- 1,450
- 17,218
- 144
Last edited:
Nice and superb update....अध्याय त्रेशष्ठ
उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था
और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है
और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......
मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए
ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता
वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले
गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था
में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ
गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था
मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए
गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता
मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा
गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे
मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था
गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप
मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ
गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा
गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक
मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना
गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे
मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ
गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे
मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही
गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है
मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा
गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा
मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है
फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया
गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है
मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है
गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है
सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा
फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा
तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है
चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है
महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा
जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा
और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा
गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है
मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा
सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update.....अध्याय त्रेशष्ठ
उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था
और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है
और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......
मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए
ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता
वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले
गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था
में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ
गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था
मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए
गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता
मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा
गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे
मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था
गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप
मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ
गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा
गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक
मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना
गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे
मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ
गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे
मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही
गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है
मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा
गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा
मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है
फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया
गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है
मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है
गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है
सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा
फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा
तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है
चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है
महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा
जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा
और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा
गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है
मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा
सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Very good updateअध्याय त्रेशष्ठ
उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था
और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है
और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......
मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए
ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता
वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले
गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था
में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ
गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था
मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए
गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता
मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा
गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे
मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था
गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप
मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ
गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा
गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक
मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना
गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे
मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ
गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे
मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही
गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है
मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा
गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा
मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है
फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया
गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है
मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है
गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है
सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा
फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा
तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है
चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है
महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा
जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा
और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा
गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है
मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा
सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय त्रेशष्ठ
उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था
और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है
और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......
मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए
ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता
वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले
गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था
में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ
गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था
मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए
गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता
मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा
गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे
मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था
गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप
मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ
गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा
गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक
मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना
गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे
मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ
गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे
मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही
गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है
मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा
गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा
मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है
फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया
गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है
मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है
गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है
सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा
फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा
तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है
चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है
महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा
जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा
और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा
गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है
मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा
सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update....अध्याय त्रेशष्ठ
उस तिर के मुह पर लगे ही तिखा हिस्सा टूट कर तिर से अलग हो गया इसके पीछे का कारण था मेरा शरीर जो अब किसी अभेद्य कवच के तरह मजबूत हो गया था
और उस तिर के नाकाम होते ही मेने अपना हाथ आगे बढ़ाकर तलवार को पकड़ लिया और अपनी आँखे खोल दी जो की अब पूरी लाल हो गयी थी जैसे मानो उनके अंदर रक्त उतर आया है
और जो तलवार अब तक पूरी ताकत लगाकर भी मुझसे उठ नही रही थी वो अब मैने अपने एक हाथ मे ऐसे उठा रखी थी की जैसे खिलौने की तलवार हो और जैसे ही मे उस तलवार को उठाकर आगे बढ़ने लगा की तभी......
