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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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इस प्रक्रिया को करते वक़्त मैने तब तक उसके जंपर को उसके कंधो से होते हुए उसके बाज़ू से लेते हुए उसके सर के उपर से निकालके एक ओर फ़ैक् दिया....अब वो मेरे सामने डेज़ी डी की एक सफेद ब्रा पहने हुई झुकी थी..मैने उसके ब्रा की हुक भी खोल डाली और ठीक उसके साथ ही उसके मम्मे भी आज़ाद कर दिए अब उसके दोनो आम जैसी लटकती छातियो को मैं नीचे से भरपूर दबाए जा रहा था....जब तक रूपाली गरम ना हो गयी...

वो फ़ौरन सीधी बैठ गयी फिर मैं उसकी चुचियो के बीच अपना विशाल काय लंड रगड़ने लगा..वो दोनो चुचियो के बीच मेरे लिंग को दबाए रही तब तक मैं लिंग उपर नीचे उसके छातियो के बीच घिसने लगा....रूपाली कामुक हो गयी....उसने ज़ीब नीचे ले जाते हुए उपर नीचे होते सुपाडे के छेद पे चाटना शुरू कर दिया...कुछ ही देर में मेरा लिंग बहुत ज़्यादा कठोर हो गया

रूपाली सीधी लेट गयी...मैने उसके पाजामे के डोरी को खोल डाला...और उसे नीचे तक सरकाते हुए उतार दिया...फिर उसकी पैंटी भी उसकी भीनी खुश्बू मेरे नथुनो में जैसे समा गयी उसकी चूत पे हल्के हल्के रोयेदार झान्टे उग गयी थी शायद उसने हाल ही में वहाँ सॉफ नही किया था

मैने रूपाली की चूत को थोड़ा फैलाया और उसके छेद और इर्द गिर्द ज़ुबान फेरने लगा...उसकी चूत को चाटते ही रूपाली जैसे बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी..और अपने चूत के दाने को दबाने लगी...मैने आगे बढ़के उसकी चूत का दाना मुँह में लेके चुस्स लिया फिर दुबारा चूत को चाटने लगा.....जब तक रूपाली की चूत गीली ना हो गयी..कुछ ही पल में वो शिथिल पड़ गयी

तो मैने अपना मोटा लंबा लंड उसकी चूत के भीतर एक ही बार में घुसाने की नाकाम कोशिश कर दी...लिंग फच्छ की आवाज़ के साथ अंदर घुसता चला गया....जड़ तक लंड बिठा देने के बाद मैने रूपाली को टाँगें एकदुसरे से अलग करने को कहा क्यूंकी चूत के रस छोड़ने पे ही उसने काँपते हुए अपनी चूत जांघों से दबा ली थी.....मैं छेद में लिंग घुसाए पूरी रफ़्तार से चुदाई करने लगा

रूपाली ने अपनी दोनो टाँगों को फैलाए पाओ पे सख्ती से अपना हाथ रख लिया ताकि उसकी टाँगों से पकड़ ना छूटे....मैं सतसट नीचे से धक्के पेल रहा था...चूत से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी...और मेरी रफ़्तार लगातार तेज़ होने लगी...इस बीच रूपाली होंटो को दाँतों से काट रही थी....

सूरज ढल रहा था लेकिन हमारी चुदाई कम नही हो रही थी...अब हम एक दूसरी मुद्रा में चुदाई का आनंद ले रहे थे....वो मेरी जांघों पे बैठी हुई थी...और मेरे सीने पे दोनो हाथ का दबाव दिए मेरे लिंग को अपनी चूत में फँसाए उपर नीचे हो रही थी....लगभग अंडकोष पे वो कूद रही थी...मुझे धक्के देने के ज़रूरत नही पड़ी क्यूंकी उसकी चूत मेरा लंड बार बार खाने से चौड़ी हो चुकी थी.."आहह आहह स अहहह ओह्ह्ह ओह्ह्ह उईईइ".......रूपाली सिसकते हुए आहें भर रही थी जब शरीर उसका अकड़ जाता या चुदाई की चरम सीमा पे आ जाती तो वो मेरे लिंग पे बैठ जाती और उसे पूरा अपने अंदर लिए अंडकोष पे अपनी गान्ड घिस्सने लगती..फिर दुबारा अपनी गान्ड को उपर नीचे करते हुए कूदने लगती...

कुछ ही पल में मैं स्खलन के करीब पहुच गया पर रूपाली ने मुझे उठने नही दिया....और वो ज़ोर ज़ोर से कूदने लगी..."आहह आहह रूपाली मेरा अंदर गिर जाएगा आहह रूपाली आहह"........"निकाल दो अपना पानी गीला कर दो मेरी चूत को एक शादी शुदा औरत को चोदने में कैसा संकोच आअहह अंदर ही डाल दो आहह"........रूपाली का जिस्म काँपने लगा और उसकी चूत में मेरा लिंग बुरी तरीके से फस गया मुझे अहसास हुआ कि मैं झड़ने लगा हूँ रूपाली चुदाई की थकान से किसी पेड़ की सुखी पत्ती की तरह आदम के सीने पे गिर पड़ी.....आदम ने उसे अपनी बाहों में जकड लिया उसकी ज़ूलफें आदम के चेहरे के उपर बिखर गयी थी...लिंग जैसे ही चूत से आज़ाद किया तो चूत ने ढेर सारा रस अपने भीतर से उगला .

जल्द ही दोनो पास के तालाब के पानी से अपने गुप्ताँग को धोते हुए जल्दी जल्दी अपने कपड़ों को ठीक से पहनते हुए वापिस हवेली लौट आए....रूपाली के पिता के चेहरे पे भी जैसे संतुष्टि के भाव थे मानो कितनी देर तक वो अपनी बीवी की चुदाई में लगा हुआ था....रूपाली की माँ गुसलखाने में इस वक़्त नहा रही थी...रूपाली ने इशारो में ही बताया कि चुदाई के बाद वो अक्सर नहाती है

खैर खातिरदारी और मेहमान नवाज़ी के बाद शाम को आदम वापिस घर लौट रहा था...पर रूपाली भाभी के माँ बाबूजी ने आदम को जाने से मना किया....आदम ने भी सोचा घर जाके अकेले सोने से अच्छा है आज की रात यही काट लून...वो आज की रात अपने भाई के ससुराल में ही रुक गया....

रात गये माँ बाबूजी कमरे का दरवाजा लगाए सोने चले गये...कुछ घंटो बाद ही रूपाली ने मौका देखके आदम के दरवाजे पे दस्तक दी....उसने पलभर भी नही लगाया और आदम के कमरे में दाखिल होते हुए सीधे चितकनी लगा दी....आदम ने उसकी पूरी रात ठुकाइ भी की और चुदाई भी....अब वो रूपाली भाभी से बिना कॉंडम की चुदाई करने में हिचकिचाता नही था उसकी ससुराल में उसे काफ़ी मज़ा मिल रहा था

अगली सुबह सुबह आदम वहाँ से विदा लेके शहर चला आया....सुनने को मिला कि ठीक उसके बाद ही उसका भाई उसकी रूपाली भाभी को लेने आ गया था अच्छा हुआ कि उसकी नज़रें आदम से नही टकराई रूपाली ने आदम के आने की बात लगभग छुपा ली थी और माँ बाबूजी को भी समझा दिया था....घर आते ही वो मुँह हाथ धोके फ्रेश हुआ उसने एक बार उस अननोन नंबर पे कॉल करना चाहा जो उसके दोस्त का था...कुछ देर में रिंग बजने लगी और फिर एक भारी आवाज़ ने हेलो कहा

आदम : हेलो ? कैसा है भाई? इतने सालो बाद समीर हाउ आर यू?

समीर : अर्रे तेरी अब तुझे टाइम मिला परसो कॉल किया पर तूने फोन उठाया नही

आदम : हाहाहा असल में साइलेंट मोड पे था

समीर : वाह बेटा परिवार से दूर क्या हुआ? कि अभी से प्राइवसी के लिए इतने जतन...कौन वहाँ आके तुझे चुदाई से तंग करता? साले सब समझता हूँ वहाँ जाके तेरी नियत खराब हो गयी अब ये बता किसके चक्कर में है वहाँ पे?

आदम : अर्रे यार तू भी ना अभी हाल चाल नही पूछा और मेरी खिचाई करने लगा मैने ऐसा क्या गुनाह कर दिया? खैर रही बात चक्कर की तो भाई मेरी ना कोई है ना कोई थी बस कुछ अपने है उन्ही के साथ टाइम स्पेंड करता हूँ एनीवे मेरी छोड़ अपनी बता तू कैसा है? और हां आंटी कैसी है?

समीर : मोम भी अच्छी है और मैं भी अच्छा हूँ तू यार अपनी माँ को अकेले छोड़के वहाँ ज़िंदगी बिता रहा है तुझे पता है तेरी माँ तेरा कितना ख्याल रखती है....मेरी माँ सोफीया तेरे घर गयी थी साले तेरी माँ कितनी दुख में है मुझे उन्होने बताया

आदम : हाहाहा हां यार शायद मैं कसूरवार हूँ हम मर्द ज़ात भी ना अपनी अयाशी के लिए रिश्ते नाते सब भूल जाते है एनीवे तेरे लिए एक खुशख़बरी है

समीर : कैसी खुशख़बरी?

आदम ने बताया कि वो वापिस दिल्ली आ रहा है...और वो सिर्फ़ माँ के लिए और उसने अपनी नौकरी तक को अलविदा कह दिया...सुनने के बाद समीर चौंका फिर उसके चेहरे पे अज़ीब सी मुस्कुराहट छा गयी

समीर : वाह बेटे लगता है अब तू भी मेरे रास्ते को दोहरा रहा है

आदम : ह्म बहुत बातें करनी है तुझसे खासकरके अपनी !

समीर : वो सब फोन पे बताने की ज़रूरत नही खैर तू टाइम और डेट बता दे मैं उसी दिन तुझसे मिलूँगा

आदम : अर्रे भाई आने तो दे दिल्ली पहले

समीर : अच्छा खैर नौकरी की टेन्षन मत ले बस तू बेफिक्री से घर आजा चलो सुबह का भुला शाम को घर आने के बारे में सोचा तो....और सुन माँ की मुहब्बत से बढ़के कोई मुहब्बत नही एक बार इसे चख लिया ना तो फिर किसी पराई औरत का भी स्वाद नही लगेगा

समीर की बात इतनी गरम थी कि आदम के दिल की धड़कने तेज़ हो गयी उसने कुछ देर बात करके फोन कट कर दिया.....सच में समीर की ही रास्ते पे वो आज चल रहा था

दरवाजे पे दस्तक सुनके मैं फ़ौरन फोन छोड़के उठ खड़ा हुआ...एक शर्ट डाला अपने बदन पे और सीधे दरवाजे के करीब आते ही तबस्सुम दी को दरवाजे के बाहर खड़ा पाया....मैने दरवाजा झट से खोला...तबस्सुम दीदी अंदर आई

आदम : अर्रे अच्छे टाइम पे आई हो मैं फ्री ही था

तबस्सुम : ह्म पर ये क्या तुम वापिस जा रहे हो?

आदम : हां वो दरअसल दिल्ली से बुलावा आया है परिवार को देखने जा रहा हूँ

तबस्सुम : ओह अच्छा अच्छा हां परिवार को भी बीच बीच में देखते रहना चाहिए फिर कब आओगे?

आदम : देखो दीदी कारण ये है कि मैं जहाँ काम करता हूँ अभी वो धंधा ठंडा पड़ सा गया है और आप तो जानती है बिना नौकरी किए मैं यहाँ रह नही पाउन्गा

तबस्सुम : यही तो मुस्किल है

आदम : अर्रे आप बैठो अभी तो है ना 1 महीना तब तक हम भाई-बहन आराम से एकदुसरे के साथ टाइम स्पेंड कर सकते है और कोई डिस्टर्बेन्स भी नही होगी

तबस्सुम का चेहरा लाल हो गया वो लजा के नज़रें चुराने लगी...मेरी निगाह आज भी उसके क्लीवेज पे थी आज उसने पल्लू थोड़ा नीचे किया हुआ था...इसलिए ब्लाउस का उपरी सिरा या यूँ कह लो चुचियो के कटाव सॉफ दिख रहे थे...मेरे होंठो पे चलती ज़ुबान को देखके उसके मन में भी जैसे वासना उमड़ने लगी

"आहह ओह्ह्ह आहह सस्स आहह आहह आहह उहह उईईइ"......कुछ ही देर में पलंग चरमाते हुए एक तीखी आवाज़ निकाल रहा था और उपर चुद्दम चुदाई का खेल और तबस्सुम और उसके भाई आदम की सिसकियो की आवाज़ गूँज़ रही थी पूरे कमरे में
 

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माहौल बेहद गरम था...दोनो पसीने पसीने हो रहे थे पलंग के नीचे दोनो के कपड़े गिरे पड़े थे....कही साड़ी तो कही पेटिकोट तो कही शर्ट तो कही कच्छा तो कही ब्रा तो कही पॅंट...


