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Fantasy ब्रह्माराक्षस

park

Well-Known Member
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228
अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए


ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है


चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा


और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 

kas1709

Well-Known Member
10,079
10,629
213
अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए


ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है


चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा


और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

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आज के लिए इतना ही

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Nice update.....
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,810
57,790
259
अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए


ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है


चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा


और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

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आज के लिए इतना ही

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Very good update 👍 vajradhikari bhai mahasuro ka pata lag gaya hai, bhadra ka sikshan bhi poora ho chuka hai👍 dekhne wali baat ye hai ki bhadra ko wo astra kaha or kaise milega, awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 
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parkas

Well-Known Member
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अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए


ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है


चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा


और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 
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dhparikh

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अध्याय त्रेशष्ठ

उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था

और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है


और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......

मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए


ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता

वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले

गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था

में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ

गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था

मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए

गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता

मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा

गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे

मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था

गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप

मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ

गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा

गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक

मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना

गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे

मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ

गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे

मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही

गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है

मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा

गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा

मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है

फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया

गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है

गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है

सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा

फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा

तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है


चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है

महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा

जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा


और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 
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Shanu

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Brilliant update Bhai ☺️ 😊
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Vajradhikari bhai aaj update aayega kya?
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय चौसठ

गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है

मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा

सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः

इतना बोलके वो सभी वहाँ से गायब हो गए और उस जगह पर तेज प्रकाश फैल गया था जिससे मेरी आँखे बंद हो गयी थी और जब आँखे खोली तो मे अपने कमरे मे मौजूद था

मेरे आस पास प्रिया और शांति दोनों मौजूद थे जिनके सोते हुए मासूमियत से भरे चेहरे देखकर मेरे चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी जिसके बाद मे धीरे से अपनी जगह से उठकर बाहर चला गया

और सप्तगुरुओं द्वारा सिखाये हुए विद्याओं का अभ्यास करने लगा और जब अभ्यास पूर्ण हुआ तो मे उनके द्वारा दी ही पहेली के बारे में सोचने लगा की मुझे जन्म के बाद मुझे पहली बार अस्त्रों की ऊर्जा महसूस हुई थी

मे उसके बारे में सोचने लगा हर बार मे उसके जवाब के नजदीक पहुँचता लेकिन बीच मे ही कुछ हो जाता जिससे मे मुड़कर उसी जगह आ जाता जहाँ अभी मै मौजूद था

ऐसे ही सोचते हुए रात कब गुजर गयी और सुबह कब शुरू हो गयी मुझे भी पता नही चला अभी ब्रम्ह मुहूर्त शुरू था इसीलिए आश्रम मे कोई उठा नही था

(ब्रम्ह मुहूर्त :- चंद्र ढलने के बाद और सूर्य उगने से पहले का समय सुबह 3 से 5 के बीच का समयकाल)

इस ब्रम्ह मुहूर्त के मनमोहक दृश्य की सुंदरता मे गुम होकर मे इस वक़्त आश्रम के पीछे वाली नदी के पास पहुँच गया था स्नान के लिए जब मे वहाँ पहुँचा तो

उस जगह की शांतता और वहाँ के वातावरण में फैली हुई शीतलता मे मेरे मन मे भी एक अजीब सी सुकून और शांति की भावना आ गयी थी बिल्कुल वैसी ही की तपती गर्मी मे लगातार 4-5 घंटे घूमकर आने के बाद ac की ठंडी हवाँ मै बैठने को मिले

वैसा ही हाल अभी मेरा था ऐसे वातावरण मे स्नान करने का लुफ्त उठाने के बाद जब मेरा दिल और दिमाग दोनों मे ही असीम सुख और शांतता छा गयी तो मे भी उस सुख और शांती को और अच्छे से महसूस करने के लिए मे ध्यान मे बैठ गया

और ध्यान मे बैठने के बाद मे शांत दिमाग से मे उस पहेली के बारे मे सोचने लगा और ऐसा करते ही मेरे दिमाग मे मेरे जन्म के बाद होने वाली सारी चीजे किसी चलचित्र के तरह दिखने लगी

जो देखके मुझे मेरी पहली का जवाब भी मिल गया जब बचपन मे मैं गुरु राघवेंद्र को मिला था तो उन्होंने मेरे अस्तित्व का पता लगाने हेतु मेरे उपर कालास्त्र की शक्तियाँ इस्तेमाल की थी

और जब उन्होंने ऐसा किया था तभी मेरे शरीर मे उनके अस्त्र की ऊर्जा महसूस हुई थी जो सोचते ही मेरा ध्यान टूट गया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो पाया कि अभी धीरे धीरे सूरज उगने लग गया था

जो देखके मे तुरंत खड़ा हो गया और चारों तरफ कोई न कोई सबूत ढूँढने लगा लेकिन मुझे वहाँ कुछ नही मिला जो देखकर मे निराश हो गया था और अभी मे आश्रम मे वापिस लौट रहा था की तभी मेरी नज़र वहाँ पर बहती हुई नदी पर पड़ी

जिसके अंदर मुझे कुछ चमकती ही चीज दिखाई देने लगी लेकिन वो चीज नदी में गहराई मे थी जिसे देखकर मेने सीधा नदी मे छलांग लगा दी लेकिन मे जितना उस चमकती चीज के पास पहुँचता

