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Incest मां और मैं

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महोदय आप कदरदान पाठक हैं और मैं एक नवोदित ठरकी लेखक जो कि अपनी आपबीती को कुछ छुपा कर कुछ ढककर आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं
मुझे आपका सुझाव की कद्र करनी चाहिए और अपनी कहानी में समावेश करना चाहिए किंतु जैसा कि मैंने निवेदन किया है यह मेरी आपबीती है तो मैं जो घंटा उसे लगभग उसी ढंग से आपके सामने रख रहा हूं दूसरा अब दूसरा पक्ष थोड़ा व्यक्तिगत है मैं यह समझता हूं कि सेक्स दो आत्माओं के बीच की चीज है इसमें सिर्फ प्यार तथा एक दूसरे को समझने का प्रयास होता है जिससे दोनों शरीर और मन एक दूसरे में समा जाते हैं।
अब चाहे मेरी मां ने मुझे अपना शरीर मेरे को बाहर भटकने से रोकने के लिए दिया हो या अपनी भूख को थोड़ा सा शांत करने के लिए किंतु इसमें प्यार तो है ही और मां कभी नहीं चाहती कि उसका और मेरे बीच का प्यार इस तरह से बटे, इसी तरह चाची से जो मेरा संबंध शुरू हुआ वह चाची की कुंठा और अकेलेपन को दूर करने का मेरी ओर से प्रयास था चाची ने भी मेरे ऊपर पूरा विश्वास करके अपना शरीर और मन मेरे हवाले कर दिया था, मैंने खुद ही देखा था चाची के भतीजे भांजे भी आकर चाची के ऊपर लाइन मारते थे, किंतु चाची ने किसी को घास नहीं डाली, मेरे द्वारा चाची की सेवा का प्रसाद था, या मेरे भाव तथा मेरे मन से चाची के प्रति प्यार मने ही चाची को इतना निडर बनाया होगा कि चाची ने अपना सबकुछ मेरे को अर्पित कर दिया।
अब अगर मैं मां और चाची शायद दोनों को पता भी हो, स्त्रियों छठी इंद्री इतनी जागृत होती है कि बिना कुछ किए भी व्यक्ति के मनोभावों को पकड़ लेती हैं अब चाहे मां को पता हो कि मैं चाची को ठोकता हूं या चाची से बहुत ज्यादा प्यार करता हूं (प्यार का पक्ष तो पक्का ही पता होगा) और ठोकने का शक होगा लेकिन मां को शायद यकीन नहीं होगा की चाची ने अपना सब कुछ मुझे सौंप दिया है, इसी प्रकार चाची भी शायद कभी यकीन ना कर पाए कि मैंने मां से अंतरंग संबंध बना लिए हैं और मां ने मुझे अपनी सबसे मूल्यवान चीज दे दी है।
इसलिए उनके मनोभावों को का आदर करते हुए मैं कभी भी उन दोनों को आमने-सामने नहीं करूंगा ना ही एक के सामने दूसरे से संबंधों को स्वीकार करूगां इसलिए बहुत ही एतिहात और समझदारी के साथ मुझे यह खेल जारी रखना लग रहा था। यह उस समय की बात है।
अब मूल विषय यह है कि जब कोई स्त्री किसी पुरुष को अपना तन मन देती है तो यह उससे दगा करना होगा कि उसको किसी दूसरी स्त्री के सामने नंगा किया जाए इसलिए और भी क्योंकि सेक्स दो आत्माओं का मिलन है इसलिए मैं दोनों के साथ सामुहिक संभोग के बारे में कभी नहीं सोच सकता। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है ।
हो सकता है आपको यह बहुत पसंद हो पर सेक्स इतना गूढ़ विषय है कि सब लोग अपनी अपनी अलग दुनिया बनाए रखते हैं। मैं आपकी भावनाओं का आदर करता हूं पर अपना पक्ष आपके सामने रखते हुए क्षमा चाहता हूं कि मैं मां और चाची को एक दूसरे के सामने ठोकने की कहानी बनाकर पाठकों के सामने नहीं रख सकता। कृपया साथ में बने रहिए कहानी में बहुत सारे मोड़ हैं, बहुत सारे नए पात्र आपके सामने आएंगे और मां के मेरे साथ संबंध एक अलग ऊंचाई पर पहुंचेंगे तथा चाची को बिल्कुल स्वस्थ होते हुए देखकर आपको भी शायद अच्छा लगेगा।
