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Incest माँ को पाने की हसरत

Monster Dick

the black cock
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समीर आदम का मोबाइल हाथ में लिए मूठ रहा था आदम भी उसके साथ पॅंट नीचे किए दोनो साथ साथ अंजुम की बाथरूम वाली वीडियो को बड़े चाव से देख रहे थे...आदम को समीर का यूँ मस्त होते देखना देख मज़ा दिला रहा था....समीर पूरी वीडियो को देखते हुए खासकरके उसकी माँ की योनि और चुचियो को देखते हुए सिसक रहा था...उसने मोबाइल आदम के हाथ में दे दिया दोनो बेस्ट फ्रेंड थे इसलिए दोनो के बीच कुछ छुपा नही था

समीर : उफ़फ्फ़ कसम से यार आंटी बहुत सेक्सी है साले (समीर का चेहरा लाल था उत्तेजना में वो मदहोश स्वर में बोल उठा)

आदम : हां रे देख मेरा तो पूरी औकात में खड़ा है 3 महीने तक इस लंड की मालिश करवाई थी और देख कल से ही माँ की याद में कैसे झड रहा है?

समीर : कंट्रोल बेटा कंट्रोल यार कसम से आंटी तो मेरी माँ से भी सेक्सी है

आदम : पर तेरी माँ का देखके तो अच्छे अछो का पानी निकल जाए एक तू है जो उन्हें बाँध रखा है कसम से उनकी अंतर्वासना खुलते ही वो तो किसी हवस की भूकि शेरनी की तरह तुझपे टूट पड़ती होगी बिस्तर पे

समीर : मत पूछ साले इसी लिए कह रहा हूँ मत पूछ हमारी माओ की बात ही जुदा है खैर तूने यहाँ तक तो रास्ता नाप लिया...आगे का रास्ता तय करना कोई बड़ी बात नही देख लेना तू एकदिन अंजुम आंटी को अपने बिस्तर पे नंगा देखेगा बहुत जल्द ही

आदम : तेरे मुँह में घी शक्कर

समीर : पर उनसे मुहब्बत करना टूटके मेरे जैसा क्यूंकी औरत के साथ करने के बाद उन्हें दगा देना धोका देने से भी ज़्यादा गुनाहगारी कहलाता है

आदम : हां यार चल अब मैं घर चलता हूँ सोचा तुझे आज यह वीडियो दिखा दूं अब इसे डेलीट कर देता हूँ (आदम ने समीर के सामने ही वीडियो डेलीट कर दी)

समीर : ह्म चल ठीक है फिर ओके भाईजान मेरी शुभकामनाए

आदम : ह्म चल बाइ

आदम समीर के ऑफीस से निकल जाता है पीछे समीर अपने उभरे हुए पॅंट को ठीक करते हुया...ऑनलाइन शॉपिंग में अपनी माँ के लिए एक सेक्सी ब्लॅक निघ्त्य खदीद लेता है

उधर आदम जब घर पहुचता है तो उसकी माँ उसे खुश लगती है....पूछने पे बताती है कि वो आज ऐसे ही बेटे के अब यहाँ रहने से काफ़ी खुश है...आदम अभी मुस्कुराता ही है कि उसे माँ बताती है की उसकी सहेली हेमा उससे मिलना चाहती है आदम हेमा आंटी से मिलने को राज़ी हो जाता है....

"बेटा सवा 12 हो चुका है दोपहर सर चढ़ रहा है बेटा उठ भी जा अब कब तक ऐसे सोया पड़ा रहेगा".......जब आदम का सपना टूटा तो उसने पाया कि वो करीब 9 घंटे तक सोया पड़ा था अपने बिस्तर पे...

आदम आँख मसल्ते हुए उठा तो उसकी माँ उसे जगाके किचन में नाश्ता बनाने चली गयी...आदम ने वक़्त देखा सच में 12 बज चुके थे...एक वक़्त था कि वो सुबह सुबह जल्दी उठके नौकरी के लिए निकल जाता था पर आज एक वक़्त है कि माँ के हाथो का खाना और आलस्पन ने उसे काफ़ी स्लो कर दिया था...इतने में उसने ख्याल किया उसने समीर को वीडियो दिखाई थी उसने अपनी माँ के कमरे में दाखिल होते ही उसे पूछा

आदम : अर्रे माँ कल मैं समीर के यहाँ गया था क्या? आइ मीन कल घर से बाहर गया था

अंजुम : और लो ? एक तो साहेबज़ादे दोपहर के इस वक़्त उठ रहे है और पूछ रहे है मैं घर से निकला था कल? अर्रे उल्लू तू जबसे आया है गया ही कब है? वो तो समीर का आज सुबह ही तेरे फोन पे कॉल आया तो मैने ही उसे बताया कि तू जबसे आया है या तो पीसी पे बैठा रहता है या सोया पड़ा रहता है

आदम : मतलब कल मैं कहीं गया नही था? और आपसे हेमा आंटी ने मुझे बुलावा भेजा

अंजुम : बेटा तूने सपना देखा होगा हेमा का फोन आया ही कब है मुझे तेरे आने के बाद से और मैने कब बात किया उनसे तू सच में सपना ही देख रहा होगा अच्छा जल्दी उठ पड़ता खा और नाश्ता से फारिग होके कपड़े दे जल्दी से धो दूं

आदम : माँ तुम इतना काम क्यूँ करोगी मैं ही पोंचा लगा देता हूँ ना और झूठे बर्तन भी धो देता हूँ

अंजुम : वाहह माँ का बड़ा ख्याल है तुझे चल ठीक है लेकिन बाद में तेरे बाबूजी को मुँह ना मिले कि बेटे से माँ काम करवा रही है उन्हें पसंद नही कि मर्द होके तू घर का काम करे एक बार बहुत डांटा था मुझे और उन्हें तो बस मौका ही मिल जाएगा

आदम : अपनी माँ का हाथ बाटने में मुझे कोई प्राब्लम नही बाबूजी गये हुए है ना नौकरी पे तो कौन बताएगा उन्हें मैं या तू? चल तू झाड़ू मार दे मैं पोछा लगा देता हूँ

अंजुम : हां पहले नाश्ता तो कर ले बाबू

अंजुम ने प्यार से बेटे के बाल को सहलाते हुए दस्तार ख़ान बिछा कर बिस्तर पे ही नाश्ता लगाया...दोनो माँ-बेटा नाश्ता करने लगे...आदम को अहसास हुआ कि कल रात को ज़्यादा देर रात सोने के बाद से ही उसने ये सपना देखा होगा कि उसने समीर को वीडियो दिखाई थी अपनी माँ की...उसने अपना मोबाइल चेक किया सच में वीडियो तो अब तक डेलीट नही हुआ था....इसका मतलब सॉफ था कि महेज़ वो एक ख्वाब था

आदम को जैसा अज़ीब सा बुरा सा लगा उसने फ़ौरन वीडियो डेलीट कर दिया....माँ ने नाश्ते के वक़्त कहा कि हेमा तुझसे मिलने की ज़िद्द कर रही थी जब तू नही आया था एक बार अपनी बहनों से भी मिल लेना और हेमा आंटी से भी...आदम ने हामी भर दी कि वो आज शाम को अपनी माँ के साथ उनकी सहेली के यहाँ जाएगा

माँ कपड़े लेके गुसलखाने में घुस गयी...आदम पोछा लगाके फारिग हुया झट से पीसी ऑन करता है...उसकी फेव पोर्न्स्टार जूलीया अन्न की एक सेक्सी क्लिप उसे मिलती है जिसमें वो एक हबशी से चुद रही होती है....गौर करने पे पाता है कि उसका बेटा कमरे के बाहर से दोनो की चुदाई देखते हुए रो रहा था...वो अपने आँसू पोंछता है...बाद में सीन में दिखाया जाता है कि जूलीया अन्न एक ग़रीब विधवा औरत होती है जिसका पति के बाद गुज़ारा मुस्किल होता है उसके बेटे की स्कूल फीस भरने और बाकी घर के खर्चा निकालने के लिए वो अपने बाय्फ्रेंड से चुद रही होती है....बेटा इतना गिल्ट महसूस करता है कि वो अपने दोस्त को ये बात नही बताता है और उसका दोस्त सबकी माओ की चर्चा करता है उसे अहसास होता है कि कल्तक वो दूसरो की माओ की चर्चा करता था आज उसके घर उसकी अपनी माँ चुद रही थी उसे बेहद बुरा लगता है उसे महसूस होता है कि कल उसकी भी माँ उसके दोस्तो के बीच इस वाकिये के जानने के बाद चर्चित होगी उसे शर्मिंदगी होगी है और वो माँ का सामना करके उनसे सच्चाई जान जाता है और बढ़ते गिल्ट में वो घर छोड़ देता है...और माँ को भी अपनी मजबूरियो पे शरम और बेटे की मुहब्बत खोने की तक़लीफ़ होती है

इस क्लिप को देखते हुए मेरे अंदर भी कुछ ऐसे भाव आ गये थे कल तक मैं भी कितनी ही वासना भरी नज़रों से अपनी माँ को देखा करता था लेकिन मेरे ईमान ने मुझे जैसे झीजोडा था....नही मुझे अपनी माँ के लिए ऐसी चर्चा किसी से नही करनी चाहिए यहाँ तक कि अपने सबसे अज़ीज़ बेस्ट फ्रेंड समीर से भी नाहही...आख़िर ये मेरा और मेरी माँ के बीच का बेहद पर्सनल मामला था...हालाँकि समीर किसी को कुछ ना बताता लेकिन आज जैसा सपने में वो मेरी माँ को देखके मूठ मारा और मैं एक भद्वे बेटे की तरह लज़्ज़त महसूस कर रहा था

मैं भूल गया था कि माँ मुझे कितना मानती है? और मैं जो गुनाहगारी का काम कर रहा हूँ वो सब क्या था? रूपाली भी तो मेरी अपनी थी....जब उसे कल मालूम चला था मेरा और मेरी दूधमा मौसी का वाक़या तो कैसे उसने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया उसके दिल में मेरी इज़्ज़त कितनी कम रह गयी थी..नही आदम तू ये ठीक नही कर रहा? ना ही हेमा को पता चलने दूँगा ना ही अपने दोस्त को...किसी गैर को हमारे बीच के रिश्ते को जानने का कोई हक़ नही माँ सिर्फ़ मेरी है वो मेरी इज़्ज़त और घर की इज़्ज़त कभी बाहर नही उतारी जाती

आदम ने फ़ैसला किया कि वो अपनी माँ को अब हवस भरी निगाहो से नही देखेगा शायद ये खुदा का चमत्कार था या फिर आदम होमटाउन की हवस भरी ज़िंदगी से अब उठ चुका था.....आदम अपनी कशमकश में मगन था कि इतने में उसकी माँ जैसे तौलिया लपेटी अंदर आने को हुई तो उसने बेटे को पॉर्न फिल्में देखते हुए पाया...उसकी साँसें बंद हो गयी क्यूंकी स्क्रीन पे काफ़ी अश्लील तस्वीरे इधर उधर दिखाई जा रही थी जिसमें करीब उसके उमर की औरत जो कि अँग्रेज़ थी नंगी टाँग खोले अपनी गुप्तांगो को दर्शा रही थी

माँ को थोड़ा गुस्सा आया पर उसने पाया कि बेटा उसका जवान था हो सकता था? शायद उसे ये सब देखने की लत लगी थी...पर उसे बुरा भी लगा कि वो ऐसी फिल्में देखता है...उसने वापिस बाथरूम के पास जाके आवाज़ दी..तो सकपकाए आदम उठ खड़ा हुआ..."हां माँ जा रहा हूँ नहाने".....कहते हुए आदम ने फ़ौरन पीसी ऑफ किया और गुसलखाने में माँ के बगल से गुज़रता हुआ नहाने घुस गया....माँ ने उसे कुछ नही कहा...उसने सोचा इस बारे में उससे वो फारिग होके बात करेगी..वो अंदर कपड़े पहनने चली गयी लेकिन उसका दिल उन अशील नंगी औरतो को जिसे उसका बेटा देख रहा था याद करते ही दिल ज़ोरो से अंजुम का धड़कने लगा था...

अंजुम बेटे की थाली में तरकारी और चावल डालते हुए उसे बार बार देख रही थी....आदम ने नोटीस किया कि माँ उसे गौर कर रही है पर उसे नॉर्मल लगा फिर मन में आया शायद माँ के दिल मे कोई सवाल उमड़ा हो

अंजुम : ह्म अच्छा आदम तू क्या देख रहा था उस वक़्त? (माँ ने एकदम से कड़क के आदम से सवाल किया जो नीवाला आदम मुँह में लेने ही वाला था उसने उसे वापिस थाली पे रख दिया वो एकदम चुपचाप सेहेम सा गया)

आदम : म..मा मैं क्या देख रहा था?

अंजुम : देख बेटा तेरा मुझसे कुछ छुपा नही है तू ब्लू फिल्म देखता है ची ची

आदम : म..आ वो (आदम को जवाब नही मिल रहा था उसकी हकलाहट ही उसके सच्चाई को उभार दे रही थी)

अंजुम : देख आदम मेरा तेरे पिताजी से 10 साल तक कोई संबंध नही रहा है और मैं तुझसे छुपाउंगी नही तू आज कल का बच्चा है और तू सबकुछ जानता है शायद मुझसे भी ज़्यादा जानता होगा ये सब देखके तुझे कैसे अच्छा लगता है इन सबसे माइंड खराब होता है

आदम : माँ दरअसल वो एक फ्रेंड ने!

