी कही से एक तीर आया और वो सीधा उनके गर्दन मे जा घुसा और वो सीधा जमीन पर गिर पड़े जो देखकर अब मे पूरी तरह से टूट गया था

मे खुद की सुध बुध खो कर वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा था इस बात से अनजान की जिन्होंने गुरु पृथ्वी को मारा वो सब मेरे सामने ही है और उनका अगला शिकार मे ही हूँ

अभी वो सभी अपने अस्त्र को लिए मेरे तरफ बढ़ रहे थे की तभी किसी ने मुझे पीछे खिंचा और जब मेने मुझे पीछे खींचने वाले का चेहरा देखा तो वो गुरु काल थे जो बहुत क्रोध में थे जिन्हे देखकर मे वही जमीन पर बैठकर रोने लगा

मै :- मुझसे कुछ भी उम्मीद मत रखिये गुरु काल में कुछ नही कर पाऊंगा

गुरु काल :- तुमसे उम्मीद है किस को जब तुम्हारे सामने गुरु नंदी मारे गए थे और तुमने कुछ नही किया तभी मे जान गया था कि तुम बिना अस्त्रों के कुछ भी नही हो तुम केवल एक रोते हुए बालक हो जो केवल रो सकता हैं नही वो संसार की रक्षा करने मे सक्षम है नही अपने अपनों की न वो बुराई से लोहा ले सकता हैं न ही अपने माता पिता का प्रतिशोध ले सकता हैं

गुरु काल की ये सारी बात सुनकर अब मेरे अंदर क्रोध बढ़ रहा था मेरे आँखों मे आँसू अब सुख गए थे और दिमाग मे केवल अपने माता पिता पर हुए अत्याचार दिख रहे थे

गुरु काल :- क्रोध आ रहा है क्या तुम्हे हाँ लेकिन तुम रोने के अलावा कर भी क्या सकते हो अगर तुम युद्ध उनको खतम करने के लिए हथियार नही उठा सकते तो कायरों के तरफ कही छुप जाओ क्योंकि उनसे अकेले युद्ध करना और तुम्हे बचना मे एक साथ नही कर सकता जाओ छुप जाओ कायरों के तरह

इतना बोलके गुरु काल फिर से युद्ध के मैदान में कूद पड़े और सब सैनिकों को खतम करने लगे तो वही अब तक उनकी सारी बातों से मुझे क्रोध आ गया था और उसी क्रोध के वश मे आकर मे भी युद्ध के मैदान में कूद पडा

और इस क्रोध के कारण शायद मेरा बल भी बढ़ गया था क्योंकि जहाँ पहले उन दैत्यों पर मेरा एक वार भी ठीक से नही हो रहा था तो वही अब मेरे एक घुसे से वो असुर 10 कदम दूर जाके गिर रहे थे जो देखकर गुरु काल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी

गुरु काल :- शब्बाश कुमार अब आप अपने क्रोध को अपनी ऊर्जा मे बदलो इन पर तुम्हारे बाहुबल से नही बल्कि मायाबल से आक्रमण करो जो तलवार गुरु नंदी ने दी थी उसका इस्तेमाल करो

अभी उन्होंने इतना बोला था की तभी वहा एक जोरदार धमाका हुआ जिस धमाके से वहा हर तरफ धुआ फैल गया और जब धुआ हटा तो वहा पर सातों महासूर खड़े थे जिन्हे देखकर मेरा क्रोध बढ़ रहा था

और उसी क्रोध के आवेश मे मैं सीधा उन महासुरों के उपर टूट पड़ा लेकिन जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही उन सब ने मुझे घेर लिया और मुझ पर वार करने लगे जिससे मे चोटिल हो गया था

और अभी मे कुछ कर पाता उससे पहले ही महादंश ने मुझे उठाकर दूर फेक दिया और उसके बाद क्रोधासुर ने अपना एक तिर मेरे उपर छोड़ दिया लेकिन इसके पहले की वो तिर मुझ तक पहुँच पाता


उससे पहले ही गुरु काल मेरे और उस तिर के मध्य आ गए और वो तिर उनके सीने मे धस गया और वो सीधा मेरे पैरों के पास गिर गए जो देखकर मेने तुरंत उनके सर अपने गोद मे ले लिया मुझे ऐसा लग रहा था की वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहे हैं

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे गोद मे ही दम तोड़ दिया तो वही गुरु काल का निर्जीव शरीर को अपने गोद मे महसूस करके मेरा क्रोध अपनी चरम पर पहुँच गया था

