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Adultery मेरे नाजायज प्रेम का सफ़र l

naqsh8521

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वो मुझसे लिपटी हुई थी। उस शावर के नीचे मैंने उसे चूमना शुरू किया। फिर उसे नीचे बीठा के उसके हाथ में साबुन पकड़ा दिया और अपने लिंग को साफ़ करने का इशारा किया। उसका एक एक स्पर्श मुझे आज भी याद है।

फिर उसे लिंग को चूमने का इशारा किया।

वो चूमने लगी, उसकी जीभ मेरे पूरे लिंग पर घूम रही थी।

अब थोड़ी देर में मैं अपने लिंग को उसके मुख में डालने का प्रयत्न करने लगा। वो पहले तो इन्कार करती रही, फिर मेरे जोर देने पे उसने उसे अपने मुख में भर लिया। उसका एक एक अंदाज़ मुझे अपना दीवाना बना रहा था। फिर वो खड़ी हुई और मेरे गले लग गई। मैं उसे बिस्तर पे ले आया। वहाँ उसे पेट के बल लिटा के कमर के नीचे तकिया लगा दिया। अब बाथरूम जाकर थोड़ा सा झाग अपने हाथों में ले आया। वो उसी अवस्था में मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैं उस झाग को उसके मलद्वार पे लगाने लगा और धीरे से अपनी कन्नी अंगुली को उसके मलद्वार में धंसा दिया। थोड़ी देर में जब उसे भी अच्छा लगने लगा तो अपनी बीच वाली अंगुली अन्दर करके हिलाने लगा। उसी अवस्था में अपना लिंग उसके योनि पर टिकाया और धीरे से अन्दर प्रवेश करा दिया।

अब उसे असीम आनंद प्राप्त हो रहा था। मेरी उंगली और लिंग दोनों अपना काम बखूबी कर रहे थे। मैं अब अपना आपा खो रहा था। तभी उसकी योनि में जोरदार संकुचन हुआ और वो ढीली पड़ने लगी।

मैं तो उसकी आँखों में देखता हुआ ढलना चाहता था। सो मैंने आसन बदल

उसे अपने सामने किया और होंठ उसके होंठों से टिका दिए। थोड़े झटकों के बाद मैं भी अपने चरम पे था और वो दुबारा अपने चरम पे ! हम दोनों एक साथ एक दूसरे पे ढल गए।

मेरा वीर्य उसके अन्दर समाता जा रहा था और वो मुझमें समाती जा रही थी। आधे घंटे तक हम यूँ ही लेटे रहे। उसे कब नींद आ गई पता ही न चला। मैं धीरे से उठ कर अलग हुआ कमरे की व्यवस्था ठीक कर अपने कपड़े पहन लिए। फिर पास पड़ी उसकी पैंटी से उसकी योनि साफ़ करने लगा। वो जाग गई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे गले लग गई।

मैंने उसे चूमा और कहा- मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ, कल मिलेंगे, तुम सो जाओ, रात काफी हो चुकी है।

उसकी आंखे नम थी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- ये खुशी के आंसू हैं, आज मुझे सारे जहाँ की ख़ुशी मिल गई।

फिर मैं अपने कमरे में आ गया।

आज मुझे एहसास हुआ कि प्रथम एहसास किसी के भी जीवन में क्या मायने रखता है।
 
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naqsh8521

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आज यहाँ एक नयी कहानी शुरू कर रहा हूँ l उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी l

प्यार का सफ़र


सच कहते हैं लोग कि आज की दुनिया में अगर एहमियत है तो बस पैसों की ! ज़ज्बात, इंसानियत और प्रेम हवस और पैसों की आग में झुलस चुका है। नहीं तो इश्क यू बाज़ार में बिकता नहीं… और हुस्न ऐसे सरेआम नीलाम न होता, उसकी बोलियाँ न लगाई जाती, उसकी आबरू को ऐसे बेपर्दा न किया जाता हवस के भूखों के आगे..

यह कहानी मेरे दोस्त की है, राजू नाम है उसका !

