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Adultery मेरे नाजायज प्रेम का सफ़र l

naqsh8521

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कहानी आगे चलेगी या समाप्त हो गई
 

naqsh8521

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आज तीन साल हो गए हैं, बहुत लड़कियों के साथ जाकर मैंने सोचा कि मैं उसे भूल जाऊँगा पर ऐसा नहीं हो पाया।

मेरे प्यार की तलाश अभी भी ज़ारी है…

ये कहानी यहाँ समाप्त तो नहीं हुयी पर कभी कभी किसी कहानी को एक खूबसूरत मोड़ दे देना भी अंजाम के बराबर ही होता है l

अब मेरी कहानियों की श्रिंखला में पेश है एक और रोमांचक कहानी ... उम्मीद है ये भी आपको उतनी ही पसंद आएगी l





एक व्याख्या प्रेम की



वासना और प्रेम एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रेम का सुख मिल जाए तो वासना मनुष्य के नियंत्रण में हो जाती है और जिस्म का सुख मिल जाए तो प्रेम पीछे छूटने लगता है।

मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो इन्ही दो शब्दों के बीच है, वासना की आग बड़ी है या प्रेम की सौगात, यही समझने की कोशिश है इस कहानी में !

यह कहानी सत्य है काल्पनिक, यह निर्णय मैं आप पर छोड़ता हूँ क्योंकि कभी कभी सत्य भी काल्पनिक लगने लगता है और प्रेम से बड़ा धोखा तो शायद ही इस संसार में कोई और है।

यह कहानी है पुष्प की ! हाँ, उसका नाम पुष्प था, जैसा नाम वैसा ही स्वरूप ! उसे देख के अक्सर मैं पारिजात वृक्ष के पुष्पों की कल्पना में खो जाता था। कहते हैं देवताओं का शृंगार इन्हीं पुष्पों से होता है। उसका एक एक अंग में जैसे उसी पुष्प की निर्मलता बसी हुई थी। रंग उसका सांवलेपन और गौर वर्ण के बीच का था, 18 की अवस्था थी और इस उम्र के अनुसार कुछ ज्यादा ही परिपक्व थी। उसकी आँखें अगर कोई एक बार देख ले तो उसके सम्मोहन से कभी निकलना ही ना चाहे। उसके सुर्ख गुलाबी अधर जिसके निचले भाग जरा ज्यादा विकसित थे उस पर जब पानी की बूँदें रह जाती थी तब उस जल की एक बूंद के लिए अमृत का त्याग भी संभव लगता। उसके गले और घने गेसुओं का वो मिलन स्थल जिसे यौन क्रिया में स्त्री की ख़ास जगह का दर्जा प्राप्त है, उसमें से आती हुई खुशबू किसी को भी अपना दीवाना बना ले। उसके वो दो अमृत कलश इतने नाजुक लगते थे मानो कहीं छूने मात्र से कहीं अमृत छलक ना जाये।

नाभि ऐसी कि अप्सराएँ भी ईर्ष्या करें, कटि प्रदेश तक आते आते ऐसा मालूम होता है कि सफ़र जिसकी शुरुआत इतनी आनन्ददायक थी उसका अंत ऐसा ही होना चाहिए।

हल्के हल्के रेशमी रोयें जो एक नाज़ुक कवच बना घेरे रहते थे उस पुष्प के रक्तिम पुष्प को, जरा सा ऊपर करने पर नीचे तीसरे द्वार पे उँगलियाँ फिराना ऐसा लगता मानो स्वर्ग के द्वार पे खड़ा मनुष्य अन्दर जाने से इन्कार कर रहा हो… ऐसा लगता है जैसे उसके जिस्म को शब्द में बाँध पाना संभव ही नहीं है।