किसी अनुभवी की तरह आदम तबस्सुम की दोनो चुचियो को हाथो में मसल्ते हुए उसके दूध की पिचकारिया अपने चेहरे पे फैक रहा था बीच में मुँह खोले उसका दूध भी पी रहा था....वाहह क्या नमकीन सा स्वाद था?....तबस्सुम की दोनो टाँगें लगभग हवा में थी और उसकी टाँगों के बीच उसके उपर चढ़ा हुआ आदम उसकी फूली गीली चूत के मुंहाने में लंड को अंदर बाहर कर रहा था

तबस्सुम : ओह्ह आहह ईईए ज़ोरर्र सीए और ज़ोरर्र सीए आहह आहह आहह

आदम : ओह्ह दीदी तुम्हारी कितनी टाइट है इस्शश्? खूब तबीयत से चोदते होंगे कॉन्स्टेबल जीजू तुम्हें इस्सह आहह

तबस्सुम : हां रे बाबू एक बार चढ़ते है ना तो बिना झड़े उतरते नही मेरे उपर से

आदम सतसट नीचे से धक्के पेल रहा था...उसके चेहरे का पसीना तबस्सुम के चेहरे पे गिर रहा था....इतना पसीना तो उसका कसरत करते वक़्त भी नही बहा था...तबस्सुम की दोनो चुचियो को बारी बारी से चूस्ते हुए...आदम धक्को पे धक्के पेल रहा था...तबस्सुम थोड़ी ही देर में पाँव जकड़ने लगी तो आदम ने धक्के देने धीमे कर दिए पर हर चुदाई का धक्का खूब ज़ोर से मारता....जिसपे तबस्सुम के मुँह से आहह फुट पड़ती

"आहह आहिस्ते"........तबस्सुम का बदन लगभग कांपता हुआ अपने होंठो पे दाँत चिपकाए उसने हल्के से कहा

उसके बाद फिर एक धक्का आदम ने पेला....तो उसके गले से घुट्टी आवाज़ आई...वो कराह कर धीमे धक्को के दर्द को बर्दाश्त जैसे कर रही थी....हर धक्के में उसका दर्द आहह के स्वर में फुट पड़ता...."आहह आहह ओह आआ"......

आदम ने इस बार एक करारा धक्का चूत में पेला तो तबस्सुम का पूरा जिस्म काँप उठा....आदम ने कस कर उसके शरीर को थाम लिया और तबस्सुम ने भी अपनी टाँगें कस कर आदम के पिछवाड़े के उपर जकड ली मज़बूती से....उसका चेहरा एकदम लाल हो गया उसकी साँस रुक गयी और वो झरने लगी....आदम को चूत में फँसे अपने लिंग में गहराई से निकलती चूत की धारा महसूस हुई...

आदम ने जैसे ही लिंग बाहर खीचा...तबस्सुम ने गान्ड उठाके एक पिचकारी की धार और पानी की छोड़ी...उसकी गीली चूत से रस की बूँदें गिर रही थी....आदम थोड़ा थक गया उसने टवल से खुद के जिस्म और तबस्सुम के पूरे गीले पसीने भरे बदन को पोंच्छा

दो टाँगो की गाय थी तबस्सुम जो इतने मोटे लंबे लंड को झेल लेती थी....वरना कोई कुँवारी लड़की होती तो उसकी चीखें एक कोस दूर तक जाती और उसकी चूत से रक्त धारा बहती...शादी के बाद चुदाई करने से तबस्सुम के बदन पे निखार आ गया था...वो मोटी भी हो गयी थी और मोटी गान्ड वाली भी...

अपनी चूड़ी भरी कलाईयों को उसने ऐंठा और फिर पलंग पे दोनो हाथ मज़बूती से रखे और पकड़ की....पीछे से आदम खड़ा होके अपने मूसल जैसे लिंग को उसकी योनि के बीच पे घिस्सता हुआ गान्ड की छेद पे रगड़ने लगा....लेकिन पानी तो उसे चूत की गहराईयो में ही बहाना था ताकि तबस्सुम दीदी को दिया वचन पूरा हो पाए और वो उसके बीज से माँ बन जाए

आदम ने छेद में ढेर सारा थूक डाला फिर छेद को करीब ज़ुबान से चाट लिया...जैसे ही उसने छेद को कुरेदना शुरू किया तबस्सुम की गान्ड काँप उठी वो किसी गाय की तरह मोन कर रही थी बीच बीच में उसके स्वर में ओह्ह्ह आहंम फुट पड़ रहे थे....आदम ने छेद को चाटना छोड़ लिंग पे एक्सट्रा डॉटेड कॉंडम पहनाया और फिर पास रखी तेजून तैल की शीशी को उठाया...जैसा सब जानते है गान्ड बहुत ड्राइ होती है इसलिए आदम ने तेजून तैल की कुछ बूँदें उसके छेद की गहराइयो और बाहरी माँस पे मल दिया...जिससे गान्ड का सिकुडा छेद खुल सा गया....तबस्सुम ने गान्ड ढीली छोड़ दी एक बार फिर उसका भाई इसमें अपना लंड घुसाने वाला था
 
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आदम ने बड़े ही बेरहमी से लिंग को छेद की गहराईयो में प्रवेश कराना शुरू किया और कुछ ही पल में उसका विशाल काय लिंग अंदर घुसने लगा....जल्द ही जड़ तक उसने अपने लिंग को गान्ड के भीतर पेल दिया था....बस नीचे उसके दो अंडकोष झूलते गान्ड के नीचे दिख सकते थे...उसने लगभग घोड़ी बनाए तबस्सुम दी को चोदना शुरू किया...हर एक धक्के में गुदा की टाइटनिंग से उसे अपने लिंग पे गान्ड की टाइट पकड़ महसूस सी हुई

वो गान्ड पे चपात मारते हुए करार धक्के पेलने लगा जिसके दर्द को ना झेलने के चक्कर में तबस्सुम गान्ड ढीली छोड़ती..."आहह धीरे चोदो ना आहह दर्द हो रहा है आदम".....

."दीदी अभी तो तुम्हारी गान्ड ठीक ढंग से खुली भी नही".......


."आहह फिर भी आहह".......आदम को करहाती तबस्सुम दीदी की आवाज़ो से और ज़ोर ज़ोर से उसकी गान्ड मारने में मज़ा आ रहा था...

कुछ ही देर में धक्के तेज़ करते हुए आदम ने लगभग तबस्सुम के पूरे जिस्म को झिंजोड़ दिया उसकी दोनो चुचियाँ एकदुसरे से टकराए जा रही थी...तबस्सुम को बीच बीच में चुचियाँ पकड़ लेनी पड़ती इससे उसे दर्द हो रहा था...अब गान्ड से फ़च फ़च्छ की आवाज़ आ रही थी तेल ने गान्ड को एकदम गीला और चिपचिपा कर दिया जिससे लिंग भी चिकना हो गया और आसानी से अंदर बाहर होने लगा....कुछ ही पल में आदम चरम सीमा पर आ गया

और ठीक उसी पल उसने लिंग बाहर निकाला तो गान्ड के छेद को सिकुड़ता और खुलता पाया उसमे काफ़ी चौड़ा होल सा हो गया था...आदम ने कॉंडम निकाल फेंका और झट से लिंग को चूत के भीतर डाल दिया....उसने कस कर तबस्सुम को घोड़ी बनाए उसकी चूत को आगे से कस कर मुट्ठी में दबा लिया जिससे तबस्सुम सिहर गयी और आदम उसकी चूत में अपना आधा कप वीर्य खाली करने लगा...चूत से हल्की एक आध बूँद बाहर टपक रही थी...

तबस्सुम दीदी फारिग होके गुसलखाने चली गयी..आदम वैसे ही सुस्ताते बिस्तर पे अंगड़ाई लिए नंगा ही लेट गया...तबस्सुम दीदी के वापिस आने का इन्तिजार करने लगा....करीब 7 दिनो तक मुसलसल आदम ने अपनी दीदी तबस्सुम की दबके जबरदस्त चुदाई की...और अब तो उन दोनो के बीच सुधिया काकी भी आने जाने कम लगी थी ताकि दोनो को अकेला चुदाई का मज़ा लेने दे...करीब 7 दिन बाद..तबस्सुम ने आना बंद कर दिया क्यूंकी उसका शौहर अगले ही हफ्ते टपक पड़ा कोलकाता से...
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"हां माँ टिकेट्स हो गयी है"........आदम ने अपनी माँ को सूचना दी

"अर्रे अच्छा तो कबका हुआ उफ्फ जल्दी आ फिर".......अंजुम जैसे काफ़ी खुश हो गयी

"बस माँ 10 तारीख का है अच्छा सुनो पिताजी को मत!"......अंजुम मुस्कुराइ

"बेटा तू निसचिंत हो जा नही बताउन्गी तू बस जल्दी यहाँ आजा"......आदम भी मुस्कुराया

"ठीक है माँ मैं 2 दिन बाद वहाँ 12 तारीख तक पहुच जाउन्गा".....आदम ने कहा

"ओके बेटा ख्याल रखना बाइ लव यू"........

."आइ लव यू टू माँ".....हालाँकि ये माँ बेटे का रिश्ता था...पर ना जाने आदम को माँ को आइ लव यू कहने से क्यूँ पूरे बदन पे सिरहन सी दौड़ रही थी..जैसे वो किसी पराई औरत को प्यार का इज़हार कर रहा हो

उधर अंजुम भी बेहद खुश थी बेटा जल्दी आने वाला था...उसने ये खबर फ़ौरन समीर को फोन करके देदि

समीर : हां आंटी कहिए ?

अंजुम : हां समीर आदम ने बताया है कि वो 12 तारीख को उतरेगा नड्ल्स स्टेशन पे तुम उसे पिक अप कर लेना तुम तो जानते हो गुस्सेदार है थोड़ा यहाँ आते ही कहीं झगड़ा शुरू ना कर दे लोगो से (समीर मुस्कुराया)

समीर : आंटी मैने आपको कहा था ना बस आप मुझे तारीख दीजिए बस आदम को कैसे भी मैं वापिस जाने नही दूँगा ये काम आप मुझपे छोड़ दीजिएगा

अंजुम : अच्छा समीर बेटा तुम्हारी माँ सोफीया से बात करनी थी

समीर थोड़ा हिचखिचाया उसने नज़र इधर उधर करते हुए हकलाए स्वर में अंजुम को जवाब देता है

समीर : आंटी माँ बाथरूम में है वो नहा रही है

अंजुम : ओह अच्छा अच्छा कोई बात नही ठीक है बेटा फिर मैं बाद में ही बात करती हूँ

समीर : अच्छा आंटी बस आप बेफिकर रहिए आदम भला उसकी माँ से कैसे दूर हो सकता है? जब मैं अपनी माँ से दूर नही रह सका

अंजुम : तुम्हारे जैसा बेटा हर माँ को मिले जो अपनी माँ का इतना ख्याल रखता है

समीर : हाहाहा थॅंक यू आंटी अच्छा मैं फोन रखता हूँ आंटी

अंजुम : ओके बेटा बाइ

समीर : बाइ (इतना कहते हुए समीर ने फोन रख दिया)

अंजुम ने समीर को पहले से ही आदम के आने की तारीख दे दी थी उस दिन उसकी माँ ने अंजुम को उसके बेटे का नंबर देके कहा था कि वो जब भी आए तो बस समीर को बता दे वो उससे मिलने का इच्छुक है वो उसे घर ले आएगा...अंजुम ने भी सहमति ज़ाहिर की...इस बारे में आदम को कुछ नही मालूम था...वो तो खुद समीर की प्रेज़ेन्स से घबरा जाता था वो था ही कुछ ऐसा मिस्टीरियस बाकी लड़को से अलग

समीर बाथरूम के पास आया और उसने दरवाजे पे हल्की दस्तक दी..."माँ माँ?"....लेकिन जवाब की जगह माँ की उल्टियों की आवाज़ सुन समीर चौंका...वो बौखलाए कुछ देर तक सोफीया का नाम पुकारता रहा...अचानक से सोफीया अपना मुँह पोंछते हुए बाहर आई उसकी आँखो में आँसू थे शायद पेट पे ज़्यादा दबाव और उल्टी के वक़्त हालत कुछ ऐसी ही होती है

समीर : माँ मैं!

सोफीया : अर्रे कुछ नही हुआ बाहर का कुछ खा लिया था शायद इस वजह से पेट खराब हो गया क्यूँ तू इतना बौखला गया?

समीर : माँ मुझे लगा कि आपको उल्टियाँ किसी और वजह से !

सोफीया ने पैनी नज़रो से समीर की ओर देखा...."डर मत मैं प्रेग्नेंट नही हुई हूँ पर हां मैने कॉपर टी लगवा लिया था तेरे पिताजी के जाने के बाद ताकि तेरे और हमारे प्यार में कोई कमी ना रहे".........

समीर की आँखे भावुक हो उठी

समीर ने अपनी रोती माँ के दोनो बाज़ुओ को पकड़ लिया "माँ आपको ये तक़लीफ़ सहने की ज़रूरत नही आप निकलवा हो कॉपर-टी मैं चाहता हूँ कि हमारे बीच जो अधूरापन रह गया उसे पूरा!".....

सोफीया ने समीर के होंठ पे उंगली रखी

सोफीया : नही नही समीर हम इस हद तक तो पहुच चुके हैं अब नही समीर लोग क्या कहेंगे?

