• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy ब्रह्माराक्षस

jay na hai

New Member
11
17
3
Next update kab aayega
 

parkas

Well-Known Member
28,373
62,656
303
VAJRADHIKARI bhai next update kab tak aayega?
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

VAJRADHIKARI

Hello dosto
1,449
17,215
144
अध्याय पैंसठ

अभी सुबह हो गयी थी और आश्रम में सभी लोग उठ चुके थे और जब प्रिया की नींद खुली तो उसने देखा की भद्रा वहाँ पर नही है उसे लगा की वो बाहर बाकी गुरुओं के साथ मिलकर आगे की योजना बना रहा होगा

इसीलिए उसने इस बात पर ध्यान न देते हुए उसने शांति को भी जगाया जिसके बाद दोनों ही बाहर आके भद्रा को ढूँढने लगी लेकिन उन्हे वो कही नही मिला

और ऐसे ही भद्रा को ढूँढते हुए वो दोनों महागुरु के कुटिया के पास पहुँच गये जहाँ पर महागुरु उन्हे दिखे तो उन्होंने उनसे भद्रा के बारे मे पूछा तो उन्हे भी इस बारे मे कोई जानकारी नही थे

जिससे अब उन दोनों के मन में भद्रा के लिए चिंता होने लगी थी जिसके वजह से वो अब भद्रा को ढूँढने के लिए पुरा आश्रम छान लिया लेकिन उन्हे भद्रा कही नही मिला उन्होंने आश्रम के पीछे वाली नदी के पास जाकर देखा तो वहाँ भी उन्हे कुछ नही मिला

हुआ यू की नदी मे से वो संदेश मिलने के बाद भद्रा उन चित्र में दिखाई जगह को ढूँढने के लिए ध्यान मे बैठा था और कोई उसके इस कार्य मे बाधा न डाल पाए

इसीलिए उसने आश्रम के पास बने हुए जंगल मे जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया था तो वही जब प्रिया और शांति को भद्रा कही नही दिखा तो उन्होंने ये बात आश्रम में सबको बता दी

जिससे अब सारे गुरु शिबू और भद्रा के माँ बाबा सभी भद्रा को ढूँढने के लिए लग गए लेकिन उनको भद्रा कही नही मिला और जब सभी ढूंढ रहे थे की तभी सबको को महा शक्तिशाली और भयानक ऊर्जा शक्ति का आभास हुआ

जो महसूस करते ही सभी सतर्क हो गए थे सबको पहले लगा की ये भद्रा के ऊर्जा शक्ति का एहसास है लेकिन जब उन्होंने भद्रा की युद्ध मैदान में सातों अस्त्रों की शक्तियों को पाने के बाद जो ऊर्जा शक्ति उन्हे महसूस हुआ था

उसके मुकाबले ये ऊर्जा शक्ति बहुत ज्यादा शक्तिशाली और भयानक लग रही थी जिसके बाद वो सभी भद्रा को ढूँढने का छोड़कर उस उर्जशक्ति को ढूँढने लगे जिससे अब वहाँ पर सभी सतर्क होने लगे थे और जब उन्होंने इस ऊर्जा शक्ति का पीछा किया

तो वो उसी जगह पहुँच गए जहाँ पर भद्रा ध्यान लगा रहा था और जब सबने भद्रा को देखा तो सब दंग रह गए क्योंकि इस वक्त भद्रा के शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था

और उसके शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे उसकी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी उसके पीठ पर एक गोल ढाल थी तो उसके सर पर दो सिंग उगे हुए थे

जो की उसके कपड़ो के तरह काले थे तो वही उसके आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने भद्रा का ये रूप देखा तो सब हैरान और परेशान हो गए थे तो वही शिबू और भद्रा के माता पिता के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी जो देखकर महागुरु ने उनसे पूछा

महागुरु :- सम्राट आप तीनो मुस्कुरा रहे है लेकिन क्यों भद्रा का ये भयानक रूप क्या आप को पता है ये क्यों है इतना अजीब रूप भद्रा ठीक तो है ना

शिबू :- ठीक ये कैसी बात कर रहे हो महागुरु भद्रा को कुछ हुआ ही किधर है ये जो भद्रा का रूप है यही उसका असली अवतार है ब्रम्ह राक्षस का अवतार कुमार का अवतार

शिबू के ये बोलने से सभी को एक बड़ा झटका लगा था मेरा असली रूप ऐसा होगा ये किसीने सोचा भी नही था अभी कोई कुछ और बोलता की तभी मैने अपनी आँखे खोल दी

और जब मैने मेरी आँखे खोली तो सबको और एक झटका लगा क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जो देखकर सब एक बार के लिए डर गए थे

और जब मैने अपने सामने सबको ऐसे डरे हुए देखा तो मुझे खुदकी हालत का अंदाजा हो गया जिसके बाद मैने फिर से खुदको आम इंसानो जैसे रूप दे दिया

मै :- मुझे आप सब से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे आश्रम के सभा गृह मे मिलिए

इतना बोलके मे वहाँ से चला गया अपने चेहरे पर लगा खून धोने तो वही सप्त गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने बाद और उनकी ली गई परीक्षा के बाद से मेरी शक्ति ऊर्जा पहले से कई गुना अधिक बढ़ गयी थी

जिसका असर मेरे आवाज पर भी हुआ था मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी

जिसके बाद मे जब वहाँ से थोड़ा दूर पहुंचा तो मेने अपने शक्ति ऊर्जा को फिर से काबू कर लिया जिससे मेरे चारो तरफ एक छलावे का कवच निर्माण कर दिया जिससे मेरी असली ऊर्जा कोई महसूस न कर पाए जिसके बाद सभी सभाग्रुह मे जमा हो गए थे

मै :- आप सभी जानते है कि हमारे उपर युद्ध की तलवार लटक रही है लेकिन वो का गिरेगी ये हमे अभी तक पता नही है लेकिन अब हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है इन 14 दिनों के पूर्ण होते ही ये संसार एक महा विनाशकारी युद्ध का साक्षी बनेगा जो युद्ध किसी के हार से नही बल्कि किसी एक पक्ष के संपूर्ण विनाश से होगा

गुरु वानर :- भद्रा तुम्हे कैसे पता की हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है

मै :- मेरे अस्त्रों ने बताया (झूठ मे चाहता तो सबको सप्त ऋषियों के बारे मे बता सकता था लेकिन इसके लिए उन्होंने ही मना किया था)