एक बार फिर मैं पटना पहुँचा। इस बार मैं अपने अंकल के यहाँ रूका था। लगातार दो परीक्षाएँ थी तो इस बार पूरे एक हफ्ते यहीं रूकना था। चेहरे पर उदासी और मन में पिछली बार की याद संजोये यूँ ही अंकल के घर से बाहर टहलने निकला, रह रह कर अपनी पुरानी यादों में डूबा जा रहा था, मन लग नहीं रहा था तो ऑटो से गंगा नदी के किनारे एक छोटे से घाट पर पहुँचा। नदी किनारे से काफी दूर थी, फिर भी शायद मेरी आस्था या संस्कार जो बिना गंगा नदी के जल का स्पर्श किये रह न सका, धीरे धीरे नदी के करीब पहुँच कर उसके जल को छूकर और अपने हाथ पांव धोकर वापिस आने लगा तभी एक किश्ती के मेरे करीब आने की आवाज़ सुनाई दी मेरे पीछे एक नाव आकर रुकी।

मल्लाह ने पूछा- नदी पे सैर करना है भैया?

मेरा मन वैसे भी नहीं लग रहा था, मैं हाँ कह कर उसकी नाव पर चढ़ गया। कुल दस लोगों की जगह थी और मैं अकेला था। ऐसा लग रहा था जैसे पूरी दुनिया में मैं ही अकेला हूँ…

थोड़ी देर में नाविक ने कश्ती को दूसरे तट पर रोक दिया और दूसरे ग्राहक खोजने लगा।

मैं चुपचाप नदी की धार को देख रहा था, अचानक एक आवाज़ ने मेरा ध्यान भंग किया, जैसे ही पलटा, मेरी नज़र उस आवाज़ के स्रोत पर गई। ढलते हुए सूरज की रोशनी में चाँद को देखने जैसा नजारा था।

वो अपने पूरे परिवार के साथ आई हुई थी। दिल में बसी वो पुरानी यादें मानो कहीं खो सी गई, अब तो जैसे मुझे मेरी मंजिल ही मिल गयी थी। वो अपने सारे परिवार को सहारा देकर चढ़ा रही थी और उसके कूल्हे मेरी वासना बढ़ा रहे थे…

एक छन में प्रेम और दूसरे ही पल वासना !

यही जीवन है।

अब पूरे सात लोग हो गए थे और कहीं दूसरा ग्राहक मिलने के आसार नहीं थे तो खेवट ने सैर की शुरुआत की। उसी परिवार का एक लड़का मेरी बगल वाली सीट पर बैठ गया था और उसके बगल में पुष्प.. अपनी वासना से उत्प्रेरित भावना को संयमित करने के लिए मैं दूसरी तरफ देख रहा था कि तभी ढेर सारी पानी की बूँदें मेरे चेहरे और कपड़ों पे आ गिरी। मैं कुछ कहता, उससे पहले उस परिवार के मुखिया ने मुझसे माफ़ी मांगी और उसे डांटने लगा।

मैंने फिर खुद को संयमित कर उनसे कहा- रहने दीजिये कोई बात नहीं..

फिर बगल वाले लड़के ने हाथ बढ़ाते हुए मुझसे कहा- मेरा नाम आकाश है, और आपका?

मैंने उत्तर में अपना नाम बताया ‘निशांत’
 

naqsh8521

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आगे की कहानी

उसने फिर पूछा- नए लगते हो इस शहर में? कहीं और के हो क्या..?

मैंने जवाब दिया- हाँ, मैं इम्तिहान देने के लिए आया हूँ।

फिर मेरे इम्तिहान का नाम बताने के साथ ही वो बोल पड़ा- यही परीक्षा तो मेरी भी है कल !

और हम दोनों का एग्जामिनेशन सेंटर एक ही था।

इत्तेफाक भी बड़ी अजीब चीज ही होती है। फिर उसके पिता मुझसे मेरी तैयारी के बारे में पूछने लगे।

मैंने कहा- मेरा पिछली बार पीटी हो चुका था, इस बार आगे की सोच रहा हूँ।

तभी मेरा फ़ोन बज गया, घर से पापा का कॉल था।

बात करके मैंने जैसे ही फ़ोन रखा, बगल से मीठी आवाज़ आई- आप ग़ज़ल के दीवाने लगते हो !

मेरे रिंगटोन में जगजीत सिंह की ग़ज़ल सेट की हुई थी।

मैंने जवाब में कहा- हाँ, मेरा पूरा मेमोरी कार्ड ग़ज़लों से भरा पड़ा है।

फिर उसने भी हाथ बढ़ाते हुए कहा- मेरा नाम पुष्प है !

मेरी नज़रें तो जैसे उसके उभारों पर ही टिकी हुई थी। अचानक उसके दुबारा बोलने पर मैंने भी अपना हाथ बढ़ा दिया- निशांत..

मेरे हाथ अब तक काँप रहे थे।

पुष्प ने यह सब भांप लिया था, मेरी नज़रें जैसे नीची हो गई थी।

तभी आकाश ने मुझे अपने घर पर आकर रात में साथ में तैयारी करने की पेशकश की।

अब तो जैसे वासना ने मुझे अपने बस में ही कर लिया था, मैं कोई नहीं मौका छोड़ना नहीं चाहता था, मैंने हाँ कर दी।

पुष्प यह सब झुकी झुकी नज़रों से देख रही थी। आकाश ने मेरा नंबर लिया।

अब मैं घर आ चुका था और बस अपनी वासना पूर्ति के सपने देख रहा था। पता नहीं कब मेरी आँख लग गई… सामने पुष्प अपनी खुले हुए गेसुओं और एक पतले से जालीदार आवरण में थी शाय।द मैं स्वप्न में था… अब जो भी था, मैं तो बस उसे पाना चाहता था…

मैंने बस उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया। हवस मुझ पर पूरी तरह से हावी हो चुकी थी। उसके होठों को चूमते हुए ऐसा लग रहा था मानो फिर कब ये होठ मिलें !

मेरी जीभ उसके होंठ और मुख में ऐसे धंसी जा रही थी कि उसकी आवाज़ घुटने लगी थी। होठों को उसके होंठों से सटाए ही मेरे हाथ उसके वक्ष पर गए। एक ही झटके में मैंने उसकी काया पर पड़ी आवरण-छाया को खींच कर नख-शिखर तक वस्त्ररहित कर दिया।

उसने जबरन मेरे होठों को अपने होठों से अलग किया, मैंने हांफते हुए उसे पलट दिया और उसकी पीठ पर चुम्बनों की बरसात कर दी, उसे गोद में उठा कर मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया।

सफ़ेद चादर पर पुष्प का जिस्म किसी कलाकार की महानतम कला होने का भ्रम दे रहा था। अपने कपड़े उतार मैं उस पर टूट पड़ा उसके कूल्हों को जैसे मैं खा जाने पर उतारू था मेरी उँगलियाँ उसके मल द्वार में धंसी जा रही थी, मेरे दांत रह रह कर उन मखमली कूल्हों पर आघात कर रहे थे। फिर उसे पलट कर उसके उरोजों को कस कर अपनी हथेलियों में भर लिया। मैं तो जैसे सारा रस अभी ही निकालने पर उतारू था। उसके स्तनों पर अपने होठों को लगा दिया और ऐसे पीने लगा मानो जन्मों जन्मों का प्यासा हूँ। फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे लगा दिए।

अब मैं मुख मैथुन की अवस्था में उसके मुख के पास अपना लिंग ले गया और अपने पैरों से उसके हाथ रोक के उसके मुख में अपना लिंग डालने लगा। एक बार तो ऐसा लगा जैसे मैं अपना समूचा लिंग भी अन्दर दे रहा हूँ तो भी उसे कोई तकलीफ नहीं हो रही है।

फिर मैं उसकी दोनों टांगो के बीच आ गया और उसकी योनि को मुट्ठी में भर कर थोड़ा ऊपर किया और एक जबरदस्त वार, समूचा लिंग उसके अन्दर था, दोनों हाथ उसके स्तनों को मसल रहे थे और मैं बस धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था।