समीर : टू हेल विद देम मुझे आप तक़लीफ़ में नही चाहिए...क्या होगा? ज़्यादा से ज़्यादा आप मेरे बच्चे की माँ बन जाएगी ना होने दीजिए मैं तो चाहता हूँ कि हमारे दो के बीच कोई तीसरा हमारा ही आए

सोफीया समीर के इस जुनून को देख सहम सी उठी...वो अपने बेटे के सीने से लग गयी..."तू फिकर मत कर सोफीया ज़माना मुझे तेरा हाथ थामने से नही रोक पाएगा".....समीर की आँखो में जैसे गुस्सा उबल उठा दुनिया के लोगो के प्रति....जिस समाज में उनके रिश्ते का कोई वजूद नही हो सकता था और अगर होता भी तो पाप होता
 
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आदम आज इतने दिनो बाद ताहिरा मौसी के घर पहुचा...शूकर है कि उसे खबर मालूम चली कि उसके मौसा जी आउट ऑफ टाउन गये हुए है...इस वक़्त उसका भाई यानी रूपाली का हज़्बेंड बाहर ही होगा वो घर के भीतर आया...तो पाया ताहिरा मौसी अपनी मैली सी नाइटी को गुसलखाने के लोहे के दरवाजे पे लटकाए अंदर घुस चुकी थी...घर पे कोई था नही मौजूद इसका फ़ायदा उठाते हुए आदम ने बिना सोचे अपने पाजामे से एक काला मास्क जो कि एक दर्ज़ी से अटखेली में उसने बनवा लिया था उसे पहना वो किसी स्की मास्क जैसा था....

जैसे ही ताहिरा मौसी कुण्डी लगा रही थी दरवाजे की...झट से आदम ने उनके चेहरे पे मज़बूती से अपने हाथ की पकड़ की...."म्म्म्मम"....आवाज़ घूँट गयी और ताहिरा मौसी लगभग ज़ोर से चीख उठी उसकी आँखे बाहर आ गयी...पर गौर से देखने पे उसे मास्क के पीछे का चेहरा उसकी आँखो और होंठो की वजह से सॉफ समझ आ गया...आदम ने पाया ताहिरा मौसी पूरी उसके सामने मादरजात नंगी खड़ी थी..उसके टाँगों के बीच झान्टे सॉफ हो चुकी थी उसकी बैगनी चूत आदम की नज़रों से टकराई

आदम ने फट से गुसलखाने का दरवाजे की कुण्डी लगाई और अपने कपड़े भी नाइटी के नीचे दबाए लोहे के दरवाजे के उपर लटका दिए

"म्म्म्मम एम्म"......मैने कस कर ताहिरा मौसी के मुँह को अपने हाथो से बंद कर रखा था....वो मेरी कलाई को कस कर पकड़के छुड़ाने लगी...मेरे हाथ हटते ही वो एकदम बौखला उठी और मुझपे बरस भी पड़ी

"अर्रे पागॉल मार देता क्या? ऐसे कोई आता है उफ्फ और यह क्या हरकत है ये क्या पहन रखा है हां अपनी मौसी के अकेलेपन का इस तरह फ़ायदा उठाता है तू? अगर मेरी जान निकल जाती तो उफ्फ कैसा लग रहा है उतार इसे".......मौसी ने आगे बढ़के मेरे काले नक़ाब को चेहरे से लगभग अलग करते हुए कहा

आदम : अर्रे मेरी गदराई मौसी यह इसलिए पहनके अंदर घुसा कि कोई मुझे बाहर से नोटीस ना कर ले आज मुझे कुछ नया सूझ रहा था

ताहिरा : अच्छा छोड़ अपनी मौसी के घर इस हालत में घुस रहा था अगर पीछे से कोई तुझे पकड़के चिल्लाके आदमी इकहट्टा करवा देता तो और वैसे भी तू पूरा बॅंक लूटेरा लग रहा है इस कपड़े के बने मास्क को पहनके

आदम : हाहाहा हम तो तेरी रसभरी चूत के लूटेरे है साली

ताहिरा ने अपने मुँह पे हाथ रख लिया और हल्का सा लजा गई...

"मौसी दरअसल माफी चाहता हूँ मैं आपसे मिलने ही आ रहा था लेकिन फिलहाल अभी कोई नही है घर पे तो इतने दिनो की प्यास मुझे भुजा लेने दो और अपनी तपती चूत की आग भी ठंडी कर लो"............ताहिरा ने हल्की सी प्यारी सी चपत मेरे चेहरे पे उतारी

ताहिरा : कमीने अपनी मौसी को कोई ऐसे कहता है उफ्फ और ये जिसे इतना घी खिलाया ये तो मोष्टंडा हो गया तुझसे ज़्यादा (मौसी ने मेरे झूलते मेरे लिंग को मुट्ठी में ले लिया)

आदम : ह्म मर्द तो आप ही ने मुझे बनाया है मौसी लेकिन सच में 30 के बाद औरत के बदन पे क्या निखार आता है? आपकी इस फूली फूली चिकनी चूत को चूम लेने का दिल कर रहा है

ताहिरा : अर्रे कमीना तो खड़ा क्यूँ है? मैं ही बस पकडू और हिलाऊ तेरा भी तो फ़र्ज़ बनता है कुछ वैसे भी पहला मर्द ज़िंदगी का तू ही है जिसने मेरी चूत पे अपना ज़ुबान रखी है पहली बार वरना आजतक तो सबको घिन ही आई है और मुझे भी इतना अनुभव नही था

आदम ने फ़ौरन ताहिरा मौसी को दीवार से लगा दिया और वापिस मास्क पहनते हुए...अपने होंठो को चूत के सिरे पे रखके उसकी दोनो होंठो को चूसने लगा....ताहिरा सिहर उठी...बीच बीच में आदम उसकी चूत पे भी ज़ुबान रखके उसे कुत्ते की तरह चाट रहा था....ताहिरा आदम के सर पे हाथ फैरने लगी...

ताहिरा की आहें बढ़ने लगी और वो आदम का लगभग मुँह अपनी टाँगों के बीच दबाने लगी

ताहिरा : हान्ं ऐसी ही आहह हाहह

आदम : वाहह स्लूर्रप्प वाहह मौसिी तुमने लगता है कल परसो शेव की है उफ्फ कितनी भीनी खुश्बू आ रही है भीतर से उफ्फ आप पानी छोड़ो मौसी मैं पूरा खा जाउन्गा चखने को बेसबरा हो रहा हूँ

ताहिरा : अर्रे कमीने अपनी माँ की चूत में मुँह देना मुझसे भी ज़्यादा टेस्टी होगी उसकी साली की तो गुलाबी चूत है

आदम : क्या मौसी तुमने माँ की चूत देखी है?

ताहिरा : तेरे वहाँ निकलने से पहले से दरअसल हम बहनें साथ में नहाया करती थी तू तो जानता है ना तेरे नाना जी ने जो घर लिया था उसमें पानी एक टाइम आता था तो हम एक ही बाल्टी से नहाया करती थी...

आदम : उफ़फ्फ़ मौसी बोलो ना कैसी लगती थी चूत? (आदम जो हैरानी भाव से ताहिरा के मुँह से अपनी माँ की गुलाबी चूत के बारे में सुन रहा था उसने ताहिरा मौसी की चूत में ज़ोर ज़ोर से मुँह डालके उसे चाटना शुरू कर दिया)

ताहिरा : आहह उफ़फ्फ़ मत पूछ बहुत गुलाबी है उसकी तेरे मौसा जी मुझसे पहले तेरी माँ को देखके पागला गये थे...और उससे निक़ाह तक करना चाह रहे थे....पर तेरी माँ तेरे मौसा को भाव नही देती थी जुआरी और गुंडे थे ना और अच्छा ही हुआ मेरी तो किस्मत फूटी आहह

आदम : अर्रे मौसी तो गुलाबी चूत से कभी उनके रस निकलता था ससस्स एम्म्म (इस बार आदम ने ज़ुबान अंदर तक डालते हुए अपना अंगूठा अंदर सरका दिया चूत में ताहिरा बिन पानी मछली की तरह तड़प उठी)

ताहिरा : नही रे साले उसने कभी मेरे सामने मूठ थोड़ी ना मारी है लेकिन तू इतना गंदा कब्से हो गया अर्रे अपनी माँ को तो बख्स दे ऐसी अश्लील बातों में तुझे ज़रा भी शरम ना आई जिस चूत से तू निकला उसके बारे में ही तू चर्चा कर रहा है भूल मत तेरी सग़ी माँ है वो

"बहेन की लॉडी तुझसे ज़्यादा मस्त है बेहेन्चोद अगर वो चुदवाति अपने बेटे से तो तेरे सामने कसम से उसे चोदता रंडी तू भी क्या जल जाती?".....आदम ने मन ही मन बुद्बुदाया फिर लव्ज़ बदले और बस ऐसे ही मज़े की लज़्जत में उसने ऐसा कह दिया कह कर ताहिरा मौसी की चूत को तेज़ी से उंगली करने लगा....ताहिरा कुछ ही देर में पानी छोड़ते हुए झरने लगी उसके दोनो टांगे काँप गयी उसे दीवार के सहारे टेक लिए खड़े रहना पड़ा

लेकिन दोनो भांजा-मौसी ये भूल गये कि रूपाली अंदर के कमरे में सो रही थी...वो असल में आज इन्स्टिट्यूट गयी नही थी..अचानक रूपाली की नींद टूटी और उसे कस कर पेशाब लग गया वो जैसे बाहर आई तो गुसलखाना बंद देख उसकी गान्ड टाइट हो गयी..वो झल्लाई "बेहेन्चोद पूरे दिन रंडी लगता है गुसलखाने में ही पड़ी रहती है साली एक तो बेटे ने कल रात से पलंग से उठने तक नही दिया और जब अब जाके नींद टूटी तो बेहेन्चोद ये घुसी पड़ी है? अर्रे ओ काकी".......रूपाली ने थोड़ा ज़ोर से कहा

पर अंदर फुल नल खुला हुआ था जिस वजह से मौसी भान्जे दोनो को रूपाली की आवाज़ सुनाई नही दी..लेकिन रूपाली को अंदर से गुँज़ती ताहिरा की आहें ज़रूर सुनाई दे गयी...वो एकदम से बौखला उठी उसे लगा कि उसका ससुर तो गया हुआ है शहर से बाहर तो ये अंदर किसके साथ ताहिरा मौसी कही?.....जो खुद अपने देवर से चुदवा रही हो उसे अपनी सास के अवैध संबंध का ज़रा सा भी शक़ करने पे शक नही आ सकता था....वो थी बड़ी चालू अंदर गयी और एक स्टूल ले आई और उस पर अपनी साड़ी उठाए घुटनो तक किसी तरह से चढ़ खड़ी हुई

जैसे ही वो लोहे के दरवाजे पे टॅंगी नाइटी पे हाथ रखके अंदर झाँकति है तो उसका थूक गले के भीतर ही रह जाता है अंदर एक काला मास्क पहना हुआ लौंडा ताहिरा के चेहरे को सहलाते हुए उसकी रस भरी गीली चूत पे हाथ मसल रहा था और उसे मुट्ठी में दबा रहा था...ताहिरा ने उसकी पीठ सहलाते हुए उसे अपने करीब खीचा और दोनो पागलो की तरह एकदुसरे को किस करने लगे...रूपाली की आँखे फॅट गयी उसे लग रहा था जैसे ख्वाब हो उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया और बड़े अहेतियात से गुसलखाने के दरवाजे पे उचकते हुए झाँक रही थी अंदर

उसे ये नही पता था कि उसका खुद का देवर अपनी मौसी के साथ संबंध बना रहा है.."ओह्ह्ह्ह उफ़फ्फ़ आहिस्ते से बेटा".......मौसी के पीछे आते हुए आदम ने उसे सीधा झुका दिया और उसकी चूत में लंड घुसाने लगा...कुछ ही देर में चूत ने लंड खाना शुरू कर दिया....मौसी को डॉगी स्टाइल में आदम पीछे से चोदने लगा....अगर ज़रा सा भी सर उपर की ओर उठाता तो रूपाली भाभी को रंगे हाथो पकड़ लेता लेकिन वो था चुदाई में इतना मशगूल कि सब भूल गया

आदम तेज धक्के लगाने लगा....ताहिरा की चुचियाँ जो एकदुसरे से हिलते हुए टकरा रही थी उसे आदम ने अपने हाथ में लेके कस्स कस कर दबाना शुरू कर दिया...