अपनी भावनाओं से अवगत कराते रहिए यदि संभव होगा तो मैं समावेश करूंगा।
जैसे आपको पसंद हो वैसे ही कहानी को चलने दो । आपकी कहानी तो बेहतरीन है ही
 

Sangya

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दिन बीतते जा रहे थे और मेरा लन चूत के अंदर तथा दोनों हाथ और मुँह सिर मम्मों के ऊपर और कभी कभी नितंबों में, मजेदार जिंदगी थी हफ्ते में दो बार, एक बार चाची की और एक बार मां की तथा कभी-कभी दोनों में से एक-आधी बार बोनस के रूप में चुदाई मिल जाती थी तो मुझे मां या चाची को अतिरिक्त बार चुत फरमाइश करने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी
इस आनंदमई जीवन का पूरा मज़ा लेते हुए तथा चुदाई से बचा हुआ समय पढ़ाई में पूरी तरह से एकाग्र कर मैं अपने भविष्य के लिए आशान्वित था।
शनिवार इतवार को पापा और भाई आ जाते थे पर सप्ताह के दिनों में मेरी और मां की चुदाई वाली दिनचर्या बहुत अच्छी चल रही थी उधर चाची के पति का आना-जाना और भी कम हो गया था इसलिए वहां से भी मुझे पूरी छुट थी।
एक दिन मैंने मां को बोला कि मेरे कच्छे फट गए हैं नए लाने हैं मां ने कहा अच्छा लेकिन अगले दिन मां ने अपनी अलमारी से अपनी तीन कच्छियां निकाल कर मुझे पकड़ा दी और कहा इनको पहन ले|
मैं बोला यह तो तेरी कच्छियां है तेरी कच्ची में अपना मोटा लौड़ा रखूंगा इसमें तो सब कुछ दिखता रहेगा और मेरा लन्ड खड़ा हुआ तो तुम्हें मुश्किल होगी, मां ने मेरा कान मरोड़ा और कहा मां की तू में अपना मोटा लन मेरी फुद्धी में डालकर हिलाता रहता है और मां की कच्छी में पैर डालते हुए तथा उसके मां की चूत वाले हिस्से पर लंड रगड़ते हुए तुझे शर्म आ रही है
ट्राई करता हूं
और जब मैंने कच्छी पहनी तो जब मेरा खड़ा लंड मां की कच्छी में चूत वाले हिस्से पर नर्म कपड़े से रगड़ खा रहा था तो एक अलग ही एहसास आना शुरू हो गया और और मेरा लन आधा खड़ा हो गया लेकिन एक समस्या हुई पहले मैं बिना कमीज के ही घर में घूमता रहता था अब कच्छी में मैं काफी कुछ नंगा महसूस कर रहा था मां को बोला ऐसे तो बाहर जाने में शर्म आएगी
मां बोली बाहर क्यों, घर तो चारों तरफ से बंद है घर में ऐसे ही घूम ले चाची की तरफ जाएगा वह तोलिया लपेट लेना बाकी चाची को तेरा लंड दिखता रहेगा तो भी चाची को कुछ एतराज नहीं होगा एक लुंगी या तहमद खरीद लाऊंगी जब बाहर से कोई मेहमान आए तो उसको कमर पर लपेट लिया कर।
मैं तो अब कच्छी पहनती नहीं हूं मेरी चूत का घूंघट तेरे लौड़े का बुर्का बन जाएगा तो पैसे वसूल।
जून से नवंबर आ गया था और मैं मां की कच्छी पहन के घर में घूमता, मेरा लिंग टेंट बनाता हुआ हमेशा ही खड़ी अवस्था में मां और चाची को सलामी देता रहता था और जब कभी पीछे से मां को लिपटता तो मां के पेटीकोट और मेरी कच्ची के पतले से कपड़े के बीच में लंड और गांड का अच्छा मिलन हो जाता था इधर चाची ने भी घर में साड़ी पहनी लगभग बंद कर दी थी और वह भी मां की तरह पेटिकोट और ब्लाउज में ही घूमती थी तो जब मौका मिलता मैं अपना पूरा खड़ा लंड लेकर साइड से बाहर निकालकर चिपट जाता था। मां व चाची दोनों को मेरे लिंग को अपने पेटिकोट के ऊपर आगे जांघों के बीच में या फिर पीछे गांड के ऊपर महसूस होता और वह भी इसका आनंद लेने लग गई थी