अंजुम : क्या फ्रेंड कहीं समीर ने तो!

आदम : नही नही माँ दरअसल वो किसी नेट फ्रेंड ने मुझे ये लिंक भेजा था मैं नही जानता था तो मेरी नज़र पड़ गयी माँ मैं आपसे कुछ छुपाउंगा नही मैने पहले भी ब्ल्यूफिल्म देख रखी है

अंजुम की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी लगभग उसने अपने मुँह पे हाथ रखके वापिस नीचे किया...."कौन भेजता है तुझे ये सब?".........माँ ने कर्कश स्वर में कहा....

"माँ है एक?".....आदम ने झूंट कहा था उसके ज़हन से अब तक सपने वाली बात गायब हो चुकी थी...अभी उसके दिल में माँ के सामने पकड़े जाने का ख़ौफ़ था
 
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उसने अंजुम को समझाया कि बस है एक मैं उससे बात ज़्यादा नही करता वो सबको भेजता है इसलिए मुझे भी भेजा....माँ इतना इंटरनेट को लेके जानकार नही थी इसलिए उसने सोचा उसका बेटा तो भोला है जो लड़कियो को एक निगाह से नही देखता वो भला क्यूँ? ऐसा क्यूँ देखेगा? वो ये भी जानती थी कि उसका शीघ्रपतन होना भी शायद उसकी कमज़ोरी थी....उसने अपने बेटे की झिझक को तोड़ते हुए कहा कि उसे भी कम उमर में धात की बीमारी थी उसका वाइट डिसचार्ज होता था जिस वजह से उसकी माँ हमेशा उसे ग़लत बातों को सोच लेने से कोस्ती थी...हालाँकि अंजुम ऐसी थी नही...हालाँकि उसने किसी से सच्चा प्यार किया था पर वो उसका फ़ायदा उठाना चाह रहा था....असलियत का आभास होते ही अंजुम ने उससे रिश्ता तोड़ लिया था....

अंजुम : बेटा फिर भी मेरी बात मान तू ये सब देखा वेखा मत कर दिमाग़ खराब हो जाएगा

आदम : हां माँ (आदम ने और कोई जवाब नही दिया माँ ने उसे अपने हाथो से एक नीवाला खिलाया तो आदम को अच्छा लगा वो अपनी माँ के प्यार करने से जैसे काफ़ी खुशी सा महसूस कर रहा था)

आदम ने हाथ मुँह धोया और माँ से वार्तालाप करने लगा....दोनो कुछ देर तक बात करते रहे उसके बाद माँ की आँख लग गयी उनकी हल्की ख़र्राटों की आवाज़ सुन आदम ने माँ की टाँगों को दबाना शुरू कर दिया....इसमें उसकी कोई हवस वाली बात नही थी...वो बस अपनी माँ से प्यार करना चाह रहा था उससे आराम देना चाह था...हवस से भरा वो दिल उसने कब का मार लिया था?...उसने जब पाजामा माँ का थोड़ा उपर घुटनो तक किया तो पाया उसकी माँ की टाँगों पे हल्के हल्के बाल थे उसने माँ की गोरी टाँगों को काफ़ी अच्छे से मालिश की फिर उनकी जांघों की .

माँ ने नींद में ही बेटे की तरफ देखके मुस्कुराया उन्हें बेटे के यूँ मालिश करने से आराम मिल रहा था...."बेटा अब रहने दे सो जा".....माँ ने करवट लेते हुए बेटे को मना किया...फिर भी बेटा माँ की मालिश हल्के हाथो से कर ही रहा था

"कोई बात नही माँ थोड़ा कमर में कर दूं तुम्हें हर्वक़्त दर्द रहता है"........आदम ने थोड़ी मिन्नत भरे लवज़ो से कहा

"अच्छा बाबा कर दे पर देख ज़्यादा ज़ोर तक नही एक तू ही तो था जो उस रात चिकुनगुनिया में कैसे मुझे पट्टी कर रहा था याद है".........माँ ने नींद में ही बड़बड़ाते हुए कहा

"हां माँ कैसे भूल सकता हूँ?"........बेटे ने माँ के कपड़े के उपर से ही कमर पे हाथो की मालिश की...उसने माँ से इजाज़त माँगी तो माँ ने कोई जवाब नही दिया इसका मतलब उन्हें बेटे की मालिश से कोई आपत्ति नही थी चाहे जैसे करे

आदम ने फ़ौरन माँ के जंपर को हल्के से उठाके उपर पीठ के सिरे तक कर दिया जिससे माँ की सफेद ब्रा पीछे की दिखने लगी उसने माँ की पीठ और कमर की फुरती से अपने मज़बूत हाथो से मालिश करनी शुरू की....उसने अपने दोनो हाथो से कमर के दोनो तरफ के निकले माँस को अच्छे से दबाया फिर रीड की हड्डी के उपर भी अच्छे से हाथ चलाए लगभग 10 मिनट की मालिश में माँ गहरी नींद की आगोश में डूब गयी....उसने मालिश ख़तम की और माँ के जंपर को ठीक करते हुए कमर और टाँग दोनो को ढक दिया...

वो बिस्तर से उठा और एक बार माँ की तरफ नज़र दौड़ाई..माँ नींद में कितनी खूबसूरत लग रही थी?....आदम अपने कलेजे को सहलाते हुए बाहर आया आँगन में आके वो कुछ देर वैसे ही खड़ा रहा तो उसका फोन बज उठा उसे गुस्सा आया कि माँ की नींद लगभग टूट जाती....उसने फ़ौरन दाँत पे दाँत रखके नंबर पहचाना और उसे अपने कान में लगा लिया

आदम : हां बोल?

समीर : और भाई क्या हाल है?

आदम : सही है यार

समीर : और बात बनी ? माँ ने कोई ! (समीर ने अभी कहा ही था)

आदम : नही यार मैं ग़लत था

समीर कुछ समझ नही पाया...फिर आदम उसे समझाने लगा कि उसके इंटेन्षन ग़लत थे वो समीर को ऐसे ब्यान कर रहा था कि उसका और उसकी माँ के बीच कोई ऐसी बात हो ही नही सकती वो उसे महेज़ माँ के रूप की तरह ही देख रहा था...उसे अपनी माँ में कोई ऐसी वैसी फीलिंग नही लगी और आदम को अपनी माँ के प्रति ऐसा कुछ महसूस हो रहा था...बस वो खुश था कि वो माँ के इतने करीब है...समीर हैरत से सिर्फ़ चुपचाप सुनता रहा

समीर : ह्म फिर भी लेकिन!

आदम : नही समीर मुझे माँ को ऐसी नज़रों से नही देखना चाहिए वो सोफीया आंटी नही है इस बात को तू समझ ले समझा आंटी के अंदर ऐसी फीलिंग तूने जगाई पर मैं ऐसा नही कर पाउन्गा यार प्लस्स ट्राइ टू अंडरस्टॅंड

समीर : ओके डियर तेरी ज़िंदगी है जैसे चाहे रीलेशन रख बट यार मुझे तो अपनी मोम में ही अट्रॅक्षन लगता है चल ठीक है तू बस माँ को किसी बात से हर्ट मत करना उनका ख्याल रखना

आदम : अच्छा ठीक है तू भी चल ठीक है बाइ ओके बाइ (आदम ने फोन कट कर दिया)

मेरे दिल में आ चुका था कि मैं समीर को अपने कोई भी इंटेन्षन अब बताउन्गा नही....ना ही माँ की ऐसी कोई भी चीज़ शेयर करूँगा....माँ जैसा रहनाचाह रही है रहेगी..लेकिन मेरे अंदर जो माँ के लिए ये नये फीलिंग्स है मुझे बस कोशिश करनी है अगर माँ मेरी मुहब्बत को समझ पाई तो ही शायद हमारे बीच कोई नया रिश्ता जुड़ सकता है वरना जैसा रिश्ता हमारे बीच एक साधारण माँ-बेटे का चल रहा था वोई रहेगा..


शाम तक माँ की नींद खुली तो बिस्तर पे ही उनके लिए कप भर चाइ मैं ला चुका था...माँ को बेहद खुशी हुई उसने बताया कि आजतक वो अकेले चाइ पीते आई थी पर अब उसके बेटे के आने से उसका मन अब घर में ही लग रहा था....आदम और माँ के बीच फिर हेमा आंटी की बात शुरू हुई....माँ ने हेमा के नाजायज़ संबंध जो सरदार से थे उसे आदम के सामने खोल डाला....आदम सब सुनके हेमा की बस थू थू कर रहा था....उसने माँ के सामने ये तक कह दिया कि अगर वो हेमा का बेटा होता तो वो उसके सरदार जी का खून कर देता क्यूंकी वो अपनी माँ किसी और गैर आदमी के साथ नही देख सकता था

इसी बीच अंजुम ने उसे शांत किया और कहा ये उसका घरेलू मामला है हमे उससे कोई लेना देना नही....लेकिन फिर भी आदम नाराज़ था कि हेमा के चलते ही उसकी माँ को ऐसे ऐसे मर्दो से बात तक करनी पड़ी थी....और उपर से जो हेमा कयि साल पहले मर्दो से रिश्ता जोड़ती थी और उस बीच अपनी सहेली अंजुम को ले जाती थी ये सब देखके उसके बेटे आदम का खून खौल उठता था....अंजुम जानती थी उसका बेटा उसे ऐसे हालातों में देखना कभी पसंद नही करेगा वो तो बस अपनी दोस्ती निभा रही थी

अंजुम : बेटा वो तो पुरानी बात हो गयी तुझे अपनी माँ पे यकीन नही क्या मैने किसी गैर आदमी के साथ संबंध बनाए तुझे ऐसा लगता है?

आदम : माँ अगर कोई आग पे भी खड़ा होके तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ कहेगा ना तो मैं उसे ही आग में जला दूँगा मुझे तुझ पर अपने से भी ज़्यादा यकीन है

अंजुम : मुझे पता है और नाज़ है कि तुझ जैसा समझने वाला बेटा मेरी कोख से पैदा हुआ जो मेरा इतना ख्याल रखता है तेरा बाप तो इस मामले में तेरे पाँव की मिट्टी भी नही

आदम : बाबूजी की बात छोड़ो ना माँ उसने कब तुझपे ध्यान दिया

अंजुम : ह्म तुझे पता है इसी हेमा के एक फ्रेंड का मुझे बार बार कॉल आने लगा था क्यूंकी हेमा तो मेरा नंबर उस लड़के को दे रखी थी जिससे उसको होटेल में मिलना था...वो तो हेमा मज़बूरी में ऐसे मर्दो से संबंध बनाती थी महेज़ पैसो के लिए पर उस लड़के ने मुझे ही पसंद कर लिया था याद है तू स्कूल में था

आदम को ख्याल आया...हां उसका नाम विजय था...वो काफ़ी ज़ज़्बाती किसम का ज़रूर था पर एक नंबर का शक़्क़ी और साइको किसम का इंसान था उस वक़्त आदम स्कूल में था और एक दिन उसकी माँ के फोन पे उसने कॉल कर दिया था जिस मिसअंडरस्टेंडिंग में आदम ने उसे काफ़ी झाड़ा था...लेकिन उसने माँ से सिर्फ़ दोस्ती तक सीमा रखी थी बाद में मालूम चला कि वो अंजुम को पसंद करने लगा था और उसके साथ शादी तक करने को तय्यार था ये जानते हुए कि अंजुम का एक बेटा भी था...वो उन दोनो को भगा ले जाना चाह रहा था...

उसके इरादे मालूम चलते ही अंजुम ने उससे रिश्ता तोड़ दिया था साथ ही साथ हेमा ने भी उसे काफ़ी झाड़ा था उसके बाद सुनने में आया था कि वो शादी करके बीकानेर में उसकी पोस्टिंग हो गयी थी इसलिए वहीं बस गया था....सब सुनने के बाद आदम तो जैसे बेहद गुस्सा हुआ...

आदम : माँ गढ़े मुर्दे क्यूँ उखाड़ रही हो? जब तुम्हें पता है मुझे तुम्हारे साथ किसी गैर मर्द की चर्चा भी नही सुनना अच्छा लगता क्या तुम अब भी उससे मोहब्बत करती हो?