"ओह्ह आहह आहह ईई अयीई"......मौसी को सिसकते किसी पराए मर्द से चुदते देख रूपाली भाभी एकदम काँप उठती है..."उफ्फ इस औरत ने तो सारी मर्यादा ही पार कर दी बुढ़िया की भोसड़ी में इतनी आग है कैसे लौंडिया की तरह दहाड़ रही है ह्म्म्म उफ्फ अपनी जवानी का पूरा मज़े ले रही है साली"........रूपाली भाभी से और देखा ना गया क्यूंकी पहले से उसे पेशाब लगा था और उपर से चुदाई देखके उसकी चूत में कीड़े काटने लगे...एक पल को उसे ऐसा लगा कि अपने शौहर को बताए लेकिन उसके पास अपनी सास को डाउन करने का अच्छा मौका मिल गया था इसलिए वो चुपचाप स्टूल सीडियो से हटाए दोनो को बेख़बर गुसलखाने में छोड़ वापिस कमरे के दरवाजे के पास आके चुपके से इन्तिजार करने लगी कि कब दोनो निकलें? वो बार उस नक़ाबपोश को गौर से पहचानने की कोशिश में जुट गयी पर उसे ये आहेसस नही हुआ कि वो उसका अपना देवर आदम था

चुदाई का सिसीला थम नही रहा था...और बाहर रूपाली छटपटा रही थी बेचैन थी दोनो को बाहर निकलते देखने के लिए...."अफ इतनी कोई लंबी चुदाई करता है इतना तो मेरी माँ भी अपने उपर बाबूजी को नही चढ़ा पाती उफ्फ साली पूरी छिनाल है".....बुदबुदाते हुए रूपाली ने मन ही मन कहा

अंदर गुसलखाने में...ताहिरा मौसी की गान्ड के छेद में लिंग प्रवेश करता हुआ आदम बेफ़िक्र से उसकी तबीयत से चुदाई कर रहा था...उफ्फ गान्ड से थप थप अंडकोष टकराते हुए किस तरह बाउन्स हो रहे थे....ताहिरा लज़्जत से मज़ा ले रही थी...और कुछ ही देर में आदम के शरीर में अकड़न शुरू हो गयी और उसने कस कर ताहिरा को जकड लिया....कुछ ही पल में वो ताहिरा की गान्ड में ही फारिग हो गया...कुछ देर सुसताने के बाद दोनो ने उठके अपने उपर मग से पानी डाला थोड़ा नहाए और फिर झटपट आदम ने अपने कपड़े पहने और कुण्डी खोल एक बार बाहर का जायेज़ा लिया...फिर वो वापिस उतरते हुए सीडियो से घर से बाहर निकल गया

रूपाली उसे जाते हुए देख रही थी वो उसके पीछे भागी उसकी दिशा जानने के लिए..लेकिन तब तक वो काफ़ी रफ़्तार से गली के दूसरी तरफ भाग गया..रूपाली भाभी अंदर आई तो 10 मिनट और उसकी सास ने निकलने में लगाए वो टवल लपेटके बाहर को आई

रूपाली ने उस वक़्त कुछ नही कहा क्यूंकी उसे तेज़ पेशाब लगी थी लेकिन उसने देखा कि ताहिरा की चाल थोड़ी धीमी थी जैसे चुदाई के बाद औरत ढीली पड़ जाती है ठीक वैसी और उसके चेहरे पे संतुष्टि के भाव....रूपाली ने उसे गाली देते हुए गुसलखाने में घुस गयी....

रूपाली ने देखा कि ताहिरा एक येल्लो साड़ी पहन के खाना बना रही है..ताहिरा की नज़र अपनी बहू पे गई...."ओह्ह तो उठ गयी आप?"......आज भी ताहिरा ने ताने भरे लहजे से कहा....

रूपाली : हुहह मैं तो कब्से जागी हुई थी? लेकिन आपने सबको सुला रखा है (रूपाली ने ऐंठते हुए ताहिरा की तरफ देखा)

ताहिरा : क्यूँ री? तेरे कहने का मतलब क्या है? खुद आलसी की तरह पड़ी रहती है फिर चाई मैं ही देती हूँ तब इन्सिटुट जाती है फिर रात गये अपने पति के साथ बिस्तर पे उसे चढ़ा लेती है

रूपाली : ओह्ह काकी माँ ज़ुबान आप ठीक कीजिए सच्चाई से वाक़िफ़ करा रही हूँ आपको क्या लगा रखा है आपने आजकल क्या गुल खिला रही है? क्या मौसा जी से संतुष्टि नही मिली जो किसी पराए मर्द को गुसलखाने में घुसा लेती हो ना जाने कब से ये कांड चल रहा है आपका? बोलिए बोलिए चुप क्यूँ हो गयी? मुझे तो डाटने और नीचा दिखाने का आप कोई मौका नही छोड़ती (एका एक ताहिरा सचमुच लरखड़ा गयी उसके माथे पे पसीना आ गया यानी उसकी चोरी अब तक जो छुपी थी वो सामने आ गयी थी)

ताहिरा : त...तू क..क्या कह रही है? क्या गंदी गंदी बात कह रही है अपनी सास को बिशल को पता लगेगा ना तेरी अच्छे से कुटाई कर देगा समझी तू

रूपाली : तुम्हारा बेटा है ही किस लायक? मार पीट के अलावा कर भी क्या सकता है? पर मैं ये सोचती हूँ कि अगर मौसा को पता लगा तो पता नही आपके साथ ...........

ताहिरा घबरा गयी थी वो नज़रें चुराने लगी..
 

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"डरिये नही काकी पर आप आजके बाद मेरे पे उंगली उठाने से पहले सौ बार सोचिएगा अगर बिशल तक को मालूम पड़ा ना तो माँ की हैसयत् भी खो देंगी आप?"......

ताहिरा अपने उपर हो रही बेज़्ज़ती को बर्दाश्त नही कर पा रही थी डर भी ज़रूर रही थी कि उसका आगे क्या अंजाम होगा

ताहिरा : ठीक है बोल दे क्या बोलेगी? कि मैं किससे चुदाई कर रही हूँ हां तेरे मौसा ने दे क्या रखा है मुझे उपर से बिशल ने तुझे लाके मेरा सर फुडवा दिया अब तू मुझे ब्लॅकमेल करेगी तो ठीक है सुन वो पराया मर्द मेरा अपना कौन है मेरा भांजा आदम

रूपाली की तो जैसे ज़मीन खिसक गयी वो एकदम घबराते हुए कह उठी "क्या? न..नहिी नही आप झूठ कह रही है इतना वाहियात इल्ज़ाम कोई और ना मिला तो अपने बेटे जैसा लड़के पे ही लगा दिया"..........रूपाली जैसे गुस्से से आग बाबूला हो गयी क्यूंकी आदम था तो उसका भी मर्द ना

ताहिरा : हां सच जानना चाह रही है ना उसने मुझे सुख दिया सुख खैर मुझे तुझसे कोई ज़्यादा बहस नही करनी कह देना अपने मुसा को और अपने पति को देखते है फिर कौन इस घर में ज़्यादा देर तक रहता है? क्यूंकी तेरे मौसा अपने भान्जे को अपने बेटे से भी ज़्यादा मानते है

रूपाली : आदम ऐसा नही कर सकता वो तो!

ताहिरा : वो क्या बक क्या कहना चाह रही है? चल भाग यहाँ से दिमाग़ ना खा और आइन्दा ये उंगली और ये धमकी अपनी माँ को दिखाना ये मेरा घर है समझी रंडी सिर्फ़ बिशल की वजह से तुझे झेल रही हूँ मैं

रूपाली से कुछ बोला ना गया...उसके आँखो से जैसे आँसू उबल पड़े...इसी बीच उसे उल्टिया सी लगने लगी तो वो उल्टी करने उल्टे पाओ गुसलखाने भाग गयी...ताहिरा उसके जाते ही अपने माथे के पसीने को पोछने लगी जैसे उसका सहमा दिल वापिस नॉर्मल हुआ था....उसने फट से आदम को कॉल लगाया

आदम : हां मासी बोलो?

ताहिरा : बेटा इसी दिन के लिए तुझे कहती थी कि अपनी हवस को काबू रखा कर बहुत बवाल हो गया

आदम : क्या हुआ मौसी? किसी ने देख लिया क्या?

ताहिरा : हां तेरी रूपाली भाभी ने और फिर (ताहिरा ने सबकुछ ब्यान करना शुरू किया आदम की आखे बड़ी बड़ी हो सी गयी ताहिरा ने बताया कि खुद की जान बचाने के लिए उसने आदम का नाम कबूला वरना पराए मर्द की धमकी रूपाली देते नही थकती)

आदम : ओह माइ गॉड (आदम की फॅट गयी क्यूंकी दूसरा रिश्ता उसकी बहू रूपाली से उसका था अगर ज़रा सा भी उसे मालूम चल जाता कि रूपाली उससे अब तक कितनो बार चुदवा चुकी है तो बेटे रूपाली के साथ साथ मुसीबतो का सामना उसे भी करना पड़ता लेकिन उसके दिल की धड़कन कम हुई जब ताहिरा मौसी ने बताया कि वो इतना कहने के बाद चली गयी)

रूपाली की तबीयत उधर खराब हो गयी थी....वो बीच बीच में उल्टिया कर बैठती...जिसको देखते हुए उसकी सास ताहिरा ने ही उस पर तरस ख़ाके उसे क्लिनिक ले गयी...वहाँ क्लिनिक में उसकी मेडिकल जाँच हुई जिसमें रूपाली को चौका देने वाला सच सामने आया वो पेट से हो गयी थी....रूपाली चुपचाप हो गयी क्यूंकी उसे मालूम था कि उसके पति से ज़्यादा संभोग उसने आदम के साथ किया था..ताहिरा तो बहुत खुश हुई लेकिन इतने बड़े बवाल होने के बावजूद वो उसे रिक्से पर से घर ले आई

आदम घर आया हुआ था उसने रिक्शे से रूपाली को उतरते पाया...वो वैसे ही घबराया हुआ था....उसने जैसे आगे बढ़ के रूपाली को थामना चाहा रूपाली ने उसे हल्का सा धकेल दिया उसकी निगाहो में आदम को गुस्सा सॉफ दिखा...उसे समझ आया कि रूपाली को सच मालूम चल गया है...उसे अपने दोनो रिश्ते खोते नज़र आए

"अर्रे बेटा अच्छा हुआ तू आ गया? अब तू ही तो अकेलेपन का सहारा है आ अंदर".....ताहिरा जानबूझ के रूपाली को कमरे में ले जाते हुए आदम को उसके सामने जानबूझ के छूने लगी ताकि वो जले और सच में उसे अंदाज़ा नही था कि रूपाली पे क्या बीत रही थी?

रूपाली को पलंग पे लिटाते हुए ताहिरा ने पीछे मूड कर आदम को देखा

"मौसी सब ठीक है? यह रूपाली भाबी को क्या हुआ था?".......आदम ने फिर भी लड्खडाये लब्जों में रूपाली की तरफ देखते हुए कहा

ताहिरा : बेटा तू चाचा बनने वाला है तेरी भाभी प्रेग्नेंट है . है ना खुशख़बरी (आदम को तो जैसे काफ़ी खुशी हुई पर उसे अहसास हुआ रूपाली के चुप और उदास रहने का मतलब...ताहिरा को लगा शायद उसकी आज हार हुई इसलिए वो चुपचाप उदास है वो बिना कुछ कहे बाहर निकल गयी)

आदम रूपाली के पास बैठने को हुआ तो रूपाली ने अपनी टाँगें उससे दूर कर ली.....

आदम : रूपाली?

रूपाली : अब कुछ नही बचा हमारा आदम मुझे लगा था कि मेरे सिवा तुम्हारी ज़िंदगी में कोई औरत नही है तुमने मेरे होते हुए मेरी सासू माँ अपनी मौसी जो माँ समान होती है उसे नही बख्शा धोका और फरेब देना तो कोई तुमसे सीखे (रूपाली रोने लगी)

आदम : रूपाली प्लीज़ शांत हो जाओ तुम पेट से हो ?

रूपाली : तुम्हें पता है मुझे जानके कितनी तक़लीफ़ हुई अगर मैं अभी ये कह दूं इन्हें कि इस पेट में ठहरा गर्भ किसका है? तो ज़मीन तो उनकी खिसक जाएगी

आदम : रूपाली ऐसा मत करना वरना तुम्हें बिशल दा तलाक़ दे देगा प्लीज़ रूपाली गुस्सा थूक दो जो हुआ उसे भूल जाओ उसमें मेरा बस नही था मैं हवस के आगे अँधा हो गया आइ आम अड्मिटिंग इट बेबी

रूपाली : प्लीज़ आदम अपने मुँह से मुझे कुछ ना कहना ठीक है मैं नही कहूँगी ना तुम्हारे भैया को और ना तुम्हारी रखैल को (मौसी की तरफ इशारा देते हुए) लेकिन आदम हमारा रिश्ता यही ख़तम होता है हमारा जो संबंध बीच में हुआ शायद वो एक खॉकला रिश्ता था मुझे अब घिन आ रही है तुमसे

आदम : प्लीज़ रूपाली ऐसा मत कहो ठीक है मैने ग़लती की लेकिन उसकी सज़ा अपने आपको मत दो खैर तुम पेट से हो सब खुश है इन्हें गुमराह ही रहने दो ताकि तुम्हें कोई प्राब्लम ना आए

रूपाली ने कोई जवाब नही दिया गुस्सा तो खूब उसका उबाल पर था पर पेट पे उसके प्रेशर पड़ जाता...और उसके बाद जो आदम ने कहा उससे रूपाली और हिल गयी...आदम को डर था कि वो कोई ग़लत कदम ना उठा ले..आदम ने उसे ब्यान किया कि वो आने वाली 10 तारीख को जो जा रहा है शायद वापिस ना आ सके

रूपाली को बस यही लग रहा था कि बीच राह पे वो उसको छोड़ कर जा रहा था....आदम ने उससे और कुछ ना कहा वो खुद उसकी नज़र में मुजरिम खुद को फील कर रहा था....वो बाहर आया रह रहके डर रहा था कि बवाल बढ़ ना जाए