मै :- तो सर्वप्रथम मे सबको उनके जिम्मेदारियों से अवगत करा देता हूँ सबसे पहले दैत्य सम्राट शिबू गुरु अग्नि और गुरु वानर आप तीनो सभी योद्धाओं और सैनिकों को युद्ध प्रशिक्षण दोगे

तो गुरु सिंह बाबा (त्रिलोकेश्वर) और गुरु नंदी आप तीनो सभी उन जगहों पर ध्यान दोगे जहाँ से असुर प्रवेश कर सकते है और उन जगहों पर अलग अलग जाल बिछाओगे ये काम आपको इस तरह करना है कि किसी को पता न चले

जिसके बाद महागुरु, गुरु वानर आप दोनों सभी सेनापतियों के लिए मायावी अस्त्रों का निर्माण करेंगे और महागुरु आप सभी गुरुओं को भी अपने तरह दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्रदान कीजिये

तो वही शांति प्रिया और माँ (दमयंती) आप सभी योद्धाओं और सैनिकों के लिए दवाइयाँ और जड़ीबूटियों का इंतेज़ाम करेंगे और साथ मे ही आप तीनों आश्रम में रहकर उसकी सुरक्षा और यहाँ पर मौजूद सभी योद्धाओं की सुरक्षा और सेहत का ध्यान रखेंगे

साथ मे शांति तुम पशु पक्षीयों को आश्रम के चारों तरफ किसी गुप्तचर की तरह बिछा दो जिससे यहाँ पर शत्रु पक्ष कभी भी आकसमात आक्रमण न कर पाए

ये सब बताते हुए में फिर से एक बार मेरी आवाज को भारी और गंभीर कर दिया था जिससे कोई भी इन बातों को भूल कर भी दुलक्ष ना कर पाए

मै :- अब सभी सातों गुरु मेरे सामने आये

मेरे आवाज की गंभीरता की वजह से कोई भी सवाल पूछ ही नही पा रहा था और सब मे जैसा कह रहा था वैसे ही कर रहे थे मेरे कहे मुताबिक सभी जन वैसा ही करते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए

जिसके बाद मेने अपने हाथों को जोड़कर आँखों को बंद करके कुछ मंत्र जपने लगा जिससे मेरे शरीर से सातों अस्त्र निकालकर अपने पुराने धारक के शरीर मे समा गए

जो देखकर वहाँ सभी हैरान हो गए उन्हे समझ नही आ रहा था की आखिर ये मेने क्यों किया और सबसे बड़ा सवाल कैसे किया क्योंकि अस्त्र अपने मालिक को छोड़के दूसरे के पास तीन ही परिस्थितियों मे जाते है

जो तीनो परिस्थितिया अभी के हालत मेल नही बना रहे थे सबसे पहला धारक मर जाए ये सरासर असम्भव था

दूसरा अगर अस्त्र को जबरदस्ती छिना जाए तब जो भी अस्त्रों को बचाने के लिए अपने प्राण दांव पर लगायेगा और खुद को साबित करेगा

या तीसरा धारक खुद के स्वेच्छा से उनका त्याग कर दे लेकिन ये भी तभी होगा जब अस्त्र धारक पूरी तरह से उनका त्याग करे

लेकिन ये भी नामुमकिन था क्योंकि अगर ऐसे होता तो मुझे इतनी पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता की उसमे मेरे प्राण भी चले जाते लेकिन ऐसा भी कुछ नही हुआ था

ये देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैने अपनी किसी छोटी मोटी शक्ति उन्हे दी हो अपने अस्त्र वापिस पाकर सारे अस्त्र धारक खुश थे तो वही सब मेरे इस आकासमात फैसले से हैरान थे

किसी को समझ नही आ रहा था की मैने ऐसा किस कारण से किया लेकिन मेरे ऊर्जा शक्ति को महसूस करके मेरा असली रूप देखकर और मेरी आवाज सुनकर किसी मे हिम्मत नहीं थी कि मुझसे सीधा आकर ये सवाल पूछे की तभी मैने अपना अगला फैसला सुनाया जिससे सब और भी हैरान रह गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 

krish1152

Well-Known Member
5,593
16,338
188
nice update
 

111ramjain

Well-Known Member
2,503
3,784
143
Nice update
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

park

Well-Known Member
11,749
13,979
228
अध्याय पैंसठ

अभी सुबह हो गयी थी और आश्रम में सभी लोग उठ चुके थे और जब प्रिया की नींद खुली तो उसने देखा की भद्रा वहाँ पर नही है उसे लगा की वो बाहर बाकी गुरुओं के साथ मिलकर आगे की योजना बना रहा होगा

इसीलिए उसने इस बात पर ध्यान न देते हुए उसने शांति को भी जगाया जिसके बाद दोनों ही बाहर आके भद्रा को ढूँढने लगी लेकिन उन्हे वो कही नही मिला

और ऐसे ही भद्रा को ढूँढते हुए वो दोनों महागुरु के कुटिया के पास पहुँच गये जहाँ पर महागुरु उन्हे दिखे तो उन्होंने उनसे भद्रा के बारे मे पूछा तो उन्हे भी इस बारे मे कोई जानकारी नही थे


जिससे अब उन दोनों के मन में भद्रा के लिए चिंता होने लगी थी जिसके वजह से वो अब भद्रा को ढूँढने के लिए पुरा आश्रम छान लिया लेकिन उन्हे भद्रा कही नही मिला उन्होंने आश्रम के पीछे वाली नदी के पास जाकर देखा तो वहाँ भी उन्हे कुछ नही मिला

हुआ यू की नदी मे से वो संदेश मिलने के बाद भद्रा उन चित्र में दिखाई जगह को ढूँढने के लिए ध्यान मे बैठा था और कोई उसके इस कार्य मे बाधा न डाल पाए

इसीलिए उसने आश्रम के पास बने हुए जंगल मे जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया था तो वही जब प्रिया और शांति को भद्रा कही नही दिखा तो उन्होंने ये बात आश्रम में सबको बता दी

जिससे अब सारे गुरु शिबू और भद्रा के माँ बाबा सभी भद्रा को ढूँढने के लिए लग गए लेकिन उनको भद्रा कही नही मिला और जब सभी ढूंढ रहे थे की तभी सबको को महा शक्तिशाली और भयानक ऊर्जा शक्ति का आभास हुआ


जो महसूस करते ही सभी सतर्क हो गए थे सबको पहले लगा की ये भद्रा के ऊर्जा शक्ति का एहसास है लेकिन जब उन्होंने भद्रा की युद्ध मैदान में सातों अस्त्रों की शक्तियों को पाने के बाद जो ऊर्जा शक्ति उन्हे महसूस हुआ था