लिंग अन्दर किये हुए ही मैंने उसे पलट दिया, उसके मॉल द्वार को देखते हुए योनि का भेदन एक नया ही एहसास था। अब मैं अपनी हवस के चरम पर था। मैंने थोड़ा झुक कर उसके मुंह को अपने हाथों से बंद कर दिया और पूरी ताकत से लिंग उसके मल द्वार में डाल दिया।

दो झटकों के बाद मुझे मेरे लिंग के आस पास गरम तरल सा महसूस हुआ।

तभी मेरी आँख खुल गई… मैं स्खलित हो गया था और मेरे अन्दर का तूफ़ान शांत हो चुका था…

मैं अपने स्वप्न से जागा और जाकर अपने कपड़े बदल लिए। तभी एक कॉल आया, मैंने बात की तो सामने आकाश था। वो अपने घर का पता बताने लगा। मेरी हवस की भूख अभी शांत हो चुकी थी तो मैं उसे मना करने लगा।

वो बहुत जोर देने लगा, कहने लगा कि लास्ट टाइम की टिप्स शायद एग्जाम निकलवा दें।

मैं यह कह कर टालने लगा- तुम्हारे घर में सब क्या सोचेंगे ! और यहाँ भी मैं अपने अंकल की इजाजत के बिना रात भर तेरे घर में नहीं रूक सकता हूँ !

फिर उसने मेरे घर का पता लिया और घर आ गया। अंकल घर में ही थे। जैसे तैसे उसने उन्हें मना ही लिया और मुझे अपनी बाइक पर बिठा कर अपने घर ले गया।

घर खूबसूरत था। उसने बताया कि यह घर उसके दादा ने बनवाया था वो सेल टैक्स में कमिश्नर थे। बाहर एक गार्डन गार्डन में झूला वगैरा सारी सुख सुविधाएँ थी वहाँ।

तभी मेरी नजर खिड़की पर गई, पुष्प वहीं थी और मुझे घूरती जा रही थी। मकान दो मंजिल का था पर ऊपर अभी कोई किरायेदार नहीं था।

पहुँचते हुए साढ़े आठ बज गए थे। सो सीधे उसकी मम्मी ने हमें खाना ऑफर कर दिया।
 
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naqsh8521

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कहानी आगे की


खाना खाकर आकाश मुझे अपने कमरे में ले गया। कमरे में लगभग सब कुछ था। वो अपनी किताबें ले आया और फिर हम पढ़ने लगे। तकरीबन एक घंटा हुआ होगा, सभी लोग खाना खाकर सो चुके थे।

तभी हल्की सी आवाज़ आई-

चौदहवीं की रात थी

शब भर रहा चर्चा तेरा,

सबने कहा चाँद है

मैंने कहा चेहरा तेरा…

मेरा फ़ोन बज रहा था। देखा तो नंबर था किसी का नाम नहीं था। फिर आकाश ने कहा- यह पुष्प का नंबर है..।

वो उठ कर उसके कमरे की ओर गया, थोड़ी देर में वापिस आया तो कहने लगा- वो तुम्हारा फ़ोन मांग रही है। ग़ज़ल अपने कंप्यूटर में डालेगी।

मुझे तो आभास हो रहा था उसे अपने किस सिस्टम में डलवाने का मन हो रहा है। मैंने अपना फ़ोन उसे दे दिया। फिर हम पढ़ने लगे। एक घंटे के बाद लगभग हमारी पढ़ाई हो गई थी, मैंने आकाश से कहा- वाइन है क्या? एग्जाम से पहले रिफ्रेश होना जरूरी है।

वो मुस्कुराने लगा और बोतल ले आया। हम छत पर गए, जाते जाते मैंने गौर किया कि एक कमरे की लाइट जली हुई थी तो मैंने आकाश से पूछ लिया कि वो कौन है।