नवंबर में हल्की सर्दी पड़ने शुरू हुई तो मैंने घर में पजामा पहनना शुरू कर दिया और ऊपर कमीज जिससे हमारी मस्ती थोड़ी कम हुई किंतु रात को में पजामा कच्छी उतारकर बिल्कुल नंगा रजाई के अंदर मां से लिपट जाता था और मां भी ज्यादातर ब्लाउज उतारकर तथा पेटीकोट को कमर के गिर्द लपेटकर रजाई के अंदर लेटी होती थी, मेरा गर्म इमर्शन रॉड धमां मां शहद भरी बोतल के अंदर घुसने के लिए स्वतंत्र होता था तो रात को हमारे संभोग की आवृत्ति बहुत बढ़ गई थी
लगभग रोज ही हम ठोका-ठाकी कर लेते थे दिन में चाची से मिलने के अवसर कुछ कम हो गए थे क्योंकि मां ज्यादातर घर में ही रहती थी
दिसंबर में चाची की नंद आ जाती थी इस बार उसके साथ उसकी जवान बेटी रचना भी आई थी जो लगभग मेरे से 1 साल छोटी थी पहले भी जब आती थी तो हमारी आपस में खूब पटती थी हम एक दूसरे से खेलते थे और चुम्मा चाटी भी कर लेते थे इस बार मेरा पढ़ाई का जोर था इसलिए बहुत ज्यादा समय उसके साथ नहीं निकाल पाता था परंतु हाथ आई खीर की कटोरी को चाटने से कौन छोड़ सकता है और उसे भी अपनी कोरी कटोरी के अंदर चमचा चलवाने का मन होने लगा था
बीच-बीच समय मिलते ही में हम लोग बैठ कर बातें करते थे
एक दिन बोली कि मां मेरी शादी हमारे ही पड़ोस के एक अकेले लड़के से कर रही है क्योंकि और वह चाहती है कि वह लड़का उनके ही घर में रहे
मैंने कहा फिर तो मजे हैं बुआ को घर जमाई मिलेगा तुझे कुछ छोड़ना नहीं पड़ेगा अपनी मां के पास रहेगी और पति का सुख ही मिलता रहेगा सास की कोई जली कटी नहीं सुननी पड़ेगी
रचना की छोटी-छोटी चुचियां पतला शरीर था मुझे ऐसी लड़कियां बहुत पसंद नहीं थी क्योंकि लड़की गुलगुली होना चाहिए हड्डियों के ऊपर से लगेगा पत्थर के ऊपर सो रहे हो तो रचना मां उसकी शादी पड़ोस के लड़के से कर रही है बहुत ही हट्टा-कट्टा है और उसने कहा कि, उसे लगता था कि शादी के बाद मैं उसको सह नहीं पाऊंगी
मैंने कहा जब तुझे पसंद नहीं तो तेरी मां उस लड़के को घर जमाई क्यों बना रही है वह थोड़ा मुस्कुराई और बोली मुझे नहीं पता पर मां को वह को बहुत पसंद है मुझे तो शक है कि मां मेरी शादी के बाद उससे अपनी भूख शांत करेगी, पिताजी की मृत्यु के बाद रचना की मां को कोई डंडा नहीं मिल रहा था अब पता नहीं लड़की के माध्यम से ही अपने लिए डंडे का इंतजाम करना चाह रही थी या अपनी एकलौती संतान रचना के पति को अपने बेटे के रूप में घर रखकर अपना बुढ़ापा ठीक करना चाहती थी
रचना की मां मोटी ताजी थी किंतु मुझे नहीं लगता था कि वह बाहर से कामवासना से किसी तरह से पीड़ित है शांत स्वभाव की प्रमुख औरत थी तो यह रचना का वहम हो सकता था पर मैंने रत्ना को सिर्फ इतना कहा कि मुझे नहीं लगता बुआ तेरे हिस्से वाले आदमी पर अपना हक जताएगी तू बेफिक्र हो कर रह
बाकी हट्टा-कट्टा आदमी हो या पतला दुबला सुहागरात के दिन वह बीवी की ऐसी सेटिंग कर देता है कि हर एक बीवी आराम से पति को अपने ऊपर चढ़ा लेती है और अपने छोटी सी योनि से बच्चे को भी बाहर निकालने का सामर्थ्य प्राप्त कर लेती है
वह बोली : नहीं भैया मुझे डर लगता है
मैं : डरती क्यों है थोड़ी प्रैक्टिस कर ले

रचना : मैं अपना कोमार्य अपने होने वाले पति के लिए ही बचा कर रखूंगी