कहते हैं इन्सान के पैदा होते वक़्त ही यह निश्चित हो जाता है कि वो आगे क्या करेगा, वरना राजू जो एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातकोत्तर की उपाधि गोल्ड मैडल से पास था, किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो ऐसे पेशे में जाएगा। मुझे भी उसके पेशे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, बस इतना पता था कि वो बहुत कमाता है।

बात उस वक़्त की है जब मैं पहली बार दिल्ली गया था, पहाड़गंज पहुँच मैंने राजू को फ़ोन किया। एक वो ही था दिल्ली में जिसे मैं जानता था। उसने मुझे अपना पता नोट कराया और कहा कि ऑटो लो और इस पते पर पहुँचो।

काफी शानदार अपार्टमेंट था, 103 उसका फ्लैट नंबर था। दरवाज़ा खुला था, अन्दर आते ही मैंने देखा चार बेडरूम हॉल दिल्ली में और फ्लैट की हर चीज़ जैसे यहाँ रहने वाले की दौलत का बखान कर रही थी। एक खूबसूरत सी लड़की जो दिखने में विदेशी जैसी लग रही थी अचानक मेरे सामने आ गई।

मैंने कहा- ओह, माफ़ कीजियेगा, लगता है मैं गलत पते पर आ गया हूँ।

उसने पूछा- आप निशांत हो न..? राजू सर बाहर क्लाइंट से मिलने गए हैं, बस आते ही होंगे…

मैंने राहत की सांस ली।

वो मुझे कमरे में ले गई… मैं तो बस उसके कूल्हों को ही निहार रहा था।

5’8″ की लम्बाई और भरपूर जिस्म, कपड़ों में कैपरी और शॉर्ट टॉप ! अंगड़ाई ले तो ब्रा दिख जाये… जिसकी नीयत ना डोले वो मर्द ही नहीं…

मैंने सोचा कि क्यों न मौके का फायदा उठाया जाये… बेड के पास आते ही जानबूझकर लड़खड़ा गया और बचने की कोशिश का बहाना करते हुए उसके लोअर को पकड़ लिया।

अब मैं नीचे और वो मेरे ऊपर गिरी, उसके कूल्हे मेरे लिंग पर थे। वासना के वशीभूत इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता, मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ, मैं हटने की कोशिश करने लगा। मेरा लिंग अपने पूर्ण तनाव वाली स्थिति में था।

अब यह तो और भी शर्मनाक स्थिति थी मेरे लिए ! मैंने बस अपनी आँखें बंद कर ली। तभी मुझे स्पर्श का अनुभव हुआ मेरे लिंग पर… हाथों को अपने लिंग से दूर करता हुआ उसे बाँहों में ले बिस्तर पे पटक दिया। वासना अब हम दोनों की आँखों में थी, मैंने पूछा- कौन हो तुम?

उसने पूछा- फिलहाल तुम्हें कौन चाहिए?

यह सवाल भी बड़ा अजीब सा था, मैंने कहा- गुलाम ! जिसके साथ जो भी करूँ वो इन्कार ना करे..

जवाब में उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने स्तनों पे रख दिया।

मुझे मेरा जवाब मिल चुका था। उसके टॉप को ऊपर करता हुआ उसके हाथों के पास ले गया और उसी टॉप से उसके हाथ बांध दिए। उसके ब्रा के हुक को खोल दिया… अब ऊपर से पूरी नंगी थी। उसके पीठ पे चुम्बनों की जैसे झड़ी सी लगा दी मैंने !

थोड़ा नीचे होते हुए मैं उसके लोअर को उतारने जा रहा था कि तभी मुझे साइड में थोड़ा फटा हुआ दिखा, शायद गिरते वक़्त जो मैंने उसके लोअर का सहारा लिया था उसी में फट गया था।

उसी में मैंने एक उंगली डाली और पूरा लोअर फाड़ डाला।

वो चिल्लाने लगी तो तुरंत उसे पलट के उसके मुंह में अपना पूरा लिंग दे दिया, जब उसका दम घुटने लगता तब लिंग बाहर निकाल लेता और जब सामान्य होती तो पुनः घुसा देता। उसी अवस्था में उसके लोअर के चीथड़े करने लगा, अब सिर्फ उसकी पैंटी रह गई थी। उसे भी फाड़ के उसके जिस्म से अलग किया और अपने कपड़े उतार उसके ऊपर टूट पड़ा।

उसके होंठ, गाल, गर्दन हर जगह मेरे वार के निशान छूटने लगे।

अपने जिंदगी के अनुभवों से मैंने सीखा था कभी किसी पर भरोसा न करना, प्यार और प्यार करना मैं भूल ही चुका था…