बाहर आते ही ताहिरा मौसी ने उसे पकड़ लिया और उसने सबकुछ बताया कि सुबह सुबह उसके जाने के बाद रूपाली ने क्या बवाल मचाया?....पर आदम चुपचाप रहा उसने बनावटी अंदाज़ में कहा...चलो अब रूपाली को आपको बेज़्ज़त या धमकी देने का कोई मौका नही मिलेगा. पर आप सास बहू अपना गुस्सा छोड़ दीजिए...रूपाली अब पेट से है उसके घर का चिराग पेट में लिए हुई है....ताहिरा चुपचाप सुबकने लगी....आदम ने बताया कि वो वापिस जा रहा है ताहिरा ने कुछ नही कहा अफ़सोस ज़ाहिर किया फिर उसे आशीर्वाद दिया कि जहाँ रहे खुश रहे....कही ना कही उसे यही डर सता रहा था कि कही रूपाली उसके परिवार में ये बात फैला ना दे कि उसके भानजे से उसके नाजायेज़ संबंध जुड़ चुके है लेकिन रूपाली कैसे कह पाती? आदम परिस्थिति जानता था कि रूपाली खुद उस भवर में फसि थी उसे खुद डर था कि उसकी एक सच्चाई उसका घर तहेस नहेस ना कर दे...आदम विदा लेके ताहिरा मौसी से वहाँ से निकल गया

आँखो में आँसू समेटे....वो अपने हाल-ए-दिल को किसी से ब्यान नही कर सकता था?....रूपाली को दर्द में छोड़ वो दिल्ली शहर के लिए रवानगी देने लगा....करीब 10 तारीख होते होते वो गाड़ी में चढ़ चुका था....कितनी यादें समेटे वो यहाँ से लेके जा रहा था?....पिछले दिन रूपाली के घर से आने के बाद सुधिया काकी आई थी उसे सबकुछ बताते हुए आदम लगभग रो पड़ा..सुधिया काकी ने कहा दोनो औरतों को वो भूल जाए अब उनके साथ अपनी हसरत पूरी करना उसके लिए बेहद मुस्किल था....एक तरफ रूपाली से उसका रिश्ता ख़तरे में आ जाता दूसरी तरफ जो रिश्ता बना भी था वो भी टूट चुका था रूपाली उसे कभी मांफ ना कर पाए....रूपाली उसके बच्चे की माँ बन चुकी थी अब जो राज़ सिर्फ़ सुधिया काकी और उसके साथ इस शहर से दूर जा रहा था...

आदम ने एक बार ट्रेन से अपने होमटाउन की ओर देखा फिर उसे पछतावा सा हुआ....सच में क्या कुछ नही लेके यहाँ से जा रहा था वो...एक तरफ खुशख़बरी तो दूसरी तरफ रूपाली भाभी को दिया दर्द.....बस कही रूपाली कोई ग़लत कदम ना उठा ले...यही सोचते सोचते उसकी ट्रेन कबकि वेस्ट बेंगाल छोड़ चुकी थी उसे अहसास भी नही हुआ

पीछे छूटी रह गयी सारी यादें....हसरत सेक्स की....हसरत उसकी मौसी की कहीं ना कहीं ज़रूरत...तो कही ना कही हसरत रूपाली भाभी की हवस की...तो कहीं ना कहीं सुधिया काकी जैसियो के लिए फन...तो कही ना कही हसरत उसकी तबस्सुम दीदी के लिए ग्रहस्ति का रास्ता उफ्फ सच में कितने अज़ीब हालातों से गुज़ारा था आदम

कुछ महीनो बाद आदम को जब मालूम चला था सुधिया काकी से तो पाया कि तबस्सुम को गर्भ ठहर गया था....और वो खुशी खुशी अपने शौहर के साथ कोलकाता लौट गयी थी सुना था कि उसे जुड़वा बच्चे होने वाले थे...दूसरी तरफ रूपाली भाभी ने एक बेटे को जनम दिया था....ये खबर सुनके आदम को बेहद खुशी हुई थी पर होमटाउन छोड़ने के बाद रूपाली से उसने एक बार भी नही बात की थी...रूपाली ने भी सॉफ सॉफ सुधिया काकी को कह दिया था कि उसे आदम से बात तक नही करनी....आदम ने भी मान लिया कि अब उसका और रूपाली का कोई रिश्ता नही बचा...

खैर रुख़ फिर करते है उन महीनो से पहले जब आदम अब भी ट्रेन में दिल्ली आने के लिए सफ़र कर रहा था....इन्ही कशमकश में उसकी आख लग गयी थी और जब आख खुली तो स्टेशन लगभग आने को था....

12 तारीख तक आदम की गाड़ी न्यू दिल्ली में घुस चुकी थी....इस बीच आदम की जब नींद खुली तो काफ़ी सुबह सुबह ही अपने बॅग पॅक करके नाश्ता ख़तम किए वापिस खिड़की के पास आके बैठ गया....उसके मन में पीछे छूट गये सभी रिश्तो की सोच उमड़ रही थी.....वो इतने स्ट्रेस में था कि एक पल को भूल गया कि यार वो तो अपनी हसरत-ए-माँ के पास ही आ रहा है जिसके लिए उसने अपना सबकुछ दाव पे लगा दिया था
 
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ट्रेन प्लॅटफॉर्म पे आके रुकी...अनाउन्स्मेंट सुनाई दे रही थी...ट्रेन खाली होने लगी और बौगी में कुली जैसे लूटेरो की तरह आ धम्के...सब को जल्दी जल्दी बॅक सामान लेके उतारने के लिए रिकवेस्ट करने लगे...इनमें आदम भी शामिल था...तभी दो हट्टे कट्टे कुली अंदर आए और उन्होने आदम का नाम पूछा...आदम कुछ समझ ना सका...उसने थोड़ा कड़क अंदाज़ में बोला

आदम : आप लोगो को मेरा नाम कैसे पता?

कुली : जी दरअसल हमे आपके दोस्त ने ही अंदर भेजा है आपका समान उठवाने हम आपको सभी बौगी में ही तलाश कर रहे थे वो तो साहेब ने फोटो दिखाई इसलिए आपको देखके पहचान गये

आदम : मेरी फोटो? मेरे दोस्त ने ? (आदम कुछ समझ ना सका खैर आदम ने माँ के लिए कुछ सामान खरीदा था जो एक बॅग में था और दूसरा बॅग उसके वापिस दिल्ली आने के सामान से लदा हुआ था)

आदम बाहर आया तो पाया उसे सामने से एक 25 साल का वेल-बिल्ट नौजवान अच्छा कीमती सूट कोट पहना उसे आवाज़ दे रहा था खड़ा होके..."हे आदम इधर?"......आदम उसे पहचान गया उसे देखके उसे बड़ी हैरानी हुई....ये समीर था उसने अपने चश्मे को हटाया और मुस्कुराते हुए आदम के पास आया

समीर : हे मॅन (समीर ने आदम को गले लगा लिया आदम ने भी उसे इतने सालो बाद मिलने की खुशी में गले लगा लिया दोनो प्लॅटफॉर्म पे ही खड़े कुछ देर वैसे गले से गले मिले रहे)

आदम : ओह माइ गॉड अबे साले तू इतना मस्त कब्से हो गया? क्या बात है क्या कीमती सूट कोट कहीं किसी ऑफीस का सीईओ तो नही बना दिया तुझे

समीर : हाहाहा भाई मैं किसी की गुलामी नही करता सिवाय अपनी सोफीया के ..खैर मैं एक फर्म चलाता हूँ और मेरे अंडर एंप्लायीस का इंचार्ज भी मैं खुद हूँ

आदम : ओह तेरी वाहह आंटी की तो किस्मत खुल गयी तू इतना ज़िम्मेदार हो गया है तेरे लिए हमेशा दिल से दुआ रही है खुदा से मेरी

समीर : हाहाहा थॅंक्स बट दुआ मेरी भी रही कि मुझे मेरे यार से वापिस मिलवा दे इसलिए देख अभी नया नया बिज़्नेस क्या जमाया दिल्ली में? तेरे घर का पता कर लिया

आदम : वोई मैं सोचु साले तू मेरे घर तक कैसे पहुचा? याद आया मैने तुझे अपने पुराने घर का एरिया बताया था ओह्ह बेटे तू तो पूरा जासूस बन गया

समीर : भाई मेरे अपनो पर मेरी नज़र बहुत पैनी रहती है....जासूस नही किसी शिकारी भेड़िया की तरह सूंघ के निकाल लेता हूँ कि मेरे अपने इस वक़्त कहाँ है?

आदम : अच्छा आंटी कैसी है? मुझे तो लगता है वो तो बहुत ऐश कर रही होंगी तू मज़े जो कराता है इतने

समीर : ह्म अबे धीरे बोल पीछे कुली भी चल रहे है मैं जानता था तू इसी प्लॅटफॉर्म पे उतरेगा....आंटी ने सबकुछ बता दिया

आदम मुस्कुराया सच में उसकी माँ अंजुम भी बड़ी तेज़ है...खैर उसे दिल्ली आके ये सर्प्राइज़ पसंद आया था...समीर ने कार की डिकी खुलवाई और उसमें कुली को अहेतियात से सामान रखने को कहा...आदम पे करना चाह रहा था पर समीर ने मना कर दिया...आदम सिर्फ़ मुस्कुराया

दोनो गाड़ी में सवार होके स्टेशन से घर की ओर निकल पड़े....समीर ने ए सी ऑन कर दिया जिसकी ठंडी हवा से दोनो ही बाहर की चिलचिलाती गर्मी से अब राहत महसूस कर रहे थे....

समीर : और बता? क्या पुआ पकाया गाओं में?

आदम : कुछ नही बस थोड़ा सा फन थोड़ा सा बिस्तर गरम किया (आदम समीर के सामने खुल चुका था)

आदम उसे अपने टाउन की सारी स्टोरी बताने लगा...समीर चाव से सुन भी रहा था...फिर रूपाली के साथ रिश्ता टूटने की पूरी कहानी और वापिस दिल्ली आने की पूरी ब्यानात को सुनके समीर आदम की तरफ गंभीरता से देखने लगा...."यार तू भी ना? क्या ज़रूरत थी? बेहेन्चोद भाभी को प्रेग्नेंट कर दिया तबस्सुम दीदी तक को..और यहाँ अपनी माँ को अकेला छोड़ा जिसके लिए अब जाके तेरे दिल में हसरत उमड़ी साले तुझे चंपा जैसी औरत ही मिली थी अपना कुँवारापन खोने के लिए"......समीर ने आदम को सुनाते हुए कहा

आदम : हाहाहा अर्रे यार क्यूँ नाराज़ होता है? अब हर माँ तेरी माँ की तरह तो नही हो सकती ना

समीर ने गाड़ी थोड़ी फास्ट कर दी शायद उसे थोड़ा गुस्सा आ गया था..."मेरी माँ मुझे कभी भी उन निगाहो से नही देखती थी...पर याद रख औरत को मर्द का प्यार सच्चा दिखना चाहिए तभी वो अपनी पूरी ज़िंदगी उसके साथ बिताने का इरादा रखती है और ये ट्रूथ है कि मैने सोफीया को छोड़के किसी और की तरफ नज़रें उठाके नही देखा कभी भी नही".........आदम चुपचाप मुस्कुरा रहा था उसने समीर के कंधे पे हाथ रखा

आदम : जानता हूँ यार तेरा यही जुनून और दीवानगी ही तो तुझे सबसे यूँ अलग कर देती है

समीर : ह्म खैर अभी दोपहर है मेरे साथ थोड़ा टाइम स्पेंड कर फिर शाम तक घर हो लेना

आदम : अर्रे नही यार माँ इन्तिजार करेगी

समीर : आए हाए माँ इन्तिजार करेगी साले 1 साल तक तो उसके इन्तिजार को तूने कोई अहमियत नही दी अपना पानी पराई औरतो की बच्चेदानी में छोड़ता आया और बात करता है माँ के अकेलेपन और इन्तिजार की....देख मैने तेरी माँ से वादा किया है कि तू अब वापिस नही जाएगा

आदम : हां हां उनकी सेवा करूँगा और उन्हें बिल्कुल अपनी बीवी जैसा रखूँगा जैसे समीर रखता है अगर वापिस होमटाउन की तरफ रुख़ किया तो मेरी गान्ड पहले मेरा दोस्त मारेगा फिर बाद मे मेरी माँ से मरवाएगा

समीर : हाहहा साले तू भी ना (समीर और आदम दोनो ठहाका लगाए एकदुसरे के कंधे पे थापि मारते हुए हँसने लगे)
 
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समीर ने उसे घर तक ड्रॉप नही किया बल्कि उसे अपना ऑफीस दिखाने ले गया...दोनो जब 12थ फ्लोर पे लिफ्ट से पहुचे...तो समीर ने उसे अपनी फर्म दिखाई...जहाँ अनगिनत कॅबिन्स थे जिसमें सब टाइप के लोग काम कर रहे थे....सब समीर को देखके मुस्कुरा कर खड़े होने लगे...सबने आदम से भी हाथ मिलाया इस बीच आदम ने देखा कि मिनी स्कर्ट में खड़ी कुछ लड़किया और कुछ लॅडीस स्टाफ समीर को लालसा भरी छुपी नज़रों से देख रही है और आपस में कुछ बोलते हुए मुस्कुरा रही है....इतने में समीर आदम को अपने कॅबिन में ले आया

दो थम्स अप की कोल्ड ड्रिंक्स और कुछ रेफ्रेशमेंट रखता हुआ पीयान बाहर चला गया...आदम ने समीर को छेड़ा उन लॅडीस स्टाफ के लिए

समीर : ह्म बहुत लाइन देती है बट आइ डॉन'ट केर

आदम : तू किस मिट्टी का बना है यार? इतनी खूबसूरत जवान लड़किया तुझे किसने बोला शादी कर उनसे या घर बसा जस्ट डू सम फन दट'स ऑल

समीर : आदम यार तू मुझे भूल गया क्या? मैं अब भी दीवाना हूँ खूबसूरती का जवानी का सेक्सी औरत का लेकिन वो सब गुण मुझे मेरी सोफीया पे बराबर दिखते है पहले वो ऐसी शायद नही थी पर अब मैने उसे ऐसा बना दिया है

आदम समीर की बात को सुन चौंक गया....समीर ने उसे केमरे में तस्वीरे दिखानी शुरू की उफ़फ्फ़ आदम का देखके पूरा औकात में खड़ा हो गया 8 इंच का...इस चीज़ को समीर ने भी डेस्क के नीचे सर झुकाए नोटीस कर लिया...वो सिर्फ़ मुस्कुराया....आदम ने देखा कि जिस औरत को उसने सिर्फ़ साड़ी में देखा था बिना मेक अप लुक के हमेशा देखा था.....वो आंटी अब एकदम हुष्ण की मल्लिका लग रही थी...