अंजुम : नही बेटा मैं तो बस इसलिए कह रही थी कि तू ही देख कैसे कैसे लोग हैं दुनिया में कि एक शादी शुदा बच्चेदार औरत तक को भी नही छोड़ते

आदम : जो भी हो माँ लेकिन आप अपनी तुलना वैसी औरतो से ना करो और प्लीज़ अगर आप मुझे चाहती हो तो आजके बाद उस कुत्ते की बात मेरे सामने मत करना

अंजुम : अर्रे बेटा बस उसकी बाते दिमाग़ में आ गयी थी वो तो तुझे अपना बेटा तक बनाना चाह रहा था हाहाहा (इतना कहते हुए माँ बेटे के सामने खूब ज़ोरो से हँसने लगी)
 

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आदम भी गुस्से में आते हुए भी हंस पड़ा क्यूंकी सच में वो था ही ऐसा आदमी....लेकिन आदम मन ही मन बुद्बुदाया कि अगर वो सामने होता तो वो उसको इतनी बातें नही कहने देता और अपनी माँ के ज़िंदगी से उसे दूर कर देता...एक पल को उसे अहसास हुआ कि उसे अपनी माँ किसी गैर मर्द के साथ दिखने में भी कितना बुरा लग रहा था? वो जानता था उसकी माँ उसके बाप के बाद किसी से भी संबंध नही बनाई थी

आदम ने भी माँ से इस बात को छुपाए रखा कि उसने दो शादी शुदा औरतों को प्रेग्नेंट किया था उसमें एक उसकी बहन थी और एक उसकी भाभी....उसकी माँ को उस पर पूरा यकीन था कि उसका बेटा ऐसा कोई वाहियात भरा काम नही कर सकता था...पर हक़ीक़त को तो आदम माँ से कोसो दूर रखना चाहता था वो अपनी माँ के विश्वास को भी तोड़ देना नही चाहता था...

खैर हेमा आंटी के घर जाते वक़्त रास्ते में आदम को सपने में माँ और हेमा का वार्तालाप याद आ रहा था कि कैसे उसकी माँ ने उसे अपना फिगर घूर्रते हुए देखते पाया था और ये सब बातें वो हेमा को बता रही थी...आदम यही सोच सोचके घबरा रहा था कि उसका यूँ अचानक आने से हेमा को कहीं उस पर शक़ तो नही हो गया था..शक़ करने वाली जैसी औरत थी भी वो....दस घाट का पानी पी रखी थी...और सरदार जी से संबंध बनाने के बाद तो और वो किसी खुली रंडी जैसी हो गई थी...जो कुछ भी बोल देती थी क्या मालूम उसने मेरी माँ को क्या गंदा कुछ कहा हो?....अब मुझे वो औरत खटकने लगी थी नज़र में पर मैं उसकी बेटियो को अपनी बहन जैसा मानता था इसलिए मुझे उन लोगो से मिलने जाना पड़ा...

हम दूसरे माले पर आए और माँ ने दरवाजा खटखटाया...लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था..अंजुम झिझक रही थी उसे लगा कि कहीं अंदर कोई गैर मर्द ना हो या फिर संजय जो हमेशा हेमा से मिलने अक्सर आ जाया करता था....लेकिन हेमा की बेटी ने दरवाजा खोला उसकी बड़ी बेटी मेरे गले लगी और हम अंदर आए....मैं उसकी नयी लगी जॉब और ग्रॅजुयेशन की बात कर रहा था तो माँ हेमा को अंदर ढूँढने लगी....हेमा सोफे पे बैठी टेबल पे एक खाली ग्लास में पानी के साथ शराब मिक्स कर रही थी....बोतल इंपीरीयल ब्लू का था जो हेमा के हाथो में था...वो हमे देखके मुस्कुराइ हम जानते थे हेमा के घर का कुछ ऐसा ही बोल्ड माहौल था कि वो अपने बेटियो के सामने पीने में झिझकति नही थी सरदारजी ने उसकी और उसकी घरवालो की सारी शर्मो हया उतार दी थी...

वो शराब का ग्लास टेबल पे रखके उठ खड़ी हुई....उसने बड़ी बेढंगी किसम की साड़ी पहनी हुई थी...और वो बार बार पल्लू ठीक कर रही थी पहले से ज़्यादा मोटी और काली हो गयी थी...गले पे दस माला उसने पहन रखे थे....जाहिल गावर थी इसलिए उसे ड्रेसिंग का कोई सेन्स नही था....वो उठी और मेरे और माँ के गले लगी

हेमा : और बेटा सब ठीक तो है देख रे अंजुम तेरा बेटा कितना दुबला पतला होके आया और रह वहाँ अकेले माँ को छोड़के जाएगा साला

आदम : हाहाहा अर्रे नही हेमा आंटी मैं नौकरी छोड़के आ गया हूँ

हेमा : नौकरी छोड़के ओह्ह हो देख लिया अंजुम और तू तो कहती थी कि ये तेरे से अलग हो गया अब देख

आदम : हाहाहा बस आंटी आप सुनाए ?

हेमा : ह्म मेरा क्या है बेटा? मैं तो अकेली ही हूँ ना कोई बेटा है और ना ही कोई ख्याल रखने वाला अच्छा आदम बेटा तुम अपनी बहनों के साथ बातें करो अंजुम तू ज़रा उपर चल ना

हेमा माँ को उपर वाले माले पे ले जाना चाह रही थी जो सरदार जी का था....माँ ने मुझे नीचे रहने बोला और उनके साथ उपर चली गयी....मैं कुछ देर तक नीचे ही बैठा हेमा की बेटियो से गप्पे लड़ाता रहा...जब बोरियत महसूस हुई तो मैं उनसे इजाज़त लेके फ़ौरन उपर वाले माले पे सीडियो से चढ़ता आ गया....दरवाजा सटा हुआ था...सरदार जी था नही शायद गया होगा कहीं....मैने हल्के से दरवाजा खोला और अंदर आया..शायद बेटियो के सामने बोलने से हेमा क़तरा रही थी इसलिए दोनो सहेली उपर आके बात कर रही थी

हेमा ने मुझे देखा और प्यार से अंदर बुलाई.....मेरी माँ थोड़ी दुखी सी थी उसने मुझे रिपोर्ट दिया...मैं कुछ समझा नही...माँ ने बताया देख तेरी हेमा आंटी को क्या हो गया है?

मैने रिपोर्ट्स पढ़नी शुरू की....तो उसमें जो मुझे मालूम चला मुझे बेहद अज़ीब सा महसूस हुआ उस वक़्त...हेमा आंटी रोई रोई निगाहों से अपनी हालात को पेश कर रही थी....माँ मुझसे पूछे जा रही थी कि बता तेरी आंटी को क्या हुआ है?

आदम : माँ मैं कैसे कहूँ?

हेमा : अर्रे बेटा आजतक तू और तेरी माँ दोनो मेरे इतने करीब रहे है कह भी दे झिझक क्यूँ रहा है? अच्छा हुआ उपर आ गया वरना तेरी बहने सुन लेती अब तू ही बता

आदम : आंटी आप को तो बच्चेदानी में सूजन हो गया और ये आपके भीतरी योनि से लेके अंदर तक है ये इसलिए होता है कि कोई जब किसी के साथ ब्रूटली तौर से मेरा मतलब है काफ़ी रफ सेक्स करे तब (मैने माँ के सामने ही झिझकते हुए आहिस्ते से कहा माँ को भी थोड़ी शरम आई पर वो उस वक़्त सरदार जी पे काफ़ी खफा थी)

अंजुम : ये सूजन किस वजह से होती है यही बात सरदार जी को समझनी चाहिए ना फिर भी तू उसके चक्कर में पड़ी है ( माँ ने हेमा को डाँटते हुए कहा पर वो साली हंस रही थी)

हेमा : छोड़ ना अंजुम उस जानवर को क्या सम्झाउ? वो तो आता है और बस मुझपे चढ़ जाता है (हेमा ने ज़रा भी परवाह नही की कि मैं और मेरी माँ वहाँ उसके पास बैठी है उसने खुले शब्दो में ये बात कही तो मैं और माँ दोनो अंदर ही अंदर शरमा गये)

इतने में माँ को शायद पेशाब लग गयी वो बीच कॉन्वर्सेशन से ही उठके अंदर बने थोड़े दूरी वाले बाथरूम में घुस गयी....हेमा जो कि उस वक़्त शराब का ग्लास पूरा खाली कर चुकी थी मुझे हँसके अपनी करीबी खींचते हुए बोली

हेमा : और तू बता? तूने एकदम से मन कैसे बना लिया? देख तेरी माँ नही है इसलिए कुछ छुपा मत (हेमा उस वक़्त नशे में होके भी नही थी उसके मुँह से शराब की गंध आ रही थी)

आदम : नही आंटी ऐसा कुछ नही है आपको क्या लगा? दरअसल मेरा वहाँ अकेले मन नही लगा

हेमा : अच्छा जी तेरी माँ तो यहाँ आके तेरा किस्सा रोज़ बताती थी..कि तू कितना उनसे झगड़ा करता है कहता है मैं यहाँ नही आउन्गा यहाँ की औरतो को नही चोदुन्गा बोल बोल

आदम : हां आंटी मैं माँ को बहुत कुछ उल्टा सीधा कह दिया था पर मुझे शर्मिंदगी है क्यूँ आपको क्या लगा?

हेमा : मुझे लगा कि तू? (हेमा ने बीच में बात काट दिया उसे अहसास हुआ शायद मेरा मेरी माँ को लेके कोई ऐसे वैसे विचार नही थे खैर उसने बात को वहीं तक रहने दिया)

आदम : पर आंटी आपको ज़रा सा अंदाज़ा है इससे आपकी सूजन कितनी ज़्यादा दर्द पहुचाएगी आपको आप इस हालत में भी उस मदर्चोद का लॉडा अपने अंदर ले लेती हो (मैं हेमा आंटी से खुले शब्दो में कहा उसे कोई फरक नही पड़ा वो बस मुस्कुराइ)

हेमा : तू भी बहुत श्याना हो गया है हां क्या करूँ बेटा? वो खर्चा चलाता है घर पालता है उसकी हां में हां तो मिलाना ही पड़ता है ना हमारे घर में खिलाने वाला कोई मर्द भी तो नही पति को गुज़रे कितने साल हो गये पता है ना तुझे?

आदम : हां आंटी लेकिन कसम से हरम्खोर ने तुम्हारी बहुत ज़बरदस्त चुदाई की है तुम्हारी चूत को छील दिया है साथ साथ इतनी ज़ोर ज़ोर से तुम्हारी चुदाई की है कि तुम्हारी बच्चे दानी पे उसके लंड के बार बार घिसने से भीतरी जगह ज़ख़्म हो गया है और अब सूजन बन गयी है उफ्फ

हेमा : वोई दर्द रहता है बेटा खैर जाने दे मेरी छोड़ तू आया है तो अपनी माँ का ख्याल रखना

आदम ने मुस्कुराया उसने हेमा को अपने किसी भी इंटेन्षन का मालूमत चलने नही दिया वरना वो मज़े लेती...और आदम उसे कुछ भी मालूम चलने देना नही चाहता था कि उसके अंदर अपनी माँ के लिए किस तरह का इनसेसियियस फीलिंग पनप रहे है....हेमा उसके साथ शरारत करने लगी तो आदम ने उसके होंठ पे एक किस कर दिया...हेमा उसे धकेलते हुए मुस्कुराइ

हेमा : बहुत कमीना हो गया है तू ह्म बहुत कुछ देखने लगा है आजकल तभी ये सब सीख रहा है चल जा नीचे
आदम बिना कुछ कहे माँ के वापिस कमरे में आते ही नीचे चला गया....दोनो वहाँ से रात को रुखसत हुए...क्यूंकी पिता के आने के वक़्त हो गया था...रास्ते में अंजुम ने बताया कि हेमा कितनी ज़्यादा गिर चुकी है? उसकी कैसी हालत हो गयी है? आदम चुपचाप सुन रहा था....इतने में अंजुम ने बताया कि वो भी आज बाय्फ्रेंड की बात कर रही थी और बता रही थी कि मर्द के उस चीज़ से औरत नहा दी जाती है

आदम एक पल को ठिठक गया....उसने माँ से कहा ऐसा कैसे?.....जब अंजुम ने इसका जवाब अँग्रेज़ी शब्द में दिया...तो आदम के लंड में थोड़ा तनाव हुआ....माँ ने शायद फ्रॅंक्ली होके ही सही पर कुछ ऐसा कहा कि दोनो माँ-बेटे शर्माके हंस पड़े

अंजुम : क्या तो लिखा था उस वीडियो के उपर उम्म्म जो हेमा ने बताया था हां याद आया एक्सट्रीम कुंशोट फेशियल छि तौबा

आदम ने कोई जवाब नही दिया पर उसके माँ के मुँह से निकले ऐसे शब्दो से उसका लंड तनाव में आ गया....उसका चेहरा लाल हो गया था
 
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अंजुम : वोई तो मर्द का जो पानी होता है जो निकलता है उससे औरत को पूरा भीगा दिया जाता है वो भी एक मर्द से या अल्लाह छि क्या देख लिया लाहोल विला कूवत

आदम : हाहाहा माँ वो फेक होता है..इतना ज़्यादा वीर्य तो निकलता भी नही वहाँ से जितना दिखाया जाता है...खैर

अंजुम : हां छोड़ उन बातों को घिन नही आती इस औरत को छि अर्रे वोई कमीनी मुझे दिखाई जो सच में कैसी औरत है? कुछ भी दिखा देती है बक देती है...लेकिन हालत की मज़बूर है ना तरस आता है

आदम : हाँ माँ आप ही देखो उसके नाजायज़ रिश्ते का उसे क्या दर्द मिल रहा है सरदारजी उसके साथ कैसे पेश आ रहे है

अंजुम: ह्म मुझे तो सोचके भी या अल्लाह बड़ा अज़ीब लगता है कैसे छि उस जैसे गंदे इंसान को अपने उपर ! (कहते कहते उसे आदम का आभास हुआ तो वो चुप सी हो गयी आदम भी झेंप सा गया)

माँ घर आते ही खाना बनाने में जुट गयी....आदम निसचिंत था कि चलो हेमा को ऐसा वैसा कुछ महसूस नही हुआ था उन दोनो के बीच के रिश्ते को लेके...लेकिन हेमा की बच्चेदानी में हुई सूजन और उसका माँ को ब्लूफिल्म दिखाना कही ना कही आदम को अटपटा सा लगा.....उसे अहसास हुआ कि उसके अंदर माँ के लिए अज़ीब सी कशिश उमड़ रही थी...उसने माँ को कहा कि अब वो हेमा के घर जाया ना करे बस फोन तक ताल्लुक रखे....अंजुम भी इस बात से सहमत हुई....