अब ना तो किसी की तलाश थी न तो किसी का इंतज़ार ! बस एक आग थी मेरे अन्दर जो जला देना चाहती थी हर एक भावना को… हर उस एहसास को… हर उस याद को जो मेरे दिल में दबी हुई थी…

शायद यही वजह थी कि मैं अपने आप में नहीं था।

अब मेरा मुख उसके स्तनों पर था। आज मैं उस जाम का एक एक कतरा निचोड़ लेना चाह रहा था… उसके गौर वर्णीय स्तन गोधूलि वेला के आकाश जैसे लाल हो गये थे।

अब धीरे धीरे मैं नीचे आता जा रहा था, मैं वज्र आसन में उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया, टांगों को कंधे पर रख कर उसकी कमर को पकड़ के खींच के उसके योनि द्वार को अपने मुख के पास ले आया। इस आसन में उसका समूचा शरीर मेरे संपर्क में था, योनि मेरे मुख के, कूल्हे मेरी गर्दन के और मेरा एक हाथ उसके स्तनों के..

जब मैं थक गया तो फिर सामान्य आसन में उसके योनिरस का पान करने लगा। तभी उसके पैरों का घेराव जो मेरे शरीर के इर्द-गिर्द था, मुझे कसता हुआ महसूस हुआ और एक झटके से बाढ़ सी आ गई उसकी योनि में..

अब मैं फिर से उसके ऊपर था मेरे होंठ उसके होंठों से जा मिले। अपना हाथ पीछे कर उसके हाथों को बंधन से आज़ाद कर दिया। अब तो जैसे वो मेरे ऊपर छा सी गई। ऐसा लग रहा था मानो मेरे हर वार का बदला ले रही हो जैसे… उसके नाख़ून मेरे शरीर पर निशान छोड़ रहे थे। उसके होंठों का एहसास मुझे अपने सारे जिस्म पर महसूस हो रहा था।

नीचे होते हुए मेरे लिंग को अपने मुख में भर लिया उसने। अत्यधिक उत्तेजना की वजह से मैं स्खलित हो गया। वो सारा रस पी गई।

अब मैं थोड़ा नियंत्रित था मेरी भावनाओं का ज्वार थम सा गया था। अपने अन्दर के दबे हुए एहसास को शायद मैंने और भी अपनी दिल की गहराइयों में धकेल चुका था। आँखें भरी हुई थी मेरी, और ऐसा लग रहा था जैसे नया जीवन पा लिया हो मैंने…
 

naqsh8521

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पता नहीं कब पर राजू वहाँ आ गया था। बचपन में अक्सर हम नंगे होकर नदी में नहाया करते थे। पर आज फिर वो नंगा था शायद काफी देर से हम दोनों को देख रहा था… तभी तो उसका लिंग पूरे उफान पर था।

वो घोड़ी के आसन में आ गई, मेरा लिंग अपने मुख में भर लिया राजू पीछे से मज़े लेने लगा।

थोड़ी देर बाद राजू ने कहा कि वो स्खलित होने वाला है। फिर हम दोनों ने अपनी जगह बदल ली। अब मैं धक्के पे धक्का लगाये जा रहा था। मैं और राजू एक साथ स्खलित हो गए… एक साथ मुख और योनि में वीर्य भर जाने से वो तड़प सी गई और दौड़ कर बाथरूम में चली गई।

मैं और राजू एक दूसरे की तरफ देख कर हंसने लगे… राजू ने मेरे हाथ पर मुक्का मारते हुए कहा- साले आते ही शुरू हो गया?

वो मेरी कर्मचारी है।

मैंने पूछा- कौन सी कंपनी है तेरी?

वो थोड़ी देर चुप रहा, फिर उसने कहा- मैंने आज तक कोई बात तुझसे नहीं छुपाई है तो मैं बताता हूँ। दुनिया वालों के लिए मैं इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाता हूँ। पर असल में मैं दिल्ली की हाई प्रोफाइल पार्टी में लड़कियाँ सप्लाई करता हूँ। अभी मैं एक मंत्री जी से मिल कर आ रहा हूँ, कल उनकी एक गुप्त पार्टी है, उन्हें 22 लड़कियाँ चाहिए थी।

मैं तो जैसे सन्न रह गया। एक बार तो आँखों के सामने सारी जिंदगी की यादें फ़्लैश बैक की तरह घूमने लगी।

मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। इतना शांत व्यक्तित्व का व्यक्ति ऐसे पेशे में?

मैंने उससे पूछा- इतनी लड़कियाँ तेरे संपर्क में आई कैसे?

उसने कहा- यूँ तो हर शहर में ही लड़कियाँ ऐसे पेशे में होती हैं, पर वहाँ इन्हें पैसे भी कम मिलते हैं और बदनामी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। मैंने शुरू में चार लड़कियाँ महीने की तनख्वाह पर रखी थी, धीरे धीरे वो ही सब से मिलवाती चली गई और आज मैं यहाँ तक पहुँच गया। इन्हें छोटे शहर से बुला कर एक महीने की ट्रेनिंग दी और फिर अपने साथ काम में लगाया। अब ये सब तराशे हुए हीरों की तरह हैं।

थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद राजू ने कहा- यह सब भूल जा ! चल तुझे दिल्ली की पार्टी दिखाता हूँ..

मैंने उससे पूछा- इतनी लड़कियाँ तेरे संपर्क में आई कैसे?

उसने कहा- यूँ तो हर शहर में ही लड़कियाँ ऐसे पेशे में होती हैं, पर वहाँ इन्हें पैसे भी कम मिलते हैं और बदनामी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। मैंने शुरू में चार लड़कियाँ महीने की तनख्वाह पर रखी थी, धीरे धीरे वो ही सब से मिलवाती चली गई और आज मैं यहाँ तक पहुँच गया। इन्हें छोटे शहर से बुला कर एक महीने की ट्रेनिंग दी और फिर अपने साथ काम में लगाया। अब ये सब तराशे हुए हीरों की तरह हैं।

थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद राजू ने कहा- यह सब भूल जा ! चल तुझे दिल्ली की पार्टी दिखाता हूँ..

राजू मुझे पार्टी में चलने को तैयार होने कह रहा था पर मेरे पास उस वक़्त उन हाई प्रोफाइल पार्टी में जाने वाले कपड़े थे नहीं तो मैं बार बार उसे मना कर रहा था।

राजू ने ज्यादा जोर दिया तो मैंने अपनी परेशानी उसे बताई। वो हंसने लगा, बोला- तू जैसा है वैसे ही चल।

काले रंग की रेंज रोवर थी। मैं अन्दर बैठ गया रास्ते में वो किसी मॉल में मुझे ले गया और कपड़े दिला दिए। थोड़ी देर में हम गुड़गांव के किसी फार्म हाउस में पहुँचे। राजू फ़ोन लगाने लगा, मैं तो बस इधर उधर देख रहा था।

सचमुच आलिशान जगह थी वो ! पच्चीस एकड़ में फैला हुआ तो होगा ही ! हर चीज़ बड़ी करीने से रखी हुई थी, एक तरफ पंडाल लगा था, सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल लगभग हर जगह किया गया था, बाहर तो जैसे लाल बत्ती वाली गाड़ियों का मेला सा लगा था।

तभी राजू आ गया बोला- अब चल अन्दर…

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि पता नहीं क्या होगा अन्दर…

बड़ा सा दरवाजा जैसे ही खुला तेज और बेहद तीखा धुँआ बाहर निकला मेरा तो जैसे खांसते खांसते बुरा हाल हो गया… राजू मेरे पास आया और कहने लगा- धीरे धीरे आदत हो जाएगी…

जैसे ही मैं सामान्य हुआ, राजू मेरा हाथ पकड़ते हुए अन्दर ले गया..

आज फिर एक बाज़ार सज़ा था… जिस्म की मंडी लगी थी… और हुस्न की नीलामी हो रही थी… पैसों की चमक से हवस को शांत किया जा रहा था। कभी किसी वेश्या की आँखों में झाँक के देखना दोस्त, वहाँ भी एक उम्मीद दिखेगी की कोई आकर उसकी आबरू बचा ले। अजीब बात है न, जिसका काम अपनी आबरू बेच कर कमाना है वो भी ऐसी उम्मीद सजाती है। क्यों न सजाये उम्मीद, आखिर वो भी तो इंसान है आपकी और हमारी तरह ! अगर हम किसी ऊँची मंजिल पाने का ख्वाब सज़ा सकते है तो क्या वो अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब नहीं देख सकती।
 

naqsh8521

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Hye meri chut se to ras behne lgga hai
Story read karke
Aise khule me mat bataao.... Is forum pe chatore bahut hain... Chut ke ...:akshay:
 