जिसके चलते मे फिर एक बार उन महासुरों के तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इसबार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था महादंश ने मुझे किसी खिलौने समान उठाकर दूर फेक दिया लेकिन मे रुका नही

अभी मे फिर से कोशिश करता की तभी मेरा ध्यान गुरु नंदी की दी हुई तलवार पर पड़ी और जैसे ही मैने उसे देखा मेरे मन में सारे गुरुओं द्वारा बताई हुई बाते आ गयी जिसके चलते मे वही तलवार के पास बैठकर ध्यान लगाने लगा


जिसके बाद मुझे अपने शरीर में बहुत से बदलाव महसूस होने लगे और अभी मे ध्यान बैठा था की तभी क्रोधासुर ने फिर से एक तिर मेरे तरफ छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर मेरे शरीर से टकराया

वैसे ही उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update...
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

Shekhu69

Active Member
546
1,360
138
Nice update
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

sunoanuj

Well-Known Member
3,439
9,150
159
Waiting for next update…
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

Tri2010

Well-Known Member
2,007
1,895
143
अध्याय बाशठ

गुरु नंदी :- कुमार जो ज्ञान हम आपको दे सकते थे वो सभी ज्ञान हम आपको दे चुके है अब आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो ये आपके उपर निर्भर करता है

अभी उन्होंने इतना बोला ही था कि तभी वहा की जमीन थर थर कांपने लगी आसमान मे फिर से एक बार बिजलियाँ चमकने लगी तो वही ये सब देखकर सारे गुरुओं के चेहरे का रंग उड़ गया था उनके आँखों मे भय साफ दिख रहा था

उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने किसी अनहोनी को महसूस कर लिया था अभी मे उनसे इस सब का कारण पूछता उससे पहले ही वहा पर जितनी भी पत्थर की मूर्तियाँ थी वो सभी धीरे धीरे जीवित होने लगी

जो देखकर मुझे गुरु नंदी की कही बात याद आने लगी की ये सेना तभी जागेगी जब महासूर जागेंगे इसका मतलब की महासूर जाग चुके है और इससे पहले की मे कुछ और सोच पाता

उससे पहले ही उन सभी मूर्तियों ने हम पर हमला बोल दिया मे अभी अपने सोच मे गुम था कि तभी उन मूर्तियों मेसे एक ने मेरे उपर अपने गदा से वार किया जिससे मे दो कदम पीछे हो गया और जमीन पर गिर पड़ा

और जैसे ही गुरु नंदी ने मुझे गिरते देखा तो उन्होंने तुरंत अपने हाथों मे पकड़ी हुई तलवार को मेरे तरफ फेक दिया जिससे वो तलवार ठीक मेरे सामने आके गिर गई

लेकिन जब मैने उस तलवार को उठाने की कोशिश की तो वो तलवार इतनी भारी थी कि उसको उठाना तो दूर मे उसे हिला भी नही पा रहा था

गुरु नंदी :- वो नंदी अस्त्र से जुड़ी हुई तलवार है उस उठाने के लिए अपने शरीर मे 100 हाथियों की ताकत समाओ कुमार अह्ह्ह

मे :- नहीं....

अभी गुरु नंदी मुझे ये बात बता रहे थे की तभी कुछ सिपाहियों ने उनके भटके हुए ध्यान का फायदा उठा कर सीधा उनके सर को उनके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मेरे होश ही उड़ गये

मे उस तलवार को छोड़ अपने अस्त्रों की शक्ति पर ध्यान लगाने लगा लेकिन मेरे सारे प्रयत्न विफल जाते अभी मे इस कोशिश में लगा हुआ था कि तभी मुझे एक चीख सुनाई दी जो गुरु वानर की थी

जिनको उन दैत्यों ने घेर लिया था और एक दैत्य ने उनका एक हाथ काट दिया था और बाकी दैत्य उनका ये हाल देखकर नाच रहे थे

तो वही ये देखकर मे अपनी पूरी गति से उनके तरफ बढ़ने लगा मे शिबू की मायावी तलवारों को भी याद किया लेकिन वो भी नाकाम रहा मे खुदको बड़ा बेबस महसूस कर रहा था

गुरु वानर :- कुमार अपनी गति को अपने भार से जोड़ो तुम्हे अपने दिल और दिमाग को एक करना होगा अह्ह्ह बचाओ भद्रा

उनके यही आखरी बोल थे जो उन्होंने मरने से पहले बोले थे जी हाँ जब वो मुझे गति बढ़ाने के लिए बोल रहे थे की तभी एक दैत्य ने अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दी और उनका सर आके सीधा मेरे पैरों के पास गिरा