धीरे धीरे माँ और मेरे बीच काफ़ी खुले विचारो में बात होने लगी थी....मैं माँ को हर मुमकिन खोलने का प्रयास करता था और उन्हें हर मुमकिन खुशिया देने की भी कोशिश कर रहा था...अब माँ मुझसे पिता जी के सामने भी प्यार करती थी इतना बड़ा होने के बावजूद वो मुझे छोटे बच्चो सा प्यार करती...कभी चेहरा सहला देती तो कभी मेरा बच्चा मेरा बच्चा कह कर मुझे अपनी छातियो से लगा लेती पर मेरा उनके लाड का कोई फ़ायदा उठाने का मोह नही था फिर भो मैं बिना झिझके उन्हें छू लिया करता था

कभी उनकी पीठ सहला देता तो माँ के खुले विचारो के होने से कभी कभी वो मुझे ब्रा का हुंक लगाने को कह देती जिससे मैं उनकी पीठ को लगभग मज़ाक मज़ाक में छू लेता और उनके ब्रा का हुंक लगा देता...माँ को मैं आराम देता चूँकि माँ को कमर का पेन काफ़ी होता था इसलिए माँ ने कामवाली भी रखी थी पर वो साली काम कम और छुट्टिया ज़्यादा करने लगी थी..इसलिए घर की साड सफाइबर्तन ढोने से लेके कपड़े को निचोड़के फैलाने का काम मैं ही करता था माँ अब कपड़े धोते वक़्त आँगन में बैठ जाती थी तो मैं परदा उपर दीवार से लेके कूलर के सहारे रखी एक पतली सी लाठी पे फैला देता ताकि माँ को धुंप ना लगे...माँ का अक्सर पाजामा गीला हो जाता जिस वजह से वो पाजामा उतारके महेज़ जंपर पहने अपना काम करती वो बैठके टाँगें फैला लेती तो उनकी टाँगो के बीच जंपर एक आड हो जाती जिससे कुछ ना दिखता

पर माँ के अक्सर उठने से मुझे उनकी हर रोज़ अलग अलग रंग की पैंटी ज़रूर दिख जाती थी...माँ अगर कपड़े धोके मुझे देती तो मैं उसे निचोड़के बाहर रसियो पे टाँग देता...और जब माँ नहाने बाथरूम चली जाती तो बीच में आवाज़ देकर मुझे बाथरूम के आधे दरवाजे से हाथ निकाले अपनी गीली धोयि ब्रा और पैंटी दे देती तो मैं उसे लेके बाहर रस्सियो पे सूखने के लिए टाँग देता इस बीच पड़ोसियो ने भी अक्सर मुझे माँ के अंडरगार्मेंट्स मेरे हाथ में कयि बार देखे थे जो मैं रस्सियो पे टाँग देता पर पड़ोसी औरतें सिर्फ़ शर्मा जाती थी

खैर मुझे माँ के साथ रहते रहते 1 महीना हो गया..और इस बीच माँ और मैं भी सेक्स रिलेटेड चीज़ो पे बात करने लगे थे...माँ को पसीने भरे बालों वाले मर्दो से घिन आती थी वो हमेशा मुझे मेरे गुप्तँग सॉफ रखने को बोलती थी...एक दिन माँ ने मुझे आवाज़ दी मैं पीसी पे बैठा था जैसे ही बाहर आया पाया माँ आवाज़ दे रही थी

माँ : बेटा ज़रा वो छोटा कैची देना

आदम : माँ तुझे बाथरूम में कैची की क्या ज़रूरत आ पड़ी ?

माँ : अर्रे बाबा वो शॅमपू का पॅकेट काटना था

आदम : अच्छा ठहरो (मैने झट से माँ के हाथ में कैंची पकड़ाई)

माँ ने झट से अंदर हाथ कर लिया और बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया....पर मेरे अंदर की उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी...इसलिए मैने काफ़ी कोशिस की पर बाथरूम की कोई खिड़की नही थी इसलिए मैं टेहल रहा था कि शायद एक बार देखने का कोई चान्स मिल जाए इतने में मैने पाया कि बाथरूम का दरवाजे के ठीक नीचे का कुछ हिस्सा दीमक लगने से खोलर सा बन गया था मैं नीचे हुआ बाथरूम के फर्श का पानी बाहर भी निकल रहा था

मैने बहुत गौर से खोलर से अंदर झाँका तो पाया माँ पूरी मदरजात अंदर नंगी एक कोने दीवार के सहारे बैठी हुई थी और अपनी टाँगें चौड़ी किए झान्टो के लंबे लंबे बालोंको कैची से काट रही थी उफ्फ माँ की झान्टे वीडियो से भी ज़्यादा बड़ी आज लग रही थी ऐसा लग रहा था चुत को पूरा धक दिया है...माँ ने कैची रखते हुए अपनी झान्टो को छोटा और बराबर कर लिया और उस पर एक मग पानी डाल साबुन का ढेर सारा झाग बनाया झान्टे एकदम गीली झाग से सराबोर थी उसके बाद माँ ने रेज़र चलाना शुरू किया माँ की झान्टे इतनी सख़्त थी कि कट नही रही थी करीब 1 घंटे तक माँ लगी रही और उसने अपनी झान्टो के बाल एकदम सॉफ कर लिए चूत से उफ्फ माँ की साँवली चूत मेरे सामने प्रस्तुत थी जो एकदम चिकनी दो सूजी डबल रोटी जैसी माँस से धकि हुई थी मा ने रेज़र तोड़ा अपने गुदा द्वार पे भी छलके उस जगह को सॉफ करलिया था फिर वो उठके नहाने लगी

माँ के चक्कर में मेरी गर्दन में दर्द ज़रूर हो गया था मेरे लंड में भरपूर दर्द उठने लगा था...कारण माँ को अपनी लंबी लंबी योनि की झान्टो को सॉफ करते देख मेरे अंदर की कामवासना फिर से जाग उठी थी...मैने गर्दन सीधी की और वापिस कमरे में आ गया क्यूंकी माँ अब खड़ी होके अपने शरीर पे पानी डाल रही थी....बीच बीच में मुझे माँ का रेज़र को फर्श पे ठोकने की आवाज़ भी आ रही थी...उफ्फ काश मैं माँ की झान्टे खुद सॉफ करता माँ की चूत कितनी सेक्सी थी काश उस नरम गीली चूत पे अपनी ज़बान लगा पाता..लेकिन दूसरे ही पल मेरा दिल मुझे कह रहा था नही पहले माँ की मर्ज़ी फिर उसके बाद ही कुछ वरना मन मसोस के सारी ज़िंदगी गुज़ारना होगा

मैं तय्यार था....खैर माँ बाहर आई उन्होने काफ़ी देर लगाई थी मुझसे माँफी माँगते हुए मुझसे ब्रा और पैंटी माँगी जो मेरे कमरे में थी....मैने ब्रा और पैंटी बेड के पास रखी बड़ी पॉलीथिन में से उनके कहने के मुताबिक एक नीले रंग रंग की पैंटी और एक 36 साइज़ का मखमल सा नरम सफेद रंग की ब्रा उनके गीले हाथो में दी....वो ब्रा पैंटी लिए दूसरे कमरे में चली गयी साथ ही उन्होने दरवाजे की कुण्डी लगाई...मुझे आवाज़ दी कि जाके नहा ले .
 

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मैं फ़ौरन तौलिए की गाँठ बांधता हुआ अपने मूसल जैसे खड़े लंड को दबाता बाथरूंम मे आया...फर्श एकदम सॉफ था...माँ ने निकलते वक़्त शायद फर्श को रगड़ रगड़ के सॉफ किया था..खैर मुझे ज़्यादा वक़्त नही लगा क्यूंकी पास ही टाय्लेट के उपर फ्लश करने वाले यन्त्र के उपर एक गीली सी ब्लेड पड़ी थी जिसकी ब्लेड में अनगिनत लंबे लंबे बाल फसे हुए थे...ये मेरी माँ की चूत से निकली झान्टो के बाल थे....उफ्फ मैने उन्हें सूँघा..और अपनी टाँगों के बीच और लंड के उपरी सिरे पे घिस्सने लगा उफ्फ माँ के ब्लेड में फसे बाल मुझे गढ़ रहे थे उफ्फ क्या आनंद था?

मैने ब्लेड वैसी ही रख दी और नाली के ढक्कन को खोला तो पानी में झाग के साथ साथ उसमें कटी झान्टे तैरती हुई पाया..उफ्फ खैर होमटाउन छोड़ने के बाद तो अब मैं किसपे खुमारी उतारता इसलिए? बस मुट्ठी मारने लगा....लेकिन लंड से पानी नही निकला और दर्द भी करने लगा...लेकिन उसे कैसे समझाता? कि माँ की चूत के भीतर उसका प्रवेश अभी नामुमकिन ही था खैर दिल की जीत हुई और लंड मसोसता हुआ कुछ देर में ही मुरझा गया...

मैं भी अच्छे से नहाया....दोपहर सवा 3 के लगभग हम माँ-बेटे ने दोपहर का भोजन खाया...और फिर कुछ देर बात चीत के बाद मैं अपने कमरे में आके लेटके अपने स्मार्ट्फोन के इंटरनेट को यूज़ करने लगा...माँ शायद अब तक सो चुकी थी..क्यूंकी दूसरे कमरे की पंखे की आवाज़ आ रही थी...मैं अपनी फेव अधेड़ उमर की पोर्न्स्टार वाली सेक्सी औरतें जो बगल और झान्ट के बाल काटती नही उनकी ब्लूफिल्म देखके एंजाय कर रहा था...

इतने में बीच में ना जाने माँ के कमरे में फोन की आवाज़ आई मैं अपने दिल को कचोट ते हुए उठ बैठा....उफ्फ अब कौन आ मरा?....मैं अभी फोन रिसीव करने जा ही रहा था क्यूंकी बीच में फोन आने से मेरा कलपद हो गया था और मुझे मूवी की क्लिप बीच में बंद करनी पड़ी थी....खैर दो कदम दूसरे कमरे की तरफ बढ़ा ही था कि इतने में माँ की आवाज़ सुनाई दी उसके बाद जो कुछ मैने सुना मैने फ़ौरन आहिस्ते से चल रहे टीवी का वॉल्यूम एका एक मूट किया और कमरे और अपने कमरे की बीच की दीवार के फ़ासले खड़ा होके माँ और उनके फोन कॉन्वर्सेशन को सुनने लगा..वार्तालाप कुछ इस तरह था

अंजुम : हेलो अर्रे हां हेमा बोलो कैसी है तू? (हेमा ज़ोर से बोल रही थी इसलिए आदम को आवाज़ पहचानने में देरी नही लगी...वो गवार औरत थी उसे बात चिल्लाके और बेढंगे तरीके से करने की आदत थी)

हेमा : अर्रे डार्लिंग क्या हाल है? तू तो आना ही छोड़ दी अपनी सहेली को भूल गयी क्या?

अंजुम : ऐसा कैसे हो सकता है? बस वो मन नही हो रहा था (क्यूंकी माँ को आदम ने मना किया था इसलिए वो चुप सी हो गयी)

हेमा : अंजुम मेरी सहेली मेरी दोस्त तुझसे बहुत ज़रूरी काम है तेरी मदद की ज़रूरत है अगर तू चलने को तय्यार हो गयी तो मुझे थोड़ा कॉन्फिडेन्स मिलेगा और तू तो मेरे साथ कहीं भी जाने में ज़रा सा भी नही झिझकी याद है ना तुझे

अंजुम : हेमा तू कहना क्या चाह रही है सॉफ सॉफ कह?

हेमा : अच्छा तो मुद्दे की बात सुन वो अपना राजेश है ना हां हां वोई साउत-एक्स वाला हां वो मुझे एक पार्टी में बुला रहा है

अंजुम : हां तो तूने क्या डिसाइड किया?

