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उधर समीर झट से उसी रूम के करीब पहुचा जहाँ उसने हेमा को कमरे में पाया था उसने दरवाजे पे दस्तक दी...तो तीनो में से एक लौंडा नंगा ही राजेश का दोस्त उसकी सहेली को ले आया सोचके दरवाजा खोल देता है....तो एक मास्क पहने लौन्डे को देख हड़बड़ा जाता है...समीर ने फुरती से उसे एक लात मारके गिरा दिया...दोनो उठके उस पर झपटे लेकिन तीनो इस बीच पूरे पिए हुए थे तीनो नंगे थे....समीर ने दूसरे वाले की टाँगों के बीच एक लात जमा दी वो अंडकोष पकड़े वहीं गिर पड़ा....उसने देखा कि हेमा रो रही थी वो छुड़ाने की कोशिस कर रही थी जो लौंडा उस पर कुछ देर पहले चढ़ा हुआ था..वो एकदम नंगी पड़ी हुई थी समीर को देखके घबरा गयी
समीर ने कस कर एक बाई किक उसके उपर चढ़े लौन्डे जो एकदम से समीर के हमले से बच ना सका पलंग के दूसरी ओर गिर पड़ा...समीर ने तुरंत पास रखी साड़ी हेमा के बदन पे डाल दी....हेमा जैसे तैसे साड़ी को पहनने लगी समीरके सामने
"फिकर ना कीजिए आदम ने भेजा है मुझे अब चलो यहाँ से अकेले आई तो आई उसकी माँ को भी साथ ले आई"........
.हेमा शर्मिंदा सी बदहवास उठ खड़ी अपनी साड़ी को पहनने लगी जैसे तैसे....वो बहुत ज़्यादा थर थर काँप रही थी ये तो गनीमत था कि उसकी चुदाई शुरू होने से पहले समीर आ धमका था
हेमा ने कस कर दो तीन लात उन लोगो के उपर बरसा दी जो गिरे पड़े थे और एक लात राजेश की गान्ड पे भी मारी और वैसे ही बौखलाए उल्टे पाँव समीर के साथ वहाँ से निकल गयी समीर ने देखा कि वो लोग वापिस उठ रहे थे इतने में उसने कमरे का दरवाजा कस कर लॉक्ड कर दिया...
इतने में मैने पीछे झाँका तो पाया हेमा साड़ी ठीक करते हुए खुद पे क़ाबू किए नॉर्मल भाव से क्लब से बाहर निकल रही थी पीछे समीर जो अपना अब मास्क उतार लिया था वो उसके पीछे चलते हुए आ रहा था
आदम : उफ्फ तुम दोनो का कब्से इन्तिजार कर रहा हूँ समीर तू ठीक है ना यार
समीर : बेहेन्चोद मर जाती साली तीन चढ़े हुए थे इस्पे वो तो अच्छा हुआ कि मैं वक़्त पे आ गया वो लोग तो तेरी माँ के नाम का ज़िक्र कर रहे थे हेमा आंटी ने बताया कि इसके भद्वे का वो दोस्त था तेरी माँ को उपर ले जाने आ रहा था
मैने कस कर हेमा को झिंजोड़ दिया तो वो रोने लगी मैने उसे खूब झाड़ा कि आपकी वजह से मेरी माँ की इज़्ज़त लूट ली जाती क्या मुँह दिखाती मेरी माँ अपने घरवालो को?..
.हेमा को नही पता था कि हालात इतने बत्तर हो जाएँगे राजेश के दोस्त इस तरह नियत खराब कर लेंगे....समीर ने मुझे शांत किया
समीर : आदम बरस मत शांत हो जा पहले यहाँ से निकल लेते है वरना उनका कोई आदमी बाहर हमे ढूंढता हुआ आ जाएगा (इतना कहते हुए हम चारो वहाँ गाड़ी में सवार होकर निकल गये)
आधे रास्ते आते आते हेमा आंटी का नशा पूरा उतर चुका था...वो शर्मिंदा थी और मुझसे माँफी माँग रही थी उसने समीर और मेरा काफ़ी शुक्रियादा किया कि अगर हम वक़्त पे ना आते तो सच में उसके ज़बरन चुदाई के साथ साथ अंजुम के साथ भी कुछ घट जाता...मेरा बस चलता तो उसका गला दबा देता....पर माँ मेरे कंधे पे सर रखके निढाल सोई पड़ी हुई थी...समीर ने उपर जो हुआ सब ब्यान किया...मैने भी समीर का बहुत बहुत शुक्रियादा किया..
समीर ने हमे हमारे घर तक छोड़ दिया...हेमा आंटी माँ को मेरे कंधे पे संभाले अपने घर जैसे तैसे चली गयी वो सारे रास्ते राजेश को गालियाँ दे रही थी उसे हाथ में एक भी पैसा नही मिला था....वो मुझसे माफी माँगके गयी...
