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Romance मां का "दूध छुड़वाने से चुसवाने" तक का सफर

Mosi ka Number lagaya jaaye ya nahi?


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sunoanuj

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पता नहीं कब आएगा मुझे डर लगरहा है स्टोरी अधूरी ना रह जाये 🤔🤔🤔🤔
Are bhai aise naa kaho … itni jabardast story ke liye ….
 
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sunoanuj

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Bahut hi behtarin updates… bus viram bahut khatarnak mod par liya hai…👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 
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maakaloda

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Ab mausi bhi doodh pilaegi,phir chut bhi pilwayegi
 
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sahilgarg6065

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 63
मोसी के नीचे जाते ही मैंने मां को मैसेज किया : हैलो मां।
मां का 1 मिनट बाद रिप्लाई आया : हां गोलू?
मैं: कहां हो मां आप?
मां : किचन में
मैं: और मोसी?
मां : यही है पानी पी रही है।
मैं: मां मैं ऊपर छत पर जा रहा हूं, आप आओ ना एक बार प्लीज, मेरा मन कर रहा है आपका दूध चूसने का।
मां : रुक जा आती हूं थोड़ी देर में।
मैं: मां जल्दी आना ना।
मां : आती हूं मेरे लाल।
फिर 2 मिनट बाद मोसी ऊपर आई और मेरे पास आकर बोली : मैं बोल आई हूं दीदी से, देख लेना वो नहीं आएंगी, ऊपर।
मैं: अरे आप यहां खड़ी रहोगी तो थोड़ी मां आएगी, जाओ आप पिछे अंधेरे में छुप जाओ ना।
मोसी: अरे दीदी आएगी ही नहीं, तो छुपकर क्या करूंगी।
इतने में किसी के आने की आवाज आई और मोसी फट से पीछे अंधेरे में जा खड़ी हुई और इधर सीढ़ियों पर मां आगे आकर : गोलू।
मैं: हां मां आ गई आप।
मां : हां बेटा, मेरा गोलू बुलाए तो मुझे आना ही पड़ेगा ना।
मैं: लव यू मां।
मां : लव यू टू बेटा।
मैं: मां दूध पिलाओ ना, बड़ा मन कर रहा है।
मां फट से अपनी कमर मेरी ओर करके बोली : ले खोल दे ब्रा के हुक, तेरे ही तो है ये दूध के भरे हुए मटके, बस इनमे से दूध आना शुरू हो जाए और तुझे पीला सकूं मैं जल्द से जल्द।
मैं मां की ब्रा का हुक खोलता हुआ बोला : हां मां, बस अब तो जल्दी से इनमे दूध आ जाए और फिर तो मजा ही आ जाए चूसने का।
फिर मैं ब्रा का हुक खोलने के बाद नीचे जमीन पर बैठ गया और बोला : मां आओ ना मेरी गोद में बैठकर पिलाओ।
मां : उफ्फ मेरे लाल।
मां मेरी ओर घूमी और नीचे मेरी गोद में दोनो टांगो को इधर उधर कर बैठ गई और अपनी ढीली हुई ब्रा में से सूट को ऊपर से ही थोड़ा सा साइड खिसका कर अपना चूचा बाहर निकाल कर बोली : ले गोलू बेटा, चूस इसे मस्त होकर
मैं भी बिना मोसी के बारे में कुछ भी सोचे मां के उन मस्त चूचों को पकड़ चूसने लगा। उफ्फ ऐसा लग रहा था जैसे बड़े दिनो बाद से मुझे वो दोबारा चूसने को मिले हों। मां अपना चेहरा ऊपर आसमान की ओर करके खड़ी रही और मजेदार सी सिसकियां भरती रही। इधर मैं अपने दोनों हाथों से उनका बूब्स दबा कर चूसता रहा।
लगभग 5 मिनट तक मैं यूंही उनके चूचों को मस्त दबा दबा कर चूसता रहा और मां मेरे सर पर अपना हाथ फेरती रही। फिर एकदम ही मां रुकी और मेरे कान में बोली : गोलू एक पप्पी ले ना मेरी।
मैंने अपना मुंह चूचों पर से हटाया और बोला : अभी ले लेता हूं।
मैनें मां के गाल पर एक पप्पी ली और मुस्कुराकर उन्हें देखने लगा के मां बोली : बेटा यहां नहीं, तेरी फेवरेट जगह पर।
मैं: ओह अच्छा।
मां : हां।
मां खड़ी होकर जैसे ही घूमी और अपनी पजामी को सरका कर मेरे मुंह के सामने अपने घुटनों तक लाई ही थी के नीचे से पापा ने आवाज लगा दी मां को के कहां हो।
मां : छत पर कपड़े लेने आई हूं जी, आ रही हूं
मां अपनी घुटनों तक की पजामी को ऊपर करके बोली : इनको भी अभी आना था, गोलू बाद में करते हैं, ठीक है, मैं खाना लगाती हूं।
मैं: ओके मां, आप चलो मैं आता हूं।
मां फिर गांड़ मटकाती हुई नीचे चली गई और मैं वहीं मुस्कुराता खड़ा हुआ। मां के नीचे जाते ही मोसी बाहर आई और बोली : सच में दीदी ने ऐसा किया, ये जरूर तेरी जिद्द की वजह से दीदी ने ऐसा किया।
मैं: हां, अब हो गया ना आपको यकीन।
मोसी: हां, ठीक है, चले नीचे अब।
मैं: ऐसे कैसे मोसी
मोसी हस्ती हुई : क्यूं नीचे नहीं जाना।
मैं: कुछ भूल रहे हो आप मोसी।