जिसे देखकर मेरे कदम वही थम गए मुझे यकीन नहीं हो रहा था की मेरे सामने 2 अस्त्र धारकों को दैत्यों ने मार दिया और मे कुछ भी नही कर पाया क्या मे सच्ची मे सातों अस्त्रों के काबिल हूँ क्या मे सच्ची मे इस महान जिम्मेदारी को संभाल सकता हूँ

अभी मे ये सब सोच ही रहा था कि तभी आसमान से कही से एक आग का गोला आके मेरे से टकरा गया जिसे मैं दुर उड़ता हुआ जा गिरा अब तक मुझे बहुत चोटे आ चुकी थी

मे बार बार अपने सप्त अस्त्रों की शक्ति को जाग्रुत करने का प्रयास करता या फिर शिबू की मायावी तलवारों को प्रकट करने का प्रयत्न करता लेकिन उससे कुछ भी नहीं होता

जिसके बाद मेने भी अब उनके इस्तेमाल करने के सोच को टाल दिया और अपने बाहुबल का इस्तेमाल करने लगा लेकिन उन असुरों की खाल इतनी मजबूत थी की मेरा कोई भी प्रहार उन्हे कुछ भी चोट नही कर पा रही थी

ऐसा लग रहा था कि जैसे मे किसी पहाड़ पर अपने बाहु बल का प्रयोग कर रहा हूँ मै अभी तक एक दैत्य को नही मार पा रहा था

तो वही उन दैत्य सेना ने अभी तक गुरु नंदी और वानर के साथ साथ गुरु अग्नि, जल, सिँह को मार दिया था उन तीनों ने मुझे आखरी साँस तक मदद के लिए बुलाया था

लेकिन मे उनके पास पहुँच कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था उन्हे मरते हुए देखने के सिवा मुझे खुद पर इतना क्रोध आ रहा था कि मे चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था मे बार बार खुद से एक ही सवाल पूछ रहा था

कि क्या इसीलिए मुझे चुना गया था की मे सबको मरते देखु क्या इसीलिए मुझे महान शक्तियाँ दी गई थी अब तक मे खुद को सर्व शक्तिशाली मानता था मुझे कोई नही हरा सकता मे ये हूँ वो हूँ

लेकिन आज जैसे मुझे किसी ने आइना दिखा दिया था की मे कुछ नही हूँ अगर मे इन मामूली दैत्यों से नही लड़ पा रहा हूँ तो मे महासुरों से क्या खाक लडूंगा ऐसे ही कई सारे खयाल मेरे मन में जनम ले रहे थे

और अभी मे इन सब ख्यालों से झूँझ रहा था कि तभी मेरी नज़र गुरु पृथ्वी पर गयी जिन्हे दैत्यों ने घेर लिया था और उन्हे वो मारने वाले थे की तभी मे उनके पास पहुँच गया

और उन असुरों पर वार करने लगा लेकिन अंजाम हर बार एक ही होता मेरे लात घुसे उनपर विफल जाते लेकिन उनका एक ही वार मुझे घायल करने के लिए काफी था

गुरु पृथ्वी :- कुमार इन पर लात घूसों का असर नहीं होगा इन्हे मारने के लिए तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को मजबूत करना होगा बिल्कुल किसी अभेद्य कवच की तरह तभी तुम इनके वार से बच पाओगे तुम्हे जो हमने सिखाया है उसे याद करो

अभी वो इतना बोले ही थे की तभी कही से एक तीर आया और वो सीधा उनके गर्दन मे जा घुसा और वो सीधा जमीन पर गिर पड़े जो देखकर अब मे पूरी तरह से टूट गया था

मे खुद की सुध बुध खो कर वही घुटनों के बल बैठ कर रोने लगा था इस बात से अनजान की जिन्होंने गुरु पृथ्वी को मारा वो सब मेरे सामने ही है और उनका अगला शिकार मे ही हूँ

अभी वो सभी अपने अस्त्र को लिए मेरे तरफ बढ़ रहे थे की तभी किसी ने मुझे पीछे खिंचा और जब मेने मुझे पीछे खींचने वाले का चेहरा देखा तो वो गुरु काल थे जो बहुत क्रोध में थे जिन्हे देखकर मे वही जमीन पर बैठकर रोने लगा

मै :- मुझसे कुछ भी उम्मीद मत रखिये गुरु काल में कुछ नही कर पाऊंगा

गुरु काल :- तुमसे उम्मीद है किस को जब तुम्हारे सामने गुरु नंदी मारे गए थे और तुमने कुछ नही किया तभी मे जान गया था कि तुम बिना अस्त्रों के कुछ भी नही हो तुम केवल एक रोते हुए बालक हो जो केवल रो सकता हैं नही वो संसार की रक्षा करने मे सक्षम है नही अपने अपनों की न वो बुराई से लोहा ले सकता हैं न ही अपने माता पिता का प्रतिशोध ले सकता हैं