हेमा : देख अंजुम तू तो जानती है सरदार ने आना कम कर दिया है कहीं किसी कुँवारी की बुर फाड़ रहा होगा या अपनी बीवी को लेके कही सैर सपाटा करने शहर से बाहर गया होगा 1 माह से आया नही....इसलिए मुझे पैसो की तंगी हो रही है और तू तो जानती है बड़ी बेटी पूरी बाप पे गयी हुई है उसे तो मेरे इस पेशे की कोई मालूमत नही कि मैने बाहर भी चुदवा रखा है

अंजुम : हेमा देख इतना खुलके बोलने की ज़रूरत नही तो फिर तुझे मुझसे क्या है? अगर राजेश बुला रहा है तो अकेली जा मैं कैसे जा सकती हूँ? वो भी पार्टी में तुझे पता है मेरा शौहर मुझे कोई ढंग के कपड़े देता भी है और मुझे ऐसी किसी भी वाहियात पार्टी में नही जाना राजेश अय्याश किसम का इंसान है वहाँ उसके दोस्त यार होंगे नही नही मुझे अज़ीब लगेगा कही वहाँ कुछ बखेड़ा ना हो जाए

हेमा : देख अंजुम तू फिकर काहे करती है याद है आदम उस वक़्त स्कूल गया था जब राजेश तेरे घर आया करता था और हम दोनो बाथरूंम में

अंजुम : हां (आदम को भी याद आया कि उसने बाथरूम में गाढ़ा वीर्य देखा था जब वो स्कूल से जल्दी आ गया था...उसके बाद उसने पानी डालके उसे नाली में बहा दिया बाद में माँ ने झूंट कहा था कि एज़ी पाउच लीक हो गयी थी)

हेमा : तो फिर तू चल वहाँ कुछ नही होगा और वहाँ वैसे भी बहुत औरतें है तू नीचे डॅन्स फ्लोर पे रहना मैं कमरे में राजेश के साथ 1 घंटे में ही निपटके वापिस आ जाउन्गी तू प्लीज़ मना मत कर चल ये आखरी बार इसके बाद कभी नही कहूँगी

अंजुम ने काफ़ी देर सोचा...उसके मन में उठ रहा था कि बेटे ने उसे सख्ती से जाने मना किया है...लेकिन उसका मन उत्थल पुत्थल कर रहा था....उसने हामी भर दी कि ठीक है वो जाएगी पर उसके पास पहनने के लिए कोई ढंग का कपड़ा नही....उसे बेहद शरम सी महसूस हो रही थी वो एक घरेलू घराने से थी कभी ऐसी पार्टी उसने अटेंड नही की थी.....हेमा उसके राज़ी होने से काफ़ी खुश हुई उसने अंजुम से कहा कि कोई साड़ी ही पहन्के आ जाए क्यूंकी वो सूट तो वहाँ पहन्के आ नही सकती...अंजुम को ख्याल आया कि उसके पति ने उसके लिए एक बार बंगाल से काले रंग की साड़ी लाके दी थी...अंजुम ने डिसाइड किया कि वो वोई पहन लेगी पर उसे डर था कि वहाँ कुछ होये ना क्यूंकी पार्टी और डॅन्स फ्लोर का मतलब था कि वहाँ का माहौल शराब और शवाब से जुड़ा होगा

अंजुम ने तफ़सील से जाना कि वो किस तरह की पार्टी थी?.....हेमा ने भी उसे सबकुछ बताया पार्टी के बारे में...कि पार्टी मास्क वाली है और उसे राजेश ने ऑलरेडी दो मास्क दिए है कि अगर उसके साथ कोई आए तो वो उसे दे दे....अंजुम राजेश को जानती थी जो उसे भाभी भाभी करता था इसलिए अंजुम ने राजेश पे विश्वास किया....इधर आदम सब सुनने के बाद आग बबुला हो गया एक पल को लगा हेमा को झाड़ दे और माँ को कह दे लेकिन पार्टी में कल माँ को जाना था इसलिए उसके मन में कोई और विचार उठा

अंजुम फोन कट करते हुए बेटे के कमरे की तरफ आने लगी.....बेटा फटाफट से स्मार्ट्फोन को अपनी बाह के पास रखके ऐसे चारो खाने चित्त आँखे मुन्दे लेता था...कि माँ को लगा कि वो सो रहा है....माँ ने टीवी ऑफ किया और उसके गाल पे एक चुम्मा लेते हुए कमरे से बाहर निकल गयी....आदम ने आँखे खोली और बड़ी गंभीरता से विचार करना शुरू किया!
 

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खैर उसने पार्टी कहाँ हो रही थी? और कैसी पार्टी थी? सबकुछ जान लिया था...पार्टी एक क्लब में हो रही थी जो कि आनंद विहार के पास था....माँ सब्ज़ी लाने शाम को बाज़ार चली गयी पर आज आदम माँ के साथ नही गया ना उसने माँ की आब्सेंट में ब्लू फिल्म देखी वो बस चुपचाप सोच की कशमकश में कमरे के इधर से उधर टेहल रहा था....इतने में उसके मन में समीर से बात करने का विचार आया...आदम ने समीर को कॉल लगाया लेकिन अलग तरीके से ताकि समीर को उसके मन में छुपे इरादे मालूम ना चल जाए

आदम : हेलो समीर हेलो?

समीर : हां यार बोल सॉरी वो दरअसल थोड़ा (समीर अपने कपड़े ठीक कर रह था बिस्तर पे उसकी माँ रज़ाई ओढ़े लेटी हुई थी कमरे में ठंडी ए सी की हवा चल रही थी)

समीर ने ए सी कम किया और मोबाइल लेके अपने कच्छे को पहनते हुए आँगन की तरफ आया.....

आदम : अर्रे यार समीर तू मेरी मदद कर सकता है?

समीर : अबे सेयेल भाई से मदद की गुहार लगा रहा है मैं तो हमेशा तेरे लिए तय्यार हूँ बोल कैसे काम आउ तेरे ?

आदम : यार वो माँ जो है ना ?

समीर ह..हां बोल

आदम : यार माँ ना अपनी सहेली के साथ तुझे बताया था ना वो हेमा आंटी

समीर : हां वो दो नंबर टाइप की जो सहेली है तेरी माँ की? हां हां क्या हुआ?

आदम : अर्रे यार वो माँ को अपने साथ किसी ब्लॅक नाइट क्लब ले जा रही है जो आनंद विहार एरिया में पड़ता है

समीर सोचने लगा वो क्लब का नाम बडबडा रहा था...उसके माथे की शिकन एकदम से चिंता में फैल गयी..."क्या? अंजुम आंटी ऐसे वाहियात क्लब में क्या करने जा रही है?"........समीर ने सवालात भरे लवज़ो में कहा

आदम : क्यूँ अबे? क्लब बदनाम है क्या? (वो तो जानता था की राजेश कौन सा अच्छा आदमी है? फिर भी माँ को क्या पता था उस क्लब के बारे में)

समीर : साले वो क्लब नशाखोरों के साथ ठरकीयो का जगह है...और आनंद विहार के आस पास तुझे तो पता ही है जंगल झाड़ बहुत है....ऐसे सुनसान एरिया में ही ऐसे वाहियात काम होते है वहाँ ऐसे एक आध क्लब है...असल में ये क्लब काफ़ी बदनाम है यहाँ रहीश लोग ज़्यादा आते है पर ज़्यादातर इन्वाइटेड होते है भाई गैरो को कोई आक्सेस नही मिलता?

समीर की बात सुनके मेरा हौसला टूट रहा था...लेकिन मुझे माँ की इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करनी थी क्यूंकी माँ को रोक तो सकता था...लेकिन अगर मैं माँ को रिस्क लेने देता हूँ तो ऐसी बदनाम पार्टी में उनके साथ कुछ भी उल्टा सीधा हो क्या पता? राजेश के दोस्त लोग कुछ ऐसा वैसा काम करे....क्यूंकी समीर ने मुझे बताया था कि वहाँ की हर एक नॉर्मल ड्रिंक्स यहाँ तक पानी में भी नशा मिला हुआ होता है...और ऐसे में माँ का बदहवास होना और अपने उपर से काबू हट जाना आम हो जाता..मेरे दिल में रह रहके अज़ीब अज़ीब सीन माँ को लेके आ रहे थे..मैने फिर बात शुरू की

आदम : यार ये तो ठीक नही

समीर : तू माँ को मना कर देना

आदम : या माँ ने मुझे नही बताया मैने मना किया है कि हेमा आंटी के पास भी ना जाए पर सहेली है ना एक वक़्त था हमारे घर खाना नही जुट रहा था तो उसी ने हमे फाइनान्षियल हेल्प दी थी

समीर : पर सुन आदम आंटी को ऐसी जगह मत जाने दे कोई कुछ ड्रिंक वृंक पीला दिया और तू तो जानता है आंटी एकदम भर जवान है (समीर के कहने से अच्छा तो नही लगा पर उसकी बात सच थी)

फिर मैने समीर को एक प्लान बताया..ताकि मैं माँ को आधे समय में ही पार्टी से सही सलामत वापिस घर ले आ सकूँ...तो मेरे दिल की चिंता कुछ कम हो जाएगी....अगर मैं माँ के आस पास भी रहा तो मेरी माँ को कोई ख़तरा नही...पर समीर ने कहा कि ऐसी अडल्टरी पार्टी में अगर आदम का गुस्सा बहक गया..तो क्या वो सच बता देगा? कि हेमा के साथ आई सहेली अंजुम का वो बेटा है...आदम ने ना में सर हिलाया और कहा नही...उसने निसचिंत होते हुए कहा कि किसी को कुछ मालूम नही चलेगा....समीर के मुताबिक वहाँ कपल में आती सहेलिया या औरत मर्द का जोड़ा अंदर आके मास्क वैसे ही पहना हुआ होता है और उसी हालत में किसी भी सिंगल पर्सन से जुड़ जाता है...फिर बाद में रज़ामंदी या फिर नशे की हालत में दोनो उपर वाले किसी भी रूम्स को शेयर कर लेते है...ये पार्टी धरल्ले से होती है और अब तक कोई लफडा यहाँ हुआ नही....

आदम के मन में आया कि उसको नही जाना चाहिए...पर ना जाने क्यूँ उसे माँ की चिंता सताए जा रही थी....उसकी माँ को तो लगा बस हेमा जाएगी और आ जाएगी और उपर से राजेश को तो वो जानती थी इसलिए उसे डर नही था...पर वो क्लब राजेश का नही था सिर्फ़ उसने उस पार्टी में शामिल होने के लिए हेमा और उसे इन्वाइट किया हुआ था....ताकि अपने घर से दूर आके हेमा जैसी औरत से अपनी शहवत (चुदाई की कसर) पूरी करे...हेमा और उसके बीच अफेर काफ़ी सालो से था

आदम की तरक़ीब के मुताबिक समीर उसकी मदद को तय्यार हो गया...लेकिन क्लब में घुसने का इंतज़ाम उसने हेमा के पास जाके ही करना था...इसलिए वो दूसरे दिन उसकी बेटियो की गैर मज़ूद्गी में हेमा के पास जाके हो आया....हेमा उस वक़्त सोफे पे सुस्ता रही थी...इतने में आदम के अंदर आने से वो एका एक चौंक उठी

आदम : क्यूँ आंटी माँ को कहाँ ले जाने की बात की हो तुम?

हेमा : अर्रे तुझे कैसे पता? चल जब जान चुका है तो कह दूं एक क्लब में राजेश ने बुलाया है ना तो तेरी माँ को साथ ले जा रही हूँ तू तो जानता है अकेले जाउन्गी आने में दिक्कतें होंगी

आदम : ह्म लेकिन तुम जहाँ जा रही हो वहाँ मेरी माँ की गॅरेंटी कौन देगा? कि वो सेफ रहेगी

हेमा : हाहाहा तू इसलिए यहाँ आया है अच्छा अच्छा तो चल तू भी चल साथ

आदम : नही आंटी माँ फिर तुम्हारे जाएगी नही भला माँ-बेटा ऐसी वाहियात जगह पे संग जा सकते है भला बस तू मेरा इतना सा काम आसान कर दे कि

हेमा : मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है ? क़ि तुझे डर है कि कही कोई ऐरा ग़ैरा आदमी तेरी माँ को छू ना दे

आदम : साली जब तुमको पता है तो फिर पूछ काहे रही हो?

हेमा : हाहाहा बेटा तू तो मुझसे भी बड़ा वाला है....मैं तो सिर्फ़ लॉडा अंदर लेती हूँ तू तो तीनो छेदों में डालता है कुँवारा लड़का झिझकता है शरमाता है पर तू तो एकदम छुट्टे सांड़ की तरह मुझ जैसी औरत से बात करता है

आदम : अब तुम मेरी इतनी प्यारी आंटी हो तो रहेगा ना रही बात जवानी की तो माँ से ना कहना दो को प्रेग्नेंट कर चुका हूँ

हेमा : हाहाहा साला चूतिया बना रहा है चूत फादा होगा चोदा भी होगा पर बच्चा बच्चा दिया होता किसी को तो तू यहाँ क्या कर रहा होता?