मोसी नाटक करते हुए : मैं, क्या भूल रही हूं।
मैं: शर्त
मोसी हस्ती हुई : हां हां ठीक है पीला दूंगी बस अब।
मैं: पीला दूंगी नहीं, पीला दो।
मोसी : अभी यहीं पर?
मैं: हां अभी।
मोसी : पागल है क्या तु, दीदी आ गई तो?
मैं: मां आ गई तो दोनों का इक्ट्ठा पी लूंगा।
मोसी हस्ते हुए : चुप कर,
मैं: आपने देखा ना मां ने कैसे पिलाया मुझे, तो आप भी वैसे ही पिलाओ।
मोसी : ठीक है ठीक है, बता कैसे पिलाऊ?
मैनें मोसी को पहले की तरह उठाया और उठा कर साइड में बनी दीवार के पास ले जाकर उन्हें दीवार पर बैठा दिया और बोला
मैं: आपने ब्रा तो डाली नहीं, तो आपके तो यूंही बाहर निकल आएंगे।
मोसी हसने लगी और बोली : ऐसे नहीं निकलते बाहर ये, बड़े हैं, दबा के निकलने पड़ते हैं।
मैं: तो मैं निकाल लेता हूं खुद ही।
मोसी: ठीक है निकाल और पी, फिर नीचे चलेंगे।
मैंने फट से मोसी को अपनी ओर खींचा और उनके सूट के ऊपर से ही उनके मस्त बिना ब्रा वाले चूचों को दबाने लगा के मोसी बोली : आह गोलू, दर्द हो रहा है बेटा, धीरे कर।
मैं फिर अपने हाथों को हल्का ढीला सा छोड़ धीरे से दबाने लगा और बोला : अब ठीक है।
मोसी : आ आह , हां अब ठीक है।
मैनें फिर हल्के हल्के से उनके चूचों पर दबाव सा बना कर उन्हें ऊपर की और किया और कमीज को पकड़ थोड़ा नीचे सरका कर उनके चूचों को कमीज में से खप से करके बाहर निकाल लिया।
अब मोसी के वो दो बड़े बड़े चूचे मेरी आंखों के सामने थे वो भी मोसी के पता होने पर। चूचे तो उनके पहले रात में भी देखे थे पर तब उन्हें खबर न थी मेरे होने की। इसलिए अब देख कर एक अलग सा ही मजा मिल रहा था। मां से भी थोड़े बड़े बड़े चूचे और उन्पर वो डार्क फैले हुए निपल्स चार चांद लगा रहे थे। मैं मस्ती से पहले तो उन्हे हल्का हल्का दबाने लगा और मुस्कुरा कर मोसी की आखों में देखने लगा।
मोसी भी एक हल्की हल्की सी आह के साथ खुशी से मेरी आखों में देख रही थी और शायद चाह रही थी के मैं आज रात काफी आगे बढ़ जाऊं। पर मैं ठहरा धीरे धीरे से मजे लेने वाला श्क्स। जल्दी ना मुझसे होती, ना ही मैं कर के मजा किरकिरा करना चाहता।
तो मैं धीरे से दबाते हुए उनकी आखों में देखने लगा और मोसी बोली : दबाता ही रहेगा या अब मुंह में भी लेगा इन्हे।
मैं: आपको बड़ी जल्दी है मोसी, मुंह में देने की।
मोसी हस्ते हुए : हां तो नीचे भी तो जाना है फिर।
मैं: चले जाएंगे, क्या हुआ, रात अपनी ही है।
मोसी : हां हां, बड़ा आया फिल्मी डायलोग मारने वाला।
मैं मस्त होकर : आप कहो तो डायलोग की जगह कुछ और मार लूं।
मोसी: क्या?
मैं: कुछ नहीं, मोसी कितने सॉफ्ट हैं आपके।
मोसी : दीदी से भी ज्यादा?
मैं: हां मोसी।
मोसी : वो इनमे दूध ज्यादा है ना , शायद इसलिए।
मैं: मोसी, मौसा जी के तो सच में मजे हैं।
मोसी शर्माती हुई : चुप कर, मजे तो तू ले रहा है, मोसा कहां लेते है मजे।
मैंने फिर सीधा अपना मुंह मोसी के निपल्स पर रखा और उन्हें अभी अभी धीरे से दबाता रहा। उनकी निपल्स पर जीभ फेरते हुए मैं ऊपर उनके चेहरे की तरफ देखने लगा तो मोसी अपने होंठ काटने लगी और आखें बंद सी कर ली।
मैं भी मस्त हो गया और फिर उनके बूब्स को अपने मुंह में ले एक दम प्यार से चूसने लगा।
मोसी के बूब्स की खुश्बू भी एक दम मस्त मोह लेने वाली थी। हर औरत में की एक अपनी खुश्बू होती है और कुछ तो ऐसी होती हैं जो मोह लेती हैं इंसान को।
मोसी भी शायद उनमें से एक ही थी। मैं उनके जिस्म की खुश्बू सा लेता हुआ उनके चूचों को चुसने लगा और मोसी : आह आह की सिसकियां सी भरती रही।
छत पर चलती ठंडी हवा में अब माहोल काफी गर्म सा हो चुका था। मोसी ने भी फिर मां की तरह ही अपने हाथ मेरे सर पर रख , मेरे बालों को सहलाने लगी और प्यार भरी हल्की हल्की सिसकियां सी भरने लगी।
मां और मोसी में फर्क बस इतना था के मां डोमिनेंट सेक्स पसंद करती थी और मोसी शायद एक सॉफ्ट वन, जैसे मोसी ने मेरे बालों पर इतने प्यार भरे अंदाज से अपना हाथ फेरा, मुझे तो शायद यही लगा उनके इस एहसास से।
मैं भी मस्त होकर उनके चूचों को चूसने लगा और दबाने लगा। अभी कुछ 5 मिनट ही हुए थे हमारे खेल की शुरुआत हुए के पापा की आवाज आई : गोलू, ऊपर है क्या...खाना बनने वाला है आजा खाले।
फिर एक हल्की सी आवाज और आई : गोलू की मां, गोलू आता है उसे कहता हूं निशा को भी बुला देगा।
फिर पापा की आवाज से मोसी और मेरी दोनों की आंख सी खुली और मोसी मुस्कुराती हुई बोली : चले नीचे, बाद में पिलाऊंगी पक्का।
मैं मुस्कुराकर : ठीक है मोसी।
 