Kerry watson

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Bahut badhiya update, jabardast aur fataka kahani
 
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naqsh8521

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अन्दर तो जैसे अजीब माहौल था। हवा में चरस गांजे और सिगरेट की महक थी। मादकता अपने पूरे उफान पर थी। तेज संगीत शायद ब्राजीलियन संगीत था, वो बज रहा था। सामने एक भव्य स्टेज लगा था और फिर तो जैसे मेरी आँखें ही चौंधिया गई। वो स्टेज नहीं बल्कि रैंप था जहाँ लड़कियाँ बारी बारी से आ रही थी और अपना एक वस्त्र उतार कर दर्शकों में लुटा रही थी। और फिर पीछे लाइन में खड़ी हो जाती, उनमें कुछ तो विदेशी भी थी।

मैंने राजू से पूछा तो उसने बताया- ऐसी पार्टी में विदेशी लड़कियों के लिए दूसरे प्रबंधक रहते हैं। देशी लड़कियाँ जितनी भी है वो मेरी ही कर्मचारी हैं।

तभी वहाँ उपस्थित सभी लोग जोर जोर से चिल्लाने लगे। राजू मेरे पास से हट कर स्टेज पर चला गया। मैं भी कौतुहलवश उधर देखने लगा। एक एक कर अब सभी लड़कियाँ पूरी नंगी हो चुकी थी। उनमें से एक आगे राजू के पास आई और सामने पोल पकड़ कर बड़ी ही अदा से खड़ी हो गई। नीचे खड़े लोग बोलियाँ लगाने लगे। मेरे लिए तो जैसे आश्चर्य की ही बात थी। जैसे ही एक की बोली समाप्त होती दूसरी सामने आ जाती।

धीरे धीरे सभी की बोलियाँ लग गई। सभी अपनी खरीदी हुई लड़कियों को ले के अपने कमरों में चले गए। अब मैदान पूरा खली था। राजू मेरे पास हाथ में विदेशी शराब की बोतल लेते हुए आया। थोड़ी देर में हम दोनों ही नशे में थे।

उसने मुझसे कहा- यार, प्लीज यह बात हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए, मैं मजबूरी में इस दलदल में फंस गया हूँ और यहाँ से वापिस जाने का भी कोई रास्ता नहीं है।

मैंने कहा- रास्ता तो हर वक़्त सामने ही होता है, बस इंसान का खुद पर नियंत्रण होना चाहिए, फिर भी मैं यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रखूँगा…

हम अक्सर यह सोचते हैं कि गलत रास्तों से लौटने का कोई रास्ता नहीं होता पर असल में हमें उसकी आदत हो चुकी होती है। गलत रास्ते से मिलने वाली दौलत और शौहरत हमारी आँखों को अंधा कर चुकी होती है। हमें लगता है अब कुछ नहीं हो सकता। पर असल में अन्दर ही अन्दर हमें यह पता होता है हम इस नशे से दूर नहीं जा सकते, गए तो जी नहीं पायेंगे।

हम दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि एक खूबसूरत सी लड़की आकर हमारे सामने खड़ी हो गई। ऐसा लगा मानो उस रात चाँद की चांदनी स्त्री रूप धारण कर मेरे सामने आ गई हो।

राजू ने मुझे उससे मिलवाया, कहा- ये ऐश्ले संधू है…

मुझे कुछ समझ में ना आया।

तब राजू ने कहा- तुम इसे ऐश बुला सकते हो। यह पंजाब के एक गाँव की रहने वाली है।मुझे तो देखने से एन आर आई लग रही थी। राजू ने कहा इसकी एक हफ्ते की ट्रेनिंग बाकी है, तुम्हीं दे दो… आज अपार्टमेंट में तो छा गए थे तुम। तेरे संपर्क में रहेगी तो सब सीख जायेगी।
 
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Vamp

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shandar kahani
 

Pardhan

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Hye meri chut se to ras behne lgga hai
Story read karke
ਰੂਬੀ ਆਵਾਂ ਫੇਰ ਪਾਵਾਂ ਲੰਨ
 
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बहुत ही बढ़िया कहानी है अश्लील शब्दों का सहारा लिए बिना इतनी उम्दा कहानी बहुत ही कम पड़ने को मिलती है
 
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