आदम को खुशी हुई रंडी पूरी तरीके से उसे पहचान नही पाई थी....फिर हेमा ने आदम को शान्त्वना दिया कि वो अंजुम के लिए निश्चिंत रहे उसे कुछ नही होगा वो किसी मर्द को अंजुम के पास फटकने भी नही देगी अंजुम तो उसके साथ कयि जगह भी गयी अगर वो लिविंग रूम में होती तो मर्द को हेमा खुद बेडरूम ले जाती..इसी लिए हेमा को अंजुम पे विश्वास था वो उसकी एक मात्र सबसे अच्छी सहेली थी...पर उसे जलन भी कि उसका एक घरेलू जीवन था और उसकी रखैल भरी ज़िंदगी फिर भी आदम ने ज़ोर दिया तो हेमा ने आदम के लिए राजेश से एक बार और बात कर ली राजेश तो हेमा की मौजूदगी चाहता था इसलिए उसने कह डाला कि चाहे जिसको भी साथ ला लेकिन आना तुझे बनता है

आदम खुश हुआ उसका रास्ता आसान हो गया था....हेमा ने फोन कट करते हुए आदम को इशारा किया कि वो भी चल सकता है पर वो साथ आएगा कैसे?.....आदम ने बस उसे ना में इशारा करते हुए कहा इसकी फिकर वो लोग ना करे...वो उनके आस पास ही होगा बाकी उसकी माँ अंजुम को कुछ भी पता चलने ना दे....हेमा आंटी मान गयी...इतने में आदम ने हेमा आंटी के पेट की तोंद जो साड़ी से दिख रही थी उस पर एक चुटकी काटी

हेमा खिलखिला के हंस पड़ी...वो समझ गयी उसने आदम को धकेला

हेमा : वाहह बड़ा हुआ भी नही और अभी से अपनी हेमा आंटी के उपर चढ़ने की कोशिस कर रहा है

आदम : मैं तो तुम्हें अपनी माँ जैसा मानता हूँ

हेमा : तो कमीने माँ पे भी चढ़ ना वो तो मुझसे ज़्यादा तीखी और मस्त है...मुझमें क्या है ?

आदम : आंटी तुम्हारे में जो है वो मेरी माँ में नही

हेमा : बेटा शोरुम अलग ज़रूर है मेरा पर गॉडाउन नीचे का तेरी माँ का और मेरा सबका सेम है और तू तो मेरे बेटे जैसा है

आदम : लेकिन मुझे इसी शोरुम से खरीदना पसंद है

हेमा : अर्रे कमीना मत कर (आदम ने हेमा की गुदाज़ पेट पे हाथ चलाते हुए उसकी तोंद को मुट्ठी में लेके मसल दिया...हेमा के सामने एक कम उमर का लौंडा था जो उसके बेटे जैसा था उसका दिल डगमगा रहा था पर वो उसकी सहेली का था इसलिए वो उसके हाथ को नोचते हुए उसे अपने पेट से हाथ हटाने को कह रही थी)

हेमा : तेरी माँ को कह दूँगी

आदम : हां हां कह देना कि हेमा आंटी इतनी सेक्सी है कि उसके बेटे की उमर के लौन्डे का भी खड़ा कर देती है

हेमा : हाए कमीना आज तू कुछ पीके आया है क्या? आज तुझे ज़्यादा ठरक चढ़ रही है

आदम ने इस बार हेमा का पल्लू ज़ोर से खींचते हुए उतारा और उसकी दोनो छातियो को भर हाथो में ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा..हेमा सिसक उठी उसने दाँतों से होंठ भीच लिए

आदम : साली आंटी अगर मेरी माँ को किसी ने भी छुआ ना तो कसम से तेरी भोसड़ी और भी चौड़ी कर दूँगा

हेमा : अर्रे कमीना तू तो ऐसे धमका रहा है कि अंजुम तेरी घरवाली .........

आदम ने कस कर एकदम से हेमा की दोनो टाँगें जो फैली हुई थी उसके बीच के पेटिकोट में हाथ डाल उसकी चूत को मुट्ठी में लेके दबा देता है...उईईइ...हेमा ज़ोर से सिसक उठती है....आदम हेमा के होंठो से होंठ जोड़ देता है....दोनो एकदुसरे को लगभग 1 मिनट स्मूच करते है...आदम हेमा की गँवारो वाले किस का आनंद ले रहा होता है...वो हेमा के दोनो होंठो को लगभग चबा जाता है दाँतों से...फिर एकदम से उसके उपर से उठ खड़ा होता है..
 

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हेमा हाँफने लगती है अपने होंठ पोंछते हुए आदम को शैतानी मुस्कुराहट देती है...."अर्रे कुत्ता अब बस भी कर अभी तेरी बहनें आ जाएँगी क्या मुँह दिखाएगा उन्हें कि तू जिसे माँ माँ कहता है उसकी छूट में लंड पेल रहा है".......हेमा की बात सुन आदम के लॉडा ज़ोर से झटका मारने लगा...हेमा ने इस बात को नोटीस कर लिया...तो आदम खुद ही अपनी जीन्स की ज़िप नीचे करते हुए अपना लॉडा हेमा के मुँह के सामने हिलाने लगा....उसके मोटे लंबे लंड को देख हेमा की आँखे फटी की फटी रह जाती है

आदम : चल चलता हूँ तुझसे अब तो मुलाक़ात पार्टी के बाद करूँगा और सुन अगर माँ को कहना हुआ ना कुछ तो कह देना मैं नही डरता

हेमा : साला इतना बड़ा लेके घूम रहा है और अपनी आंटी को डरा रहा है...चल नही बताउन्गी बाय्फ्रेंड (हेमा ने आदम को आँख मारी) फिर भी आदम बेटा माँ को हमारे बीच का हुआ ये वाक़या ना बतला देना वरना तेरी माँ मेरी झान्ट उखाड़ लेगी और सुन पार्टी कल शाम 4 बजे से शुरू है

"ये मास्क देख ले".....हेमा ने आदम को वो दो मास्क देते हुए कहा....."ऐसा ही मास्क तू खरीद लेना और पार्टी में आ जाना पर ध्यान से आना कोई लफडा नही हो".......हेमा ने अहेतियात करते हुए कहा....आदम मुस्कुराए निश्चिंत होके मास्क देखके वहाँ से चला गया

उसने समीर के साथ उसी शाम एक बिग माल में जाके वैसा ही पार्टी मास्क एक दिन में ही खरीद लिया....पार्टी में मास्करेड टाइप का नक़ाब पहनने का रिवाज़ था इसलिए उसने एक गोल्डन अपने लिए और एक सिल्वर समीर के लिए खरीद लिया....आदम अगले दिन का इन्तिजार करने लगा....

और वोई हुआ दोपहर 3 बजे माँ नॉर्मल सा सूट पह्न कर जाने लगी बोलके निकली कि नानी के साथ थोड़ा द्वारका साइड जाएँगे तो आने में टाइम लगेगा...आदम जानता था माँ ने सफेद झूंट बोला था..वो हमेशा की तरह आदम को घर छोड़ वो आज भी हेमा के साथ जा रही थी...उसके जाने के ठीक 1 घंटे बाद आदम ने अपना पार्टी वेर वाला शर्ट और ट्राउज़र निकाला और उसे बॅग में लिए समीर के घर पहुचा....समीर के घर वहाँ दोनो तय्यार होके मास्क लिए गाड़ी में सवार समीर के घर से निकल जाते है..

उधर माँ हेमा के घर में ही अपने कपड़े उतारते हुए वो महेंगी काली रंग की जरी का काम की हुई साड़ी पहन लेती है....अंजुम का फिगर देख हेमा भी उससे जल जाती है...अंजुम ब्लॅक साड़ी और हल्का सा लाइट मेकप करके एकदम अप्सरा लग रही थी कोई कहेगा नही कि वो एक जवान बेटे की माँ है दोनो फ़ौरन घर से बाहर निकलते है और मेन रोड से ऑटो पकड़ लेते है....उन्हें मालूम नही होता पीछे उसका बेटा आदम और उसका दोस्त समीर एक गाड़ी में मज़ूद उन्हें ही फॉलो करने वहाँ पहुचे थे...ऑटो में उन दोनो के सवार होते ही आदम समीर को गाड़ी उनके पीछे चला देने को कहता है....

हम ऑटो के ठीक पीछे थे...इसलिए समीर ने गाड़ी को ज़्यादा फास्ट उनके पीछे नही कर रखा था...बीच बीच में समीर गाड़ी को ऑटो के ठीक बगल तक ले आता....जिससे मुझे मेरी माँ अंजुम और हेमा ऑटो में बैठी बातें करती दिखी जा रही थी....समीर ने भी देखा कि दोनो सहेलिया आपस में बातें कर रही है उन्हें मालूम नही था कि बगल वाली गाड़ी में उसका बेटा और उसका दोस्त सवार उनको ही फॉलो करते हुए आ रहा था....अब तक मैं निश्चिंत था कि हेमा ने शायद माँ को मेरे आने की कोई बात नही बताई थी..

जल्द ही 1 घंटे बाद हमारी गाड़ी आनंद विहार टर्मिनल पहुँची...ऑटो वाला हेमा आंटी के बताए डाइरेक्षन से उसी तरफ मोड़ रहा था....अचानक बीच में रेड लाइट सिग्नल हो गया लेकिन ऑटो तब तक आगे निकल चुकी थी हमे रुकना पड़ गया मुझे बेहद तेज़ गुस्सा आया ट्रॅफिक जाम और रेड लाइट के उपर ....."तू फिकर मत यार मेरा देखा हुआ है क्लब".....साथ ही साथ समीर ने जीपीयेस सिस्टम ऑन कर दिया तो हमे डाइरेक्षन मिलने लगी

जल्द ही ग्रीन सिग्नल होते ही हमारी गाड़ी आगे बढ़ी....हम करीब 15 मिनट रुक गये थे जिस वजह से माँ जिस ऑटो में बैठी थी वो शायद अब की क्लब भी पहुच गयी होगी....मेरा दिल धड़के जा रहा था...समीर ने फुरती से गाड़ी को रेसिडेन्स एरिया से होते हुए सुनसान सड़क के बीच मेन रोड पे ले जाना शुरू किया...

समीर : भाई आनंद विहार टर्मिनल ख़तम हो गया है और उस तरफ कड्कडडुम्मा मेट्रो स्टेशन का रास्ता पड़ता है....यानी कि क्लब ग़ाज़ियाबाद और दिल्ली के कहीं बीच में है

आदम : बहेन की लौंडी रंडी हेमा मेरी माँ को इतना दूर ले लाई

समीर : तभी तो तुझे मना किया ये जगह देख रहा है कितना सुनसान है? रेलवे स्टेशन पास में है ऐसे ही जगहो में कांड होते है बाबू

आदम : ह्म

समीर : फिकर मत कर अपने ज़िम्मे ले गयी है हेमा आंटी तो कोई प्राब्लम नही होगी

आदम : फिर भी यार बेचैनी सी हो रही है

समीर ने मुझे पानी की बोतल दी...मैं उसे पीके थोड़ा रिलॅक्स हुआ...समीर ने डाइरेक्षन देखते हुए गाड़ी जल्द ही क्लब के पास रोकी...."वो देख एंट्री हो रही है चल एक मिनट भी वक़्त बर्बाद मत कर आंटी अंदर जा चुकी होगी क्यूंकी ऑटो नही दिख ह्रहा उनका शायद पहले ही हमारे आने से पहले उतर गयी हो"......इतना कह कर समीर उतर गया गाड़ी से और मैं भी....हम दोनो फटाफट अपना अपना मास्क लिए कुछ देर वहीं थोड़ा ठहरे...शायद माँ का ऑटो अब तक हमारे आने से पहले आया ना हो...पर जब आस ना लगी...तो मैं और समीर आगे बढ़े और एंट्री के पास आए....काफ़ी मॉडर्न लोग थे....सब औरतो ने किसी ने छोटी शॉर्ट ड्रेस पहन रखी थी तो किसी उमर दराज़ औरत ने मॉडर्न सी ट्रॅन्स्परेंट साड़ी...उनके साथ मर्द लोग भी घुस रहे थे जो अलग अलग उमर के थे...सब साले अय्याश लग रहे थे पर उनके चेहरे पे मास्क था..अपने में मस्ती करते हुए हंसते बात करते अंदर जा रहे थे

समीर और मैं जैसे ही एंट्री लाइन में उनके पीछे अंदर घुसे ही थे कि इतने में गार्ड ने हमसे एक आध सवाल पूछा...मैं खिजला गया पर बताना ज़रूरी था इसलिए समीर चुपचाप हो गया उसने मुझे कोहनी मारी...हम दोनो मास्क पहने हुए थे इसलिए गार्ड हमे घूर्र रहा था

गार्ड : ह्म किसके रेफरेन्स में आए हो तुम लोग साथ में कोई लौंडिया नही? यहाँ कपल आने का एंट्री होता है दिख नही रहा

आदम : हाहाहा दिस इस माइ फ्रेंड सम आंड आइ आम आदम हमारे साथ आई महिला पहले अंदर चली गयी दरअसल हम ट्रॅफिक में फँस गये थे

गार्ड : ह्म क्या नाम है औरतो का?

आदम : उम्म्म जी हेमा! (आदम को लगा शायद उसकी माँ और उसकी सहेली का नाम वहाँ देके वो लोग अंदर गये होंगे)

गार्ड : ह्म ठीक है किसके रेफरेन्स पे आया है तुम लोग?

आदम : उन्होने बताया नही क्या? अर्रे अपना राजेश वोई तो बोला कि यहाँ पार्टी दमदार होती है

गार्ड : फर्स्ट टाइम आया?

समीर : फर्स्ट टाइम आया तभी तो तुम्हारी हुज़्ज़त को बर्दाश्त कर रहा है वरना अब तक नाम जानके बिना पूछताछ किए अंदर जाने से रोकता हमे (समीर थोड़ा भड़क गया फिर मैने उसे शांत किया)

गार्ड ने हमसे साइन लिया फिर हमे अंदर जाने को कहा...उसकी वहीं तक ड्यूटी थी...हम अंदर आए...उफ्फ काफ़ी लंबा हॉल था स्टेर्स पे तो लोगो की आवा जाही चल रही थी...अंदर क्लब का माहौल था हल्की लाइट्स जल रही थी बीच बीच में फ्लॅशिंग हो रही थी लाइट्स कि डॅन्स फ्लोर पे औरतें और मर्द थिरक रहे थे...वहाँ के वेटरों ने ही सिर्फ़ वहाँ मास्क नही पहना हुआ था...गाना तेज़ शोर में बज रहा था इसलिए कानो में ही एकदुसरे के बोलना पड़ रहा था....