मैं : सील तोड़ने की बात कौन कर रहा है, मुझे पता है तू उंगली तो करती ही है अगर तुझे अपना होने वाला आदमी हट्टा कट्टा लगता है तो थोड़े मोटे बैंगन से ट्राई कर ले रचना : एक दम सकपकाई और बोली बैंगन से हरगिज़ भी नहीं
मैं:क्यों भाई
रचना: अरे तुझे नहीं पता, एक बार बैंगन से कोशिश की थी तो बैंगन अंदर ही टूट गया था बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला एक बार तो लगा फंस गई मां को बताना पड़ेगा पर कोशिश के बाद निकल गया
मैं : अगर ऐसा है तो गाजर या मूली से करके देख
वह बोली : मेरे भाई,सब्जियां छोड़ तू अगर मेरे लिए मोमबत्ती का इंतजाम कर सकता है तो शायद कुछ अच्छा लगेगा
मैं ; फिक्र क्यों करती है कर देता हूं पर एक शर्त है
रचना बोली क्या
मैं : मोमबत्ती से तेरा अभ्यास में ही करवा दूंगा
वह बोली : धत, मुझे शर्म आएगी
मैं : शर्म मत कर लाईट बंद रखेंगे , तू मुझे मत देखिए और मैं तेरी नहीं देखूंगा लेकिन सबसे सावधानी से एतिहात से तेरे अंदर का अभ्यास करा दूंगा
वह चुप होकर भाग गई
अगले दिन वहमिली तो पूछा मेरा काम हो गया क्या मैंने बोला तूने कहां हां कहा था
वह शरमा कर बोली बुद्धू स्त्रियों के मन की बात क्यों नहीं समझता मैं उसकी ठरक को पहचान गया और बोला शाम तक तेरा काम हो जाएगा वह उसने करीब आकर मेरा हाथ पकड़ा और बोली शाम तक तो तू मोमबत्ती लाएगा असली काम तो रात को या कभी अकेले में मिलने पर ही कर पाएगा मैंने भी उसके नितंबों पर हाथ करते हुए कहा बहन फिक्र क्यों करती है जल्दी ही तेरा पक्का इंतजाम कर दूंगा ताकि तू खेल खेल में ही अपनी सुहागरात सुख लेते हुए मना पाएगी और सैयां को बोलेगी और डालो और पी लो मेरे करीब आई और मेरी कमर में उसने हाथ डाल दिया उस समय मैंने उसके पप्पी लेनी चाहिए पर उसने बोला अभी नहीं बाद में शाम को मेरे पास एक स्पेशल तरह की शाम को मैं बाजार जा कर एक अच्छी बड़ी मोमबत्ती ले आया और थोड़ा सा गर्म करके मां की आंख बचाकर रसोई में उसको थोड़ा सा गर्म करके लो की तरह बना दिया और अपनी किताबों वाली अलमारी में छुपा कर अकेला होने का इंतजार करने लगा अगले दिन मां चाची और चाचा की नंद रचना की मां तीनों बाजार गई तो मुझे पता था लगभग एक घंटा लगने वाला है मैं मैं रचना को अपने कमरे में बुलाया और उसे आलिंगन करके बोला चला तेरा महत्वपूर्ण काम करते हैं वह तैयार थी और मेरे से चिपकने लगी उस समय उसने सलवार कुर्ता पहना हुआ था मुझे महसूस हुआ कि उसने नीचे जमीन और कच्ची भी पहनी हुई है मैंने बोला अपने कमरे में जाकर पहले फालतू का समान उतार कर आ और देख अगर फ्रॉक पहन के आ जाएगी तो बहुत अच्छा रहेगा वह अपने कमरे में गई और कमीज के नीचे सलवार उतार कर सलवार और कच्ची उतार कर अपनी मामी का पेटीकोट पहन कर आ गई मैंने उसे अपने भाव पास में लिया उसके नितंबों को टटोला और कच्ची को नापाक कर मेरा भारी भरकम होने लगा मैंने और कसकर उसको अपने से चिपका लिया इस बीच में मैंने भी पजामा उतार कर पजामा और कच्छी उतार कर सिर्फ एक अंगोछा लपेट लिया था जिससे मेरा उसकी जांघों के बीच में दस्तक देने लगा मैंने एक हाथ उसके नितंबों पर खेलना जारी रखा और दूसरे हाथ से उसकी पीठ पर फिराने लगा और उसे अपने करीब खींच लिया उसने भी दोनों हाथों को मेरी पीठ पर लगा कर मुझे अपने मम्मों से दबाने