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 64
फिर मोसी ने अपने दोनों चूचे अंदर किए और दीवार से नीचे उतर मुझे बोली : अच्छा सुन।
मैं: हां बोलो।
मोसी : वो दीदी ने नीचे जाते टाइम क्या किया था?
मैं: क्या?
मोसी : वो पजामी नीचे कर के...वो क्या था?
मैं: वो तो मां और मेरा एक सीक्रेट है।
मोसी : बता ना गोलू।
मैं: छोड़ो ना आप।
मोसी : दीदी ने तो मुझे बताया नहीं, अब तू भी नहीं बताएगा।
मैं: अच्छा अच्छा बताता हूं, मां से मत कहना फिर।
मोसी : ठीक है नहीं कहूंगी।
मैं: वो मुझे मां की अच्छी लगती है तो मैं वहां पर किस्स करने वाला था।
मोसी : मां की अच्छी लगती है?...क्या???
मैं: वो गांड़ उनकी।
मोसी हसने लगी और बोली : पागल गोलू, कहां से सीखने लग गया तु ये सब वर्ड्स।
मैं: वो मां ने ही बताया।
मोसी : दीदी भी ना, शायद बूर मरवाने का नशा उनके दिमाग में चढ़ गया है..... ओह सॉरी सॉरी कुछ नहीं।।।
मैं: हां ये बूर के बारे में भी बताया था।
मोसी हस्ती हुई फिर से बोली : ओह, दीदी भी ना, पागल है सच में।
मैं हस्ते हुए : हां शायद।
मोसी : तो तुझे मतलब दीदी की गांड़ पसंद है तो तु वहां किस्स करने लगा था?
मैं: हां पर पापा ने आवाज लगा दी तो मां बोली, बाद में करना।
मोसी : सच में तु किस्स करने लगा था वहां पर?
मैं: अरे हां मोसी।
मोसी : ऐसा क्या पसंद आया तुझे गांड़ में उनकी जो तुझे किस्स करना अच्छा लगने लगा वहां पर।
मैं: बस मुझे तो मां की पूरी की पूरी गांड़ ही पसंद आई।
मोसी हस्ती हुई : कितना शैतान हो गया है तु। मां की गांड़ की किस्स करने लगा है, पागल कहीं का।
मैं: मोसी आप चाहती हो तो मैं आपकी भी कर सकता हूं किस्स।
मोसी हस्ती हुई : नहीं नहीं, पहले तु मुझे दीदी की कर के दिखा फिर मैं सोचूंगी के तुझसे किस्स करवाऊं या नहीं वहां पर।
मैं: ठीक है, चलो नीचे मोका मिलने पर आपको दिखाता हूं।
मोसी : ठीक है।
मैं: पहले आप जाओ, बाथरूम की ओर से जाना किचन में, मैं फिर आता हूं 2_3 मिनट बाद।
मोसी : ठीक है , मैं जाती हूं।
फिर मोसी चली गई और मैं करीब 4_5 मिनट बाद नीचे गया ताके मां को कुछ भी पता न चले। पता चल भी जाता तो भी कोई प्रोब्लम तो नहीं थी पर छुप छुप कर मोसी के साथ मस्ती करने का अलग ही मजा आने वाला था, इसका सोचकर मैं मां से भी कुछ नहीं शेयर करने वाला था अभी के लिए।
मैं खड़ा ही था के वो डिलीवरी वाले का फोन आया और मैं नीचे गया, उस से आइसक्रीम ली और किचन में गया और मां और मोसी दोनो किचन में थे। मैं किचन में जाकर फ्रीज खोलकर उसमें आइसक्रीम रखने लगा के मोसी मेरी और देख कर बोली : आ गई।
मैं: हां।
मां चूल्हे के पास खड़ी रोटी बना रही थी और मोसी यूंही साइड में खड़ी थी।
मैनें मोसी को आंख मार कर इशारा किया के साइड में जाओ। मोसी मेरा इशारा समझ पीछे की ओर चली गई और मैं मां के पास जाकर खड़ा हो गया और एकदम से मां की गांड़ पर हाथ रख दिया। मां ने फट से मेरी आखों में देखा और इशारों ही इशारों में मोसी के होने का कहने लगी।
मैनें भी स्माइल देकर उनकी गांड़ से हाथ हटाया और आंख मार दी। मोसी यूंही तो पीछे की तरफ़ फ्रिज खोलकर खड़ी थी पर टेडी आखों से सब देख रही थी के कैसे मां मुझे हाथ लगाने से मना कर रही है उनके होते हुए।