माँ को जब घर लाया तो वो करीब 10 मिनट और सोई पड़ी रही...अच्छा था बाबूजी लेट आने वाले थे हम शाम को 7 बजे तक घर पहुच गये थे...माँ ने 10 मिनट आराम किया फिर धीरे धीरे उन्हें होश आया फिर वो मूतने बाथरूम गयी फ्रेश होके वापिस आने के बाद वो थोड़ा मायूस सी हुई जैसे शर्मिंदा हों जो कुछ भी हुआ उसे जब याद किया उनके मुँह से शराब की महेक आ रही थी...मैं नही चाहता था कि पापा को कुछ पता चले इसलिए फ़ौरन उन्हें नहाने को भेज दिया...कुछ घंटे में माँ बिल्कुल ठीक हो गयी...फिर मैने उसे सबकुछ बताया फिर उन्होने भी कि उन्हें मालूम नही था कि इतना कुछ उनके साथ हो गया....वो मेरे गले लग्के लगभग रो पड़ी...उसे गर्व था कि मैने उसके लिए इतना बड़ा रिस्क लिया था...मैं दिल ही दिल में खुश था कि चलो जो हुआ सो हुआ पर माँ ने मुझे जब अपना बाय्फ्रेंड कहा थोड़ा अज़ीब सा ज़रूर लगा था
माँ ने फोन करके हेमा आंटी से उनकी हालत पूछी और लगभग गुस्से में आके कह डाला कि अब वो उनसे कोई मतलब नही रखना चाहती...हेमा ने काफ़ी रिक्वेस्ट किया कि उसे मांफ कर दे जो हुआ उसे भूल जाए आदम को उसी ने मनाया था क्लब जाने को लेकिन माँ कुछ सुनना नही चाहती थी उन्होने सॉफ कह डाला कि मेरे बेटे ने मेरी इज़्ज़त को लूटने से बचाया अगर उसे कुछ होता तो आदम या उसके बाप को क्या जवाब देती? हेमा चुप हो गयी उसने माँफी फिर माँगा...पर माँ ने इतनी सालो की दोस्ती एक ही झटके में फोन कट करते हुए तोड़ दी ....मैं खुश हुआ कि आख़िरकार माँ को मेरी मुहब्बत का अहसास तो हुआ और अच्छे बुरे का अहसास भी
मैं और माँ कुछ देर वैसे ही बतलाते हुए रज़ाई ओढ़े सोए रहे माँ हैरत में थी कि मैं कैसे वहाँ आ गया था और मुझे मालूम कैसे चला? मैने सारी बात उन्हें बताई वो कस कर मेरे खुले उपरी बदन पे लिपट गयी और आँखो में आँसू उमड़ गये कि मैने अपनी जान पे खेलके उनकी जान बचाई थी.....रात 10 बजे तक हम नॉर्मल होके उठे और साथ में हम माँ-बेटे ने खाना बनाया पिताजी आ चुके थे उन्हें कुछ मालूम नही चल पाया
समीर ने कस कर एक बाई किक उसके उपर चढ़े लौन्डे जो एकदम से समीर के हमले से बच ना सका पलंग के दूसरी ओर गिर पड़ा...समीर ने तुरंत पास रखी साड़ी हेमा के बदन पे डाल दी....हेमा जैसे तैसे साड़ी को पहनने लगी समीरके सामने
"फिकर ना कीजिए आदम ने भेजा है मुझे अब चलो यहाँ से अकेले आई तो आई उसकी माँ को भी साथ ले आई"........
.हेमा शर्मिंदा सी बदहवास उठ खड़ी अपनी साड़ी को पहनने लगी जैसे तैसे....वो बहुत ज़्यादा थर थर काँप रही थी ये तो गनीमत था कि उसकी चुदाई शुरू होने से पहले समीर आ धमका था
हेमा ने कस कर दो तीन लात उन लोगो के उपर बरसा दी जो गिरे पड़े थे और एक लात राजेश की गान्ड पे भी मारी और वैसे ही बौखलाए उल्टे पाँव समीर के साथ वहाँ से निकल गयी समीर ने देखा कि वो लोग वापिस उठ रहे थे इतने में उसने कमरे का दरवाजा कस कर लॉक्ड कर दिया...
इतने में मैने पीछे झाँका तो पाया हेमा साड़ी ठीक करते हुए खुद पे क़ाबू किए नॉर्मल भाव से क्लब से बाहर निकल रही थी पीछे समीर जो अपना अब मास्क उतार लिया था वो उसके पीछे चलते हुए आ रहा था
आदम : उफ्फ तुम दोनो का कब्से इन्तिजार कर रहा हूँ समीर तू ठीक है ना यार
समीर : बेहेन्चोद मर जाती साली तीन चढ़े हुए थे इस्पे वो तो अच्छा हुआ कि मैं वक़्त पे आ गया वो लोग तो तेरी माँ के नाम का ज़िक्र कर रहे थे हेमा आंटी ने बताया कि इसके भद्वे का वो दोस्त था तेरी माँ को उपर ले जाने आ रहा था
मैने कस कर हेमा को झिंजोड़ दिया तो वो रोने लगी मैने उसे खूब झाड़ा कि आपकी वजह से मेरी माँ की इज़्ज़त लूट ली जाती क्या मुँह दिखाती मेरी माँ अपने घरवालो को?..