लगी मैंने अपना मुंह उसके मुंह से जोड़ दिया और धीरे-धीरे उसका पेटीकोट ऊपर करने लगा अपने घुटने से उसका पेटीकोट धीरे-धीरे ऊपर करने लगा जब उसकी चूत नंगी हो गई तो मैंने घुटने से उसकी चूत को रगड़ना जारी रखा और अपने दोनों हाथ उसकी गर्दन पकड़ कर उसके मुंह को अपने मुंह में भर लिया उसने पूरा साथ दिया इस बीच में मैंने उसकी कमीज ऊपर करके उसके उरोज खोल दिए और अपना मुंह नीचे उसकी चूचियां चूसने लगा उसकी सीत्कार निकलने लगी मैं उसे उठाकर पलंग की तरफ ले गया और उसके ऊपर मचलने लगा अब तक मेरी कच्छी कहीं गिर गइ थी और मेरा लन्ड उसकी जाघों के बीच में अपना करतब दिखा रहा था वह बहुत गर्म हो गई थी उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था मैंने धीरे से अपना बाया हाथ बढ़ाकर मोमबत्ती को उठाया और अपनी कमर थोड़ा पीछे करके जगह बनाई और हाथ से मोमबत्ती को उसकी योनि के मुहाने पर लगा दिया वह कसमसाने लगी मैंने थोड़ा सा हाथ बढ़ाकर मोमबत्ती का सुपाड़ा उसकी योनि में ठेल दिया वह एकदम हड़बडा़ने लगी और कहने लगी, धीरे से, कहीं सील ना टूट जाए
मैं: घबरा मत, पर मुझे सावधानी रखना ठीक लगा और मैंने धीरे से अपनी उंगली उसकी योनि में डाल दी सहज सहज से उंगली अंदर सरकाते हुए मुझे योनि मेंआगे जाकर कुछ रुकावट लगी जो कि उसकी सील की लग रही थी मैंने वहां पर उंगली का नाप लिया और उंगली बाहर निकाल कर मोमबत्ती के मुहाने से वहां तक निशान लगा दिया और उसे दिखा कर बोला कि यह देख जहां तक तो यह सुरक्षित है
अब सील के ऊपर से तेरी योनि चोडी़ करने का प्रयास करते हैं
वह बोली जो करना है जल्दी कर तब तक मेरे लन उसकी चूत के ऊपर में चलने के कारण वह गर्म हो चुकी थी और उसने एक हाथ में मेरा लिंग पकड़ लिया था और मेरे हथौड़े से बड़े लौड़े को उसने अपनी योनि के मुहाने पर रख दिया मैंने थोड़ा सा ठेला तो वह घबरा गई और बोली "अरे ! नहीं, अरे नहीं यह तो पूरा घुस जाएगा काबू में नहीं आता मैं बोला नहीं मुझे अंदाजा है मैं फिर से सुपाड़ा ही अंदर डालूंगा और तेरी योनि को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा
वह कुछ नहीं बोली पर मुझे भी कुछ डर लगा तो मैंने कुछ देर सुपाड़ा चूत के मुंह में ही रहने दिया और उसके हाथों ने मेरे लिंग को पकड़ा हुआ था जिसके दवाब व मेरी कामुकता के कारण कुछ देर में मेरा वीर्यपात हो गया और मैंने लंड को पीछे किया अपनी कमर को पीछे किया और मोमबत्ती को धीरे से उसकी योनि में फंसाने लगा मेरे वीर्य तथा उसके काम रस के कारण योनि बहुत चिकनी हो गई थी अतः मोटी मोमबत्ती का बनाया हुआ सुपाड़ा पूरी तरह से उसकी योनि में आराम से घुस गया और उसको तनिक भी दर्द नहीं हुआ मैंने फिर थोड़ा सा और दबाया और निशान तक मोमबत्ती अंदर ठोककर मैं उसको जोर जोर से दाएं बाएं हिलाने लगा
मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था मेरी कमर उसके दूध से थोड़ा ऊपर थी नंबर मेरे साथ उसकी योनि में मोमबत्ती को हथियार के साथ अंदर बाहर कर रहे थे उसने अपने दोनों हाथों से मेरे नितंबों को जकड़ लिया और मेरे लिंग के स्थान पर मोटी मोमबत्ती उसकी योनि में लिंग के समान आनंद देने लगी रचना की कमर तेजी से आगे पीछे होने लगी उसमें खतरा हुआ कि कहीं मोमबत्ती ज्यादा अंदर ना घुस जाए इसलिए मैंने निशान तक मोमबत्ती को अपनी हथेली में पकड़ा हुआ था फिर रचना एकदम ऐंठने और शरीर को कंपकंपाने लगी और उसने अपने आप को बिल्कुल स्थिर करके मेरे से चिपका लिया मेरा लिंग उसकी जांघों के बीच में टक्कर मार रहा था और मोमबत्ती उसकी योनि में थी फिर वह जोरों से कांपी और झड़ झड़ होकर झड़ने लगी गहरी सांस लेकर वह मेरे से अलग हुई और सांस आते ही भागकर आपने मामी के कमरे में चली गई
