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बहुत ही जबरदस्त रहेगा । होली के रंगों में सफेद पिचकारियां भी चलेगी ।
एकदम और छोटी साली जीजा के गाँव खुद चल के पहुंच जाए,... और पिचकारियां न चलें, फिर जीजा साली, देवर भाभी और ननदोई सलहज का फागुन तो साल भर होता है,...
बहुत ही जबरदस्त रहेगा । होली के रंगों में सफेद पिचकारियां भी चलेगी ।
Thanks so much and now wait for the sequel, will start next week in a separate thread, with link hereNice
एकदम सही कहा आपने , आखिर दीदी की ससुराल में तो पिचकारी चलनी ही चाहिए, बस जल्दी ही नए थ्रेड में, छुटकी - दीदी की ससुराल में , और इन्सेस्ट के भी एकाध प्रसंगA rose by any other name...
हम तो आपकी कहानी का मजा लेंगे...
नाम चाहे कुछ भी रख लें....
और ससुराल में तो छुटकी के हर छेद से सड़का टपकना चाहिए और वो भी हर वक्त...
तभी तो अपनी दीदी के ससुराल के गुण गाएगी अपने घर जाने पर ...
धन्यवाद मेरी बात पर गौर करने के लिए।
जैसी आपकी चाह थी, होली के पहले इस कहानी का सीक्वेल एक अलग थ्रेड मेंयहा इतने दिनो ने हम गुहार लगा रहे है... भाभीजी शिकवलं लाओ... और आपको और कोनसा रिस्पॉन्स चाहिये भाभीजी.... साये कि तरह साथ चलता हू
जैसी आपकी चाह थी, होली के पहले इस कहानी का सीक्वेल एक अलग थ्रेड मेंजबरदस्त कहानी छुटकी की जल्द शुरुआत करे इस आशा के साथ इंतजार मे
अंत मे जबरदस्त लेखनी
Komal ji yeh story ka update aage badhana