उसके मुकाबले ये ऊर्जा शक्ति बहुत ज्यादा शक्तिशाली और भयानक लग रही थी जिसके बाद वो सभी भद्रा को ढूँढने का छोड़कर उस उर्जशक्ति को ढूँढने लगे जिससे अब वहाँ पर सभी सतर्क होने लगे थे और जब उन्होंने इस ऊर्जा शक्ति का पीछा किया

तो वो उसी जगह पहुँच गए जहाँ पर भद्रा ध्यान लगा रहा था और जब सबने भद्रा को देखा तो सब दंग रह गए क्योंकि इस वक्त भद्रा के शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था

और उसके शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे उसकी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी उसके पीठ पर एक गोल ढाल थी तो उसके सर पर दो सिंग उगे हुए थे

जो की उसके कपड़ो के तरह काले थे तो वही उसके आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने भद्रा का ये रूप देखा तो सब हैरान और परेशान हो गए थे तो वही शिबू और भद्रा के माता पिता के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी जो देखकर महागुरु ने उनसे पूछा

महागुरु :- सम्राट आप तीनो मुस्कुरा रहे है लेकिन क्यों भद्रा का ये भयानक रूप क्या आप को पता है ये क्यों है इतना अजीब रूप भद्रा ठीक तो है ना

शिबू :- ठीक ये कैसी बात कर रहे हो महागुरु भद्रा को कुछ हुआ ही किधर है ये जो भद्रा का रूप है यही उसका असली अवतार है ब्रम्ह राक्षस का अवतार कुमार का अवतार

शिबू के ये बोलने से सभी को एक बड़ा झटका लगा था मेरा असली रूप ऐसा होगा ये किसीने सोचा भी नही था अभी कोई कुछ और बोलता की तभी मैने अपनी आँखे खोल दी

और जब मैने मेरी आँखे खोली तो सबको और एक झटका लगा क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जो देखकर सब एक बार के लिए डर गए थे

और जब मैने अपने सामने सबको ऐसे डरे हुए देखा तो मुझे खुदकी हालत का अंदाजा हो गया जिसके बाद मैने फिर से खुदको आम इंसानो जैसे रूप दे दिया

मै :- मुझे आप सब से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे आश्रम के सभा गृह मे मिलिए

इतना बोलके मे वहाँ से चला गया अपने चेहरे पर लगा खून धोने तो वही सप्त गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने बाद और उनकी ली गई परीक्षा के बाद से मेरी शक्ति ऊर्जा पहले से कई गुना अधिक बढ़ गयी थी


जिसका असर मेरे आवाज पर भी हुआ था मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी

जिसके बाद मे जब वहाँ से थोड़ा दूर पहुंचा तो मेने अपने शक्ति ऊर्जा को फिर से काबू कर लिया जिससे मेरे चारो तरफ एक छलावे का कवच निर्माण कर दिया जिससे मेरी असली ऊर्जा कोई महसूस न कर पाए जिसके बाद सभी सभाग्रुह मे जमा हो गए थे

मै :- आप सभी जानते है कि हमारे उपर युद्ध की तलवार लटक रही है लेकिन वो का गिरेगी ये हमे अभी तक पता नही है लेकिन अब हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है इन 14 दिनों के पूर्ण होते ही ये संसार एक महा विनाशकारी युद्ध का साक्षी बनेगा जो युद्ध किसी के हार से नही बल्कि किसी एक पक्ष के संपूर्ण विनाश से होगा

गुरु वानर :- भद्रा तुम्हे कैसे पता की हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है

मै :- मेरे अस्त्रों ने बताया (झूठ मे चाहता तो सबको सप्त ऋषियों के बारे मे बता सकता था लेकिन इसके लिए उन्होंने ही मना किया था)

मै :- तो सर्वप्रथम मे सबको उनके जिम्मेदारियों से अवगत करा देता हूँ सबसे पहले दैत्य सम्राट शिबू गुरु अग्नि और गुरु वानर आप तीनो सभी योद्धाओं और सैनिकों को युद्ध प्रशिक्षण दोगे

तो गुरु सिंह बाबा (त्रिलोकेश्वर) और गुरु नंदी आप तीनो सभी उन जगहों पर ध्यान दोगे जहाँ से असुर प्रवेश कर सकते है और उन जगहों पर अलग अलग जाल बिछाओगे ये काम आपको इस तरह करना है कि किसी को पता न चले

जिसके बाद महागुरु, गुरु वानर आप दोनों सभी सेनापतियों के लिए मायावी अस्त्रों का निर्माण करेंगे और महागुरु आप सभी गुरुओं को भी अपने तरह दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्रदान कीजिये

तो वही शांति प्रिया और माँ (दमयंती) आप सभी योद्धाओं और सैनिकों के लिए दवाइयाँ और जड़ीबूटियों का इंतेज़ाम करेंगे और साथ मे ही आप तीनों आश्रम में रहकर उसकी सुरक्षा और यहाँ पर मौजूद सभी योद्धाओं की सुरक्षा और सेहत का ध्यान रखेंगे

साथ मे शांति तुम पशु पक्षीयों को आश्रम के चारों तरफ किसी गुप्तचर की तरह बिछा दो जिससे यहाँ पर शत्रु पक्ष कभी भी आकसमात आक्रमण न कर पाए

ये सब बताते हुए में फिर से एक बार मेरी आवाज को भारी और गंभीर कर दिया था जिससे कोई भी इन बातों को भूल कर भी दुलक्ष ना कर पाए

मै :- अब सभी सातों गुरु मेरे सामने आये

मेरे आवाज की गंभीरता की वजह से कोई भी सवाल पूछ ही नही पा रहा था और सब मे जैसा कह रहा था वैसे ही कर रहे थे मेरे कहे मुताबिक सभी जन वैसा ही करते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए

जिसके बाद मेने अपने हाथों को जोड़कर आँखों को बंद करके कुछ मंत्र जपने लगा जिससे मेरे शरीर से सातों अस्त्र निकालकर अपने पुराने धारक के शरीर मे समा गए


जो देखकर वहाँ सभी हैरान हो गए उन्हे समझ नही आ रहा था की आखिर ये मेने क्यों किया और सबसे बड़ा सवाल कैसे किया क्योंकि अस्त्र अपने मालिक को छोड़के दूसरे के पास तीन ही परिस्थितियों मे जाते है