मैं इधर मेरे वीर्य को फर्श से पौछंकर कच्छी तथा पजामा पहन कर बैठा ही था कि दरवाजा खटखटाने की आवाज आई और खोलने पर मां चाची तथा बुआ तीनों घर में आ गई
हम पकड़े जाने से बाल-बाल ही बचे थे और मुझे पता नहीं रचना ने तब तक अपने आप को कितना सहजा संवारा था पर बुआ चाची की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना होने के कारण मुझे कौन आया और मैंने मां की पप्पी लेकर चाय बनाने के लिए चल दिया
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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भाई, मैं संभोग के दौरान तीसरे की उपस्थिति सहज नहीं मानता, एक बार बम्बई रंडीखाने में दो कमसिन लड़कियों के साथ प्रयोग करने का प्रयास किया था पर मैं सहज नहीं हो पाया था
मां चाची या किसी दूसरी सगी संबंधी को एक दूसरे के सामने अपनी उपस्थिति में नंगा करने का विचार आते ही उत्पल दत्त स्टाइल में खुद को कहता हूं
"छि:, रामप्रसाद जिन चूतों को मारते हो उन्हीं में कम्पीटीशन"
गलत लगता है,
प्रत्येक चूत की स्वामिनी एक अलग व्यक्तित्व होती है इसलिए 2 नंगी चूत आमने-सामने ना हो तो बढ़िया है
बाकी अपनी अपनी पसंद है
Bbai kahani aap ki hai, aur mehnat rang layi hai. Magar yeh ek fiction story hai, Es mein to chalta hai. Aage aap ki marzi.
 

Sangya

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Bbai kahani aap ki hai, aur mehnat rang layi hai. Magar yeh ek fiction story hai, Es mein to chalta hai. Aage aap ki marzi.
Thoda sa fiction ka tadka abhi lagaya hai jab chacheri behan ko hastmaithun kiya, isme bhi sirf mombati is added tadka, behan ki chut mai angulia to achhe se ragadi thi, uski tharak ko shant karne ke liye, baaki abhi tak sachi kahani hai, chachi or maa dono ka aashirwad maine prapt kiya. Unaki ijjat or maan rakha isliye incest ke baad bhi man sukhi hai.
मां के द्वारा मन से अपना तन सौंपना, किसी किसी भाग्यवान बच्चे को ही यह प्रसाद मिलता है

एक दिन लाड़ प्यार और संभोग के दौरान मैंने मां से पूछा कि जब हम दोनों भाई छोटे थे और अपनी लुल्ली मां के नितंबों पर रगड़ते थे तो उसे कैसा लगता था। क्या मां उससे उत्तेजित होती थी
मां बोली तुम दोनों भाईयों को उस समय संभोग या योनसुख के बारे में घंटा पता था बस नासमझी लुल्ली मेरे नितंबों में रगड़ने से तुम्हें मजा आता था और मेरे को झांट बराबर भी फर्क नहीं पड़ता था परंतु तुम्हारे लाड़ के कारण मैं तुम्हें हटाती नहीं थी

अगले किसी अपडेट में रचना बहन की शादी के बाद उसने अपने भाई यानि मेरे को कल कि हुई हस्तमैथुन सेवा और सील ना तोड़ने के सयंम स्वरूप अपनी चूत को खुलकर पेलने का अवसर दिया
 
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