आदम : अर्रे यार समीर अब क्या करें ? यहाँ तो बहुत भीड़ है यार और उपर से सबने मास्क पहन रखा है लाइट्स भी कम जल रही है

समीर : ह्म वो देख उपर भी सीडिया जा रही है जिसमें एक आध लोग कोई ना कोई लॅडीस के साथ उपर जा रहे है कंधे पे हाथ रखके तो किसी को अपने से लिपटा के बेहेन्चोद कांड उपर ही होता होगा तू भी यार ऐसी गंदी जगह में माँ को ले आया क्यूँ नही रोका बे?

आदम : मुझे लगा सब अंडर कंट्रोल होगा एनीवे तू एक काम कर वहाँ एक लंबी लाइन दिख रही है ना बार के काउंटर की उसमें 2-3 बारटेंडरर्स सर्व कर रहे है शायद माँ वहीं हो सकती है मैं उसे पहचान लूँगा तू एक काम कर हो सके तो सीडियो से उपर जा

समीर : अर्रे यार कोई रोक टोक तो नही होगा ना

आदम : अबे संभाल लेना जल्दी से उतर जाना एक बार उपर चेक कर ले मेरा दिल बैठा जा रहा है

समीर : अच्छा ठीक है तू शांत रह तू वहीं बार काउंटर के पास मिलना

समीर इतना कहते हुए डॅन्स फ्लोर पे नाचते लोगो के बीच से गुज़रता हुआ लगभग ठेलता हुआ लोगो को सीडियो के करीब जाते हुए फुरती से उपर चला गया..म्यूज़िक बहुत तेज बज रहा था..इसलिए मैं कान को सहलाते हुए बार काउंटर के पास आया...वहाँ लोग ड्रिंक्स कर रहे थे...
 

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उधर अंजुम बेख़बर थी कि उसका बेटा क्लब में घुस चुका है बार काउंटर के पास खड़ी मास्क पहनी हुई चुपचाप सीट पे बैठी हुई थी...उसके हाथ में अपनी और अपनी सहेली दोनो का पर्स शामिल था....अभी कुछ देर पहले राजेश उनके कॉल करने के बाद वहाँ आया था...और हेमा और अंजुम को ड्रिंक्स दे रहा था पर हेमा ने पी लिया लेकिन अंजुम ने काफ़ी ना नुकुर के बाद एक कोल्ड ड्रिंक की सीप ले ली थी वहीं कोल्ड ड्रिंक का ग्लास वो ख़तम किए पार्स काउंटर में रख देती है.,.उसे पता था बारटेंडर को राजेश ने बोला हुआ है कि उससे कोई पैसे ना ले....राजेश हेमा को लेके डॅन्स फ्लोर पे लेके कुछ देर वहाँ उसके नाचा था

फिर हेमा को उसने बाहों में लिया और उसकी सहेली के सामने ही दोनो सीडियो से उपर लगभग कुछ देर पहले ही चढ़के उपर जा चुके थे...हेमा ने सिर्फ़ इतना कहा था कि बस 1 घंटे में वो वापिस आ जाएगी....अंजुम को ऐसी जगहो में जाने की आदत ना थी वो छोटे शहर से बिलॉंग करती थी क्लब्स में वो कभी नही आई थी इतने में बारटेंडर ने अंजुम से ऑर्डर लेना चाहा "एनितिंग एल्स मॅम"........"जी नही".......अंजुम की बात सुनके बारटेंडर वापिस दूसरो को ड्रिंक्स सर्व करने लगा

अंजुम को बेहद अज़ीब लग रहा था उफ्फ एक तो इतना शोर और उपर से कैसे कैसी औरतें लिपटा चिपटी मर्दो से कर रही थी इतने में दो कपल पास आके एकदुसरे को जप्पी पप्पी करते हुए ड्रिंक्स का ऑर्डर देने लगे तो अंजुम को थोड़ा अज़ीब लगा तो वो थोड़ा किनारे वाली सीट पे जाके उन लोगो से दूर बैठ गयी...अचानक अंजुम को अहसास हुआ कि उसके सर में दर्द उठ रहा है उसे मालूम नही था कि उसकी कोल्ड ड्रिंक में नशा था....उसका सर बार बार हल्के नशे होने से घूमे जा रहा था.....उसे थोडी खाँसी हो गयी उसने बारटेंडर से एक ग्लास पानी माँगा....अंजुम को पानी देते हुए बारटेंडर फिर चला गया....जैसे ही अंजुम ने वो पानी भरा ग्लास एक बार में ही खाली करके रखा तो उसे पानी में भी थोड़ा अज़ीब सा सवाद लगा...अंजुम वैसी ही तिठकि हेमा को कोस रही थी कब वो जल्दी आए और वो यहाँ से निकले?

अब तक अंजुम को नशा होने लगा था..वो चुपचाप एक कोने में वैसी ही खड़ी थी....इतने में दो आदमी उसके ईर्द आगे ऑर्डर देके शराब की चुस्किया लेने लगे...उन्होने अकेली अंजुम को खड़ा पाया उसे दोनो ने बारी बारी से अपनी आँखो से उसके फिगर को घूरा....भरपूर जवान औरत थी पतली कमर थी बीच बीच में उनको उसकी गहरी नाभि दिख रही थी....लेकिन अंजुम ने उन लोगो से कोई जवाब सवाल नही किया वो अपने में चुपचाप खड़ी थी...अंजुम ने नोटीस किया कि वो लोग उसे खा जाने वाली नज़रों से देख रहे है...उसका एक पल मन हुआ कि वो बाहर चली जाए लेकिन जैसे उसने कदम बढ़ाए वो सर पकड़े वापिस काउंटर की सीट पे बैठ गयी....दोनो मर्द समझ चुके थे कि वो अकेली थी...लेकिन कोई भाव नही दे रही थी

उधर समीर भी हर रूम्स को लॉक्ड पाता है तो किसी को सटा हुआ...उसे पता चलता है कि हर रूम में कांड हो रहा था किसी में एक आध औरतो के साथ कुछ मर्द थे तो किसी में 3-4 मर्दो के साथ एक औरत....अंदर से आहों की आवाज़ें आ रही थी और शराब की बदबू...समीर सब दरवाज़ों को बराबर हल्का सा खोलने का प्रयास करके अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था....इसलिए जो लॉक्ड था उस पर दस्तक दे देता जिसमें से चिढ़ते हुए कोई ना कोई मर्द या औरत दरवाजा खोल कर उस पर बरस पड़ती सब नशे में धुत्त थे...समीर जैसे ही उस रूम के दरवाजे पे दस्तक देता है तो एक सड़ी हुई शकल लिए एक आदमी नशे में उसे घूर्रता है

समीर ऐसे ही झाँकता है....और झूंठ कहता है कि उसकी गर्लफ्रेंड किसी रूम में उसका इन्तिजार कर रही है इसलिए उसे मालूम नही चल पा रहा कि कौन से रूम में है?.....राजेश का वो दोस्त होता है वो लगभग झल्लाते हुए उसके सामने ही दरवाजा लगा देता है....समीर ने देख लिया था कि अंदर हेमा है जो पूरी निवस्त्र थी और कमरे में 2 मर्द मज़ूद थे...वो ये देखके वापिस होने लगता है...क्यूंकी हेमा के साथ अंजुम नही दिखी उसे वो शूकर करता है

हेमा अंदर राजेश के कपड़े उतारे उसके लंड को कच्छे के उपर से सहला रही होती है...राजेश का दोस्त उसे एक ड्रिंक और बनाके देता है जिसे वो गटकते हुए गले से खाली करके फैक देता है उसके बाद हेमा की साड़ी उपर टाँगों तक उठाए उसके ब्लाउस को लगभग फाड़ते हुए पर हेमा उसे रोकके खुद ही अपने हाथो से ब्लाउस के बटन खोल देती है तो उसकी चुचियाँ 40 साइज़ की बाहर होती है जिसे राजेश भरपूर दबाता है....हेमा सोफे पे गिर जाती है और राजेश लगभग पॅंट घुटनो के नीचे कच्छे सहित किया उसके उपर चढ़ जाता है.....हेमा टाँगें खोल देती है वो अपनी भोसड़ी में राजेश का लंड सरका लेती है

"उई हाए आहह ओह्ह्ह हाहह".........राजेश नशे में धुत्त हेमा की दबा के चुदाई करते करते 5 मिनट में झड जाता है....उसके झाड़ते ही सेक्स की खुमारी उसके उपर से हवा की भांति गायब हो जाती है...तो हेमा उसे अपने उपर से हटाते हुए फ़ौरन अपनी चूत के बीच से उसके लगे कॉंडम को निकाल फेंकती है जिसमें उसका जमा वीर्य होता है...हेमा देखती है कि उसका दूसरा दोस्त अब तक वहाँ मौज़ूद था

इतने में फिर दरवाजे पे दस्तक होती है तो राजेश का फ्रेंड आगे जाके दरवाजा खोलता है वहाँ 3 लौन्डे और होते है जो लगभग 35 साल के करीब होते है....वो तीनो एक बार हेमा को अपना ब्लाउस ठीक करते देखते है हेमा जल्दी जल्दी अपनी चुचिओ को ब्लाउस के भीतर ठेलते हुए उन्हें गुस्से से देखती है फिर उसके दोस्त को कहती है कि ये लोग यहाँ क्या कर रहे है? राजेश का दोस्त राजेश के कहने पे ही वहाँ रुक कर उन दोनो की चुदाई देख रहा होता है इसलिए अब उसकी भी नियत खराब हो जाती है राजेश खर्राटे भर रहा था इसलिए उसके उठने की अब कोई वजह नही थी

हेमा : आए ये सब क्या है? बात तो राजेश से हुई थी ना? तो ये लोग कौन है?

"हम भी राजेश के दोस्त ही है...दरअसल इस जगह का इंतज़ाम हमने ही करवाया है...साला ठरकी तो 3-4 धक्को में ही पश्त हो गया अब ज़रा हमसे भी अपनी मरवाले"........तीनो ठहाका लगाए हंसते है

हेमा : रंडी समझा है क्या? बात एक मर्द की हुई थी तुम लोगो को मैं नही जानती मैं जा रही हूँ

राजेश का दोस्त जो पहले से कमरे में मौज़ूद था..उसने कस कर उसकी बाह पकड़ ली हेमा उसे मारने लगी पर उस पर कोई असर नही हुआ...."अर्रे ज़्यादा नखरे मत कर डर क्यूँ रही है? 4 ही तो है एक से तो चुद ली अबे रंडी होती तो इतने नखरे काहे करती अब चल चुपचाप मान ले 25 की बात राजेश ने की थी हम 30000 देंगे बस एक एक राइड प्लस्स"...........एक लड़के ने जल्दी जल्दी ऑफीसर'स चाय्स की एक ड्रिंक बनाके हेमा की बाह पकड़े राजेश के दोस्त को दी..

उसने जबरन हेमा को शराब पिला दी....पर हेमा टॅस से मस नही हो रही थी आख़िर में 2 पेग हेमा को जबरन उन लोगो ने पिला दी जिसके बाद हेमा को नशा बहुत ज़्यादा होने लगा और वो राजेश के दोस्त की गिरफ़्त में आ गयी...राजेश के दोस्त ने उसे अपने सीने से अलग करते हुए कस कर उसके दोनो बाँह पकड़ी


हेमा : हरामजादो छोड़ो मुझे अच्छा नही होगा आअहह अपनीी माँ पे चढ़ जाओ (राजेश के दोस्त लोग ठहाका लगाते उसकी हालत को देख हँसने लगे)

राजेश के दोस्तो ने आगे बढ़ते हुए उसके पेटिकोट को उपर तक किया और उसे कस कर पकड़ लिया....हेमा छुड़ा नही पा रही थी नशे में बडबडा रही थी..जब पेटिकोट का नाडा खोलते हुए उसके कपड़ों को उपर उठाए एक दोस्त ने कस कस के उसके नितंबो को मसलना शुरू किया तो एक ने पेटिकोट लगभग खींचते हुए टाँगों तक उतार दिया...राजेश का दोस्त जो पहले वहाँ मज़ूद था जिसने ड्रिंक पिलाई थी उसने उसके ब्लाउस के हुंक को जल्दी जल्दी खोलना शुरू किया..कुछ ही देर में बिस्तर पे हेमा की सारे कपड़े उतारके उन चारो ने उसे नंगा कर दिया...एक उसकी बुर को मसल रहा था तो दूसरा उसकी गान्ड को फैलाए छेदों को घूर्र रहा था.....