.हेमा को नही पता था कि हालात इतने बत्तर हो जाएँगे राजेश के दोस्त इस तरह नियत खराब कर लेंगे....समीर ने मुझे शांत किया
समीर : आदम बरस मत शांत हो जा पहले यहाँ से निकल लेते है वरना उनका कोई आदमी बाहर हमे ढूंढता हुआ आ जाएगा (इतना कहते हुए हम चारो वहाँ गाड़ी में सवार होकर निकल गये)
आधे रास्ते आते आते हेमा आंटी का नशा पूरा उतर चुका था...वो शर्मिंदा थी और मुझसे माँफी माँग रही थी उसने समीर और मेरा काफ़ी शुक्रियादा किया कि अगर हम वक़्त पे ना आते तो सच में उसके ज़बरन चुदाई के साथ साथ अंजुम के साथ भी कुछ घट जाता...मेरा बस चलता तो उसका गला दबा देता....पर माँ मेरे कंधे पे सर रखके निढाल सोई पड़ी हुई थी...समीर ने उपर जो हुआ सब ब्यान किया...मैने भी समीर का बहुत बहुत शुक्रियादा किया..
समीर ने हमे हमारे घर तक छोड़ दिया...हेमा आंटी माँ को मेरे कंधे पे संभाले अपने घर जैसे तैसे चली गयी वो सारे रास्ते राजेश को गालियाँ दे रही थी उसे हाथ में एक भी पैसा नही मिला था....वो मुझसे माफी माँगके गयी...
माँ को जब घर लाया तो वो करीब 10 मिनट और सोई पड़ी रही...अच्छा था बाबूजी लेट आने वाले थे हम शाम को 7 बजे तक घर पहुच गये थे...माँ ने 10 मिनट आराम किया फिर धीरे धीरे उन्हें होश आया फिर वो मूतने बाथरूम गयी फ्रेश होके वापिस आने के बाद वो थोड़ा मायूस सी हुई जैसे शर्मिंदा हों जो कुछ भी हुआ उसे जब याद किया उनके मुँह से शराब की महेक आ रही थी...मैं नही चाहता था कि पापा को कुछ पता चले इसलिए फ़ौरन उन्हें नहाने को भेज दिया...कुछ घंटे में माँ बिल्कुल ठीक हो गयी...फिर मैने उसे सबकुछ बताया फिर उन्होने भी कि उन्हें मालूम नही था कि इतना कुछ उनके साथ हो गया....वो मेरे गले लग्के लगभग रो पड़ी...उसे गर्व था कि मैने उसके लिए इतना बड़ा रिस्क लिया था...मैं दिल ही दिल में खुश था कि चलो जो हुआ सो हुआ पर माँ ने मुझे जब अपना बाय्फ्रेंड कहा थोड़ा अज़ीब सा ज़रूर लगा था
माँ ने फोन करके हेमा आंटी से उनकी हालत पूछी और लगभग गुस्से में आके कह डाला कि अब वो उनसे कोई मतलब नही रखना चाहती...हेमा ने काफ़ी रिक्वेस्ट किया कि उसे मांफ कर दे जो हुआ उसे भूल जाए आदम को उसी ने मनाया था क्लब जाने को लेकिन माँ कुछ सुनना नही चाहती थी उन्होने सॉफ कह डाला कि मेरे बेटे ने मेरी इज़्ज़त को लूटने से बचाया अगर उसे कुछ होता तो आदम या उसके बाप को क्या जवाब देती? हेमा चुप हो गयी उसने माँफी फिर माँगा...पर माँ ने इतनी सालो की दोस्ती एक ही झटके में फोन कट करते हुए तोड़ दी ....मैं खुश हुआ कि आख़िरकार माँ को मेरी मुहब्बत का अहसास तो हुआ और अच्छे बुरे का अहसास भी
मैं और माँ कुछ देर वैसे ही बतलाते हुए रज़ाई ओढ़े सोए रहे माँ हैरत में थी कि मैं कैसे वहाँ आ गया था और मुझे मालूम कैसे चला? मैने सारी बात उन्हें बताई वो कस कर मेरे खुले उपरी बदन पे लिपट गयी और आँखो में आँसू उमड़ गये कि मैने अपनी जान पे खेलके उनकी जान बचाई थी.....रात 10 बजे तक हम नॉर्मल होके उठे और साथ में हम माँ-बेटे ने खाना बनाया पिताजी आ चुके थे उन्हें कुछ मालूम नही चल पाया