उसने कहा- वो पुष्प है, अभी तक जाग रही है।

थोड़ी देर में दोनों को पूरी तरह से चढ़ चुकी थी। लड़खड़ाते हुए हम नीचे उतरने लगे। मेरा कमरा ऊपर गेस्ट रूम था। सो मुझे मेरा कमरा दिखा के वो अपने कमरे में चला गया।

वासना ने फिर से मुझे घेरना शुरू किया। मैं उठ के नीचे दबे पांव जाने लगा। अब उस कमरे में धीमी रोशनी थी। मैं उसके कमरे की ओर बढ़ने लगा। दरवाजा खुला था। मैंने झांक कर अन्दर देखा, अन्दर कंप्यूटर अब तक ऑन था। वो कान में हेड फ़ोन लगा कर गाने सुन रही थी, उसने लाल रंग की टाइट नाईटी पहनी थी।

मैंने धीरे से उसके पास पहुँच उसके कंधे पे अपना हाथ रख दिया। वो डर कर दूर हट गई।

फिर उसने कहा- आप? आप कब आये?

मैंने कहा- मैं तो सालों पहले आ गया था, तुमसे आज मिला हूँ…

शराब से आत्मविश्वास बहुत आ जाता है। इस बात का पता मुझे उसी दिन लगा।

उसने कहा- सो फनी, वैसे आप नशे में हो क्या? मुझे स्मेल आ रही है?

मैंने कहा- नहीं तो, वैसे अब धीरे धीरे नशा चढ़ रहा है। आखिर इतनी नशीली चीज जो सामने है। मैं ठीक हूँ, बस तेरे कंप्यूटर में गानों का कलेक्शन देखना है मुझे !

उसने कहा- तो मैं अब चीज दिख रही हूँ। सिर्फ गानों वाले फाइल ही देखना।

कह कर वो कुर्सी से हट गई और बेड पर बैठ गई। मेरी नज़र बस उसके उभारों पर ही थी। इस बार फिर वो मेरी नज़र भांप गई।

उसने कहा- कभी कोई लड़की नहीं देखी है क्या?

मैंने कहा- मैं लड़की को कहाँ देख रहा हूँ, मैं तो सिर्फ एक हिस्सा देख रहा हूँ। और यह हिस्सा तो मैंने आज तक नहीं देखा है।

फिर मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ कि मैंने कुछ गलत कह दिया है तो फिर तुरंत उससे सॉरी कहा।

वो बोली- ठीक है, कोई बात नहीं। वैसे मैंने भी आज तक सिर्फ कंप्यूटर पे ही देखा है।

मैंने कहा- झूठी कहीं की ! रोज़ तो नहाते वक़्त अपना नहीं देखती हो क्या?

वो हंसने लगी और इशारे से बोली- मैं इसकी नहीं ‘उसकी’ बात कर रही हूँ।

अचानक जैसे करंट सा लगा। सारा नशा उतर गया मेरा ! मैंने कहा- तो आज देख लो।

और उसके करीब आ गया।

वो मेरे होंठों पे हाथ रखते हुए बोली- नहीं, मैंने आज तक ये सब नहीं किया है। प्लीज मत करो।

मैंने कहा- अगर यह तुम्हारा पहला अनुभव है तो मुझ पर भरोसा रखो, इसे तुम पूरी जिंदगी याद रखोगी। और जब वृद्ध अवस्था में भी होगी तो भी इसे तुम देख पाओगी।

उसने आश्चर्य से मेरे तरफ देख कर पूछा- वो कैसे..?

मैंने कहा- अभी मैं तुम्हारा और मेरा विडियो बनाऊंगा और मेरी पर्सनल वेबसाइट है। जो पूरी तरह से सिक्योर्ड है। वहाँ उन सभी लडकियों के डिटेल्स और विडियो हैं जिन्होंने मेरे साथ बिताए पल को यादगार बनाने की सोची। और सिर्फ मैं और तुम ही उसे देख सकेंगे कोई और नहीं।

वो कहने लगी- ऐसा हो सकता है क्या?

मैं मन ही मन सोच रहा था कहीं वेबसाइट दिखाने को न बोल दे। वैसे ये भी अच्छा तरीका है अपनी यादों को संजोने का। इसमें हम दोनों जब चाहे इसे देख अपनी यादें ताज़ा कर सकते हैं। मैं तो मन ही मन यह सोच रहा था कि अगर आज यह सच होता है तो मैं इसके भरोसे को नहीं तोड़ूंगा, वेबसाइट तो मैं जरूर बनाऊंगा।

वो अपनी अलमारी खोल के अपने विडियो कैमरे को निकाल कर बोली- इससे काम हो जाएगा क्या?अगर मेरी जगह कोई और होता तो पता नहीं उसके भोलेपन का कितना फायदा उठाता। मैं उसके भोलेपन पे निसार हो गया था शायद मुझे उससे प्यार हो गया था।

मैंने उससे पूछा- तुम्हारे पास लाल साड़ी है क्या?

उसने कहा- नहीं ! पर मम्मी के पास है।

मैंने कहा- अगर ला सकती हो तो पहन लो, आज तुम्हारी सुहागरात है।

वो चुपचाप जाकर लाल साड़ी ले आई और पहन के अपने बाथरूम से बाहर आई।

सच में आज तो स्वयं कामदेव भी उस पर मुग्ध हुए बिना नहीं रह सकता था। मैं तो अपना सब कुछ उस पर न्यौछावर करने को तैयार था।

मैंने प्यार से उसका हाथ थाम लिया और घुटनों के बल बैठ गया। उसके हाथों को चूमते हुए मैं बेहद बुरी आवाज़ में गाने लगा-

पलकें उठा के देखिये,

यूँ मुस्कुराईये..

धड़कन को भी खबर न हो

यूँ दिल में आईये..

वो मेरे और करीब आ गई फिर मेरी बांहों में आकर वो कहने लगी- दिल में तो समा गई मैं अब…

मैंने उसके होंठों पर अपनी उंगली रखते हुए उसके माथे को चूम लिया- अब तो हमारे मिलन की रात है।

मैंने उसे बांहों में भर कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। हल्के हल्के मैं उसके अधरों के रस का पान करने लगा। उसके निचले अधर से निरंतर कामरस रिस रहा था मानो !

मैंने अपनी जिह्वा हो उसके मुख के हवाले कर दिया। अब उसने मेरे होंठों के निचले भाग पर अपने दांत गड़ाने शुरू कर दिए। मैं चूमते हुए थोड़ा नीचे झुका और उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया।

पता नहीं क्यों पर मेरा लिंग नियंत्रण में था.. शायद इसीलिए कहते हैं कि अगर प्रेम हो तो वासना पर नियंत्रण हो ही जाता है। और अगर वासना हावी हो तो प्रेम का दूर दूर तक नामो निशान नहीं रहता है।

जब भी कोई लड़की पहली बार किसी पर भरोसा कर अपना सब कुछ उसे सौंपती है तो लड़के को कभी भी वासना खुद पे हावी नहीं होने देना चाहिए।

मैं उसे सर से पाँव तक चूमता चला गया। उसके जिस्म के एक एक अंग पर मैं अपने प्यार का एहसास सजाना चाह रहा था। मैं अपनी उंगलियों को उसके गर्दन तो कभी पीठ पे फिरा रहा था। एक बार फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों से टिका दिए और अपनी उँगलियों से उसके कंधे सहलाने लगा। मैं बिना उसके कहे आगे नहीं बढ़ना चाहता था।

तभी वो मेरे दाहिने हाथ को पकड़ अपने पेट पे गई और ऐसा लगा जैसे वो मुझसे अपने ऊपरी वस्त्र उतारने को कह रही हो।

मैं उसके वस्त्र उसके शरीर से अलग करने लगा। ब्लाऊज़ अलग होते ही वो अपनी साड़ी के आँचल से अपने स्तनों को ढकने लगी। मैं ऊपर से उसके हाथों को ही चूमने लगा।

जो स्थान मुझे बिना वस्त्रों के दिखा उसपे अपनी होंठों के निशान छोड़ता गया। हर चुम्बन के साथ उसके हाथ ढीले पड़ते जा रहे थे। अब मैं उसके हाथों को हटा सकता था। धीरे धीरे उसके हाथ रूपी कवच को उसके स्तनों से दूर किया तो उसकी आँखें बंद हो गई। उन स्तनों की व्याख्या करने बैंठू तो स्तन-ग्रंथ बन जाए।

मैंने अपनी जिह्वा से उसके स्तनों के अग्र भाग के साथ खेलना शुरू कर दिया। मेरी जिह्वा एक प्रशिक्षित तलवारबाज़ की भांति उसके अग्रभाग पर वार कर रही थी। वार करता हुआ जैसे जैसे मैं अपने मुख को थोड़ा ऊपर करता वो भी अपने स्तनों को ऊपर उठाने लगती। तभी पूरी ताक़त से मैंने उसके स्तनों पे हमला बोल दिया। वो भी मेरे बालों को पकड़ अपना पूरा स्तन मेरे मुख में डालने का प्रयास करने लगी। आज मैं बस पूरी तरह उसे अपना बना लेना चाहता था, उन स्तनों को मुट्ठियों में भींच कर अपने होंठ मैंने उसकी नाभि पर कर दिए।
 
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naqsh8521

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थोड़ी देर वहाँ गुज़ारने के बाद मैं फिर से उसके होंठों का पान करने लगा इस बार चुम्बन कुछ ज्यादा ही सख्त थे। फिर मैंने उसे पलट दिया। उसके लम्बे गेसुओं को अपने हाथ में लेकर मैं उसकी पीठ पे फिराने लगा साथ ही साथ पूरी पीठ पर अपने चुम्बनों की बरसात सी कर दी। वो बस सिसकारियाँ ले रही थी।

धीरे धीरे मैं उसके नितम्बों पे अपने हाथ फिराने लगा। उसके कूल्हे पूरी तरह से विकसित थे, मैं तो उसकी पीठ को चूमता हुआ उसके कूल्हे दबाने का आनन्द ले रहा था। तभी हल्का सा कमर उसने ऊपर किया और अपनी साड़ी ढीली कर दी। मुझे तो इसी पल का इंतज़ार था। अपने दोनों हाथों उसके निचले वस्त्र मैंने अलग कर दिए। अभी भी वो पीठ के बल ही लेटी थी। अपने दोनो मुट्ठियों में उसके कूल्हों को कैद कर पैरों और जांघों पे चुम्बनों की झड़ी लगा दी। उसे चूमते हुए मैं मलद्वार के पास पहुँचा।

जैसे ही मैंने उसे अपने होंठ लगाए, वो पलट गई और अपना चेहरा छुपा लिया।

उसकी अदाएँ तो जैसे मेरी जान लेने पे अमादा थी। मैंने अपने आप को थोड़ा नियंत्रित किया और उसके करीब पहुँच उसके हाथों को ही चूम लिया। उसने अपनी बांहें फैला मुझे उसने अपनी बांहों में भर लिया।

अब मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जब मैं अपनी पैंट उतार रहा था तो उसने अपने चेहरे को मेरे सीने लगा दिया। उसकी मासूमियत पर मुझे और भी प्यार आ रहा था।

थोड़े से नियंत्रण और प्रेम के असर की वजह से लिंग ने अपना पूर्ण विकसित स्वरूप अभी तक धारण नहीं किया था। मैंने उसके चेहरे को चूमते हुए उसे अपने लिंग के दर्शन कराये। वो बहुत गौर से उसे देखने लगी।

थोड़ी हिम्मत कर उसने मेरे लिंग को अपने हाथ में लिया। उसका स्पर्श तो मरे हुए में भी जान डाल दे, यह तो फिर भी लिंग था। मेरा लिंग अपने पूर्ण विकसित रूप में आने लगा।

वो बोली- ये क्या हो रहा है?

मैंने कहा- तुम्हारे प्यार का जवाब दे रहा है।

फिर उसके होंठों को अपनी होंठ से लगा दिया मैंने। फिर से उसे लिटा के उसके जिस्म को चूमता हुआ नीचे बढ़ने लगा। अब पुष्प के रक्तिम पुष्प मेरे सामने थे। अभी भी उससे ढेर सारा काम रस रिस रहा था। मैंने उसकी भाग्नासा पे अपनी जीभ फिराते हुए उसके काम रस को उसकी पास पड़ी पैंटी से साफ़ किया। अब मैं उसका कौमार्य साफ़ देख सकता था।

पुष्प के पुष्पों पे अपना चुम्बन दे कर मैं ऊपर उसे अपनी बांहों में भर लिया। मैंने उससे पूछा- क्या तुम तैयार हो? मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हें इसमें कम से कम पीड़ा हो।

उसने स्वीकृति में अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए।

अब वो घड़ी आ गई थी। मैंने होंठ उसके होंठों पे सटाए रखा और अपना लिंग उसके योनिद्वार पर सटा कर हल्का सा जोर लगाया। लिंग तीन इंच अन्दर गया था.. मैं उसके दर्द को महसूस कर सकता था इसलिए उसी अवस्था में थोड़ी देर रूका रहा और उसके स्तनों को सहलाता रहा।

जब स्थिति थोड़ी सामान्य हुई तो फिर एक जोर का दबाव और लगभग पूरा लिंग अन्दर था। मैंने अपने हाथ उसके होंठों पे रखे हुए थे,

उसकी आँखें बंद थी, आँखों से आंसू बह रहे थे।

मैंने उसे सहलाते हुए उसकी आँखों को चूम लिया। यह प्रेम ही तो था कि मैं इस अवस्था में भी खुद पे नियंत्रण रख पा रहा था। उसे काफी देर तक मैं चूमता रहा। फिर धीरे धीरे अपने लिंग को मैंने आगे पीछे करना शुरू कर दिया। अब स्थिति सामान्य हो रही थी और अब वासना हम दोनों पे हावी हो रही थी। यह हमा दोनों का प्रथम मिलन था।

मेरे धक्के अब बढ़ने लगे थे और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं इस पल को और भी यादगार और लम्बा बनाना चाहता था। सो मैंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया, वो तड़प के मुझे देखने लगी।

मैंने उसी की पैंटी से अपने लिंग पे लगा रक्त साफ़ किया। और फिर उसे गोद में उठा कर उसे बाथरूम में ले आया और शावर चला दिया।
 

chachajaani

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वैसे आपकी साफ़ सुथरी भाषा और लिखने का अन्दाज़ बिलकुल अलग है जिसका स्वागत है
ये कहानी की बहुत अच्छी शुरुआत हुई लेकिन बाद में हज़म नहीं हुई। कोई भी लड़की इस तरह से पहली बार होटल में जा कर नहीं लेट जाएगी। अगर वो पेशेवर थी तो देखते हैं की ये कहानी आगे बढ़ती है क्या
 
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naqsh8521

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वैसे आपकी साफ़ सुथरी भाषा और लिखने का अन्दाज़ बिलकुल अलग है जिसका स्वागत है
ये कहानी की बहुत अच्छी शुरुआत हुई लेकिन बाद में हज़म नहीं हुई। कोई भी लड़की इस तरह से पहली बार होटल में जा कर नहीं लेट जाएगी। अगर वो पेशेवर थी तो देखते हैं की ये कहानी आगे बढ़ती है क्या

हमारी वाली तो लेट गयी जनाब :kiss1:
 
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