मेरे सामने जो सैनिक खड़े थे वो सभी फिर से पत्थर की मूर्तियों में बदल गए और जहाँ मेरे सामने जो सातों महासूर खड़े थे वो सभी सप्त ऋषियों मे तब्दील हो गए
ये सब देखकर तो जैसे मेरे होश ही उड़ गये थे मे बस वहाँ का हाल देखकर उलझ गया था कभी उन पत्थर मे बदले हुए सैनिकों को देखता तो कभी सप्तऋषियों को देखता
वही मेरे दिलका हाल समझकर गुरु काल मेरे करीब आये और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए वो बोले
गुरु काल :- क्या सोच रहे हो कुमार क्या अभी तक समझे नही की ये केवल एक मायाजाल था
में:- नही गुरुवर मे समझ गया था की ये सब एक माया जाल है लेकिन क्यों ये समझ नही पा रहा हूँ
गुरु काल:- ये सब कुछ तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से पहचान कराने के लिए अपने अस्तित्व का बोध कराने के लिए और सबसे बढ़कर तुम्हारे काबिलियत की परीक्षा लेने के लिए था
मै:- परीक्षा लेकिन किस लिए
गुरु काल :- सबसे पहले हमे ये जानना था की अगर कभी ऐसी परिस्थिति जब आपको हमले के बारे मे अंदाजा भी न हो तब अगर आकासमात हमला हो जाए तो आप उस कैसे लढोगे लेकिन आप तो अपने ही सोच मे गुम थे और इसी का फायदा उठा कर आप पर अपनी गदा से वार किया लेकिन अगर ते असल युद्ध होता तो गदा से नही बल्कि किसी घातक अस्त्र से वार होता और युद्ध वही खतम हो जाता याद रखना कुमार युद्ध मे दूसरा मौका नही होता
मै :- मै समझ गया गुरुवर अगली बार चाहे जो भी हो मे सतर्क रहूँगा
गुरु नंदी :- फिर हमे ये जांचना था की अगर युद्ध के मैदान में आपके अस्त्र निष्क्रिय हो जाए तो क्या होगा और इसीलिए हमने ऐसी माया का निर्माण किया जिसमे आपके सप्त अस्त्रों के साथ साथ और कोई भी शक्ति काम न करे लेकिन जब आपने सप्त अस्त्र जगाने का प्रयास किया और उसमे आप असफल हो गए थे लेकिन फिर भी आप बार बार उसी को जाग्रुत करने का प्रयास कर रहे थे जबकि आपको हमने पहले ही कहाँ था की यहाँ पर सप्त अस्त्र का नही करेंगे
मै :- मुझे क्षमा करना गुरु नंदी मे आप सबको मरते देख कर इतना क्रोध और आपको बचा न पाने के नाकामी मे इतना मायूस हो गया था की मे कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था
गुरु अग्नि:- यही आपका अगला सबक भी है कुमार की युद्ध हमेशा नर संहार साथ लाता हैं इस मे हो सकता हैं आपके साथी मारे जाए या फिर वो मारे जाए जिन्हे आप खुद से भी ज्यादा चाहते हो और अगर आप बीच युद्ध मे उनका शोक करते बैठे तो उनके साथ आप भी मारे जाओगे और इसीलिए हम सभी बार बार आपके सामने मर रहे थे ताकि हम देख पाए की क्या करते हो आप
मै :- और इसमें भी मैने आपको निराश किया मे आप सबको मरते देख टूट गया था खासकर तब जब आप सभी मुझसे उम्मीद लगाकर बैठे थे मे सोचने लगा था की क्या सच्ची मे मैं आपके इस विश्वास और शक्तियों के काबिल हूँ
गुरु पृथ्वी :- काबिलियत पर भरोशा यही आपका अगला सबक है कुमार आपके पूरे जीवन काल मे ऐसे कई सारे मौके आयेंगे जब आपको खुद की काबिलियत पर शक होगा लेकिन आपको ये समझना होगा कि जब तक आप खुदको काबिल नही मानोगे तब तक कोई अन्य भी आपको काबिल नही मानेगा
गुरु काल :- अब सबसे अहम सबक
मै (बीच मे ही रोकते हुए) :- मे जानता हूँ गुरुवर अपने अंदर के सभी नाकारत्मक विचारों और भावनाओं को अपनी ऊर्जा बनाना और उसी ऊर्जा को अपने शत्रुओं के खिलाफ इस्तेमाल करना
गुरु काल :- बिल्कुल सही कुमार अब आप आने वाले युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है एक बात का याद रखना आप अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो न की अस्त्र आपको शक्ति देंगे
मै :- ठीक है गुरुवर ये बात मे पूरी तरह से समझ चुका हूँ