वो उतनी ही नदी मे और गहराई मे चली जाती कुछ समय ऐसे ही नाकाम कोशिश करने के बाद मेरे दिमाग में एक और तरीका आ गया उस चीज तक पहुँचने का और उसके लिए मे तुरंत नदी से बाहर निकल आया

और नदी के किनारे पर आके खड़ा हो गया और फिर मेने अपने जल अस्त्र की मदद से उस नदी के सारे पानी को गायब कर दिया जिससे उस जगह पर अब मुझे वो चीज साफ साफ दिखाई दे रही थी

और वो चीज कुछ और नही बल्कि एक लोहे का बक्शा था जो पानी मे रहने के बाद भी बिल्कुल सही सलामत था उसपर जरा सी भी जंग नही चढ़ी थी

और जब में उस बक्शे को खोलकर देखा तो उसमे एक संदेशा पत्र था जिसको में पढ़ा तो पता चला की उसे गुरु जल ने ही लिखा था

संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को संभालकर रखना है और अब तुम्हे उस महास्त्र को पाने के लिए और 7 पड़ावों को पार करना होगा हर पड़ाव तुम्हे तुम्हारे मंजिल के करीब लेकर जायेगा और जब तुम उन सातों पड़ावों को पर कर लोगे तो तुम्हे मिलेगा अजेय अस्त्र जिससे तुम उन सातों महासुरों को मार पाओगे दूसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा

मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों जल के राख हो गए और उनमे लगी आग से वहाँ पर मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे

क्योंकि जिस भी इलाके के ये चित्र थे उस पूरे इलाके मे ज्वालामुखी भरे हुए थे कुछ विशाल ज्वालामुखी थे तो कुछ छोटे ज्वालामुखी थे और जिन जगहों पर ज्वालामुखी नही थे वहाँ पर नुकीले और प्राणघाती ज्वाला काँच(obsidian) थे

जिनपर गलती से भी पैर पड़ जाता तो उसकी तपिश उसी वक़्त जला के राख कर देती बस एक बात अच्छी दिख रही थी और वो ये की वहाँ पर सारे ज्वालामुखी सुप्त अवस्था मे थे

लेकिन फिर भी उनके मुख से निकालने वाली वो भाँप इतनी गरम महसूस हो रही थी की वो आँखों को साफ दिख रही थी

जिसके बाद वो चित्र गायब हो गया और मेने भी उस नदी का फिर पहले की तरह भर दिया जहाँ एक तरफ ये सब हो रहा था

तो वही रात मे महागुरु के कुटिया मे इस वक्त मेरे प्रिया और शांति को छोड़कर सब मौजूद थे सारे गुरु शिबू और मेरे माता पिता भी

गुरु वानर :- तो सम्राट आपके कहे मुताबिक आपने भद्रा को सुरक्षित रखने के लिए हमारे आश्रम मै भेजा लेकिन अभी भी मे समझ नही पा रहा हूँ की आपने उस वक्त आश्रम पर लगा हुआ कवच को कैसे निष्क्रिय किया

पिता जी :- सर्वप्रथम आप हमे अपना मित्र समझिये सम्राट हम तब थे जब हम हमारे सिंहासन पर विराजमान थे लेकिन अब हम केवल त्रिलोकेश्वर है और रही बात कवच की तो वो हमने निष्क्रिय नही किया था

पिताजी की बात सुनकर सब दंग रह गए थे क्योंकि वो पिछले 20 सालों से इस सवाल का जवाब ढूँढने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उन्हे मिल नही था और मेरे अस्तित्व की असलियत जानने के बाद उन्हे लगा था की ये सालों पुरानी अनसुलझी पहेली का जवाब उन्हे आज मिल जायेगा लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ बल्कि बात जहाँ थी वही आके रुक गयी थी अभी कोई कुछ और बोलता की तभी महागुरु बोलने लगे

महागुरु :- कोई अपने सिंहासन या राजपाठ से सम्राट नही बनता बल्कि उनके कर्म उनके प्रति प्रजा का विश्वास और आदर उन्हे खुद ब खुद सम्राट की उपाधि दे देती हैं और रही उस कवच की बात तो आप सब इस बात को भूल रहे हैं कि भद्रा के शरीर मे बाल्यकाल से ही सप्त ऊर्जा समाई हुई है और जो कवच मेने बनाया है वो किसी भी अस्त्र धारक या कोई ऐसा जिसके अंदर सप्तस्त्रों का अंश भी हो उसे रोक नही सकता हैं

गुरु जल :- ये सब तो ठीक है लेकिन अब आगे क्या मतलब अब हम क्या करेंगे हमारे पास अब सप्त अस्त्र नही है और आने वाले महासंग्राम मे हम मुकाबला कैसे करेंगे कैसे महासुरों और शुक्राचार्य के सेना का सामना करेंगे

गुरु सिँह :- अपने बल हिम्मत और जज्बे से

गुरु वानर:- अपने ज्ञान से

शिबू :- सबसे बढ़कर एकता से हम उनका सामना करेंगे और उन्हे पछाड़ देंगे

महागुरु :- अब आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा क्यों दिलावर

ऐसे ही कुछ देर बाते करने के बाद सभी अपने कक्ष मे जाकर सो जाते है उन्हे पता नही था की सुबह उन्हे एक साथ कितने सारे झटके मिलने वाले है

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आज के लिए इतना ही

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