बहुत ही मदमस्त और कामुक अपडेट है भाई मजा आ गयाधीरे धीरे अब मेरी हवस बढ़ रही थी. माँ को छुप छुप कर नहाते हुए तो मैं पहले भी देखता था पर मैं अब उनकी ब्रा और पैंटी छुपाने लगा था. रोज किसी की ब्रा या पैंटी चुपके से उठा कर ले जाता था और उसको सूंघते हुए मुठ मारता था. फिर उसी पैंटी में वीर्य पोंछ देता था. जब पैंटी सूख जाती थी तो उसे फिर से माँ के कपड़ों में रख देता था. या फिर उसको वैसे ही ले जाकर उसी जगह पर टांग देता था जहां से उतारी होती थी. ऐसे ही दिन बीतते गए.
एक दिन मैं काम से लौटा तो देखा आज माँ की नयी पैंटी बाथरूम में गंदे और धोने वाले कपड़ों में पड़ी थी. उसे मैंने आज पहली बार ही देखा था. मैंने पैंटी को उठा कर देखा और थोड़ा सूंघा तो उस में से माँ के चूत की सुगंध आ रही थी. माँ ने पैंटी को सारा दिन पहना था तो उस में से माँ के पेशाब की भी भीनी भीनी खुशबु आ रही थी. नयी पैंटी थी तो लंड मचलने लगा. मैं पैंटी को लेकर ऊपर अपने रूम पर गया. मैंने अपना बैग एक तरफ पटका और अपने कपड़े उतारने लगा.
मैं पूरा का पूरा नंगा हो गया. मेरी आदत है कि जब मैं अकेला होता हूं ज्यादातर नंगा ही रहता हूं. उस दिन भी मैं अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया. मगर दरवाजा बंद करना मुझे याद ही नहीं रहा. मैं बेड पर लेट गया. मैंने लौड़े को हिलाना शुरू किया. पैंटी सूंघते हुए वो एक मिनट के अंदर ही पूरा टाइट हो गया. मैं पैंटी को लंड पर लगा कर मुठ मारने लगा. मेरी आंखें बंद थी. फिर कुछ देर तक मुठ मारने के बाद मैंने पैंटी को अपने मुँह पर रख लिया और जिस जगह पर माँ की चूत आती है उस जगह को चाटने लगा. मेरा लण्ड बहुत सख्त हो गया था और मेरा होने ही वाला था. ज्यों ज्यों मेरा वीर्यपात पास आ रहा था मेरे मुठ मारने की स्पीड तेज होती जा रही थी.
पता नहीं कब अचानक से माँ घर आ गयी और मुझे कहीं न पा कर वो मेरे रूम में आ गयी. उन्होंने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया. एकदम से घबरा कर मैं उठ गया और खड़ा हो गया। पर मेरा वीर्यपात इतना पास था की मैं अभी भी अपने लण्ड को तेज तेज आगे पीछे कर रहा था. और मैं नंगा ही था.
मेर लण्ड लोहे की तरह था और मेरा काम पूरा होने ही वाला था तो लण्ड पर नसें तक दिख रही थी.
बस पैंटी मेरे मुँह में थी और लंड पर मेर हाथ चल रहे थे. . मैं मज़े में मुठ मार रहा था.
उन्होंने मुझे ऐसा करते देखा और चिल्लाईं- ये क्या कर रहे हो?
मैं डर गया … मुझसे कुछ नहीं बोला गया.
माँ के आँखें आज फिर मेरे तने हुए लण्ड पर फिर से जम गयी थी. माँ गुस्से से मेरे पास आयी और मेरे हाथ से अपनी पैंटी छीनने की कोशिश की. मैंने जल्दी से मुँह से पैंटी हटाई और कुछ न सूझते हुए लण्ड को उस से ढकने की कोशिश की. इस कोशिश में लण्ड पर माँ की पैंटी लग गयी.
माँ ने पैंटी छीनने की कोशिश की तो गलती से उनका हाथ मेरे लौड़े पर लग गया। पैंटी उतारने की कोशिश में मेरा लौड़ा उनके हाथ में आ गया.
चाहे माँ ने जान भूझ कर मेरा लौड़ा पकड़ने की कोशिश न करी थी पर गलती से ही सही मेरा लौड़ा माँ के हाथ में आ गया.
ज्यों ही मेरे लौड़े पर माँ का हाथ पड़ा बस मेरे मुँह से एक जोर से आह की आवाज निकली और मेरे लौड़े ने अपने रस के धार छोड़नी शुरू कर दी. अब स्थिति यह थी की माँ के हाथ में मेरा लण्ड था जो अपनी पूरी ताकत से अपने माल निकल रहा था.
इस के पहले कि माँ अपने हाथ पीछे कर सके. उनका सारा हाथ मेरे लैंड के रस से भर गया। पूरा वीर्य उनके हाथ में गिर गया और कुछ छींटे तो उनकी साड़ी पर भी पद गए।
माँ को कुछ सूझ नहीं रहा था की वो क्या करे. उनका हाथ मेरे विर्य से भरा था.
उसके बाद मॉम ने मेरे हाथों से अपनी पेंटी खींची और चली गईं. मैं एकदम से घबरा गया था और उनसे नजरें नहीं मिला पा रहा था.
माँ गुस्से में थी. वो कुछ भी बोले बिना अपने कमरे में चली गयी.
मैं बहुत डर गया था. तो माँ के पीछे पीछे गया. मैंने माँ के कमरे के दरवाजे की दरार से देखा तो माँ ने मेरे वीर्य से भरा हुआ अपना हाथ अपने मुँह में डाल लिया और फिर वो अपने हाथ की उँगलियों से मेरे वीर्य को चाटने लगी.
मेरा लौड़ा तो माँ को मेरा वीर्य चाट ते देख कर फिर से एकदम खड़ा हो गया. पर मैंने कुछ नहीं किया और चुपचाप अपने कमरे में आ गया.
माँ ने भी कोई बात नहीं की। वो बस बिलकुल चुप थी. जैसे उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या कहे और क्या करे.
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा