मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 63
मोसी के नीचे जाते ही मैंने मां को मैसेज किया : हैलो मां।
मां का 1 मिनट बाद रिप्लाई आया : हां गोलू?
मैं: कहां हो मां आप?
मां : किचन में
मैं: और मोसी?
मां : यही है पानी पी रही है।
मैं: मां मैं ऊपर छत पर जा रहा हूं, आप आओ ना एक बार प्लीज, मेरा मन कर रहा है आपका दूध चूसने का।
मां : रुक जा आती हूं थोड़ी देर में।
मैं: मां जल्दी आना ना।
मां : आती हूं मेरे लाल।
फिर 2 मिनट बाद मोसी ऊपर आई और मेरे पास आकर बोली : मैं बोल आई हूं दीदी से, देख लेना वो नहीं आएंगी, ऊपर।
मैं: अरे आप यहां खड़ी रहोगी तो थोड़ी मां आएगी, जाओ आप पिछे अंधेरे में छुप जाओ ना।
मोसी: अरे दीदी आएगी ही नहीं, तो छुपकर क्या करूंगी।
इतने में किसी के आने की आवाज आई और मोसी फट से पीछे अंधेरे में जा खड़ी हुई और इधर सीढ़ियों पर मां आगे आकर : गोलू।
मैं: हां मां आ गई आप।
मां : हां बेटा, मेरा गोलू बुलाए तो मुझे आना ही पड़ेगा ना।
मैं: लव यू मां।
मां : लव यू टू बेटा।
मैं: मां दूध पिलाओ ना, बड़ा मन कर रहा है।
मां फट से अपनी कमर मेरी ओर करके बोली : ले खोल दे ब्रा के हुक, तेरे ही तो है ये दूध के भरे हुए मटके, बस इनमे से दूध आना शुरू हो जाए और तुझे पीला सकूं मैं जल्द से जल्द।
मैं मां की ब्रा का हुक खोलता हुआ बोला : हां मां, बस अब तो जल्दी से इनमे दूध आ जाए और फिर तो मजा ही आ जाए चूसने का।
फिर मैं ब्रा का हुक खोलने के बाद नीचे जमीन पर बैठ गया और बोला : मां आओ ना मेरी गोद में बैठकर पिलाओ।
मां : उफ्फ मेरे लाल।
मां मेरी ओर घूमी और नीचे मेरी गोद में दोनो टांगो को इधर उधर कर बैठ गई और अपनी ढीली हुई ब्रा में से सूट को ऊपर से ही थोड़ा सा साइड खिसका कर अपना चूचा बाहर निकाल कर बोली : ले गोलू बेटा, चूस इसे मस्त होकर
मैं भी बिना मोसी के बारे में कुछ भी सोचे मां के उन मस्त चूचों को पकड़ चूसने लगा। उफ्फ ऐसा लग रहा था जैसे बड़े दिनो बाद से मुझे वो दोबारा चूसने को मिले हों। मां अपना चेहरा ऊपर आसमान की ओर करके खड़ी रही और मजेदार सी सिसकियां भरती रही। इधर मैं अपने दोनों हाथों से उनका बूब्स दबा कर चूसता रहा।
लगभग 5 मिनट तक मैं यूंही उनके चूचों को मस्त दबा दबा कर चूसता रहा और मां मेरे सर पर अपना हाथ फेरती रही। फिर एकदम ही मां रुकी और मेरे कान में बोली : गोलू एक पप्पी ले ना मेरी।
मैंने अपना मुंह चूचों पर से हटाया और बोला : अभी ले लेता हूं।
मैनें मां के गाल पर एक पप्पी ली और मुस्कुराकर उन्हें देखने लगा के मां बोली : बेटा यहां नहीं, तेरी फेवरेट जगह पर।
मैं: ओह अच्छा।
मां : हां।
मां खड़ी होकर जैसे ही घूमी और अपनी पजामी को सरका कर मेरे मुंह के सामने अपने घुटनों तक लाई ही थी के नीचे से पापा ने आवाज लगा दी मां को के कहां हो।
मां : छत पर कपड़े लेने आई हूं जी, आ रही हूं
मां अपनी घुटनों तक की पजामी को ऊपर करके बोली : इनको भी अभी आना था, गोलू बाद में करते हैं, ठीक है, मैं खाना लगाती हूं।
मैं: ओके मां, आप चलो मैं आता हूं।
मां फिर गांड़ मटकाती हुई नीचे चली गई और मैं वहीं मुस्कुराता खड़ा हुआ। मां के नीचे जाते ही मोसी बाहर आई और बोली : सच में दीदी ने ऐसा किया, ये जरूर तेरी जिद्द की वजह से दीदी ने ऐसा किया।
मैं: हां, अब हो गया ना आपको यकीन।
मोसी: हां, ठीक है, चले नीचे अब।
मैं: ऐसे कैसे मोसी
मोसी हस्ती हुई : क्यूं नीचे नहीं जाना।
मैं: कुछ भूल रहे हो आप मोसी।
मोसी नाटक करते हुए : मैं, क्या भूल रही हूं।
मैं: शर्त
मोसी हस्ती हुई : हां हां ठीक है पीला दूंगी बस अब।
मैं: पीला दूंगी नहीं, पीला दो।
मोसी : अभी यहीं पर?
मैं: हां अभी।
मोसी : पागल है क्या तु, दीदी आ गई तो?
मैं: मां आ गई तो दोनों का इक्ट्ठा पी लूंगा।
मोसी हस्ते हुए : चुप कर,
मैं: आपने देखा ना मां ने कैसे पिलाया मुझे, तो आप भी वैसे ही पिलाओ।
मोसी : ठीक है ठीक है, बता कैसे पिलाऊ?