उफ्फ किसी में उसने दो फिते वाली घुटनो तक लोंग फ्रॉक जैसी टॉप पहन रखी थी लाल रंग की तो किसी में मिनी स्कर्ट और हाइ हील्स और उपर सिर्फ़ एक झिल्ली सी ब्रा पहनी हुई थी तो किसी में आज कल चले रहे फिते वाला ब्लाउस जिससे उनकी खुली पीठ और आगे का खुला गला और क्लीवेज सॉफ दिख रहा था...हर लुक में उन्होने चेहरे पे अनगिनत मेक अप किए हुए थे और हर पिक में उनके बाल एकदम खुले हुए थे तो किसी में स्टाइल किए हुए...

समीर : हर महीने ब्यूटी पार्लर भेजता हूँ पेडिक्टीयर,वॅक्स,थ्रीडिंग,फेशियल और जो दुल्हनो को सजाते है चेहरे पे जो मेक अप किया जाता है वो हर महीने करवाता हूँ जब फॅंटेसी ज़्यादा वहाँ काटती है (समीर का इशारा अपने लिंग पे था)

आदम हर तस्वीर को उलट पुलट के बार बार आँखो से सैक रहा था...उफ्फ उसे सॉफ सोफीया आंटी के फिगर का अंदाज़ा लग रहा था

आदम : तूने माँ को क्या बना दिया बे?

समीर : वो मेरी खून है मुझे उसने जनमा है बस बेटे और पति दोनो का फ़र्ज़ निभा रहा हूँ इतना तो डॅड ने भी नही तय्यार किया होगा उन्हें हाहाहा

आदम : पर यार कसम से तेरी माँ ग़ज़ब की हॉट लग रही है हर पोज़ में

समीर : मैं ही शॉपिंग करवाता हूँ ना ड्रेसस भी मैं अपनी ही पसंद करता हूँ उन्हें तो साड़ी और सलवार कमीज़ के अलावा कोई आइडिया भी नही था हां जीन्स पहनवाना कम कर दिया क्यूंकी 38 इंच की कमर और हिप्स कुछ ज़्यादा ही लोग नोटीस करने लगे थे आइ डिड्न'ट लाइक दट दा वे दा सॉ माइ मोम

आदम : कूल डाउन मॅन लेकिन क्या तेरी माँ को ये सब करने से ऐतराज़ नही होता?

समीर : अब उसके दिल में मैं उसके पति से भी ज़्यादा बर्कर हूँ वो तो खुद ही कहती है इतना खर्चा तो आजकल के लौन्डे भी लौन्डियो पे नही करते और मैं तो उसे इतना सजाता सवार्ता हूँ ब्यूटीशियन हमारी जानने वाली है इसलिए वो नोटीस नही करती कि मेरी माँ इतना मेक अप काहे करती है

आदम : उफ्फ वाक़ई वैसे सच में तुझे तेरी माँ से कोई भी अलग नही कर सकता

समेर : अब माँ नही उसे सोफीया जी कह उनकी उमर ही क्या हुई है? महेज़ 40...और वो अब मेरी होने वाली बीवी है

आदम : क...क्या ?

समीर : हां साले तूने तस्वीर में नही देखा वो रिंग देख डाइमंड का है गौर से देख (आदम ने फिर तस्वीर को गौर से देखा उसकी निगाह समीर की माँ सोफीया की उंगली पे गयी सच में उन्होने एक अंगूठी चमकीली सी पहन तो रखी थी पर गौर से मालूम चल रहा था)

आदम : साले कब की एंगेज्मेंट तूने? किसी को मालूम तो नही चला

समीर : करवा चौथ के दिन

आदम जैसे एकदम हक्का बक्का सा रह गया...क्या सिर्फ़ उसके ही मन में चल रही वो फॅंटेसी थी अपनी माँ अंजुम के लिए....लेकिन उससे भी दो कदम आगे समीर था जो इतना कर गुज़र गया था...रिश्तो की सीमा उसने अपने दीवानगी और जुनून भरी मुहब्बत से लाँघ दी थी...आदम के मुँह से कोई बोल ना फूटा

समीर : वैसे अंजुम आंटी भी काफ़ी मस्त है मोम ने उनकी साथ में सेल्फिी ली थी यह देख (आदम ने अपनी माँ और सोफीया की माँ को एकसाथ पाया सच में ऐसा लग रहा था दोनो बहने हो)

समीर : आंटी लेकिन कर्वी बॉडी की है कमर शेप में है और पूरी 20 साल की कुँवारी लड़की जैसा खुद को मेनटेन कर रखा है वाक़ई साले मुझे तो अपनी माँ को जिम भेजना पड़ जाएगा पर तेरी माँ तो कुद्रती ऐसे शरीर की मालकिन है अच्छा तो तूने क्या फ़ैसला किया? माँ के लिए जो तूने ये नया नया फॅंटेसी उठाया है बस दो पल की अयाशी के लिए है या फुल ऑन लाइफ के लिए

आदम : क्या कहूँ यार? तेरी माँ तुझसे जितनी क्लोज़ है उतना मेरी माँ भी बट प्राब्लम यह है कि वो अब भी शर्मो हया में है उन्हें झिझक तो होगी ही मुझे इस झिझक को तोड़ने में काफ़ी वक़्त लगेगा

समीर : एक बार किसी भी औरत का कॉन्फिडेन्स जीत लेगा ना वो तुझे खुद पे खुद राइड देने लगेगी ये तेरी माँ है इसे हर निगाह से देख तेरी जायदाद है और बेटा किसान को अपने खेत के किसी भी कोने में चलने के लिए किसी की इज़ाज़त लेनी नही पड़ती ना संकोच करना पड़ता है

आदम : ह्म बट यार आइ एम शॉक्ड कि आंटी और तूने माँ को बताया था मेरी?

समीर : पागल है क्या? मेरी सोफीया ने मुझे कसम दिया है कि मैं अपने अपनो तक को भी इस बारे में मालूमत ना चलने दूं कि हमारे बीच क्या कुछ हो रखा है? लेकिन तू फिकर ना कर शादी के दिन तू और आंटी होंगे मेरे साथ और मैं जानता हूँ अंजुम आंटी तय्यार भी हो जाएगी तेरे साथ एक नया रिश्ता जोड़ने के लिए

आदम : देखता हूँ एनीवे चल फिर मैं चलता हूँ तू काम कर

समीर : पागल है क्या? मैं यहाँ काम करने थोड़ी ना आया हूँ चल साथ चलते है वो तो फर्म दिखाना था तुझे वरना अब तक घर में होता

आदम : अच्छा चल

समीर और आदम दोनो समीर के फर्म से निकल लिए...रास्ते में आदम के सामने ही समीर ने गुलाब का फूल खरीदा एक गुच्छा आदम को भी दिया अपनी माँ को देने के लिए पर इस बार आदम ने पैसे चुकाए क्यूंकी वो आमादा हो गया था

जल्द ही समीर ने आदम की ज़िद में आके उसके घर तक ड्रॉप कर दिया...उसके बाद उसने वादा लिया कि आदम उसके घर दावत पे आएगा...आदम ने हामी भर दी...समीर ने उसे आँख मारते हुए कहा "चलता हूँ फिर मेरी बीवी मेरा इन्तिजार कर रही होगी".....इतना कह कर उसने फ़ौरन गाड़ी को बॅक करते हुए वापिस मेन रोड की तरफ मोड़ दिया...गाड़ी के दूर जाते ही आदम मुस्कुराया सच में समीर बिल्कुल नही बदला था

वो अपने घर आया और घंटी बजाई....आदम इन्तिजार की घड़ी में लगभग खड़ा था...तभी दरवाजा खुला और सामने टाइट सूट पहनी अंजुम सामने आई...उसने आदम को देखा और लगभग उसके गले से लिपट गयी....वो आदम के पहले चेहरे को पकड़े माथे को चूमि फिर उसके गाल को...आदम को उस वक़्त अंजुम के छूने से अज़ीब सा महसूस हो रहा था उसने भी आगे बढ़के अपनी माँ की पीठ पे कमर पे सूट के उपर से ही हाथ लपेट लिया

अंजुम : ओह आदम उफ्फ तूने कितना वक़्त लिया आने में (अंजुम ने लगभग रोते हुए आदम की ओर देखा)

आदम : प्लीज़ माँ अब रो मत मैं आ गया हूँ ना

अंजुम : उफ्फ मेरा बेटा चल अंदर आ बाहर गर्मी में क्यूँ खड़ा है? उफ्फ दिल्ली में बहुत गर्मी पड़ रही है

आदम काफ़ी महीनो बाद वापिस लौटा था घर इसलिए उसे घर थोड़ा अलग सा लग रहा था....अंजुम ने उसके लिए ठंडा ठंडा रूहफ्जा शरबत बनाया....आदम ने ग्लास खाली करते हुए अंजुम की तरफ मुस्कुराहट भरी नज़रों से देखा

अंजुम : और बता? कैसे आना हो गया तेरा?

आदम : ह्म बातें तो बहुत है माँ लेकिन एक बात बताओ समीर को कहने की क्या ज़रूरत थी? आप तो जानती हो वो इतना पागल है एक झटके में कुली गाड़ी सब करके आ गया वो मुझे पिक अप करने

अंजुम : हाहाहा बेटा मुझे तेरे गुस्से से बेहद डर लगता है अगर उसे ना बोलती तो दिल बेचैन रहता शायद तेरे बाबूजी को ही कह डालती

आदम : तुम ना एनीवे बाबूजी कहाँ है?

अंजुम : वो दो दिन के लिए जयपुर गये है उन्हें पता होता तो अभी घर पे तेरा स्वागत करने बैठे होते
 
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आदम को वापिस अपने घर आके बहुत अच्छा लगा वो लगभग होमटाउन के सारे वाकियात को भूल गया था...उसने अपनी माँ की तरफ एक बार नज़र दौड़ाई जो पहले काफ़ी हसीन लग रही थी...आज उसकी माँ का बदला रूप उसे दिख रहा था क्यूंकी आजतक उसने माँ को सिर्फ़ माँ की नज़रों से देखा था पर आज वो उसे किसी सुंदर महिला सी दिख रही थी....आदम ने गौर किया तो पाया उसकी माँ के बदन से पसीने की महेक आ रही थी..कपड़े बदन के पसीने से गीले होके एकदम चिपक गये थे

माँ : रुक मैं तेरे लिए बहुत कुछ बनाई हूँ रुक ज़रा किचन से लेके आती हूँ फिर तू बताना कैसा लगा? अच्छा (इतना कह कर अंजुम किचन की तरफ जाने लगी)

आदम ने अपनी माँ को जाते हुए पीछे से देखा...तो पाया पसीने से उसका पीछे से जंपर भी काफ़ी हद तक गीला होके बदन से चिपक गया था जिससे उसकी गोल गोल नितंबो की शेप वो आसानी से देख सकता था...पाजामा और जंपर गीला होने से लगभग उसके नितंबो के बीच फँसा हुआ था जिसे देखके आदम की फिर हसरतों ने ज़ोर मारना शुरू कर दिया...