मैनें फिर पीछे की ओर मोसी को देखा तो वो मुझे देख मुस्कुराने लगी और इशारों इशारों में किस्स की बात करने लगी। मैनें भी इशारों में उन्हें बोला , रुक तो जाओ, सब्र करो।
फिर मोसी खुद ही वहां से जाने का नाटक करके बोली : दीदी, लगता है मेरा पेट खराब हो गया है, आज बार बार बाथरूम जाना पड़ रहा है।
मां : अच्छा, चल जा तु हो आ एक बार, फिर मैं खाने के बाद तुझे टैबलेट देती हूं, पेट सफाई की, रखी है मेरे पास।
फिर मोसी ने मुझे आंख मारी और बोली : ठीक है दीदी, आप रोटी बनाओ, तब तक मैं होकर आती हूं।
मोसी किचन से बाहर निकली और सोफे के साइड में जाकर बैठ गई और छुपकर देखने लगी , मैनें मोसी को देख कर एक स्माइल पास की ओर मोसी भी एक स्माइल के साथ इशारे में बोली किस्स करने को।
फिर मुझे और मां को किस ही चीज का इंतजार था, मैं मां के पिछे बैठ गया और उनकी कमर पर हाथ रख पजामी को दोनों ओर से पकड़ लिया।
मां मेरे ये करते ही पीछे मुड़ी और स्माइल देकर बोली : गोलू,खाने के लिए रोटी तो बनाने दे मेरे बच्चे।
मैं: मां मुझे तो आपकी रोटी खानी है ना पहले।
मां हसने लगी और बोली : बड़ा शैतान है तु, ठीक है खा ले तु, बाहर ध्यान रखना , कोई आए ना।
फिर क्या था मैनें फट से मां की पजामी धीरे से नीचे की ओर उनकी मोटी गांड़ को दोनों हाथों से दबाने लगा। मां भी एकदम रुक सी गई रोटी बनाते बनाते और । मैने जैसे ही मां की पेंटी के नीचे वाली थाई पर किस्स किया के मां आगे की ओर हल्का सा झुक गई और इधर मोसी पर नजर गई तो उनका मुंह खुला का खुला सा रह गया।
मैं मां की उस गोरी मोटी थाई को किसी सॉफ्ट स्पॉन्ज की तरफ अपने होंठों में भरने लगा और अपनी थूक से उसे भिगाने लगा। मेरे ये करते ही मां ने अपना एक हाथ पूछे किया और मेरा मुंह अपनी गांड़ में देने लगी।
मैं भी उनकी पैंटी के ऊपर से ही अपना मुंह उनकी मोटी गांड़ में डाल कर उसकी मस्त खुश्बू लेने लगा और अपने दांतों को उनकी पैंटी में काटने सा लगा।
मेरे 2_3 मिनट तक ये करने से ऐसा कुछ हुआ के मां से रहा न गया और उन्होंने फट से अपने दोनों हाथ पीछे किए और पैंटी को नीचे घुटनों तक कर मेरा मुंह अपनी उस गांड़ की दरार में दे दिया।
मेरे लिए ये सब भले कोई नई बात नहीं थी पर जो चेहरा हमें छुप कर देखा रहा था वो शायद ये सीन देख अपनी चूत में उंगली जरूर करने लग गया होगा।
पहले मैनें मां की गांड़ की उस दरार में अपनी नाक को रगड़ा फिर अपनी जीभ बाहर निकाल उस दरार के अंदर डाल ऊपर नीचे करने लगा। क्या मजा था मां की मस्त गांड़ की दरार में जीभ फेरने का। मां भी मेरे ये करने से पागल सी हो गई और किसी भूली भेड़िए की तरह मेरा मुंह अपनी गांड़ में डालने लगी के बस खा जा इस गांड़ को।
मैं भी मां के इस डोमिनेन्ट पन से परभावित होकर और उत्तेजित सा हुआ और ये उत्तेजना ने मेरे दोनो हाथ मां की गांड़ पर रख उसे खोलना शुरू कर दिया। पहले तो मेरी जीभ उस दरार के ऊपर नीचे ही जा रही थी, पर जैसे ही मेरी उंगलियों ने मां के दोनो। चूतड़ों को पकड़ इधर उधर किया के मेरी जीभ सीधा मां के उस मस्त ब्राउन छेद पर जा लगी और मां मस्ती से कांप सी गई।
मैं जैसे ही अपनी जीभ उस छेद पर फेरने लगा के मां पागल सी हो गई और खुदको आगे रखी स्लैप पर रगड़ कर मेरे मुंह में गांड़ देने लगी। ये सीन तो बस उत्तेजना सी जगाने वाला था।
 

sahilgarg6065

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 65
इधर मोसी मेरे और मां के बीच की ये दशा देख खुदमे पागल सी हुए जा रही थी के मोसी का फोन बजा और मां एकदम से हैरान परेशान सी होकर अपनी पजामी ऊपर करने लगी और मुझे वहीं नीचे छुपाने सी लगी।
फिर मां ने अपना चेहरा पलट कर पीछे सोफे की तरफ देखा के फोन अभी भी बज रहा था, मां बोली : ये फोन भी अभी आना था क्या।
मैं चुप चाप नीचे बैठा रहा के मां फिर बोली : देखती हूं किसका है।
मैं ये सुनकर फट से खड़ा हुआ और मां से बोला : अरे आप चिंता मत करो, मैं देखता हूं उनका फोन।
मैं उठकर सोफे के पास गया के मोसी नीचे जमीन पर सोफे के पीछे छुपकर बैठी हुई। मैनें जैसे ही मोसी को देखा , मैं हैरान सा हो गया, मोसी जमीन पर बैठी थी वो भी अपनी सलवार में हाथ डालकर, मोसी भी शायद मेरी और मां की इस मस्ती को देख गर्म हो गई थी और अपनी चूत को सलवार में हाथ डाल रगड़ रही थी। मैनें जैसे ही मोसी को धीरे से बोला : मोसी...
मोसी ने सिर घुमाया और : गो गो...गोलू वो...वो।
मैं: अरे वो वो क्या मोसी, चलो जाओ यहां से , मैं मां को बातों में लगाता हूं और ये आपका फोन बज रहा था, इसे लेकर जा रहा हूं, कहीं मां को शक न हो कोई।
मोसी ने फट से अपना हाथ सलवार से निकाला और जैसे ही उठने के लिए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा के मैं समझ गया मोसी का तो कांड हो गया। मोसी का हाथ एक दम चिप चिपा मेरे हाथों पर पड़ा और मोसी बिना कुछ कहे फिर वहां से निकल ली। मैं दूसरे हाथ में फोन पकड़ मां के पास गया और बोला : मां, मौसा जी का फोन था।
मां हस्कर: तेरे पापा कम थे क्या, जो अब तेरे मौसा भी हमे मस्ती नहीं करने दे रहे।
मैं भी हसने लगा और बोला : अरे रात अपनी है मां, खूब मस्ती करेंगे।
मां : हां, चल जा अब तु और पापा और मोसी को भी बुला ले, मैं खाना लगाती हूं।
मैं: ठीक है।
मां मेरे मुड़ते ही बोली : अच्छा सुन..
मैं: हां।
मां : ये मेरी पजामी नीचे करके मेरी कच्छी ऊपर कर दे, वो फोन बजते ही मैनें सीधा पजामी ऊपर चढ़ा ली थी।
मैं: अरे नीचे ही रहने दो ना मां, थोड़ी देर में फिर से नीचे करनी तो है ही।
मां हस्ती हुई : हां तो बाद में तो भले मुझे पूरी नंगी कर देना तु पर अभी तो ये ठीक कर, ऐसे चलते वक्त घुटनों में अड़ेगी ये।
मैं: तो उतार ही देता हूं इसे।
मां : नहीं मेरे लाल, तेरे ये होंठों से टपकती लार से मेरी गांड़ भीगी पड़ी है, कहीं पजामी से साफ साफ चमके ना ये ।
मैं: तो क्या मां, चमकेगी तो क्या पता पापा भी आज ले लें आपकी।
मां : चुप कर, अब से मैं सिर्फ अपने गोलू बेटे की रांड़ हूं, दूंगी तो सिर्फ अपने बेटे को ही, उसके पापा को नहीं।
मैं: आए हाए मां, कहीं आपकी बातों से मुझे आपसे प्यार ना हो जाए।
मां : बेटा प्यार तो मुझे तेरे लौड़े और तेरी इस जीभ से हो गया है, जब जब गांड़ में ये जीभ चलती है, सिसक उठता है मेरा बदन।
मैं: ये जीभ आपकी सेवा में हमेशा हाजिर रहेगी मां।
मां : चल अब जल्दी से ये ठीक कर और बुला कर ले आ खाने के लिए सबको।
मैं: ठीक है मां।
फिर मैं मां की कच्छी को सही कर उनकी गांड़ पर एक प्यार भरा थप्पड़ मार वहां से गया और पापा के कमरे से उन्हें बुलाया और अपने कमरे में गया तो मोसी बैठी थी बैड पर, मैं बोला : कैसा रहा मोसी?
मोसी : सच में दीदी को ऐसे तुझसे चटवाते देख मेरा तो बदन ही कांप गया।
मैं: हां तभी तो आपका चिपचिपा हाथ मेरे हाथों में आया।
मोसी मुंह नीचे करके : चुप कर वो तो बस...
मैं: हां हां, मुझे सब पता है, चलो खाना खा लो फिर आपको भी ऐसे ही चटवानी है मुझसे।
मोसी : सोचूंगी अभी मैं।
मैं: ठीक है सोच लेना, चलो अब।
मोसी : नहीं, पहले एक काम कर।
मैं: क्या?
मोसी : वो दीदी की अलमारी से मेरे लिए एक पैंटी लेकर आ, वहां जीजा जी बैठे थे इसलिए मैं नहीं गई लेने।
मैं: पैंटी का क्या करोगी?
मोसी : अरे वो गीली है तो.....
मैं: ओह अच्छा, मोसी एक काम करो ना आप।
मोसी : क्या?
मैं: आपने ब्रा तो डाली नहीं है तो पैंटी भी उतार ही दो, अब सोना ही तो है।
मोसी : हां पर वो खाना खाने के बाद जब सोने के लिए कपड़े डालूंगी तब उतार लूंगी।
मैं: फिर अब सिर्फ खाना खाने के लिए ही डालोगी क्या? छोड़ो ना।
मोसी : फिर अगर कहीं एसे जीजा जी ने गलती से देख लिया तो?
मैं हस्ते हुए : तो क्या...ज्यादा से ज्यादा आपकी बूर मार लेंगे।
मोसी शर्म से लाल हो गई और फिर हस्ती हुई बोली : उन्हें जो देने को उतावली है उनकी तो मारते नहीं, मेरी क्या ही मारेंगे।
मैं: हां आपको सब पता है ना।
मोसी : चल अब बाहर जा, मैं फिर उतार कर ही आती हूं।
मैं: क्या मोसी, अभी थोड़ी देर में आपकी जब मैं चाटूंगा, तो भी तो दिखाओगी ही ना, तो अभी क्या शर्मा रही हो उतार लो मेरे सामने ही।
मोसी : नहीं नहीं तु बाहर जा, वैसे भी मैं अभी सोचूंगी उस बारे में।
मैं: सोच लो, कहीं मैं बाद में मना ना कर दूं।
मोसी : ठीक है मैं खाना खाने के बाद बताती हूं, अभी जा तु।
मैं फिर वहां से निकलकर बाहर बाथरूम में गया और हाथ धोकर खाने की टेबल पर आ बैठा। पापा वहां बैठे ही थी और 2_3 मिनट बाद मोसी आई और किचन में जाकर मां और मोसी दोनो सब रोटी सब्जी वागेरा लाने लगे।
फिर हमने मिल कर खाना खाया और पापा अपनी साली साहिबा यानी की मोसी से मजाक करते रहे । इधर मैं सोचता रहा के पापा बस मजाक ही करोगे मोसी साथ या चूत भी मारोगे कभी उनकी।
फिर सबकी यूंही बातें हुई और खाना खत्म कर मां और मोसी किचन में और पापा अपने कमरे में और मैं अपने कमरे में जा बैठे।
 

sahilgarg6065

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 66
मैं कमरे में बैठा ही था के करीब 10_15 मिनट बाद मां आई और बोली : गोलू बेटा, वो आज शायद तुझे रात में मेरे कमरे में आकर ही करना पड़ेगा कुछ करना है तो।
मैं: क्यूं मां? क्या हुआ।
मां : तेरे पापा को पता नहीं क्या हुआ है , उन्होंने अभी मुझे आवाज लगाई अपने कमरे में और बोला के मेरे टट्टों में थोड़ा दर्द है तो रात में थोड़ी सी तेल मालिश कर देना।
मैं: क्या मां सच में? मतलब आज आप पापा का लन्ड पकड़ कर झुलोगी...
मां हस्ते हुए : अरे कहां गोलू, वो तो आज उन्हें ऑफिस में कुछ लग गया नीचे, उसकी वजह से दर्द हो रहा है।
मैं: तो पापा को बोलो ना, खुद लगा लें तेल।
मां : मैनें भी यही बोला उनसे, पर वो बोले के जैसे पहले लगाया करती थी वैसे ही लगा दो और आज वहीं कमरे में ही सो जाना।
मैं: शायद पापा का आज मूड बन गया है।
मां : नहीं नहीं, ये कोई पहली दफा नहीं है, वो पहले भी कभी तेल मालिश करवा चुके हैं मुझसे, उन्हे आराम मिलता है, इसलिए मुझे ही बोलते हैं
मैं: पहले भी टट्टो की मालिश करवा चुके हैं?
मैं: अरे नहीं, वैसे ही कई बार अपने बदन की ओर 2_3 बार अपने लोड़े की भी।
मैं: मां मालिश से तो लोड़ा खड़ा हो जाता होगा ना।
मां हस्ते हुए: हां खड़ा तो हो जाता है, पर वो पापा हैं तेरे, उनका बैठ भी बड़ी जल्दी जाता है।
मैं भी हसने लगा और बोला : चलो ठीक है फिर आज आप पापा के हवाले ही सही।
मां : हां बेटा, और तेरी मोसी का भी पेट खराब है शायद आज तो वो भी रात में मस्ती ना करती मुझे लगता है।
मैं अंदर ही अंदर हस्ते हुए : हां शायद।
मां : चल ठीक है तु सो जा फिर है। मैं तेरी मोसी को बोल देती हूं, के वो यहां सो जाए और मैं अपने कमरे में सो जाऊंगी।
मैं: ठीक है मां।
मां : और अगर तेरे पापा जल्दी सो गए तो मैं तुझे मैसेज कर दूंगी, ठीक है, तु आ जाना।
मैं: हां ठीक है मां।
फिर मां वहां से चली गई और कुछ 5_10 मिनट बाद मोसी आई रूम में और बोली : लगता है आज किस्मत अच्छी है तेरी गोलू।
मैं: वो कैसे?
मोसी: देख आज जीजा जी ने दीदी को अपने पास सोने को बोल दिया और तु और मैं एक ही कमरे में हैं।
मैं हस्ते हुए : हां तो , अभी आपकी वो भी बाकी है।
मोसी : क्या?
मैं: गांड़ चटवाणी
मोसी : चुप कर, मैं नहीं चटवा रही।
मैं: क्यूं क्या हुआ?
मोसी : कुछ नहीं बस नहीं चटवानी मुझे।
मैं: ठीक है जैसी आपकी मर्जी।
फिर मोसी बोली : मैं आती हूं ये लोअर डाल कर।
मैं: लोवर क्या करोगी डाल कर मोसी।
मोसी : क्यूं ना डालूं।
मैं: कहीं उतारना ना पड़े बाद में।
मोसी बिना कुछ रूम से चली गई और एक लोवर डाल कर आ गई और बोली : कर दूं लाइट ऑफ?
मैं: आपकी मर्जी है।
फिर मोसी ने रूम की लाइट ऑफ की और मेरे साथ बैड पर लेट गई। मैं सोचने लगा के अभी तो मोसी इतनी गर्म हो गई थी थोड़ी देर पहले और अब पता नहीं क्यूं नखरे कर रही है। फिर मुझे ख्याल आया के शायद मोसी की चूत उस वक्त पानी छोड़ गई जो मोसी अब वक्त सा लगा रही है गर्म होने में और इतने नखरे कर रही है।
मैंने सोचा के क्यूं न मोसी को एक बार फिर सब याद दिला कर गर्म करने की कोशिश की जाए, क्या पता मोसी का मूड बन जाए और रात मां से भी अच्छी बीते। क्योंकि मां के साथ तो अभी तक एक ही रात बीती थी वो भी सुबह जल्दी उठना पड़ा और बिना किसी आवाज के बात किए सब हुआ।
और मोसी का अगर आज नंबर लगा तो कमरे से सिर्फ मैं और मोसी ही हैं तो कोई किसी का डर भी नहीं जो हमे कुछ भी करने से रोके।
मोसी को लेते लेते 3_4 मिनट हो चुके थे के मैं अपने ख्यालों से बाहर आया और बोला : मोसी..
मोसी : हां?
मैं: वो आपको कोई याद कर रहा था?
मोसी : कोन?
मैं: आपका वो जीनी।
मोसी हसने लगी : अच्छा, करने दे फिर।
मैं: वो बोल रहा था के आपने उसे एक बार भी बुलाया नहीं उसकी वॉच पर टैप करके।
मोसी : हां तो अभी उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी ना, जब पड़ेगी तो बुला लूंगी।
मैं: ठीक है, अच्छा मोसी ऐसे सीधा लेटने से आपकी छाती पर वजन महसूस नहीं होता क्या?
मोसी : मतलब?
मैं मोसी के करीब हुआ और उनके दोनों बूब्स पर अपने दोनों हाथ रख बोला : इनका वजन...
मोसी ने धीरे से मेरे हाथ उठाए और हस्ते हुए बोली : होता तो है, पर अब आदत हो गई है।
मैं: मोसी इनका वजन कम कर लो ना।
मोसी : तुझे बताया तो के दूध वाले होल्स अब बंद हो गए हैं तो कैसे कम कर लूं?
मैं: तो आपको गोली ला कर दूं क्या जो मां को दी थी।
मोसी हस्ती हुई : नहीं नहीं, अभी जो पेट दर्द का बहाना किया था उसके लिए दीदी ने एक गोली दी, पहले ही उसे बाथरूम में डाल कर आ रही हूं।
मैं: वाह मोसी, बड़ी चालक हो आप वैसे।
मैं: मैं तो कुछ भी नहीं तेरे सामने, तो तू चालाकों का बादशाह है।
मैं हसने लगा और बोला : कहां मोसी, मैनें कोनसा ऐसी चालाकी कर दी।
मोसी : सब पता लग गया है आज मुझे, कैसे कैसे आइडिया देता है तु, नीचे चले जाओ, ये बहाना कर लेना वो कर लेना, चालाक तो तु है इतना।
मैं : वैसे आप एक चीज भूल रहे हो।
मोसी : क्या?
मैं: आपने मुझे कहा था के नीचे चल, तुझे बाकी का दूध पक्का पिलाऊंगी।
मोसी : वो तो ऐसे ही कहा था मैनें।
मैं: पिलाओ ना मोसी, आप दूध पिलाओ, मैं आपको आइसक्रीम खिलाऊंगा।
 

sunoanuj

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Bahut barhiya updates…
 

Ek number

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मां का दूध छुड़वाने से चुसवाने तक का सफर : पार्ट 63
मोसी के नीचे जाते ही मैंने मां को मैसेज किया : हैलो मां।
मां का 1 मिनट बाद रिप्लाई आया : हां गोलू?
मैं: कहां हो मां आप?
मां : किचन में
मैं: और मोसी?
मां : यही है पानी पी रही है।
मैं: मां मैं ऊपर छत पर जा रहा हूं, आप आओ ना एक बार प्लीज, मेरा मन कर रहा है आपका दूध चूसने का।
मां : रुक जा आती हूं थोड़ी देर में।
मैं: मां जल्दी आना ना।
मां : आती हूं मेरे लाल।
फिर 2 मिनट बाद मोसी ऊपर आई और मेरे पास आकर बोली : मैं बोल आई हूं दीदी से, देख लेना वो नहीं आएंगी, ऊपर।
मैं: अरे आप यहां खड़ी रहोगी तो थोड़ी मां आएगी, जाओ आप पिछे अंधेरे में छुप जाओ ना।
मोसी: अरे दीदी आएगी ही नहीं, तो छुपकर क्या करूंगी।
इतने में किसी के आने की आवाज आई और मोसी फट से पीछे अंधेरे में जा खड़ी हुई और इधर सीढ़ियों पर मां आगे आकर : गोलू।
मैं: हां मां आ गई आप।
मां : हां बेटा, मेरा गोलू बुलाए तो मुझे आना ही पड़ेगा ना।
मैं: लव यू मां।
मां : लव यू टू बेटा।
मैं: मां दूध पिलाओ ना, बड़ा मन कर रहा है।
मां फट से अपनी कमर मेरी ओर करके बोली : ले खोल दे ब्रा के हुक, तेरे ही तो है ये दूध के भरे हुए मटके, बस इनमे से दूध आना शुरू हो जाए और तुझे पीला सकूं मैं जल्द से जल्द।
मैं मां की ब्रा का हुक खोलता हुआ बोला : हां मां, बस अब तो जल्दी से इनमे दूध आ जाए और फिर तो मजा ही आ जाए चूसने का।
फिर मैं ब्रा का हुक खोलने के बाद नीचे जमीन पर बैठ गया और बोला : मां आओ ना मेरी गोद में बैठकर पिलाओ।
मां : उफ्फ मेरे लाल।
मां मेरी ओर घूमी और नीचे मेरी गोद में दोनो टांगो को इधर उधर कर बैठ गई और अपनी ढीली हुई ब्रा में से सूट को ऊपर से ही थोड़ा सा साइड खिसका कर अपना चूचा बाहर निकाल कर बोली : ले गोलू बेटा, चूस इसे मस्त होकर
मैं भी बिना मोसी के बारे में कुछ भी सोचे मां के उन मस्त चूचों को पकड़ चूसने लगा। उफ्फ ऐसा लग रहा था जैसे बड़े दिनो बाद से मुझे वो दोबारा चूसने को मिले हों। मां अपना चेहरा ऊपर आसमान की ओर करके खड़ी रही और मजेदार सी सिसकियां भरती रही। इधर मैं अपने दोनों हाथों से उनका बूब्स दबा कर चूसता रहा।
लगभग 5 मिनट तक मैं यूंही उनके चूचों को मस्त दबा दबा कर चूसता रहा और मां मेरे सर पर अपना हाथ फेरती रही। फिर एकदम ही मां रुकी और मेरे कान में बोली : गोलू एक पप्पी ले ना मेरी।
मैंने अपना मुंह चूचों पर से हटाया और बोला : अभी ले लेता हूं।
मैनें मां के गाल पर एक पप्पी ली और मुस्कुराकर उन्हें देखने लगा के मां बोली : बेटा यहां नहीं, तेरी फेवरेट जगह पर।
मैं: ओह अच्छा।
मां : हां।
मां खड़ी होकर जैसे ही घूमी और अपनी पजामी को सरका कर मेरे मुंह के सामने अपने घुटनों तक लाई ही थी के नीचे से पापा ने आवाज लगा दी मां को के कहां हो।
मां : छत पर कपड़े लेने आई हूं जी, आ रही हूं
मां अपनी घुटनों तक की पजामी को ऊपर करके बोली : इनको भी अभी आना था, गोलू बाद में करते हैं, ठीक है, मैं खाना लगाती हूं।
मैं: ओके मां, आप चलो मैं आता हूं।
मां फिर गांड़ मटकाती हुई नीचे चली गई और मैं वहीं मुस्कुराता खड़ा हुआ। मां के नीचे जाते ही मोसी बाहर आई और बोली : सच में दीदी ने ऐसा किया, ये जरूर तेरी जिद्द की वजह से दीदी ने ऐसा किया।
मैं: हां, अब हो गया ना आपको यकीन।
मोसी: हां, ठीक है, चले नीचे अब।
मैं: ऐसे कैसे मोसी
मोसी हस्ती हुई : क्यूं नीचे नहीं जाना।
मैं: कुछ भूल रहे हो आप मोसी।
मोसी नाटक करते हुए : मैं, क्या भूल रही हूं।
मैं: शर्त
मोसी हस्ती हुई : हां हां ठीक है पीला दूंगी बस अब।
मैं: पीला दूंगी नहीं, पीला दो।
मोसी : अभी यहीं पर?
मैं: हां अभी।
मोसी : पागल है क्या तु, दीदी आ गई तो?
मैं: मां आ गई तो दोनों का इक्ट्ठा पी लूंगा।
मोसी हस्ते हुए : चुप कर,
मैं: आपने देखा ना मां ने कैसे पिलाया मुझे, तो आप भी वैसे ही पिलाओ।
मोसी : ठीक है ठीक है, बता कैसे पिलाऊ?
मैनें मोसी को पहले की तरह उठाया और उठा कर साइड में बनी दीवार के पास ले जाकर उन्हें दीवार पर बैठा दिया और बोला
मैं: आपने ब्रा तो डाली नहीं, तो आपके तो यूंही बाहर निकल आएंगे।
मोसी हसने लगी और बोली : ऐसे नहीं निकलते बाहर ये, बड़े हैं, दबा के निकलने पड़ते हैं।
मैं: तो मैं निकाल लेता हूं खुद ही।
मोसी: ठीक है निकाल और पी, फिर नीचे चलेंगे।
मैंने फट से मोसी को अपनी ओर खींचा और उनके सूट के ऊपर से ही उनके मस्त बिना ब्रा वाले चूचों को दबाने लगा के मोसी बोली : आह गोलू, दर्द हो रहा है बेटा, धीरे कर।
मैं फिर अपने हाथों को हल्का ढीला सा छोड़ धीरे से दबाने लगा और बोला : अब ठीक है।
मोसी : आ आह , हां अब ठीक है।
मैनें फिर हल्के हल्के से उनके चूचों पर दबाव सा बना कर उन्हें ऊपर की और किया और कमीज को पकड़ थोड़ा नीचे सरका कर उनके चूचों को कमीज में से खप से करके बाहर निकाल लिया।
अब मोसी के वो दो बड़े बड़े चूचे मेरी आंखों के सामने थे वो भी मोसी के पता होने पर। चूचे तो उनके पहले रात में भी देखे थे पर तब उन्हें खबर न थी मेरे होने की। इसलिए अब देख कर एक अलग सा ही मजा मिल रहा था। मां से भी थोड़े बड़े बड़े चूचे और उन्पर वो डार्क फैले हुए निपल्स चार चांद लगा रहे थे। मैं मस्ती से पहले तो उन्हे हल्का हल्का दबाने लगा और मुस्कुरा कर मोसी की आखों में देखने लगा।
मोसी भी एक हल्की हल्की सी आह के साथ खुशी से मेरी आखों में देख रही थी और शायद चाह रही थी के मैं आज रात काफी आगे बढ़ जाऊं। पर मैं ठहरा धीरे धीरे से मजे लेने वाला श्क्स। जल्दी ना मुझसे होती, ना ही मैं कर के मजा किरकिरा करना चाहता।
तो मैं धीरे से दबाते हुए उनकी आखों में देखने लगा और मोसी बोली : दबाता ही रहेगा या अब मुंह में भी लेगा इन्हे।
मैं: आपको बड़ी जल्दी है मोसी, मुंह में देने की।
मोसी हस्ते हुए : हां तो नीचे भी तो जाना है फिर।
मैं: चले जाएंगे, क्या हुआ, रात अपनी ही है।
मोसी : हां हां, बड़ा आया फिल्मी डायलोग मारने वाला।
मैं मस्त होकर : आप कहो तो डायलोग की जगह कुछ और मार लूं।
मोसी: क्या?
मैं: कुछ नहीं, मोसी कितने सॉफ्ट हैं आपके।
मोसी : दीदी से भी ज्यादा?
मैं: हां मोसी।
मोसी : वो इनमे दूध ज्यादा है ना , शायद इसलिए।
मैं: मोसी, मौसा जी के तो सच में मजे हैं।
मोसी शर्माती हुई : चुप कर, मजे तो तू ले रहा है, मोसा कहां लेते है मजे।
मैंने फिर सीधा अपना मुंह मोसी के निपल्स पर रखा और उन्हें अभी अभी धीरे से दबाता रहा। उनकी निपल्स पर जीभ फेरते हुए मैं ऊपर उनके चेहरे की तरफ देखने लगा तो मोसी अपने होंठ काटने लगी और आखें बंद सी कर ली।
मैं भी मस्त हो गया और फिर उनके बूब्स को अपने मुंह में ले एक दम प्यार से चूसने लगा।
मोसी के बूब्स की खुश्बू भी एक दम मस्त मोह लेने वाली थी। हर औरत में की एक अपनी खुश्बू होती है और कुछ तो ऐसी होती हैं जो मोह लेती हैं इंसान को।
मोसी भी शायद उनमें से एक ही थी। मैं उनके जिस्म की खुश्बू सा लेता हुआ उनके चूचों को चुसने लगा और मोसी : आह आह की सिसकियां सी भरती रही।
छत पर चलती ठंडी हवा में अब माहोल काफी गर्म सा हो चुका था। मोसी ने भी फिर मां की तरह ही अपने हाथ मेरे सर पर रख , मेरे बालों को सहलाने लगी और प्यार भरी हल्की हल्की सिसकियां सी भरने लगी।
मां और मोसी में फर्क बस इतना था के मां डोमिनेंट सेक्स पसंद करती थी और मोसी शायद एक सॉफ्ट वन, जैसे मोसी ने मेरे बालों पर इतने प्यार भरे अंदाज से अपना हाथ फेरा, मुझे तो शायद यही लगा उनके इस एहसास से।
मैं भी मस्त होकर उनके चूचों को चूसने लगा और दबाने लगा। अभी कुछ 5 मिनट ही हुए थे हमारे खेल की शुरुआत हुए के पापा की आवाज आई : गोलू, ऊपर है क्या...खाना बनने वाला है आजा खाले।
फिर एक हल्की सी आवाज और आई : गोलू की मां, गोलू आता है उसे कहता हूं निशा को भी बुला देगा।
फिर पापा की आवाज से मोसी और मेरी दोनों की आंख सी खुली और मोसी मुस्कुराती हुई बोली : चले नीचे, बाद में पिलाऊंगी पक्का।
मैं मुस्कुराकर : ठीक है मोसी।
Behtreen update
 
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