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कुछ ही देर में समीर ने धक्के दुगनी तेज़ी से मारने शुरू किए...फ़च फ़च की आवाज़ के साथ गान्ड के भीतर से अंदर बाहर लंड हो रहा था..माँ के नितंबो से हर धक्के को गहराई तक मारने से नितंब बाउन्स हो जाते...वो इतनी जबरदस्त चुदाई कर रहा था कि नितंबो के इतने हिलने से उसे खुद ही नितंबो पे दोनो हाथ कस कर उसे मज़बूती से पकड़ना पड़ा
"ओह्ह माँ मैं आया आहह आहह अफ आहह".........."नाआहह आहह ह"......माँ भी सिसकिया लेने लगी...दोनो एकसाथ जैसे झड़ने की कगार पे थे....धक्के एकदम तेज़ हो गये और चरम सीमा लगभग पुर्न हुई...और समीर माँ की गान्ड में ही फारिग होने लगा...वो किसी टूटे पत्ते के तरह माँ पे ढेर हो गया दोनो उस मुद्रा से हटके बिस्तर पे गिर परे...कुछ देर दोनो हान्फ्ते हुए अपनी उखड़ती साँसों पे काबू पाए
इस बीच मैने देखा कि सोफीया आंटी के छेद से उसके बेटे का लंड बाहर निकल गया...उसका छेद काफ़ी चौड़ा हो गया था जो ललालब वीर्य को उगल रहा था...शायद सोफीया आंटी छेद को सिकुड और खोल रही थी...जब भी छेद खुलता तो वीर्य उगल देती अपने बेटे का...वीर्य बिस्तर पे लग गया लेकिन इसकी परवाह दोनो में से किसी को नही थी..बेटे के लंड पे भी माँ के गुदा द्वार को पूरी तरह से खोलने से उस पर खून लगा हुआ था वो अपनी मोटी जाँघ बेटे के उपर चढ़ाए उसे अपने कलेजे से लिपटा ली थी...समीर का पूरा चेहरा गुलाबी हो गया था और पसीने पसीने वो अपनी माँ पे हांफता हुआ जैसे थक के साँसे भर रहा था अपने बदन को लिपटाए
माँ ने उसके बालों मे हाथ फेरते हुए उसके होंठो को चूमा और मुस्कुराइ...उनके चेहरे पे संतुष्टि की भावना थी..दोनो नंगे बदन एकदुसरे से लिपटे इस भीषण चुदाई के बाद खुद पे काबू पा रहे थे
सोफीया : अब तो खुश है ना तू अपनी माँ को इतना थका दिया तूने और खूब भी थक गया....
समीर : क्या करू माँ? तेरे छूने से अपने बदन को मैं खुद पे काबू ना कर सका...बस मैं यही चाहता हूँ कि हम सदा ऐसे ही जुड़े रहे
सोफीया : जब तक मेरी साँसें चल रही है तब तक मुझे कोई भी तुझसे अलग नही कर सकता
समीर : माँ ऐसा फिर ना कहना मुझे अच्छा नही लगता है (बेटे ने माँ के सर को अपने पसीने से लथपथ सीने पे रखते हुए कहा)
"ओह्ह माँ मैं आया आहह आहह अफ आहह".........."नाआहह आहह ह"......माँ भी सिसकिया लेने लगी...दोनो एकसाथ जैसे झड़ने की कगार पे थे....धक्के एकदम तेज़ हो गये और चरम सीमा लगभग पुर्न हुई...और समीर माँ की गान्ड में ही फारिग होने लगा...वो किसी टूटे पत्ते के तरह माँ पे ढेर हो गया दोनो उस मुद्रा से हटके बिस्तर पे गिर परे...कुछ देर दोनो हान्फ्ते हुए अपनी उखड़ती साँसों पे काबू पाए
इस बीच मैने देखा कि सोफीया आंटी के छेद से उसके बेटे का लंड बाहर निकल गया...उसका छेद काफ़ी चौड़ा हो गया था जो ललालब वीर्य को उगल रहा था...शायद सोफीया आंटी छेद को सिकुड और खोल रही थी...जब भी छेद खुलता तो वीर्य उगल देती अपने बेटे का...वीर्य बिस्तर पे लग गया लेकिन इसकी परवाह दोनो में से किसी को नही थी..बेटे के लंड पे भी माँ के गुदा द्वार को पूरी तरह से खोलने से उस पर खून लगा हुआ था वो अपनी मोटी जाँघ बेटे के उपर चढ़ाए उसे अपने कलेजे से लिपटा ली थी...समीर का पूरा चेहरा गुलाबी हो गया था और पसीने पसीने वो अपनी माँ पे हांफता हुआ जैसे थक के साँसे भर रहा था अपने बदन को लिपटाए
माँ ने उसके बालों मे हाथ फेरते हुए उसके होंठो को चूमा और मुस्कुराइ...उनके चेहरे पे संतुष्टि की भावना थी..दोनो नंगे बदन एकदुसरे से लिपटे इस भीषण चुदाई के बाद खुद पे काबू पा रहे थे
सोफीया : अब तो खुश है ना तू अपनी माँ को इतना थका दिया तूने और खूब भी थक गया....
समीर : क्या करू माँ? तेरे छूने से अपने बदन को मैं खुद पे काबू ना कर सका...बस मैं यही चाहता हूँ कि हम सदा ऐसे ही जुड़े रहे
सोफीया : जब तक मेरी साँसें चल रही है तब तक मुझे कोई भी तुझसे अलग नही कर सकता
समीर : माँ ऐसा फिर ना कहना मुझे अच्छा नही लगता है (बेटे ने माँ के सर को अपने पसीने से लथपथ सीने पे रखते हुए कहा)