आदम किचन में आया तो वाक़ई वहाँ काफ़ी गर्मी थी...आदम तौलिए में था....वो ऐसे ही मज़ाक मस्ती में माँ के पीछे बिल्कुल चिपक गया और उसके पेट पे दोनो हाथ से उसकी निकली तोंद को बाहर जंपर से ही दबाने लगा....माँ थोड़ी शर्मा गयी

अंजुम : क्या कर रहा है? गुदगुदी हो रही है चल छोड़ जा मुँह हाथ धो पूरे दिन नहाया नही है बगल से महेक आ रही है तेरी

आदम : माँ सोचा थोड़ा हेल्प कर डून तू भी तो पसीने पसीने हो रखी है लगता है अभी तूने रात का खाना तक बना दिया है (आदम ने चारो तरफ बर्तन में सब्ज़ी और तरकारी को देखते हुए कहा)

अंजुम : हां रे तेरे पसंद का बेगन का भरता और गाढ़ी दाल बनाई है बहुत अच्छा लगेगा तुझे

आदम लगभग माँ के पीछे के थोड़े खुले गले वाली जंपर से उसकी गर्दन से बहता पसीना देखने लगा और उस पर अपना हाथ रखा तो उसका हाथ गीला हो गया उसे माँ की पीठ पे यूँ हाथ रखके अच्छा लग रहा था..लेकिन माँ को ऐसा लग रहा था जैसे उसका बेटा इतने सालो बाद आके शायद उससे बच्चों की तरह शरारत कर रहा हो

उसने हल्के से अपने लिंग को तौलिए के उपर से ही माँ के जंपर को हल्के से उठाए उनके जिस्म से चिपकते ही उनके नितंबो के बीच पाजामे के ठीक उपर से ही रगड़ दिया....माँ अपने काम में मशरूफ थी लेकिन उसे बेटे की चुभती चीज़ का अहसास हुआ तो उसने लजाते हुए बेटे को थोड़ा दूर धकेला

अंजुम : जा अभी तंग मत कर तू कब सुधरेगा जा तेरा नुन्नु लग रहा है मुझे तेरे चिपकने से

माँ की बात सुनके आदम को थोड़ी शरम सी महसूस हुई...लेकिन वो जानता था माँ अपने बेटे से फ्रॅंक थी इसलिए वो ऐसे उसे खुले शब्दो में कह डालती थी...आदम को काबू करना खुद पे मुस्किल होने लगा इसलिए वो किचन से निकला और नहाने घुस गया उसे अपने खड़े लिंग पे काफ़ी ठंडा पानी डालना पड़ा था फिर फारिग होके गुसलखाने से निकलने के बाद रात को माँ-बेटे ने मिलके साथ रात का भोजन किया...

रात करीब डेढ़ बजे तक हम माँ-बेटे तब जाके सोए...वैसे तो माँ को देर रात सोने की आदत थी और मैं भी कुछ वैसा था...हम दोनो देर रात तक गप्पे लगाते रहते थे...खैर माँ तो करवट बदल आँखे मुन्दे सो गयी पर मुझे आँखो में नींद नाही आई..मैं खुले बदन सो रहा था सिर्फ़ एक पाजामा था जो मैं रात को एक बार नहा कर पहन लेता हूँ...मेरे ढीले पाजामे के अंदर हल्का सा मैने अपना हाथ लाके लंड को मुट्ठी में लेके दबाना शुरू किया...दूसरी तरफ माँ के फिगर को कपड़ों के उपर से ही गौर करने लगा

उफ्फ इतने दिनो से जिस औरत को मैं तस्सवर कर रहा था आज उसके साथ एक बिस्तर पे मैं वापिस सो रहा था....काश माँ मेरी फीलिंग्स को अपनी बहन यानी मेरी ताहिरा मौसी की तरह समझ लेती तो ये बीच की दूरिया कब की मैं मिटा देता? फिलहाल तो मुट्ठी मारने का मन किया क्यूंकी पिछले कुछ दिनो से मूठ नही मार पाया था..

मुझे अहसास हुआ मेरा 8 इंच का लंड पूरा अपनी औकात पे खड़ा पाजामे के सिरे को उपर उठाए काफ़ी हद तक सीधा खड़ा है...उस वक़्त लाइट ऑन होती या मेरी ओर करवट किए होती तो मेरे फूलते पाजामे को वो देख लेती...पर मैं बिना परवाह किए अपने लंड को सहलाए जा रहा था....बीच बीच में सुपाडे के छेद को कुरेद रहा था...मुझमें उत्तेजना बढ़ गयी मेरा दिल धक धक करने लगा

मैने पाजामा नीचे घुटनो तक कर दिया और समीर की बात और मोम-सन की ब्लूफिल्म वाले सीन्स को याद करने लगा...मेरा लंड एकदम खड़ा मिज़ाइल की तरह जैसे फूँकार रहा था...मारे उत्तेजना में मैने आँखे बंद कर ली थी और अपना एक हाथ अपने गुदा द्वार के पास ले जाके छेद में उंगली करने लगा....ऐसा करने से मेरा लंड और भी टाइट हो गया और अब सुपाडे के छेद पे उंगली रखते ही मुझे प्री-कम का अहसास हुआ

इतने में ना जाने क्यूँ? मैने आँखे खोली तो पाया माँ मेरी तरफ करवट ले चुकी थी और अचानक से उसका हाथ मेरे पेट पे आ गया...मैं भूल गया था कि वो मुझसे अलग होके नही सोती थी इस उमर के पड़ाव में भी वो बचपन की तरह आज भी मुझसे चिपक के सोती थी...मैं डर गया और मेरा हाथ लगभग उनकी कमर पे हाथ लपेटने से वही ठहर गया...मैने बड़ी अहेतियात से पाजामा उपर कर लिया पर पाजामे से ढका मेरा बॅमबू मुझे कहाँ सोने देता? वो माँ के छूने से मेरे बदन को और भी मारें उत्तेजना में हिलोरे मारने लगा था

इतने में माँ बड़बड़ाती सी हुई मेरी टाँगों पे एक टाँग चढ़ाए मुझसे एकदम लिपट कर सो गयी..उसका सर मेरे सीने पे था...अफ माँ के गरम बदन के अहसास से ऐसा लग रहा था वैद्या जी की दी दवाई भी फैल हो गई क्यूंकी मेरा लंड बहुत ज़्यादा उत्तेजित हालत में था और ऐसा लग रहा था कि अभी अपना लावा उगल देगा

मैने भी माँ की कमर पे हाथ रख दिया और उससे लिपट गया....मुझे उसकी छाती और तोंद निकली पेट अपने बदन पे टच होने से सॉफ महसूस हो रही थी..उसकी गरम साँसें मेरे गले पे लग रही थी...खैर माँ को वैसी हालत में पकड़े मैं आँखे मूंद चुका था....अचानक माँ को क्या सूझा? और वो लगभग जागते हुए मेरे गालों पे एक एक चुम्मि देके मेरी ओर अपनी पीठ करते हुए दूसरी ओर करवट ले ली

अब उसकी पीठ और नितंब मेरी तरफ थे पर कपड़ों में थे इसलिए देखना मुस्किल ही नही नामुमकिन था...सोचा शाम वाला तरीका दुबारा आज़माया जाए...लेकिन दोस्त उसके नितंबो के बीच लिंग रगड़ने से ही मेरा निकल जाता जो पाजामे से लेके उनके कपड़े को खराब कर डालता..इसलिए बस मैं यूही लंड को अड्जस्ट किए उनसे लिपटके उसके कपड़ों के उपर से ही पेट के हिस्से पे हाथ रखके उनसे लगभग लिपटे सो गया

आदम अगली सुबह जब उठा तब उसे अपनी जाँघ और तल पेट पे कुछ चिपचिपा महसूस हुआ उसने पाजामे की तरफ देखा तो पाया कि उसके प्यज़ामे पे गोल सा गीला धब्बा बन गया था पाजामे के भीतर लंड से कबका रस निकल चुका था जो एक लार की तरह अब भी पाजामे को गीला किए चिपका हुआ था...उसने लंड को हाथो से मसल लिया तो उसका हाथ भी चिपचिपा सा हो गया...उसे अहसास हुआ कल माँ के साथ सोए रहने से ही उसे नाइटफॉल हो गया था...

उसने उठके बाथरूम में आके सुबह 7 बजे ही नहा लिया हालाँकि उसे बड़ी कस कर नींद लगी हुई थी...पर उसे नापाक अच्छा नही लगता था....सुबह बेटे को नाश्ता कराने के बाद बाथरूम में जब अंजुम आई तो उसने बाल्टी के पास बेटे का गीला पाजामा पाया...उसने बेटे से कुछ पूछा नही उसे मालूम था शायद उसे शीघ्रपतन फिर हो गया था....वो जानती थी बेटा जवान हो रहा था तो ऐसी चीज़ें होना आम था..

वो बिना सोचे पेशाब करने के बाद उठके उस पाजामे को पानी से भरे टब में डाले अपने कपड़ों के साथ बाहर धोने के लिए ले गयी...वो जब उसे खंगालते हुए धो रही थी उसका चिपचिपापन कुछ कुछ उसके हाथो में लग गया उसने सॉफ देखा कि बेटे का वीर्य पहले गाढ़ा हो गया था और पीला पीला सा भी...ना जाने क्यूँ उसने एक बार पाजामे के धब्बे पे अपनी नाक को लाके सूँघा तो उसे बेहद अज़ीब सी बिसन सी गंध महसूस हुई वो वीर्य की महेक जानती थी....उसे मालूम चला कि उसका बेटा अब पूरा जवान हो चुका है फिर उसने अपने कपड़ों के साथ उसकी धुलाई भी कर दी लेकिन उसे पाजामा सॉफ करने में काफ़ी कठिनाई हुई क्यूंकी वीर्य पूरी तरीके से रगड़ के भी नही निकल रहा था...

"बेटा मैं नहाने जा रही हूँ"....माँ अंदर अपने गीले कपड़ों में ही बाथरूम में नहाने जाते हुए बोलती है

"म..माँ वो मुझे ज़ोरो की टट्टी लगी है क्या मैं पहले हो आउ? पूरे दिन हुआ नही शायद दिल्ली आते ही कॉन्स्टिपेशन का प्राब्लम बढ़ गया"........दोपहर वैसे ही चढ़ रहा था माँ थोड़ा नाराज़ सी हुई

"अच्छा ठीक है तू जल्दी होके आ उफ्फ बेटा तुझे भी वक़्त नही मिला जा जल्दी होके आ पहले".......माँ के झल्लाए स्वर में आदम जल्दी तौलिया लपेटे भागता हुआ अंदर बाथरूम में घुस गया
 
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यहाँ मैं आप लोगो को बता दूं...कि आदम अपने गंदे कपड़े माँ के कपड़े धोने के टाइम ही उन्हें दे दिया करता था...जिस वजह से वो दूसरा कपड़े ना पहन्के सिर्फ़ टाँगों के बीच एक तौलिया बाँध लेता था...माँ को बेटे के नंगे रहने से क्या शरम हो सकती थी पर आज आदम के दिमाग़ कोई और खुरापाती आइडिया चल रहा था...

वो तौलिए के अंदर ही अपना ब्लॅकबेरी मोबाइल अंदर बाथरूम में चुपके से ले आया था...माँ आँगन की सफाई करने चली गयी थी...इसलिए आदम ने लेटरिंग के बहाने बाथरूम का अच्छे से मुआयना किया...और फिर उसे साबुन रखने के तख्ते के ठीक सबसे उपर वाली जगह में अड़ा के रख दिया...उसने मोबाइल का कॅमरा ऑन कर लिया था मेमोरी कार्ड खाली था इसलिए उसमें काफ़ी देर तक का वीडियो रेकॉर्ड हो सकता था...पर प्राब्लम थी कि कहीं बीच में मोबाइल पे माँ की नज़र ना पड़ जाए

आदम बाहर को आया उसने झूठमूठ के हाथ धोए....और वापिस अपने कंप्यूटर पे आके बैठ गया...मोबाइल ऑन था रेकॉर्डिंग चल रही थी...आदम ने देखा माँ ने सिर्फ़ जंपर पहन रखी थी नीचे से उनके झुकते वक़्त उसे उनकी ब्राउन पैंटी दिख गयी अफ उनके जांघों के पास थोड़े बाल उगे थे...लेकिन टाँगें एकदम गोरी थी...वो जानता था जांघों से भी ज़्यादा बाल उसकी टाँगों के बीच होंगे जो इस वक़्त गीली पैंटी से ढके हुए है

माँ झाड़ू एक जगह रख वापिस उठी...तो इस बार मेरी उनके गीले जंपर के सामने निगाह उठी...उनके पेट की नाभि और छातिया सॉफ गीले जंपर से उभर कर दिख रही थी....अगर अंदर ब्रा ना होती तो कसम से उनके निपल्स सॉफ दिख जाते

खैर माँ बाथरूम में अपने गीले पहने कपड़ों के साथ घुस गयी....फिर अंदर नल चलने की आवाज़ आई....करीब कुछ देर तक माँ का नहाना चल रहा था...और इधर बेटा पीसी पे लगी एक सेक्सी माँ बेटे की ब्लूफिल्म देख रहा था जिसमें माँ बेटे का मोटा लंड अपने झान्टेदार चूत में ले लेके चुद रही थी...आदम मूठ मारता रहा

अचानक बाथरूम की कुण्डी खुलने की आवाज़ हुई...आदम ने फ़ौरन अपने मोटे लंबे लंड को तौलिए के भीतर दबाया और टाँगें खोली मुद्रा में कुछ देर वैसे बैठा रहा....उसने पीसी झट से ऑफ कर दिया था....माँ तब तक तौलिया लपेटी अपने गीले बदन पे बाहर निकली....उफ्फ वो किसी 25 साल की सेक्सी लौंडिया जैसी लग रही थी कारण उनका फिगर कुछ कुँवारी लड़कियो जैसा वेल-मेंटेंड था

आदम ने देखा उसकी माँ बिना उससे परदा किए सिर्फ़ एक गीली तौलिया लपेटे बाहर निकलके आ गयी थी...उसने सॉफ पाया माँ ने कांख के बाल सॉफ नही किए थे क्यूंकी वो बहुत ज़्यादा उगे हुए थे...तौलिया छातियो के उपर से लेके माँ ने घुटनो के उपर तक बाँध रखी थी इसलिए चुचियो के कटाव सॉफ उभरे हुए दिख रहे थे...उफ्फ माँ की दाई छाती के उपर एक काला तिल था जो बहुत सेक्सी लग रहा था..