गुरु सिँह :- अब सबसे महत्वपूर्ण बात कुमार महासुरों को आप सप्त अस्त्रों से नही हरा पाओगे
मै (हैरानी से) :- क्या लेकिन सप्त अस्त्रों के मदद से ही तो आप सबने भी उन्हे एक बार हराया था तो अब क्यों नही
गुरु वानर :- नही कुमार हमने सप्त अस्त्रों के मदद से केवल उन्हे कैद किया था उनका जन्म सप्तस्त्रों के अंश से ही हुआ था जिसके कारण उनका अंत सप्तस्त्रों के द्वारा नही हो सकता तुम उन्हे चोटिल कर सकते हो कैद कर सकते हो लेकिन खतम नही कर सकते हो उसके लिए तुम्हे एक खास अस्त्र की आवश्यकता है
मै :- कौनसा अस्त्र मुझे वो कहाँ मिलेगा
गुरु काल :- वो अस्त्र कौनसा है और किधर मिलेगा ये तुम्हे खूद ढूँढना होगा हम केवल तुम्हे इतना बता सकते है कि उसकी जानकारी तुम्हे उसी जगह पर मिलेगी जहाँ पर जन्म लेने के बाद तुमने पहली बार अस्त्र की शक्ति को महसूस किया था और एक बात याद रखना अगर किसी बेगुनाह को तुम्हारे कारण हानि पहुंची तो वो अस्त्र तुम्हे कभी नही मिलेगा अब तुम जाओ थोड़ा आराम करलो 15 दिनों पश्चात तुम्हे आराम करने का कोई मौका नहीं मिलेगा
मै :- आराम से याद आया मुझे अजीबो गरीब सपने दिखते है
फिर मैने उन्हे मेरे सपने के बारे में सब बता दिया और फिर उन सपनो को लेकर आश्रम मे ही बातों को भी उन्हे बता दिया
गुरु काल :- शिबू ने सही कहा था महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से तुम्हारा ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो केवल और केवल तुम्हारे पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र तुम्हे तुम्हारे जिम्मेदारियों से तुम्हारे कर्मों से उस अवगत करा रहे है
मै :- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा की ये सब हो किस ग्रह पर हो रहा है
गुरु वानर :- पूरे संसार में सात ऐसे ग्रह है जो महासुरों को जन्म देने वाली ऊर्जा रखते है
सबसे पहला ग्रह है वेदस्त ग्रह (अध्याय सत्तावन वाला) ये ग्रह अपने शांत और निर्मल हसीन वतावरण के लिए जाना जाता हैं इसीलिए यहाँ पर जरूर गजासूर से सामना होगा
फिर दूसरा ग्रह है महर लोक जहां सारे ऋषि-मुनि रहते हैं महर लोक में रहने वाले बहुत ही तेज गति से अलग-अलग लोकों पर जा सकते हैं। इनकी गति इस हद तक तेज हैं जिसे आधुनिक विज्ञान के लिए समझ पाना नामुकिन है इसीलिए केशासुर तुम्हे यही मिलेगा
तीसरा ग्रह है भुवर-लोक यह सूर्य, ग्रहों, तारों और पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान का स्थान है। यह एक वास्तविक क्षेत्र, वातावरण, आत्मा और सार का स्थान है इसीलिए यहाँ पर महादंश ने अपना राज्य स्थापित किया है
चौथा ग्रह है तप-लोक: यह तपस या अन्य देवी-देवताओं का निवास स्थान है उनके तपो बल से यहाँ पर बलासुर अपना राज आसानी से स्थापित कर सकता हैं फिर आता है
महातल-लोक: महातल कई फन वाले नागों का निवास स्थान है, कद्रू के पुत्र कुहका, तक्षक, कालिया और सुषेण के क्रोधवशा समूह के नेतृत्व में हैं इसीलिए यहाँ पर तुम्हारा सामना विशांतक से होगा
जिसके बाद आता है रसातल-लोक: यह दानवों और दैत्यों का घर है, जो देवताओं के चिर शत्रु हैं यहाँ पर ज्वालासुर का राज्य स्थापित होगा
और सबसे आखिरी और सबसे शक्तिशाली ग्रह है पाताल लोक इस ग्रह पर महासुरों के नायक क्रोधासुर से आमना सामना होगा
गुरु वानर :- याद रखना कुमार इन सबसे लड़ने जाने से पहले तुम्हे उस अस्त्र को जरूर पाना है
मै :- आप निश्चित रहियेगा सप्तऋषियों मे आपको भरोशा दिलाता हूं की जिस युद्ध को आपने शतकों पहले अधूरा छोड़ा था उसी युद्ध को मे अंजाम तक पहॅुचाऊँगा
सभी गुरु एक साथ :- विजयी भवः
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~