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Serious *महफिल-ए-ग़ज़ल*

क्या आपको ग़ज़लें पसंद हैं..???

  • हाॅ, बेहद पसंद हैं।

    Votes: 12 85.7%
  • हाॅ, लेकिन ज़्यादा नहीं।

    Votes: 2 14.3%

  • Total voters
    14

Kratos

Anger can be a weapon if you can control it use it
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Apni Bewafai Par Sharamsaar Hoon,
Aap Ke Dil Ka Main Gunahgaar Hoon,
Kaise Kahoon Maaf Kar Do Mujhe,
Dard-E-Ruswai Ka Khatawaar Hoon,
Mud Gaye Raah-E-Ulfat Se Kadam,
Jo Na Loute Phir Wo Aitbaar Hoon,
Dilkash Jawaani Ki Tasveer Tha Kabhi,
Ab Bas Mayoos Dil-E-Bezaar Hoon,
Umar Bhar Naa Samet Sake Hum,
Ek Bikhri Mohabbat Na-Gawaar Hoon,
Kahaan Talaash Karoon Apni Hasti,
Sehra-E-Zindagi Ka Gubaar Hoon,
Tha Darmiyaan Dilon Mein Kabhi,
Woh Khoya Hua Tera Pyaar Hoon,
Khaayi Thokar Waqt Ki To Jaana,
Main Aaj Bhi Tera Talabgaar Hoon.
 

VIKRANT

Active Member
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यक़ीन का अगर कोई भी सिलसिला नहीं रहा।
तो शुक्र कीजिए, कि अब कोई गिला नहीं रहा।।


न हिज्र है न वस्ल है अब इसको कोई क्या कहे,
कि फूल शाख़ पर तो है मगर खिला नहीं रहा।।


ख़ज़ाने तुमने पाए तो ग़रीब जैसे हो गए,
पलक पे अब कोई भी मोती झिलमिला नहीं रहा।।


बदल गई है ज़िंदगी, बदल गये हैं लोग भी,
ख़ुलूस का जो था कभी वो अब सिला नहीं रहा।।


जो दुश्मनी ब॰खील से हुई तो इतनी ख़ैर है,
कि ज़हर उस के पास है मगर पिला नहीं रहा।।


लहू में जज़्ब हो सका न इल्म तो ये हाल है,
कोई सवाल ज़हन को जो दे जिला, नहीं रहा।।

शायर: जावेद अख़्तर
Greattt bro. Such a beautiful poetry. :applause::applause:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,147
115,943
354
Greattt bro. Such a beautiful poetry. :applause::applause:
बहुत बहुत शुक्रिया विक्रान्त भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,,
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Phir Nazar Se Pila Dijiye
Hosh Mere Uda Dijiye
Chodiye Barhami Ki Ravish
Ab Zara Muskura Dijiye
Baat Afsana Ban Jayegi
Is Qadar Mat Hawa Dijiye
Kab Se Mushtaaq-E-Didar Hoon
Ab To Jalwaa Dikha Dijiye
वाह! बहुत ही उम्दा भाई,,,,,
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,147
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जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो।
लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो।।

फिर मुक़र्रिर कोई सरगर्म सर-ए-मिंबर है,
किस के है क़त्ल का सामान ज़रा देख तो लो।।

ये नया शहर तो है ख़ूब बसाया तुम ने,
क्यूँ पुराना हुआ वीरान ज़रा देख तो लो।।

इन चराग़ों के तले ऐसे अँधेरे क्यूँ है,
तुम भी रह जाओगे हैरान ज़रा देख तो लो।।

तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद,
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो।।

ये सताइश की तमन्ना ये सिले की परवाह,
कहाँ लाए हैं ये अरमान ज़रा देख तो लो।।

________जावेद अख़्तर
 

Tiwari_baba

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Apni Bewafai Par Sharamsaar Hoon,
Aap Ke Dil Ka Main Gunahgaar Hoon,
Kaise Kahoon Maaf Kar Do Mujhe,
Dard-E-Ruswai Ka Khatawaar Hoon,
Mud Gaye Raah-E-Ulfat Se Kadam,
Jo Na Loute Phir Wo Aitbaar Hoon,
Dilkash Jawaani Ki Tasveer Tha Kabhi,
Ab Bas Mayoos Dil-E-Bezaar Hoon,
Umar Bhar Naa Samet Sake Hum,
Ek Bikhri Mohabbat Na-Gawaar Hoon,
Kahaan Talaash Karoon Apni Hasti,
Sehra-E-Zindagi Ka Gubaar Hoon,
Tha Darmiyaan Dilon Mein Kabhi,
Woh Khoya Hua Tera Pyaar Hoon,
Khaayi Thokar Waqt Ki To Jaana,
Main Aaj Bhi Tera Talabgaar Hoon.
Yakeenan hi behtarin lines bahut badhiya
 
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Tiwari_baba

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जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो।
लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो।।

फिर मुक़र्रिर कोई सरगर्म सर-ए-मिंबर है,
किस के है क़त्ल का सामान ज़रा देख तो लो।।

ये नया शहर तो है ख़ूब बसाया तुम ने,
क्यूँ पुराना हुआ वीरान ज़रा देख तो लो।।

इन चराग़ों के तले ऐसे अँधेरे क्यूँ है,
तुम भी रह जाओगे हैरान ज़रा देख तो लो।।

तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद,
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो।।

ये सताइश की तमन्ना ये सिले की परवाह,
कहाँ लाए हैं ये अरमान ज़रा देख तो लो।।

________जावेद अख़्तर
Kya baat hai badhiya..

Kya alfaz hai koi padh ke dekh to lo..
 
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