जो तीनो परिस्थितिया अभी के हालत मेल नही बना रहे थे सबसे पहला धारक मर जाए ये सरासर असम्भव था

दूसरा अगर अस्त्र को जबरदस्ती छिना जाए तब जो भी अस्त्रों को बचाने के लिए अपने प्राण दांव पर लगायेगा और खुद को साबित करेगा

या तीसरा धारक खुद के स्वेच्छा से उनका त्याग कर दे लेकिन ये भी तभी होगा जब अस्त्र धारक पूरी तरह से उनका त्याग करे


लेकिन ये भी नामुमकिन था क्योंकि अगर ऐसे होता तो मुझे इतनी पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता की उसमे मेरे प्राण भी चले जाते लेकिन ऐसा भी कुछ नही हुआ था

ये देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैने अपनी किसी छोटी मोटी शक्ति उन्हे दी हो अपने अस्त्र वापिस पाकर सारे अस्त्र धारक खुश थे तो वही सब मेरे इस आकासमात फैसले से हैरान थे

किसी को समझ नही आ रहा था की मैने ऐसा किस कारण से किया लेकिन मेरे ऊर्जा शक्ति को महसूस करके मेरा असली रूप देखकर और मेरी आवाज सुनकर किसी मे हिम्मत नहीं थी कि मुझसे सीधा आकर ये सवाल पूछे की तभी मैने अपना अगला फैसला सुनाया जिससे सब और भी हैरान रह गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice and superb update....
 

parkas

Well-Known Member
28,373
62,656
303
अध्याय पैंसठ

अभी सुबह हो गयी थी और आश्रम में सभी लोग उठ चुके थे और जब प्रिया की नींद खुली तो उसने देखा की भद्रा वहाँ पर नही है उसे लगा की वो बाहर बाकी गुरुओं के साथ मिलकर आगे की योजना बना रहा होगा

इसीलिए उसने इस बात पर ध्यान न देते हुए उसने शांति को भी जगाया जिसके बाद दोनों ही बाहर आके भद्रा को ढूँढने लगी लेकिन उन्हे वो कही नही मिला

और ऐसे ही भद्रा को ढूँढते हुए वो दोनों महागुरु के कुटिया के पास पहुँच गये जहाँ पर महागुरु उन्हे दिखे तो उन्होंने उनसे भद्रा के बारे मे पूछा तो उन्हे भी इस बारे मे कोई जानकारी नही थे


जिससे अब उन दोनों के मन में भद्रा के लिए चिंता होने लगी थी जिसके वजह से वो अब भद्रा को ढूँढने के लिए पुरा आश्रम छान लिया लेकिन उन्हे भद्रा कही नही मिला उन्होंने आश्रम के पीछे वाली नदी के पास जाकर देखा तो वहाँ भी उन्हे कुछ नही मिला

हुआ यू की नदी मे से वो संदेश मिलने के बाद भद्रा उन चित्र में दिखाई जगह को ढूँढने के लिए ध्यान मे बैठा था और कोई उसके इस कार्य मे बाधा न डाल पाए

इसीलिए उसने आश्रम के पास बने हुए जंगल मे जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया था तो वही जब प्रिया और शांति को भद्रा कही नही दिखा तो उन्होंने ये बात आश्रम में सबको बता दी

जिससे अब सारे गुरु शिबू और भद्रा के माँ बाबा सभी भद्रा को ढूँढने के लिए लग गए लेकिन उनको भद्रा कही नही मिला और जब सभी ढूंढ रहे थे की तभी सबको को महा शक्तिशाली और भयानक ऊर्जा शक्ति का आभास हुआ


जो महसूस करते ही सभी सतर्क हो गए थे सबको पहले लगा की ये भद्रा के ऊर्जा शक्ति का एहसास है लेकिन जब उन्होंने भद्रा की युद्ध मैदान में सातों अस्त्रों की शक्तियों को पाने के बाद जो ऊर्जा शक्ति उन्हे महसूस हुआ था

उसके मुकाबले ये ऊर्जा शक्ति बहुत ज्यादा शक्तिशाली और भयानक लग रही थी जिसके बाद वो सभी भद्रा को ढूँढने का छोड़कर उस उर्जशक्ति को ढूँढने लगे जिससे अब वहाँ पर सभी सतर्क होने लगे थे और जब उन्होंने इस ऊर्जा शक्ति का पीछा किया

तो वो उसी जगह पहुँच गए जहाँ पर भद्रा ध्यान लगा रहा था और जब सबने भद्रा को देखा तो सब दंग रह गए क्योंकि इस वक्त भद्रा के शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था

और उसके शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे उसकी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी उसके पीठ पर एक गोल ढाल थी तो उसके सर पर दो सिंग उगे हुए थे

जो की उसके कपड़ो के तरह काले थे तो वही उसके आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने भद्रा का ये रूप देखा तो सब हैरान और परेशान हो गए थे तो वही शिबू और भद्रा के माता पिता के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी जो देखकर महागुरु ने उनसे पूछा

महागुरु :- सम्राट आप तीनो मुस्कुरा रहे है लेकिन क्यों भद्रा का ये भयानक रूप क्या आप को पता है ये क्यों है इतना अजीब रूप भद्रा ठीक तो है ना

शिबू :- ठीक ये कैसी बात कर रहे हो महागुरु भद्रा को कुछ हुआ ही किधर है ये जो भद्रा का रूप है यही उसका असली अवतार है ब्रम्ह राक्षस का अवतार कुमार का अवतार

शिबू के ये बोलने से सभी को एक बड़ा झटका लगा था मेरा असली रूप ऐसा होगा ये किसीने सोचा भी नही था अभी कोई कुछ और बोलता की तभी मैने अपनी आँखे खोल दी

और जब मैने मेरी आँखे खोली तो सबको और एक झटका लगा क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जो देखकर सब एक बार के लिए डर गए थे

और जब मैने अपने सामने सबको ऐसे डरे हुए देखा तो मुझे खुदकी हालत का अंदाजा हो गया जिसके बाद मैने फिर से खुदको आम इंसानो जैसे रूप दे दिया

मै :- मुझे आप सब से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे आश्रम के सभा गृह मे मिलिए

इतना बोलके मे वहाँ से चला गया अपने चेहरे पर लगा खून धोने तो वही सप्त गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने बाद और उनकी ली गई परीक्षा के बाद से मेरी शक्ति ऊर्जा पहले से कई गुना अधिक बढ़ गयी थी


जिसका असर मेरे आवाज पर भी हुआ था मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी

जिसके बाद मे जब वहाँ से थोड़ा दूर पहुंचा तो मेने अपने शक्ति ऊर्जा को फिर से काबू कर लिया जिससे मेरे चारो तरफ एक छलावे का कवच निर्माण कर दिया जिससे मेरी असली ऊर्जा कोई महसूस न कर पाए जिसके बाद सभी सभाग्रुह मे जमा हो गए थे

मै :- आप सभी जानते है कि हमारे उपर युद्ध की तलवार लटक रही है लेकिन वो का गिरेगी ये हमे अभी तक पता नही है लेकिन अब हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है इन 14 दिनों के पूर्ण होते ही ये संसार एक महा विनाशकारी युद्ध का साक्षी बनेगा जो युद्ध किसी के हार से नही बल्कि किसी एक पक्ष के संपूर्ण विनाश से होगा

गुरु वानर :- भद्रा तुम्हे कैसे पता की हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है

मै :- मेरे अस्त्रों ने बताया (झूठ मे चाहता तो सबको सप्त ऋषियों के बारे मे बता सकता था लेकिन इसके लिए उन्होंने ही मना किया था)

मै :- तो सर्वप्रथम मे सबको उनके जिम्मेदारियों से अवगत करा देता हूँ सबसे पहले दैत्य सम्राट शिबू गुरु अग्नि और गुरु वानर आप तीनो सभी योद्धाओं और सैनिकों को युद्ध प्रशिक्षण दोगे

तो गुरु सिंह बाबा (त्रिलोकेश्वर) और गुरु नंदी आप तीनो सभी उन जगहों पर ध्यान दोगे जहाँ से असुर प्रवेश कर सकते है और उन जगहों पर अलग अलग जाल बिछाओगे ये काम आपको इस तरह करना है कि किसी को पता न चले

जिसके बाद महागुरु, गुरु वानर आप दोनों सभी सेनापतियों के लिए मायावी अस्त्रों का निर्माण करेंगे और महागुरु आप सभी गुरुओं को भी अपने तरह दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्रदान कीजिये

तो वही शांति प्रिया और माँ (दमयंती) आप सभी योद्धाओं और सैनिकों के लिए दवाइयाँ और जड़ीबूटियों का इंतेज़ाम करेंगे और साथ मे ही आप तीनों आश्रम में रहकर उसकी सुरक्षा और यहाँ पर मौजूद सभी योद्धाओं की सुरक्षा और सेहत का ध्यान रखेंगे

साथ मे शांति तुम पशु पक्षीयों को आश्रम के चारों तरफ किसी गुप्तचर की तरह बिछा दो जिससे यहाँ पर शत्रु पक्ष कभी भी आकसमात आक्रमण न कर पाए

ये सब बताते हुए में फिर से एक बार मेरी आवाज को भारी और गंभीर कर दिया था जिससे कोई भी इन बातों को भूल कर भी दुलक्ष ना कर पाए

मै :- अब सभी सातों गुरु मेरे सामने आये

मेरे आवाज की गंभीरता की वजह से कोई भी सवाल पूछ ही नही पा रहा था और सब मे जैसा कह रहा था वैसे ही कर रहे थे मेरे कहे मुताबिक सभी जन वैसा ही करते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए

जिसके बाद मेने अपने हाथों को जोड़कर आँखों को बंद करके कुछ मंत्र जपने लगा जिससे मेरे शरीर से सातों अस्त्र निकालकर अपने पुराने धारक के शरीर मे समा गए


जो देखकर वहाँ सभी हैरान हो गए उन्हे समझ नही आ रहा था की आखिर ये मेने क्यों किया और सबसे बड़ा सवाल कैसे किया क्योंकि अस्त्र अपने मालिक को छोड़के दूसरे के पास तीन ही परिस्थितियों मे जाते है

जो तीनो परिस्थितिया अभी के हालत मेल नही बना रहे थे सबसे पहला धारक मर जाए ये सरासर असम्भव था

दूसरा अगर अस्त्र को जबरदस्ती छिना जाए तब जो भी अस्त्रों को बचाने के लिए अपने प्राण दांव पर लगायेगा और खुद को साबित करेगा

या तीसरा धारक खुद के स्वेच्छा से उनका त्याग कर दे लेकिन ये भी तभी होगा जब अस्त्र धारक पूरी तरह से उनका त्याग करे


लेकिन ये भी नामुमकिन था क्योंकि अगर ऐसे होता तो मुझे इतनी पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता की उसमे मेरे प्राण भी चले जाते लेकिन ऐसा भी कुछ नही हुआ था

ये देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैने अपनी किसी छोटी मोटी शक्ति उन्हे दी हो अपने अस्त्र वापिस पाकर सारे अस्त्र धारक खुश थे तो वही सब मेरे इस आकासमात फैसले से हैरान थे

किसी को समझ नही आ रहा था की मैने ऐसा किस कारण से किया लेकिन मेरे ऊर्जा शक्ति को महसूस करके मेरा असली रूप देखकर और मेरी आवाज सुनकर किसी मे हिम्मत नहीं थी कि मुझसे सीधा आकर ये सवाल पूछे की तभी मैने अपना अगला फैसला सुनाया जिससे सब और भी हैरान रह गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

kas1709

Well-Known Member
10,071
10,622
213
अध्याय पैंसठ

अभी सुबह हो गयी थी और आश्रम में सभी लोग उठ चुके थे और जब प्रिया की नींद खुली तो उसने देखा की भद्रा वहाँ पर नही है उसे लगा की वो बाहर बाकी गुरुओं के साथ मिलकर आगे की योजना बना रहा होगा

इसीलिए उसने इस बात पर ध्यान न देते हुए उसने शांति को भी जगाया जिसके बाद दोनों ही बाहर आके भद्रा को ढूँढने लगी लेकिन उन्हे वो कही नही मिला

और ऐसे ही भद्रा को ढूँढते हुए वो दोनों महागुरु के कुटिया के पास पहुँच गये जहाँ पर महागुरु उन्हे दिखे तो उन्होंने उनसे भद्रा के बारे मे पूछा तो उन्हे भी इस बारे मे कोई जानकारी नही थे


जिससे अब उन दोनों के मन में भद्रा के लिए चिंता होने लगी थी जिसके वजह से वो अब भद्रा को ढूँढने के लिए पुरा आश्रम छान लिया लेकिन उन्हे भद्रा कही नही मिला उन्होंने आश्रम के पीछे वाली नदी के पास जाकर देखा तो वहाँ भी उन्हे कुछ नही मिला