गुरु काल की ये सारी बात सुनकर अब मेरे अंदर क्रोध बढ़ रहा था मेरे आँखों मे आँसू अब सुख गए थे और दिमाग मे केवल अपने माता पिता पर हुए अत्याचार दिख रहे थे

गुरु काल :- क्रोध आ रहा है क्या तुम्हे हाँ लेकिन तुम रोने के अलावा कर भी क्या सकते हो अगर तुम युद्ध उनको खतम करने के लिए हथियार नही उठा सकते तो कायरों के तरफ कही छुप जाओ क्योंकि उनसे अकेले युद्ध करना और तुम्हे बचना मे एक साथ नही कर सकता जाओ छुप जाओ कायरों के तरह

इतना बोलके गुरु काल फिर से युद्ध के मैदान में कूद पड़े और सब सैनिकों को खतम करने लगे तो वही अब तक उनकी सारी बातों से मुझे क्रोध आ गया था और उसी क्रोध के वश मे आकर मे भी युद्ध के मैदान में कूद पडा

और इस क्रोध के कारण शायद मेरा बल भी बढ़ गया था क्योंकि जहाँ पहले उन दैत्यों पर मेरा एक वार भी ठीक से नही हो रहा था तो वही अब मेरे एक घुसे से वो असुर 10 कदम दूर जाके गिर रहे थे जो देखकर गुरु काल के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी थी

गुरु काल :- शब्बाश कुमार अब आप अपने क्रोध को अपनी ऊर्जा मे बदलो इन पर तुम्हारे बाहुबल से नही बल्कि मायाबल से आक्रमण करो जो तलवार गुरु नंदी ने दी थी उसका इस्तेमाल करो

अभी उन्होंने इतना बोला था की तभी वहा एक जोरदार धमाका हुआ जिस धमाके से वहा हर तरफ धुआ फैल गया और जब धुआ हटा तो वहा पर सातों महासूर खड़े थे जिन्हे देखकर मेरा क्रोध बढ़ रहा था

और उसी क्रोध के आवेश मे मैं सीधा उन महासुरों के उपर टूट पड़ा लेकिन जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही उन सब ने मुझे घेर लिया और मुझ पर वार करने लगे जिससे मे चोटिल हो गया था

और अभी मे कुछ कर पाता उससे पहले ही महादंश ने मुझे उठाकर दूर फेक दिया और उसके बाद क्रोधासुर ने अपना एक तिर मेरे उपर छोड़ दिया लेकिन इसके पहले की वो तिर मुझ तक पहुँच पाता

उससे पहले ही गुरु काल मेरे और उस तिर के मध्य आ गए और वो तिर उनके सीने मे धस गया और वो सीधा मेरे पैरों के पास गिर गए जो देखकर मेने तुरंत उनके सर अपने गोद मे ले लिया मुझे ऐसा लग रहा था की वो कुछ बोलने की कोशिश कर रहे हैं

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

इतना बोलते हुए उन्होंने मेरे गोद मे ही दम तोड़ दिया तो वही गुरु काल का निर्जीव शरीर को अपने गोद मे महसूस करके मेरा क्रोध अपनी चरम पर पहुँच गया था

जिसके चलते मे फिर एक बार उन महासुरों के तरफ दौड़ पड़ा लेकिन इसबार भी वही हुआ जो पिछली बार हुआ था महादंश ने मुझे किसी खिलौने समान उठाकर दूर फेक दिया लेकिन मे रुका नही

अभी मे फिर से कोशिश करता की तभी मेरा ध्यान गुरु नंदी की दी हुई तलवार पर पड़ी और जैसे ही मैने उसे देखा मेरे मन में सारे गुरुओं द्वारा बताई हुई बाते आ गयी जिसके चलते मे वही तलवार के पास बैठकर ध्यान लगाने लगा

जिसके बाद मुझे अपने शरीर में बहुत से बदलाव महसूस होने लगे और अभी मे ध्यान बैठा था की तभी क्रोधासुर ने फिर से एक तिर मेरे तरफ छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर मेरे शरीर से टकराया

वैसे ही उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है

और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Beautiful update
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

parkas

Well-Known Member
28,392
62,680
303
VAJRADHIKARI bhai next update kab tak aayega?
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

VAJRADHIKARI

Hello dosto
1,450
17,218
144
अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है

और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए

ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है

चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा

और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 
Top