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मुझ जैसी नासमझ को समझा रहे हे आप की ,आप नीरस हे ,आप तो प्रेम पुजारी हे प्रेम को आपसे बेहतर कौन समझ सकता हे बंया कर सकता हे ,में तो वैसे ही इधर उधर प्रेम को समझने के लिए भटकती रहती ,हू ,पढ़ती रहती हू ,अच्छा लगता हे तो लिख लेती हु ,वैसे मुझे प्रेम बहुत पसंद हे ,
नीरज जी की ये लाइन्स मेरे मन को बहुत छूती हे
शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
कि: अरे, होगा यूं नशा जो तैयार, वो प्यार है
रंग में पिघले सोना, अंग से यूं रस झलके
Too romantic sirji..
And yes.. Essence of opposite sex is blissful.!!!
Obviously the connected hearts feels the transmission of love when they come nearer.
Now Amar has no choice .. but only to fall for her..
नहीं भाई, avsji भैया साथ में दूसरी कहानी लिख रहे हैं और इसी वजह से इधर विलम्ब हो रहा है।Bhut dino se update nhi aa rha hai kya ye story band ho gai hai?
नहीं भाई, avsji भैया साथ में दूसरी कहानी लिख रहे हैं और इसी वजह से इधर विलम्ब हो रहा है।
फ़िकर ना करो, कहानी देर सवेर पूरी हो जाएगी।
धन्यवाद भाई! कैसे हो?
तेरह चौदह लाख शब्दों की कहानी भाई ने पढ़ डाली, और चूं तक नहीं करी।
कुछ दिन अपडेट क्या नहीं लिखे, आ गए शिकायत करने!
मुफ़्तख़ोरी की इन्तहाँ है ये! जैसे पहले चुप थे, अब भी चुप बैठ लेते। लेकिन नहीं!
करूँगा इस पर अपडेट जल्दी ही। चूँकि अब कहानी निकट है, इसलिए बहुत मोटिवेशन नहीं बनता लिखने का।
श्राप में इसीलिए जल्दी जल्दी अपडेट आ रहे हैं!
ठीक हूँ भैया, बारिश बहुत हो रही थी ना तो अपने यहाँ पानी आ गया था। परंतु शुक्र है कि कोई नुक़सान होता उस से पहले ही (पानी) वापिस चले गया।धन्यवाद भाई! कैसे हो?
तेरह चौदह लाख शब्दों की कहानी भाई ने पढ़ डाली, और चूं तक नहीं करी।
कुछ दिन अपडेट क्या नहीं लिखे, आ गए शिकायत करने!
मुफ़्तख़ोरी की इन्तहाँ है ये! जैसे पहले चुप थे, अब भी चुप बैठ लेते। लेकिन नहीं!
करूँगा इस पर अपडेट जल्दी ही। चूँकि अब कहानी निकट है, इसलिए बहुत मोटिवेशन नहीं बनता लिखने का।
श्राप में इसीलिए जल्दी जल्दी अपडेट आ रहे हैं!
एकदम id अनुरूप ही बातें कर रहे होभाई मैने ये कहानी दो –तीन दिन में ही पढ़ ली थी और मुझे अच्छी भी लगी थी इसलिए अपडेट के लिए पूछ लिया। और रही बात मुफ्तखोरी और चुप बैठे रहने की तो मेरी तरफ से ये कहानी पूरी न भी तो मुझे घंटा फर्क नही पड़ता।
ठीक हूँ भैया, बारिश बहुत हो रही थी ना तो अपने यहाँ पानी आ गया था। परंतु शुक्र है कि कोई नुक़सान होता उस से पहले ही (पानी) वापिस चले गया।
आप बताइए, आप सब खरियात से हैं ना?