हुआ यू की नदी मे से वो संदेश मिलने के बाद भद्रा उन चित्र में दिखाई जगह को ढूँढने के लिए ध्यान मे बैठा था और कोई उसके इस कार्य मे बाधा न डाल पाए

इसीलिए उसने आश्रम के पास बने हुए जंगल मे जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया था तो वही जब प्रिया और शांति को भद्रा कही नही दिखा तो उन्होंने ये बात आश्रम में सबको बता दी

जिससे अब सारे गुरु शिबू और भद्रा के माँ बाबा सभी भद्रा को ढूँढने के लिए लग गए लेकिन उनको भद्रा कही नही मिला और जब सभी ढूंढ रहे थे की तभी सबको को महा शक्तिशाली और भयानक ऊर्जा शक्ति का आभास हुआ


जो महसूस करते ही सभी सतर्क हो गए थे सबको पहले लगा की ये भद्रा के ऊर्जा शक्ति का एहसास है लेकिन जब उन्होंने भद्रा की युद्ध मैदान में सातों अस्त्रों की शक्तियों को पाने के बाद जो ऊर्जा शक्ति उन्हे महसूस हुआ था

उसके मुकाबले ये ऊर्जा शक्ति बहुत ज्यादा शक्तिशाली और भयानक लग रही थी जिसके बाद वो सभी भद्रा को ढूँढने का छोड़कर उस उर्जशक्ति को ढूँढने लगे जिससे अब वहाँ पर सभी सतर्क होने लगे थे और जब उन्होंने इस ऊर्जा शक्ति का पीछा किया

तो वो उसी जगह पहुँच गए जहाँ पर भद्रा ध्यान लगा रहा था और जब सबने भद्रा को देखा तो सब दंग रह गए क्योंकि इस वक्त भद्रा के शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था

और उसके शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे उसकी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी उसके पीठ पर एक गोल ढाल थी तो उसके सर पर दो सिंग उगे हुए थे

जो की उसके कपड़ो के तरह काले थे तो वही उसके आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने भद्रा का ये रूप देखा तो सब हैरान और परेशान हो गए थे तो वही शिबू और भद्रा के माता पिता के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी जो देखकर महागुरु ने उनसे पूछा

महागुरु :- सम्राट आप तीनो मुस्कुरा रहे है लेकिन क्यों भद्रा का ये भयानक रूप क्या आप को पता है ये क्यों है इतना अजीब रूप भद्रा ठीक तो है ना

शिबू :- ठीक ये कैसी बात कर रहे हो महागुरु भद्रा को कुछ हुआ ही किधर है ये जो भद्रा का रूप है यही उसका असली अवतार है ब्रम्ह राक्षस का अवतार कुमार का अवतार

शिबू के ये बोलने से सभी को एक बड़ा झटका लगा था मेरा असली रूप ऐसा होगा ये किसीने सोचा भी नही था अभी कोई कुछ और बोलता की तभी मैने अपनी आँखे खोल दी

और जब मैने मेरी आँखे खोली तो सबको और एक झटका लगा क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जो देखकर सब एक बार के लिए डर गए थे

और जब मैने अपने सामने सबको ऐसे डरे हुए देखा तो मुझे खुदकी हालत का अंदाजा हो गया जिसके बाद मैने फिर से खुदको आम इंसानो जैसे रूप दे दिया

मै :- मुझे आप सब से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे आश्रम के सभा गृह मे मिलिए

इतना बोलके मे वहाँ से चला गया अपने चेहरे पर लगा खून धोने तो वही सप्त गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने बाद और उनकी ली गई परीक्षा के बाद से मेरी शक्ति ऊर्जा पहले से कई गुना अधिक बढ़ गयी थी


जिसका असर मेरे आवाज पर भी हुआ था मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी

जिसके बाद मे जब वहाँ से थोड़ा दूर पहुंचा तो मेने अपने शक्ति ऊर्जा को फिर से काबू कर लिया जिससे मेरे चारो तरफ एक छलावे का कवच निर्माण कर दिया जिससे मेरी असली ऊर्जा कोई महसूस न कर पाए जिसके बाद सभी सभाग्रुह मे जमा हो गए थे

मै :- आप सभी जानते है कि हमारे उपर युद्ध की तलवार लटक रही है लेकिन वो का गिरेगी ये हमे अभी तक पता नही है लेकिन अब हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है इन 14 दिनों के पूर्ण होते ही ये संसार एक महा विनाशकारी युद्ध का साक्षी बनेगा जो युद्ध किसी के हार से नही बल्कि किसी एक पक्ष के संपूर्ण विनाश से होगा

गुरु वानर :- भद्रा तुम्हे कैसे पता की हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है

मै :- मेरे अस्त्रों ने बताया (झूठ मे चाहता तो सबको सप्त ऋषियों के बारे मे बता सकता था लेकिन इसके लिए उन्होंने ही मना किया था)

मै :- तो सर्वप्रथम मे सबको उनके जिम्मेदारियों से अवगत करा देता हूँ सबसे पहले दैत्य सम्राट शिबू गुरु अग्नि और गुरु वानर आप तीनो सभी योद्धाओं और सैनिकों को युद्ध प्रशिक्षण दोगे

तो गुरु सिंह बाबा (त्रिलोकेश्वर) और गुरु नंदी आप तीनो सभी उन जगहों पर ध्यान दोगे जहाँ से असुर प्रवेश कर सकते है और उन जगहों पर अलग अलग जाल बिछाओगे ये काम आपको इस तरह करना है कि किसी को पता न चले

जिसके बाद महागुरु, गुरु वानर आप दोनों सभी सेनापतियों के लिए मायावी अस्त्रों का निर्माण करेंगे और महागुरु आप सभी गुरुओं को भी अपने तरह दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्रदान कीजिये

तो वही शांति प्रिया और माँ (दमयंती) आप सभी योद्धाओं और सैनिकों के लिए दवाइयाँ और जड़ीबूटियों का इंतेज़ाम करेंगे और साथ मे ही आप तीनों आश्रम में रहकर उसकी सुरक्षा और यहाँ पर मौजूद सभी योद्धाओं की सुरक्षा और सेहत का ध्यान रखेंगे

साथ मे शांति तुम पशु पक्षीयों को आश्रम के चारों तरफ किसी गुप्तचर की तरह बिछा दो जिससे यहाँ पर शत्रु पक्ष कभी भी आकसमात आक्रमण न कर पाए