"जा अब ऐसे क्यूँ बैठा हुआ है? जल्दी नहा ले फिर साथ खाना खाएँगे?"....इतना कहते हुए माँ अलमारी खोल अपने पहनने वाले कपड़े निकालने लगी....उस वक़्त उनके हाथ में जो आ रहा था वो उसे बिस्तर पे रखते जा रही थी जिनमें उनके पहले अंडरगार्मेंट्स थे

उन्होने काली ब्रा और नीले रंग की पैंटी निकालके पहले रखी उफ्फ मेरा तो देखके ही खड़ा हो रहा था...मैं तब तक बाथरूम में जाने लगा...एक पल को सोचा माँ को चेंज करते हुए भी देख लून पर शायद माँ को आभास हो जाता फिर भी एक बार पीछे मूड कर कमरे में झाँका तो पाया माँ ने अपनी छातियो पे बँधे टवल की गाँठ खोल दी थी और उसे दोनो हाथो में लेके अपने बदन से अलग करके लगभग हाथो में लिए फैला दिया था उफ्फ अगर सामने से देख सकता तो उनका पूरा नंगा बदन मेरे सामने होता

खैर मैने तौलिया लिए अपने खड़े लंड को हाथो में सहलाया बाथरूम में आया...कुण्डी लगाई और तख्ते से मोबाइल उठाया गनीमत थी कि रेकॉर्डिंग अब तक 38 मिनट तक की रेकॉर्ड हो चुकी थी..मैने वीडियो रेकॉर्डिंग स्टॉप की..फिर उसे दुबारा प्ले किया....करीब 10 मिनट बर्बाद हुए वीडियो की स्टार्टिंग में फिर उसके बाद माँ बाथरूम में आ गयी कुण्डी लगाई और अपने गीले कपड़े खोलने लगी

उफ्फ उन्होने अपने हाथ उपर उठाए जंपर को अपने बदन से अलग किया तो कांख के बाल पहले दिखाई दिए उफ्फ उन्होने बाथरूम की लाइट जला दी थी इसलिए उनका वीडियो पूरा सॉफ था...वो नल चलाते हुए अपनी ब्रा और पैंटी को उतारने लगी अब मेरे सामने उनके लटकती चुचियाँ दिखाई पड़ी फिर उन्होने पैंटी को दोनो उंगली डाले पाँव तक उतारते हुए जैसे टाँगों से निकाल फैका तो पाया कि उनकी टाँगों के बीच झान्टो का भंडार था उफ्फ इतनी लंबी लंबी काली झान्टे थी माँ ने अपने उपर पानी डालना शुरू किया फिर अपने कांख के बालों पे साबुन घिसते हुए फिर अपने पूरे शरीर पे साबुन मलने लगी इस बीच माँ केमरे की तरफ पीठ कर लेती है जिस वजह से मुझे उनके गोल गोल चूतड़ सॉफ दिखाई देते है
क्या सावले उभरे हुए नितंब थे जिनकी गोलाइया भी हॅंडबॉल साइज़ की थी....अफ काश एक दबाने को मिल जाए?....यही देखते देखते मैं अपने लंड को भी मुठिया रहा था...माँ ने अब अपनी झान्टे दार चूत में टाँगों को फैलाए साबुन मलना शुरू कर दिया....हम साबुन एक ही उसे करते थे अब तक शायद मुझे मालूम नही चला पर शायद माँ की चूत की महेक उसमें समा गयी होगी मैं साबुन भी एक हाथ में लेके सुघने लगा...और अपने लंड पे उसे घिसने भी लगा...उफ्फ माँ का पूरा बदन साबुन के झाग से सरोबार था....माँ ने साबुन को ले जाते हुए अपने गीले नितंबो के बीच भी रगड़ना शुरू कर दिया...और उसी बीच मुझे माँ की उभरी नितंबो की गोलाईयों की फांके दिखने लगी

माँ का छेद काला होने से दिख नही रहा था...पर उसमें लगी साबुन का झाग बराबर दिख रहा था...माँ अपनी गान्ड और पीठ को हाथो से रब करके उसका शायद मेल छुड़ा रही थी माँ ने अपने पूरे बदन को अच्छे से साबुन से रगड़ते हुए शवर ऑन कर दिया उफ्फ माँ की गोल गहरी नाभि और निकला तोंद काफ़ी सेक्सी लग रहा था वो अपनी झान्टेदार चूत के भीतर शायद हाथ घुसा घुसा कर उसे भी सॉफ कर रही थी उसने अपने दोनो छेदों को बराबर सॉफ किया और फिर नहाने से फारिग होते ही अपने गीले नंगे बदन पे तौलिया लपेटने लगी....उफ्फ इस बीच मैने गौर किया तो माँ के निपल्स मुझे एकदम सख़्त महसूस हुए जो मोटे ब्राउन से थे...माँ वैसे ही बदन को पोंछते हुए बाहर निकल गयी कुण्डी खोल कर
 

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ये सब देखके कब मैने माँ के नाम की मूठ मारके अपना लावा निकाल दिया था मुझे मालूम नही बस गाढ़ा गाढ़ा चिपचिपा वीर्य मेरी माँ के शरीर को देखके निकले जा रहा था...मैने मोबाइल तख्ते पे रख दिया नाहया और बाहर मोबाइल के साथ निकल गया....हम माँ-बेटे ने मिलके लंच किया उसके बाद माँ थोड़ा सुस्ताये लहज़े में बोली कि उसे नींद आ रही है वो सोएगी...वो सोने बेडरूम चली गयी मैं वापिस पीसी पे माँ के बनाए वीडियो को मेमोरी कार्ड से निकाल कर उसमें देखने लगा...

फिर मेमोरी कार्ड निकाल कर वापिस से मोबाइल का मेमोरी कार्ड मोबाइल में फिट कर दिया..ताकि माँ जो बार बार मेरा मोबाइल चेक करती है उसे मिल ना जाए...खैर ये वाक़या सिर्फ़ उस दिन का था..लेकिन धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी माँ से खुले शब्दो में जैसे गाली गलोच डबल मीनिंग के रूप में बात करना कोई गंदा जोक सुनाके हंस देना...मतलब मैं माँ को पूरा खोलने के मूड मे था...पर वो माँ थी बेटे और उसके बीच एक परदा था जिसकी वो अब भी रेस्पेक्ट करती थी लेकिन वो परदा मैं शायद अब ज़्यादा दिन तक रखना नही चाहता था

माँ ने भी बेटे की हरकतों को नोटीस करना शुरू कर दिया था...उसने देखा कि आजकल बेटा बार बार उसे बगलो में उगे बालों के लिए टोकता है उसका मज़ाक उड़ाता है तो कभी उसके पेट की स्ट्रेच मार्क्स की बात कह डालता है तो कभी बॉडी शेविंग ब्लेड माँ से लाने को कहता है वो धीरे धीरे माँ से खुल रहा था दो दिन बीत गये बाबूजी आ गये पर बेटे की हिम्मत ज़रा सी भी कम ना हुई थी...हालाँकि पिताजी आदम को देखके काफ़ी खुश हुए थे कि उनका बेटा लौट आया है पर आदम कतरा रहा था कि कहीं उन्हें उसकी होमटाउन की नौकरी छोड़ देने वाली बात ना मालूम चल जाए...

पर धीरे धीरे माँ ने अपनी ममता के लिए बाबूजी से बात की और उन्हें समझाया...पिता ने बेटे को अगले दिन समझाया कि कोई बात नही जो हुआ सो हुआ वो अब यही ज़िंदगी गुज़ारे हो सके तो 2 साल और पढ़ ले...पर बेटे का कहाँ मन लगने वाला था? वो तो पहले से ही कामवासना की विद्या पढ़ चुका था उसकी हसरत अब सिर्फ़ चुदाई थी और उसका शौक भी अब घर के भीतर ही अपने माँ को पटाने में था...फिर भी उसे खुशी थी बाबूजी सपोरटिव हो गये थे

लेकिन फिर वोई हालत कि घर में कलेश फिर शुरू हो गयी....और अंजुम और उसके पति में काफ़ी झगड़ा होने लगा...बेटा माँ को झगड़े के बाद समझाने की पूरी कोशिश करता था जिस बीच माँ बेटे से क्लोज़ हो जाती उसे लगता इस दुनिया में उसे समझने वाला सिर्फ़ उसका बेटा आदम ही था...और उसने सॉफ कह दिया था अपने पति को कि उसे अब किसी गैर मर्द की ज़रूरत नही उसको सहारा देने वाला उसका बेटा काफ़ी है...पर आदम इस बात को लेके कुछ ज़्यादा ही मज़ा महसूस करता था उसने अपनी माँ का विश्वास लगभग जीत लिया था...

उस दिन अंजुम बेटे की गैर मज़ूद्गी में हेमा से बात कर रही थी....उसने हेमा को बेटे में हुए बदलाव की खबर सुनाई और साथ साथ उसे आदम के बारे में कुछ अज़ाब सा बताने लगी जिसे सुनके हेमा को काफ़ी मज़ा आ रहा था

हेमा : क्या सच में तेरा बेटा कही तेरा आशिक़ तो नही हो गया? वो जिस तरीके की हरकत कर रहा है जैसा तू बता रही है? मुझे लगता है कहीं मेरी बात सच तो नही हो गयी

अंजुम : मुझे तो लगता है यह मेरा भ्रम है हेमा मेरा बेटा मुझे उस निगाह से क्यूँ देखेगा? मैं उसकी माँ हूँ...लेकिन अज़ीब तो लगता है आजकल उसमे सामने तौलिया पहने निकलते हुए शरम आती है वो मेरी जाँघो को मेरे छाती और गले को तो कभी मेरे पिछवाड़े को भी चोर निगाहो से घूर्रता है (कहते हुए अंजुम ने शरम से आँखे नीचे कर ली)

हेमा : हाहाहा लगता है तेरा बेटा तेरा ही दीवाना हो गया क्या पराए मर्द तेरे पीछे खीचें चले आएँगे ये तो घर का सयाना लौंडा ही अपनी माँ का आशिक़ बन गया है

अंजुम : लेकिन हेमा ये सब आदतें मुझे ठीक नही लगती तू एक काम तू तो उसकी माँ जैसी है वो तो तुझसे और भी ज़्यादा खुला हुआ है और तो और उसकी गंदी गंदी बातें मुझे ऐसा लगता है कि अपने होमटाउन से आने के बाद वो बिल्कुल बदल गया है

हेमा : अर्रे अंजुम मैं हर मर्दो को पहचान लेती हूँ और उसकी नुन्नि को तो मैने ही इन्ही हाथो से एक दिन धोया है एक बार तो उसकी गान्ड भी धोयि थी तू फिकर ना कर हो सकता है वो तेरी इतनी परवाह करता है जैसा तूने कहा कि वो तुझे मार्केट ले जाता है सब्ज़िया भी खुद धोके लाता है और तुझे एक बॅग भी उठाने नही देता तो हो सकता है उसका ये ख्याल करना ये अपनापन तेरे लिए खुशख़बरी हो

अंजुम : खुशख़बरी कैसी खुशख़बरी?

हेमा : देख तू चाहती थी ना तेरा बेटा तुझसे दूर ना रहे तो बस वो तेरे पास आ गया बस उसे जी तोड़ प्यार कर उसे किसी चीज़ की कमी होने मत दे और मेरी मान तो तुम दोनो दोस्त जैसे हो तो उसके अंतर मन को जानने की कोशिशें कर

अंजुम : मुझे लगता है कि वो टाउन में किसी लड़की से मुहब्बत कर बैठा है इसलिए शायद अपनी माँ को पटा रहा है ताकि उससे शादी कर सके मुझसे डरता है ना

हेमा अपने सर पे हाथ रखके उसकी मूर्खता पे सर हिला रही थी कैसी औरत थी अंजुम जो अपने बेटे की फीलिंग्स को समझ नही पा रही थी..हेमा लेकिन कुछ कुछ समझ रही थी इसलिए उसने भोली अंजुम को शान्त्वना दी कि आदम उसे और उसकी बहनों से मिल भी लेगा तो उसे आने को कह मेरे घर....अंजुम मान गयी....हेमा अब आदम से डाइरेक्ट खुद इस मामले में उससे बात करना चाहती थी...अंजुम को लगा कि उसकी सहेली हेमा उसके बेटे को शायद समझा देगी कि उसके दिल में क्या है? लेकिन अंजुम क्या जाने हेमा तो आदम और उसके बीच के रिश्ते को टटोलने की कोशिश रही थी
 
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