"उफ्फ रंडी पहले से लगता है केयी दफ़ा चुदि हुई है ये किसको उठाके लाया है राजेश का लॉडा साला खुद तो ठरक की आग भुजाए लॉडा सो रहा है और हमे ऐसी वाहियात औरत पकड़ा गया".......एक दोस्त ने कहा....दूसरे ने उसके हाथ पाँव को कस कर पकड़े रखा था...तीसरे ने आइडिया दिया कि साली को बाथरूम में ले जाके चोदते है....लेकिन राजेश का मज़ूदा दोस्त उन लोगो को पहले अपने अपने कपड़े उतारने को कह रहा था...चारो ने अपने कपड़े उतार दिए......हेमा मदरजात नंगी उन चारो नंगे मर्दो के बीच दबी हुई थी..चारो ने उसे लगभग जबरन बाथरूम में धकेला और शवर ऑन कर दिया....शवर के एकाएक खुलने से हेमा का बदन भीगने लगा और वो छटपटाते हुए होश मे आने लगी....लेकिन चारो ठहाका लगाते उसे अंदर धकेलते जा रहे थे...पर हेमा उनमें से ना किसी के लंड को सहला रही थी ना वो लोग उसे ज़बरन अपने लंड को उसके मुँह में दे पा रहे थे

"रंडी ज़्यादा नखरे ना कर एक एक लॉडा अंदर ले लेगी तो क्या आसमान टूट जाएगा?".......एक ने पीछे आके उसकी गान्ड के छेद में उंगली घुसा दी...हेमा चीख उठी..वो अब लगभग उनसे हाथा पाई करने लगी थी...उन्हें गंदी से गंदी गाली देके खुद को छुड़ाने का प्रयत्न कर रही थी....

ठीक उसी बीच राजेश का पहला वाला दोस्त बाहर आया और उसने कपड़े पहने..."उफ्फ इस रांड़ से तो कुछ मिलने नही वाला लगता है भोसड़ी बना चुकी है छेद भी गान्ड का खुला हुआ है...ऐसी तो रंडी की भोसड़ी होती है सड़ी हुई मैं नीचे जाता हूँ राजेश से सुना है इसकी एक सहेली भी आई हुई है वो अभी तक नीचे होगी"....राजेश का दोस्त कपड़े पहनते हुए बोला

"अर्रे तो फिर देरी कैसी? ले आता उसको".......

."राजेश ने मना किया था".....

"वो तो पड़ा हुआ है ढेर होके तू जा ले आ उसे कैसी है? कुँवारी?"......

"नही शादी शुदा है".....

"उफ्फ तब तो पट जाएगी ले आ साली को वैसे बस इसकी तरह रंडी ना निकले पकड़ साली को"...........हेमा राजेश के दोस्तो की बात सुन घबरा गयी और नशे में ही उन्हें मना करने लगी


हेमा : अर्रे हराम के उस पर अपनी निगाह मत कर कुत्ते मेरी सहेली है तुम रंडुए उसे मत कुछ करना रुक जा तू एम्म्म (लेकिन कस कर एक ने हेमा के मुँह पे जबरन हाथ रख दिया हेमा वैसी ही पूरी नशे में धुत्त थी तीनो उसे घसीटते हुए लगभग बाथरूम से बाहर ले आए और उसे नंगी ही बिस्तर पे लेटा दिए....उसके चूड़ी पहने हाथों को दो मुश्टंडों ने कस कर थाम लिया....बाकी तीसरा उसकी टाँग खोले उस पर चढ़ने की कोशिश करने लगा)
 

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नीचे अंजुम को अब तक नशा काफ़ी सर चढ़ चुका था..अब म्यूज़िक का शोर जैसे जैसे गूँज़ रहा था उसके कानो में...उसे सब अच्छा अच्छा लग रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वो ज़मीन से उपर नीचे हो रही है...वो एकदम चकराई लगभग बैठे हुए सर पकड़े रही...इतने में वाइन का ग्लास थामे राजेश का दोस्त उसे देखते हुए उसके पास आया वाइन की चुस्किया लेके उसका नशा दुगना हो गया वो ललचाई निगाहो से काली साड़ी पहनी अंजुम के बदन को निहारने लगा


राजेश का दोस्त : अर्रे आप ठीक तो है ना भाभी जी ?

अंजुम : ज.जीि हां पर आप कौन?

राजेश का दोस्त : मैं राजेश का फ्रेंड हूँ लगता है आपकी तबीयत ठीक नही


अंजुम : न..नहिी मैं ठीक हूँ वो हेमा कहाँ है?

राजेश का दोस्त : वो तो हाहाहा उपर है आप ही को याद कर रही थी आपको बुलाई है उपर

अंजुम: मुझे लेकिन उम्म मैं नही आप उसे यही भेज दीजिए


राजेश का दोस्त :देखिए यहाँ ऐसे बैठे रहने से कोई फ़ायदा नही आप उपर चलिए


अंजुम : नही नही मैं यहाँ ठीक हूँ म..मैंन (अंजुम लगभग लरखड़ा सी गयी उसके हालत को देख राजेश मुस्कुराया)


राजेश : अर्रे आइए आइए उपर चलिए आप रेस्ट भी कर लीजिएगा लगता है आपने ड्रिंक कर लिया

अंजुम : म..मैं नही आउन्गि (अंजुम थोड़ी सहम गयी एक तो उसे नशा हो रहा था उपर से राजेश के दोस्त को देखके उसे डर लग रहा था)

लगभग राजेश के दोस्त ने उसके बाज़ू पे हाथ अभी रखा ही था...इतने में नाचते लोगो को ठेलत हुआ आदम अपनी माँ को देख लेता है जिसके बाज़ू पे उस आदमी का हाथ है....वो मास्क पहनी माँ के चेहरे को आराम से पहचान लेता है...आदम मास्क अपना ठीक किए एकदम से दोनो के बीच आता है और लगभग राजेश के दोस्त का हाथ बाज़ू से हटा देता है

आदम : क्या हो रहा है यहाँ? ईज़ देयर एनी प्राब्लम अंजुम ? (आदम की भारी आवाज़ को सुन राजेश का दोस्त और अंजुम दोनो ही चौंक उठते है राजेश का दोस्त एकदम से उसे घूर्र घूर्र के देखने लगता है हैरत से)

राजेश का दोस्त : जी आपकी तारीफ आप कौन है? और ऐसे हमारे बीच क्यूँ आए? (दोस्त के स्वर में एका एक कड़क भाव था)

आदम : यह मेरी गर्लफ्रेंड है बोले तो मेरी घरवाली (राजेश का दोस्त चमक उठता है अभी राजेश का दोस्त कुछ और कह पाता) एनी प्राब्लम आपको कोई दिक्कत?


राजेश का दोस्त : पर राजेश ने तो बताया था हेमा के साथ सिर्फ़ उनकी सहेली!

आदम : मेरी गर्लफ्रेंड अंजुम ने ही मुझे इन्वाइट किया था पार्टी में साथ में मेरे दोस्त भी है यहाँ मिस्टर अजय सिंग राठोड


राजेश का दोस्त कुछ समझ नही पा रहा था उसे लगा उसकी सहेली और हेमा अकेले आए हुए थे उसने एक बार कुछ कहना ही चाहा था कि आदम ने पलभर में माँ की तरफ देखा जो उसे नही पहचान रही थी और उसे आश्चर्य और गुस्से भरे भाव से देख रही थी एकदम से क्यूँ उसने उसे अपनी गर्लफ्रेंड कहा....आदम के मास्क के होंठ में छेद था इसलिए वो अपने होंठ माँ के कान के नज़दीक पलभर में लाया और बोल उठा जिसे सुनते ही माँ हड़बड़ा गयी नशे में होने के बावजूद वो हैरान थी कि उसका बेटा यहाँ क्लब आया हुआ था उसके पीछे


राजेश का दोस्त : भाभी जी क्या ये सच कह रहे है? ये आपके ?

अंजुम : ज.जीई ये मेरा बाय्फ्रेंड है अनिल (अंजुम को सही लगा नाम उसने कह दिया)

राजेश का दोस्त चुपचाप सा हो गया इतने में समीर पीछे से आया जो सिल्वर मास्क पहना हुआ था अंजुम उसे पहचान नही पाई पर आवाज़ से उसे कोई जाना पहचाना लगा...."क्या हुआ बडी एनीप्रोब्लम?"........आदम की जान में जान आई...समीर राजेश के दोस्त को घूर्रने लगा

राजेश का दोस्त : आपकी तारीफ?

समीर : मेरा नाम अजय सिंग राठोड है सीनियर इनस्पेक्टर फ्रॉम दिल्ली क्राइम ब्रांच (एका एक उसकी पुलिसिया पहचान से राजेश का दोस्त घबरा गया)

आदम : अंजुम इसने तुम्हारे बाज़ू पे हाथ क्यूँ रखा ? (आदम ने हिम्मत से कहा तो अंजुम ने भी राजेश के दोस्त को देखते हुए बताया कि यह ज़बरदस्ती ऐसा कर रहे थे राजेश का दोस्त घबरा गया वो ना ना करने लगा)

समीर : अच्छा तो ये मामला है तो तू ज़बरदस्ती कर रहा था वो भी पोलीस वाले के साथ

आदम : एक पोलीस वाले की माल पे निगाह रखने में तुझे डर नही लगा बुला राजेश को बुला ज़रा उसे

राजेश का दोस्त : आई..सा कुछ नही ये झूंठ बोल रही है मुझे लगा कि यह यहाँ अपनी सहेली के साथ!

आदम : तो अकेले देखके मेरी गर्लफ्रेंड का फ़ायदा उठा रहा था


समीर : तू रहने दे दोस्त मैं देखता हूँ इसको एक पोलीस वाले की प्रॉपर्टी पे हाथ डाला है इसने (समीर वैसे ही जान गया था कि उसने मेरी माँ को छेड़ा था इसलिए उसका खून खौल उठा और वो उसे कस कर पकड़े बाथरूम में ले गया...वैसे भी समीर हॅटा कट्टा था)


इतने में माँ ने मेरे मास्क को उतार डाला लगभग मुझे देखके उन्हें अच्छा अहसास हुआ..."उफ्फ तू यहाँ कैसे?"........

"फिलहाल तो तू चल मेरे साथ यहाँ से अभी कुछ पूछना मत"....

."बेटा बहुत दर्द हो रहा है सिर में तेरे से माँफी मांगती हूँ प्लीज़ हाथ जोड़के कि बाप को मत!"...

."पागल है क्या तू? रुक"......

.माँ की हालात खराब हो गयी थी मैने बारटेंडर को घूरा जो अब तक हमारे बीच जो कुछ भी हुआ उसे नोटीस कर रहा था

मैने उसे झाडा..."इधर आ तो नशीली चीज़ें तू कोल्ड ड्रिंक पानी में मिलाता है?".......

वो सुनके डर गया..

"सब-इनस्पेक्टर के सामने ज़्यादा श्याना ना बन बेटीचोद जैल में सडेगा तू".....

"स..इर्र मांफ कर दो मालूम नही था कि ये आपके साथ आई है ये तो यहाँ चलते रहता है"......

मैने उसे खूब झाड़ा जिससे वो डर गया...गनीमत थी कि वहाँ हमारी वजह से कोई हंगामा नही हो रहा था

इतने में समीर आया....उसने बताया कि उसने अच्छे से तीन चार जड़ दिए राजेश के फ्रेंड को वो ढेर हो गया है साले को एक टाय्लेट रूम में बंद करके आया है अब यहाँ से जल्द से जल्द से निकल जाना चाहिए...उसने अंजुम की हालत देखी तो आदम के साथ साथ उसने भी बारटेंडर को धमकाया...और उसे एक ग्लास बियर के साथ सलाद लाने को कहा...आदम कुछ समझ नही सका

"साले तेरी माँ को नशा ज़्यादा हो गया है पहली बार लगता है ड्रिंक की है...तू ये बियर और मसाला वाला खीरा इन्हें खिला ये ठीक हो जाएँगी"......

मैने ठीक वैसे ही माँ को खीरा और बियर पीने को बोला....माँ ने नशे में ही उसे जैसे तैसे खाना शुरू किया और आधा ग्लास तक बियर पिया फिर उनसे पिया नही गया....

"यार हेमा आंटी के चक्कर में लेने के देने पड़ जाते आज यार उपर तो हेमा घुसी पड़ी होगी उसे भी ले चलते है यहाँ से"..........समीर अब तक बहुत गुस्से में था उसने मुझे झाड़ा

समीर : नही अबे छोड़ जाने दे मरने दे रंडी को


पर अंजुम नशे हालत में हेमा को बुलाने के लिए कह रही थी....उसे अकेले छोड़के जा नही सकते थे अगर उसे कुछ हो गया तो उसकी बेटियाँ तो अनाथ ही हो जानी थी कोई उनके आगे पीछे नही था हेमा के सिवाय...समीर ने मुझे मेरी माँ को बाहर गाड़ी में बैठने का बोलके गाड़ी की चाबी दी...मैं माँ को संभाले कंधे से पकड़े बाहर ले आया...गार्ड मुझे एक औरत के साथ पाया तो मुस्कुराया...मैने उसकी तरफ देखा नही उसे गेट से बाहर ले आया....

फिर झट चाबी से गाड़ी का लॉक खोल उसे गाड़ी में बिठाया...."उफ्फ मम्मी तू ठीक तो है ना".........मेरे झींझोड़ने से माँ बस मुझसे माँफी ही माँगें जा रही थी वो मेरे कंधे पे सर रखके नशे में धुत्त सो गयी....मुझे बेहद बुरा लगा कि माँ ने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया था?
 
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