मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 65
इधर मोसी मेरे और मां के बीच की ये दशा देख खुदमे पागल सी हुए जा रही थी के मोसी का फोन बजा और मां एकदम से हैरान परेशान सी होकर अपनी पजामी ऊपर करने लगी और मुझे वहीं नीचे छुपाने सी लगी।
फिर मां ने अपना चेहरा पलट कर पीछे सोफे की तरफ देखा के फोन अभी भी बज रहा था, मां बोली : ये फोन भी अभी आना था क्या।
मैं चुप चाप नीचे बैठा रहा के मां फिर बोली : देखती हूं किसका है।
मैं ये सुनकर फट से खड़ा हुआ और मां से बोला : अरे आप चिंता मत करो, मैं देखता हूं उनका फोन।
मैं उठकर सोफे के पास गया के मोसी नीचे जमीन पर सोफे के पीछे छुपकर बैठी हुई। मैनें जैसे ही मोसी को देखा , मैं हैरान सा हो गया, मोसी जमीन पर बैठी थी वो भी अपनी सलवार में हाथ डालकर, मोसी भी शायद मेरी और मां की इस मस्ती को देख गर्म हो गई थी और अपनी चूत को सलवार में हाथ डाल रगड़ रही थी। मैनें जैसे ही मोसी को धीरे से बोला : मोसी...
मोसी ने सिर घुमाया और : गो गो...गोलू वो...वो।
मैं: अरे वो वो क्या मोसी, चलो जाओ यहां से , मैं मां को बातों में लगाता हूं और ये आपका फोन बज रहा था, इसे लेकर जा रहा हूं, कहीं मां को शक न हो कोई।
मोसी ने फट से अपना हाथ सलवार से निकाला और जैसे ही उठने के लिए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा के मैं समझ गया मोसी का तो कांड हो गया। मोसी का हाथ एक दम चिप चिपा मेरे हाथों पर पड़ा और मोसी बिना कुछ कहे फिर वहां से निकल ली। मैं दूसरे हाथ में फोन पकड़ मां के पास गया और बोला : मां, मौसा जी का फोन था।
मां हस्कर: तेरे पापा कम थे क्या, जो अब तेरे मौसा भी हमे मस्ती नहीं करने दे रहे।
मैं भी हसने लगा और बोला : अरे रात अपनी है मां, खूब मस्ती करेंगे।
मां : हां, चल जा अब तु और पापा और मोसी को भी बुला ले, मैं खाना लगाती हूं।
मैं: ठीक है।
मां मेरे मुड़ते ही बोली : अच्छा सुन..
मैं: हां।
मां : ये मेरी पजामी नीचे करके मेरी कच्छी ऊपर कर दे, वो फोन बजते ही मैनें सीधा पजामी ऊपर चढ़ा ली थी।
मैं: अरे नीचे ही रहने दो ना मां, थोड़ी देर में फिर से नीचे करनी तो है ही।
मां हस्ती हुई : हां तो बाद में तो भले मुझे पूरी नंगी कर देना तु पर अभी तो ये ठीक कर, ऐसे चलते वक्त घुटनों में अड़ेगी ये।
मैं: तो उतार ही देता हूं इसे।
मां : नहीं मेरे लाल, तेरे ये होंठों से टपकती लार से मेरी गांड़ भीगी पड़ी है, कहीं पजामी से साफ साफ चमके ना ये ।
मैं: तो क्या मां, चमकेगी तो क्या पता पापा भी आज ले लें आपकी।
मां : चुप कर, अब से मैं सिर्फ अपने गोलू बेटे की रांड़ हूं, दूंगी तो सिर्फ अपने बेटे को ही, उसके पापा को नहीं।
मैं: आए हाए मां, कहीं आपकी बातों से मुझे आपसे प्यार ना हो जाए।
मां : बेटा प्यार तो मुझे तेरे लौड़े और तेरी इस जीभ से हो गया है, जब जब गांड़ में ये जीभ चलती है, सिसक उठता है मेरा बदन।
मैं: ये जीभ आपकी सेवा में हमेशा हाजिर रहेगी मां।
मां : चल अब जल्दी से ये ठीक कर और बुला कर ले आ खाने के लिए सबको।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैं मां की कच्छी को सही कर उनकी गांड़ पर एक प्यार भरा थप्पड़ मार वहां से गया और पापा के कमरे से उन्हें बुलाया और अपने कमरे में गया तो मोसी बैठी थी बैड पर, मैं बोला : कैसा रहा मोसी?
मोसी : सच में दीदी को ऐसे तुझसे चटवाते देख मेरा तो बदन ही कांप गया।
मैं: हां तभी तो आपका चिपचिपा हाथ मेरे हाथों में आया।
मोसी मुंह नीचे करके : चुप कर वो तो बस...
मैं: हां हां, मुझे सब पता है, चलो खाना खा लो फिर आपको भी ऐसे ही चटवानी है मुझसे।
मोसी : सोचूंगी अभी मैं।
मैं: ठीक है सोच लेना, चलो अब।
मोसी : नहीं, पहले एक काम कर।
मैं: क्या?
मोसी : वो दीदी की अलमारी से मेरे लिए एक पैंटी लेकर आ, वहां जीजा जी बैठे थे इसलिए मैं नहीं गई लेने।
मैं: पैंटी का क्या करोगी?
मोसी : अरे वो गीली है तो.....
मैं: ओह अच्छा, मोसी एक काम करो ना आप।
मोसी : क्या?
मैं: आपने ब्रा तो डाली नहीं है तो पैंटी भी उतार ही दो, अब सोना ही तो है।
मोसी : हां पर वो खाना खाने के बाद जब सोने के लिए कपड़े डालूंगी तब उतार लूंगी।
मैं: फिर अब सिर्फ खाना खाने के लिए ही डालोगी क्या? छोड़ो ना।
मोसी : फिर अगर कहीं एसे जीजा जी ने गलती से देख लिया तो?
मैं हस्ते हुए : तो क्या...ज्यादा से ज्यादा आपकी बूर मार लेंगे।
मोसी शर्म से लाल हो गई और फिर हस्ती हुई बोली : उन्हें जो देने को उतावली है उनकी तो मारते नहीं, मेरी क्या ही मारेंगे।
मैं: हां आपको सब पता है ना।
मोसी : चल अब बाहर जा, मैं फिर उतार कर ही आती हूं।
मैं: क्या मोसी, अभी थोड़ी देर में आपकी जब मैं चाटूंगा, तो भी तो दिखाओगी ही ना, तो अभी क्या शर्मा रही हो उतार लो मेरे सामने ही।
मोसी : नहीं नहीं तु बाहर जा, वैसे भी मैं अभी सोचूंगी उस बारे में।
मैं: सोच लो, कहीं मैं बाद में मना ना कर दूं।
मोसी : ठीक है मैं खाना खाने के बाद बताती हूं, अभी जा तु।
मैं फिर वहां से निकलकर बाहर बाथरूम में गया और हाथ धोकर खाने की टेबल पर आ बैठा। पापा वहां बैठे ही थी और 2_3 मिनट बाद मोसी आई और किचन में जाकर मां और मोसी दोनो सब रोटी सब्जी वागेरा लाने लगे।
फिर हमने मिल कर खाना खाया और पापा अपनी साली साहिबा यानी की मोसी से मजाक करते रहे । इधर मैं सोचता रहा के पापा बस मजाक ही करोगे मोसी साथ या चूत भी मारोगे कभी उनकी।
फिर सबकी यूंही बातें हुई और खाना खत्म कर मां और मोसी किचन में और पापा अपने कमरे में और मैं अपने कमरे में जा बैठे।