ये सब बताते हुए में फिर से एक बार मेरी आवाज को भारी और गंभीर कर दिया था जिससे कोई भी इन बातों को भूल कर भी दुलक्ष ना कर पाए

मै :- अब सभी सातों गुरु मेरे सामने आये

मेरे आवाज की गंभीरता की वजह से कोई भी सवाल पूछ ही नही पा रहा था और सब मे जैसा कह रहा था वैसे ही कर रहे थे मेरे कहे मुताबिक सभी जन वैसा ही करते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए

जिसके बाद मेने अपने हाथों को जोड़कर आँखों को बंद करके कुछ मंत्र जपने लगा जिससे मेरे शरीर से सातों अस्त्र निकालकर अपने पुराने धारक के शरीर मे समा गए


जो देखकर वहाँ सभी हैरान हो गए उन्हे समझ नही आ रहा था की आखिर ये मेने क्यों किया और सबसे बड़ा सवाल कैसे किया क्योंकि अस्त्र अपने मालिक को छोड़के दूसरे के पास तीन ही परिस्थितियों मे जाते है

जो तीनो परिस्थितिया अभी के हालत मेल नही बना रहे थे सबसे पहला धारक मर जाए ये सरासर असम्भव था

दूसरा अगर अस्त्र को जबरदस्ती छिना जाए तब जो भी अस्त्रों को बचाने के लिए अपने प्राण दांव पर लगायेगा और खुद को साबित करेगा

या तीसरा धारक खुद के स्वेच्छा से उनका त्याग कर दे लेकिन ये भी तभी होगा जब अस्त्र धारक पूरी तरह से उनका त्याग करे


लेकिन ये भी नामुमकिन था क्योंकि अगर ऐसे होता तो मुझे इतनी पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता की उसमे मेरे प्राण भी चले जाते लेकिन ऐसा भी कुछ नही हुआ था

ये देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैने अपनी किसी छोटी मोटी शक्ति उन्हे दी हो अपने अस्त्र वापिस पाकर सारे अस्त्र धारक खुश थे तो वही सब मेरे इस आकासमात फैसले से हैरान थे

किसी को समझ नही आ रहा था की मैने ऐसा किस कारण से किया लेकिन मेरे ऊर्जा शक्ति को महसूस करके मेरा असली रूप देखकर और मेरी आवाज सुनकर किसी मे हिम्मत नहीं थी कि मुझसे सीधा आकर ये सवाल पूछे की तभी मैने अपना अगला फैसला सुनाया जिससे सब और भी हैरान रह गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update....
 

dhparikh

Well-Known Member
10,510
12,122
228
अध्याय पैंसठ

अभी सुबह हो गयी थी और आश्रम में सभी लोग उठ चुके थे और जब प्रिया की नींद खुली तो उसने देखा की भद्रा वहाँ पर नही है उसे लगा की वो बाहर बाकी गुरुओं के साथ मिलकर आगे की योजना बना रहा होगा

इसीलिए उसने इस बात पर ध्यान न देते हुए उसने शांति को भी जगाया जिसके बाद दोनों ही बाहर आके भद्रा को ढूँढने लगी लेकिन उन्हे वो कही नही मिला

और ऐसे ही भद्रा को ढूँढते हुए वो दोनों महागुरु के कुटिया के पास पहुँच गये जहाँ पर महागुरु उन्हे दिखे तो उन्होंने उनसे भद्रा के बारे मे पूछा तो उन्हे भी इस बारे मे कोई जानकारी नही थे


जिससे अब उन दोनों के मन में भद्रा के लिए चिंता होने लगी थी जिसके वजह से वो अब भद्रा को ढूँढने के लिए पुरा आश्रम छान लिया लेकिन उन्हे भद्रा कही नही मिला उन्होंने आश्रम के पीछे वाली नदी के पास जाकर देखा तो वहाँ भी उन्हे कुछ नही मिला

हुआ यू की नदी मे से वो संदेश मिलने के बाद भद्रा उन चित्र में दिखाई जगह को ढूँढने के लिए ध्यान मे बैठा था और कोई उसके इस कार्य मे बाधा न डाल पाए

इसीलिए उसने आश्रम के पास बने हुए जंगल मे जाकर ध्यान लगाने का फैसला किया था तो वही जब प्रिया और शांति को भद्रा कही नही दिखा तो उन्होंने ये बात आश्रम में सबको बता दी

जिससे अब सारे गुरु शिबू और भद्रा के माँ बाबा सभी भद्रा को ढूँढने के लिए लग गए लेकिन उनको भद्रा कही नही मिला और जब सभी ढूंढ रहे थे की तभी सबको को महा शक्तिशाली और भयानक ऊर्जा शक्ति का आभास हुआ


जो महसूस करते ही सभी सतर्क हो गए थे सबको पहले लगा की ये भद्रा के ऊर्जा शक्ति का एहसास है लेकिन जब उन्होंने भद्रा की युद्ध मैदान में सातों अस्त्रों की शक्तियों को पाने के बाद जो ऊर्जा शक्ति उन्हे महसूस हुआ था

उसके मुकाबले ये ऊर्जा शक्ति बहुत ज्यादा शक्तिशाली और भयानक लग रही थी जिसके बाद वो सभी भद्रा को ढूँढने का छोड़कर उस उर्जशक्ति को ढूँढने लगे जिससे अब वहाँ पर सभी सतर्क होने लगे थे और जब उन्होंने इस ऊर्जा शक्ति का पीछा किया

तो वो उसी जगह पहुँच गए जहाँ पर भद्रा ध्यान लगा रहा था और जब सबने भद्रा को देखा तो सब दंग रह गए क्योंकि इस वक्त भद्रा के शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था

और उसके शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे उसकी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी उसके पीठ पर एक गोल ढाल थी तो उसके सर पर दो सिंग उगे हुए थे

जो की उसके कपड़ो के तरह काले थे तो वही उसके आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने भद्रा का ये रूप देखा तो सब हैरान और परेशान हो गए थे तो वही शिबू और भद्रा के माता पिता के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी जो देखकर महागुरु ने उनसे पूछा

महागुरु :- सम्राट आप तीनो मुस्कुरा रहे है लेकिन क्यों भद्रा का ये भयानक रूप क्या आप को पता है ये क्यों है इतना अजीब रूप भद्रा ठीक तो है ना

शिबू :- ठीक ये कैसी बात कर रहे हो महागुरु भद्रा को कुछ हुआ ही किधर है ये जो भद्रा का रूप है यही उसका असली अवतार है ब्रम्ह राक्षस का अवतार कुमार का अवतार