मैनें मोसी को पहले की तरह उठाया और उठा कर साइड में बनी दीवार के पास ले जाकर उन्हें दीवार पर बैठा दिया और बोला
मैं: आपने ब्रा तो डाली नहीं, तो आपके तो यूंही बाहर निकल आएंगे।
मोसी हसने लगी और बोली : ऐसे नहीं निकलते बाहर ये, बड़े हैं, दबा के निकलने पड़ते हैं।
मैं: तो मैं निकाल लेता हूं खुद ही।
मोसी: ठीक है निकाल और पी, फिर नीचे चलेंगे।
मैंने फट से मोसी को अपनी ओर खींचा और उनके सूट के ऊपर से ही उनके मस्त बिना ब्रा वाले चूचों को दबाने लगा के मोसी बोली : आह गोलू, दर्द हो रहा है बेटा, धीरे कर।
मैं फिर अपने हाथों को हल्का ढीला सा छोड़ धीरे से दबाने लगा और बोला : अब ठीक है।
मोसी : आ आह , हां अब ठीक है।
मैनें फिर हल्के हल्के से उनके चूचों पर दबाव सा बना कर उन्हें ऊपर की और किया और कमीज को पकड़ थोड़ा नीचे सरका कर उनके चूचों को कमीज में से खप से करके बाहर निकाल लिया।
अब मोसी के वो दो बड़े बड़े चूचे मेरी आंखों के सामने थे वो भी मोसी के पता होने पर। चूचे तो उनके पहले रात में भी देखे थे पर तब उन्हें खबर न थी मेरे होने की। इसलिए अब देख कर एक अलग सा ही मजा मिल रहा था। मां से भी थोड़े बड़े बड़े चूचे और उन्पर वो डार्क फैले हुए निपल्स चार चांद लगा रहे थे। मैं मस्ती से पहले तो उन्हे हल्का हल्का दबाने लगा और मुस्कुरा कर मोसी की आखों में देखने लगा।
मोसी भी एक हल्की हल्की सी आह के साथ खुशी से मेरी आखों में देख रही थी और शायद चाह रही थी के मैं आज रात काफी आगे बढ़ जाऊं। पर मैं ठहरा धीरे धीरे से मजे लेने वाला श्क्स। जल्दी ना मुझसे होती, ना ही मैं कर के मजा किरकिरा करना चाहता।
तो मैं धीरे से दबाते हुए उनकी आखों में देखने लगा और मोसी बोली : दबाता ही रहेगा या अब मुंह में भी लेगा इन्हे।
मैं: आपको बड़ी जल्दी है मोसी, मुंह में देने की।
मोसी हस्ते हुए : हां तो नीचे भी तो जाना है फिर।
मैं: चले जाएंगे, क्या हुआ, रात अपनी ही है।
मोसी : हां हां, बड़ा आया फिल्मी डायलोग मारने वाला।
मैं मस्त होकर : आप कहो तो डायलोग की जगह कुछ और मार लूं।
मोसी: क्या?
मैं: कुछ नहीं, मोसी कितने सॉफ्ट हैं आपके।
मोसी : दीदी से भी ज्यादा?
मैं: हां मोसी।
मोसी : वो इनमे दूध ज्यादा है ना , शायद इसलिए।
मैं: मोसी, मौसा जी के तो सच में मजे हैं।
मोसी शर्माती हुई : चुप कर, मजे तो तू ले रहा है, मोसा कहां लेते है मजे।
मैंने फिर सीधा अपना मुंह मोसी के निपल्स पर रखा और उन्हें अभी अभी धीरे से दबाता रहा। उनकी निपल्स पर जीभ फेरते हुए मैं ऊपर उनके चेहरे की तरफ देखने लगा तो मोसी अपने होंठ काटने लगी और आखें बंद सी कर ली।
मैं भी मस्त हो गया और फिर उनके बूब्स को अपने मुंह में ले एक दम प्यार से चूसने लगा।
मोसी के बूब्स की खुश्बू भी एक दम मस्त मोह लेने वाली थी। हर औरत में की एक अपनी खुश्बू होती है और कुछ तो ऐसी होती हैं जो मोह लेती हैं इंसान को।
मोसी भी शायद उनमें से एक ही थी। मैं उनके जिस्म की खुश्बू सा लेता हुआ उनके चूचों को चुसने लगा और मोसी : आह आह की सिसकियां सी भरती रही।
छत पर चलती ठंडी हवा में अब माहोल काफी गर्म सा हो चुका था। मोसी ने भी फिर मां की तरह ही अपने हाथ मेरे सर पर रख , मेरे बालों को सहलाने लगी और प्यार भरी हल्की हल्की सिसकियां सी भरने लगी।
मां और मोसी में फर्क बस इतना था के मां डोमिनेंट सेक्स पसंद करती थी और मोसी शायद एक सॉफ्ट वन, जैसे मोसी ने मेरे बालों पर इतने प्यार भरे अंदाज से अपना हाथ फेरा, मुझे तो शायद यही लगा उनके इस एहसास से।
मैं भी मस्त होकर उनके चूचों को चूसने लगा और दबाने लगा। अभी कुछ 5 मिनट ही हुए थे हमारे खेल की शुरुआत हुए के पापा की आवाज आई : गोलू, ऊपर है क्या...खाना बनने वाला है आजा खाले।
फिर एक हल्की सी आवाज और आई : गोलू की मां, गोलू आता है उसे कहता हूं निशा को भी बुला देगा।
फिर पापा की आवाज से मोसी और मेरी दोनों की आंख सी खुली और मोसी मुस्कुराती हुई बोली : चले नीचे, बाद में पिलाऊंगी पक्का।
मैं मुस्कुराकर : ठीक है मोसी।