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वो मुझसे लिपटी हुई थी। उस शावर के नीचे मैंने उसे चूमना शुरू किया। फिर उसे नीचे बीठा के उसके हाथ में साबुन पकड़ा दिया और अपने लिंग को साफ़ करने का इशारा किया। उसका एक एक स्पर्श मुझे आज भी याद है।
फिर उसे लिंग को चूमने का इशारा किया।
वो चूमने लगी, उसकी जीभ मेरे पूरे लिंग पर घूम रही थी।
अब थोड़ी देर में मैं अपने लिंग को उसके मुख में डालने का प्रयत्न करने लगा। वो पहले तो इन्कार करती रही, फिर मेरे जोर देने पे उसने उसे अपने मुख में भर लिया। उसका एक एक अंदाज़ मुझे अपना दीवाना बना रहा था। फिर वो खड़ी हुई और मेरे गले लग गई। मैं उसे बिस्तर पे ले आया। वहाँ उसे पेट के बल लिटा के कमर के नीचे तकिया लगा दिया। अब बाथरूम जाकर थोड़ा सा झाग अपने हाथों में ले आया। वो उसी अवस्था में मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैं उस झाग को उसके मलद्वार पे लगाने लगा और धीरे से अपनी कन्नी अंगुली को उसके मलद्वार में धंसा दिया। थोड़ी देर में जब उसे भी अच्छा लगने लगा तो अपनी बीच वाली अंगुली अन्दर करके हिलाने लगा। उसी अवस्था में अपना लिंग उसके योनि पर टिकाया और धीरे से अन्दर प्रवेश करा दिया।
अब उसे असीम आनंद प्राप्त हो रहा था। मेरी उंगली और लिंग दोनों अपना काम बखूबी कर रहे थे। मैं अब अपना आपा खो रहा था। तभी उसकी योनि में जोरदार संकुचन हुआ और वो ढीली पड़ने लगी।
मैं तो उसकी आँखों में देखता हुआ ढलना चाहता था। सो मैंने आसन बदल
उसे अपने सामने किया और होंठ उसके होंठों से टिका दिए। थोड़े झटकों के बाद मैं भी अपने चरम पे था और वो दुबारा अपने चरम पे ! हम दोनों एक साथ एक दूसरे पे ढल गए।
मेरा वीर्य उसके अन्दर समाता जा रहा था और वो मुझमें समाती जा रही थी। आधे घंटे तक हम यूँ ही लेटे रहे। उसे कब नींद आ गई पता ही न चला। मैं धीरे से उठ कर अलग हुआ कमरे की व्यवस्था ठीक कर अपने कपड़े पहन लिए। फिर पास पड़ी उसकी पैंटी से उसकी योनि साफ़ करने लगा। वो जाग गई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे गले लग गई।
मैंने उसे चूमा और कहा- मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, कल मिलेंगे, तुम सो जाओ, रात काफी हो चुकी है।
उसकी आंखे नम थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- ये खुशी के आंसू हैं, आज मुझे सारे जहाँ की ख़ुशी मिल गई।
फिर मैं अपने कमरे में आ गया।
आज मुझे एहसास हुआ कि प्रथम एहसास किसी के भी जीवन में क्या मायने रखता है।
फिर उसे लिंग को चूमने का इशारा किया।
वो चूमने लगी, उसकी जीभ मेरे पूरे लिंग पर घूम रही थी।
अब थोड़ी देर में मैं अपने लिंग को उसके मुख में डालने का प्रयत्न करने लगा। वो पहले तो इन्कार करती रही, फिर मेरे जोर देने पे उसने उसे अपने मुख में भर लिया। उसका एक एक अंदाज़ मुझे अपना दीवाना बना रहा था। फिर वो खड़ी हुई और मेरे गले लग गई। मैं उसे बिस्तर पे ले आया। वहाँ उसे पेट के बल लिटा के कमर के नीचे तकिया लगा दिया। अब बाथरूम जाकर थोड़ा सा झाग अपने हाथों में ले आया। वो उसी अवस्था में मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैं उस झाग को उसके मलद्वार पे लगाने लगा और धीरे से अपनी कन्नी अंगुली को उसके मलद्वार में धंसा दिया। थोड़ी देर में जब उसे भी अच्छा लगने लगा तो अपनी बीच वाली अंगुली अन्दर करके हिलाने लगा। उसी अवस्था में अपना लिंग उसके योनि पर टिकाया और धीरे से अन्दर प्रवेश करा दिया।
अब उसे असीम आनंद प्राप्त हो रहा था। मेरी उंगली और लिंग दोनों अपना काम बखूबी कर रहे थे। मैं अब अपना आपा खो रहा था। तभी उसकी योनि में जोरदार संकुचन हुआ और वो ढीली पड़ने लगी।
मैं तो उसकी आँखों में देखता हुआ ढलना चाहता था। सो मैंने आसन बदल
उसे अपने सामने किया और होंठ उसके होंठों से टिका दिए। थोड़े झटकों के बाद मैं भी अपने चरम पे था और वो दुबारा अपने चरम पे ! हम दोनों एक साथ एक दूसरे पे ढल गए।
मेरा वीर्य उसके अन्दर समाता जा रहा था और वो मुझमें समाती जा रही थी। आधे घंटे तक हम यूँ ही लेटे रहे। उसे कब नींद आ गई पता ही न चला। मैं धीरे से उठ कर अलग हुआ कमरे की व्यवस्था ठीक कर अपने कपड़े पहन लिए। फिर पास पड़ी उसकी पैंटी से उसकी योनि साफ़ करने लगा। वो जाग गई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे गले लग गई।
मैंने उसे चूमा और कहा- मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, कल मिलेंगे, तुम सो जाओ, रात काफी हो चुकी है।
उसकी आंखे नम थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- ये खुशी के आंसू हैं, आज मुझे सारे जहाँ की ख़ुशी मिल गई।
फिर मैं अपने कमरे में आ गया।
आज मुझे एहसास हुआ कि प्रथम एहसास किसी के भी जीवन में क्या मायने रखता है।