शिबू के ये बोलने से सभी को एक बड़ा झटका लगा था मेरा असली रूप ऐसा होगा ये किसीने सोचा भी नही था अभी कोई कुछ और बोलता की तभी मैने अपनी आँखे खोल दी

और जब मैने मेरी आँखे खोली तो सबको और एक झटका लगा क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जो देखकर सब एक बार के लिए डर गए थे

और जब मैने अपने सामने सबको ऐसे डरे हुए देखा तो मुझे खुदकी हालत का अंदाजा हो गया जिसके बाद मैने फिर से खुदको आम इंसानो जैसे रूप दे दिया

मै :- मुझे आप सब से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे आश्रम के सभा गृह मे मिलिए

इतना बोलके मे वहाँ से चला गया अपने चेहरे पर लगा खून धोने तो वही सप्त गुरुओं से शिक्षा ग्रहण करने बाद और उनकी ली गई परीक्षा के बाद से मेरी शक्ति ऊर्जा पहले से कई गुना अधिक बढ़ गयी थी


जिसका असर मेरे आवाज पर भी हुआ था मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी

जिसके बाद मे जब वहाँ से थोड़ा दूर पहुंचा तो मेने अपने शक्ति ऊर्जा को फिर से काबू कर लिया जिससे मेरे चारो तरफ एक छलावे का कवच निर्माण कर दिया जिससे मेरी असली ऊर्जा कोई महसूस न कर पाए जिसके बाद सभी सभाग्रुह मे जमा हो गए थे

मै :- आप सभी जानते है कि हमारे उपर युद्ध की तलवार लटक रही है लेकिन वो का गिरेगी ये हमे अभी तक पता नही है लेकिन अब हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है इन 14 दिनों के पूर्ण होते ही ये संसार एक महा विनाशकारी युद्ध का साक्षी बनेगा जो युद्ध किसी के हार से नही बल्कि किसी एक पक्ष के संपूर्ण विनाश से होगा

गुरु वानर :- भद्रा तुम्हे कैसे पता की हमारे पास केवल 14 दिनों का समय है

मै :- मेरे अस्त्रों ने बताया (झूठ मे चाहता तो सबको सप्त ऋषियों के बारे मे बता सकता था लेकिन इसके लिए उन्होंने ही मना किया था)

मै :- तो सर्वप्रथम मे सबको उनके जिम्मेदारियों से अवगत करा देता हूँ सबसे पहले दैत्य सम्राट शिबू गुरु अग्नि और गुरु वानर आप तीनो सभी योद्धाओं और सैनिकों को युद्ध प्रशिक्षण दोगे

तो गुरु सिंह बाबा (त्रिलोकेश्वर) और गुरु नंदी आप तीनो सभी उन जगहों पर ध्यान दोगे जहाँ से असुर प्रवेश कर सकते है और उन जगहों पर अलग अलग जाल बिछाओगे ये काम आपको इस तरह करना है कि किसी को पता न चले

जिसके बाद महागुरु, गुरु वानर आप दोनों सभी सेनापतियों के लिए मायावी अस्त्रों का निर्माण करेंगे और महागुरु आप सभी गुरुओं को भी अपने तरह दिव्यास्त्रों का ज्ञान प्रदान कीजिये

तो वही शांति प्रिया और माँ (दमयंती) आप सभी योद्धाओं और सैनिकों के लिए दवाइयाँ और जड़ीबूटियों का इंतेज़ाम करेंगे और साथ मे ही आप तीनों आश्रम में रहकर उसकी सुरक्षा और यहाँ पर मौजूद सभी योद्धाओं की सुरक्षा और सेहत का ध्यान रखेंगे

साथ मे शांति तुम पशु पक्षीयों को आश्रम के चारों तरफ किसी गुप्तचर की तरह बिछा दो जिससे यहाँ पर शत्रु पक्ष कभी भी आकसमात आक्रमण न कर पाए

ये सब बताते हुए में फिर से एक बार मेरी आवाज को भारी और गंभीर कर दिया था जिससे कोई भी इन बातों को भूल कर भी दुलक्ष ना कर पाए

मै :- अब सभी सातों गुरु मेरे सामने आये

मेरे आवाज की गंभीरता की वजह से कोई भी सवाल पूछ ही नही पा रहा था और सब मे जैसा कह रहा था वैसे ही कर रहे थे मेरे कहे मुताबिक सभी जन वैसा ही करते हुए मेरे सामने आकर खड़े हो गए

जिसके बाद मेने अपने हाथों को जोड़कर आँखों को बंद करके कुछ मंत्र जपने लगा जिससे मेरे शरीर से सातों अस्त्र निकालकर अपने पुराने धारक के शरीर मे समा गए


जो देखकर वहाँ सभी हैरान हो गए उन्हे समझ नही आ रहा था की आखिर ये मेने क्यों किया और सबसे बड़ा सवाल कैसे किया क्योंकि अस्त्र अपने मालिक को छोड़के दूसरे के पास तीन ही परिस्थितियों मे जाते है

जो तीनो परिस्थितिया अभी के हालत मेल नही बना रहे थे सबसे पहला धारक मर जाए ये सरासर असम्भव था

दूसरा अगर अस्त्र को जबरदस्ती छिना जाए तब जो भी अस्त्रों को बचाने के लिए अपने प्राण दांव पर लगायेगा और खुद को साबित करेगा

या तीसरा धारक खुद के स्वेच्छा से उनका त्याग कर दे लेकिन ये भी तभी होगा जब अस्त्र धारक पूरी तरह से उनका त्याग करे


लेकिन ये भी नामुमकिन था क्योंकि अगर ऐसे होता तो मुझे इतनी पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता की उसमे मेरे प्राण भी चले जाते लेकिन ऐसा भी कुछ नही हुआ था

ये देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मैने अपनी किसी छोटी मोटी शक्ति उन्हे दी हो अपने अस्त्र वापिस पाकर सारे अस्त्र धारक खुश थे तो वही सब मेरे इस आकासमात फैसले से हैरान थे

किसी को समझ नही आ रहा था की मैने ऐसा किस कारण से किया लेकिन मेरे ऊर्जा शक्ति को महसूस करके मेरा असली रूप देखकर और मेरी आवाज सुनकर किसी मे हिम्मत नहीं थी कि मुझसे सीधा आकर ये सवाल पूछे की तभी मैने अपना अगला फैसला सुनाया जिससे सब और भी हैरान रह गये

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update....
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma
Top